मिलावट वाले रंगों से रहें सावधान, करते हैं बड़ा नुकसान

कोई भी त्योहार मौज-मस्ती, खुशी-उल्लास, भागा-दौड़ी के बगैर अधूरा है. होली में लोग एक दूसरे पर रंग गुलाल डाल कर मनाते हैं. पर क्या आपको पता है कि होली में इस्तेमाल होने वाले रंग कई बार सेहत पर बुरा असर कर जाते हैं. बाजार में मिलने वाले रंग सिथेंटिक होते हैं. आर्टिफीशियल तरीके से बने ये रंग सेहत के लिए बेहद हानिकारक होते हैं. कई बार इनके परिणाम घातक हो जाते हैं.

कुछ डाक्टरों और जानकारों की माने तो बाजार में मिलने वाले अधिकतर रंग सस्ते होते हैं और इनको बनाने के लिए कुछ हानिकारक सामाग्रियों का इस्तेमाल होता है. इन रंगों को बनाने के लिए कुछ निर्माता डीजल, इंजन औयल, कौपर सल्फेट और सीसे का पाउडर आदि का इस्तेमाल करते हैं. इससे लोगों को चक्कर आता है, सिरदर्द और सांस की तकलीफ होने लगती है. जानकारों के अनुसार ये तत्व हमारी सेहत के लिए बेहद हानिकारक होते हैं. इन  रंगों में ऐसे रसायन मिले होते हैं जिनसे सेहत का काफी नुकसान होता है. एक विशेषज्ञ की माने तो काले रंग के गुलाल में लेड औक्साइड मिलाया जाता है जो गुर्दों को प्रभावित कर सकता है. हरे गुलाल के लिए मिलाए जाने वाले कौपर सल्फेट के कारण आंखों में एलर्जी, जलन, और अस्थायी तौर पर नेत्रहीनता की शिकायत हो सकती है.

जागरुकता के अभाव में अक्सर छोटे दुकानदार रंगों की गुणवत्ता की जानकारी के बिना इन रंगों को बेचते हैं. कई बार औद्योगिक इस्तेमाल के लिए बनाए गए रंगों को भी होली में इस्तेमाल किया जाता है जिनसे सेहत का काफी नुकसान होता है.

बाजार में हर्बल सामग्रियों से बनाए गए सूखे रंग उपलब्ध हैं. आपको बता दें कि तिहाड़ जेल की महिला कैदियों ने भी इस बार गुलाब के फूल जैसी हर्बल सामग्रियों की मदद से रंग गुलाल बनाए हैं.

तिहाड़ की महिला कैदियों के साथ पिछले पंद्रह सालों से कार्यरत्त दिव्य ज्योति जागृति संस्थान (डीजेजेएस) के प्रवक्ता विशाल नंद ने बताया कि इस रंग में अरारोट पावडर, खाने वाले रंग और प्राकृतिक सुगंध आदि का इस्तेमाल किया गया है और इनसे त्वचा को कोई नुकसान नहीं होता.

वजन कम करना है तो इतने देर की नींद है जरूरी

नींद हमारे शरीर के साथ साथ हमारे दिमाग की भी जरूरत है. एक स्वस्थ व्यक्ति को दिनभर में कम से कम 7 से 8 घंटे की नींद लेने चाहिए. इससे कई तरह की गंभीर स्वास्थ परेशानियां जैसे, दिल की बीमारी, स्ट्रोक, हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज के साथ वजन बढ़ने का खतरा दूर होता है. जो लोग बढ़ते वजन से परेशान हैं उनके लिए नींद का पूरा होना एक्सरसाइज और जरूरी डाइटिंग से भी कहीं ज्यादा जरूरी है.

जो लोग कम सोते हैं उनमें वजन का बढ़ना और तनाव जैसी परेशानियां देखी जाती हैं. जानकारों की माने तो नींद की कमी से शरीर के घ्रेलिन और लेप्टिन हार्मोंस पर असर पड़ता है. शरीर में घ्रेलिन हार्मोन के निकलने पर भूख का ज्यादा एहसास होता है. ये हार्मोन मेटाबौलिज्म को कमजोर करता है और शरीर में फैट जमा करता है.

