सैक्सरिंग : प्यार के नाम पर फंस न जाना

युवाओं का पहला आकर्षण प्रेम ही होता है. शायद ही कोई ऐसा युवा होगा जो रोमांस के इस फेज में न फंसा हो. कोई अपना लव इंटरैस्ट अपनी क्लासमेट में ढूंढ़ता है तो कोई पासपड़ोस की ब्यूटीफुल युवती पर फिदा हो जाता है. युवावस्था के आकर्षण से जुड़े हारमोंस ही हमें किसी विपरीतलिंग की तरफ आकर्षित करते हैं.

हालांकि हर बार यह प्यार सच्चा हो, इस की कोई गारंटी नहीं. प्यार के नाम पर कैमिकल लोचा भी हो सकता है, प्यार एकतरफा भी हो सकता है और कई बार लव को लस्ट यानी वासना की शक्ल में भी देखा जाता है. इन सब प्यार की अलगअलग कैटेगरीज से गुजरता हर युवा मैच्योर होतेहोते सीखता है कि लव के असल माने क्या हैं?

इस रोमांटिक फेज में उपरोक्त कैटेगरीज के अलावा एक और खतरनाक फेज होता है सैक्सरिंग का यानी प्यार के नाम पर जब कोई युवती किसी युवती को फंसा ले तो वह सैक्सरिंग में उलझ कर रह जाती है.

प्यार में सौदा नहीं

करन अरोड़ा को कम उम्र में ही पेरैंट्स ने महंगी बाइक दिला दी. महंगी और ऐडवांस्ड बाइक के टशन में वह रोज स्कूल से कोचिंग आता. वह प्रिया को कई बार घर से कोचिंग तक लिफ्ट दे चुका था.

इस के पीछे कारण यह था कि अचानक कुछ दिनों से प्रिया करन की तारीफ उस के दोस्तों के बीच कुछ ज्यादा ही करने लगी थी. दोस्तों से अपनी तारीफ सुन कर करन को लगा कि वह प्रिया को प्रपोज कर देगा. एक दिन कोचिंग से बंक मार कर वह प्रिया को मौल ले गया और उसे प्रपोज कर दिया.

प्रिया ने जितनी जल्दी हामी भरी उस की करन को उम्मीद तो नहीं थी, लेकिन प्रिया की हां से वह इतना उत्साहित हो गया कि दिमाग के बजाय दिल से सोचने लगा. उस दिन उस ने प्रिया की पसंद की ड्रैस, आर्चीज के गिफ्ट व फेवरिट रेस्तरां के खाने में हजारों रुपए खुशीखुशी खर्च कर डाले.

प्रिया के प्यार का यह नाटक उस दिन खुला जब करन के ही दोस्त यश ने उसे बताया कि प्रिया तो सौमिक की कार में घूम रही है और आजकल उस की गर्लफ्रैंड के तौर पर फेमस है.

हैरानपरेशान करन ने जब प्रिया से फोन कर सफाई मांगी तो उस ने उलटे सौमिक से पिटवाने की धमकी दे डाली.

लुटापिटा करन उस को पेरैंट्स से झूठ बोल कर कोर्स फीस के पैसों से स्मार्टफोन, ज्वैलरी व लैपटौप दिलवा चुका था. जाहिर है वह लव के नाम पर लूटा गया था.

अचानक लड़की आप के करीब आ जाए तो उस पर लट्टू होने के बजाय जरा दिमाग लगा कर सोचिए कि इस नजदीकी की वजह प्यार है या आप की मोटी जेब, क्योंकि प्यार कोई सौदेबाजी नहीं होती. जो लड़की आप से प्यार करेगी वह बातबात पर महंगे गिफ्ट्स नहीं मांगेगी और न ही हर समय आप की जेब ढीली करेगी. अगर आप की गर्लफ्रैंड भी आप से ज्यादा आप के तोहफों पर ध्यान देती है तो समझ जाइए कि आप भी सैक्सरिंग में फंसने वाले हैं.

सिंगल होना शर्मिंदगी नहीं

सैक्सरिंग का सब से आसान शिकार युवतियां ज्यादातर उन युवकों को बनाती हैं जो सिंगल होते हैं. साइकोलौजिस्ट भी मानते हैं कि हमारे समाज व युवाओं का रवैया कुछ ऐसा है कि जो लड़के सिंगल होते हैं उन का मजाक बनाया जाता है, उन पर जल्द से जल्द गर्लफ्रैंड बनाने का दबाव डाला जाता है. मानो किसी युवक की गर्लफ्रैंड नहीं है तो उस में कोई न कोई कमी होगी.

इस मनोवैज्ञानिक दबाव के तले दब कर युवक अपनी सोचसमझ खो कर एक अदद युवती की तलाश में जुट जाता है जो जल्दी से जल्दी उस की गर्लफ्रैंड बनने को तैयार हो. भले इस के लिए उसे कोई भी कीमत चुकानी पड़े. इसी जल्दबाजी व मनोवैज्ञानिक दबाव का फायदा चालाक व शातिर युवतियां उठाती हैं और सिंगल युवकों को झूठे प्यार के सैक्सरिंग में फांस कर उन की जेबें ढीली करती हैं. कई मामलों में तो उन की पढ़ाईलिखाई व कैरियर तक बरबाद कर डालती हैं.

युवाओं को यह समझने की जरूरत है कि सिंगल होना कोई  शर्मिंदगी की बात नहीं है. जब तक कोई ईमानदार या सच्चा प्यार करने वाली युवती न मिले, सिंगल रहना बेहतर है. पढ़ाई, कैरियर, शौक व दोस्तों को समय दे कर सैक्सरिंग से बचने में ही समझदारी दिखाने वाले युवा कुछ बन पाते हैं.

इमोशनल अत्याचार के साइड इफैक्ट्स

अकसर युवतियों से धोखा खाए या यों कहें कि सैक्सरिंग के शिकार युवक भावनात्मक तौर पर टूट जाते हैं और प्रतिक्रियास्वरूप कुछ ऐसा कर बैठते हैं जो उन के भविष्य को खतरे में डाल देता है.

जनवरी 2017, दिल्ली के कृष्णा नगर इलाके के रोहन को जब एक युवती ने झूठे प्यार के जाल में फंसा कर चूना लगाया तो उस ने उस से बदला लेने की ठान ली व एक दिन स्कूल से लौटते समय युवती के चेहरे पर ब्लैड मार दिया.

घायल युवती के परिजनों ने रोहन के खिलाफ पुलिस में शिकायत कर दी. इस तरह मामला उलटा पड़ गया. युवती का तो कुछ नहीं बिगड़ा, रोहन को जरूर हवालात की हवा खानी पड़ी.

अकसर सैक्सरिंग के शिकार युवा इमोशनली इतने डिस्टर्ब हो जाते हैं कि धोखा खाए प्रेमी की तरह उस युवती से बदला लेने की ठान लेते हैं. आएदिन हम प्रेम में ठुकराए प्रेमियों की आपराधिक कृत्यों की खबरें पढ़ते रहते हैं. कोई तेजाब से हमला करता है तो कोई युवती का अपहरण तक कर डालता है. कोई सैक्स संबंधों की  पुरानी तसवीरों, सैक्स क्लिप्स या प्रेमपत्रों के नाम पर लड़की को सबक सिखाना चाहता है.

प्यार से अपराध की ओर न जाएं

याद रखिए ये तमाम हिंसात्मक व अनैतिक रास्ते अपराध की उन गलियों की ओर ले जाते हैं, जहां से युवाओं के लिए वापस आना नामुमकिन सा हो सकता है. एक तो पहले ही युवती ने फंसा कर आप का धन व समय बरबाद कर दिया. उस पर उस से बदला लेने के लिए अतिरिक्त समय, धन व भविष्य दांव पर लगाना कहां की समझदारी है?

