कुछ इस तरह निभाएं घर की जिम्मेदारी

अकसर पत्नियों को शिकायत रहती है कि पति घरेलू कामों में उन की मदद नहीं करते. किसी हद तक उन की यह शिकायत सही भी है, क्योंकि शादी के बाद ज्यादातर पति घर के बाहर की जिम्मेदारी तो बखूबी निभाते हैं, मगर बात अगर रसोई में पत्नी की मदद करने की हो या घर की साफसफाई की तो अमूमन सभी पति कोई न कोई बहाना बना कर इन कामों से बचने की कोशिश करते नजर आते हैं. कहने को तो पतिपत्नी गाड़ी के 2 पहियों की तरह होते हैं, मगर जब आप एक ही पहिए पर घरगृहस्थी का सारा बोझ डाल दोगे तो फिर गाड़ी का लड़खड़ाना तो लाजिम है.

अकसर पत्नियां घर के कामों में इतनी उलझ जाती हैं कि उन के पास खुद के लिए भी समय नहीं होता. ऐसे में यदि उन्हें घर के कामों में पति का सहयोग मिल जाए तो उन का न सिर्फ बोझ कम हो जाता है, बल्कि पतिपत्नी के रिश्ते में मिठास और बढ़ जाती है.

यों बांटें काम

घर के काम को हेय समझना छोड़ कर पति कुछ कामों की जिम्मेदारी ले कर अननी गृहस्थी की बगिया को महका सकते हैं. ऐसे कई काम हैं, जिन्हें पतिपत्नी दोनों आपस में बांट कर कर सकते हैं:

– किचन को लव स्पौट बनाएं, अकसर पति किचन में जाने के नाम से ही कतराते हैं, मगर यहां आप पत्नी के साथ खाना पकाने के साथसाथ प्यार के एक नए स्वाद का भी आनंद ले सकते हैं. सब्जी काटना, खाना टेबल पर लगाना, पानी की बोतलें फ्रिज में भर कर रखना, सलाद तैयार करना आदि काम कर आप पत्नी की मदद कर सकते हैं. यकीन मानिए आप के इन छोटेछोटे कामों को आप की पत्नी दिल से सराहेगी.

– कभी पत्नी के उठने से पहले उसे सुबह की चाय पेश कर के देखिए, आप के इस छोटे से प्रयास को वह दिन भर नहीं भूलेगी. अगर पत्नी की तबीयत ठीक नहीं है तो ऐसे में हलकाफुलका नाश्ता बना कर उसे थोड़ा आराम दे सकते हैं.

– यदि पति किचन में कुछ पकाना चाहे तो उन्हें टोकिए मत. रसोईघर को व्यवस्थित रखें. सभी डब्बों में लेबल लगा कर रखने से पति हर चीज के लिए आप से बारबार नहीं पूछेंगे.

– अगर आप को शिकायत है कि आप की पत्नी सारा वक्त बाथरूम में कपड़ों की सफाई में गुजार देती है और आप के लिए उन से पास जरा भी फुरसत नहीं है तो इस का सारा दोष पत्नी को मत दीजिए. छुट्टी वाले दिन आप इस काम में उस का हाथ बंटा सकते हैं. कपड़ों को ड्रायर कर के उन्हें सुखाने डालते जाएं. इस तरह एकसाथ काम करते हुए आप दोनों को बतियाने का मौका भी मिल जाएगा.

– अकसर सभी घरों में हफ्ते भर की सब्जियां ला कर फ्रिज में स्टोर कर दी जाती हैं. टीवी पर अपना पसंदीदा शो या क्रिकेट मैच देखने में मशगूल पति को आप मटर छीलने के लिए बोल सकती हैं या फिर सब्जियां साफ करने के लिए दे सकती हैं.

– गार्डन में लगे पौधों को पानी देने का काम पति से बोल कर करवा सकती हैं.

– घर में कोई पालतू जानवर है तो उसे टहलाने की जिम्मेदारी दोनों मिल कर उठाएं.

– बच्चों को पढ़ाने के लिए कुछ विषय आप चुन लें. कुछ पति को दें.

– पति व घर के अन्य सदस्यों में अपने छोटेमोटे काम स्वयं करने की आदत डलवाएं. नहाने के बाद गीला तौलिया सूखने डालना, अपने कपड़े, मोजे आदि अलमारी में सलीके से रखने जैसे कई ऐसे काम हैं, जिन्हें घर का हर सदस्य खुद कर सकता है.

– यदि आप चाहती हैं कि पति घरेलू कामों में आप की दिल से मदद करें तो प्यार व मनुहार से कहें. यदि आप जबरदस्ती कोई काम उन पर थोपेंगी तो जाहिर है मिनटों का काम करने में उन्हें घंटों लग जाएं और कार्य भी ढंग से पूरा न हो. शुरू में उन के साथ मिल कर काम करें.

थोड़ा धैर्य बनाए रखें. धीरेधीरे ही सही, मगर एक बार पति आप के कामों में सहयोग देने लगेंगे तो उन्हें भी इस बात का एहसास होगा कि आप दिन भर में कितना खटती हैं. पति हो या पत्नी जब घर दोनों का है तो घर के कामों का जिम्मा भी दोनों मिल कर उठाएं. तभी तो वैवाहिक जीवन की गाड़ी सुचारु रूप से चलेगी.

बच्चों को परिवार से जोड़ना है तो रखें इंटरनैट से दूर

कुछ वर्षों से सोशल मीडिया यानी सोशल नैटवर्किंग साइट्स ने लोगों के जीवन में एक खास जगह तो बना ली है परंतु इस का काफी गलत प्रभाव पड़ रहा है. इस में कोई शक नहीं कि डिजिटल युग में इंटरनैट के प्रयोग ने लोगों की दिनचर्या को काफी आसान बना दिया है. पर इस का जो नकारात्मक रूप सामने आ रहा है वह दिल दहलाने वाला है.

जानकारों का कहना है कि इंटरनैट और सोशल मीडिया की लत से लोग इस कदर प्रभावित हैं कि अब उन के पास अपना व्यक्तिगत जीवन जीने का समय नहीं रहा.

सोशल मीडिया की लत रिश्तों पर भारी पड़ने लगी है. बढ़ते तलाक के मामलों में तो इस का कारण माना ही जाता है, इस से भी खतरनाक स्थिति ब्लूव्हेल और हाईस्कूल गैंगस्टर जैसे गेम्स की है. नोएडा में हुए दोहरे हत्याकांड की वजह हाईस्कूल गैंगस्टर गेम बताया गया है. जानलेवा साबित हो रहे इन खेलों से खुद के अलावा समाज को भी खतरा है. अभिभावकों का कहना है कि परिजनों के समक्ष बच्चों को वास्तविक दुनिया के साथ इंटरनैट से सुरक्षित रखना भी एक चुनौती है. इस का समाधान रिश्तों की मजबूत डोर से संभव है. वही इस आभासी दुनिया के खतरों से बचा सकती है.

पहला केस : दिल्ली के साउथ कैंपस इलाके के नामी स्कूल में एक विदेशी नाबालिग छात्र ने अपने नाबालिग विदेशी सहपाठी पर कुकर्म का आरोप लगाया. दोनों ही 5वीं क्लास में पढ़ते हैं.

दूसरा केस : 9वीं क्लास के एक छात्र ने हाईस्कूल गैंगस्टर गेम डाउनलोड किया. 3-4 दिनों बाद जब यह बात उस के एक सहपाठी को पता चली तो उस ने शिक्षकों और परिजनों तक मामला पहुंचा दिया. परिजनों ने भी इस बात को स्वीकार किया कि बच्चे के व्यवहार में काफी दिनों से उन्हें परिवर्तन दिखाई दे रहा था. समय रहते सचेत होने पर अभिभावक और शिक्षकों ने मिल कर बच्चे की मनोस्थिति को समझा और उसे इस स्थिति से बाहर निकाला.

तीसरा केस : 12वीं कक्षा के एक छात्र की पिटाई 11वीं में पढ़ रहे 2 छात्रों ने इसलिए की क्योंकि वह उन की बहन का अच्छा दोस्त था. यही नहीं, उसे पीटने वाले दोनों भाई विशाल और विक्की उसे जान से मारने की धमकी भी दे चुके थे और ऐसा उन्होंने इंटरनैट से प्रेरित हो कर किया.

चौथा केस : 7वीं कक्षा की एक छात्रा ने मोबाइल पर ब्लूव्हेल गेम डाउनलोड कर लिया. उस में दिए गए निर्देश के मुताबिक उस ने अपने हाथ पर कट लगा लिया. उस की साथी छात्रा ने उसे देख लिया और शिक्षकों को पूरी बात बता दी. कहने के बावजूद छात्रा अपने परिजनों को स्कूल नहीं आने दे रही थी. दबाव पड़ने पर जब परिजनों को स्कूल बुलाया गया तो पता चला कि घर पर भी उस का स्वभाव आक्रामक रहता है. इस के बाद काउंसलिंग कर के उस को गलती का एहसास कराया गया.

एक छात्रा के अनुसार, ‘‘पढ़ाई के लिए हमें इंटरनैट की जरूरत पड़ती है. लगातार वैब सर्फिंग करने से कई तरह की साइट्स आती रहती हैं. यदि हमारे मातापिता साथ होंगे तो हमें अच्छेबुरे का आभास करा सकते हैं. इसलिए हम जैसे बच्चों के पास पापामम्मी या दादादादी का होना जरूरी है.’’

