पहले से और ज्यादा खतरनाक हो गए हैं जंक फूड

जंकफूड से होने वाली समस्याओं पर लगातार स्टडीज होती रही हैं. इन स्टडीज से साफ हुआ है कि लोगों की सेहत के लिए जंक फूड बेहद हानिकारक है. पर हम जो खबर ले कर आएं हैं वो इससे भी अधिक गंभीर है. जानकारों की माने तो पिछले तीन दशक में रेस्टोरेंट्स में मिलने वाले जंक फूड्स की क्वालिटी में भारी गिरावट देखी गई है. रेस्ट्रोरेंट्स ने अपने मेन्यू में स्प्राउट् को ऐड किया है पर जंक फूड को बनाने में सोडियम की मात्रा को बढ़ा दिया है. इससे लोगों में मोटापे की शिकायत और बढ़ गई है.

हाल ही में प्रकाशिक एक जर्नल के मुताबिक, पिछले 30 सालों में जंक फूड की क्वालिटी में भारी गिरावट आई है और इससे लोगों की सेहत पर पहले से ज्यादा बुरा असर हो रहा है. शोध में शामिल लोगों की माने तो जंक फूड हमेशा से लोगों की सेहत के लिए हानिकारक रहा है पर बीते तीस सालों में इसकी हालत और खराब हुई है. आलम सये है कि बहुत से लोगों के मौत का कारण बन गया है जंक फूड.

आपको बता दें कि स्टडी में 1986 से ले कर 2016 के बीच में 10 रेस्टोरेंट्स के जंक फूड का अध्ययन किया गया. इसका मुख्य उद्देश्य ये पता करना था कि बदलते वक्त के साथ इसमें क्या बदलाव हो रहे हैं और इससे लोगों की सेहत पर क्या असर हो रहा है.

स्टडी में आए परिणामों के मुताबिक, इन सभी रेस्टोरेंट्स में स्टार्टर, डेजर्ट और अन्य व्यंजनों में 226 प्रतिशत की भारी भरकम बढ़ोतरी हुई है. शोधकर्ताओं को लगता है कि जंक फूड और मोटापे के बीच में गहरा रिश्ता है. उनके मुताबिक, लोगों का जंक फूड की तरफ बढ़ता रुझान उनकी सेहत पर नकारात्मक असर डाल रहा है.

स्टडी में ये बात सामने आई कि रेस्टोरेंट्स ग्राहकों को ज्यादा जंक फूड परोस रहे हैं. इसके चलते हमारी बौडी में सोडियम की मात्रा बढ़ रही है. इससे लोगों की सेहत का खासा नुकसान हो रहा है.

वजन कम करने के लिए इन चीजों को करें अपनी डाइट में शामिल

कब हमारा वजन बढ़ने लगता है हमें पता नहीं लगता, जब तक एहसास होता है देरी हो चुकी होती है और इसके बाद वजम कम करना मुश्किल हो जाता है. ऐसे में जरूरी है कि हम अपनी डाइट पर खासा ध्यान दें. वजन कम करने में शरीर के मेटाबौलिज्म की भूमिका अहम होती है. जिन लोगों के शरीर की मेटाबौलिज्म अच्छी होती है उनका वजन जल्दी कम होता है. इसके अलावा वजन कम करने में डाइट का काफी अहम योगदान होता है, इसलिए अपनी डाइट में सही मात्रा में न्यूट्रिएंट्स को शामिल करें.

आमतौर पर लोग वजन कम करने के लिए प्रोटीन का इस्तेमाल करते हैं. प्रोटीन से शरीर का मेटाबौलिज्म मजबूत होता है. पर इस खबर में हम आपको प्रोटीन के अलावा और भी न्यूट्रिएंट्स के बारे में बताएंगे जिनको अपनी डाइट में शामिल कर आप अपना वजन कम कर सकती हैं.

