ऋषि कपूर के जाने के बाद कितनी बदल गई है नीतू कपूर की जिंदगी

जब अभिनेता ऋषि कपूर जिन्दा थे, वे मेरे लिए फुल टाइम जॉब थे, मेरे किसी फ्रेंड का घर पर आना या मेरा कहीं जाना उन्हें पसंद नहीं था, उनकी आवाज मेरी आवाज बनी थी, लेकिन अब उम्र के इस पड़ाव में जब बच्चे बड़े हो गए है, उनकी शादियाँ भी हो गयी है, मैं अब फ्री हूं और अपने हिसाब से जी सकती हूं, ऐसी ही बातों को कह रही थी, एक सफल और खूबसूरत अभिनेत्री नीतू कपूर, जिन्होंने कई सुपर हिट फिल्मे दी और अपनी एक अलग पहचान बनायीं. नीतू कपूर आज भी उतनी ही खूबसूरत और हंसमुख दिख रही हैं, जितना वह पहले दिखती थी. नीतू इन दिनों कलर्स टीवी की रियलिटी शो ‘डांस दीवाने जूनियर्स’ में एक जज बनी है, जो डांस के साथ उनके एक्सप्रेशन को भी देख रही हैं.

हंसमुख, शांत और खूबसूरत अभिनेत्री नीतू कपूर किसी परिचय की मोहताज नहीं. पिता की मृत्यु के तुरंत बाद उन्होंने केवल 5 साल की उम्र में बाल कलाकार के रूप में अभिनय करना शुरू किया. नीतू ने लेट 1960 से लेकर, 1970 और 1980 के शुरुआत तक हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में सफल फिल्मों की झड़ी लगा दी थी. वर्ष 1980 में उन्होंने ऋषि कपूर के साथ शादी की और दो बच्चों रिद्धिमा कपूर साहनी और रणवीर कपूर की माँ बनी. रणबीर आज एक अभिनेता हैं.

सवाल – इतनी सालों बाद इंडस्ट्री में वापस करने की वजह क्या है?

जवाब –मुझे जिंदगी में जो मिला,उससे मैं बहुत खुश हूं और कभी भी कुछ कमी मुझे महसूस नहीं हुई. अगर किसी बात से दुखी होती थी, तो जल्दी ही उसमें से निकल जाने की कोशिश करती हूं. पिछले 2 से 3 साल तक मेरी जिंदगी में जो सैड पार्ट आई, उससे निकलने के लिए मैंने फिल्म की. हालाँकि मेरी कॉंफिडेंट लेवल बहुत कम हो चुकी थी, फिर भी मैं एक्टिंग करने चली गयी और चंडीगढ़ में पहली शॉट पर मेरी हालत ख़राब हो रही थी, पर धीरे-धीरे अच्छा करती गयी, क्योंकि कई बार माइंड को किसी दुःख की परिस्थिति से निकालना बहुत मुश्किल होता है, लेकिन कुछ छोटे-छोटे शोज में गेस्ट जज बनकर गयी और कई लोगों से मिली. इसके बाद ये बच्चों की रियलिटी शो आई और मैंने इसे करने के लिए हाँ कह दी, क्योंकि बच्चों के साथ कुछ भी करना मुझे पसंद है. अकेली जिंदगी में कितना फ्रेंड्स के साथ रहूं, कितना ट्रेवल करूँ? मेंटल ऑक्यूपेशन बहुत जरुरी होता है.

सवाल – आप हमेशा अपने ड्रेसेस को लेकर चर्चित रहती है, क्योंकि आपकी ड्रेसिंग सेंस बहुत अच्छी है, इसके बारें में आप क्या कहना चाहती है?

जवाब – मेरे पास जो भी है, उसे मैं अपने हिसाब से पहनती हूं. मैंने हमेशा अपने ड्रेसेस खुद स्टाइल किया है.

सवाल – रियलिटी शो में काम करने में किसी प्रकार का प्रेशर अनुभव करती है?

जवाब – प्रेशर बहुत होता है, क्योंकि काफी समय इसमें देना पड़ता है. मेरी आदत सुबह लेट उठना, आराम से सब कुछ करना था. अब सुबह जल्दी उठकर भागम-भाग में सब करना पड़ता है, लेकिन अच्छी बात ये है कि इस शो में छोटे-छोटे बच्चे इतना अच्छा डांस करते है, जिसे देखकर मैं चकित हो जाती हूं. ये बच्चे छोटे-छोटे गांव से आये है, पर उनमें कुछ बनने कीउत्साह मुझे भी प्रेरित करती है.

सवाल – आपका बचपन कैसा था,क्या आपको बचपन याद आता है?

जवाब – मेरा बचपन था कहाँ? मैने 5 साल की उम्र से काम करना शुरू कर दिया था, उस समय न तो कोई फ्रेंड था, न ही बचपन था. बाल कलाकार के बाद ऋषि कपूर के साथ मेरा कैरियर शुरू हुआ.14 साल की उम्र से मैंने ऋषि कपूर के साथ डेटिंग शुरू कर दी थी,तब मुझे दुनिया का कुछ पता नहीं था, मेरी माँ भी बहुत स्ट्रिक्ट थी. जब मुझे बहुत सारे काम मिलने शुरू हो गए तो मेरे पति ने मुझसे शादी करने का प्रस्ताव रखा और मैंने शादी कर ली. 7 साल में मैंने 70 से 80 फिल्में की. 21 की उम्र में मेरी शादी हो गयी और बेटी भी हो गयी, दो साल बाद रणवीर का जन्म हो गया. मेरे जीवन में सबकुछ फटाफट हो गया. इसके बाद लाइफ इतनी बिजी हो गयी कि मुझे काम छोड़ना पड़ा, क्योंकि ऋषि कपूर मेरे लिए फुलटाइम जॉब थे.

सवाल –आपके हिसाब से,क्या कम उम्र में शादी करना अच्छा होता है? आपकी राय क्या है?

जवाब – आज के बच्चे इतनी जल्दी शादी नहीं करना चाहते, क्योंकि उन्हें पहले उस इंसान को जानने की जरुरत है, जिससे वे शादी कर रहे है. मेरी सोच यह है कि पति-पत्नी दोनों ही इन्नोसेंट होने पर शादी के बाद वे धीरे-धीरे साथ में ग्रो करते है, पर आज मेरी ये सोच गलत है, क्योंकि पहले हम दोनों एडजस्ट करते थे, लेकिन अब कोई एडजस्ट करना नहीं चाहता और एक दूसरे की आदतें उन्हें पहले से पता होती है. इसके अलावा दोनों मैच्योर होने पर उनकी एक राय बन जाती है, जिससे वे निकल नहीं पाते.

सवाल – क्या आपने काम को कभी नहीं मिस किया?

जवाब – मैंने बहुत काम किया और मैं अभिनय करते हुए ऊब चुकी थी, हर दिन एक स्टूडियो से दूसरी स्टूडियो जाना, ऑउटफिट बदलना, मेकअप लेना आदि मुझे अच्छा नहीं लग रहा था. इसलिए काम को छोड़ते हुए मुझे कोई परेशानी नहीं हुई.

सवाल –आपने बहुत कम उम्र में डेटिंग की है, जबकि आपकी माँ बहुत स्ट्रिक्ट थी, ऐसे में आप कैसे घर से निकलती थी या आपकी माँ का रिएक्शन कैसा था?

जवाब –मैं अकेले कभी निकली नहीं, मेरे साथ मेरा एक कजिन भाई जाता था, पर मैं उसे आधे रास्ते में छोड़ दिया करती थी. हमारी डेटिंग खाना खाया, थोड़ी गप-शप की, घर आते वक्त कजिन को उठा लिया और घर आ गए, आजकल की तरह डेटिंग नहीं थी.

