5 Tips: लॉकडाउन में बच्चों की बोरियत करें दूर

वैश्विक महामारी कोरोना 2020 के जाते जाते लगा की अब 2021 में सब कुछ ठीक होगा लोगों को उम्मीद थी कि यह साल 2020 से बेहतर होगा लेकिन 2021 का मार्च आते आते महामारी की दूसरी लहर ने फिर से लोगों की कमर तोड़ दी. दुबारा से कोरोना महामारी ने सभी की ज़िंदगी को पूरी तरह से बदल दिया है. लॉकडाउन की वजह से लोगों की ज़िंदगी फिर से घर पर ही बीत रही है. चाहे वह बच्चे हो या बड़े, ना कोई ऑफिस जा पा रहा है, ना कोई स्कूल और ना ही कोई शॉपिंग सब लोग खाली हैं. इसका असर बच्चों पर ज़्यादा पड़ रहा है ना वह खेल पा रहे हैं ना दोस्तों के साथ घूमने जा रहे हैं. वहीं, हर साल मई और जून के महीने में बच्चों को समर एक्टिविटी के लिए कैंप भेजा जाता था लेकिन अब ये संभव नहीं है. बच्चे घर में रह कर बोर हो गए हैं इसलिए पेरेंट्स भी अब सोच में पड़ गए हैं कि आखिर इतने लंबे समय तक वह अपने बच्चों को कैसे एंटरटेन करें? तो चलिए आज हम आपकी थोड़ी मदद कर देते हैं कि कैसे बच्चे की बोरियत दूर की जाए. हम बताते हैं कुछ टिप्स जिसे फॉलो करके आप घर में रहकर बच्चे के साथ खूब मौज-मस्ती कर सकती हैं.

1. बच्चों के हॉबी को दे प्राथमिकता

स्कूल बंद होने से घर पर बैठे बैठे बच्चे बोर हो गए होंगे तो आप बच्चे की हर क्रिएटिविटी को बढ़ावा दें और स्वंय उसका हिस्सा बनें. अगर बच्चे को पढ़ना, खेलना, खाना आदि पसंद है तो उन्हें करने दें. ऐसा करने से बच्चे का स्ट्रेस कम होगा और उनका मूड अच्छा रहेगा. साथ ही कोशिश करें कि उन्हें हर बात पर ना डाटें. अगर आपका बच्चा डांस कर रहा है तो उन्हें ऑनलाइन डांस वीडियो देखने के लिए कहे.

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2. बच्चों के साथ योग और एक्सरसाइज करें

लॉकडाउन के कारण बच्चों को घर में बैठे हुए लगभग 1 साल से भी ज्यादा का समय हो चुका है वह स्कूल नहीं जा रहे हैं. जिसकी वजह से वह सुबह उठ नहीं पाते हैं. ऐसे में ज़रूरी है बच्चों को सुबह उठकर उनके साथ योग या एक्सरसाइज़ करें. साथ ही खूब सारी मस्ती करें और उन्हें बताएं कि योग करना सेहत के लिए कितना फायदेमंद है. कोरोना के इस दौर में एक्सरसाइज और योग करना बहुत ज़रूरी है. आप बच्चे की पसंद का कोई गाना प्ले कर सकती हैं जिससे बच्चा योग करते समय बोर नहीं होगा.

3. बच्चों के साथ नई डिश बनाएं और खिलाएं

लॉकडाउन होने से इस समय बच्चों को बाहर का खाना नहीं मिल पा रहा है और घर का खाना वह ज़्यादा शौक से नहीं खाते हैं. ऐसे में आप परेशान नहीं हो यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म से आप नई रेसिपी सीख कर घर में बच्चों के साथ मिल कर नयी नई डिश बना सकती हैं. साथ ही उन्हें ये भी बताएं कि खाना सेहत के लिए कितना ज़रूरी है.

4. बच्चों को कहानियां सुनाएं

आज के डिजिटल जमाने में बच्चों को तो जैसे कहानियों का मतलब ही नहीं पता बच्चों को कहानी सुनाए वह कहानियों को सुनकर उसे कॉपी भी करते हैं. तो कोशिश कीजिए उन्हें अच्छी-अच्छी कहानियां सुनाएं. आप उन्हें हिस्ट्रीया कोई प्रेरणादायक सुना सकती हैं या फिर ऐसी कहानी पढ़ने को कह सकती हैं. ऐसा करने से आपका बच्चा बोर नहीं होगा.

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5. डायरी लिखने को कहें

डायरी लिखना हर उम्र के लोगों को पसंद होता है तो बच्चों को डायरी लिखने को कहे क्योंकि इस वक्त बच्चे सही ढंग से नहीं पढ़ पा रहे हैं और होमवर्क को बिल्कुल भी नहीं कर रहे. डायरी लिखने का एक फायदा यह होगा कि आपके बच्चे को लिखना आ जाएगा साथ ही उसकी पढ़ने की क्षमता बनी रहेगी. डायरी लिखते समय बच्चा बोर नहीं हो इसके लिए आप उनसे फन्नी और मनोरंजक चीज़ों को लिखने को कहें.

हेयर रिबौंडिंग कितनी बार करवाई जा सकती है?

सवाल-

मेरी उम्र 34 साल है. मैंने 1 साल पहले हेयर रिबौंडिंग करवाई थी. अब मेरे बाल फिर से ड्राई होने लगे हैं. कृपया बताएं कि कितनी बार हेयर रिबौंडिंग करवाई जा सकती है?

जवाब-

आजकल जापानी थरमल प्रक्रिया स्ट्रैटनिंग बालों को सुलझाने का सब से लोकप्रिय तरीका बन गया है, जिसे रिबौंडिंग भी कहते हैं. पूरी रिबौंडिंग प्रक्रिया का प्रभाव 1 साल तक रहता है. इस का असर नए उगे बालों पर भी महसूस किया जा सकता है. यह बताना जरूरी है कि बालों की रिबौंडिंग बालों को सुधारने का महंगा लेकिन असरदार तरीका है.

रिबौंडिंग

सबसे पहले बालों की क्वालिटी के बारे में जानकारी होनी चाहिए यानी बाल मोटे, पतले, मीडियम, रफ या फिर डैमेज हैं, क्योंकि जो स्ट्रेट थेरैपी क्रीम इस्तेमाल की जाती है वह बालों की क्वालिटी पर निर्भर करती है. यह जान लेने के बाद बालों में अच्छी तरह शैंपू करें और फिर ड्रायर से सुखा लें.

जब बाल सूख जाएं तो आयरनिंग करें. इस के बाद स्ट्रेट थेरैपी क्रीम सैक्शन बाई सैक्शन ऊपरी बालों की लटों से ले कर नीचे की लटों तक लगाएं. 15 से 20 मिनट बाद एक बाल को खींच कर देखें. यदि बाल स्प्रिंग की तरह घूम रहा हो तो समझ लें कि सल्फर बन्स टूट गए और अगर ऐसा नहीं हुआ तो 5-10 मिनट रुकें.

इस के बाद बालों को अच्छी तरह धो लें और मीडियम हीट पर ड्रायर कर लेयर बाई लेयर आयरनिंग करें. इस के तुरंत बाद न्यूट्रलाइजर सैक्शन बाई सैक्शन उसी प्रकार करें जिस प्रकार स्ट्रेट थेरैपीक्रीम अप्लाई की गई थी. इस दौरान बिलकुल भी न हिलें. 15-20 मिनट बाद बालों को अच्छी तरह धो लें. ठंडा ड्रायर करें. बाल सूख जाएं तो सीरम लगाएं और फिर मास्क.

