क्रेडिट कार्ड लेने में बर्ते ये सावधानी

बात अगर फाइनेंशियल लेन-देन की की जाए तो इन दिनों क्रेडिट कार्ड ज्‍यादातर लोगों के लिए लाइफलाइन है. चाहे रिटेल आउटलेट से खरीदारी करनी हो, ऑनलाइन शॉपिंग करनी हो, टेलीफोन या इलेक्ट्रिसिटी बिल जमा करना हो, एयर टिकट और होटल बुक करना हो. देश भर में क्रेडिट कार्ड का यूज बड़े पैमाने पर किया जाता है.

हालांकि क्रेडिट कार्ड का इस्‍तेमाल सोच समझ के करना चाहिए. क्रेडिट कार्ड का यूज आपकी क्रेडिट हिस्‍ट्री और क्रेडिट स्‍कोर को बड़े पैमाने पर प्रभावित करता है.

आपके क्रेडिट स्‍कोर को बेहतर बना सकता है क्रेडिट कार्ड

अगर आप क्रेडिट कार्ड का इस्‍तेमाल सोच समझ कर और जिम्‍मेदारी से करें तो क्रेडिट कार्ड आपके क्रेडिट स्‍कोर को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है. आप कुछ आसान तरीको को अपना कर क्रेडिट कार्ड का जिम्मेदारी से इस्‍तेमाल कर सकते हैं इससे अपनी सिबिल रिपोर्ट और सिबिल ट्रांसयूनियन स्‍कोर को मजबूत कर सकते हैं.

इंटरेस्‍ट रेट कर सकते हैं निगोशिएट

जब आप क्रेडिट कार्ड हासिल करते हैं तो आप इसके फाइन प्रिंट को अच्‍छी तरह से पढें. इस पर लगने वाले इंटरेस्‍ट रेट, ग्रेस पीरिएड की अवधि और ली जाने वाली फीस के बारे में पूरी डिटेल पता करें. बहुत से लोगों को यह भी नहीं पता होता है कि इंटरेस्‍ट रेट निगोशिएट किया जा सकता है. ऐसे में आप क्रेडिट कार्ड के लिए अप्‍लाई करते समय पूरी रिसर्च करें.

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क्रेडिट कार्ड बैलेंश का समय पर करें पेमेंट

आप अपने क्रेडिट कार्ड बैलेंश का समय पर पेमेंट करें. आप हर माह क्रेडिट कार्ड पेमेंट का भुगतान कर क्रेडि कार्ड डेट से बच सकते हैं. इसके अलावा आप कई बारे क्रेडिट कार्ड के लिए आवेदन न करें . अगर आपने कई क्रेडिट कार्ड के लिए अप्लाई किया है तो यह आपकी क्रेडिट रिपोर्ट के एन्‍क्‍वायरी सेक्‍शन में दिखेगा. इसके अलावा कई सारे क्रेडिट कार्ड को मैनेज करना मुश्किल होता है. ज्‍यादा संभावना है कि आप किसी क्रेडिट कार्ड के पेमेंट को मिस कर दें. इससे अनजाने ही आप डेट ट्रैप की ओर बढ़ सकते हैं.

क्रेडिट कार्ड लिमिट के अधिकतम यूज से बचें

अगर आप क्रेडिट कार्ड से ज्‍यादा खर्च करते हैं तो जरूरी नहीं है कि यह आपके क्रेडिट स्‍कोर को नकारात्‍मक तौर पर प्रभावित करे लेकिन आपके क्रेडिट कार्ड का बैलेंश बढ़ना आप पर रिपेमेंट बोझ बढ़ने की ओर संकेत करता है और यह आपके स्‍कोर को प्रभावित कर सकता है.

अपने सिबिल स्‍कोर पर रखें नजर

अगर आप अपनी क्रेडिट रिपोर्ट पर नजर रखते हैं तो आप अपने फाइनेंस का प्रबंधन बेहतर तरीके से कर पाएंगे . इसके अलावा आप संभावित आइडेंटिटी थेफ्ट और क्रेडिट रिपोर्ट में गलत सूचना को लेकर भी अलर्ट रहेंगे.

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कम उम्र में जिम्मेदारियां कम होती हैं. ऐसे में सेविंग और लॉन्ग-टर्म फाइनैंशल प्लानिंग शुरू करने का यह सबसे अच्छा वक्त है. यंगस्टर्स को किस तरह करनी चाहिए अपनी फाइनैंशल प्लानिंग

1. बजट बनाएं और सेविंग करें

आप कितना कमा रहे हैं और कितनी बचत कर रहे हैं, इसका पूरा लेखा-जोखा रखने के लिए बजटिंग पहला कदम है. सबसे पहले महीने में आप जो भी खर्च कर रहे हैं, उसका हिसाब रखें. सामान्य डायरी, एक्सेल शीट या मोबाइल ऐप में से किसी का भी इस्तेमाल करके महीने का खर्च लिख सकते हैं.

तीन से चार महीने तक इस तरह की बजटिंग कर लेने के बाद आप अपने खर्चों को मुख्यत: तीन कैटिगरी में बांट सकते हैं. ये हैं: अनिवार्य खर्च, ऐसे खर्च जिन्हें रोका जा सकता है और मनोरंजन पर होने वाले खर्च.

2. फाइनैंशल लक्ष्य बनाएं

आप पैसा बचा तो रहे हैं लेकिन क्या इस पैसे से 10 साल बाद घर खरीद पाने की स्थिति में होंगे? या पांच साल बाद कार खरीद सकेंगे? दरअसल, सेविंग करते वक्त आपको इसी तरह से लक्ष्य बनाने की जरूरत है. लक्ष्यों को आप तीन कैटिगरी में बांट सकते हैं: शॉर्ट-टर्म, मीडियम टर्म और लॉन्ग-टर्म.

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हरेक को साफ-साफ लिखें और यह भी लिखें कि उन्हें पाने के लिए आपके पास कितने साल का समय है और आपको कितने पैसे की जरूरत होगी. यहां महंगाई दर को भी ध्यान में रखें. आज अगर किसी कार की कीमत 5 लाख है और आप लक्ष्य बनाते हैं कि सात साल बाद आपको वह कार खरीदनी है तो उस वक्त उस कार की कीमत 8.5 लाख के करीब होगी, इसलिए लक्ष्य 8.5 लाख का बनाएं, 5 लाख का नहीं.

3. सही इन्स्ट्रूमेंट में इन्वेस्टमेंट

यंगस्टर्स को आमतौर पर यह उलझन होती है कि वे किस इंस्ट्रूमेंट में पैसा लगाएं. शुरुआत करने के लिए आसान तरीके मसलन आरडी या एफडी अपनाए जा सकते हैं. अगर आप इंस्ट्रूमेंट्स के बारे में गहराई से नहीं जानते हैं तो आपको बैंक जैसी अपेक्षाकृत आसान सी जगहों पर अपना पैसा इन्वेस्ट करना चाहिए.

इंस्ट्रूमेंट का तरीका अपने लक्ष्य और उस लक्ष्य के लिए लगने वाले समय के आधार पर चुनना चाहिए. अगर लक्ष्य शॉर्ट-टर्म है तो आपको पैसा डेट में लगाना चाहिए. अगर लॉन्ग-टर्म है तो पैसा इक्विटी में लगाने का रास्ता चुनना चाहिए. मीडियम टर्म लक्ष्यों के लिए आपको इक्विटी और डेट का मिक्स चुनना चाहिए.

4. ज्यादा से ज्यादा टैक्स सेविंग

टैक्स सेविंग ज्यादातर यंगस्टर्स के लिए कोई खास मुद्दा नहीं है क्योंकि उनकी सैलरी उतनी ज्यादा नहीं होती, फिर भी जितनी जल्दी हो सके, अपनी टैक्स प्लानिंग कर लेना अच्छा ही रहता है. ऐसे इंस्ट्रूमेंट में पैसा इन्वेस्ट करना शुरू करें, जो 80 सी में आपको डेढ़ लाख तक की टैक्स छूट का फायदा देते हैं. पीपीएफ, ईपीएफ, एनपीएस, यूलिप आदि ऐसे तरीके हैं. इनमें से ऐसे ऑप्शन चुनें जो आपके लक्ष्यों की जरूरतों को पूरा करते हों या उन्हें चुनें जो अपने आप हो रहे हैं.