कैल्शियम

हड्डियों और दांतों को मजबूत रखने के साथ साथ कैल्शियम वजन घटाने में भी काफ मददगार होता है. कई स्टडीज में ये बात सामने आई कि कैल्शियमयुक्त डाइट लेने से वजन बढ़ने का खतरा कम रहता है.

फाइबर

वजन कम करने के लिए फाइबर का इस्तेमाल बेहद जरूरी है. फाइबर दो तरह के होते हैं, सौल्यूबल और इनसौल्यूबल, ये दोनों ही सेहत के लिए जरूरी होते हैं. इसके सेवन से हार्मोन्स बैलेंस्ड रहते हैं. फाइबर के डाइजेशन में काफी वक्त लगता है जिसके कारण लंबे समय तक आपको भूख नहीं लगती है. इससे आप अधिक खाना नहीं खाते और आपका वजन कंट्रोल में रहता है.

ओमेगा-3 फैटी एसिड

दिल की सेहत के लिए और स्किन के लिए ओमेगा-3 फैटी एसिड काफी लाभकारी होता है. इससे भूख कंट्रोल में रहती है. जानकारों की माने तो ओमेगा-3 फैटी एसिड से मेटाबॉलिज्म मजबूत होता है. साथ ही ज्यादा कैलोरी बर्न होती हैं.

पोटैशियम

ये भी बेहद जरूरी न्यूट्रिएंट है. आमतौर पर लोग इसे अहमियत नहीं देते. शरीर के बहुत से टौक्सिंस को बाहर करने में ये बेहद मददगार होता है. इसे अपनी डाइट में सामिल करने से किडनी और दिल ठीक ढंग से काम करते हैं.

ये एक मिनट का एक्सरसाइज, 45 मिनट के जौगिंग के बराबर है

लंबी लाइफ के साथ अच्छी सेहत के लिए एक्सरसाइज बेहद जरूरी होता है. इससे शरीर से भारी मात्रा में पसीना निकलता है जिसके साथ शरीर की बहुत सी गंदगियां बाहर निकल जाती हैं. हाल ही में एक स्टडी में ये बात सामने आई कि एक्सरसाइज करने से उम्र लंबी होती है और आप स्वस्थ रहती हैं. पर जिस तरह की लोगों की लाइफ हो चुकी है, एक्सरसाइज के लिए समय निकालना सबके बस की बात नहीं रही. ऐसे में हम आपको एक ऐसा एक्सरसाइज बताने वाले हैं जिसे सिर्फ एक मिनट तक कर के 45 मिनट के बराबर का फायदा लिया जा सकता है.

हाल ही में एक शोध के मुताबिक सिर्फ एक मिनट के हाई इंटेंसिटी एक्सरसाइज करने से शरीर को 45 मिनट की जौगिंग या लो इंटेंसिटी एक्सरसाइज करने के बराबर फायदा होता है. इस स्टडी में लोगों को हाई इंटेंसिटी एक्सरसाइज के नाम पर स्प्रिंट करने को कहा गया.

इस टेस्ट में शोधकर्ताओं ने सभी लोगों को दो समूहों में बांट दिया, इसमें एक ग्रुप को 12 हफ्तों तक लगातार हर 10 मिनट के बाद हाई इंटेंसिटी एक्सरसाइज जैसे स्प्रिंट करनी थी. वहीं, दूसरे ग्रुप ने घंटों पसीना बहाकर लो इंटेंसिटी एक्सरसाइज की.

तय वक्त के बाद लोगों की मांसपेशियों और दिल की सेहत की जांच की गई. नतीजों से ये स्पष्ट हुआ कि लिन लोगों ने सिर्फ एक मिनट की हाई इंटेंसिटी एक्सरसाइज की उनको भी उतना ही फायदा हुआ, जितना घंटों तक लो इंटेंसिटी एक्सरसाइज करने वालों को हुआ.

