वैसे मोनिका की पर्सनैलिटी बहुत चार्मिंग थी. वह एमएनसी में सौफ्टवेयर इंजीनियर होने के साथसाथ चुस्तदुरुस्त महिला भी थी. वह इतनी हैल्थ कौंशस थी कि सुबह 5 बजे उठ कर मौर्निंग वाक और ऐक्सरसाइज करती और बैलेंस डाइट पर बहुत जोर देती. हैल्दी फूड, हैल्दी ड्रिंक, हैल्दी लाइफस्टाइल… बस हैल्दी, हैल्दी, हैल्दी. उस के सिर पर अच्छी हैल्थ का भूत सवार रहता. उस के इतने गुणों के बावजूद मेरे मन में उस के लिए सिर्फ और सिर्फ नफरत थी. मु झे लगता था मोनिका मेरी मौम के आंसुओं का कारण है. हालांकि जहां तक मु झे याद है मैं ने कभी अपनी खुद की मौम और डैड के झगड़े के बीच कभी मोनिका का नाम नहीं सुना था.
‘‘अरे, कहां खो गई?’’ रीता की आवाज से मेरी तंद्रा टूटी और मैं फिर से कोक और चिप्स में मगन हो गई.
अगले 4 5 दिन मेरी जिंदगी के सब से अच्छे बीते. मैं खुद में खुश थी. इयर प्लग लगा कर गाने सुनती और अपने में मस्त रहती. घर
में क्या चल रहा है, इस का मु झे अंदाजा भी नहीं था. करीब हफ्ताभर बीत जाने के बाद जौन ने बताया कि मौम हौस्पिटल में हैं. अरे हां, कुछ दिनों से मु झे मोनिका घर में दिखी भी नहीं थी. पर मेरी नफरत इतनी ज्यादा थी कि मैं उसे होते हुए भी नहीं देखती थी तो उस के न होने पर
क्या खाक ध्यान देती? खैर, हौस्पिटल में है तो भी मु झे क्या?
फिर भी औपचारिकता के नाते मैं ने जौन से पूछ ही लिया, ‘‘क्या हुआ है उन्हें?’’
जौन सुबक पड़ा, ‘‘मौम को लंग कैंसर है… टर्मिनल स्टेज.’’
‘‘व्हाट,’’ मैं चीखी, ‘‘अभी पता चला और इतनी जल्दी टर्मिनल स्टेज कैसे?’’
दरअसल, कैंसर शुरू में लंग्स में ही था पर अब ब्रेन तक फैल गया है,’’ जौन ने आंसू पोंछते हुए कहा.
मुझे झटका सा लगा. फिर बोली, ‘‘तुम चिंता मत करो जौन, एवरीथिंग विल बी फाइन,
कह कर मैं अपने कमरे में चली गई.
अब मु झे डैड की बात का मतलब सम झ में आया कि वे मु झे क्यों कह रहे थे कि उसे माफ कर दो. वह हमें छोड़ कर जाने वाली है. तो क्या छोड़ कर जाने का मतलब यह था? ओह नो. मैं मोनिका से मिलने के लिए अधीर हो उठी. शाम को मैं डैड के साथ हौस्पिटल गई पर उस से मिल न सकी. उसे शीशे के कैबिन में सब से दूर रखा गया था.
‘‘पर क्यों डैड?’’ मैं ने डैड से पूछा.
‘‘बेटा, मोनिका को कीमो के बाद शरीर कमजोर होने के कारण सीवियर चैस्ट इन्फैक्शन ने घेर लिया है. उसे सब से अलग इसलिए रखा गया है कि आगे उसे कोई इन्फैक्शन न लगे.’’
मैं शीशे के पार मोनिका के शरीर में लगी तमाम ट्यूब्स को देख रही थी. यह सच है कि मैं मोनिका को डैड से दूर देखना चाहती थी पर ऐसे नहीं. मैं उस से नफरत करती थी पर इतनी भी नहीं कि उसे इस हालत में देखूं. उस समय मैं बस कहना चाहती थी कि मैं ने उसे माफ किया. पर शीशे के उस पार वह क्या सुन पाती? मेरी आखें छलक पड़ीं.
उस रात मैं सो नहीं पाई और उस दिन को याद करने लगी जिस दिन मोनिका मेरे डैड की पत्नी बन कर मेरे घर आई थी और मैं ने उस
के बारे में एक बुरी औरत होने का विचार बना लिया था. मैं उस की सुंदरता, उस की काबिलीयत, उस के हैल्दी लाइफस्टाइल को
वह अवगुण मानने लगी जिस के कारण मेरी मौम मु झ से दूर हो गईं. ऐसा नहीं है कि मोनिका ने मु झ से प्यार जताने की कभी कोशिश नहीं की. पिछले 6 सालों में उस ने मेरा दिल जीतने के लाखों प्रयास किए. कितनी बार उस ने आंखों में आंसू भर कर मु झ से प्लीज, फौरगिव मी कहा पर मैं ने उस के हर प्रयास को एक साजिश सम झा, जिस के द्वारा वह मेरे मन से मेरी मौम की जगह छीन सके.
मु झे याद है कि अकसर ब्रेकफास्ट मोनिका ही बनाती थी. ज्यादातर वही बनता जो जौन को पसंद था. उस के लाख पूछने के बावजूद मैं ने उसे अपनी पसंद नहीं बताई. पर शायद उस ने डैड से पूछा लिया और अगली सुबह ब्रेकफास्ट के समय चहकते हुए यह कह कर परोसा कि आज मैं ने अपनी बेटी प्रिया की पसंद का ब्रेकफास्ट बनाया है. बस इतना सुनना था कि मेरे तनबदन में आग लग गई. मैं ने उस के सामने ही ब्रेकफास्ट डस्टबिन में फेंक दिया और फ्रिज से ब्रैडबटर निकाल कर खा लिया. मोनिका मु झे देखती रही, पर मैं ने पलट कर नहीं देखा.
उस के बाद उस ने मु झे तोहफे देने शुरू किए. मेरी पसंद के
कपड़े, मेरी पसंद के जूते, खिलौने या कुछ और महंगे से महंगा. इतने महंगे उस ने कभी जौन के लिए भी नहीं लिए थे. पर मैं ने हर बार यह कहते हुए कि मेरा प्यार बिकाऊ नहीं है. तुम मु झे सारी दुनिया की दौलत से भी खरीद नहीं सकती उस के तोहफे लौटा दिए.
हर बार वह दुखी होते हुए कहती, ‘‘प्लीज, फौरगिव मी.’’
हर बार उस की आंखें डबडबातीं. कभीकभी एक पल के लिए मेरा दिल पिघलता भी, पर मैं तुरंत संयत हो जाती. वह मेरी मां के आंसुओं का कारण थी, इसलिए मैं बिना परवाह किए सिर झटक कर चल देती.
वह हमारे रिश्तों को सुधारने के लिए कभी मौल, कभी पार्क, कभी मूवी चलने का प्रोग्राम बनाती, पर मैं सिर या पेट दर्द का बहाना बना कर अपने बिस्तर पर पड़ी रहती.
सचाई तो यह थी कि मैं उसे एक मौका नहीं देना चाहती थी कि वह मु झे खरीद सके. मु झे लगता था इसी में उस की हार है. हां, एक वक्त था, जब मैं काफी कमजोर पड़ गई थी. मु झे कई दिनों से बुखार था. मोनिका मेरा ध्यान रखने में कोई कमी नहीं रखना चाहती थी. वह मु झे अपने हाथ से दवा देती, जबकि मैं चाहती कि डैड
मु झे दवा दें. मैं दवा खाती नहीं थी. अगर उस ने मुंह में डाल दी तो निगलनी बिलकुल नहीं थी. गाल के बीच में फंसा लेती. उस के जाने के बाद थूक देती. इसी कारण बुखार बहुत बढ़ गया. मैं शायद अर्धबेहोशी की अवस्था में ‘मौममौम’ बड़बड़ा रही थी, जब मोनिका मेरे कमरे में आई. वह मेरे बिस्तर पर बैठ गई और मेरे तपते सिर पर ठंडे पानी की पट्टियां रखने लगी. मु झे बहुत अच्छा लगा. मौम के होने का एहसास हुआ और मैं धीरे से उठ कर उस से लिपट गई. मोनिका ने भी मु झे गले से लगा लिया. दिल को बहुत सुकून मिला.
अचानक मु झे एहसास हुआ कि वह मेरी मौम नहीं है. मैं ने जल्दी से अपने को उस की बांहों से छुड़ाया. माथे से ठंडे पानी की पट्टी
हटा कर पानी का जग फेंक दिया. पानी फर्श पर फैल गया. उस पानी के बीच मु झे मोनिका की आंखों का पानी दिखाई नहीं दिया. बस शब्द सुनाई पड़े, ‘‘आर यू ओ के? प्लीज फौरगिव मी, प्लीज’’
उस के बाद डैड ने ही मु झे दवा दी. तन से मैं ठीक हो गई पर मन पहले से अधिक बीमार हो गया. मु झे लगा यह मेरी बहुत बड़ी हार थी और उस की बहुत बड़ी जीत. मैं कई दिनों तक उस से आंखें चुराती रही. मु झे लगता वह मुसकरा रही होगी, जश्न मना रही होगी. नहीं मैं उसे माफ नहीं कर सकती. मु झे और कठोर होना पड़ेगा.
शायद वह मोनिका की मु झे मनाने की आखिरी कोशिश थी. मेरे स्कूल में फैंसी ड्रैस कंपीटिशन था और मु झे परी बनना था. वह जानती थी कि महंगे गिफ्ट मु झे नहीं रि झा सकते, इसलिए उस ने अपनी व्यस्तताओं से समय निकाल कर खुद मेरा गाउन डिजाइन किया. सुनहरी पाइपिंग व लेस से सजा मेरा रैड गाउन और साथ में हैट पर लगे रैड रोज. मैं देखती ही रह गई.
मेरी सहमति देखते ही वह चहक कर बोली, ‘‘प्रिया, प्लीज मु झे अभी पहन कर दिखाओ. जिस दिन तुम्हारा फंक्शन है मेरा टूर है. तब मैं देख नहीं पाऊंगी.’’