बेहतर यही है कि उस बात को भूल कर आप अपने कैरियर पर ध्यान दें. एक न एक दिन आप को सच्चा प्यार जरूर मिलेगा. इस धोखेभरी लवस्टोरी से इतना जरूर सीखिए कि अगली बार जब कोई युवती आप की भावनाओं से खिलवाड़ कर आप पर सैक्सरिंग का वार करे तो उस के झांसे में न आएं.

सैक्सरिंग के लक्षण

कोई युवती आप से सचमुच प्यार करती है या फंसा रही है, उसे समझने के लिए सैक्सरिंग के कुछ लक्षण समझना जरूरी है. निम्न पौइंट्स से समझिए कि कौन सी युवती स्वाभाविक तौर पर सैक्सरिंग के जाल में आप को फंसाना चाहती है :

–       जब बातबात पर शौपिंग, पार्टी या महंगे गिफ्ट्स की डिमांड करे.

–       जब खुद से जुड़ी जानकारियां छिपाए व आप की हर बात जानना चाहे.

–       आप के दोस्तों या परिवार से मिलने से कतराए.

–       अपने फैमिली या फ्रैंड सर्किल से मिलवाते वक्त आप की पौकेट खाली करवाए.

–       बातबात पर आप की तारीफ करे और आप की हर बात पर सहमति जताए.

–       हर जरूरत पर आर्थिक मदद की डिमांड करे.

–       झगड़े की वजहों में पैसों का ताना मारे.

–       आप के अमीर व संपन्न दोस्तों से करीबी बढ़ाए.

–       आप की आर्थिक मदद करने से कतराए या बहाने बनाए.

–       प्यार के नाम पर भावनात्मक सहारे के बजाय सिर्फ फिजिकल रिलेशन को तरजीह दे.

अगर इन तमाम पौइंट्स पर आप की गर्लफ्रैंड खरी उतर रही हो तो सावधान हो जाइए. आप पर सैक्सरिंग फेंका जा चुका है. सही मौका पाते ही सैक्सरिंग का छल्ला गले से निकाल फेंकिए और ब्रेकअप सौंग पर जम कर अपनी फेक लवर से आजादी का जश्न मनाइए.

शादी के बाद मैं पत्नी के साथ क्या खुश रह पाऊंगा?

सवाल-

मैं 25 वर्षीय युवक हूं. मेरी शादी होने वाली है. पर मैं अपनी एक व्यक्तिगत समस्या को ले कर बेहद परेशान हूं. मैं किसी दोस्त से भी इस बारे में बात नहीं कर सकता. इसीलिए आप को लिख रहा हूं. मेरा यौनांग काफी छोटा है. पता नहीं विवाह के बाद मैं पत्नी को यौनसुख देने और पिता बनने में समर्थ हो पाऊंगा या नहीं.कृपया कोई दवा या क्रीम बताएं, जिस के प्रयोग से मेरा यौनांग बड़ा हो जाए.

जवाब-

यौनांग के आकार का शारीरिक सुख पर कोई प्रभाव नहीं होता. आप बेवजह परेशान न हों. आप की सैक्स लाइफ में इस से कोई परेशानी नहीं होगी और न ही संतानोत्पत्ति में कोई रुकावट आएगी.

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मेरठ का 30 वर्षीय मनोहर अपने वैवाहिक जीवन से खुश नहीं था, कारण शारीरिक अस्वस्थता उस के यौन संबंध में आड़े आ रही थी. एक वर्ष पहले ही उस की शादी हुई थी. वह पीठ और पैर के जोड़ों के दर्द की वजह से संसर्ग के समय पत्नी के साथ सुखद संबंध बनाने में असहज हो जाता था. सैक्स को ले कर उस के मन में कई तरह की भ्रांतियां थीं.

दूसरी तरफ उस की 24 वर्षीय पत्नी उसे सैक्स के मामले में कमजोर समझ रही थी, क्योंकि वह उस सुखद एहसास को महसूस नहीं कर पाती थी जिस की उस ने कल्पना की थी. उन दोनों ने अलगअलग तरीके से अपनी समस्याएं सुलझाने की कोशिश की. वे दोस्तों की सलाह पर सैक्सोलौजिस्ट के पास गए. उस ने उन से तमाम तरह की पूछताछ के बाद समुचित सलाह दी.

क्या आप जानते हैं कि सैक्स का संबंध जितना दैहिक आकर्षण, दिली तमन्ना, परिवेश और भावनात्मक प्रवाह से है, उतना ही यह विज्ञान से भी जुड़ा हुआ है. हर किसी के मन में उठने वाले कुछ सामान्य सवाल हैं कि किसी पुरुष को पहली नजर में अपने जीवनसाथी के सुंदर चेहरे के अलावा और क्या अच्छा लगता है? रिश्ते को तरोताजा और एकदूसरे के प्रति आकर्षण पैदा करने के लिए क्या तौरतरीके अपनाने चाहिए?

पूरी खबर पढ़ने के लिए- जानें हैप्पी मैरिड लाइफ से जुड़ी बातें

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

सैक्स सुखदायक है पर रखें सावधानी

सैक्सोलौजिस्ट डा. चंद्रकिशोर कुंदरा के मुताबिक, ‘प्रेमीप्रेमिका के बीच सैक्स संबंध स्थापित करने के लिए भौतिक, रासायनिक व मनोवैज्ञानिक कारक ही जिम्मेदार होते हैं. सैक्स ही एक ऐसी सरल क्रिया है जो प्रेमीप्रेमिका को एकसाथ एक ही समय में पूर्ण तृप्ति देती है.’

सैक्स की संपूर्णता प्रेमिका के बजाय प्रेमी पर निर्भर करती है, क्योंकि प्रेमी ही इस की पहल करता है. प्रेमिका सैक्स में केवल सहयोग ही नहीं करती बल्कि पूर्ण आनंद भी चाहती है. अकसर प्रेमीप्रेमिका सैक्स को सुखदायक मानते हैं, लेकिन कई बार सहवास ऐंजौय के साथसाथ कई समस्याओं को भी सामने लाता है. अनुभव के आधार पर इन को दूर कर प्रेमीप्रेमिका सैक्स का सुख उठाते हैं.

शरारती बनें

सैक्स को मानसिक व शारीरिक रूप से ऐंजौय करने के लिए प्रेमीप्रेमिका को शरारती बनना चाहिए. उत्साह, जोश, तनावमुक्त, हंसमुख, जिंदादिल, शरारती प्रेमीप्रेमिका ही सैक्स को संपूर्ण रूप से भोगते हैं.

आत्मविश्वास की कमी न हो

कई बार आत्मविश्वास की कमी हो जाती है. प्रेमी सैक्स के समय उतावलेपन के शिकार हो कर सैक्स के सुखदायक एहसास से वंचित रह जाते हैं.

सैक्स संबंध बनाते समय प्रेमीप्रेमिका के मन में यदि पौजिटिव सोच होगी, तभी दोनों पूर्ण रूप से संतुष्ट हो पाएंगे और सैक्स में कभी कमजोर नहीं पड़ेंगे.

पोर्न फिल्मों से प्रेरित न हों

प्रेमीप्रेमिका अकसर पोर्न फिल्में देख कर, किताबें पढ़ कर सैक्स में हर पल लिप्त रहने की कोशिश करते हैं. अत्यधिक मानसिक कामोत्तेजना की स्थिति में शीघ्रपतन व तनाव में कमी हो जाती है.