जो अपने आप हो रहे हैं, उनमें आप ईपीएफ को शामिल कर सकते है. एक अहम चीज यह भी है कि आप टैक्स आदि की गणना करने के बाद सही रिटर्न भी कैलकुलेट करें. इसके अलावा टैक्स बचाने के लिए आप अपने एम्प्लॉयर से भी बात कर सकते हैं कि वह आपको ऐसा सैलरी स्ट्रक्चर बनाए जिससे आपकी अधिकतम टैक्स बचत हो सके.

5. सही इंश्योरेंस का चुनाव

इंश्योरेंस का मूल मकसद यह है कि यह आपके जीवन में आने वाले रिस्क को कवर करता है. इससे रिटर्न की उम्मीद नहीं की जानी चाहिए. कई बार लोग इंश्योरेंस और इन्वेस्टमेंट को मिक्स कर देते हैं क्योंकि बाजार में दोनों चीजें ऑफर करने वाले कई प्रॉडक्ट हैं. जहां तक लाइफ इंश्योरेंस की बात है तो टर्म प्लान में आप कम प्रीमियम देकर मोटी रकम का कवर ले सकते हैं, लेकिन इसकी खासियत यह है कि आपको कोई रिटर्न नहीं मिलता.

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6. इमरजेंसी के लिए बचाएं

कार, घर आदि लक्ष्यों को तो यंगस्टर्स ध्यान में रख लेते हैं, लेकिन उनका ध्यान इमरजेंसी की ओर नहीं जाता. अचानक जॉब चले जाने का खतरा हो या मेडिकल इमरजेंसी, आपको इमरजेंसी की स्थिति के लिए तैयार रहना चाहिए. दूसरी तमाम सेविंग करने से पहले जरूरी है कि आप एक इमरजेंसी फंड बनाएं. यह आपके घर के 3 से 6 महीने के खर्च के बराबर रकम होनी चाहिए. अगर लोन की किस्त चल रही है तो वह रकम भी इसमें अलग से शामिल हो.

7. उधार के जाल में न फंसें

जब आप कम उम्र में होते हैं, तो इस बात के चांस ज्यादा होते हैं कि आप उधार के जाल में फंस जाएं. जिम्मेदारी कम होती है, पैसा और क्रेडिट कार्ड की सुविधा आपके पास आ ही जाती है. आपको जरूरत और शौक के बीच के फर्क को समझना चाहिए. क्रेडिट कार्ड का यूज करने वालों को कुछ बातों का ध्यान हमेशा रखना चाहिए. भूलकर भी क्रेडिट कार्ड के ड्यू को आगे के महीनों पर टालना नहीं चाहिए. ​ होम लोन और कार लोन चलते रहने के बाद भी अगर आप पर्सनल लोन लेते हैं तो आप बुरी तरह फंस सकते हैं.

Festive Special: कम बजट में करें स्मार्ट शॉपिंग

कम बजट में ट्रेंडी आउटफिट्स और एक्सेसरीज खरीदकर आप भी बन सकती हैं स्मार्ट शॉपर. कम बजट में कैसे करें स्मार्ट शॉपिंग? आइए, हम आपको बताते हैं.

बजट फ्रेंडली फेस्टिव वेयर

स्मार्ट शॉपिंग के लिए मिक्स एंड मैच फॉर्मूला बेस्ट है, जैसे, आप यदि दीपावली के लिए महंगा आउटफिट नहीं खरीदना चाहतीं, लेकिन ट्रेंडी भी दिखना चाहती हैं, तो सिर्फ एक लॉन्ग जैकेट खरीदें और उसे अपने पुराने लहंगे के साथ पहनें.

इसी तरह आप अपनी पुरानी हैवी चोली को प्लेन स्कर्ट, साड़ी आदि के साथ पहन सकती हैं.

अगर आप फेस्टिव सीजन में साड़ी पहननना चाहती हैं, तो अपने किसी हेवी ब्लाउज के साथ पहनने के लिए कोई प्लेन साड़ी खरीद लें. इसके साथ हेवी या ट्रेंडी एक्सेसरीज पहनकर आप फेस्टिव लुक पा सकती हैं.

अपनी रेग्युलर जीन्स के साथ एथनिक कुर्ती, ट्यूनिक, कॉर्सेट आदि पहनकर आप फेस्टिव लुक पा सकती हैं.

बजट फ्रेंडली कैजुअल वेयर

कैजुअल वेयर के लिए हॉट पैंट, कार्गो, केप्री, स्कर्ट आदि बॉटम वेयर अपने कलेक्शन में जरूर रखें. इनके साथ आप कोई भी स्टाइलिश टॉप पहनकर न्यू लुक पा सकती हैं.

इसी तरह डेनिम की शर्ट, जैकेट, शॉर्ट कुर्ती आदि को भी आप कई आउटफिट्स के साथ मिक्स एंड मैच करके पहन सकती हैं.

प्लेन टीशर्ट, स्पेगेटी, शर्ट आदि को जैकेट, स्टोल या फिर ट्रेंडी नेकपीस के साथ पहनकर न्यू लुक पा सकती हैं.

अपने कैजुअल कलेक्शन में स्मार्ट बेल्ट, हेयर एक्सेसरीज, नेकपीस, ईयररिंग, ट्रेंडी शूज आदि जरूर रखें. ये भी आपके मिक्स एंड मैच फॉर्मूले में बहुत काम आएंगे.

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बजट फ्रेंडली ऑफिस वेयर

यदि आप सेल में शॉपिंग कर रही हैं और आपको फॉर्मल आउटफिट खरीदने हैं, तो व्हाइट, ब्लैक, बेज, पीच, पिंक आदि कलर की प्लेन शर्ट, ट्राउजर और स्कर्ट खरीद सकती हैं. इन्हें आप मिक्स एंड मैच करके कई बार रिपीट कर सकती हैं.

इसी तरह आप ब्लैक, बेज, व्हाइट जैसे बेसिक कलर के ट्रेंडी कलर के बैग और शूज खरीदकर अपने फॉर्मल कलेक्शन को फैशनेबल बना सकती हैं.

ऑफिस में यदि इंडियन वेयर पहनती हैं, तो अलग-अलग कलर की प्लेन लेगिंग्स और कुर्ती को स्टोल, नेकपीस आदि के साथ मिक्स एंड मैच करके रोजाना न्यू लुक पाया जा सकता है.

इसी तरह ब्लैक, व्हाइट, रेड, ब्लू जैसे रेग्युलर कलर के कुछ ब्लाउज सिलवाकर उन्हें कई साड़ियों के साथ पहन सकती हैं.

स्मार्ट आइडियाज

बजट फ्रेंडली शॉपिंग का सबसे जरूरी टिप यही है कि फिजूलखर्च से बचें और वही चीज खरीदें जिसकी आपको वाकई जरूरत हो.

शॉपिंग के लिए घर से निकलने से पहले एक लिस्ट बनाएं, जिसमें उन सभी स्टाइलिश ड्रेसेस और ट्रेंडी एक्सेसरीज को नोट करें, जो आपके वॉर्डरोब और ऑफिस के लिए जरूरी हैं.

अच्छे ब्रांड की सेल लगी है, तो वहां से अच्छी फिटिंग वाली जीन्स, जैकेट, बेसिक शर्ट, ट्राउजर, स्कर्ट आदि जरूर खरीदें.

वेडिंग या फेस्टिव सीजन के लिए जरूरत से ज्यादा महंगा आउटफिट खरीदना पैसे की बर्बादी है, थोड़ी-सी समझदारी से आप कम बजट में भी ट्रेंडी और गॉर्जियस नजर आ सकती हैं.

