फोन पर फ्रौड से कैसे बचें

लेखक- नीरज कुमार मिश्रा

‘‘हैलो… जी नमस्कार. मैं स्टेट बैंक औफ इंडिया से बैंक का मैनेजर प्रभाकर बोल रहा हूं. आप अपने एटीएम कार्ड का सत्यापन करा लीजिए नहीं तो यह ब्लौक कर दिया जाएगा.’’

निशा वैसे तो पढ़ीलिखी थी, पर अचानक आए इस फोन और फोनकर्ता के स्टेट बैंक का मैनेजर बताए जाने पर उस ने मान लिया कि फोन किसी असली मैनेजर का है और फिर फोनकर्ता को निशा ने 16 अंकों का एटीएम कार्ड का नंबर तो बताया ही, साथ ही कार्ड के पीछे लिखा सीवीवी नंबर भी बता दिया.

वह फर्जी फोनकर्ता इतनी चतुराईर् से बात कर रहा था कि निशा सम झ ही नहीं पाई कि माजरा क्या है और जब बीच में फोनकर्ता ने अंगरेजी भी बोली तब तो वह बिलकुल आश्वस्त हो गई कि यह प्रभाकर बैंक का ही मैनेजर है.

बातों के जाल में फंसा कर निशा के मोबाइल पर आया ओटीपी (वन टाइम पासवर्ड) भी पूछ लिया.

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शाम को जब निशा ने अपने बैंक का बैलेंस चैक किया तो उस में से क्व80 हजार की शौपिंग करी जा चुकी थी.

ब्रांच जा कर मैनेजर से शिकायत करी, पुलिस में भी रिपोर्ट करी पर हर तरफ से यही उत्तर आया कि शौपिंग आप के कार्ड से ही हुई, इसलिए हम कुछ नहीं कर सकते.

पढ़ेलिखे ठग

यह है बैंकिंग फ्रौड या ओटीपी फ्रौड चाहे कोई भी नाम दीजिए पर इस में ठगी का शिकार तो ग्राहक ही होता है. ये ठग पलक  झपकते हमारी गाढे़ पसीने की कमाई पर हाथ साफ  कर लेते हैं.

ये औनलाइन ठग पढ़ेलिखे, अंगरेजी बोलने वाले और तकनीक के भी जानकार होते हैं. इंटरनैट के कई स्रोतों से ये हमारा नाम तथा नंबर जान लेते हैं और फिर फोन कर के हम से जरूरी जानकारी जुटा कर हमारे पैसे उड़ा लेते हैं.

आज इंटरनैट बैंकिंग, मोबाइल बैंकिंग के चलते यह फ्रौड करना आसान हो गया है. इस तरह के फोन अधिकतर लैंडलाइन नंबरों से आते हैं ताकि किसी को शक न हो सके. आज हर व्यक्ति कैशलैस होना चाहता है, इसलिए वह अपने मोबाइल में ही अपने अकाउंट से जुड़ी पूरी डिटेल रखता है और चाहता है कि उस का हर काम स्मार्टफोन से ही हो जाए. उसे बैंक जा कर लाइन में न लगना पड़े.

ऐसे में जब आप के पास कोई फोन आ जाए कि आप की लौटरी निकली है या खाता बंद हो सकता है तब आप सहजता से फोनकर्ता को सारी जानकारी दे देते हैं.

करोड़पति बनाने का झांसा

एक इसी तरह का नया फ्रौड भी प्रकाश में आया है. ये ठग आप को फोन कर के यह कहते हैं कि ‘कौन बनेगा करोड़पति’ की तरफ से आप को एक कार इनाम में दी जाती है. बस इस गाड़ी के कागज बनवाने का खर्चा आप को देना होगा. यदि आप खुश हो कर हां कह देते हैं तो ये ठग आप से कार्ड की डिटेल पूछ कर पैसे उड़ा लेते हैं.

इसी तरह नीरजजी और उन के बेटे ने पुरानी जीपकार बेचने वाली एक साइट पर एक कार का विज्ञापन देखा और उस के मालिक के फोन नंबर पर संपर्क किया तो तथाकथित कार मालिक ने उन्हें गाड़ी देखनेपरखने के लिए उसी शहर में एक जगह बुलाया.

जब नीरजजी अपने बेटे को ले कर कार देखने गए तो कार उन्हें पसंद आ गई और फिर दोनों पार्टियों में एक निश्चित तिथि पर सौदा करने का निर्णय किया.

मगर ठीक सौदा होने वाले दिन नीरजजी के पास कार विक्रेता का फोन आया और उन्हें बातों में फंसा कर उस ने कार्ड की डिटेल मांग ली. फिर कुछ ही मिनटों में नीरजजी का अकाउंट साफ हो चुका था.

जब वे कार के सौदे वाली जगह पहुंचे तब न वहां कार थी और न कार वाला और उस विक्रेता का फोन नंबर भी बंद आ रहा था.

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इस पूरे प्रकरण में पुलिस ने भी कोई सहयोग नहीं किया, उलटा नीरजजी के पढ़ेलिखे होने के बावजूद ऐसी गलती कर देने का कुसूरवार उन्हें ही ठहराया गया.

इन सभी घटनाओं से हमें यही सीख मिलती है कि हमें किसी भी हालत में एटीएम कार्ड या क्रैडिट कार्ड का कोई भी नंबर, पासवर्ड या ओटीपी किसी को नहीं बताना है. अगर इस तरह की कौल्स बारबार आप के फोन पर आती हैं तो पुलिस में जा कर लिखित शिकायत करनी चाहिए. तकनीक हमारे रास्ते आसान तो बनाती है पर असावधानी होने पर हमें नुकसान भी उठाना पड़ सकता है.

लंबे समय तक ऐसे रखें मसाले सुरक्षित

सभी व्‍यंजनों में मसाले सबसे महत्‍वपूर्ण तत्‍व होते हैं. ये सादे से दिखने वाले मसाले व्‍यंजन का जायका बदल देते हैं. उनकी महक और ताजगी, हर डिश को लाजवाब बना देती है. हम घरों में हर दिन कई प्रकार के मसालों का इस्‍तेमाल करते हैं और कई मसाले ऐसे होते हैं जिन्‍हें कभी-कभार ही इस्‍तेमाल किया जाता है. ऐसे में सबसे बड़ी मुश्किल ये होती है कि इन मसालों को किस प्रकार सही तरीके से रखा जाए कि इनमें सीलन न आ पाए और इनकी महक और ताजगी भी बनी रहे.

आज हम आपको ऐसे कई तरीके बताएंगे, जिनसे आप मसालों को लंबे समय तक सुरक्षित रख पाएंगी. लेकिन उससे पहले आपको यह जानना होगा कि किस प्रकार के मसालों को कितने दिनों तक स्‍टोर किया जा सकता है, जो कि निम्‍न प्रकार है.

– बीजों या छाल को 2 साल तक स्‍टोर किया जा सकता है.

– औषधि या फूलों को 1 साल तक स्‍टोर कर सकती हैं.

– जमीनी जड़ को 2 से 3 साल तक स्‍टोर किया जा सकता है.

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इससे ज्‍यादा समय तक रखने के बाद मसालों में स्‍वत: ही कीट या कीड़े हो जाते हैं ऐसे में आपके स्‍वास्‍थ्‍य को हानि पहुंचती है. आइए जानते हैं मसालों को सुरक्षित रखने के कुछ आसान तरीके.

– हर्ब और मसालों को हमेशा सूखे स्‍थानों पर ही रखें. नमी वाली जगह पर रखने से इनमें गोलियां जैसी बन जाती है और कीड़े पड़ जाते हैं.

– बहुत ज्‍यादा रोशनी वाली जगह पर मसालों को न रखें. रोशनी, मसालों के अंदर होने वाले औयल को औक्‍सीडाइज कर देता है जिसकी वजह से उनका वास्‍तविक जायका बेकार हो जाता है.

– पारदर्शी जार में मसालों को रखने से बेहतर है कि किसी डार्क जार में इन्‍हें रखें. इससे उनमें लाइट भी ज्‍यादा नहीं पड़ेगी.

– कई लोगों को ऐसा लगता है कि फ्रिज में मसालों को रखने से वो कभी खराब नहीं होते हैं. यह एक मिथक है. फ्रिज में रखने से मसालों का फ्लेवर खत्‍म होने लगता है. लेकिन अगर आप इन्‍हें एयर-टाइट कंटेनर में रखकर फ्रिजर में डाल देते हैं तो मसाले ठीक रह सकते हैं.