सैक्स में जल्दबाजी

कई बार सैक्स में प्रेमीप्रेमिका जल्दबाजी कर जाते हैं. शराब पी कर सैक्स करना चाहते हैं जोकि ठीक नहीं है. हमेशा मादक पदार्थों से दूर रहें. सैक्स के दौरान प्रेमिका ही मादकता का काम करती है.

बढ़ाएं शारीरिक आकर्षण

सहवास के लिए प्रेमी का शारीरिक आकर्षण, स्मार्टनैस, सैक्सी लुक, साफसफाई काफी महत्त्वपूर्ण है. पुरुषोचित्त गुण के साथसाथ गठीले बदन वाले चतुर सुरुचिपूर्ण वस्त्र, रसिक स्वभाव के प्रेमी ही सैक्स में सफल होते हैं.

रोमांटिक स्वभाव रखें

प्रेमिका सहवास के दौरान चाहती है कि उस का प्रेमी रोमांस व ताजगी द्वारा उसे कामोत्तेजित करे. अत: रोमांस की बातें कर सैक्स को सुखदायक बनाएं.

जब सैक्स का मौका मिले

प्रेमीप्रेमिका अकसर सैक्स के लिए मौके की तलाश में रहते हैं. जैसे ही उन्हें मौका मिलता है, वे एकदूसरे में समाने के लिए बेताब हो जाते हैं, लेकिन इस दौरान कई बार ऐसे अचानक किसी का दरवाजा खटखटाना व फोन की घंटी बज जाती है. ऐसी बाधाओं को दूर कर सहवास को मानसिक व शारीरिक रूप से सुखदायक बनाएं.

4 Tips: ताकि सगाई न टूटे

सुनीता बी.ए. फाइनल कर रही थी कि उस के मातापिता ने एक इंजीनियर ‘वर’ देख कर उस की सगाई कर दी. सुनीता की ससुराल वालों ने 3 महीने बाद विवाह का दिन निश्चित किया. लेकिन सुनीता के इंजीनियर मंगेतर के लिए उस से 3 महीने अलग रहना संभव नहीं था. अत: मंगेतर ने जबतब सुनीता के कालेज के चक्कर लगाने शुरू कर दिए. सुनीता ने मंगेतर के साथ घूमने जाने से मना किया तो उस ने कहा, ‘‘अब तो सगाई हो चुकी है. अब इनकार किसलिए?’’

‘कहीं मंगेतर नाराज न हो जाए’ सोच सुनीता उस के साथ घूमनेफिरने जाने लगी. होटल, रेस्तरां जाने के साथसाथ दोनों ने खूब फिल्में भी देखीं और फिर 3 महीने पूरे होतेहोते दोनों की सगाई टूट गई. सुनीता की तरह अनेक लड़कियों का सगाई के बाद रिश्ता टूट जाता है. सगाई और शादी के बीच अंतराल होने पर लड़केलड़की के साथसाथ घूमनेफिरने से रिश्ता टूटने की संभावना अधिक बढ़ जाती है. सगाई के बाद रिश्ता टूटने से लड़की को ही अधिक हानि होती है. आसपास वाले तरहतरह की बातें करने लगते हैं. सब लोग लड़की को ही दोष देते हैं, जबकि इस संबंधविच्छेद के लिए लड़का व उस के परिवार वाले अधिक जिम्मेदार होते हैं.

1. शारीरिक आकर्षण न पालें

सगाई के बाद लड़का और लड़की को एकदूसरे से मिलने की प्रबल उत्सुकता होती है. शारीरिक आकर्षण के कारण वे एकदूसरे से मिलना चाहते हैं, इसलिए चोरीचोरी एकदूसरे को फोन करते हैं. यदि लड़की कहीं सर्विस करती है, तो लड़का वहां पहुंच कर लड़की से मिलने की कोशिश करता है. लड़की किसी बहाने से उस से मिलने से बचती है, लेकिन उस के मस्तिष्क में लड़के से मिल कर उस के स्वभाव व दूसरी बातों को जान लेने की इच्छा होती है. 1-2 बार चोरीछिपे मिलना उन की उत्सुकता बढ़ा देता है. लड़का बारबार लड़की से मिलना चाहता है. लड़की मना करती है, तो लड़का एक ही बात कहता है, ‘‘अब तो सगाई हो चुकी है. कुछ महीनों में विवाह हो जाएगा.’’ लेकिन उन दोनों के बारबार मिलने और घूमनेफिरने में ऐसी बात हो जाती है कि लड़का विवाह से इनकार कर देता है.

अधिकांश लड़के लड़की के साथ घूमफिर कर उस के इतने समीप पहुंच जाते हैं कि उन के बीच कोई दूरी नहीं रहती. लड़का अवसर पा कर लड़की को जबतब स्पर्श करता है. लड़की उस का विरोध नहीं कर पाती. उस के मस्तिष्क में यह भय रहता है कि कहीं मंगेतर नाराज न हो जाए. लड़के का स्पर्श इतना गहरा हो जाता है कि स्वयं लड़की इतनी कामोत्तेजित हो जाती है कि मंगेतर के आलिंगन को नहीं रोक पाती और फिर आलिंगन, चुंबन से गुजरते हुए लड़के को शारीरिक संबंध बनाते देर नहीं लगती.

2. चरित्र पर शंका

एक बार शारीरिक संबंध बनने पर लड़का बारबार शारीरिक संबंध बनाने का प्रयास करता है. ऐसे में किसी भूल से लड़की गर्भधारण कर लेती है तो लड़का विवाह से इनकार कर देता है. उस के मस्तिष्क में लड़की के बारे में गलत विचार उभरते हैं. वह उस के चरित्र पर संदेह करने लगता है. ऐसी भी बहुत सी घटनाएं घटती हैं, जब कोई लड़का बड़ी बहन से सगाई कर के छोटी बहन के साथ घूमफिर कर बड़ी बहन से विवाह करने से इनकार देता है. शिल्पा की सगाई सौरभ के साथ बहुत धूमधाम से हुई थी. शिल्पा की छोटी बहन स्मिता टीवी चैनल में ‘एंकर’ का काम करती थी. शिल्पा से सगाई के बाद सौरभ स्मिता की ओर आकर्षित हुआ. किसी बहाने से 2-3 बार उस के साथ घूमने भी गया. बस, फिर क्या था स्मिता के आकर्षण में खो कर उस ने शिल्पा से विवाह करने से इनकार कर दिया.सगाई के बाद लड़कियां यही सोच कर अपने मंगेतर से मिलती हैं कि उस से मिल कर उस के स्वभाव के बारे में कुछ जान सकें. लेकिन लड़के उन्हें अपने प्यार के चक्कर में फंसा कर उन के साथ मौजमस्ती कर के बड़ी सरलता से विवाह से इनकार कर देते हैं.

3. एकदूसरे का मेलजोल

नलिनी एक आफिस में कंप्यूटर आपरेटर थी. उस की सगाई कुछ दिनों पहले सुरेश से हुई थी. सगाई और विवाह में बस 2 महीने का अंतराल था. इस बीच चक्कर चला कर सुरेश ने नलिनी के साथ घूमनेफिरने के खूब अवसर ढूंढ़ लिए. घूमनेफिरने के दौरान दोनों एकदूसरे के इतने समीप आ गए कि उन के बीच कोई सीमा नहीं रही. दोनों एकदूसरे से निर्भय हो कर मिलते रहे. 2 महीने पूरे होतेहोते सुरेश ने नलिनी से विवाह करने से इनकार कर दिया. विवाह से इनकार करने का यही बहाना था कि जो लड़की मेरे साथ इतना घूमफिर सकती है वह दूसरे लड़कों के साथ भी घूमफिर सकती है. शारीरिक संबंध बना सकती है.

