क्या मैरिड लाइफ में खुश रहने के लिए दवाई खाना ठीक है?

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो ये लेख अंत तक जरूर पढ़ें…

सवाल

मैं 39 साल का हूं और मेरी बीवी 20 साल की है. मेरी सेहत अच्छी है, पर बीवी को पूरा मजा देने के लिए 7 दिनों में एक बार सैक्स की गोली खाता हूं. क्या यह ठीक है?

जवाब

बेवजह सैक्स की दवाएं खाना सेहत के लिए घातक होता है. 19 साल छोटी बीवी को बगैर दवा के भी खुश किया जा सकता है.

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पुरुष ही नहीं, महिलाएं भी लें सेक्स का आनंद

‘‘और्गेज्म क्या होता है? क्या यह सैक्स से जुड़ा है? मैं ने तो कभी इस का अनुभव नहीं किया,’’ मेरी पढ़ीलिखी फ्रैंड ने जब मुझ से यह सवाल किया तो मैं हैरान रह गई.‘‘क्यों, क्या कभी तुम ने पूरी तरह से सैक्स को एंजौय नहीं किया?’’ मैं ने उस से पूछा तो वह शरमा कर बोली, ‘‘सैक्स मेरे एंजौयमैंट के लिए नहीं है, वह तो मेरे पति के लिए है. सब कुछ इतनी जल्दी हो जाता है कि मेरी संतुष्टि का तो प्रश्न ही नहीं उठता है, वैसे भी मेरी संतुष्टि को महत्त्व दिया जाना माने भी कहां रखता है.’’

यह एक कटु सत्य है कि आज भी भारतीय समाज में औरत की यौन संतुष्टि को गौण माना जाता है. सैक्स को बचपन से ही उस के लिए एक वर्जित विषय मानते हुए उस से इस बारे में बात नहीं की जाती है. उस से यही कहा जाता है कि केवल विवाह के बाद ही इस के बारे में जानना उस के लिए उचित होगा. ऐसा न होने पर भी अगर वह इसे प्लैजर के साथ जोड़ती है तो पति के मन में उस के चरित्र को ले कर अनेक सवाल पैदा होने लगते हैं. यहां तक कि सैक्स के लिए पहल करना भी पति को अजीब लगता है. इस की वजह वे सामाजिक स्थितियां भी हैं, जो लड़कियों की परवरिश के दौरान यह बताती हैं कि सैक्स उन के लिए नहीं वरन पुरुषों के एंजौय करने की चीज है.

यौन चर्चा है टैबू

भारत में युगलों के बीच यौन अनुभवों के बारे में चर्चा करना अभी भी एक टैबू माना जाता है, जिस की वजह से यह एक बड़ा चिंता का विषय बनता जा रहा है. दांपत्य जीवन में सैक्स संबंध जितने माने रखते हैं, उतनी ही ज्यादा उन की वर्जनाएं भी हैं. एक दुरावछिपाव व शर्म का एहसास आज भी उन से जुड़ा है. यही वजह है कि पतिपत्नी न तो आपस में इसे ले कर मुखर होते हैं और न ही इस से जुड़ी किसी समस्या के होने पर उस के बारे में सैक्स थेरैपिस्ट से डिस्कस ही करते हैं. पुरुष अपनी कमियों को छिपाते हैं. भारत में लगभग 72% स्त्रीपुरुष यौन असंतुष्टि के कारण अपने वैवाहिक जीवन से खुश नहीं हैं.

मनोवैज्ञानिक मानते हैं कि जब भी महिलाएं अपनी किसी समस्या को ले कर उन के पास आती हैं और वजह जानने के लिए उन के सैक्स संबंधों के बारे में पूछा जाता है तो 5 में से 1 महिला इस बारे में बात करने से इनकार कर देती है. यहां तक कि अगली बार बुलाने पर भी नहीं आती. कानूनविद मानते हैं कि 20% डाइवोर्स सैक्सुअल लाइफ में संतुष्टि न होने की वजह से होते हैं. पुरुष अपने साथी को यौनवर्धक गोलियां लेने के बावजूद संतुष्ट न कर पाने के कारण तनाव में रहते हैं. पुरुष अपने सैक्सुअल डिस्फंक्शन को ले कर चुप्पी साध लेते हैं और औरतें अपनी शारीरिक इच्छा को प्रकट न कर पाने के कारण कुढ़ती रहती हैं. वैवाहिक रिश्तों में इस की वजह से ऐसी दरार चुपकेचुपके आने लगती है, जो एकदम तो नजर नहीं आती, लेकिन बरसों बाद उस का असर अवश्य दिखाई देने लगता है.

सैक्स से जुड़ा है स्वास्थ्य

एशिया पैसेफिक सैक्सुअल हैल्थ ऐंड ओवरआल वैलनैस द्वारा एशिया पैसेफिक क्षेत्र में 12 देशों में की गई एक रिसर्च के अनुसार एशिया पैसेफिक क्षेत्र में 57% पुरुष व 64% महिलाएं अपने यौन जीवन से संतुष्ट नहीं हैं. इस में आस्ट्रेलिया, चीन, हांगकांग, भारत, इंडोनेशिया, जापान, मलयेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर, ताइवान आदि देशों को शामिल किया गया था. यह रिसर्च 25 से ले कर 74 वर्ष के यौन सक्रिय स्त्रीपुरुषों पर की गई थी. सब से प्रमुख बात, जो इस रिसर्च में सामने आई, वह यह थी कि पुरुषों में इरैक्टाइल हार्डनैस में कमी होने के कारण पतिपत्नी दोनों ही सैक्स संबंधों को ले कर खुश नहीं रहते हैं. ऐसा इसलिए, क्योंकि इरैक्टाइल हार्डनैस का संबंध सैक्स के साथसाथ प्यार, रोमांस, पारिवारिक जीवन व जीवनसाथी की भूमिका निभाने के साथ जुड़ा है. जीवन के प्रति देखने का उन का नजरिया भी काफी हद तक सैक्स संतुष्टि के साथ जुड़ा हुआ है.

सिडनी सैंटर फौर सैक्सुअल ऐंड रिलेशनशिप थेरैपी, सिडनी, आस्ट्रेलिया की यौन स्वास्थ्य चिकित्सक डा. रोजी किंग के अनुसार, ‘‘एशिया पैसेफिक के इस सर्वेक्षण से ये तथ्य सामने आए हैं कि यौन जीवन संतुष्टिदायक होने पर ही व्यक्ति पूर्णरूप से स्वस्थ रह सकता है. आज की व्यस्त जीवनशैली में जबकि यौन संबंध कैरियर की तुलना में प्राथमिकता पर नहीं रहे, पुरुष व महिलाओं दोनों में ही यौन असंतुष्टि उच्च स्तर पर है. इस की मूल वजह अपनी सैक्स संबंधित समस्याओं के बारे में न तो आपस में और न ही डाक्टरों से बात करना है. चूंकि सैक्स संबंधों का प्रभाव जीवन के अन्य पहलुओं पर भी पड़ता है, इसलिए सैक्स के मुद्दे पर बोलने के लिए उन्हें प्रोत्साहित किया जाना चाहिए.’’ जीवन के इस महत्त्वपूर्ण पक्ष को नजरअंदाज कर के युगल जहां एक तरफ तनाव का शिकार होते हैं, वहीं संतुष्टिदायक सैक्स संबंध न होने के कारण उन के जीवन के अन्य पहलू भी प्रभावित होते हैं. स्वास्थ्य के साथसाथ उन की सोच व जीवनशैली पर भी इस का गहरा असर पड़ता है. यौन संतुष्टि संपूर्ण सेहत के साथसाथ प्रेम व रोमांस से भी जुड़ी है.

कम होती एवरेज

कामसूत्र की भूमि भारत में, जहां की मूर्तियों तक पर सदियों पहले यौन क्रीडा से जुड़ी विभिन्न भंगिमाओें को उकेरा गया था, अभी भी अपने यौन अनुभव के बारे में बात करना एक संकोच का विषय है. भारतीय पुरुष के जीवन में सैक्स जीवन की प्राथमिकताओं में 17वें नंबर पर आता है और औरतों के 14वें नंबर पर. आज अगर हम शहरी युगलों पर नजर डालें तो पाएंगे कि वे दिन में 14 घंटे काम करते हैं, 2 घंटे आनेजाने में गुजार देते हैं और सप्ताहांत यह सोचते हुए बीत जाता है कि सफलता की सीढि़यां कैसे चढ़ें. इन सब के बीच सैक्स संबंध बनाना एक आवश्यकता न रह कर कभीकभी याद आ जाने वाली क्रिया मात्र बन कर रह जाता है. लीलावती अस्पताल, मुंबई के ऐंड्रोलोजिस्ट डा. रूपिन शाह का इस संदर्भ में कहना है, ‘‘प्रत्येक 2 में से 1 भारतीय शहरी पुरुष में पर्याप्त इरैक्टाइल हार्डनैस नहीं होती, फिर भी 40 से कम उम्र के पुरुष अपनी कमजोरी मानने को तैयार नहीं हैं. 40 से कम उम्र की औरतों की सैक्स की मांग अत्यधिक होने के कारण वे एक तरफ जहां अपनी सैक्स संतुष्टि को ले कर सजग रहती हैं, वहीं वे पार्टनर के सुख न दे पाने के कारण परेशान रहती हैं. नीमहकीमों के पास जाने के बजाय डाक्टर व काउंसलर की मदद से यौन संबंधों में व्याप्त तनाव को दूर किया जा सकता है.’’

