अगले मुलाकाती का नाम देखते ही ऋषिराज चौंक पड़ा. ‘डा. धवल पनंग.’ इस से पहले कि वह अपनी सेक्रेटरी सीपा से कुछ पूछता, उस ने आगंतुक के आने की सूचना दे दी. सीपा के सामने वह गाली तो दे नहीं सकता था फिर भी कहे बिना न रह सका, ‘‘तू अपना नर्सिंग होम छोड़ कर मेरे आफिस में क्या कर रहा है?’’
‘‘मास्टर डिटेक्टिव ऋषिराज से मुलाकात का इंतजार. भाई, क्लाइंट हूं आप का, बाकायदा फीस भर कर समय लिया…’’
‘‘मगर क्यों? घर पर नहीं आ सकता था?’’ ऋषि ने बात काटी.
‘‘जैसे मरीज के रोग का इलाज डाक्टर नर्सिंग होम में करते हैं वैसे ही मैं समझता हूं कि जासूस समस्या का सही समाधान अपने आफिस में करते होंगे,’’ धवल बोला.
‘‘वह तो है पर तू अपनी समस्या बता?’’
‘‘पिछले सप्ताह की बात है. एक दिन नर्सिंग होम में मोबाइल पर बात करते वक्त रेणु ने घबराए स्वर में कहा था, ‘कहा न मैं आऊंगी, फिर बारबार फोन क्यों…हां, जितना भी हो सकेगा करूंगी.’ रेणु के मायके वाले अपनी हर छोटीबड़ी घरेलू समस्या में रेणु को जरूर उलझाते हैं. सो यह सोच कर कि वहीं से फोन होगा, मैं ने कुछ नहीं पूछा. फिर मैं ने गौर किया कि रेणु काफी कोशिश कर के भी अपनी घबराहट छिपा नहीं पा रही है और अपने कुछ खास मरीज भी उस ने अपनी सहायक डा. सुरेखा के सिपुर्द कर दिए.
‘‘भले ही एकसाथ काम करते हैं, मगर मैं और रेणु अपनीअपनी गाड़ी से जाते हैं ताकि जिसे जब फुरसत मिले वह बच्चों को देखने घर आ जाए. उस दिन रेणु ने कहा कि उस का गाड़ी चलाने का मन नहीं है सो वह मेरे साथ चलेगी. मैं ने कहा कि शौक से चले, मगर वापस कैसे आएगी क्योंकि मुझे तो एक आपरेशन करने जल्दी आना है तो उस ने कहा कि सुरेखा से पिकअप करने को कह दिया है. रास्ते में मैं ने उस से पूछा कि किस का फोन था तो उस के चेहरे पर ऐसे डर के भाव आए जैसे कोई खून करते हुए वह रंगेहाथों पकड़ी गई हो.
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‘‘वह सकपका कर बोली, ‘यहां तो सारे दिन ही फोन आते रहते हैं, आप किस की बात कर रहे हो?’ मैं चाह कर भी नहीं कह सका कि जिसे सुन कर तुम्हारा हाल बेहाल हो गया है, लेकिन ऋषि, घर पहुंचने पर रेणु के बाथरूम जाते ही मैं ने उस के मोबाइल में वह नंबर ढूंढ़ लिया. वह रेणु के मायके वालों का नंबर नहीं था…’’
‘‘नंबर बता, अभी नामपता मंगवा देता हूं,’’ ऋषि ने बात काटी.
‘‘तेरा खयाल है, मैं नंबर पता लगवाने तेरे पास आया हूं?’’ धवल सूखी सी हंसी हंसा. फिर कहने लगा, ‘‘खैर, अगली सुबह मैं तो जल्दी निकल गया और आपरेशन से फुरसत मिलने पर जब बाहर आया तो देखा कि रेणु आज नर्सिंग होम आई ही नहीं है. घर पर फोन किया तो पता चला कि मैडम वहां भी नहीं है और गाड़ी नर्सिंग होम में खड़ी है. उस के मोबाइल पर फोन किया तो बोली कि किसी जरूरी काम से सिविल लाइन आई थी, अब ट्रैफिक में फंसी हुई हूं. सिविल लाइन में मेरी ससुराल है सो सोचा कि मायके की परदादारी रखना चाह रही है तो रखे.