4. बदनामी का डर

किसी लड़के के लिए सगाई के बाद संबंध तोड़ देना साधारण बात हो सकती है, लेकिन लड़की व उस के परिवार वालों के लिए विषम परिस्थिति बन जाती है. संबंध टूट जाने पर सब लड़की को ही दोषी बताते हैं. लड़के के परिवार वाले भी अधिक दहेज की मांग करकर के रिश्ता तोड़ने की धमकी देते हैं. लड़की वाले सोचते हैं कि रिश्ता टूटने से बहुत बदनामी होगी. दूसरी जगह रिश्ता करने में बहुत कठिनाई होगी और फिर उन की यही सोच उन्हें अधिक दहेज देने को मजबूर कर देती है. सगाई और विवाह के बीच का अंतराल किसी भी लड़की के लिए विषमता से भरा रहता है. उस समय लड़की ऐसे दोराहे पर खड़ी रहती है कि मंगेतर के साथ घूमनेफिरने से इनकार नहीं कर सकती और साथ घूमनेफिरने से विषम परिस्थितियों में फंस जाती है. सगाई के बाद विवाह होने तक किसी भी लड़की के लिए बहुत सावधान रहने की आवश्यकता होती है. इस अंतराल में लड़की के मातापिता को भी बहुत सतर्कता बरतनी चाहिए. लड़के वाले परिवार द्वारा जेवर, साडि़यां आदि पसंद करने के लिए बुलाने के समय भी लड़की को अपने परिवार के किसी सदस्य के साथ ही भेजना चाहिए.

पति पर दोबारा कैसे भरोसा करुं?

सवाल-

मैं 23 वर्षीय युवती हूं. मैं ने प्रेम विवाह किया था. मेरे 2 बच्चे हैं. विवाहपूर्व मेरे पति के एक शादीशुदा महिला से संबंध थे. कुछ महीने पहले पता चला है कि पति अब भी उस औरत से तो संबंध बनाए हुए ही है, सुना है एक दूसरी औरत से भी उन की दोस्ती है. जब से मुझे पति के व्यभिचार का पता चला है मैं तनावग्रस्त हूं. मैं ने जहर खा कर जान देने की भी कोशिश की पर बचा ली गई. पति वादा करते हैं कि आइंदा किसी से कोई संबंध नहीं रखेंगे. पर मुझे अब उन पर रत्ती भर भी भरोसा नहीं है. कुछ समझ में नहीं आ रहा कि क्या करूं. जिस व्यक्ति के लिए मैं ने अपना सबकुछ छोड़ दिया उसी ने मेरा भरोसा तोड़ा. बताएं, क्या करूं?

जवाब-

लगता है पति चुनने में आप से भूल हुई है. लेकिन अब पति जैसे भी हैं उन्हें संभालने, राह पर लाने की जिम्मेदारी आप ही की है. उन्हें समझाएं कि वे अब 2-2 बच्चों के पिता हैं, इसलिए अपना आचरण सुधारें वरना इस का प्रभाव बच्चों पर भी पड़ेगा. आप भी उन पर कड़ी नजर रखें. तनावग्रस्त रहना या फिर आत्महत्या जैसा कायराना कदम उठाना सही नहीं है. पति पर घर की और बच्चों की जिम्मेदारी डालें ताकि वे उस में व्यस्त रहें और उन्हें भटकाने के लिए समय ही न मिले.

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‘‘कोई घर अपनी शानदार सजावट खराब होने से नहीं, बल्कि अपने गिनेचुने सदस्यों के दूर चले जाने से खाली होता है,’’ मां उस को फोन करती रहीं और अहसास दिलाती रहीं, ‘‘वह घर से निकला है तो घर खालीखाली सा हो गया है.’’

‘मां, अब मैं 20 साल का हूं, आप ने कहा कि 10 दिन की छुट्टी है तो दुनिया को समझो. अब वही तो कर रहा हूं. कोई भी जीवन यों ही तो खास नहीं होता, उस को संवारना पड़ता है.’

‘‘ठीक है बेबी, तुम अपने दिल की  करो, मगर मां को मत भूल जाना.’’ ‘मां, मैं पिछले 20 साल से सिर्फ आप की ही बात मानता आया हूं. आप जो कहती हो, वही करता हूं न मां.’

‘‘मैं ने कब कहा कि हमेशा अच्छी बातें करो, पर हां मन ही मन यह मनोकामना जरूर की,’’ मां ने ढेर सारा प्यार उडे़लते हुए कहा. वह अब मां को खूब भावुक करता रहा और तब तक जब तक कि मां की किटी पार्टी का समय नहीं हो गया.

पूरी कहानी पढ़ने के लिए- मुरझाया मन: उसे प्यार में क्यों मिला धोखा

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थोड़ी सी मदद बढ़ाए पति-पत्नी के बीच ढेर सारा प्यार

‘‘कितनी खुश होती हैं वे पत्नियां जिन के पति रोज सुबह उन्हें चाय का कप थमा कर जगाते हैं… चाय का कप तो दूर की बात है कभी 1 गिलास पानी तक नहीं मिला इन के हाथों से,’’ पत्नी शालू को हमेशा पति विवेक से शिकायत रहती. पत्नी की रोजरोज की शिकायत दूर करने के लिए एक दिन सुबह जल्द उठ कर विवेक ने 2 कप चाय बनाई और फिर जबान में मिठास घोलते हुए बोला, ‘‘गुडमौर्निंग डार्लिंग… गरमगरम चाय हाजिर है.’’

यह सुन शालू के आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा. मुसकराते हुए पति के हाथ से चाय का कप ले लिया. मगर एक घूंट पीते ही बुरा सा मुंह बना कर बोली, यह क्या बकवास चाय बनाई है? न चायपत्ती का कोई हिसाब न चीनी का… दूध तो जैसे डाला ही नहीं… सुबहसुबह मूड खराब कर दिया.

विवेक को भी गुस्सा आ गया. बोला, इधर गिरो तो कुआं उधर गिरो तो खाई… कुछ करो तो बुरा, न करो तो निकम्मा… मुझे तो बस बुराई ही मिलनी है…

रमेश औफिस से आ कर मूड फ्रैश करने के लिए अपना सोशल अकाउंट और मेल चैक करने लगा. तभी सीमा ने पूछा, ‘‘खाने में क्या बनाऊं?’’

कुछ भी बना लो, जो तुम्हें पसंद हो, रमेश ने फेसबुक पर दिनभर की पोस्ट पढ़ते हुए जवाब दिया.

‘‘क्यों, खाना क्या सिर्फ मैं खाती हूं? तुम्हारी कोई पसंद नहीं? पूछो तो नौटंकी और न पूछो तो ताने कि हमारी पसंद तो कोई पूछता ही नहीं,’’ सीमा ने भन्नाते हुए कहा.

तब रमेश को एहसास हुआ कि जानेअनजाने उस ने गृहविवाद की शुरूआत कर दी है. वह बहस को और आगे बढ़ा कर घर का माहौल खराब नहीं करना चाहता था, इसलिए हथियार डालते हुए बोला, ‘‘अच्छा, तुम अपने औप्शन बताओ.’’

‘‘आलूमटर, गाजरमटर या पनीरमटर,’’ सीमा बोली.

‘‘मतलब यह कि आज तो मटर खिला कर ही मानोगी. अच्छा तुम मटरपनीर बना लो,’’ रमेश ने सीमा को मनाने का प्रयास करते हुए कहा तो वह मुसकरा दी.

