पति को तलाक देना चाहती हूं, मैं क्या करूं?

सवाल

मैं 23 साल की हूं. मेरी 3 साल की बेटी भी है. अजीब बात है, पर सच है कि मैं एक लड़की से प्यार करती हूं. वह लड़की कहती है कि मैं अपने पति को तलाक दे कर उस के साथ भाग जाऊं. मैं क्या करूं?

जवाब

आप पति व बच्चे का सुख भोग कर भी बेवकूफी की बात कर रही हैं. आप उस लड़की को बताएं कि पति का सुख कितना मजेदार होता है. आदमी का साथ पा कर वह लड़की भी लाइन पर आ जाएगी.

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बाहर ड्राइंगरूम में नितिन की जोरजोर से चिल्लाने की आवाज आ रही थी, “मैं क्या पागल हूं, बेवकूफ हूं, जो पिछले 5 सालों से मुकदमे पर पैसा फूंक रहा हूं. और सिया पीछे से राघव
के साथ प्रेम की पींगें बढ़ा रही है.”

तभी नितिन की मम्मी बोली, “बेटा, पिछले 5 सालों से तो वनवास भुगत रही है तेरी बहन. जाने दे, अब अगर उसे जाना है…”

नितिन क्रोधित होते हुए बोला, “पहले किसने रोका था?”

सिया अंदर कमरे में बैठेबैठे घबरा रही थी. उस ने फैसला तो ले लिया था, पर क्या यह उस के लिए सही साबित होगा, उसे खुद पता नही था.

सिया 28 वर्ष की एक आम सी नवयुवती थी. 5 वर्ष पहले उस की शादी आईटी इंजीनियर राघव से हुई थी.

सिया के पिता की बहुत पहले ही मृत्यु हो गई थी. सिया के बड़े भाई नितिन और रौनक ने ही सिया के लिए राघव को चुना था. जब राघव सिया को देखने आया था, तो दुबलापतला राघव सिया को थोड़ा अटपटा लगा था. राघव और सिया के बीच कोई बातचीत नहीं हुई थी. सिया की बड़ीबड़ी आंखें और शर्मीली मुसकान राघव के दिल को दीवाना बना गई थी.

राघव ने रिश्ते के लिए हां कर दी थी. मम्मी सिया की किस्मत की तारीफ करते नहीं थक रही थी. एक सिंपल ग्रेजुएट को इतना पढ़ालिखा पति जो मिल गया था.

सिया को विवाह के समय भी लग रहा था कि उस का ससुराल पक्ष अधिक खुश नही है. सिया को लगा, शायद राघव के घर वालों को उन की आशा के अनुरूप उपहार नहीं मिले थे.

पूरी कहानी पढ़ने के लिए- वनवास: क्या सिया को आसानी से तलाक मिल गया?

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

5 Tips: अच्छे पेरेंट्स बनने के गुर

कई बार ऐसा होता है कि आप अपने किसी मित्र या रिश्तेदार के बच्चे से पहली बार मिलती हैं. किसी ने आप को बताया नहीं होता है कि यह फलां का बच्चा है, लेकिन उस की आदतें और आचारव्यवहार देखते ही आप समझ जाती हैं कि यह फलां का बच्चा है. सच तो यह है कि बच्चे पर उस के पेरैंट्स की पूरी छाप होती है. जीवन के प्रति उस के नजरिए में उस के पेरैंट्स की झलक दिखती है. इसलिए अगर आप चाहती हैं कि आप का बच्चा आइडियल बने, तो इस के लिए आप को भी आइडियल बनना होगा. मतलब यह कि आप को अपने बच्चे से वैसा ही व्यवहार करना होगा जैसा आप बच्चे से अपेक्षा करती हैं.

रिलेशनशिप काउंसलर डा. निशा खन्ना के अनुसार, पेरैंट्स और बच्चे का संबंध बेहद संवेदनशील होता है. इस में जरा सी भी चूक दोनों के संबंध में दरार डालने के लिए काफी है. आप का संयमित और समझदारी भरा व्यवहार आप के बच्चे के विकास को प्रभावित करता है. अगर आप जिंदगी को ले कर सकारात्मक सोच रखती हैं, तो आप का बच्चा भी वैसा ही होगा, लेकिन अगर आप की आदत हर बात में नुक्ताचीनी करने की है और अगर आप बिना बात अपने साथी के या परिवार के किसी भी सदस्य के साथ उलझ जाती हैं, तो यकीनन आप का बच्चा भी झगड़ालू किस्म का होगा. सच तो यह है कि बच्चा अपने पेरैंट्स में ही अपना आइडियल देखता है. अगर लड़का है, तो वह अपने पिता की तरह बनना चाहता है और लड़की में स्वत: ही उस की मां के गुण आ जाते हैं. इसलिए आप जिस तरह का व्यवहार अपने बच्चे से चाहती हैं आप को भी घर का माहौल वैसा ही बना कर रखना होगा, उसी तरह का व्यवहार अपने बच्चे और दूसरे लोगों के साथ रखना होगा.