ऑनलाइट शॉपिंग करते समय उस चीज की कीमत अलग-अलग साइट्स पर चेक कर लें. हो सकता है, दूसरी साइट पर सेल, डिस्काउंट, कूपन आदि के चलते वही चीज आपको कम दाम में मिल जाए.

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विंडो शॉपिंग के बहाने आप अलग-अलग स्टोर्स में जाकर डिस्काउंट या स्पेशल ऑफर के बारे में जानकारी हासिल कर सकती हैं.

शॉपिंग करते समय क्रेडिट कार्ड का उपयोग करने की बजाय कैश पेमेंट करें, इससे आप बजट के बाहर शॉपिंग नहीं कर सकेंगी और फिजूलखर्च से बच जाएंगी.

ऐसे आउटफिट्स खरीदने से बचें, जिन्हें बार-बार ड्राईक्लीन करवाना पड़े. सेल में शॉपिंग करते समय मटेरियल, फैब्रिक और क्वालिटी से समझौता न करें. हर चीज अच्छी तरह देख-परखकर ही खरीदें.

ऐसे लोकल स्टोर्स जहां स्टाइलिश आउटफिट व एक्सेसरीज कम दाम में मिल जाते हैं, वहां से शॉपिंग करके आप अपने पैसे बचा सकती हैं.

Festive Season में यूं सजाएं घर

त्योहारों की बात हो और घर को सजाने का जिक्र न हो, ऐसा हो ही नहीं सकता क्योंकि त्योहारों के लिए बाहर जा कर शौपिंग करने व घर को सजाने से न सिर्फ हमारा मूड ठीक होता है, बल्कि घर भी खूबसूरत बनता है. लेकिन इन त्योहारों पर आप को थोड़ा संभलना होगा और अपने कदमों को घर तक ही सीमित रख कर   घर के नए मेकओवर के बारे में सोचना होगा क्योंकि तीसरी लहर की चेतावनी जो है.

ऐसे में हम आप को कुछ टिप्स बताते हैं, जिन से आप भी सुरक्षित व आप घर बैठे अपने घर को खूबसूरत बना कर उसे सैंटर औफ अट्रैक्शन बना सकती हैं. तो जानिए उन टिप्स के बारे में:

पोजीशन चेंज करें

जब भी घर को नया लुक देने की बात आती है तो या तो हमारे दिमाग में घर के इंटीरियर को चेंज करने की बात आती है या फिर घर में रखे फर्नीचर को बदलने के बजाय उस की जगह को बदलने की क्योंकि इस से भले ही चीजें वही होती हैं, लेकिन उन की जगह बदलने से घर फिर दोबारा से नया सा लगने लगता है. ऐसे में इन त्योहारों पर घर से बाहर जाना इतना सेफ नहीं है, तो इंटीरियर के आइडिया को इस बार छोड़ना ही आप के लिए फायदेमंद रहेगा.

ऐसे में आप अपने लिविंगरूम व बैडरूम की सैटिंग को चेंज कर के घर को दे सकती हैं नया लुक. सिर्फ सैटिंग ही चेंज न करें, बल्कि सोफे को नया लुक देने के लिए भी उस के स्टाइलिश डिजाइनर औनलाइन कवर्स खरीदें.

आजकल कुशंस का काफी ट्रैंड हैं, ऐसे में आप अपने बैड पर स्टाइलिश चादर के साथ छोटेछोटे कुशंस लगा कर रूम के लुक को चेंज करने के साथसाथ अपने बैड को भी नया लुक दे सकती हैं. बस आप को यह देखना है कि सैटिंग कैसे करें, ताकि आप का घर बड़ा भी लगे और खूबसूरत भी.

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वौल स्टीकर से सजाएं दीवारों को

अगर आप के घर की दीवारें कई जगह से गंदी हो रही हैं और आप यह सोच रही हैं कि अभी माहौल ऐसा नहीं है कि घर में सफेदी करवाई जाए तो आप घर की उन जगहों को ढकने के साथसाथ दीवारों को सुंदर दिखाने के लिए वौल स्टीकर्स का इस्तेमाल कर सकती हैं. इस के लिए औनलाइन आप को बैस्ट विकल्प मिल जाएंगे. आप दीवार के लिए आजकल ट्रैंड में चल रहे मधुबनी वौल स्टीकर, थ्री डी वौल स्टीकर, नेचर को रिप्रैजेंट करने वाले वौल स्टीकर, छोटे से ले कर बड़े वौलपेपर से आप अपने घर को खुद सजा सकती हैं.

बस जब भी इन्हें खरीदें तो साइज को अच्छे से देखने के बाद ही खरीदें. इन स्टीकर्स की खास बात यह है कि इन्हें आप खुद भी आसानी से लगा सकती हैं. ये पौकेट फ्रैंडली होने के साथसाथ आप के घर को कूल लुक देने का भी काम करते हैं.

बालकनी को सजाएं यों

अगर आप नेचर लवर हैं और आप को अपनी बालकनी को पौधों से सजाने का शोक है तो आप का यी शौक ही आप की बालकनी को इन त्योहारों पर खूबसूरत लुक देने का काम करेगा. इस के लिए आप ने जो भी गमले पहले से लगाए हुए हैं, उन्हें कलर्स से रंग कर नया लुक दे सकती हैं, जिस से आप की बालकनी खिल उठेगी. आप औनलाइन भी खूबसूरत गमले खरीद सकती हैं.

लेकिन पहले आप अपने पुराने गमलों को खूबसूरत बना कर उन्हें नया बनाने की कोशिश करें क्योंकि इस से आप का बजट भी नहीं बिगड़ेगा और आप की क्रिएटिविटी से इन त्योहारों पर आप की बालकनी को भी खूबसूरत लुक मिल जाएगा. आप अपनी बालकनी की ग्रिल्स को भी खुद से रंग कर उन्हें नया जैसा लुक दे सकती हैं. यहां तक कि आप इंडोर प्लांट लगे गमलों को खुद सजा कर लिविंगरूम की शोभा को भी बढ़ा सकती हैं.

नए परदों से नया लुक

कहते हैं कि अगर घर को नया लुक देना हो तो सब से पहले घर के परदों में बदलाव लाना चाहिए क्योंकि परदे घर में नई जान डालने का काम जो करते हैं. ऐसे में आप तुरंत औनलाइन परदे न खरीद लें, बल्कि पहले सर्च करें कि आजकल कौन से परदे ट्रैंड में चल रहे हैं. यह भी देखें कि आप के घर का इंटीरियर व वौल पेंट कैसा है कि आप के पूरे घर में एक जैसे परदे अच्छे लगेंगे या फिर कंट्रास्ट में परदे डालना ज्यादा अच्छा लगेगा.

वैसे आप को बता दें कि ज्यादा भारी व मोटे परदे एक तो आप के घर में अंधेरा रखने का काम करते हैं साथ ही इन से घर थोड़ा छोटा भी लगता है और ये ज्यादा महंगे भी होते हैं.

ऐसे में आप अपने घर में हलके, कलरफुल, मिक्समैच करते, एर्थ टोन्स, ऐक्सोटिक प्रिंट्स, पैटर्न प्रिंट्स, बोल्ड स्टेटमैंट कलर्स का चयन कर सकती हैं क्योंकि ये आंखों को अच्छा लगने के साथसाथ घर को खूबसूरत तो दिखाते ही हैं साथ ही काफी कंफर्ट फील भी देते हैं. आप अगर रूम में खूबसूरती के मकसद से ही परदे डाल रही हैं तो आप नेट, लेयर्स, रफ्ल वाले परदों का भी चुनाव कर सकते हैं.

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इन्हें खरीदने के लिए आप को मार्केट नहीं जाना, बल्कि औनलाइन इन्हें साइज के हिसाब से खरीद सकती हैं क्योंकि इस से एक तो आप को घर बैठे सामान मिल जाएगा और दूसरा पसंद नहीं आने पर इन्हें बदलने का भी औप्शन जो रहता है.

