डाइबिटीज को हराना चाहती हैं तो आज ही अपनाएं ये डाइट

आज लोगों के बीच तेजी से फैलने वाली बीमारियों में से एक है डायबिटीज. समय के साथ इसका रूप भयावह होता जा रहा है, ये एक जानलेवा बीमारी के तौर पर सामने आई है. ये बीमारी शरीर में इंसुलिन का अच्छे से प्रोड्कशन ना होने के कारण होती है. जानकारों की माने तो अगर डायबिटीज को नियंत्रण में न रखा जाए तो इससे किडनी और दिल की बीमारी होने के साथ व्यक्ति का वजन भी बढ़ने लगता है.

इस खबर में हम आपको कुछ घरेरू चीजों के बारे में बताएंगे जिसके नियमित प्रयोग से आप इस बीमारी से निजात पा सकती हैं.

तांबे के बर्तन में पिएं पानी

जानकारों की माने तो डाइबिटिक मरीजों को तांबे के बर्तन में पानी पीना पेट के लिए काफी असरदार होता है. इसके लिए तांबे के बर्तन में पानी भरकर रातभर रख दें, सुबह उठकर उस पानी को पीलें. इससे तांबे के एंटीऔक्सीडेंट और एंटी इंफ्लामेट्री गुण पानी में आ जाते हैं, जो डायबिटीज को कंट्रोल में रखने में मदद करते हैं.

मेथी का दाना

कई स्टडीज में ये बात स्पष्ट हुई है कि डाइबिटीज को कंट्रोल करने में मेथी का दाना काफी लाभकारी है. इस पर हुए शोधों के मुताबिक , रोजाना गर्म पानी में भीगी हुई 10 ग्राम मेथी दाने का सेवन करने से टाइप-2 डायबिटीज कंट्रोल में रहती है. मेथी दाने में मौजूद फाइबर धीरे-धीरे ही ब्लडस्ट्रीम में शुगर को रिलीज करता है.

डाइबिटीज मरीजों को केवल मीठी चीजों को छोड़ना ही काफी नहीं होता, बल्कि उन्हें अपनी डाइट में बहुत सी चीजें जोड़नी होती हैं. इस रोग के मरीजों को करेला, आंवला और एलोवेरा जैसे खाद्य पदार्थों को अपनी डाइट से जोड़ना चाहिए. डाइबिटीज में ये तत्व काफी असरदार होते हैं. आंवला में मौजूद फाइबर डायबिटीज के मरीजों को बहुत फायदा पहुंचाता है.

ज्यादा प्रदूषण के कारण बढ़ रही है बच्चों में मोटापे की परेशानी

हाल ही में हुई एक शोध की माने तो अधिक वायु प्रदूषण वाली जगहों पर रहने वाले बच्चे दूसरे बच्चों की अपेक्षा अधिक मोटे होते हैं. कारण है कि वो अधिक जंक फूड खाते हैं. शोधकर्ताओं का दावा है कि वायु प्रदूषण का स्तर अधिक होने के कारण बच्चे अधिक जंक फूड का सेवन करते हैं. वायु में प्रदूषण का स्तर अधिक होने के कारण बच्चों में हाई ट्रांस फैट डाइट का सेवन 34 फीसदी तक बढ़ जाता है. स्टडी में ये भी पाया गया कि ऐसे वातावरण में बच्चे घर का खाना खाने से ज्यादा बाहर का खाना पसंद करते हैं.

हालांकि बच्चों की आदत में इस बदलाव के पीछे के कारण का ठीक ठीक पता नहीं लगाया जा सका है. पर जानकारों की माने तो इसका सीधा संबंध वायु प्रदूषण से है. जानकारों का मानना है कि प्रदूषण से शरीर को खाने से मिलने वाली एनर्जी और ब्लड शुगर पर प्रभाव पड़ता है और भूख भी कम लगती है.

शोधकर्ताओं की माने को वायु प्रदूषण के स्तर में कमी कर के मोटापे के इस परेशानी को कम किया जा सकता है. अमेरिका में हुए इस शोध में करीब 3100 बच्चों को शामिल किया गया था. इन सभी बच्चों में वायु प्रदूषण से उनके रेस्पिरेटरी सिस्टम पर होने वाले प्रभाव की जांच की गई.

स्टडी में शामिल बच्चों से उनकी खान पान की आदतों के बारे में जानकारी ली गई. वो कब और क्या खाते हैं इस आधार पर इस स्टडी के निष्कर्ष पर पहुंचा गया है. आपको बता दें कि इस शोध में स्टडी में शामिल सभी लोगों के घर के आसपास में मौजूद बिजली संयंत्रों में और गाड़ियों से निकलने वाले प्रदूषण की मात्रा की जांच की गई थी.

इस जांच में पाया गया कि प्रदूषण के  अधिक स्तर वाले क्षेत्र में रहने वाले बच्चों ने हाई ट्रांस फैट डाइट का सेवन करते हैं. स्टडी के नतीजों में शोधकर्ताओं ने पाया कि अधिक वायु प्रदूषण में रहने वाले बच्चे 34 फीसदी ज्यादा ट्रांस फैट डाइट का सेवन करते हैं.

मेरे पति नसबंदी कराना चाहते हैं, इसका वैवाहिक जीवन पर कोई असर तो नहीं होगा?

सवाल

मैं 29 वर्षीय और 2 बच्चों की मां हूं. हम आगे बच्चा नहीं चाहते और इस के लिए मेरे पति स्वयं पुरुष नसबंदी कराना चाहते हैं. कृपया बताएं कि इस से वैवाहिक जीवन पर कोई असर तो नहीं होगा?

जवाब

आज जबकि सरकारें पुरुष नसबंदी को प्रोत्साहन दे रही हैं, आप के पति का इस के लिए स्वयं पहल करना काफी सुखद है. आमतौर पर पुरुष नसबंदी को ले कर समाज में अफवाहें ज्यादा हैं. आप को यह जान कर आश्चर्य होगा कि भारत में पुरुष नसबंदी कराने वालों का प्रतिशत काफी निराशाजनक है.

दरअसल, पुरुष नसबंदी अथवा वासेक्टोमी पुरुषों के लिए सर्जरी द्वारा परिवार नियोजन की एक प्रक्रिया है. इस क्रिया से पुरुषों की शुक्रवाहक नलिका अवरुद्ध यानी बंद कर दी जाती है ताकि शुक्राणु वीर्य (स्पर्म) के साथ पुरुष अंग तक नहीं पहुंच सकें.

यह बेहद ही आसान व कम खर्च में संपन्न होने वाली सर्जरी है, जिस में सर्जरी के 2-3 दिनों बाद ही पुरुष सामान्य कामकाज कर सकता है. सरकारी अस्पतालों में तो यह सर्जरी मुफ्त की जाती है. अपने मन से किसी भी तरह का भय निकाल दें और पति के इस निर्णय का स्वागत करें.

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मैं 26 वर्षीय युवती हूं. मेरा एक बौयफ्रैंड है, जिसे मैं बेहद पसंद करती हूं. एकांत में वह मेरी ब्रैस्ट को सहलाना चाहता है. मेरे ब्रैस्ट सामान्य से बड़ी है और मैं ने सुना है कि शादी से पहले ब्रैस्ट दबाने अथवा सहलाने से वह बड़ी हो जाती है. मुझे डर है कि यह बेडौल न हो जाए. इसी डर से जब मैं बौयफ्रैंड को मना करती हूं, तो वह नाराज हो जाता है. बताएं मैं क्या करूं?

जवाब

सैक्स से जुड़े मिथकों में यह भी एक आम मिथक है कि ब्रैस्ट को दबाने, सहलाने व चूमने आदि से वह बड़ी होती है. वास्तव में सैक्स के दौरान फोरप्ले में ब्रैस्ट को छूने, सहलाने से वे कड़े जरूर हो जाते हैं और आमतौर पर ऐसा उत्तेजना की वजह से और ब्रैस्ट की नसों में रक्तसंचार बढ़ने की वजह से होता है.

ब्रैस्ट इंप्लांट के अलावा ऐसा कोई जरीया नहीं है जिस से ब्रैस्ट का साइज बड़ा हो जाए. हां, नियमित ऐक्सरसाइज से बौडी को सही शेप जरूर मिलती है पर ब्रैस्ट बड़ी नहीं होती. वह आकर्षक जरूर दिखने लगती है. अत: बौयफ्रैंड को केवल इस वजह से मना न करें और अपने मन से यह भय निकाल दें.

मेरे घुटनों में दर्द होता है, कहीं मुझे गठिया तो नहीं हैं?

सवाल

मेरी उम्र 38 साल है. दरअसल मेरे घुटनों में अकसर दर्द बना रहता है. हलका चलने पर ही दर्द शुरू हो जाता है. क्या यह गठिया के लक्षण हैं? इस से कैसे छुटकारा पाया जा सकता है?

जवाब

अगर घुटने में दर्द और जकड़न हो और चलनेफिरने पर घुटनों में आवाज आए तो गठिया की शुरुआत हो चुकी है. इस के बढ़ने पर घुटनों को मोड़ने में कठिनाई होती है. घुटनों में विकृतियां भी हो सकती हैं. घुटनों की दिक्कतों की जल्दी शुरुआत का एक और कारण मोटापा और खराब पोषण है. करीब 90त्न की कमी है जो बोन मैटाबोलिज्म को नियंत्रित करने के लिए जरूरी है. समस्या से छुटकारा पाने के लिए व्यायाम करें, सैर करें और वजन को संतुलित रखें. इस के साथ ही अस्पताल जा कर समस्या की जांच कराएं वरना आप की लापरवाही आप पर भारी पड़ सकती है.

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मेरी उम्र 28 साल है. जब मैं भारी चीजें उठाता हूं या ऐक्सरसाइज करता हूं तो मेरे जोड़ों में दर्द होने लगता है. कभी यह दर्द हलका होता तो कभी तेज हो जाता है. इस दर्द का क्या कारण है और इस से छुटकारा पाने का इलाज क्या है?

आप जिन लक्षणों का जिक्र कर रहे हैं वे अवैस्कुलर नैक्रोसिस की बीमारी की ओर इशारा करते हैं. यह एक ऐसी स्थिति है जिस में बोन टिशू मरने लगते हैं जिस के कारण हड्डियां गलने लगती हैं. बीमारी का समय पर इलाज जरूरी है अन्यथा एक समय के बाद जब बीमारी गंभीर हो जाती है तो हड्डियां पूरी तरह गलने लगती हैं. इस के बाद आप को गंभीर आर्थ्राइटिस की बीमारी हो सकती है.

-डा. अखिलेश यादव

वरिष्ठ प्रत्यारोपण सर्जन, जौइंट रिप्लेसमैंट, सैंटर फौर नी ऐंड हिप केयर, गाजियाबाद. 

पाठक अपनी समस्याएं इस पते पर भेजें : गृहशोभा, ई-8, रानी झांसी मार्ग, नई दिल्ली-110055.

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पिएं ये तीन जूस, तेजी से कम होगा आपका वजन

जिस तरह की लोगों की जीवनशैली बन गई है वजन का बढ़ना लोगों की सबसे बड़ी समस्या बन गई है. वजन कम करने के लिए लोग वर्क आउट, एक्सरसाइज, जिम, डाइटिंग जैसी ना जाने कौन कौन सी चीजें करते हैं. पर उससे उन्हें मनमुताबिक फायदा नहीं होता. वजन कम करने के लिए बेहद जरूरी है कि आप किसी भी खाद्य पदार्थ से परहेज ना करें. इस खबर में हम आपको कुछ जूसों के बारे में बताएंगे जिसे अपनी डाइट में शामिल कर आप अपने वजन को कम कर सकती हैं.

गाजर का जूस

गाजर में फाइबर की मात्रा काफी अधिक होती है. फाइबर के पाचन में काफी वक्त लगता है और इसे खाने से ज्यादा भूख भी नहीं लगती. अगर आप जल्दी अपना वजन कम करना चाहती हैं तो आज ही अपनी टेली डाइट में गाजर को शामिल करें. 100 ग्राम गाजर में करीब 41 कैलोरी और 3 ग्राम फाइबर होता है. गाजर और चुकंदर के जूस में आंवला का रस भी मिला सकते हैं.

टमाटर का जूस

वजन कम करने के में टमाटर काफी लाभकारी होता है. आपको बता दें कि टमाटर में बहुत कम कैलोरी और कार्बोहाइड्रेट की मात्रा होती है. 100 ग्राम टमाटर में करीब 18 कैलोरी और 3.86 ग्राम कार्बोहाइड्रेट होता है. अगर आप वजन कम करना चाहती हैं तो अभी से टमाटर के जूस का सेवन शुरू कर दें. इसमें पानी की खूब मात्रा होती है. टमाटर के साथ चुकंदर का रस मिलकार भी पी सकते हैं.

सेब का जूस

सेब सेहत के लिए काफी लाभकारी होता है. ये एक लो कौलोरी वाला फल है. आपको बता दें कि 100 ग्राम सेब में 50 कैलोरी होती है. वजन कम करने के लिए इसे अपनी डाइट में शामिल करना एक अच्छा आइडिया है.

मेरे घुटने में दर्द रहता है, इससे कैसे छुटकारा पाया जा सकता है?

सवाल

मेरी उम्र 30 साल है. मैं जब भी बैठने वाले काम करती हूं तो उठते वक्त मेरे घुटनों में दर्द होने लगता है. दर्द के कारण मुझे हर काम में समस्या होती है. ऐसा क्यों हो रहा है और इस से कैसे छुटकारा पाया जा सकता है?

जवाब

नियमित जीवन में छोटीछोटी चीजें घुटने का दर्द दे सकती हैं. सामूहिक भोजन करना हो, घर का कामकाज करना हो या आपस में बातें करनी हों इन सभी कामों में घुटने मोड़ कर ही बैठना पड़ता है. यहां तक कि भारतीय शैली के शौचालय में भी घुटने के बल बैठना पड़ता है. बैठने के इस तरीके में घुटने पर दबाव पड़ता है, जिस से कम उम्र में ही घुटने खराब होने की आशंका बढ़ती है.

आप को अपने बैठने का तरीका बदलना चाहिए. समस्या को हलके में न लें क्योंकि धीरेधीरे आप का चलनाफिरना तक दूभर हो सकता है. इस समस्या से बचने का सब से अच्छा तरीका व्यायाम है. व्यायाम से जोड़ों की मांसपेशियां मजबूत रहती हैं, उन का लचीलापन बना रहता है और जोड़ों को उन से सपोर्ट भी मिलती है. वजन कम होने से जोड़ों पर दबाव भी कम पड़ता है. इस के अलावा शरीर को विटामिन डी पर्याप्त मात्रा में मिलना चाहिए. पैर मोड़ कर बैठने से बचें, आलथीपालथी मार कर न बैठें. लंबे समय तक खड़े होने से बचें.

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मैं 26 वर्षीय इंजीनियर हूं. मुझे दौड़नाभागना और खेलनाकूदना काफी पसंद है बावजूद इस के मेरे घुटनों में अभी से दर्द की समस्या होने लगी है. भागते वक्त ऐसा लगता है जैसे मेरे घुटनों के कप टूट जाएंगे. ऐसा क्यों है और इस का समाधान क्या है?

आप को रनर्स नी यानी पैटेलोफेमोर पेन सिंड्रोम की समस्या हो गई है, जो घुटनों के अत्यधिक इस्तेमाल के कारण होती है. जो लोग बहुत ज्यादा कसरत करते हैं उन के घुटने की मांसपेशियां कमजोर होने लगती हैं जिस के कारण घुटनों में दर्द उठता है. लेकिन आप को चिंता करने की जरूरत नहीं है क्योंकि कुछ अभ्यास से न सिर्फ इस समस्या की रोकथाम की जा सकती है बल्कि इस का इलाज भी संभव है. ऐसे में आप को ज्यादा से ज्यादा आराम करने की आवश्यकता है.

बर्फ को कपड़े में लपेट कर 2-3 दिन घुटनों की अच्छे से सिकाई करें. इस के अलावा आप क्रीप बैंडेज यानी गरम पट्टी भी बांध कर रख सकते हैं. यदि बावजूद इस के समस्या में राहत नहीं मिल रही है तो आप किसी अच्छे डाक्टर या फिजियोथेरैपिस्ट से परामर्श ले सकते हैं.

-डा. अखिलेश यादववरिष्ठ प्रत्यारोपण सर्जन, जौइंट रिप्लेसमैंट, सैंटर फौर नी ऐंड हिप केयर, गाजियाबाद. 

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Diwali Special: परिवार की खुशियों के साथ रखें उनके सेहत का ध्यान

दिवाली के त्योहार में फल, मिठाईयां तथा पकवान का विशेष आनंद लिया जाता है. लेकिन इस दिन खान पान की मिलने वाली आजादी कई बार घातक भी हो जाती है. यदि आप खान-पान संबंधी किसी विशेष प्रकार का डाईट चार्ट को फौलो कर रही हैं तो आपको और भी सतर्क रहने की जरुरत है. यदि आप इस दिवाली बिना स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाए इस त्योहार का पूरा आनंद लेना चाहती हैं तो आपको इन बातों का विशेष ध्यान रखना होगा.

मिठाई

आप चाहें जो भी मिठाई खा रही हों, उसको छोटे-छोटे टूकड़ों में खायें तथा उसका पूरा स्वाद लें. इससे आप उस मिठाई की अगली पीस को लेने से आसानी से बच जायेंगी. ज्यादातर कोशिश यह करें कि आप गुड़ तथा सुखे फल की बनी मिठाईयों को ही प्राथमिकता दें. ध्यान रखें कि ज्यादा मीठा खाना आपके लीवर पर असर कर सकता है.

छोटे प्लेट का उपयोग

यह जरुर ध्यान रखें कि खाने में कमी करने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि आप खाने की प्लेट ही छोटी रखें. इससे आप प्लेट में कम खाना लेंगी. इसके अलावा जब भी आप मिठाईयों का उपयोग करें तब यह निश्चित करें कि आपके द्वारा उपयोग में ली गई वस्तु उच्च गुणवत्ता वाली है.

पानी की मात्रा को बनाए रखें

शरीर में हमेशा पानी की मात्रा को बढ़ाकर रखें जिसके लिए आप फलों के ताजा जूस तथा नारियल पानी का उपयोग कर सकती हैं. पानी को सादा पीने के बजाय उसमें नीबूं, मिंट, मिलाकर ही पीयें और पानी के स्तर को बनाए रखने के लिए खीरा, ककड़ी का भी उपयोग कर सकती हैं.

हेल्दी दिवाली गिफ्ट को चुने

दिवाली के अवसर पर आपस में गिफ्ट देने का प्रचलन है. अतः आपस में जब भी गिफ्ट का आदान-प्रदान करें तो उसमें स्वास्थ का ध्यान जरुर रखें. जिसमें काजू, किशमिश, बादाम, अखरोट, सुखे मेवे, किशमिश आदि हो तो अच्छा रहेगा.

खरीदारी करते समय पैदल ही घूमें

जब भी कोई खरीदारी करने या फिर किसी पार्टी में आप जाएं तो उसमें आप पैदल चलने को ही प्राथमिकता दें. यह आपके शरीर के लिए फायदेमंद तो होगा ही साथ में पर्यावरण के लिए भी उपयोगी होगा. इससे आप मिठाईयों को खाने से पैदा हुई एक्स्ट्रा कैलोरी को भी कम कर सकेंगे. त्योहार का दिन होने से आप जिम या रनिंग पर शायद न जा पायें तो चिंता न करें, घर की ही सीढ़ियों पर चढ़ना-उतरना प्रारंभ करें. इसके अलावा घर में मौजूद टेबल, डेस्क का सहारा लेकर स्ट्रेचिंग भी कर सकती हैं.

चीनी और शक्कर की मात्रा को कम करें

ज्यादा चीनी और नमक के सेवन को ना कहें. इससे आपके शरीर में सूजन, मोटापा तथा अन्य प्रकार की बीमारियों के होने की संभावना बढ़ जाती है.

Diwali Special: चुटकियों में करें कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड का संतुलन

त्योहारों का मौसम सभी के लिए उत्साह से भरा होता हैं, क्योंकि इस दौरान मुंह में पानी लाने वाले व्यंजनों को खाने का मौका भी मिलता हैं, लेकिन इसमें शामिल खाद्यपदार्थ ज्यादातर शुगर के साथ तैलीय भी होते है, ऐसे पदार्थ स्वास्थ्य के लिए बडे हानिकारक हो सकते हैं. इस बारें में औरंगाबाद के डॉ.हेडगेवार अस्पताल के चिकित्सा निदेशक डॉ. अनंत पंढरे कहते है कि उच्च ट्राइग्लिसराइड के स्तर और कोलेस्ट्रॉल जैसी स्वास्थ्य स्थितियों को बढावा देनेवाले पदार्थ आगे जाकर हृदय रोगों की जोखिम को बढ़ाते हैं.हालाँकि 2 साल कोविड 19 से परेशान होने और घर से न निकल पाने की वजह से इस बार हर कोई किसी भी त्यौहार को जमकर मना रहे है.

ये अच्छी बात है कि परिवार के साथ त्यौहार खूब जमकर मनाये, लेकिन कुछ बातों पर अवश्य ध्यान रखें, ताकि आप कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड के स्तर को संतुलन बनाए रखने में समर्थ हो,यहां कुछ सरल लेकिन प्रभावी उपाय निम्न हैं:

अधिक चीनी के सेवन से बचे

फ्रुक्टोज, शर्करा का विशेष रुप हैं. इससे शरीर का ट्राइग्लिसराइड्स बढ़ता हैं. इसलिए, त्योहारों के दौरान बाहर जाने पर, कैंडी, बेक्ड गुड्स और आइसक्रीम सहित अतिरिक्त चीनी से बने खाद्य पदार्थों से बचें. शुगर फ्री मिठाईमें फ्रुक्टोज होता हैं और इससे फैट बढने की संभावना अधिक होती हैं. चाहे वह सामान्य मिठाई हो या चीनी मुक्त मिठाई, हमेशा याद रखेंकि वह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकती है.

रिफाईन्ड खाद्य पदार्थों का करें विरोध

सफेद ब्रेड, चावल, पास्ता, आदि जैसे खाद्य पदार्थ जो अक्सर फूड काउंटर पर आसानी से मिल जाते हैं. ये अधिक आसानी से चीनी में परिवर्तित हो जाते हैं.इसका परहेज कर और अनाज वाले खाद्य पदार्थों को चुनकर,आसानी से अपने ट्राइग्लिसराइड के स्तर को बनाए रख सकते हैं.

आहार में करें शामिल फाइबर

उत्सव से दिनोंमें घर पर फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ का सेवन करें.एक शोध के अनुसार, फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों में जटिल कार्बोहाइड्रेट सामग्री होती है, जो शरीर के लिए फायदेमंद होती हैं. यह ट्राइग्लिसराइड की वृद्धि को नियंत्रित करने में भी मदद करता है, जो भोजन के तुरंत बाद बढ़ता है. भोजन में सलाद और सब्जियों को हमेशा शामिल करें. फाइबर, अनाज और पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थों जैसे फलों और सब्जियों में अधिक पाया जाता है.

सही फैट का सेवन

ट्राइग्लिसराइड्स और कोलेस्ट्रॉल को स्वाभाविक रूप से बनाए रखने का एक आसान तरीका है,सालमन, जैतून के तेल और डाइटरी प्रोडक्ट आदि का प्रयोग करना, जो सप्लीमेंटकी तरह होता है जिसमे ओमेगा -3 फैटी एसिड होता हैं.  इसके अलावा सॅच्युरेटेड फैट जो मांस और अन्य खाद्य पदार्थों में मिलता है, जैसे आइसक्रीम, पनीर आदि से कुल दैनिक कैलोरी के रूप में 5 से 6 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए और कोलेस्ट्रॉल का दैनिक सेवन 300 मिलीग्राम से अधिक उपयोग स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है. इसके अलावाएक बार प्रयोग किये गएफ्राइंग तेल का पुन: उपयोग न करें.

रेड मीट की जगह चुनें मछली

ओमेगा -3हार्ट हेल्थ के लिए फायदेमंद हैं और ट्राइग्लिसराइड्स को भी कम करने में मदद करता है. जब आप किसी बाहर खाना खाने जा रहे हों, तो मछली के सेवन को अधिक प्राथमिकता दें, डॉक्टर्स का सुझाव है कि जिन मछलियों में ओमेगा-3 की मात्रा अधिक होती है, उन्हें हफ्ते में दो बार खाना चाहिए.

नियमित रूप से करें व्यायाम

नियमित व्यायाम करना सभी के लिए आवश्यकहोता है,खासकर हाई ट्राइग्लिसराइड्स वाले लोगों के लिए वर्कआउट बहुत अधिक जरुरी होता है. इससे रक्त में शुगर की मात्रा कम होने के अलावा शरीर की क्षमता को बढाने में मदद मिलता है और शरीर द्वारा ट्राइग्लिसराइड्स में परिवर्तित होने वाली शर्करा की मात्रा को कम करता है. मध्यम एरोबिक व्यायाम से भी हृदय रोग वाले लोगों में ट्राइग्लिसराइड्स को कम करने में काफी सहायक होती है. हर दिन कम से कम 30 मिनट की मध्यम शारीरिक गतिविधि अवश्य करें.

वजन नियंत्रित रखें

वजन को नियंत्रित रखने की जरूरत हमेशा से ही होता आया है,हालाँकि कुछ लोगों की सोच है कि मोटापे से अगर उन्हें कोई तकलीफ नहीं, तो उन्हें इसे कम करने की जरुरत नहीं. कम उम्र में भले ही इसके साइड इफ़ेक्ट न दिखे, लेकिन उम्र के बढ़ने के साथ अधिक वजन होने से शरीर में शुगर की मात्रा बढ़ने लगती है. साथ ही मेटाबोलिक प्रक्रिया की काम करने की क्षमता कम हो जाती है, जिससे उच्च ट्राइग्लिसराइड्स होता है. हेल्दी कैलोरीज का सेवन करस्वस्थ वजन बनाए रखें और ट्राइग्लिसराइड्स कम करें. त्योहारों के मौसम में खाने को छोड़ने या मिठाई से परहेज करने के बजाय छोटे-छोटे हिस्से में खाना खाएं. इससे वजन ठीक रहेगा और व्यक्ति स्वस्थ अनुभव कर सकेगा.

अंत में यही कहना सही रहेगा कि त्योहारों को तभी एन्जॉय किया जा सकता है, जब शरीर स्वस्थ और मजबूत हो, ऐसे में स्वस्थ जीवन शैली की आदतों को अपनाने की कोशिश करें. याद रखें, भोजन जीवन के लिए आवश्यक है, लेकिन समझदारी से खाना एक कला है. इसलिए अपने पोषण को बुद्धिमता से समझें.

Diwali Special: मस्ती में झूमें पर नींद लेना न भूलें

दीवाली के त्योहारों के दिन खुशी और उल्लास से भरपूर होते हैं, इसलिए चाहे युवा हों या वयस्क सभी इन दिनों खुशी से झूम उठते हैं. डांडिया रास, गरबा नृत्य, दीवाली पार्टियां, दीवाली मेले बहुत कुछ होता है इन दिनों और खुशी का यह माहौल साल में एक बार ही आता है, इसलिए हर कोई अपने आप को इस से सराबोर कर लेना चाहता है.

लेकिन हर खुशी के साथ कोई न कोई परेशानी भी अवश्य आती है. इस दौरान रात्रिजागरण खूब होता है. देर रात तक डांस करना, देर से सोना, देर से जागना, फिर पढ़ना, कालेज या औफिस जाना या घर में काम निबटाना यानी कई काम आप को दिन में करने पड़ते हैं, जिन्हें करना मुश्किल होता है. इस के साथ ही कई दिन नींद न पूरी होने की वजह से बीमार पड़ जाने की आशंका भी रहती है.

फोर्टिस अस्पताल के न्यूरोलौजिस्ट डा. गिरीश नायर का कहना है कि किसी उत्सव या पार्टी को मनाते वक्त व्यक्ति यह भूल जाता है कि उस ने सही नींद नहीं ली है. इस से कई बार तो उस की वह बीमारी जो पहले से है वह बढ़ जाती है या फिर नई बीमारी की शुरुआत हो जाती है.

इस के आगे डाक्टर बताते हैं कि नींद 2 तरह की होती है. गहरी नींद, जिस में व्यक्ति अगर 5 घंटे भी सो ले तो बौडी रिलैक्स हो जाती है. दूसरी कच्ची नींद, जो भले ही 8 घंटे की हो बौडी रिलैक्स नहीं होती. देर रात सोने से बौडी और मस्तिष्क पर जो प्रभाव पड़ता है वह निम्न है:

– देर रात सोने से आप की 6 से 8 घंटे की नींद पूरी नहीं होती, जिस से आप सुबह देर से उठने के बाद भी सुस्त रहते हैं. फ्रैश महसूस नहीं करते.

– नींद पूरी न होने पर ब्लडप्रैशर बढ़ सकता है.

– माईग्रेन यानी सिरदर्द हो सकता है. अगर माइगे्रन पहले से है तो उस के बढ़ने की आशंका रहती है, क्योंकि आप नियमित दिनचर्या से अलग हट कर काम करते हैं.

– नींद पूरी न होने से आप की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कम हो जाती है, जिस से कफ, कोल्ड, बदहजमी जैसी बीमारियां होने लगती हैं.

इन के अलावा देर रात सोने से कई और समस्याएं होती हैं, जिन में खास हैं:

डाइजेस्टिव सिस्टम पर असर पड़ता है, जिस से ऐसिडिटी बढ़ती है. आप हाइपरटैंशन के शिकार हो सकते हैं.

इरिटेबल बाउल सिंड्रोम हो सकता है, जिस में सुबह उठने पर बारबार दस्त होना, पेटदर्द, नौशिया आदि होती है.

अस्थमा के मरीज का अस्थमा बढ़ सकता है, उसे अटैक आ सकते हैं.

हारमोनल बैलेंस बिगड़ता है जिस से मधुमेह की बीमारी का बढ़ना या नई शुरुआत हो सकती है.

फर्टिलिटी पर भी असर पड़ता है. पुरुषों का ‘स्पर्म काउंट’ कम हो सकता है. जबकि महिलाओं के ‘मेंसुरेशन साइकिल’ पर असर पड़ता है.

सुझाव

डा. नायर आगे कहते हैं कि देर रात सोने की आदत हमेशा खराब होती है. पर ग्लोबलाइजेशन या पढ़ाई की वजह से या फिर किसी खास अवसर की वजह से आप रात को देर से सोते हैं, तो निम्न बातों का ध्यान अवश्य रखें:

किसी कारणवश अगर आप देर से सोए हों, और आप की नींद पूरी नहीं हुई हो तो हो सके तो दोपहर में थोड़ी देर नींद ले लें.

खाने पर ध्यान दें. औयली, फ्राइड और प्रोसैस्ड फूड न खा कर घर का भोजन, जिस में फ्रैश फ्रूट्स, सब्जियां और सलाद हो, खाने की कोशिश करें.

कम से कम 3 से 4 लिटर पानी पिएं.

अगर आप अगले दिन फ्रैश न हों तो गाड़ी न चलाएं. देर तक जागने की वजह से आप की एकाग्रता कम होगी, जिस से आप का गाड़ी पर कंट्रोल कम हो सकता है, जो कई बार खतरनाक होता है.

मौजमस्ती, कितनी भी करें, पर अपनी जरूरत की नींद अवश्य पूरी करें, क्योंकि नींद टायर्ड मसल्स को रिलैक्स करती है, जिस से आप दूसरे दिन की भागदौड़ के लिए तैयार होते हैं. नींद आप को सही और तुरंत निर्णय लेने में भी मदद करती है, तब आप एक खुशनुमा जीवन बिता सकते हैं. 

Festival Special: इस दीवाली अपनी सेहत का यूं रखें ख्याल

दीवाली का त्योहार देश में बड़े त्योहरों में से एक है. इस त्योहार की तैयारियां महीनों पहले से शुरू हो जाती हैं. इस त्योहार के सीजन में सबसे ज्यादा ख्याल जिस चीज की रखने की जरूरत है, वो है अपनी सेहत.

रोशनी और उल्लास से भरा दिवाली का त्योहार भी नजदीक आ रहा है. एक ऐसा त्योहार जिसमें जिसमें मिठाईयों और नमकीन की भरमार होती है. जो कि सेहत के लिए हानिकारक साबित हो सकती है. लेकिन अगर आपने अपना और अपने परिवार का थोड़ा ध्यान रखा, तो ये रोशनी का त्योहार आपके लिए काफी खुशियां ला सकता है. जानिए इस रोशनी के त्योहार में कैसे रखें अपनी सेहत को ठीक.

कम मात्रा में ले चीना और वसा

इस सीजन में में सबसे ज्यादा मिठाईयां खाते है. जिसे मार्केट में खरीदने पर भरपूर मात्रा में वसा और चीनी का इस्तेमाल होता है. इसलिए कोशिश करें कि मिठाईयां घर पर ही बनाएं. इसके साथ ही कम मात्रा में घी, तेल का इस्तेमाल करें. आप चाहें तो शुगर फ्री भी उपयोग कर सकते हैं या शहद का प्रयोग कर सकते हैं. अगर मीठी डिश में मिठाइयों की जगह फ्रूट्स लें. कोल्ड ड्रिंक्स के जगह पर नींबू पानी, नारियल पानी या अन्य फ्रूट्स जूस आदि नेचुरल ड्रिंक्स लें.

कम से कम खाएं

त्योहारों के मौसम में हम खाने के मामले में सबसे आगे होते है. ये भी भूल जाते है कि इससे हमारी सेहत में बुरा प्रभाव पड़ता है. यहां तक कि हम अपनी डाइट चार्ट को यह कह कर भूल जाते हैं कि त्योहार एक-दो दिन का ही तो होता है. जिसके कारण हमारे शरीर में भरपूर मात्रा में कैलोरीज चली जाती हैं. दिवाली के मौके में हम भरपूर मात्रा में मिठाई, चॉकलेट और पकवान खाते हैं. जो कि वजन बढ़ने का एक कारण बन सकता है. इसलिए इस मौसम में खाना को नियंत्रित करके ही खाएं.

ज्यादा से ज्यादा लें प्रोटीन

इस मौसम में हम सबसे ज्यादा कैलोरी वाली चीजें खाते है. सभी डेयरी प्रोडक्ट में भरपूर मात्रा में कैलोरी होता है. इसलि इनकी जगह प्रोटीन वाली चीजें खाने की कोशिश करें. जैसे कि ड्राई फ्रूट्स में बादाम, अंजीर आदि. या फिर आप ब्राउन राइस, रागी, सूप के पैकेट आदि मिलाकर बना सकते है. यह आपकी सेहत के लिए एक गिफ्ट होगा.

यूरिया साफ करें

यूरिया शरीर के लिए विषाक्त होता है, तो शरीर में अतिरिक्त यूरिया होने से ऊर्जा का ह्रास होगा. और शरीर में ऊर्जा का निम्न स्तर, चीनी की लालसा को बढ़ाता है. तो इस त्यौहार के दौरान अधिक से अधिक पान पियें और अन्य पौष्टिक पेय जैसे, जूस नींबू पानी आदि पीते रहें.

अगर हो प्री-दिवाली पार्टी

अगर आपकी दिवाली की रात को बाहर पार्टी का प्लान है, तो थोड़ा सचेत रहें. घर से निकलने से पहले पौष्टिक सा आहार ले लें. इससे न सिर्फ आप अनावश्यक और हानिकारक खाद्य पदार्थ खाने से बचेंगे बल्कि, एल्कोहॉल के अतिरिक्त सेवन से भी बचेंगे.

न होने दें पानी की कमी

त्योहार के सीजन में काम अधिक होने जाने के कारण भागदौड़ करना पड़ता है. जिसके कारण हमारे शरीर में पानी की कमी हो जाती है. जिससे शरीर में एनर्जी और थकान सी महसूस होने लगती है. इसलिए काम के साथ-साथ समय निकाल पानी पीतें रहें.

करें छोटी प्लेट का इस्तेमाल

कई बार होता है कि हम बड़ी प्लेट लेकर खाना लगते है. जिसके कारण हम अधिक खाना खा लेते है. इसलिए जहां तक संभव हो तो छोटे बर्तनों का इस्तेमाल करें. साथ ही दुबारा खाना खाने से बचें.

एक्सरसाइज

भाग-दौड़ में हम अपनी रूटीन को भूल ही जाते हैं. इसलिए साथ में एक्सरसाइज जरूर करते रहें. नहीं तो आपको थकावट और अन्य समस्याएं हो सकती हैं.

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