Winter Special: क्या आपके जोड़ो में भी है दर्द!

ये बात तो आप जानते ही हैं कि शरीर के वे हिस्से जहां हड्डियां आपस में मिलती हैं, उन्हें ही जोड़ कहते हैं. जैसे घुटने, कंधे, कोहनी आदि-आदि. अगर शरीर के इन जोड़ों में कठोरता या सूजन जैसी किसी भी तरह की तकलीफ हो जाती है तो इससे आपको दर्द शुरू हो जाता है और इसे ही जोड़ों में दर्द होने की शिकायत कहा गया है. आजकल देखा गया है कि शरीर में जोड़ों के दर्द की समस्या एक आम सी समस्या बनती जा रही है और इस कारण से लगातार अस्पताल जाते रहने और दवा खाना की मजबूरी हो ही जाती है.

एक बात जो आपके जाननी चाहिए कि ‘अर्थराइटिस’ की शिकायत, जोड़ों में दर्द होने का सबसे आम कारण है. पर इसके अलावा जोड़ों में दर्द होने की कई और भी अन्य वजहे होती हैं, जैसे कि लिगामेंट, कार्टिलेज या छोटी हड्डियों में से किसी की भी रचना में चोट लग जाने के कारण भी आपके जोड़ों में दर्द हो सकता है. ये शरीर का बहुत अहम हिस्सा होते हैं. इनके कारण ही आप उठना, बैठना, चलना, शरीर को मोड़ना आदि कर पाते हैं और ऐसा सब करना संभव हो पाता है. इसीलिए जोड़ों में दर्द होने पर पूरे आपके शरीर का संपूर्ण स्वास्थ्य प्रभावित हो जाता है.

आज हम आपको जोड़ों में दर्द से जुडी कई महत्वपूर्ण बातें बताएंगे. इनके कारण जानने के बाद आप इनसे परहेज कर सकेंगे. यहां हम आपको जोड़ों के दर्द से निजात पाने के लिए कुछ उपचार भी बता रहे हैं. इन्हें अपनाकर आप इस दर्द से जल्दी छुटकारा पा सकते हैं.

कारण :

1. कई बार उम्र बढ़ने के साथ जोड़ों में दर्द की शिकायत हो जाती है.

2. आपकी हड्डियों में जब रक्त की पूर्ति होने में रूकावट आती है तब भी जोड़ों में दर्द से तकलीफ होने लगती है.

3. ये बात आप नहीं जैनते होंगे कि रक्त का कैंसर, जोड़ों में दर्द के लिए जिम्मेदार होता है.

4. हड्डियों में मिनरल्स यानि की शरीर में खनिज पदार्थों की कमी हो जाने पर भी जोड़ों में दर्द की शिकायत हो जाती है.

5. कभी-कभी, जल्दी-जल्दी चलने या भागने पर जोड़ों पर बहुत ज्यादा दबाव पड़ जाता है और जोड़ों में दर्द शुरू हो तातो है.

6. आपके जोड़ों में इंफेक्शन होना भी जोड़ों में दर्द का कारण है.

7. कई बार तो मोच आ जाने और चोट लगने से भी एसी शिकायत हो जाती है.

8. शरीर में कई बार हड्डियों के टूटने से जोड़ों में दर्द होता है.

9. अगर आपको हड्डियों में ट्यूमर आदि किसी भी प्रकार की शिकायत है तो जोड़ों में दर्द होने की संभावना होती है.

10. इनके अलावा अर्थराइटिस, बर्साइटिस, ऑस्टियोकोंड्राइटिस, कार्टिलेज का फटना, कार्टिलेज का घिस जाना आदि जोड़ों में दर्द की समस्या के प्रमुख कारण हैं.

निवारण :

1. जोड़ों को चोट से बचाना चाहिए

अगर जोड़ों पर चोट लगती है तो वो हड्डी को तोड़ भी सकती है,  इसलिए कोशिश करें कि जोड़ों को चोट से बचाकर रख सकें. जब भी कोई ऐसा खेल खेलें जिसमें जोड़ों पर चोट लगने का डर रहता हो तब शरीर पर ज्वाइंट सेफ्टी पेड्स पहनकर रखें.

2. गतिशील रहना चाहिए

जोड़ों के दर्द से राहत के लिए सदैव गतिशील रहें. अगर जोड़ों की मूवमेंट होती रही तो आपको लंबे समय किसी भी प्रकार का कोई दर्द नहीं सताएगा. बहुत देर तक एक ही स्थिति में बैठे रहने से भी जोड़ों में कठोरता महसूस होती है.

3. वजन को नियंत्रित रखना चाहिए

यदि आपका वजन नियंत्रण में रहेगा तो आपका शरीर और शरीर के सारे जोड़ भी स्वास्थ्य रहेंगे. शरीर का ज्यादा वजन घुटनों और कमर पर अधिक दबाव डालता है और इससे आपके शरीर के कार्टिलेज के टूटने का डर बना रहता है. अब ऐसे में आपको अपने वजन को नियंत्रण में रखना बेहद जरूरी है.

4. ज्यादा स्ट्रेच नहीं करना चाहिए

अगर आप नियमित व्यायाम करते हैं तो, व्यायाम के साथ आपको स्ट्रेचिंग करने की भी सलाह दी जाती है, तब ये बात हमेशा ध्यान में रखें कि व्यायाम करते समय स्ट्रेचिंग हफ्ते में केवल तीन बार करें. स्ट्रेचिंग को एकदम शुरू नहीं करना चाहिए. ऐसा करने की जगह पहले थोड़ा वार्म अप भी करें.

5. दूध पीएं

दूध में कैल्श्यिम और विटामिन डी भरपूर मात्रा में पाया जाता है, जो जोड़ों को मजबूत रखने के बेहद जरुरी होता है. इसीलिए हर रोज दूध जरूर पीना चाहिए. जिससे हड्डियां मजबूत बनती हैं. अगर आपको दूध पसंद नहीं है तो दूध से बने खाद्य पदार्थों का सेवन करें, जैसे पनीर, दही आदि.

6. सही आसन बनाकर रखें

जोड़ों के दर्द से राहत पाने के लिए सही पोश्चर या आसन में उठना, बैठना और चलना बेहद आवश्यक है. आपका सही पोश्चर ही गर्दन से लेकर घुटनों तक शरीर के सभी जोड़ों की रक्षा करता है.

7. व्यायाम करें

जोड़ों के दर्द से निजात के लिए और अपने स्वास्थ्य की सही देखभाल के लिए आपको, व्यायाम को अपनी दैनिक दिनचर्या का हिस्सा बना लेना चाहिए. तैराकी करना जोड़ों के दर्द के लिए सबसे फायदेमंद व्यायाम होता है.

Winter Special: ठंड में अगर हाथ-पैर सुन्न पड़ जाए तो अपनाएं ये 7 उपाय

सर्दियों में कभी-कभी हमारे हाथ-पैर और उनकी उंगलियां के सुन्न पड़ जाती है. जिससे हमें किसी भी चीज को छूने का एहसास मालूम नहीं पड़ता. इसके साथ ही हो सकता है कि आपको प्रभावित स्‍थान पर दर्द, कमजोरी या ऐठन भी महसूस होती हो. इसके कई कारण हो सकते हैं जैसे लगातार हाथों और पैरों पर प्रेशर, किसी ठंडी चीज को बहुत देर तक छूते रहना, तंत्रिका चोट, बहुत अधिक शराब का सेवन, थकान, धूम्रपान, मधुमेह, विटामिन या मैग्‍नीशियम की कमी आदि. ऐसे में प्रभावित जगह पर झनझनाहट, दर्द, कमजोरी और ऐंठन के लक्षण दिखाई देते हैं.

इस समस्या का प्रमुख कारण रक्त वाहिनियों का संकुचित होना है. दरअसल सर्दियों में दिल पर काफी जोर पड़ता है जिससे रक्त वाहिनियां संकुचित हो जाती हैं और शरीर के विभिन्न अंगों में आक्सीजन की आपूर्ति कम हो जाती है. रक्त संचार पर असर पड़ने की वजह से शरीर के विभिन्न अंग सुन्न पड़ जाते हैं.

वैसे तो सर्दियों में हाथ-पैर का सुन्न होना या उनमें झनझनाहट होना एक आम समस्या है पर अगर यह समस्या आपके शरीर के किसी अंग में लम्बे समय तक बनी रहती है तो यह एक गम्भीर बिमारी का रूप भी ले सकती है ऐसे में इसका उपचार करना बेहद जरूरी है.

तो आइये जानते हैं कि आप कैसे इस तरह की समस्या से निजात पा सकती हैं

1. मसाज करें

जब भी हाथ पैर सुन्‍न हो जाएं तो हल्के हाथों से उस पर मसाज करें. इससे ब्‍लड सर्कुलेशन बढ़ता है. मसाज करने के लिए जैतून, नारियल या फिर सरसो के तेल को गुनगुना कर प्रभावित अंगो पर लगाकर हल्के हाथों से मले. इसके अलावा आप प्रभावित जगह पर रक्त संचार बढ़ाने के लिए गर्म पानी से भी सेंक सकती हैं. इससे मांसपेशियों और नसों को काफी आराम मिलता है.

2. डाइट में शामिल करें विटामिन्स

अगर हाथ पैरों में झनझनाहट होती है तो उसे दूर करने के लिए अपने आहार में विटामिन बी, बी6 और बी12 शामिल करें. इसके अलावा ओटमील,दूध, पनीर, दही, मेवा, केला, बींस आदि को भी अपने आहार का हिस्सा बनाएं.

3. व्‍यायाम

व्‍यायाम करने से शरीर में ब्‍लड र्स्‍कुलेशन होता है और वहां पर आक्‍सीजन की मात्रा बढ़ती है. इसलिए रोजाना 15 मिनट व्‍यायाम करना चाहिये. इसके अलावा रोजाना 15 मिनट एरोबिक्‍स करें, जिससे आप हमेशा स्‍वस्‍थ बनी रहें.

4. हल्दी है फायदेमंद

हल्दी में रक्त संचार बढ़ाने वाले तत्व पाए जाते हैं. साथ ही यह सूजन और दर्द कम करने में भी लाभकारी होता है. हल्दी-दूध का सेवन करने से हाथों-पैरों की झनझनाहट दूर होती है. इसके अलावा हल्दी और पानी के पेस्ट से प्रभावित जगह की मसाज करने से भी यह समस्या दूर होती है.

5. दालचीनी

दालचीनी में कैमिकल और न्‍यूट्रियंट्स होते हैं जो हाथ और पैरों में ब्‍लड फ्लो को बढ़ाते हैं. एक्‍सपर्ट बताते हैं रोजाना 2-4 ग्राम दालचीनी पावडर को लेने से ब्‍लड सर्कुलेशन बढ़ता है. इसको लेने का अच्‍छा तरीका है कि एक गिलास गरम पानी में 1 चम्‍मच दालचीनी पाउडर मिलाएं और दिन में एक बार पियें या फिर 1 चम्‍मच दालचीनी और थोड़ा शहद मिला कर सुबह के समय कुछ दिनों तक सेवन करें.

6. धूम्रपान से रहें दूर

हाथ-पैर के सुन्न पड़ने की समस्या से बचने के लिए जरूरी है कि आप लंबे समय तक ठंड में रहने से बचें. अचानक अगर हाथ व पैर सुन्न हो जाते हैं तो तुरंत रगड़कर रक्त संचार बढ़ाएं. इसके अलावा धूम्रपान से दूरी बनाए रखें. ऐसा इसलिए क्योंकि इससे पेरिफेरल आर्टरी डिसीज होता है और पैरों में रक्त का संचार ठीक तरीके से नहीं हो पाता.

7. प्रभावित हिस्‍से को ऊपर उठाएं

हाथ और पैरों के खराब ब्‍लड सर्कुलेशन से ऐसा होता है. इसलिये उस प्रभावित हिस्‍से को ऊपर की ओर उठाइये जिससे वह नार्मल हो सके. इससे सुन्‍न वाला हिस्‍सा ठीक हो जाएगा. आप अपने प्रभावित हिस्‍से को तकिये पर ऊंचा कर के भी लेट सकती हैं.