ड्यूरैक्स सैक्सुअल वैलबीइंग ग्लोबल सर्वे के अनुसार भारतीय पुरुष व महिलाएं अपने सैक्स जीवन से संतुष्ट नहीं हैं. और्गेज्म तक पहुंचना प्रमुख लक्ष्य होता है और केवल 46% भारतीय मानते हैं कि उन्हें वास्तव में और्गेज्म प्राप्त हुआ है, जबकि ऐसी महिलाएं भी हैं, जो यह भी नहीं जानतीं कि और्गेज्म होता क्या है, क्योंकि एक महिला को इस तक पहुंचने में पुरुष से 10 गुना ज्यादा समय लगता है. पुरुष 3 मिनट में संतुष्ट हो जाता है, ऐसे में वह औरत को और्गेज्म प्राप्त होने का इंतजार कैसे कर सकता है. वैसे भी आज भी भारतीय पुरुष के लिए केवल अपनी संतुष्टि माने रखती है.

संवाद व सम्मान आवश्यक

असंतुष्टि की वजह कहीं न कहीं पतिपत्नी के बीच मानसिक जुड़ाव का न होना भी है. आपस में निकटता को न महसूस करना, सम्मान न करना भी उन की संतुष्टि की राह में बाधक बनता है. सैक्स के बारे में खुल कर बात न करना या किस तरह से उस का भरपूर आनंद उठाया जा सकता है, इस पर युगल का चर्चा न करना या असहमत होना भी यौन क्रिया को मात्र मशीनी बना देता है. अपने साथी से अपनी इच्छाओं को शेयर कर सैक्स जीवन को सुखद बनाया जा सकता है, क्योंकि यह न तो कोई काम है और न ही कोई मशीनी व्यवस्था, बल्कि यह वैवाहिक जीवन को कायम रखने वाली ऐसी मजबूत नींव है, जो प्लैजर के साथसाथ एकदूसरे को प्यार करने की भावना से भी भर देती है.

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38 की उम्र में मेरी शादी हुई, मेरी पति को लगता है कि पहले किसी के साथ मेरा अफेयर था…

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो ये लेख अंत तक जरूर पढ़ें…

सवाल

मैं 42 वर्षीय महिला हूं. मेरे विवाह को अभी 4 साल हुए हैं. मेरी परेशानी यह है कि हमारी सैक्सुअल लाइफ सही नहीं चल रही है. मेरे पति को लगता है कि मेरे देरी से विवाह का कारण मेरा विवाह से पूर्व कोई लव अफेयर है. जबकि ऐसा कुछ भी नहीं है. विवाह से पूर्व मेरा किसी के साथ कोई प्रेम संबंध नहीं था. क्या ऐसा कोई टैस्ट है जिस से मैं अपने पति को साबित कर सकूं कि विवाह से पूर्व मेरा किसी के साथ कोई शारीरिक संबंध नहीं था. मैं अपना वैवाहिक रिश्ता कैसे सुधारूं?

जवाब
आप के पति को ऐसा क्यों लगता है कि विवाह पूर्व आप के किसी के साथ शारीरिक संबंध थे. कहीं ऐसा तो नहीं उन्होंने आप से विवाह किसी पारिवारिक दबाव में मजबूरीवश किया हो और वे आप से दूरी बनाने के लिए आप पर आरोप लगा रहे हों? जहां तक आप के पति के सामने आप के वर्जिन साबित करने वाले टैस्ट की बात है तो यह टैस्ट होता है लेकिन इस टैस्ट का कोई औचित्य नहीं है. इसे टू फिंगर टैस्ट भी कहा जाता है. इस टैस्ट में जांच की जाती है कि महिला की हाइमन झिल्ली बरकरार है या नहीं. लेकिन वास्तव में यह झिल्ली इतनी लचीली होती है कि मात्र खेलतेकूदते समय ही यह टूट जाती है. इस के अलावा हाइमनोप्लास्टी द्वारा भी आर्टिफिशियल हाइमन की तरह के टिशूज भी बनाए जा सकते हैं. इसलिए इस टैस्ट के कोई माने नहीं हैं.

वैवाहिक रिश्ते विश्वास पर चलते हैं न कि टैस्ट पर. इस बात की क्या गारंटी है कि आप के वर्जिनिटी टैस्ट में पास होने के बाद भी वे आप पर शक नहीं करेंगे और आप के संबंध सुधर जाएंगे और यह भी हो सकता है कि टैस्ट में पता चले कि आप की झिल्ली खेलकूद या किसी शारीरिक गतिविधि के कारण टूट गई हो तो उन का शक और गहरा हो जाएगा. इसलिए कोई टैस्ट वर्जिनिटी को साबित नहीं कर सकता.

अगर आप अपने पति के साथ वैवाहिक रिश्ते को सुधारना चाहती हैं तो उन के मन से शक का बीज हटा कर विश्वास की जड़ें पैदा करें. अपनी सैक्सुअल लाइफ को बेहतर बनाने के लिए नएनए तरीके अपनाएं. उन्हें अपनी ओर आकर्षित करने के लिए खुद को फिट रखें. लेटेस्ट फैशन व ब्यूटी अपडेट्स के लिए पत्रिकाएं पढें.

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सुरेश को अपनी एक साथी के साथ शारीरिक संबंध बनाना भारी पड़ेगा, यह उस ने सपने में भी नहीं सोचा था.

दरअसल, उस साथी से सैक्स संबंध बनाते समय सुरेश ने कंडोम का इस्तेमाल नहीं किया था.

कुछ दिनों बाद सुरेश को अपने अंग में जलन सी महसूस होने लगी. छोटेछोटे दाने भी निकल आए. डाक्टर ने बताया कि यह असुरक्षित यौन संबंध बनाने की वजह से हुआ है. वह कंडोम का इस्तेमाल कर के सैक्स का मजा उठाता तो बाद में उसे यह परेशानी नहीं होती.

सबलोक क्लिनिक के यौन रोग विशेषज्ञ डाक्टर बिनोद सबलोक बताते हैं कि चाहे मर्द हो या औरत एचआईवी  समेत यौन संक्रामक रोगों को रोकने के लिए कंडोम एक आसान और बेहतर तरीका है. कंडोम न सिर्फ असुरक्षित गर्भधारण से, बल्कि यौन रोगों से भी शरीर की हिफाजत करता है.

शर्म क्यों

बाजार में आसानी से मिलने वाला कंडोम खरीदना अब शर्म वाली बात भी नहीं रही है. कंडोम खरीदने के लिए डाक्टर की परची की जरूरत भी नहीं होती है. इस की कीमत भी बहुत कम होती है. कई सरकारी व गैरसरकारी योजनाओं के तहत कंडोम मुफ्त में भी बांटे जाते हैं.

अब तो अलगअलग फ्लेवर व कई बनावटों में मिलने वाले कंडोम सैक्स संबंध बनाने के दौरान भरपूर मजा भी देते हैं.

कंडोम का इस्तेमाल कर खुले दिमाग से सैक्स का मजा लिया जा सकता है. अब तो बाजार में ऐसे भी कंडोम हैं जिन से लंबे समय तक सैक्स किया जा सकता है.

बेहतर साथी है कंडोम

कंडोम आप के लिए इस तरह एक बेहतर साथी साबित हो सकता है:

* यह बच्चा ठहरने से रोकने का सब से आसान और महफूज तरीका है.

* कंडोम का इस्तेमाल बिना किसी झिझक के कर सकते हैं.

* कोई साइड इफैक्ट नहीं होता.

* कंडोम यौन रोगों से बचाव में कारगर हथियार है.

ऐसे बढ़ाएं रोमांच

बाजार में वनीला, स्ट्राबेरी, केला, चौकलेट, बबलगम, कौफी वगैरह फ्लेवर में भी कंडोम मिलते हैं. मुंह से सैक्स के शौकीनों के लिए ये कंडोम सैक्स के दौरान ज्यादा मजा देते हैं और कोई बीमारी भी नहीं होती है.

जो लोग सैक्स का मजा लंबे समय यानी देर तक नहीं उठा पाते हैं उन के लिए लौंग लास्टिंग कंडोम इस्तेमाल करना बेहतर रहेगा.

सैक्स बनाएं मजेदार

अगर आप सैक्स का मजा उठाना चाहते हैं तो बाजार में डौटेड कंडोम भी आते हैं. डौटेड कंडोम में अपनी साथी का जोश बढ़ाने के लिए इस की बाहरी सतह पर बिंदीनुमा छोटेछोटे उभरे हुए दाने होते हैं. यह चिकनाई वाला होता है.

इन बातों पर ध्यान दें

* कंडोम खरीदते समय उस की ऐक्सपायरी डेट जरूर देख लें.

* ज्यादा तेजी से सैक्स का मजा उठाते समय कंडोम फट भी सकता है. इस का ध्यान रखें और कंडोम को तुरंत बदल दें.

