रात के 2 बज चुके थे. अभी तक प्रसून घर नहीं आया था. उमाजी की आंखों की नींद उड़ी हुई थी. वे काफी दिनों से देख रही थीं कि प्रसून ने देर से आने की आदत बना ली थी.
गेट के खुलने की आहट होते ही वे उठ खड़ी हुईं. ड्राइवर के कंधे पर लदे नशे में धुत्त प्रसून को देखते ही वे आपे से बाहर हो उठीं. क्रोध भरे स्वर में चिल्लाईं, ‘‘प्रसून, आईने में अपना चेहरा देखा है तुम ने? क्या हालत हो गई है तुम्हारी? लेकिन तुम ने जैसे न सुधरने का प्रण कर रखा हो… आखिर क्यों अपनी जिंदगी के साथ खिलवाड़ कर रहे हो?’’
प्रसून भी उसी लहजे में नशे के कारण लड़खड़ाती आवाज में बोला, ‘‘पहले तो तुम मुझे उपदेश देना बंद करो. जरा बताओ तो तुम ने मेरे लिए किया क्या है? मैं कहकह कर थक गया हूं कि मेरी शादी करवा दो. लेकिन तुम्हें क्या मतलब? तुम्हारा अपना बेटा होता तो उस के लिए यहां वहां भागती फिरतीं.
‘‘तुम्हें क्या जरूरत पड़ी है… तुम तो मेरे पैसे पर ऐश कर ही रही हो. रोज नए गहने खरीदो, क्लब जाओ, बड़ी गाड़ी में यहांवहां घूमो, बस हो गई तुम्हारी जरूरतें पूरी.
‘‘लेकिन मुझे तो रोज अपने शरीर की भूख मिटाने के लिए यहां वहां भटकना ही पड़ेगा. छोड़ो, तुम्हारी बकवास के कारण मेरा मूड और खराब हो गया,’’ और फिर लड़खड़ाते कदमों से अपने कमरे में चला गया.
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आज प्रसून की बातें सुन कर उमाजी के दिल को बहुत ठेस पहुंची थी. लेटेलेटे वे घंटों सिसकती रहीं. प्रसून उन की बहन की निशानी है. उन्होंने स्वयं इसी बच्चे के लिए अपनी सारी खुशियां कुरबान कर दी थीं. वे स्कूल में नौकरी कर के उसे सारी खुशियां देने का प्रयास करती रहीं.
पिताजी ने बहुत समझाया था. लेकिन उन्होंने उन की बात को अनसुनी कर दिया. यही कहती रहीं कि इस अबोध को कौन पालेगा.
मीरा जीजी ने तो इस के पैदा होते ही अपनी आंखें मूंद ली थीं. अनूप जीजाजी पहले तो अकसर इस की खबर लेने आते थे, लेकिन उन की लालची निगाहों को देख वह समझ गई थी कि उन की कामुक निगाहें बच्चे से ज्यादा उसे निहारने और छूने में रहती हैं.
कोई भी लड़की मर्द की वासना भरी निगाहों को एक पल में पहचान सकती है. एक दिन जब ढिठाई से उन्होंने उन्हें अपनी आगोश में समेटने का प्रयास किया तब बिना देर किए उन्होंने जोरदार तमाचा जड़ दिया था.
उस दिन के बाद से आज तक उन्होंने किसी मर्द को अपने जीवन में झांकने का अवसर नहीं दिया था.
प्रसून ही उन का वर्तमान था और वही उन का भविष्य था. हर क्षण वे प्रसून की खुशियों में ही अपनी खुशी ढूंढ़ा करती थीं.
उन के अधिक लाड़प्यार का नतीजा यह हुआ कि वह जिद्दी और बदतमीज होता चला गया. जो उस ने मुंह से निकाला, उसे हर हालत में चाहिए. वे भी हर सूरत में उस की इच्छा पूरी करने का प्रयास करतीं.
वह पढ़ने में तो ठीकठाक था लेकिन हर समय बड़ा आदमी बनने का ख्वाब देखा करता.
उमाजी ने प्रसून के बी.कौम. करने के बाद एक प्राइवेट कालेज में एमबीए में उस का ऐडमिशन कराने के लिए अपनी जमापूंजी लगा दी थी कि चलो कहीं प्लेसमैंट हो जाएगी तो उस की शादी धूमधाम से कर के उन का बुढ़ापा चैन से कटेगा.
प्रसून ने जवान हो कर बिलकुल अपने पापा का रंगरूप पाया था. गोरा, लंबा और आकर्षक 6 फुट का युवक अपनी लच्छेदार बातों से हर जगह अपना रंग जमा लेता था.