सैंटर टेबल को सजाएं रोज पेटल्स से

घर में लिविंगरूम ही वह जगह होती है, जहां लोगों का ध्यान सब से ज्यादा जाने के साथसाथ यह जगह घर की खूबसूरती को बढ़ाने का काम करती हैं. ऐसे में आप को सिर्फ अपने सोफे पर ही ध्यान नहीं देना है, बल्कि सैंटर टेबल को भी सजाने की जरूरत होगी ताकि आप का कमरा पौजिटिव वाइब्स देने के साथसाथ खिल उठे. इस के लिए आप अपनी सैंटर टेबल को रोज पेटल्स से सजा सकती हैं. उस के सैंटर में कांच का छोटा सा फ्लौवर पौट लगा कर उस के आसपास गुलाब की पत्तियों से सजा सकती हैं या फिर आप टेबल पर खूबसूरत सी वुडन टोकरी ले कर उस में कलरफुल आर्टिफिशियल फ्लौवर डाल कर बीच में कैंडिल लैंप या दिया लगाएं.

यह आप की सैंटर टेबल को फ्रैश फील देने के साथसाथ त्योहारों के लिए भी रेडी करेगा. अगर आप ने लिविंगरूम में शोकेस भी रखा हुआ है तो आप उस पर छोटेछोटे शोपीस, छोटेछोटे टेडी बीयर या फिर अगर ओपन शोकेस है तो आप उस पर वाटरफौल शोपीस भी लगा सकती हैं. अगर आप इस तरह से रूम को सजाएंगी तो आप की नजर ही आप के घर से नहीं हटेगी.

लाइटिंग भी हो खास

त्योहारों पर घर व बाहर लाइटिंग का खास महत्त्व होता है. इस के लिए लोग कई दिन पहले से तैयारी करनी शुरू कर देते हैं. तो आप भी पीछे न रहें, बल्कि इन त्योहारों पर अपने घर को कम बजट में बैस्ट लाइटिंग विकल्पों के साथ सजाएं. इन के लिए आप सोलर पावर स्ट्रिंग लाइट्स लगवा सकती हैं. इस के लिए बिजली की जरूरत नहीं होती है, बल्कि यह इंटरनल बैटरी से औपरेट होती हैं. ये लाइट्स बाहर की सजावट जैसे गार्डन, प्लांट्स को सजाने के लिए उपयुक्त होती हैं.

वहीं मल्टी कलर एलइडी लाइट्स से भी आप अपने घर की खूबसूरती को बढ़ा सकती हैं. आप लेजर लाइट प्रोजैक्टर से भी लाइटिंग कर सकती हैं. यहां तक कि आप लाइट फैस्टिवल पर ग्लो स्टिक्स से घर में लाइट कर सकती हैं. ये वन टाइम होती हैं. इन्हें जलाते ही ये कलरफुल स्टिक्स अपनेआप जलना शुरू हो जाती हैं.

अलग अंदाज में सजाएं मेन गेट को  

जब कोई त्योहारों पर घर में आता है तो उस की पहली नजर ही दरवाजे पर पड़ती है और इस की सजावट घर में पौजिटिविटी लाने का भी काम करती है.

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ऐसे में जब बात हो घर के मेन गेट को सजाने की तो आप हाथ से तरहतरह की चीजें बना कर उन से दरवाजे को सजा सकती हैं. आप लो बजट में भी सुंदर बंदरवाल खरीद कर अपने मैन गेट को खूबसूरत बना सकती हैं. आप मेन गेट के कौर्नर पर खूबसूरत सा फ्लौवर पौट और उस पर लाइटिंग कर के या फिर उसे रिंबस से सजा कर भी डैकोरेट कर सकती हैं. इस से आप का घर अंदर व बाहर दोनों जगहों से खूबसूरत दिखेगा.

जब Air Conditioner हो लगाना

याद कीजिए अपने दादा या दादी को, जो आंगन में बैठे हाथ से पंखा हिलाते हुए गरमी को मात देने की कोशिश किया करते थे. उस के बाद बिजली का आविष्कार हुआ और हाथ के पंखों की जगह सीलिंग फैंस ने ले ली. इसे एक बड़ा कदम माना गया. वक्त बदला और सीलिंग फैन के साथसाथ कूलर भी गरमी से लड़ने का एक कारगर जरिया बन गए. सूरज की तपिश जब अपने चरम पर होती तो कूलर हमें राहत पहुंचाते. मगर इन के साथ भी एक समस्या रहती. कूलर की हवा अपनी ओर करने के लिए घरों में छोटेमोटे झगड़े होना आम बात थी. लेकिन अब कूलर और सीलिंग फैन भी धीरेधीरे बीते जमाने की बात होते जा रहे हैं और नए जमाने में एअरकंडीशनर गरमी से बचने और लड़ने में इनसान की मदद कर रहे हैं.

एक दौर था जब एअरकंडीशनर सिर्फ धनाढ्य वर्ग के उपभोग तक ही सीमित थे. वे लोग, जो बिजली के लंबेचौड़े बिलों का भुगतान करने में सक्षम थे, वही एसी के बारे में विचार करते थे. लेकिन बीते कुछ वर्षों में यह धारणा पूरी तरह से टूट चुकी है. आज यह अमीरी के दायरे को तोड़ता हुआ जरूरत की श्रेणी में पहुंच चुका है. आज लगभग हर घर के ड्राइंगरूम में एसी एक जरूरत बन गया है. आज हर कोई अपनी जीवनशैली को आरामदायक बनाना चाहता है और इस पर होने वाला खर्च अमीरी नहीं बल्कि जरूरत मान लिया गया है और एसी भी इसी श्रेणी में आता है. भारत में बड़े मध्यवर्गीय बाजार के कारण सभी उपभोक्ता कंपनियां अपने उत्पादों की कीमत इन्हें ध्यान में रख कर तय करती हैं.

बाजार में प्रतिस्पर्धा के बढ़ने का फायदा भी आम उपभोक्ता को मिल रहा है. कंपनियां अब सस्ती कीमत और बेहतर तकनीक के उत्पाद बेचने को मजबूर हैं, क्योंकि वे किसी भी कीमत पर इस बाजार में अपने पांव कमजोर नहीं करना चाहतीं. बाजार में विंडो एसी, स्प्लिट एसी और सेंट्रलाइज एसी जैसी तमाम किस्में मौजूद हैं और इस में हर ग्राहक वर्ग के हितों का ध्यान रखा गया है. इन में से विंडो एसी भारतीय ग्राहक वर्ग में खासतौर पर पसंद किए जाते हैं. इन्हें लगाना भी बेहद आसान है और इन की हवा भी आसपास के कमरों को ठंडा करती है. यह सब इन की शानदार क्षमता और आधुनिक तकनीक के कारण ही संभव होता है.

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बिजली के बिल में कटौती

बीते दिनों एक खबर आई थी कि मुंबई में एक आफिस में एसी की खपत कम करने के लिए अपने कर्मचारियों को टाई पहन कर आने से मना कर दिया गया था. कंपनी का तर्क था कि इस से बिजली के बिल में कटौती करने में मदद मिलेगी. एसी लेने के बाद उस की वजह से आने वाला बिजली का बिल सब से बड़ी चिंता होती है, लेकिन कुछ टिप्स अपना कर आप भी अपने बिजली के बिल में कटौती कर सकते हैं :

अपने कमरे और घर के आकार को ध्यान में रख कर ही एसी की खरीदारी करें. बेहतर होगा कि इस मामले में आप किसी जानकार की सलाह लें. याद रखें, ज्यादा बड़ा एसी यानी बिजली की ज्यादा खपत.

एसी का तापमान 25 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा सेट कर के रखें. इस से आप को अपने बिजली के बिल में कटौती करने में मदद मिलेगी.

एसी चलाते समय यह ध्यान रखें कि कमरे के सभी दरवाजे और खिड़कियां बंद हों. इस से कमरे को ठंडा होने में कम समय लगेगा.

एसी को हर समय चलाने के बजाय थोड़े समय के लिए चलाएं और एक बार कमरा ठंडा होने के बाद एसी को बंद कर दें.