वहीं, शरीर की फैट कोशिकाओं से लेप्टिन हार्मोन निकलता है. भूख को कम करने में इस हार्मोन का बड़ा योगदान होता है. अगर शरीर में ये हार्मोन कम बनने की सूरत में हमें अधिक भूख लगती है. यही कारण है कि आपका वजन बढ़ जाता है.

लेप्टिन हार्मोन शरीर की फैट कोशिकाओं से निकलता है. ये हार्मोन को भूख को कम करता है. शरीर में लेप्टिन हार्मोन के कम मात्रा में बनने से भूख ज्यादा लगती है, जिस कारण आप जरूरत से ज्यादा खा लेते हैं. ये आपका वजन बढ़ाने का काम करता है.

नींद की कमी के कारण वजन बढ़ने के साथ, दिमाग और सेहत पर भी बहुत बुरा असर पड़ता है. इसलिए अगर आप अपने वजन को कंट्रोल में रखना चाहते हैं तो 7-8 घंटे की नींद जरूर लें.

कम वजन के लिए खाएं ये चीजें, हैं बेहद असरदार

वजन कम करने के लिए लोग बहुत से तरीके अपनाते हैं. कोई डाइटिंग करता है, कोई जिम तो कोई एक्सरसाइज. कई बार डाइटिंग से सेहत पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. फूड इन टेक कम होने से लोगों में एनर्जी कम बचती है, जिससे उनका शरीर कमजोर होता है. खाने में कटौती करने से वजन कम नहीं होता, बल्कि बैलेंस्ड डिट से होता है.

वजन कम करने के लिए जरूरी है कि आप प्रोटीन, फाइबर और गुड फैट का इन टेक करते रहें. इससे आपका वजन समान्य रहेगा और कमजोरी भी नहीं होगी. इस खबर में हम आपको ऐसी ही डाइट के बारे में बताने वाले हैं. हमारी बताई डाइट को अपना कर आप अपनी इस बड़ी परेशानी से निजात पा सकती हैं.

तो आइए शुरु करते हैं.

नट्स

diet to loose weight

नट्स में भरपूर मात्रा में एनर्जी. प्रोटीन और अनसैचूरेटेड फैट पाया जाता है. ये फैट हमारे शरीर को कई तरह की बीमारियों से दूर रखते हैं. हालांकि इनका प्रयोग बेहद ही सीमित मात्रा में करना चाहिए.

अंडा

take boiled eggs to loose weight

बहुत से लोगों का मानना है कि अंडा खाने से वजन तेजी से बढ़ता है. पर हम आपको बता दें कि ऐसा कुछ नहीं है. अंडे के सफेद हिस्से में प्रोटीन की मात्रा अधिक रहती है, वहीं उसके पीले हिस्से यानि जर्दी में कई तरह के विटामिन्स पाए जाते हैं.

फलियां

diet to loose weight

इनमें भरपूर मात्रा में प्रोटीन और फाइबर पाया जाता है. इससे मेटाबौलिज्म मजबूत होता है. सबसे खास बात की इसके सेवन से प्रोसेस्ड फूड के खाने की क्रेविंग कम होती है और वजन कंट्रोल में रहता है.

अंडे से सेवन से हमारा मेटाबौलिज्म मजबूत होता है. अगर आपका मेटाबौलिज्म ठीक से काम करता है तो वजन भी कंट्रोल में रहता है. जानकारों की माने तो सप्ताह में 5 दिन तक नाश्ते में अंडा खाने वालों का वजन, अंडा ना खाने वालों की अपेक्षा 65 फीसदी कम हुआ है.

वेजिटेबल और फ्रूट सलाद

हमारे शरीर में कितना फैट बर्न होता है, इस पर निर्भर होता है कि हमारा वजन बढ़ेगा या घटेगा. जरूरत से अधक कैलोरीज का सेवन करने से वजन बढ़ता है. कैलोरीज बर्न करने के लिए लोग जिम और एक्सरसाइज का सहारा लेते हैं. पर वेजिटेबल और फ्रूट सलाद का सेवन कर हेल्दी तरीके से आप अपना वजन कम कर सकती हैं. इनका अधिक सेवन करने पर भी वजन नहीं बढ़ता है. लेकिन इसके लिए सब्जियों को उबालकर, ग्रील कर के या कच्चा ही खाएं.