* इस्तेमाल करने से पहले कंडोम के सामने वाले भाग को चुटकी से दबा कर हवा को बाहर निकाल दें, फिर धीरेधीरे अंग पर चढ़ाएं.

* कंडोम खरीदते समय दुकानदार से खुल कर बात करें. बात करते समय जरा भी न शरमाएं.

* सैक्स कुदरत का दिया एक अनमोल तोहफा है. इस का जम कर मजा उठाएं, पर सावधानी और एहतियात भी बरतें.

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थोड़ा सा फ्लर्ट करके जगाएं बोरिंग लाइफ में जादू

‘‘कैसी हो निधि? तुम्हारी तबीयत कैसी है? जल्दी से ठीक हो जाओ…मैं तुम्हारी पसंद की सब्जी बना कर लाई हूं. तुम्हें परवल पसंद हैं न?’’ निधि की पड़ोसिन चित्रा ने घर में घुसते हुए कहा.

‘‘यार, तुम कब तक मेरी पसंद की चीजें बना कर लाती रहोगी. अब मैं ठीक हूं, खाना बना लूंगी. तुम अब मेरे लिए और परेशान मत हो,’’ निधि ने बिस्तर से उठते हुए मुसकरा कर कहा.

‘‘नहीं चित्राजी, मैं तो तुम्हारी सहेली के हाथ का बेस्वाद खाना खाखा कर बोर हो गया  हूं. कृपया 2 दिन निधि को और आराम करने दो ताकि मैं आप के हाथों का बना स्वादिष्ठ खाना और खा सकूं,’’ निधि के पति निर्मल ने चित्रा को बैठने के लिए इशारा करते हुए कहा.

‘‘कैसी बात करते हैं निर्मलजी, सुबह से कोई मिला नहीं क्या? जैसे मैं ने निधि के हाथों का बना खाना कभी खाया नहीं.. इस के हाथों का खाना खा कर किट्टी पार्टी में सब अपनी उंगलियां चाटती रह जाती हैं.’’

इतना सुनते ही निर्मल खिलखिला कर हंस पड़ा. चित्रा ने निधि के चेहरे के कठोर भाव पढ़ लिए थे. जब भी निर्मल चित्रा के साथ इस तरह की चुहल करता तो निधि के चेहरे के भाव ऐसे ही हो जाते थे, यह वह पिछले 10 दिनों में भांप चुकी थी और यह देख कर उसे महसूस हुआ कि वह निर्मल के इस व्यवहार से अपनेआप को असुरक्षित महसूस करती है.

थोड़ी देर इधरउधर की बातें होती रहीं, उस के बाद चित्रा अपने घर लौट आई. आज उस का मन निधि के चेहरे के तने हुए भाव को देख कर कुछ कसैला सा हो गया था. उस ने सोचा कि अब तो निधि काफी ठीक हो गई है और थोड़ाबहुत खाना बना सकती है. फिर निधि भी तो यही चाहती थी, इसलिए उस ने उस के लिए खाना न देने में ही भलाई समझी.

उस के जाते ही निधि ने अपने पति को आड़े हाथों लेते हुए कहा, ‘‘क्यों मेरी बीमारी का फायदा उठा कर चित्रा से बहुत फ्लर्ट करने की कोशिश हो रही है. दूसरे की बीवी सब को प्यारी लगती है, लेकिन काम मेरा बेस्वाद खाना ही आएगा, उस का स्वादिष्ठ खाना नहीं,’’ निधि ने एक ही सांस में सारा आक्रोश उगल दिया.

‘‘अरे यार, तुम तो बुरा मान गईं. मैं ने तो उस की इसलिए बटरिंग की ताकि वह खाना देती रहे और तुम्हें 2 दिन और आराम मिल जाए, कितनी संकीर्ण सोच है तुम्हारी. तुम औरतों की ईर्ष्या की भावना का कोई जवाब नहीं…’’ निर्मल ने निधि से प्रतिवाद करते हुए उसे ही अपराधी साबित किया. हमेशा की तरह निधि के इस रवैए से उस का मन कड़वा हो गया.

अगले दिन चित्रा खाना ले कर निधि के घर नहीं आई तो निधि को जैसे सुकून मिला. लेकिन निर्मल का माथा ठनका कि जरूर निधि के बरताव से बुरा मान कर ही चित्रा नहीं आई होगी. उस ने निधि से कुछ नहीं कहा, क्योंकि वह जानता था कि उस के बारे में पूछते ही वह व्यंग्यात्मक रूप से बोल कर उसे आहत करेगी.

कितना जरूरी है सकारात्मक सोच

निधि और चित्रा दोनों के विवाह को अभी 2 साल ही हुए थे और दोनों परिवार विवाह होते ही बैंगलुरु में आ कर बस गए थे. पड़ोसी और समान परिस्थितियां होने के कारण दोनों में बहुत जल्दी दोस्ती हो गई थी. लेकिन उन के पतियों का मिलनाजुलना बहुत कम होता था, क्योंकि जहां निधि का पति बहुत बातूनी और सहज था, वहीं चित्रा का पति अंतर्मुखी और उदासीन स्वभाव का था.

उन का अपने पतियों के औफिस जाने के बाद ही मिलना होता था. अकसर बाजार के काम के लिए या कहीं भी जाना होता था तो वे साथसाथ जाती थीं, लेकिन इन दिनों निधि की बीमारी के कारण चित्रा का निधि के घर में समयअसमय आना होने लगा. उस ने निधि को डेंगू बुखार से ग्रस्त होने के बाद पूरा आराम देने के लिए सुबहशाम खाना देना आरंभ कर दिया. निर्मल के भी औफिस से छुट्टी ले कर घर पर रहने के कारण और उन दोनों के स्वभाव एकजैसे होने से वे बहुत जल्दी घुलमिल गए और अकसर उन में नोकझोंक होने लगी.

निर्मल को निधि के विपरीत उस का बिंदास स्वभाव बहुत अच्छा लगता था. छोटीछोटी बातों पर खुल कर हंसना और जीवन के प्रति उस की सकारात्मक सोच वातावरण को खुशनुमा बना देती थी, निधि के डेंगू से पीडि़त होने के बाद घर पर एक सन्नाटा सा छाया रहता था. चित्रा ने उस समय उन लोगों की बहुत मदद की और उस के प्रतिदिन आने से वे लोग थोड़ी देर के लिए उस से बातें करने में बीमारी को भूल जाते थे.

असुरक्षा की भावना क्यों

लेकिन निधि को यह सब नहीं सुहाता था. वैसे भी वह निर्मल की औरतों से फ्लर्ट करने की आदत से उस के प्रति हमेशा आशंकित ही रहती थी. वह था भी सुदर्शन और सुगठित व्यक्तित्व का मालिक. कोई उस की तारीफ करता तो निधि उसे ले कर असुरक्षा की भावना से घिर जाती थी, जबकि वह निधि को बहुत प्यार करता था और एक अच्छे पति की तरह उस का ध्यान भी रखता था.

निर्मल निधि की इस शक करने वाली आदत से कई बार आहत हो जाता था. उस ने उसे कई बार समझाने की कोशिश भी की कि वह अपनी संकीर्ण सोच से बाहर निकले. लेकिन निर्मल के समझाने का उस पर रत्ती भर भी प्रभाव नहीं होता था. निर्मल भी बिना कारण अपना स्वभाव बदलने में कोई औचित्य नहीं समझता था, इसलिए आए दिन उन दोनों में मनमुटाव हो जाता था.

उदासीन बरताव

15 दिन हो गए. चित्रा ने उस से कोई संपर्क नहीं किया. निर्मल भी अपनी औफिस की दिनचर्या के कारण व्यस्त हो गया था. निधि की तबीयत तो ठीक हो गई थी, लेकिन कमजोरी बहुत महसूस हो रही थी. घर में अकेले होेने के कारण सारा दिन बिस्तर पर पड़ेपड़े वह ऊब जाती थी, इसलिए उसे चित्रा की बहुत कमी महसूस होने लगी थी.

उस की अनुपस्थिति से उसे एहसास हुआ कि उस के साथ समय कब बीत जाता था, पता ही नहीं चलता था. इतना तो वह समझ गई थी कि उदासीन बरताव के कारण ही उस ने उस के घर आना छोड़ा था. वह सोचने पर मजबूर हो गई कि निर्मल सही कहता है कि उस की इस संकीर्ण सोच के चलते वह अकेली रह जाएगी.

आखिरकार उसे अपनी गलती पर पश्चात्ताप होने लगा कि उस ने अपने शक्की स्वभाव के कारण एक अच्छी सहेली को खो दिया. एक दिन निर्मल के औफिस जाते ही उस ने चित्रा के घर जाने का मन बना लिया. निधि को अचानक अपने घर के बाहर देख कर चित्रा हत्प्रभ रह गई.

अंदर दाखिल होते हुए निधि ने कहा, ‘‘यार, तुम नाराज हो जाओगी तो मेरा क्या होगा? इतने दिन तुम नहीं आईं तो मुझे तुम्हारी अहमियत पता चली. प्लीज, मुझे माफ कर दो,’’ कहते हुए वह चित्रा के गले से लग कर फफक पड़ी.

चित्रा ने उस की पीठ थपथपाते हुए कहा, ‘‘मैं तुम जैसी सहेली से कभी नाराज कैसे हो सकती हूं भला? जितना तुम्हें मुझ से दूर रह कर बुरा लगा, उतना ही मुझे भी लगा. एक तुम ही तो हो, जिस के साथ के कारण इस अनजान शहर में मैं जी पा रही हूं. चिंतन तो हर समय अपने औफिस के काम में व्यस्त रहते हैं. आए दिन टूअर पर जाते हैं या घर पर रहते हैं तो लैपटौप से चिपके रहते हैं, लेकिन यह निश्चित है कि मैं जानबूझ कर तुम्हारे घर नहीं आई, क्योंकि मैं नहीं चाहती थी कि तुम दोनों पतिपत्नी के रिश्ते में मेरे कारण कोई वादविवाद हो, दूसरा तुम्हें मेरी कमी का एहसास हो. मैं तुम्हारी जिंदगी में इतनी घुसपैठ करने की अधिकारिणी तो हूं नहीं कि तुम्हें समझा सकूं कि कोई भी रिश्ता विश्वास की नींव पर ही टिकता है, खासकर पतिपत्नी का.

‘‘तुम अपने पति पर शक कर के अपने वैवाहिक जीवन में जहर घोलने का काम कर रही हो. पति यदि अपनी पत्नी की बहन से या भाभी से मजाक करे तो सामाजिक रूप से स्वीकार्य है, चाहे इन रिश्तों की आड़ में कितने भी अनैतिक संबंध कायम हो जाएं, लेकिन यदि किसी ऐसी महिला से मजाक करे, जिस से उस का कोई रिश्ता नहीं है तो क्यों उसे शक के घेरे में कैद कर लिया जाता है? तुम्हें तो खुश होना चाहिए कि तुम्हारा पति इतने खुले विचारों का स्वामी है. एक चिंतन है, जो किसी से बात ही नहीं करता और घर में सन्नाटा सा पसरा रहता है.

‘‘एक बात और है, जिन पतियों की नीयत खराब होती है, वे अपनी पत्नी के सामने तो बहुत शरीफ रहते हैं और उन के पीछे औरतों से फ्लर्ट करते हैं. मुझे लगता है वैवाहिक जीवन में थोड़ाबहुत फ्लर्ट करना मिठास घोल देता है, नहीं तो पतिपत्नी आपस में एकदूसरे के साथ ही चिपके रह कर बोर होने लगते हैं और जीवन नीरस हो जाता है.’’

चित्रा के इतना कहते ही निधि ने प्रत्युत्तर में कहा, ‘‘तुम सच कहती हो चित्रा. कितना अच्छा घर का वातावरण हो जाता था, जब निर्मल तुम से नोकझोंक करता था. अब तो घर काटने को दौड़ता है. तुम ने मेरी आंखें खोल दीं.’’

‘‘सोच लो. ऐसा न हो कि मैं तुम्हारे पति को पटा लूं और तुम देखती रह जाओ,’’ चित्रा ने जैसे ही आंखें बड़ीबड़ी कर के यह कहा, दोनों खिलखिला कर हंस पड़ीं और वातावरण खुशनुमा हो गया.

मैं प्रेमी के साथसाथ पति को भी नहीं खोना चाहती… मैं क्या करूं?

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सवाल

मैं 28 साल की महिला हूं. मैं और मेरे पति एकदूसरे का बहुत खयाल रखते हैं, मगर इधर कुछ दिनों से मैं किसी दूसरे के प्रेम में पड़ गई हूं. हमारे बीच कई बार शारीरिक संबंध भी बन चुके हैं. मुझे इस में बेहद आनंद आता है. मैं अब पति के साथसाथ प्रेमी को भी नहीं खोना चाहती हूं. बताएं मैं क्या करूं?

जवाब

आप के बारे में यही कहा जा सकता है कि दूसरे के बगीचे का फूल तभी अच्छा लगता है जब हम अपने बगीचे के फूल पर ध्यान

नहीं देते. आप के लिए बेहतर यही होगा कि आप अपने ही बगीचे के फूल तक ही सीमित रहें. फिर सचाई यह भी है कि यदि पति बेहतर प्रेमी साबित नहीं हो पाता तो प्रेमी भी पति के रहते दूसरा पति नहीं बन सकता. विवाहेतर संबंध आग में खेलने जैसा है जो कभी भी आप के दांपत्य को  झुलस सकती है.

ऐसे में बेहतर यही होगा कि आग से न खेल कर इस संबंध को जितनी जल्दी हो सके खत्म कर लें. अपने साथी के प्रति वफादार रहें. अगर आप अपनी खुशियां अपने पति के साथ बांटेंगी तो इस से विवाह संबंध और मजबूत होगा.

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बच्चों में अंतर रखने का सबसे सुरक्षित तरीका क्या है?

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सवाल-

मेरी 2 साल की एक बेटी है. मैं अभी 4-5 साल दूसरा बच्चा नहीं चाहती हूं. बच्चों में अंतर रखने का सब से सुरक्षित तरीका क्या है?

जवाब-

बच्चों में अंतर रखने के लिए कई गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन रोज करना होता है. जब आप गर्भधारण करना चाहें इन का सेवन बंद कर दें. वैजाइनल रिंग का इस्तेमाल भी किया जाता है.

इसे हर महीने बदलना पड़ता है. इंजैक्शन गर्भावस्था को रोकने में 90-95% तक कारगर है. यह हर

3 महीने में लगवाना होता है. इंट्रा यूटेराइन डिवाइसेस (आईयूडीएस) भी आती हैं, जो लंबे समय तक काम करती हैं और उन की सफलता दर 99% तक है.

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मां बनना एक बेहद खूबसूरत एहसास है, जिसे शब्दों में पिरोना मुश्किल ही नहीं, बल्कि असंभव सा भी प्रतीत होता है. कोई महिला मां उस दिन नहीं बनती जब वह बच्चे को जन्म देती है, बल्कि उस का रिश्ता नन्ही सी जान से तभी बन जाता है जब उसे पता चलता है कि वह प्रैगनैंट है.

प्रैग्नेंसी के दौरान हालांकि सभी महिलाओं के अलगअलग अनुभव रहते हैं, लेकिन आज हम उन आम समस्याओं की बात करेंगे, जिन्हें जानना बेहद जरूरी है.

यों तो प्रैग्नेंसी के पूरे 9 महीने अपना खास खयाल रखना होता है, लेकिन शुरुआती  3 महीने खुद पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है. पहले ट्राइमैस्टर में चूंकि बच्चे के शरीर के अंग बनने शुरू होते हैं तो ऐसे में आप अपने शरीर में होने वाले बदलावों पर नजर रखें और अगर कुछ ठीक न लगे तो डाक्टर का परामर्श जरूर लें.

प्रैग्नेंसी के दौरान महिलाओं को काफी हारमोनल और शारीरिक बदलावों से गुजरना पड़ता है. मितली आना, चक्कर आना, स्पौटिंग, चिड़चिड़ापन, कब्ज, बदहजमी, पेट में दर्द, सिरदर्द, पैरों में सूजन आदि परेशानियोंसे हर गर्भवती महिला को गुजरना पड़ता है. आप कैसे इन समस्याओं से नजात पा सकती हैं, बता रही हैं गाइनोकोलौजिस्ट डा. विनिता पाठक:

शरीर में सूजन

शरीर में सूजन आ जाना भी प्रैग्नेंसी का एक सामान्य लक्षण है. विशेषज्ञों के अनुसार प्रैग्नेंसी में महिला का शरीर लगभग 50 फीसदी ज्यादा खून का निर्माण करता है. गर्भ में पल रहे बच्चे को भी मां के ही शरीर से पोषण मिलता है, जिस की वजह से मां का शरीर ज्यादा मात्रा में खून और फ्लूइड का निर्माण करता है.

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मेरा मंगेत्तर किसी और से प्यार करता है, मैं क्या करूंं?

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो ये लेख अंत तक जरूर पढ़ें…

सवाल

मैं 25 साल की युवती हूं. सगाई हो चुकी है. सगाई के बाद हुई दूसरी मुलाकात में लड़के ने मुझे बता कर चौंका दिया कि वह किसी लड़की से प्यार करता है और हमेशा करता रहेगा. शादी वह दबाव में आ कर रहा है, क्योंकि घर वाले उस की प्रेमिका से जो तलाकशुदा है, शादी नहीं करने देंगे. उस का कहना है कि शादी से पहले ही अपने प्रेम संबंध के बारे में इसलिए बता रहा है ताकि शादी के बाद मैं उस से शिकायत न करुं कि उस ने मुझे धोखा दिया है. मैं समझ नहीं पा रही कि क्या करूं? हमारी सगाई काफी धूमधाम से हुई थी. तमाम सगेसंबंधी शामिल हुए थे. दोनों परिवार बहुत खुश थे. अब यदि वह सगाई तोड़ते हैं तो बहुत बदनामी होगी.

जवाब

प्यार करना था तक तो बात ठीक थी पर करता रहेगा गलत. आप को अपने घर वालों को यह बात बता देनी चाहिए. लोग क्या कहेंगे इस बात की चिंता छोड़ दें. लोगों के डर से आप जबरदस्ती के रिश्ते को नहीं ढोना चाहेंगी.

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आज के समय में जब महिलाएं विभिन्न क्षेत्रों में काम कर रही हैं और अपनी प्रोफैशनल जिम्मेदारियों को बखूबी निभा रही हैं, तो घर के कामों में भी साझेदारी की उम्मीद होना स्वाभाविक है.

एक संतुलित और स्वस्थ रिश्ते के लिए यह जरूरी है कि पतिपत्नी दोनों मिल कर घर की जिम्मेदारियों को बांटें. खासकर वर्किंग महिलाओं के लिए किचन का काम अकेले संभालना थकानभरा हो सकता है. ऐसे में, पति को किचन में मदद के लिए तैयार करना एक सकारात्मक कदम हो सकता है.

यहां कुछ सुझाव दिए गए हैं, जो आप के पति को किचन के काम में हाथ बंटाने के लिए प्रेरित कर सकते हैं :

खुले और ईमानदार संवाद से शुरुआत करें

सब से पहले अपने पति से इस मुद्दे पर खुल कर बात करें. अपने विचारों और भावनाओं को स्पष्ट रूप से व्यक्त करें कि किचन का काम सिर्फ एक व्यक्ति की जिम्मेदारी नहीं होनी चाहिए, बल्कि यह साझेदारी का काम है. उन्हें बताएं कि एक वर्किंग महिला के रूप में आप के पास समय और ऊर्जा की सीमाएं होती हैं, और उन की मदद से काम जल्दी और आसानी से निबट सकता है. यह बातचीत शिकायत या नाराजगी के बजाय एक समझदारी और सहयोग पर आधारित होनी चाहिए.

साझा जिम्मेदारी का महत्त्व बताएं

घर के काम केवल महिला की जिम्मेदारी नहीं होते. यह महत्त्वपूर्ण है कि आप का पति यह समझे कि घर और किचन का काम दोनों की जिम्मेदारी है. यह साझेदारी न केवल आप के काम को हलका करेगी, बल्कि आप दोनों को एक टीम की तरह काम करने में भी मदद मिलेगी. इस से आप दोनों को एकदूसरे के साथ अधिक समय बिताने का मौका मिलेगा, जो रिश्ते को भी मजबूत बनाएगा.

काम को बांटने की योजना बनाएं

अपने पति के साथ मिल कर किचन के कामों को बांटने का एक व्यवस्थित तरीका बनाएं. उदाहरण के लिए, आप दोनों इस बात पर सहमत हो सकते हैं कि एक दिन आप खाना बनाएंगी और दूसरे दिन आप का पति सब्जियां काटेगा या सफाई करेगा.

काम बांटने से किचन का बोझ एक व्यक्ति पर नहीं पड़ेगा और दोनों अपनीअपनी जिम्मेदारियों को संतुलित कर सकेंगे.

मदद को एक सहज और प्राकृतिक प्रक्रिया बनाएं

कभीकभी पति किचन में काम करने से घबराते हैं क्योंकि वे इसे मुश्किल या समय लेने वाला मानते हैं. इसलिए, शुरुआत में छोटे और सरल कामों से शुरू करें, जैसे बर्तन निकालना, सब्जियां धोना या टेबल लगाना. जब वे इन कामों में सहज हो जाएंगे, तो धीरेधीरे बड़े कामों में भी मदद करने के लिए तैयार हो सकते हैं.

प्रशंसा और प्रोत्साहन दें

जब भी आप का पति किचन में मदद करे, उन की सराहना जरूर करें. चाहे वे कितना ही छोटा काम क्यों न करें, उन की मदद की प्रशंसा करने से उन्हें और मदद करने की प्रेरणा मिलेगी.

उदाहरण के लिए, अगर उन्होंने कुछ अच्छा किया हो, तो उन्हें बताएं कि उनशकी मदद ने आप का काम कितना आसान कर दिया. सकारात्मक फीडबैक हमेशा प्रेरणा का काम करता है.

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बौयफ्रैंड का भाई मुझसे प्यार करने लगा है, मैं क्या करूं?

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सवाल

मैं 18 वर्षीय युवती हूं और अपने बौयफ्रैंड से बहुत प्यार करती हूं. वह भी मुझे प्यार करता है. हम ने एक मुंहबोला भाई बना रखा है जिस से बौयफ्रैंड को लगा कि हम उसे धोखा दे रहे हैं अत: हमारा ब्रेकअप हो गया. भाई मेरी हैल्प भी करता है, लेकिन अब यह बात हो रही है कि बौयफ्रैंड का भाई भी मुझ से प्यार करने लगा है. मैं क्या करूं?

जवाब

भई, आप अपने बौयफ्रैंड से ब्रेकअप के बाद उस के भाई के प्यार में पड़ी हैं या अपने खोए प्यार को वापस पाना चाहती हैं. खैर, अगर आप का बौयफ्रैंड से मुंहबोले भाई के कारण रिश्ता टूटा तो गलती आप की भी है. आप को अपने मुंहबोले भाई और बौयफ्रैंड को आपस में मिलाना चाहिए था ताकि ऐसी गलतफहमी पैदा ही न हो. उधर आप के बौयफ्रैंड को भी शक नहीं करना चाहिए. जब आप एकदूसरे से प्रेम करते हैं तो दुनिया थोड़ा छोड़ देते हैं, सब से मिलतेजुलते भी हैं.

खैर, अभी भी देर नहीं हुई. अपने बौयफ्रैंड से मिल कर सब सचसच बताइए और अपने मुंहबोले भाई से भी मिलवाइए. आप का भाई भी उसे बताए कि मैं भाई हूं इस का, गलत मतलब न समझें. इस से आप के बौयफ्रैंड का शक दूर हो जाएगा.

हां, इस के चलते कहीं बौयफ्रैंड के भाई से भी नयनमटक्का न शुरू कर दीजिएगा, कहीं प्रेम का एक नया त्रिकोण ही न खड़ा हो जाए.

 

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सच्चा प्यार : दो चाहने वाले दिल, न चाहते हुए भी, एकदूसरे से जुदा हो गए

अनुपम और शिखा दोनों इंगलिश मीडियम के सैंट जेवियर्स स्कूल में पढ़ते थे. दोनों ही उच्चमध्यवर्गीय परिवार से थे. शिखा मातापिता की इकलौती संतान थी जबकि अनुपम की एक छोटी बहन थी. धनसंपत्ति के मामले में शिखा का परिवार अनुपम के परिवार की तुलना में काफी बेहतर था. शिखा के पिता पुलिस इंस्पैक्टर थे. उन की ऊपरी आमदनी काफी थी. शहर में उन का रुतबा था. अनुपम और शिखा दोनों पहली कक्षा से ही साथ पढ़ते आए थे, इसलिए वे अच्छे दोस्त बन गए थे. दोनों के परिवारों में भी अच्छी दोस्ती थी. शिखा सुंदर थी अनुपम देखने में काफी स्मार्ट था.

उस दिन उन का 10वीं के बोर्ड का रिजल्ट आने वाला था. शिखा भी अनुपम के घर अपना रिजल्ट देखने आई. अनुपम ने अपना लैपटौप खोला और बोर्ड की वैबसाइट पर गया. कुछ ही पलों में दोनों का रिजल्ट भी पता चल गया. अनुपम को 95 प्रतिशत अंक मिले थे और शिखा को 85 प्रतिशत. दोनों अपनेअपने रिजल्ट से संतुष्ट थे. और एकदूसरे को बधाई दे रहे थे. अनुपम की मां ने दोनों का मुंह मीठा कराया.

शिखा बोली, ‘‘अब आगे क्या पढ़ना है, मैथ्स या बायोलौजी? तुम्हारे तो दोनों ही सब्जैक्ट्स में अच्छे मार्क्स हैं?’’

‘‘मैं तो पीसीएम ही लूंगा. और तुम?’’

‘‘मैं तो आर्ट्स लूंगी, मेरा प्रशासनिक सेवा में जाने का मन है.’’

‘‘मेरी प्रशासनिक सेवा में रुचि नहीं है. जिंदगीभर नेताओं और मंत्रियों की जीहुजूरी करनी होगी.’’

‘‘मैं तुम्हें एक सलाह दूं?’’

‘‘हां, बोलो.’’

‘‘तुम पायलट बनो. तुम पर पायलट वाली ड्रैस बहुत सूट करेगी और तुम दोगुना स्मार्ट लगोगे. मैं भी तुम्हारे साथसाथ हवा में उड़ने लगूंगी.’’

‘‘मेरे साथ?’’

‘‘हां, क्यों नहीं, पायलट अपनी बीवी को साथ नहीं ले जा सकते, क्या.’’

तब शिखा को ध्यान आया कि वह क्या बोल गई और शर्म के मारे वहां से भाग गई. अनुपम पुकारता रहा पर उस ने मुड़ कर पीछे नहीं देखा. थोड़ी देर में अनुपम की मां भी वहां आ गईं. वे उन दोनों की बातें सुन चुकी थीं. उन्होंने कहा, ‘‘शिखा ने अनजाने में अपने मन की बात कह डाली है. शिखा तो अच्छी लड़की है. मुझे तो पसंद है. तुम अपनी पढ़ाई पूरी कर लो. अगर तुम्हें पसंद है तो मैं उस की मां से बात करती हूं.’’

अनुपम बोला, ‘‘यह तो बाद की बात है मां, अभी तक हम सिर्फ अच्छे दोस्त हैं. पहले मुझे अपना कैरियर देखना है.’’

मां बोलीं, ‘‘शिखा ने अच्छी सलाह दी है तुम्हें. मेरा बेटा पायलट बन कर बहुत अच्छा लगेगा.’’

‘‘मम्मी, उस में बहुत ज्यादा खर्च आएगा.’’

‘‘खर्च की चिंता मत करो, अगर तुम्हारा मन करता है तब तुम जरूर पायलट बनो अन्यथा अगर कोई और पढ़ाई करनी है तो ठीक से सोच लो. तुम्हारी रुचि जिस में हो, वही पढ़ो,’’ अनुपम के पापा ने उन की बात सुन कर कहा.

उन दिनों 21वीं सदी का प्रारंभ था. भारत के आकाशमार्ग में नईनई एयरलाइंस कंपनियां उभर कर आ रही थीं. अनुपम ने मन में सोचा कि पायलट का कैरियर भी अच्छा रहेगा. उधर अनुपम की मां ने भी शिखा की मां से बात कर शिखा के मन की बात बता दी थी. दोनों परिवार भविष्य में इस रिश्ते को अंजाम देने पर सहमत थे.

एक दिन स्कूल में अनुपम ने शिखा से कहा, ‘‘मैं ने सोच लिया है कि मैं पायलट ही बनूंगा. तुम मेरे साथ उड़ने को तैयार रहना.’’

‘‘मैं तो न जाने कब से तैयार बैठी हूं,’’ शरारती अंदाज में शिखा ने कहा.

‘‘ठीक है, मेरा इंतजार करना, पर कमर्शियल पायलट बनने के बाद ही शादी करूंगा.’’

‘‘नो प्रौब्लम.’’

अब अनुपम और शिखा दोनों काफी नजदीक आ चुके थे. दोनों अपने भविष्य के सुनहरे सपने देखने लगे थे. देखतेदेखते दोनों 12वीं पास कर चुके थे. अनुपम को अच्छे कमर्शियल पायलट बनने के लिए अमेरिका के एक फ्लाइंग स्कूल जाना था.

भारत में मल्टीइंजन वायुयान और एयरबस ए-320 जैसे विमानों पर सिमुलेशन की सुविधा नहीं थी जोकि अच्छे कमर्शियल पायलट के लिए जरूरी था. इसलिए अनुपम के पापा ने गांव की जमीन बेच कर और कुछ प्रोविडैंट फंड से लोन ले कर अमेरिकन फ्लाइंग स्कूल की फीस का प्रबंध कर लिया था. अनुपम ने अमेरिका जा कर एक मान्यताप्राप्त फ्लाइंग स्कूल में ऐडमिशन लिया. शिखा ने स्थानीय कालेज में बीए में ऐडमिशन ले लिया.

अमेरिका जाने के बाद फोन और वीडियो चैट पर दोनों बातें करते. समय का पहिया अपनी गति से घूम रहा था. देखतेदेखते 3 वर्ष से ज्यादा का समय बीत चुका था. अनुपम को कमर्शियल पायलट लाइसैंस मिल गया. शिखा को प्रशासनिक सेवा में सफलता नहीं मिली. उस ने अनुपम से कहा कि प्रशासनिक सेवा के लिए वह एक बार और कंपीट करने का प्रयास करेगी.

अनुपम ने प्राइवेट एयरलाइंस में पायलट की नौकरी जौइन की. लगभग 2 साल वह घरेलू उड़ान पर था. एकदो बार उस ने शिखा को भी अपनी फ्लाइट से सैर कराई. शिखा को कौकपिट दिखाया और कुछ विमान संचालन के बारे में बताया. शिखा को लगा कि उस का सपना पूरा होने जा रहा है. एक साल बाद अनुपम को अंतर्राष्ट्रीय वायुमार्ग पर उड़ान भरने का मौका मिला. कभी सिंगापुर, कभी हौंगकौंग तो कभी लंदन.

शिखा को दूसरे वर्ष भी प्रशासनिक सेवा में सफलता नहीं मिली. इधर शिखा के परिवार वाले उस की शादी जल्दी करना चाहते थे. अनुपम ने उन से 1-2 साल का और समय मांगा. दरअसल, अनुपम के पिता उस की पढ़ाई के लिए काफी कर्ज ले चुके थे. अनुपम चाहता था कि अपनी कमाई से कुछ कर्ज उतार दे और छोटी बहन की शादी हो जाए.

वैसे तो वह प्राइवेट एयरलाइंस घरेलू वायुसेवा में देश में दूसरे स्थान पर थी पर इस कंपनी की आंतरिक स्थिति ठीक नहीं थी. 2007 में कंपनी ने दूसरी घरेलू एयरलाइंस कंपनी को खरीदा था जिस के बाद इस की आर्थिक स्थिति बिगड़ने लगी थी. 2010 तक हालत बदतर होने लगे थे. बीचबीच में कर्मचारियों को बिना वेतन 2-2 महीने काम करना पड़ा था.

उधर शिखा के पिता शादी के लिए अनुपम पर दबाव डाल रहे थे. पर बारबार अनुपम कुछ और समय मांगता ताकि पिता का बोझ कुछ हलका हो. जो कुछ अनुपम की कमाई होती, उसे वह पिता को दे देता. इसी वजह से अनुपम की बहन की शादी भी अच्छे से हो गई. उस के पिता रिटायर भी हो गए थे.

रिटायरमैंट के समय जो कुछ रकम मिली और अनुपम की ओर से मिले पैसों को मिला कर उन्होंने शहर में एक फ्लैट ले लिया. पर अभी भी फ्लैट के मालिकाना हक के लिए और रुपयों की जरूरत थी. अनुपम को कभी 2 महीने तो कभी 3 महीने पर वेतन मिलता जो फ्लैट में खर्च हो जाता. अब भी एक बड़ी रकम फ्लैट के लिए देनी थी.

एक दिन शिखा के पापा ने अपनी पत्नी से कहा, ‘‘आज अनुपम से फाइनल बात कर लेता हूं, आखिर कब तक इंतजार करूंगा और दूसरी बात, मुझे पायलट की नौकरी उतनी पसंद भी नहीं. ये लोग देशविदेश घूमते रहते हैं. इस का क्या भरोसा, कहीं किसी के साथ चक्कर न चल रहा हो.’’

अनुपम के मातापिता तो चाहते थे कि अनुपम शादी के लिए तैयार हो जाए, पर वह तैयार नहीं हुआ. उस का कहना था कि कम से कम यह घर तो अपना हो जाए, उस के बाद ही शादी होगी. इधर एयरलाइंस की हालत बद से बदतर होती गई. वर्ष 2012 में जब अनुपम घरेलू उड़ान पर था तो उस ने दर्दभरी आवाज में यात्रियों को संबोधित किया, ‘‘आज की आखिरी उड़ान में आप लोगों की सेवा करने का अवसर मिला. हम ने 2 महीने तक बिना वेतन के अपनी समझ और सामर्थ्य के अनुसार आप की सेवा की है.’’

इस के चंद दिनों बाद इस एयरलाइंस की घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों का लाइसैंस रद्द कर दिया गया. पायलट हो कर भी अनुपम बेकार हो गया.

शिखा के पिता ने बेटी से कहा, ‘‘बेटे, हम ने तुम्हारे लिए एक आईएएस लड़का देखा है. वे लोग तुम्हें देख चुके हैं और तुम से शादी के लिए तैयार हैं. वे कोई खास दहेज भी नहीं मांग रहे हैं वरना आजकल तो आईएएस को करोड़ डेढ़करोड़ रुपए आसानी से मिल जाता है.’’

‘‘पापा, मैं और अनुपम तो वर्षों से एकदूसरे को जानते हैं और चाहते भी हैं. यह तो उस के साथ विश्वासघात होगा. हम कुछ और इंतजार कर सकते हैं. हर किसी का समय एकसा नहीं होता. कुछ दिनों में उस की स्थिति भी अच्छी हो जाएगी, मुझे पूरा विश्वास है.’’

‘‘हम लोग लगभग 2 साल से उसी के इंतजार में बैठे हैं, अब और समय गंवाना व्यर्थ है.’’

‘‘नहीं, एक बार मुझे अनुपम से बात करने दें.’’

शिखा ने अनुपम से मिल कर यह बात बताई. शिखा तो कोर्ट मैरिज करने को भी तैयार थी पर अनुपम को यह ठीक नहीं लगा. वह तो अनुपम का इंतजार भी करने को तैयार थी.

शिखा ने पिता से कहा, ‘‘मैं अनुपम के लिए इंतजार कर सकती हूं.’’

‘‘मगर, मैं नहीं कर सकता और न ही लड़के वाले. इतना अच्छा लड़का मैं हाथ से नहीं निकलने दूंगा. तुम्हें इस लड़के से शादी करनी होगी.’’

उस के पिता ने शिखा की मां को बुला कर कहा, ‘‘अपनी बेटी को समझाओ वरना मैं अभी के तुम को गोली मार कर खुद को भी गोली मार दूंगा.’’ यह बोल कर उन्होंने पौकेट से पिस्तौल निकाल कर पत्नी पर तान दी.

मां ने कहा, ‘‘बेटे, पापा का कहना मान ले. तुम तो इन का स्वभाव जानती हो. ये कुछ भी कर बैठेंगे.’’

शिखा को आखिरकार पिता का कहना मानना पड़ा ही शिखा अब डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट की पत्नी थी. उस के पास सबकुछ था, घर, बंगला, नौकरचाकर. कुछ दिनों तक तो वह थोड़ी उदास रही पर जब वह प्रैग्नैंट हुई तो उस का मन अब अपने गर्भ में पलने वाले जीव की ओर आकृष्ट हुआ.

उधर, अनुपम के लिए लगभग 1 साल का समय ठीक नहीं रहा. एक कंपनी से उसे पायलट का औफर भी मिला तो वह कंपनी उस की लाचारी का फायदा उठा कर इतना कम वेतन दे रही थी कि वह तैयार नहीं हुआ. इस के कुछ ही महीने बाद उसे सिंगापुर के एक मशहूर फ्लाइंग एकेडमी में फ्लाइट इंस्ट्रक्टर की नौकरी मिल गई. वेतन, पायलट की तुलना में कम था पर आराम की नौकरी थी. ज्यादा भागदौड़ नहीं करनी थी  इस नौकरी में. अनुपम सिंगापुर चला गया.

इधर शिखा ने एक बेटे को जन्म दिया. देखतेदेखते एक साल और गुजर गया. अनुपम के मातापिता अब उस की शादी के लिए दबाव बना रहे थे. अनुपम ने सबकुछ अपने मातापिता पर छोड़ दिया था. उस ने बस इतना कहा कि जिस लड़की को वे पसंद करें उस से फाइनल करने से पहले वह एक बार बात करना चाहेगा.

कुछ दिनों बाद अनुपम अपने एक दोस्त की शादी में भारत आया. वह दोस्त का बराती बन कर गया. जयमाला के दौरान स्टेज पर ही लड़की लड़खड़ा कर गिर पड़ी. उस का बाएं पैर का निचला हिस्सा कृत्रिम था, जो निकल पड़ा था. पूरी बरात और लड़की के यहां के मेहमान यह देख कर आश्चर्यचकित थे.

दूल्हे के पिता ने कहा, ‘‘यह शादी नहीं हो सकती. आप लोगों ने धोखा दिया है.’’

लड़की के पिता बोले, ‘‘आप को तो मैं ने बता दिया था कि लड़की का एक पैर खराब है.’’

‘‘आप ने सिर्फ खराब कहा था. नकली पैर की बात नहीं बताई थी. यह शादी नहीं होगी और बरात वापस जाएगी.’’

तब तक लड़की का भाई भी आ कर बोला, ‘‘आप को इसीलिए डेढ़ करोड़ रुपए का दहेज दिया गया है. शादी तो आप को करनी ही होगी वरना…’’

अनुपम का दोस्त, जो दूल्हा था, ने कहा, ‘‘वरना क्या कर लेंगे. मैं जानता हूं आप मजिस्ट्रेट हैं. देखता हूं आप क्या कर लेंगे. अपनी दो नंबर की कमाई के बल पर आप जो चाहें नहीं कर सकते. आप ने नकली पैर की बात क्यों छिपाई थी. लड़की दिखाने के समय तो हम ने इस की चाल देख कर समझा कि शायद पैर में किसी खोट के चलते लंगड़ा कर चल रही है, पर इस का तो पैर ही नहीं है, अब यह शादी नहीं होगी. बरात वापस जाएगी.’’

तब तक अनुपम भी दोस्त के पास पहुंचा. उस के पीछे एक महिला गोद में बच्चे को ले कर आई. वह शिखा थी. उस ने दुलहन बनी लड़की का पैर फिक्स किया. वह शिखा से रोते हुए बोली, ‘‘भाभी, मैं कहती थी न कि मेरी शादी न करें आप लोग. मुझे बोझ समझ कर घर से दूर करना चाहा था न?’’

‘‘नहीं मुन्नी, ऐसी बात नहीं है. हम तो तुम्हारा भला सोच रहे थे.’’ शिखा इतना ही बोल पाई थी और उस की आंखों से आंसू निकलने लगे. इतने में उस की नजर अनुपम पर पड़ी तो बोली, ‘‘अनुपम, तुम यहां?’’

अनुपम ने शिखा की ओर देखा. मुन्नी और विशेष कर शिखा को रोते देख कर वह भी दुखी था. बरात वापस जाने की तैयारी में थी. दूल्हेदोस्त ने शिखा को देख कर कहा, ‘‘अरे शिखा, तुम यहां?’’

‘‘हां, यह मेरी ननद मुन्नी है.’’

‘‘अच्छा, तो यह तुम लोगों का फैमिली बिजनैस है. तुम ने अनुपम को ठगा और अब तुम लोग मुझे उल्लू बना रहे थे. चल, अनुपम चल, अब यहां नहीं रुकना है.’’

अनुपम बोला, ‘‘तुम चलो, मैं शिखा से बात कर के आता हूं.’’

बरात लौट गई. शिखा अनुपम से बोली, ‘‘मुझे उम्मीद है, तुम मुझे गलत नहीं समझोगे और माफ कर दोगे. मैं अपने प्यार की कुर्बानी देने के लिए मजबूर थी. अगर ऐसा नहीं करती तो मैं

अपनी मम्मी और पापा की मौत की जिम्मेदार होती.’’

‘‘मैं ने न तुम्हें गलत समझा है और न ही तुम्हें माफी मांगने की जरूरत है.’’

लड़की के पिता ने बरातियों से माफी मांगते हुए कहा, ‘‘आप लोग क्षमा करें, मैं बेटी के हाथ तो पीले नहीं कर सका लेकिन आप लोग कृपया भोजन कर के जाएं वरना सारा खाना व्यर्थ बरबाद जाएगा.’’

मेहमानों ने कहा, ‘‘ऐसी स्थिति में हमारे गले के अंदर निवाला नहीं उतरेगा. बिटिया की डोली न उठ सकी इस का हमें भी काफी दुख है. हमें माफ करें.’’

तब अनुपम ने कहा, ‘‘आप की बिटिया की डोली उठेगी और मेरे घर तक जाएगी. अगर आप लोगों को ऐतराज न हो.’’

वहां मौजूद सभी लोगों की निगाहें अनुपम पर गड़ी थीं. लड़की के पिता ने  झुक कर अनुपम के पैर छूने चाहे तो उस ने तुरंत उन्हें मना किया.

शिखा के पति ने कहा, ‘‘मुझे शिखा ने तुम्हारे बारे में बताया था कि तुम दोनों स्कूल में अच्छे दोस्त थे. पर मैं तुम से अभी तक मिल नहीं सका था. तुम ने मेरे लिए ऐसे हीरे को छोड़ दिया.’’

मुन्नी की शादी उसी मंडप में हुई. विदा होते समय वह अपनी भाभी शिखा से बोली, ‘‘प्यार इस को कहते हैं, भाभी. आप के या आप के परिवार को अनुपम अभी भी दुखी नहीं देखना चाहते हैं.’’

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मेरे पति जबरदस्ती करते हैं, मैं परेशान हो गई हूं…

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सवाल

मेरी शादी को 3 साल हो चुके हैं. पति रोजाना मुझ से संबंध बनाते हैं. मना करने पर वे मारपीट कर के जबरन संबंध बनाते हैं. मैं क्या करूं?

जवाब

आप के पति कोई गुनाह नहीं कर रहे हैं, बस उन का तरीका गलत है. यही काम वे प्यार से भी कर सकते हैं. आप को भी अगर कोई तकलीफ होती है, तो उस बारे में पति को तसल्ली से बता सकती हैं. जब आप इतनी गहराई से जुड़ी हैं, तो बात करने में झिझकना नहीं चाहिए. वैसे, पति का हक है आप के साथ संबंध बनाना, लिहाजा मना न करें.

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हमारे देश में महिलाओं को पुरुषों का हमकदम बनाने के लिए महिला आयोग बनाया गया है. हर राज्य में आयोग की एक फौज है, जहां महिलाओं की परेशानियां सुनी और सुलझई जाती हैं. लेकिन बीते कुछ समय से महिला आयोग संस्था की चाबियों का गुच्छा कुछ ज्यादा ही भारी हो गया है, इसलिए वह संभाले नहीं संभल रहा है और जमीन पर गिरने लगा है. केरल महिला आयोग में भी ऐसा ही कुछ हुआ.

आयोग की अध्यक्ष एम सी जोसेफिन ने घरेलू हिंसा की शिकार एक महिला को रूखा सा जवाब देते हुए टरका दिया. दरअसल, आयोग अध्यक्षा टीवी पर लाइव महिलाओं की परेशानी सुन रही थीं. इसी बीच घरेलू हिंसा की शिकार एक महिला आयोग की अध्यक्षा को फोन पर अपनी आपबीती सुनाते हुए कहने लगी कि उस के पति और ससुराल वाले उसे काफी परेशान करते हैं.

अध्यक्षा को जब पता चला कि लगातार हिंसा सहने के बाद भी महिला ने कभी उस की शिकायत पुलिस में नहीं की, तो वे भड़क गईं और रूखे अंदाज में कहा कि अगर हिंसा सहने के बाद भी पुलिस में शिकायत नहीं करोगी तो भुगतो. उन का पीडि़ता पर झल्लाने का वीडियो वायरल हुआ तो उन्होंने अपने पद का ही त्याग कर दिया.

मगर जातेजाते वे यह कहना नहीं भूलीं कि औरतें फोन कर के शिकायत तो करती हैं, लेकिन जैसे ही पुलिसिया काररवाई की बात आती है, पीछे हट जाती हैं. इस के बाद से आयोग अध्यक्षा घेरे में आ गईं कि कैसे इतने ऊंचे पद पर बैठी महिला, तकलीफ में जीती किसी औरत से इस तरह रुखाई से बात कर सकती है. बात भले ही आ कर अध्यक्षा की रुखाई पर सिमट गई, लेकिन गौर करें तो मामला कुछ और ही है.

मैं पड़ोस में रहने वाली लड़की को पसंद करता हूं, उसे आई लव यू कैसे कहूं?

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सवाल

मैं 12वीं कक्षा का छात्र हूं और एक लड़की से बहुत प्यार करता हूं, वह मेरे पड़ोस में ही रहती है. मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि उसे आई लव यू कैसे कहूं? मेरी सहायता करें?

जवाब

वाह भई, आप ने तो पड़ोसिन पर ही नजर गढ़ा ली. खैर, वैसे तो अभी आप को नयनमटक्का की सलाह नहीं दी जा सकती, क्योंकि यह उम्र आप की कैरियर बनाने की है. पर अब आप ने पड़ोसिन पर नजर गढ़ा ही ली है तो आप को बता दें कि उस से अकसर आप की बातचीत भी होती ही होगी और उस के घर आनाजाना भी होता होगा. आप उस के मम्मीपापा से हायहैलो भी करते होंगे. ऐसे में प्रेम की बात आप की परेशानी बढ़ा सकती है.

फिर भी मिलते रहिए, बातचीत में हंसतेहंसाते, आपसी लेनदेन बढ़ाते हुए नजदीकियां बढ़ाइए और उचित समय आने पर आई लव यू भी कह डालिए. हां, यह जरूर जान लीजिएगा कि उधर भी प्रेम की आग है या नहीं. कहीं वह आप को सिर्फ एक पड़ोसी के तौर पर जानती हो, तो पेरैंट्स में मनमुटाव पैदा करने वाली बात भी बन सकती है.

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प्यार में इजहार जरूरी

वैशाली ने एमबीए में ऐडमिशन लिया. पहले दिन जब वह कालेज गई तो अपनी ही क्लास के एक लड़के पर उस की नजर टिक गई. लड़के का नाम रोहित था, जो दिखने में काफी हैंडसम था. वैशाली ने जब से रोहित को देखा तो वह उस की दीवानी हो गई. उस ने रोहित को मन में बसा लिया, लेकिन किसी को मन की बात नहीं बताई. कालेज में कई बार उस का रोहित से आमनासामना होता पर वह प्यार का इजहार न कर पाती. एक प्रोजैक्ट के सिलसिले में दोनों को एकसाथ काम करने का मौका मिला. वैशाली ने सोचा कि इस दौरान वह अपने मन की बात उस से कह देगी, लेकिन प्रोजैक्ट पूरा होने पर भी वह अपने प्यार का इजहार नहीं कर पाई. कुछ महीने बाद जब वैशाली को पता चला कि रोहित की सगाई हो रही है, तो उस के पैरों तले जमीन खिसक गई. उसे लगा वह रोहित के बगैर जी नहीं पाएगी. उसे अपनेआप से कोफ्त होने लगी कि समय रहते उस ने अपने दिल की बात रोहित के सामने बयां क्यों नहीं की?

समय के साथ वैशाली के लिए भी एक रिश्ता आया. परिजनों ने जब इस रिश्ते के लिए उस की प्रतिक्रिया पूछी, तो उस ने शादी से ही इनकार कर दिया. वैशाली की भांति अनेक युवतियां हैं जो किसी से प्यार तो कर बैठती हैं, लेकिन उस के समक्ष प्यार का इजहार नहीं कर पातीं, जिस से उन का प्यार एकतरफा हो जाता है व कभी परवान नहीं चढ़ता. एकतरफा प्यार में मिली असफलता युवतियों को निराश और कुंठाग्रस्त कर देती है. युवतियां अपने पहले प्यार को, भले ही वह एकतरफा ही क्यों न हो, ताउम्र नहीं भूल पातीं. यदि आप भी किसी को अपना दिल दे बैठी हैं और अपने प्यार के प्रति गंभीर हैं तो जल्दी से जल्दी उसे अपने दिल की बात बता दें. हो सकता है सामने वाला इस बारे में सोचेविचारे या उस नजरिए से आप को देखे. यदि उस के दिल में पहले से ही कोई लड़की होगी तो वह स्पष्ट इनकार कर देगा. इस से आप समय रहते अपने कदम पीछे खींच सकती हैं. यदि उस का अफेयर किसी से नहीं हुआ तो वह आप के बारे में गौर कर सकता है. हो सकता है वह भी आप को चाहने लगे. जब आग दोनों ओर बराबर लगी हो, तभी प्यार परवान चढ़ सकता है अन्यथा एकतरफा प्यार चाहे वह किसी भी तरफ से हो, उस का हश्र अच्छा नहीं होता.

याद रखें, आप के किसी को चाहने मात्र से बात नहीं बनती. बात तभी बनती है जब सामने वाला भी आप को उसी शिद्दत से चाहे, लेकिन यह तभी संभव है जब सामने वाले को आप के मन की बात पता हो. फिर देखिए उस का चमत्कार.

यदि आप आमनेसामने हो कर अपने प्यार का इजहार करने में संकोच करती हैं तो इस के लिए अन्य तरीके भी अपना सकती हैं, जैसे उस से मोबाइल पर बात कर सकती हैं या उसे एसएमएस भेज सकती हैं. चाहें तो किसी मध्यस्थ का सहयोग ले सकती हैं जो उस से आप को मिलवा सके. वैसे भी कालेज में बहुत से स्थान और मौके मिलते हैं जहां आप उस से अपने दिल की बात कर सकती हैं. उसे लाइब्रेरी में, कैंटीन में या किसी कौफीशौप में बुला सकती हैं. प्यार हो जाना जितना आसान है, उस का इजहार उतना ही मुश्किल. ऐसा प्राय: एकतरफा प्यार करने वालों के साथ होता है. अपने प्यार का इजहार आप कई अवसरों पर कर सकती हैं जैसे यदि गु्रप में कहीं बाहर घूमने गई हों तो कोशिश करें कि आप उस युवक के आसपास ही रहें और उसे इस बात का एहसास कराएं कि आप के लिए वह खास है

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क्या कंडोम शरीर को नुकसान पहुंचाता है?

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो ये लेख अंत तक जरूर पढ़ें…

सवाल-

मेरी उम्र 30 और पत्नी की 28 साल है. हम गर्भनिरोधक के लिए सैक्स करते समय कंडोम का इस्तेमाल करते रहे हैं. लेकिन पिछले दिनों हमारे साथ एक छोटी सी दुर्घटना घट गई. सहवास के समय कंडोम योनि में ही छूट गया. तब से मेरी पत्नी शारीरिक मिलन के समय बहुत सहमी रहती है. उस की किसी सहेली ने यह कह कर उसे और डरा दिया कि योनि में छूटा कंडोम शरीर के किसी भी हिस्से में फंस सकता है. वह सांस की नली में भी जा सकता है. मुझे इस बात में दम नहीं दिखता. क्या उस का यह डर वाजिब है?

जवाब-

संरचनात्मक नजरिए से देखें तो योनि स्त्री का बाह्य जननांगीय मार्ग है. भगमुख से गर्भाशय तक फैला यह अंग बहुत कुछ एक गुफा की तरह होता है, जिस का निचला हिस्सा संकरा और ऊपर का थोड़ा फैला होता है. ऊपर आ कर यह गुफा बंद हो जाती है. फैले हुए हिस्से में सिर्फ गर्भाशय का मुंह खुलता है, जिस से शुक्राणु तो अंदर जा सकते हैं, पर कंडोम जितनी बड़ी चीज योनि में छूट भी जाए तब भी ऊपर नहीं जा सकती. अत: सैक्स के समय अगर कंडोम फिसल जाए तो वह योनि में ही रह जाएगा और उसे खुद आसानी से तुरंत निकाला जा सकता है. योनि से सांस नली तक या शरीर में कहीं और जाने का कोई संरचनात्मक रास्ता नहीं है, जो कंडोम शरीर के किसी दूसरे हिस्से में पहुंच सके या फिर वहां जा कर किसी नली में फंस सके. अत: आप अपनी पत्नी को समझाएं कि उन की यह चिंता बिलकुल निराधार है और वे अपनी सहेली को भी यह सच समझा दें ताकि उन्हें भी असलियत का पता चल सके.

 

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