सवाल –फिल्म जुग-जुग जियो में आपने अलग भूमिका निभाई है, क्या अभी भी खुद को एक्स्प्लोर कर रही है?

जवाब – मैंने हमेशा चोर, उचक्कों, पाकेटमार जैसी चुलबुली भूमिका निभाई है. इस फिल्म में मेरी भूमिका सीरियस है,मैंने ऐसी ठहरी हुई भूमिका पहले कभी निभाई नहीं है. आगे चलकर देखती हूं कि दर्शकों को मेरी भूमिका कितनी पसंद होती है.

सवाल – आपने सफल जर्नी पूरी की है, पिछले 30 से 40 वर्षों में कितना बदलाव हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में देखती है?

जवाब –बदलाव हुआ है और ये अच्छा बदलाव है. नई कहानियां कही जा रही है. फिल्मे बनाने की तकनीक, दर्शकों के टेस्ट, उनकी सोच सब पूरी तरह से बदल चुकी है. इसे मैं सही मानती हूं. आज लोग अधिक प्रोफेशनल हो चुके है, जो पहले नहीं था. मैं हर दिन सेट पर आने का समय पूछती थी, मोनिटर करने वाला कोई नहीं था. फिर भागती हुई सेट पर पहुँचती थी. बहुत बड़ी बदलाव है और ये अच्छे के लिए है, लेकिन अगर मेरी बात करूँ, तो मुझे वही लाइफस्टाइल पसंद थे.

सवाल –आज फिल्मों से एंटरटेनमेंट गायब हो चुका है, हर कोई रियल फिल्में बनाने की कोशिश कर रहे है, ऐसे में जो बाते घर-घर में होती है, वही पर्दे पर है, इस बारें में आपकी सोच क्या है?

जवाब – ये सही है कि आज की फिल्में अधिक वास्तविकता की ओर जा रही है, मुझे तो आज भी मेरी फिल्मे और उनके गाने पसंद है. असल में पहले एक कहानी में बच्चे का बिछड़ना, बलात्कार हो जाना,गाना आदि होते थे, पर अब ये दौर नहीं आएगा, क्योंकि वह हमारा समय था और हमारा ही रहेगा.

सवाल – आपके काम को बच्चे कितना सराहते है?

जवाब – दोनों बच्चे मेरे काम को सराहते है और देखते भी है. एक विज्ञापन में हम दोनों साथ थे, रणवीर वहां मुझे एक्टिंग के तरीके बता रहा था. मुझे मन ही मन हंसी आ रही थी. मैं हमेशा एक स्ट्रिक्ट मोम रही, जबकि ऋषि कपूर ने कभी बच्चों को डाटा नहीं, लेकिन उनका डर बच्चों को बहुत था. रणवीर कभी आँख उठाकर पिता से बात नहीं करते थे, लेकिन बेशर्म फिल्म में ऋषि और रणवीर दोनों ने साथ मिलकर काम किया है,जिसमें रणवीर ने पहली बार अपने पिता की आँखों का रंग देखा था, जिसे सुनकर मैं चकित हो गयी थी.

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रेटिंगः आधा स्टार

निर्माताः साजिद नाड़ियादवाला

निर्देशकः अहमद खान

कलाकारः टाइगर श्राफ,तारा सुतारिया, नवाजुद्दीन सिद्दिकी,

अवधिः दो घंटे  22 मिनट

2014 की सफल फिल्म ‘‘हीरोपंती’’ से अपने कैरियर की शुरूआत की थी,जिसका लेखन संजीव दत्ता,निर्देशन सब्बीर खान और निर्माण साजिद नाड़ियादवाला ने किया था. अब पूरे आठ वर्ष बाद उसी फिल्म का सिक्वअल ‘‘हीरोपंती’’ 29 अप्रैल को सिनेमाघरो में पहुंची है. फिल्म ‘‘हीरोपंती 2’’ के  निर्माता साजिद नाड़ियादवाला ने खुद ही इस बार कहानी लिखी है. यह बात गले नहीं उतरती कि साजिद ने क्या सोचकर अपनी इस बकवास कहानी पर फिल्म के निर्माण पर पैसे खर्च कर डाले. इससे ज्यादा बकवास फिल्म अब तक नही बनी है.

एक फिल्म के निर्माण में तकरीबन सौ से अधिक लोगों की मेहनत लगी होती है. एक फिल्म की सफलता व असफलता का असर हजार से अधिक परिवारों की रसोई पर पड़ता है. इस वजह से अमूमन मैं फिल्म की समीक्षा लिखते दर्शक फिल्म देखने न जाएं,ऐसा लिखने से बचने का प्रयास करता हॅूं,मगर ‘‘हीरोपंती 2’’ देखने का अर्थ सिरदर्द मोल लेेन के साथ ही समय व पैसे का क्रिमिनल वेस्टेज ही होगा.

कहानीः

लैला जादूगर (नवाजुद्दीन सिद्दिकी ) की आड़ में पूरे विश्व के साइबर क्राइम के मुखिया हैं. जिसने योजना बनायी है कि 31 मार्च के दिन भारत के सभी बैंको में सभी नागरिको के बैंक एकाउंट को हैककर सारा धन अपने पास ले लेंगें. बबलू( टाइगर श्राफ )दुनिया का सबसे बड़ा हैकर है,जिसकी सेवाएं कभी सीबाआई प्रमुख खान( जाकिर हुसेन ) के लिया करते थे. अब बबलू अपनी सेवाएं लैला को दे रहे हंै. लैला की बहन इनाया( तारा सुतारिया) ,बबलू से प्यार करती है. फिर बबलू का हृदय परिवर्तन भी होता है.

लेखन व निर्देशनः

फिल्म ‘‘हीरोपंती 2’’ में ऐसा कुछ नही है,जिसे अच्छा कहा जा सके. घटिया कहानी,घटिया पटकथा और घटिया निर्देशन अर्थात फिल्म ‘‘हीरोपंती 2’’ है. लेखक व निर्देशक के दीमागी दिवालिएपन की हालत यह है कि एम्बूलेंस ड्रायवर का मकान अंदर से किसी आलीशान बंगले से कमतर नही है. टाइगर श्राफ की पहचान बेहतरीन डांसर व एक्शन दृश्यों को लेकर होती है,लेकिन इस फिल्म में यह दोनो पक्ष भी कमजोर हैं. फिल्म में कई एक्शन दृश्य ऐसे है, जिन्हे देखते हुए लगता है हम मोबाइल पर एक्शन का वीडियो देख रहे हो. मजेदार बात यह है कि एक्शन दृश्य देखकर हंसी आती है. एक व्यक्ति दोनों हाथांे में मशीनगन पकड़कर टाइगर श्राफ पर गोलियां चला रहा है,मगर टाइगर पर असर नही पड़ता. तो वहीं कहीं किसी भी दृश्य के बाद कोई भी गाना ठूंस दिया गया है. फिल्म में एक भी दृश्य ऐसा नही है,जिसमें कुछ नयापना हो. सब कुद बहुत बचकाना सा है. अब तीन मिनट के सिंगल गानों के जो म्यूजिक वीडियो बन रहे हैं,उनमें भी एक अच्छी कहानी होती है,मगर ‘हीरोपंती 2’’ की पटकथा इतनी खराब लिखी गयी है कि दर्शक अपना माथा पीटता रहता है.

अहमद खान अच्छे नृत्य निर्देशक रहे हैं,मगर बतौर निर्देशक वह बुरी तरह से मात खा गए हैं. वैसे अहमद खान ने इससे पहले ‘बागी 2’ और ‘बागी 3’ जैसी अर्थहीन फिल्मंे  निर्देशित कर चुके हैं.