‘‘मगर परसों शाम जब रेणु एक डिलीवरी केस में व्यस्त थी, मैं बच्चों को ले कर डिजनी वर्ल्ड चला गया. वहां जिस बैंक में हमारा खाता है उस के मैनेजर भी सपरिवार घूम रहे थे. उन्होंने मजाक में पूछा कि क्या डाक्टर साहिबा अभी भी खरीदारी में व्यस्त हैं, कल उन्होंने खरीदारी करने के लिए 1 लाख रुपए निकलवाए थे.
‘‘मैं यह सुन कर स्तब्ध रह गया. रेणु जो घरखर्च के लिए भी मुझ से पूछ कर पैसे निकलवाती थी, चुपचाप 1 लाख रुपए निकलवा ले, यकीन नहीं आया. अभी इस उलझन से उबर नहीं पाया था कि मेरी छोटी साली और साला मिल गए. वह हमारे घर गए थे, पता चलने पर कि हम यहां हैं, वह भी यहीं आ गए. बच्चों को उन के मामा को सौंप कर मैं साली के साथ बैठ गया और पूछा कि घर में ऐसी क्या परेशानी है जिसे फोन पर सुनते ही रेणु भी परेशान हो जाती है.
‘‘सुनते ही मीनू चौंक पड़ी. बोली, ‘क्या कह रहे हैं, जीजाजी? दीदी को घर पर आए 15 रोज से ज्यादा हो गए हैं और पिछले 4-5 रोज से उन्होंने फोन भी नहीं किया. तभी तो मां ने हमें उन का हालचाल जानने को भेजा है क्योंकि हमें फोन करने को तो जीजी ने मना कर रखा है.’
‘‘अब चौंकने की मेरी बारी थी, ‘रेणु ने कब से तुम्हें फोन करने को मना किया हुआ है?’
‘‘‘हमेशा से बहुत ही जरूरी काम होने पर हम उन्हें फोन करते हैं, फुरसत मिलने पर वह खुद ही रोज सब से बात कर लेती हैं, कभीकभी तो दिन में 2 बार भी. सो 4-5 रोज से फोन न आने पर सब को चिंता हो रही है.’
‘‘‘चिंता की कोई बात नहीं है, रेणु आजकल थोड़ी व्यस्त है,’ अपनी चिंता को दरकिनार करते हुए मैं ने मीनू की चिंता दूर की. वह अनजान फोन नंबर जो मैं ने अपने मोबाइल में नोट कर लिया था, दिखा कर मीनू से पूछा कि यह किस का नंबर है?
‘‘‘यह तो अपने पड़ोसी डा. शिवमोहन चाचा का नंबर है. छोटीमोटी बीमारी में हम उन्हीं के पास जाते हैं. समझ में आ गया जीजाजी, इस नंबर से फोन आने पर जीजी क्यों परेशान हुई थीं और क्यों काम छोड़ कर उन से मिलने गई थीं. डा. चाचा का एक डाक्टर बेटा रतन मोहन है. भोपाल के सरकारी अस्पताल में पोस्टमार्टम करता था. एक गलत रिपोर्ट देने के सिलसिले में नौकरी से निलंबित कर दिया गया सो यहां आ गया है. चाचाजी जीजी के पीछे पड़े होंगे कि उसे अपने नर्सिंग होम में रख लें और जीजी परेशान होंगी कि पोस्टमार्टम करने वाले डाक्टर का नर्सिंग होम में क्या काम?’
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‘‘मैं ने जब मीनू से पूछा कि रतन की उम्र क्या है? तो वह बताने लगी कि वह मेडिकल कालिज में रेणु दीदी से 2 साल सीनियर था. पहले उस का घर में बेहद आनाजाना था लेकिन फिर मां ने मुर्दे चीरने वाले रतन के घर में आनेजाने पर रोक लगा दी.
‘‘मैं बुरी तरह आहत हो गया. साफ जाहिर था कि रेणु ने वह 1 लाख रुपए रतन को पुरानी दोस्ती की खातिर दिए थे. जब किसी अपने से किसी गैर के लिए धोखा मिले तो बहुत तकलीफ होती है, ऋषि. खैर, जब मैं बच्चों के साथ घर पहुंचा तो रेणु आ चुकी थी. बच्चों से यह सुन कर कि उन्हें डिजनी वर्ल्ड में बड़ा मजा आया, रेणु के चेहरे पर अजीब से राहत और संतुष्टि के भाव उभरे और मैं ने उसे बुदबुदाते हुए सुना, ‘चलो, यह तसल्ली तो हुई कि मेरे जाने के बाद धवल बच्चों को बहला लेंगे.’ उस की यह बात सुनते ही मैं स्तब्ध रह गया. ऋषि, रेणु मुझे छोड़ने की सोच रही है.’’