1. तूतू मैंमैं न बाबा न

अगर आप की आदत छोटी से छोटी बात का भी तिल से ताड़ बनाने की है, तो पेरैंट्स बनने के बाद अपनी इस आदत को छोड़ देना ही श्रेयस्कर है. अपने जीवनसाथी और परिवार के दूसरे सदस्यों के साथ जराजरा सी बात पर तकरार करने की आदत को छोड़ कर आपसी संबंधों में प्रेम और दोस्ती का भाव रखें ताकि आप का बच्चा भी समाज में और परिवार में संयमित व्यवहार करना सीखे.

2. मैं ही सही हूं

आमतौर पर बहुत से पेरैंट्स की यह आदत होती है कि वे सोचते हैं कि वे जो कर रहे हैं, वही सही है. अगर आप की सोच भी इस तरह की है, तो उसे बदल डालिए, क्योंकि सच तो यह है कि कोई भी व्यक्ति परफैक्ट नहीं होता है. सभी में कोई न कोई कमी होती है. अगर आप में अपनी गलती को स्वीकार करने की क्षमता नहीं है, तो यकीन मानिए आप का बच्चा भी अपनी गलत बात को सही साबित करने की कोशिश करेगा. इस तरह की सोच से वह दूसरों की बातों को अहमियत देना नहीं सीख पाएगा, जो आगे चल कर उस के हित में नहीं होगा.

3. मेरे पेरैंट्स ने तो इतनी ढील नहीं दी

बहुत सारे पेरैंट्स अपनी तुलना अपने बच्चों से करते हैं. उन की आदत होती है कि वे हर बात को अपने साथ अपने मातापिता द्वारा किए हुए व्यवहार से आंकते हैं. अगर आप के पेरैंट्स ने आप को कोई काम करने की आजादी नहीं दी तो इस का यह अर्थ नहीं है कि आप भी अपने बच्चे को स्पेस न दें. अब पहले का जमाना नहीं रह गया है, जिस में बच्चे अपने पेरैंट्स की सहीगलत सारी बातें मानते थे. अपने बच्चे से सही संबंध बनाने के लिए यह बेहद जरूरी है कि आप समयसमय पर उस के साथ दोस्त की तरह पेश आएं. अनुशासन रखें, लेकिन साथ ही उसे अपनी तरह सोचने और अपनी भावनाओं को जाहिर करने की आजादी भी दें.

4. बच्चों को दें क्वालिटी लव की सीख

आमतौर पर पतिपत्नी के बीच तकरार का एक मुख्य कारण बच्चा हो जाने के बाद पत्नी का पति की तरफ से उदासीन हो जाना भी होता है. बहुत सारे पेरैंट्स ऐसा सोचते हैं कि मांबाप बन जाने के बाद उन के बीच का प्यार खत्म हो गया है. अब उन्हें एकदूसरे के साथ कहीं घूमने जाने या फिर एकदूसरे से प्यार जताने की जरूरत नहीं है. इस तरह की सोच बिलकुल गलत है. सच तो यह है कि पेरैंट्स बनने के बाद आप की बौंडिंग और गहरी हो जाती है. आप को एकदूसरे से अपने प्यार को जाहिर करते रहने की जरूरत है ताकि आप का बच्चा आप से यह सीखे कि अपने जीवनसाथी को किस तरह से प्यार करना है, उस की जरूरतों का किस तरह ध्यान रखना है, उसे कैसे सम्मान देना है. इस तरह से जब आप का बच्चा बड़ा होने के बाद आप की भूमिका में उतरेगा, तो वह संबंधों में तालमेल बैठा कर अपने जीवन को बेहतर तरीके से जी पाएगा.

