जब घर बन जाए जंग का मैदान

‘‘अ रे यार मुझे तो घर में रहना पसंद ही नहीं है, जब देखो दोनों चिकचिक करते रहते हैं. इसे घर नहीं कहते हैं, मुझे तो बाहर दोस्तों के साथ ही अच्छा लगता है या फिर अपना कमरा, जहां लैपटौप पर मूवी देखो व मोबाइल से गप्पें मारो, बस यही हमारी दुनिया है और हमारा सुकून. हमें जो पसंद है वही करेंगे,’’ गुडि़या अपनी सहेली से कह रही थी. वह हमेशा अपने घर से दूर भागती है, जहां मांबाप बातबात पर झगड़ते हैं. उस ने कभी उन्हें प्यार से बात करते ही नहीं सुना, वह घर से बाहर सुकून तलाशने लगी.

आज सुबहसुबह नीलेश का फोन आया, बहुत गुस्से में था, ‘‘दीदी, आज मैं पूरी तरह हार गया. इन का कुछ नहीं हो सकता. जब देखो भूखे शेर की तरह खाने को दौड़ते हैं. जरा सा भी चैन नहीं है. बातबात पर झगड़ा करते रहते हैं, एक भी चुप नहीं होना चाहता है,’’ नीलेश गुस्से में लालपीला हो रहा था.

‘‘हां सही बात है भाई कितना लड़ते हैं, हम  कितना भी अच्छा करें इन्हें संतुष्टि नहीं मिलती है. कभी आपस में ?ागड़ेंगे तो कभी हमारे सिर पर तलवार लटकी रहती है,’’ निशा कुछ कहती कि तभी दूसरा भाई आ गया.

वह भी गुस्से में अपना आपा खोने लगा, ‘‘इस घर में कभी शांति नाम की चीज नहीं मिलेगी. घर का माहौल इतना खराब रहता है कि हम 2 पल चैन से बैठे नहीं सकते, नौकरी का  काम घर से ही चलता है, मन करता है दूसरे शहर चला जाऊं. इन के लिए हम करकर के मर जाएंगे तो भी इन को कभी संतुष्टि नहीं मिलेगी, ?ागड़ने के लिए कुछ नहीं मिला तो सूई हमारी तरफ घूम जाती है. हम इतने बड़े पद पर काम करते हैं, इन के साथ खड़े होने में शर्म आती है.’’

इधर बात करते समय नीलेश भी उग्र हो गया, ‘‘यार, इन्हें मरना हो मरें, कम से कम हमें तो चैन से जीने दें. दो पल खुशी नहीं दे सकते हैं, मैं तो भविष्य में अपने बच्चों पर इन का साया नहीं पड़ने दूंगा, दीदी तुम मुझे कुछ मत कहना.’’

उच्च शिक्षित परिवार के युवाओं का इस तरह बातें करना, सड़क किनारे ?ोंपड़पट्टी के परिवार की तरह लग रहा था. प्रवीण की उच्च पद पर नौकरी लगी, लेकिन उस ने आज तक अपने मित्रों को घर नहीं बुलाया. यदि कोई आने के लिए कहता तो वह बहाना बना कर बाहर ही मिलता क्योंकि घर में घुसते ही स्वयं उस के चेहरे के भाव बदल जाते हैं. उस के पिता बातबात पर औकात की बातें करते, मां को बिना बात मानसिक रूप से टौर्चर करते.

जब धैर्य खत्म हो जाए

आज सुबह से घर का माहौल खराब था क्योंकि नाश्ता समय पर नहीं मिला, मां देर से उठी थीं. उन्होंने मां को खूब सुनाना शुरू कर दिया और सुनातेसुनाते पुरानी बातें भी निकालनी शुरू कर दीं. जब वे उन पर हावी होने लगे तो अंत में मां का धैर्य खत्म हो गया. कितना सहन करतीं. सुबहसुबह घर में तूतू, मैंमैं हो गई. प्रवीण व उस की बहन ने घर के माहौल को ठीक करने की कोशिश की तो दोनों का गुस्सा अपने बच्चों पर फूट पड़ा. प्रवीण ने गुस्से में कह दिया कि यदि इतनी तकलीफ है तो तलाक दे दो और शांति से रहो. इन शब्दों ने आग में घी का काम किया. अब अगले कुछ दिन अंतहीन जंग होने वाली है. यह बोझिल माहौल कई दिनों तक खत्म नहीं होता है.

कृति अपने मम्मीपापा की इकलौती संतान है. उस ने अपने मम्मीपापा के बीच हमेशा खटपट ही देखी है. बचपन में एक बार उस की मम्मी ने उस से पूछा था कि कृति तुम मम्मा के पास रहोगी या पापा के पास. कृति का पूरा बचपन इसी डर में बीता कि पता नहीं मम्मीपापा कब तलाक ले कर अलग हो जाएं. अब उस की शिक्षा पूर्ण हो गई लेकिन उस के मम्मीपापा का एकदूसरे पर आरोपप्रत्यारोप जारी हैं. इसी कारण वह अपने घर से दूर होस्टल चली गई थी. आज घर पर आने के नाम से भी उसे चिढ़ होने लगी. कृति कहती है, ‘‘मैं इतनी दूर चली जाऊंगी जहां सुकून से रहूं. मुझे वापस आना ही नहीं है, न ही वे मेरे पास आ सकतें है.

दोटूक जवाब

शिक्षा पूरी होने के बाद शादी के नाम पर कृति ने अपनी मां को दोटूक जवाब दे दिया, ‘‘मुझे शादी नहीं करनी है. किसी को घर में मत  बुलाना और न ही मुझ से पूछना. मेरा जब भी मन होगा खुद शादी कर लूंगी. उस की मां ने समझने की कोशिश की तो उस ने मां को पलट कर जवाब दिया, ‘‘तुम कौन से सुखी हो. बचपन से देख रही हूं, रोती रहती हो, कितना झगड़ते हो. तलाक क्यों नहीं ले लेते? यदि शादी ऐसी होती है तो मुझे शादी नहीं करनी है. मुझे शादी के नाम से भी नफरत है. पापा और आप कितना झगड़ते हैं. कुछ नहीं रखा है इन रिश्तों में… सिर्फ बंदिशें ही हैं. इस से तो हमारा जमाना अच्छा है कि हम पहले डेट करते हैं, साथ में रह कर देखते है, विचार मिले तो लिवइन में रहो वरना अलग हो जाओ. मैं अकेली रहूंगी.’’

मां सीमा अपनी बेटी की बात सुन कर अवाक खड़ी थी. आज उसे एहसास हुआ कि आपसी मतभेद व बहस ने उस के कोमल मन पर कितना नैगेटिव असर छोड़ा है. जानेअनजाने में अपने दुख को साझ कर के उस ने अपनी बेटी को भी उस का हिस्सा बना लिया. आज पतिपत्नी चाह कर भी नौर्मल नहीं हैं. कृति को उन्होंने ख़ूब समझाया कि यह आम बात है. हर घर में झगड़े होते हैं लेकिन कृति का गुबार बाहर आ गया, ‘‘जाने दो आप अपनी दुनिया में मस्त रहो व मुझे अपने अनुसार जीने दो.’’

शांति बिखर जाती है

इसी तरह साहिबा और साहिल एक दिन अपने मम्मीपापा व दादी के साथ लूडो खेल रहे थे. खेलतेखेलते मम्मी ने साहिल से कहा पापा कि गोटी मार दो तो पापा के गुस्सा 7वें आसमान जा पहुंचा. वे जोर से बोले कि तुम अपने खेल से मतलब रखो. नतीजा यह हुआ कि खेल कुछ ही पलों में जंग का मैदान बन गया. साहिबा ने हंसते हुए माहौल को बदलने की कोशिश की लेकिन तब तक कोल्ड वार शुरू हो गया, पलभर में शांति बिखर गई.

समुद्र किनारे बैठे एक युवा से बात हुई (बदला हुआ नाम) विजय भी अपने मांबाप का इकलौता बेटा है. लेकिन उस ने अपने घर में जो देखा उस के बाद उसे किसी से भी कोई सरोकार नहीं है. न उस के पेरैंट्स का स्वार्थ, उपेक्षा व झगडे ने उन के रिश्ते में जहर घोलने का काम किया है. गालीगलौज से बात करना उसे पसंद नहीं आया और उस ने अपना जिंदगी का रास्ता बदल दिया.

दोस्तों ने उस से कहा भी कि तुम अकेले हो तो तुम्हें यहीं रह कर अपना भविष्य देखना होगा. तुम्हारे मातापिता को बुढ़ापे में तुम्हारी जरूरत होगी.

तब विजय ने टका सा जवाब दिया कि मैं अब इस नर्क में नहीं रह सकता हूं, उन्होंने अपने जीवन जी लिया है. मैं अपना जीवन अपने तरीके से जीना चाहूंगा. मैं थक गया हूं इन के ?ागड़ो से, मु?ो प्यार के दो शब्द सुनने को नहीं मिलते हैं, न घर में हंसीमजाक होता है. डर लगता है कब किस बात पर बम फूट जाए. उस के चेहरे पर उदासी और दुख साफ नजर आ रहा था.

फिर कई युवाओं से बात की तो उन्होंने कहा, ‘‘हम युवा पीढ़ी इसी कारण से घर से दूर अपने दोस्तों के साथ सुकून तलाशती है. यही कारण है कि अपने घर लौटना नहीं चाहती हैं. यदि विदेश चले जाएं तो हमारे मातापिता कभी भी दखलंदाजी नहीं कर सकते हैं.’’

क्या कहते हैं ऐक्सपर्ट

मनोवैज्ञानिक ऐक्सपर्ट कहते हैं कि पेरैंट्स के बीच होते झगड़े व मतभेद बच्चों में ऐंग्जाइटी, डिप्रैशन, असहजता, एकाकीपन यहां तक कि आगे चल कर रिलेशनशिप में भी परेशानी उत्पन्न करने में सक्षम है. इस से बच्चों की शादीशुदा जिंदगी कितनी ख़राब होगी, इस का अंदाजा उन के मातापिता को नहीं होता है. बच्चे जो देखते हैं उन के दिमाग पर वही अंकित हो जाता है. हर बच्चा अपने पेरैंट्स से सलाह, मार्गदर्शन व सपोर्ट चाहता है. बच्चों में पेरैंट्स के झगड़े नैगेटिव विचारों का काम करते हैं. हर पतिपत्नी में झगड़े होते हैं लेकिन पेरैंट्स के ये झगड़े युवाओं के मन पर दीर्घकालिक प्रभाव छोड़ रहे हैं.