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अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz
 
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अंडरगारमेंट्स खरीदने से पहले रखें इन बातों का ध्यान

आज भी महिलाएं मेकअप के प्रोडक्ट खरीदते समय तो बहुत सावधानी बरतती हैं लेकिन जो हमारे शरीर के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है यानी अंडर गारमेंट्स उस पर ध्यान नहीं देती. बाकी चीजों को लेते समय तो 10 दुकान घूम लेती हैं और बड़ी समझदारी से सोचसमझ कर ही शॉपिंग करती हैं लेकिन जब बात ब्रा और पैंटी की आती है तो ना जाने क्यों कुछ भी उठा लाती हैं और बाद में पछताती रहती हैं. अगर इसके पीछे की वजह आपकी झिझक है तो संभल जाइए क्योंकि इसका खामियाजा भी आपको ही भुगतना पड़ता है. अंडर गारमेंट्स भले किसी को दिखाई ना दें लेकिन इनके इस्तेमाल से ब्रेस्ट का आकार भी सही रहता है और कौन्फिडेंस भी बना रहता है.

1. गलत साइज की ब्रा पहनना है खतरनाक

गलत साइज की ब्रा/पैंटी पहनने से अच्छा है अपने अंदर की उस शर्म को खत्म करना. एक रिपोर्ट की माने तो करीब 90% महिलाएं गलत साइज की ब्रा पहनती है क्योंकि उनको मालूम ही नहीं है कि उनका सही साइज/शेप क्या है. जानकारी होगी भी कैसे, झिझक की वजह से कभी उन्होंने पता करने की कोशिश भी नहीं की. किसी ने बता दिया कि ये साइज की ब्रा आप पहन सकती हैं बस उसे आइडियल मानकर बैठ गईं. ये भी नहीं पता कि अलग-अलग ब्रांड की साइज में कितना अंतर होता है या फिर कितने महीने बाद ब्रा की साइज बदल जाती है.

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हम आपको यहां उन दो बातों के बारे में बता रहे हैं जिनका ध्यान रखना बहुत जरूरी है. तो अगली बार जब आप अंडर गारमेंट्स की शॉपिंग करने जाएं तो इन्हें जरूर फौलो करें.

2. सही साइज से बनेगी बात

कुछ महिलाएं मंहंगे-महंगे आंडरगारमेंट्स को खरीद लेती हैं लेकिन साइज पर बिल्कुल ध्यान नहीं देती. जिसकी वजह से या तो वे ज्यादा लूज होते हैं या फिर टाइट. टाइट ब्रा या पैंटी पहनने से हमारी हैल्थ पर बुरा असर पड़ता है. इसकी वजह से ब्लड सर्कुलेशन के अलावा स्किन इंफेक्शन का भी खतरा रहता है. साथ ही कंधा और पीठ से संबंधित प्रौब्लम भी शुरू हो जाती है. यही नहीं गलत साइज के कारण आप ब्रैस्ट कैंसर, डाइजेशन,  हार्टबर्न, सिर दर्द और रैशेज जैसे बीमारियों से ग्रसित भी हो सकती हैं. इसलिए जब भी अंडर गारमेंट्स खरीदें अपनी साइज का अच्छी तरह पता कर लें क्योंकि समय के साथ महिलाओं के शेप में भी चेंजेज आते हैं. वहीं पैंटी खरीदते समय भी साइज का ध्यान रखना बहुत जरूरी हा क्योंकि अगर बड़ी साइज की पैंटी होगी तो वो जींस या ट्राउजर से बाहर आ जाएगी जो दिखने में बहुत भद्दी लगती है. इसलिए ऐसी पैंटी खरीदें जिसमें उपर पट्टी ना लगी हो और आपके साइज की हो. इसके साथ ही इस बात का भी ध्यान रखें कि हर ब्रांड का साइज भी अलग-अलग हो सकता है. एख बात और ब्रा या पैंटी कभी भी ज्यादा उभार वाली नहीं लेनी चाहिए क्योंकि यह बॉडी शेप को खराब करती है और उभार वाली पैंटी सेनेटरी पैड फ्रेंडली नहीं होती है.

3. क्वालिटी से ना करें समझौता

ना जाने क्यों महिलाएं चूड़ी, झुमके और मेकअप पर तो पैसा पानी की तरह बहा देती हैं. एक के बजाय दो जोड़ी सैंडल खरीद लेती हैं लेकिन सारी कंजूसी अंडर गारमेंट्स खरीदते समय दिखानी होती है. जो चीज आपकी बौडी के लिए सबसे ज्यादा जरूरी होती है उसे खरीदते समय सारी बचत कर लेती हैं. हां लगभग ये बात सच है कि महिलाएं अंडर गारमेंट्स पर ज्यादा खर्च नहीं करना चाहती और सस्ते के चक्कर में कुछ भी उठा लाती हैं. अगर आपको अपनी हैल्थ प्यारी है तो सस्ते के चक्कर में पड़कर बेकार अंडर गारमेंट्स ना खरीदें, क्योंकि ये आपकी बौडी के सबसे करीब होते हैं. इसलिए ब्रैंडेड और अच्छी क्वालिटी के ही अंडर गारमेंट्स खरीदें. सस्ते ब्रा या पैंटी कुछ समय के लिए ठीक रह सकते हैं लेकिन कुछ समय बाद ही बेकार हो जाते हैं. प्रौडक्ट अच्छा रहेगा तो ज्यादा समय तक चलेगा भी और आपकी पर्सनैलिटी में चार चांद भी लगा देगा. वहीं कौटन या होजरी की अंडर गारमेंट्स आपके लिए बेस्ट रहेगी.

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खुद को दें क्वालिटी टाइम

लेखिका-सोनिया राणा

वर्किंग मदर्स की बात करें तो सभी के मन में सब से पहले सुबह से रात तक एक व्यस्त रूटीन में बंधी महिलाएं आती हैं, जो सुबह उठ कर सब से पहले अपने परिवार का नाश्ता तैयार करतीं, फिर पूरे दिन की तैयारी कर खुद काम पर जातीं. जब दफ्तर से वापस आतीं तो परिवार में मातापिता को भी वक्त देतीं और अपने बच्चों के साथ भी क्वालिटी टाइम स्पैंड करतीं.

पहले से ही दिन के 24 घंटों में वर्किंग मदर्स खुद के लिए चंद मिनट भी नहीं निकाल पाती थीं और अब कोविड-19 महामारी ने उन की मुश्किलों को और कई गुणा बढ़ा दिया है. अब महत्त्वाकांक्षी महिलाओं को अपने कैरियर के साथसाथ घर वालों की सेहत के साथ ही घर को भी सुरक्षित बनाए रखने के लिए साफसफाई पर अतिरिक्त समय बिताना पड़ता है.

जो कामकाजी मां पहले दिन में कुछ पल अपने लिए निकालने के लिए जद्दोजहद करती थी उसे अब सांस लेने की भी फुरसत नहीं मिलती. लेकिन आप का यह रूटीन आप के परिवार के लिए भले जरूरी हो, लेकिन आप के लिए भविष्य में मुश्किल पैदा कर सकता है.