5. एकदूसरे का सम्मान करें

पतिपत्नी के संबंधों को सुचारु रूप से चलाने के लिए बेहद जरूरी है कि वे एकदूसरे की भावनाओं का खयाल रखें और एकदूसरे का सम्मान करें. चाहे आप कितने भी गुस्से में क्यों न हों अपने बच्चे के सामने भूल कर भी अपने जीवनसाथी से ऊंची आवाज में और अभद्र भाषा में बातचीत न करें, क्योंकि आप जिस तरह का व्यवहार करते हैं आप का बच्चा भी उसी तरह का व्यवहार करता है. अगर आप दोनों एकदूसरे का सम्मान करेंगे और एकदूसरे की भावनाओं का खयाल रखेंगे, तो बच्चे में भी वही सोच विकसित होगी.      

कर डालिए जिंदगी का मोबाइल रीचार्ज

आज की भागमभाग वाली जिंदगी में इंसान सब कुछ होते हुए भी कभीकभी नितांत अकेलापन महसूस करता है. चिंता, अवसाद व तनाव से घिर कर वह अनेक प्रकार की बीमारियों से जकड़ा जा रहा है. हर समय मोबाइल पर बतियाना या एस.एम.एस. करना दिनचर्या का अभिन्न अंग बनता जा रहा है. ऐसे में यदि मोबाइल के सिमकार्ड की वैलिडिटी खत्म हो जाए तो व्यक्ति खुद को असहाय व सब से कटा हुआ महसूस करता है. सिमकार्ड से कई गुना अधिक जीवन का मोल है, इसलिए जिंदगी की वैलिडिटी की चिंता ज्यादा जरूरी है. जिंदगी की वैलिडिटी बढ़ती रहे, इस के लिए हमें स्वयं ही कुछ प्रयास करने पड़ेंगे. मसलन:

गमों को कहें अलविदा

समाजसुधारक दयानंद का कहना है कि इंसान खुद ही अपनी जिंदगी के सुखदुख का जिम्मेदार होता है, तो क्यों न हर समय गमों या दुख के समय को याद करने के बजाय सुख वाले समय को याद करें. इस से मनोबल बढ़ेगा, मन हलका रहेगा. यदि कोई समस्या आए भी तो उस का उचित हल ढूंढ़ें, न कि उस से चिंतित हो कर मन को गमगीन बना लें. यदि मन हमेशा पिछली बातों, दुखों या गमों से घिरा रहेगा तो आने वाली खुशियों का स्वागत नहीं कर पाएगा. अत: कंप्यूटर की भाषा में गमों को सदैव डिलीट करते चलें और खुशियों को सेव. यदि अच्छा समय सदैव नहीं रहता तो बुरा समय भी बीत जाएगा.

दोस्ती को डाउनलोड करें

दोस्ती एक ऐसा अचूक मंत्र है, जिस से समस्याएं कभीकभी चुटकी बजाते हल हो जाती हैं. अत: ऐसे दोस्तों की संख्या बढ़ाएं, जो सुखदुख में आप के भागीदार बन सकें. दोस्ती से प्यार बढ़ता है तो जीवन में बहार बनी रहती है. प्यार, उत्साह, उमंग तीनों ही प्रवृत्तियां दोस्ती में ही पनपती हैं. शुष्क व नीरस जीवन भारी लगने लगता है. अत: अच्छे व सच्चे मित्रों की संख्या बढ़ाएं, जो सही माने में आप के हितैषी हों.

रिश्तों को रीचार्ज करते रहें

रिश्ता चाहे दोस्ती का हो या पारिवारिक, उस को प्यार से सींचना होता है. यदि रिश्तों में स्वार्थभाव हो तो उन के चरमराने में देर नहीं लगती. अत: समयसमय पर अपने रिश्तों को रीचार्ज करते रहें, जिस से मन में आई दूरियां व गलतफहमियां दूर होती रहें. रिश्तों में यह उम्मीद कतई न करें कि दूसरा ही पहल करे. स्वयं भी पहल करें. प्यार को सीमित करने से घुटन होने लगती है.

भाषा पर नियंत्रण रखें

बातचीत करते समय शब्दों का प्रयोग सोचसमझ कर करें. हो सके तो मीठे वचन बोलें, रहीम ने क्या खूब कहा है-

रहिमन मीठे वचन ते

सुख उपजत चहुं ओर

वशीकरण एक मंत्र है

तज दे वचन कठोर.