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फाइबर एक्स: आपके कपड़ों के लिए एक सुरक्षा कवच

हमने आज तक यही सीखा है कि कपड़े हमें धूल मिट्टी, सर्दी और गर्मी जैसे मौसम के प्रकोप से बचाते हैं लेकिन केवल इतना ही नहीं कपड़े हमें मच्छरों, बैक्टेरिया, अनचाही स्मेल और वायरस आदि से भी बचाने में समर्थ होते हैं.

 फाइबर एक्स :

एक नैनो केमिक्स बिजनेस ने आपके कपड़ों के लिए एक एंटी वायरल ट्रीटमेंट सुविधा लॉन्च की है जो आपको कपड़ों के माध्यम से फैब्रिक की पावर के जरिए इस वैश्विक महामारी कोविड से भी बचा पाएगा. फाइबर एक्स में इतनी क्षमता है की वह आपके कपड़े को एक टूल, एक लाइफ गार्ड, एक यूटिलिटी और एक सुरक्षा कवच में तब्दील कर सकता है ताकि आप की जिंदगी और वातावरण को बचाया जा सके. इससे आपके कपड़ों की क्षमता को नैनो टेक्नोलॉजी के प्रयोग से बढ़ाया जाता है. इसमें आपको फॉर्मल, कैजुअल, लिनन, स्पोर्ट्स वियर, अंडर गारमेंट्स, अफॉल्स्ट्री या किसी भी फैब्रिक के कपड़े एक स्मार्ट मशीन में डाले जाते हैं और कस्टमर के घरों तक पहुंचाएं जाते हैं.

अब आपको नेफ्थेलिन बॉल्स को गुड बाय बोल देना चाहिए क्योंकि फाइबर एक्स जैसी तकनीक अब आपके जीवन को और आसान बनाने के लिए उपलब्ध हो चुकी है. इसके माध्यम से अब आपको हर बार कपड़े निकालने के बाद उन पर डियोड्रेंट या किसी तरह का स्प्रे छिड़कने की भी कोई आवश्यकता नहीं है. हो सकता है यह सब सुन कर आप को इस पर विश्वास कर पाना थोड़ा सा मुश्किल हो लेकिन ऐसा सच में संभव हो रहा है. फाइबर एक्स जोकि नैनो केमिक्स द्वारा बनाया गया है, एक नई पहल है और इसने हमारे सामने कुछ ऐसा पेश किया है जिसके बारे में शायद हमने कभी सोचा भी नहीं होगा.

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फाइबर एक्स एक भविष्य की ओर लिया गया कदम है जो हमारे कपड़ों को बहुत सी चीजों से सुरक्षित बचा कर रखता है. इस तकनीक द्वारा मनुष्य का जीवन भी बहुत सुरक्षित बन गया है. यह कपड़े एंटी माइक्रोबियल, एंटी वायरल, एंटी ऑडर, एंटी फंगल, आपके वातावरण के अनुसार तापमान को बदल लेने वाले, लिनन गारमेंट्स, फर्नीचर, बैग्स, सॉफ्ट टॉय, कार्पेट और टॉवल भी उपलब्ध हो चुके हैं.

इसलिए आपको भी जल्द से जल्द फाइबर एक्स शील्ड खरीद लेनी चाहिए ताकि आप अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा को सुनिश्चित कर सकें. यह कपड़ों के मामले में किया गया शायद आज तक का सबसे अनोखा और महत्त्वपूर्ण एक्सपेरिमेंट होगा जो मानव जाति के लिए बहुत अधिक लाभदायक भी रहने वाला है. शायद ऐसे फाइबर के बारे में आज तक आपने कभी और कहीं नहीं सुना होगा.

फाइबर एक्स एक इकलौती ऐसी तकनीक है जो कपड़ों में महामारी के दौरान एक बहुत महत्त्व स्थापित करने जा रही है और जिस प्रकार लोगों को कपड़े खरीदने में भी भय लग रहा है इस तकनीक के कारण वह भय भी कम हो सकता है. इस मुश्किल वक्त में जब लोग अपने हाइजीन और सुरक्षा के लिए इतने अधिक सचेत हैं, फाइबर एक्स एक बहुत अच्छी और काम आने वाली तकनीक है जो लोगों में राहत प्रदान कर रही है और यह तकनीक मनुष्य की जिंदगी को सुरक्षा और सेफ गार्ड प्रदान करने में काफी काम आने वाली है.

अपने कपड़ों पर इस तकनीक का प्रयोग करवाना या अपने कपड़ों को फाइबर एक्स करवाना बहुत ही अफोर्डेबल और मुश्किलों से रहित है. बहुत से डिपार्टमेंटल स्टोर, ड्राई क्लीनर्स और मेडिकल स्टोर्स ने इस तकनीक को आगे बढ़ाने के लिए अपना सहयोग दिया है इसलिए इसका प्रयोग करना भी काफी ज्यादा आसान हो जाने वाला है. यह स्टोर फाइबर एक्स तकनीक के कलेक्शन स्टोर्स के रूप में काम में लिए जायेंगे. यह स्टोर लोगों के कपड़ों को पिक करेंगे और उन्हें ट्रीटमेंट के लिए आगे भेज देंगे, इसके बाद इन्हीं स्टोर्स से लोग अपने कपड़े वापिस ले जायेंगे. इससे भी अच्छी बात यह है कि फाइबर एक्स की नैनो टेक्नोलॉजी और उसके इंग्रीडिएंट ओका टैक्स क्लास वन द्वारा सर्टिफाई किए जा चुके हैं. यह तकनीक सीडीएससीओ, आईएसओ और NABL द्वारा इवेलुएट किए गए हैं. यह नॉन मेटल, नॉन सिल्वर और नॉन इचिंग तकनीक के कपड़े न केवल अन्य मनुष्यों के लिए बल्कि छोटे शिशु के लिए भी सुरक्षित हैं. यह तकनीक बच्चों को भी सभी प्रकार के बैक्टेरियल इंफेक्शन से बचाने में लाभदाई होने वाली है. इसलिए अपने कपड़ों को फाइबर एक्स के लिए आज ही भेज दें.

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5 Tips: हैल्दी Eating पर महंगी नहीं 

अधिकांश लोगों को लगता है कि अगर हैल्दी फूड खाना है, तो अपनी जेब पर बोझ डालना पड़ेगा. तभी आप अपनी सेहत का ध्यान रख पाएंगे. लेकिन ऐसा हमेशा नहीं होता. आप इस बात से अनजान हैं कि अगर आपको फ़ास्ट फूड  व स्नैक्स की ज्यादा लत है, तो ये आपके हैल्दी फूड से ज्यादा महंगा व आपकी सेहत के लिए भी काफी नुकसानदेय साबित होता है. आपको बता दें कि अगर आप कुछ बातों का ध्यान रखकर हैल्दी फूड के ओप्शन को चूज़ करते हैं , तो ये इकोनोमिकली भी आपकी पौकेट को सूट करने के साथ आपकी हैल्थ का भी खास ध्यान रखने का काम करेगा. तो जानते हैं इस संबंध में न्यूट्रिशनिस्ट शिखा महाजन से.

1. सीजनल चीजें ही खाएं 

हमेशा सीजनल फल व सब्जियां ही खाएं. क्योंकि ये ज्यादा फ्रैश , स्वादिष्ट होने के साथ गैर मौसमी उत्पादों की तुलना में कम महंगे होते हैं. असल में इस तथ्य का कारण यह है कि मौसमी फल व सब्जियों को उनके पूरी तरह से पकने के बाद ही काटा जाता है. और उन्हें बहुत दूर तक नहीं ले जाया जाता. जिससे खेत से ग्रोसरी स्टोर शेल्फ तक पहुंचने वाले समय में कमी आती है. और सीजनल फल व सब्जियां ज्यादा फ्रैश व स्वादिष्ट लगती है. साथ ही हमें सस्ते दामों पर भी मिल पाती है.