रमेश फिर से अपने लैपटौप में उलझ गया. लगभग 1 घंटे बाद सीमा ने खाने के लिए आवाज लगाई तो रमेश मन ही मन मटरपनीर का स्वाद याद करते हुए खाने की मेज पर गया. मगर यह क्या? टेबल पर कढ़ी देख कर उस का माथा ठनका, ‘‘मटरपनीर कहां है?’’ उस ने पूछा.

‘‘नहीं बनाया. फ्रिज खोलने पर मुझे दही दिखाई दिया तो मैं ने सोचा कढ़ी बना लूं वरना यह खट्टा हो जाएगा.’’ सीमा ने अपनी समझदारी पर तारीफ की उम्मीद से रमेश की तरफ देखा.

मगर रमेश का मूड खराब हो गया. बोला, ‘‘जब अपनी पसंद का ही बनाना होता है तो फिर पूछती ही क्यों हो?’’

‘‘आप कहना क्या चाहते हैं? क्या घर में मैं केवल अपनी ही चलाती हूं? सब कुछ पूछपूछ कर करने के बाद भी यही सुनने को मिलता है,’’ सीमा ने आंसू बहाते हुए कहा तो घर का माहौल तनावपूर्ण हो गया.

कुछ इसी तरह का नजारा हरीश के यहां देखने को मिला. पत्नी ने उस से मनुहार करते हुए कहा, ‘‘जल्दी से यह सब्जी काट दो ना… आज देर हो गई.’’

हरीश ने पत्नी की मदद करने की मंशा से फटाफट सब्जी काट दी.

कटी सब्जी देखते ही पत्नी ने ताने का गोला दागा, ‘‘सब्जी क्या ऐसे काटी जाती है? आलू बड़े और गोभी छोटी. आलू पकने तक तो गोभी की चटनी बन जाएगी. बेकार ही तुम से मदद मांगी. काम करवाने के बजाय मेरा काम बढ़ा दिया. सब्जी बरबाद हुई वह अलग.’’ हरीश उस पल को कोस रहा था जब उस ने पत्नी का हाथ बंटाने की सोची थी.

घरघर की कहानी

यह सिर्फ 1-2 घरों का ही किस्सा नहीं है, बल्कि घरघर की कहानी है. हर घर में कमोबेश ऐसे दृश्य आम बात हैं. पति बेचारा अगर रसोई में अपनी राय दे तो बुरा और न बोले तो निकम्मा.

आम गृहिणी चूंकि सारा दिन घर में रहती है, इसलिए शाम को पति से करने के लिए उन के पास ढेरों बातें होती हैं. साथ ही पति के प्रति अपना प्रेम प्रदर्शित करने के लिए उस का मनपसंद खाना बना कर खिलाना भी उन का प्रिय शगल होता है, इसलिए वे खाने में पति की पसंद पूछती हैं. मगर किफायत से घर चलाना भी वे अपनी जिम्मेदारी समझती हैं.

इसलिए उन की कोशिश रहती है कि पहले वह बनाया जाए जिस के खराब होने या बिगड़ने की संभावना ज्यादा रहती है. तभी पति की पसंद को नजरअंदाज कर के वे अपने हिसाब से खाना बना लेती हैं. वहीं दूसरी तरफ  कामकाजी महिला सोचने में वक्त गंवाने के बजाय पति से पूछ कर सोचने की जिम्मेदारी उस पर डाल देती है और खुद किचन में संभावनाएं देखने लगती है. यदि पति की पसंद उस से मैच कर जाती है तो ठीक वरना वह पति के जवाब का इंतजार किए बिना खाना बना लेती है.

मजे की बात यह है कि महिलाओं को यदि खुद कुछ बनाने की समझ नहीं आती तो इस बात का ठीकरा भी पति के सिर ही फोड़ा जाता है. यह कह कर कि इतना सा काम ही कहा था वह भी ठीक से नहीं कर सकते. यह भी मुझे ही देखना पड़ता है.

क्या है उपाय

तो किया क्या जाए? क्या पत्नी का अपने पति से मदद की उम्मीद करना गलत है

या फिर पति को बिना प्रतिकार किए चुपचाप पत्नी की जलीकटी सुन लेनी चाहिए? नहीं, ये दोनों ही बातें सुखी दांपत्य के लिए सही नहीं कही जा सकतीं.

पति अगर पत्नी की घरेलू कामों में मदद करता है तो पत्नी की नजरों में उस की इज्जत और भी बढ़ जाती है वहीं यदि पति चुपचाप अपना अपमान सहन करता रहे तो उस का आत्मसम्मान दांव पर लग जाता है और उस का खुद पर से भरोसा भी उठने लगता है. तो क्या है बीच का रास्ता?

पत्नी क्या करे

– यदि पत्नी चाहती है कि पति उस की मदद करे तो सब से पहले यह देखा जाए कि वाकई पति के पास उस की मदद करने के लिए समय है भी या नहीं.

– पति पर रोब जमा कर मदद मांगने के बजाय मदद की रिक्वैस्ट की जाए.

– यह भी स्पष्ट किया जाए कि आप किस तरह की मदद चाहती हैं अन्यथा बाद में आशानुरूप न होने पर झल्लाहट हो सकती है.

– पति के औफिस से आते ही अपने कामों का पिटारा ले कर न बैठ जाएं, बल्कि उन के रिलैक्स होने के बाद ही अपनी बात रखें.

– मनमाफिक काम होने के बाद पति की तारीफ अवश्य करें. यदि सहेलियों और रिश्तेदारों के सामने उन की तारीफ करेंगी तो उन्हें और भी बेहतर लगेगा.

– यदि घरेलू कामों में पति की रुचि नहीं है तो आप उन से बच्चों का होमवर्क देखने को भी कह सकती हैं. यह भी आप की मदद ही होगी.

– जैसा आप चाहती हैं यदि काम वैसा न भी हुआ हो तो भी अपने जज्बात काबू में रखें, क्योंकि गुस्सा करने से कोई लाभ नहीं, बल्कि हो सकता है कि पति भविष्य में आप की मदद करने का खयाल ही त्याग दें.

पति क्या करे

– हर पत्नी की इच्छा होती है कि पति उस की परेशानियों को समझे, इसलिए जब भी मौका मिले पत्नी की मदद अवश्य कीजिए. पत्नी चाहे गृहिणी हो या कामकाजी, पति से मदद की उम्मीद सभी को होती है. मदद एक सहायक के रूप में ही कीजिए, पत्नी पर हावी होने की कोशिश करेंगे तो मात खा जाएंगे.

– यदि आप अतिव्यस्त रहते हैं तब भी कम से कम अवकाश के दिन तो पत्नी की कुछ मदद जरूर करें ताकि उसे भी फुरसत के कुछ पल मुहैया हों.

– जिस भी काम में आप पत्नी का हाथ बंटाने की कोशिश कर रहे हों उस की पूरी जानकारी अवश्य ले लें ताकि पत्नी को यह न लगे कि जैसा वह चाहती थी काम वैसा नहीं हुआ.

– पत्नी की चाहे जितनी भी मदद करें, मगर उस की सहेलियों के सामने यही कहें कि क्या करूं, बेचारी खुद ही लगी रहती है. मैं तो चाह कर भी इस की कोई मदद नहीं कर पाता. फिर देखिए, कैसे पत्नी की नजरों में आप हीरो बनते हैं.

– धुले बरतन सजा कर रखना भी पत्नी की एक बड़ी मदद हो सकती है. बस ध्यान रहे कि कुछ टूटे नहीं.