पानी

diet to loose weight

वजन कम करने में पानी अहम भूमिका निभाता है. डीहाइड्रेटेड मांसपेशियां वजन कम करने की प्रक्रिया में बाधा डालती हैं. शरीर में पानी कम होने से मेटाबौलिज्म पर भी खासा बुरा असर होता है. ज्यादा पानी पीने से भूख भी कंट्रोल में रहती है और वजन भी नहीं बढ़ता है.

यूरिक एसिड के बढ़ने पर ये जूस पिएं, होगा फायदा

यूरिक एसिड का नाम तो आपने सुना ही होगा. ये एक वेस्ट प्रोडक्ट होता है जिसकी बढ़ी मात्रा सेहत के लिए हानिकारक होती है. ये आपके शरीर में निश्चित से अधिक मात्रा में इक्कठ्ठा हो जाने के बाद बाहर नहीं निकलता है और शरीर में जमा होने लगता है. धीरे धीरे ये खून के संपर्क में आता है और खून में यूरिक एसिड की मात्रा को बढ़ा देता है, जिससे पैर, एड़ी और टखनों में दर्द और सूजन हो जाती है. इस समस्या को दूर करने के लिए कुछ हेल्दी ड्रिंक्स आपके लिए काफी लाभकारी हो सकते हैं. तो आइए जाने उन ड्रिंक्स के बारे में.

पाइनएप्पल जूस

drinks helpful in uric acid

पाइनएप्पल जूस में विटामिन सी के साथ साथ अन्य एंटीऔक्सिडेंट होते हैं. यूरिक एसिड को बाहर करने में ये ड्रिंक बेहद कारगर है. इसे बनाने के लिए पाइनेप्पल की तीन चौथाई जूस को एक चौथाई गिलास स्किम्ड मिल्क में मिलाकर आइस क्यूब डालकर सेवन करें.

योगर्ट और स्ट्रौबेरी

drinks helpful in uric acid

योगर्ट यानि दही और स्ट्रौबेरी को ब्लेंड करने के बाद इसे हम स्मूदी कहते हैं. ये स्मूदी सूरिक एसिड के स्तर को कम करने में लाभकारी होता है.

मोसंबी और पूदीने का ड्रिंक

drinks helpful in uric acid

इस ड्रिंक में विटामिन सी की मात्रा प्रचूर होती है. यूरिक एसिड को कम करने में ये बेहद कामगर है. एक मोसंबी को छील कर इसमें नींबू का रस और पुदीने के पत्ते डाल लें और अच्छे से मिक्स कर लें. अच्छे से ब्लेंड कर के जूस बना कर इसका सेवन करें.

खीरा सूप

drinks helpful in uric acid

शरीर को हाइड्रेट रखने के साथ साथ शरीर से यूरिक एसिड की मात्रा को कम करने में ये ड्रिंक काफी लाभकारी होता है. इसे बनाने के लिए एक जार में खीरे का जूस, एक चौथाई कप दही, पुदीने के पत्ते और नींबू का रस डालकर ब्लेंड करें और थोड़े देर तक ठंडा करने के बाद सेवन करें. जल्दी ही आपको फायदा मिलेगा.

होली में रसायन वाले रंगों के बीच ऐसे रखें अपना ख्याल

होली का इंतजार सभी को रहता है, विशेषकर बच्चों में इस त्वहार का खासा उल्लास रहता है. पर जरूरी है कि इस दौरान हम कुछ खास बातों का ख्याल रखें नहीं तो हमें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. बाजार में मिलने वाले होली के ज्यादातर रंग हमारी त्वचा, बालों और आंखों के लिए काफी हानीकारक होते हैं. इससे जलन, रैशेज और एलर्जी की समस्याएं होती हैं.

होली के इस खास मौके पर आपको कोई भी परेशानी का सामना ना करना पड़े, होली की मौज मस्ती फीकी ना पड़ जाए इसलिए हम आपको कुछ खास टिप्स देने वाले हैं, जिनको ध्यान में रख कर आप अपनी होली को और ज्यादा इंजौय कर पाएंगी.