फिल्म में एक दृश्य पांच सितारा होटल के अंदर से शुरू होता है,जहां इयाना (तारा सुतारिया ) बबलू (टाइगर श्राफ ) की होटल के बाहर बीच सड़क पर अपने आदमियों से बबलू की पैंट उतरवाकर  पीठ के नीचे कमर पर तिल की तलाश करवाती है. यह अति भद्दा व वाहियात दृश्य है. इसे करने के लिए टाइगर श्राफ क्या सोचकर तैयार हुए,पता नही. जबकि इस दृश्य से कहानी का कोई लेना देना नही है.

इसके संवाद भी अति घटिया हैं. फिल्म में नवाजुद्दीन का संवाद है-‘‘यह तुम्हारी मां है और यह मेरी बहन है. अब तुम दोनो जाकर मां बहन करो. ’’

लैला यानी कि नवाजुद्दीन सिद्दिकी के कम्प्यूटर रूम में सीसीटीवी कैमरा लगा है,जो कि अजीब ढंग से घूमता रहता है. यह कैमरा क्यों लगा हुआ है,किस पर निगाह रख रहा है,पता ही नहीं चलता.

अभिनयः

इनाया के किरदार में तारा सुतारिया का अभिनय अति घटिया है. पूरी फिल्म में वह विचित्र से कपड़े पहने,विचित्र सी हरकतें करते हुए नजर आती है.

जादूगर लैला के किरदार में नवाजुद्दीन सिद्दिकी ने अब तक का सबसे निम्न स्तर का अभिनय किया है. वह कभी ट्रांसजेंडर की तरह हाव भाव करते व चलते नजर आते हैं,तो कभी कुछ अलग ही चाल ढाल होती है. नवाजुद्दीन सिद्दिकी ने इस फिल्म में क्यों काम किया,यह समझ से परे है. शायद वह सिर्फ पैसा बटोरने के चक्कर में कला व अभिनय को तिलांजली देने पर उतारू हो चुके हैं.

टाइगर श्राफ हर दृश्य में अपना सपाट सा चेहरा लिए हुए नजर आते हैं. उनके चेहरे पर कहीं कोई भाव नहीं आते. बेवजह उछलकूद करते हुए नजर आते हैं.

अफसोस की बात यह है कि इस बकवास फिल्म के गीतों को संगीत से ए आर रहमान ने संवारा है. फिल्म के गाने घटिया हैं और बेवजह फिल्म के बीच बीच में ठॅूंसे गए हैं. फिल्म के अंत में ‘व्हिशल बाजा’ प्रमोशनल गाने में कृति सैनन को देखकर लगा कि शायद अब उनका कैरियर पतन की ओर जाने लगा है.

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लता मंगेशकर को मिलेगी ‘नाम रह जाएगा’ में श्रद्धांजलि, पढ़ें खबर

सुर सम्राज्ञी लता मंगेशकर के गाने हमेशा से ही पूरे विश्व में प्रचलित है, उनके गानों की लिस्ट को गिनना असंभव है, 25 हज़ार से अधिक गीत गाने वाली मृदुभाषी और शांत स्वभाव की लता को ट्रिब्यूट देना अपने आप में एक बड़ी बात है, जिसे सभी बड़े-बड़े गायकों ने उनके गानों को गाकर श्रद्धांजलि देने की कोशिश की. स्टार प्लस पर इस शो को ‘नाम रह जाएगा’ के तहत किया जाएगा. इस शो की ज़ूम प्रेस कांफ्रेंस में सभी ने बहुत ही संजीदगी से भाग लिया और लता मंगेशकर के साथ बिताये उनके अनुभव और सीख को शेयर किया. इसमें 18 जाने-माने गायक कलाकार उनके गीतों को गाकर अपने तरीके से श्रद्धांजलि देंगे, जिसमें सोनू निगम, अरिजीत सिंह, शंकर महादेवन, नितिन मुकेश, नीति मोहन, अलका याज्ञनिक, साधना सरगम, उदित नारायण, शान, कुमार शानू, अमित कुमार, जतिन पंडित, जावेद अली, ऐश्वर्या मजूमदार, स्नेहा पंत, पलक मुच्छल और अन्वेषा मंच पर साथ मिलकर लता मंगेशकर के सबसे प्रतिष्ठित गीत गाकर श्रद्धांजलि देंगे.

 

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प्रेस कांफ्रेंस के दौरान संगीतकार जतिन पंडित ने कहा कि संगीत के इसी दौर को गोल्डन पीरियड कहा जाता है और ये दौर अब चला गया है, उनकी प्योरिटी उनके संगीत में थी, जो आज भी सुनने पर सुकून देती है. लता जी की डिक्शन, गानों में जगह को भरना, र और श को इतनी अच्छी तरीके से प्रयोग करती थी, जो आज तक मैंने कहीं देखा नहीं है. इसके अलावा उनकी लो नोट्स, हाई नोट्स आदि को सहजता के साथ कर लेती थी. मैंने कभी कोई परेशानी उन्हें गाते हुए नहीं देखा है, यहाँ ये भी कहना जरुरी है कि उनकी आवाज के साथ-साथ उनके साथ में रहने वाले कम्पोजर, राइटर भी बहुत अच्छा काम करते थे, उस दौर की संगीतकार सलिल चौधरी, मदन मोहन, शंकर जयकिशन आदि सभी उनके सुर को एक अलग दिशा दी है.आज वैसी कोम्पोजीशन देना, उसे तराशना बहुत मुश्किल है. सारी चीजें जब एक साथ इकट्ठी हुई, तब एक बुनियाद बनी, जिसको हम सारी जिंदगी चलने पर भी नहीं पा सकते. मैंने लता जी के साथ कई काम किये है, संगीत के अलावा उन्हें ह्यूमर बहुत पसंद है. मैंने 9 साल की उम्र में उनके साथ गाना गया है. बचपन में मैं अपने पिता के साथ उनके घर जाया करता था, क्योंकि इनका पूरा परिवार संगीत को लेकर चर्चा करते थे. गानों के साथ-साथ उन्हें सेंस ऑफ ह्यूमर भी बहुत अच्छा था और कई खुबसूरत म्यूजिकल जोक्स सुनाया करती थी. मेरा अहो भाग्य है कि मैंने लताजी की संगीत को सुना और उनके साथ गाया भी है.

साधना सरगम कहती है कि मैं जब भी उनके साथ मिली हूँ, वह दिन मेरे लिए स्पेशल था. मेरे पाँव छूते ही वह मेरी हाल-चाल पूछती रहती थी. उनका प्यार हमेशा मेरे ऊपर रहा और जनसे भी मिलती थी उन्हें आशीर्वाद देती थी. रहमान के एक कॉन्सर्ट में वह मुझसे मिली और रियाज करने के बारें में पूछी थी, उन्होंने रियाज को सफलता का मूल मन्त्र माना है.

 

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सिंगर शान कहते है कि आज जब गाना गाते है तोलोग उसे याद नहीं रखते, जबकि पुराने गीत आज सभी सुनते है. मेरे  मेरे पिता का लताजी के साथ बहुत अच्छा सम्बन्ध थे, लताजी को गाते वक्त सांस की आवाज कंट्रोल करने की क्षमता अद्भुत थी. मैं इसे सीखने की कोशिश कर रहा हूँ. गाना गाते समय साँस को छुपाकर लेना और उसकी आवाज माइक में न आना एक अद्भुत कला है.

नितिन मुकेश भावुक होकर कहते है कि कोविड में उन्होंने मुझे सहारा दिया मेरा ख्याल रखा, क्योंकि मुझे कोविड हो गया था. इसके बाद उन्होंने मुझे एक गिफ्ट देने की बात कही थी,  लेकिन मैं उनसे मिल नहीं पाया, क्योंकि वे पूरी तरह से आइसोलेशन में थी. उनका प्यार, स्नेह हमेशा रहा है, जिसे हम भूल नहीं सकते. संगीत लताजी के साथ शुरू होता है और उनके साथ ही ख़त्म हो गया है, क्योंकि संगीत और लताजी दोनों ही आम है.