ज्यादा टीवी देखती हैं तो हो सकता है ये बड़ा नुकसान

वजन बढ़ने के लिए सबसे ज्‍यादा जिम्‍मेदार लाइफस्‍टाइल होती है. यदि आप अपनी लाइफस्‍टाइल में एक्टिव नहीं हैं तो मोटापे के शिकार हो सकती हैं. बढ़ते वजन को लेकर बहुत शोध हुए हैं और इससे बचाव के लिए तरीके भी ईजाद किये जा रहे हैं, क्‍योंकि मोटापा के कारण कई प्रकार की बीमारियां होने का खतरा भी बढ़ जाता है.

जो लोग टीवी अधिक देखते हैं, उनका वजन बढ़ने का खतरा अधिक होता है. एक शोध में यह बात सामने आयी है कि हफ्ते में 5 घंटे टीवी देखने वालों की अपेक्षा 21 घंटे देखने वालों में मोटापा का खतरा दो गुना ज्यादा होता है. आइए हम आपको इसके बारे में विस्‍तार से जानकारी देते हैं.

क्‍या कहता है शोध

ज्यादा टीवी देखने को आंखों के लिए नुकसानदेह बताया जाता रहा है. लेकिन यह मोटापा भी बढ़ाता है. एक हालिया शोध में ज्यादा टीवी देखने को सुस्ती और मोटापा बढ़ाने के लिए जिम्मेदार बताया गया है. ‘सीडेंटरी बिहेवियर एंड ओबेसिटी’ (सुस्त व्यवहार और मोटापा) नामक शोध में मोटापे की समस्या को टीवी के सामने ज्यादा घंटे गुजारने का परिणाम बताया गया है.
इसके लिए विदेशों में 20 से 64 साल तक के 42,600 लोगों पर किए गए शोध में ज्यादा टीवी देखने वाले स्त्री-पुरुषों के मोटापे में वृद्धि देखी गई. शोध के मुताबिक हफ्ते में 5 घंटे या उससे कम टीवी देखने वाले लोगों की अपेक्षा 21 घंटे या उससे ज्यादा टीवी देखने वाले लोगों के मोटापे में दोगुनी वृद्धि पाई गई. साथ ही हफ्ते में औसतन 5 घंटे कंप्यूटर पर काम करने वाले लोगों की अपेक्षा 11 घंटे या उससे ज्यादा काम करने वाले लोगों में भी मोटापे का स्तर बढ़ा पाया गया.

मोटापे के अन्‍य कारण…

1. आजकल लोग शारीरिक रूप से सक्रिय नहीं होते हैं, खासकर बच्चे, जो बाहर खेलने-कूदने के बजाय कंप्यू्टर, मोबाइल और वीडियो गेम खेलना अधिक पसंद करते हैं. जिससे कारण वे मोटापे का शिकार हो रहे हैं. सिर्फ बच्चे ही नहीं, ऑफिस जाने वाले युवा भी आज निष्क्रिय जीवनशैली जी रहे हैं, जिससे मोटापे की समस्‍या बढ़ रही है.

2. फास्‍ट फूड और जंक फूड के सेवन के कारण भी वजन बढ रहा है. आजकल लोग घर के स्वादिष्ट  व्यंजन और पौष्टिक खाना खाने के बजाय जंकफूड खाना पसंद करते हैं जो कि मोटापे के प्रमुख कारणों में से एक हैं. जंकफूड से ना सिर्फ मोटापा बढ़ता है बल्कि कई बीमारियां होने का खतरा भी रहता है.

3. आजकल लोग व्‍यस्‍त दिनचर्या के कारण व्‍यायाम के लिए समय नहीं निकाल पाते हैं, यह भी मोटापे की प्रमुख वजहों में से एक है. यदि नियमित व्‍यायाम न किया जाये तो शरीर ऊर्जावान भी नहीं रहता और वजन भी बढ़ता है.

4. कुछ लोग फिट होने के लिए डायटिंग जैसी आदतों को अपनाते हैं, नतीजन वे डायटिंग ठीक तरह से नहीं कर पाते जिससे उनका मोटापा कम होने के बजाय बढ़ जाता हैं.

5. कुछ लोगों को हर समय खाने की आदत होती है फिर चाहे उन्होंने थोड़ी देर पहले ही खाना क्यों ना खाया हो. ऐसे में हर समय खाने की आदत भी मोटापे का कारण बनती हैं.

6. कई बार मोटापे के कारणों में आनुवांशिकता भी छिपी होती हैं यानी घर का कोई सदस्य या माता-पिता में से कोई मोटापे का शिकार है तो बच्चे को भी मोटापे की शिकायत होती है.

7. तनाव लेने से भी वजन बढ़ता है. कई बार लोग जरूरत से ज्यादा तनाव ले लेते हैं. तनाव, डिप्रेशन और अवसाद जैसी चीजें मोटापे को जन्म देती हैं.

8. दवाइयों और अन्‍य बीमारियों के कारण भी वजन बढ़ सकता है. किसी बीमारी के चलते लंबे समय तक दवाईयों का सेवन भी मोटापे का कारण बन सकता है. दरअसल दवाओं का साइड-इफेक्ट भी मोटापे के कारणों में से एक हैं.

9. मोटापे से बचने के लिए जरूरी है स्‍वस्‍थ दिनचर्या का पालन करना, पौष्टिक आहार के सेवन के साथ-साथ नियमित व्‍यायाम के द्वारा वजन को बढ़ने से रोका जा सकता है.

ऐसे रखें बच्चे की सेहत का ध्यान

हर मां चाहती है कि उस का बच्चा हमेशा हैल्दी व फिट रहे. इस के लिए वह हर प्रयत्न करती है. फिर चाहे बच्चे की डाइट की बात हो या फिर उस के साथ समय व्यतीत करने की. फिर भी कई बार प्रयासों के बावजूद बच्चे की ग्रोथ सही ढंग से नहीं हो पाती है, जिस से मां का परेशान होना स्वाभाविक है. ऐसे में मार्केट में कुछ स्पैशलाइज्ड प्रोडक्ट्स उपलब्ध हैं, जो बच्चों को पर्याप्त पोषण देने का काम करते हैं जिस से मां भी रहती है टैंशन फ्री और बच्चा भी रहता है हैल्दी.

आइए जानते हैं कि मांएं अपने बच्चों को किस तरह सेहतमंद बनाए रख सकती हैं:

आउटडोर ऐक्टिविटीज में भागीदारी

आज गैजेट्स आने से बच्चे हरदम खुद को उसी में बिजी रखना पसंद करते हैं, जिस से वे शारीरिक गतिविधियों में ज्यादा शामिल नहीं हो पाते, जो उन्हें बीमारियों की गिरफ्त में ले जाता है. ऐसे में मां उन्हें आउटडोर ऐक्टिविटीज जैसे उन के साथ भागना, फुटबौल खेलना, बैडमिंटन इत्यादि में खुद को शामिल कर इन के प्रति उन की रुचि को बढ़ा सकती हैं ताकि उन का शारीरिक विकास हो सके.

लाइफस्टाइल को बदलना

मां की नजर अपने बच्चे की ऐक्टिविटीज पर होती है कि वह क्या कर रहा है, कितने बजे सो कर उठ रहा है, कैसे उठबैठ रहा है और उसे जहां भी कोई गड़बड़ लगती है तो वह उसे तुरंत सुधारने का प्रयास करती है.

ईटिंग हैबिट्स में सुधार

अगर देखादेखी बच्चा हरदम फास्टफूड इत्यादि खाने में ही दिलचस्पी लेता है, तो मां उसे मार्केट में मिलने वाले कुछ स्पैशलाइज्ड प्रोडक्ट्स जो न तो टेस्ट के मामले में और न ही पौष्टिकता के मामले में कम होते हैं, को उस की डाइट में शामिल कर उसे भीतर व बाहर दोनों तरफ से स्ट्रौंग बनाने की कोशिश करती है, जिस से उस का संपूर्ण विकास हो सके. साथ ही अपनी हैल्दी रैसिपीज से भी बच्चे को फिट रखने की कोशिश करती है.

वजन व लंबाई बढ़ाने पर ध्यान

कई बार गलत खानपान या फिर किन्हीं अन्य कारणों से बच्चों की लंबाई व वजन प्रभावित होते हैं और वे उस अनुपात में नहीं बढ़ पाते, जिस अनुपात में उन्हें बढ़ना चाहिए. ऐसे में मांएं उन्हें मार्केट में मिलने वाले कुछ स्पैशलाइज्ड पौष्टिक सप्लिमैंट्स या ड्रिंक्स देती हैं जिस से उन के बच्चों का वजन व हाइट सामान्य बच्चों की तरह बढ़ने लगती है. इस में उतना प्रोटीन होता है जिस की शरीर को जरूरत होती है और यह पचने में भी आसान होता है.

क्यों फैट देने से ज्यादा प्रोटीन है फायदेमंद

भले ही फास्टफूड बच्चों की भूख को तुरंत शांत कर देते हो लेकिन ये स्वास्थ्य के लिए हानिकारक ही होते हैं क्योंकि इस में ज्यादा कैलोरीज होने के कारण ये वजन तो बढ़ाते ही हैं साथ ही इस से शारीरिक व मानसिक विकास भी प्रभावित होता है. ऐसे में स्पैशलाइज्ड पौष्टिक सप्लिमैंट्स जिस में प्रोटीन उचित अनुपात में मौजूद होता है देने से बच्चे हैल्दी व स्ट्रौंग बनते हैं व मोटापे से ग्रसित बच्चों के वजन को कम करने में भी सहायक है. ये न सिर्फ हड्डियों को मजबूत बनाता है बल्कि इम्यून सिस्टम को भी स्ट्रौंग करता है यानी बहुत ज्यादा कैलोरी गए बिना ही इस के माध्यम से बच्चों को प्रोपर न्यूट्रिशन मिल पाता है.

इस तरह मां अपनी हैल्दी रैसिपीज के साथसाथ कुछ स्पैशलाइज्ड पौष्टिक सप्लिमैंट्स देने में भी कोई कसर नहीं छोड़ती ताकि बच्चे की सही ग्रोथ हो पाए. तो फिर अपने बच्चों को पौष्टिक डाइट दे कर बनाएं हैल्दी.

पसीने और वजन कम आने से परेशान हो गई हूं, मैं क्या करुं?

सवाल-

मैं 34 वर्षीय घरेलू महिला हूं. मु झे पिछले कई महीनों से पसीना बहुत आ रहा है. बाल भी लगातार  झड़ रहे हैं और वजन भी 9-10 किलोग्राम कम हो गया है. मु झे सम झ में नहीं आ रहा है कि ऐसा क्यों हो रहा है?

जवाब-

आप की समस्या को देख कर लग रहा है कि आप को थायराइड से संबंधित समस्या है. थायराइड एक तितली के आकार की छोटी सी ग्लैंड (ग्रंथि) है जो गरदन के निचले हिस्से में होती है. इस से निकलने वाले हारमोन शरीर की मैटाबौलिक क्रियाओं को नियंत्रित करते हैं. बाल  झड़ना, बिना प्रयास के वजन कम होना, पसीना ज्यादा आना हाइपोथायरोडिज्म के प्रमुख लक्षण हैं. हाइपोथायरोडिज्म में थायराइड ग्रंथि जितना शरीर की सामान्य गतिविधियों के लिए हारमोनों का स्राव जरूरी है उस से अधिक मात्रा में स्राव करती है. इसीलिए ये लक्षण दिखाई देते हैं. आप थायराइड फंक्शनिंग टैस्ट कराएं.

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कुछ बीमारियां ऐसी होती हैं जो महिलाओं पर अधिक हावी होती हैं. ‘हाइपरथायरायडिज्म और हाइपोथायरायडिज्म’ थायराइड से जुड़ी 2 बीमारियां हैं.

महिलाओं के जीवन में उन का सामना कई मानसिक, शारीरिक और हारमोनल बदलावों से होता है. हालांकि महिला जीवन के विभिन्न चरणों में हारमोनल बदलाव होना लाजिम है. लेकिन यदि ये बदलाव असामान्य हैं तो कई तरह की बीमारियों का कारण बन सकते हैं. यही कारण है कि महिलाएं थायराइड रोग के प्रति अधिक संवेदनशील होती हैं.

प्रिस्टीन केयर की डाक्टर शालू वर्मा ने महिलाओं में बढ़ती थायराइड की समस्याएं और उन से बचाव के तरीकों के बारे में जानकारी दी है-

थायराइड क्या है

थायराइड गरदन के निचले हिस्से में पाई जाने वाली एक तितलीनुमा ग्रंथि है. यह ग्रंथि ट्राईआयोडोथायरोनिन (टी3) और थायरोक्सिन (टी4) नामक 2 मुख्य हारमोन का स्राव करती है. दोनों ही हार्मोन शरीर की कई गतिविधियों को नियंत्रित करने में अपना विशेष योगदान निभाते हैं.

