बदन दर्द का कारण हो सकता है अवसाद

अवसाद एक ऐसा डिस्आर्डर है जिसे दिमाग से जोड़ कर देखा जाता है. लेकिन इस के लक्षण शारीरिक रूप से भी दिखाई देते हैं. जिन्हें अवसाद की समस्या होती है उन में से लगभग 50 प्रतिशत लोगों को शरीर में दर्द महसूस होता हैं. दरअसल शरीर और मस्तिष्क आपस में जटिल रूप से जुड़े होते हैं. जब एक ठीक नहीं है तो इस बात की आशंका बहुत बढ़ जाती है कि दूसरे पर भी इस का प्रभाव दिखाई देने लगे. कई अध्ययनों में यह बात सामने आई है कि अवसाद व्यक्ति के दिमाग में दर्द पैदा करने वाले हिस्सों को एक्टिव कर देता है. जिस से हमें मसल्स पेन ,जौइंट पेन ,चेस्ट पेन और हेडएक आदि का एहसास हो सकता है.

कई दफा हम दर्द खत्म करने की दवाईयां खाते रहते हैं पर इस दर्द की मूल वजह यानी अवसाद पर ध्यान नहीं देते और लंबे समय तक तकलीफ सहते रहते हैं.

यूनिवर्सिटी औफ कोलोरेडो, हेल्थ साइंस सेंटर के डौक्टर रोबर्ट डी कीले ने 200 से ज्यादा मरीजों का अध्ययन कर पाया कि शुरुआत में डौक्टर्स उन की

शारीरिक तकलीफों खासकर गले और बदन में दर्द की वास्तविक वजह यानी अवसाद का अंदाजा भी नहीं लगा सके. इस वजह से लंबे समय तक उन्हें अपनी तकलीफों से छुटकारा नहीं मिला. केवल डौक्टर ही नहीं बल्कि मरीज भी एंटीडिप्रेशन मेडिसिन लेने को तैयार नहीं थे क्यों कि उन्हें विश्वास ही नहीं हुआ कि वे डिप्रेशन के मरीज है.

क्या है अवसाद

अवसाद एक गंभीर स्‍थिति है. हालांकि यह कोई रोग नहीं बल्कि एक संकेत है कि आप के शरीर और जीवन में असंतुलन पैदा हो गया है. अवसाद से निपटने में दवाइयां (एंटीडिप्रेसेंट) उतनी कारगर नहीं होती जितनी आप की सकारात्मक सोच और जीवनशैली में बदलाव का प्रयास. साधारणतः अवसाद के प्रारंभिक शारीरिक लक्षणों के तौर पर नींद की कमी, कमजोरी, थकावट, आदि की पहचान की जाती है. पर कई दफा इस की वजह से शारीरिक पीड़ा और दर्द जैसे बैक, नेक और ज्वाइंट पेन आदि भी पैदा होने लगते हैं. अवसादग्रस्त व्यक्ति न तो ठीक तरह से खाते हैं और न ही पूरी नींद ले पाते हैं. इस से भी मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं जिस से शरीर और गर्दन में दर्द हो सकता है.

अवसाद और शरीर में दर्द होना

इस सन्दर्भ में सरोज सुपरस्पेशेलिटी हौस्पिटल, नई दिल्ली के न्यूरोलौजिस्ट डा. जयदीप बंसल कहते हैं कि शारीरिक दर्द और अवसाद में गहरा बायलौजिकल संबंध है. न्युरोट्रांसमीटर्स, सेरोटोनिन और नोरेपिनेफ्रीन दर्द और मूड दोनों को प्रभावित करते हैं. अवसाद की स्थिति में ये अनियंत्रित हो जाते हैं. इन का अनियंत्रित हो जाना अवसाद और दर्द दोनों से जुड़ा है. सामान्य तौर पर दर्द इस बात का सूचक होता है कि अंदर कोई परेशानी है. यह परेशानी शारीरिक या मानसिक या दोनों हो सकती है. कईं बार हमें कोई शारीरिक समस्‍या नहीं होती तब भी हमारे शरीर के किसी हिस्‍से में दर्द होने लगता है इसे साइकोसोमैटिक पेन कहते हैं. जिस का तात्पर्य है कि मस्तिष्क और मन की परेशानी शारीरिक रूप से प्रदर्शित हो रही है.