एक महिला परिवार की नींव होती है. अब सोचिए हम अपनी नींव पर इतना वजन दे देंगे तो पूरे घर का क्या होगा. इसलिए वर्किंग मदर हो या घरेलू महिला यह मुद्दा अब जोर पकड़ने लगा है कि उन का खुद का खयाल रखना कितना महत्त्वपूर्ण है.

बात फिर चाहे शारीरिक फिटनैस की हो या मानसिक सेहत की, डाक्टर्स भी महिलाओं को खुद की देखभाल करने की सलाह देते हैं.

हैल्दी खाना आप के लिए भी है जरूरी

अकसर महिलाओं की कोशिश रहती है कि परिवार में बड़ी उम्र के लोगों या बढ़ती उम्र के बच्चों के हिसाब से हैल्दी खाना बनाने की. लेकिन जब बात खुद की हो तो ज्यादातर महिलाएं अपने शरीर की जरूरतों पर उतना ध्यान नहीं देतीं.

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डाक्टरों का मानना है कि महिलाओं को हर उम्र में सही पोषण की जरूरत होती है. आयरन और कैल्सियम की जरूरत हर उम्र की महिलाओं के लिए होती है, इसलिए अपने खाने में आयरन और कैल्सियम से युक्त भोजन की जिस में पालक, ब्रोकली, चुकंदर, स्प्राउट्स, दूध, पनीर, टोफू जैसी चीजें शामिल हों.

मी-टाइम है जरूरी

सब से जरूरी है कि आप अपने शैड्यूल में अपने लिए भी वक्त तय करें, जिस में आप अपनी पसंद का काम करें. आप चाहे उस वक्त को ग्रूमिंग के लिए इस्तेमाल करें या फिर अगर आप को किताबें, मैगजीन पढ़ने या फिर संगीत सुनना पसंद करती हों अथवा चित्रकला की शौकीन हों, तो उस वक्त को अपने मूड के हिसाब से इस्तेमाल करें.

अगर मन सिर्फ आराम करने का हो तो भी उस में कुछ गलत नहीं है. इस से आप को दिन बोझिल नहीं लगेगा और आप का मानसिक तनाव कम होगा.

व्यायाम है जरूरी

जैसे बच्चों के विकास के लिए शारीरिक ऐक्टिविटीज को ले कर आप परेशान होती हैं ऐसे ही आप को अपनी सेहत पर फोकस करने की भी जरूरत होती है. जरूरी है कि हर उम्र की महिलाएं अपनी सेहत के हिसाब से दिन में करीब 30 मिनट ऐक्सरसइज के लिए जरूर निकालें. जरूरी नहीं कि आप जिम में जा कर ही पसीना बहाएं. इस महामारी के वक्त अहम यह है कि आप सुरक्षित वातावरण में दिन में भले 10 मिनट वाक करें.

इस से आप को पूरा दिन काम करने की ऊर्जा मिलेगी साथ ही थकान भी मिटेगी. जरूर नहीं कि सुबह जल्दी उठ कर या शाम में ही ऐक्सरसाइज करें, बल्कि जिस वक्त आप को टाइम मिले उसे व्यायाम के लिए उपयोग करें बस ध्यान रखें कि ऐक्सरसाइज के ठीक पहले आप ने हैवी डाइट न ली हो.

अच्छी नींद लें

खुद की देखभाल में सब से आसान और सब से मुश्किल काम यही है कि आप अपनी नींद पूरी करें. डाक्टरों का मानना है कि दिन में करीब 7-8 घंटे की नींद वयस्क के लिए जरूरी है. ऐसे में अगर आप 7-8 घंटे से कम सोती हैं तो खुद ही बीमारियों को न्योता देने की तैयारी कर रही हैं.

महिलाएं सब का खयाल रखने में इतनी मशगूल रहती हैं कि खुद उन के लिए क्या सही है यह जानते हुए भी उसे नहीं कर पातीं. कभी घर की जिम्मेदारी तो कभी दफ्तर के काम का प्रैशर महिलाएं बिना शिकायत खुद ही उठाती हैं.

अब चूंकि दिन में 24 ही घंटे हैं, जिन में आप को अपना, परिवार का और दफ्तर काम संभालना है तो महिलाएं बाकी सब के टाइम में कटौती किए बिना अपनी नींद के वक्त मेें कटौती कर लेती हैं जोकि शौर्ट टर्म के लिए तो ठीक लगता है, लेकिन रोजाना ऐसा रूटीन आप की सेहत बिगाड़ सकता है.

इस से बचने के लिए जरूरी है कि जैसे आप सुबह अलार्म लगा कर उठने का वक्त तय करती हैं ठीक उसी तरह रात को सोना का वक्त भी फिक्स करें.

मैडिटेशन भी होगा मददगार

तनावभरे दिन के बाद जरूरी है कि मस्तिष्क को कुछ आराम दें. इस में मैडिटेशन आप के लिए मददगार साबित होगा. आप चाहें तो शांत अंधेरे कमरे में बैठ कर दिन में कम से कम 10 मिनट मैडिटेट करें और अगर आप का ध्यान भटक रहा हो तो बहुत सी ऐप्लिकेशन इन दिनों आप को अपने मोबाइल स्टोर में मिल जाएंगी जिन से आप आसानी से अपना ध्यान लगा सकती हैं.

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आत्मग्लानी से बचें, खुद की प्रशंसा करें

महामारी हो या नहीं वर्किंग मदर्स इस आत्मग्लानी में रहती हैं कि वे अपने बच्चों और अपने परिवार का ज्यादा ध्यान रख पातीं, लेकिन उन्हें यह समझना जरूरी है कि वे इंसान हैं और जितना उन से हो सकता है वे कर रही हैं.

खुद की दूसरी मांओं से तुलना न करें. आप को अपने परिवार, अपने बच्चों की जरूरतों की बेहतर समझ है और आप अपनी कूबत से ज्यादा मेहनत और वक्त उन के लिए देती हैं. इसलिए आत्मग्लानी से बाहर आएं और अपने किए काम की प्रशंसा करें.

लंबे समय तक जीना है… तो आराम से न बैठें, हर दिन काम करें

लगभग हर समाज में इंसान बुढ़ापे के अपने सहारे सोचकर रखता है. लेकिन ज्यादातर लोगों की दिली इच्छा यही होती है कि जिंदगी में किसी के भरोसे न रहना पड़े. इसके लिए जरूरी है कि हम मौत के एक दिन पहले तक न केवल दिमागी और जिस्मानी रूप से सक्रिय रहें बल्कि कामकाज भी करते रहें ताकि हमारी नियमित आय का जरिया बना रहे और हमें अपने गुजर बसर करने के लिए किसी के सामने हाथ फैलाने की जरूरत न पड़े.

अगर आपको लगता है कि यह कोरी कल्पना है तो भूल जाइए. बहुत कम ही सही लेेकिन कई ऐसे लोगों के बारे में आपने सुना होगा या देखा होगा जो स्वभाविक मौत के एक सप्ताह पहले तक और कई तो बस, एक दो दिन पहले तक सक्रिय रूप से कामकाजी रहे होते हैं. सवाल है क्या यह जिस्मानी क्षमता के बदौलत संभव है या इसके लिए हमें दिमागी रूप से मजबूत और कठोर संकल्पों वाला होना पड़ता है. विषेषज्ञ कहते हैं दूसरा विकल्प ही कारगर है. दरअसल शरीर की निश्चित क्षमताएं नहीं होतीं, उसे आप चाहे तो जितना क्षमतावान बना सकते हैं. इसके लिए आपको दिमागी रूप से मजबूत होने की जरूरत होती है और बेहद अनुशासन प्रिय होने की भी.