विभिन्न प्रकार के इंटरनेट संसाधन हैं , जो आपको इस बात की जानकारी देंगे कि इस सीजन में आपके क्षेत्र में कौन से फल व सब्जियां उपलब्ध हैं. जिसकी जानकारी लेकर आप अपने नज़दीकी ग्रोसरी स्टोर या लोकल मार्केट से उसे खरीद कर अपनी पॉकेट व अपनी सेहत का ध्यान रख सकते हैं.

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2. खुद से कटिंग करें 

आज हर चीज इतनी आसान हो गई है कि चाहे ग्रोसरी सामान को घर लाने की बात हो या फिर फ्रूट्स, वेजिज़ की कटिंग की, हर चीज हमें अपनी सुविधानुसार मिल जाती है. आपको फलों , सब्ज़ियों से लेकर मीट , नट्स, चीज सब कटा हुआ मिल जाता है. यहां तक कि रेडी टू ईट फूड भी. जो भले ही आपके काम को आसान बनाने का काम करें, लेकिन दुकानदार इसकी पैकेजिंग, कटिंग के नाम पर काफी पैसे वसूलते हैं. और साथ ही इन चीजों की फ्रेशनेस की भी कोई गारंटी नहीं होती है.  ऐसे में आप रेडी टू इट फ़ूड व कटी हुई फल व सब्जियों के आसान आप्शन को छोड़ कर खुद से ही घर पर फल, सब्जियों व अन्य चीजों को काटें. इससे आप एक्टिव भी रहेंगे, हैल्दी भी खाएंगे और साथ ही पैसों की भी बचत कर पाएंगे.

3. प्लांट बेस्ड प्रोटीन स्रोत को चुनें 

दिनोंदिन जिस तरह से महंगाई बढ़ रही है. उसी तरह मीट, फिश, चिकन के रेट्स में भी तेजी से बढ़ोतरी हो रही है. भले ही ये प्रोटीन के अच्छे स्रोत हैं. लेकिन अगर बात सिर्फ प्रोटीन लेने की है तो आप इसे लेने के लिए अपनी डाइट में थोड़े सस्ते प्रोटीन के स्रोत जैसे बीन्स, पनीर, टोफू, छोले , दालें आदि को शामिल करें. क्योंकि ये चीजें प्रोटीन व फाइबर में हाई होने के साथ इसमें ढेरों विटामिन्स व मिनरल्स भी होते हैं. इन चीजों को आप पुलाव, सैलेड, स्टिर फ्राई, सूप इत्यादि में भी शामिल कर सकते हैं. लेकिन इसका ये मतलब बिलकुल नहीं कि आप पूरी तरह से वेजिटेरियन बन जाएं. बस आप पहले प्लांट बेस्ड प्रोटीन डाइट को हफ्ते में 3 – 4 दिन शामिल करें और देखें कि ये कम पैसों में भी आपकी हैल्थ का ध्यान रखती है. यहां तक कि फ्लेक्सिटरियन डाइट भी आपको बड़ी मात्रा में प्लांट बेस्ड मील्स लेने की सलाह देती है और ओकेशनली एनिमल बेस्ड मील्स.  इसलिए समझदार बनकर पौकेट को सूट करने वाली प्रोटीन रिच फूड को अपनी डाइट में शामिल करें.

4. घर पर उगाएं सब्जियां 

आप अपने घर में सब्जियां उगा सकते हैं. अब आप ये सोच रहे होंगे कि हमारे आंगन में तो इतनी जगह ही नहीं है. तो आपको बता दें कि आप अपनी छोटी सी बालकनी में भी कम जगह घेरने वाले गमले लगाकर उसमें हरी पत्तेदार व मौसमी सब्जियां उगाकर घर बैठे खुद की सेहत का ध्यान रखने के साथसाथ नेचर के प्रति अपने प्यार को और जता सकते हैं. इसके लिए बस आपको सोइल, सीड और धूप वाले एरिया की जरूरत होगी. इसके लिए खिड़की के पास वाली जगह या फिर बालकनी का एरिया परफेक्ट है.

यदि आप सीमित धूप वाले अपार्टमेंट में रहते हैं तो आप इंडोर हाइड्रोपोनिक गार्डन के विकल्प को चुनें. क्योंकि ये पौधों को हवा देने के लिए एलईडी लाइट्स के साथ आते हैं. ताकि पौधों को पनपने के लिए अनुकूल वातावरण मिल सके.

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5. शौपिंग रूटीन बदलें 

क्या आज रोजाना फल व सब्जियां खरीदते हैं और हफ्ते भर बाद उसके खराब हो जाने के बाद उसे फ़ेंक देते हैं ? अगर ये नियमित रूप से होता है तो फ्रोज़न फूड सैक्शन में देखें कि फल व सब्जियां अपनी नूट्रिशनल वैल्यू नहीं खोते हैं , अगर उन्हें ताजा होने की स्तिथि में ही रख दिया जाता है. इसलिए जरूरत की चीजों को ही बाहर निकालें , बाकी को एडवांस्ड फ्रिजर  में सही टेम्परेचर पर स्टोर करके रख दें. ये ताजा रहने के साथसाथ ज्यादा महंगे भी नहीं पड़ेंगे. क्योंकि ख़राब होने पर फेंक देना मतलब पैसों की बर्बादी होना ही है. ऐसे में आप बिना नुकसान उठाए अपनी हैल्थ का रखें खयाल.

‘फ्रेंडशिप डे’ पर अपने दोस्तों को दें ये ट्रेंडी गिफ्टस

दोस्ती हर किसी की लाइफ में एक अहम महत्व रखता है. माता-पिता के बिना जैसे लाइफ अधूरी होती है उसी तरह दोस्तों के साथ लाइफ के मजे लेना भी जरूरी है. इसीलिए साल में दोस्ती के लिए एक दिन मनाते हैं ‘फ्रेंडशिप डे’. इस दिन हर कोई अपनी लाइफ में मौजूद खास दोस्तों के लिए कुछ न कुछ करता है या गिफ्ट देता है, लेकिन दोस्त को गिफ्ट क्या दें ये भी जानना जरूरी हैं. लड़का हो या लड़की दोनों के लिए अलग-अलग गिफ्ट देना सही रहता है. आज हम आपको ट्रैंडी गिफ्ट्स के लिए कुछ टिप्स बताएंगे, जिसे आप ‘फ्रेंडशिप डे’ पर अपने खास दोस्तों को देकर उनकी अपनी लाइफ में अहमियत के बारे में बता सकते है.

1. लड़कियों के लिए ज्वैलरी है खास

आजकल ज्वैलरी के मामले में लड़कियों को ट्रेंडी या हल्की ज्वैलरी पहनना ज्यादा पसंद आता है. अगर आप भी अपनी किसी लड़की दोस्त को कुछ गिफ्ट करना चाहते हैं तो ऐसी ज्वैलरी आपके लिए बेस्ट औप्शन रहेगा. हल्की होने की वजह से ये डेली लाइफस्टाइल में आसानी से पहना जा सकता है.

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2. परफ्यूम है ट्रेंडी गिफ्ट

डेली लाइफस्टाइल में आजकल लोगों को परफ्यूम की जरूरत ज्यादा पड़ती है. पार्टी हो या औफिस परफ्यूम लगाए बिना कोई नही निकलता. परफ्यूम एक ट्रेंडी गिफ्ट है जो लड़का हो या लड़की हर किसा को पसंद आता है.

3. लड़कियों को दें पर्स

 

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अगर आप अपनी किसी लड़की को कुछ ऐसा गिफ्ट देना चाहते हैं जो वह डेली इस्तेमाल करें तो बैग्स बेस्ट औप्शन रहेगा. ये ऐसा गिफ्ट है जिसे आपकी दोस्त रोजाना इस्तेमाल के साथ-साथ आपकी दोस्ती को याद रखेगी.

4. हेल्थ वौच रखेगा आपके दोस्त का ख्याल

 

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अगर आप भी अपने दोस्त की हेल्थ की फिक्र करते हैं तो हेल्थ वौच एक बेस्ट औप्शन है. हेल्थ वौच ट्रेंडी गिफ्ट है, जिससे आप अपने दोस्त के साथ जिंदगीभर बिना किसी बीमारी के बिता सकते हैं.