– हरी सब्जियां सेहत के लिए अच्छी होती हैं, मगर उन्हें साफ करने में बहुत समय लगता है. यदि इस काम में पत्नी का हाथ बंटाएंगे तो पत्नी तो खुश होगी ही, परिवार की सेहत भी दुरुस्त होगी.

सब से बड़ी बात यह कि आप पत्नी की मदद करें या न करें, उस के साथ किचन में खड़े भी होंगे तो भी उसे अच्छा लगेगा. आप दोनों को एकसाथ बिताने के लिए कुछ पल अतिरिक्त मिलेंगे. मगर हां, पत्नी के काम में मीनमेख निकालने की गलती कभी न कीजिए. कोई भी पत्नी अपनी सत्ता में दखल बरदास्त नहीं करती.

क्या पति को पुराने रिलेशनशिप के बारे में क्या पता चल सकता है?

सवाल-

मैं 21 वर्षीय युवती हूं. सगाई हो चुकी है और जल्द ही विवाह होने वाला है. मैं अपनी शादी को ले कर जितनी उत्साहित हूं उतनी ही सुहागरात को ले कर चिंतित भी हूं. मैं ने सुना है कि लड़के को सुहागरात को पता चल जाता है कि लड़की शादी से पहले किसी से शारीरिक संबंध बना चुकी है या नहीं. यदि ऐसा हुआ तो मेरा क्या होगा?

जवाब-

आप ने साफसाफ नहीं लिखा है तो भी आप के गोलमोल विवरण से लगता है आप किसी से संबंध बना चुकी हैं. इसीलिए आप भयभीत हैं कि कहीं यह राज आप के होने वाले पति पर जाहिर न हो जाए. लेकिन अब भयभीत होने से समस्या हल होने वाली नहीं है. अब आप सिर्फ यह करें कि इस संबंध में अपना मुंह न खोलें. जब तक स्वयं नहीं कबूलेंगी, पति नहीं जान पाएंगे कि विवाहपूर्व आप किसी से संबंध बना चुकी हैं.

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अपनी शादी की बात सुन कर दिव्या फट पड़ी. कहने लगी, ‘‘क्या एक बार मेरी जिंदगी बरबाद कर के आप सब को तसल्ली नहीं हुई जो फिर से… अरे छोड़ दो न मुझे मेरे हाल पर. जाओ, निकलो मेरे कमरे से,’’ कह कर उस ने अपने पास पड़े कुशन को दीवार पर दे मारा. नूतन आंखों में आंसू लिए कुछ न बोल कर कमरे से बाहर आ गई.

आखिर उस की इस हालत की जिम्मेदार भी तो वे ही थे. बिना जांचतड़ताल किए सिर्फ लड़के वालों की हैसियत देख कर उन्होंने अपनी इकलौती बेटी को उस हैवान के संग बांध दिया. यह भी न सोचा कि आखिर क्यों इतने पैसे वाले लोग एक साधारण परिवार की लड़की से अपने बेटे की शादी करना चाहते हैं? जरा सोचते कि कहीं दिव्या के दिल में कोई और तो नहीं बसा है… वैसे दबे मुंह ही, पर कितनी बार दिव्या ने बताना चाहा कि वह अक्षत से प्यार करती है, लेकिन शायद उस के मातापिता यह बात जानना ही नहीं चाहते थे. अक्षत और दिव्या एक ही कालेज में पढ़ते थे. दोनों अंतिम वर्ष के छात्र थे. जब कभी अक्षत दिव्या के संग दिख जाता, नूतन उसे ऐसे घूर कर देखती कि बेचारा सहम उठता. कभी उस की हिम्मत ही नहीं हुई यह बताने की कि वह दिव्या से प्यार करता है पर मन ही मन दिव्या की ही माला जपता रहता था और दिव्या भी उसी के सपने देखती रहती थी.

पूरी कहानी पढ़ने के लिए- बस तुम्हारी हां की देर है: सुहागरात पर दिव्या के साथ क्या हुआ?

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

इन 4 टिप्स से मैरिड लाइफ में हमेशा बनी रहेगी ताजगी

शादी के कई साल बाद भी एकदूसरे की बातें, स्पर्श और शरारतें उत्साहित करती रहें और साथ गुजारे पल की खूबसूरत यादें व रोमांटिक पल बासी न होने पाएं, इस के लिए आप को इन्हें सहेजना होगा ताकि रिश्तों में मिठास बनी रहे.

आप की शादी के कुछ साल हो गए. अब आप दिन में कितनी बार एकदूसरे का हाथ थामते हैं? आंखों से कितनी बार एकदूसरे को मौन निमंत्रण देते हैं? कितनी बार एकदूसरे को गले लगाते हैं? अगर आप का जवाब नकारात्मक है, तो संभल जाएं क्योंकि यह आप के रिश्तों की मिठास को कड़वाहट में बदलने की शुरुआत है. वैसे घबराने की कोई बात नहीं है, क्योंकि रिश्तों की ताजगी कहीं जाती नहीं. बस, भीड़ भरे रास्तों पर गुम हो जाती है. इसे ढूंढ़ने के लिए यहां दी गई बातों पर अमल करेंगे, तो बदलाव खुद ब खुद महसूस करेंगे.

1. करें कुछ नया

कहा जाता है कि प्यार एक एहसास है, लेकिन सच तो यह है कि शादी के बाद प्यार सिर्फ एक एहसास नहीं होता. बल्कि रोजमर्रा की जिंदगी में जिन बातों को अपनाने से हमारे जीवनसाथी को खुशी, संतुष्टि, नयापन मिलता हो, वही प्यार है. पति को गिफ्ट देना, मदद करना, लैटर लिखना आम बातें हैं. अब यह परिपाटी बहुत पुरानी हो चुकी है.

आप कुछ ऐसा अलग हट कर करें, जिस में नयापन हो. जैसे, विशेष अवसरों पर अपने पति को गिफ्ट तो सभी देते हैं, लेकिन शौपिंग कांपलैक्स में जब आप उन की पसंद की चीज उन्हें रोमांटिक अंदाज में देंगी, तो उपहार का मजा दोगुना हो जाएगा.

2. बीती बातों को याद करें

रोजरोज की जाने वाली एक जैसी बातों से अकसर बोरियत होने लगती है. ऐसे में कुछ अलग हट कर करें. जैसे, अगर आप की लव मैरिज है तो पति से सवाल करें कि अगर घर वाले आसानी से शादी के लिए न माने होते, तो? अगर हमारी शादी न हुई होती, तब तुम क्या करते? क्या तुम मेरे बिना रह पाते? ऐसे सवाल करने पर वे सोच में पड़ जाएंगे, पर बातों के जवाब अच्छे मिलेंगे, जो आप की बातचीत को एक नयापन देंगे. इसी तरह दोनों एकदूसरे को अपने कुछ अच्छे पलों को याद दिलाएं. यदि आप दोनों कामकाजी हैं, तो दफ्तर में फुरसत पाते ही मौका ढूंढ़ कर एकदूसरे को फोन करें. वह भी उसी शिद्दत के साथ, जैसे शादी के शुरुआती दिनों में आप किया करते थे.

हमेशा की तरह फाइव स्टार होटल में कैंडल लाइट डिनर करने के बजाय किसी छोटे से पुराने रेस्तरां में सरप्राइज डिनर पर जाएं, जहां आप शादी से पहले भी जाया करते थे. आप दोनों कालेज के उन पुराने दोस्तों को बुला कर, जिन्होंने आप का हर पल साथ दिया हो, छोटी सी पार्टी दें. ऐसा करने से आप की पुरानी यादें ताजा होंगी. कभीकभी पति के लिए भी तैयार हो जाएं. यकीन मानिए, वे खुश हो जाएंगे आप का यह रूप देख कर.

