Winter Special: इस तरह करें आंखों की देखभाल

आंखों को स्वस्थ व चमकदार बनाए रखने के लिए उन की नियमित देखभाल जरूरी है. इन की छोटी से छोटी परेशानी भी सीधे हमारी दूर व पास की चीजें देखने की क्षमता को प्रभावित करती है. परिणामस्वरूप हम अपने रोजमर्रा के काम उतनी फुरती और दक्षता से नहीं कर पाते जितना कि पहले कर पाते थे. आंखों की उचित देखभाल न होने पर कुछ लोग अंधेपन के शिकार भी हो जाते हैं.

अगर आप की आंखें पूर्णतया स्वस्थ हैं, तो भी आप को उन की देखभाल करने की जरूरत है ताकि नजर कमजोर होने पर महंगे उपकरणों यानी चश्मा व कौंटैक्ट लैंस वगैरह व महंगे उपचार जैसे कि सर्जरी आदि से बचा जा सके. वरिष्ठ नेत्र रोग विशेषज्ञ डा. विष्णु गुप्ता से हुई बातचीत के आधार पर हम आप को नेत्र रोगों से बचने के कुछ टिप्स बता रहे हैं:

पढ़ते समय

पढ़ते समय सब से ज्यादा काम आंखों को करना पड़ता है. इसलिए पढ़ते समय निम्न बातों का ध्यान रखें ताकि आप की आंखों पर अतिरिक्त दबाव न पड़े:

कभी भी कमर के बल सीधे लेट कर या फिर अधलेटी मुद्रा में न पढ़ें. यह पोस्चर हमारी आंखों को प्रभावित करता है.

किताब और आंखों के बीच की दूरी कम से कम 25 सैंटीमीटर होनी चाहिए.

ध्यान रहे, पढ़ने के लिए पर्याप्त रोशनी होनी आवश्यक है. धुंधली रोशनी में पढ़ने का प्रयास न करें. इस से आंखों पर अधिक जोर पड़ता है.

चलती बस या ट्रेन में पुस्तक या अखबार न पढ़ें.

पढ़ते समय हमारी आंखें अधिक सक्रिय रहती हैं. इसी सक्रियता के चलते पढ़ते समय हमारी पलकें झपकने का औसत सामान्य औसत से काफी कम हो जाता है. सामान्य स्थिति में हम प्रति मिनट 22 बार पलक झपकाते हैं, लेकिन पढ़ते समय यह औसत सिर्फ 10-12 ही रह जाता है. पलक झपकाने का औसत घटते ही आंखों में आने वाले आंसुओं की परत उड़ने लगती है और वे सूखेपन का शिकार हो जाती हैं. जिस के परिणामस्वरूप आंखों में खुजली और जलन के साथसाथ पानी आने की शिकायत भी हो सकती है.

अगर आप को लगतार कई घंटे पढ़ना है तो बीचबीच में 5 से 10 मिनट तक पढ़ाई रोक कर आंखों को आराम अवश्य दें. आंखों को कई बार झपकें. आंखों को बंद रखते हुए आईबौल्स (नेत्रगोलक) को गोलगोल घुमाएं.

किसी दूर रखी वस्तु को टारगेट बना कर उसे देर तक देखें, इस से आप की फोकस करने की शक्ति बढ़ेगी.

टैलीविजन देखते समय

टैलीविजन देखने के लिए कम से कम 6 फुट की दूरी पर बैठें.

अगर आप को अधिक समय कंप्यूटर पर काम करना होता है, तो ऐंटीरिफ्लैक्शन कोटेड ग्लासेज का प्रयोग करें. इस से आंखों पर अधिक जोर नहीं पडे़गा.

टैलीविजन देखते व कंप्यूटर पर काम करते समय भी हमारा पलकें झपकाने का औसत बहुत कम हो जाता है, जिस से आंखें सूखेपन का शिकार हो सकती हैं. इस से बचने के लिए खाने में चिकनाई का प्रयोग अधिक करें.

बीचबीच में काम रोक कर आंखें बंद कर थोड़ी देर के लिए उन्हें आराम दें.

दुपहिया वाहन चलाते समय धूल व मिट्टी के कणों व तेज रोशनी से आंखों को बचाने के लिए ऐंटीग्लेयर चश्मा जरूर पहनें.

अगर आप कैमिकल से जुड़ा कोई काम करते हैं, तो काम करते समय अपनी आंखों पर हमेशा गौगल्स पहनें और कैमिकलों के बहुत पास न जाएं.

थकान दूर करने के लिए

दिन में 2-3 बार आंखों पर ठंडे पानी से छींटे मारें.

अपनी दोनों हथेलियों को तब तक रगड़ें जब तक कि वे गरम न हो जाएं और फिर उन्हें 60 सैकंड तक अपनी आंखों पर रखें. इस दौरान अपने मन में 1 से 60 तक गिनती गिनें. इस क्रिया को 2-3 बार दोहराएं. इस से आप की थकी हुई आंखों को राहत मिलेगी.

जब भी घर से बाहर जाएं, हरेभरे पेड़पौधों को एकटक देखें. हरा रंग आंखों को बहुत सुकून देता है.

अगर आप ज्यादा समय तक ऐयरकंडीशन में बैठती हैं तो पानी की कमी से आंखें सूजीसूजी सी लगती हैं, इसलिए ज्यादा से ज्यादा पानी पीएं. दिन में कम से कम 10 गिलास.

हर प्रकार से स्ट्रैस से बचें, क्योंकि यह सीधा आंखों पर असर करता है.

खानपान

आंखों में चमक लाने के लिए भोजन में विटामिन ए, सी और ई अधिक मात्रा में लें. यानी रसदार फल, पपीता, हरी पत्तेदार सब्जियां, टमाटर, गाजर, खीरा, अंडे, मछली, दूध आदि.

खाने में कार्बोहाइड्रेट अधिक मात्रा में लें. कम कार्बोहाइड्रेट वाली डाइट लेने से शरीर में पानी की मात्रा कम हो जाती है, जिस से आंखों की चमक पर असर पड़ता है. अगर आप कम कार्बोहाइड्रेट वाली डाइट ले रही हैं तो दिन में कम से कम 10 गिलास पानी अवश्य पीएं.

घरेलू नुसखे

आंखों पर कच्चे आलू के गोल टुकड़े रख कर 20 मिनट तक आंखें बंद कर लेटें. इस से आंखों के आसपास के काले घेरे भी दूर हो जाएंगे.

2 वेस्ट टी बैग्स प्रयोग के बाद सुबह काम पर निकलते समय फ्रिज में रख दें. घर लौटने पर उन टी बैग्स को बंद आंखों पर रख कर थोड़ी देर आराम करें, कम से कम 15 मिनट तक.