एक अभिभावक का कहना है, ‘‘डिजिटल युग में अब ज्यादातर पढ़ाई इंटरनैट पर ही निर्भर होने लगी है. छोटेछोटे बच्चों के प्रोजैक्ट इंटरनैट के माध्यम से ही संभव हैं. आवश्यकता पड़ने पर उन्हें मोबाइल फोन दिलाना पड़ता है. बहुत सी बातों की तो आप और हमें जानकारी भी नहीं होती. कब वह गलत साइट खोल दे, यह मातापिता के लिए पता करना बड़ा मुश्किल होता है.’’

एक स्कूल प्रिंसिपल का कहना है,  ‘‘एकल परिवार की वजह से बच्चों का आभासी दुनिया के प्रति आकर्षण बढ़ रहा है. यदि बच्चे संयुक्त परिवार में रहते तो वे विचारों को साझा कर लेते. अभिभावकों को उन की गतिविधियों और व्यवहार पर नजर रखनी चाहिए. हम ने अपने स्कूल में एक सीक्रेट टीम बनाई है जो बच्चों पर नजर रखती है. 14-15 साल के बच्चों में भ्रमित होने के आसार ज्यादा रहते हैं.’’

अपराध और गेम्स

इंटरनैट पर इन दिनों कई ऐसे खतरनाक गेम्स मौजूद हैं जिन्हें खेलने की वजह से बच्चे अपराध की दुनिया में कदम रख रहे हैं. इस का सब से ज्यादा असर बच्चों पर पड़ रहा है. साइबर सैल की मानें तो विदेशों में बैठे नकारात्मक मानसिकता के लोग ऐसे गेम्स बनाते हैं. इस के बाद वे इंटरनैट के माध्यम से सोशल मीडिया पर गेम्स का प्रचारप्रसार कर बच्चों को इस का निशाना बनाते हैं.

साइबर सैल में कार्यरत एक साइबर ऐक्सपर्ट ने बताया कि हाईस्कूल गैंगस्टर और ब्लूव्हेल जैसे गेम्स से 13 से 18 साल के बच्चों को सब से ज्यादा खतरा है. इस उम्र में बच्चे अपरिपक्व होते हैं. इन को दुनियाभर के बच्चों में स्पैशल होने का एहसास कराने का लालच दे कर गेम खेलने के लिए मजबूर किया जाता है. गेम खेलने के दौरान बच्चों से खतरनाक टास्क पूरा करने के लिए कहा जाता है. अपरिपक्व होने के कारण बच्चे शौकशौक में टास्क पूरा करने को तैयार हो जाते हैं. वे अपना मुकाबला गेम खेलने के दौरान दुनिया के अलगअलग देशों के बच्चों से मान रहे होते हैं. गेम खेलने के दौरान वे सहीगलत की पहचान नहीं कर पाते. गेम के दौरान बच्चों में जीत का जनून भर कर उन से अपराध करवाया जाता है.

एक सर्वेक्षण में शामिल 79 प्रतिशत बच्चों ने कहा कि इंटरनैट पर उन का अनुभव बहुत बार नकारात्मक रहा है. 10 में से 6 बच्चों का कहना था कि इंटरनैट पर उन्हें अजनबियों ने गंदी तसवीरें भेजीं, किसी ने उन्हें चिढ़ाया इसलिए वे साइबर क्राइम के शिकार हुए.

इन औनलाइन घटनाओं का वास्तविक जीवन में भी गहरा प्रभाव पड़ता है. इंटरनैट पर दी गई व्यक्तिगत जानकारी का दुरुपयोग होना, किसी विज्ञापन के चक्कर में धन गंवाना आदि बालमन पर गहरा प्रभाव छोड़ते हैं.

मानसिक विकारों के शिकार

सर्वेक्षण की रिपोर्ट के मुताबिक, सोशल नैटवर्किंग साइट्स पर अपना खाता खोलने वाले 84 प्रतिशत बच्चों का कहना था कि उन के साथ अकसर ऐसी अनचाही घटनाएं होती रहती हैं जबकि सोशल नैटवर्किंग साइट्स पर सक्रिय न रहने वाले बच्चों में से 58 फीसदी इस के शिकार होते हैं.

बाल मनोविज्ञान के जानकारों के अनुसार, आज के बच्चे बहुत पहले ही अपनी औनलाइन पहचान बना चुके होते हैं. इस समय इन की सोच का दायरा बहुत छोटा रहता है और इन में खतरा भांपने की शक्ति नहीं रहती. उन का कहना है कि ऐसी स्थिति में बच्चों को अपने अभिभावक, शिक्षक या अन्य आदर्श व्यक्तित्व की जरूरत होती है जो उन्हें यह समझाने में मदद करें कि उन्हें जाना कहां है, क्या कहना है, क्या करना और कैसे करना है. लेकिन इस से भी ज्यादा जरूरी है यह जानना कि उन्हें क्या नहीं करना चाहिए.

सोशल नैटवर्किंग साइट्स का एक और कुप्रभाव बच्चों का शिक्षक के प्रति बदले नजरिए में दिखता है. कई बार बच्चों के झूठ बोलने की शिकायत मिलती है. 14 साल के बच्चों द्वारा चोरी की भी कई शिकायतें बराबर मिल रही हैं. मुरादाबाद के संप्रेषण गृह के अधीक्षक सर्वेश कुमार ने बताया, ‘‘पिछले 2 वर्षों के दौरान मुरादाबाद और उस के आसपास के इलाकों से लगभग 350 नाबालिगों को गिरफ्तार कर संप्रेषण गृह भेजा गया है. इन में से ज्यादा नाबालिग जमानत पर बाहर हैं लेकिन 181 बच्चे अभी संप्रेषण में हैं.’’

आक्रामक होते बच्चे

मनोचिकित्सक डाक्टर अनंत राणा के अनुसार, पहले मातापिता 14 साल से ज्यादा उम्र के बच्चों को काउंसलिंग के लिए लाते थे, लेकिन आज के दौर में

8 साल की उम्र के बच्चों की भी काउंसलिंग की जा रही है. अपराध की दुनिया में कदम रखने वाले बच्चे ज्यादातर एकल परिवार से ताल्लुक रखते हैं. ऐसे परिवारों में मातापिता से बच्चों की संवादहीनता बढ़ रही है, जिस वजह से बच्चे मानसिक विकारों के शिकार हो रहे हैं. ऐसे में वे अपने पर भी हमला कर लेते हैं. काउंसलिंग के दौरान बच्चे बताते हैं कि परिजन अपनी इच्छाओं को उन पर मढ़ देते हैं. इस के बाद जब बच्चे ठीक परफौर्मेंस नहीं दे पाते तो उन्हें परिजनों की नाराजगी का शिकार होना पड़ता है. ऐसे हालात में ये आक्रामक हो जाते हैं.

8 से 12 साल के बच्चों की काउंसलिंग के दौरान ज्यादातर परिजन बताते हैं कि उन के बच्चों को अवसाद की बीमारी है. उन का पढ़ाई में मन नहीं लगता. टोकने पर वे आक्रामक हो जाते हैं और इस से अधिक उम्र के बच्चे तो सिर्फ अपनी दुनिया में ही खोए रहते हैं.

साइबर सैल की मदद लें

आप का बच्चा किसी खतरनाक गेम को खेल रहा है या उस की गतिविधियां मोबाइल पर मौजूद इस तरह के गेम की वजह से संदिग्ध लग रही हैं, तो तुरंत साइबर विशेषज्ञ से सलाह ले सकते हैं. फोन पर भी आप साइबर सैल की टीम से संपर्क कर सकते हैं. इस के लिए गूगल एरिया के साइबर सैल औफिस के बारे में जानकारी लें. वहां साइबर सैल विशेषज्ञ के नंबर भी मिल जाएंगे.

ध्यान दें परिजन

–      परिजन बच्चों को समय दें और उन से भावनात्मक रूप से मजबूत रिश्ता बनाएं.

–      बच्चे की मांग अनसुनी करने से पहले उस की वजह जानें.

–      बच्चों के दोस्तों से भी मिलें ताकि बच्चे की परेशानी की जानकारी हो सके.

–      बच्चों को अच्छे व बुरे का ज्ञान कराएं.

–      बच्चों को व्यायाम के लिए भी उकसाएं.

–      बच्चों से अपनी अपेक्षाएं पूरी करने के बजाय उन की काबिलीयत के आधार पर उन से उम्मीद रखें.

 

ऐसे संभालें मैरिड लाइफ

आजकल पढ़ीलिखी लड़कियां शादी के 2-3 साल बाद ही तलाक लेने के लिए मजबूर हो जाती हैं. आखिर क्यों तलाक की नौबत आती है, आइए जानते हैं:

तलाक के कारण

  1. पतिपत्नी को एकदूसरे का व्यवहार पसंद न आना.
  2. दोनों में से किसी एक के घर वालों की दखलंदाजी तथा उन के ऊपर उन का अत्यधिक प्रभाव.
  3. दोनों या किसी एक को छोटीछोटी बातों पर भी गुस्सा आना.
  4. अहं का टकराव.
  5. अच्छे संस्कारों की कमी.
  6. रिश्तों को दिमाग से तोलना.
  7. लड़के का सपनों का सौदागर न निकलना.
  8. कई बार लड़की या लड़का एकदूसरे का चेहरा या बाहरी दिखावा देख कर आकर्षित हो जाते हैं, परंतु शादी होते ही एकदूसरे का वास्तविक व्यवहार सामने आने पर लड़ाईझगड़ा शुरू हो जाता है.
  9. कुछ लड़कियां शादी के बाद तलाक को कमाई का जरीया भी बना लेती हैं.
  10. आजकल के लड़केलड़कियां प्रेम किसी और से करते हैं पर घर वालों के डर से शादी किसी और से कर लेते हैं.

तलाक के नुकसान

  1. पहली शादी में जैसा पति या पत्नी मिलती है दूसरी शादी में वैसा ही पति या पत्नी मिले यह जरूरी नहीं. कोई न कोई समझौता करना ही पड़ता है.
  2. चूंकि पहला रिश्ता बहुत सोचसमझ कर किया जाता है, इसलिए समाज में थोड़ी मानप्रतिष्ठा बढ़ जाती है. लोग भी बधाई देते समय कहते हैं कि बहुत अच्छा रिश्ता मिला. ऐसा दूसरी बार नहीं मिल पाता.
  3. दूसरी बार जो साथी होगा, हो सकता है वह पहले जितना पढ़ालिखा या अमीर न हो. दूसरी शादी में जो लड़की या लड़का होता है वह ज्यादातर उम्मीद से कम ही होता है.
  4. रिश्ता टूटने पर बहुत दुख भी होता है और यह बात वही जानता है जिस का रिश्ता टूटता है.
  5. जब तक दूसरी शादी नहीं हो जाती तब तक लड़की तथा उस के अभिभावकों को असुरक्षा की भावना घेरे रहती है.

तलाक समाधान नहीं

  1. मांबाप समाज में लोगों से नजरें नहीं मिला पाते.
  2. फिर दूसरी शादी करने पर इस बात की क्या गारंटी है कि वह सही चलेगी. दूसरी शादी करने पर लड़का या लड़की न चाहते हुए भी हर बात सहते हैं, क्योंकि उन्हें डर रहता है कि कुछ कहा तो कहीं यह शादी भी न टूट जाए.
  3. पहले पति या पत्नी की याद हमेशा दुख देती है.
  4. किसी भी तलाकशुदा लड़की को मांबाप ज्यादा समय तक घर में नहीं रखते. उस की जल्दी से जल्दी दूसरी शादी करवाना चाहते हैं. कई बार लड़की खुद भी मांबाप के घर में खुद को उन पर बोझ समझने लगती है.
  5. तलाकशुदा होने पर लड़की समाज में अकेला रहने पर असुरक्षित भी महसूस करती है.

समाधान

अगर तलाक के इतने नुकसान हैं तो फिर जहां तक हो सके रिश्ते को संभालने की कोशिश करनी चाहिए. अगर कोई पति मारपीट करता है, शक करता है या फिर साइकिक है, तो उस का कोई हल नहीं. उस के लिए आप एनजीओ की मदद लें या पुलिस की. तलाक लेना जायज है, परंतु आजकल ज्यादातर तलाक अहं के टकराव की वजह से हो रहे हैं.

  1. शादी से पहले लड़कालड़की को एकदूसरे से अकेले में मिलने दें. उन्हें एकदूसरे को समझने का पर्याप्त समय मिलना चाहिए.
  2. अभिभावकों को अपने बच्चे की कमजोरियां पता होती हैं जैसे गुस्सा आना या कोई और कमी होना आदि. ऐसे में उन्हें अपने बच्चों से पूछते रहना चाहिए कि तुम्हारी इस बात पर तुम्हारी होने वाली पत्नी या पति ने कैसी प्रतिक्रिया व्यक्त की.
  3. रिश्ते को दिमाग से नहीं दिल से जोड़ने की कोशिश करें. हर लड़कालड़की कहीं न कहीं एकदूसरे में अपना प्रेमी या प्रेमिका भी ढूंढ़ रहा होता हैं.
  4. अगर अपने मंगेतर को देख कर आप के दिल की धड़कनें नहीं बढ़तीं या आप को खुशी नहीं मिलती तो आप इस रिश्ते पर दोबारा विचार करें.

अच्छी सोच

अकसर देखा गया है कि लगभग सभी घरों में सासससुर आपस में बहुत अच्छी तरह से रिश्ते निभा रहे होते हैं और आप सोचती हो कि मेरा पति इन के जैसा क्यों नहीं? पहले वे भी आप की तरह लड़ते रहे होंगे, परंतु रिश्ता सींचने में उन्हें समय मिल गया. सोचो एक दिन आप का रिश्ता भी ऐसा ही हो जाएगा.

  1. रिश्ते को समय दें. कुछ सह लें तो कुछ मना लें.
  2. लड़केलड़की में परिपक्वता तथा तजरबे की कमी होती है, क्योंकि आजकल बच्चे ज्यादा समय पढ़ाई को देते हैं. फिर संयुक्त परिवार भी नहीं देखा होता, इसलिए किसी दूसरे के साथ घर में रहने के तौरतरीकों की समझ भी कम ही होती है. ऐसे में अभिभावकों को इन की मदद करनी चाहिए.
  3. समाज की एक दुविधा यह भी है कि लड़की को ही अपने मांबाप का घर छोड़ कर लड़के के घर जाना पड़ता है. इस बात से दुखी होने के बजाय आप इस के फायदे ढूंढें़.

दिल में जगह

  1. अपने रिश्ते तथा घर की हर बात अपने मांबाप या रिश्तेदारों को बताना सही नहीं. वे नहीं जानते कि आप जो बात कर रही हैं, उस में आप का क्या रोल था. उन की सलाह आप को महंगी भी पड़ सकती है.
  2. कुछ ही सालों में आप अपने पति का दिल जीत लेंगी और उसी घर में रानी के समान बन जाएंगी, क्योंकि समय रुकता नहीं है. एक समय ऐसा भी आता है जब सासससुर बुजुर्ग हो रहे होते हैं और आप के बच्चे जवान.
  3. शादी के बाद पति या पत्नी पर शक करना या उस की आजादी पर अंकुश लगाना रिश्ते को एक बंदिश बना देता है.
  4. आप रात को पति के साथ कमरे में अकेली होती ही होंगी. उस समय का सही उपयोग करें. पति के साथ बैठ कर भावनात्मक बातें करें. धीरेधीरे पति के दिल में जगह बनाएं, क्योंकि आप को यह जंग दिल तथा दिमाग से जीतनी है, तलवार से नहीं.

सब कुछ अनुरूप नहीं

  1. हर इंसान को सब कुछ नहीं मिलता. अत: जो अधूरा है उसे पूरा करने की कोशिश करें.
  2. अकेले में आप अपने पति या पत्नी की बुरी आदतों या फिर वे जो आप को पसंद नहीं हैं उन के बारे में उसे अवगत कराएं.
  3. अगर पति मौडर्न या पुराने विचारों का है तो थोड़ा आप भी बदलें, क्योंकि आप को उस घर में ऐडजस्ट होना है.
  4. अगर पति हर बात अपने मांबाप से करता है, तो आप वही बातें करें, जो मांबाप तक पहुंचें तो कोई गलत प्रतिक्रिया न हो.
  5. बातबात पर रिश्ते को तोड़ने की धमकी न दें. घर छोड़ कर न जाएं तथा जल्दी से नाराज न हों. अगर हों भी तो जल्दी मान जाएं.

घर की बात घर में

  1. ज्यादातर लड़की को ही ऐडजस्ट करना पड़ता है, क्योंकि लड़की को अपने घर में, चाहे हजार रुपए लेने में झिझक महसूस होती हो, परंतु शादी होते ही वह लड़के की आधी प्रौपर्टी की हकदार बन जाती है.
  2. अपने लड़ाईझगड़े की किसी तीसरे से शिकायत करने पर आप के रिश्ते की बागडोर अनजान हाथों में चली जाएगी, जैसे गांव की पंचायत, कोई एनजीओ ग्रुप इत्यादि. वे अपनी वाहवाही बटोरने के लिए आप की पत्नी या पति के स्वाभिमान को ठेस भी पहुंचा सकते हैं, जिस से आप के रिश्ते में गांठ पड़ जाएगी.
  3. अगर उसी घर में रहने की इच्छा हो तो किसी को बीच में न लें, क्योंकि डर से हो सकता है ससुराल वाले आप को तंग न करें, परंतु आप से कोई बात भी नहीं करेगा तो आप वहां पर अकेली पड़ जाएंगी.
  4. यह टीवी सीरियल नहीं है जहां कई शादियां होती हैं. यह आप का जीवन है और दूसरी शादी एक समझौता है.
  5. अगर आप अपनी अटैची पकड़ कर बसस्टैंड पर खड़ी हैं और पति का घर छोड़ आई हैं तो आप कोई भी बहाना बना कर वापस चली जाएं. क्या मालूम वे सब बहुत पछताए हों. औरत चूंकि हमेशा ही महानता की मूर्ति रही है, इसलिए इस रिश्ते को आप ज्यादा अच्छी तरह संभाल सकती हैं.

प्यार के बारे में ये भी जानना आपके लिए है जरूरी

प्यार खूबसूरत एहसास है, जिसे शब्दों में बयां कर पाना मुश्किल है. लेकिन अकसर देखा जाता है कि युवाओं पर चढ़े प्यार का खुमार शादी होने के बाद तेजी से उतरने लगता है. हाथों में हाथ ले कर प्यार में जीनेमरने के वादे करने वाले जल्द ही मरनेमारने पर उतारू हो जाते हैं. दरअसल, शादी के बाद रिश्ते को कानूनी अधिकार व सामाजिक मान्यता मिलने से नवयुगल की एकदूसरे से चाहत और उम्मीदें भी अधिक बढ़ जाती हैं. अब वे एकदूसरे में अपने मनमुताबिक बदलाव देखना चाहते हैं.

ब्रिटिश रिसर्च एजेंसी जिंजर द्वारा नए शादीशुदा कपल्स पर एक सर्वे किया गया. इस सर्वे में कई रोचक परंतु चौंकाने वाले तथ्य सामने आए.

रिलेशनशिप ऐक्सपर्ट और साइकोलौजिस्ट डोना डावसन कहती हैं, ‘‘इस सर्वे में कई चौंका देने वाली बातें सामने आई हैं, जिन से पता चलता है कि नए कपल्स को एकदूसरे के प्यार की किस कदर जरूरत महसूस होती है. स्त्रियों के मुकाबले पुरुषों में अपने पार्टनर से स्नेह की अधिक चाह होती है. शादी के बाद एक पत्नी की चाहत होती है कि पति शादी से पहले की अपनी तमाम बुरी आदतों को छोड़ दे. बातबात में उस से नाराज न हो और उस की बातों को ध्यान से सुने, उस की तारीफ करे.’’

जबकि पति चाहता है कि पत्नी से वह अधिक प्यार करे. वह यह भी चाहता है कि उस की पत्नी दूसरे की पत्नी से ज्यादा ग्लैमरस दिखे. वह अपनी पत्नी को दूसरी औरतों से ज्यादा स्मार्ट रखना चाहता है. वह चाहता है कि उस की पत्नी थकी न दिखे. शादी होते ही एकदूसरे में बहुत कुछ बदलाव देखना चाहते हैं न्यू कपल. इन बदलावों के न होने पर उन्हें मायूसी हाथ लगती है, जो धीरेधीरे खीज में बदल जाती है.

बदलने की शिकायत

जहां एक तरफ नईनई हुई शादी के बाद पतिपत्नी एकदूसरे में बदलाव देखना चाहते हैं, वहीं दूसरी ओर शादी के बाद कई पतिपत्नी यह भी कहते सुने जाते हैं, ‘तुम पहले तो ऐसे न थे या शादी के बाद तुम बहुत बदल गए हो.’

इस की जड़ में मूलतया यही बात होती है कि शादी के बाद हर वक्त साथ रहने से पतिपत्नी को एकदूसरे के बारे में कई नई बातें पता चलती हैं, जिन्हें वे शादी से पहले नहीं जान पाते. मसलन, पार्टनर का देर तक सोना, देर से नहाना, काम टालना, किसी दूसरे रिश्ते को ज्यादा महत्त्व देना, अपने कमरे व सामान को बेतरतीब रखना इत्यादि, कई लोग शादी के पहले अपने पार्टनर को इंप्रैस करने के चक्कर में वे काम भी करने लगते हैं, जो उन की आदत में शामिल नहीं होते. फलतया शादी के बाद वे जब अपने असली रूप में आते हैं तो पार्टनर को लगता है कि वह बदल गया.

पहले तो ऐसे नहीं थे

सुयश की दीवानी विभा को शादी होते ही सुयश की कई नई आदतों का पता चला जो उसे बिलकुल अच्छी नहीं लगीं. शादी के पहले उस ने सुयश को हमेशा टिपटौप देखा था. उसे लगा था कि खुद को इतने अच्छे तरीके से प्रेजैंट करने वाला सुयश घर में भी ऐसे ही साफसफाई और सलीके से रहता होगा. पर वास्तव में सुयश ऐसा नहीं था. सिर्फ विभा को इंप्रैस करने के लिए वह स्मार्ट बन कर रहता था.

सच तो यह था कि सुयश कईकई दिनों तक नहाता भी नहीं था. बाथरूम यूज करने के बाद फ्लश नहीं चलाता था. यहां तक कि अपना वार्डरोब और कमरा भी बेहद गंदा रखता था. उस की आदतें देख विभा के मुंह से अब अकसर यही निकलता कि कितने बदल गए हो तुम. पहले तो ऐसे न थे और इन्हीं बातों पर अकसर उन की हलकी सी कहासुनी एक बड़ी झड़प में बदल जाती.

बदलाव के मूल में परिस्थितियां

हकीकत में शादी के बाद बदलता कुछ भी नहीं है. न ही पतिपत्नी की सोच, न ही उन का व्यवहार या रवैया. हां, यदि इस बीच उन में कोई बदलाव दिखाई देता है तो उस बदलाव के मूल में होती हैं परिस्थितियां. ये बदलाव अनायास हमारी जिंदगी के साथ होते हैं, जो बदलती परिस्थितियों के साथ स्वाभाविक तौर पर हमारे स्वभाव में शामिल होते चले जाते हैं.

पहले जिन्हें सिर्फ अपनी व्यक्तिगत लाइफ से सरोकार था, स्वछंद जिंदगी जीना जिन की आदत में शुमार था, पर चूंकि शादी के बाद दोनों मिल कर एक परिवार बनाते हैं, इस नाते वे कई नई पारिवारिक जिम्मेदारियों से भी जुड़ जाते हैं. कभीकभी समय व उचित प्रबंधन की कमी भी उन्हें अपने पार्टनर की कसौटी पर खरा नहीं उतरने देती, जिस से पार्टनर अपनेआप को उपेक्षित मानने लगता है और शिकायत करने लगता है.

इस वक्त थोड़ी सी समझदारी

जरा सा आपसी तालमेल रिश्तों की इस नई पौध को नवजीवन दे सकता है. आइए, जानें कि कौनकौन सी बातें नवदंपती को जीवनपर्यंत एकदूसरे से जोड़े रख सकती हैं:

कोई भी व्यक्ति सर्वगुणसंपन्न नहीं होता, इसलिए पार्टनर को उस की कमियों के साथ स्वीकार करें. धीरेधीरे उन कमियों को दूर करने की कोशिश की जा सकती है.

अगर अपने पार्टनर में कोई सकारात्मक बदलाव देखना चाहते हैं तो उस के लिए प्यारमनुहार का सहारा लीजिए, क्योंकि क्रोध और जबरदस्ती रिश्तों की जड़ को सुखाने का काम करते हैं.

लाइफ पार्टनर पर भरोसा जताएं, उसे बताएं कि आप उस की फिक्र करते हैं. इस के लिए छोटेछोटे मौकों पर छोटेछोटे गिफ्ट दे कर अपनी भावनाओं को व्यक्त किया जा सकता है, क्योंकि पार्टनर के लिए आप का प्रयास और भावनाएं अधिक महत्त्वपूर्ण हैं बजाय वस्तु की कीमत के.

याद रखें किसी भी बात को छिपाना या झूठ बोलना किसी भी रिश्ते पर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर देता है. अत: अपने से हुई किसी भी गलती को छिपाने के बजाय ईमानदारी से अपने हमराही को बता दें.

रूठनामनाना हर रिश्ते के लिए संजीवनी का काम करता है. इस रिश्ते में भी इस संजीवनी बूटी को उपयोग में लाएं. हमसफर से रूठें परंतु जल्द ही मान भी जाएं और उसे प्यार से मनाएं भी.

शादी होने के बाद यह न सोचें कि आप के प्यार को मंजिल मिल गई. अब आप को उस के लिए कुछ करने की जरूरत नहीं,

बल्कि शादी तो सिर्फ एक पड़ाव है पूरी जीवनयात्रा जीवनसाथी के साथ तय करनी बाकी है. अत: अपने साथी को खुश करने हेतु प्रयास जारी रखें.

एकदूसरे के रिश्तेदारों को ले कर टकराहट का माहौल न बनने दें. अपनेअपने घर वालों को सही साबित करने की फिराक में न लगें.

खुद को दूसरे से बेहतर साबित करने करने वाली किसी होड़ का हिस्सा न बनें, बल्कि जीवनसाथी के मन व भावनाओं का सम्मान करें. सौरी, प्लीज, थैंक्यू जैसे छोटेछोटे शब्द जीवनसाथी के जीवन में आप की गरिमा निश्चित रूप से बढ़ा देते हैं.

छोटीछोटी बातों को नजरअंदाज करना सीखें. पार्टनर पर बेवजह शक कर के उसे शर्मिंदा न करें. याद रखें 2 दिलों के इस पवित्र बंधन में अहं व वहम का कोई स्थान नहीं होना चाहिए.

शादी के बाद हुए बदलावों को हौआ समझ कर बवाल खड़ा न करें, बल्कि हर बदलाव या परिवर्तन को समझें और उसे स्वीकार करें. वक्त व हालात के अनुसार स्वयं को ढालने की कोशिश आप दोनों की जिंदगी को बेहतर मोड़ दे सकती है. एकदूसरे से हुई छोटीमोटी गलतियों को माफ करते चलें, मुसकरा कर.

खुश रहने के ये 19 हैल्दी और मस्त फंडे आप भी जानिए

हर किसी के जीवन में समस्याएं होती हैं. अगर आप उन से उबर गए तो आप की लाइफ हैप्पी वरना टैंशन ही टैंशन. आप को अपनी लाइफ को हैप्पी व हैल्दी बनाने के लिए वजह ढूंढ़नी पड़ेंगी. जिंदगी में खुश रहना चाहते हैं तो आप को यह करना पड़ेगा :

1. अच्छा खाना खाएं : जरूरी नहीं है कि आप ऐसा पौष्टिक व स्वस्थ भोजन करें जो आप को पसंद न हो, लेकिन ऐसा कुछ खाएं जो पौष्टिकता व स्वाद दोनों में अच्छा हो. अपने लिए अच्छा खाना तैयार कर के उस खाने का मजा उठाएं.

2. व्यायाम जरूर करें : दिन में वक्त निकाल कर 10 मिनट तक व्यायाम करें. यह आप के शरीर में कोई बहुत बड़ा बदलाव तो नहीं लाएगा लेकिन इस से आप को बेहतर होने का एहसास होगा. दरअसल, कुछ न करने से कुछ करना बेहतर है. थोड़ाथोड़ा अधिक समय व्यायाम करने में लगाएं तो आप का शरीर उक्त व्यायाम को स्वीकार करने लगेगा. इस से आप खुद को पहले से बेहतर महसूस करेंगे और आप को अच्छी नींद आने लगेगी. अगर आप बहुत अधिक वजन उठाते हैं तो व्यायाम करें. यह कुछ अलग होगा और आप को अच्छा भी महसूस होगा. कुछ अलग करना हमेशा ही अच्छा होता है.

3. थोड़ाथोड़ा कर के खाएं : 5 बार खाने की कोशिश करें. बहुत लोग 5 बार से अधिक खाने की सलाह देते हैं. कई लोग 5 बार खाना नहीं खाते हैं. यह जरूरी नहीं है कि आप कितना खाते हैं लेकिन कोशिश यह करें कि आप बारबार खाएं यानी दिन में 5 बार. पढ़ने की क्रिया : जब हम किसी परेशानी या तनाव में होते हैं, तो उस में खुद को खो देना आसान होता है. इस से उबरने का एक अच्छा तरीका है कि अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में थोड़े समय की छुट्टी जरूर लें और अपनी पसंद की किताब या पत्रिकाएं पढ़ें.

4. एडल्ट कलरिंग : यह भी एक अच्छा तरीका है. अपने लिए कलरिंग बुक लाएं और अपने बच्चे के साथ मिल कर कलरिंग करें. इस से आप को बहुत खुशी मिलेगी. थोड़ी सफाई करें : सफाई करना एक बहुत बड़ा काम हो सकता है, पर थोड़ी सी सफाई, जैसे अपने पुराने कपड़े फेंकना, जो किताबें आप नहीं पढ़ते हैं उन्हें किसी चैरिटी शौप में दे देने जैसा काम जरूर करें.

5. चैरिटी में पैसे दें : यह सुनने में बहुत अजीब लगेगा कि मैं क्या दान कर सकती हूं लेकिन कुछ ऐसी चीजें दान में दें जो आप के लिए बहुत महत्त्व रखती हों. गाना सुनें : गाड़ी चलाते समय अपना पसंदीदा गीतों का अलबम या गाना चलाएं. सोचिए यह कितना अच्छा होगा कि जब आप का समय खराब चल रहा हो और एमदम से आप का पसंदीदा गाना आ जाए.

6. वाक करने जाएं : चाहे वैसा भी मौसम क्यों न हो, कोई भी मौसम खराब नहीं होता. अगर बहुत ठंड है तो गरम कपड़े पहनें और अगर बारिश का मौसम हो तो वाटरप्रूफ कपड़े पहनें. अगर मौसम अच्छा न हो तो घर वापस आ कर अपना मनपसंद पेय पिएं. किसी का दिन अच्छा बनाएं : किसी जरूरतमंद की सहायता करें, चाहे वह पैसे से हो या आप के साथ से. कोशिश करें कि जरूरतमंद व्यक्ति की आप भरपूर सहायता कर सकें.

7. आर्ट गैलरी में जाएं : अगर आप को आर्ट का शौक है तो उस को असलियत में देखना बहुत अलग अनुभव होता है. कभीकभी उस के रंग आप को इतना आकर्षित करते हैं कि आप मंत्रमुग्ध हो कर किसी और ही दुनिया में खो जाते हैं.

8. बबल बाथ लें : अगर आप के पास बाथटब है तो बहुत सारे बबल्स, कैंडल्स और हलके कुनकुने पानी में अच्छा सा बाथ लें. यह आप को रीफ्रैश करेगा. बाथटब न हो तो थोड़ा ज्यादा देर तक पानी के नीचे बैठ कर उस का आनंद लें.

9. आदत को बदलें : अगर आप खाना खाते समय एक ही जगह पर बैठते हैं तो जगह बदल दें. बदलाव अच्छा होता है.

10. कुछ लोगों से बात करना बंद करें : अगर आप का दोस्त उतना खास नहीं रहा तो अब समय आ गया है कि आप उन से दूर हो जाएं. अगर आप चाहते हैं तो आप उसे सोशल मीडिया पर म्यूट कर दें. आप को ऐसे लोगों की अपनी जिंदगी में जरूरत नहीं जिन से आप को और दुख महसूस होता हो. लुक्स के ऊपर समय दें : उम्रदराज हैं, व्यस्क बच्चों के मातापिता हैं तो मेकअप का इस्तेमाल करें जो आप की पसंद हो. स्मार्ट बनना पागलपन नहीं होता, बल्कि ऐसा करने से आप को बहुत अच्छा लगेगा. घर से बाहर जाने से पहले अपने को शीशे में जरूर देखें.

11. छुट्टी प्लान करें : काम से फुरसत लें. थोड़े समय के लिए छुट्टी पर जाएं, अपनी पसंद का स्थान चुनें और कुछ समय अपनों के साथ बिताएं.

12. पिकनिक पर जाएं : गरमी में किसी गार्डन में पिकनिक मनाने जाएं तो चादर या दरी बिछा कर बैठें. ताजी हवा मूड को भी ताजा कर देगी.

13. एक्टिविटीज सोचें : हर रोज दिन के अंत में 3 ऐसी चीजों के बारे में सोचें जो अच्छी हों, अच्छी तरह से उन को याद करें और खुद को बधाई दें. यह चाहे छोटी हों या बड़ी, इस से फर्क नहीं पड़ता. बस, अच्छे समय और अच्छी बातों को याद करें.

14. अच्छे टीवी शो देखें : अपने मनपसंद टीवी शो को रिकौर्ड करें और समय मिलने पर उसे अकेले में सोफे पर बैठ कर या चाय, कौफी पीते वक्त देखें.

15. दोस्त से मिलें : अपने किसी दोस्त से मिलें और उस के साथ बैठ कर चाय, कौफी पिएं. काम से ब्रेक लें : काम करते समय ब्रेक लें. अपनी डैस्क पर ब्रेक लेना बंद करें, अच्छी तरह से ब्रेक लें.

16. दिन की शुरुआत मुसकराहट से : अपने दिन की शुरुआत स्माइल से करें. आप के लिए यह खास नाश्ता है.

17. कविता लिखें : जब भी आप तनाव में हों या कुछ ऐसी भावनाएं जिन्हें आप निकालना चाहते हों तो कविताएं लिखें. ऐसा करने से आप बहुत शांत महसूस करेंगे. अगर आप लिख नहीं सकते तो किसी और की लिखी कविता पढ़ें.

18. कुछ अलग सौंग सुनें : आस्ट्रेलियन फिल्म डाइरैक्टर बाज लुहरमैन का ‘ऐवरीबौडिज फ्री टू वियर सनस्क्रीन’ गाना सुनें. अगर आप ने कभी पहले यह गाना नहीं सुना तो जरूर इस गाने को सुनें नहीं तो अपनी पसंद का गाना सुनें. कुछ इस तरह एंजौय करें : कुछ ऐसा करें जो आप को पसंद हो. ऐसी कौन सी चीज है जो आप बचपन में पसंद करते थे, क्यों न उस काम को दोबारा शुरू करें. ऐसा करने से आप का तनाव कम होगा.

19.  किसी की मदद लें : किसी की मदद लें. जब चीजें कठिन होती हैं तो आप अकसर किसी से मदद मांगना भूल जाते हैं. अधिकतर लोग आप की मदद करने से मना नहीं करेंगे और हो सकता है कि बहुत से लोगों को यह पता ही नहीं चले कि आप को किसी की जरूरत है. लेकिन कोई भी आप की मदद करने से इनकार नहीं करेगा. ऐसा करने से अप महसूस करेंगे कि आप के ऊपर से तनाव कितना कम हो गया.

अब आप को पता चल गया होगा कि जिंदगी में कैसे खुश रहें. इन सब बातों को जीवन में शामिल करने, व्यवहार में लाने में शुरू में परेशानी हो सकती है, परंतु कुछ समय बाद आप महसूस करेंगे कि आप बहुत खुशी से जीवन जी रहे हैं.

छोटी उम्र में बेटे के प्यार से करियर में क्या परेशानी आएंगी?

सवाल-

मैं अपने 15 वर्षीय बेटे को ले कर परेशान हूं. वह 10वीं कक्षा में पढ़ता है. मैं ने कुछ दिनों से नोटिस किया है कि वह अपने साथ ट्यूशन क्लास में पढ़ने वाली लड़की में खासी दिलचस्पी लेने लगा है. मुझ से भी उस की तारीफ करता है और फोन पर भी अकसर उस से बातें करता है. कहीं वह उस लड़की से प्यार तो नहीं करने लगा है? यदि वह इतनी छोटी उम्र में प्यारमुहब्बत के फेर में पड़ गया तो उस का कैरियर चौपट हो जाएगा. क्या करूं कि वह उस से दूर हो जाए?

जवाब-

आप का बेटा किशोरावस्था में है. इस उम्र में अपोजिट सैक्स की ओर इस प्रकार का आकर्षण स्वाभाविक है. यह प्यार नहीं, महज यौनाकर्षण है. यह जिस तेजी से किशोरों के दिलोदिमाग पर चढ़ता है. उसी वेग से उतर भी जाता है. आप का बेटा आप से अपनी बातें शेयर करता है, यह अच्छी बात है इस से वह भटकेगा नहीं. आप उसे उस लड़की से मिलने या बात करने से न रोकें. उसे बस समयसमय पर पढ़ाई के प्रति सचेत करती रहें. उसे समझाती रहें कि परीक्षा परिणाम अच्छा आने पर ही वह मनचाहा कैरियर चुन सकता है. वह आप की दोस्ताना सलाह को जरूर सुनेगा. वैसे भी आज की पीढ़ी के बच्चे अपने कैरियर के प्रति काफी सजग हैं. अत: आप बेवजह परेशान न हों.

ये भी पढ़ें- 

अलार्मकी आवाज से गीत की नींद खुल गई. कल की ड्रिंक का हैंगओवर था, इसलिए सिर भारी था. उन्होंने ग्रीन टी बना कर पी और फिर मौर्निंग वाक के लिए चली गईं. सुबह की ठंडी हवा और कुछ लोगों से हायहैलो कर के ताजगी आ जाएगी. फिर तो वही रोज का रूटीन कालेज, लैक्चर बस…

कल से नैना उन की सहेली उन के मनमस्तिष्क से हट ही नहीं रही थी. उन की कहानियों की आलोचना करतेकरते कैसे अपना आपा खो बैठती थी.

‘‘गीत, तुम्हारी कहानी की नायिका पुरुष के बिना अधूरी क्यों रहती है?’’

‘‘नैना, मेरे विचार से स्त्रीपुरुष दोनों एकदूसरे के पूरक हैं. एकदूसरे के बिना अधूरे हैं.’’

वह नाराज हो कर बोली, ‘‘नहीं गीत, मैं नहीं मानती. स्त्री अपनी इच्छाशक्ति से आकाश को भी छू सकती है. सफल होने के लिए दृढ़इच्छा जरूरी है.’’

बड़ीबड़ी बातें करने वाली नैना पति का अवलंबन पाते ही सबकुछ भूल गई और पिया का घर प्यारा लगे कहती हुई चली गई.

नैना के निर्णय से गीत का मन खुश था. वे मन ही मन मुसकरा उठीं और फिर वहीं बैंच पर बैठ गईं. बच्चों को स्कैटिंग करता देखना उन्हें अच्छा लग रहा था. वे बच्चों में खोई हुई थीं, तभी बैंच पर एक आकर्षक युवक आ कर बैठ गया. उन्होंने उस की ओर देखा तो वह जोर से मुसकराया. उस की उम्र 30-32 साल होगी.

वह मुसकराते हुए बोला, ‘‘माई सैल्फ प्रत्यूष.’’

‘‘माई सैल्फ गीत.’’

‘‘वेरी म्यूजिकल नेम.’’

‘‘थैंक्यू.’’

उस का चेहरा और पर्सनैलिटी देख गीत चौंक उठी थीं, जिस पीयूष की यादों को वे अपने मन की स्लेट से धोपोंछ कर साफ कर चुकी थीं, उस व्यक्ति ने आज उन यादों को पुनर्जीवित कर दिया था.

पूरी कहानी पढ़ने के लिए- छठी इंद्रिय- छोटी उम्र के प्रत्यूष के साथ गीत के रिश्ते की कहानी

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

पैसा और रिश्ते: ऐसे बैठाएं तालमेल

एक पुरानी लोकोवित है ‘जब गरीबी दरवाजे पर आती है तो प्यार खिड़की से कूद कर भाग जाता है.’ वाकई कहने वाले ने सच ही कहा है. रिश्ते में समर्पण, श्रद्धा, ईमानदारी प्यार की वजह से होती है. पर यह प्यार पैसों के अभाव में खत्म हो जाता है. एक समय ऐसा था जब संबंध और उस की संवेदनशीलता ही महत्त्वपूर्ण मानी जाती थी.

रिश्ते बनते ही पैसों के तराजू में तोलने के बाद, संबंध बनाने की कोशिश शुरू करने से पहले उन में एकदूसरे के स्टेटस सिंबल को पहले आंका जाता है. यहां तक कि अपने रिश्तेदारों से भी भविष्य में संबंध बनाए रखने के लिए दोनों के आर्थिक स्तर को पहले तोला जाता है.

जिंदगी जीने के लिए जरूरत और सुविधा की चीजों को समेटने में पैसा ही काम आता है. सारी चीजों का मूल्य इसी पैसे के बदले तोला जाता है. वक्त के साथसाथ व्यक्ति के मूल्य को भी पैसे से ही आंका जाता है. जाहिर है संबंधों के फैले हुए तानेबाने भी इसी के इर्दगिर्द घूमने लगे.

यह जान कर भी कि जीवन जीने के लिए रोटी, कपड़ा और मकान के अलावा आसपास सुखद संबंध और उन का एहसास भी बहुत जरूरी होता है. अच्छे रिश्ते न केवल हमें हरदम भीतर से भरापूरा एहसास कराते हैं, साथ ही वक्तबेवक्त हमारी मदद भी करते हैं. यह अलग बात है कि रिश्तों में भी कैलकुलेशन होना नैचुरल है.

लोग पहले ही उन में एकदूसरे के लेनदेन का अनुमान लगा लेते हैं. तत्पश्चात यह निर्णय करते हैं कि किस रिश्ते को किस ढांचे में ढालना है. यह रिश्ता आसपास की कई सारी चीजों से प्रभावित होता है. इन में आर्थिक स्थिति प्राथमिक और अहम होती है.

डिपैैंडैंट रिलेशनशिप

इस बारे में चार्टड अकाउटैंट वर्षा कुमारी का मानना है कि हर रिश्ते को अच्छी तरह से बनाने के लिए पैसा अहम भूमिका निभाता है. माना कि रिश्तों के बनने और उन के स्वामित्व के लिए उन में प्यार, लगाव पर्सनैलिटी के तत्त्व समावेश होते हैं, लेकिन पैसे के बिना यह संबंध भी ज्यादा दिनों तक चलता.

प्यार को जाहिर करने, बनाए रखने के लिए पैसों की जरूरत तो पड़ती ही है.

फैशन डिजाइनर पूनम गुलाटी का कहना है कि हमारे जीवन में सब से करीबी रिश्ता पतिपत्नी का होता है. शादी के बाद कुछ समय तक मैं ने काम करना छोड़ दिया था. 3 साल बाद जब मैं ने बाहर काम करना शुरू किया तो अब मेरे व्यवहार को मेरे पति दूसरे ही तरीके से लेने लगे. मतलब मेरी हर बात पर वे यह कहने से नहीं चूकते कि अरे, अब तो तुम कमाने वाली हो गई हो, जबकि पहले मेरी उन बातों को मेरा भोलापन समझ जाता था.

बाकी रिश्तों से ऐसी प्रतिक्रिया तो मैं बरदाश्त कर लेती हूं पर अपने पति से ऐसा सुन कर मुझे वाकई दुख होता है. इस पैसे ने सारे संबंधों को ही बदल दिया है.

बाजारवाद का प्रभाव

समय के साथसाथ उपभोक्तावाद की वजह से भी पैसों का महत्त्व बढ़ता जा रहा है, साथ ही दूसरी चीजों का मूल्य घट गया है. आधुनिक समाज की सारी चकाचौंध पैसों पर ही टिक गई है. हमारे आसपास चलने वाले सारे मानसम्मान और संबंध पैसे के पैमाने से नापे जाने लगे. वहीं विज्ञापन भी लोगों की भावनाओं को भड़काता है. एक विज्ञापन कुछ साल पहले चला था टीवी में जिस में एक छोटा बच्चा घर से भाग कर रेलवे स्टेशन पर पहुंच जाता है. वहां पर गरमगरम जलेबियों को देख कर उन के लालच में वापस घर लौट आता है.

यानी अभी से उस मासूम के दिलोदिमाग में यह बात बैठा दी गई है कि उस से जुड़े रिश्ते वापस घर नहीं बुलाते वरन वे जलेबियां ही उस के भीतर लालच पैदा करती हैं और वही रिश्तों को बनाए रखती हैं. अब जलेबियां नहीं पिज्जा, बर्गर और आईफोन का दौर है. फर्क इतना ही है.

अकसर देखने में आता है कि पत्नियां अपने पति से कहती हैं कि लगता है तुम मुझे प्यार नहीं करते. तभी काफी दिनों से मेरे लिए कोई गिफ्ट नहीं लाए अर्थात पतिपत्नी के प्रेम के बीच भौतिक चीजें जरूरी हैं.

मगर इन सारी स्थितियों से संबंधों में विसंगतियां आ गई हैं. पैसों की अधिकता या अभाव से संबंध कटने और बंटने लगे हैं. परिणामस्वरूप हमारे समाज में अकेलेपन से ग्रस्त एक बड़ा वर्ग विकसित हो रहा है.

भावनात्मक  रुख

शिक्षिका रश्मि सहाय का इस बारे में विचार कुछ भिन्न है. वे कहती हैं कि माना कि आज रिश्तों के बीच पैसा बहुत बुरी तरह से आ गया है, पर व्यक्तिगत रूप से मैं अपने रिश्तों के बीच पैसा नहीं आने देती हूं. यह महज मेरी भावुकता भी कही जा सकती है. मगर मेरा मानना है कि जब रिश्तों में हिसाबकिताब आने लगता है तो वे बोझ बनने लगते हैं.

अत: मेरी कोशिश यही रहती है कि पैसा बीच में न आए और यदि आता भी है तो मैं उसे प्राथमिकता नहीं देती हूं. हां, कई बार मुझे इस की वजह से फाइनैंशियल लौस भी सहना पड़ा है, पर हमारी जिंदगी भूरीपूरी भी तो इन्हीं संबंधों की वजह से है. भले आप इसे मेरा ओवर इमोशनल कहें या आप मुझे प्रैक्टिकल न कहें.

कैसी हो डार्लिंग कह कर तो देखें

‘‘हाय डार्लिंग कैसी हो? क्या कर रही हो?’’ अगर रोज शाम को अपनी पत्नी से ऐसा कहें तो पतिपत्नी के बीच कोई कलह न होगी. अरे भई यह हम ने नहीं, पिछले दिनों खरगौन मध्य प्रदेश के एक कोर्ट ने एक शादीशुदा जोड़े के बीच हो रही रोजरोज की कलह को सुलझाने के लिए फैसला देते हुए ऐसा कहा. यकीन मानिए कोर्ट के इस अनूठे फैसले के बाद शादीशुदा जोड़े के बीच की कलह खत्म हो गई और दोनों फिर से एक हो गए.

पतिपत्नी का रिश्ता बहुत ही खास होता है. शुरुआती दौर में तो सब अच्छा होता है, दोनों के बीच प्यारमनुहार सब होता है, लेकिन समय बीतने के साथ जीवन की आपाधापी और जिम्मेदारियों के बीच रिश्ते का नयापन खोने लगता है. जिंदगी भर साथ निभाने का वादा न जाने कहां खो जाता है. इस रिश्ते में नयापन, प्यार और विश्वास ताउम्र बना रहे, इस के लिए करने होंगे कुछ छोटेछछोटे प्रयत्न, जो इस रिश्ते की उम्र को बढ़ाएंगे.

1. छोटी छोटी बातों में बड़ी बड़ी खुशियां

कहते हैं खुशियां हमारे आसपास ही होती हैं. बस उन्हें ढूंढ़ने की जरूरत होती है, इसलिए पतिपत्नी दोनों को ही जीवन के हर पल में ढूंढ़नी होंगी खुशियां. ज्यादातर देखने में यही आता है कि 2 लोगों के बीच प्यार तो बड़ी आसानी से हो जाता है, लेकिन उस प्यार को निभाना बहुत मुश्किल होता है. बहुत से लोग इस तरह के संबंधों में रूटीन लाइफ जीने लगते हैं और उन की जिंदगी से प्यार और रोमानियत कहीं खो सी जाती है. अगर आप हैप्पी मैरिड लाइफ जीना चाहते हैं, तो यह कुछ ज्यादा मुश्किल नहीं है. इस के लिए बस आप को कुछ बातों का खयाल रखना होगा. पतिपत्नी का रिश्ता एकदूसरे के लिए कई छोटीछोटी चीजें करने से मजबूत होता है. जैसे प्यार से गले लगाना, सराहना करना, उस के लिए कुछ खास करना, उस की तरफ देख कर मुसकराना या सच्चे दिल से यह पूछना कि आज तुम्हारा दिन कैसा रहा? यही छोटीछोटी चीजें शादीशुदा जिंदगी में बड़ीबड़ी खुशियां ला सकती हैं.

2. प्यार वाली झप्पी

शादी में प्यार और खुशियां बनी रहें, इस के लिए उसे हर समय प्यार के खादपानी से सींचते रहना होगा. पतिपत्नी के बीच वह पल सब से खुशनुमा होता है जब वे एकदूसरे को प्यार से गले लगाते हैं या प्यार से सहलाते हैं. उन का एकदूसरे के प्रति यह व्यवहार दर्शाता है कि वे एकदूसरे से कितना प्यार करते हैं. दरअसल, ऐसा करते समय दोनों एकदूसरे के साथ इमोशनली अटैच होते हैं. प्यार की छोटी सी झप्पी पतिपत्नी के रिश्ते में बड़ेबड़े कमाल दिखाती है. मनोवैज्ञानिक मानते हैं कि जब हम झगड़े के दौरान सामने वाले को गले लगाते हैं, तो उस के शरीर से गुस्से को बढ़ाने वाले हारमोन तेजी से कम होने लगते हैं. वह गुस्से को भूल कर आप के प्यार को महसूस करने लगता है यानी आप की प्यार की झप्पी उस के गुस्से को पल भर में दूर कर देती है.

3. दिन की शुरुआत किस औफ लव से

पतिपत्नी दिन की शुरुआत किस औफ लव से कर के अपने डगमगाते रिश्ते में सुधार लाने के साथसाथ अपने प्यार को फिर से जवान बना सकते हैं. एकदूसरे को गले लगाना और किस करना पतिपत्नी के बीच दिन की शुरुआत के सर्वोत्तम तरीकों में से एक है. यह पतिपत्नी के रिश्ते के बीच रोमांस के जनून को बनाए रखता है.

4. खास पलों को रखें याद

पतिपत्नी एकदूसरे की लाइफ से जुड़े खास पलों को याद रखें. एकदूसरे का बर्थडे, ऐनिवर्सरी, पहली मुलाकात, प्रमोशन आदि याद रखें. साथ ही इन खास अवसरों पर एकदूसरे के लिए कुछ खास सरप्राइज भी प्लान करें. यह कोई मुश्किल काम नहीं, लेकिन इन छोटेछोटे कामों से आप अपने लाइफपार्टनर की जिंदगी में अपनी एक खास जगह जरूर बना सकते हैं.

5. कनैक्टिविटी जोड़े दिल के तार

आप कितने ही बिजी क्यों न हों, एकदूसरे को दिन में फोन जरूर करें, मैसेज भेजें. बस यह जानने के लिए कि सब कैसा चल रहा है, लंच किया या नहीं. ऐसी छोटीछोटी बातें पतिपत्नी को एकदूसरे से जोड़ती हैं और एक कामयाब शादी को गुजरते समय के साथ और भी खूबसूरत और मजबूत बनाती हैं. इस के अलावा जब भी खाली समय मिले इस बात पर विचार करें कि क्या आप अपने पार्टनर की सोच और उस की भावनाओं को समझते हैं? कितनी बार उस की तारीफ करते हैं? क्या उस के उन गुणों के बारे में सोचते हैं, जिन्हें देख कर आप उन की तरफ आकर्षित हुए थे और अपना जीवनसाथी बनाने का निर्णय लिया था?

6. प्लीज, सौरी, थैंक्यू से चलाएं जादू

आप मैट्रो में किसी से टकरा जाने पर भी सौरी कह देते हैं. वे लोग जिंदगी में शायद ही दोबारा हमें मिलें. जब हम उन्हें छोटी सी बात पर सौरी बोल देते हैं, तो घर में पति या पत्नी एकदूसरे को इमोशनली हर्ट करने के बाद भी सौरी कहना जरूरी क्यों नहीं समझते? ऐसा हरगिज न करें. गलती होने पर माफी जरूर मांगें. सौरी कहना बुरी बात नहीं है और न ही माफ करना मुश्किल काम है, माफी मांगने से झगड़ा आगे नहीं बढ़ता, इसलिए माफी मांगने में कंजूसी न करें. इसी तरह अगर आप के पार्टनर ने आप के घर व आप के लिए कुछ स्पैशल किया है, तो उसे थैंक्यू जरूर कहें. आप के द्वारा कहा गया थैंक्यू उसे कितनी खुशी देगा, इस का अंदाजा आप नहीं लगा सकते.

7. तारीफ से जीतें दिल

आप के पार्टनर ने कोई नई डिश बनाई, कोई नई ड्रैस पहनी, नया हेयरस्टाइल बनाया तो उस की तारीफ करना न भूलें. यह तारीफ हो सके तो घर वालों, दोस्तों के सामने भी करें. इस से आप के लाइफपार्टनर के दिल में आप के लिए प्यार बढ़ेगा. अगर आप के पार्टनर ने कुछ नया किया है, तो उस की तारीफ जरूर करें.

8. अपशब्दों से रखें दूरी

आपसी बातचीत के दौरान हमेशा शालीनता का ध्यान रखें. कभी अपशब्द या दिल दुखाने वाली बातें न करें. बहस करते समय खुद पर कंट्रोल रखें, क्योंकि झगड़े के दौरान कहे गए अपशब्द दिल को आहत कर देते हैं और रिश्ते में दूरी पैदा करते हैं.

लिव इन रिलेशन: क्या करें जब हो जाए ब्रेकअप

राखी कुछ दिनों से बेहद परेशान दिख रही थी. दफ्तर के काम में भी उस का मन नहीं लग रहा था. वह एक जिम्मेदार पद पर कार्यरत थी. ऐसे में बौस का उस पर झल्लाना लाजिम था. यह सब उस की सहकर्मी नीलिमा से न देखा गया और एक दिन लंच टाइम में उस ने राखी के मन को कुरेदा तो वह फफक उठी, ‘‘नीलिमा, मैं और मिहिर 1 साल से लिव इन रिलेशनशिप में रह रहे थे. मैं ने तो अपने मातापिता को भी मना लिया था शादी के लिए, लेकिन अब वह कह रहा है कि वह इस रिश्ते से ऊब चुका है. उसे स्पेस चाहिए. कुछ हफ्तों से हम एक छत के नीचे रह कर भी अजनबियों की तरह रह रहे हैं. 3 दिन से वह मुझे मिला भी नहीं है. न कौल, न मैसेज. कुछ भी रिप्लाई नहीं कर रहा,’’ और फिर वह फूटफूट कर रोने लगी.

नीलिमा ने राखी को जी भर कर रोने दिया. फिर दफ्तर के बाद उसे अपने घर ले गई. नीलिमा अपने मम्मीपापा और भैयाभाभी के साथ रहती थी. राखी को एक परिवार का भावनात्मक सहारा मिला और अपनी एक सहेली का हौसला, जिस से उस का मनोबल मजबूत हुआ और वह आगे की जिंदगी हंसतेहंसते बिता पाई. राखी जैसी न जाने कितनी लड़कियों को सहजीवन या लिव इन रिलेशनशिप ने अपने मकड़जाल में फंसाया हुआ है, जिस से निकलतेनिकलते वे टूट कर पूरी तरह बिखर जाती हैं और हाथ लगती है सिर्फ हताशा और मानसिक अवसाद. कुछ वर्षों पहले जब सुप्रीम कोर्ट ने लिव इन रिलेशनशिप को कानूनी मान्यता दी थी तब युवावर्ग खुशी से झूम उठा था मानो खुले आसमान के साथसाथ अब उन्हें सुनहरे पंख भी मिल गए हों. मगर अब इस रिश्ते की स्वच्छंदता बहुतों को घायल कर रही है, जिन में महिलाएं, लड़कियां ज्यादा हैं.