‘‘तू ने भाभी से इस बुदबुदाने का मतलब नहीं पूछा?’’ ऋषि ने धवल से पूछा.
‘‘नहीं, ऋषि, मैं उस से अभी कुछ भी पूछना नहीं चाहता. तू मुझे रेणु और रतन के सही संबंधों के बारे में जो भी पता लगा कर दे सकता है, दे. उस के बाद मैं सोचूंगा कि क्या करना है. कितना समय लगेगा यह सब पता लगाने में?’’
‘‘अगर रतन के कालिज का नाम, किस साल से किस साल तक उस ने पढ़ाई की और उस के अन्य सहपाठियों के नाम का पता चल जाए तो 2-3 रोज में गड़े मुर्दे उखड़ जाएंगे और फिलहाल क्या हो रहा है, यह जानने के लिए भाभी और रतन की गतिविधियों पर पहरा बैठा देता हूं. रतन का अतापता मालूम है?’’
धवल को जो भी मालूम था वह ऋषि को बता कर थके कदमों से लौट आया. उस का खयाल था कि ऋषि 2-3 रोज से पहले क्या फोन करेगा लेकिन ऋषि ने उसी शाम फोन किया.
‘‘धवल, या तो अभी मेरे आफिस में आजा या फिर रात में खाने के बाद मेरे घर पर आ जाना.’’
‘‘अभी आया,’’ कह कर धवल ने फोन रख दिया. काम में दिल नहीं लग रहा था सो उस ने कल से ही नए मरीजों को समय देने से मना किया हुआ था.
ऋषि रिपोर्ट ले कर बैठा हुआ था. ‘‘रेणु और रतन मोहन में आज कोई संपर्क नहीं हुआ है,’’ ऋषि ने बताया, ‘‘पुराने सहपाठियों को कभी रेणु और रतन का रिश्ता आपत्तिजनक नहीं लगा. पड़ोसियों और पारिवारिक जानपहचान वालों में जैसा व्यवहार होता है वैसा ही था. रेणु अपनी और अपने सहपाठियों की समस्याएं ले कर रतन के पास जाया करती थी. वह कोई बहुत काबिल डाक्टर नहीं था, लेकिन सीनियर होने के नाते सुझाव तो दे ही देता था.
‘‘रतन जिस अस्पताल में काम कर रहा था वहीं रेणु और उस के साथ की कुछ लड़कियों ने इंटर्नशिप की थी और तब रतन ने उन सब की बहुत मदद की. उसी दौरान रेणु के साथ इंटर्नशिप कर रही एक लड़की डाक्टर रैचेल का अचानक हार्ट फेल हो गया. रेणु सहेली की मौत के बाद ज्यादा सहमी सी लगने लगी और रतन को देखते ही और ज्यादा सहम जाती थी. इंटर्नशिप खत्म होते ही रेणु तुझ से शादी कर के विदेश चली गई. जब तुम लोग विदेश से लौटे तब तक रतन कहीं और नौकरी पर जा चुका था. अच्छा, यह बता धवल, जब तुम लोग लंदन में थे तो रतन के साथ संपर्क थे भाभी के?’’
‘‘मुझे तो रतन के अस्तित्व के बारे में अभी पता चला है, रहा सवाल लंदन का तो उस जमाने में ई-मेल और एसएमएस जैसी सुविधाएं तो थीं नहीं और चिट्ठी लिखने की रेणु को फुरसत नहीं थी.’’
‘‘अब तक जो सूत्र हाथ लगे हैं उन से तो नहीं लगता कि भाभी और रतन में प्रेम या अनैतिक संबंध हैं. हां, ब्लैकमेल का मामला हो सकता है लेकिन किस बिना पर इस का पता लगवा रहा हूं.’’
‘‘रैचेल की मौत से कुछ संबंध हो सकता है?’’
‘‘खैर, मैं रैचेल की मौत की सही वजह पता लगाता हूं. तू यह पता कर सकता है कि रतन अभी तक कुंआरा क्यों है?’’