कहा भी गया है कि तलवार का घाव भर जाता है, शब्दों का नहीं. कड़वी बात भी यदि शालीनता से बोली जाए तो बुरी नहीं लगती. अत: वाणी में सदैव शीतलता व मधुरता बनाए रखें. आप का मन भी खुश रहेगा व सुनने वाले पर भी अच्छा प्रभाव पड़ेगा.

कबीरदास ने कहा भी है-

ऐसी बानी बोलिए मन का आपा खोय,

औरन को शीतल करे आपहुं शीतल होय.

मीठी व मधुर भाषा में बात करने से बिगड़े काम भी कभीकभी आसानी से बन जाते हैं.

मुसकराहट को करें इनबौक्स

हंसनेमुसकराने की क्रिया इंसान के ही पास है तो क्यों न मुसकराने की आदत डालें. यदि आप मुसकराते हैं, तो सामने वाला भी प्रत्युत्तर में मुसकराएगा. परंतु रोते हुए या मायूस चेहरे से सभी दूर भागते हैं, कोई उस का साथ नहीं देता. सभी को मुसकराता चेहरा ही अच्छा लगता है. तो क्यों न हंसने व दूसरों को हंसाने की आदत अपनाएं.

नफरत व दुश्मनी को करें इरेज

जहां तक हो सके किसी के लिए भी मन में नफरत व दुश्मनी की भावना न पनपने दें. इस भावना से दूसरे का कम, आप का मन ज्यादा दूषित होगा. मन विकारग्रस्त होगा तो नकारात्मकता आएगी, जिस से आप का तन भी प्रभावित होगा. आप की कार्यक्षमता पर भी विपरीत प्रभाव पड़ेगा और फिर नफरत से नफरत को कभी मिटाया नहीं जा सकता. उस को मिटाने के लिए प्यार के शस्त्र की जरूरत पड़ती है. अगर किसी से दोस्ती नहीं रख सकते तो कबीर की राह पर चल कर किसी से दुश्मनी भी न रखें-

कबीरा खड़ा बाजार में मांगे सब की खैर

न काहू से दोस्ती न काहू से बैर.

प्यार की करें इनकमिंग

अपने मन में प्यार की भावना विकसित करें, फिर देखें कैसे आप का तनमन प्रफुल्लित रहता है और फिर प्यार की भाषा तो हर कोई समझता है.

कबीरदास के शब्दों में-

पोथी पढ़पढ़ जग मुआ, पंडित भया न कोय

ढाई आखर प्रेम का पढ़े सो पंडित होय.

गुस्से या क्रोध को रखें होल्ड

प्लूटार्क ने कहा है, ‘क्रोध समझदारी को घर से बाहर निकाल कर अंदर से दरवाजा लौक कर लेता है.’ क्रोध में मनुष्य सोचनेसमझने की शक्ति खो देता है. जिस किसी पर क्रोध आए उस के सामने से हट जाएं. किसी काम में लग जाएं या 1 गिलास पानी पिएं. क्रोध को होल्ड करने के लिए जेफासन ने कहा है, ‘यदि आप क्रोध में हैं, तो बोलने से पूर्व 10 तक गिनें. यदि अत्यधिक क्रोधित हैं तो 100 तक गिनें. साथ ही, अपने मन में यह संकल्प दोहराएं कि मुझे शांत रहना है, क्रोध नहीं करना है. निश्चित तौर से आप को चमत्कारी परिणाम देखने को मिलेंगे.’ सेनेका ने भी कहा है, ‘क्रोध की सर्वोत्तम औषधि है विलंब.’

परिवर्तनों को कहें वैलकम

परिवर्तन प्रकृति का नियम है. यदि परिवर्तन न हों तो जिंदगी नीरस हो जाएगी. परिवर्तनों के अनुरूप चलने वाले व्यक्ति जीवन में दुखी नहीं रहते. जो इंसान इन परिवर्तनों को खुशीखुशी स्वीकार कर लेता है, वह कई प्रकार के सुखों को अपने साथ जोड़ लेता है. परिवर्तन को स्वीकारने वाला व्यक्ति जिंदगी की दौड़ में अपेक्षाकृत अधिक आगे बढ़ता है.