बरतें सावधानियां

होली से एक दिन पहले अपने पूरे शरीर पर सरसो का तेल लगा लें. खास कर के हाथ और पैरों में, क्योंकि ये अंग रंगों से सीधे संपर्क में आते हैं. तेल से आपकी त्वचा सुरक्षित रहेगी. रंग भी इससे आसानी से हट जाते हैं.

तेल के अलावा आप लोशन का भी इस्तेमाल कर सकती हैं. त्वचा को साफ रखने में ये बेहद कामगर होते हैं.  इसके इस्तेमाल से मुश्किल रंग भी छूट जाते हैं. इसके अलावा बालों में आप बहुत सारा नारियल का तेल लगाएं. ये एक संरक्षक एजेंट के रूप में काम करता है और रंगों को बालों की गहराइयों में जाने से रोकता है.

क्या करें जब रंग आंखों में या मुंह में चला जाए

अगर आपकी आंखों या मुंह में सूखा रंग चला जाए तो उसे पानी से अच्छे से धोएं. आंखों को साफ करने के बाद उसमें गुलाब जल डालें और थोड़ी देर तक आराम करें. ससे आपकी आंखों को ठंडक मिलेगी.

ये मसाले रखेंगे आपके दिल का ख्याल

मसालों का सेवन केवल स्वाद के लिए नहीं किया जाता है बल्कि स्वास्थ की बेहतरी में भी इनका योगदान बेहद अहम होता है. मसालों में कई तरह के पोषक तत्व होते हैं जो आपके दिल के लिए काफी फायदेमंद होते हैं.

इस खबर में हम आपको उन पांच मसालों के बारे में बताएंगे जिनके सेवन से आप अपने दिल को हेस्दी रख सकेंगी.

लहसुन

दिल का काफी नुकसान होता है बढ़े हुए कौलेस्ट्रोल से. लहसुन दिल की बीमारियों में काफी कारगर होता है. बढ़े हुए कौलेस्ट्रोल को कम करने में ये बेहद फायदेमंद होता है. आपको बता दें कि लहसुन में एलिसिन नाम का एक एंटीऔक्सिडेंट पाया जाता है, इसका काम होता है कौलेस्ट्रोल को नियंत्रण में रखना. इसके अलावा ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में भी लहसुन काफी असरदार होता है.

काली मिर्च

काली मिर्च कौर्डियोप्रोटेक्ट‍िव एक्शन को सक्रिय करने का काम करती है. ये औक्सीडेटिव डैमेज से हमे सुरक्षा देता है इसके साथ ही कार्डियक फंक्शन को भी सही रखता है.

धनिया के बीज

धनिया के बीजों में एंटीऔक्सिडेंट की मात्रा अधिक होती है. इसमें मौजूद तत्व हमारे दिल को फ्री रेडिकल्स से सुरक्षित रखते हैं. कौलेस्ट्रोल को कंट्रोल करने के लिए और ब्लड फ्लो बढ़ाने के में धनिए का बीज बेहद कामगर होता है.

दाल चीनी

खाने में दालचीनी का इस्तेमाल शरीर में खून के बहाव को बोहतर बना कर रखता है. इससे शरीर में ब्लड क्लौटिंग का खतरा काफी कम हो जाता है. दिल की परेशानियों को दूर रखने के लिए जरूरी है कि आप रोज एक चुटकी दालचीनी का सेवन करें.

हल्दी

आपको बता दें कि हल्दी में एंटीऔक्सिडेंट और एंटी इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं. ये तत्व हमारे शरीर में ब्लड कौलेस्ट्रोल को कम करने में बेहद असरदार होते हैं. डायबिटिज से बचाव करन के लिए ये काफी प्रभावशाली उपाय है.