धवल कुछ देर सोचता रहा फिर बोला, ‘‘मैं बच्चों को नानी से मिलवाने ले जाता हूं और फिर किसी तरह रतन का जिक्र चला कर उस के बारे में मालूम करूंगा.’’
धवल की उम्मीद के मुताबिक उस की सास ने उसे बच्चों के साथ अकेला देख कर पूछा, ‘‘रेणु आजकल इतनी व्यस्त कैसे हो गई?’’
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‘‘कुछ तो रोज ही 1-2 डिलीवरी के मामले आ जाते हैं, मां. दूसरे, जब से उसे डा. रतन मोहन ने फोन किया है वह न जाने क्या सोचती रहती है.’’
‘‘उस कफन फाड़ रतन की इतनी हिम्मत कि रेणु को फोन करे?’’ मां चिल्लाईं, ‘‘मीनू, लगा तो फोन अपने बाबूजी को, पूछती हूं उन से कि उन्होंने रेणु का नंबर रतन को दिया क्यों?’’
‘‘बाबूजी से जवाबतलब करने से क्या फायदा, मां,’’ मीनू ने कहा, ‘‘अब तो आप डा. रतन मोहन को बुला कर फटकारिए कि आइंदा जीजी को परेशान न करे.’’
‘‘मैं मुंह नहीं लगती उस मरघट के ठेकेदार के. तेरे बाबूजी के आते ही उन से फोन करवाऊंगी.’’
‘‘अरे, नहीं मां, इस सब की कोई जरूरत नहीं है. मगर यह रतन है कौन और रेणु से क्या चाहता है?’’ धवल ने पूछा.
जो कुछ मां ने बताया, वह वही था जो मीनू बता चुकी थी.
धवल के यह पूछने पर कि रतन के बीवीबच्चे कहां हैं? मां ने मुंह बिचका कर कहा, ‘‘उस आलसी निखट्टू से शादी कौन करेगा? किसी तरह लेदे कर डाक्टरी तो बाप ने पास करवा दी लेकिन बेटे ने मरीज देखने की सिरदर्दी से बचने के लिए पोस्टमार्टम करना आसान समझा. बगैर मेहनत के काम में इतना पैसा तो मिलने से रहा कि कोई अपनी बेटी का हाथ थमा दे.’’
‘‘खैर, ऐसी बात तो नहीं है, मांजी, सरकारी डाक्टर को भी अच्छी तनख्वाह मिलती है. हो सकता है वह खुद ही शादी न करना चाहता हो. क्या नाम था रेणु की उस सहेली का, जिस की मौत हो गई थी?’’ धवल ने कुरेदा.
‘‘रैचेल. उस से रतन का क्या लेनादेना? उस आलसी को लड़कियों में कभी कोई दिलचस्पी नहीं रही. उसे तो दिन भर लेट कर टीवी देखने या उपन्यास पढ़ने का शौक है. सरकारी नौकरी में भी दुर्घटना की रिपोर्ट पर हार्ट फेल लिख दिया. वह किसी नेता के बेटे की लाश थी. उन का मुआवजा मारा गया सो उन्होंने उस की छुट्टी करवा दी,’’ मां ने कहा, ‘‘रेणु भी इसीलिए परेशान होगी कि इसे क्या काम दे.’’
सास से यह कह कर कि वह बच्चों को खाने के बाद घर छोड़ आएं और इसी बहाने रेणु से भी मिल लें, धवल ऋषि के घर आया. इस से पहले कि उस से सब सुन कर ऋषि कोई प्रतिक्रिया जाहिर करता, एक फोन आ गया.
‘‘रेणु भाभी पर नजर रख रही लड़की का फोन था. भाभी इस समय एडवोकेट कादिरी के चैंबर में हैं,’’ ऋषि ने फोन सुनने के बाद बताया, ‘‘घबरा मत यार, कादिरी तलाक के नहीं फौजदारी के मुकदमे का वकील है.’’
‘‘यह तो और भी घबराने की बात है. रेणु किस गुनाह में फंसी हुई है?’’
‘‘यह अगर तू खुद भाभी से पूछे तो बेहतर रहेगा. यह तो पक्का है कि वह तेरे से बेवफाई नहीं कर रही हैं सो वह जिस परेशानी में हैं उस में से उन्हें निकालना तेरा फर्ज है. अगर समस्या सुलझाने में कहीं भी मेरी जरूरत हो तो बताना.’’