महत्त्वाकांक्षी बनें

सुखी व संतुलित जीवन जीने के लिए अपने जीवन में छोटेछोटे लक्ष्य तय करें, फिर इन लक्ष्यों को पूरा करने के लिए महत्त्वाकांक्षी बनें. एक बार जो भी मन में ठान लें, उसे पूरा करने में जीजान से जुट जाएं. फिर चाहे अपना खुद का घर खरीदना हो या कार. जरूरत है प्रबल इच्छा की. यह प्रबल इच्छा ही महत्त्वाकांक्षा बन जाती है. हां, महत्त्वाकांक्षी बनने से पहले समय व परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए अपना आकलन अवश्य कर लें. आचार्य श्री राम शर्मा ने कहा है कि परिस्थिति एवं योग्यता के विपरीत महत्त्वाकांक्षा रखने वाला मनुष्य हमेशा दुखी रहता है. तो कर ही डालिए जल्दी से अपनी जिंदगी का मोबाइल रीचार्ज.

मैरिड लाइफ की इस प्रौब्लम से पाएं छुटकारा

अंजली के पति अजय को अधिकतर अपने व्यवसाय के सिलसिले में दौरे पर रहना पड़ता है. जब भी वे दौरे से लौटने वाले होते हैं, अंजली को खुशी के बजाय घबराहट होने लगती है, क्योंकि लंबे अंतराल के बाद सेक्स के समय उसे दर्द होता है. इस कारण वह इस से बचना चाहती है. इस मानसिक तनाव के कारण वह अपनी दिनचर्या में भी चिड़चिड़ी होती जा रही है. अजय भी परेशान है कि आखिर क्या वजह है अंजली के बहानों की. क्यों वह दूर होती जा रही है या मेरे शहर से बाहर रहने पर कोई और आ गया है उस के संपर्क में? यदि शारीरिक संबंधों के समय दर्द की शिकायत बनी रही तो दोनों ही इस सुख से वंचित रहेंगे.

दर्द का प्रमुख कारण स्त्री का उत्तेजित न होना हो सकता है, जब वह उत्तेजित हो जाती है तो रक्त का प्रवाह तेज होता है, सांसों की गति तीव्र हो जाती है और उस के अंग में गीलापन आ जाता है. मार्ग लचीला हो जाता है, संबंध आसानी से बन जाता है.

फोरप्ले जरूरी

बगैर फोरप्ले के संबंध बनाना आमतौर पर महिलाओं के लिए पीड़ादायक होता है. फोरप्ले से संबंध की अवधि व आनंद दोनों ही बढ़ जाते हैं. महिलाओं को संबंध के लिए शारीरिक रूप से तैयार होने में थोड़ा समय लगता है. उसे इसे सामान्य बात मानते हुए किसी दवा आदि लेने की जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए. यह देखा गया है कि कुछ दवाएं महिलाओं के गीलेपन में रुकावट पैदा करती हैं. इसीलिए सेक्स को भी एक आम खेल की तरह ही लेना चाहिए. जिस तरह खिलाड़ी खेल शुरू करने से पहले अपने शरीर में चुस्ती व गरमी लाने के लिए अभ्यास करते हैं उसी तरह से वार्मअप अभ्यास करते हुए फोरप्ले की शुरुआत करनी चाहिए. पुरुषों की तुलना में महिलाओं पर इस का सकारात्मक प्रभाव पड़ता है. महिलाओं के शरीर में कुछ बिंदु ऐसे होते हैं जिन्हें हाथों या होंठों के स्पर्श से स्पंदित किया जा सकता है. हलके स्पर्श से सहला कर उन की भावनाओं को जाग्रत किया जा सकता है.

अगर पर्याप्त फोरप्ले के बावजूद गीलापन न हो, उस स्थिति में चिकनाई वाली क्रीम इस्तेमाल की जा सकती है, जो एक प्रकार की जैली होती है. इस को लगाने के बाद कंडोम का प्रयोग करना चाहिए. कुछ कंडोम ऐसे होते हैं, जिन के बाहरी हिस्से में चिकना पदार्थ लगा होता है. इस से पुरुष का अंग आसानी से प्रवेश हो जाता है.