अगर आपका बच्चा भी करता है ऐसा तो समझ जाइए उसे तनाव है

आजकल लोगों की लाइफस्टाइल ऐसी हो गई है कि अधिकतर लोग तनाव से ग्रसित हैं. और इसके शिकार केवल बड़े ही नहीं हैं, बल्कि छोटे बच्चे भी हैं. बहुत से लोगों को लगता है कि तनाव केवल बड़ों को होता है, बच्चों को नहीं, उनके लिए ये खबर जरूरी है, क्योंकि इससे उनका भ्रम टूटेगा. हर उम्र के अपनी अलग चुनौतियां होती हैं, और ये चुनौतियां बच्चों को भी मिलती हैं.

हाल ही में एक स्टडी में बच्चों को होने वाले तनाव के बारे में पता चला है. स्टडी के मुताबिक, अगर आपका बच्चा स्कूल ना जाने के बहाने बनाता है और सिर्फ घर पर बैठना चाहता है, तो ये संभव है कि आपका बच्चा तनाव से परेशान हो.

अमेरिका की एक युनवर्सिटी में हुए शोध की माने तो अगर आपका बच्चा स्कूल जाने से कतराता है या स्कूल में उसकी अटेंडेंस कम है तो इसका कारण तनाव हो सकता है.

इस स्टडी को करते हुए स्कूल की अटेंडेंस को 4 भागों में बांट दिया गया. आसान शब्दों में उन्होंने वो कारण चिन्हित किए जिसके चलते बच्चे स्कूल से छु्ट्टी लेते हैं. वो चार कारण थे- कभी-कभी स्कूल ना जाना, बीमारी के चलते छुट्टी, बिना किसी कारण के छुट्टी, स्कूल जाने से साफ इंकार. अब शोधकर्ताओं को अध्ययन करके पता चला कि बिना किसी कारण के जो छुट्टी ली जाती है, उसमें सबसे बड़ा कारण तनाव होता है.

जानकारों ने इस बात पर चींता जाहिर की कि इसनी छोटी उम्र के बच्चे तनाव से ग्रसित हो रहे हैं. उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि ये तनाव बच्चों की पढ़ाई के साथ उनकी सामाजिक और आर्थिक विकास में भी बाधा बन सकता है.

9 घंटे से अधिक काम करने वाली महिलाएं है तनावग्रस्त

इस भागदौड़ भरी जिंदगी में अपने लिए सम निकालना एक बड़ी चुनौती बनी हुई है. हमेशा आगे निकलने की होड़ में पीछे छूट जाने का डर रहता है, यही कारण है कि लोग औफिस में अधिक काम करने को मजबूर होते हैं. पर जरूरत से अधिक कोई भी चीज खतरनाक होती है. हाल ही में एक स्टडी में ये बात सामने आई है कि जो महिलाएं 9 घंटे या उससे अधिक काम करती हैं उनमें डिप्रेशन का खतरा अधिक रहता है.

स्टडी के मुताबिक जो महिलाएं एक हफ्ते में 55 घंटे से ज्यादा काम करती हैं, उन्हें डिप्रेशन होने का खतरा 7.3 प्रतिशत ज्यादा बढ़ जाता है. वहीं महिलाएं, जो एक हफ्ते में 35-40 घंटे काम करती हैं, वो मानसिक रूप से अधिक स्वस्थ और तनाव मुक्त रहती हैं.

जानकारों का कहना है कि ऐसा इस लिए भी है क्योंकि उन्हें केवल औफिस का काम नहीं देखना होता है, बल्कि उनके लिए घर का कामकाज भी तनाव का मुख्य कारण होता है. स्टडी में ये बात भी सामने आई कि जो महिलाएं वीकेंड में भी काम करती हैं, वो ज्यादातर सर्विस सेक्टर की होती हैं और उनकी सैलरी दूसरों की तुलना में कम होती है. अब जब सैलरी कम हो तो इंसान पर तनाव तो बढ़ता ही है और फिर वो डिप्रेशन का शिकार हो जाती हैं. आपको बाता दें कि इस स्टडी में 12,188 कामकाजी महिलाओं को शामिल किया गया था.

डिप्रेशन से बचना है तो करिए जौगिंग

खराब लाइफस्टाइल और खराब खानपान का नतीजा है लोगों में बढ़ते डिप्रेशन का कारण. डिप्रेशन से बचने के लिए लोग तरह तरह की दवाइयों का सेवन करते हैं. पर इस खबर में हम आपको डिप्रेशन से बचने के लिए एक बेहद आसान तरीका बताने वाले हैं. अगर आप रोज 15 मिनट रोज जौगिंक करती हैं या कोई व्यायाम करती हैं तो डिप्रेशन का खतरा काफी कम हो सकता है.

हाल ही में हुई एक स्टडी की माने तो अगर हम हर रोज सिर्फ 15 मिनट जौगिंक करते हैं तो डिप्रेशन की खतरा काफी कम हो सकता है. अगर आप जौगिंग नहीं करना चाहती तो इसकी जगह पर आप कोई भी शारीरिक व्यायाम कर सकती हैं.

बहुत से एक्सपर्ट्स का मानना है कि जो लोग डिप्रेशन के शिकार हैं अगर वो रोज सुबह जैगिंग करते हैं तो उनके लिए ये बेहद कारगर होगा. ऐसा करने से हार्ड 50 प्रतिशत और तेजी से पंप करने लगता है. आपको बता दें कि इस स्टडी में 6 लाख से अधिक लोग शामिल थे. इन लोगों में से कुछ को एक्सेलेरोमीटर पहनाए गए थे, वहीं कुछ ने अपने फिजिकल वर्क की सेल्फ रिपोर्टिंग  की थी. इस एक्सपेरिमेंट से ये समझ में आया कि जिन लोगों ने एक्सेलेरोमीटर पहने थे और एक्सरसाइज भी की थी, उनमे डिप्रेशन का खतरा कम था उन लोगों के तुलना में जिन्होंने एक्सेलेरोमीटर नहीं पहने थे. स्टडी से ये भी साफ हो गया है कि आपके डीनए (DNA)का डिप्रेशन से कोई लेना देना नहीं है.

डिप्रेशन जेनेटिक परेशानी नहीं है, इसका ये मतलब हुआ कि अगर आपके माता, पिता को ये समस्या है तो जरूरी नहीं कि ये आपको भी हो. ऐसे में आप 20 30 मिनट जौगिंग कर के इस समस्या से निजात पा सकती हैं.

इन चीजों को डाइट में शामिल कर दूर करें जोड़ों का दर्द

बढ़ते उम्र के साथ लोगों को घुटने में दर्द की शिकायत होने लगती है. इसे आर्थराटिस भी कहते हैं. ये कई तरह के होते हैं. पर प्रमुखता से इसे दो हिस्सों में बांटा गया है. औस्टियोआर्थराइटिस और ह्यूमनौयड आर्थराइटिस. आम तौर पर लोग इसका सही से देखभाल नहीं करते हैं, पर सही देखरेख में इसका इलाज संभव है. दवाइयों के अलावा आर्थराइटिस के मरीजों को अच्छे खानपान की भी जरूरत होती है. इस खबर में हम आपको कुछ खाद्य पदार्थों के बारे में बताएंगे जिनको अपनी डाइट में शामिल कर
आप इस बीमारी से नीजात पा सकती हैं.

लहसुन

इस बीमारी में लहसुन काफी असरदार होता है. इसके सेवन से जोड़ के दर्द में खासा आराम मिलता है.

हल्दी

हल्दी में करक्यूमिन पाई जाती है जो आर्थराइटिस में काफी मददगार होती है. इससे जोड़ों का दर्द कम होता है. आर्थराइटिस के मरीज अपनी डाइट में हल्दी जरूर शामिल करें. इसके अलावा कास्टर औयल में मिलाकर हल्दी को अपने जोड़ों पर भी लगा सकते हैं.

फैटी फिश

सेलमन, कोड, टूना जैसी मछलियां फैटी फिश हैं. इनमें ओमेगा-3 फैटी एसिड और निटामिन डी भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. मांसपेशियों के सूजन को दूर करने में ये काफी लाभकारी होता है. इसके अलावा सोयाबीन, अखरोट का सेवन करना भी काफी असरदार होता है.

फल और सब्जियां

इस बीमारी में फल और सब्जियों का सेवन बेहद जरूरी है. आर्थराइटिस के मरीजों को फल और सब्जियों का सेवन करते रहना चाहिए. फल और सब्जियों में डाइजेस्टिव एंजाइम्स, एंटी-इंफ्लामेट्री कंपाउंड शामिल होते हैं, जो आर्थराइटिस की समस्या को दूर करते हैं. इसके अलावा फलों में पपीता, पाइनएप्पल भी काफी असरदार होते हैं.

वजन कम करना चाहती हैं तो ऐसे करें वौकिंग

वजन कम करने के लिए लोग क्या क्या नहीं करते हैं. जिम, डाइटिंग, एक्सरसाइजेज और भी ना जाने क्या क्या. पर क्या आपको पता है कि केवल वौक कर के ही आप अपना वजन कम कर सकती हैं. जिस तरह से लोगों का बिजी सेड्यूल है, इसमें जिन या एक्सरसाइज करना सबके बस की बात नहीं है, ऐसे में वौक कर वजन कम करना एक बेहतर औप्शन है.

इस खबर में हम आपको वौक के दौरान कुछ ट्रिक्स बताएंगे जिन्हें अपना कर आप अपने वजन को कम कर सकेंगी.

ढलान वाली जगह पर चलें

जल्दी मोटापा कम करना चाहती हैं तो ढलान वाली जगहों पर चलें. इससे अधिक कैलोरी बर्न होती है. इस तरह चलने से आप 30 फीसदी ज्यादा कैलोरी बर्न कर सकते हैं. साथ ही इस तरह चलने से मांसपेशियां और मेटाबौलिज्म दोनों मजबूत होंगे.

चलने की गति में करें बदलाव

कई स्टडीज में से बात सामने आ चुकी है कि चलने से कैलोरी बर्न होती है. पर इस दौरान अगर आप गति बदल बदल के चलती हैं तो और अधिक कैलोरी बर्न होगी. जानकारों की माने तो चलने की गति में बदलाव करने से मेटाबौलिज्म 20 फीसदी ज्यादा बेहतर तरीके से काम करता है. हफ्ते में एक बार लंबी वौक पर जरूर जाएं.

सीढ़ियां चढ़ें

सीढिंयों पर चढ़ने की आदत बना लें. इससे ज्यादा मात्रा में कैलोरी बर्न होती है. एलिवेटर और लिफ्ट के बजाए सीढ़ियों का इस्तेमाल करें.

दिन में खूब चलें

जो लोग वर्कआउट करते हैं उनका समय तय रहता है. पर अगर आप जल्दी वजन कम करना चाहती हैं तो दिनभर में ज्यादा से ज्यादा चलने की कोशिश करें. अपनी दिनचर्या में 20 से 25 मिनट का वौक जरूर शामिल करें. जब भी आपको तनाव हो, वौक जरूर करें.

केवल फायदेमंद नहीं होता खीरा, जानिए नुकसान

खीरा खाने के कई फायदे हैं. गर्मी के मौसम में तो खास कर के  खीरा खाने की बात कही जाती है, इससे पेट की गर्मी शांत रहती है. इसके अलावा भी खीरे में ऐसे बहुत से तत्व पाए जाते हैं जो सेहत के लिए लाभकारी होते हैं. पर क्या आपको पता है कि खीरा खाने के नुकसान भी होते हैं?

इस खबर में हम आपको खीरा से होने वाले नुकसान के बारे में बताएंगे.

हो सकता है दर्द का अनुभव

अधिक मात्रा में खीरा खाने से आपका पेट भरा रहता है. ऐसा इसलिए क्योंकि खीरा फाइबर का प्रमुख स्रोत है. पर ज्यादा खीरा खाने से आपको डकारे आ सकती हैं और दर्द का अनुभव भी हो सकता है.

गर्भवती महिलाओं संतुलित मात्रा में खाएं खीरा

गर्भवती महिलाओं को खीरा खाने की सलाह दी जाती है पर इसकी मात्रा संतुलित होनी चाहिए. जरूरत से अधिक खीरा खाने से उन्हें मूत्रत्याग के लिए बार बार जाना पड़ सकता है. ऐसा इसलिए क्योंकि खीरे में पानी की मात्रा अधिक होती है. गर्भवती महिलाओं के लिए बार बार मूत्रत्याग के लिए जाना असुविधाजनक होता है. ऐसे में जरूरी है कि आप संतुलित मात्रा में खीरे का सेवन करें.

साइनसाइटिस के मरीज रहें खीरा दूर

साइनसाइटिस के मरीजों को खीरा से परहेज करने की सलाह दी जाती है. ऐसा इस लिए क्योंकि खीरे की तासीर ठंडी होती है. ऐसे में साइनसाइटिस के मरीजों के लिए खीरे का सेवन खतरनाक होता है.

इसलिए जरूरी नहीं है कि खीरा खाते वक्त केवल इसके फायदों के बारे में ही ना सोचें, इसके कई नुकसान भी हैं और जरूरी है कि उन्हें भी ध्यान में रखा जाए.

त्वचा से लेकर वीर्य के लिए लाभकारी है प्याज, जानिए और भी गुण

हमारे रोज रोज के खानपान में प्याज एक अहम हिस्सा है. खाने में स्वाद बढ़ाने के लिए प्याज जरूरी है, साथ में अपने सेहतमंद गुणों के कारण ये और अधिक खास हो जाता है. इस खबर में हम आपको प्याज से होने वाले फायदों के बारे में बताएंगे.

सर्दी जुकाम में है लाभकारी

सर्दी जुकाम और कफ की समस्या में भी प्याज काफी असरदार होता है. इस दौरान इसके सेवन से गले को काफी आराम मिलता है. कफ होने पर प्याज के रस में मिश्री मिलाकर चाटने से काफी फायदा मिलता है.

बालों का रखे ख्याल

बालों के झड़ने में भी ये काफी असरदार होता है. अगर आपके बाल झड़ रहे हो तो आपको प्याज का सेवन खाने में करना चाहिए. इससे बालों की जड़ें मजबूत होती हैं.

त्वचा के लिए है फायदेमंद

आपको बता दें कि प्याज में एंटी-इंफ्लेमेट्री, एंटी-एलर्जीक, एंटी-औक्सीडेंट और एंटी-कार्सिनोजेनिक गुण होते हैं. अपने इन गुणों के कारण ये कई तरह के रोगों में बेहद लाभकारी हो जाता है. इससे बहुत सी बीमारियां दूर होती हैं, कई लोगों का ये भी मानना है कि प्याज के नियमित सेवन से लोगों की आयु भी अधिक होती है. इसके साथ साथ त्वचा की झुर्रियों में भी ये बेहद लाभकारी है   और इससे त्वचा में रौनक बरकरार रहती है.

वीर्य के लिए है फायदेमंद

अपनी इन खूबियों के अलावा वीर्यवृद्धि के लिए भी सफेद प्याज के रस को शहद के साथ इस्तेमाल किया जाता है. नपुंसकता को दूर करने में ये काफी असरदार होता है.

डायबीटिज में है असरदार

डायबिटीज के मरीजों के लिए भी कच्चा प्याज काफी लाभकारी होता है. इसे खाने से शरीर में इंसुलिन पैदा होती है. शरीर में शुगर के लेवल को बैलेंस करने में भी प्याज का अहम योगदान होता है.

 

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