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तकरीबन 100 साल उम्र तक बतौर मनोचिकित्सक सक्रिय रहे जैसन बर्क कहते हैं, ‘हर दिन काम करना जीने को लुत्फपूर्ण बना देता है, यह एक थैरेपी जैसा है, जो आपको हर दिन अपनी नियमित गतिविधि के साथ तरोताजा कर देता है.’ कहने का मतलब यह कि आप काम से थकते नहीं हैं, ऊबते नहीं हैं, असमर्थ नहीं होते बल्कि तरोताजा होते हैं और सामथ्र्यवान भी बनते हैं. दुनिया में सबसे ज्यादा देर तक आॅस्ट्रलियाई लोग काम करते हैं. एक औसतन आॅस्ट्रेलियाई मरने के कुछ महीने पहले तक कामकाजी रूप से सक्रिय रहता है. दुनिया में जहां औसतन रिटायमेंट की उम्र 60 साल है, वहीं आॅस्ट्रेलिया में यह 65 साल है लेकिन साल 2035 से कानूनी तौरपर इसे बढ़ाकर 70 साल किये जाने का कानून बन चुका है.

मगर व्यवहार में तमाम निजी संस्थानों ने अभी से इसे 70 साल कर दिया है. कहने का मतलब आॅस्ट्रेलिया में ज्यादातर लोग 60 या 65 साल के बजाय 70 साल तक सक्रिय कामकाजी जीवन बिताते हैं. निश्चित रूप से देर तक काम करने में एक बड़ी सहूलियत हमारा शरीर मुहैय्या करता है, लेकिन अगर शरीर की तरह ही दिमाग स्वस्थ नहीं है तो यह संभव नहीं हो सकता. इसलिए देर तक काम करने के लिए जरूरी है कि हम दिमागी तौरपर स्वस्थ रहें और दिमागी रूप से स्वस्थ रहने के लिए जरूरी है कि हम हर दिन नियमित तौरपर काम करें. निष्क्रियता हमें शारीरिक रूप से असहज और दिमागी रूप से कुंद बनाती है. बहरहाल जरूरी ये जानना है कि आखिर देर तक काम करने के लिए करें क्या? इसके लिए सबसे पहले जरूरी है कि हम सिर्फ वही काम करें जो हमें पसंद हो और उस काम को मजबूरी के तौरपर न करें बल्कि जुनून के तौरपर करें.

देर तक काम करने का एक बहुत जरूरी सूत्र यह है कि बिना नागा हर दिन काम करें. इससे हमारी जिस्मानी ताकत भी बढ़ती है और जेहनी ताकत में भी इजाफा होता है. स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं अगर 80 साल या इससे ज्यादा तक स्वस्थ और सक्रिय रहते हुए जीना है तो जरूरी है कि हर दिन औसतन 8 घंटे काम करें बिना नागा, बिना तनाव. देर तक काम करने का एक जरूरी आधार यह भी है कि हम ऐसे काम करें जो महत्वपूर्ण हों यानी हमें एहसास हो कि हमारे किये गये काम के बिना बहुत जरूरी चीजें रूक सकती हैं या यूं कहें कि हमारा काम तात्कालिक तौरपर ही महत्वपूर्ण हो, सिर्फ काम करने के लिए काम न करें. लंबे समय तक स्वस्थ और सक्रिय रहने के लिए लगातार नयी नयी तकनीकियों को सीखें, अपने आपको चुनौतियों से दोचार करें और लक्ष्य को पूरा करने के लिए एक वास्तविक किस्म का न्यूनतम तनाव भी पालें.

कुल मिलाकर लगे कि आप सचमुच में एक तय समय पर अपने काम को पूरा करने के लिए चिंतित हैं. बहुत आराम से किया गया काम गुणवत्ता में भले बेहतर उत्पाद के रूप में सामने आता हो, आपको बहुत सक्रिय और महत्वपूर्ण नहीं बनाता. बिना इंसेटिव यानी कुछ प्राप्ति के कभी काम न करें क्योंकि ऐसे काम दिमागी रूप से आपको गैर महत्वपूर्ण और निर्मूल्य बनाते हैं जो स्वास्थ्य के लिए कतई फायदेमंद नहीं होते. अगर आप वरिष्ठ उम्र में भी मिलने वाले अपने साप्ताहिक या पखवाड़े वाले वेतन का इंतजार करते हैं, उसमें कुछ बढ़ोत्तरी की ख्वाहिश पालते हैं और संभव होने पर रोमांचित होते हैं तो आप सही दिशा में हैं, यह काम आपको जेब से भी मजबूत बनायेगा और शरीर से भी. अमरीका में 2010 के गैलप द्वारा किये गये एक वृहद सर्वेक्षण के दौरान यह बात सामने आयी थी कि महिलाएं 65 साल के बाद भी कामकाजी बनी रहना चाहती हैं, जबकि पुरुष 70 साल के बाद भी न सिर्फ कामकाजी बने रहना चाहते हैं बल्कि उन्हें इसकी चुनौतियां भी पसंद हैं.

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बहरहाल निष्कर्ष कुल मिलाकर यही हैं कि इस धारणा को दिलो दिमाग से निकाल दीजिये कि आराम से रहेंगे तो ज्यादा दिन जीयेंगे. न… बिल्कुल नहीं. आराम के चक्कर में पड़ेंगे तो जल्दी भी मरेंगे और तमाम तरह की परेशानियों के साथ भी जीयेगे. इसलिए सक्रिय और सेहतमंद रहना है तो हर दिन बेहद अनुशासन के साथ दिल लगाकर काम करिये और मानिये कि जिसने भी यह कहा था, सही कहा था, काम ही पूजा है.

5 टिप्स: कम बजट में ऐसे सजाएं अपना घर

अक्सर हम घर को सजाने के लिए मार्केट से कई तरह के नए चीजें खरीदते हैं. ये आपके घर को तो चमका देते हैं, लेकिन कईं बार ये बजट से बाहर चले जाते हैं. आज हम आपको घर को सजाने के कुछ खास टिप्स बताएंगे, जिसे आप अपने बजट में ट्राय कर सकते हैं. इन टिप्स से आपका घर बेहद खूबसूरत और ट्रेंडी नजर आएगा.

1. मुख्य द्वार की सजावट

इसके लिए आप फूलों या मिट्टी से बने सजावट के सामान का इस्तेमाल कर सकती हैं. आजकल बाजार में मिट्टी से बना बेहद आकर्षक सजावट का सामान उपलब्ध है. आप अपने घर के मुख्य द्वार पर मिट्टी की रंग-बिरंगी विंड चाइम लगा सकती हैं. इसके अलावा आप दरवाजे के पास मिट्टी के आकर्षक बरतन में पानी भर कर उसमें 5 से 7 सुंदर फूल सजा सकती हैं.