कालेज जाते ही लड़कियों के फोन कौल्स से उन का माथा ठनका था. लेकिन उन्होंने उस पर ध्यान नहीं दिया था. उन्होने सोचा था जवानी की उम्र में तो यह सब होता ही है.
जब प्रसून एमबीए के दूसरे वर्ष में था तभी उस की निगाह अपने साथ पढ़ने वाली जया पर पड़ी थी. दोनों के बीच की दोस्ती जल्द ही प्यार में बदल गई. लेकिन प्रसून की निगाह तो जया से ज्यादा उस के करोड़पति पापा के पैसों पर थी. उस के प्यार में पागल जया एक रात घर से ढेरों जेवर ले कर भाग गई.
अगली सुबह ही पुलिस ने उन के घर पर छापा मारा और उन्हें गिरफ्तार कर के ले गई. उमाजी को कुछ पता ही न था, जो वे पुलिस को कुछ बता पातीं.
महीनों तक दोनों यहां वहां भागते रहे, लेकिन आखिर एक दिन वे पुलिस की गिरफ्त में आ ही गए. जया के पिता ने पैसे और पहुंच के जोर से बेटी को छुड़ा लिया परंतु प्रसून की जमानत भी न हो सकी और उसे 2 वर्ष का सश्रम कारावास हो गया.
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उमाजी के लिए यह बहुत बड़ा धक्का था. पैसे भी बरबाद हो चुके थे और समाज में उन की इज्जत भी मिट्टी में मिल गई थी. वे किसी को अपना मुंह दिखाने लायक नहीं रह गई थीं. परंतु ममता से मजबूर जब प्रसून सजा काट कर जेल से बाहर निकला तो वे वहीं बाहर उस का इंतजार करती मिली थीं. प्रसून उन के कंधे पर सिर रख कर बच्चों की तरह फूटफूट कर रो पड़ा था.
रात के स्याह अंधेरे में दोनों थोड़ाबहुत सामान समेट कर पुणे चल दिए थे. पुणे पहुंच कर नौकरी के लिए यहांवहां हाथपांव मारता रहा. बहुत मुश्किल समय था. उमाजी ने भी 1-2 ट्यूशन पकड़ ली थीं.
तभी प्रसून को एक प्लेसमैंट एजेंसी में नौकरी मिल गई. तेज दिमाग प्रसून ने बहुत जल्दी वहां के कामकाज को अच्छी तरह देखसमझ लिया और साल भर के अंदर ही उस ने अपनी कंपनी खोल ली.
5-6 वर्षों में अब उस के पास सब कुछ था. पौश कालोनी में बंगला, बड़ी गाड़ी. परंतु वह अभी भी आज तक अकेला था. कई लड़कियों के साथ उस ने रिश्ते बनाने का प्रयास किया, पर शादी तक बात नहीं पहुंच सकी. टीना के साथ 6 महीने तक लिव इन में भी रहा, परंतु वह भी उसे छोड़ कर चली गई.
उस का अहंकारी और क्रोधी स्वभाव कोई भी रिश्ता चलने ही नहीं देता था. उस का सिद्धांत था पत्नी को गुलाम की तरह पति के इशारे पर नाचना चाहिए. लेकिन वह स्वयं सब कुछ करने को आजाद है.
प्लेसमैंट के लिए आने वाले लड़के तो उसे कमीशन दे कर चले जाते थे, परंतु श्रेया को अच्छी नौकरी का हसीन ख्वाब दिखा कर, उस ने उस के साथ शारीरिक संबंध बना लिए और साथ ही चोरीचोरी उस का एमएमएस भी बना लिया. उस के बाद तो उस की चांदी हो गई. वह डर के मारे मनचाही रकम अदा करती रही.
अब तो शातिर दिमाग प्रसून के लिए यह धंधा ज्यादा फायदे वाला बन गया था. कई लड़कियों के साथ उस ने यही किया. यद्यपि श्रेया की शिकायत पर उस के औफिस में छापा भी पड़ा था, परंतु वह किसी तरह छूट गया था.
अब उस के पास पैसा तो बहुत था, लेकिन बदनामी के कारण उस की शादी अभी तक नहीं हो पाई थी.
उमाजी भी चाहती थीं कि इस की शादी हो जाए, तो यह सुधर जाएगा और बीवीबच्चों के साथ शांतिपूर्वक अपनी जिंदगी बिताएगा. उस के औफिस के काले कारनामों का उन्हें बिलकुल भी पता नहीं था. उन्होंने मन ही मन निश्चय किया कि प्रसून जब सुबह के समय अपने होशहवास में होगा तो वे उस से लड़कियों से दूर रहने का वादा लेंगी. तब वे उस की शादी के प्रयास में गंभीरतापूर्वक जुट जाएंगी.
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