– पीसे हुए मसालों की अपेक्षा, खड़े मसालों को स्‍टोर करें. जरूरत के हिसाब से उन्‍हें पीसते रहें. खड़े मसाले इतनी जल्‍दी खराब नहीं होते हैं जितनी जल्‍दी पीसे हुए मसाले खराब हो जाते हैं. साथ ही ताजे पीसे हुए मसालों का जायका भी लाजबाव होता है.

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– वैक्‍यूम सील वाले जारों में मसालों को स्टोर करके रखने से इनमें कीट नहीं होते हैं. बस इन्‍हें आपको किसी अंधेरे वाले स्‍थान पर रखना होता है. इसमें फ्रेशनेस बरकरार रहती है.

– बहुत ज्‍यादा मसाले एक साथ न खरीदें. उन्‍हें बहुत बड़े जार में न रखें. छोटे और आवश्‍यकतानुसार जार में ही रखें. इससे उनका एरोमा बना रहेगा.

चोरी से बचने के लिए अपनाएं ये उपाय, कीमती सामान पर नहीं पड़ेगी चोरों की नजर

कोहेफिजा पुराने भोपाल का घना रिहायशी इलाका है. यहां के आरके टौवर में रहने वाले मुजीब अली पिछले 14 सितंबर को दोपहर के कोई 1 बजे कुछ देर के लिए अपने एक दोस्त से मिलने गए थे. लेकिन जब वापस लौटे तब तक चोर दिनदहाड़े उन के क्व1 लाख के जेवर और कैश ले कर चंपत हो चुके थे.

चोरी करने के लिए चोरों को ज्यादा मशक्कत भी नहीं करनी पड़ी थी. मिनटों में उन्होंने घर के कमरों की तलाशी ली और अलमारियों में रखे जेवर व कैश जेब में ठूंस कर आराम से चलते बने. लेकिन पीछे छोड़ गए एक सबक कि घर से बाहर कुछ घंटों के लिए जाएं या कुछ दिनों के लिए, कीमती सामान ऐसी आसान जगहों पर न रखें या छिपाएं जहां चोरों के हाथ आसानी से पहुंच जाते हैं और वे अपने मकसद में कामयाब हो जाते हैं.

इसी तरह भोपाल के ही गेहूंखेड़ा इलाके के रौयल भगवान ऐस्टेट के परवेज खान जोकि एक कंपनी में मार्केटिंग मैनेजर हैं, पिछले 18 सितंबर को अपने बड़े बेटे की सगाई में शामिल होने के लिए मुंबई गए थे. जब सगाई कर वे वापस लौटे तो यह देख सकते में आ गए कि घर के दरवाजे का सैंट्रल लौक कटा पड़ा है. घर के अंदर जाने पर पता चला कि चोरों ने और 4 ताले तोड़ कर अलमारी में रखे जेवर, कीमती घडि़यां और ढाई लाख रुपए पर हाथ साफ कर दिया है. नजारा देख परवेज के पास अपने हाथ मलते रहने के सिवा कोई चारा नहीं बचा था. चोर क्व6 लाख का माल एक झटके में ले उड़े थे.

उन्हें पता रहता है

भोपाल के इन 2 ही नहीं, बल्कि देशभर में चोरी की अधिकतर वारदातों में एकसमान बात यह है कि चोरों को मालूम रहता है कि घर का कीमती सामान कहां रखा होता है. लिहाजा, उन्हें आप के खूनपसीने की गाढ़ी कमाई पर हाथ साफ करने में कोई खास दिक्कत पेश नहीं आती.

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लोग घरों के भारीभरकम दरवाजों पर मोटेमोटे ताले लटका कर निश्चिंत हो कर चले तो जाते हैं पर जब वापस लौटते हैं तो यह देख अपना सिर पीट लेते हैं कि कमबख्त शातिर चोरों ने जाने कैसे महंगी अलमारी के सेफ को भी तोड़ डाला है और उस में रखा कीमती सामान अब उन का अपना नहीं रह गया है.

आधुनिक और सुरक्षित समझी जाने वाली महंगी अलमारियां अब कतई महफूज नहीं रह गई हैं, क्योंकि अधिकतर मामलों में चोर सीधे इन्हीं में सेंधमारी करते हैं, क्योंकि उन्हें मालूम रहता है कि माल यहीं रखा जाता है या रखा गया है. उन का यह अंदाजा अकसर गलत भी नहीं निकलता.

जब अलमारी की तिजोरी आसानी से तोड़ सकते हैं तो घर की दूसरी जगहें तो और भी असुरक्षित होती हैं. मसलन, बौक्स वाला पलंग या दीवान जिस के अंदर लोग गहने व पैसे छिपा कर रखते हैं वे भी चोरों के निशाने पर हमेशा रहते हैं. यह सोचना बेमानी है कि तिजोरी या अलमारियों में माल नहीं मिलेगा तो चोर दीवान को छोड़ देंगे, जिन में ठूंसठूंस कर कपड़ों और बिस्तरों के बीच नजाकत और हिफाजत से लोग कीमती सामान रखते हैं.

यानी चोरों को पता रहता है कि कीमती सामान रखने के लिए लोग किनकिन ठिकानों और तरीकों का इस्तेमाल करते हैं. लिहाजा, उन्हें चोरी करने में कोई खास परेशानी पेश नहीं आती.

फिर कहां रखें

बात सच है कि जब चोरों को अंदाजा रहता है कि कीमती सामान घर में कहांकहां हो सकता है तो उन्हें चोरी करने से कोई रोक नहीं सकता.

हालांकि चोरी से बचने के लिए कई लोग जेवरात और दूसरे कीमती आइटम बैंक लौकर्स में रखते हैं. लेकिन यह भी कम दिक्कत वाला काम नहीं. वजह एक तो बैंक लौकर सस्ते नहीं होते दूसरे साल में 2-4 मौके ऐसे आ ही जाते हैं जब गहने निकालने पड़ते हैं.

यह झंझट वाला काम है कि जब भी किसी फंक्शन या शादी में जाना हो तो बैंक जा कर गहने निकालो फिर उन्हें वापस रखने जाओ.

फिर क्या करें और चोरों से बचने के लिए सामान कहां रखें? इस सवाल का जवाब देना भी आसान काम नहीं है. मगर इसे आसान बनाया जा सकता है वह भी इस तरह कि चोर जब घर में दाखिल हों, अलमारियां और तिजोरी तोड़ें तो उन के हाथ सिवाय खीझ के कुछ और न लगे. कीमती सामान घर में ही ऐसी जगह रखें जहां, उन के हाथ पहुंचे ही नहीं.

तिजोरी में माल न मिले तो चोर दीवान देखेंगे, फर्नीचर खंगालेंगे, फ्रिज, दूसरी अलमारियां व दराज खोलेंगे लेकिन यहां भी उन्हें सिवाय कागजों व कपड़ों के कुछ नहीं मिलेगा तो वे आप की कंगाली या चालाकी को कोसते वापस चले जाएंगे.

आजमाएं पुराने तरीके

 चोरीचकारी से बचने के लिए पुराने तरीके आजमाएं. ये तरीके कतई कठिन नहीं हैं लेकिन अलमारी और तिजोरी की अपेक्षा ज्यादा सुरक्षित हैं.

सब से प्रचलित पुराना तरीका गहनों को जमीन में गाड़ने का है. यह ठीक है कि आजकल अधिकतर मकान पक्के सीमेंट के बने होते हैं जिन्हें खोदा नहीं जा सकता लेकिन पुराने लोगों की समझदारी को नए तरीके से आजमाया जाए तो बात बन सकती है. घर बनवाते समय या बाद में बैडरूम में पलंग के नीचे के 2 टाइल्स उखाड़ कर गड्ढा बनाया जा सकता है और दीवारों में भी इसी तरह एक गुप्त स्थान बनवाया जा सकता है.

भोपाल के ही पिपलानी इलाके की 64 साल की दक्षिण भारतीय महिला एस. लक्ष्मी को साल में एक बार आंध्र प्रदेश जाना पड़ता है. लक्ष्मी के पास कोई 20 तोला सोना है जो आज तक चोरी नहीं हुआ जबकि 2 बार ऐसा हुआ कि जब वे आंध्रप्रदेश से वापस लौटीं तो चोर घर से सेंधमारी कर चुके थे लेकिन उन के हाथ सिवाय नाकामी के कुछ नहीं लगा था.

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दरअसल, लक्ष्मी जाने से पहले अपने गहने तेल की 20 लिटर लबालब भरी केन में रख जाती हैं. चोर किचन तक आए और डब्बेकनस्तर खोल कर भी देखे लेकिन उन्हें कुछ नहीं मिला. तेल की केन पर उन का ध्यान ही नहीं गया कि गहने इस में भी रखे हो सकते हैं.