चिकनाईयुक्त कंडोम

यहां यह सावधानी बरतने योग्य बात है कि यदि सामान्य कंडोम प्रयोग किया जा रहा हो तो उस स्थिति में तेल आधारित क्रीम का प्रयोग न करें, क्योंकि तेल कंडोम में इस्तेमाल की गई रबड़ को कमजोर बना देता है व संबंध के दौरान कंडोम के फट जाने की संभावना बनी रहती है. कई बार कंडोम का प्रयोग करने से योनि में दर्द होता है. जलन या खुजली होने लगती है. इस का प्रमुख कारण कंडोम में प्रयोग होने वाली रबड़ से एलर्जी होना हो सकता है. पुरुषों के ज्यादातर कंडोम रबड़ या लैटेक्स के बने होते हैं. आमतौर पर 1 से 2% महिलाओं को इस से एलर्जी होती है. वे इस के संपर्क में आने पर बेचैनी, दिल घबराना यहां तक कि सांस रुकने तक की तकलीफ महसूस करती हैं. अत: यदि पति द्वारा इस्तेमाल कंडोम से ये लक्षण दिखाई पड़ें तो बेहतर है उन्हें अपने कंडोम का ब्रांड बदलने को कहें. इस का कारण कंडोम के ऊपर शुक्राणुओं को समाप्त करने के लिए जो रसायन लगाया जाता है, वह भी एलर्जी का कारण हो सकता है. सामान्य कंडोम का प्रयोग कर के भी इस एलर्जी से नजात पाई जा सकती है. इस के बावजूद यदि समस्या बनी रहे तो पुरुष कंडोम की जगह पत्नी स्वयं महिलाओं के लिए बनाए गए कंडोम का प्रयोग करे.

महिलाओं के कंडोम रबड़ की जगह पोलीयूरेथेन के बने होते हैं. वैसे बाजार में पुरुषों के लिए पोलीयूरेथेन कंडोम भी उपलब्ध हैं. इन के साथ एक बड़ी समस्या यह है कि यह आम रबड़ के बने कंडोम की तुलना में कमजोर होते हैं, संबंध के दौरान इन के फटने की आशंका बनी रहती है. यहां यह ध्यान रखना जरूरी है कि संबंध के दौरान कंडोम के प्रयोग से अनेक लाभ होते हैं. इसके कारण अनचाहे गर्भ से छुटकारा मिलता ही है, रोगों के संक्रमण से भी नजात मिल जाती है.

दोस्ती करें और ब्रेकअप फीवर से बचें

अकसर ब्रेकअप के बाद प्रेमीप्रेमिका एकदूसरे को भूलने के लिए हर फंडा अपनाते हैं. एकदूसरे को सोशल साइट्स पर ब्लौक करते हैं. वैसी जगहों पर जाना छोड़ देते हैं जहां उन के पार्टनर आते हैं. कुछ तो कौमन फ्रैंड्स से भी दूरी बना लेते हैं ताकि उन्हें ब्रेकअप का कारण न बताना पड़े.

पर कभी ब्रेकअप के बाद अपने ऐक्स से दोस्ती करने के बारे में नहीं सोचते, जबकि ब्रेकअप के बाद अपने ऐक्स से दोस्ती रखना  न केवल फायदेमंद होता है, बल्कि यह आप को मानसिक रूप से भी सबल बनाता है, जिस से आप खुश रहते हैं और डिप्रैशन से बाहर निकलते हैं.

क्यों पसंद नहीं करते दोस्ती करना

आमतौर पर ब्रेकअप के बाद दोस्ती रखना इसलिए पसंद नहीं किया जाता, क्योंकि इस से साथी और उस की यादों से निकलने में काफी तकलीफ होती है, पर ब्रेकअप के बाद आपस में दोस्ती का रिश्ता रख कर आप एकदूसरे की मदद कर सकते हैं. इस में कोई बुराई नहीं है बल्कि इस से यह स्पष्ट होता है कि आप के दिल में एकदूसरे के प्रति कोई गलत धारणा नहीं है.

बौलीवुड अदाकारा दीपिका पादुकोण ने अपने ऐक्स बौयफ्रैंड रणवीर कपूर से ब्रेकअप के बाद भी बहुत ही प्यारा और दोस्ताना रिश्ता रखा है. दीपिका की कई बातें ब्रेकअप के बाद मूवऔन करना और अपने ऐक्स के साथ दोस्ताना रिश्ता रखना सिखाती हैं. पर्सनल बातों को किनारे रखते हुए प्रोफैशनली दीपिका ने रणवीर कपूर के साथ फिल्म साइन की और दर्शकों ने इस फिल्म को काफी सराहा. इस बात से पता चलता है कि हमें प्यार और काम में कैसे बैलेंस बना कर रखना चाहिए. अगर आप और आप का ऐक्स एक ही जगह पढ़ते या काम करते हैं तो अपने काम को कभी भी रिश्ते की खातिर इग्नोर न करें और न ही ब्रेकअप को खुद पर हावी होने दें.