बेहद फायदेमंद है नारियल का तेल, आज ही से इस्तेमाल शुरू करें

हेल्दी लाइफ सबकी चाहत होती है. सभी लोग चाहते हैं कि वो रोग मुक्त रहें, स्वस्थ रहें. पर क्या मौजूदा रहन सहन में, खास कर के शहरी लाइफस्टाइल में हेल्दी रहना एक बड़ी चुनौती नहीं है? इस माहौल में खुद को स्वस्थ रखने के लिए लोग तरह तरह के पैंतरे आजमाते हैं. ऐसे में हम आपको हेल्दी और खुद को फिट रखने का एक आसान तरीका बताने वाले हैं.

नारियल के तेल की खूबी से ज्यादातर लोग वाकिफ हैं. बालों की सेहत के लिए ये बेहद लाभकारी होता है. पर अपने किचन में इसके इस्तेमाल से होने वाले फायदों के बारे में पता है आपको? इस खबर में हम आपको बताएंगे कि नारियल के तेल को अपनी डाइट में शामिल करने से किस तरह के फायदे हो सकते हैं. तो आइए शुरू करें.

मजबूत होता है मेटाबौलिज्म

नारियल के तेल के इस्तेमाल से शरीर का मेटाबौलिज्म मजबूत होता है. जब आपका मेटाबौलिज्म मजबूत रहेगा तो आपका वजन जल्दी कम होगा. खाने में नारियल के तेल के इस्तेमाल से पेट की चर्बी भी कम होती है.

हड्डियों को बनाए मजबूत

नारियल के तेल से बना खाना खाने से हड्डियां और दांत मजबूत होते हैं. इसके सेवन से शरीर में मैग्निशियम और कैल्शियम सही से सोख लिए जाते हैं. इसके साथ ही जुकाम की शिकायत में भी ये असरदार है.

दिल के लिए होता है लाभकारी

आज के वक्त में बहुत से लोग दिल की बीमारियों से ग्रसित हैं. इन लोगों के लिए नारियल का तेल काफी फायदेमंद होता है. इसमें शामिल लौरिक एसिड शरीर के गुड कैलेस्ट्रौल को बढ़ाता है और दिल को स्वस्थ रखता है.

बीमारियों से रखे सुरक्षित

नारियल का तेल काफी गुणकारी होता है. इसमें एंटी बैक्टीरियल, एंटी वायरल, एंटी माइक्रोबैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं. इसमें मौजूद ये गुण शरीर के सारी गंदगियों को बाहर कर देता है, जिससे आप सुरक्षित रहती हैं.

पेट के लिए है फायदेमंद

जिन लोगों को डाइजेशन में परेशानी होती है उनके लिए नारियल का तेल बेहद लाभकारी होता है. डाइट में इसे शामिल करने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है. पेट के इंफेक्शन के लिए जिम्मेदार बहुत सी बैक्टीरिया से सुरक्षित रहने में भी ये काफी कामगर है.

वजन कम करने के लिए खाएं चीज

भागदौड़ भरी जिंदगी में लोगों किसी चीज पर समबसे कम ध्यान दे पाते हैं तो वो है अपना खानपान. लोगों का खानपान को सबसे कमतर आंकते हैं. अनहेल्दी खानपान, जंक फूड, फास्ट फूड जैसी चीजों के प्रति लोगों का आकर्षण उनकी खराब हो रही सेहत का प्रमुख कारण है. इन खाद्य पदार्थों में मौजूद चीज से लोगों का तेजी से वजन बढ़ता है, जिसके बाद लाख कोशिशों के बाद भी ये कम नहीं होता.

पर क्या आपको पता है कि चीज से केवल वजन बढ़ता नहीं है, बल्कि वजन कम करने में भी चीज काफी कारगर होता है. इसमें मौजूद हाई कैल्शियम आपके शरीर के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है. पनीर में मौजूद प्रोटीन और फास्फोरस व्यक्ति की पाचन क्रिया को दुरुस्त बनाए रखने का काम करता है. पर वजन कम करने के लिए किसी भी प्रकार के चीज का सेवन करना ठीक नहीं है. वजन कम करने के लिए चीज का सेवन करना है तो आप ऐसे चीज का चुनाव करें जिसमें सारे जरूरी न्यूट्रिएंट्स मौजूद हों पर फैट की मात्रा कम हो.

आइए जाने चीज के ऐसे तीन प्रकार जिनके सेवन से आप अपना वजन कम कर सकती हैं.