लक्ष्मी की तरह आप भी जरा सी समझदारी दिखा कर कीमती सामान को चोरों की नजरों से बचा कर रख सकती हैं.

5 टिप्स: घर पर ऐसे करें गलीचों की सफाई

घर को सजाने के लिए अक्सर हम मार्केट से दरी या गलीचे खरीद लेते हैं या फिर हाथों से बनी हुई दरी का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन भारी और मोटी होने के कारण हम कईं बार दरी या गलीचे की सफाई करने में आलस दिखाते हैं. दरी को साफ करना मुश्किल है. पर आज हम आपको कुछ ऐसी टिप्स बताएंगे, जिससे आप आसानी से दरी को बिना किसी परेशानी के आसानी से साफ कर देंगे साथ ही दरी का इस्तेमाल करके घर को डेकोरेट कर पाएं…

1. ड्रायर से न सूखाएं दरी

कभी भी दरी को ड्रायर के द्वारा न सुखाएं वरना वह खराब या फट भी सकता है. अच्‍छा होगा कि उसे बाहर धूप में ही सुखाएं और कभी भी उसे मोड़ कर न रखें वरना उसमें निशान पड़ने की संभावाना बढ़ जाती है.

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2. वैक्यूम क्लीनर से करें सफाई

अगर आपके घर में वैक्यूम क्लीनर है तो आपको हफ्ते में दो बार दरी को वैक्‍यूम क्‍लीनर से साफ करनी चाहिए. आप चाहें तो दरी को बाहर धूप में रख कर उसमें मौजूद गंदगी को ब्रश के द्वारा निकाल सकती हैं.

3. पानी और सिपके से मिटाएं दाग

छोटे मोटे दाग धब्‍बों को मिटाने के लिए पानी और सिरके का प्रयोग किया जा सकता है. एक बोतल में पानी और सिरका मिलाएं और जहां भी दाग लगा हो वहां पर स्‍प्रे कर दें. उसके बाद उसे किसी सूती कपड़े से साफ करें.

4. दरी पर लिखी वार्निंग को पढ़ना न भूलें

आप अपने घर में दरी को आराम से धो सकती हैं पर जरुरी है कि आप उसपर दिए गए निर्देशों को ध्‍यान से पढ़ लें. कभी भी दरी को गरम पानी में नहीं धोना चाहिए. ठंडे पानी में दरी को सर्फ डाल कर 15-20 मिनट तक भिगो कर रख दें पर उसमें पड़े दागों को ब्रश से न साफ करें. चाहें तो पानी में बेकिंग सोड़ा भी डाल सकती हैं.

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5. बदबू मिटाने के लिए करें ये काम

अगर आपको दरी से गंध मिटानी हो तो पानी और सिरका का घोल बना लें और उसे छिडक दें. आप चाहें तो इस घोल को रोज़ ही इस्‍तमाल कर सकती हैं, इससे दरी से कभी भी बदबू नहीं आएगी.

4 टिप्स: घर पर चांदी को चमकाएं ऐसे

चांदी जैसे-जैसे पुरानी होती जाती है, धीरे धीरे यह अपनी चमक खोने लगती है. दरअसल, चांदी एक ऐसी धातु है जिस पर दाग-धब्बे व खरोंच आसानी से पड़ जाते है. ऐसे में अगर महिलाएं चांदी के जेवर पहनती है तो कहीं न कहीं उनकी खूबसूरती फीकी पड़ जाती हैं. महिलाएं इन्हें साफ करवाने के लिए सुनार के पास भी जाती हैं. जहां समय तो लगता ही है साथ पैसे भी ज्यादा लगता है. ऐसे में आप घर पर ही कुछ आसान नुस्खों से चांदी चमका सकती हैं. आइए जानते है चांदी के बर्तन व जेवर को घर पर कैसे चमका सकते है-

नमक और एल्युमीनियम फौयल का प्रयोग

चांदी के गहनों को साफ करने के लिए एक बर्तन में पानी और नमक का घोल बना लें. अब इस में एल्युमीनियम फौयल के कुछ टुकडें मिला दें. अब इस घोल में आप चांदी के बर्तन व जेवर डाल दें. करीब 30 मिनट बाद चांदी को इस घोल में रखने के बाद निकाल लें और ब्रश से साफ कर के सूखा ले. आप चाहे तो नमक के जगह बैकिंग सोडा का भी इस्तेमाल कर सकती है. नमक और एल्युमीनियम का यह मेल चांदी के दाग धब्बों के साथ रिएक्शन कर के चांदी को चमकदार बनाने में मदद करता है.

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डिटर्जेंट पाउडर का करें इस्तेमाल

डिटर्जेंट पाउडर  के इस्तेमाल से चांदी की खोई चमक वापस आ सकती है. इसके लिए आपको पहले पानी में डिटर्जेंट  पाउडर  डाल कर उबालना होगा. अब इस में चांदी के जेवर डाल कर थोड़ी देर छोड़ दे. कुछ देर बाद इन्हें निकाल कर ब्रश के सहायता से साफ कर लें. ऐसा करने से चांदी की चमक फिर से पहले जैसी हो जाएगी.

टूथपेस्ट से भी चमकेगी चांदी

टूथपेस्ट से सिर्फ दांत ही नहीं चांदी भी चमकाई जा सकती है. टूथपेस्ट से आप आसानी से चांदी के जेवर व बर्तन को चमका सकती है. इसके लिए आप कोई भी सूती कपड़ा ले. अब इस कपड़े पर टूटपेस्ट लगाएं और जिस जेवर को चमकाना है उसे इस कपड़े के सहायता से हल्के हाथ से रगड़े.

नींबू और नमक का घोल

नींबू और नमक का घोल भी चांदी चमकाने में काफी लाभदायक है. चांदी को चमकने के लिए नींबू और नमक के घोल को मिला ले और उसमे चांदी के बर्तन व जेवर रात भर भिगों के छोड़ दे. सुबह इसे ब्रश से साफ कर ले. आपको काफी फर्क नजर आएगा.

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किचन से लेकर बेडरूम तक, नई दुल्हन के लिए ऐसे सजाएं घर

शादी एक ऐसा पल है जब जिंदगी का हर पहलू बदलाव की सुनहरी चादर में लिपट जाता है. यह बदलाव भावनात्मक, शारीरिक और मानसिक होने के साथ भौतिक भी होता है. खासतौर पर लड़की के लिए क्योंकि उसे अपने बचपन के घरआंगन को छोड़ कर पति के आशियाने को बसाना होता है. ऐसे में पति के घर को ले कर हर लड़की के कुछ ख्वाब भी होते हैं. वह सोचती है कि भले ही पति का घर उस के ड्रीम हाउस के खाके से मेल खाता हुआ न हो, लेकिन घर में उस का कमरा और रसोई कुछ हद तक उस के हिसाब से ही होगी. ऐसे में हर लड़के की जिम्मेदारी है कि अपनी पत्नी को घर लाने से पहले अपने बैडरूम और रसोई को बैचलर लुक से न्यूली वैड लुक में बदल लें. यदि आप को कमरे का इंटीरियर तय करने में समस्या आ रही है, तो नीचे दिए टिप्स आप के लिए मददगार साबित हो सकते हैं:

बैडरूम का रंग हो ऐसा

बैडरूम के इंटीरियर का सब से महत्त्वपूर्ण हिस्सा दीवारों पर चढ़ा पेंट होता है. आइए जानते हैं कि कैसा होना चाहिए न्यूली वैड कपल के कमरे का रंग. शादी के माहौल में अकसर वाइब्रैंट कलर्स देखने को मिलते हैं. लगातार हफ्ते भर वाइब्रैंट रंगों को देखतेदेखते दुलहन का मन उन्हीं में खो जाता है और वह उन रंगों से भावनात्मक रूप से जुड़ जाती है. खासतौर पर लाल, बैगनी, रौयल ब्लू, गोल्डन और मैरून रंग से उसे लगाव सा हो जाता है. इसलिए दुलहन के कमरे को तैयार करते वक्त कमरे की दीवारों के रंग का चुनाव इन्हीं रंगों में से करें.

नईनई शादी में रोमांस और ऐलिगैंस को बहुत महत्त्व दिया जाता है और गहरे रंग इन दोनों के ही प्रतीक हैं. इन रंगों के साथ डीप ज्वैल कलर्स जैसे गोल्डन, ब्रौजन एवं मेटैलिक का कौंबिनेशन दुलहन को और भी अधिक सूदिंग फीलिंग देता है. अपने घर से ज्यादा किसी को और कहां कोजी फीलिंग हो सकती है? जरा सोचिए, आप की दुलहन आप के लिए अपना घर छोड़ कर आ रही है ऐसे में उसे कोजी फील देने में भी ये डार्क कलर काफी मददगार हैं.