जब धवल घर पहुंचा तो रेणु अपने मातापिता के साथ बैठी अनमने ढंग से बात कर रही थी. कुछ देर के बाद वे लोग उठ खड़े हुए और उस के पिता ने चलतेचलते कहा, ‘‘तू बेफिक्र रह बेटी, मैं रतन को आश्वासन दे देता हूं कि मैं उस की नौकरी लगवा दूंगा, वह तुझे परेशान न करे.’’
रेणु चुप रही मगर उस के चेहरे पर अविश्वास की मुसकान थी. सासससुर के जाते ही धवल ने मौका लपका.
‘‘यह डा. रतन मोहन है कौन, रेणु, जो सभी उस के लिए इतने परेशान हैं?’’
पहले तो रेणु सकपकाई फिर संभल कर बोली, ‘‘बाबूजी के करीबी दोस्त का बेटा है.’’
‘‘तब तो मेरा साला हुआ न, उसे तो अपने यहां काम मिलना ही चाहिए. भई, बाबूजी को फोन कर देता हूं कि उसे कल ही भेज दें, मरीज की केस हिस्ट्री नोट करने के लिए मुंहमांगी तनख्वाह पर रख लूंगा. बाबूजी का मोबाइल नंबर बोलो?’’
‘‘रहने दो, धवल. रतन को नौकरी नहीं चाहिए,’’ रेणु थके स्वर में बोली.
‘‘तो फिर क्या चाहिए?’’ धवल ने लपक कर रेणु को बांहों में भर लिया. धवल के स्पर्श की ऊष्मा से रेणु पिघल कर फूटफूट कर रोने लगी. धवल पहले तो चुपचाप उस की पीठ सहलाता रहा, फिर धीरे से बोला, ‘‘बताओ न, रेणु, रतन क्यों परेशान कर रहा है तुम्हें, क्या चाहिए उसे?’’
‘‘मेरी जान.’’
‘‘वह किस खुशी में, भई?’’
‘‘मेरी बेवकूफी की.’’
‘‘ऐसी कैसी बेवकूफी जिस की भरपाई जान दे कर हो? अगर तुम को मुझ पर भरोसा है तो मुझे सबकुछ खुल कर बताओ.’’
‘‘कैसी बात करते हो, धवल. तुम पर नहीं तो और किस पर भरोसा करूंगी? तुम्हें बेकार में परेशान नहीं करना चाहती थी सो अब तक चुप थी पर अब सहन नहीं होता,’’ रेणु ने सुबकते हुए कहा, ‘‘मैं ने गांधी अस्पताल में इंटर्नशिप की थी और उन दिनों रतन की नियुक्ति भी उसी अस्पताल में थी.
‘‘एक रोज मैं और मेरी सहेली रैचेल रतन के कमरे में बैठे हुए आपस में बात कर रहे थे कि नींद की गोलियों में कौन से ब्रांड की गोली सब से असरदायक होती है. रतन ने कहा कि किसी भी ब्रांड की गोली खाने से पहले अगर 1-2 घूंट ह्विस्की पी लो तो गोली जबरदस्त असर करती है. मेरे पूछने पर कि उसे कैसे मालूम, रतन ने कहा कि उस ने किसी उपन्यास में पढ़ा है और रासायनिक तथ्यों को देखते हुए बात ठीक भी हो सकती है.
‘‘रैचेल ने कहा कि अनिंद्रा की बीमारी से पीडि़त लोगों के लिए तो यह नुस्खा बहुत कारगर सिद्ध हो सकता है लेकिन बगैर आजमाए तो किसी को बताना नहीं चाहिए. मुझे पता था कि रैचेल के घर में शराब का कोई परहेज नहीं है और ज्यादा थके होने पर रैचेल भी 1-2 घूंट लगा लेती है. मैं ने उस से कहा कि वह खुद पर ही यह फार्मूला आजमा के देख ले. भरपूर नींद सो लेगी तो अगले दिन तरोताजा हो जाएगी. रैचेल बोली कि ह्विस्की की तो कोई समस्या नहीं है लेकिन नींद की गोली बगैर डाक्टर के नुस्खे के नहीं मिलती, रतन अगर नुस्खा लिख दे तो वह तजरबा करने को तैयार है.