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आपको समझ आते हैं ये 8 गाने?

बॉलीवुड की फिल्मों में यदि गाने न हों, तो फिल्म अधूरी-सी लगती है. कभी-कभी फिल्म हिट नहीं होती, मगर उसके गाने जरूर हिट हो जाते हैं. कई बार तो गानों से ही फिल्म का नाम पहचाना जाने लगता है. कई बार ये गाने गैर हिंदी होने हमारी समझ से परे होने के बावजूद, हमारे मन में इतना बस गए हैं कि उनकी धुन पर हम मगन होकर नाचने लगते हैं.

आज हम कुछ ऐसे गानों की बात कर हैं, जो हिंदी में ना हो कर भी हिंदी फिल्मों में और बॉलीवुड के अन्य गानों की तरह धूम मचा चुके हैं.

1. कोलावेरी डी (Kolaveri Di)

इस गाने के रिलीज के दौरान ये नॉन-हिंदी गानों की लिस्ट में टॉप पर था. इस गाने के शुरुआती बोल कुछ इस तरह से हैं ‘Why this Kolaveri Kolaveri Di’. यहां हम आपको बता देना चाहते हैं कि रजनीकांत के दामाद धनुष ने इस गाने को गाया था. ये लोगों के बीच काफी प्रचलित हुआ था. इसे लोग आज भी खूब पसंद करते हैं.

2. आ अंटे अमला पुरम (Aa Ante Amla Puram)

ये गाना एक आइटम सांग है, जो साल 2012 में लोगों के बीच खूब छा हुआ था. उस वक्त तो आलम ये हो गया था कि जब भी इस गाने को बजाया जाता था लोग बिना डांस किये नहीं मानते थे. इस गाने में आई अदाकारा को भी लोगों ने खूब पसंद किया था.

4. सेन्योरीटा (Senorita)

एक स्पेनिश गाना जो बॉलीवुड में काफ़ी फ़ेमस हुआ. ये गाना ऋतिक रोशन की फिल्म ‘ज़िन्दगी न मिलेगी दुबारा’ का है. आज भी इस गाने को सुनते ही लोग सर के बल डांस करने लगते हैं.

5. बोरो-बोरो (Boro Boro)

ये एक पार्शियन गाना है, इसके बावजूद ये बॉलीवुड में खूब पॉपुलर हुआ था. अभिनेता अभिषेक बच्चन ने भी इस गाने में कमाल का डांस कर, दर्शकों को खूब आकर्शित किया था. इस गाने के इतने पुराने होने के बावजूद, ये आज भी लोगों को बीच काफी मशहूर है और इस गाने पर लोग खूब थिरकते हैं.

6. माशाअल्लाह- माशाअल्लाह (Mashalla)

अभिनेता सलमान खान और कैटरीना कैफ की फिल्म ‘एक था टाइगर’ का ये गाना अरेबिक और हिंदी का मिश्रण है. हर कोई इस गाने पर सलमान और कटरीना के अंदाज में ही डांस करने की कोशिश करता है. ये गाना एक गैर हिन्दी होने के बावजूद आज तक लोगों के बीच यादगार बना हुआ है.

7. अपनी पोड़े (Apni Pode)

13 साल पहले आई तमिल फिल्म ‘घिलि’ (Ghili) का ये गाना आज भी लोगों के दिलों और दिमाग में बसा हुआ है.

8. नवराई माझी (Navrai Majhi)

ये गाना साल 2012 में आई फिल्म इंग्लिश विंग्लिश का एक मराठी सॉन्ग है. भले लोग इसे समझते न हों, लेकिन जब ये गाना चलता है, तो इस पर नाचना खूब पसंद करते हैं.

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बॉलीवुड की पौपुलर और क्यूट जोड़ियों में से एक आलिया भट्ट और रणबीर कपूर की वेडिंग फोटोज और वीडियोज इन दिनों सोशलमीडिया पर छाई रहती हैं. हालांकि दोनों एक बार फिर अपनी प्रौफेशनल लाइफ में बिजी होते हुए नजर आ रहे हैं. हालांकि दोनों की लव स्टोरी जानने के लिए फैंस आए दिन बेताब रहते हैं. इसीलिए आज हम आपके लिए लेकर आए हैं इस सेलिब्रिटी कपल की लव स्टोरी…

 ऐसी थी रणबीर-आलिया की पहली मुलाकात

 

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रणबीर कपूर और आलिया भट्ट अक्सर सीक्रेट वेकेशन पर जाने से लेकर फैमिली गेट-टुगेदर अटेंड करते हुए नजर आती रही हैं. वहीं सोशलमीडिया के जरिए आलिया भट्ट अपने प्यार का इजहार करती दिखती हैं. हालांकि बेहद कम लोग जानते हैं कि 9 साल की उम्र में ही आलिया रणबीर कपूर को दिल दे बैठी थीं. दरअसल, 2005 की फिल्म ब्लैक के लिए ऑडिशन देने के दौरान उनकी पहली मुलाकात रणबीर कपूर से हुई थी, जो कि संजय लीला भंसाली के साथ सहायक निर्देशक के रूप में काम कर रहे थे. वहीं रणबीर पर क्रश के चलते आलिया, फिल्म बालिका वधू की शूटिंग के दौरान शर्मा रही थीं.

रणबीर संग है फोटो

अपनी लव स्टोरी का ये किस्सा आलिया भट्ट एक इंटरव्यू में शेयर करते हुए कहा था कि संजय सर मेरे साथ बालिका वधू के साथ एक और फिल्म बनाना चाहते थे, इसलिए हमने तैयारी के चलते एक फोटोशूट किया. वहीं इस दौरान रणबीर वहां मौजूद थे. इसके अलावा मेरे पास रणबीर के साथ एक फोटो है.  मुझे नहीं पता कि उस उम्र में यह कैसे हुआ, जो कुछ भी हो, मुझे बहुत शर्म आ रही थी. वैसे भी, किसी कारण से यह काम नहीं कर सका. मुझे लगता है कि सर उस फिल्म को बनाने के लिए तैयार नहीं थे.”

पहली फिल्म के दौरान हुआ प्यार

 

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क्रश से प्यार तक के सफर की बात करें तो साल 2017 में अयान मुखर्जी द्वारा निर्देशित फिल्म ब्रह्मास्त्र की शूटिंग के दौरान आलिया भट्ट और रणबीर कपूर को प्यार हुआ. बुल्गारिया में शूटिंग के दौरान दोनों एक दूसरे के करीब आए, जिसके चलते नजदीकियों की खबरें मीडिया में छा गई थीं.

पहली बार साथ आए नजर

प्यार की शुरुआत होने के बाद रणबीर और आलिया की अक्सर चोरी छिपे मिलने की खबरें आईं. लेकिन मई 2018 में सोनम कपूर और आनंद आहूजा की शादी के रिसेप्शन में दोनों पहली बार मीडिया के सामने साथ नजर आए. जहां दोनों ने जमकर पोज देते नजर आए. वहीं लुक की बात करें तो आज भी आलिया भट्ट की सब्यसाची मुखर्जी के हरे रंग के लहंगे में और रणबीर कपूर की क्रीम कलर की शेरवानी पहने फोटो सोशलमीडिया पर वायरल होती रहती हैं.

डेट का रणबीर कपूर ने किया था ऐलान

मीडिया के सामने कपल की तरह एंट्री लेने के बाद दोनों की डेटिंग की खबरों पर मोहर लग गई थी. हालांकि दोनों में से किसी ने इस पर औफिशियल तौर पर कोई बात नहीं कही थी. लेकिन एक मैगजीन को दिए इंटरव्यू में रणबीर कपूर ने अपनी लव लाइफ पर मोहर लगाई थी.

परिवार ने दी मंजूरी

 

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रणबीर और आलिया के ऐलान के बाद कपूर और भट्ट परिवार ने दोनों के रिश्ते को खुशी खुशी मंजूरी दी थी. एक इंटरव्यू में महेश भट्ट ने आलिया और रणबीर के बढ़ते प्यार के बारे में बात करते हुए शेयर किया था कि वह रणबीर से प्यार करते हैं और वह एक महान व्यक्ति हैं. वहीं खबरों की मानें तो रणबीर की दूसरी गर्लफ्रेंड के से परे  नीतू कपूर ने आलिया भट्ट को अपना महसूस किया था. इसी के चलते दोनों साथ में डिनर डेट से लेकर फैमिली टाइम बिताते नजर आ चुके हैं.

नीतू कपूर का दिया था साथ

अच्छे पलों के अलावा आलिया भट्ट, रणबीर कपूर और उनकी फैमिली का बुरे वक्त में भी साथ देते हुए नजर आ चुकी हैं. 30 अप्रैल, 2020 को जब लौकडाउन के दौरान ऋषि कपूर का कैंसर से जूझने के बाद निधन हुआ था तो आलिया भट्ट परिवार के साथ मौजूद नजर आईं थीं, जिसकी फोटोज और वीडियोज सोशलमीडिया पर काफी वायरल हुई थीं, जिसमें वह नीतू कपूर को सांत्वना औऱ रिद्धिमा कपूर, पिता की आखिरी छवि दिखाती नजर आईं थीं.

कपल बना रहा है सपनों का घर

 

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आलिया भट्ट और रणबीर कपूर के रिश्ते मजबूत होते जा रहे हैं, जिसके चलते दोनों की शादी की खबरें भी मीडिया में छाने लगी हैं. वहीं हाल ही में रणबीर कपूर और आलिया भट्ट अपने नए घर की तैयारियों में जुटे हुए नजर आए. इसके अलावा खबरे हैं कि दोनों के घर का नाम रणबीर की दादी कृष्णा राज के नाम पर रखा जाएगा. वहीं कपल अक्सर अपने परिवार के साथ घर को देखने पहुंचते हैं.

आलिया भट्ट और रणबीर कपूर की ये लव स्टोरी किसी सपने से कम नहीं है. क्रश से लेकर प्यार तक का सफर आगे बढ़ गया है. वहीं साल 2022 यानी इस साल ये रिश्ता शादी के बंधन में बंध गए हैं.

मीरा और शाहिद के तरह आप भी ऐसे बनें Ideal Couple

एक्टर शाहिद कपूर और उनकी वाइफ मीरा राजपूत (Shahid Kapoor And Mira Rajput) की जोड़ी बॉलीवुड के पौपुलर कपल में से एक हैं. दोनों सोशलमीडिया पर अपनी फोटोज और वीडियो शेयर करते रहते हैं. एयरपोर्ट हो या कोई डिनर आउटिंग दोनों अक्सर रोमांटिक अंदाज में साथ नजर आते हैं. इस सेलेब कपल की बौंडिग देखकर फैंस दोनों के रिश्ते से रिलेशनशिप टिप्स भी ले सकते हैं.

पति के साथ करें दोस्ती…

 

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मीरा राजपूत और शाहिद कपूर की लव स्टोरी से हर कोई वाकिफ है. दोनों कई बार अपनी लव स्टोरी शेयर कर चुके हैं. दरअसल, एक इंटरव्यू में शाहिद कपूर ने बताया था कि वह शादी से पहले मीरा से केवल 3 या 4 बार मिले हैं. हालांकि दोनों की बौंडिग देखकर ऐसा लगता नहीं है, जिसका कारण है दोनों की दोस्ती. शाहिद और मीरा की दोस्ती का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वह भले ही कम वक्त साथ में बिताएं. लेकिन एक दूसरे को समझने की पूरी कोशिश करते हैं ताकि उनका रिश्ता और भी ज्यादा मजबूत हो सके.

 

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फैमिली के साथ बिताएं वक्त…

 

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पति पत्नी के रिश्ते में परिवार की अहम भूमिका होती है. अगर परिवार के साथ वक्त बिताया जाए और उन्हें समझा जाए तो शादी का रिश्ता निभाना आसान हो जाता है. मीरा राजपूत भी ऐसा ही करते हैं. वह अपनी ननद, देवर और सास-ससुर के साथ क्वालिटी टाइम स्पैंड करना कभी नहीं भूलती, जिसकी फोटोज और वीडियोज वो फैंस के साथ भी शेयर करती रहती हैं.

बच्चों के साथ करें दोस्ती…

 

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एक्टर शाहिद कपूर अक्सर शूटिंग में बिजी रहते हैं, जिसके कारण वह फैमिली के साथ वक्त नहीं बिता पाते. हालांकि उनकी वाइफ मीरा इस बात को समझती हैं, जिसके चलते वह बच्चों के साथ ज्यादा से ज्यादा वक्त बिताती हैं. बच्चों के साथ खेलना या मस्ती करना हो या उन्हें पढ़ाना, मीरा राजपूत इस बात का पूरा ख्याल रखती हैं कि वह बच्चों के साथ हमेशा रहें.

बता दें, शाहिद कपूर और मीरा राजपूत की साल 2015 में अरेंज्ड मैरिज हुई थी, जिसके बाद दोनों एक बेटा और एक बेटी के पेरेंट बनें. दोनों अक्सर अपनी फैमिली के साथ क्वालिटी टाइम बिताते नजर आते हैं.

Alia and Ranbir को अद्भुत गिफ्ट देने के पीछे का राज, जाने यहाँ

बबलू , डैनी, बिठ्ठल, डोडो, हेनमत, हिरेन आदि किसी व्यक्ति का नाम हो सकता है, पर हमारे आसपास रहने वाले जानवर को भी घर की सदस्य की तरह ही नाम से बुलाया जाता है और वे अपने नाम से ही सब समझते है कि उन्हें बुलाया जा रहा है, ये बेजुबान अपने पालनकर्ता से केवल प्यार और थोडा भोजन मांगते है, लेकिन एक समय तक इनको अपने पास रखने, उनसे जरुरत के काम करवाने और लाड़-प्यार करने वाले व्यक्ति ही इन्हें अधिक उम्र या बीमार होने पर रास्ते पर भूखो मरने के लिए छोड़ देते है. कई बार तो इन्हें लोग बेच भी देते है. राजस्थान के जैसलमेर में जाते हुए रास्ते में जानवरों की काफी हड्डियाँ रास्ते के दोनों ओर देखने को मिलती है.इन जानवरों को कभी किसान हल चलाने या फिर दूध देने के लिए पालते है, लेकिन उम्र होने पर इन्हें रास्ते में छोड़ देते है और रेगिस्तान में ये जानवर खाने की तलाश में रास्ते पर भूखों मरने के लिए बाध्य होते है, ऐसे ही कुछ लावारिस जानवरों की तलाश में रहते है,एनजीओ ‘एनिमल राहतसंस्था’की वेटेरनरी डॉ.नरेश चन्द्र उप्रेती, जिन्होंने आज तक हजारों की संख्या में जानवरों को इलाज देकर अपनी शेल्टर होम में अच्छी तरह से रखा है. इसी कड़ी में उन्होंने दो घोड़ो का नाम अलिया और रणवीर दिया है, ताकि लोगों का ध्यान इन बेजुबानों पर पड़े.

जागरूकता है बढ़ाना

इस अनोखे गिफ्ट को पॉवर कपल अलिया और रणवीर को देने की वजह के बारें में पूछने पर डॉ. नरेश कहते है कि इस तरह के गिफ्ट से लोगों में जागरूकता बढ़ेगी.संस्था एनिमल राहत के बारें में डॉ. कहते है कि 2003 में बोझा ढोने वाले पशु जिसमें शुगर फैक्ट्री में शुगरकेन को ढोने वाल,  ईट भट्टी में ईट को ढोने वाले और तांगा स्टैंड में तांगा को खीचने वाले घोड़े, आदि सभी की जानवरों का मूल्य तब तक है, जब तक वह काम करता है. इसके बाद उसका ध्यान नहीं रखा जाता. इसलिए मैंने सांगली में पहले संस्था की स्थापना की, इसके बाद शोलापुर, सातारा, कोल्हापुर आदि जगहों पर किया है. इसके अलावा बुलंदशहर में एक सेंचुअरी साल 2020 में स्थापित किया है. ये दो घोड़े सांगली के बेलंकी नामक सेंचुअरीमें है, यहाँ करीब 197 जानवर है. गधा, घोडा बैल, कुत्ते मुर्गी आदि कई जानवर है.

मिली प्रेरणा

हालाँकि इस संस्था को शुरू करने वाली ब्रिटिश अमेरिकन एनिमल एक्टिविस्ट इंग्रिड न्यूकिर्ड थी, जिसने बैलों के साथ हुए क्रूरता को देखा था, क्योंकि महाराष्ट्र के सांगली में चीनी की कई मिल है, जिसमें बैलों पर करीब 3 से 4 टन बोझा डाला जाता है. उनके गले मेंफोड़े बन जाते है, उनके पाँव में लंगड़ापन होने पर भी उनसे काम करवाते रहते है. चोट लगने पर भी बैलों को काम करवाते है, चोट की वजह से बैल बाहर न चले जाय ये सोचकर बड़े-बड़े कील और फिरकियाँ लगा देते है. इससे बैल की गर्दन में कील चुभेगा, जिससे खून निकलता है, फिर भी वह बेजुबान काम करता रहता है. साल 2011 से मैं इसमें लगा हुआ हूँ और अब बैल की जगह ट्रेक्टर से समान ढोया जाता है.

दया भाव रखें जानवरों के प्रति

डॉ. का कहना है कि घोड़े जिनका नाम अलिया रखा वह फीमेल है, उसका प्रयोग शादी-ब्याह में होता था. घोड़ों को कभी भी शोर पसंद नहीं होता, क्योंकि शादी में पटाखों की आवाज, म्यूजिक का जोर से बजना आदि चरों तरफ शोर होता रहता है, ऐसे में घोड़े को बहुत परेशानी होती है. घोड़ी बिदक न जाय इसके लिए वे मुंह में स्पाइक यानि कील जैसी लगाम लगाते है. मैंने महसूस किया जिसकी जुबान है वह एन्जॉय कर रहा है और बेजुबान उसे सह रहा है. लोगों के मन में ऐसे जानवरों पर दया भाव रखने की जरुरत है.

दिया ट्रिब्यूट

डॉ. कहते है कि आलिया और रणवीर कपूर ने शादी में घोड़ी का प्रयोग नहीं किया, क्योंकि उनके परिवार में पूजा भट्ट, अलिया भट्ट, सोनी राजदान एनिमल लवर है. पिछले दिनों पूजा भट्ट ने एक मुर्गी को बचाकर यहाँ लायी थी, क्योंकि कोई इसे जादू-टोना में प्रयोगकर  रहा था. इसलिए मैंने ये नाम इन घोड़ों को देकर उन कपलएक ट्रिब्यूट दिया, ताकि लोग शादी-ब्याह में जानवरों का प्रयोग न करें. इसके अलावा विक्टोरिया टूरिस्ट कैरिज में घोड़े का प्रचलन मुंबई में था, जिसे बंद कर दिया गया है, घोडा रणवीर के पैरों के जॉइंट्स में सूजन आई हुई थी. पूरे शरीर में चोट और हड्डी-हड्डी यानि एक कंकाल की तरह दिख रहा था. काँटे वाली लगाम और ब्लिंकर्स के प्रयोग से घोड़ों को बहुत तकलीफ होती है. घोड़े को काबू करने के लिए वे मुहँ में लोहे की कांटेदार लगाम लगाते है, जिससे कई बार उनके जीभ में जख्म हो जाता है और वे ठीक तरह से खा नहीं पाते.इसके अलावा इन रास्तों पर उन्हें चलने में मुश्किल न हो, नाल उनके खुर में लगाईं जाती है. दोनों घोड़े को मुंबई से मैंने उद्धार किये है. इनका पता पुलिस के द्वारा मिला और मैंने इन्हें अडॉप्ट किया. इस नाम की वजह से पूरे देश से लोगों ने रेकॉगनाइज किया. जानवरों पर क्रूरता न करें, इस सन्देश को लोगों को जागरूक बनाने के लिए किया है.

 

डॉक्टर नरेश आगे कहते है कि सांगली और कोल्हापुर की ईंट की 18 भट्टी से मैंने गधों को हटाकर ट्रैक्टर का प्रयोग करना सिखाया है. इसमें मुश्किल ये भी आती है कि गधों को रखने वाले लोगों की आय ख़त्म हो जाती है,इसलिए पहले उनके हौसले को बढ़ाकर फिर इस काम को बंद किया, ताकि वे दूसरे किसी काम में लग जाय, करीब 200 से ऊपर गधों को उटी के पास के सेंचुअरी में शिफ्ट किया गया है. चीनी मिल के भी 5 बैल मालिको के 10 बैल मेरे पास रिटायर होकर आये है,इस तरह 26 चीनी मिल के 50 हज़ार बैलों की जगह ट्रेक्टर ने ले लिया है.

अधिक शेल्टर होम की जरुरत

बाहर घूमने वाले जानवरों को सही तरह से रखने की कोई अच्छी जगह नहीं होती, क्या ऐसे पशुओं के लिए अच्छी जगह न होने की वजह के बारें में पूछने पर डॉ.नरेश कहते है कि मनुष्य ने इन जानवरों को अपनी सुविधा के लिए प्रयोग किया है, इनका केयर करना उनकी जिम्मेदारी होती है. सबसे जरुरी है कम पशुओं की ब्रीडिंग करना, जिससे पशुओं की संख्या न बढे. स्ट्रीट डॉग को भी कोर्ट ने स्टरलाईज और वैक्सीनेशन कर छोड़ देने की बात कही है, ताकि वे अच्छी तरह जी सकें. इसी तरह लगातार पशुओं के साथ हुए क्रूरता को रोकने का विकल्प ढूँढना है.

बदलना है सोच

सोच को भी बदलने की जरुरत है और आज भी इंडिया को लोग डेवेलोपिंग कंट्रीकहते है. उदहरण स्वरुप डॉ, बताते है कि सांगली से बेलगाँव की तरफ चिन्चनी की यात्रा, उसमें मुंबई से शिक्षित लोग आकर एक जोड़ी बैल खरीदकर 100 से 150 किलोमीटर मन्नत मांगने के लिए साल में एक बार देवी की इस मंदिर में जाते है,काम होने पर उन्हें बेच देते है. बैलों की कमी होने पर बैल के साथ घोड़े को भी जोड़ दिया जाता है. इसके अलावा बैलों की रेस होती है, जिसमें कई बार बैलों की पैर गिरने से टूट जाती है, इन जानवरों को ठीक करने के लिए,उन दिनों मेरा कैंप लगता है, ये भी क्रूरता है. जलिकट्टू खेल में भी बैलों को बिना आघात किये ये खेल नहीं हो सकता. लोग मानते है कि ये एक ट्रेडिशन है. ट्रेडिशन उतनी ही हद तक रखे, जिससे कोई आहत न हो. इसे बदलने का समय अब आ चुका है.

करें सही देख-रेख

एक अद्भुत घटना के बारें में डॉ. नरेश कहते है कि शोलापुर में एक ढेढ़ साल के बैल के नाक में रस्सी बाँध दिया, बैल बड़ा हो गया, लेकिन उसकी रस्सी छोटी हो गयी. इसकी वजह से नाक पूरा कट गया और 4 इंच गहरा घाव हो गया था. उसके ऊपर मक्खियाँ लग रही थी, बैल बड़ा होने की वजह से कोई सामने भी नहीं गया. हमारे लोगों ने चलती बाइक पर सवार होकर उसे दूर से बेहोश किया. फिर मैंने उसका इलाज किया और ठीक होने पर अपने शेल्टर होम में ले आया. स्वीटी और सुनील भी ऐसे ही दो मेल और फीमेल डॉग है, जिसे कोई मेरे शेल्टर होम के बाहर छोड़ गया था. मैंने उन्हें पाला और एडोप्ट कराने की कोशिश की, पर कोई नहीं मिला, अब वे मेरे साथ ही रहते है.

बच्चे हमारे भविष्य

इसके अलावा छोटे बच्चों जिनकी उम्र 7 से 12 साल तक होती है, उनके स्कूलों में एजुकेशन ऑफिसर समय-समय पर कार्यक्रम करते है. उनमे जानवरों के प्रति बच्चों में संवेदनशीलता लाई जाती है, क्योंकि वे ही हमारे भविष्य है. इसलिए कई बार आहत या भूखे-प्यासे पशु को बच्चों के पास लाया जाता है. वे उनके लिए आवाज उठाते है, उन्हें खाना-पीना देते है. आगे वह लोगों की जानवरों के प्रति क्रूरता को ख़त्म करना चाहते है और शादी -ब्याह में लोगों की मौज-मस्ती के लिए घोड़ी का प्रयोग करना बंद करें, क्योंकि गाना, बैंड, शोरगुल से क्योंकि कई बार घोड़ी का हार्ट अटैक हो जाता है. जानवरों को प्यार दें, दुत्कार नहीं.

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Divya Khosla Kumar का फैशन देख ट्रोलर्स को आई Bigg Boss Trophy की याद

बौलीवुड एक्ट्रेस दिव्या खोसला कुमार (Divya Khosla Kumar) 34 साल की उम्र में भी अपने फैशन से फैंस का दिल जीतती हैं. हालांकि इस बार वह ट्रोलिंग का शिकार हो गई हैं. दरअसल, हाल ही में एक रियलिटी शो में पहुंची एक्ट्रेस का आउटफिट देखकर ट्रोलर्स को बिग बौस 15 की बात याद आ गई, जिसके बाद से वह ट्रोलिंग का सामना कर रही हैं. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

ड्रैस के कारण हुईं ट्रोल

 

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नया नया फैशन ट्राय करने वालीं एक्ट्रेस दिव्या खोसला कुमार  (Divya Khosla Kumar) एक शो में ब्लैक कलर की स्कर्ट वाले गाउन में नजर आईं. हालांकि इसके ऊपर के टौप ने सुर्खियां बटोरीं. दरअसल, एक्ट्रेस का गाउन जहां ब्लैक कलर का था तो वहीं औफशोल्डर टॉप, गोल्डन कलर में था, जिसे देखकर फैंस को ‘बिग बॉस ट्रॉफी’ (Bigg Boss Trophy) की याद आ गई और वह ट्रोलिंग की शिकार हो गईं.

 

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एक्ट्रेस का फैशन है लाजवाब

 

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दिव्या खोसला कुमार (Divya Khosla Kumar) एक्टिंग और डायरेक्टिंग की दुनिया में हाथ आजमा चुकी हैं. वहीं सुर्खियों में भी रहती हैं. एक्ट्रेस का फैशन आए दिन सोशलमीडिया पर वायरल होता रहता है. इंडियन लुक में एक्ट्रेस दिव्या बेहद खूबसूरत लगती हैं. वहीं फैंस उनकी सादगी और खूबसूरती के कायल हैं. 34 साल की उम्र में भी वह बौलीवुड की यंग एक्ट्रेसेस को फैशन के मामले में टक्कर देती हुई नजर आती हैं.

 

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हॉटनेस के मामले में नहीं हैं कम

 

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एक्ट्रेस दिव्या खोसला कुमार इंडियन ही नहीं वेस्टर्न आउटफिट भी कैरी करती रहती हैं, जिसकी फोटोज और वीडियो वह अपने औफिशनयल इंस्टाग्राम अकाउंट पर शेयर करती रहती हैं. वहीं फैंस उनके वेस्टर्न लुक को देखकर तारीफें करते हुए नहीं थकते हैं, जिसका अंदाजा एक्ट्रेस के सोशलमीडिया की फैन फौलोइंग से लगाया जा सकता है. दरअसल, एक्ट्रेस के 5.2 मिलियन फौलोअर्स हैं, जिसके चलते वह सुर्खियों में छाई रहती हैं.

 

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ये भी पढ़ें- बेहद स्टाइलिश हैं Sachin Tendulkar की बेटी Sara Tendulkar, बौलीवुड में रखेंगी कदम!

बेहद स्टाइलिश हैं Sachin Tendulkar की बेटी Sara, बौलीवुड में रखेंगी कदम!

क्रिकेट वर्ल्ड के सुपरस्टार सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) की बेटी सारा तेंदुलकर  (Sara Tendulkar) सोशलमीडिया पर छाई रहती हैं. वहीं उनकी बौलीवुड के स्टार किड्स के साथ दोस्ती सुर्खियों में रहती है. इसी बीच खबरें हैं कि जल्द ही वह बौलीवुड की दुनिया में कदम रखने वाली हैं. हालांकि अभी इस खबर की पुष्टि नही हुई है. लेकिन सारा तेंदुलकर के बौलीवुड में नजर आने के चलते उनकी सोशलमीडिया पर फैन फौलोइंग बढ़ गई है. इसी के चलते आज हम सारा तेंदुलकर के फैशन की झलक आपको दिखाएंगे, जिससे आपको उनकी खूबसूरत का अंदाजा लग जाएगा.

स्टाइलिश हैं सारा

 

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मेडिसिन की पढ़ाई करने वाली सारा तेंदुलकर फैशन के मामले में बेहद स्टाइलिश हैं. वह आए दिन नई नई ड्रैसेस में नजर आती हैं, जिसमें वह बेहद खूबसूरत लगती हैं. वहीं फैंस उनके वेस्टर्न अवतार को काफी पसंद करते हैं.

 

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इंडियन लुक में भी लगती हैं खास

 

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वेस्टर्न ही नहीं सारा तेंदुलकर इंडियन लुक में भी नजर आती हैं. दोस्त या फैमिली के साथ फंक्शन में इंडियन अवतार कैरी करती हैं, जिसमें वह बेहद खूबसूरत लगती हैं. वहीं इन लुक्स में वह बौलीवुड हसीनाओं को फैशन के मामले में टक्कर देती नजर आती हैं.

 

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फिटनेस का रखती हैं ख्याल

 

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सारा तेंदुलकर पेशे से एक मॉडल हैं, जिसके चलते कई विज्ञापनों में नजर आ चुकीं हैं. वहीं अपने लुक्स को फ्लौंट करने के साथ-साथ फिटनेस का भी ख्याल रखती हैं, जिसकी फोटोज और वीडियोज वह फैंस के साथ सोशलमीडिया पर शेयर करती रहती हैं.

 

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बता दें, सारा तेंदुलकर कई बौलीवुड फंक्शन में नजर आ चुकी हैं. वह अपने पिता सचिन तेंदुलकर और मां के साथ कई बार डिनर डेट पर भी स्पॉट हो चुकी हैं, जिसके चलते वह खबरों में छाई रहती हैं. हालांकि बौलीवुड में कदम रखने की खबर से फैंस काफी एक्साइटेड हैं. लेकिन अभी वह बौलीवुड का हिस्सा बनेंगी या नहीं ये देखना होगा.

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REVIEW: जानें कैसी है फिल्म Operation Romeo

रेटिंगः डेढ़ स्टार

निर्माताः शीतल भाटिया व नीरज पांडे

निर्देशकः शशांत शाह

कलाकारःवेदिका पिंटो, भूमिका चावला, सिद्धांत गुप्ता, शरद केलकर,  किशोर कदम

अवधिः दो घंटे 15 मिनट

मलयालम फिल्मकार अनुराज मनोहर ने अपने निजी जीवन के अनुभवों पर फिल्म ‘‘इश्कः नॉट ए लव स्टोरी’’ का निर्माण किया था. जिसने 2019 में सफलता दर्ज करायी थी. उसी का हिंदी रीमेक लेकर निर्देशक शशांत शाह आ रहे हैं.  इस फिल्म का निर्माण नीरज पांडे ने किया है, जो कि ‘ए वेडनेस्डे’, ‘स्पेशल 26’, ‘बेबी’, ‘एम एस धोनीःअनटोल्ड स्टोरी’ व अय्यारी जैसी फिल्में निर्देशित कर चुके हैं. वह ‘रूस्तम’,  ‘नाम शबाना’ व ‘मिसिंग’जैसी फिल्मों का निर्माण भी कर चुके हैं. 2018 में नीरज पांडे ने ‘आदर्श सोसायटी घोटाले’पर आधारित फिल्म ‘अय्यारी’ का निर्देशन किया था, जिसे बाक्स आफिस पर सफलता नही मिली थी और उनके नाम पर ऐसा धब्बा लगा कि उसके बाद से आज तक वह फिल्म निर्देशन से दूरी बनाए हुए हैं. इसी वजह से ‘आपरेशन रोमियो’ के निर्देशन की जिम्मेदारी शशांत शाह को सौपी. मगर अफसोस समय की मांग के अनुरूप ‘मौरल पौलीसिंग’’पर आधारित फिल्म ‘‘आपरेशन रोमियो’’ निराश करती है.

कहानीः

फिल्म की कहानी के केंद्र में आई टी कंपनी में कार्यरत आदित्य उर्फ आदी (सिद्धांत गुप्ता ) व उनकी प्रेमिका नेहा (वेदिका पिंटो )  है. नेहा जयपुर के एक अति रूढ़िवादी परिवार की लड़की है, जो कि मंुबई में होस्टल में रहकर पढ़ाई कर रही है. उसका जन्मदिन आ गया है. आदित्य , नेहा के जन्मदिन को मनाने के लिए नेहा के साथ अपनी कार में डेट पर निकलता है. वह दोनों दक्षिण मुंबई शहर पहुंच जाते हैं. आदित्य की कामेच्छा बढ़ जाती है और वह आधी रात को सुनसान सड़क पर कार के अंदर एक दूसरे को ‘किस’ करने का फैसला करते हैं. तभी खुद को पुलिस इंस्पेक्टर बताने वाला कए गबरू इंसान मंगेश जाधव (शरद केलकर) उन्हे पकड़ लेता है. मंगेश का सहयोगी हवलदार (किशोर कदम) भी आ जाता है. मंगेश व उनका साथ इस प्रेमी युगल को ब्लैकमेल करना शुरू करता है. जिससे एक ट्रौमा की शुरूआत होती है. पर जब  आदी, मगेश व उसके साथी से छुटकारा पाता है, तब नेहा का तंज आदी बर्दाश्त नहीं कर पाता. उसके बाद आदित्य पूरे मामले की थाह लेने निकलता है, तो एक अलग सच सामने आता है.

लेखन व निर्देशनः

फिल्म की कमजोर कड़ी  रतीश रवि और अरशद सय्यद लिखित पटकथा है. लेखकद्वय ने मौरल पौलीसिंग नैतिक पुलिसिंग के विषय को रोमांच का रूप देने के प्रयास में पूरी फिल्म को ही भ्रमित बना डाला. निर्देशक भी इस विषय को संजीदगी से नहीं ले पाए. फिल्म की कहानी की पृष् ठभूमि मंुबई रखकर लेखक व निर्देशक ने गलत नींव रख दी. क्योकि फिल्म में प्रेमी युगल के साथ जो कुछ घटता है, उसकी कल्पना लोग कर ही नही सकते.  परिणामतः फिल्म देखने के बाद दर्शक निराश होने के साथ ही अपना माथा पीट लेता है. फिल्म में बार बार याद दिलाया जाता है कि पुरूष मानसिकता मंे बदलाव आया या नही और हम महिलाओें लड़कियों के लिए कितना सुरक्षित समाज का निर्माण कर पाए हैं. फिल्म के शुरूआत के 15 मिनट तो इसी पर हैं. उसके बाद लेखक व निर्देशक कहानी को रोमांचक रूप देते हुए दर्शक को शिक्षा देने के प्रयास में जुट जाते हैं, जिसमें वह बुरी तरह से असफल रहे हैं. फिल्म के क्लामेक्स में अजीबोगरीब तरीके से ‘नारीसशक्तिकरण’ की बात की गयी है. जो कि फिल्म की मूल कॉसेप्ट से अलहदा है. इससे दर्शक भ्रमित व ठगा हुआ महसूस करता है कि उसने जिस कहानी के लिए अपना समय व पैसा बर्बाद किया, वह तो यह है ही नही. क्लायमेक्स बहुत ही घटिया व गड़बड़ है. इंटरवल से पहले फिल्म को बेवजह खींचा गया है. इसे एडीटिंग टेबल पर कसा जा सकता था. इंटरवल के बाद कुछ रोमांचक दृश्य हैं.

शशांत शाह का निर्देशन काफी औसत व भ्रमित करने वाला है. कागज पर कहानी ऐसी लगती है कि वह नैतिक पुलिसिंग को एक ऐसे व्यक्ति की नजर से देखना चाहती है, जो खुद एक नैतिक पुलिस है,  लेकिन एक दुःखद स्थिति में फंस गया है. पर परदे पर वह उस बच्चे की तरह नजर आता है, जिसे समझ में नही आता कि कब गुस्सा आना चाहिए. कुल मिलाकर यह फिल्म एक थका देने वाले अनुभव के अतिरिक्त कुछ नही है.

अभिनयः

आदित्य उर्फ आदी के किरदार में सिद्धांत गुप्ता अपने शिल्प को लेकर पूरी तरह से इमानदार नजर आते हैं. उनके अंदर अभिनय की काफी संभावनाएं हैं, बशर्ते उन्हे अच्छी पटकथा व बेहतरीन निर्देशक मिल जाएं. सिद्धांत ने फिल्म के कई दृश्यों में बेबसी व कश्मकश को बेहतर तरीके से उकेरा है.

मंगेश जाधव के किरदार में शरद केलकर ने एक बार फिर साबित कर दिखाया कि उन्हे पटकथा की मदद मिले या न मिले, वह अपने काम को सही ढंग से अंजाम देने में सक्षम हैं.

किशोर कदम का अभिनय ठीक ठाक है.

नेहा के किरदार में वेदिका पिंटो ने अपने चेहरे और आंखों के हाव भाव से काफी कुछ कहने का प्रयास किया है. मगर लेखक ने उनके किरदार को सही ढंग से विकसित नही किया है. वैसे वेदिका को अपने अभिनय को निखारने के लिए काफी मेहनत करने की जरुरत है. महाराष्ट्यिन पत्नी के छोटे से किरदार में भूमिका चावला अपनी छाप छोड़ जाती हैं. अफसोस भूमिका चावला के किरदार को भी ठीक से विकसित करने में लेखक व निर्देशक विफल रहे हैं.

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