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5. ईयर फोन है बेस्ट औप्शन

आजकल हर कोई सफर हो या घर पर गाने सुनना हर किसी को पसंद आता है. इसीलिए हर किसी लाइफ में ईयरफोन जरूरी होता है. अगर आप भी अपने दोस्त को कुछ ट्रेंडी देना चाहते हैं तो ये गिफ्ट आपके लिए बेस्ट औप्शन होगा.

आर्थिक प्रबंधन है बेहद जरूरी

कोरोना की दूसरी लहर के दौरान रेवती को एक दिन अचानक कुछ कोरोना के लक्षण प्रतीत हुए तो हॉस्पिटल में एडमिड रहना पड़ा,  1सप्ताह बाद जब घर आयीं तब तक उनकी लगभग समस्त जमापूंजी इलाज पर खर्च हो चुकी थी क्योंकि उनके परिवार का कोई मेडिकल बीमा नहीं था.

कोरोना के कारण राजाराम जी की अचानक मृत्यु हो गयी. उनके जाने के बाद जब ऑफिसियल और इंश्योरेंस क्लेम करने के लिए कागजों की तलाश की गई तो पता चला कि उन्होंने किसी को अपना नॉमिनी ही नहीं बनाया था. इससे क्लेम मिलने में देरी तो हुई ही साथ ही नॉमिनी रजिस्टर करवाने के लिए अनावश्यक रूप से अनेकों ऑफिसों के चक्कर भी लगाने पड़े सो अलग.

अस्मिता के घर में वित्तीय मामले उसके पति ही सम्भालते थे. उसे न तो इन्वेस्टमेंट के बारे में कोई जानकारी थी और न ही सेविंग्स के बारे में एक दिन अचानक उसके पति को हार्टअटैक आया और वे चल बसे. उनके जाने के बाद सब कुछ समझने में उसे काफी वक्त लग गया दूसरों की अनावश्यक मदद तो लेनी ही पड़ी साथ ही कई प्लान्स की तो किश्तें भी लेट हो गई जिसके कारण पेनॉल्टी  भरनी पड़ी.

हमारे सामाजिक ढांचे में आमतौर पर भारतीय परिवार पुरुष प्रधान होते हैं घर के आर्थिक मामलों का हिसाब किताब वे ही रखते हैं. इसके अतिरिक्त कई परिवारों में जब पति अपनी पत्नियों को इस बाबत जानकारी देना भी चाहते हैं तो वे, “हमें वैसे ही घर के क्या कुछ कम काम हैं जो अब ये भी सम्भालें कहकर झिटक देतीं हैं.” परन्तु कोरोना जैसे छोटे से वायरस ने मानव जीवन की अनिश्चितता को पूरी दुनिया के सामने ला खड़ा किया है. कब परिवार पर कोरोना कहर बनकर टूट पड़ेगा ये कोई भी नहीं जानता इसलिए वर्तमान परिदृश्य में घर का वित्तीय प्रबंधन करना बेहद आवश्यक है जिसमें बचत, मेडिकल बीमा और इन्वेस्टमेंट जैसे मुद्दे अवश्य शामिल हों.

-परिवार को जानकारी देना है आवश्यक

अपने बचत खाते, डिपॉजिट, लॉकर, क्रेडिट कार्ड प्रोविडेंट फण्ड , लोन, इन्वेस्टमेंट आदि के बारे में अपने जीवन साथी , बच्चों, माता पिता अथवा किसी भरोसेमन्द को अवश्य बताएं. इस सम्बंध में सी ए रविराज जी कहते हैं, “एक डायरी में सभी इन्वेस्टमेंट, बैंक खाते, उनके पिन, और भविष्य में जमा की जाने वाली किश्तों के बारे में विस्तृत विवरण लिखा जाना चाहिए और इसके बारे में परिवार के प्रत्येक सदस्य को जानकारी होना चाहिए ताकि वक़्त पड़ने पर उसका उपयोग किया जा सके.”

-नामांकन करें

पासबुक, एफ डी या आपका अन्य कोई भी इन्वेस्टमेंट हो सभी जगह पर अपनी पत्नी या बच्चों को नॉमिनी अवश्य बनाएं ताकि आपके जाने के बाद क्लेम लेने में किसी भी प्रकार की परेशानी न आये. इसके साथ ही नॉमिनी को अपडेट कराना भी बेहद आवश्यक है क्योंकि विवाह से पूर्व आमतौर पर युवा अपने माता पिता को नॉमिनी बनाते  हैं, इसके अतिरिक्त कई बार जीवन के उत्तरार्द्ध में जीवनसाथी की मृत्यु हो जाती है ऐसे में अपडेट के अभाव में क्लेम लेने में परेशानी आती है

– अपनी वसीयत बनाएं

आपके जाने के बाद आपकी परिसंपत्तियों को लेकर परिवार के सदस्यों में कोई झगड़ा या मनमुटाव न हो इसके लिए वसीयत बनवाना अत्यंत आवश्यक है. कोरोना के इस भयावह काल में अनेकों बच्चों के माता पिता दोनों की मृत्यु हो गयी ऐसे में बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए वसीयत बनाना अत्यंत आवश्यक है जिससे बच्चों की समुचित देखभाल के लिए आप परिवार के विश्वसनीय व्यक्ति को नियुक्त कर सकें

-मेडिकल बीमा करवाएं

आजकल अनेकों बीमा कम्पनियां मेडीकल बीमा करतीं हैं आप अपनी सुविधानुसार परिवार का बीमा करवाएं इससे आपकी बीमारी पर होने वाला खर्च काफी कम हो जाता है, चूंकि इसका प्रीमियम साल में एक बार ही देना होता है इसलिए आसानी से इसे भरा जा सकता है.

-मेडिकल बजट बनाए

आजकल बीमार पड़ने पर पैथोलॉजिकल टेस्ट्स, डॉक्टर की फीस आदि पर बहुत खर्च आता है, आवश्यकता पड़ने पर इन खर्चों को सहजता से मैनेज करने के लिए घर का मेडिकल बजट बनाएं इसमें आप अपनी आय का कुछ भाग प्रतिमाह अवश्य जमा करें ताकि जरूरत पड़ने पर इस अतिरिक्त खर्च को आसानी से मैनेज किया जा सके.

Apps से करें पेरैंट्स की मदद

उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले की रहने वाली पारुल नोएडा में रह कर एमबीए कर रही है. उस के पिता बस्ती जिले के एक सरकारी महकमे में मुलाजिम हैं. पारुल को जब भी पैसों की आवश्यकता पड़ती थी तो पारुल के पापा औफिस से छुट्टी ले कर बैंक की लंबी लाइनों में लग कर पैसे जमा करते थे, जिस के चलते उन्हें तमाम तरह की परेशानियों का सामना भी करना पड़ता था.

इस बार पारुल जब घर आई तो उस ने अपने पापा से कहा कि वे अपने स्मार्टफोन में जिस बैंक का खाता है उस बैंक का ऐप डाउनलोड कर के इंस्टौल कर लें, जिस से उन्हें हर महीने पैसे भेजने के लिए बैंक जाने की जरूरत नहीं रहेगी.

ऐप से पैसे ट्रांसफर करना बहुत ही आसान है और इस से किसी भी बैंक खाते में पैसा ट्रांसफर करना जहां पूरी तरह से सुरक्षित होता है वहीं कुछ ही मिनट में दूसरे के खाते में पैसा वहां पहुंच जाता है.

पापा को पारुल की बात समझ आ गई और उन्होंने बैंक का ऐप डाउनलोड करने को कहा. पारुल ने कुछ ही मिनट में उन के बैंक का ऐप डाउनलेड कर इंस्टौल कर दिया और निर्धारित प्रक्रिया के तहत मोबाइल बैंकिंग का रजिस्ट्रेशन कर पूरी प्रक्रिया समझा दी. अब पापा जहां बैंक जाने से बच गए वहीं वे ऐप के सहारे अपने मोबाइल का बिल, बिजली बिल, डीटीएच रिचार्ज, जैसी सुविधाओं का लाभ भी ले पा रहे हैं.