3. छेड़छाड़ का सहारा लें

इस के साथ ही आप छोटीमोटी चुहलबाजी और छेड़खानी करना शुरू कर दें. पति से फ्लर्ट करने पर जो मजा आएगा, वह कभी कालेज में लड़कों को छेड़ने पर भी नहीं आया होगा. पति को कोई अजनबी लड़का समझ छेड़ें और परेशान करें. कभी उन के औफिस बैग में बेनाम लव लैटर और कार्ड रख दें, तो कभी एक दिन में कई बार उन के फोन पर अननोन नंबर से मिस्ड कौल दें. फिर देखिएगा, यह पता लगते ही कि यह शरारत करने वाली आप थीं, वे कैसे आप से मिलने के लिए बेचैन हो उठते हैं.

4. सजना के लिए सजना

पार्टी या शादी में जाने के लिए तो सभी सजते हैं, लेकिन क्या कभी ऐसा हुआ है कि आप अपने पति के लिए तैयार हुई हों. इसे बेकार की झंझट मत समझिए. जब आप बिना किसी मौके के उन के मनपसंद रंग में सज कर उन के पास जाएंगी, जो सिर्फ उन के लिए होगा, तो यकीनन उन की नजरें आप पर से हटेंगी नहीं.

इन्हें नजरअंदाज न करें

– वे जोड़े ज्यादा खुश रहते हैं, जो शाम को अपनी शिकायतों का पिटारा नहीं खोलते. शिकायत करने पर पतिपत्नी एकदूसरे से बचने के बहाने ढूंढ़ने लगते हैं.
– वे पतिपत्नी ज्यादा खुश रहते हैं जिन का कम से कम एक शौक आपस में मिलता हो. ऐसी रुचियां उन्हें आपस में बांधे रखती हैं तथा रिश्तों में प्रगाढ़ता लाती हैं.
– कुछ शब्दों को बारबार कहना और सुनना अच्छा लगता है. जैसे, ‘आई लव यू’, ‘आई एम औलवेज विद यू’ आदि. इस से पार्टनर को एहसास होता है कि आप कितने लविंग और केयरिंग हैं.
– कुछ शारीरिक स्पर्श ऐसे होते हैं, जो पार्टनर को आप की भावना समझने में मदद करते हैं. जैसे, जातेजाते कंधा टकराते जाना, पार्टनर का हाथ दबाना या छू लेना और खाना खाते समय टेबल के नीचे से पैरों का स्पर्श या हाथ पकड़ लेना.

स्नेह से दूर करें बच्चों का अकेलापन

हम आज ऐसी दुनिया में रहते हैं, जहां लोग सिर्फ भाग रहे हैं और यह भागमभाग सिर्फ भौतिकवादी सुखों को पाने की है. हम सभी इस दौड़ का हिस्सा इसलिए बनते हैं कि हम अपने बच्चों को बेहतर सुखसुविधा और बेहतर भविष्य दे सकें, उन का जीवन आसान व आरामदायक बना सकें, आर्थिक स्थिरता ला कर उन के सपने पूरे कर सकें. लेकिन इस भागदौड़ में हम नहीं समझ पाते हैं कि इतना सब पाने में हम कुछ अत्यंत महत्त्वपूर्ण यानी अपने बच्चों से दूर हो रहे हैं.

अपने दैनिक कार्यों और बच्चों के लिए समय के निकालने के बीच में संतुलन बनाना कईर् कामकाजी अभिभावकों के लिए चुनौती होता है. व्यस्त समय में अभिभावक बच्चों को पूरा समय नहीं दे पाते. नतीजे में अभिभावकों के प्रति बच्चों में आत्मीय लगाव खत्म होने की प्रवृत्ति तेजी से बढ़ रही है. अकेलापन दूर करने के लिए बच्चे मोबाइल, कंप्यूटर या लैपटौप आदि संसाधनों में समय बिता रहे हैं. इस से बच्चों में चिड़चिड़ाहट तथा हीनभावना बढ़ रही है. अधिकांश परिवारों में मातापिता दोनों काम पर जाते हैं, ऐसे में उन्हें कोशिश करनी चाहिए कि वे अपने बच्चों के लिए रोजाना थोड़ा समय जरूर निकालें.

दरअसल, बच्चों के मन में कई तरह के सवाल होते हैं और हर सवाल का हल उन के पास नहीं होता है. इसलिए उन्हें हमारी जरूरत होती है. जिस तरह से आप अपनी औफिस मीटिंग के लिए समय निकालते हैं उसी तरह बच्चों के लिए भी समय निकालें. उन्हें एहसास होने दें कि आप के लिए वे महत्त्वपूर्ण हैं क्योंकि आप के बच्चों को आप के तोहफों से ज्यादा आप की मौजूदगी की जरूरत है.

आइए जानते हैं शैमरौक प्रीस्कूल्स की एग्जीक्यूटिव डायरैक्टर और शेमफोर्ड फ्यूचरिस्टिक स्कूल्स की फाउंडर डायरैक्टर मीनल अरोड़ा के कुछ ऐसे टिप्स जिन से आप अपने बच्चों के साथ बेहद प्रभावी व गुणवत्तापूर्ण तरीके से समय बिता सकें.

छोटे कदम, बड़े परिणाम

हमारे छोटेछोटे कदम बच्चों के मस्तिष्क पर बहुत प्रभाव डालते हैं. बच्चों को गुडमौर्निंग, गुडआफ्टरनून, गुडनाइट विश करना, स्कूल जाते समय गुड डे कहना, उन्हें गले लगा लेना, उन्हें गोद में उठा लेना, उन्हें देख कर प्यार से मुसकराना, अपने बच्चे के गाल पर किस करना आदि बच्चों के साथ की गई अभिभावकों की छोटीछोटी ये क्रियाएं दर्शाती हैं कि ‘मुझे तुम्हारा खयाल है.’ ये छोटीछोटी बातें बच्चों के लिए उस की दुनिया होती हैं और बच्चों को हमेशा अभिभावकों का साथ चाहिए होता है, सुकून चाहिए होता है. चाहे आप उन से कितना ही नाराज क्यों न हों, उन्हें हर दिन बताएं कि आप उन से कितना प्यार करते हैं. सब के पसंदीदा बौलीवुड अभिनेता शाहरुख खान की एक पिता के रूप में बेहतरीन छवि है. वे भले ही कितने ही व्यस्त क्यों न हों, दिन में 2-3 बार अपने बच्चों से जरूर बातें करते हैं.

भोजन का वक्त खुशियों का वक्त

पेरैंट्स को चाहिए कि वे दिन में कम से कम एक समय का भोजन बच्चे के साथ बैठ कर करें और बेहतर होगा डिनर करें क्योंकि यही वह समय होता है जब सभी सदस्य काम से लौट कर दिनभर की थकान के बाद एकसाथ बैठते हैं. पूरे परिवार के  साथ बैठ कर बातें करने को अपनी दिनचर्या का जरूरी हिस्सा बनाएं और उन से दिनभर के काम व उपलब्धियों के बारे में बात करें. इस दौरान यदि आप का बच्चा कहता है कि उसे आप से कुछ कहना है, तो इस बात को गंभीरता से लें, और सब काम छोड़ कर उस की बात को ध्यान से सुनें. बच्चे को उस की सफलताओं और उपलब्धियों के लिए बधाईर् दें. बच्चों की सफलता  के लिए उन की तारीफ करें क्योंकि इस से उन्हें आगे बढ़ने में मदद मिलेगी. डिनर करते समय अपने बच्चों को परिवार व उन से संबंधित चर्चाओं में शामिल करें. उन की बेहतरी से संबंधित मामलों में उन की भी राय लें. इस से न सिर्फ उन्हें पारिवारिक मुद्दे समझने में मदद मिलेगी बल्कि उन में अपना खुद का नजरिया विकसित करने का आत्मविश्वास भी आएगा.

समय को लमहों से मापें

बच्चों के साथ समय बिताने के लिए तरीके ढूंढ़ें. उन्हें घर के छोटेछोटे काम करने के लिए प्रोत्साहित करें. इस से न सिर्फ आप को उन के साथ ज्यादा समय बिताने में मदद मिलेगी बल्कि  इस से उन में जिम्मेदारी का एहसास भी आएगा. इस के साथ ही यह बच्चे व आप के बीच खुशनुमा और दुखभरी बातें साझा करने के लिए भी सही समय होगा.

जब आप घर पहुंचते हैं और घर के काम व डिनर आदि निबटाने की जल्दी में होते हैं तो अपने बच्चे को अपने कामों में जोड़ें और उन की मदद लें. साथ ही, उन की मदद के लिए उन्हें धन्यवाद भी दें. इन कामों के साथसाथ अपने बच्चे से बातचीत करते रहें और उसे कुछ सिखाने की कोशिश भी. कपड़े धोने जैसे कामों के बीच आप उस से उस की दिनभर की गतिविधियों और उस के मन की बातें जान सकते हैं. हफ्तेभर आप ठीक से बच्चों के लिए यदि समय न निकाल सकें तो वीकेंड पर आप उन्हें कुछ खास महसूस करा सकते हैं और उस के साथ जुड़ सकते हैं. बच्चों को बाहर घूमने जाना पसंद होता है, जैसे किसी मौल में या ऐतिहासिक जगह पर या परिवार के साथ पिकनिक पर जाना आप को उस  के साथ ढेरों बातें करने का मौका दे सकता है.

कहानी सुनाएं, समां बाधें

बच्चों के साथ किताबें पढे़ं. बच्चों को नई कहानियां हमेशा रोमांचक लगती हैं. उन को नई किताबों से परिचित कराएं, उन के साथ बैठ कर खुद भी कुछ नईर् अच्छी कहानियों से जानपहचान करें. इस से आप और आप के बच्चे जानकारी भी हासिल कर पाएंगे और साथ में अच्छा समय भी व्यतीत कर पाएंगें. इन खुशनुमा लमहों को उन के सपनों तक ले जाएं. उन के सपनों की दुनिया में उन के साथ कदम रखें. उन्हें काल्पनिक कहानियां सुनाएं, उन की कल्पना को बढ़ावा दें. उन के भीतर छिपे हुए प्रतिभाशाली लेखक को बाहर लाएं और कहानियों के अंत पर उन की राय लेने की कोशिश करें. उन्हें इन भूमिकाओं को निभाने के लिए प्रोत्साहित करें और अच्छी तरह अपना किरदार चुनने में उन की मदद करें.

सन डे, फन डे, हौलिडे

अपने परिवार के साथ आउटिंग पर जरूर जाएं, फिर चाहे यह बड़ी हो या छोटी. और हां, अपने गैजेट्स साथ ले कर नहीं जाएं. आउटिंग पर उन के साथ बातचीत करें, मस्तीभरे खेल खेलें और जीवन को खुल कर जिएं. अपने बचपन के दिनों को याद करें, बचपन की यादें ताजा करें और अपने बचपन में खेले जाने वाले खेलों को बच्चों के साथ फिर खेलें. सप्ताह के दौरान जीवन में आने वाली एकरूपता को तोड़ने का सब से अच्छा तरीका है, फिर से बच्चा बन जाना.

जश्न और उल्लास

त्योहार और विशेष अवसर तब और खास बन जाते हैं जब वे परिवार के साथ मिल कर मनाएं जाते हैं. यह ऐसा समय होता है जब पूरा परिवार साथ रहता है और साथ में मस्ती करता है. इस अवसर का लाभ उठाएं. आप अपने बच्चे के सब से अच्छे दोस्त व शुभचिंतक बनें. बच्चों के साथ हम जो समय बितातेहैं वह सब से कीमती होता है. इन लमहों को नजरअंदाज नहीं करें क्योंकि ये वे मजेदार पल होते हैं, जो आप के व बच्चों के चेहरों पर मुसकान लाते हैं और पेरैंट्स व बच्चों को खुशहाल व संतुष्ट बनाते हैं. कभी अपने बच्चों को अमीर बनने के लिए शिक्षित नहीं करें बल्कि उन्हें खुश रहने के लिए शिक्षित करें, जिस से उन्हें चीजों की अहमियत पता हो, उन की कीमत नहीं.

पति की एक आदत से मैं परेशान हो गई हूं, मैं क्या करुं?

सवाल-

मैं 27 वर्षीय विवाहिता और 2 बच्चों की मां हूं. मेरे पति हमेशा सहवास से पूर्व कुछ समय तक मुखमैथुन करते हैं. शुरूशुरू में मैं ने इस का विरोध नहीं किया, क्योंकि मुझे लगता था कि शायद यह सहवासपूर्व की एक जरूरी क्रिया होगी और सभी पति ऐसा करते होंगे. पर पिछले दिनों मैं अपनी एक अंतरंग सहेली से मिली और बातचीत के दौरान मैं ने उसे अपनी समस्या बताई. उस ने बताया कि ऐसा न तो उस ने कभी किया और न ही उस के पति ने कभी इस प्रकार की ओछी इच्छा जाहिर की. उस ने यह भी बताया कि इस से कोई बीमारी भी हो सकती है. मैं क्या करूं, मेरे पति तो मना करने पर नाराज हो जाते हैं.

जवाब-

सहवास के लिए कोई तयशुदा कायदेकानून नहीं हैं कि क्या करना चाहिए और क्या नहीं. कई दंपती सहवासपूर्व रति क्रीड़ा जैसे आलिंगन, चुंबन आदि करना पसंद करते हैं तो कई सीधेसीधे सहवास में प्रवृत्त हो जाते हैं. मुखमैथुन भी रतिपूर्व की क्रीड़ा है जिसे कुछ युवा करना पसंद करते हैं. यदि आप के पति भी ऐसा करते हैं तो आप को उन्हें सहयोग देना चाहिए. यौनांगों की स्वच्छता पर यदि पूरा ध्यान दिया जाए तो मुखमैथुन में कोई बुराई नहीं है. अत: सुनीसुनाई बातों पर न जाएं और न ही अपनी सैक्स लाइफ की निजी बातों को किसी के साथ शेयर करें. यह सिर्फ और सिर्फ पतिपत्नी का मामला है, जिसे गोपनीय ही रखना चाहिए.

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दिलीप ने जब रुही से यह कहा कि वह बिस्तर पर अब पहले जैसा साथ नहीं देती, तो वह यह सुन कर परेशान हो उठी. फिर रुही ने सैक्स ऐक्सपर्ट डा. चंद्रकिशोर कुंदरा से संपर्क किया.

डा. कुंदरा के मुताबिक, सैक्स सफल दांपत्य जीवन का महत्त्वपूर्ण आधार है. इस की कमी पतिपत्नी के रिश्ते को प्रभावित करती है. पतिपत्नी की एकदूसरे के प्रति चाहत, लगाव, आकर्षण खत्म होने के कई कारण होते हैं जैसे शारीरिक, मानसिक, लाइफस्टाइल. ये सैक्स ड्राइव को कमजोर बनाते हैं.

पूरी खबर पढ़ने के लिए- सैक्स लाइफ में इनकी नो ऐंट्री

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