पारमेसान चीज

take cheese to reduce weight

चीज का ये प्रकार सेहत के लिए तो अच्छा है ही साथ में इसका स्वाद भी लाजवाब है. इसमें कई तरह के प्रोटीन्स, कैल्शियम और मिनरल्स पाए जाते हैं. आपको बता दें कि 1 चम्मच पारमेसान चीज में लगभग 21 कैलोरी मौजूद होती हैं. आप अपनी पसंद के मुताबिक इसे सलाद या सूप बनाते समय इसका इस्तेमाल कर सकते हैं.

कौटेज चीज

take cheese to reduce weight

स्लिम रहने के लिए कौटेज चीज एक बेहतर विकल्प है. इसमें करीब 50 फीसदी प्रोटीन पाया जाता है. वहीं कौटेज चीज से भरे एक कप पनीर में लगभग 163 कैलोरी मौजूद होती हैं.

फेटा चीज

take cheese to reduce weight

आपको ये जान कर हैरानी होगी कि फेटा चीज को भेड़ और बकरी की दूध से बनाया जाता है. इसमें अधिक मात्रा में सोडियम की मात्रा पाई जाती है. अगर आप इसका सेवन करने की सोच रही हैं तो आपको बता दें कि इसे खाने के बाद अधिक पानी का सेवन करना चाहिए. फेटा पनीर में काफी कम कैलोरी होती है, इसलिए यह वजन घटाने में मददगार होती है. 28 ग्राम फेटा चीज में लगभग 75 कैलोरी मौजूद होती है.

दवाइयों से डिप्रेशन का इलाज संभव नहीं

आज की लाइफस्टाइल के कारण लोगों में डिप्रेशन का खतरा तेजी से बढ़ रहा है. इसके इलाज के लिए बहुत से लोग तरह तरह के उपाय करते हैं. बहुत से लोगों का मानना है कि केवल डाइट बदल देने से ये परेशानी दूर हो सकती है. कई लोग दवाइयों पर ज्यादा भरोसा करते हैं और कई तरह की दवाइयां लेने लगते हैं. इन सब के बाद भी उनकी स्थिति में सुधार नहीं होता तो उनकी मानसिक हालत और खराब होने लगती है. हाल ही में एक नई स्टडी में दावा किया गया कि दवाइयों से डिप्रेशन को ठीक नहीं किया जा सकता है.

अमेरिका के एक जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट की माने तो न्यूट्रिशनल सप्लिमेंट आपने डिप्रेशन को ठीक नहीं कर सकता. इस नतीजे पर पहुंचने के लिए एक शोध किया गया, जिसमें उन लोगों को शामिल किया गया जिन्हें डिप्रेशन है नहीं पर भविष्य में हो सकता है. स्टडी में करीब 1000 लोगों को शामिल किया गया. इस स्टडी को करीब एक साल तक किया गया. इसमें कुछ लोगों को न्यूट्रिशनल सप्लीमेंट दिया गया. जबकि कुछ को प्लेसबो और कुछ लोगों को लाइफस्टाइल कोचिंग दी गई.

स्टडी का परिणाम किसी भी तरह से सकारात्मक नहीं था पर इसका नीचोड़ ये जरूर था कि डाइट में परिवर्तन और बिहेवियरल थेरेपी डिप्रेशन को कुछ हद तक कम करने में सक्षम है. जानकारों की माने तो डिप्रेशन अब एक बेहद समान्य सी परेशानी बन गई है. बहुत से लोग इसके चपेट में हैं. न्यूट्रिशनल सप्लिमेंट लेने से लोगों में डिप्रेशन कम तो नहीं होता पर ये जरूर है कि डाइट में परिवर्तन करने से इसे कुछ हद तक कम जरूर किया जा सकता है. इस पर अभी और अधिक शोध करने की जरूरत है.

डाइट में फल, ताजी सब्जियां, दाल मछली और डेरी उत्पादों को डाइट में शामिल कर इस परेशानी से नीजात पाई जा सकती है. जो लोग मोटापे से परेशान हैं, वो अपना वजन कम कर के डिप्रेशन की तीव्रता कम कर सकते हैं.

खराब जीवनशैली बन सकती है स्तन कैंसर का कारण

यह ज्ञात हो चुका है कि डीएनए में अचानक से होने वाले परिवर्तनों के कारण सामान्य स्तन कोशिकाओं में कैंसर हो जाता है. यद्यपि इनमें से कुछ परिवर्तन तो माता-पिता से मिलते हैं, लेकिन बाकी ऐसे परिवर्तन जीवन में खुद ही प्राप्त होते हैं. प्रोटोओंकोजीन्स की मदद से जब इन कोशिकाओं में म्यूटेशन या उत्परिवर्तन होता है, तब ये कैंसर कोशिकाएं बेरोकटोक बढ़ती जाती हैं. ऐसे उत्परिवर्तन को ओंकोजीन के रूप में जाना जाता है. एक अनियंत्रित कोशिका वृद्धि कैंसर का कारण बन सकती है.

स्तन कैंसर में इस रोग के ऊतक या टिश्यू स्तन के अंदर विकसित होते हैं. इस रोग के होने के पीछे जो कारक हैं, उनमें प्रमुख हैं- जीन की बनावट, पर्यावरण और दोषपूर्ण जीवनशैली. भारत में महिलाओं में कैंसर के मामलों में 27 प्रतिशत मामले स्तन कैंसर के हैं. इस तरह की परेशानी 30 वर्ष की उम्र के शुरुआती वर्षो में होती है, जो आगे चलकर 50 से 64 वर्ष की उम्र में भी हो सकती है. आंकड़ों के मुताबिक, 28 में से किसी एक महिला को जीवनकाल में कभी न कभी स्तन कैंसर होने का अंदेशा रहता है.

लक्षण

स्तन कैंसर के कुछ लक्षणों में स्तन या बगल में गांठ बन जाना, स्तन के निप्पल से खून आना, स्तन की त्वचा पर नारंगी धब्बे पड़ना, स्तन में दर्द होना, गले या बगल में लिम्फ नोड्स के कारण सूजन होना आदि प्रमुख हैं. जागरूकता की कमी और रोग की पहचान में देरी के चलते उपचार में कठिनाई भी आती है.

स्तन कैंसर से ऐसे करें बचाव

जीवनशैली में भी कुछ बदलाव किए जाएं तो इस रोग की आशंका कम की जा सकती है.

उच्च जोखिम वाली महिलाओं को हर साल एमआरआई और मैमोग्राम कराना चाहिए.

शराब से स्तन कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है. यदि आदी हों तो दिन में एक पैग से अधिक न लें, क्योंकि शराब की कम मात्रा से भी खतरा रहता है.

अनुसंधान बताता है कि धूम्रपान और स्तन कैंसर के बीच एक संबंध है. इसलिए, यह आदत छोड़ने में ही भलाई है.

अधिक वजन या मोटापे से स्तन कैंसर का खतरा बढ़ जाता है. रोजाना लगभग 30 मिनट व्यायाम अवश्य करें.

फलों और सब्जियों से समृद्ध, संपूर्ण अनाज और कम वसा वाला आहार लें.

यह प्रतिरक्षा को कमजोर करता है और शरीर के रक्षा तंत्र को बिगाड़ता है. योग अभ्यास, गहरी सांस लेने और व्यायाम करने से लाभ होता है.

स्तनपान कराने से स्तन कैंसर की रोकथाम होती है.

हार्मोन थेरेपी की अवधि तीन से पांच साल तक होने पर स्तन कैंसर का खतरा बढ़ जाता है. सबसे कम खुराक का प्रयोग करें जो आपके लिए प्रभावी है. आप कितना हारमोन लेते हैं इसकी निगरानी डाक्टर खुद करे तो बेहतर होगा.

इससे बचाव के लिए जरूरी है कि 30 वर्ष से अधिक आयु की महिलाओं की स्क्रीनिंग आवश्यक रूप से की जाए. 45 वर्ष से 54 वर्ष की महिलाओं को हर साल एक बार स्क्रीनिंग मैमोग्राम करा लेना चाहिए. 55 वर्ष या अधिक उम्र की महिलाओं को सालाना स्क्रीनिंग करानी चाहिए.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें