सैक्स लाइफ का रीचार्ज है जरूरी

मायके आई अपनी ननद अभिलाषा का लटका चेहरा देख उस की भाभी ने पूछ ही लिया, ‘‘कुछ प्रौब्लम है क्या पवन के साथ?’’ अभिलाषा कुछ नहीं बोली. मगर अनुभवी भाभी ने जरा सा कुरेदा, उस की पलकें भीग गईं. अभिलाषा खुद को रोक नहीं पाई. फिर उस ने वही बताया जिस का भाभी को शक था. अभिलाषा बोली, ‘‘अभी तो शादी को 2 ही साल हुए हैं… पवन को मेरे में जैसे कोई दिलचस्पी ही नहीं…बस कभी इच्छा हुई, तो मशीनी तरीके से सब निबटा कर सो जाता है… न रोमांस, न हंसीठिठोली.’’

पत्नियों की यह आम शिकायत है कि शादी के 2-3 साल तक तो पति उन पर डोरे डालते रहते हैं, लेकिन बाद में उन में दिलचस्पी लेना बंद कर देते हैं. ऐसे में पत्नियां खुद को उपेक्षित सा महसूस करने लगती हैं.

अलगअलग शिकायतें

सैकड़ों दंपतियों पर किए गए अध्ययन में पत्नियों की इस शिकायत की पुष्टि भी हुई है. अध्ययन के नतीजे बताते हैं कि हनीमून फेज, जोकि इस अध्ययन के मुताबिक 3 साल 6 महीने का होता है, के समाप्त होते ही पति और पत्नी दोनों ही एकदूसरे को लुभाने की कोशिश छोड़ देते हैं. दोनों ही आकर्षक दिखने, एकदूसरे का खयाल रखने की अतिरिक्त कोशिशें छोड़ देते हैं. प्यार को नौर्मल बात समझते हैं. एक ओर पत्नियां शिकायत करती हैं कि पति उन्हें पहले की तरह प्यार नहीं करते और उन के साथ सैक्स में भी ज्यादा दिलचस्पी नहीं लेते, तो दूसरी ओर पति भी ऐसी ही शिकायत करते हैं.

उन का मानना है कि पत्नियां भी शादी के बाद एकाध साल तो बड़ा ध्यान रखती हैं, मृदुभाषी रहती हैं, अपनी साजसज्जा, पहनावे पर खूब ध्यान देती हैं, छेड़छाड़ और ठिठोली वाली हरकतें करती हैं, लेकिन बाद में गंभीरता का लबादा ओढ़ लेती हैं. बातबात में मुंह फुलाती हैं. हर वक्त थकान, बीमारी, व्यस्तता के बहाने बनाती हैं. सैक्स में भी सहयोग न कर आनाकानी करती हैं. पतियों की इस शिकायत को हलके में नहीं लिया जा सकता. अभिलाषा जैसी पत्नियों को समझना होगा कि हमेशा पति ही पत्नी में दिलचस्पी क्यों ले? पति ही सैक्स के लिए मनुहार या पहल क्यों करें? पति पत्नी से ऐक्टिव होने की उम्मीद क्यों न करें?

अगर आप अपने सैक्स संबंधों में पहले जैसी ऊष्मा बरकरार रखना चाहती हैं, तो गौर फरमाएं इन टिप्स पर:

खुद को करें पैंपर:

याद है पहले आप अपनी आईब्रोज, नेल्स, लिप्स, अंडरआर्म्स, पीठ, स्किन, बालों और चेहरे का कितना ध्यान रखती थीं. हर सुबह कपड़े पहनने से पहले उन के चयन में कितनी देर लगाती थीं और अब लाल ब्लाउज के साथ हरी साड़ी, लिप्स पर जमी पपड़ी, अंडरआर्म्स से पसीने की बदबू और बिकिनी एरिया से हेयर रिमूव करने की फुरसत तक नहीं.

जरा सोच कर देखिए कमर पर जमी चरबी, पेट का तोंद बन जाना क्या सारी गलती पति की ही है? नहीं न? फिर देर किस बात की है. पैडीक्योर, मैनीक्योर, स्पा, फेशियल ये सब कब काम आएंगे? जिम, ऐक्सरसाइज आदि से खुद को फिर से तराशिए, हंसिए, मुसकराइए फिर देखिए कमाल.

लौंजरी मेकओवर है जरूरी:

सैक्स लाइफ में बोरियत की सब से बड़ी वजह होती है आकर्षण में कमी. कई पत्नियां तो शादी के 2-4 साल बाद पैंटी तक पहनना छोड़ देती हैं. कुछ पहनती भी हैं, तो घिसीपिटी, बेरंग हो चुकी या मैली सी, जिसे देख कर शायद उबकाई भी आ जाए.

ऐसी पत्नियों की सोच यह होती है कि इसे कौन देखेगा. वे भूल क्यों जाती हैं कि जिसे दिखानी है उसी को तो इंप्रैस करना है. रोमांस में सराबोर हसबैंड जब आप पर लट्टू हो कर आगे बढ़ता है और अंतर्वस्त्रों की ऐसी हालत देखता है, तो यकीन मानिए उस का आधा रोमांस हवा हो जाता है. बेहतर होगा कि थोड़े से पैसे खर्च कर के कुछ सैक्सी लौंजरी ले आएं. इस मेकओवर का क्या फर्क पड़ता है, यह फिर आप को अपनेआप समझ में आ जाएगा.

रोमांस का दें चांस:

रोज वही बैडरूम, वही माहौल… इस एकरसता से सैक्स भी बोरिंग होने लगता है. पति के साथ साल में 1-2 बार घूमनेफिरने जाएं. कारोबारी व्यस्तता या बच्चों की पढ़ाई आदि की वजह से बाहर जाना संभव न हो तो शहर में ही वीकैंड पर घूमने जाएं. पार्क में घूमने जाएं, मल्टीप्लैक्स में मूवी देखने या किसी शौपिंग मौल में विंडो शौपिंग करने जाएं तो जरा सी फ्लर्टी बन जाएं. आप का पति से चुहलबाजी करना, छेड़छाड़ और रोमांटिक इशारेबाजी करना पति को उत्तेजित करने के साथसाथ आप के आमंत्रण का इशारा भी देगा. फिर देखिए पति खुद पर नियंत्रण खो कर कैसे आप की बाहों में आने को बेताब हो उठेगा.

गैजेट्स से गुदगुदाएं:

आजकल मोबाइल फोन या टैब बड़े काम के साबित हो रहे हैं.कभी इन का भी फायदा उठा कर देखें. छिप कर पति की किसी खास मुद्रा या बेपरवाह ढंग से बिस्तर पर पड़े हुए की तसवीर ले लें. फिर रात को दिखाएं. पति घर के बाहर हो तो रोमांटिक एसएमएस या वहाट्सऐप पोस्ट भेजें. आप की इन गुदगुदाने वाली हरकतों से पति आप के साथ रोमांस करने के लिए व्याकुल हो जाएगा. रोमांस के क्षणों को जादुई टच देने के लिए बैडरूम में कोई सैक्सी या रोमांटिक गाना धीमी आवाज में लगा दें और फिर एकदूसरे में खो जाएं.

मैं जौब करना चाहती हूं, लेकिन परिवार नहीं मान रहा?

सवाल-

मैं 26 वर्षीय युवती हूं. विवाह को 4 वर्ष हो चुके हैं. एक 3 वर्ष का बेटा है. घर में सासससुर और देवर है. हमारा अपना घर है. पति का अच्छा पैतृक व्यवसाय है, अर्थात आर्थिक रूप से काफी संपन्न हैं. मैं नौकरी करना चाहती हूं, परिवार वाले यही दलील देते हैं. विवाहपूर्व मैं नौकरी करती थी. इन लोगों के कहने पर ही मैं ने नौकरी छोड़ी थी. उसी कंपनी से मुझे फिर औफर आया है पर कोई नहीं मान रहा. मैं सारा दिन चूल्हेचौके में, जहां कोई खास काम मेरे करने लायक नहीं है, नहीं बिताना चाहती.

जवाब-

यदि पति और परिवार वाले आप के नौकरी करने के हक में नहीं हैं तो आप को इस की जिद नहीं करनी चाहिए. घर के कामकाज के साथसाथ आप पति के काम में मदद कर सकती हैं, बच्चे की देखभाल भलीभांति कर सकती हैं और अपनी कोई रुचि विकसित कर सकती हैं, किसी समाजसेवी संस्था में अपनी सेवाएं दे सकती हैं. इन के अलावा और भी कई काम हैं जिन्हें आप अपनी योग्यता और सुविधा के अनुसार घर पर रह कर कर सकती हैं.

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जून का महीना था. सुबह के साढ़े 8 ही बजे थे, परंतु धूप शरीर को चुभने लगी थी. दिल्ली महानगर की सड़कों पर भीड़ का सिलसिला जैसे उमड़ता ही चला आ रहा था. बसें, मोटरें, तिपहिए, स्कूटर सब एकदूसरे के पीछे भागे चले जा रहे थे. आंखों पर काला चश्मा चढ़ाए वान्या तेज कदमों से चली आ रही थी. उसे घर से निकलने में देर हो गई थी. वह मन ही मन आशंकित थी कि कहीं उस की बस न निकल जाए. ‘अब तो मुझे यह बस किसी भी तरह नहीं मिल सकती,’ अपनी आंखों के सामने से गुजरती हुई बस को देख कर वान्या ने एक लंबी सांस खींची. अचानक लाल बत्ती जल उठी और वान्या की बस सड़क की क्रौसिंग पर जा कर रुक गई.