दिन भर की थकी आंखों को आराम देने के लिए ठंडे दूध में भीगे व निचुड़े हुए कौटन पैड आंखों पर रखें. ठंडे पानी में या फिर कुनकुने पानी में भीगे कौटन पैड भी निचोड़ कर आंखों पर रख सकती हैं.

खीरे के गोल टुकड़े भी 20 मिनट तक आंखों पर रखे जा सकते हैं.

1 चम्मच सूखा आंवला रात भर पानी में भिगो कर रखें और अगले दिन सुबह मलमल के कपड़े से छान कर इस पानी में 1 कप पानी और मिला कर इस पानी से रोज आंखें धोएं.

अगर आप की आंखें सूजी रहती हैं, तो एक आलू को छिलके सहित रगड़ कर बंद आंखों पर 20 मिनट तक रखें.

अगर आप की आंखें लाल हैं और उन में जलन महसूस हो रही है, तो सिर की दही से मालिश करें.

मेकअप

वैसे तो जहां तक संभव हो, आंखों में सुरमा, काजल, आईलाइनर, मसकारा आदि नहीं लगाना चाहिए. लेकिन आजकल तो मेकअप के बिना जैसे जीवन अधूरा है, इसलिए मेकअप का सामान खरीदते व लगाते समय निम्न बातों का ध्यान रखें:  आंखें बहुत संवेदनशील होती हैं, इसलिए आई मेकअप के सामान को ले कर कोई समझौता न करें. हमेशा किसी अच्छी कंपनी का सामान ही उपयोग करें.

परफ्यूम आंखों को नुकसान पहुंचाता है. इसलिए उसे लगाते समय ध्यान रखें कि उस के छींटे आंखों में न पड़ें. कानों के पीछे परफ्यूम का प्रयोग न करें.

सोने से पहले अपने चेहरे को अच्छी तरह से धोएं. ध्यान रहे कि सोते समय आप के चेहरे पर कोई मेकअप नहीं होना चाहिए, क्योंकि मेकअप में प्रयोग क्रीम, आईशैडो, आईलाइनर, काजल आदि हमारी त्वचा व आंखों को नुकसान पहुंचाते हैं. इसलिए घर पहुंचते ही तुरंत मेकअप को हटा दें. सोते समय चेहरा धोने के बाद सिर्फ अच्छी किस्म की नाइटक्रीम का ही प्रयोग करें.

अन्य ध्यान देने योग्यबातें

आंखों का कोई भी ड्रौप खरीदते समय उस की ऐक्सपाइरी डेट अवश्य चैक करें.

आंखों की दवा की शीशी का प्रयोग खोलने की तिथि से 1 महीने के भीतर ही करें.

अगर आप की आंखें स्वस्थ हैं तब भी साल में 1 बार उन्हें आंखों के विशेषज्ञ से अवश्य चैक करवाएं. अगर आप की दूर की या फिर नजदीक की नजर कमजोर है, आप चश्मे या फिर कौंटैक्ट लैंस का प्रयोग करती हैं तो हर 6 महीने बाद अपनी आंखें टैस्ट करवाएं. नंबर बदलने पर तुरंत चश्मा बदलें.

Winter Special: ठंड में क्या खाएं क्या नहीं

प्रकृति की रंगीन फूड बास्केट न केवल खूबसूरत और आकर्षक दिखाई देती है, बल्कि आप को सर्दी के दिनों में पोषक पदार्थों से भरपूर आहार भी प्रदान करती है. इस मौसम में आप की हड्डियों को गरमाहट देने, आप को सर्दीजुकाम से बचाने और आप के परिवार की प्रतिरक्षण क्षमता बढ़ाने के लिए बहुत से मौसमी फल और सब्जियां उपलब्ध हैं, जिन का सही तरीके से उपयोग कर आप स्वस्थ व फिट भी रह सकते हैं.

सर्दियों में भूख को दबाना नहीं चाहिए. इस के बजाय आप को इस बात पर गौर करना चाहिए कि आप इस मौसम में स्वास्थ्यप्रद तरीके से कैसे प्राकृतिक खाद्यपदार्थों का उपयोग कर सकते हैं:

हरी पत्तेदार सब्जियां बेहतरीन भोजन हैं क्योंकि उन में फाइबर, फौलिक ऐसिड, विटामिन सी, पोटैशियम, मैग्नीशियम और अन्य पोषक पदार्थ पर्याप्त मात्रा में होते हैं. तो हरी सब्जियां खाएं और स्वस्थ व फिट रहें.

कम चीनी वाली गाजर की खीर खाएं. सर्दियों में गाजर का विभिन्न रूपों में सेवन करना स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद है.

सिट्रस फल विटामिन सी से भरपूर होते हैं. इन का सेवन प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाता है और सर्दीजुकाम से लड़ने की ताकत देता है. इसलिए उन्हें खाने पर भी ध्यान दें.

सर्दियों में सामान्य तापमान के भोजन का सेवन करना चाहिए और दिल के मरीजों को तेल युक्त एवं तले खाद्यपदार्थों के सेवन से बचना चाहिए. नमक का सेवन भी नियंत्रित मात्रा में करना चाहिए. उन्हें संतृप्त वसा के बजाय खाना पकाने में असंतृप्त वसीय पदार्थों का इस्तेमाल करना चाहिए. यानी रिफाइंड, जैतून या सरसों के तेल में खाना बनाना चाहिए.

मधुमेह के रोगियों को चीनी का सेवन नियंत्रित रूप से करना चाहिए. उन्हें रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट के सेवन से बचना चाहिए और कौंप्लैक्स कार्बोहाइड्रेट का सेवन करना चाहिए. यानी साबूत गेहूं, जई और मल्टीग्रेन आटे का इस्तेमाल करना उन की सेहत के लिए फायदेमंद होता है.

सर्दियों में हरी सब्जियों व अन्य फलों और सब्जियों के सेवन से शरीर में हीमोग्लोबिन का स्तर भी सही मात्रा में बना रहता है.

पानी और तरल पदार्थों का सेवन पर्याप्त मात्रा में करना चाहिए और बच्चों व बुजुर्गों को ठंडी चीजों जैसे आइसक्रीम आदि के सेवन से बचना चाहिए.

जो लोग सर्दियों में वजन कम करना चाहते हैं, उन्हें वसा और तेल युक्त पदार्थों जैसे परांठों का सेवन नहीं करना चाहिए. उन के आहार में फाइबर, फलों, सलाद और तरल पदार्थों की पर्याप्त मात्रा होनी चाहिए. अनाज, मल्टीग्रेन आटा, ब्राउन ब्रैड और उच्च फाइबर से युक्त बिस्कुट भी वजन कम करने में मददगार होते हैं.

अमरूद, गाजर, सेब, हरी पत्तेदार सब्जियां, कच्चे फल, संतरा और खीरा फायदेमंद होते हैं और घर में बने टमाटर, मिलीजुली सब्जियों और हरी पत्तेदार सब्जियों के सूप हमेशा बाजार में मिलने वाले पैक्ड सूप से बेहतर होते हैं.

यह मौसम त्योहारों और शादियों का मौसम भी होता है, इसलिए कई मौकों पर बिना सोचेसमझे लोगों का खाना खूब होता है. दरअसल, अधिकतर लोगों को यह पता नहीं होता है कि उन्हें क्या खाना चाहिए और क्या नहीं. ऐसे में नीचे बताए जा रहे टिप्स त्योहारों के मौसम में आप के आहार की योजना बनाने में फायदेमंद हो सकते हैं:

ओवरईटिंग से बचें

इस का तात्पर्य केवल भोजन की मात्रा से ही नहीं, बल्कि कैलोरी से भी है. उदाहरण के लिए एक रसगुल्ले में 250 कैलोरी होती है, जबकि कौर्नफ्लैक्स के एक बाउल में केवल 100 कैलोरी होती है. त्योहारों के मौसम में हमें कैलोरी पर पूरा ध्यान रखना चाहिए ताकि वजन को बढ़ने से रोका जा सके.

क्या न खाएं

आप को नमक एवं चीनी का ज्यादा सेवन करने के साथसाथ तेल एवं मसाले युक्त खाद्यपदार्थों के सेवन से भी बचना चाहिए. अपने आहार की योजना कुछ इस तरीके से बनाएं कि अगर आप कुछ हैवी या स्पैशल खाना चाहते हैं, तो उसे दोपहर के भोजन के समय खाएं ताकि दिन की गतिविधियों के दौरान अतिरिक्त कैलोरीज बर्न हो जाएं. उस दिन नाश्ते को हलका और रात के भोजन में जहां तक हो सके कम कैलोरीज का सेवन करें.

ताजा भोजन लें

ताजा फलसब्जियों का सेवन करें. इस के अलावा किसी भी पैक्ड खाद्यपदार्थ का सेवन करने से पहले उस की ऐक्सपायरी डेट जरूर पढ़ें. उच्च तापमान पर रखे गए भोजन के दूषित होने की संभावना अधिक होती है. कुछ जीवाणु जैसे ई. कोली, कलेबसेला, शेगेला आदि उच्च तापमान पर तेजी से पनपते हैं. ये जीवाणु डायरिया, डिहाइड्रेशन, मतली, उलटी आदि का कारण बन सकते हैं. इसलिए जहां तक हो सके खाद्यपदार्थों और मिठाइयों को फ्रिज में रखें.

त्योहारों में दोस्तों और रिश्तेदारों के यहां आनाजाना लगा रहता है. इस से न केवल रिश्ते मजबूत होते हैं, बल्कि त्योहारों की मिठास भी बनी रहती है. ऐसे में अगर कोई बीमार हो जाता है, तो जल्द से जल्द डाक्टर की सलाह लें. और अगर आप को लगता है कि किसी खास खाद्यपदार्थ के सेवन के कारण ऐसा हुआ है तो उस का सेवन परिवार के दूसरे लोग न करें.

सर्दियां आराम करने, अपने परिवारजनों और दोस्तों से मिलने और अच्छा एवं स्वास्थ्यप्रद भोजन खाने के लिए अच्छा समय है. सर्दियों में एकसाथ मिल कर खाना भी अच्छा अनुभव होता है. खासकर अगर आप त्योहारों के समय एकसाथ बैठ कर खाते हैं, तो रोजमर्रा की परेशानियों, तनाव को भी पूरी तरह से भूल जाते हैं. तो अपने अच्छे शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य के लिए सही आहार का चुनाव करें और साल के इस सब से खास समय का आनंद उठाएं.

– सुनीता त्रिपाठी
सीनियर डाइटीशियन, प्राइमस सुपर स्पैशलिटी अस्पताल.

Winter में वर्कआउट करने से होते हैं बहुत फायदे

सर्दियां हम सभी को आलसी और सुस्त बना देती हैं. खासतौर से इन दिनों में सुबह जिम जाने या बिरुतर से उठने का मन ही नहीं करता, जो बहुत आम है. ऐसे में वर्कआउट रूटीन गड़बड़ा जाता है और शरीर में तमाम रोग पैदा हो जाते हैं. विशेषज्ञ कहते हैं कि सर्दियों में अक्सर लोग घर से बाहर निकलने से परहेज करते हैं. ये ही उनकी  सबसे बड़ी भूल  है. खासतौर से सर्दियों में कसरत को छोडऩा अच्छा नहीं माना जाता. इससे व्यक्ति को कई छोटी -मोटी समस्याएं होने लगती हैं. तो अगर आप भी इन लोगों में से एक हैं, तो सर्दियों में घर के अंदर छिपे रहने से पहले ठंड में वर्कआउट करने के फायदों के बारे में जरूर जान लें.

1. सर्दियों में घर से बाहर जाकर वर्कआउट करने के फायदे

अधिक कैलोरी बर्न करेंगे- एक स्टडी के अनुसार घर से बाहर जाकर एक्सरसाइज करने से ज्यादा कैलोरीज बर्न होती है. जिससे वजन कम करने में मदद मिलती है. यदि आप बाहर जाकर एक्सरसाइज नहीं करना चाहते, तो आप किसी ठंडे कमरे में सो सकते हैं. ऐसा करने से भी आप वजन घटा सकते हैं. दरअसल, ठंडे कमरे में सोने के कारण आपका शरीर ब्राउन फैट का उत्पादन करना शुरू कर देता है, जो कि अन्य किसी भी टिश्यू से 300 गुना अधिक गर्मी पैदा करता है.

2. दिल के लिए फायदेमंद

जिस तरह आपके शरीर को मुख्य तापमान को नियंत्रित  करने के लिए मेहनत करनी पड़ती है, ठीक उसी तरह आपके दिल को आपके पूरे शरीर में ब्लड पंप करने के लिए मेहनत करनी पड़ती है. यदि आपका दिल स्वस्थ है, तो बाहर व्यायाम करने से आपका दिल और भी मजबूत होगा. वर्कआउट करने से भविष्य में कठिन कसरत के लिए ज्यादा सहनशक्ति का निर्माण हो सकता है. हां, लेकिन यदि आपका दिल कमजोर है, तो दिल पर अतिरिक्त दबाव डालना हानिकारक हो सकता है. इसलिए अपने डॉक्टर से बात करके पता करें कि क्या आपके लिए व्यायाम करना वास्तव में स्वस्थ है.

3. वार्म अप होना नहीं भूलेंगे

ठंड का मौसम आपकी मांसपेशियों को और भी सख्त बना देता है. ऐसे में जब आप वर्कआउट के लिए घर से बाहर निकलते हैं, तो वर्कआउट से पहले और बाद में वॉर्म अप और कूल डाउन के लिए कुछ मिनट निकालने का मौका मिल जाएगा. सर्दियों के दौरान गर्म होने और ठंडा होने की आदत डालें, ताकि गर्म मौसम के वापस आने पर आप उस आदत को जारी रख सकें.

4. जरूरी विटामिन -डी मिलेगा

सर्दियों में विटामिन- डी की कमी होना बहुत आम है. क्योंकि इन दिनों में हम सबसे ज्यादा समय घर के अंदर बिताते हैं, जिससे हमारा शरीर धूप के संपर्क में नहीं आ पाता और विटामिन डी की कमी हो जाती है. ऐसे में घर के बाहर कसरत करने से आपको अपनी हड्डियों को स्वस्थ रखने , बीमारियों और अन्य स्वास्थ्य स्थितियों से बचने में मदद मिलेगी. हड्डियों की मजबूती के लिए खासतौर से विटामिन डी बहुत फादेमंद है. लेकिन ध्यान रखें, भले ही कसरत ठंड में अच्छी है, लेकिन आपकी त्वचा के लिए हानिकारक है. इसलिए 10-15 मिनट से ज्यादा धूप में ना रहें.

5. ज्यादा खुश और ऊर्जावान महसूस करेंगे

यदि आप वर्कआउट के बाद अच्छी उऊर्जा का अनुभव करते हैं, तो आप ठंड के मौसम में कसरत के बाद भी बेहतर महसूस करेंगे. गर्म , उमस भरा मौसम आपके बूड को खराब कर सकता है, लेकिन सर्द मौसम उत्तेजक है. घर से बाहर की जाने वाली एक्सरसाइज आपको खुश और ऊर्जावान महसूस कराएगी. क्योंकि जैसे-जैसे आप अपने शरीर को गर्म रखने के लिए ज्यादा मेहनत करेंगे, उतना ही एंडोर्फिन का उत्पादन होगा. बता दें कि एंडोर्फिन एक फील गुड हार्मोन है.

अब बिना किसी टेंशन के आप सर्दियों में भी बाहर जाकर वर्कआउट कर सकते हैं और अपने शरीर को चुस्त और दुरूस्त रख सकते हैं.

Winter Special : सर्दियों में रखें दिल को हैल्दी

सर्दियों का मौसम यानी अच्छा खाना और कई सारे त्योहार, इसीलिए भारत में लोग सालभर सर्दियों की राह देखते हैं. गरमगरम स्नैक्स और मिठाई का लुत्फ उठाने का यह मौसम सभी को प्यारा लगता है. सर्दियां अपने साथ ले कर आती हैं साल के बड़े त्योहार, मौजमस्ती, दोस्तों, परिवारजनों के साथ मनाए जाने वाले जश्न. यही मौसम होता है जब हमारे दिल की संवेदनशीलता बढ़ती है.

सर्दियों में तापमान में गिरावट का स्वास्थ्य पर काफी असर पड़ सकता है खासकर दिल पर. इस से हार्ट अटैक, हार्ट फेल्योर, फ्लू आदि का खतरा बढ़ता है. हृदय और सर्क्युलेटरी सिस्टम पर ठंडे मौसम का असर पड़ सकता है.

इस के अलावा सर्दियों में लोगों की सक्रियता कम हो जाती है. आराम करने और शरीर को गरम रखने के लिए लोग घरों के भीतर ही रहना पसंद करते हैं. इस का असर यह होता है कि शरीर को जितनी कसरत की जरूरत होती है उतनी इस मौसम में नहीं हो पाती है.

तापमान में बदलाव की वजह से शरीर में फिजियोलौजिकल बदलाव होते हैं. इसीलिए सर्दियों में स्वास्थ्य के लिए सब से बड़ा जोखिम बायोलौजिकल होता है. सिंपैथेटिक नर्वस सिस्टम सक्रिय हो जाती है जिस की वजह से रक्तवाहिकाएं सिकुड़ जाती हैं. हृदय को खून की आपूर्ति कम हो जाती है, जिस से ब्लड प्रैशर बढ़ता है और हार्ट अटैक व स्ट्रोक का जोखिम भी बढ़ता है.

सर्दियों में कोरोनरी धमनियां सिकुड़ जाती हैं, जिस से कोरोनरी हृदय रोग के कारण सीने में होने वाला दर्द और ज्यादा बढ़ सकता है. एक तरफ शरीर के तापमान को स्थिर रखने के लिए हृदय को अतिरिक्तमेहनत करनी पड़ती है तो दूसरी ओर सर्द हवाएं हृदय की इस मेहनत को और भी कठिन बना सकती हैं क्योंकि सर्द हवाओं की वजह से शरीर की गरमी तेजी से कम होती है. यदि आप के शरीर का तापमान 95 डिग्री से नीचे चला जाता है तो हाइपोथर्मिया हृदय की मांसपेशियों को नुकसान पहुंचा सकता है.

भारत में सर्दियां यानी कई सारे बड़े त्योहार, छुटियां, कई सारे जश्न मनाना, खूब सारा खाना और कम नींद लेना. इन सब का हृदय पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है. छुट्टियां और त्योहार इमोशनल रिस्पौंसेज को बढ़ा सकते हैं. उन्हें अगर नियंत्रित नहीं किया जाए तो हृदय का तनाव बढ़ सकता है. सर्दियों के दौरान होने वाला भावनात्मक तनाव, जिसे सीजनल इफैक्टिव डिसऔर्डर भी कहते हैं स्ट्रैस हारमोंस के लैवल्स को बढ़ा सकता है. इस से हार्ट अटैक या स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है.

सर्दियों में लोग शरीर में गरमी बनाए रखने के लिए घरों के भीतर रहना पसंद करते हैं. अगर यह स्थिति लंबे समय तक बनी रहती है तो शरीर में सर्कुलेशन कम न हो इस के लिए घर के भीतर होते हुए भी पर्याप्त ऐक्टिविटी करते रहें. सर्दियों में जुकाम, गले में खराश और खांसी जैसी हलकी बीमारियां भी होती रहती हैं. वैसे तो ये काफी मामूली बीमारियां है, लेकिन अगर आप का हृदय पहले से दूसरी कुछ वजह से तनाव में है तो आप के लिए ये बीमारियां भी खतरनाक साबित हो सकती हैं.

जोखिम

पहले से मौजूद हृदय रोग सब से स्पष्ट जोखिम कारक है. यह दर्शाता है कि व्यक्ति एक चुनौती के साथ शुरुआत कर रहा है. इसलिए सवाल यह नहीं है कि क्या हो सकता है, लेकिन क्या होने की संभावना है. किसी भी वृद्ध व्यक्ति के लिए ठंड के मौसम में गरम रहना काफी ज्यादा कठिन होता है क्योंकि डिलेड मैटाबोलिक रिएक्शन से शरीर में गरमी का चलना मुश्किल हो जाता है. ऐसे में हृदय पर रक्त पंप करने के लिए अतिरिक्त दबाव पैदा होता है. साथ ही हाई ब्लड प्रैशर, धूम्रपान, बीमारियों का पारिवारिक इतिहास, हाई कोलैस्ट्रौल, मोटापा, शराब का ज्यादा सेवन जैसे कारक सर्दियों के दौरान हार्ट अटैक की संभावना को बढ़ा सकते हैं. ठंड के मौसम का हृदय की स्थिति पर प्रभाव कुछ कारकों की वजह से कम या ज्यादा हो सकता है. उदाहरण के तौर पर धूम्रपान और शराब जैसे जोखिम कारकों के चलते सर्दियों में हार्ट अटैक का कारण बनने की संभावना अधिक होती है क्योंकि वासोकंस्ट्रिक्शन पर उन का सीधा असर पड़ता है और उस की वजह से ब्लड प्रैशर बढ़ता है. पहले से किसी बीमारी का होना या शरीर का रिकवरी स्टेज में होना यह दर्शाता है कि शरीर जितना मजबूत और शक्तिशाली होना चाहिए उतना नहीं होता है. नतीजतन उस व्यक्ति को इन्फैक्शन होने का खतरा सब से अधिक होता है. कुछ बीमारियां हृदय पर और अधिक दबाव डाल सकती हैं.

सर्दियों में अपने हृदय को स्वस्थ रखने के लिए इन उपायों को अपनाएं शरीर को गरम रखना सब से जरूरी है. गरम या एक के ऊपर एक ज्यादा कपड़े पहनें ताकि शरीर गरम रहें और शरीर से गरमी निकल जाने को रोका जा सके. इस तरह आप अपने हृदय को अतिरिक्त काम करने से बचा सकते हैं. अगर आप को बाहर जाना है तो बाहर की ठंड और गतिविधियों के हिसाब से सही कपड़े पहनें. जब आप एक के ऊपर एक कपड़े पहनते हैं तब अगर आप का ऐक्टिविटी लैवल बढ़ जाता है तो आप ऊपर के कुछ कपड़े निकाल सकते हैं. आप को अपने शरीर को गरम रखना है, ओवरहीट नहीं करना है. अगर पसीना आ रहा है तो ऊपर के 1-2 कपड़े निकाल कर आप शरीर को थोड़ा ठंडा भी कर सकते हैं.

अपनेआप को शारीरिक रूप से सक्रिय बनाए रखें. हर समय घर के बाहर जा कर ही कसरत करना जरूरी नहीं है. तापमान अगर ठंडा है तो सुबह जल्दी घर से बाहर निकल कर ऐक्सरसाइज न करें. अगर बाहर निकल सकते हैं तो स्ट्रैचेस या दौड़ने जैसी हलकी ऐक्सरसाइज की जा सकती है. लाइट ऐरोबिक्स, योगा, होम वर्कआउट्स, नाचना या मैडिटेशन जैसी गतिविधियां आप घर पर भी कर सकते हैं.

नियमित व्यायाम करें

नियमित कसरत से आप का शरीर गरम रहता है तो आप को फिट रहने में मदद मिलती है. कसरत करते समय अपने टारगेट हार्ट रेट तक पहुंचने का प्रयास करें. हृदय को स्वस्थ रखने के लिए हर दिन कम से कम 30 मिनट, हफ्ते में 5 दिन ऐरोबिक ऐक्सरसाइज करना जरूरी है.

सर्दियों में कंफर्ट फूड खाने के लिए जी ललचाना स्वाभाविक बात है, लेकिन खाने के मामले में संतुलन रखना सब से जरूरी होता है. सर्दियों में बनने वाले तरहतरह के व्यंजनों का स्वाद चखना चाहिए, लेकिन शरीर को स्वस्थ रखना है तो न्यूट्रिएंट्स आवश्यक होते हैं.

फलों और सब्जियों में पाए जाने वाले विटामिन और मिनरल शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत रखते हैं. तला हुआ, फैटी, मीठा और हाई कोलैस्ट्रौल वाला खाना खाने से बचें क्योंकि इस से हृदय की बीमारी का खतरा बढ़ सकता है. सर्दियों में अकसर हाई कोलैस्ट्रौल वाला खाना खाया जाता है, जिस से हृदय के स्वास्थ्य पर काफी बुरा असर पड़ सकता है, इसलिए संतुलित आहार लेना आवश्यक है.

कड़ी निगरानी रखें

छोटे दिन और लंबी रातें, घर के भीतर ज्यादा समय बिताना इन की वजह से आप उदास या अशांत महसूस कर सकते हैं. सूरज की रोशनी न होने से कई लोगों को पर्याप्त विटामिन डी नहीं मिल पाता है. इस से डिप्रैशन बढ़ सकता है. योगा और मैडिटेशन के साथसाथ सक्रिय रहना, दोस्तों और परिवार के संपर्क में रहना जरूरी है जिस से आप बेहतर महसूस कर सकते हैं.

तनाव बहुत ज्यादा बढ़ने से शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली के कार्य में बाधा आ सकती है खासकर सर्दियों में तनाव प्रबंधन जरूरी होता है. स्ट्रैस हारमोंस ब्लड प्रैशर को बढ़ा कर प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर कर सकते हैं. ब्लड शुगर, ब्लड प्रैशर, किडनी और स्वास्थ्य की दूसरी समस्याओं पर कड़ी निगरानी रखें.

इन स्थितियों पर ध्यान नहीं रखा गया तो हृदय के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है. बहुत ज्यादा थका देने वाले काम न करें और अगर आप पहले से हार्ट के मरीज हैं तो कोई भी वजनदार और कठोर काम न करें. काम करते हुए बीच में छोटे ब्रेक लें. अचानक कोल्ड स्ट्रोक्स को टालने के लिए हार्ट के मरीजों को सर्दियों में घर के भीतर ही रहना चाहिए. बहुत ज्यादा शराब पीना, स्मोकिंग और किसी भी तरीके से तंबाकू के सेवन से बचें क्योंकि इस से हृदय की स्थिति और ज्यादा बिगड़ सकती है.

पर्याप्त आराम जरूरी

अच्छे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए पर्याप्त आराम करना जरूरी होता है. हृदय की बीमारियां, हाई ब्लड प्रैशर, डायबिटीज और स्ट्रोक जैसी कई स्वास्थ्य समस्याएं नींद पूरी न होने के कारण पैदा होती हैं. किसी भी वयस्क व्यक्ति के लिए हर रात को 7 से 9 घंटे सोना आवश्यक होता है.

अगर आप का नाइट रूटीन नियमित है तो आप को बेहतर नींद आ सकती है. नाइट रूटीन बैठाने के लिए आप को कुछ छोटी एड्जस्टमैंट्स करनी पड़ सकती हैं, जिस से आप शांत नींद की आदत डाल सकते हैं.

सेहत का खास खयाल

कार्डिएक समस्याओं के लक्षणों को सम?ाना सर्दियों में और भी ज्यादा महत्त्वपूर्ण होता है. कई बार हार्ट अटैक वार्निंग इंडिकेटर अचानक पैदा होते हैं, सीने में बहुत ज्यादा जलन, परेशानी, बहुत ज्यादा पसीना आना, सांस लेने में तकलीफ, जबड़े, बांहों या कंधों में लंबे समय तक दर्द आदि हार्ट अटैक के वार्निंग इंडिकेटर हैं.

हालांकि पुरुषों और महिलाओं में ये लक्षण अलगअलग हो सकते हैं. पुरुषों को कभीकभी बेचैनी या चक्कर आने की शिकायत हो सकती है, लेकिन महिलाओं में असामान्य लक्षण पैदा होने की संभावना काफी अधिक होती है, जिस के कारण वे कभीकभी चेतावनियों को अनदेखा कर सकती हैं.

ठंड का मौसम शरीर और मन दोनों के लिए काफी मुसीबत भरा हो सकता है. अगले कुछ महीनों में अपनी सेहत का खास ध्यान रखें. ठंडा तापमान हृदय के लिए कठिन हो सकता है, लेकिन स्वस्थ जीवनशैली अपना कर आप इस मौसम का लुत्फ उठा सकते हैं.

किसी भी लक्षण को अनदेखा न करें बल्कि तुरंत डाक्टर से संपर्क करें. कार्डियक लक्षणों को सम?ाने और उन के इलाज में थोड़ी सी भी देरी न केवल समस्या की जटिलता को बढ़ा सकती है वरन जानलेवा भी हो सकती है.

-डा. नीलेश गौतम

कंसल्टैंट, इंटरवैंशनल कार्डियोलौजी, पीडी हिंदुजा हौस्पिटल ऐंड रिसर्च सैंटर, खार.

Winter Special: जानिए सर्दियों में होती है कितने तरह की एलर्जी, बचने के लिए करें ये उपाय

हर मौसम का अपना मजा है, लेकिन हर मौसम अपने साथ कई बीमारियां भी लेकर आता है. वसंत ऋतु की शुरूआत के साथ एलर्जी की समस्या भी शुरू हो जाती है. वैसे तो ठंड के मौसम में सर्दी, जुकाम , फ्लू जैसी समस्या होना आम है, लेकिन इन दिनों में लोग एलर्जी की शिकायत भी करते हैं. हालांकि लोग फ्लू और एलर्जी के बीच अंतर नहीं कर पाते, ऐसे में तकलीफ बढ़ जाती  है. इसलिए एलर्जी के संकेतों और इसकी रोकथाम के तरीकों से जागरूक रहना बेहद जरूरी हैं. वैसे सर्दी और एलर्जी के बीच सबसे बड़ा अंतर अवधि का है. जुकाम आमतौर पर 10 दिनों तक रहता है, जबकि एलर्जी हफ्तों या महीनों तक जारी रह सकती है. सर्दियों में एलर्जी एक नहीं बल्कि कई तरह की होती है. तो आइए आपकी मदद के लिए हम यहां आपको बताते हैं विंटर एलर्जी क्या और कितने तरह की होती है.

सर्दियों में होने वाली सामान्य एलर्जी-

धूल और प्रदूषक-

सर्दियों के मौसम में ताप की जरूरतों के कारण ऊर्जा की खपत बहुत ज्यादा होती  है, जो हवा में विषाक्त पदार्थ छोड़ती है. सर्दियों के मौसम में हवा शुष्क होती है और गर्मी के मौसम में हवा की तुलना में इसमें ज्यादा प्रदूषण होता है. हवा में मौजूद धूल और अन्य प्रदूषक लोगों में एलर्जी का कारण बन सकते हैं.

मोल्ड-

अंधेरा, ठंडा और नम वातावरण मोल्ड के लिए एक अच्छा प्रजनन स्थल  है. यह लोगों में एलर्जी पैदा करने वाले सबसे आम  कारकों में से एक  है, जो सर्दी के मौसम में बढ़ जाता है.

पालतू जानवरों की फर-

घर में पले पालतू जानवरों की रूसी और फर के कारण एलर्जी का सामना करना पड़ सकता है. यह फर जब कपड़ों और घर में कई जगह गिर जाती है, तो इससे एलर्जी का खतरा भी बढ़ जाता है.

धूल के कण-

सर्दी गर्म कपड़ों का मौसम है. हालांकि, धूल के कण कपड़ों में फंसने और घर के अंदर की हवा में जमा होने से लोग एलर्जी का शिकार हो जाते हैं.

सर्दियों में होने वाली एलर्जी से कैसे बचा जा सकता है-

– जितना हो सके, घर को धूल, मिट्टी से मुक्त रखें.

– सप्ताह में एक या दो बार कालीन को वैक्यूम क्लीन करें.

– घर के पर्दे और शेड धूल मुक्त होने चाहिए.

– घर में ज्यादा नमी से बचें. क्योंकि ज्यादा नमी से मोल्ड का विकास बहुत तेजी से होता है.

– धूम्रपान से बचना चाहिए.

– अगर आपके घर में पेट्स हैं, तो हो सके तो इन्हें घर से बाहर रखें और हफ्ते में इन्हें एक बार नहलाएं.

सर्दियों में होने वाली एलर्जी के लक्षण लगभग मौसमी एलर्जी की तरह ही दिखते हैं. ऐसे में एलर्जी की दवा लेना, नाक और साइनस की सफाई करना या फिर घरेलू उपाय लक्षणों को कम करने में आपकी मदद कर सकते हैं.

Winter Special: कड़कड़ाती ठंड में ये सुपरफूड्स बनेंगे आपका सुरक्षा कवच

सर्दियों का मौसम और कड़कड़ाती ठण्ड अपने साथ कई तरह की बिमारी साथ लेकर आती है. इस मौसम में अपना सेहत का विशेष ख्याल रखने की जरूरत होता है. हाथपैर और पूरा शरीर ठण्ड की चपेट में आकर ठिठुरने लगता है ऐसे में आप गर्म कपड़ो का सहारा लेती हैं. लेकिन क्या आप जानती है कि कुछ ऐसे फूड्स होते हैं जो सर्दियों की कड़कड़ाती ठंड में भी आपके शरीर को गर्म रखने का काम करते हैं.

ये फूड्स न सिर्फ शरीर का तापमान बढ़ाकर सर्दी-खांसी जैसी बीमारियों से हमारा बचाव करते हैं बल्कि इनका सेवन करने से हमारे शरीर की इम्यूनिटी भी बढ़ती है. इसलिए कड़कड़ाती ठण्ड में गर्म कपड़े ही नहीं बल्कि हरी भरी सब्जियां भी आपका सुरक्षा कवच है.

आज हम आपको ऐसे ही कुछ फूड्स की खासियत के बारें में बताने जा रहे हैं जिन्हें सर्दियों का सुपरफूड कहा जा सकता है.

बादाम

बादाम आपको सर्दियों में काफी गर्म रखते हैं. यह आपके इंसुलिन सेंसिटीविटी को सुधारने तथा आपके दिल को सेहतमंद रखने में भी मदद करता है. आप बादाम और अन्य नट्स जैसे अखरोट और खुबानी आदि का मिश्रण बनाकर स्नैक्स के तौर पर इस्तेमाल कर सकते हैं. रोजाना इसका सेवन आपको ठण्ड से बचाकर रखता है.

फूलगोभी

फूलगोभी सर्दियों के लिए बेहतर फूड है और इसमें विटामिन K (के) भरपूर मात्रा में पाया जाता है. आप इसे उबालकर, तलकर या फिर सूप बनाकर इसका सेवन कर सकती हैं. यह आपको ठण्ड से बचाने के साथ हा आपकी सेहत का पूरा ध्यान रखता है.

हरा मटर

हरे ताजे मटर का सेवन सर्दियों में बेहद फायदेमंद होता है. यह विटामिन E (ई) , ओमेगा 3 फैटी एसिड्स और बीटा कैरोटिन का बेहतरीन स्रोत होता है. इसमें कोमेस्ट्राल पाया जाता है जो पेट के कैंसर को रोकने में मदद करता है.

अनार

वैसे तो अनार खाना हर मौसम में अच्छा होता है पर सर्दियों में यह आपकी सेहत का खास ख्याल रखता है. अनार तमाम तरह के पोषक तत्वों और एंटी-आक्सीडेंट्स से भरपूर होता है. अनार आपकी उम्र बढ़ाने की भी क्षमता रखता है. इसमें मौजूद एंटी-आक्सीडेंट्स दिल संबंधी बीमारियों और प्रोस्टेट कैंसर के खतरे को कम करने का काम करते हैं. इसके अलावा यह दिल, बालों और त्वचा की सेहत के लिए भी बेहद लाभदायक फल होते हैं.

शकरकंद

इम्यूनिटी बढ़ाने, कब्ज दूर करने तथा सूजन संबंधी समस्याओं को दूर करने में शकरकंद बहुत लाभदायक है. पोटैशियम, विटामिन ए और फाइबर इसमें भरपूर मात्रा में उपलब्ध है. पोषक तत्वों से भरपूर शकरकंद में बहुत कम कैलोरी पाई जाती है और अपने इन्हीं गुणों की वजह से इसे सर्दियों का सुपरफूड कहा जाता है.

साइट्रस फल

सर्दियों में साइट्रस फल खाने के बड़े फायदे होते हैं. ये विटामिन सी और पोटैशियम के अच्छे स्रोत होते हैं. इनमें कैलोरी की माक्त्रा बेहद कम होती है. हमारे हार्मोन्स को दुरुस्त रखने में भी यह मदद करती है.

Winter Special: जाड़े में भी स्वस्थ रहेंगे अस्थमा के रोगी

15 साल की अनुरिमा अस्थमा की शिकार है. बचपन से ही उसे अस्थमा के अटैक आते थे, जो बाद में उम्र के हिसाब से ओर बढ़ते गए. इस के लिए उसे नियमित दवा लेनी पड़ती है. दरअसल, यह बीमारी सर्दी के दिनों में और अधिक बढ़ जाती है, क्योंकि सर्द मौसम की वजह से श्वासनली में बलगम जल्दी जमा हो जाता है, जो श्वासनली को अवरुद्ध कर देता है, जिस से मरीज को सांस लेने में कठिनाई होने लगती है. फलस्वरूप सांस फूलने लगती है. कुछ लोगों को यह बीमारी उन्हें ठंड की ऐलर्जी होने की वजह से भी बढ़ जाती है.

इस बारें में मुंबई के एसआरवी हौस्पिटल की चैस्ट फिजिशियन डा. इंदु बूबना बताती है, ‘‘स्ट्रैस और धूम्रपान अस्थमा के ट्रिगर पौइंट हैं. इन से सब से अधिक अस्थमा बढ़ती है. इस के अलावा नींद की कमी व प्रदूषण भी इस के जिम्मेदार हैं. जाड़े के मौसम में इस बीमारी के बढ़ने का खतरा अधिक रहता है. लेकिन सही लाइफस्टाइल से इस खतरे को कम किया जा सकता है. मेरे पास कई मरीज ऐसे आते हैं, जो अस्थमा रोग का नाम सुन कर ही घबरा जाते हैं, जबकि यह बीमारी जानलेवा नहीं है.’’

डा. इंदु के अनुसार ये सावधानियां जाड़े  के मौसम में अस्थमा के रोगियों को अवश्य रखनी चाहिए:

– सब से पहले घर को साफसुथरा रखें. वैंटिलेशन सही हो.

–  सांस हमेशा नाक से लें इस से हवा गरम हो कर छाती तक पहुंचती है, जिस से ठंड कम लगती है. मुंह से सांस लेने की कोशिश कम करें.

–  फ्लू का वैक्सिन अवश्य लगा लें. इस से 70% व्यक्ति ठंड की ऐलर्जी से बच सकता है.

–  घर में अगर रूमहीटर का प्रयोग करते हैं, तो समयसमय पर उस के फिल्टर की सफाई अवश्य करें, ताकि उस पर धूलमिट्टी न जमें.

–  घर के पैट्स, टैडी बियर, फर वाले खिलौने, प्लांट्स आदि को बैड से दूर रखें.

–  ठंड से बचने के लिए अधिकतर लोग आग या रूमहीटर के पास बैठते हैं, जो ठीक नहीं, क्योंकि इस से ऊनी कपड़े के रेशे जल जाते हैं. उन से निकलने वाला धुआं अस्थमा के रोगी के लिए खतरनाक होता है. इसलिए रूमहीटर से घर को गरम जरूर करें, पर दूरी बनाए रखें. साथ ही घर की नमी को भी बनाए रखें.

–  पुराने सामान को घर में न रखें. डस्टिंग के वक्त धूल न उड़ाएं. घर की सफाई गीले कपड़े से  करें.

–  खाना खाने से पहले हाथों को अच्छी तरह धो लें. इस से किसी भी प्रकार के वायरस से आप दूर रहेंगे.

–  सर्दियों में भी वर्कआउट अवश्य करें, लेकिन पहले अपनेआप को वार्मअप करना न भूलें.

–  ठंड में तरल पदार्थों का सेवन अधिक करें. घर पर बना कम वसायुक्त खाना खाएं. ताजे फलसब्जियां अधिक लें. खट्टे पदार्थ खाने से अस्थमा नहीं बढ़ता. हां जिन्हें ऐलर्जी हो, वे न खाएं.

–  कपड़े हमेशा साफसुथरे ही पहनें. कौटन के कपड़े पहन कर ही ऊपर ऊनी कपड़े पहनें.

–  अगर छोटे बच्चे अस्थमा के शिकार हैं तो जाड़े में उन्हें हैल्दी, न्यूट्रिशन वाला भोजन दें.

–  दवा का सेवन नियमित करें.

प्रेग्नेंसी के बाद कम करना है वजन तो अपनाएं ये आसान तरीके

प्रेग्नेंसी के बाद वजन घटाना एक बड़ी चुनौती होती है. आमतौर पर प्रेग्नेंसी के बाद महिलाओं का वजन बढ़ जाता है और आपकी लाख कोशिशों के बाद भी वो अपना वजन कम नहीं कर पाती. इस खबर में हम आपको उन तरीकों के बारे में बताएंगे जिनकी मदद से आप प्रेग्नेंसी के बाद भी अपना वजन कम कर सकेंगी.

 खूब पीएं पानी

पानी पीना वजन कम करने का सबसे आसान तरीका है. अगर आप सच में अपना वजन कम करना चाहती हैं तो अभी से रोजाना 10 से 12 ग्लास पानी पीना शुरू कर दें.

टहला करें

प्रेग्नेंसी के बाद वजन कम करने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप वौक शुरू करें. कई रिपोर्टों में भी ये बाते सामने आई है कि प्रेग्नेंसी के बाद वजन घटाने के लिए जरूरी है टहलना.

खाना और नींद रखें अच्छी

आपको बता दें कि तनाव और नींद पूरी ना होने से कई तरह के रोग हो जाते हैं. इसके अलावा आप बाहर का खाना बंद कर दें. घर का बना खाना खाएं और पर्याप्त नींद लें. स्ट्रेस ना लें. खुद को कूल रखें.

बच्चे को कराएं ब्रेस्टफीड

आपको ये जान कर हैरानी होगी पर ये सच है कि ब्रेस्टफीड कराने से महिलाओं के वजन में तेजी से गिरावट आती है. और इस बात का खुसाला कई शोधों में भी हो चुका है. ब्रेस्टफीड कराने से शरीर की 300 से 500 कैलोरी खर्च होती है. कई जानकारों का मानना है कि स्तमपान कराने से महिलाओं का अतिरिक्त वजन कम होता है.

बथुआ साग के जबरदस्त फायदे, वेट लॉस से लेकर इम्यूनिटी बूस्ट करने मे कारगर

सर्दियों के मौसम में सेहत का विशेष ख्याल रखा जाता है. इस मौसम मे बाजार मे कई तरह-तरह के साग और फल तमाम चीजें मिलती है. ठंड के मौसम में अच्छे स्वस्थ के लिए विशेष चीजों को डाइट में शामिल करे. सर्दियों के मौसम में सबसे अच्छी चीज है साग है, जो बाजारों में दिखाई देते है. इनमें से एक है बथुआ का साग. बथुआ का साग सेहत के लिए बेहद लाभकारी होता है. बथुआ का साग काफी लोगों को बहुत पसंद होता है. हेल्थ एक्सपर्ट्स भी इसे खाने की सलाह देते है बथुआ पौष्टिक गुणों से भरपूर है.

  1. वेट लॉस में मददगार

अगर आपको अपना वजन कम करना है तो सर्दियों में बथुआ के साग का सेवन जरुर करे. आप चाहे तो इसे उबालकर खा सकते है या फिर इसका सूप बनाकर पी सकते है. बथुआ वेट लॉस में कारगार साबित होता है. बथुआ में अधिक मात्रा मे फाइबर मौजूद होते है. इसके सेवन करने से पेट फुल रहता है और इसे बार-बार खाने से बचते हैं. बथुआ लो कैलोरी फूड है.

2. डायबिटीज पेशेंट के लिए लाभदायक

डायबिटीज मरीजों के लिए बथुआ किसी चमत्कार से कम नहीं है. दरअसल, इसके सेवन से शरीर का ब्लड शुगर लेवल सामान्य रहता है. आप बथुआ का साग दाल चावल के साथ खा सकते हैं. डायबिटीज कंट्रोल करने में ये साग कारगर है.

3. मजबूत और स्वस्थ बाल

दरअसल, बथुआ में प्रोटीन की मात्रा पाई जाती है इसके साथ ही इसमें अन्य विटामिन और खनिज भी होते हैं. जिन लोगों को बाल झड़ने की समास्या है वह इसका सेवन जरूर करे. डाइट में रोजाना बथुआ का साग खाना चाहिए. इससे आपके बालों की जड़ें मजबूती होती हैं.

4. मजबूत इम्यून सिस्टम

बथुआ खाने से शरीर में इम्यूनिटी बूस्ट होती है. इसमें अमीनो एसिड, फाइबर और कई पोषक तत्व होते है. बथुआ साग का सेवन करने से आप कई बीमारियों से बच सकते है.

60 सेकेंड के इस एक्सरसाइज से कम करिए पेट की चर्बी

पेट पर आई चर्बी को कम करना बेहद मुश्किल काम होता है. ज्यादातर लोगों के पेट से ही मोटापे की शुरुआत होती है. पर लाख कोशिशों के बाद भी ये चर्बी कम नहीं होती. इस खबर में हम आपको एक ऐसी एक्सर्साइज बताएंगे जिससे आप आसानी से पेट की चर्बी कम कर सकेंगी. इसका नाम है प्लैंक.

कैलोरी बर्न करने के लिए एक कामगर एक्सरसाइज है प्लैंक. आपको बता दें कि इसे करने में शरीर की बहुत सी मांसपेशियां एक साथ एक्टिव हो जाती हैं, इसका असर पुरे शरीर पर होता है. देखने में बेहद आसान सा दिखने वाला ये एक्सरसाइज करने में काफी मुश्किल होता है. इसे करने के लिए सबसे अधिक जरूरी होता है कि आप संतुलन ना छोड़ें. जितना ज्यादा समय आप खुद को प्लैंक के पोजिशन में रख सकेंगी आपकी सेहत के लिए अच्छा होगा. एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर आप 60 सेकेंड तक प्लैंक 3 बार करते हैं तो इससे बेली फैट कम करने में मदद मिलती है.

एक्सपर्ट्स की माने तो 60 सेकेंड तक प्लैंक होल्ड करना सेहत के लिए काफी असरदार होता है. शुरुआत में आपके लिए 60 सेकेंड तक प्लैंक करना थोड़ा मुश्किल हो सकता है लेकिन धीरे-धीरे अभ्यास के साथ आप इस एक्सरसाइज को कर सकेंगे.

प्लैंक को करते वक्त ये ध्यान दें कि आपकी पोजिशन सही रहे. आपका शरीर बिल्कुल सीधा होना चाहिए. अगर आपके पोजिशन में अंतर है तो इसका असर नहीं होगा.

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