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2. कैसे करें लिविंग रूम की सजावट

अगर आपको लग रहा है कि घर में रंग-रोगन कराना आपके बजट से बाहर है तो चिंता की कोई बात नहीं. आप पूरे घर में पेंट न करवा कर अपने ड्राइंग रूम की एक दीवार को गहरे रंग में रंग कर नया लुक दे सकती हैं. इसके अलावा सोफे के ऊपर के भाग में किसी खास आकार में पहले से मौजूद रंग का 3 गुना ज्यादा गहरा शेड लगा कर दीवार पर कला का काम कर सकती हैं.

3. दीवार की सजावट

आजकल पेपर वर्क, पेपर पेस्टिंग द्वारा भी दीवारों को सजाने का चलन है. इसकी लागत पेंट करवाने की तुलना में बेहद कम आती है और आपका घर भी बिल्कुल नया-सा दिखने लगता है. ये पेपर घर की साज-सज्जा के मुताबिक फ्लोरल, प्लेन हर प्रकार के डिजाइन में मार्केट में आसानी से मिल जाते हैं.

4. सोफा कवर बदलें

दूसरा विकल्प यह है कि सोफा बदलने की बजाय सोफे के कवर और कुशन को बदल दें. अगर आपके सोफे के कवर का रंग क्रीम है, तो कुशन आप तीन बड़े आकार के और तीन छोटे साइज के लें. छोटे वाले कुशन का रंग थोड़ा डार्क शेड का रखें. आप अपने कुशन कवर का रंग अपने दरवाजे और खिड़कियों के रंग से मैच करता हुआ भी रख सकती हैं.

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5. कृत्रिम फर्श से पाएं नया फर्श

अगर आपका फर्श खराब हो गया है या पुराने चलन के मुताबिक बना है तो चिंता की कोई बात नहीं. आप फ्लोरिंग मैटीरियल द्वारा अपने फर्श को बिना तोड़-फोड़ किए ही नया जैसा बना सकती हैं. ये फ्लोरिंग मैटीरियल हर रंग व डिजाइन में बाजार में उपलब्ध हैं.

आप चाहें तो अगले साल इसे फिर बदल सकती हैं और घर को फिर से एक नया लुक दे सकती हैं. इस फ्लोरिंग की खासियत यह है कि इसे आप ठीक उसी प्रकार से साफ कर सकती हैं, जैसे मार्बल, टाइल्स या चिप्स के फर्श को साफ किया जाता है.

6. फूलों से सजाएं घर

घर में फूलों से सजावट सबसे सस्ती, सरल व आकर्षक होती है. इसके लिए आप ताजे फूल या बाजार में आसानी से उपलब्ध आर्टिफिशयल फूलों का इस्तेमाल भी कर सकती हैं. सेंटर टेबल पर कांच की कटोरी में पानी भर कर उसमें रंग-बिरंगे फूल रखें या फिर बाउल में फ्लोटिंग कैंडल जला कर भी आप कमरे की रौनक बढ़ा सकती हैं.

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5 टिप्स: ऐसे तेज करें चाकू की धार

किचन के काम को जल्दी खत्म करने के लिए हम तेज धार वाले चाकूओं का इस्तेमाल करते हैं. लेकिन कुछ दिनों के बाद चाकू मंद हो जाता है. ऐसे में चीजों को काटना मुश्किल हो जाता है. इसलिए, आज हम आपको चाकू की धार को तेज करने के कुछ आसान तरीके बता रहे हैं. आप अपने आम चाकू को पत्थर या ईंट पर रगड़ कर तेज कर सकती हैं. लेकिन कुछ विशेष चाकू केवल शार्पनर की सहायता से तेज होते हैं. इसलिए आपको अपने चाकू का प्रकार भी पता होना चाहिए. इन तरीकों और उपकरणों की मदद से आप अपने मंद चाकू की धार तेज कर सकती हैं.

1. स्टील या लोहे की शीट

चाकू की धार को तेज करने के लिए स्टील की या लोहे की शीट खरीदें. काम शुरू करने से पहले शीट को पानी से धोएं और पोंछ कर गर्म होने के लिए धूप में रखें. जब यह शीट अच्छे से गर्म हो जाए, इस पर चाकू की धार तेज करना आरंभ करें. घर्षण के कारण चिंगारियां उठेंगी, इसलिए ध्यान से काम करें.

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2. लोहे का रौड

शीट ना होने पर आप लोहे के रॉड का इस्तेमाल कर सकती हैं. रेस्तरां में लोहे के रॉड का उपयोग मांस-मछली को काटने के लिए किया जाता है. इस उपकरण से चाकू को तेज करना बहुत आसान है.

3. ग्रेनाइट

चाकू को तेज करने के लिए रसोई के स्लैब पर लगे ग्रेनाइट के पत्थर को भी काम में लाया जा सकता है. चाकू को पत्थर पर रखें और ब्लेड के दोनों हिस्सों को पत्थर पर 20 सेकंडों के लिए लगातार रगड़ते रहें. इस प्रक्रिया में भी आपको चिंगारियां उठती नजर आएंगी.

4. चाकू शार्पनर

खराब हुए चाकू को तेज करने के लिए आप बाजार से चाकू शार्पनर (नाइफ शार्पनर) खरीद सकती हैं. हालांकि, ये शार्पनर बहुत महंगे होते हैं और केवल कुछ प्रकार के चाकूओं को ही तेज करते हैं.

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5. ईंट

ईंट के माध्यम से अपने चाकू को नवीन करना एक आसान व सरल उपाय होगा. इन तरीकों से चाकू की धार तेज करने के बाद उन पर जंग लग जाते हैं. तो आप इन जिद्दी जंग को कुछ ऐसे हटा सकती हैं. चाकू को तेज करने के बाद, उसे गर्म पानी के डिटर्जेंट के घोल में डुबाएं. फिर 15 मिनट के बाद, चाकू को डिटर्जेंट के घोल से निकालकर एक कप पानी व आधा कप विनगर के घोल में डुबाएं. यह उपाय आपके चाकू को जंग से बचाएगा एवं उसके ब्लेड को चमकदार बनाएगा.

 

6 टिप्स: लीविंग रूम सजाते समय न करें ये गलतियां

घर का लिविंग रूम घर की जान होता है. आमतौर पर, लिविंग रूम को सजाते समय हम केवल अपनी पसंद और इच्छा के बारे में सोचते हैं और डिजाइन की नजर से देखा जाए तो लीविंग रूम को सजाते समय होने वाली गलतियों की तरफ हमारा ध्यान नहीं जाता. लिविंग रूम को सजाते वक्त हर छोटी से छोटी बात को ध्यान में रखें और कभी ना करें ये गलतियां.

1. लाइटिंग का रखें खयाल

लाइटिंग अगर सही तरीके से नहीं होगी तो आपके लिविंग रूम की पूरी सजावट खराब हो जाएगी. सुनिश्चित करें की हर तरफ प्रकाश फैला हो. केवल एक लाइट ऊपर लगा देना, सजावट में होने वाली सबसे बड़ी गलती है.

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2. गलत कालीन का रखें ध्यान

हमेशा ध्यान दें कि आप का कालीन कमरे के आकार और बनावट के साथ अच्छी तरह से मेल खाता हो. रंग का चयन करते समय भी सावधान रहें.

3. पोजिशनिंग भी है जरूरी

सुनिश्चित करें कि सभी फर्नीचर ठीक तरह से रखे गए हैं. गलत जगह पर टीवी लगाना घर की सजावट में होने वाली आम गलतियों में से एक है. सोफा को दीवार से सटाते हुए रखना एक और बड़ी गलती है. आपको लगता है कि इससे कमरा और अधिक बड़ा लगेगा, तो ध्यान दें कि आप अपनी बैठक की सजावट को खराब कर रही हैं.

4. गहरे रंग की दीवार

दीवार पर गहरे रंग का प्रयोग करने से कमरे का आकर छोटा और खराब लगेगा. यदि आप कोई गहरा रंग करना चाहते हैं तो इस का उपयोग किसी एक दीवार पर करें और अन्य सभी दीवारों पर हल्के रंग का उपयोग करें.

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5. आर्ट गैलरी

लिविंग रूम को आर्ट गैलरी बनाना एक आम गलती है जो ज्यादातर लोग करते हैं. न्यूनतम फर्नीचर का प्रयोग करें और इसे अच्छी तरह से व्यवस्थित करें|

6. पर्दे का भी रखें ध्यान

खिड़की की लंबाई वाले पर्दे अब फैशन से बाहर हो चुके हैं. जमीन तक की लंबाई वाले पर्दे का प्रयोग करें और पर्दे की छड़ को थोड़ा ऊंची जगह पर लगाएं. यह आपकी बैठक को विशाल और शानदार लुक देगा.

जीवन जीने की कला है कामसूत्र

कामसूत्र का नाम आते ही कुछ झिझक, कुछ शर्मिंदगी सा अहसास होता है. यह दरअसल नजरिया भर है. हकीकत में 2000 वर्ष पुराना यह ग्रंथ खुद में पूर्ण है. यह अच्छा खुशहाल जीवन जीने के तरीके बताता है. यह भी बताता है कि किस तरह सेक्स ऊर्जा, संतुष्टि और आनंद की अनुभूति कराता है.

समाज को दिशा देना ही है कामसूत्र का उद्देश्य

सेक्स से संबंधित कुछ हिस्सों को छोड़ दें तो कामसूत्र में अधिकतर रहन-सहन, समाज में उठने-बैठने, पहनने, सजने-संवरने और आकर्षित दिखने के नुस्खे बताए गए हैं. बताया गया है कि सुंदर और योग्य युवा कैसा होना चाहिए. इसी तरह गुणी युवती जो सभी के मन को भा जाए में क्या-क्या विशेषताएं अपेक्षित हैं. यह शास्त्र बताता है कि ज्ञान होने और उस पर अमल करने पर इन खूबियों को सीखा जा सकता है. जब अधिक से अधिक लोग इस शास्त्र के ज्ञान से लाभ उठाएंगे तो व्यक्ति के साथ ही सभ्य समाज का निर्माण होगा. ऐसा समाज जो शिक्षा, संस्कृति, उत्सव, कला और आनंद से भरा होगा.

खुशहाल वैवाहिक जीवन की नींव है

ऋषि वात्सयायन का यह प्राचीन ग्रंथ बताता है कि जीवन में सृजन और आनंद की अनुभूति देने वाला सेक्स कोई बुरी चीज नहीं है. यह तो खुशहाल वैवाहिक जीवन की नींव है. सेक्स के दौरान पति-पत्नी का एक दूसरे के प्रति पूर्ण समर्पण होता है. जिसमें शरीर से शरीर और आत्मा से आत्मा का मिलन होता है. इस मिलन से ही आनंद की अनुभूति और बच्चों का जन्म होता है. परिवार बढ़ता है, खुशहाली आती है. एक दूजे के प्रति समर्पण और निरंतर आनंद पति-पत्नी के साथ ही परिवार के लिए खुशी का आधार साबित होता है.

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कामसूत्र और हिंदू परंपराएं

माना जाता है कि कामसूत्र के मूल में प्रेम है. हिंदू जीवनशैली में धर्म, अर्थ और मोक्ष के साथ काम को विशेष महत्व दिया गया है. कालांतर में काम यानि सेक्स को देश, काल, परिस्थितियों के अनुसार शर्मिंदगी से देखा जाने लगा. धर्म और अर्थ के बाद हिंदू मान्यताओं में काम का विशेष स्थान है. दरअसल काम व अनुभूति है जिसमें सभी पांच इंद्रियों को आनंद की अनुभूति होती है.

अध्यात्म की ओर

काम या सेक्स ब्रह्माण्ड की सृजनात्मक शक्ति है. जो कुछ भी जीवित है वह काम की वजह से ही है. मानव में काम शक्ति शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक किसी भी रूप में हो सकती है. सृष्टि में जहां भी आकर्षण, उत्साह, प्रेरणा है वहां किसी न किसी रूप में काम ऊर्जा है. इसी लिए प्रकृति मनोहर और प्रेरक लगती है.

कब गलत हो जाता है सेक्स

जब सेक्स युवक-युवती की सहमति के बिना बलपूर्वक किया जाता है तब वह गलत हो जाता है. लगभग सभी जगह इसे अपराध की श्रेणी में रखा जाता है. इसी तरह जब किसी निहित स्वार्थ, घृणा के भाव के साथ सेक्स किया जाता है तब भी इसका स्वरूप और आनंद खत्म या कम हो जाता है. सेक्स दरअसल निर्मल और निश्चल होता है. इस रूप में ही वह हर प्रकार से आनंद का अहसास कराता है.

मूल्यों का जरूर रखें ध्यान

मूल्यों के बिना सेक्स अधूरा रहता है. यह मूल्य स्त्री और पुरुष दोनों के बीच होते हैं. समाज के भी अपने मूल्य होते हैं. स्त्री को पुरुष के मूल्यों का और पुरुष को स्त्री के मूल्यों का और दोनों को समाज के मूल्यों का ध्यान रखना चाहिए. ऐसा करते हुए शारीरिक के साथ ही मानसिक आनंद की अनुभूति होती है. व्यक्ति और समाज के मूल्य या अलग-अलग व्यक्तियों और समाजों के विभिन्न मूल्य हो सकते हैं. उनका सम्मान किया जाना चाहिए.

गृह सज्जा भी सिखाता है कामसूत्र

कामसूत्र में गृह सज्जा और उसके महत्व का भी वर्णन है. अच्छे घर में एक उद्यान और एक रसोई के बगीचे या किचन गार्डन का महत्व बताया गया है. यह भी कि इन बगीचों की खूबसूरती का व्यक्ति के विकास और दिमाग पर क्या असर पड़ता है. यही नहीं, घर में साज सजावट के महत्व को भी रेखांकित किया गया है.

संगीत भी है खास

कामसूत्र में संगीत को विशेष स्थान दिया गया है. खुद के लिए तो संगीत विशेष होता ही है. अच्छा गायन, वादन दूसरों को भी मंत्रमुग्ध कर देता है. नृत्य,गायन या वादन में निपुण स्त्री या पुरुष सहज ही किसी के दिल में जगह बना लेते हैं. इसीलिए प्राचीन काल में भी राजभवनों में संगीत संध्याओं और आयोजनों का विशेष महत्व था. लोग भी अपने-अपने स्तर पर छोटे-बड़े आयोजन करते थे. कामसूत्र शाम को संगीत व मनोरंजन पर विशेष महत्व देता है.