पूरी कहानी पढ़ने के लिए- चक्रव्यूह भेदन : वान्या क्यों सोचती थी कि उसकी नौकरी से घर में बरकत थी

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हैप्पी मैरिड लाइफ के लिए 7 फेरों से पहले लें ये 4 संकल्प

पिछले साल एक समाचार ने लोगों का ध्यान आकृष्ट किया जब बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी ने लालू यादव (अब चारा घोटाले में कैद) के बेटे तेजप्रताप के लिए दुलहन ढूंढ़ने हेतु 3 शर्तें रख डालीं.

पहली शर्त यह कि वे अपनी शादी में दहेज नहीं लेंगे, दूसरी वे अंगदान करने का संकल्प लें और तीसरी यह कि भविष्य में किसी की भी शादी में तोड़फोड़ करने की धमकी नहीं देंगे.

गौरतलब है कि गत वर्ष के आखिर में सुशील मोदी के बेटे उत्कर्ष तथागत की शादी संपन्न हुई थी. दूसरे नेताओं और अन्य नामचीन लोगों के मुकाबले शादी सादगी से निबटाई गई. बिना बैंडबाजे और भोज वाली इस शादी में मेहमानों को ई निमंत्रण कार्ड से आमंत्रित किया गया था. मेहमानों से अपील की गई थी कि वे कोई गिफ्ट या लिफाफा ले कर न आएं. समारोह स्थल पर केवल चाय और पानी के स्टौल लगाए गए थे. यद्यपि तेजप्रताप ने पहले इस शादी में घुस कर तोड़फोड़ की धमकी दी थी पर बाद में उस ने पासा पलटा और दुलहन खोजने की बात कर दी.

तेजप्रताप की दुलहन खोजने हेतु सुशील मोदी द्वारा रखी गई शर्तें काबिलेगौर होने के बावजूद अधूरी हैं. कई और ऐसी महत्त्वपूर्ण बातें भी हैं, जिन के लिए शादी से पूर्व युवा लड़केलड़कियों और उन के परिवार वालों को राजी करवाना जरूरी होना चाहिए.

शादी में फुजूलखर्ची क्यों

हम शादियों में सजावट, बैंडबाजे, डीजे, रीतिरिवाजों और मेहमानों के स्वागतसत्कार में लाखों रुपए खर्च कर देते हैं. कईकई दिनों तक रीतिरिवाज चलते रहते हैं. पंडित और धर्म के तथाकथित ठेकेदारों की चांदी हो जाती है. वे मोटी रकम ऐंठते हैं. सजावट में लाखों रुपए बरबाद कर दिए जाते हैं. मेहमानों को तरहतरह के गिफ्ट दिए जाते हैं और कईकई दिनों तक उन के ठहरने के इंतजाम पर भी काफी रुपए बहा दिए जाते हैं. सीमित आय वाले परिवार बेटी की शादी में अच्छेखासे कर्ज में डूब जाते हैं. जहां तक संपन्न वर्ग, बड़े बिजनैसमैन्स और राजनेताओं का सवाल है, तो उन में दूसरों से बेहतर करने की होड़ लगी रहती है.

बीजेपी के पूर्व नेता जनार्दन रेड्डी (जिन्होंने गैरकानूनी माइनिंग के एक मामले में करीब 40 महीने जेल की सजा काटी) ने अपनी बेटी की शादी में कई सौ करोड़ रुपए खर्च कर दिए.

नवंबर, 2016 में संपन्न इस शादी में 40-50 हजार लोगों को आमंत्रित किया गया था. पांचसितारा होटलों में 1,500 कमरे बुक हुए. हैलिकौप्टर उतरने के लिए 15 हैलीपैड बनाए गए. विवाहस्थल की सुरक्षा हेतु 3 हजार सुरक्षा गार्ड लगाए गए. बौलीवुड के आर्ट डाइरैक्टर्स ने विजयनगर स्टाइल के मंदिरों के कई भव्य सैट तैयार किए. दुलहन ने क्व17 करोड़ की साड़ी पहनी.

खास बात यह थी कि जिस वक्त बैंगलुरु में रेड्डी 5 दिनों तक भव्य समारोह कर रहे थे उस समय देश की आम जनता नोटबंदी की वजह से एटीएम और बैंकों के बाहर लंबीलंबी कतारों से जूझ रही थी.

शादियों में बेहिसाब खर्च किसी एक नेता ने किया हो, ऐसा नहीं है. ज्यादातर नेताओं, अमीर बिजनैसमैन्स व सैलिब्रिटीज के घरों की शादियां यों ही संपन्न होती हैं.

मगर महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले के लासूर में एक व्यापारी ने लोगों के लिए मिसाल कायम की. उन्होंने फुजूलखर्ची करने के बजाए उन रुपयों से गरीबों के लिए घर बनवा दिए.

महाराष्ट्र के अजय भुनोत की बेटी श्रेया की शादी 16 दिसंबर, 2016 को बिजनैसमैन मनोज जैन के बेटे के साथ तय हुई. दोनों परिवार आर्थिक रूप से संपन्न थे पर इस शादी को यादगार बनाने के लिए उन्होंने शोशेबाजी करने के बजाय गरीबों की मदद का मार्ग चुना.

शादी का खर्च बचा कर उन्होंने डेढ़ करोड़ रुपए में 2 एकड़ जमीन पर 90 मकान बनवाए और फिर शादी वाले दिन उन मकानों को आसपास के गरीब परिवारों को तोहफे के रूप में बांट कर अपनी खुशियों में उन्हें भी शरीक कर लिया.

जो लोग आर्थिक रूप से संपन्न हैं वे वाकई इस तरह अपने साथ दूसरों की जिंदगी में भी खुशियां भर सकते हैं. मगर आम जनता जिस के पास बहुत रुपए नहीं वह भी दिखावे के चक्कर में फुजूलखर्ची करने से बाज नहीं आती.

क्यों न इस तरह रुपए बरबाद करने के बजाय उन रुपयों की एफडी बना कर लड़के/लड़की के नाम जमा कर दी जाए जो उन के सुरक्षित भविष्य की वजह बने. जिंदगी में ऊंचनीच होने पर आप की यह समझदारी उन्हें हौसला देगी.

कुंडलियां नहीं हैल्थ रिपोर्ट मिलाएं

शादी में अमूमन लोग कुंडलियों और ग्रहनक्षत्रों का मिलान करते हैं. लड़केलड़की के 36 में से कम से कम 30-32 गुण भी मिल रहे हैं या नहीं, लड़की पर राहू या शनि की दशा तो नहीं चल रही, लड़की मंगली तो नहीं जैसे बेमतलब की बातों में उलझ कर पंडितों की जेबें गरम करते रहते हैं. पंडित अपनी मरजी से ग्रहनक्षत्रों के फेर बता कर लोगों से भरपूर माल लूटते रहते हैं.

पर क्या आप ने सोचा है कि आए दिन बीमारियां, कलह, संतानप्राप्ति में बाधा, तलाक जैसी परेशानियों से जूझ रहे युगल कुंडलियां मिलाने के बावजूद सुखशांति से क्यों नहीं जी पा रहे?

दरअसल, इस की वजह यह है कि हम धर्म के नाम पर ठगने वाले मौलवियों और पंडेपुजारियों के झांसे में तो आ जाते हैं पर स्वस्थ, सुखी और तनावरहित जिंदगी के लिए वास्तव में जो जरूरी है उसे नहीं समझ पाते. शादी के बंधन में बंधने से पहले कुछ मैडिकल टैस्ट आप को और आप के होने वाले बच्चे को कई स्वास्थ्य समस्याओं से बचा सकते हैं.relationship marriage

इस संदर्भ में 3 एच केयर डौट इन की फाउंडर ऐंड सीईओ डा. रूचि गुप्ता ने कुछ जरूरी मैडिकल टैस्ट के बारे में बताया:

आरएच इनकमपैटिबिलिटी (आरएच असंगति): अधिकतर लोग आरएच पौजिटिव होते हैं, लेकिन जनसंख्या का एक छोटा सा हिस्सा (करीब 15%) आरएच नैगेटिव होता है. आरएच फैक्टर लाल रक्त कणिकाओं पर लगा एक प्रोटीन होता है. अगर आप में आरएच फैक्टर है तो आप आरएच पौजिटिव हैं. अगर नहीं है तो आरएच नैगेटिव हैं. वैसे आरएच फैक्टर हमारे सामान्य स्वास्थ्य को प्रभावित नहीं करता है. लेकिन अगर मां और बच्चे का आरएच फैक्टर अलगअलग होगा तो यह मां और बच्चे दोनों के लिए समस्याएं पैदा कर सकता है. यह घातक भी हो सकता है. इसलिए जरूरी है कि शादी से पहले आरएच फैक्टर की जांच करा ली जाए. अलगअलग आरएच फैक्टर्स वालों को आपस में शादी न करने की सलाह दी जाती है.

थैलेसीमिया की जांच: शादी से पहले थैलेसीमिया ट्रेट की जांच भी करा लें. भारत में करीब 6 करोड़ लोगों के थैलेसीमिया ट्रेट हैं. चूंकि इस ट्रेट का उन पर प्रत्यक्ष प्रभाव नहीं पड़ता है, इसलिए अधिकतर लोग इस के बारे में नहीं जानते. यदि वे 2 लोग जिन में थैलेसीमिया ट्रेट है विवाह कर लेते हैं तो उन के बच्चों में खतरनाक थैलेसीमिया मेजर डिसीज होने की आशंका 25% तक होती है. इस की जांच साधारण ब्लड टैस्ट से हो जाती है और यह सुनिश्चित हो जाता है कि आप थैलेसीमिया ट्रेट के वाहक तो नहीं हैं?

एचआईवी ऐंड अदर सैक्सुअल ट्रांसमिटेड डिजीजेज टैस्ट: एचआईवी, हैपेटाइटिस बी और सी ऐसी स्वास्थ्य समस्याएं हैं जो जीवन भर चलती हैं. अगर सही इलाज न हो तो वैवाहिक जीवन तनावपूर्ण हो सकता है. आप को अपने जीवनसाथी के मैडिकल स्टेटस के बारे में शादी से पहले ही पता चल जाएगा तो आप के लिए यह निर्णय लेना आसान होगा कि आप विवाहबंधन में बंधना चाहते हैं या नहीं.

ओवेरियन सिस्ट: अगर लड़की को पेट के निचले हिस्से में दर्द हो या पीरियड्स अनियमित हों तो वह ओवेरियन सिस्ट का टैस्ट जरूर करा ले. अगर सामान्य पेल्विक परीक्षण के दौरान सिस्ट का पता चलता है तो सिस्ट के बारे में डिटेल पता लगाने के लिए एबडोमिनल अल्ट्रासाउंड किया जाता है. सिस्ट की वजह से गर्भधारण में भी कठिनाई आ सकती है.

क्रोनिक डिसऔर्डर टेस्ट: इन जांचों के द्वारा जल्द ही विवाह बंधन में बंधने वाले युगल अपनी स्वास्थ्य समस्याओं को गंभीर होने और अपने वैवाहिक जीवन को तनावपूर्ण होने से बचा सकते हैं.

साइकोलौजिकल टैस्ट: आज के हालात देखते हुए साइकोलौजिकल टैस्ट भी बहुत जरूरी हो गए हैं. इन में सिजोफ्रैनिया, डिप्रैशन, पर्सनैलिटी डिसऔर्डर, बाई पोलर डिसऔर्डर आदि की जांच की जाती है.relationship marriage

कोई राज न हो दरमियां

शादी एक ऐसा बंधन है, जिस में किसी भी तरह के राज या दुरावछिपाव के लिए कोई जगह नहीं होती. 2 व्यक्ति एकदूसरे के पूरक और राजदार बन जाते हैं. मगर जब भी इन के बीच कोई राज सामने आता है तो रिश्तों में कड़वाहट पैदा होनी शुरू हो जाती है. पतिपत्नी के अवैध सबंध, कोई गंभीर बीमारी, शारीरिक अक्षमता या जौब के बारे में दी गई गलत जानकारी इस तरह के विवादों की जड़ बनती है और बात मरनेमारने तक पहुंच जाती है.

क्या यह बेहतर नहीं कि लड़केलड़कियां शादी से पहले ही यह संकल्प ले लें कि वे कभी अपने जीवनसाथी से कोई राज छिपा कर नहीं रखेंगे.

शादी करते वक्त सामान्य रूप से लड़के वाले इस बात का ध्यान जरूर रखते हैं कि जिस परिवार से उन का रिश्ता जुड़ रहा है वह समृद्ध हो, उन की टक्कर का हो. लड़की में किसी तरह का दोष न हो वगैरह.

लड़की भले ही दलित वर्ग की हो, अपंग हो या उस के साथ कोई हादसा हो चुका हो उस के अंदर यदि एक योग्य जीवनसाथी बनने की क्षमता है, जीने का जज्बा है तो क्या वह सहज स्वीकार्य नहीं होनी चाहिए?

दुलहन ढूंढ़ते वक्त क्या लड़के से यह संकल्प नहीं कराना चाहिए कि वह लड़की की फिजीक, सुंदरता, रंग, जाति या आकर्षण देखने के बजाए उस की भीतरी खूबसूरती देखेगा.

सोच मिलनी जरूरी

शादी के बाद अकसर रिश्ते टूटते हैं, क्योंकि पतिपत्नी का नजरिया आपस में नहीं मिलता. शादी से पहले ही एकदूसरे को पूरी तरह समझने और अपने सपनों को डिसकस करने का प्रयास जरूर करें. लड़कों को यह संकल्प दिलाना भी जरूरी है कि वे आने वाले समय में अपनी बीवी के सपनों को भी तरजीह देंगे, पत्नी की भावनाओ को समझेंगे. जब भी मौका मिले पत्नी के कैरियर, सपनों के लिए स्वयं कुरबानी देने से भी हिचकेंगे नहीं. दोनों समान रूप से घरपरिवार और आपसी रिश्तों को संभालने के लिए जिम्मेदार होंगे.

मैं अपनी नाराज दोस्त से दोबारा कैसे मिलूं?

सवाल-

कुछ महीनों पहले एक युवक से इंटरनैट के माध्यम से मेरी दोस्ती हुई. नैट पर चैटिंग के अलावा फोन पर भी हम दिन में कई बार बात करते हैं. अब तक वह मुझे काफी शरीफ और संजीदा युवक लगा पर एक दिन उस ने अचानक मुझे डिनर के लिए एक होटल में आमंत्रित किया तो मैं सन्न रह गई. मैं ने कहा कि दिन में कहीं मिल सकती हूं पर रात में और वह भी किसी होटल में नहीं. मेरे घर वाले इस की इजाजत नहीं देंगे. इस पर उस ने मुझे काफी भलाबुरा कहा कि मैं किस जमाने में जी रही हूं. ऐसी छोटी सोच रखने वाली लड़की से वह दोस्ती नहीं रख सकता वगैरहवगैरह. उस दिन से हमारी बात नहीं हुई है. मुझे उस की बहुत याद आती है. क्या उस की बात मान लूं? 

जवाब-

दोस्ती के बीच किसी प्रकार की शर्त या जिद नहीं आनी चाहिए. यदि आप के दोस्त को आप से मिलना था तो वह अपनी सुविधा को देखते हुए दिन में भी मिल सकता था. यदि वह इतनी सी बात के लिए आप से दोस्ती खत्म कर रहा है तो आप को इस अध्याय को यहीं बंद कर देना चाहिए. उस के आगे झुकने की जरूरत नहीं है. जहां तक उस की याद आने की बात है, तो वह समय के साथ धूमिल पड़ जाएगी.

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सोनिका सुबह औफिस के लिए तैयार हो गई तो मैं ने प्यार से उस के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा, ‘‘बेटी, आराम से नाश्ता कर लो, गुस्सा नहीं करते, मन शांत रखो वरना औफिस में सारा दिन अपना खून जलाती रहोगी. मैनेजर कुछ कहती है तो चुपचाप सुन लिया करो, बहस मत किया करो. वह तुम्हारी सीनियर है. उसे तुम से ज्यादा अनुभव तो होगा ही. क्यों रोज अपना मूड खराब कर के निकलती हो?’’

पूरी कहानी पढ़ने के लिए- जूनियर, सीनियर और सैंडविच: क्यों नाराज थी सोनिका

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निसंतान दंपती बच्चे को कैसे लें गोद, कानूनी प्रक्रिया भी समझें

शादी के बाद हर दंपती की चाहत संतानप्राप्ति की होती है. कुछ दंपती ऐसे होते हैं जिन की यह चाहत पूरी नहीं हो सकती. ऐसे में उन के पास एक विकल्प यह रहता है कि वे किसी बच्चे को गोद ले कर उसे अपने बच्चे के रूप में पालेंपोसें. किसी बच्चे को गोद लेने की एक कानूनी प्रक्रिया है. आइए, जानते हैं इस के विभिन्न पहलुओं को :

गोद लेने की प्रक्रिया के तहत कोई व्यक्ति किसी बच्चे को तभी गोद ले सकता है जबकि उस की अपनी जीवित संतान न हो, फिर भले ही वह संतान लड़का हो या लड़की. हां, किसी भी बच्चे को गोद लेने के लिए पतिपत्नी दोनों की सहमति आवश्यक है. यदि महिला या पुरुष अविवाहित, तलाकशुदा, विधवा है तो उस की अकेले की ही सहमति पर्याप्त है.

वैधानिक कार्यवाही

गोद लेने की प्रक्रिया आसान है. इस के लिए गोद लेने वाले और गोद देने वाले की सहमति ही पर्याप्त है. हां, यदि बच्चा किसी अनाथाश्रम से गोद लेना हो तो कुछ वैधानिक कार्यवाही अवश्य करनी पड़ती है. एक बार यदि आप ने किसी बच्चे को गोद ले लिया तो वैधानिक रूप से आप ही उस के मातापिता माने जाएंगे और पिता के रूप में गोद लेने वाले व्यक्ति का ही नाम मान्य होगा. लेकिन हां, उसे अपने मूल मातापिता और गोद लेने वाले मातापिता दोनों की संपत्ति में अधिकार मिलता है.

किसी भी निसंतान दंपती को बच्चा गोद ले का फैसला जल्दबाजी में नहीं, बल्कि धैर्यपूर्वक सोचसमझ कर लेना चाहिए. किसी भी बच्चे को गोद लेने के फैसले से पूर्व मनोवैज्ञानिक रूप से दंपती को तैयार होना चाहिए, न कि किसी के दबाव में आ कर यह निर्णय लेना चाहिए.

बच्चा गोद लेने से पूर्व दंपती को इस बात पर गंभीरतापूर्वक विचार करना चाहिए कि उन्हें लड़का चाहिए या लड़की? जिस पर दोनों सहमत हों, उसे ही गोद लें.

इस बात पर भी विचार कर लेना जरूरी है कि बच्चा किसी निकट के रिश्तेदार से गोद लेना है या अनाथाश्रम से. यदि आप जाति, धर्म, वंश आदि में विश्वास रखते हैं तो बेहतर होगा कि उसी हिसाब से बच्चे को चुनें. यदि आप अनाथाश्रम से बच्चा गोद लेने का निर्णय लेते हैं तो इस के पीछे लावारिस बच्चे के लिए दयाभाव नहीं होना चाहिए और न ही यह सोचें कि आप किसी अनाथ बच्चे का उद्धार कर रहे हैं.

केंद्र सरकार देश में बच्चों को गोद लेने को बढ़ावा देने के उद्देश्य से उस की प्रक्रिया को ज्यादा आसान बनाएगी, ऐसे संकेत हैं. इस के लिए इंतजार अवधि को एक साल से घटा कर कुछ माह करने तथा अनाथालयों के पंजीकरण को अनिवार्य किए जाने जैसे बड़े सुधार किए जाएंगे.

गोद लेना होगा आसान

भारत में करीब 50 हजार बच्चे अनाथ हैं. हर साल महज 800 से एक हजार बच्चे ही गोद लिए जाते हैं. इसे बढ़ावा देने के लिए महिला और बाल विकास मंत्रालय बड़े सुधार करने की योजना बना रहा है. महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी के अनुसार, ‘सभी अनाथालयों के पंजीकरण को अनिवार्य किया जाएगा और गोद लेने की प्रक्रिया सरल बनाई जाएगी.’

सुधारों का मकसद गोद लेने की प्रक्रिया की बाधाओं और भावी अभिभावकों की शंकाओं को दूर करना है. नए दिशार्निदेशों की रूपरेखा का प्रारूप तैयार किया जा रहा है. इस से गोद लेने के लिए इंतजार की अवधि महज कुछ महीने हो जाएगी. फिलहाल इस में एक साल तक का वक्त लगता है. मंत्रालय इसे किशोर न्याय (बच्चों की देखरेख और संरक्षण) विधेयक में विशेषतौर पर पेश करने की दिशा में काम कर रहा है.

इस विधेयक को केंद्रीय मंत्रिमंडल से मंजूरी  मिलने का इंतजार है. सुधार के तहत फोस्टर केयर (पालनपोषण) व्यवस्था की एक नई शुरुआत करने का विचार है. इस के तहत 6 या 7 साल की उम्र से ज्यादा के बच्चे को लोग बिना गोद लिए अपने घर ले जा सकेंगे. मंत्रालय का कहना है, ‘‘लोग गोद लेना भले नहीं चाहते हों, लेकिन ऐसे लोग हैं जो चाहते हैं कि घर में बच्चे हों और उन्हें स्कूल भेजा जाए. सरकार उन बच्चों का खर्च वहन करेगी.’’

देश में बेटों से ज्यादा बेटियां गोद ली जा रही हैं. सैंट्रल एडौप्शन रिसोर्स अथौरिटी यानी कारा की ताजा रिपोर्ट में यह बात सामने आई है. कारा के मुताबिक, 2014-15 में 2,300 लड़कियां गोद ली गईं. जबकि लड़कों का आंकड़ा 1,688 रहा. यानी लोगों ने बेटों के मुकाबले करीब 36 प्रतिशत ज्यादा बेटियों को चुना. और यह तब है जबकि बेटियों को गोद लेने के कानून ज्यादा सख्त हैं. मसलन, सिंगल फादर है तो बेटी नहीं मिलेगी.

गोद लेने वाले ज्यादातर लोग कहते हैं कि उम्रदराज होने पर बेटियों के साथ रहना ज्यादा सुरक्षित है. बेटे छोड़ देते हैं, पर बेटियां हमेशा साथ देती हैं.

अभिभावक बनी मां

देश में अब मां कानूनीरूप से बच्चे की अभिभावक बनने की अधिकारी हो गई है. महिलाएं अब बच्चे को गोद भी ले सकेंगी. अब तक सिर्फ पुरुषों को ही गोद लेने व संतान का अभिभावक होने का हक था. संसद ने निजी कानून (संशोधन) बिल 2010 पारित किया था. इस के तहत गार्जियंस ऐंड वार्ड्स एक्ट 1890 तथा हिंदू गोद प्रथा तथा मेंटिनैंस कानून 1956 में संशोधन किया गया है. राष्ट्रपति ने निजी कानून (संशोधन) बिल 2010 को मंजूरी दे दी. यह गजट में प्रकाशित हो चुका है.

हिंदू गोद प्रथा तथा मेंटिनैंस कानून 1956 में संशोधन किया गया. यह कानून हिंदू, जैन, बौद्ध व सिख पर प्रभावी होता है. संशोधन का मकसद विवाहित महिलाओं के लिए गोद लेने की राह से बाधाएं हटाना है.

अब तक अविवाहित, तलाकशुदा तथा विधवा महिलाओं को बच्चे को गोद लेने का हक था लेकिन जो महिलाएं अपने पति से अलग रहते हुए तलाक के लिए कानूनी लड़ाई में उलझती थीं, वे किसी बच्चे को गोद नहीं ले सकती थीं. नए संशोधन के बाद पति से अलग रह रही विवाहित महिला को भी अपने पति की रजामंदी से बच्चे को गोद लेने का हक होगा. यह इजाजत तलाक की प्रक्रिया में भी मांगी जा सकती है. यदि पति अपना धर्म बदल लेता है या विक्षिप्त घोषित कर दिया जाए, तो उस की इजाजत जरूरी नहीं होगी.

भारत में हिंदू दत्तक व भरणपोषण अधिनियम लागू किया गया है. यह हिंदुओं के अलावा जैन, सिख और बौद्ध धर्मावलंबियों पर लागू होता है. मुसलिमों में अपनी पुरानी परंपरा के अनुसार गोद लिया जा सकता है जबकि ईसाई व पारसी समुदायों में इस के लिए कोई धार्मिक कानून नहीं है, पर वे भी बच्चे गोद ले सकते हैं.

कौन गोद ले किस को

यदि कोई पुरुष किसी लड़की को गोद ले चाहता है तो उस का उस लड़की से उम्र में 21 साल बड़ा होना आवश्यक है. इसी प्रकार यदि कोई महिला किसी लड़के को गोद लेना चाहती है तो उस का उस लड़के से 21 वर्ष बड़ा होना जरूरी है.

आप उसी बच्चे को गोद ले सकते हैं जो पहले से किसी के यहां गोद न गया हो अथवा जिस का अभी तक विवाह न हुआ हो. आमतौर पर 15 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चे को गोद नहीं लिया जा सकता. हां, यदि उस समाज में ऐसी प्रथा हो तो बात अलग है.

यदि आप अनाथाश्रम के बजाय किसी अन्य माध्यम या रिश्तेदारी से बच्चा गोद लेना चाहते हैं तो उस के मूल पिता की अनुमति आवश्यक है. हां, यदि पिता जीवित न हो, पागल हो या विधर्मी हो तो अकेली मां की अनुमति चल सकती है. यदि मांबाप दोनों मर गए हों या बच्चे को लावारिस हालत में छोड़ गए हों तो अदालती कार्यवाही के माध्यम से बच्चा गोद ले सकते हैं.

पति के अफेयर को कैसे सहन करुं, कोई तरीका बताएं?

सवाल-

मैं 25 वर्षीय विवाहिता हूं. विवाह को 5 साल हुए हैं. एक 3 वर्ष की बेटी है. कुछ महीनों से मेरे पति घरपरिवार से काफी उदासीन रहने लगे थे. मुझे लगा कि शायद औफिस में काम का अधिक बोझ होगा. फिर जब वे अकसर घर देर से लौटने लगे और बेवजह मुझ से लड़नेझगड़ने लगे तब मुझे शक हुआ. बारबार कुरेदने पर एक दिन सचाई उन की जबान पर आ ही गई. उन का अपनी एक सहकर्मी जो कुंआरी है, से चक्कर चल रहा है. जब से इस राज का पता चला है हमारा रोज झगड़ा होने लगा है. मन करता है कि आत्महत्या कर लूं पर बेटी की वजह से ऐसा नहीं कर सकती. क्या मेरी समस्या का कोई समाधान है?

जवाब-

आप की शादी को अभी ज्यादा समय नहीं बीता है, बावजूद इस के आप के पति आप से विमुख हो किसी और युवती के चक्कर में पड़ गए हैं. लगता है बेटी हो जाने के बाद आप उस के पालनपोषण में इतनी व्यस्त हो गईं कि पति की ओर से बिलकुल उदासीन होती गईं. यह सही है कि छोटे बच्चे की परवरिश भी काफी बड़ी जिम्मेदारी होती है पर इस के चलते पति की अनदेखी करना भी गलत है. जो हुआ सो हुआ. अब आप पति से लड़ाईझगड़ा करने के बजाय उन पर ध्यान दें. उन्हें भरपूर प्यार दें ताकि उन का उस युवती से मोहभंग हो जाए और वे आप के पास लौट आएं.

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शादी के बाद पतिपत्नियों को यह जानने में जरा भी देर नहीं लगती कि उन का साथी पहले जैसा नहीं रहा. आखिर इस मनमुटाव का क्या कारण है? दरअसल, अधिकांश केसों में पतिपत्नी के बीच झगड़े का मुख्य कारण अतृप्त सैक्स संबंध हैं. सैक्स संबंधों की वैवाहिक जीवन में पतिपत्नी दोनों को आवश्यकता होती है.

महिलाओं में शुरू से ही लज्जा, शर्म और संकोच होता है. वैवाहिक जीवन के बाद भी वे सैक्स संबंधों के बारे में खुल कर बात नहीं कर पातीं. यही कारण है कि स्त्री सैक्स का चरमसुख प्राप्त करने के बारे में स्वयं कुछ नहीं कहती. लेकिन सैक्स एक ऐसी आग है, जो भड़कने के बाद आसानी से शांत नहीं होती.

पूरी खबर पढ़ने के लिए- एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर के साइड इफैक्ट्स

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

इन 10 टिप्स से वर्किंग कपल का प्यार न होगा कम

लड़कियां भी लड़कों के समान ही उच्च शिक्षा हासिल कर सरकारी और प्राइवेट दोनों ही क्षेत्रों में उच्च पदों पर आसीन हैं. आजकल लड़के भी कामकाजी पत्नी को ही प्राथमिकता देते हैं ताकि एक की व्यस्तता में दूसरे को अकेलेपन का एहसास न हो. लड़कियां भी अपनी उच्च शिक्षा को घर बैठ कर जाया नहीं करना चाहतीं. यदि आज पतिपत्नी दोनों नौकरी न करें तो उन के लिए महंगाई के इस दौर में जीवन को भलीभांति चलाना मुश्किल हो जाएगा.

कामकाजी दंपतियों की जिंदगी एक मशीनी ढर्रे पर चलती है. उन के बीच का प्यार शादी के कुछ समय बाद ही हवा हो जाता है. रीता और रमन ने 2 साल के लंबे अफेयर के बाद काफी मशक्कत कर के अपने घर वालों को मना कर अंतर्जातीय विवाह किया था. 1 साल के बाद जब उन के घर में एक बेटी ने जन्म लिया तो दोनों के बीच प्यार की जगह रोज छोटीछोटी बातों पर होने वाली तकरार ने ले ली और शीघ्र ही उन का रिश्ता टूटने के कगार पर आ गया.

वास्तव में पतिपत्नी के रिश्ते में प्यार एक ऐसी भावना है जिसे जीवंत बनाए रखने के लिए दोनों को बस थोड़ा सा प्रयास करना होता है. इस के विद्यमान रहते यह रिश्ता एक खूबसूरत एहसास की अनुभूति बन जाता है जबकि इस की अनुपस्थिति में यह रिश्ता बोझिल, एकदूसरे को नीचा दिखाने और परस्पर ताना मारने में परिवर्तित हो जाता है. कैसे काम करतेकरते इस रिश्ते में प्यार के एहसास को बरकरार रखा जाए, आइए जानें:

1. परस्पर सहयोग और समझदारी:

ऋचा औैर सौरभ एक मल्टीनैशनल कंपनी में मैनेजर के पद पर काम करते हैं, परंतु सौरभ ऋचा से 2 घंटे पूर्व घर आ जाता है. वह औफिस से आते समय अपनी 2 साल की बेटी को प्ले स्कूल से ला कर कपड़े बदलवा कर खाना खिला देता है. ऋचा के आने पर दोनों एकसाथ चायनाश्ता करते हैं. ऋचा के रात के खाना बनाते समय सौरभ बेटी के साथ खेलतेखेलते घर भी व्यवस्थित कर देता है. साथसाथ खाना खा कर तीनों सोसाइटी के गार्डन में घूमते हैं.

सौरभ के इस व्यवहार पर ऋचा कहती है, ‘‘सौरभ का इतना सहयोग मुझे पूरा दिन ऊर्जावान बनाए रखता है. मैं पूरा दिन उस के प्यार से सराबोर रहती हूं.’’

आप कहां और कैसे एकदूसरे के मददगार साबित हो सकते हैं, इसे समझें और अपने पार्टनर को यथोचित सहयोग दे कर अपनी जीवनरूपी गाड़ी को प्यार की डोर से बांध कर आगे पढ़ाएं.

2. कार्यों का विभाजन:

घर औैर बाहर के अनेक कार्य होते हैं. ऐसे में एक दूसरे पर काम थोपने के बजाय जो जिस कार्य को करने में दक्ष है वह उसे करे. इस के लिए आपस में कार्यों का विभाजन कर लें. इस में बच्चों को भी शामिल करें. इस से आप का कार्य शीघ्र होगा और समय भी बचेगा. घर के प्रत्येक व्यक्ति को उस की उम्र औैर रुचि के अनुसार कार्य करने को कहें. बचे समय को आप अपने परिवार के साथ ऐंजौय करें.

3. ईगो न आने दें:

पतिपत्नी के मध्य अहं जैसा कोई भाव नहीं होना चाहिए. हालात चाहे कैसे भी हों, आप चाहे कितने भी क्रोध में हों परंतु एकदूसरे के प्रति सम्मान की भावना लुप्त न होने दें. अपने परिवार वालों के सामने भी इस बात का विशेष ध्यान रखें कि आप की किसी भी बात या व्यवहार से आप के साथी को चोट न पहुंचे. किसी बात पर मतभेद या तकरार हो जाने पर उसे ईगो पौइंट न बना कर सोने से पहले मसले को हल कर लें. सदैव रात गई बात गई का सिद्घांत अपनाएं.

4. औफिस को घर न लाएं:

हमेशा दोनों यह कोशिश करें कि औफिस के काम को घर पर न ले कर आएं ताकि घर पर आप एकदूसरे को पर्याप्त समय दे सकें. औफिस से निकलते समय सारा तनाव या काम का बोझ वहीं छोड़ कर आएं. यदि कभी दोनों में से एक औफिस के किसी कार्य या किसी सहयोगी को ले कर परेशान है तो दूसरा उस की भावनाओं को समझे न कि उसे किसी प्रकार का ताना मारे. कई बार एक पार्टनर पर काम का इतना अधिक दबाव होता है कि उसे मजबूरी में घर पर काम करना पड़ता है ऐसे में दूसरे को पर्याप्त और समुचित सहयोग करें.

5. तकनीक का प्रयोग करें दुरुपयोग नहीं:

आज तकनीक का युग है. आप बिजली, टैलीफोन के बिल भरने जैसे अनेक कार्यों को औनलाइन करें ताकि आप का समय बचे परंतु घर में फेसबुक, व्हाटसऐप जैसी सोशल मीडिया वैबसाइट्स पर अधिक समय देने में तकनीक का दुरुपयोग न करें. इस के लिए आप दोनों मिल कर एक समय निर्धारित करें औैर उस समय लैपटौप और मोबाइल को हाथ न लगाएं.

6. हौलीडे फन:

छुट्टी के दिन एक पर काम का बोझ डाल कर दूसरा आराम करने की जगह दोनों मिल कर गृहकार्य निबटाएं और कहीं साथ घूमने जाएं. भोपाल की मीनू शर्मा कहती हैं, ‘‘ मुझे वीकैंड का बेसब्री से इंतजार रहता है. 2 दिन की छुट्टी में हम दोनों एक दिन घर के सारे कार्य निबटा कर दूसरे दिन घूमने पर चले जाते हैं. संडे इज फन डे फौर अस.’’

7. प्यार जताएं:

शादी से पूर्व या प्रारंभिक दिनों में पतिपत्नी एकदूसरे को गिफ्ट देते हैं, साथी की पसंदनापसंद का ध्यान रखते हैं. फिर शादी के बाद क्यों नहीं? इस के लिए आप अचानक साथी के लिए वह करें जो वह बहुत दिनों से करना चाहती हैं. बच्चों के सामने भी मर्यादित प्यार जताने में संकोच न करें. प्यार जता कर अपने साथी को प्यार की उष्मा से सराबोर रखें. राजीव औैर रीना दोनों बैंक में काम करते हैं. राजीव कहते हैं, ‘‘मेरे जन्मदिन पर रीना ने मुझे मेरी वह मनपसंद घड़ी ला कर दी जिसे मैं 1 साल से लेने की सोच रहा था. मैं तो उस की प्यार जताने की इस अदा पर बिछ गया.’’

8. परिवार के सदस्यों का सम्मान करें:

एकदूसरे के परिवार के सदस्यों को भरपूर प्यार और सम्मान दें. जहां आप एकदूसरे के परिवार के प्रति अनुचित व्यवहार करते हैं, वहीं से आपसी रिश्ते में कड़वाहट शुरू हो जाती है. रेलवे में कार्यरत निशा कहती हैं, ‘‘मेरे पति नमन मेरे परिवार वालों का भी उतना ही ध्यान रखते हैं जितना कि अपने परिवार वालों का. इस से मैं सदैव उन के प्रति प्यार अभिभूत रहती हूं, क्योंकि मैं अपने मातापिता की इकलौती संतान हूं.’’

9. विश्वास का दामन न छोड़ें:

पतिपत्नी का रिश्ता विश्वास पर टिका होता है. अपने काम के दौरान महिला को पुरुषों से भी बातचीत करनी होती है. कई बार उसे बौस के साथ टूअर पर भी जाना पड़ता है. ऐसी स्थिति पुरुष के समक्ष भी आती है. ऐसे में परस्पर विश्वास की जड़ें इतनी मजबूत रखें कि वहां शक का बीज पनपने की गुंजाइश ही न रहे. यदि कभी कोई बात मन में खटकती भी है तो उसे बातचीत के द्वारा सुलझाएं.

10. आर्थिक पारदर्शिता बनाए रखें:

आपसी खर्चे, वेतन आदि के बारे में साथी के साथ पूर्ण पारदर्शिता बनाए रखें. इस के अतिरिक्त किसी एक की सैलरी कम या ज्यादा होने की स्थिति में कभी ताना न मारें. घरेलू खर्चों औैर बचत आदि के बारे में दोनों मिल कर निर्णय लें.

लव या लस्ट, क्या है पहली नजर का प्यार

फिल्म ‘शुद्ध देसी रोमांस’, ‘बेफिक्रे’, ‘ओके जानू’, ‘वजह तुम हो’ आदि फिल्मों को देखने के बाद प्यार के नाम पर परोसा जाने वाला मसाला, लव, इमोशंस, इज्जत से परे केवल ‘लस्ट’ यानी सैक्स या कामुकता के आसपास दिखाया जाता है. युवकयुवती की मुलाकात हुई, थोड़ी बातचीत हुई और बैडरूम तक पहुंच गए. आज की सारी लव स्टोरी फिल्मों से ले कर दैनिक जीवन में भी ऐसी ही कुछ देखने को मिलती है. यह सही है कि फिल्में समाज का आईना हैं और निर्मातानिर्देशक मानते हैं कि आज की जनरेशन इसे ही स्वीकारती है.

आज यूथ के लिए प्यार की परिभाषा बदल चुकी है. प्यार का अर्थ जो आज से कुछ साल पहले तक एहसास हुआ करता था, उसे आज गलत और पुरानी मानसिकता कहा जाता है. ऐसे में सामंजस्य न बनने की स्थिति में ऐसे रिश्ते को तोड़ना आज आसान हो चुका है और यूथ लिव इन रिलेशनशिप को बेहतर मानने लगा है, क्योंकि शादी के बाद अगर कोई समस्या आती है, तो कानूनी तौर पर अलग होना बहुत मुश्किल होता है, लेकिन यह सही है कि हर सिक्के के दो पहलू होते हैं, कुछ अच्छा तो कुछ बुरा अवश्य होता है.

दरअसल, असल जीवन में जब युवकयुवती मिलते हैं तो उन्हें यह समझना मुश्किल होता है कि वे लव में जी रहे हैं या लस्ट में. कभीकभार वे समझते हैं कि लव में जी रहे हैं, जबकि वह लव नहीं, लस्ट होता है. जब तक वे इसे समझ पाते हैं कि उन का रिश्ता किधर जा रहा है, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है और रिश्ता टूट जाता है.

जानकारों की मानें तो जब आप पहली बार किसी से मिलते हैं तो पहली नजर में प्यार नहीं लस्ट होता है, जो बाद में प्यार का रूप लेता है. फिर एकदूसरे को आप पसंद कर अपने में शामिल कर लेते हैं.

एमएनसी में काम करने वाली मधु बताती है कि पहले मैं राजेश से बहुत प्यार करती थी. हम दोनों एक फैमिली फंक्शन में मिले थे. करीब एक साल बाद उस ने मुझे घर बुलाया और उस दिन हम दोनों ने सारी हदें पार कर दीं. इस तरह जब भी समय मिलता हम मिलते रहते, लेकिन जब मैं ने उस से शादी की बात कही, तो वह यह कह कर टाल गया कि थोड़े दिन में वह अपने मातापिता को बता कर फिर शादी करेगा. जब घर गया तो वहां से उस ने न तो फोन किया और न ही कोई जवाब दिया. जब मुंबई वापस आया तो उस के साथ उस की पत्नी थी.

मैं चौंक गई, वजह पूछी तो बोला कि उस के मातापिता ने जबरदस्ती शादी करवा दी है. मेरे पैरों तले जमीन खिसक गई. मैं क्या कर सकती थी. उस ने कहा कि वह अब भी मुझ से प्यार करता है और उसे तलाक दे कर मुझ से शादी करेगा, लेकिन आज तक कुछ समाधान नहीं निकला. अब मुझे समझ में आया कि यह उस का लव नहीं लस्ट था, क्योंकि अगर वह असल में प्यार करता तो किसी भी प्रकार के दबाव में शादी नहीं करता.

इस बारे में मैरिज काउंसलर डा. संजय मुखर्जी कहते हैं कि युवकयुवती का रिश्ता तभी तक कायम रहता है जब तक वह एकदूसरे को खुशी दें. प्यार में पैसा जरूरी है जो केवल 10त्न तक ही खुशी दे सकता है, इस से अधिक नहीं. प्यार भी कई प्रकार का होता है, रोमांटिक प्यार जो सब से ऊपर होता है, जिस का उदाहरण रोमियोजूलिएट, हीररांझा, लैलामजनूं आदि की कहानियों में दिखाई पड़ता है. महिलाएं अधिकतर लव को महत्त्व देती हैं जबकि पुरुषों के लिए लव अधिकतर लस्ट ही होता है. तकरीबन 75 से 80त्न महिलाएं लव और लस्ट को इंटरलिंक्ड मानती हैं. महिलाएं मोनोगेमिक नेचर की होती हैं, जबकि पुरुष का नेचर पोल्य्गामिक होता है. एक स्त्री एक साल में एक ही बच्चा पैदा कर सकती है, जबकि पुरुष 100 बच्चों को जन्म दे सकता है. आकर्षण के बाद भी लव हो सकता है और जब आकर्षण होता है, तो उस में शारीरिक आकर्षण अधिक होता है. ये सारी प्रक्रियाएं हमारे मस्तिष्क द्वारा कंट्रोल की जाती हैं.

इस के आगे वे कहते हैं कि सबकुछ हर व्यक्ति में अलगअलग होता है. ऐसा देखा गया है कि शादी के बाद भी कुछ युवतियों में शारीरिक संबंधों को ले कर कुछकुछ गलत धारणाएं होती हैं, जिन्हें ले कर भी वे अपने रिश्ते खराब कर लेती हैं और तलाक ले लेती हैं.

लव मन की भावनाओं के साथ जुड़ता है जिस के साथ लस्ट जुड़ा होता है. लव एक मानसिक जरूरत को दर्शाता है तो दूसरा शारीरिक जरूरत को बयां करता है.

कई बार महिलाएं केवल लस्ट का अनुभव करती हैं, लव का नहीं, जिस से वे रियल प्यार की खोज में विवाहेत्तर संबंध बनाती हैं. किसी एक की कमी आप के रिश्ते को खराब करती है.

लव में सैक्सुअल कंपैटिबिलिटी होना बहुत जरूरी है. रिलेशनशिप में रहना गलत नहीं, लेकिन इस में एक तरह की सोच रखने वाले ही सफल जीवनसाथी बन पाते हैं.

लव और लस्ट के बारे में चर्चा सालों से चली आ रही है. क्या पहली नजर में प्यार होता है या वह लस्ट ही होता है? क्या अच्छा है, लव या लस्ट? हमारे आर्टिस्ट जो इन्हीं विषयों पर धारावाहिक और फिल्में बनाते हैं. आइए जानें इस बारे में उन की अपनी सोच क्या है :

अदा खान : लस्ट पूरा शारीरिक आकर्षण है. प्यार पहली नजर में हो सकता है पर इसे पनपने में समय लगता है. दोनों ही नैचुरल हैं, पर लव की परवरिश करनी पड़ती है. जब आप किसी से प्यार करते हैं तो आप का दिल जोरजोर से धड़कता है, लेकिन मेरे हिसाब से ‘रियल सोलमेट’ के मिलने से आप शांत अनुभव करते हैं. लव और लस्ट में काफी अंतर है. लस्ट आप के सिर के ऊपर से चला जाता है, लेकिन प्यार का नशा हमेशा जारी रहता है. प्यार आप एक बार ही कर सकते हैं, लेकिन लस्ट आप बारबार कहीं भी कर सकते हैं.

अंजना सुखानी : अभिनेत्री अंजना सुखानी कहती हैं कि लव और लस्ट दोनों ही हमारी जरूरत हैं. एक मानसिक तो दूसरा शारीरिक है, लेकिन दोनों में सामंजस्य अवश्य होना चाहिए. प्यार आप को सुरक्षा, सम्मान, खुशी, चाहत आदि सबकुछ देता है, जबकि लस्ट क्षणिक होता है. लस्ट प्यार को अधिक दिन तक आगे नहीं ले जा सकता.