मोबाइल क्रांति ने सूचना और संचार को न केवल सस्ता सरल व सुलभ बनाया है बल्कि समय की बचत का एक बड़ा माध्यम भी है. आज तमाम उपयोगों में लाए जाने वाले एप्स न केवल घर बैठे खरीदारी की सुविधा उपलब्ध कराते हैं बल्कि होटल बुकिंग, रेल टिकट बुकिंग, हवाई टिकट बुकिंग, कपड़ों की खरीदारी, घर या जरूरी वस्तुओं की खरीदारी, सहित तमाम सुविधाएं मुहैया करा रहे हैं.

बृजेश एक गारमैंट्स की दुकान चलाते हैं एक दिन वे सुबह परेशान थे, क्योंकि उन की दुकान का टैलीफोन बिल जमा करने की आज आखिरी तारीख थी, लेकिन वे दुकान से निकल नहीं पा रहे थे. ऐसे में जब वे घर लौटे तो बेहद परेशान दिख रहे थे. ग्रैजुएशन की पढ़ाई कर रहे उन के बेटे ने उन के परेशान होने का कारण पूछा और जान कर बोला, ‘‘पिताजी, इस में घबराने की क्या बात है अपना फोन दीजिए. आप को हर माह लाइन में लग कर बिल जमा करने की मुसीबत से छुटकारा दिला देता हूं. बृजेश के बेटे ने झट पापा का मोबाइल ले कर उस में ऐप डाउनलोड कर दिया और फिर कुछ ही क्षण में टैलीफोन का बकाया बिल जमा भी कर दिया. बेटे द्वारा डाउनलोड किए गए ऐप के माध्यम से अब वे हर माह समय से टैलीफोन का बिल जमा कर देते हैं.

जिम्मेदारी के बोझ तले दबे पेरैंट्स के लिए स्मार्टफोन ऐप बेहद कारगर साबित हो सकते हैं बस, आप रोजमर्रा की जरूरतों से जुड़े एप्स डाउनलोड कर अपने मांबाप की मदद करें.

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जरूरी एप्स जो पेरैंट्स के काम आएं

डिजिटल इंपावरमैंट फाउंडेशन नई दिल्ली में बतौर आईटी विशेषज्ञ कार्यरत आनंद कुमार का कहना है कि आप रोजमर्रा के काम आने वाले एप्स को अपने पेरैंट्स के फोन में डाउनलोड कर उन की जिम्मदारियों को हलका करने में मदद कर सकते हैं, उदाहरणतया एप्स आधारित टैक्सियों के ऐप अपने स्मार्टफोन में इंस्टौल कर आप टैक्सी को बुक कर सकते हैं. ये टैक्सियां वाजिब दाम की होती हैं.

शौपिंग एप्स

आईटी विशेषज्ञ आनंद कुमार के अनुसार इन एप्स की मदद से आप पेरैंट्स के लिए घर बैठे जरूरत का सामान मंगा सकते हैं, जिस से बाजार जाने से छुटकारा मिल जाता है. फ्लिपकार्ड, अमेजान, ओएलऐक्स जैसी तमाम कंपनियां एप्स के सहारे हर जरूरत का सामान होम डिलीवरी के माध्यम से मुहैया करवा रही हैं.

पत्र पत्रिकाएं व समाचार आधारित एप्स

अगर आप के पेरैंट्स पत्रपत्रिकाएं पढ़ने के शौकीन हैं तो उन के लिए न्यूज एप्स बेहद कारगर साबित हो सकते हैं. इस के लिए न्यूज चैनल, अखबारों, पत्रपत्रिकाओं के एप्स लोड कर पेरैंट्स इन खबरों को पढ़ व देख सकते हैं.

लोकेशन आधारित एप्स

कभीकभी पेरैंट्स को किसी लौंग टूर पर जाना पड़े तो उन्हें पता होना चाहिए कि कौन से रास्ते का इस्तेमाल किया जाए, इस के लिए आप उन के फोन में लोकेशन आधारित एप्स लोड करें इन में से कई एप्स जीपीएस सिस्टम से जुड़े होते हैं, जो चलने वाले स्थान से ले कर पहुंचने वाले स्थान की डिटेल डालने के बाद लोकेशन बताते रहते हैं व वाइस व मैप के माध्यम से भी जानकारी देते हैं.

ऐंटरटेनमैंट व स्पोर्ट्स आधारित एप्स

अगर आप के पेरैंट्स क्लासिकल गाने देखने व सुनने के शौकीन हैं तो उन के लिए तमाम एप्स उपलब्ध हैं. इस के अलावा वीडियो, फिल्म, गाने या अन्य जरूरी डाक्यूमैंट्री देखने के लिए यू ट्यूब्स का ऐप चलाने में सब से आसान माना गया है. इस के अलावा एमएस प्लेयर, सावन, बिग फ्लिक्स इत्यादि भी मनोरंजन उपलब्ध कराने का काम करते हैं.

वहीं अगर पेरैंट्स खेल की दुनिया में ज्यादा रुचि रखते हैं तो इस के लिए द स्कोर्ट ऐप कारगर साबित होगा. इस ऐप के सहारे फुटबौल, बास्केटबौल या अन्य खेल प्रतियोगिताओं के लाइव स्कोर व समाचार की जानकारी ली जा सकती है. अगर वे क्रिकेट के शौकीन हैं तो क्रिकवज नाम का ऐप क्रिकेट से जुड़ी जानकारी देने में मददगार साबित हो सकता है.

चैट व वीडियो कौलिंग आधारित एप्स

अगर आप पेरैंट्स से दूर रह कर पढ़ाई या नौकरी कर रहे हैं तो अपने पेरैंट्स से जुड़ाव के लिए उन के चैट आधारित एप्स का सहारा ले सकते हैं. ये न केवल बातचीत को आसान बनाते हैं बल्कि आप के पेरैंट्स की गतिविधियों व लाइव वीडियो दिखाने में भी मददगार साबित होते हैं. लाइव चैटिंग के लिए कुछ प्रमुख एप्स में व्हाट्सऐप, लिंबज, वाइबर, लाइन, वी चैट गिने जाते हैं. इन एप्स के माध्यम से वीडियोचैटिंग के साथसाथ वीडियो कौलिंग की सुविधा भी निशुल्क मिलती है.

यात्रा टिकट के साथी एप्स

अगर आप के पेरैंट्स कहीं यात्रा का प्लान बना रहे हैं तो ये एप्स उन के लिए एक मार्गदर्शक का काम कर सकते हैं. यात्रा का प्रमुख साधन माना जाने वाला रेल ऐप डाउनलोड कर न केवल घर बैठे टिकट बुक किया जा सकता है बल्कि टे्रनों की स्थिति, गंतव्य इत्यादि की जानकारी भी ली जा सकती है. इस के अलावा हवाई यात्रा टिकट व अन्य तरह की सुविधाओं का लाभ भी लिया जा सकता है.

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स्मार्टफोन में ऐसे करे इंस्टौल

आईटी विशेषज्ञ आनंद कुमार के अनुसार अपने या अपने पेरैंट्स के स्मार्टफोन में जरूरी एप्स डाउनलोड करने के लिए गूगल प्ले स्टोर का सहारा ले सकते हैं. यहां से आप की जरूरत के ज्यादातर एप्स फ्री में डाउनलोड किए जा सकते हैं. प्लेस्टोर में जा कर एप्स से जुड़े कुछ शब्द टाइप करने होते हैं इस के बाद जिस चीज की जरूरत है उन से जुडे़ तमाम एप्स की लिस्ट आ जाती है. इन में से आप अपनी जरूरत के ऐप पर उंगली रख कर डाउनलोडिंग औप्शन चुन सकते हैं. बस, देर किस बात की, आप भी अपने पेरैंट्स की जरूरत के एप्स डाउनलोड कर उन का सहयोग कर सकते हैं.

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