आज की युवा पीढ़ी अपने में मस्त रह कर जीना चाहती है. युवाओं का यह आक्रोश गलत नहीं है. मातापिता को यह समझना होगा कि उन के झगड़े में बच्चे पिस रहे हैं. भविष्य में इस के दूरगामी परिणाम हो सकते हैं. युवा अपने साथी से स्वस्थ और संतुलित संपन्न बनाने में समस्याओं का सामना कर सकते है. प्रेम और विश्वास की डोर की जगह असुरक्षा की भावना उत्पन्न होती है.

शायद यही वजह है कि अपने पेरैंट्स को देख कर युवा पीढ़ी अपनी पसंदनापसंद शादी के पहले ही तय कर लेती है. उस का कहना है कि हम अपनी तरह अपने बच्चों को असुरक्षा की भावना नहीं दे सकते हैं. पेरैंट्स को आज आंकलन की बहुत ज्यादा जरूरत है नहीं तो उन का यह व्यवहार आने वाली पीढ़ी को गलत दिशा में प्रेरित करेगा जो भविष्य की नींव को खोखला कर सकता है.

 

Wedding Special: वैवाहिक रिश्ते कभी प्यार कभी तकरार

रमोला और अक्षत के प्रेमविवाह को करीब 4 वर्ष हो चुके थे. दोनों की एक छोटी बेटी भी थी, पर ऐसा लगता था कि दोनों के बीच प्रेम कपूर बन उड़ गया हो. दोनों ही गरममिजाज थे. उन का झगड़ा कहीं भी कभी भी, किसी भी जगह शुरू हो जाता. जब दोनों गुस्से में होते तो उन्हें यह भी ध्यान नहीं रहता कि वे किस के सामने झगड़ रहे हैं. जब वे एकदूसरे पर दोषारोपण कर रहे होते तो बेटी उन्हें सहमी सी देखती.

एक बार रमोला की मम्मी बेटीजमाई के घर गई हुई थी. आएदिन दोनों आदत के अनुसार उन के समक्ष भी बहस कर लेते. ज्यादातर बहस घरेलू कामों को ले कर होती थी. चूंकि रमोला भी नौकरी थी तो उसे लगता अक्षत उस की मदद करे. मगर अक्षत मनमौजी सा इंसान था. जब मन होता करता वरना हाथ नहीं बंटाता.

उन के घर के कलहयुक्त वातावरण से घबरा कर रमोला की मम्मी एक दिन बोल पड़ीं, ‘‘यदि नहीं पटती है तो दोनों अलग हो जाओ. जबरदस्ती साथ रह कर दुखी मत रहो. बच्ची पर भी इस का गलत असर पड़ रहा है.’’

‘‘पर पहले जरा यह सोचो कि एकदूसरे की किन खूबियों को देख कर तुम दोनों ने प्रेमविवाह किया था. हमें तो लगा था एकदूजे को पसंद करते होंगे पर तुम दोनों के व्यवहार से तो ऐसा नहीं लगता है. ऐसे में ?अच्छा है कि अलग ही हो जाओ.’’

फिर उन्होंने विपरीत मानसिकता से दोनों को हैंडल किया. कहना नहीं होगा कि उस के बाद दोनों के व्यवहार में एकदूसरे के प्रति संवेदनशीलता बढ़ी, दोनों एकदूसरे का ध्यान रखने लगे.

छोटीछोटी बातों पर झगड़ा

यहां तो खैर दोनों ही एक स्वभाव के थे और संयोग से बात बन गई पर कई बार एक नए जोड़े में कोई एक बहुत गुस्सैल स्वभाव का होता है. यह गुस्सैल व्यवहार किसी का भी हो सकता है. ऐसे व्यवहार वाले दूसरे पर हावी हो जाते हैं.  छोटीछोटी बातों पर उन का पारा गरम हो उठता है. ऐसे लोग अपने जीवनसाथी के प्रति बेहद कटु होते हैं. प्रेम, इज्जत, संवेदनशीलता इन के शब्दकोश से नदारद रहते हैं.

कई बार ऐसे पति या पत्नी दूसरों के समक्ष अच्छा व्यवहार करते हैं. दूसरों के प्रति भी उन का व्यवहार प्यारभरा रहता है. गुस्सैल जीवनसाथी 2 तरह के होते हैं. एक जो हमेशा अपने जीवनसाथी से नाराज रहते हैं और दूसरे वे जिन की नाराजगी अप्रत्याशित होती है. वे कभी भी तिल का ताड़ बनाने लगते हैं. माना कि जहां 2 बरतन रहेंगे वहां थोड़ीबहुत टकराहट तो होगी ही पर जब थोड़ी दोहराव कम हो और बहुत का ज्यादा तो बात चिंतनीय होती है.

रम्या और संदीप की शादी को 4-5 वर्ष होने को थे. रम्या पढ़ीलिखी युवती थी पर ससुराल वालों की इच्छा का सम्मान करते हुए उस ने नौकरी नहीं की और संयुक्त परिवार में तालमेल बैठाने की कोशिश करने लगी. संदीप की तो जैसे नाक पर गुस्सा बैठा रहता था. इकलौता होने के कारण बड़ा ही नकचढ़ा भी था. आएदिन खाने की थाली पटक देता तो कभी पार्टी में जाने को तैयार रम्या को बदसूरत कह देता. कभी औफिस की भड़ास निकाल देता. एकाध मौके पर संदीप ने रम्या पर हाथ भी उठा दिया था. उस पर रम्या की सास कहतीं, ‘‘मर्द है न, आखिर हक बनता है तुम पर. सहना तो हम स्त्रियों के हिस्से में लिखा है.’’

रम्या ने अपने व्यवहार से बहुत कोशिश की कि संदीप सम?ो कि वह उस के पैरों की जूती नहीं है पर संदीप पर इस का कोई असर नहीं होता. अंत रम्या ने चुपकेचुपके नौकरी के लिए आवेदन भेजना शुरू कर दिया और नौकरी लगने पर वह बिना किसी की आज्ञा लिए जाने लगी. आत्मविश्वास के साथसाथ उस ने प्रतिकार करना भी सीख लिया. अब खाने की थाली पटकने पर वह उसे साफ करना तो दूर दूसरा कुछ खाने के लिए भी नहीं पूछती और वहां से हट जाती.

विवाह की नींव

कुछ मनोरोगी ऐसे भी होते हैं जिन्हें क्षणिक आवेश में शक और नाराजगी का दौरा पड़ता है और फिर दूध के उफान की तरह उतर जाने पर पछतावा करते हैं और माफी भी मांगने लगते हैं. कई बार मैरिज काउंसलिंग या मनोचिकित्सकों से मिलने पर भी समस्या का समाधान मिल जाता है.

इस तरह हर जोड़े का अलग समीकरण होता है. हर की कहानी दूसरे से भिन्न होती है. कोई एक फौर्मूला नहीं है कि गुस्सैल जीवनसाथी से कैसे निबटा जाए. विवाहविच्छेद एक दुखद प्रक्रिया है. जहां तक संभव हो इसे टालना ही उचित है. मगर शादी के नाम पर जिंदगी को जहन्नुम बना कर ढोना भी बहुत गलत है.

विवाह की नींव आपसी प्यार और तालमेल पर टिकी होती है. 2 लोग चाहे वे पूर्वपरिचित हों या सर्वदा अपरिचित जब साथ रहने लगते हैं तो कुछ शुरुआती दिक्कतें आती ही हैं. कई बार शादी के कुछ सालों के बाद जब रोमांस का ज्वार उतरता है तो पार्टनर का एक अलग ही स्वरूप दिखने लगता है. इसीलिए कहा जाता है कि इतने कड़वे भी न बनो कि लोग थूक दें और इतने मीठे भी न बनो कि कोई निगल जाए.

शेयर केयर रिलेशनशिप रिपेयर

दृष्टि रावत 34 साल की है. वह फरीदाबाद में रहती है. देखने में ब्यूटीफुल और कौन्फिडैंट दृष्टि एक वौइस आर्टिस्ट है. 4 साल पहले उस ने विक्रम संवत के साथ लव मैरिज की थी. विक्रम एक बिजनेसमैन है. उस का क्रौकरी का बिजनैस है. बिजनैसमैन होने के नाते विक्रम बहुत बिजी रहता है. लेकिन इस के बावजूद वह घर और बाहर दोनों के काम में दृष्टि की हैल्प करता है.

कभीकभी तो वह खुद अकेले ही घर का सारा काम कर लेता है तो कभीकभी मार्केट जा कर राशन ले आता है. इतना ही नहीं विक्रम कई बार अकेले ही लंच और डिनर भी बना लेता है क्योंकि वह सम?ाता है कि असल माने में पार्टनर की यही परिभाषा है कि वह अपने पार्टनर की हर समय सपोर्ट करे.

दृष्टि और विक्रम दोनों हाउस होल्ड प्रौडक्ट भी साथ जा कर लाते हैं. चाहे घर के कामों से जुड़े टूल्स हों या फिर होम गैजेट हों दृष्टि और विक्रम उन्हें खरीदने साथ ही जाते हैं. इस का एक फायदा यह रहता है कि ये टूल्स और गैजेट कैसे काम करते हैं यह वे दोनों एकसाथ जान लेते हैं. ऐसे में जब दृष्टि घर में नहीं होती या अपने औफिस के काम में बिजी होती है तो विक्रम इन  टूल्स और गैजेट की हैल्प से घर को अच्छी तरह मैनेज कर लेता है.

एक लड़की क्या चाहती है

एक अच्छे हसबैंड की सारी खूबी विक्रम के अंदर है. किस तरह पार्टनर को खुश रखा जा सकता है, किस तरह अपने काम और मैरिड लाइफ को बैलेंस किया जाता है. इन सब बातों से विक्रम पूरी तरह अवगत है. तभी तो उस की मैरिड लाइफ में वे दिक्कतें नहीं हैं जो उन कपल्स के बीच होती हैं जहां घर के कामों को वाइफ या हसबैंड में से सिर्फ कोई एक संभाल रहा होता है.

जब विक्रम दृष्टि की हैल्प करता है तो वह बहुत खुश हो जाती है. यह सच भी है कि एक लड़की यही चाहती है कि उस का पार्टनर उस के सभी कामों में मदद करे. वह सही मानों में उस का हमसफर हो न सिर्फ कहने भर को.

क्लाउड किचन चलाने वाली रति अग्निहोत्री रिलेशनशिप पर अपनी राय देते हुए कहती है, कोई भी रिलेशन बिना केयर के नहीं चलता. ‘‘आप का पार्टनर भी आप से यही केयर चाहता है. आजकल हसबैंडवाइफ दोनों ही वर्किंग हैं. ऐसे में उन्हें अपने लिए बिलकुल समय नहीं मिलता है क्योंकि वाइफ औफिस के साथसाथ घर भी संभालती है. इस की वजह से वह हर वक्त थकान में चूर रहती है. ऐसे में उस में चिड़चिड़ापन आना स्वाभाविक है. लेकिन वहीं जहां आप का पार्टनर भी काम का कुछ भार अपने ऊपर ले ले तो यह भार कुछ कम हो सकता है. मैं भी अपना बिजनैस इसलिए कर पा रही हूं क्योंकि मेरे पार्टनर मेरे घर के कामों में मेरी हैल्प करते हैं.’’

ऐसे निभाएं रिश्ता

आंकड़े भी यही बताते हैं कि हैल्पिंग पार्टनर वाली मैरिज ज्यादा समय तक टिकती है. वहीं उन की रोमांटिक लाइफ भी उन कपल्स के मुकाबले ज्यादा हैप्पी होती है जहां सिर्फ फीमेल पार्टनर ही घर के सभी कार्यों का बोझ उठाती हैं.

अगर आप भी अपनी वाइफ या पार्टनर की हैल्प करना चाहते हैं लेकिन आप के पास इन सब के लिए बहुत कम समय है तो आप कुछ स्मार्ट होम ऐप्लायंसिस और गैजेट की हैल्प ले सकते हैं. इन के इस्तेमाल से आप कम समय में ही अपने घर के कामों को जल्दी निबटा पाएंगे और अपने पार्टनर के साथ समय बिता पाएंगे. आप की छोटी सी हैल्प से आप की रिलेशनशिप खुशियों से भर जाएगी.

मार्केट में ऐसे बहुत से प्रौडक्ट्स हैं जिन की हैल्प से आप अपने काम को जल्दी से जल्दी निबटा सकते हैं. इस के बाद बाकी बचे समय में आप अपने पार्टनर के साथ समय बिता सकते हैं. आप चाहे तो अपने रिलेटिव्स और फ्रैंड्स को उन के घर जा कर सरप्राइज भी दे सकते हैं.

अगर बात करें गैजेट की तो एक गैजेट है स्मार्ट रोबोट वैक्यूम क्लीनर. इस क्लीनर का इस्तेमाल फ्लोर की साफसफाई के लिए किया जाता है. इस का इस्तेमाल कर के आप चंद मिनटों में झड़ूपोंछा का काम निबटा सकते हैं. आप इसे अपने फोन से भी कनैक्ट कर सकते हैं.  इसी तरह आप ढो मेकर और रोटी मेकर का यूज कर के भी कम समय में रोटियां बना सकते हैं.

इसी तरह दही मेकर है जो आप को दही जमाने के झंझट से छुटकारा दिलाता है. इन कामों से बचे हुए टाइम को आप अपने क्वालिटी टाइम के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं. इस तरह से आप की फीमेल पार्टनर भी आप का साथ पा कर खुश हो जाएंगी.

सोचो अगर आप और आप की पार्टनर डिनर के बाद साथ में कुछ क्वालिटी टाइम स्पैंड करना चाहते हैं लेकिन सिंक में बरतन धोने के लिए पड़े हुए हैं. सुबह आप दोनों को औफिस जाने की जल्दी होती है ऐसे में आप डिशवौशर का इस्तेमाल कर के क्वालिटी टाइम स्पैंड कर सकते हैं.

वहीं अगर आप के रिश्ते में किसी कारणवश खटास आ गई है तो आप उसे अपने पार्टनर की हैल्प और उन की केयर कर के दूर कर सकते हैं. यही वह समय है जब आप अपने उलझे रिश्ते को शेयरिंग और केयरिंग के जरीए सुलझ सकते हैं.

जब फीमेल पार्टनर घर का बोझ उठाएं

अगर बात करें उन लोगों की मैरिड लाइफ कैसी होती है जहां सिर्फ फीमेल पार्टनर ही घर का सारा भार उठाती हैं. यह बात हम श्रेया और अंकुश की कहानी से जानेंगे.

श्रेया और अंकुश दोनों ही वर्किंग हैं. ऐसे में श्रेया घर और औफिस दोनों का काम संभालती है. वहीं अंकुश सोफे पर बैठेबैठे और्डर देता रहता है. इतना ही नहीं अंकुश खाने में भी नुक्स निकालता है. अकसर खाने में वैराइटी और घर के कामों को ले कर उन के बीच बहस होती रहती है. श्रेया इन सब से बहुत परेशान हो गई है. वह इस रिश्ते से अब थक गई है. उस का ऐसा फील करना गलत भी नहीं है. जब एक ही पर्सन जिम्मेदारियों का निर्वाह कर रहा हो तो वह एक समय बाद तंग हो ही जाता है. ऐसा ही अभी श्रेया के साथ हो रहा है.

असल में जब एक ही व्यक्ति घर और बाहर दोनों के ही काम करता है तो वह फ्रस्ट्रेटिंग फील करता है. उसे बातबात पर गुस्सा आता है. इस से उस की रिलेशनशिप में भी प्रौब्लम होती है. वहीं अगर दोनों पार्टनर मिल कर सारी जिम्मेदारियों का निर्वाह करते हैं तो उन का रिलेशन खुशनुमा रहता है.

ऐसे बनाएं खुशहाल जिंदगी

ऐसा नहीं है कि पार्टनर के साथ मिल कर काम करने से आप सिर्फ उन की हैल्प कर रहे हैं. पार्टनर के साथ मिल कर काम करने से आप अपनी मैरिड लाइफ को ज्यादा समय दे पाते हैं. इस से मनमुटाव भी नहीं होता है और आप की लाइफ स्मूथली मूव करती है, साथ ही आप मैंटली और फिजिकली हैप्पी भी फील करती हैं.

अगर दोनों पार्टनर मिल कर घर और बाहर दोनों के काम को संभालते हैं तो यह किसी एक पर बोझ नहीं बनता. ऐसा करने से दोनों ही अपने वर्क और स्किल्स पर ध्यान दे पाते हैं, साथ ही उन की लव लाइफ भी अच्छी और खुशहाल रहती है. दोनों पार्टनर के साथ मिल कर काम करने से आप अपने रिश्तेदारों और दोस्तों को भी ज्यादा समय दे पाते हैं. वहीं किसी एक को भी ऐसा नहीं लगता कि उसे अपना रिश्ता बचाने के लिए ऐक्स्ट्रा ऐर्फ्ट करना पड़ रहा है न ही उस का पार्टनर उसे टेक फौर गरांटेड ले रहा है.

कोई भी रिश्ता तभी बेहतर होता है जब आप अपने पार्टनर और उस की फैमिली को रिस्पैक्ट देते हैं. यहां यह बात समझनी बहुत जरूरी है कि सिर्फ मेल पार्टनर या हसबैंड के मांबाप को मांबाप न समझ जाए बल्कि फीमेल पार्टनर या वाइफ के मांबाप को भी मांबाप समझ जाए. आप अपनी फीमेल पार्टनर या वाइफ के मांबाप को भी वह सम्मान दें जो आप अपनी पार्टनर से अपने मांबाप के लिए चाहते हैं.

आखिर इज्जत का हक सिर्फ लड़के के मां बाप तक ही क्यों सीमित रहे. जब 2 लोग 1 रिश्ते में आ रहे हों तो सम्मान भी तो दोनों के मांबाप का होना चाहिए.

अगर आप भी अपने रिश्ते में शांति और सुकून चाहते हैं तो अपने पार्टनर की पूरी मदद करें, साथ ही उस के मां बाप को भी पूरा सम्मान दें. वहीं अगर आप के रिश्ते में तनाव या मनमुटाव चल रहा है तो इस बार अपने रिश्ते को केयरिंग से रिपेयर करें.

ज्वाइंट फैमिली में रहने के कारण मैं परेशान हो गई हूं?

सवाल-

मैं 26 वर्षीय विवाहिता हूं. हमारा संयुक्त परिवार है. शादी से पहले ही हमें यह बता दिया गया था कि मु झे संयुक्त परिवार में रहना है. वैसे तो यहां किसी चीज की दिक्कत नहीं है पर ससुराल के अधिकतर लोग खुले विचारों के नहीं हैं, जबकि मैं काफी खुले विचार रखती हूं. इस वजह से मु झे कभीकभी उन की नाराजगी भी सहनी पड़ती है और खुलेपन की वजह से मेरी ननदें व जेठानियां मु झे अजीब नजरों से भी देखती हैं. पति को कहीं और फ्लैट लेने को नहीं कह सकती. बताएं मैं क्या करूं?

जवाब-

घरपरिवार में कभीकभी कलह, वादविवाद,  झगड़ा आम बात है. मगर परिवार फेसबुक अथवा व्हाट्सऐप की तरह नहीं है जिस में आप ने सैकड़ों लोगों को जोड़ कर तो रखा है, मगर आप को कोई पसंद नहीं है तो आप उसे एक ही क्लिक में एक  झटके में बाहर कर दें.

इस बात की कतई परवाह न करें कि परिवार के कुछ सदस्य आप को किन नजरों से देखते हैं और कैसा व्यवहार करते हैं. अच्छा यही होगा कि अपनेआप को इस तरीके से व्यवस्थित करें कि आप हमेशा खूबसूरत इंसान बनी रहें. कोई कैसे देखता है यह उस पर है.

आजकल जहां ज्यादातर लोग एकल परिवारों में रहते हुए तमाम वर्जनाओं के दौर से गुजरते हैं, वहीं आज के समय में आप को संयुक्त परिवार में रहने का मौका मिला है, जिस में अगर थोड़ी सी सू झबू झ दिखाई जाए तो आगे चल कर यह आप के लिए फायदेमंद ही साबित होगा.