श्रद्धा कपूर : श्रद्धा कपूर बताती हैं कि लव में लस्ट होता है, लेकिन इसे सहेजना पड़ता है. मुझे कोई पहली नजर में अच्छा लग सकता है, पर प्यार हो जाए यह जरूरी नहीं. उस के लिए मुझे सोचना पड़ेगा. मैं परिवार के अलावा हर निर्णय सोचसमझ कर लेती हूं. इतना सही है कि अगर प्यार मिले तो उस में लस्ट अवश्य होगा. इस के लिए सही जांचपरख भी होगी.

पूनम पांडेय : पूनम के अनुसार लव में 60% लस्ट का होना जरूरी होता है. तभी उस का मजा आता है, लेकिन इस के लिए दोनों को ही सही तालमेल बनाए रखना जरूरी है. मैं यह मानती हूं कि पहली नजर में प्यार होता है और उस के बाद लस्ट आता है.

करण वाही : क्रिकेटर से मौडल और ऐक्टर बने करण वाही कहते हैं कि पहली नजर में अगर किसी से प्यार हो जाए तो इस से बढ़ कर और अच्छी बात कोई नहीं है. जब आप किसी से मिलते हैं तो एक अजीब तरह का आकर्षण महसूस करते हैं. हालांकि लव की परिभाषा गहन है, लेकिन यही आकर्षण लव में परिवर्तित हो सकता है. जब आप किसी से प्यार करते हैं, तो उस की हर बात आप को अच्छी लगने लगती है. लस्ट पूरा शारीरिक आकर्षण है. इस में फीलिंग्स की गुंजाइश कम होती है.

ज्योत्स्ना चंदोला : ‘ससुराल सिमर का’ धारावाहिक में नकारात्मक भूमिका निभा कर चर्चित हुई ज्योत्स्ना चंदोला कहती हैं कि लव मेरे लिए लौंग टर्म रिलेशनशिप है, जहां आप किसी से इतना जुड़ जाते हैं कि आप को उस के लिए कुछ भी करना अच्छा लगता है. लस्ट शौर्टटर्म और शारीरिक संबंध है. लव पहली नजर में नहीं हो सकता लेकिन लस्ट पहली नजर में हो जाता है. मैं अभी लव में हूं तो मुझ से बेहतर इसे कोई और समझ नहीं सकता.

कृतिका सेंगर धीर : टीवी अभिनेत्री कृतिका कहती हैं कि लस्ट खोखला इमोशन है, जो थोड़े दिन बाद खत्म हो जाता है, जबकि लव मजबूत, शक्तिशाली और जीवन को बदलने वाला होता है. लव से आप को खुशी मिलती है. इस से सकारात्मक सोच बनती है. मुझे इस का बहुत अच्छा अनुभव है, क्योंकि काम के दौरान मुझे सच्चा प्यार मेरे पति के रूप में निकितिन धीर से मिला.

सुदीपा सिंह : धारावाहिक ‘नागार्जुन’ में मोहिनी की भूिमका निभा रहीं सुदीपा सिंह कहती हैं कि आजकल रिश्तों के माने बदल चुके हैं. ऐसे में सही प्यार का मिलना मुश्किल है, अधिकतर लस्ट ही हावी होता है. लस्ट हर जगह आसानी से मिल जाता है. एक  सही प्यार आप की जिंदगी बदल देता है और लस्ट आप को अधूरा कर सकता है. पहली नजर में प्यार कभी नहीं होता, लेकिन आप को एक एहसास जरूर होता है, जो समय के साथ प्रगाढ़ होता है. मुझे इस का अनुभव है. मैं युवाओं से कहना चाहती हूं कि किसी को भी अगर कोई ‘सोलमेट’ मिले तो उसे संभाल कर रखें.

लव और लस्ट में अंतर

– लव एक प्रकार का आंतरिक एहसास है, जबकि लस्ट प्यार के साथसाथ एक शारीरिक खिंचाव भी है.

–  लव में एकदूसरे के प्रति मानसम्मान, इज्जत, ईमानदारी, विश्वसनीयता, आपसी सामंजस्य अधिक होता है, लेकिन लस्ट में चाहत, पैशन और गहरे इमोशंस होते हैं.

– लव में एक व्यक्ति दूसरे की खुशी को अधिक प्राथमिकता देता है जबकि लस्ट थोड़े समय की खुशी देता है.

– लव कुछ देने में विश्वास रखता है, जिस में व्यक्ति सुरक्षा का अनुभव करता है, जबकि लस्ट में अर्जनशीलता अधिक हावी रहती है, इस से असुरक्षा अधिक होती है.

– लव समय के साथसाथ मजबूत होता है, जबकि लस्ट का प्रभाव धीरेधीरे कम होने लगता है.

–  लव का एहसास सालोंसाल रहता है जबकि लस्ट पूरा हो जाने पर भुलाया भी जा सकता है.

– लव अनकंडीशनल होता है, जबकि लस्ट में व्यक्ति अपनी खुशी देखता है, कई बार लस्ट, लव में भी बदल जाता है पर वह लस्ट के साथसाथ ही चलता है. बाद में उस की अहमियत नहीं रहती.

जानें क्या है प्यार की झप्पी के 5 फायदे

पतिपत्नी के बीच छोटेमोटे झगड़े उन के डेली रूटीन का हिस्सा होते हैं, जहां वे बिना सोचेसमझे झगड़ पड़ते हैं. वहीं ऐसे में प्यार की एक छोटी सी झप्पी बड़ा कमाल दिखा सकती है. वह छोटे से झगड़े को बड़ा झगड़ा बनने की स्पीड में बे्रक लगा सकती है.

ऐसा नहीं कि प्यार की झप्पी सिर्फ झगड़ों को ही सुलझाती है. दरअसल, प्यार की छोटी सी झप्पी पतिपत्नी के रिश्ते में बड़ेबड़े कमाल भी दिखाती है.

मनोवैज्ञानिक मानते हैं कि जब हम किसी को गले लगाते हैं, तो हमारे शरीर से गुस्से को बढ़ाने वाले हारमोन तेजी से कम होने लगते हैं. सामने वाला गुस्से को भूल कर आप के प्यार को महसूस करता है यानी आप की प्यार की झप्पी उस के गुस्से को पल भर में दूर कर देती है और वह आप को माफ कर देता है.

बिना बोले सब कुछ बोले

पतिपत्नी के बीच प्यार को प्रकट करने का सब से अनूठा व कारगर तरीका है प्यार की झप्पी, जिस में बिना बोले आप अपनी भावनाएं प्रकट कर सकते हैं. पत्नी ने अगर अच्छा खाना बनाया हो तो पति दे उसे प्यार की एक झप्पी और अगर पति ने किसी अच्छी इनवैस्टमैंट पौलिसी में इनवैस्ट किया हो तो पत्नी दे उसे एक प्यार की झप्पी. पतिपत्नी के बीच हैल्दी और हैप्पी मैरिड लाइफ का अचूक नुसखा है प्यार की झप्पी, जिसे कभी भी और कहीं भी दिया जा सकता है.

पतिपत्नी का एकदूसरे के प्रति अपने प्यार का प्रदर्शन का तरीका है प्यार की झप्पी, जिस का अर्थ होता है कि तुम मुझे सब से प्यारे हो. प्यार की झप्पी देते समय यह हरगिज न सोचें कि आप कहां हैं किस के सामने हैं. दोस्तों के समक्ष जब आप पतिपत्नी एकदूसरे के प्रति अपने प्यार को प्रदर्शित करने के लिए एकदूसरे को गले लगाते हैं, तो दोस्तों की नजरों में आप का सम्मान और अधिक बढ़ जाता है. आप दोनों की नजदीकी और प्यार जगजाहिर हो जाता है.

दुखसुख का साथी

ऐसा नहीं कि सिर्फ खुशी के मौकों पर पतिपत्नी एकदूसरे को गले लगा कर अपना प्यार और नजदीकी जाहिर कर सकते हैं. वे परेशानी और दुख के पलों में भी एकदूसरे को गले लगा कर एकदूसरे के और करीब आ सकते हैं और दुख साझा कर सकते हैं.

आस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों ने एक अनुसंधान के बाद निष्कर्ष निकाला है कि जब हम किसी को दुख या तकलीफ में गले लगाते हैं, तो वह राहत महसूस करता है. रिपोर्ट में इस बात को मां व बच्चे के उदाहरण से स्पष्ट किया गया है कि जब बच्चे को चोट लगती है और मां उसे गले लगाती है तो उस का दर्द व तकलीफ दूर हो जाती है. वैज्ञानिकों के अनुसार, दरअसल होता यह है कि जब हम अपने साथी को गले लगाते हैं तो खून में औक्सीटोसिन नामक हारमोन का स्राव होता है, जिस से उच्च रक्तचाप में कमी आती है, तनाव व बेचैनी कम होती है और स्मरण शक्ति भी बेहतर होती है.

दुख व तकलीफ के क्षणों में जब पतिपत्नी एकदूसरे को प्यार वाली झप्पी देते हैं, तो सारी तकलीफ दूर हो जाती है, क्योंकि उन में बढ़ता है प्यार और जुड़ जाता है अटूट बंधन.

गिलेशिकवे मिटाती

औफिस से घर पहुंचने में देर हो गई. पत्नी ने बाजार से जरूरी सामान लाने को बोला था लेकिन आप भूल गए या फिर पत्नी ने अच्छी साड़ी पहनी, लेकिन आप तारीफ करना भूल गए तो पत्नी की नाराजगी जायज है. ऐसे में पत्नी की नाराजगी दूर करने का सब से अच्छा तरीका है प्यार की झप्पी. फिर देखिएगा कि कैसे उस की नाराजगी पल भर में दूर हो जाएगी. पत्नी के गुस्से को शांत करने का सब से बेहतर माध्यम है उसे गले लगा कर उस से माफी मांगना और अपने प्यार का प्रदर्शन करना. आप की यह झप्पी उस के गुस्से को बर्फ की तरह पिघला देगी, क्योंकि उस में होगी आप के प्यार की गरमाहट.

कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के एक शोध के अनुसार आलिंगन और स्पर्श का संबंध ऐसे कई स्वास्थ्य गुणों से है, जो तनाव और पीड़ा को कम करते हैं. शोध के अनुसार इस का सब से अधिक असर महिलाओं पर होता है यानी अगर पत्नी नाराज हो तो उसे प्यार की झप्पी से पल भर में मनाया जा सकता है.

कीजिए प्यार का इजहार

जब शाहरुख खान, गौरी खान, अरबाज व मलाइका जैसी सैलिब्रिटीज पब्लिक प्लेस में एकदूसरे को गले लगाते हैं, तो आप कितना रोमांचित महसूस करते हैं. अपने रिश्ते में भी उसी रोमांस को लाइए. अपने प्यार को सार्वजनिक कीजिए. एकदूसरे को प्यार की झप्पी देते समय उस में झिझक, दुविधा या संशय को कोई स्थान न दीजिए, क्योंकि जब आप सार्वजनिक स्थल पर सब के सामने अपनी पत्नी को गले लगाते हैं, तो वह आप दोनों के बीच एक सुरक्षा चक्र बना देता है और आप का प्यार का प्रदर्शन आप की प्रबल मानसिकता के साथसाथ आप के सच्चे प्यार को प्रदर्शित करता है.

वैसे भी जब आप दोनों के पास विवाह का सर्टिफिकेट है तो फिर खुल्लमखुला प्यार किया तो डरना क्या की तर्ज पर अपने प्यार का इजहार कीजिए.

पुराने दिन ताजा कीजिए

विवाह के कुछ वर्षों बाद जब घर व औफिस की जिम्मेदारियों के बीच पतिपत्नी के रिश्तों में बोझिलता आ जाती है, तो ऐसे में प्यार की झप्पी पुराने दिनों की यादों को ताजा करती है और पतिपत्नी के प्यार में रोमांस का तड़का लगाती है. जिंदगी में मिठास घोलती है. जब आप एकदूसरे के अच्छे काम से और परेशानी में प्यार की झप्पी देते हैं, तो सैंस औफ टुगेदरनैस का एहसास होता है. प्यार की झप्पी एक ऐसा रामबाण है जिस से पतिपत्नी के जीवन में पुरानी यादों के खुशनुमा लमहों को दोबारा लाया जा सकता है.

सफलता पाने के लिए खुद को सुलझाएं ऐसे

समस्या छोटी हो या बड़ी, अगर सुलझाने बैठें तो पता चलता है कि इस का हल तो हमारे पास पहले ही था. उस वक्त लगता है कि काश, किसी ने पहले समझा दिया होता.  सब को बता कर ऊर्जा बरबाद न करें :  हर किसी दोस्त, रिश्तेदार से सलाह मांगना या शान जताने के लिए अपने लक्ष्य बताना नुकसानदायक हो सकता है.  लक्ष्य पूरा हो गया तो यह आप की आदत हो जाएगी. पर जरा सोचिए, जब सबकुछ होना ही है तो, जब हो जाएगा, स्वयं ही पता चल जाएगा.

मूर्खता की हद तो अंशु के साथ हो गई. उस ने अपने इंटरव्यू की बात सब को बताई. परंतु जब कैंपस सैलेक्शन नहीं हुआ तो उसे लगा कि किसी की नजर लग गई.  अब नौकरी के लिए कई जगह ट्राई करना ही पड़ता है. पंडितजी के चक्कर में पड़ गई. कभी सोमवार के व्रत रखती तो कभी किसी ग्रह के अनुसार अंगूठी पहनती.

समस्या साझा करने की बीमारी : 

रिनी को समस्या होती नहीं कि सारे  जानने वालों को पता चल जाता है कि क्या हुआ है. पहले काफी गंभीर हो कर सलाह देते थे दोस्त. पर अब सब उस से कन्नी काटने लगे हैं. आप अपनी समस्या खास लोगों से ही साझा करें. रोने वालों का कोई साथ नहीं देता, यह एक सचाई है.

बातों का मतलब खोजने का फलसफा :

क्या आप भी उन महान लोगों में से हैं जो सीधी बात को भी बेहद गहरे अर्थ में ले लेते हैं? बात को पकड़ कर न बैठें. यह भी समझें कि कभीकभी लोग सही अर्थ में नहीं कहते. झूठ बोलना या थोड़ीबहुत फेंकना लोगों की आदत होती है. इसलिए किसी बात को बेहद तूल देना या अत्यधिक बहस करना बेकार ही है.

अपनी शक्लोसूरत पर गौर जरूर करें : 

‘आईने में शक्ल देखी है’, यह कहावत तो जरूर सुनी होगी. अपनी त्वचा, बाल और साफसफाई का विशेष खयाल करें. अनचाहे बाल, दागधब्बों से छुटकारा पाएं. विशेषकर, फिटनैस रूटीन को मेंटेन करें. फिट रहना शरीर और दिमाग दोनों की जरूरत है. इसे ले कर सतर्क व गंभीर रहें. जो व्यक्ति अपने शरीर की देखभाल नहीं कर सकता, वह दूसरी जिम्मेदारी भी पूरी नहीं कर पाएगा. अगर करेगा भी, तो रोधो कर.

लड़ाई कर लें पर बोलचाल बंद न करें : 

किसी से कितनी भी बहस हो जाए लेकिन बोलचाल बंद नहीं करनी चाहिए. रचिता को उस के पंडितजी ने एक सलाह दी कि सब से बोलचाल रखो, कड़वा न बोलो, इस से ग्रह ठीक रहेंगे. पंडितजी को 21 सौ रुपए की दक्षिणा मिली. अरे भाई, यह व्यावहारिक  सलाह है. चूंकि पंडितजी ने अपनी झोली भरने के लिए कहा, इसलिए कीमती हो गई. खैर, किसी से भी झगड़ा करने में पहल न करें. कहीं पर जरूरी भी हो बहस कर लें, मगर बोलचाल बंद न करें.

प्रैक्टिस जरूर करें  :

कोई भी काम, चाहे वह छोटा ही क्यों न हो, करने से पहले होमवर्क जरूर करें. प्रैक्टिस से काम जल्दी पूरे होने के आसार होते हैं. जैसे, मोना ड्राइविंग लाइसैंस बनवाने से पहले कभी प्रैक्टिस कर के नहीं जाती थी. नतीजा, 5 बार टैस्ट देने के बाद ही पास हो पाई थी. इसलिए इंटरव्यू हो या कोई और काम, थोड़ा समय पहले दे कर होमवर्क करने में कोई बुराई नहीं. सफल खिलाड़ी कितने ही सफल क्यों न हो जाएं, अपने प्रतिद्वंद्वी की कमजोरी या तकनीक देखते हैं, चाहे वह कितना ही कमजोर या नया क्यों न हो.

हमेशा सकारात्मक नहीं रह सकते :

कोई भी हमेशा सकारात्मक नहीं रह सकता. निराशा और कुंठा के क्षण सभी के जीवन में आते हैं. चाहे कोई कितना भी सफल क्यों न हो. सफलतम आदमी भी निराश होता है. पर एक फर्क जरूर है. अकसर सफल व्यक्ति रोनेधोने के बजाय कुछ नया सीखने में वक्त देते हैं.

ओवर रिऐक्शन ठीक नहीं  :

प्रिया छोटीछोटी बातों को ले कर जल्दी चिड़चिड़ी हो जाती है. कामवाली हो, या ड्राइवर, वह जल्दी ही आपा खो देती है. कहते हैं, ज्यादा गुस्से वाले व्यक्ति का कोई मित्र नहीं होता. पूरी दुनिया आप के हिसाब से नहीं चल सकती.

ओवरइमोशंस को करें कंट्रोल  :

पल में बेहद खुश और मिलनसार लगी सोनम जब दीक्षा को दोबारा मिली तो उस से हायहैलो भी नहीं कहा. सोनम खुश भी जल्दी हो जाती, तो गुस्सा भी तुरंत हो जाती थी. पर सब से अजीब बात जो थी वह यह कि अगर किसी की तारीफ करती तो इतनी ज्यादा करती थी कि व्यक्ति स्वयं ही शरमा जाए. बुराई करती तो इतनी ज्यादा कि सुनने वाला परेशान हो जाए. और तो और, छोटी सी बात बुरी लग जाती तो पचासों बातें सुनाने से न चूकती. समाज में और सफलता के लिए यह रवैया ठीक नहीं है वरना आप नुकसान ही उठाते रहेंगे. खुश रहिए और खुश दिखिए भी.

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