‘‘रतन ने कहा कि नुस्खे की क्या जरूरत है. रेणु की नाइट ड्यूटी आजकल आरथोपीडिक वार्ड में है, जहां आमतौर पर सब को ही गोली दे कर सुलाना पड़ता है. सो इस से कह, यह किसी मरीज के नाम पर तुम्हें भी एक गोली ला देगी. उस रात बहुत से मरीजों के लिए एक ही ब्रांड की गोली लिखी गई थी सो नर्स स्टोर से पूरी शीशी ले आई. आधी रात को सब की नजर बचा कर मैं ने वह शीशी अपने पर्स में रख ली और मौका मिलते ही रैचेल को दे दी.
‘‘अगले दिन हमारी छुट्टी थी. रात के 10 बजे के करीब रैचेल के पिता का फोन आया कि बहुत पुकारने पर भी रैचेल जब रात का खाना खाने नहीं आई तो उन्होंने उस के कमरे में जा कर देखा कि वह एकदम बेसुध पड़ी है. मैं ने उन्हें रैचेल को फौरन अस्पताल लाने को कहा और आश्वासन दिया कि मैं भी वहां पहुंच रही हूं. संयोग से रतन की उस रात नाइट ड्यूटी थी, मैं ने तुरंत उसे फोन पर सब बता कर कहा कि मुझे लगता है कि रैचेल ने तजरबा कर लिया. मैं ने उसे वार्ड से चुरा कर नींद की गोलियों की शीशी दी थी.
‘‘रतन बोला कि वह तो उसे मालूम है. आधी शीशी नींद की गोलियां गायब होने से वार्ड में काफी शोर मचा हुआ था, जिसे सुनते ही वह समझ गया था कि यह किस का काम है. खैर, चिंता की कोई बात नहीं, उसे बता दिया है सो वह सब संभाल लेगा और उस ने संभाला भी. अस्पताल पहुंचने से पहले ही रैचेल की मौत हो चुकी थी. रतन ने मौत की वजह मैसिव हार्ट अटैक बता कर किसी और डाक्टर के आने से पहले आननफानन में पोस्टमार्टम कर बौडी रैचेल के घर वालों को दे दी.
‘‘अगले रोज उस ने मुझे अकेले में बताया कि उस ने मुझे बचा लिया है. रैचेल ने काफी मात्रा में नींद की गोलियां खाई थीं. पलंग के पास पड़ी नींद की गोलियों की खाली शीशी भी उस के बाप को मिल गई थी, मगर रतन के समझाने पर कि आत्महत्या का पुलिस केस बनने पर उन की बहुत बदनामी होगी, उन्होंने चुपचाप रैचेल का जल्दी से अंतिम संस्कार कर दिया. यही नहीं जच्चाबच्चा वार्ड जहां रैचेल की ड्यूटी थी, वहां भी एक नर्स ने मुझे अचानक वार्ड में आ कर हंसते हुए रैचेल को कुछ पकड़ाते हुए देखा था. रतन ने उसे भी डांट कर चुप करा दिया कि सब के सामने हंसते हुए च्युंगम दी जाती है चुराई हुई नींद की गोलियों की शीशी नहीं.
‘‘मेरे आभार प्रकट करने पर रतन ने कहा कि खाली धन्यवाद कहने से काम नहीं चलेगा. जब वह किसी परेशानी में होगा तो वह जो कहेगा मुझे उस के लिए करना पड़ेगा. हामी भरने के सिवा कोई चारा भी नहीं था. उस के बाद से मैं रतन से डरने लगी थी, हालांकि उस ने दोबारा वह विषय कभी नहीं छेड़ा.
‘‘कुछ अरसे के बाद रैचेल की गोलियां खाने की वजह भी समझ में आ गई. डा. राममूर्ति ने एक रोज बताया कि वह और रैचेल एकदूसरे से प्यार करते थे और जल्दी ही शादी करने वाले थे लेकिन उस के घर वालों ने उस की शादी कहीं और तय कर दी थी.