परंतु जब दो में से किसी भी हार्मोन के उत्पादन की मात्रा में कोई बदलाव आता है तो इस से शरीर में विभिन्न समस्याओं की शुरुआत होती है. हाइपोथायरायडिज्म और हाइपोथायरायडिज्म में अंतर जब थायराइड हार्मोन का उत्पादन जरूरत से अधिक होता है तो उस स्थिति को हाइपरथायरायडिज्म कहते हैं, जबकि थायराइड हार्मोन के कम उत्पादन की स्थिति को हाइपोथायरायडिज्म के नाम से जाना जाता है. दोनों ही परिस्थितियां असामान्य हैं और रोगी को उपचार की आवश्यकता होती है.

महिलाओं में थायराइड, इलाज है न

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

जब विटामिन डी की हो कमी तो ऐसे करें ठीक

विटामिन डी का उपनाम “सनशाइन विटामिन” मुख्य रूप से शरीर द्वारा त्वचा पर सूर्य के प्रकाश की क्रिया से शुरू होने वाली प्रक्रिया के माध्यम से निर्मित होता है. स्वस्थ हड्डियों को विकसित करने और बनाए रखने के लिए शरीर को कैल्शियम की आवश्यकता होती है – और विटामिन डी शरीर द्वारा कैल्शियम के अवशोषण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. विटामिन डी के आहार स्रोतों में डेयरी उत्पाद और नाश्ता अनाज (दोनों विटामिन डी के साथ मजबूत होते हैं), गढ़वाले सोया और चावल के पेय, गढ़वाले संतरे का रस, मार्जरीन, और डी विटामिन की थोड़ी मात्रा भी पनीर और अंडे की जर्दी में पाए जाते हैं.

डॉ महेंद्र डडके, विभागाध्यक्ष – इंटरनल मेडिसिन, जुपिटर अस्पताल पुणे का कहना है-

हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण होने के अलावा यह विटामिन आपके पूरे शरीर में कई महत्वपूर्ण कार्य करता है. और जबकि कुछ खाद्य पदार्थ जैसे फोर्टिफाइड डेयरी उत्पाद और वसायुक्त मछली में यह विटामिन होता है, अकेले अपने आहार के माध्यम से पर्याप्त प्राप्त करना मुश्किल है.इसलिए, इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि विटामिन डी की कमी सबसे आम पोषण संबंधी कमियों में से एक है, दुनिया भर में अनुमानित 1 अरब लोगों में विटामिन के निम्न रक्त स्तर होते हैं.

पर्याप्त विटामिन डी की आवश्यकता और कैसे प्राप्त करें-

विटामिन डी एक मोटा-घुलनशील विटामिन है जो हड्डियों के स्वास्थ्य और प्रतिरक्षा समारोह सहित आपके शरीर के समुचित कार्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. कैंसर को रोकने में मदद करने के अलावा, यह कई पुरानी स्थितियों जैसे अवसाद, टाइप 2 मधुमेह, हृदय रोग और मल्टीपल स्केलेरोसिस से भी सुरक्षा प्रदान कर सकता है. जबकि विटामिन डी की कमी का कोई एक कारण नहीं है, कई पर्यावरणीय, आहार, जीवन शैली, आनुवंशिक और चिकित्सा कारकों की भूमिका हो सकती है. इसके अलावा, विटामिन डी की कमी बहुत कम या कोई लक्षण प्रस्तुत नहीं करती है जिससे यह पता लगाना और भी मुश्किल हो जाता है कि क्या किसी व्यक्ति में सनशाइन विटामिन का स्तर कम है. इसके प्रकट होने के कुछ तरीकों में पीठ दर्द, थकान, बालों का झड़ना, खराब घाव भरना और अवसाद के लक्षण शामिल हैं.

उपचार और रोकथाम

यदि आपको विटामिन डी की कमी हो रही है, तो आपका स्वास्थ्य देखभाल प्रोफेशनल आपके स्तर को ठीक करने के लिए निम्नलिखित विकल्पों में से किसी एक की सिफारिश कर सकता है.

  • विटामिन डी की खुराक आम तौर पर प्रचलित उपचार है और इसे आसानी से काउंटर पर खरीदा जा सकता है, लेकिन अपने स्वास्थ्य देखभाल प्रोफेशनल से खुराक की जांच करें. गंभीर कमी के लिए, डॉक्टर मजबूत खुराक की सिफारिश कर सकता है या विटामिन डी इंजेक्शन पर भी विचार कर सकता है.
  • खाद्य स्रोत जैसे अधिक विटामिन डी युक्त खाद्य पदार्थ जैसे वसायुक्त मछली, अंडे की जर्दी, फोर्टिफाइड दूध, जूस, दही आदि खाने से भी आपके विटामिन डी के स्तर में वृद्धि हो सकती है.
  • इसके अलावा, पूरक और विटामिन डी से भरपूर आहार के अलावा, डॉक्टर विटामिन को उसके प्राकृतिक स्रोत – सूरज की रोशनी से लेने की भी सिफारिश कर सकता है. हालांकि, अतिरिक्त पराबैंगनी जोखिम के नकारात्मक प्रभावों से सावधान रहें और आवश्यक सावधानी बरतें.

क्या अतिरिक्त विटामिन डी अच्छे से ज्यादा नुकसान कर सकता है?

हां, विटामिन डी विषाक्तता के रूप में जाना जाने वाला अतिरिक्त विटामिन डी हानिकारक हो सकता है और विषाक्तता के लक्षणों में मतली, उल्टी, कमजोरी और वजन कम होना शामिल है. साथ ही, यह रक्त में कैल्शियम के बढ़ते स्तर के साथ-साथ किडनी के लिए भी हानिकारक हो सकता है जिससे हृदय गति में भ्रम, समस्या आदि हो सकती है.

विटामिन डी शरीर के कई कार्यों के लिए महत्वपूर्ण है, और इसलिए, इस विटामिन के पर्याप्त स्तर को बनाए रखना आवश्यक है. हालांकि, अधिक मात्रा में सेवन करने पर अधिक नुकसान पहुंचा सकता है. इसलिए, सुनिश्चित करें कि आप सही खुराक के लिए अपने स्वास्थ्य देखभाल प्रोफेशनल के संपर्क में हैं और उपचार कब तक जारी रखना है.