यदि कमरा बड़ा है तो पूरे कमरे में गहरा रंग कराया जा सकता है, लेकिन यदि कमरा छोटा है तो कमरे की एक दीवार पर ही गहरा रंग करवाएं. अन्य दीवारों पर गहरे रंग से मेल खाता हलका रंग करवा सकते हैं. यह कमरे को आकार में बड़ा भी दर्शाता है.

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कमरे में फर्नीचर की मौजूदगी उस के खालीपन को भरती है बिलकुल वैसे ही जिस तरह आप की पत्नी आप के जीवन के खालीपन को दूर करती है. लेकिन फर्नीचर का चुनाव करते वक्त कुछ बातों का जरूर ध्यान दें.

– अब आप बैचलर नहीं रहे इसलिए आप जो भी फर्नीचर लें इस बात को ध्यान में ले कर लें कि आप 1 नहीं 2 हैं. खासतौर पर बैठने का सोफा, बैड और अलमारी का चुनाव करते वक्त पत्नी की चौइस का भी ध्यान रखें.

– रूम के साइज के हिसाब से बैड का साइज तय करें. जरूरी नहीं कि किंगसाइज बैड ही लिया जाए. यदि आप का काम क्वीन साइज बैड में चल सकता है तो वही लें.

– नए घर में दुलहन का सब से अच्छा दोस्त आईना होता है. ड्रैसिंग टेबल का चयन करते वक्त लंबाई में बड़े शीशे वाले ड्रैसिंग टेबल को चुनें क्योंकि तैयार होते वक्त कई बार दुलहन को ऊपर से नीचे तक खुद को देखना पड़ता है. ऐसे में लंबे शीशे की वश्यकता पड़ती है.

– केनोपी बैड भी न्यूली वैड्स के लिए एक अच्छा विकल्प है, क्योंकि यह बैड ऐरिया को कवर कर लेता है और बहुत रोमांटिक अपीयरैंस देता है.

– नईनवेली दुलहन अपने साथ बहुत से महंगे तोहफे और कपड़े लाती है. इस के लिए उसे ऐसे स्टोरेज की जरूरत होती है जहां उस का सामान सेफ रहे. इसलिए वार्डरोब के साइज में कंजूसी मत करें. वार्डरोब ऐसी होनी चाहिए जिस में दूल्हा और दुलहन दोनों  कपड़े रखने के अलावा ऐक्स्ट्रा स्टोरेज की भी जगह हो.

ऐसी हों लाइट्स

रोशनी पौजिटिविटी का प्रतीक होती है. दुलहन के कमरे में खूबसूरत लैंप्स, झूमर और सीलिंग लाइट्स होनी चाहिए. लेकिन इन की सैटिंग पर विशेष ध्यान देना चाहिए.

– जिस तरफ बैड हो उस की सीध में लाइट नहीं होनी चाहिए. लाइट की चकाचौंध से आंखों में इरिटेशन होने लगता है, इसलिए लाइट की सैटिंग हमेशा बैड के दाईं और बाईं तरफ ही होनी चाहिए.

– आजकल कलरफुल लाइट्स का ट्रैंड है. अगर आप के कमरे के कलर और इंटीरियर की खूबसूरती में कलरफुल लाइट्स से इजाफा हो रहा हो तो इस का प्रयोग भी कर सकते हैं.

– यदि आप का कमरा झूमर लगवाने के लिए उपयुक्त नहीं है तो आप कमरे की सीलिंग पर डिम लाइट्स लगवा सकते हैं. डिम लाइट्स माहौल को रोमांटिक बनाने में बहुत मददगार होती हैं.

फ्लोरिंग का भी रखें ख्याल

नई-नवेली दुलहन के लिए कमरे की फ्लोरिंग पर भी विशेष ध्यान दें. आइए हम आप को बताते हैं कुछ टिप्स.

– कमरे की दीवारें और छत जितनी अहम है उतनी ही अहम है कमरे की फर्श. इसलिए यदि आप दीवारों पर डिजाइनर पेंट करवा रहे हैं तो फर्श पर डिजाइनर कार्पेट जरूर डलवाएं.

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– फर्श के इंटीरियर के लिए मार्केट में आजकल कई डिजाइनर विकल्प उपलब्ध हैं. जैसे कमरे की फर्श का रंग तकनीक द्वारा बदलवाया जा सकता है, डिजाइनर टाइल्स लगवाए जा सकते हैं, तो वुडेन फ्लोरिंग भी काफी ट्रैंड में हैं.

परदे काभी रखें ध्यान

बैडरूम इंटीरियर में परदों का एक महत्त्वपूर्ण स्थान है. खासतौर पर बात जब न्यूली वैड कपल के बैडरूम की हो तो इन का महत्त्व और भी बढ़ जाता है. लेकिन परदों के चुनाव में भी सावधानी बरतनी चाहिए.

– दुलहन के कमरे में परदे हमेशा गहरे रंग के होने चाहिए. साथ ही वे पारदर्शी न हों. दुलहन को प्राइवेसी की जरूरत होती है,  इसलिए परदों में थोड़ा भारीपन और मोटापन होना चाहिए.

– परदों का फैब्रिक सिल्क या साटन होना चाहिए. ये परदे शाइनी और भारी होते हैं. बहुत रंगबिरंगे परदे बैडरूम के इंटीरियर को खराब करते हैं. यदि फिर भी चाहें तो 2 रंगों का इस्तेमाल किया जा सकता है.

रसोई भी हो खास

नई दुलहन के लिए ससुराल में बैडरूम के बाद रसोई घर दूसरा सब से महत्त्वपर्ण स्थान होता है. जहां स्वादिष्ठ पकवान बना वह अपने पति और ससुराल वालों का दिल जीत लेती है. लेकिन रसोई को दुलहन के हाथों सौंपने से पहले उस के इंटीरियर पर थोड़ा ध्यान जरूर देना चाहिए. आइए जानते हैं कि नई दुलहन की रसोई कैसी होनी चाहिए.

– आजकल बहुत बड़ी रसोई का चलन नहीं है, इसलिए रसोई छोटी भी हो तो इसे मैनेज कर के अच्छा बनाया जा सकता है. मसलन, रसोई साफसुथरी लगे इस के लिए फर्श और दीवारों पर टाइल्स जरूर लगवाएं.

– रसोई को मौड्युलर भी बनवाया जा सकता है. इस से सामान फैला हुआ नहीं दिखता और दुलहन को नई रसोई में सामान खोजने में ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती.

– रसोई में रखे मसालों और अनाज के डिजाइनर डब्बे बाजार में उपलब्ध हैं. इन्हें भी रसोई के डैकोरेशन का हिस्सा बनाया जा सकता है. साथ ही जिस डब्बे में जो सामान रखा है उस डब्बे पर उस का लेबल जरूर लगाएं.

– आजकल रसोई में भी अधिकतर चीजें इलैक्ट्रौनिक ही होती हैं. इस से खाना स्वादिष्ठ पकने के साथ जल्दी भी पकता है. दुलहन को रसोई में बहुत वक्त न गुजारना पड़े इस के लिए किचन गैजेट्स की मौजूदगी अनिवार्य है. मसलन, सैंडविच मेकर, स्टर, मिक्सर ग्राइंडर, माइक्रोवेव, राइस मेकर आदि कुछ ऐसे आवश्यक आइटम हैं जो आज के समय में हर रसोई में होने ही चाहिए.

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– बाजार में डिजाइनर कुकवेयर भी उपलब्ध हैं, जो भोजन की पौष्टिकता और स्वाद को बरकरार रख जल्दी भोजन तैयार करने में मददगार और किचन इंटीरियर का महत्त्वपूर्ण भाग होते हैं. रसोई में इन की मौजूदगी दुलहन को स्वादिष्ठ भोजन पकाने का आत्मविश्वास दिलाती है.

वर्क फ्रौम होम टैंशन दूर करें ऐसे

‘‘क्योंपारुल, कहीं जा रही हो क्या? सारे रास्ते तो बंद हैं? जगहजगह पुलिस खड़ी है?’’  मयूरी ने अपनी पड़ोसिन पारुल को स्मार्ट ड्रैसअप हो कर बालकनी में खड़ा देखा तो पूछ बैठी.

दरअसल, जब से लौकडाउन हुआ है तब से मयूरी तो अपनी नाइटी से बाहर ही नहीं आई है. घर में रहो तो नाइटी ही सब से सुविधाजनक ड्रैस लगती है. कौटन की हलकी, लूज और हवादार नाइटी में एक तो घर के काम करते वक्त गरमी नहीं लगती और थक जाओ तो इसी में थोड़ी देर सो जाओ. बारबार कपड़े बदलने का झंझट भी नहीं और लौकडाउन में कोई मेहमान भी तो नहीं आने वाला कि नहाधो कर सलवारकुरता और दुपट्टा धारण करो. खुद भी कहीं निकलना नहीं है.

इसलिए मयूरी आजकल दिनरात नाइटी में काट लेती हैं. मगर पारुल को सुबहसुबह बिलकुल फ्रैश, पूरे मेकअप और औफिस के कपड़ों में टिच देख कर मयूरी से रहा नहीं गया, तो अपनी बालकनी से आवाज दे कर पूछ ही बैठी.

‘‘नहींनहीं… कहीं जाना नहीं है, घर पर ही हूं,’’ पारुल ने जवाब दिया.

‘‘फिर ये सुंदर मिडीटौप क्यों? वैसे तुम बहुत स्मार्ट लग रही हो, कोई आने वाला है क्या?’’

मयूरी की उत्सुकता कारण जाने बिना खत्म होने वाली नहीं थी. आखिर जब घर में ही रहना है तो पारुल इतनी स्मार्टली ड्रैसअप हो कर क्यों घूम रही है?

‘‘अरे, कोई नहीं आने वाला है, बस थोड़ी देर में औफिस की मीटिंग शुरू होने वाली है औनलाइन, इसलिए तैयार हुई हूं.’’

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‘‘अरे, तो इस के लिए इतना तैयार होने की क्या जरूरत थी? मुझे तो लगा तुम्हारा औफिस खुल गया और तुम औफिस जाने की तैयारी में हैं,’’ मयूरी की उत्सुकता अभी कम नहीं हुई थी.

‘‘अरे वीडियो कौन्फ्रैंस है, सब के चेहरे दिखेंगे तो तैयार तो होना पड़ता है न. फिर तैयार हो कर न बैठो तो औफिस वाली फीलिंग नहीं आती, मीटिंग में दिल नहीं लगता, बस इसलिए तैयार हुई हूं और कोई बात नहीं है.’’

‘‘अच्छाअच्छा… मैं ने तो यों ही पूछ लिया था,’’ मयूरी कुछ झेंप कर बोली.

दरअसल, मयूरी हाउसवाइफ है. लौकडाउन नहीं था तब वह भी सुबह उठ कर, नहाधो कर सलवारकुरता पहन लेती थी क्योंकि सुबह से ही किसी न किसी की दस्तक दरवाजे पर होती रहती थी. फिर कभी ब्रैड लेने जाना है, कभी सब्जी लेने तो कभी दूध खत्म.

मगर लौकडाउन में बच्चे भी घर में हैं और पति भी, तो उस को बारबार बाहर जाने के झंझट से मुक्ति मिल गई है. पति सुबह जा कर सारा सामान एक बार में ले आते हैं.

वैसे भी कोरोना वायरस के डर से बारबार बाहर निकलने की गलती कोई नहीं कर रहा है. पति अपना औफिस का काम घर से ही करते

हैं, कभी फोन पर तो कभी छोटे के कंप्यूटर

पर. थोड़ी देर काम करते हैं, लेकिन खूब सोते भी हैं.

दूसरी तरफ पारुल है, जो सुबह अपने घर के सारे काम निबटा कर नहाधो कर बिलकुल ऐसे तैयार होती है जैसे औफिस जा रही हो.

जब से लौकडाउन हुआ है और वर्क फ्रौम होम शुरू हुआ है तभी से उस ने अपने घर के एक कोने को औफिस का लुक दे कर अपना कंप्यूटर, फोन, लैपटौप सब वहीं सैट कर दिया है. साथ ही इलैक्ट्रिक से चलने वाली टी केटल भी लगा ली है कि थकान या बोरियत हो तो गरमगरम चाय की चुसकी भी ले लो.

पारुल आईटी प्रोफैशनल है. स्मार्ट और तेजतर्रार वर्कर है. लिहाजा लौकडाउन में घर से काम करते हुए बिलकुल फ्रैश, साफसुथरे कपड़ों में वह 10 बजते ही इस कोने में अपना लैपटौप खोल कर विराजमान हो जाती है.

पारुल का ज्यादातर काम लैपटौप पर होता है. मीटिंग्स और बाकी सारे काम भी औनलाइन चलते हैं. मीटिंग में वीडियो कौल भी शामिल होती है, तो ऐसे में पारुल को अपने पहनावे और लुक्स का भी ध्यान रखना पड़ता है.

वैसे भी जब आप ठीक से तैयार होते हैं तो आप को थोड़ी औफिस वाली फीलिंग्स मिल ही जाती है. रोज कुछ नयापन बना रहता है. काम में मन लगता है और नएनए आइडियाज आते हैं.

आरिफ एक स्कूल में टीचर हैं. वे भी लौकडाउन में वर्क फ्रौम होम कर रहे हैं. रोज सुबह जल्दी उठते हैं. नहाधो कर अच्छे से प्रैस किए हुए पैंटशर्ट पर बाकायदा टाई और परफ्यूम लगा कर अपने लैपटौप के आगे बैठ जाते हैं और करीब 4 घंटे सुबह और 4 घंटे लंच के बाद अपने स्टूडैंट्स की औनलाइन क्लास लेते हैं. इस दौरान वे पूरी तरह चुस्त और ऐनर्जेटिक दिखते हैं.

आरिफ इस बात का पूरा खयाल रखते हैं कि वे अपने घर में किसी ऐसी जगह तो नहीं बैठे हैं कि पीछे का सीन उन के स्टूडैंट्स का ध्यान भटकाए. वे हमेशा किसी साफसुथरी दीवार या परदे के आगे बैठते हैं.

घर के अन्य सदस्य इस दौरान उन के आसपास या पीछे से नहीं गुजरते.

कुछ सावधानियां भी जरूरी

वर्क फ्रौम होम में काफी बातों का ध्यान रखना पड़ता है. ऐसे में कुछ सावधानियां भी रखनी जरूरी हैं. जैसे जब आप औनलाइन दूसरों को नजर आ रहे हों तो आप के बाल सलीके से बने हुए हों. आप अच्छे और साफ कपड़ों में हों.

अगर आप पुरुष हैं तो चेहरा शेव किया हुआ हो और अगर आप महिला हैं तो थोड़ा मेकअप जरूरी है ताकि आप दूसरों को आकर्षक दिखें और आप को व आप की बातों को तवज्जो दी जाए.

हाल ही में एक मशहूर टीवी चैनल के जानेमाने न्यूज ऐंकर वर्क फ्रौम होम करते हुए अपने घर के नीचे ही खड़े हो कर कैमरे के सामने अपनी खबर दे रहे थे. जब कैमरे में सिर्फ उन का चेहरा और सीने का कुछ हिस्सा आना था, लिहाजा उन्होंने ऊपर तो बढि़या शर्ट पहन ली लेकिन नीचे हाफ निक्कर ही पहने रहे, सोने पर सुहागा यह कि पैरों में चप्पलें तक नहीं डाली. नंगे पैर बाइट देने खड़े हो गए.

अब उन के चैनल पर तो उन की तसवीर ठीक दिखी, मगर उन के एक पड़ोसी की खुराफात के चलते वे सोशल मीडिया पर मजाक का केंद्र बन गए.

दरअसल, जिस वक्त वे औफिस के कैमरे पर आधे घर के और आधे औफिस के कपड़ों में अपनी बाइट दे रहे थे, ठीक उसी समय उन के सामने वाले घर की छत से उन का पड़ोसी अपने मोबाइल फोन से उन का वीडियो शूट कर रहा था.

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इधर वे अपने चैनल पर दिखे, उधर उन का फुल वीडियो सोशल मीडिया पर आ गया और लोग चटखारे ले ले कर देखने और उन के हाफ निक्कर पर कमैंट्स करने लगे. इस को ले कर उन को अपने औफिस से काफी लताड़ भी सुनने को मिली.

वर्क फ्रौम होम की दिक्कतें

अनेक कामकाजी महिलाओं के लिए लौकडाउन का पीरियड कई मुश्किलें ले कर आया है. उन को एकसाथ कई काम निबटाने पड़ रहे हैं. लौकडाउन में कामवाली या मेड का आना लगभग सभी घरों में बंद है. ऐसे में उन महिलाओं को जो अपने कार्यालयों में बड़ीबड़ी पोस्ट पर हैं, घर के सारे छोटेबड़े काम करने पड़ रहे हैं तो मिडिल क्लास की कामकाजी महिलाओं की तो जान ही आफत में है. उन्हें झाड़ूपोंछा भी करना है, गंदे बरतनों का ढेर भी साफ करना है, कपड़े भी धोने हैं, खाना भी बनाना है व बच्चों और पति को भी देखना है.

बच्चों की औनलाइन क्लासेज भी चल रही हैं, ऐसे में कई परिवारों में लैपटौप और कंप्यूटर को ले कर भी मारामारी मची हुई है. बच्चों को भी कंप्यूटर चाहिए, पति को भी और पत्नी को भी. ऐसे में अगर पतिपत्नी दोनों वर्क फ्रौम होम कर रहे हैं तो उन का काम काफी प्रभावित होता है.

कई बार औनलाइन न आ पाने के लिए बहाने भी बनाने पड़ते हैं.

महिलाओं से ये अपेक्षा भी की जाती हैं कि घर पर हों तो रोज कुछ नया बना कर खिलाओ. ऐसे में वे हर तरफ से पिस रही हैं. तनाव चरम पर है. औफिस का काम भी समय पर पूरा करना है और घर का भी.

आजकल सभी कामकाजी महिलाएं बावर्ची, कपड़े धोने वाले, मेड सब की भूमिका अकेले निभाते हुए औफिस का काम निबटा रही हैं. हां, वे महिलाएं थोड़ा आराम में हैं जिन की शादी नहीं हुई या जो अकेली रह रही हैं. जिन की शादी नहीं हुई और जो अपने मातापिता के साथ हैं उन के लिए औफिस के काम के लिए पर्याप्त समय निकालना कुछ आसान है क्योंकि उन की मांएं उन की समस्या समझते हुए घर का काम खुद ही निबटा लेती हैं और बेटी को काम करने के लिए पूरा वक्त मिल जाता है.

वहीं जो महिलाएं महानगरों में या अन्य शहरों में अकेली रह रही हैं वे भी अपनी सुविधा के अनुसार घर के काम निबटाती हैं और औफिस के काम के लिए पूरा समय दे पाती हैं. मगर शादीशुदा और ससुराल में रहने वाली महिलाएं वर्क फ्रौम होम में काफी दिक्कतों का सामना कर रही हैं और उत्मीद कर रही हैं कि जल्दी ही लौकडाउन खुले और वे वापस औफिस पहुंचें.

बनाएं थोड़ा संतुलन

घर और औफिस की जिम्मेदारियों को बेहतर तरीके से निभाने के लिए संतुलन

बनाना बहुत जरूरी है, वरना दोहरा तनाव आप को बीमार कर देगा.

इस के लिए निम्न उपाय अपनाएं:

– चाहे आप कोई भी काम करें, लेकिन उस के लिए एक शैड्यूल बनाना जरूरी है. शैड्यूल बना कर काम करेंगे तो घर और औफिस दोनों का काम सही समय पर पूरा हो जाएगा.

– अपने काम करने की प्राथमिकता के हिसाब से कामों की एक सूची तैयार करें. इस लिस्ट से आप अपने काम पर ढंग से फोकस कर पाएंगे और समय से अपना काम शुरू कर समय पर पूरा भी कर सकेंगे. दिन के आखिर में अपने पूरे दिन किए कामों की रिव्यू जरूर करें.

– घर में अगर छोटे बच्चे हैं और आप एकल परिवार में रहती हैं, तो अपने सहकर्मियों को अपनी स्थिति से अवगत कराएं. फायदा यह होगा कि कभी कोई काम में थोड़ी देरी भी होगी तो आप को बहुत ज्यादा सफाई देने की जरूरत नहीं पड़ेगी.

– अगर संयुक्त परिवार में रहती हैं तो औफिस का काम शुरू होने से पहले घर के जितने काम निबटा सकती हैं, निबटा लें. उस के बाद बेझिझक हो कर बच्चे से जुड़ी जिम्मेदारियों के लिए परिवार वालों की मदद लें.

– अपने काम के कैलेंडर के आधार पर पति के साथ घर की जिम्मेदारियों को इस तरह से बांटें कि जिस समय आप काम करें, उस समय वह बच्चों को देखें और जब वह काम करें, तो आप बच्चों की देखभाल करें. सारी जिम्मेदारियां खुद पर नहीं लें.

– घर में सास और ननद पर भी किचन और घर की साफसफाई की जिम्मेदारी डालें. अच्छी बहू बनने के चक्कर में अपनी परेशानियां न बढ़ाएं वरना दोतरफा काम का तनाव आप को बीमार भी कर सकता है.

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#coronavirus: इस Lockdown में नए अंदाज में जियें जिंदगी

लॉक डाउन का एक बार फिर से बढ़ जाने से वर्क फ्रॉम होम करने वाले लोग, बच्चे, यूथ और बुजुर्गों के लिए घर पर रहने की परेशानी एक बार फिर बढ़ गयी है. महीनो घर पर रहने के बाद उनकी आदतों में बदलाव न आ जाय, इसे देखने की जरुरत है. नियमित दिनचर्या, सही खान-पान और व्यायाम ही उन्हें अच्छा महसूस करवा सकती है. खासकर मुंबई जैसे शहर में जहाँ लोग दिनभर काम में व्यस्त रहते है. आज कोविड- 19 ने उसकी रफ़्तार को रोक दिया है, लगातार लॉक डाउन ने मुंबई की सूरत को बदल कर रख दिया. आज सड़के और गलियां सब सुनसान पड़ी है, केवल आवश्यक सेवा में लगे लोग और पुलिस ही दिखाई पड़ती है, ऐसे में खुद को और परिवार वालों को स्वस्थ रखना एक चुनौती सबके लिए है. इस बारें में सोच फ़ूड एल एल पी की फाउंडर पूर्वी पुगालिया कहती है कि घर पर रहकर ऑफिस का काम करना और अपनी प्रोडक्टिविटी को बनाये रखना आसान नहीं. इसके साथ पूरे परिवार को भी किसी न किसी रूप में एक्टिव रखना एक चुनौती है.  कुछ सुझाव निम्न है,

  • जब आप वर्क फ्रॉम होम करते है, तो आपके रूटीन को बनाये रखना जरुरी होता है, समय से सोना और जागना पड़ता है. दिनचर्या को पहले की तरह ही बनाये रखना पड़ता है. इसके लिए काम की साप्ताहिक सूची पहले से बनाकर रखना जरुरी है, इसमें लर्निंग, क्रिएटिव प्ले, रिलैक्स करने का समय, फिटनेस, एक्टिविटी आदि को शामिल करना आवश्यक है, अभी घरेलू हेल्प नहीं है, ऐसे में उसे भी कब कैसे करना हे, अपनी सूची में शामिल करें.

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बच्चे अभी स्कूल और कॉलेज नहीं जा रहे है, ऐसे में उनकी पढाई को उस लेवल तक करवाते रहना जरुरी है, पर इसके साथ-साथ उनकी फिटनेस और क्रिएटिविटी को भी बनाये रखना है, ताकि वे बोरियत या अकेलेपन का शिकार न बने, कुछ ऑनलाइन कोर्सेज बच्चों के लिए शुरू करवा दें, जिसे वे उसे एन्जॉय कर सके, टीवी का समय निर्धारण पहले जैसे ही करें, इंडोर गेम को अधिक से अधिक करने के लिए प्रेरित करें, यूथ लड़के और लड़कियां इस दौरान खाना पकाने की विधि, रूम डेकोरेशन, पेंटिंग आदि को सीख सकते है, जो बाद में उन्हें काम आ सकता है.

इस लॉक डाउन में परिवार में हैप्पी मोमेंट्स को क्रिएट करें, जिसमें साथ मिलकर भोजन करना, फिल्में देखना, पुरानी बातों को याद करना, आदि हो, क्योंकि व्यस्त दिनचर्या में परिवार के मूल्य, रिश्तों की अहमियत, धीरे-धीरे ख़त्म होते जा रहे थे, ऐसे में ये समय उसे फिर से तरोताजा बनाने का है.

  • व्यस्त समय जब आप भूखे रहते है, ऐसे में जो भी सामने मिलता है, उसे खा लेते है, अब आपके पास समय है और आप एक हेल्दी और बैलेंस्ड फ़ूड परिवार के लिए बना सकते है, जो आपके मेंटल और इमोशनल हेल्थ के बैलेंस को बनाये रखती है, इसमें फल, दही, मिल्क, नट्स आदि से कई प्रकार के स्मूदी, सलाद और फ्रूट डेजर्ट बनाया जा सकता है, इस तरीके के व्यंजन डाइजेस्ट करने में भी आसान होता है, ये सब काम परिवार के लोग साथ मिलकर करे,ताकि इसका जायका और भी बढ़ जाय.

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  • अगर सीनियर सिटिजन घर में है और वे इस तालाबंदी की वजह से घर से निकलकर वाक् नहीं कर पा रहे है, उनकी फिजिकल एक्टिविटी में कमी आई है, तो उन्हें योगा, प्राणायाम और हल्की फुल्की व्यायाम और घर पर थोडा टहलने की जरुरत है,इससे उनकी इम्म्युनिटी बढेगी और उनकी लंग कैपासिटी भी अच्छी रहेगी, ऑक्सीजन का संचार सही ढंग से होगा और उनकी मूड स्विंग कम होगी.

हैल्दी एंड वैल्दी: lockdown में Organic फूड स्टोर ऐसे करें शुरू

आजकल लोगों में स्वस्थ रहने की जागरूकता बढ़ने के साथ ग्रोसरी की दुकानों में और्गेनिक खाने का सामान मिलने लगा है. आने वाले वक्त में और्गेनिक फ़ूड के बिज़नेस में बहुत गुंजाइश है. हां, और्गेनिक स्टोर शुरू करने से जुड़ी इन बातों का ध्यान जरूर रखें :

लाइसेंस और परमिट

बिजनेस को कानूनीतौर से मान्यता दिलाने के लिए दूसरे स्टोर्स  की तरह इस में भी कुछ क़ानूनी कार्यवाही और खानापूर्तियां होती हैं, जिनका पूरा होना ज़रूरी होता है. कुछ राष्ट्रीय और्गेनिक  मापदंड हैं, जिनको इस बिज़नेस के लिए क्वालीफाई करने के लिए पूरा करना ज़रूरी है.

* और्गेनिक ट्रेड एसोसिएशन से अपने स्टोर को सरकारी तौर पर और्गेनिक के रूप  में सर्टिफाइड(प्रमाणित) करवाएं.

* किसी भी राज्य में लागू होने वाले लाइसेन्सेस और फ़ूड परमिट के लिए स्वास्थ्य विभाग में अप्लाई करें.

* आईआरएस की वेबसाइट से एम्प्लायर आइडेंटिफिकेशन नंबर यानी ईआईएन के लिए अप्लाई करें .

* अपने बिज़नेस के किसी भी एक मुख्य ऑपरेटिंग स्ट्रक्चर को चुनें, जैसे कि कारपोरेशन, सीमित लायबिलिटी कंपनी (कंपनी की सीमित जिम्मेदारियाँ), पार्टनरशिप (साझेदारी ) या सोल प्रोप्राइटरशिप (एकमात्र स्वामित्व).

* अपने बिज़नेस के नाम से बैंक में खाता खोलें.

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* बिज़नेस  से संबंधित सभी खरीदारी के लिए बिज़नेस एटीएम कार्ड काम में लें. यह आपके बिज़नेस पर लोगों का भरोसा मजबूत करेगा.

स्टोर लोकेशन  

स्टोर की लोकेशन बिज़नेस की सफलता में  अहम भूमिका निभाती है. हालांकि आर्गेनिक फ़ूड का बाज़ार हर तरफ है, फिर भी यह जानना ज़रूरी है कि हर कोई इसका भावी खरीदार नहीं हो सकता है. हालांकि एक बहुत अच्छी लोकेशन सफलता की गारंटी नहीं देती है, लेकिन एक बुरी लोकेशन लगभग हमेशा असफलता की गारंटी जरूर देती  है.

सो, आपको ऐसी जगह चुननी चाहिए जहाँ ग्राहकों के लिए  सुरक्षा, सार्वजनिक ट्रांसपोर्ट के साधन उचित मात्रा में हों. वहां पर पर्याप्त पार्किंग  स्पेस भी होना चाहिए. उस जगह के अपने कौम्पिटिटर्स का भी ध्यान रखें. जितना कम कौम्पिटिशन, उतनी ही ज़्यादा और आसानी से बिक्री होगी.

एक सबसे अच्छी जगह वह है जो सबकी नज़र में आए, आपके बजट में आए और जिसकी शर्तें आपके लिए अनुकूल हों. विशेषतौर से एक डिपार्टमेंटल स्टोर नए विकसित क्षेत्रों में अधिक सफल होता है.

एक जगह का किराया शहर, स्थान और डिपार्टमेंटल स्टोर के आकार के आधार पर 10,000 रुपए जैसी छोटी रकम से लेकर 10 लाख रुपए तक हो सकता है. एक स्टोर का किराया सुरक्षित तौर पर  बिक्री का 4 फीसदी से अधिक नहीं होना चाहिए.

स्टाफ का चयन

स्टोर चलाने के लिए आपको स्टाफ की  नियुक्ति करनी होगी – सेल्स एसोसिएट, कैशियर से ले कर बुककीपर तक. अगर आप बहुत सारा काम खुद कर सकते हैं, तो भी ग्राहकों को देखने के लिए स्टाफ की ज़रूरत  ज़रूर होगी.

ग्राहक अनुभव

ग्राहकों का स्टोर के अंदर अच्छा अनुभव उनको वापस आपकी दुकान पर लेकर आता है. हमें यह तभी हासिल होगा जब हम अपने स्टाफ को प्राकृतिक एवं और्गेनिक खाद्य उत्पादों के बारे में सही जानकारी देंगे.

स्टाफ को ट्रेनिंग देना, आपकी मार्केटिंग रणनीति का एक ज़रूरी हिस्सा है. आपका स्टाफ हर दिन आपके स्टोर में आपके उत्पादों के बारे में लोगों को बताएंगे अपने ग्राहकों को आपके द्वारा किए जा रहे प्रयासों  पर भरोसा दिलवाने के लिए अपने स्टाफ को और्गेनिक्स और प्राकृतिक पर  ट्रेनिंग दें .

अग्रिम निवेश

ऊंची  स्टार्टअप कीमतों  के लिए तैयार हो जाएं. और्गेनिक सामान, नौन-और्गेनिक सामान के बजाय अधिक महंगे होते हैं. पहली बार स्टोर को स्टौक से भरना जितना आपने सोचा है उससे कहीं ज़्यादा  महंगी प्रक्रिया है.

उचित बिक्री मूल्य तय करें

और्गेनिक वस्तुओं की उच्च कीमत की वजह से यह उम्मीद करना आम बात है  कि उनकी कीमत नौन-और्गेनिक दुकान में रखे हुए सामान से ज़्यादा होगी. इसके बावजूद अगर आपके सामान की कीमत बहुत ज्यादा होगी तो ग्राहक वो सामान किसी और से खरीद लेंगे .

* आसपास की और्गेनिक दुकानों द्वारा निर्धारित कीमतों को देखकर अपने सामान की कीमत निर्धारित करें.

* अगर कोई अन्य और्गेनिक स्टोर आसपास मौजूद नहीं है, तो यह जानें कि एक नौन-और्गेनिक स्टोर अपने हर एक सामान पर कितना मुनाफा कमाता है. उसके आधार पर अपनी कीमत का मोटेतौर पर अंदाजा लगाएं. और उसी अनुसार अपने सामान की कीमत निर्धारित करें .

* अपने सामान की बहुत कम कीमत निर्धारित करना आपको नुकसान पहुंचा सकता है.

* बहुत ज़्यादा  मूल्य लगाना, मूल्य-संवेदनशील ग्राहकों का आना बंद करा सकता है.

*जब तक आपको अपने सामान की एकदम सही कीमत नहीं पता चलती है तब तक आपको अपने सामान की कीमतों को कम और ज़्यादा  करना पड़ सकता है.

और्गेनिक दुकान का औफ़लाइन विज्ञापन

इस बारे में सोचें कि आप अपने आर्गेनिक और प्राकृतिक सामान का विज्ञापन कैसे करना चाहते हैं.लोगों द्वारा, स्थानीय विज्ञापन और प्रमोशन वे तरीके हैं, जिनसे आपके स्टोर में लोगों का आना बढ़ सकता है . और्गेनिक सामान खरीदने में रुचि रखने वाले लोगों का ध्यान खासतौर से अपनी और खींचें.  विज्ञापनों को छपवाएं. समाचारपत्र में अपना  विज्ञापन दें, शहर में चारों तरफ अपने फ्लायर/ पैम्फलेट बाटें. यदि संभव हो, तो भावी ग्राहकों को स्टोर तक लाने के लिए एक सीमित संख्या में कूपन बांटें .

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असल में, आप एक फ्लायर या ब्रोशर पर पूरी तरह से अपने प्राकृतिक और आर्गेनिक सामानों का प्रचार कर सकते है . अपने ग्राहकों को अपने स्टोर में रखे प्राकृतिक और और्गेनिक्स सामानों के बारे में बताएं और यह भी बताएं कि  वे कहाँ रखे हुए हैं. उन्हें  समझाएं कि आपका स्टोर प्राकृतिक और और्गेनिक सामन क्यों बेच रहा है. इसमें नौनऔर्गेनिक फ़ूड की तुलना में और्गेनिक फ़ूड से क्याक्या फायदे हैं ये भी शामिल करें.

औनलाइन विज्ञापन करें!

यह जानना बहुत ज़रूरी है कि इस पीढ़ी के उपभोक्ताओं के पास भारी खरीद क्षमता है. वे  जानकारी के लिए इंटरनेट पर ज़्यादा भरोसा कर रहे हैं.

सबसे पहले, अपनी आर्गेनिक और प्राकृतिक खाद्य सामान की मार्केटिंग के लिए अपने स्टोर की वेबसाइट और सोशल मीडिया को काम में लें. दूसरा, गूगल  मैप पर अपने स्टोर को चिह्नित करें, साथ ही, बढ़ती औनलाइन उपभोक्ता आबादी तक पहुंचने के लिए सोशल मीडिया,  जैसे कि  फेसबुक आदि को काम में लें.

मैनेज और ट्रैक करें

किसी भी बिज़नेस को शुरू करना आसान काम है. उसे सफलतापूर्वक चलाना बहुत मुश्किल काम है.सबसे पहले, जानें कि आप अपनी दुकान में बिकने वाले सामानों की सूची को कैसे ट्रैक करें.

बिज़नेस  को अकेले या लोगों के साथ, बिना किसी असमंजस  के संभालना, यह अगली सबसे बड़ी चुनौती है. बिज़नेस चलाने, इन्वेंट्री को मैनेज  करने और सामग्री की अकाउंटिंग को आसान करने में ‘व्यापार’ जैसे बिज़नेस सौफ्टवेयर को काम में लें.अधिकतर बिज़नेसमैन अपने जीवन को आसान बनाने के लिए व्यापार जैसे  बिज़नेस अकाउंटिंग सौफ्टवेयर का उपयोग करते हैं.

सच बात तो यह है कि आर्गेनिक फ़ूड उन  कुछ श्रेणियों में से एक है जो उच्च-स्तरीय, उच्च-मार्जिन अवसर ब्रैकेट में आती हैं. जैसेजैसे  प्राकृतिक और स्वस्थ खाद्य पदार्थों की तरफ ग्राहकों की जागरूकता बढ़ रही है, वे आर्गेनिक खाद्य पदार्थों के लिए भुगतान करने को तैयार हैं. जब से लोग स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने लग गए हैं तब से और्गेनिक खरीदते समय एमआरपी पर ध्यान देना बंद कर दिया है. इन सारी बातों का निचोड़ यह है कि ज़्यादा खर्च करने की क्षमता और बढ़ती जागरूकता की वजह से ये उत्पाद न केवल लोकप्रिय हो रहे हैं बल्कि लोग इन्हें खरीद भी रहे हैं.

#coronavirus: Work From Home पर हैं तो खुद को ऐसे रखें मैंटली फिट

Work From Home सुनने में तो अच्छा लगता है, लेकिन घर से काम करना इतना भी आसान नहीं हैं, खासकर ऐसे माहौल में. 21वीं सदी में होश संभालने वाली जनरेशन ने शायद ही ऐसा पहले कभी महससू किया हो. कोरोना वायरस से बचने के लिए कर्मचारी घर से ही काम कर रहे हैं. घर से काम करने से लोगों के शरीर और दिमाग पर ज्यादा प्रेशर पड़ता है. ऐसे में एंजाइटी की समस्या हो सकती है, लेकिन कुछ बातों का ध्यान रखकर आप वर्क फ्रौम होम के दौरान भी खुद को मैंटली फिट रख सकते हैं.

1. बंद रूम में काम करना है मुश्किल

आपने भी कई लोगों से सुना होगा कि यार मैं तो घर में नहीं रह सकता. दरअसल, जब हम औफिस जाते हैं तो हमारा डेली रूटीन फिक्स होता है. सुबह नहाधोकर हम घर से बाहर खुली हवा में निकलते हैं, सांस लेते हैं. कई लोगों से मिलते हैं, बात करते हैं लेकिन जब हम घर से काम करते हैं तो पूरा दिन एक बंद कमरे में बैठकर निकाल देते हैं. ऐसे में हमारे मैंटली हैल्थ पर इफैक्ट पड़ना स्वाभाविक है.

2. रूटीन में न करें बदलाव

ज्यादातर लोग अक्सर यही करते हैं. घर से काम करने का ये मतलब बिल्कुल नहीं हैं कि आप सुबह देर से जगें और रात को देर से साएं. ऐसा करने से आपकी बौडी साइकिल पर असर पड़ेगा और आप खुद को बीमार महसूस करेंगे. जिससे आपके मानसिक स्वास्थ पर भी असर पड़ सकता है, इसलिए भले आप घर से काम कर रहे हों लेकिन समय पर नाश्ता और लंच जरूर करें.

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3. हल्की फुल्की ब्रेक एक्सरसाइज

बंद रूम में लगातार काम करना मुश्किल होता है. जैसे आप औफिस में काम के समय ब्रैक लेते हैं वैसे ही घर से भी काम करने के दौरान बीच-बीच में ब्रेक लेना जरूरी है.

काम के बीच में उठकर लिविंग रूम में जाएं और कमर, गर्दन व आंखों की एक्सरसाइज करें ताकि आपके दिमाग को ब्रेक मिलने के साथ ही बौडी को भी आराम मिल सके.

4. अपना पसंदीदा काम करें

घर से काम करने का फायदा यह है कि आपका औफिस आने-जाने का टाइम बच जाता है, इसलिए काम को सही तरीके से मैनेज कर अपनी हौबीज को समय दें, ऐसा करने से आपको खुशी मिलेगी. बाकी दिन जब आप औफिस से काम करते हैं तो पसंदीदा कामों के लिए समय नहीं मिलता, इसलिए वर्क फ्रौम होम पर हैं तो अपने लिए समय निकालें. इससे आपका काम भी हो जाएगा और आप मैंटली फिट भी महसूस करेंगे.

5. पानी पीने में कंजूसी न करें

औफिस में तो हमारे टेबल पर पानी की बौटल रखी होती है, लंच के लिए फिक्स टाइम होता है, लेकिन घर पर अक्सर लोग लापरवाही करते हैं और खाना व पानी पीने पर ध्यान नहीं देते. जिससे शरीर में पानी की कमी हो जाती है जो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक है. इसलिए अपने पास पानी की बौटल रखें, आप चाहें तो अलार्म या रिमाइंडर भी लगा सकते हैं.

6. सनबौथ लें

अक्सर लोगों की शिकायत रहती है कि औफिस जाने के चक्कर में धूप ही नहीं मिल पाती क्योंकि, सुबह के समय 10 काम भी निबटाना होता है और समय से दफ्तर भी पहुंचना होता है. इसलिए वर्क फ्रौम होम के समय धूप जरूर सेकें. लगभग सभी को पता होगा कि धूप से विटामिन डी मिलती है जो मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी है. दरअसल, विटामिन डी एंडोर्फिन और सेरोटोनिन नामक केमिकल रिलीज करता है जो मूड को अच्छा बनाने में मददगार है.

7. दूसरों से बात करना बंद न करें

अगर आप फैमिली के साथ रहते हैं तो अच्छी बात है घर के सदस्यों से बात करें, बच्चों को थोड़ा समय दें. वहीं अगर आप अकेले रहते हैं तो फोन के जरिए दोस्तों, सहकर्मियों को कौल, मैसेज करें ताकि आपको बोरियत न लगें और आपका मूड भी रिफ्रैश रहे. यह नहीं कि घर से काम कर रहे हैं तो एकदम चुप होकर ही करें भाई आप औफिस में भी तो सहकर्मियों से गपशप करते ही हैं.

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8. मेडिटेशन है फायदेमंद

स्ट्रैस दूर करने के लिए मेडिटेशन को आसान और अच्छा तरीका माना गया है. काम के बीच में ब्रैक लेकर मेडिटेशन करें. ऐसा करने से मूड भी अच्छा रहेगा और काम करने में मन भी लगेगा.

9. नो मोर चाय-कौफी

घर पर रहने का ये मतसब नहीं है कि आप एक के बाद दूसरी चाय पीते रहें. चाय और कौफी में कैफीन होता है जो मैंटली हैल्थ के लिए फायदेमंद नहीं होता. इसलिए इनका सेवन कम करें. इसकी जगह पर आप छाछ, लस्सी ले सकते हैं. इसतरह आलस छोड़कर, घर पर काम करने के दौरान भी आप फिट रह सकते हैं.

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