राममूर्ति ने रैचेल को आश्वासन दिया था कि छुट्टी मिलते ही चेन्नई जा कर अपने घर वालों को सब बता कर वह रिश्ता खत्म कर देगा, लेकिन काफी कोशिश के बाद भी उसे छुट्टी नहीं मिल रही थी और रैचेल इसे उस की टालमटोल समझ कर काफी बेचैन थी. शायद इसी वजह से उस का हार्ट फेल हो गया. यह जान कर मेरे मन से एक बोझ उतर गया कि रैचेल की जान मेरे मजाक के कारण नहीं गई. वह आत्महत्या करने का फैसला कर चुकी थी. फिर मैं तुम से शादी कर के लंदन चली गई. वापस आने पर भी रतन से कभी मुलाकात नहीं हुई.
‘‘अब अचानक इतने साल बाद उस ने मुझे ब्लैकमेल करना शुरू किया है कि रैचेल की सही पोस्टमार्टम रिपोर्ट और विसरा वगैरा उस के पास सुरक्षित है, जिस के बल पर वह मुझे कभी भी सलाखों के पीछे भेज सकता है. अपना मुंह बंद रखने की कीमत उस ने 1 लाख रुपए मांगी थी जो मैं ने चुपचाप उसे दे दी. आसानी से मिले पैसे ने उस की भूख और भी बढ़ा दी. उस ने मुझे कहा कि मैं और भी मेहनत कर के पैसे कमाऊं क्योंकि अब वह अपनी नहीं मेरी कमाई पर जीएगा…’’
‘‘जुर्म के सुबूत छिपाने वाला जुर्म करने वाले जितना ही अपराधी होता है सो रतन तुम्हें फंसाने की कोशिश में खुद भी पकड़ा जाएगा,’’ धवल ने रेणु की बात काटी.
‘‘यह बात मैं ने रतन से कही थी तब वह बोला, ‘कह दूंगा कि तुम्हारे रूपजाल में फंस कर मेरी बुद्धि भ्रष्ट हो गई थी लेकिन अब विवेक जागा है तो मैं आत्मसमर्पण करना चाहता हूं. मुझे थोड़ीबहुत सजा हो जाएगी, तुम शायद सुबूतों के अभाव में बरी भी हो जाओ लेकिन यह सोचो कि तुम्हारी कितनी बदनामी होगी, तुम्हारे नर्सिंग होम की ख्याति और पति की प्रतिष्ठा पर कितना बुरा असर पड़ेगा?’
‘‘उस की दलील में दम था, फिर भी मैं ने एक जानेमाने वकील से सलाह ली तो उन्होंने भी यही कहा कि सजा तो मुझे नहीं होने देंगे लेकिन बदनामी और उस से होने वाली हानि से नहीं बचा सकते. अब तुम ही बताओ, धवल, मैं क्या करूं?’’ रेणु ने पस्त मन से पूछा.
‘‘अब तुम्हें कुछ करने या परेशान होने की जरूरत नहीं है. जो भी करना है, अब मैं सोचसमझ कर करूंगा. फिलहाल तो चलो, आराम किया जाए,’’ धवल ने रेणु को बांहों में भर कर पलंग पर लिटा दिया.
अगले रोज धवल ऋषि से मिला.
‘‘भाभी को कह कि यह टेप रिकार्डर हरदम अपने पास रखें और जब भी रतन का फोन आए, इसे आन कर दें, ताकि वह जो भी कहे इस में रिकार्ड हो जाए,’’ ऋषि ने सब सुन कर एक छोटी सी डिबिया धवल को पकड़ाई, ‘‘फिर रतन को देने के लिए जो भी पैसा बैंक से निकाले उन नोटों के नंबर वहां दर्ज करवा दे जिन की बुनियाद पर हम पुलिसकर्मी बन कर उसे ब्लैकमेल के जुर्म में गिरफ्तार करने का नाटक कर के उसे इतना डराएंगे कि वह फिर कभी भाभी के सामने आने की हिम्मत नहीं करेगा. उस के पकड़े जाने पर उस के डाक्टर बाप की इज्जत या प्रेक्टिस की साख पर असर नहीं पड़ेगा?’’
‘‘यह तो मैं ने सोचा ही नहीं था. रेणु के तजरबे के सुझाव ने खुद रेणु को फंसा दिया था पर लगता है तुम्हारा रतन को डराने का तजरबा सफल रहेगा.’’
‘‘होना भी चाहिए, यार. भाभी अपने गलत सुझाव के लिए काफी आर्थिक और मानसिक यातना भुगत चुकी हैं.’’