तब तक, बाहर जाओ और धूप का आनंद लो… .. सनशाइन विटामिन की अपनी दैनिक खुराक पाने के लिए.

ब्यूटीफुल और शाइनी नेचुरल स्किन के लिए हेल्थ से जुड़े 5 टिप्स

आजकल प्रदूषण का स्तर बहुत ही तेज़ी से दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है तथा आज की दुनिया में खुद को साबित करने की दौर में हम सभी इस कदर लगे हुए हैं की उस अवस्था का मेन्टल और फिजिकल प्रेशर हमारी स्किन की कई परेशानिओं को जन्म देता है.हमारे वातावरण में होने वाली हर एक गतिविधि स्किन को प्रभावित करती है.

रिया वशिष्ठ सेलिब्रिटी मेकअप आर्टिस्ट

प्रोस्थेटिक एफएक्स और विशेष प्रभाव विशेषज्ञ (यूएसए प्रमाणित) का कहना है कि कुछ लोगों की चमकदार, खूबसूरत स्किन प्राकृतिक यानी नेचुरल होती है. जबकि जेनेटिक होर्मोनेस कभी-कभी एक अहम भूमिका निभा जाते हैं, इन फैक्ट्स के अलावा अक्सर दैनिक आदतें होती हैं जो आपकी स्किन के रंग-रूप को प्रभावित करती हैं. कई मामलों में, अद्भुत स्किन वाले लोग अपने ताजा, सुंदर रूप को बनाए रखने के लिए इन पांच प्रभावी आदतों का उपयोग करते हैं.

सुंदर और चमकदार प्राकृतिक स्किन पाना इतना कठिन नहीं है. बस कुछ छोटी आदतें और आप रॉक करने के लिए तैयार हैं. इसीलिए आगे, एक चमकदार स्किन के लिए कुछ स्वस्थ आदतें जानने के लिए पढ़ें.

हल्दी वाला गर्म पानी पिएं –

हम अक्सर ठंडे पानी का सेवन करना पसंद करते हैं, लेकिन यकीन मानिए ग्लोइंग स्किन पाने के लिए गर्म या गुनगुना पानी पीना सही विकल्प है. गुनगुने पानी का सेवन करना अपनी दिनचर्या की एक आदत बनालें, इस आदत से आपकी स्किन में एक नेचुरल ग्लो आएगा.

हल्दी का सेवन-

सबसे जरुरी आदत जो आपकी स्किन के साथ साथ अपनी पूरी बॉडी को प्रभावित करेगी वो है, रोज़ाना रात को सोने से पहले हल्दी के साथ गर्म पानी का सेवन करें. हल्दी में एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं और यह इम्युनिटी बढ़ाने का एक अच्छा स्रोत है. हल्दी शरीर में किसी भी प्रकार के दर्द को ठीक करने में फलदायक होती है और आपकी स्किन के स्वास्थ्य को बढ़ाती है. यह एक देसी डिटॉक्स पानी है जो आपकी स्किन पर जादुई प्रभाव छोड़ेगा.

घर पर हल्दी का पानी कैसे बनाएं:

  1. एक पैन में एक कप पानी डालकर उबाल लें. अगर आप कच्ची हल्दी का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो इसे उबालते समय डालें.
  2. अब एक और कप लें और उसमें एक चम्मच हल्दी पाउडर (उबलते समय कच्ची हल्दी का इस्तेमाल किया हो तो हल्दी पाउडर न डालें) और आधा चम्मच नींबू का रस मिलाएं.
  3. ऊपर से गर्म पानी डालें.
  4. अंत में, आप चाहें तो इसे थोड़ा मीठा करने के लिए कुछ बुँदे शहद की मिला सकते हैं. इसे अच्छी तरह मिलाएं और गुनगुना सेवन करें.

इस डिटॉक्स हल्दी पानी को नियमित रूप से पिएं और अपने स्वास्थ्य और स्किन में धीरे-धीरे सुधार देखें.

सोने से पहले मेकअप हटाना है जरूरी, क्यों ?  –

मेकअप सिर्फ आपकी खूबसूरती को बढ़ाने के लिए होता है, लेकिन इसके साथ साथ आपको प्राकृतिक रूप से भी खूबसूरत होने की जरूरत है. अगर आप अपनी स्किन पर मेकअप लगा रही हैं, तो सोने से पहले इसे हटाना कभी न भूलें. कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कितने थके हुए हैं, इस आदत का पालन करने के लिए आपका सख्त नियम होना चाहिए. मेकअप रिमूवर से हमेशा मेकअप हटाएं, वर्तमान में कई मेकअप रिमूवर फेस वाश हैं जो विशेष रूप से मेकअप रिमूवर आवश्यक और मॉइस्चराइज़र के साथ बनाये गए हैं. मेकअप हटाने के बाद अपनी स्किन को मॉइस्चराइजर या सीरम से हाइड्रेट करना बहुत जरूरी है. कम से कम 5 मिनट के लिए चेहरे की मालिश करें और फिर स्लीपिंग मास्क लगाएं, और इस तरह आप एक स्वस्थ एवं सुंदर स्किन के साथ तैयार हैं.

विटामिन सी – विटामिन सी का सेवन और उपयोग दोनों ही हमारी कोमल और नाजुक स्किन के लिए समान रूप से महत्वपूर्ण हैं. विटामिन सी का उपयोग और सेवन स्किन को फ्री रेडिकल्स से बचाने में मदद करता है जिसके कारण स्किन में कई नकारात्मक परिणाम सामने आते हैं. आप शायद सोच रहे होंगे कि फ्री रेडिकल्स का मतलब क्या होता है, तो इसके कुछ उदाहरण हैं यूवी किरणें, धूम्रपान और प्रदूषण. विटामिन सी स्किन को उज्ज्वल करता है, काले धब्बों को हल्का करता है, झुर्रियों को वक़्त से पहले आने से रोकता है, और इसके कई और सकारात्मक लाभ हैं.

ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं –

हमारे शरीर में 70% पानी होने के कारण, पर्याप्त मात्रा में पानी पीना आपकी स्किन को स्वस्थ और हाइड्रेटेड रखने का सबसे आसान तरीका है. पर्याप्त पानी पीने से हमारे शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद मिलती है, पिंपल्स और मुंहासों को रोका जा सकता है और स्किन की इलास्टिसिटी को बढ़ाया जा सकता है. कोई आश्चर्य नहीं, जल को जीवन का अमृत कहा जाता है.

जरुरी है अपनी स्किन को बार बार छुने की आदत को सुधारना –

यदि आप उन लोगों में से हैं जो 5 मिनट में 3 से 4 बार अपने चेहरे को छूते हैं, तो आपको वास्तव में यह समझने की जरूरत है कि चेहरा छूना नॉन-वर्बल कम्युनिकेशन का एक रूप है, और यह आपकी स्किन में कीटाणुओं और संक्रमणों को संचारित करने का आसान तरीका. दिन भर में, हम सैकड़ों वस्तुओं को छूते हैं: दरवाज़े की कुंडी, कार की चाबियां, आस पास की और नजाने कितनी चीज़ें. इन वस्तुओं में लाखों रोगाणु और संभावित एलर्जेंस होते हैं. ये सूक्ष्म जीवाणु आपके शरीर में आँख वे चेहरे को बार बार छुने के माध्यम से प्रवेश कर सकते हैं जो तब होता हैं जब आप अपनी आँखें रगड़ते हैं या अपने गालों को खरोंचते हैं. संभावित रूप से बीमार होने के अलावा, ये कीटाणु और एलर्जी संभावित रूप से फफोले, सिस्ट, मुंहासे या अन्य अवांछनीय स्किन समस्याओं का कारण बन सकते हैं. अपने चेहरे को दूषित होने से बचाने के लिए नियमित रूप से अपने हाथ बार बार धोएं. इस आदत को तोड़ने का सबसे आसान तरीका है कि आप अपने चेहरे को जितना हो सके साफ रखें और उसे ड्राई न होने दें.

“सुबह और रात एक सौम्य क्लीन्ज़र का उपयोग करें. मुँहासे को नियंत्रित करने के लिए, दिन में एक बार पैड का उपयोग करें जिसमें ग्लाइकोलिक या सैलिसिलिक एसिड होता है, जो स्किन को साफ़ एवं शुद्ध रखने में मदद करता है. “और अपना मेकअप लगाने से पहले, हाइलूरोनिक एसिड के साथ बना हुआ मॉइस्चराइज़र या किसी नेचुरल एस्सेटीएल आयल का उपयोग करें. ”

खुद के लिए समय निकाले-

यह एक  तथ्य है कि तनाव में रहने से मुंहासों का होना संभव है. तनाव के कारण मस्तिष्क अधिक हार्मोन जारी करता है, जिससे मुंहासे होते हैं. इसलिए, भले ही आप काम के बोझ और तनाव से भरे हों, फिर भी कम से कम 5 मिनट आराम करने और खुद को तरोताजा करने के लिए कुछ समय निकालने का प्रयास जरूरी करें.  उस समय अपनी पसंदीदा और संभावित गतिविधियाँ करें, अपने आप को संगीत, नृत्य, ड्राइंग, लेखन या अपनी पसंद के किसी व्यक्ति के साथ बातचीत में शामिल करें, कम से कम कुछ ऐसा जो आपको मानसिक खुशी दे. क्योंकि स्वस्थ चमकती स्किन के लिए खुश रहना सबसे जरूरी है.

सोने से पहले भूलकर भी न खाएं ये 5 चीजें

काम का दबाव, परिवार का तनाव, आर्थिक उलझन और ऐसी ही कुछ दूसरी परेशानियों के चलते अक्सर लोगों को नींद नहीं आने या चैन की नींद नहीं आने की शिकायत हो जाती है. जिसके चलते कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं भी हो जाती हैं.

पर इन कारणों के अलावा एक कारण और भी है जिससे नींद प्रभावित होती है. शायद आपको पता नहीं हो लेकिन हमारी नींद, काफी हद तक हमारे डिनर पर भी निर्भर करती है.

खाने-पीने की कुछ चीजें ऐसी होती हैं जिनसे नींद अच्छी आती है तो वहीं कुछ ऐसी भी हैं जिनके सेवन से आपकी नींद खराब हो सकती है. सामान्य तौर पर एक शख्स को करीब 7 से 8 घंटे की नींद लेने की सलाह दी जाती है.

ऐसे में ये सुनिश्च‍ित करना बहुत जरूरी हो जाता है कि हम रात में कुछ भी ऐसा न खाएं जिससे नींद खराब हो या कोई दूसरी समस्या हो जाए.

सोने से पहले नहीं करें इन चीजों का सेवन:

1. कैफीन

कैफीन का सीधा असर हमारे मस्त‍िष्क पर पड़ता है. कैफीन की मात्रा वाली किसी भी चीज के सेवन से नींद पर असर पड़ता है. कैफीन का असर उसे लेने के पांच घंटे बाद तक बना रहता है.

2. बहुत अधिक मसालेदार खाना

रात के समय बहुत स्पाइसी खाना खाना सही नहीं है. बहुत अधिक मसालेदार खाना खाने से जलन और गैस की समस्या हो जाती है. जिससे अच्छी नींद नहीं आती.

3. मीट

मीट में उच्च मात्रा में फैट और प्रोटीन होते हैं. जिन्हें पचने में काफी समय लगता है. ऐसे में रात के समय मीट खाने से आप रातभर बेचैन हो सकते हैं.

4. जंक फूड

जंक फूड में उच्च मात्रा में सैचुरेटेड फैट होता है. जिसे पचने में काफी लंबा समय लगता है. रात के समय जंक फूड खाकर, चैन की नींद सो पाना थोड़ा मुश्क‍िल है.

5. फल

अगर आप सोने के ठीक पहले फल खाने जा रहे हैं तो रुक जाइए. फलों में नेचुरल शुगर होती है जिसे पचने में वक्त लगता है.

क्या मल्टीविटामिन लेने से मुझे एनर्जी मिलेगी?

सवाल-

मैं 46 वर्षीय कामकाजी महिला हूं. पिछले कुछ दिनों से मैं खुद में ऊर्जा की बहुत कमी महसूस कर रही हूं. क्या मल्टीविटामिन लेने से मैं बेहतर महसूस करूंगी?

जवाब-

आज मल्टीविटामिन लेना बहुत सामान्य प्रचलन है. लोग शरीर में कमजोरी महसूस होने या खुद को फिट रखने के लिए बिना डाक्टर की सलाह के ही विटामिन या मिनरल के सप्लिमैंट्स लेना शुरू कर देते हैं. विटामिंस के अधिक सेवन से विटामिन पौइजनिंग हो जाता है. इसलिए डाक्टर की सलाह के बिना इन का सेवन करना आप की सेहत के लिए खतरा बढ़ा सकता है. आप किसी डाक्टर को दिखाएं. जरूरी जांच करने पर ही पता चलेगा कि आप को ऊर्जा की कमी क्यों महसूस हो रही है और आप को किस विटामिन की कितनी मात्रा में जरूरत है.

थकान और कमजोरी से बचने के लिए अपने खानेपीने का भी ध्यान रखें. अपनी डाइट में सूखे मेवे, दूध व दुग्ध उत्पादों, मौसमी फलों और सब्जियों को ज्यादा मात्रा में शामिल करें. हर 2-3 घंटे में कुछ खाती रहें. अगर आप अपने खानेपीने का ध्यान रखेंगी तो आप को गोलियां खाने की जरूरत नहीं पड़ेगी.

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वीगन डाइट जिसे वीगानिज़्म भी कहा जाता है, एक ऐसी डाइट है, जिसमें मांस, अंडा, दूध, दही या पशु से बनने मिलने वाले उत्पादों को नहीं खाया जाता. बल्कि वीगन डाइट में सबसे अधिक पेड़पौधों से मिलने वाले खाद्य पदार्थों को खाया जाता है.  इस डाइट में कच्चे ऑर्गेनिक आहार का अधिक सेवन किया जाता है. साबुत फल, सब्जियां और अनाज इस डाइट की विशेषता हैं.  इसे शुद्ध शाकाहारी आहार या प्लांट बेस्ड डाइट भी कहा जाता है.

अब ऐसे में सवाल उठता है कि वीगन डाइट में मांस, अंडा, दूध, दही जैसे खाद्य पदार्थ न होने की वजह से प्रोटीन की कमी को कैसे पूरा किया जाए? इस संबंध में पल्लवबिहानी बोल्डफ़िट के फाउंडर ऐसे सुपरफूड्स के बारे में बताएंगे, जिनके सेवन से आप वीगन डाइट को फॉलो करते हुए प्रोटीन का भरपूर सेवन कर सकते हैं.

पूरी खबर पढ़ने के लिए- Vegan Diet को हेल्दी बनाएंगे प्रोटीन से भरपूर ये 5 Food

एसी में बैठना हो सकता है खतरनाक

क्या आप भी उन लोगों में से हैं जो एसी वाले ऑफिस में काम करके खुद को खुशनसीब समझते हैं? क्या आप जब घर में होते हैं तो उस वक्त भी एसी ऑन ही रहता है और आप ठीक उसके सामने बैठना ही पसंद करते हैं?

अगर आप भी ऐसा करने वालों में से हैं तो आपको बता दें कि ऐसा करना खतरनाक हो सकता है और आपको अपनी इस आदत के बारे में एकबार और सोचने की जरूरत है.

एक अध्ययन में पाया गया है कि भले ही लोग एसी को लक्जरी लाइफस्टाइल से जोड़कर देखते हों लेकिन सच्चाई ये है कि एसी में 24 घंटे बैठे रहना सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है.

बीते कुछ समय में एसी का इस्तेमाल अचानक से बढ़ गया है. गर्मियों में प्रदूषण और ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से धरती का तापमान इतना अधिक हो जाता है कि एसी के बिना काम भी नहीं चलता.

ऐसे में जो लोग अफोर्ड कर पाते हैं वो एसी लगवाने में जरा भी देर नहीं करते हैं. रही बात ऑफिसों की तो आज के समय में ज्यादातर दफ्तरों में एसी लगा ही होता है. ये मूलभूत जरूरत हो चुकी है.

पर सोचने वाली बात ये है कि एक आर्टिफिशियल टेंपरेचर में बहुत देर तक रहना किस हद तक खतरनाक हो सकता है, इस ओर कभी भी हमारा ध्यान ही नहीं जाता है. इस टेंपरेचर के बदलाव का सबसे बुरा असर हमारे इम्यून सिस्टम पर पड़ता है.

अगर आपको लगता है कि आप अक्सर ही बीमार पड़ने लगे हैं, तो हो न हो आपकी इस आदत ने आपके इम्यून सिस्टम को कमजोर कर दिया है.

एसी के सामने ज्यादा वक्त बिताने वालों को हो सकती हैं ये हेल्थ प्रॉब्लम्स-

1. साइनस की प्रॉब्लम

प्रोफेशनल्स की मानें तो जो लोग एसी में चार या उससे अधिक घंटे रहते हैं , उनमें साइनस इंफेक्शन होने की आशंका बहुत बढ़ जाती है. दरअसल, बहुत देर तक ठंड में रहने से मांसपेशियां सख्त हो जाती हैं.

2. थकान

अगर आप एसी को बहुत लो करके सोते हैं या उसके सामने बैठते हैं तो आपको हर समय कमजोरी और थकान रहने लगेगी.

3. वायरल इंफेक्शन

बहुत अधिक देर तक एसी में बैठने से, फ्रेश एयर सर्कुलेट नहीं हो पाती है. ऐसे में फ्लू, कॉमन कोल्ड जैसी बीमारियां होने का खतरा बहुत बढ़ जाता है.

4. आंखों का ड्राई हो जाना

एसी में घंटों बिताने वालों में ये प्रॉब्लम सबसे ज्यादा कॉमन है. एसी में बैठने से आंखों ड्राई हो जाती हैं. एसी में बैठने का ये असर स्क‍िन पर भी नजर आता है.

5. एलर्जी

कई बार ऐसा होता है कि लोग एसी को टाइम टू टाइम साफ करना भूल जाते हैं, जिससे एसी की ठंडी हवा के साथ ही डस्ट पार्टिकल भी हवा में मिल जाते हैं. सांस लेने के दौरान ये डस्ट पार्ट‍िकल शरीर में प्रवेश कर जाते हैं, जिससे इम्यून सिस्टम पर असर पड़ता है.

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