जब पार्टनर हो Emotionless तो क्या करें

रिया ने प्रशांत से अपना अफेयर खत्म कर लिया. और करती भी क्या, क्योंकि जब भी कोई मनमुटाव होता, प्रशांत एक दीवार की तरह सख्त और कठोर बन जाता. उस में जैसे भावनाएं हैं ही नहीं. जो कुछ भी हो रहा है उस की पूरी जिम्मेदारी रिया पर है और उसे ही इस रिश्ते को आगे चलाने का दारोमदार उठाना है.

अपनी बात, अपनी भावनाएं प्रशांत को कितनी ही बार सम झाने के विफल प्रयासों के बाद रिया को लगने लगा था कि प्रशांत उसे कभी नहीं सम झ पाएगा. आखिर कब तक वह अकेले रिश्ता निभाती रहेगी. फिर एक समय ऐसा आया जब दोनों में से कोई भी रिश्ते में भावनाएं नहीं उड़ेल रहा था. रिश्ते का टूटना तय होने लगा था. रिया को तब तक पता नहीं था कि प्रशांत दरअसल एक कम आईक्यू वाला इंसान है.

क्या होता है आईक्यू

आईक्यू यानी इमोशनल कोशैंट, मतलब इमोशनल इंटैलिजैंस का माप. अपनी तथा दूसरों की भावनाओं को सम झ पाना, अपनी भावनाओं पर काबू रख पाना, उन्हें ढंग से प्रस्तुत कर पाना और आपसी रिश्तों को सू झबू झ व समानभाव से चला पाना इमोशनल इंटैलिजैंस की श्रेणी में आता है. निजी और व्यावसायिक दोनों में उन्नति की राह इमोशनल इंटैलिजैंस से हो कर गुजरती है. कुछ ऐक्सपर्ट्स का मानना है कि जिंदगी में तरक्की के लिए इमोशनल इंटैलिजैंस, इंटैलिजैंस कोशैंट से भी ज्यादा महत्त्वपूर्ण होती है.

कैंब्रिज यूनिवर्सिटी, टोरंटो यूनिवर्सिटी और लंदन के यूनिवर्सिटी कालेज द्वारा प्रकाशित शोधों से साफ है कि जो लोग अपनी इमोशनल इंटैलिजैंस को बढ़ा लेते हैं वे दूसरों को मैनिपुलेट करने में कामयाब रहते हैं. लेकिन जो इस में कमजोर होते हैं, उन के पार्टनर्स को बहुत मुसीबत उठानी पड़ती है.

कैसे पहचानें ऐसे पार्टनर को

रहेजा हौस्टिपल के साइकिएट्रिस्ट डा. केदार तिलवे कम आईक्यू वाले इंसान को पहचानने के लिए जिन बातों का ध्यान करते हैं वे हैं भावनात्मक विस्फोट, अपनी या अपने पार्टनर की भावनाओं को न सम झ सकना, इमोशंस को गलत ढंग से सम झना, परेशानी की स्थिति में सामने वाले को दोषी ठहराना, बिना तर्कसंगत और विवेकशील हुए बहसबाजी करना, सामने वाले की बात को न सुनना.

कंसल्टैंट साइकिएट्रिस्ट

डा. अनीता चंद्रा बताती हैं कि ऐसे व्यक्ति जल्दी में प्रतिक्रिया देते हैं और सामाजिक तालमेल बैठाने में कमजोर होते हैं. इन्हें अपने गुस्से के कारणों का पता नहीं होता और ये थोड़े अडि़यल स्वभाव के होते हैं.

कम आईक्यू के कारण

मनोचिकित्सक डा. अंजलि छाबरिया कहती हैं कि कम आईक्यू वाले लोग अपनी भावनाओं को भी नहीं पहचान पाते हैं और इसीलिए अपनी बातों या अपने क्रियाकलापों का असर सम झने में भी पिछड़ जाते हैं. ऐक्सपर्ट्स की राय में परेशानी में बीता बचपन या आत्ममुग्ध अभिभावकों की वजह से आईक्यू में कमी आ सकती है. कम आईक्यू जेनेटिक भी हो सकता है. ऐसे लोग दूसरों की तकलीफ कम सम झ पाते हैं और अकसर अपने कार्यों पर पछताते भी नहीं हैं.

डा. छाबरिया इन कारणों को इन के रिश्ते में आती दरारों से जोड़ कर देखती हैं. क्लीनिकल साइकोलौजिस्ट डा. सीमा हिंगोरानी के अनुसार ऐसे लोग अपने पार्टनर का ‘पौइंट औफ व्यू’ नहीं सम झते और मनमुटाव की स्थिति में सारा दोष पार्टनर के सिर पर डालने लगते हैं.

ऐसी ही एक लड़ाई के बाद जब सारिका दिल टूटने के कारण रोने लगी तब भी मोहित ने न तो उसे चुप कराया और न ही गले लगाया, उलटा पीठ फेर कर बैठ गया. हर बार रोने या दुखी होने का मोहित पर कोई फर्क न पड़ता देख सारिका ने इसे मैंटल एब्यूज का दर्जा दिया.

रिश्तों पर असर

डा. छाबरिया अपने एक केस के बारे में बताती हैं जहां एक पत्नी का ऐक्सट्रा मैरिटल अफेयर था, क्योंकि उसे अपने पति से भावनात्मक सामीप्य नहीं मिलता था. लेकिन वह अपने पति को छोड़ना भी नहीं चाहती थी. पति का अपने बच्चों के प्रति रवैया भी शुष्क था. फिर भी पत्नी उसे एक अच्छा इंसान मानती थी. कम आईक्यू वाले इंसान अपने रिश्तों में काफी कमजोर होते हैं. दोनों पार्टनर्स में एकदम अलग भावनात्मक स्तर होने के कारण रिश्ते पर आंच आने लगती है. ऐसे लोगों को उन के पार्टनर्स अच्छे से सम झ नहीं पाते और न ही वे स्वयं उन्हें सम झा पाते हैं, जिस की वजह से उन में गुस्सा और खीज बढ़ती है और तनाव व अवसाद होने की आशंका रहती है.

डा. हिंगोरानी हाल ही में हुए 3 केसों के बारे में बताती हैं जहां पत्नियां अपने पतियों से किसी भी तरह की भावनात्मक बातचीत नहीं कर पा रही थीं, क्योंकि हर बात पति या तो वहां से चला जाता या फिर टीवी की आवाज बढ़ा कर बातचीत न होने देता.

यों बचाएं रिश्ता

डा. हिंगोरानी के मुताबिक ऐसे रिश्तों को जिंदा रखने का एक ही तरीका है और वह है कम्यूनिकेशन. ‘कम्यूनिकेशन इज द की.’

आप को यह ध्यान रखना होगा कि आप का पार्टनर कुछ भी जानतेबू झते नहीं कर रहा है. उस की बैकग्राउंड को ध्यान में रखें. रोने झगड़ने, दोषारोपण करने से कोई हल नहीं निकलेगा, बल्कि आप को शांत रहना होगा.

डा. तिलवे कहते हैं कि बातचीत के दौरान आप उन की बात को दोहराएं ताकि उन्हें विश्वास हो कि आप उन्हें सम झ रहे हैं, साथ ही उन्हें भी सही तरह से सुनना आ सके, जोकि कम्यूनिकेशन में बेहद जरूरी होता है.

डा. छाबरिया कम आईक्यू वाले लोगों के पार्टनर्स को सलाह देती हैं कि वे अपनी भावनाएं, इच्छाएं और विचारों को साफ तौर पर व्यक्त करें.

क्या और कैसे करें

कम आईक्यू वाले पार्टनर से डील करते समय आप को क्या करना चाहिए कि रिश्ता कायम रहे और आप पर अत्यधिक दबाव भी न पड़े, आइए जानें:

लक्ष्मण रेखा खींचें: यह नियम बना लें कि खाने के समय पर कोई तनावपूर्ण बात नहीं की जाएगी या फिर औफिस में एकदूसरे को फोन कर के परेशान नहीं किया जाएगा.

टाइम आउट: यदि बातचीत लड़ाई का रूप लेने लगे या फिर कोई एक आपा खोने लगे तो उसी समय बातचीत रोक देने में ही आप का और आप के रिश्ते का फायदा है.

किसी तीसरे की सलाह: कई बार किसी बाहर वाले या काउंसलर की सलाह काम कर जाती है.

साफ बताएं: रिश्तों में कम्यूनिकेशन अकसर गैरमौखिक और सांकेतिक संप्रेषण

होता है. लेकिन यदि आप का पार्टनर कम आईक्यू वाला है तो उस से साफ शब्दों में अपनी भावनाएं व्यक्त करना ही सही रहता है, क्योंकि उस के लिए आप की भावनाओं को सम झ पाना मुश्किल है.

बहस न करें: आप चाहे कितने भी सही हों, किंतु कम आईक्यू वाले पार्टनर से बहस करना, उस के आगे रोना, अपनी बात को तर्क से कहना, उस की सोच बदलने की कोशिश करना सब व्यर्थ है. उलटा इस का असर यह भी हो सकता है कि वह आप पर  झल्ला पड़े, आप की बेइज्जती करने लगे, आप से लड़ने लगे या फिर आप की भावनाओं से एकदम पीछे हट जाए, इसलिए अपनी बात को शांत मन से कहें और फिर चुप हो जाएं.

रिश्तों पर पकड़ आपसी मनोभावों की सम झदारी में है. आप इन भावों को कैसे बताते हैं, कैसे सम झ पाते हैं, इसी पर रिश्तों का निबाह निर्भर करता है. यदि एक पार्टनर इस विषय में कमजोर है तो दूसरे पार्टनर को थोड़ी ज्यादा जिम्मेदारी निभानी होगी. आखिर आप का आईक्यू आप के पार्टनर से अधिक जो है.

क्या महिलाओं में सैक्स संबंधी समस्याएं होती हैं?

सवाल-

मेरी उम्र 21 साल है और जल्द ही शादी होने वाली है. मैं शादी के बाद सैक्स को ले कर डरी हुई हूं. क्या महिलाओं में सैक्स संबंधी समस्याएं होती हैं? क्या इन का उपचार संभव है?

जवाब-

शादी के बाद सैक्स को लेकर आप डरी हुई हैं. सैक्स संबंध कुदरती प्रक्रिया है. महिलाओं में भी सैक्स समस्याएं हो सकती हैं जैसे सैक्स संबंध के समय योनि में दर्द, चरमसुख का अभाव, उत्तेजना में कमी आदि. मगर पुरुषों की ही तरह महिलाओं की सैक्स समस्याओं का भी निदान संभव है. आप के लिए बेहतर यही है कि इन सब बातों से डरे बगैर खुद को शादी के लिए तैयार करें.

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शादी जिंदगी का एक अहम रिश्ता होता है. इसके जरिए आपको ढ़ेर सारा प्यार और नए रिश्ते मिलते हैं. शादी और भी कई चीजों से जुड़ी होती है जो आपके जीवन में कई तरह के बदलाव लाती है. ऐसी बहुत सी चीजे हैं जिन्हें आप शादी के बिना अनुभव नहीं कर सकती हैं. जब आप शादी के बंधन में बंध रही होती हैं तो आप एक नई जीवनशैली के साथ भी जुड़ रही होती हैं. शादी के बाद शुरुआत में आपकी जीवनशैली की बहुत सी चीजें बदल सकती है. आइए आज हम ऐसी ही चीजों के बारे में बात करते हैं.

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बच्चा होने के बाद पति और मैं अलग रहने लगे हैं?

सवाल-

मैं 21 साल की महिला हूं. मेरा डेढ़ साल का एक बच्चा है. शादी के बाद से ही पति मेरे साथ सैक्स संबंध को ले कर संतुष्ट नहीं रहते हैं. वे नियमित सैक्स करना चाहते हैं जबकि घर और बच्चे की देखभाल से मैं बेहद थक जाती हूं और रात में जल्द ही मुझे नींद आ जाती है. पति मु झे बहुत प्यार करते हैं, इसलिए मैं उन्हें नाराज भी नहीं देख सकती. कृपया बताएं मैं क्या करूं?

जवाब

बच्चे पैदा होने के बाद सैक्स संबंध को ले कर महिलाएं आमतौर पर उदासीन हो जाती हैं, जबकि बच्चों की परवरिश के साथसाथ पति के साथ सैक्स संबंध दांपत्य जीवन को खुशहाल बनाता है.

इस में कोई दोराय नहीं कि एक गृहिणी घर और बच्चों की देखभाल में इतनी व्यस्त रहती है कि खुद के लिए भी समय नहीं निकाल पाती. ऐसे में यह जरूरी हो जाता है कि आप घर के कामों को पति के साथ बांट लें. घर की साफसफाई, कपड़े धोना आदि कार्य प्यार से पति से करा सकती हैं. इस से आप पर काम का बो झ ज्यादा नहीं पड़ेगा. इस से न केवल आप खुद के लिए वक्त निकाल पाएंगी, बल्कि पति के साथ भी ज्यादा समय बिताने को मिलेगा. फिर जैसाकि आप ने बताया कि आप का बच्चा अब डेढ़ साल का हो चुका है और अब आप शारीरिक रूप से फिट भी हो चुकी हैं, तो ऐसे में सैक्स संबंध का लुत्फ उठा सकती हैं.

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महिलाओं को विवाह के बाद अपने व्यक्तित्व को, स्वभाव को बहुत बदलना पड़ता है. समाज सोचता है कि नारी की स्वयं की पहचान कुछ नहीं है. विवाह के बाद बड़े प्यारदुलार से उस की सामाजिक, मानसिक स्वतंत्रता उस से छीनी जाती है. छीनने वाला और कोई नहीं स्वयं उस के मातापिता, सासससुर और पति नामक प्राणी होता है. विदाई के समय मांबाप बेटी को रोतेरोते समझाते हैं कि बेटी यह तुम्हारा दूसरा जन्म है. सासससुर और पति की आज्ञा का पालन करना तुम्हारा परम कर्त्तव्य है.

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गर्भनिरोधक से जुड़ी सावधानियों के बारे में बताएं?

सवाल

मेरे आप से 2 सवाल हैं. पहला यह कि क्या वीर्यपात से पहले पुरुष से अलग हो जाने पर बगैर गर्भनिरोध भी काम चल सकता है? दूसरा यह कि स्त्री के शारीरिक मिलन में एचआईवी एड्स होने का रिस्क किसे अधिक होता है?

जवाब

यद्यपि कुछ दंपती गर्भनिरोध युक्तियों से बचने के लिए यह तरीका अपनाते हैं कि वीर्यपात होने से पहले स्त्री पुरुष से अलग हो जाती है, पर यह तरीका जरा भी भरोसे का नहीं है. उस में भूल होने का हमेशा खतरा रहता है. यौनोत्तेजना के क्षणों में स्खलन से पहले भी वीर्य की बूंद छूटने से गर्भ ठहर सकता है. समय से अलग न हो पाने पर तो अवांछित गर्भ ठहरने की तब तक चिंता बनी रहती है जब तक कि अगला महीना नहीं हो जाता. अत: गर्भनिरोध के लिए कोई बेहतर विधि अपनाना ही अच्छा है.

जहां तक स्त्रीपुरुष के शारीरिक मिलन में एचआईवी एड्स होने के रिस्क का सवाल है, तो दोनों में से कोई भी एचआईवी से संक्रमित है तो दूसरे को रोग हो सकता है, लेकिन पुरुष से स्त्री में एचआईवी विषाणु जाने का रिस्क अधिक होता है. इस का ठोस कारण भी है. शारीरिक मिलन के बाद पुरुष से स्खलित हुआ वीर्य लंबे समय तक स्त्री की योनि में रहता है. यदि यह वीर्य एचआईवी से संक्रमित है, तो वायरस के स्त्री में पैठ करने का रिस्क बढ़ जाता है.

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कुछ दिनों से आलोक कुछ बदलेबदले से नजर आ रहे हैं. वे पहले से ज्यादा खुश रहने लगे हैं. आजकल उन की सक्रियता देख कर युवक दंग रह जाते हैं. असल में उन के घर में एक नन्ही सी खुशी आई है. वे पिता बन गए हैं. 52 साल की उम्र में एक बार फिर पिता बनने का एहसास उन को हर पल रोमांचित किए रखता है. इस खुशी को चारचांद लगाती हैं उन की 38 वर्षीय पत्नी सुदर्शना. सुदर्शना की हालांकि यह पहली संतान है लेकिन आलोक की यह तीसरी है.

दरअसल, आलोक की पहली पत्नी को गुजरे 5 साल बीत चुके हैं. उन के बच्चे जवान हो चुके हैं और अपनीअपनी गृहस्थी बखूबी संभाल रहे हैं. कुछ दशक पहले की बात होती तो इन हालात में आलोक के दिल और दिमाग में बच्चों के सही से सैटलमैंट के आगे कोई बात नहीं आती. इस उम्र में अपनी खुशी के लिए फिर से शादी की ख्वाहिश भले ही उन के दिल में होती लेकिन समाज के दबाव के चलते इस खुशी को वे अमलीजामा न पहना पाते. अब जमाना बदल चुका है. लोग अपने स्वास्थ्य के प्रति सजग हो गए हैं, एंप्टी नैस्ट सिंड्रोम से बाहर निकल रहे हैं. और अपनी खुशियों को ले कर भी वे ज्यादा स्पष्ट और मुखर हैं. अब लोग 70 साल तक स्वस्थ और सक्रिय रहते हैं.

जब आलोक ने देखा कि उन के बच्चों का उन के प्रति दिनप्रतिदिन व्यवहार बिगड़ता जा रहा है. अपने कैरियर व भावी जिंदगी को बेहतर बनाने की आपाधापी में बच्चों के पास उन की खुशियों को जानने व महसूस करने की फुरसत नहीं है तो आलोक ने न केवल उन से अलग रहने का निर्णय लिया बल्कि एक बार फिर से अपनी जिंदगी को व्यवस्थित करने का मन बनाया.

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संयुक्त परिवार में रहने के कारण काफी परेशान हो गई हूं, मैं क्या करुं?

सवाल-

मैं 32 वर्षीय विवाहिता हूं. संयुक्त परिवार में रहती हूं. मेरे सासससुर के अलावा विवाहयोग्य देवर भी है. मेरी एक ननद भी है, जो विवाहिता है. समस्या यह है कि मेरी सास हमेशा हम पर दबाव बनाए रखती हैं कि हम ननद के लिए वक्तबेवक्त उपहार देते रहें. और तो और मेरी ससुराल वाले मेरे मायके से भी लेने का कोई मौका नहीं छोड़ते. घर का सारा खर्च हमें ही उठाना पड़ता है. ससुर रिटायर्ड हैं. देवर नौकरी करता है पर घरखर्च के लिए 1 रुपया नहीं देता. कभी कहो तो सुनने को मिलता है कि शादी के बाद वह भी जिम्मेदारी समझने लगेगा. इतनी महंगाई में एक व्यक्ति पर सारी गृहस्थी का बोझ डालना क्या वाजिब है? पति अपने मांबाप के सामने कभी जबान नहीं खोलते. ऐसे में मेरा उन से इस बारे में कुछ कहना क्या उचित होगा? पति को परेशान होते देखती हूं तो दुखी हो जाती हूं. बताएं क्या करूं?

जवाब-

आप के सासससुर को जीवन का लंबा अनुभव है. जब आप का देवर भी कमा रहा है, तो उस पर भी घरखर्च की जिम्मेदारी डालनी चाहिए. दोनों भाई मिल कर खर्च उठाएंगे तो किसी एक को परेशान नहीं होना पड़ेगा. इस के अलावा ननद पर भी खास मौके पर और अपनी हैसियत के अनुसार ही खर्च करें. सासससुर विशेषकर अपनी सास से शालीनता से बात कर सकती हैं कि वे देवर से भी घर की थोड़ीबहुत जिम्मेदारी उठाने को कहें. पूरे परिवार का एक व्यक्ति पर निर्भर रहना सही नहीं है. प्यार से बात करेंगी तो वे अवश्य इस विषय पर विचार करेंगी. भले ही शुरू में उन्हें आप का हस्तक्षेप अखरे और आप को आलोचना भी सुननी पड़े पर पति के भले के लिए आप इतना तो सुन ही सकती हैं.

Valentine’s Day 2024: तो हो जाएगा उन से प्यार

आज हरीश बहुत अच्छे मूड में था. सोच रहा था कि आज नेहा को मूवी दिखाने ले जाएगा. बहुत दिन हो गए मूवी देखे. मूवी देखने के बाद डिनर कर के ही लौटेंगे. लेकिन जब उस ने नेहा को फोन कर यह सब बताया तो सुन कर नेहा के मुंह से निकला कि कमाल है, आज आप को मेरे लिए टाइम मिल गया? वैसे जब कभी मैं बोलती हूं तो आप के पास टाइम नहीं होता है मेरे लिए. नेहा की बात सुन कर हरीश का अच्छाखासा मूड खराब हो गया.

नेहा जैसी बहुत सी पत्नियां ऐसी होती हैं, जो पति अगर उन्हें समय न दे तो ताने देती हैं और समय मिल जाए तो भी अपनी जलीकटी बातों से उसे खराब करने से बाज नहीं आती हैं. सच तो यह है कि जब आप किसी से प्यार करते हैं तो यह माने नहीं रखता है कि आप ने अपने साथी के साथ कितना समय बिताया. उस समय तो यही माने रखता है कि आप दोनों ने जो भी समय बिताया वह कितना अच्छा बीता. अगर आप ने अपने समय को एकदूसरे से उलझने में ही बिता दिया तो फिर यह मान कर चलिए कि अगर आप का ऐटिट्यूड यही रहेगा तो आप दोनों कभी खुश नहीं रह पाएंगे, क्योंकि खुश रहने की पहली शर्त यही है कि आप अपने साथी की भावनाओं का ध्यान रखें. कोई ऐसा काम न करें, जिस से साथी हर्ट हो. खुशहाल जीवन के लिए यह बेहद जरूरी है कि आप दोनों एकदूसरे की भावनाओं की कद्र करें और एकदूसरे की पसंदनापसंद का ध्यान रखें. यह सिर्फ पत्नी की ही जिम्मेदारी नहीं है, पति के लिए भी यह बात उतनी ही माने रखती है जितनी पत्नी के लिए. वैसे भी कहा जाता है कि पतिपत्नी का संबंध बेहद संवेदनशील होता है. दोनों को एक गाड़ी के 2 पहियों की तरह माना गया है. जिस तरह अगर 1 पहिए में हवा कम हो जाए या वह पंक्चर हो जाए तो गाड़ी का संतुलन बिगड़ जाता है, ठीक उसी तरह पतिपत्नी में से अगर एक भी अपने साथी की भावनाओं का ध्यान नहीं रख पा रहा है, तो फिर इस प्यार भरे संबंध में दरार आते देर नहीं लगती है.

आजकल ज्यादातर पतिपत्नी दोनों वर्किंग हैं. ऐसे में यह जरूरी हो जाता है कि जिस तरह से दोनों मिलजुल कर आर्थिक जिम्मेदारियों को निभाते हैं, उसी तरह घरेलू काम में भी एकदूसरे का साथ दें. अगर पत्नी वर्किंग न भी हो तो भी घर में इतने काम होते हैं कि वह थक जाती है. ऐसे में अगर आप उस की थोड़ी सी मदद कर दें, तो उस के मन में आप के प्यार की डोर और ज्यादा मजबूत होगी. आमतौर पर पतियों की यह धारणा होती है कि घर का काम करने का जिम्मा सिर्फ पत्नी का है. जबकि अब तो यह कतई जरूरी नहीं है कि घर का सारा काम केवल पत्नी ही करे. अगर पत्नी खाना बना रही है, तो कम से कम आप अपने बच्चों का होमवर्क तो करवा ही सकते हैं. इसी तरह बाजार से सब्जी लाना या फिर कमरे में बिखरी चीजों को ठीक करना आदि छोटेमोटे काम कर के भी आप अपने संबंधों को प्रगाढ़ बना सकते हैं. आप की यह छोटी सी पहल आप की पत्नी के मन में प्यार के साथसाथ आप के प्रति सम्मान भी बढ़ाएगी. यकीन मानिए इस बात पर अमल कर के आप अपनी पत्नी के दिल के और ज्यादा करीब होते जाएंगे.

पसंदनापसंद का रखें ध्यान

प्यार भरे संबंधों के लिए यह बेहद जरूरी है कि आप अपने साथी की पसंदनापसंद का ध्यान रखें. अगर उसे आप की कोई बात अच्छी नहीं लगती है, तो उसे बदलने की कोशिश करें. इसी तरह से इस बात का भी खयाल रखें कि ऐसी कौनकौन सी बातें हैं, जिन के जिक्र मात्र से आप के जीवनसाथी के चेहरे पर मुसकान छा जाती है और जिन का जिक्र ही उसे पसंद नहीं है. इन सारी बातों के अलावा आप के साथी को खाने में क्या पसंद है, उस का पसंदीदा रंग कौन सा है जैसी छोटीछोटी बातें भी आप दोनों के प्यार को और बढ़ाएंगी.

एकदूसरे के परिवार का सम्मान करें

अगर आप यह चाहते हैं कि आप का साथी आप को प्यार करे और आप की बात को मान दे, तो इस के लिए यह बेहद जरूरी है कि आप अपने जीवनसाथी से जुड़े सारे संबंधों को खुले दिल से स्वीकार करें. उस के परिवार के सदस्यों का सम्मान करें. जब आप अपने जीवनसाथी के मातापिता को अपने मातापिता की तरह मान देंगे और उस के भाईबहनों को भी अपने भाईबहनों की तरह प्यार करेंगे, तो यकीनन आप के संबंधों में प्रगाढ़ता आएगी. यह सच है कि जहां प्यार होता है वहां टकराव भी होता है. फिर एक गाना भी है, ‘तुम रूठी रहो मैं मनाता रहूं…’ थोड़ीबहुत नोंकझोंक प्यार बढ़ाती है. लेकिन जब यह जरूरत से ज्यादा बढ़ जाए तो फिर संबंधों में खटास आते देर नहीं लगती. इसलिए अपने जीवनसाथी के साथ बातचीत करते समय इस बात का ध्यान रखें कि आप जो भी बात कहें उस से उस का ईगो हर्ट न हो. इस बात पर भी ध्यान देना जरूरी है कि अपनी बहस को झगड़े में न बदलें. अगर आप दोनों के बीच किसी बात को ले कर मनमुटाव हो भी गया हो, तो फिर उसे उसी दिन सुलझा लें. कहने का मतलब यह कि अपनी तकरार को लंबा न खींचें. जितनी जल्दी हो सुलझा लें.

किसी भी संबंध को तभी अच्छी तरह से चलाया जा सकता है जब उस में विश्वास हो. बिना भरोसे के यह संबंध दिखावा मात्र रह जाता है. आज जब पतिपत्नी दोनों वर्किंग हैं, दोनों काम पर जाते हैं तो उन के बीच एकदूसरे के सहकर्मियों को ले कर अनायास ही शक पैदा होने लगता है. ऐसे में अगर आप चाहते हैं कि आप का संबंध खुशियों से भरा रहे, तो इस के लिए यह जरूरी है कि आप अपने साथी पर विश्वास करें. सच यही है कि खुश रहने के लिए धनदौलत की उतनी ज्यादा जरूरत नहीं होती है जितनी अपने साथी के साथ म्यूचुअल अंडरस्टैंडिंग और प्यार की. अपने जीवनसाथी की छोटीछोटी जरूरतों और खुशियों का ध्यान रखें और अपनी जिंदगी से सारे तनाव निकाल कर जीवनसाथी का प्यार पाएं.

कब बोरिंग होती है मैरिड लाइफ

विवाह के कुछ वर्ष बाद न सिर्फ जीवन में बल्कि सैक्स लाइफ में भी एकरसता आ जाती है. कई बार कुछ दंपती इस की तरफ से उदासीन भी हो जाते हैं और इस में कुछ नया न होने के कारण यह रूटीन जैसा भी हो जाता है. रिसर्च कहती है कि दांपत्य जीवन को खुशहाल व तरोताजा बनाए रखने में सैक्स का महत्त्वपूर्ण योगदान है. लेकिन यदि यही बोरिंग हो जाए तो क्या किया जाए?

पसंद का परफ्यूम लगाएं

अकसर महिलाएं सैक्स के लिए तैयार होने में पुरुषों से ज्यादा समय लेती हैं और कई बार इस वजह से पति को पूरा सहयोग भी नहीं दे पातीं. इसलिए यदि आज आप का मूड अच्छा है तो आप वक्त मिलने का या बच्चों के सो जाने का इंतजार न करें. अपने पति के आफिस से घर लौटने से पहले ही या सुबह आफिस जाते समय कानों के पीछे या गले के पास उन की पसंद का कोलोन, परफ्यूम लगाएं, वही खुशबू, जो वे रोज लगाते हैं. किन्से इंस्टिट्यूट फौर रिसर्च इन सैक्स, जेंडर एंड रिप्रोडक्शन के रिसर्चरों का कहना है कि पुरुषों के परफ्यूम की महक महिलाओं की उत्तेजना बढ़ाती है और सैक्स के लिए उन का मूड बनाती है.

साइक्लिंग करें

अमेरिकन हार्ट फाउंडेशन द्वारा जारी एक अध्ययन में स्पष्ट हुआ कि नियमित साइक्लिंग जैसे व्यायाम करने वाले पुरुषों का हृदय बेहतर तरीके से काम करता है और हृदय व यौनांगों की धमनियों व शिराओं में रक्त के बढ़े हुए प्रवाह के कारण वे बेडरूम में अच्छे प्रेमी साबित होते हैं. महिलाओं पर भी साइक्लिंग का यही प्रभाव पड़ता है. तो क्यों न सप्ताह में 1 बार आप साइक्लिंग का प्रोग्राम बनाएं. हालांकि साइक्लिंग को सैक्स विज्ञानी हमेशा से शक के दायरे में रखते हैं, क्योंकि ज्यादा साइक्लिंग करने से साइकिल की सीट पर पड़ने वाले दबाव के कारण नपुंसकता हो सकती है. लेकिन कभीकभी साइक्लिंग करने वाले लोगों को ऐसी कोई समस्या नहीं होती.

स्वस्थ रहें

वर्जिनिया की प्रसिद्ध सैक्स काउंसलर एनेट ओंस का कहना है कि कोई भी शारीरिक क्रिया, जिस के द्वारा आप के शरीर के रक्तप्रवाह की मात्रा कम होती है, सैक्स से जुड़ी उत्तेजना को कम करती है. सिगरेट या शराब पीना, अधिक वसायुक्त भोजन लेना, कोई शारीरिक श्रम न करना शरीर के रक्तप्रवाह में गतिरोध उत्पन्न कर के सैक्स की उत्तेजना को कम करता है. एक स्वस्थ दिनचर्या ही आप की सैक्स प्रक्रिया को बेहतर बना सकती है.

दवाइयां

वे दवाइयां, जिन्हें हम स्वस्थ रहने के लिए खाते हैं, हमारी सैक्स लाइफ का स्विच औफ कर सकती हैं. इन में से सब से ज्यादा बदनाम ब्लडप्रेशर के लिए ली जाने वाली दवाइयां और एंटीडिप्रेसेंट्स हैं. इन के अलावा गर्भनिरोधक गोलियां और कई गैरहानिकारक दवाइयां भी सैक्स की दुश्मन हैं. इसलिए कोई नई दवा लेने के कारण यदि आप को सैक्स के प्रति रुचि में कोई कमी महसूस हो रही हो तो अपने डाक्टर से बात करें.

सोने से पहले ब्रश

बेशक आप अपने साथी से बेइंतहा प्रेम करती हों, लेकिन अपने शरीर की साफसफाई का ध्यान अवश्य रखें. ओरल हाइजीन का तो सैक्स क्रीडा में महत्त्वपूर्ण स्थान है. यदि आप के मुंह से दुर्गंध आती हो तो आप का साथी आप से दूर भागेगा. इसलिए रात को सोने से पहले किसी अच्छे फ्लेवर वाले टूथपेस्ट से ब्रश जरूर करें.

स्पर्श की चाहत को जगाएं

आमतौर पर लोगों को गलतफहमी होती है कि अच्छी सैक्स क्रीडा के लिए पहले से मूड होना या उत्तेजित होना आवश्यक है, लेकिन यह सत्य नहीं है. एकसाथ समय बिताएं, बीते समय को याद करें, एकदूसरे को बांहों में भरें. कभीकभी घर वालों व बच्चों की नजर बचा कर एकदूसरे का स्पर्श करें, फुट मसाज करें. ऐसी छोटीछोटी चुहलबाजी भी आप का मूड फ्रेश करेगी और फोरप्ले का काम भी.

थ्रिलर मूवी देखें

वैज्ञानिकों का मानना है कि डर और रोमांस जैसी अनुभूतियां मस्तिष्क के एक ही हिस्से से उत्पन्न होती हैं, इसलिए कभीकभी कोई डरावनी या रोमांचक मूवी एकसाथ देख कर आप स्वयं को सैक्स के लिए तैयार कर सकती हैं.

फ्लर्ट करें

वैज्ञानिकों का मानना है कि फ्लर्टिंग से महिलाओं के शरीर में आक्सीटोसिन नामक हारमोन का स्राव होता है, जो रोमांटिक अनुभूतियां उत्पन्न करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है. इसलिए दोस्तों व सहेलियों के बीच सैक्सी जोक्स का आदानप्रदान करें, कभीकभी किसी हैंडसम कुलीग, दोस्त के साथ फ्लर्ट भी कर लें. अपने पति के साथ भी फ्लर्टिंग का कोई मौका न छोड़ें. आप स्वयं सैक्स के प्रति अपनी बदली रुचि को देख कर हैरान हो जाएंगी.

मेरा होने वाला पति विवाह से पहले मेरा मैडिकल चैकअप कराना चाहता है?

सवाल-

मैं 20 वर्षीय युवती हूं. सगाई हो चुकी है. जल्द ही शादी होने वाली है. मैं कई बार शारीरिक संबंध बना चुकी हूं. अब समस्या यह है कि मेरा होने वाला पति विवाह से पहले मेरा मैडिकल चैकअप कराना चाहता है. यदि ऐसा हुआ तो मेरे अवैध संबंधों की बाबत सब जान जाएंगे. जब से उस ने यह बात कही है मेरी रातों की नींद उड़ गई है. बताएं, क्या करूं?

जवाब-

आप को ऐसे शक्की व्यक्ति से विवाह हरगिज नहीं करना चाहिए, जो शादी से पहले ही इस तरह की शर्तें रख रहा है वह बाद में न जाने क्या करे. ऐसे दकियानूसी खयाल रखने वाला मनोरोगी लगता है. अत: किसी प्रकार का संकोच न करें और साफसाफ मना कर दें.

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श्वेता और अमन की कुंडली व गुण मिला कर विवाह कराया गया. ज्योतिषी ने दावा करते हुए कहा था, ‘‘श्वेता और अमन जीवनभर खुश रहेंगे.’’

मगर विडंबना देखिए कि शादी के दूसरे दिन ही श्वेता आंखों में आंसू लिए घर लौट आई. उसे शादी में आए किसी रिश्तेदार से पता चला कि अमन को एड्स है. विवाह से पहले अमन ने उस से इतनी बड़ी बात छिपा ली थी. यदि ज्योतिष के पाखंड में न पड़ कर दोनों की मैडिकल जांच की गई होती तो श्वेता को यह दुख न भोगना पड़ता.

आज के विज्ञान के युग में भी ज्यादातर लोगों को ऐसा लगता है कि मैडिकल टैस्ट कराना बेकार है. मैडिकल टैस्ट कराने में उन के अहंकार को चोट पहुंचती है. उन्हें लगता है कि जब उन्हें बीमारी है ही नहीं तो बेकार में मैडिकल टैस्ट क्यों कराया जाए. कुछ लोग सबकुछ भाग्य के भरोसे छोड़ देते हैं. कुछ सोचते हैं कि शादी के बाद कोई बीमारी हो जाएगी तब भी तो निभाना पड़ेगा. कुछ को ऐसा भी लगता है कि मैडिकल टैस्ट पर क्यों बेकार में इतने रुपए खर्च किए जाएं. मगर यदि डाक्टर की सलाह ले कर छोटी सी सावधानी बरतते हुए विवाह से पहले कुछ टैस्ट करा लिए जाएं तो दोनों परिवार बहुत सी परेशानियों से बच सकते हैं.

अब समय बदल रहा है. आजकल बड़ी उम्र में विवाह होते हैं. मैडिकल साइंस भी दिनप्रतिदिन तरक्की कर रही है. आज का युवावर्ग बहुत समझदार हो गया है. पहले की तरह मात्र जन्मपत्री मिला कर शादी कर लेना युवाओं को भी अब मान्य नहीं. सफल एवं सुरक्षित वैवाहिक जीवन के लिए यह जरूरी है कि विवाह से पहले लड़कालड़की अपनी इच्छा से अपनी मैडिकल जांच जरूर कराएं ताकि औलाद और खुद को रोगों से बचाया जा सके. इस से वैवाहिक जीवन में प्रेम और स्थिरता बनी रहेगी.

माई बैटर हाफ: शादी का रिश्ता बनाना चाहते हैं मजबूत, तो अपनाएं ये बातें

हमारे रिश्तेनाते हमारा सामर्थ्य होते हैं. इन में पतिपत्नी का रिश्ता एकदूसरे के प्रति विश्वास, प्रेम और अपनेपन पर आधारित होता है. दो अजनबी प्यार में पड़ कर विवाहित होते हैं और फिर एक तरह से उन के बीच एक अटूट प्रेम का रिश्ता पनपने लगता है. इसी से ही आगे चल कर स्नेह, प्रेम और अपनेपन की भावनाओं से रिश्तों का धागा बुना जाता है.

यह अपनापन ही हमारे मन को हमेशा से उमंग देता रहता है और यही अनुभूति पतिपत्नी के रिश्तों में भी होती है. इस रिश्ते में एक मन होता है विश्वास रखने वाला तो दूसरा मन होता है समझने वाला. कई बार पत्नी अपने पति के काम के बारे में, उस की अच्छीबुरी आदतों के बारे में, उस के स्नेहशील नेचर के बारे में बातें करती रहती है. उस का पति के प्रति प्रेम का अभिमान उस के चेहरे से साफ झलकता है, तो कई बार कामयाब पति के पीछे उस की पत्नी दृढ़ निश्चय से खड़ी रहती है. लेकिन क्या एक कामयाब पत्नी के पीछे, उस की सराहना करने के लिए पुरुष वर्ग भी आगे रहता है?

सिर्फ एक स्टैंप नहीं: समीक्षा गुप्ता

हकीकत में एक कामयाब पत्नी का पति होना गर्व की अनुभूति कराता है. ऐसा ही एक अनूठा रिश्ता है ग्वालियर की मेयर समीक्षा गुप्ता और उन के पति राजीव गुप्ता का. बुंदेलखंड विश्वविद्यालय से इकोनौमिक्स में स्नातक समीक्षा मूलत: मध्य प्रदेश के राजगढ़ की हैं. शादी के बाद उन्होंने कई साल एक घरेलू महिला की तरह बिताए और अपनी भूमिका को अच्छी तरह निभाया. फिर उन की सासूमां ने उन्हें कौरपोरेटर का चुनाव लड़ने के लिए प्रोत्साहित किया तो वे कौरपोरेटर हुईं. यहीं से समीक्षा के नए सफर की शुरुआत हुई. लेकिन समीक्षा ने कभी अपनी जिम्मेदारियों को अनदेखा नहीं किया.

चुनाव जीतने के बाद वे एक स्टैंप न रह कर वार्ड में लोगों के रुके हुए कामों व उन की परेशानियों की तरफ ध्यान देने लगीं. ऐसा कर के ही दूसरी पारी में भी वे अपने चुनाव क्षेत्र से जीतीं. इस के बाद ग्वालियर की जनता ने उन्हें मेयर की कुरसी पर बैठाया. एक कौरपोरेटर के तौर पर उन के काम सिर्फ अपने वार्ड तक ही सीमित थे, लेकिन मेयर होते ही पूरे ग्वालियर शहर के विकास के काम धड़ल्ले से करने शुरू कर दिए.

शहर का सौंदर्यीकरण, चौड़े रास्ते, पार्क, रोड, कन्यादान जैसी योजनाओं पर उन्होंने सफलतापूर्वक काम किया. इस दौरान उन्हें लोगों का विरोध भी सहना पड़ा. पति राजीव कहते हैं, ‘‘जब समीक्षा शहर या शहर के लोगों के बारे में कोई निर्णय लेती हैं तब वे सिर्फ एक शहर की मेयर होती हैं. बाहर के काम के बारे में या किसी समस्या के बारे में वे घर पर विचारविमर्श तो करती हैं, लेकिन अंतिम निर्णय खुद ही लेती हैं.

‘‘घर आने के बाद वे 2 बेटियों की प्यारी मां होती हैं, हमारे अम्मां, बाबूजी की बहू होती हैं. हमारा परिवार संयुक्त परिवार है. वे हर एक रिश्ते का मान रखती हैं. आज समीक्षा स्त्री भू्रण हत्या के साथसाथ महिलाओं पर होने वाले अत्याचार पर काम कर रही हैं, इस का मुझे गर्व है.’’

घर की छांव: छाया नागपुरे

एफआरआर फोरेक्स में सीनियर मैनेजर के पद पर आसीन छाया के पति विजय के चेहरे पर अभिमान स्पष्ट रूप से झलकता है. इस परिवार का बेटा यशराज और बेटी ऐश्वर्या के साथ खुद विजय इन सभी की सफलता का संगम छाया के असीम स्नेह की छांव में ही हो सका, ऐसा उन्हें लगता है.

पहली मुलाकात, पहली तकरार, पहला गिफ्ट, सालगिरह आदि बातें आमतौर पर सिर्फ महिलाओं को ही याद रहती हैं, लेकिन विजय ने उन के प्यार को 26 साल किस दिन हुए, यह बात बहुत ही गौरव से बताई.

उन की जिंदगी में छाया के आने के बाद सब अच्छा ही होता गया, ऐसा बताते हैं विजय. उन्होंने बताया कि छाया ने अपनी पढ़ाई बहुत ही प्रतिकूल हालात में पूरी की है. घर में ट्यूशन पढ़ा कर बी.एससी. पूरी की. उस के बाद विजय के अनुरोध पर उन्होंने लेबर स्टडीज विषय पर एम.एस. किया.

पहली ही नौकरी में उन्हें कामगारों द्वारा की गई हड़ताल की समस्या सुलझाने के लिए सिल्व्हासा में भेजा गया. उस वक्त वे अपनी छोटी बेटी और पति को साथ ले कर गई थीं. वहां पर कामगारों ने उन के साथ अच्छा बरताव नहीं किया था. ‘एक औरत हमारी समस्याएं क्या हल करेगी.’ यही भाव उस वक्त उन के चेहरों पर थे. तब छाया ने वहां का माहौल हलका करने के लिए कहा कि मैं अपने पति और बेटी को ले कर आप के शहर आई हूं. आप का शहर कैसा है यह तो दिखाइए. यह कहने के बाद वहां का माहौल हलका हुआ और मालिक और कामगारों के बीच का तनाव कम हुआ.

विजय कहते हैं कि आज भी परिवार के सगेसंबंधी अपनी समस्याएं ले कर छाया के पास आते हैं तब छाया उन्हें ‘मैं जो कहती हूं वह करना ही चाहिए’ न कह कर उस बात के फायदे और नुकसान के विकल्प उन के सामने रखती हैं. इस से अपनी समस्याओं का हल उन्हें वहीं मिल जाता है. कभीकभी सामने वालों से डीलिंग करते वक्त उन्हें कठोर कदम भी उठाना पड़ता है. इस बारे में छाया खुद कहती हैं, ‘‘आखिर मैं ह्यूमन रिसोर्स यानी व्यक्तियों के साथ डील करती हूं. हर व्यक्ति एक जैसा नहीं होता.

संवाद साधने वाली: लीना

लीना प्रकाश सावंत. लीना यानी नम्र. लेकिन नाम में नम्रता होते हुए भी कहां पर नम्र होना है और कहां पर प्रतिकार करना है, इस की जानकार लीना सावंत के पति कंस्ट्रक्शन के बिजनैस में हैं. कौमर्स से स्नातक लीना नौकरीपेशा प्रकाश सावंत के साथ शादी होने के बाद जब गोवा, पूना घूम रही थीं, तो वहां भी वे समय का सदुपयोग करने के लिए छोटीमोटी नौकरी कर रही थीं.

लेकिन प्रकाश ने जब नौकरी छोड़ कर बिजनैस करने का फैसला कर लिया तब लीना ने उन की कल्पनाओं को साकार करने में मदद की और खुद भी बिजनैस में ध्यान देने लगीं. इस के बारे में प्रकाश ने कहा कि सब से पहले हमें वोडाफोन के ग्लो साइन एडवरटाइजमैंट का कौंट्रैक्ट मिला था. तब आर्थिक प्रबंधन व बाकी सभी कामों की जिम्मेदारी लीना ने स्वयं ही अपने कंधों पर ली थी. इंटरनैशनल क्रिएशन नाम की उन की कंपनी ग्लो साइन बोर्ड में टौपर कंपनी है.

आज उन के घर का इंटीरियर हो या बच्चों का कमरा, हर एक चीज उन्होंने अपनी बेहतरीन कल्पना से डिजाइन की है. आज उन का बड़ा बेटा प्रसाद यूएस में शिक्षा ले कर उन के बिजनैस में मदद कर रहा है, तो दूसरा बेटा केदार इकोल मोंडेल जैसे मशहूर स्कूल में पढ़ रहा है. बच्चों की पढ़ाई घर की जिम्मेदारियां संभालते हुए लीना आज बिजनैस में पति की खूब मदद कर रही हैं.

बदलते समय के कदमों को भांप कर 2006 में प्रकाश सावंत ने कंस्ट्रक्शन के कारोबार में कदम रखा तब लीना उन के पीछे खड़ी रहीं. आज भी कारोबार की रूपरेखा तय करते वक्त सब से पहले लीना के सुझाव ध्यान में रखे जाते हैं.

कई बार हंसीमजाक में कहा जाता है कि आप सुखी हैं या शादीशुदा हैं? लेकिन इन पतियों का उन के बैटर हाफ के बारे में झलकता हुआ प्यार, विचार और विश्वास देख कर हम कह सकते हैं कि कामयाब महिलाओं के कारण ही उन का जीवन अधिकतम समृद्ध और खुशहाल हो पाया.

क्या पति को धोखा देना सही है?

सवाल-

मैं 32 वर्षीय विवाहिता हूं. मेरे पति बैडरूम में घुसते ही मुझ पर बलात्कारी की तरह टूट पड़ते हैं. दिन भर घर का काम और बच्चों की देखभाल करतेकरते मैं पूरी तरह थक चुकी होती हूं और चाहती हूं कि रिलैक्स करूं पर उन्होंने कभी मेरी इच्छाअनिच्छा की परवाह नहीं की. इसीलिए मेरी न तो सहवास में कोई रुचि रही है और न ही पति में. इधर कुछ दिनों से एक लड़का, जो मेरे पड़ोस में रहता है मुझे बहुत आकर्षित कर रहा है. चाहती हूं उस से दोस्ती कर लूं और एक बार उस के साथ संबंध बनाऊं. क्या मेरा प्रस्ताव वह स्वीकार करेगा और यह भी बताएं कि ऐसा करना ठीक होगा?

जवाब-

आप अपने पति की आदत जानती हैं, तो खुद को तैयार कर लिया करें ताकि जो भी हो रजामंदी से हो. ऐसा करने पर आप भी सहवास को ऐंजौय करेंगी. रात को आप को थकावट हो या न हो सैक्स ऐंजौय करने की प्लानिंग आप को करनी चाहिए. पड़ोस के लड़के से दोस्ती करना और संबंध बनाना न तो आसान है न ही व्यावहारिक.

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धोखा देना इंसान की फितरत है फिर चाहे वह धोखा छोटा हो या फिर बड़ा. अकसर इंसान प्यार में धोखा खाता है और प्यार में ही धोखा देता है. लेकिन आजकल शादी के बाद धोखा देने का एक ट्रेंड सा बन गया है. शादी के बाद लोग धोखा कई कारणों से देते हैं. कई बार ये धोखा जानबूझकर दिया जाता है तो कई बाद बदले लेने के लिए. इतना ही नहीं कई बार शादी के बाद धोखा देने का कारण होता है असंतुष्टि. कई बार तलाक का मुख्‍य कारण धोखा ही होता है. लेकिन ये जानना भी जरूरी है कि शादी के बाद धोखा देना कहां तक सही है, शादी के बाद धोखे की स्थिति को कैसे संभालें. क्या करें जब आपका पार्टनर आपको धोखा दे रहा है.

शादी के बाद धोखा देने के कारण

1. असंतुष्टि- कई बार पुरूष को अपनी महिला साथी से संभोग के दौरान असंतुष्टि होती है जिसके कारण वह बाहर की और जाने पर विविश हो जाता है और जल्दी ही वह दूसरी महिलाओं के करीब आ जाता है, नतीजन वो चाहे-अनचाहे अपनी महिला साथी को धोखा देने लगता है.

2. खुलापन- समाज में आ रहे खुलेपन के कारण भी पुरूष अपनी महिला साथी को धोखा देने से नहीं चूकता. दरअसल, समाज में खुलापन आने के कारण लोग खुली मानसिकता के हो गए हैं जिससे उन्हें विवाहेत्तर संबंध बनाने में भी कोई दिक्कत नहीं होती और महिलाएं भी बहुत बोल्ड हो गई हैं. इस कारण भी पुरूष अपनी महिला साथी का धोखा देते हैं.

3. संभावनाओं के कारण- आजकल विवाहेत्तर संबंध बनने की संभावनाएं अधिक हैं यानी विवाहेत्तर संबंध आसानी से बन जाते हैं. जिससे पुरूष अपनी पत्नी को धोखा देने लगते हैं, यह सोचकर कि उन्हें कुछ पता नहीं चलेगा.

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

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