नैंसी के साथ तो बहुत ही बुरा हुआ. 6 महीने तक प्रकाश के साथ सहजीवन में रहने के बाद अचानक एक हादसे में प्रकाश की मौत हो गई. किसी तरह वह इस सदमे से खुद को उबारती है तो पता चलता है कि वह मां बनने वाली है और अब गर्भपात की समयसीमा भी निकल चुकी है. ऐसे में वह जीवन से हताश हो कर आत्महत्या जैसा गलत कदम उठा लेती है और पीछे छोड़ जाती है अपना रोताबिलखता परिवार और उन के अनमोल सपने जो कभी उन्होंने नैंसी के लिए देखे थे.

महानगरों में ऐसे कई उदाहरण मिल जाएंगे. अब सवाल यह उठता है कि यदि विवाह संस्था बंधन और लिव इन आजादी है, तो फिर इस आजादी में इतनी तकलीफ क्यों सहन करनी पड़ रही है लड़कियों को? इस का जवाब है समाज की दोयमदर्जे की मानसिकता. भारतीय महिलाओं के लिए संबंधों को तोड़ पाना अभी भी आसान नहीं है. सामाजिक ही नहीं भावनात्मक स्तर पर भी. पुरुष तो ऐसे रिश्तों से अलग हो कर शादी भी कर लेता है और समाज स्वीकार भी लेता है, परंतु वही समाज महिला के चरित्र पर उंगली उठाता है.

ऐसी स्थिति में क्यों न हम कुछ बातों का खयाल रखते हुए एक सुकून भरी जिंदगी जीएं. लिव इन रिश्ते के टूटने पर पलायनवादी होने से अच्छा है कि हम इसे अपना अनुभव समझते हुए सबक लें. यह सच है कि महिलाओं के लिए साथी के साथ को भूलना और जीवन के आगामी संघर्षों से मुकाबला करना आसान नहीं होता. लेकिन जिंदगी रुकने का नहीं, निरंतर चलने का नाम है. बस जरूरत है तो इस रिश्ते से जुड़े कुछ पहलुओं पर गौर करने की ताकि लिव इन रिलेशनशिप से टूट कर न बिखरें. खुद को रखें व्यस्त: यदि आप नौकरी करती हैं, तो आप के लिए खुद को व्यस्त रखना थोड़ा आसान होगा. अपने औफिशियल टारगेट को पूरा करने पर ध्यान केंद्रित करें. हर वक्त यह न सोचती रहें कि अपने पार्टनर को कैसे मनाया जाए क्योंकि आप के पार्टनर ने मानसिक तैयारी के साथ ही आप को छोड़ा है, इसलिए वह तो आने से रहा.

नौकरी न करने वाली लड़कियों को भी चाहिए कि वे ज्यादा से ज्यादा समय परिवार के साथ बिताएं और साथ ही अपने अंदर के किसी हुनर को पहचानते हुए उसे निकालने का प्रयास करें. वे सारे कार्य करें जो कभी आप समय की कमी के कारण नहीं कर पाती थीं. कभीकभी अपनी भावनाओं को डायरी के पन्नों में भी ढालने का प्रयास करें. मन की तकलीफ कुछ कम हो जाएगी.

कुछ तो लोग कहेंगे:

जब आप ने लिव इन रिलेशनशिप में रहने का फैसला किया होगा तब अवश्य ही लोगों की बातों को नजरअंदाज किया होगा. लोग क्या कहेंगे, इस वाक्य को कई बार सिरे से खारिज किया होगा. तो बस अभी वही करते रहिए. शांति से उन की नकारात्मक बातों को अनसुना कीजिए. कभी भी अपनी तरफ से सफाई देने या अपना पक्ष रखने की कोशिश न कीजिए, क्योंकि आप ने कोई अपराध नहीं किया है.

हीनभावना न पनपने दें:

आप केवल दोस्ती के एक रिश्ते से अलग हुए हैं. अत: स्वयं को तलाकशुदा न समझें. आप ने कोई अपराध नहीं किया है. यौन शुचिता के तराजू पर भी खुद को न तौलें. शारीरिक संबंध बनाना एक प्राकृतिक क्रिया है. इसे लेकर अपने मन में हीनभावना न पालें. साथी के साथ बिताए सुखद पलों को ही जीवन में स्थान दें. साथी के प्रति मन में नफरत का भाव न रखें. आमनेसामने होने पर भी दोस्ताना व्यवहार करें और किसी भी प्रकार का ताना या उलाहना न दें. कानून है आप के साथ: यदि आप लंबे समय से लिव इन रिलेशनशिप में रह रहे हैं और आप का बच्चा भी है तो ऐसे में यदि आप का साथी आप को आप की मरजी के खिलाफ छोड़ना चाहता है तो आप कानून का सहारा ले सकती हैं. सुप्रीम कोर्ट ने 2010 में यह फैसला सुनाया है कि लिव इन के कारण पैदा हुए बच्चे नाजायज नहीं कहे जाएंगे. आप सीआरपीसी की धारा 125 के तहत बच्चे के गुजाराभत्ते के लिए अर्जी दाखिल कर सकती हैं, क्योंकि अधिक समय तक लिव इन रिश्ते में रहने के कारण आप को कानूनन पत्नी का दर्जा मिलता है.

साथी के द्वारा मारपीट या जबरदस्ती करने पर भी आप न्यायालय से घरेलू हिंसा कानून के तहत इंसाफ एवं गुजाराभत्ते की मांग कर सकती हैं या हिंदू अडौप्शन ऐंड मैंटनैंस एक्ट की धारा 18 के तहत भी अर्जी दाखिल कर सकती हैं. न छिपाएं होने वाले जीवनसाथी से: टूटे रिश्ते के गम से बाहर निकलने के लिए शादी एक बेहतर विकल्प है, पर इतना याद रखें कि शादी

से पहले आप अपने भावी जीवनसाथी को अपने लिव इन रिलेशनशिप के बारे में अवश्य बताएं, साथ ही उन्हें यह आश्वस्त करें कि आप अपने पुराने रिश्ते को नए रिश्ते पर कभी हावी नहीं होने देंगी.

पुरुष भी दें ध्यान:

यह सही है कि सहजीवन से अलग होने का परिणाम सब से ज्यादा लड़कियों को ही भुगतना पड़ता है, परंतु कुछ समय संवेदनशील पुरुष भी प्रभावित होते हैं, इस बात को नकारा नहीं जा सकता. जयंत की पार्टनर ने उसे छोड़ने के बाद उस के खिलाफ शादी का झांसा दे कर बलात्कार करने का इलजाम लगा दिया था. काफी मुश्किलें झेलने के बाद वह इस से छुटकारा पा सका.

ऐसे पुरुषों के लिए ही दिल्ली हाईकोर्ट ने ऐसे मामलों में पुलिस को बलात्कार के बजाय विश्वास भंग (क्रिमिनल ब्रीच औफ ट्रस्ट)का मुकदमा दर्ज कर जांच करने का आदेश दिया है, ताकि पुरुषों को भी न्याय मिल सके.

ये 6 बातें लड़कियां पार्टनर को कभी नहीं बताती

कई बार हमारे साथ होता है या फिर हम इस बात पर विश्वास करते है कि हमारा पार्टनर हमें हर चीज बता देता हैं. हम उस पर आंख बंद करके विश्वास करते है. लेकिन आप जानते है कि आपकी पार्टनर आपसे कई बातें छिपाती है.

जिनके बारे में वह हर संभव कोशिश करती है कि आपको पता न चले. लेकिन हम आपको कुछ ऐसी बातों के बारे में बता रहे है जो हमेशा लड़कियां अपने पार्टनर से छिपाती है. इसमें लिए सोशल मीडिया में एक सर्वे किया गया जिसमें ये सामने आई कि आखिर लड़किया क्या चीज अपने पार्टनर से छिपाती है. जानिए

1. लड़कियां कभी भी अपने पिछले अफेयर्स के बारें में नहीं बताती है. चाह कुछ भी हो. अगर बताती है तो आधी अधूरी बात. अगर आपके साथ भी ऐसा है तो आप उससे कतई उसके पिछली लाइफ के बारे में न पूछे.

2. लड़किया कभी भी अपने को कमजोर नहीं महसूस होने देती है. जैसे कि वह कभी भी नहीं बता सकती है कि उन्हे काक्रोच से तो डर लगता है लेकिन पार्लर जाकर वैक्स कराने में बिल्कुल नहीं लगता है.

3. कई बार जब आप उनकी फैमली के बारे में पूछते है तो वह बढ़ा चढ़ाकर बताती है. कभी भी वह अपनी फैमली के बारे में नकारात्मक चीजें नहीं बोलते है. वह अपने माता-पिता के प्यार, भाई के प्रति आकर्षण वह सब सच नहीं बोलती. एक सर्वे में यह बात सामने आभ कि कोई भी लड़की अपने पार्टनर से अपने परिवार के बारे में सबी चीजें सही नहीं बोलती है.

4. आपने कभी इस बात पर ध्यान दिया है कि जब आप अपनी पार्टनर से उसकी सुंदरता के बारें में पूछते है, तो वह गोल-गोल बाते बना दती है. या फिर हंस के टाल देती है. वह कभी आपके सामने जाहिर नहीं होने देगी कि आखिर वह इतनी सुंदर कैसे है. मेकअप के द्वारा या फिर नेचुरल.

5. कभी भी आपकी पार्टनर अपने गुजरे हुए पल बहुत छिपा कर रखती है. अगर आप उनसे पूछेगे कि आपसे रिश्ते में आने के बाद वह पहले की जिंदगी के बारें में क्या महसूस करती है. तो वह यह बात कभी नहीं बताना चाहती है.

6. लड़किया ऐसी होती है जो अपने पार्टनर से हर बात शेयर नहीं करना चाहती. और बात दोस्तों की हो तो फिर बिल्कुल भी नहीं. इस बारे में उन्हें लगता है कि उनके रिश्ते से उनके दोस्तों से संबंधो के बारें में कुछ लेना देना नहीं है.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें