अपनी आदतानुसार औफिस पहुंच जैसे ही विवान शैली को फोन मिलाने लगा कि फिर उस की कही बातें उस के कानों में गूंजने लगी कि अरे, तुम में तो स्वाभिमान नाम की कोई चीज ही नहीं है वरना यों यहां न चले आते… जानते हो मैं यहां क्यों आई ताकि कुछ दिनों के लिए तुम से छुटकारा मिले. हथेलियों से अपने दोनों कान दबा कर विवान ने अपनी आंखें मूंद लीं और मन ही मन जैसे कोई निश्चय कर बैठा.
एक रोज, ‘‘सर, आ… आप और यहां?’’ विवान को मार्केट में देख कर आयुषी, जो कभी उस की पीए हुआ करती थी और अपनी पत्नी के कहने पर ही उस ने उसे काम से निकाला था. ‘‘सौरी सर, पर आप को इतने साल बाद देखा तो रहा नहीं गया और आवाज दे दी.’’
‘‘नो… नो… इट्स ओके. और बताओ?’’ विवान ने आयुषी को ताड़ते हुए पूछा.
‘‘बस सर सब ठीक ही है. आप सुनाएं?’’
‘‘सब ठीक ही है, बोल कर विवान
मुसकरा दिया.’’
आयुषी बोली, ‘‘मेरा घर यहीं पास में ही है. प्लीज, आप घर चलें.’’
‘‘फिर कभी,’’ कह विवान जाने को हुआ.
‘‘तभी आयुषी बोली, सर प्लीज, सिर्फ 5 मिनट के लिए चलिए.’’
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आयुषी इतना आग्रह करने लगी कि विवान न नहीं कर पाया.
चाय पीतेपीते ही विवान ने उस के पूरे घर का मुआयना किया. बुरा लग रहा था उसे देख कर कि आयुषी इतने छोटे से घर में और अभावों में जी रही है.
‘‘अरे, सर आप ने तो कुछ लिया ही नहीं… यह टेस्ट कीजिए न,’’ आयुषी की आवाज से विवान चौंका, ‘‘बसबस बहुत हो गया… सच में चाय बहुत अच्छी बनी थी. वैसे अभी तुम कर क्या रही हो, मेरा मतलब कहां जौब कर रही हो?’’
‘‘कहीं नहीं सर… घर में ही बैठी हूं… अच्छा ये सब छोडि़ए, बताइए और क्या खाएंगे आप?’’
‘‘नहींनहीं कुछ नहीं, अब घर जाऊंगा,’’ विवान बोला और फिर घर चल दिया. रास्तेभर वह यही सोचता रहा कि आखिर क्या गलती थी आयुषी की? बस यही न कि वह मुझ से खुल कर हंसबोल लेती थी और काम के ही सिलसिले में कभी मुझे फोन कर लेती थी. हां, याद है मुझे उस रोज भी एक जरूरी फाइल पर आयुषी मेरे साइन लेने मेरे घर आ गई थी और उसी बात को ले कर शैली ने कितना हंगामा मचा दिया था. यह कह कर कि वह मुझ पर डोरे डाल रही है… जानबूझ कर मेरे करीब आने की कोशिश करती है. उस वक्त मैं उस के प्यार में पागल था, इसलिए सहीगलत का अनुमान नहीं लगा पाया और उस के जोर डालने पर आयुषी को नौकरी से निकाल दिया. क्यों कर उस वक्त मैं ने शैली की बात मानी थी? क्या मैं कोई दूध पीता बच्चा था? खैर, गलती तो सुधारी भी जा सकती है न और फिर उसी वक्त विवान ने आयुषी को फोन लगा कर कल सुबह 10 बजे अपने औफिस बुला लिया.
अपने हाथ में नियुक्ति पत्र देख आयुषी की आंखें छलक आईं. आभार प्रकट
करते हुए कहने लगी, ‘‘अब मैं पहले से भी ज्यादा सक्रिय हो कर काम करूंगी और कभी किसी शिकायत का मौका नहीं दूंगी.’’
‘‘न पहले मुझे तुम से कोई शिकायत थी और न अब है… बस समझ लो एक गलतफहमी के कारण… खैर अब छोड़ो वे सब पुरानी बातें… जाओ अपना काम करो. और हां, मुझे तुम्हारे हाथ के वे मूली के परांठे खाने हैं… क्या मिलेंगे?’’ विवान ने हंसते हुए कहा.
सुन कर आयुषी की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. यह जान कर कि शैली अभी यहां नहीं है तो रोज वह कोई न कोई व्यंजन बना कर विवान के लिए ले आती और खूब आग्रहपर्वूक उसे खिलाती… अब तो यह रोज का सिलसिला बन गया था.
एक रोज यह बोल कर आयुषी ने विवान को अपने घर खाने पर आमंत्रित किया कि आज उस का जन्मदिन है.
‘‘तो फिर पार्टी मेरी तरफ से,’’ विवान बोला.
आयुषी मना नहीं कर पाई.
तोहफे के तौर पर जब विवान ने आयुषी को स्मार्टफोन और एक सुंदर ड्रैस गिफ्ट की तो वह उस का आभार प्रकट किए बिना नहीं रह पाई.
‘‘इस में आभार कैसा? अरे, यह तो तुम्हारा हक है,’’ वह हमेशा की तरह उस रोज भी विवान उसे उस के घर तक छोड़ने गया और फिर आयुषी के आग्रह करने पर कौफी पीने बैठ गया. लेकिन उस रोज कौफी पीते ही उसे खुमारी सी आने लगी और वह वहीं सो गया. सुबह जब उस की आंखें खुलीं और अपनी बगल में आयुषी को देखा तो वह हैरान रह गया, ‘‘तुम यहां और मैं यहां कैसे?’’ अचकचाया सा विवान कहने लगा.
अपने कपड़े ठीक करते हुए रोनी सी सूरत बना कर आयुषी कहने लगी कि रात में उस ने उसे शैली समझ कर उस के साथ…
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‘‘उफ, यह मुझ से क्या हो गया?’’ उस के मुंह से निकला. मगर फिर सोचने लगा कि गलत क्या किया मैं ने? कहा था उस ने कि मुझ में स्वाभिमान नाम की कोई चीज नहीं है और वह मेरे प्यार से उकता गई है… तो अब मैं बताऊंगा उसे. तरसेगी मेरे प्यार के लिए देखना… फिर उस ने आयुषी को अपने सीने से लगा लिया. कहा कि जो हुआ अच्छा हुआ. उस के बाद तो जैसे यह सिलसिला सा बन गया और इस बात का विवान को कोई मलाल भी नहीं था.
अब शैली अपने घर आने की सोचने लगी पर हैरानी उसे इस बात की हो रही थी कि उसे यहां आए महीना हो चला पर विवान ने न तो उसे एक बार भी फोन किया और न ही फिर पलट कर आया… लेकिन जाएगा कहां? क्या मेरे बिना रह पाएगा? अपने गुमान में फूलती शैली ने अपनेआप से कहा. लेकिन उसे यह नहीं पता कि उस का विवान अब पहले वाला विवान नहीं रहा… जो उस के आगेपीछे एक पागल प्रेमी की तरह मंडराता फिरता था.
इन्हीं खयालों में खोई शैली को भान नहीं रहा कि उस ने चूल्हे पर दूध चढ़ाया है. लेकिन चौंकी तो तब जब उस की बहन स्वीटी ने तेज स्वर में कहा, ‘‘अरे ध्यान कहां है तुम्हारा? देख तो दूध उफन रहा है,’’ कह कर उस ने झट से आंच बंद कर दी.
‘‘उफ, आप ने बचा लिया दीदी वरना आज तो सारा दूध बरबाद हो जाता,’’ स्वीटी का एहसान मानते हुए शैली बोली.
‘‘सही कहा तुम ने पर दूध तो दोबारा आ सकता है, लेकिन अगर जिंदगी बरबाद हो जाए तो? तो क्या उसे दोबारा संवारा जा सकता है?’’
स्वीटी की बात पर शैली ने उसे अचकचा कर देखा.
‘‘शायद इस बात का तुम्हें अंदाजा भी नहीं है कि तुम ने विवान को कितनी चोट पहुंचाई है… ऐसा क्या कर दिया उस ने जो तुम ने उस के साथ इतना खराब व्यवहार किया? यह भी नहीं सोचा कि घर में इतने सारे मेहमान हैं तो वे क्या सोचेंगे विवान के बारे में? अरे, इतना स्नेह करने वाला पति मुश्किल से ही मिलता है शैली… एक मेरा पति है जिसे दुनिया की हर औरत अच्छी लगती है सिवा मेरे और एक तेरा पति है जो तेरे सिवा किसी को नजर उठा कर भी नहीं देखता. जानती है शैली, अब मुझे पता चला कि मेरे पति का अपने ही औफिस की एक लड़की के साथ प्रेम संबंध चल रहा है तो मेरे पैरों तले की जमीन खिसक गई. सिसकते हुए जब मैं ने यह बात अपनी सास को बताई यह सोच कर कि एक औरत का दर्द एक औरत ही समझ सकती है तो पता है उन्होंने क्या कहा? कहने लगीं कि वह मर्द है जो चाहे कर सकता है और यह भी कहा कि अगर यह बात बाहर गई तो लोग मुझ पर ही ऊंगली उठाएंगे. कहेंगे कि मुझ में ही कोई कमी रही होगी, इसलिए मेरा पति किसी दूसरी औरत के पास चला गया. तो जैसे चल रहा है चलने दे.
‘‘जब मां को अपना दुखड़ा सुनाने गई तो वे कहने लगीं कि एक औरत का अकेले इस दुनिया में कोई वजूद नही होता. हर मर्द ऐसी औरत को लोलुपता भरी नजरों से देखता है. वह उसे पा लेने वाली वस्तु के रूप में देखने लगता है. क्या मैं चाहती हूं कि मेरी भी वही स्थिति हो? यह भी कहा मां ने कि मायके वाले कब तक मुझे अपने पास रख पाएंगे… अगर मैं वहां न भी जाऊं न, तो मेरे पित को कोई फर्क नहीं पड़ेगा. लेकिन मेरे और मेरे बच्चे के लिए उस घर के सिवा क्या और कोई ठौरठिकाना है?
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‘‘बस मौका मिलना चाहिए मर्दों को, उन्हें फिसलते जरा भी देर नहीं लगती शैली. इसलिए छोड़ यह जिद और जा अपने घर. नहीं तो कहीं ऐसा न हो कि तू भी मेरी तरह…’’
आगे पढ़ें- स्वीटी की बातें सुन शैली हक्कीबक्की रह गई….