बेहतर यही होगा कि छोटीछोटी बातों को नजरअंदाज करें और सब को साथ ले कर चलने की कोशिश करें. धीरेधीरे ही सही पर वक्त पर घर के लोग आप को हर स्थिति में स्वीकार कर लेंगे और आप सभी की चहेती बन जाएंगी.

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz
 
सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

जब सताने लगे बेवफाई

लास एंजिल्स में छपी एक खबर के अनुसार पीटरसन नामक एक पति ने अपनी 8 माह से गर्भवती पत्नी लकी की हत्या कर दी. कई दिनों तक उस के न दिखने पर लकी के सौतेले पिता ने पुलिस में रिपोर्ट कराई. उस के तहत एक लड़की से पता चला कि पीटरसन का उस लड़की के साथ अफेयर था. वह उस लड़की के साथ शादी करना चाहता था. और वह लड़की पीटरसन को अभी तक अविवाहित सम?ा रही थी.

पीटरसन की सास रोचा कहती है कि अपनी बेटी के कत्ल के बावजूद उसे अपने दामाद से तब तक हमदर्दी थी जब तक उसे यह पता नहीं था कि पीटरसन का किसी अन्य लड़की के साथ अफेयर है. लेकिन जब से उसे पीटरसन के अपनी बेटी से बेवफाई के बारे में पता चला है उस ने अदालत में चीखचीख कर यह गुहार की कि उसे कड़ी से कड़ी सजा दी जानी चाहिए. पीटरसन के मातापिता को भी उस के शादीशुदा अफेयर के बारे में सुन कर अच्छा नहीं लगा.

राजामहाराजाओं के जमाने में पुरुषों को बेवफाई का जन्मसिद्ध अधिकार था, जबकि किसी स्त्री के ऐसा करने पर गांव, महल्ले, सगेसंबंधी कुलटा आदि कह कर सभी उस का जीना हराम कर देते थे.

रामायण की धोबन का हश्र याद होगा जिस के कारण मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने भी सारी मर्यादाओं को लांघ कर सीता को वन में छुड़वा दिया था. धोबी को उस धोबन पर शक केवल इसलिए हुआ कि वह रात को घर पर नहीं थी. भले ही बेवफाई हुई हो या न हुई हो. राम ने धोबन को बचाने की या उस की सुनने की भी कोशिश की हो, ऐसा रामायण में कहीं जिक्र नहीं है. धोबन और सीता दोनों ही अकारण घर से निकाल दी गईं.

मगर जब से स्त्री के अधिकारों की बात शुरू हुई तब से पुरुषों के इस अधिकार पर थोड़ा सा अंकुश लगा तो दूसरी तरफ स्त्रियों ने इस तरह के रिलेशंस बनाने शुरू कर दिए. अमेरिका में हुई एक रिसर्च के अनुसार 70% शादीशुदा पुरुष और 50% शादीशुदा महिलाएं विवाहेतर संबंध बनाती हैं, जिन में कुछ बन नाइट स्टैंड होते हैं यानी एक रात भर सोए और फिर भूल गए.

यहां भावनाओं का कोई मतलब नहीं. वहीं कुछ ऐसे भी होते हैं जो बनाए ही भावनात्मक सुरक्षा के लिए जाते हैं जोकि घनिष्ठ और लंबे समय तक चलते हैेें. बहरहाल चाहे लंबे समय के लिए हो या 1-2 घंटों के लिए ही सही बेवफाई बेवफाई होती है.

सगेसंबंधियों पर प्रभाव: हमारे देश में इस संबंध का न सिर्फ पतिपत्नी, बच्चों पर बल्कि आप के मातापिता, सगेसंबंधी, अविवाहित भाईबहनों आदि पर भी पड़ता है. उन्हें व्यर्थ सजा मिलती है.

  •   बाहर वालों के तानों की शर्मिंदगी परिवार में सभी को उठानी पड़ती है.
  • अगर बेवफाई स्त्री ने की है तो अविवाहित बहन या भतीजी की तुलना उस के साथ की जाने लगती है और शादीविवाह में कठिनाई पैदा हो जाती है.
  • बच्चों को मातापिता के बीच चल रहे मनमुटाव के साथसाथ बाहर वालों की अजीब नजरों का भी सामना करना पड़ता है जिस के काफी गंभीर मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़ते हैं.

बेवफाई करने वाले पर प्रभाव

  •  बेवफा व्यक्ति घर वालों और बाहर वालों की नजरों में गिर जाता है.
  • घर वालों के सहयोग की उम्मीद इस मामले में कभी नहीं कर सकते.
  • हर वक्त अनुचित रिश्ते को छिपाने के लिए नएनए झूठ बोलने पड़ेंगे.
  • इन अवैध संबंधों में अगर बच्चे भी हैं तो जायज के साथसाथ नाजायज बच्चे भी इज्जत से नहीं देखेंगे.

दूर से देखनेसुनने में भले ही लगे कि पश्चिमी देशों में इस तरह के रिश्तों पर कोई आपत्ति नहीं होती जबकि सचाई यह है कि विवाहेतर संबंध कहीं भी किसी भी समाज में उचित नहीं माने गए हैं. इस का बहुत बड़ा उदाहरण अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन और मोनिका लेवेंस्की के संबंध जिन की आलोचना दुनियाभर में की गई.

भले ही कितनी ही स्त्रियों के साथ क्लिंटन के संबंध रहे हों लेकिन देश और समाज में सिर उठा कर चलने के लिए उन्हें अपनी पत्नी हिलेरी क्लिंटन की ही जरूरत थी. हिलेरी क्लिंटन को भी इस जहर को पीना पड़ा पर उन्हें राष्ट्रपति पद जनता ने नहीं दिया. वे राष्ट्रपति का चुनाव हार गई थीं.

थेरैपिस्ट या काउंसलर भी विवाहेतर संबंधों के बारे में यही राय देते हैं कि अगर इन के बिना नहीं रह सकते तो तलाक ले लें.

असलियत में कोई भी बेवफा व्यक्ति न तो अपनी शादी को तोड़ना चाहता है क्योंकि सगेसंबंधी इस की इजाजत कभी नहीं देते और न ही इस विवाहेत्तर रिश्ते को खत्म करना चाहता है. दूसरा घर बसाना और सगेसंबंधियों को छोड़ना कोई आसान काम नहीं. फिर यह भी जरूरी नहीं कि जिस के साथ आप के संबंध हैं वह आप से विवाह के लिए राजी ही हो क्योंकि उस के लिए भी घर तोड़ना, सगेसंबंधियों के खिलाफ जाना आसान नहीं. इस तरह के रिश्ते आमतौर पर खतरनाक साबित होते हैं. बेवफाई खतरनाक होती है. इस समस्या का मैसेज एक वैबसाइट पर एक काउंसलर के पास आया-

डियर आंट वैबी मैं जानती हूं कि इस शर्मनाक गलती के लिए मुझे चुल्लू भर पानी में डूब मरना चाहिए, फिर भी आप की राय चाहती हूं. मैं ने अपनी 6 साल की शादीशुदा जिंदगी में पहली बार एकदूसरे पुरुष के साथ संबंध बनाए हैं और उस के प्रेम में बेहद पागल हूं. मेरे पति जोकि मुझे बेहद प्यार करने वाले, अच्छे और आदर्श पुरुष हैं, उन्हें इस बारे में कुछ नहीं पता. मैं जानती हूं कि जिस दिन उन्हें इस बात का पता चलेगा उन का विश्वास टूट जाएगा.

इस दूसरे पुरुष के लिए मैं अपने बेहद अच्छे पति को छोड़ने के लिए भी तैयार हूं. लेकिन यह नहीं जानती कि वह भी मुझ से शादी करेगा या नहीं. वह एक बहुत अच्छे, भरेपूरे परिवार से है और 4 बच्चों का बाप है. मेरे अपना कोई बच्चा नहीं है. मैं यह भी जानती हूं कि एक बेहद अच्छा पति होने के बावजूद किसी दूसरे शादीशुदा मर्द के चक्कर में पड़ना समाज कभी स्वीकार नहीं करेगा. प्लीज, आप मुझे इस अफेयर को खत्म करने की सलाह न दें बल्कि यह बताएं कि मैं इस अफेयर को कंटीन्यू क्यों रखना चाहती हूं.

वोदका गर्ल इस अजीब समस्या का अंजाम परिवार के टूटनेबिखरने के अलावा कुछ नहीं हो सकता क्योंकि बीवी परपुरुष के साथ अपने संबंधों को खत्म नहीं करना चाहती और ऐडवाइजर को भी यही कह रही है कि इस रिश्ते को खत्म करने की सलाह न दें. यानी जानबू?ा कर आग से खेलने का शौक है मैडम को.

इन्हीं मैडम की तरह कुछ लोग पति या पत्नी की बेवफाई के बावजूद अपने पजैसिव नेचर की वजह से छोड़ना नहीं चाहते और बेवफाई से भी बाज नहीं आते यानी उन्हें दोनों हाथों में लड्डू चाहिए.

हौंगकौंग में लिऊयांग नामक एक व्यक्ति ने अपनी सास का सिर काट डाला और उसे ले कर पुलिस स्टेशन पहुंच गया. चीन के स्थानीय समाचारपत्र साउथ मौर्निंग पोस्ट में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार इस व्यक्ति ने अपनी सास की हत्या इसलिए की क्योंकि पतिपत्नी के बीच चल रही बेवफाई के कारण सास अपनी बेटी को तलाक के लिए भड़का रही थी.

बेवफा व्यक्ति अपने विवाहित जीवन के साथ विवाहेतर संबंधों को सहेजने की लाख कोशिश करे लेकिन इन सब का एक ही अंत होता है, जो कभी सुखद नहीं होता. इस तरह के संबंधों से बेवफा व्यक्ति थोड़े समय के लिए भले ही मानसिक या शारीरिक सुख प्राप्त कर ले लेकिन बोनस में जीवन भर की टैंशन भी ले लेता है.

लव रिलेशनशिप: फोटो खींचें या नहीं

किसी भी रिश्ते में यादें इंपौर्टेंट रोल प्ले करती हैं और हरकोई चाहता है कि उन यादों को संजो कर रखे. कुछ यादें लमहों के रूप में होती हैं तो कुछ चीजों के रूप में. वहीं कुछ यादें तसवीरों के रूप में भी होती हैं. ये तसवीरें ही हैं जो हमारे चाहने वालों के हमारे पास न होने पर हम उन की तसवीरों से बातें करते हैं.

इसी तरह रिलेशनशिप में भी फोटोज बहुत इंपौर्टेंट होती हैं. रिलेशनशिप में कपल तरहतरह की फोटोज लेते हैं. ये सभी फोटो वे यादों के रूप में अपने साथ रखना चाहते हैं और यह भी चाहते हैं कि समयसमय पर इन्हें देख कर वे अपने पुराने दिनों को जी सकें. आजकल तो फोटोज से बनने वाले तरहतरह के गिफ्ट भी काफी डिमांड में हैं.

कई लोग डेटिंग के दिनों में ही अपनी फोटोज सोशल साइट पर अपलोड कर देते हैं जबकि वे यह नहीं जानते कि ये डेटिंग आगे चल कर रिलेशनशिप में बदलेगी भी या नहीं. ऐसे में उन का इतनी जल्दी रोमांटिक फोटोज अपलोड करना सही नहीं है. उन्हें अपने रिश्ते को वक्त देना चाहिए.

ताकि कोई प्रौब्लम न हो

अपना ऐक्सपीरियंस शेयर करते हुए प्रियंका बताती है कि एक लड़के को 3 महीने डेट करने के बाद वह उस के साथ रिलेशनशिप में आ गई लेकिन करीब 2 साल के बाद उन का रिलेशन टूट गया. तब तक वह उस के साथ अपनी कई फोटोज सोशल साइट पर अपलोड कर चुकी थी. वह कहती है कि जब उन का ब्रेकअप हुआ तो उस ने वे सारी फोटोज डिलीट कर दीं लेकिन अपने दोस्तों के सवालों का जवाब देदे कर वह परेशान हो गई.

प्राइवेट फोटो ही दिक्कत में न डाल दे

मधु श्रीवास्तव बताती है कि शादी के 5 साल बाद जब उन के हसबैंड ने उन की इंस्टाग्राम आईडी पर उन की और उन के एक्स बौयफ्रैंड की रोमांटिक फोटोज देखीं तो वे गुस्से से तिलमिला उठे. वे यह समझने के लिए तैयार नहीं थे कि फोटो वाला लड़का उन का पास्ट था और वे उस का प्रैजेंट हैं. वह कहती है कि काफी सम?ाने के बाद वे इस बात को समझे कि ये सब अतीत की बातें हैं.

अपनी गलती से सीख लेते हुए मधु कहती है, ‘‘ब्रेकअप होने के बाद सभी को सोशल साइट से अपने पार्टनर की फोटोज डिलीट कर देनी चाहिए ताकि बाद में आप को इस से कोई प्रौब्लम न हो.’’

गवर्नमैंट जौब की तैयारी करने वाली दिव्या शर्मा कहती है, ‘‘रिलेशनशिप में फोटोज लेना जरूरी है लेकिन एक हद तक. आज के दौर में लोगों ने फोटोज खींच कर सोशल मीडिया पर अपलोड करने का ट्रैंड बना लिया है. यह, बस, शो-औफ है.’’

कई बार जल्दबाजी में हम अपनी प्राइवेट फोटोज अपने लव वन को भेजने के बजाय किसी और को भेज देते हैं. ऐसे में हमें अजीब स्थिति का सामना करना पड़ता है और उस पर्सन के मन में कुछ गलत हो तो वह हमें इस के लिए ब्लैकमेल भी कर सकता है और किसी पोर्न साइट पर न डाल सकता है. इन सब से बचने के लिए फोटो भेजने में जल्दबाजी न करें.

बातचीत के दौरान वीडियो, फोटो शेयर करना एक सामान्य बात है. इस में कोई नई बात नहीं है और न ही कुछ गलत. लेकिन कई बार लड़की या लड़का सैक्स के दौरान खींचे गए फोटोज या वीडियोज रिकौर्ड कर के एकदूसरे को शेयर करते हैं, जिन में न्यूड फोटो, सैक्स वीडियो टेप, कौल रिकौर्डिंग जैसी कई चीजें भी होती हैं. जब रिलेशन टूटता है तो जो व्यक्ति रिवैंज लेना चाहता है वह इन फोटोज का गलत इस्तेमाल करता है. ऐसा कर के वह दूसरे पार्टनर को बदनाम करना चाहता है.

सोशल मीडिया साइट है खतरनाक

यूपी में एक 20 वर्षीय युवती ने अपने पूर्व प्रेमी पर रेप और ब्लैकमेल करने का आरोप लगाया. पूर्व प्रेमी उस की दूसरी जगह शादी होने के बाद उसे और उस के पति को ब्लैकमेल कर रहा था. पुलिस ने युवती की शिकायत पर तुरंत कार्रवाई करते हुए आरोपी को गिरफ्तार कर लिया.

जब कोई प्रेमी अपने पार्टनर की न्यूड फोटो या शारीरिक संबंध के दौरान ली गई प्राइवेट फोटो, वीडियो, औडियो को उस की परमिशन के बिना किसी सोशल मीडिया साइट या किसी अन्य पब्लिक साइट पर अपलोड करता है इस इरादे से कि पार्टनर को बदनाम किया जा सके तो इसे रिवैंज पोर्न कहते हैं. रिवैंज पोर्न को नौन कंसोलेशन पोर्न इमेज बेस्ड पोर्नोग्राफी भी कहते हैं. यह सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 के तहत अपराध है.

रिवैंज लेने के कई कारण होते हैं, जैसे फीमेल पार्टनर का शादी से इनकार, लड़की की लाइफ में किसी और का आ जाना या उस का दूसरा बौयफ्रैंड बन जाना जिस की वजह से वह पुराने बौयफ्रैंड को इग्नोर करने लगती है. कई बार लड़के अपना ईगो हर्ट करने पर भी रिवैंज लेते हैं. वहीं कई केस ऐसे भी आते हैं जिन में लड़की शादी से पहले सैक्स करना नहीं चाहती, ऐसे में उस का बौयफ्रैंड फोटो के साथ छेड़छाड़ कर के उसे वायरल कर देता है.

रिवैंज पोर्न के तहत लड़कियों या महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है, जैसे अनिद्रा, डिप्रैशन, माइग्रेन आदि.

पहले तो नियति डर गई लेकिन जब उस ने अपनी दोस्त मुक्ति को इस बारे में बताया तो उस ने इस की शिकायत पुलिस में दर्ज कराने को कहा. अब अक्षय जेल की हवा खा रहा है और नियति बिना डरे अपने कैरियर पर फोकस कर पा रही है.

यहां कर सकते हैं शिकायत

ब्लैकमेलिंग करने का तरीका औफलाइन या औनलाइन कुछ भी हो सकता है. इस की शिकायत भी उसी आधार पर दर्ज होती है जिस परिस्थिति में ब्लैकमेलिंग या उत्पीड़न हुआ होता है.

सरकार की साइबर क्राइम विभाग की वैबसाइट द्धह्लह्लश्चर्//ष्4ड्ढद्गह्म्ष्द्बद्वह्म्द्ग.द्दश1.द्बठ्ठ/ पर महिलाएं और बच्चे बिना नाम दिए भी अपनी शिकायत रजिस्टर करवा सकते हैं. उन्हें, बस, यह सुबूत देना होगा कि उन के साथ क्राइम हुआ है. अगर किसी को समाज का डर लग रहा है या फिर वह सोच रहा है कि शिकायत दर्ज करवाने पर बदनामी होगी या उसे खतरा होगा तो वह इस वैबसाइट पर जा कर अपनी शिकायत दर्ज करवा सकता है.

अगर किसी लड़की को फोटो वायरल करने की धमकी दी जाती है तो पुलिस आरोपी के खिलाफ साइबर क्राइम की धारा 66, 67 का अपराध दर्ज कर सकती है. इस के अलावा आईपीसी की धारा 320, 34, 170, 465, 468, 469, 120, 425 समेत कई दूसरी धाराओं में भी मामला दर्ज किया जा सकता है.

वहीं आईटी एक्ट की धारा 66 ई कहती है कि अगर कोई व्यक्ति किसी अन्य महिला या पुरुष के प्राइवेट पार्ट की तसवीर उस की अनुमति के बगैर लेता है और उसे औनलाइन कहीं अपलोड करता है या प्रिंट करता है तो ऐसा करने वाला व्यक्ति दोषी कहलाया जाएगा. ऐसे केस में उसे 3 साल तक की कैद और 2 लाख रुपए तक का जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है.

यह बात हमेशा ध्यान रखनी चाहिए कि डरने से बात और ज्यादा बिगड़ सकती है, इसलिए अगर कुछ गलत हो रहा है तो उस की शिकायत जरूर दर्ज होनी चाहिए. चाहे क्राइम औनलाइन हो या औफलाइन, शिकायत करनी बहुत जरूरी है ताकि आरोपी को सजा मिल सके. डरने से जुर्म करने वालों की हिम्मत बढ़ती है और जुर्म को बढ़ावा मिलता है.

लड़कियों को अपने अंदर से यह डर निकालना होगा कि शिकायत कराने से उन की बदनामी होगी. कई लड़कियां सोचती हैं कि अगर उन्होंने ब्लैकमे?िलंग के बारे में घर में बताया तो उन की पढ़ाई या नौकरी छूट जाएगी. लड़कियों को इस से डरना नहीं चाहिए. वे यह सम?ों कि यह उन के अस्तित्व की लड़ाई है और अगर उन्होंने यह लड़ाई लड़ ली तो वे सोसाइटी के लिए एक मिसाल बनेंगी.

न खोलें शिकायतों का पिटारा

शिकायत करना मानव स्वभाव का एक स्वाभाविक हिस्सा है और यह एक बहुत ही नकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है इसलिए यदि कोई समस्या है तो उस की दोस्तों एवं अपने परिवार वालों से शिकायत करना स्वाभाविक है, लेकिन इसे मौडरेशन में या एक लिमिट में रह कर ही करें तो यह आप के तनाव को कम करने के लिए बेहतर होगा.

मैं और मेरी एक फ्रैंड एक ही औफिस में काम करते हैं और जब भी थोड़ा ब्रेक होता है तो उस से पूछो कि चलो थोड़ा ब्रेक ले लें, आओ चाय पी कर आते हैं तो बस उस का शिकायतों का पिटारा खुल जाता है…

अरे अभी मुझे फुरसत नहीं है, अरे यह काम करना है वह काम करना है. हर समय हैरानपरेशान रहती है. उस से जब भी मिलो और पूछो और भई क्या हाल है, क्या चल रहा है तो वह किसी प्रश्न का सही जवाब दिए बिना बस यही कहने में लगी रहती है बिलकुल भी फुरसत नहीं है. वह हमेशा यह कहने से दूर भागती है कि वह खुश है और सबकुछ ठीक चल रहा है.

उस का ऐसा करना कहीं उस की आदत में तो शुमार नहीं हो गया क्योंकि जो भी काम हम बारबार करते हैं या जो भी हम बारबार कहते हैं या सबकुछ ठीक ही क्यों न हो वह हमारी आदत में शामिल हो जाता है फिर चाहे हमारे पास समय हो या न हो, कितना ही कम काम क्यों न हो हम हर समय परेशान बने रहते हैं.

यदि आप के साथ भी ऐसा ही कुछ हो रहा है और आप जानना चाहते हैं कि इन शिकायतों के पिटारे को कैसे कम किया जाए, इस से कैसे बाहर निकला जाए तो आइए हम बताते हैं:

आखिर क्यों करते हैं हम शिकायत

आजकल की भागदौड़ वाली जिंदगी में हम अकसर गंभीर प्रोफैशनल और व्यक्तिगत तनाव से गुजरते हैं, जोकि हमें हर समय थका हुआ महसूस कराता है और हमारी नींद को भी प्रभावित करता है इसलिए हमारी यह कोशिश रहती है कि अपनी समस्याएं या शिकायतें ज्यादातर समय हम अपने करीबी दोस्तों एवं अपने परिवार वालों से ही करते हैं. शिकायत करना बिलकुल बुरा नहीं है, लेकिन जब आप इसे लगातार करती/करते हैं, तो यह टौक्सिक बन सकता है और ऐसा इसलिए है क्योंकि शिकायत करना यह दर्शाता है कि आप अपने जीवन में जो हो रहा है उसे स्वीकार नहीं कर रहे हैं.

ऐसा संभव नहीं कि आप को कभी कोई शिकायत ही न हो लेकिन सीमा तय करना आप के लिए फायदेमंद हो सकता है और रोजमर्रा की शिकायतों को कम करने के लिए कदम उठाए जा सकते हैं.

आप की कुछ आदतें जो बताती हैं कि आप बहुत अधिक शिकायत कर रहे हैं:

  •  आप नकारात्मक चीजों पर ज्यादा ध्यान देते हैं और साथ ही उन का कोई समाधान निकालने की कोशिश नहीं करते हैं.
  •  आप अकसर पिछली घटनाओं के बारे में सोचते हैं और चाहते हैं कि चीजों को बदल सकें.
  •  आप अकसर चिंता की भावनाओं का अनुभव करते हैं.
  • आमतौर पर शिकायत करने के बाद आप चिड़चिड़े हो जाते हैं.
  • समस्याओं के बारे में बात करने से आप असहाय या निराश महसूस करते हैं.
  • कई बार ऐसे लोगों को दूसरों की जिंदगी अच्छी क्यों चल रही है इस से भी शिकायत होती है अकसर यह माना जाता है कि शिकायत करने से आप को तनाव दूर करने में मदद मिलती है, लेकिन ऐसा नहीं है.

इस के नुकसान

  •  बारबार शिकायत करना आप के दिमाग को नैगेटिव यानी नकारात्मक बना देता है.
  • हम अपने आसपास की सभी अच्छी चीजों पर ध्यान देने के बजाय उन चीजों पर ध्यान केंद्रित करते हैं जो सही नहीं चल रहा हैं और हमारे सोचने का नजरिया ही नकारात्मक हो जाता है.
  • निर्णय लेना या समस्याओं को हल करना कठिन लगता है क्योंकि तनाव के कारण आप का दिमाग चकरा जाता है.
  • आप को समाधान की तुलना में अधिक समस्याएं दिखाई देती हैं. कुछ महिलाएं हमेशा अपनी जिंदगी और परिस्थितियों से नाराज दिखती या आती हैं और अपने हालात को ले कर शिकायत करती रहती हैं फिर धीरेधीरे उन की यह आदत इतनी ज्यादा बढ़ जाती है कि उन्हें अपने आसपास कुछ भी अच्छा नजर नहीं आता. चाहे कुछ अच्छा भी घटित हो रहा हो, उन्हें उस के नकारात्मक पहलू पहले नजर आते हैं.

जब भी आप शिकायत करने वाली हों तो पहले यह सोचें कि क्या आप जिस बात की शिकायत करने वाली हैं उस से अगले 5 मिनट या 5 महीने या फिर 5 साल में कुछ बड़ा बदलाव आएगा क्या? अगर ऐसा नहीं है तो शिकायत न करें.

डालें लिखने की आदत

लिखने की आदत भी हर समय शिकायत करने की आदत को बदलने का एक बेहतरीन, प्रभावशाली तरीका है. इस के लिए आप एक डायरी बनाएं और फिर उस में अपनी सभी समस्याओं और भावनाओं के बारे में पहले लिखें. उस के बाद आप उन के लिए सकारात्मक समाधानों के बारे में लिखें. यह तो आप भी जानती हैं कि सिर्फ शिकायत करने से समस्या नहीं सुल?ाने वाली. उस के लिए आप को हल भी खुद ही तलाशने होंगे.

बातचीत करें

अगर आप को किसी से शिकायत है तो किसी और से उस की शिकायत करने के बजाय अपनी शिकायत उस व्यक्ति को ही दर्ज कराएं जिस से आप को शिकायत है और उस व्यक्ति के साथ बातचीत करें और उस का हल निकलने की कोशिश करें.

यदि आप अपने पार्टनर से अपनी फीलिंग्स के साथ अच्छा महसूस नहीं कर रही हैं, तो इस के बारे में बात करें, लेकिन शिकायत भरे तरीके से नहीं बल्कि सकारात्मक तरीके से जब आप सकारात्मक रूप से बात करेंगी तो इस से आप का मन भी हलका होगा, साथ ही आप के रिश्तों की गरमाहट में भी कोई कमी नहीं आएगी. इतना ही नहीं, बातचीत का तरीका बदलने मात्र से ही आप को अपनी समस्या का समाधान भी मिल जाएगा.

सोचें अच्छी बात

कई बार ऐसा होता है कि जब हमें अपने किसी करीबी की कोई गलती नजर आती है या जब हम किसी की शिकायत करते हैं तो हम उस समय केवल उस की कमियों पर ही पूरा ध्यान केंद्रित कर देते हैं उस की अच्छाइयों पर ध्यान ही नहीं देते.

यहां आप शिकायत की जगह यह सोचना शुरू करें कि इन की वजह से आप के जीवन में क्या अच्छा हुआ है. जब आप अपने जीवन में हो रही अच्छी घटनाओं और सभी आशीर्वादों को गिनना शुरू करती हैं तो शिकायत करना मुश्किल हो जाता है.

लेकिन का प्रयोग करें

यदि आप शिकायत करने की आदत को  एक सीमा में रखना चाहती हैं तो ‘लेकिन’ का प्रयोग अकसर उपयोग करना सुनिश्चित करें. इस का मतलब यह है कि आप कह सकती हैं कि आज मेरे पास बहुत काम है लेकिन फिर भी उसे जल्दी खत्म कर अभी भी अपने दोस्तों के साथ बाहर जाने में खुश हूं. इस से आप को सकारात्मकता मिल सकती है.

हर छोटी बात की शिकायत से बचें

अपनी शिकायत को गंभीरता से लेते हुए एक बार सोचें कि जिस बात को ले कर आप परेशान हो रही हैं क्या वह आप के जीवन के किसी गंभीर मुद्दे का प्रतिनिधित्व करती है? अगर वाकई यह इतनी बड़ी बात नहीं है तो शिकायत से बचें.

कहावत है कि शिकायत करने वालों को चांद में भी दाग ही नजर आता है तो आप को  अपनी इस आदत को आज ही बदल लेना चाहिए. शिकायत से पहले एक बार जरूर सोचें या अपनी शिकायतों का पिटारा जितना कम कर सकें उतना अच्छा अन्यथा आप को अपने जीवन में सिर्फ दुख ही दुख मिलेगा.

अपनी कमाई सास के हाथ पर कब रखें, कब नहीं

भले ही सासबहू के रिश्ते को 36 का आंकड़ा कहा जाता है पर सच यह भी है कि एक खुशहाल परिवार का आधार कहीं न कहीं सासबहू के बीच अच्छे सामंजस्य और एकदूसरे को समझने की कला पर निर्भर करता है.

एक लड़की जब शादी कर के किसी घर की बहू बनती है तो उसे सब से पहले अपनी सास की हुक़ूमत का सामना करना पड़ता है. सास सालों से जिस घर को चला रही होती है उसे एकदम से बहू के हवाले नहीं कर पाती. वह चाहती है कि बहू उसे मान दे, उस के अनुसार चले.

ऐसे में बहू यदि कामकाजी हो तो उस के मन में यह सवाल उठ खड़ा होता है कि वह अपनी कमाई अपने पास रखे या सास के हाथों पर रख दे. वस्तुतः बात केवल सास के मान की नहीं होती बहू का मान भी मायने रखता है. इसलिए कोई भी फैसला लेने से पहले कुछ बातों का ख्याल जरूर रखना चाहिए.

बहू अपनी कमाई सास के हाथ पर कब रखे—

1. जब सास हो मजबूर

यदि सास अकेली हैं और ससुर जीवित नहीं तो ऐसे में एक बहू यदि अपनी कमाई सास को सौंपती है तो सास उस से अपनापन महसूस करने लगती है. पति के न होने की वजह से सास को ऐसे बहुत से खर्च रोकने पड़ते हैं जो जरूरी होने पर भी पैसे की तंगी की वजह से वह नहीं कर पातीं. बेटा भले ही अपने रुपए खर्च के लिए देता हो पर कुछ खर्चे ऐसे हो सकते हैं जिन के लिए बहू की कमाई की भी जरूरत पड़े. ऐसे में सास को कमाई दे कर बहू परिवार की शांति कायम रख सकती है.

2. सास या घर में किसी और के बीमार होने की स्थिति में

यदि सास की तबीयत खराब रहती है और डॉक्टरबाजी में बहुत रुपए लगते हैं तो यह बहू का कर्तव्य है कि वह अपनी कमाई सास के हाथों पर रख कर उन्हें इलाज की सुविधाएं उपलब्ध कराने में मदद करे.

3. अपनी पहली कमाई

एक लड़की जैसे अपनी पहली कमाई को मांबाप के हाथों पर रख कर खुश होती है वैसे ही यदि आप बहू हैं तो अपनी पहली कमाई सास के हाथों पर रख कर उन का आशीर्वाद लेने का मौका न चूकें.

4. यदि आप की सफलता की वजह सास हैं

यदि सास के प्रोत्साहन से आप ने पढ़ाई की या कोई हुनर सीख कर नौकरी हासिल की है यानी आप की सफलता की वजह कहीं न कहीं आप की सास का प्रोत्साहन और प्रयास है तो फिर अपनी कमाई उन्हें दे कर कृतज्ञता जरुर प्रकट करें. सास की भीगी आंखों में छुपे प्यार का एहसास कर आप नए जोश से अपने काम में जुट सकेंगी.

5. यदि सास जबरन पैसे मांग रही हो

पहले तो यह देखें कि ऐसी क्या बात है जो सास जबरन पैसे मांग रही है. अब तक घर का खर्च कैसे चलता था?

इस मामले में अच्छा होगा कि पहले अपने पति से बात करें. इस के बाद पतिपत्नी मिल कर इस विषय पर घर के दूसरे सदस्यों से विचारविमर्श करें. सास को समझाएं. उन के आगे खुल कर कहें कि आप कितने रुपए दे सकती हैं. चाहे तो घर के कुछ खास खर्चे जैसे राशन /बिल/ किराया आदि की जिम्मेदारी अपने ऊपर ले लें . इस से सास को भी संतुष्टि रहेगी और आप पर भी अधिक भार नहीं पड़ेगा.

6. यदि सास सारे खर्च एक जगह कर रही हो

कई परिवारों में घर का खर्च एक जगह किया जाता है. यदि आप के घर में भी जेठ, जेठानी, देवर, ननद आदि साथ में रह रहे हैं और सम्मिलित परिवार की तरह पूरा खर्च एक ही जगह हो रहा है तो स्वभाविक है कि घर के प्रत्येक कमाऊ सदस्य को अपनी हिस्सेदारी देनी होगी.

सवाल यह उठता है कि कितना दिया जाए? क्या पूरी कमाई दे दी जाए या एक हिस्सा दिया जाए? देखा जाए तो इस तरह की परिस्थिति में पूरी कमाई देना कतई उचित नहीं होगा. आप को अपने लिए भी कुछ रुपए रकम बचा कर रखना चाहिए. वैसे भी घर के प्रत्येक सदस्य की आय अलगअलग होगी. कोई 70 हजार कमा रहा होगा तो कोई 20 हजार, किसी की नईनई नौकरी होगी तो किसी ने बिजनेस संभाला होगा. इसलिए हर सब सदस्य बराबर रकम नहीं दे सकता.

बेहतर होगा कि आप सब इनकम का एक निश्चित हिस्सा जैसे 50% सास के हाथों में रखें. इस से किसी भी सदस्य के मन में असंतुष्टि पैदा नहीं होगी और आप भी निश्चिंत रह सकेंगी.

7. यदि मकान सासससुर का है

जिस घर में आप रह रही हैं यदि वह सासससुर का है और सास बेटेबहू से पैसे मांगती है तो आप को उन्हें पैसे देने चाहिए. कुछ और नहीं तो घर और बाकी सुखसुविधाओं के किराए के रूप में ही पैसे जरूर दें

8. यदि शादी में सास ने किया है काफी खर्च

अगर आप की शादी में सासससुर ने शानदार आयोजन रखा था और बहुत पैसे खर्च किए थे. लेनदेन, मेहमाननवाजी तथा उपहार वितरण आदि में कोई कसर नहीं छोड़ी थी. बहू और उस के घरवालों को काफी जेवर भी दिए थे तो ऐसे में बहू का भी फर्ज बनता है कि वह अपनी कमाई सास के हाथों में रख कर उन्हें अपनेपन का अहसास दिलाए.

9. ननद की शादी के लिए

यदि घर में जवान ननद है और उस की शादी के लिए रुपए जमा किए जा रहे हैं तो बेटेबहू का दायित्व है कि वे अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा दे कर अपने मातापिता को सहयोग करें.

10. जब पति शराबी हो*

कई बार पति शराबी या निकम्मा होता है और पत्नी के रुपयों पर अय्याशी करने का मौका ढूंढता है. वह पत्नी से रुपए छीन कर शराब में या गलत संगत में खर्च कर सकता है. ऐसी स्थिति में अपने रुपयों की सुरक्षा के लिए जरूरी है कि आप ला कर उन्हें सास के हाथों पर रख दें.

कब अपनी कमाई सास के हाथों में न रखें

1. जब आपकी इच्छा न हो

अपनी इच्छा के विरुद्ध बहू अपनी कमाई सास के हाथों में रखेगी तो घर में अशांति पैदा होगी. बहू का दिमाग भी बौखलाया रहेगा और उधर सास बहू के व्यवहार को नोटिस कर दुखी रहेगी. ऐसी स्थिति में बेहतर है कि सास को रुपए न दिए जाएं.

2. जब ससुर जिंदा हो और घर में पैसों की कमी न हो

यदि ससुर जिंदा हैं और कमा रहे हैं या फिर सास और ससुर को पेंशन मिल रही है तो भी आप को अपनी कमाई अपने पास रखने का पूरा हक है. परिवार में देवर, जेठ आदि हैं और वे कमा रहे हैं तो भी आप को कमाई देने की जरूरत नहीं है.

3. जब सास टेंशन करती हो

यदि आप अपनी पूरी कमाई सास के हाथों में दे रही हैं इस के बावजूद सास आप को बुराभला कहने से नहीं चूकती और दफ्तर के साथसाथ घर के भी सारे काम कराती हैं, आप कुछ खरीदना चाहें तो रुपए देने से आनाकानी करती हैं तो ऐसी स्थिति में सास के आगे अपने हक के लिए लड़ना लाजिमी है. ऐसी सास के हाथ में रुपए रख कर अपना सम्मान खोने की कोई जरूरत नहीं है बल्कि अपनी मर्जी से खुद पर रुपए खर्च करने का आनंद लें और दिमाग को टेंशनफ्री रखें.

4. जब सास बहुत खर्चीली हो

यदि आप की सास बहुत खर्चीली हैं और आप जब भी अपनी कमाई ला कर सास के हाथों में रखती हैं तो वे उन रुपयों को दोचार दिनों के अंदर ही बेमतलब के खर्चों में उड़ा देती हैं या फिर सारे रुपए मेहमाननवाजी और अपनी बेटियों के परिवार और बहनों पर खर्च कर देती हैं तो आप को संभल जाना चाहिए. सास की खुशी के लिए अपनी मेहनत की कमाई यूं बर्बाद होने देने के बजाय उन्हें अपने पास रखिए और सही जगह निवेश कीजिए.

5. जब सास माता की चौकी कराए

जब सासससुर घर में तरहतरह के धार्मिक अनुष्ठान जैसे माता की चौकी वगैरह कराएं और पुजारियों की जेबें गर्म करते रहें या अंधविश्वास और पाखंडों के चक्कर में रूपए बर्बाद करते रहें तो एक पढ़ीलिखी बहू सास की ऐसी गतिविधियों का हिस्सा बनने या आर्थिक सहयोग करने से इंकार कर सकती है. ऐसा कर के वह सास को सही सोच रखने को प्रेरित कर सकती है.

बेहतर है कि उपहार दें

इस सन्दर्भ में सोशल वर्कर अनुजा कपूर कहती हैं कि जरूरी नहीं आप पूरी कमाई सास को दें. आप उपहार ला कर सास पर रुपए खर्च कर कर सकती हैं. इस से उन का मन भी खुश हो जाएगा और आप के पास भी कुछ रूपए बच जाएंगे. सास का बर्थडे है तो उन्हें तोहफे ला कर दें, उन्हें बाहर ले जाएं, खाना खिलाएं, शॉपिंग कराएं, वह जो भी खरीदना चाहें वे चीजें खरीद कर दें. त्यौहारों के नाम पर घर की साजसजावट और सब के कपड़ों पर रूपए खर्च कर दें.

पैसों के लेनदेन से घरों में तनाव पैदा होते हैं पर तोहफों से प्यार बढ़ता है, रिश्ते सँभलते हैं और सासबहू के बीच बॉन्डिंग मजबूत होती है. याद रखें रुपयों से सास में डोमिनेंस की भावना बढ़ सकती है जब कि बहू के मन में भी असंतुष्टि की भावना उत्पन्न होने लगती है. बहू को लगता है कि मैं कमा क्यों रही हूं जब सारे रुपए सास को ही देने हैं.

इसलिए बेहतर है कि जरूरत के समय सास पर या परिवार पर रूपए जरूर खर्च करें पर हर महीने पूरी रकम सास के हाथों में रखने की मजबूरी न अपनाएं.

फिल्मों में बदलते प्यार के अंदाज

कहते हैं फिल्में समाज का आईना हैं. इन में वही दिखाया जाता है, जो समाज में हो रहा होता है. फिर चाहे वह प्यार हो, तकरार हो, अपराध हो अथवा आज के समय में फिल्मों में दिखाया जाने वाला बदलता हुआ प्यार ही क्यों न हो. एक समय था जब प्यार का मतलब लैलामजनूं, हीररांझा और सोनीमहिवाल की प्रेम कहानी हुआ करती थी, लेकिन उस के बाद समय बदला, सोच बदली, तो ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे,’ ‘कुछकुछ होता है,’ ‘हम आप के हैं कौन,’ ‘मैं ने प्यार किया,’ जैसी फिल्मों का दौर आया, जिस में प्यार के अंदाज अलग थे, शादी के माने भी काफी अलग थे, लेकिन एक बात कौमन थी कि लड़कियां प्यार के मामले में शाहरुख खान, सलमान खान, आमिर खान, रितिक रोशन जैसे प्रेमी की कल्पना करती थीं. वे अपने पति में भी शाहरुख जैसे प्यार करने वाले प्रेमी को देखती थीं.