समय के साथ बढ़ जाता है दर्द

अधिकतर अवसादग्रस्त लोग खुद को लोगों से अलगथलग कर घऱ की चहारदीवारी में कैद कर लेते हैं. इस से उन की शारीरिक सक्रियता काफी कम हो जाती है. कुछ लोग घंटो सोए रहते हैं या लगातार लंबे समय तक कंप्यूटर या मोबाइल पर लगे रहते हैं. इस दौरान वो अपना पौस्चर भी ठीक नहीं रखते। गलत पौस्चर और लगातार एक ही स्‍थिति में बैठे रहने से कमर दर्द और गर्दन में दर्द की समस्या हो जाती है. कईं लोग कम्‍प्‍युटर पर झुक कर काम करते हैं जिस से गर्दन में खिंचाव होता है. दिनरात बिस्तर में दुबके रहना, मांसपेशियों को कमजोर बना देता है. इस से भी शरीर और जोड़ों में दर्द होने लगता है। शारीरिक रूप से सक्रिय न रहने से हड्डियां भी कमजोर पड़ने लगती हैं.

उपाय

  1. जीवनशैली में बदलाव लाएं.
  2. सकारात्मक सोच पैदा करें क्यों कि इस से शरीर में एक नई उर्जा का संचार होता है.
  3. जोड़ों को क्रियाशील बनाए रखने के लिए नियमित रूप से कसरत करें. इस से हड्डियां मजबूत होती हैं .
  4. गैजेट्स के साथ कम से कम समय बिताएं। लोगों के साथ मिलेजुले. अच्छे रिश्ते बनाएं.
  5. समय का प्रबंधन बेहतर तरीके से करें.
  6. पढ़ाई या काम के दौरान थोड़ीथोड़ी देर का ब्रेक लें.
  7. शरीर का पौश्‍चर ठीक रखें. गलत पौश्‍चर शारीरिक दर्द का प्रमुख कारण है.
  8. कभीकभी कामकाज से छुट्टी ले कर घर वालों या दोस्तों के साथ घूमने जाने का प्रोग्राम बनाएं.
  9. पूरी नींद लें.
  10. चाय, कौफी का सेवन कम से कम करें.
  11. चहारदीवारी से बाहर निकलें और कुछ समय धूप में बिताएं. इस से आप को विटामिन डी मिलेगा जो आप की हड्डियां मजबूत बनाएगा और आप का मूड भी बेहतर करेगा.
  12. डिप्रेशन संबंधी किसी भी तरह के लक्षण दिखने पर उन्हें नजरअंदाज न करें. तुरंत किसी मनोचिकित्सक से मिलें.

ये एक मिनट का एक्सरसाइज, 45 मिनट के जौगिंग के बराबर है

लंबी लाइफ और अच्छी सेहत के लिए एक्सरसाइज बेहद जरूरी होता है. एक्सरसाइज करने से शरीर से भारी मात्रा में पसीना निकलता है जिसके साथ शरीर की बहुत सी गंदगियां बाहर निकल आती हैं. हाल ही में एक स्टडी में ये बात सामने आई कि एक्सरसाइज करने से उम्र लंबी होती है और आप स्वस्थ रहती हैं. पर जिस तरह की लोगों की लाइफ हो चुकी है, एक्सरसाइज के लिए समय निकालना सबके बस की बात नहीं रही. ऐसे में हम आपको एक ऐसा एक्सरसाइज बताने वाले हैं जिसे सिर्फ एक मिनट तक कर के 45 मिनट के बराबर का फायदा लिया जा सकता है.

हाल ही में एक शोध के मुताबिक सिर्फ एक मिनट के हाई इंटेंसिटी एक्सरसाइज करने से शरीर को 45 मिनट की जौगिंग या लो इंटेंसिटी एक्सरसाइज करने के बराबर फायदा होता है. इस स्टडी में लोगों को हाई इंटेंसिटी एक्सरसाइज के नाम पर स्प्रिंट करने को कहा गया.

इस टेस्ट में शोधकर्ताओं ने सभी लोगों को दो समूहों में बांट दिया, इसमें एक ग्रुप को 12 हफ्तों तक लगातार हर 10 मिनट के बाद हाई इंटेंसिटी एक्सरसाइज जैसे स्प्रिंट करनी थी. वहीं, दूसरे ग्रुप ने घंटों पसीना बहाकर लो इंटेंसिटी एक्सरसाइज की.

तय वक्त के बाद लोगों की मांसपेशियों और दिल की सेहत की जांच की गई. नतीजों से ये स्पष्ट हुआ कि लिन लोगों ने सिर्फ एक मिनट की हाई इंटेंसिटी एक्सरसाइज की उनको भी उतना ही फायदा हुआ, जितना घंटों तक लो इंटेंसिटी एक्सरसाइज करने वालों को हुआ.

इस स्टडी ने ये स्प्ष्ट किया कि हाई इंटेंसिटी एक्सरसाइज शरीर के लिए उतना ही फायदेमंद है जितना लो इंटेंसिटी एक्सरसाइज कर घंटों जिम में पसीना बहाना.

महिलाओं के लिए खतरनाक हैं तली हुई चीजें, पढ़ें ये रिपोर्ट

अगर आप भी तले हुए खाने जैसे फ्राई चिकन या फिश, के शौकीन हैं तो आपको सतर्क हो जाने की जरूरत है. हाल ही में हुई एक स्टडी में ये बात सामने आई है कि इस तरह का ज्यादा खानपान आपकी सेहत के लिए काफी खतरनाक हो सकता है. अमेरिका में मेनोपौज के बाद महिलाओं पर हुई एक स्टडी की रिपोर्ट में बताया गया है कि नियमित तौर पर तली हुई मछली या चिकन खाने वाली महिलाओं में दूसरी महिलाओं के मुकाबले जल्दी मौत होने का खतरा 13 फीसदी अधिक होता है.

इस स्टडी की माने तो तली हुई मछली या चिकन का कम प्रयोग करना लोगों की सेहत के लिए काफी लाभकारी होता है. शोध में कहा गया कि जब किसी भी खाद्य पदार्थ को तलते हैं तो वो अधिक मात्रा में फैट सोखता है. वहीं, तलने के बाद खाने की चीज ज्यादा क्रंची हो जाती है, जिसका लोग जरूरत से ज्यादा सेवन कर लेते हैं जिसके कारण उन्हें कई तरह की बीमारियां हो जाती हैं.

इसके अलावा ऐसी बहुत सी स्टडीज रही हैं जिनमें ये बात सामने आई है कि तले हुए खाने हमारी सेहत के लिए काफी हानिकारक हैं.

इस शोध में 50 से 79 वर्ष  की लगभग 107,000 महिलाओं की खाने की आदतों की जांच की. इसमें स्टडी में शामिल सभी महिलाओं से पूछा गया कि वो किन चीजों को कितना सेवन करती हैं. नतीजे में ये बात सामने आई कि अधिक तले खाद्य पदार्थों को खाने साली महिलाओं में जल्दी मौत का खतरा 13 फीसदी अधिक हो जाता है. जबकि दिल की बीमारी का खतरा 12 फीसदी तक अधिक होता है.

जानिए नारियल पानी के फायदे

नारियल का पानी सेहत के लिए काफी लाभकारी है. ब्लड सर्कुलेशन की परेशानियों में ये बेहद लाभकारी है. इसके अलावा कई तरह की बीमारियों में ये बेहद असरदार है. अच्छी सेहत के साथ साथ ये आपको खूबसूरत और आकर्षक दिखने में भी काफी मदद करता है.

इस खबर में हम आपको बताएंगे नारियल पानी से होने वाल फायदों के बारे में.

किडनी के लिए है फायदेमंद

इसमें मौजूद मिनरल्स, पोटैशियम, मैग्नीशियम की वजह से किडनी से होने वाली बीमारियों में राहत मिलती है. यह यूरीन के उत्पादन और प्रवाह को दुरुस्त रखता है.

त्वचा के लिए है फायदेमंद

त्वचा संबंधी कई बीमारियों में, जैसे पिंपल या दाग-धब्बों में नारियल पानी काफी असरदार होता है. नारियल पानी को आप सीधे अपने चेहरे पर भी लगा सकती हैं.

अच्छा होता है इम्यून

नीरियल पानी में कई तरह के पोषक तत्व होते हैं. इसके पाए जाने वाले कई एंटी बैक्टीरियल गुणों के कारण इम्यूनिटी बढ़ाने का प्रमुख आहार बन जाता है नारियल. नारियल पानी में एंटी बैक्टीरियल गुण होते हैं जो शरीर के प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत करता है व फ्लू जैसी बीमारियों से बचाता है.

प्रेग्नेंसी में है लाभदायक

जानकारों की माने तो प्रेग्नेंसी में नारियल पानी सेहत के लिए अच्छा होता है.  प्रेंग्नेंसी में होने वाले कब्ज, हार्ट बर्न जैसी परेशानियों में बेहद कारगर होता है नारियल पानी.

वजन घटाने में करता है मदद

अगर आप अपने बढ़ते वजन से परेशान हैं तो आज ही अपनी डाइट में नारियल पानी को शामि कर लें. इसके सेवन से आपको ज्यादा भूख भी नहीं लगती और साथ में आपका वजन भी काफी कम रहता है.

प्लास्टिक की बोतल पर होती है टौयलेट से ज्यादा गंदगी

हाल ही में हुए एक अध्ययन में ये बात सामने आई कि जिस प्लास्ट‍िक के बोतल का इस्तेमाल लोग बार-बार पीने के पानी के लिए करते हैं, उसमें दरअसल टौयलेट सीट से भी ज्यादा कीटाणु होते हैं, जो बीमारियों का कारण बनते हैं.

इस अध्ययन की मानें तो बोतलों में पाए जाने वाले कीटाणुओं में ज्यादातर ऐसे होते हैं जिससे लोगों को गंभीर बीमारियां होती हैं. ऐसे में जरूरी है कि आप कुछ जरूरी बातों का खासा ख्याल रखें जिससे आप खुद को इन बीमारियों से दूर रख सकें.

प्लास्टिक बोतलों से होने वाली परेशानियों से बचने के लिए जरूरी है कि आप यूज्ड बोतलों का दोबारा इस्तेमाल ना करें. खासतौर पर बाजार में मिलने वाले बोतलों का दोबारा इस्तेमाल करने से बचें.

सबसे जरूरी बात कि घर की जरूरतों के लिए आप बीपीए फ्री प्लास्टिक की बोतलों को ही खरीदें. इसके अलावा शीशे और स्टेनलेस स्टील वाली बोतलों का इस्तेमाल सेहत के लिए अच्छा होता है.

मानसिक रूप से कमजोर करती है सेल्फी लेने की आदत

आजकल लोगों के बीच, खास कर के युवाओं के बीच सेल्फी को लेकर जिस तरह की दीवानगी देखी जाती है वो हैरान करने वाला है. लोगों की ये आदत अब जानलेवा बन चुकी है. हाल ही में हुई एक स्टडी में ये बात सामने आई कि सेल्फी लोगों में कौस्मेटिक सर्जरी के लिए प्रौत्साहित करती है.

स्टडी के मुताबिक, सेल्फी लेने के बाद लोगों में मानसिक दबाव अधिक हो जाता है. ज्यादा सेल्फी लेने वाले लोग अधिक चिंतित महसूस करते हैं. उनका आत्मविश्वास कम हो जाता है और वे शारीरिक आकर्षक में कमी महसूस करते हैं. ज्यादा सेल्फी लेने वाले लोगों में अपने लुक्स को लेकर काफी हीन भावना बढ़ जाती है, ये भावना इतनी तीव्र होती है कि वो अपनी कौस्मेटिक सर्जरी कराने की सोचने लगते हैं.

इस स्टडी में करीब 300 लोगों को शामिल किया गया है.  अध्ययन में पाया गया कि किसी फिल्टर का उपयोग किए बिना सेल्फी पोस्ट करने वाले लोगों में चिंता बढ़ने और आत्मविश्वास में कमी देखी जाती है. सेल्फी लेने और उन्हें सोशल मीडिया पर पोस्ट करने के बाद मूड खराब होता है और इसका सीधा असर आत्मविश्वास पर पड़ता है.

स्टडी में ये भी देखा गया है कि ये मरीज सेल्फी लेने और उन्हें सोशल मीडिया पर पोस्ट करने के बाद अधिक चिंतित, आत्मविश्वास में कमी और शारीरिक आकर्षण में खुद को कमतर आंकते हैं. यही नहीं, जब मरीजों ने अपनी सेल्फी बार-बार ली तथा अपनी सेल्फी में बदलाव की तो सेल्फी के हानिकारक प्रभाव को महसूस किया.

बाईं करवट सोने के फायदों को जान हैरान हो जाएंगी आप

सभी लोगों के सोने का तरीका अलग अलग होता है. कुछ लोग दाईं ओर करवट ले कर सोते हैं तो कुछ बाईं ओर. कई लोग पेट के बल सोना ज्यादा पसंद करते हैं. पर क्या आपको पता है कि आपके सोने के तरीके में आपकी सेहत का राज छिपा है. सोने का तरीका आपकी सेहत को काफी प्रभावित करता है. पर क्या आपको पता है कि बाईं करवट सोना कितना फायदेमंद होता है?

इस खबर में हम आपको बाईं करवट सोने का फायदे बताएंगे.

  • डाइजेशन के लिए भी बाईं ओर करवट कर के सोना अच्छा होता है. असल में बाईं तरफ करवट लेकर सोने से शरीर में मौजूद वेस्ट मटेरियल आसानी से छोटी आंत से बड़ी आंत तक पहुंच जाता है. इसके बाद वेस्ट मटेरियल शरीर से आसानी से बाहर निकल जाता है और व्यक्ति को पेट संबंधी समस्याएं होने का खतरा कम होता है.
  • जिन लोगों को सोते वक्त खर्राटा लेने की समस्या होती है उनके लिए ये जेस्चर काफी अच्छा होता है. दरअसल, बाईं करवट लेकर सोने से जुबान और गला न्यूट्रल पोजिशन में रहते हैं, जिससे सोते समय सांस लेने में कोई दिक्कत नहीं होती है.
  • इन सारे फायदों के अलावा बाईं करवट लेकर सोने से गर्दन और कमर दर्द से राहत मिलती है. किडनी और लिवर बेहतर तरीके से काम करते हैं. गैस और सीने में जलन की समस्या नहीं होती है. अल्जाइमर का खतरा भी कम होता है.
  • जानकारों की माने तो बाईं करवट हो कर सोना सेहत के लिहाज से काफी अच्छा होता है. इस पोजिशन में सोने से पाचन अंग बेहतर काम करते हैं.
  • हमारा दिल बाईं ओर होता है. जब हम उसी तरफ करवट कर के सोते हैं को हमारे दिल पर कम दबाव होता है और हमारी सेहत के लिए ये फायदेमंद होता है.
  • प्रेग्नेंसी में महिलाओं को खास तौर पर बाईं करवट के सोना चाहिए. ऐसा इसलिए क्योंकि इस जेस्चर में उनकी कमर पर कम दबाव पड़ता है साथ ही गर्भाशय और भ्रूण में खून का बहाव अच्छे से होता है.

ये एक चीज आपको देगी सुकून भरी नींद

देशभर में ठंड अपनी चरम पर है. कई हिस्सों में तापमान काफी कम होने के कारण लोगों को खासा परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. ठंड में कई लोगों को नींद के बार बार खुलने की समस्या होती है. उन्हें सोने में काफी परेशानी होती है. ऐसे में जरूरी होता है कि वो अपनी लाइफस्टाइल में कुछ बदलाव करें. इस खबर में हम आपको एक ऐसी  खास चीज के बारे में बताएंगे जिससे आप सुकून की नींद ले सकेंगी.

अच्छी सेहत के लिए अच्छी नींद बेहद जरूरी है. अगर आप अच्छी नींद नहीं ले रही तो कई तरह की बीमारियों के होने की संभावना अधिक हो जाती है. इसमें दिल की बीमारी, मोटापा और डाइबिटीज जैसी परेशानियां प्रमुख हैं. ऐसे में नींद पूरी करने के लिए बादाम का प्रयोग काफी असरदार होता है. ठंड के मौसम में बादाम का सेवन कर आप सुकून की नींद ले सकती हैं. हाल ही में हुए एक स्टडी में इस बात का खुलासा हुआ है.

आपको बता दें कि बादाम में भरपूर मात्रा में मैग्नीशियम पाया जाता है, जो शरीर में मैग्निशियम की 19 फीसदी जरूरत को पूरा करता है. जो लोग इंसौम्नियां की बीमारी से ग्रसित हैं उनके लिए ये बेहद फायदेमंद है.

एक स्टडी से ये बात सामने आई है कि बादाम के सेवन से नींद में दखल देने वाला स्ट्रेस हार्मोन कोर्टिसोल का स्तर कम होता है. इसके अलावा आप अच्छी नींद के लिए सोने से पहले गुनगुने पानी से नहा सकती हैं. इससे शरीर को गर्माहट मिलेगी और आपको अच्छी नींद आएगी.

त्वचा के जल जाने पर करें ये उपाय, होगा तुरंत फायदा

अक्सर हमारे शरीर का कोई ना कोई हिस्सा जल जाता है. ये जलन धूप, बिजली, गर्म पानी, भाप या किसी रसायन से हो सकती है. कई बार किचन में काम करते वक्त आपका कोई हिस्सा गर्म बर्तन या भाप से जल जाता है. कभी नंगा तार के संपर्क में आने से तो कभी धूप से भी त्वचा जल जाती है. ये सब बेहद तकलीफदेह होते हैं. इस खबर में हम आपको उन उपायों के बारे में बताएंगे जिससे आप किसी भी तरह से जल जाने पर आपको कौन से उपाय करने चाहिए.

जब आप भाप से जल जाएं

अक्सर आप भाप से जल जाती हैं, ऐसे में उस हिस्से पर जलन का निशान बन जाता है. ये निशान देखने में भद्दे लगते हैं. भाप से जलने की सूरत में ये उपाय बेहद प्रभावित होते हैं.

  • भाप से जलने पर जले हिस्से को कम से कम 10 मिनट तक रखें.
  • जले हिस्से पर घड़ी, कड़ा जैसी चीजें ना पहने.
  • जले हुए हिस्से को किसी स्वच्छ कपड़े से ढंक लें

बिजली से जल जाने पर

  • बिजली से जलने पर व्यक्ति को सबसे पहले बिजली वाली जगह से दूर करें और जले भाग को ठंडे पानी से धोएं.
  • जले हुए हिस्से को बर्न शीट से ढंक लें.

किसी रसायन से जलने पर

  • अगर किसी भी रसायन से आपकी आंखें प्रभावित हुई हैं तो सबसे पहले आंख को नीचे कर के पानी से धोएं.
  • आंख को स्वच्छ पट्टी से ढंक लें.
  • रक्षात्मक दस्ताना पहन के शरीर पर लगा रसायन झाड़ लें.

धूप से जल जाने पर

  • धूप से जलने पर किसी छांव वाली जगह पर बैठ जाएं और शरीर को समान्य तापमान पर लाने की कोशिश करें.
  • लगातार ठंडा पानी पिएं. इससे शरीर हाइड्रेट रहेगा.
  • छाला हो जाने पर उसे फोड़े नहीं. अगर छाला फूट जाता है तो उसे साबुन से धो लें.

भूखे पेट क्यों आता है गुस्सा ?

जब व्यक्ति को तेज भूख लगती है उसे तेज गुस्सा आता है. इस खास स्थिति में लोगों की ये प्रतिक्रिया बेहद ही आम है. आखिरकार वैज्ञानिकों ने इस बात का पता लगा लिया है कि हमें भूख लगने पर गुस्सा क्यों आने लगता है. जानकारों की माने तो ऐसा जीवविज्ञान की परस्पर क्रिया, व्यक्तित्व और आसपास के माहौल की वजह से होता है.

अमेरिका की एक यूनिवर्सिटी में हुए हालिया शोध में शामिल शोधार्थी ने बताया कि, “हम सभी जानते हैं कि भूखा महसूस करने से कभी-कभी हमारी भावनाएं और दुनिया को लेकर हमारे विचार भी प्रभावित होते हैं. हाल ही में ‘हैंगरी ’शब्द आक्सफोर्ड शब्दकोष ने स्वीकार किया है, जिसका मतलबा होता है कि भूख की वजह से गुस्सा आना. ”

शोध में शामिल जानकारों की माने तो “हमारे अनुसंधान का उद्देश्य भूख से जुड़ी हुई भावनात्मक स्थितियों का मनोवैज्ञानिक तरीके से अध्ययन करना है. जैसे कि कोई कैसे भूखा होने के साथ ही गुस्सा भी हो जाता है.”

इन लोगों में कम होती है गुस्सा  होने की संभावना

400 से ज्यादा लोगों पर किए गए इस शोध में पता चला है कि सिर्फ माहौल ही इस बात पर असर नहीं डालता है कि क्यों कोई भूखे होने से गुस्सा हो जाएगा. यह लोगों के भावनात्मक जागरुकता के स्तर से भी तय होता है. वे लोग जो इस बात के प्रति अधिक जागरूक होते हैं कि उन्हें भूख लगी है या नहीं, ऐसे लोगों में गुस्सा होने की संभावना कम होती है.

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