महिलाओं के लिए स्थान

कामसूत्र प्राचीन होते हुए भी आज भी बहुत प्रासंगिक है. इस ग्रंथ में महिलाओं की खुशी पर बहुत ध्यान दिया गया है. आदर्श घर ऐसा होना चाहिए जिसमें महिलाओं के नितांत निजी पलों के लिए अलग स्थान हो. वहां पति, घर के स्वामी यहां तक की राजा के भी जाने से पहले संबंधित महिला की अनुमति जरूरी है. ऐसा इसलिए कि महिलाओं को अपनी स्वतंत्रता के पल मिल सकें. उस दौरान किसी का भी कोई हस्तक्षेप न हो. वे जैसे चाहें श्रृंगार करें, कपड़े पहनें, स्नान करें. जिस भी अवस्था में रहें, मनमुताबिक गाएं, नृत्य करें या खाना खाएं उन्हें रोकने-टोकने वाला न हो.

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दिनचर्या का भी वर्णन

कामसूत्र में अच्छी दिनचर्या का भी वर्णन किया गया है. इसमें स्वच्छता, स्नान आदि के बाद धार्मिक आयोजन पूजा-पाठ के साथ दिन की शुरुआत, इसके बाद राजकीय या व्यापार के कार्य शामिल हैं. दोपहर के भोजन के बाद घोड़े या अन्य प्रिय जानवरों के साथ भ्रमण, मनोरंजन के अन्य साधनों का भी जिक्र है. इसके बाद शाम को स्नान, सुगंधित द्रव्यों का उपयोग, संगीत, भजन आदि में समय व्यतीत करना अच्छा बताया गया है.

खेल, संगीत, सामान्य ज्ञान प्रतियोगिताएं भी महत्वपूर्ण

कामसूत्र के अनुसार जीवन को जीवंत बनाने में संगीत के साथ ही खेलकूद, सामान्य ज्ञान व पराक्रम से संबंधित अन्य प्रतियोगिताओं का विशेष स्थान है. इन प्रतियोगिताओं को देखने वालों का मनोरंजन तो होता ही है, इनके विजेताओं का समाज में मान-सम्मान भी बढ़ता है. नवयुवक या नवयुवती की ख्याति होती है. उसके प्रशंसक बढ़ते हैं.

सेक्स लाइफ बेहतर करने के तरीके

कामसूत्र के दूसरे भाग संप्रोगिका में ही काम या सेक्स के जरिए अपने सेक्स जीवन को बेहतर बनाने के तौर तरीके बताए गए हैं. स्त्री-पुरुष या पति-पत्नी का एक दूसरे को देखने, स्पर्श करने, लुभाने, परफ्यूम आदि का प्रयोग और प्राकृतिक संगीत या आवाजों के बीच अंतरंग पलों को अधिक से अधिक आनंद भरा बनाने के तरीके बताए गए हैं.

मंदिरों की चित्रकारी भी बयां करती महत्व

मध्य प्रदेश के खजुराहो समेत कई प्राचीन मंदिरों पर विभिन्न प्रेम मुद्राओं में युवक-युवतियों का चित्रांकन भी भारतीय समाज के काम संबंधों के प्रति स्वच्छ और स्वीकार्य नजरिए को दर्शाता है. मंदिरों में इन चित्रों की मौजूदगी दर्शाती है कि सेक्स जीवन का महत्वपूर्ण अंग है. समर्पण और जिम्मेदारी के साथ इसका निर्वाह करते हुए सांसारिक के साथ ही आध्यात्मिक आनंद भी हासिल किया जा सकता है.

कैसे चुनें बेहतर पति या पत्नी

अच्छा जीवन जीने के साथ ही कामसूत्र अच्छे जीवन साथी का चयन और मनपसंद जीवन साथी को हासिल करने के तौर तरीके भी बताता है. यह ग्रंथ विभिन्न स्वभाव व आचरण वाले स्त्री, पुरुषों के लिए उनके अनुकूल जीवन साथी की खूबियों को रेखांकित करता है. इसके साथ ही यह भी बताता है कि युवक या युवती क्या-क्या आचरण करे जिससे वह अपनी पसंद की युवती या अपने पसंद के युवक का मन जीत ले और शादी के बाद हमेशा के लिए वे एक-दूजे के हो जाएं.

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घर की चाबी हो सब के पास

आज प्रियांक को घर लौटने में काफी देर हो गई थी. रात 12 बजे के करीब घर की सीढि़यां चढ़ते हुए उस की टांगें कांप रही थीं. वैसे वजह बहुत सामान्य थी. औफिस में पार्टी होने की वजह से उसे देर हो गई थी. मगर वह जानता था कि इस बात पर घर में कुहराम मच सकता है. दरअसल, उस के यहां सालों से यह नियम चला आ रहा था कि घर का कोई भी सदस्य रात 9 बजे के बाद घर से बाहर नहीं रहेगा. सब को समय पर लौटने की सख्त हिदायत थी. ऐसे में वह जानता था कि उसे नियम उल्लंघन की सजा भोगनी पड़ेगी.

पहली घंटी पर ही उस की मां ने दरवाजा खोल दिया. गुस्से से उन की आंखें लाल हो रही थीं. झट उसे अंदर खींच दरवाजा बंद करते हुए वे फुसफुसाईं, ‘‘अपने कमरे में जल्दी जा, मैं खाना वहीं ले कर आ रही हूं. तेरे पिता जाग रहे हैं. बहुत गुस्से में हैं. जल्दी खा कर सो जा.’’

अब सवाल यह उठता है कि एक जवान लड़का जो जौब कर रहा है यदि अपने औफिस में काम की वजह से किसी दिन देर से घर लौटता है तो क्या उसे इस बात के लिए डांटनाफटकारना चाहिए? क्या इस उम्र में आ कर भी वह इतना समझदार नहीं हुआ कि अपना भलाबुरा समझ सके और अपनी जिम्मेदारी खुद उठा सके? इसी तरह घर की बहूबेटियों पर भी पाबंदियां कम नहीं रहतीं.

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बरेली की रहने वाली विनीता मलिक कहती हैं, ‘‘हमारे यहां घर की चाबी दादी के पास होती है. यदि कोई बच्चा देर से घर लौटता है तो उस की पिटाई होती है. यही वजह है कि मैं न तो कालेज के बाद डांस क्लास जा पाती हूं और न ही कभी किसी फ्रैंड की पार्टी अटैंड कर पाती हूं. थोड़ी भी देर हो जाए तो जान सांसत में आने लगती है. जिंदगी में एक घुटन सी है. कुछ करने या आगे बढ़ने की इच्छा दबा कर जीना पड़ता है.’’

2 बच्चों की मां कनुप्रिया अपना दुखड़ा सुनाती हुई कहती है, ‘‘शादी के 10 साल बीत गए पर आज तक पति के साथ कभी लेट नाइट मूवी या पार्टी नहीं जा पाई. यहां तक कि एक बार सहेली की शादी से आने में देर हो गई तो सासूमां दरवाजे पर ही बैठी मिलीं. पहले तो बीसियों बार फोन कर के पूछती रहीं कि और कितनी देर लगेगी और आने के बाद तो पूरा घर सिर पर उठा लिया कि इतनी रात तक बहू बाहर क्यों रही.’’

जाहिर है आज के समय में भी कुछ घरों में ऐसा आलम नजर आ जाता है जब टाइमबेटाइम घर का दरवाजा खुलवा कर घर में घुसना एक बड़ी परीक्षा की घड़ी बन जाती है.

पर क्या यह उचित है? क्या होना यह नहीं चाहिए कि घर के सभी सदस्यों के पास अलग चाबी हो ताकि जिसे जब आना है दूसरों को डिस्टर्ब किए बगैर अंदर आ जाए? कई दफा घर का बच्चा स्कूलकालेज से जल्दी लौट आए तो भी घर वाले सवाल खड़े कर देते हैं. आखिर यह उस का भी घर है. यदि वह अपने घर में भी बेखटके नहीं आ सकता तो फिर कहां जाएगा?

ज्यादा बंदिशों से घुटता है दम

अकसर ज्यादा बंदिशें लगाए जाने वाले घरों के बच्चे ही गलत कारनामे करते हैं, क्योंकि बंदिशें जब उन का दम घोटने लगती हैं तो वे हर बंधन तोड़ कर खुली हवा में सांस लेने को बेताब हो जाते हैं.

बेहतर हो कि घर में सब को अपनी जिंदगी जीने, अपने फैसले लेने और अपने हिसाब से आगे बढ़ने की आजादी मिले. जरूरत से ज्यादा रोकटोक उन्हें विद्रोही बना सकती है. बच्चों में अच्छे संस्कार डालना, भलेबुरे का ज्ञान कराना, घर के हालात समझाते हुए उन्हें उन की जिम्मेदारियों से अवगत कराना आदि अभिभावकों का काम है. मगर हर समय उन की चौकीदारी करना या हर वक्त उन पर निगाह रखना गलत है. बच्चों को थोड़ी आजादी दें. उन्हें अपनी जिंदगी अपने ढंग से जीने दें.

चिल्लाना उचित नहीं

बहुत से मातापिता की आदत होती है कि वे बच्चों पर छोटीछोटी बातों पर चिल्लाते रहते हैं. यहां तक कि घर देर से लौटने, किसी से बात कर लेने या फिर मनमुताबिक सफलता न मिलने पर भी डांटते हैं. दूसरों के सामने बेइज्जती करते हैं. अत: ऐसे मातापिता को अपनी इस आदत को छोड़ने की जरूरत है. उन का ऐसा व्यवहार न केवल उन दोनों के संबंध पर बुरा असर डालेगा, बल्कि बच्चों के विकास में भी बाधक होगा.

बच्चों को थोड़ा स्पेस दें. उन्हें खुद अपनी जिम्मेदारियों का एहसास होने दें. बच्चों पर चिल्लाने के बजाय उन उम्मीदों पर ध्यान दें जो आप उन से लगाते हैं. बच्चों को उन की उम्र और क्षमता के हिसाब से जिम्मेदारियां दें. जरूरत पड़ने पर उन की मदद करें.

वार्निंग दे कर छोड़ दें

यदि बच्चा बिना उचित वजह के भी कहीं से देर से लौटे तो भी उस से बहुत तेज आवाज में बात न करें. बच्चे तेज आवाज से डर जाते हैं और अपनी बात सामने नहीं रख पाते. बेहतर होगा कि आप अपने गुस्से या नाराजगी पर नियंत्रण कर के हमेशा बच्चे से सामान्य हो कर बात करें. उस से आंखें मिलाएं और फिर मजबूती से अपनी बात रखें. ऐसे में बच्चा आप और आप की बातों को अनदेखा नहीं कर सकता. उसे वार्निंग दे कर छोड़ दें. वह आगे से ऐसी गलती करने से पहले सोचेगा. फिर आप को भी उस पर नजर रखने की जरूरत नहीं पड़ेगी.

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विश्वास करें

हर बच्चे की अपनी अलग क्षमता होती है, अपने सपने होते हैं. उस पर विश्वास करें. उसे अपने पर खोलने दें. बंदिशों के बोझ से उस के परों को इतना बोझिल न बना दें कि वह उड़ ही न पाए. बच्चे पर भरोसा करें. हां अगर वह आप का भरोसा तोड़े तो दोबारा भरोसा बनने तक बेशक आप उस की स्वतंत्रता में कटौती कर सकते हैं.

रोल मौडल बनें

बच्चे आमतौर पर वही करते हैं, जो वे अपने मातापिता से सीखते हैं. अत: अपने बच्चों का रोल मौडल बनें. आप जैसा व्यवहार उन का देखना चाहते हैं वैसा ही खुद करें. उन पर हर पल नजर रखने की जरूरत नहीं पड़ेगी.

फायदेमंद भी है अकेले घर में रहना

अकसर हमें लगता है कि बच्चा घर में अकेला पहुंचेगा तो उसे बोरियत, अकेलेपन और डर का सामना करना पड़ेगा. लेकिन कुछ बच्चों पर सकारात्मक प्र्रभाव भी पड़ता है. चाबी अपने हाथ में होने और अपनी इच्छा से घर में अकेले रह कर उन में आत्मविश्वास, आत्मनिर्भरता, कठिन परिस्थितियों से निबटने का हौसला और घर के कामों में अपना योगदान देने की प्रवृत्ति जैसी खूबियां उभरती हैं. वे कम उम्र में ही अपने भरोसे जीना सीख जाते हैं.

बौयफ्रैंड/गर्लफ्रैंड के साथ चाबी शेयर करना

आजकल लड़केलड़कियां पढ़ाई या जौब के सिलसिले में अकसर कमरा या पूरा फ्लैट ले कर अकेले रहते हैं. कई बार 2 या 3 लोग मिल कर भी कोई घर ले लेते हैं. परिवार और घर वालों से दूर रह रहे ये लड़केलड़कियां समय के साथ अपने बौयफ्रैंड/गर्लफ्रैंड के काफी करीब आने लगते हैं. वे साथ जीवन गुजारने को ले कर उत्साहित हैं. ऐसे में एकदूसरे की इतनी आदत हो जाती है कि वे घर की चाबी भी शेयर करने लगते हैं. इस तरह अपनी चाबी किसी को देना गलत नहीं पर कुछ बातों का खयाल जरूर रखें:

– यदि आप को लगता है कि अब आप अपने बौयफ्रैंड/गर्लफ्रैंड को अपने घर की चाबी दे सकते हैं तो इस का मतलब है कि आप उस के साथ अपना भविष्य देख रहे हैं. आप उस के साथ सुरक्षित और कंफर्टेबल महसूस कर रहे हैं और आप चाहते हैं कि आप का पार्टनर आप के बारे में सबकुछ जाने और समझे. आप उस से कुछ भी छिपा कर रखने की जरूरत महसूस नहीं करते. फिर भी कुछ बातें और कुछ चीजें ऐसी होती हैं, जिन के प्रति सावधानी रखना जरूरी है.

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– अपने घर वालों को अपने बौयफ्रैंड/गर्लफ्रैंड के बारे में थोड़ी जानकारी जरूर दें.

– यदि आप अकेली रहती हैं तब तो अपने बौयफ्रैंड/गर्लफ्रैंड को चाबी देने का फैसला आप का अपना है. पर यदि आप के रूममेट्स भी हैं तो उन से पूछ कर ही चाबी किसी के साथ शेयर करें, क्योंकि इस फैसले में उन की सहमति भी जरूरी है.

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