फिर जैसेजैसे वक्त बदला, लोगों की सोच बदली वैसेवैसे शादी और प्यार को ले कर भी लोगों का नजरिया बदलने लगा.जैसाकि कहते हैं ‘यह इश्क नहीं आसान बस इतना समझ लीजिए एक आग का दरिया है और डूब के जाना है…’ ऐसा ही कुछ आजकल मुहब्बत का पाठ पढ़ाने वाली फिल्मों में अलग तरीके से देखने को मिल रहा है. आज के प्रेमीप्रेमिका या पतिपत्नी प्यार में अंधे नहीं हैं, बल्कि वे अपने प्रेमी और उस के साथ गुजारे जाने वाले जीवन को ले कर पूरी तरह से आजाद खयाल रखते हैं.

आज के प्रेमी झूठ में जीने के बजाय प्यार के साथ सच को कबूलने में विश्वास रखते हैं.मगर इस का मतलब यह बिलकुल नहीं है कि आज के समय में प्यार मर गया है या लोगों का प्यार पर विश्वास नहीं रहा बल्कि आज भी लोगों में अपने प्रेमी या पति के लिए उतना ही प्यार है जितना कि लैलामजनूं के समय में था. लेकिन फर्क बस इतना है कि आज लोग प्यार और शादी के मामले में प्रैक्टिकल हो गए हैं क्योंकि जिंदगीभर का साथ है इसलिए दिखावा तो बिलकुल मंजूर नहीं है.

प्यार वही सोच अलगप्यार वही है बस सोच अलग है, जो आज की रोमांटिक फिल्मों में भी दिखाई दे रहा है. पेश है इसी सिलसिले पर एक नजर हालिया प्रदर्शित फिल्मों में दिखे प्यार के बदलते अंदाज के.हाल ही में प्रदर्शित करण जौहर की आलिया भट्ट और रणवीर सिंह द्वारा अभिनीत फिल्म ‘रौकी रानी की प्रेम कहानी’ में ऐसे 2 किरदारों को दिखाया है. आलिया भट्ट और रणवीर सिंह जिन के बीच प्यार हो जाता है, लेकिन दोनों ही एकदूसरे से एकदम विपरीत हैं, सिर्फ ये दोनों ही नहीं बल्कि इन के परिवार भी स्वभाव से एकदम विपरीत होते हैं.

लेकिन चूंकि ये दोनों एकदूसरे से प्यार करते हैं इसलिए परिवार से और अपनेआप से 3 महीने का समय मांगते हैं. इस के तहत ये दोनों प्रेमी तभी शादी करेंगे जब दोनों ही एकदूसरे के परिवार के बीच अपना सम्मान और प्यार बना पाएंगे. कहानी दिलचस्प और अलग भी है इसलिए दर्शकों ने इसे स्वीकारा.जरूरी है एकदूसरे का साथइसी तरह वरुण धवन और जाह्नवी कपूर द्वारा अभिनीत फिल्म ‘बवाल’ एक ऐसी पतिपत्नी की कहानी है जहां पति अपनी पत्नी को इसलिए स्वीकार नहीं करता क्योंकि उसे मिर्गी के दौरे पड़ते हैं.

पत्नी को शादी के दिन ही मिर्गी का दौरा पड़ जाता है इसलिए बवाल में पति बना वरुण धवन अपनी पत्नी को स्वीकारने से मना कर देता है और उस से दूरी बना लेता है. लेकिन पत्नी हार मानने के बजाय पति के सामने यह साबित करने में कामयाब होती है कि भले ही उसे मिर्गी के दौरे आते हैं, लेकिन हर मामले में वह अपने पति से कहीं ज्यादा होशियार है. वह पति से नाराजगी दिखाने के बजाय अपनी काबिलीयत दिखा कर पति के दिल में अपनी जगह बनाने में कामयाब हो जाती है.

इसी तरह ‘जरा हट के जरा बच के’ फिल्म की कहानी भी एक ऐसे ही पतिपत्नी की कहानी है जो प्यार में पड़ कर शादी तो कर लेते हैं, लेकिन खुद का मकान न होने की वजह से दुखी हो जाते हैं और मकान पाने की जुगाड़ में पतिपत्नी अपनी शादी को भी ताक पर रख देते हैं. लेकिन बाद में उन्हें एहसास होता है कि मकान से भी ज्यादा जरूरी उन के लिए एकदूसरे का साथ है. लिहाजा अपनी गलती सुधार कर एक हो जाते हैं.

एक अनोखी कहानी

हाल ही में प्रदर्शित रणबीर कपूर और श्रद्धा कपूर की फिल्म ‘तू ?ाठी मैं मक्कार’ की कहानी ऐसे 2 प्रेमियों की कहानी है जो आपस में प्यार तो बहुत करते हैं लेकिन प्रेमिका संयुक्त परिवार का हिस्सा नहीं बनना चाहती क्योंकि उस का मानना है कि जौइंट फैमिली में रहने से घर वालों की बहुत ज्यादा दखलंदाजी से पतिपत्नी की प्राइवेसी खत्म हो जाती है. लेकिन बाद में अपनी ससुराल वालों का प्यार देख कर प्रेमिका की सोच बदल जाती है और वह शादी के लिए मान जाती है.

इसी तरह शराबी प्रेमी पर आधारित फिल्में अमिताभ बच्चन की ‘शराबी,’ शाहिद कपूर की ‘कबीर सिंह,’ आदित्य राय कपूर की ‘आशिकी-2’ में ऐसे प्रेमियों को दिखाया गया जो अपनी प्रेमिका से प्यार तो बहुत करते हैं परंतु शराब नहीं छोड़ना चाहते, जिस वजह से काफी मुश्किलों के बाद उन्हें अपना प्यार मिलता है.

प्यार के लिए त्याग

संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘गंगूबाई काठियावाड़ी’ की कहानी भी एक ऐसी प्यार करने वाली गंगुबाई यानी आलिया भट्ट की कहानी है जो यह बात अच्छी तरह जानती है कि कोई भी प्रेमी वैश्या से प्यार तो कर सकता है परंतु समाज उस प्रेमी को जो वैश्या को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार लेगा समाज चैन से जीने नहीं देगा और बहुत ज्यादा तकलीफ देगा.

लिहाजा, गंगूबाई अपने प्रेमी को समाज में सम्मानीय बनाए रखने के चक्कर में अपने प्यार का बलिदान दे देती है और अपने प्रेमी की शादी खुद किसी और से करवा देती है.हाल ही में प्रदर्शित ‘गदर-2’ की कहानी भी एक ऐसे प्रेमीप्रेमिका की कहानी है जिस में प्रेमिका अपने प्यार के लिए पाकिस्तान से हिंदुस्तान आ जाती है और हिंदुस्तान में ही अपना परिवार बसाती है. इस से यही निष्कर्ष निकलता है कि आज के हालात के चलते प्यार करने का अंदाज भले ही बदल गया हो परंतु प्यार वही है जो आज से 100 साल पहले था. बस इस का स्वरूप बदल गया है.

 

जेठानी मुझे परिवार से अलग होने का दबाव डाल रही है, मैं क्या करुं?

सवाल-

मैं 26 वर्षीय स्त्री हूं. मेरे विवाह को 2 साल हुए हैं. विवाह के बाद पता चला है कि मेरे पति को साइकोसिस है. वे 1 साल से इस की दवा भी ले रहे हैं. उन का मेरे प्रति व्यवहार मिलाजुला है. कभी तो अच्छी तरह पेश आते हैं, तो कभीकभी छोटीछोटी बातों पर भी बहुत गुस्सा करते हैं. घर वालों से मेरी बिना वजह बुराई करते हैं और मुझे पलपल अपमानित करते रहते हैं. मुझे हर समय घर में बंद कर के रखते हैं. किसी से बात नहीं करने देते क्योंकि बिना वजह मुझ पर शक करते हैं. इस रोजाना के झगड़ेफसाद से छुटकारा पाने के लिए मेरी जेठानी मुझ पर दबाव डाल रही हैं कि मैं उन से अलग रहूं. पर मेरे पति 2 दिन भी मेरे बिना नहीं रह पाते. बताएं मुझे इन हालात में क्या करना चाहिए?

जवाब-

पति के मनोविकार के कारण आप जिस समस्या से आ घिरी हैं उस का कोई आसान समाधान नहीं है. उन के लक्षणों के बारे में जो जानकारी आप ने दी है उस से यही पता चलता है कि उन्हें नियमित साइक्रिएटिक इलाज की जरूरत है. दवा में फेरबदल कर साइकोसिस के लगभग 80 फीसदी मामलों में आराम लाया जा सकता है, पर सचाई यह भी है कि  दवा लेने के बावजूद न तो हर किसी का रोग काबू में आ पाता है और न ही दवा से आराम स्थाई होता है. साइकोसिस के रोगी की संभाल के लिए सभी परिवार वालों का पूरा सहयोग भी बहुत जरूरी होता है. रोग की बाबत बेहतर समझ विकसित करने के लिए परिवार वालों का फैमिली थेरैपी और गु्रप थेरैपी में सम्मिलित होना भी उपयोगी साबित हो सकता है. अच्छा होगा कि आप इस पूरी स्थिति पर अपने मातापिता, सासससुर से खुल कर बातचीत करें. स्थिति की गंभीरता को ठीकठीक समझने के लिए उस साइकिएट्रिस्ट को भी इस बातचीत में शामिल करना ठीक होगा जिसे आप के पति के रोग के बारे में ठीक से जानकारी हो. उस के बाद सभी चीजों को अच्छी तरह समझ लेने के बाद ही कोई निर्णय लें. आप उचित समझें तो अभी आप के सामने तलाक का भी विकल्प खुला है. अगर कोई स्त्री या पुरुष विवाह के पहले से किसी गंभीर मनोविकार से पीडि़त हो और विवाह तक यह बात दूसरे पक्ष से छिपाई गई हो, तो भारतीय कानून में इस आधार पर तलाक मिलने का साफ प्रावधान है.

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

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