बौलीवुड कपल्स जिन्होंने ब्रेकअप के बाद भी निभाई दोस्ती

रणवीर दीपिका

रणवीर और दीपिका की दोस्ती को बौलीवुड सलाम करता है. ब्रेकअप के बाद दोस्ती के रिश्ते को मैंटेन रखना कोई इन से सीखे.

अनुष्का रणबीर

रणबीर सिंह और अनुष्का शर्मा ने अपनी पहली फिल्म ‘बैंड बाजा बरात’ के बाद एकदूसरे को डेट करना शुरू कर दिया था. लेकिन इन का यह रिश्ता बहुत समय तक चल नहीं पाया और ब्रेकअप हो गया. ब्रेकअप के बाद ये कुछ समय के लिए एकदूसरे से दूर थे, लेकिन फिर दोनों ने दोस्ती कर ली.

शिल्पा अक्षय

90 के दशक में इन की हिट जोड़ी थी, लेकिन कुछ समय बाद ये अलग हो गए और अक्षय ने टिंवकल से शादी कर ली और शिल्पा ने राज कुंदरा में प्यार ढूंढ़ लिया, लेकिन आज भी दोनों अच्छे दोस्त की तरह मिलते हैं.

ऋषि डिंपल

रणवीर ने दीपिका से ब्रेकअप के बाद दोस्ती काफी अच्छे से बरकरार रखी. आखिरकार इतने अच्छे से मैनेज करना उन्होंने अपने पापा से सीखा है. ऋषि कपूर ने भी एक जमाने में डिंपल कापडि़या के साथ दोस्ती मैंटेन की थी.

क्या न करें

सोशल प्लेटफौर्म न छोड़ें

अकसर ऐसा होता है कि ब्रेकअप के बाद हम सोशल प्लेटफौर्म छोड़ देते हैं, अकाउंट डिऐक्टिवेट कर देते हैं या फिर पार्टनर को ब्लौक कर देते हैं. ऐसे में सोशल साइट्स पर बने रहें, लेकिन वहां अपने इमोशंस को ज्यादा पोस्ट न करें.

इंसल्ट करने की गलती न करें

ब्रेकअप की वजह से हम इतने तनाव में आ जाते हैं कि हम क्या करते हैं, हमें खुद भी पता नहीं होता, इसलिए इंसल्ट करने की गलती न करें. अगर आप ऐसा करती हैं तो नुकसान आप का ही है.

इमोशनल ब्लैकमेल न करें

युवतियां ब्रेकअप के बाद काफी इमोशनल ब्लैकमेल करती हैं, बारबार फोन पर रोती हैं. इस तरह की हरकत न करें. ऐसा करने से पार्टनर को लगने लगता है कि अगर वह आप के टच में रहेगा तो उसे हमेशा आप का यह ड्रामा झेलना पड़ेगा.

ब्रेकअप के बाद न दिखाएं पजैसिवनैस

कुछ युवतियां जब तक रिलेशन में होती हैं तब तक वे रिलेशन को तवज्जो नहीं देतीं, लेकिन जैसे ही ब्रेकअप होता है वे पजैसिव बनने लगती हैं, अजीबअजीब हरकतें करने लगती हैं और दोस्ती बरकरार रखने का मौका खो देती हैं.

शहर व जौब न छोड़ें

ब्रेकअप के बाद अकेलापन लगता है, किसी काम में मन नहीं लगता. ऐसे में कुछ तो जौब छोड़ देते हैं या फिर शहर बदल लेते हैं ताकि सबकुछ भूल जाएं. लेकिन ऐसा करना समस्या का हल नहीं है. ऐसा कर के आप खुद का भविष्य खराब करते हैं.

अवौइड करने की भूल न करें

ब्रेकअप के बाद आप पार्टनर को अवौइड न करें. ऐसा न करें कि जहां आप का पार्टनर जा रहा हो, आप वहां सिर्फ इसलिए जाने से मना कर दें कि वहां आप का ऐक्स बौयफ्रैंड भी आ रहा है. अवौइड कर के आप लोगों को बातें बनाने का मौका देती हैं.

क्या करें

मिलें तो नौर्मल बिहेव करें

ब्रेकअप के बाद जब पार्टनर से मिलें तो नौर्मल बिहेव करें, ऐसा न हो कि आप उसे हर बात पर पुरानी बातें याद दिलाते रहें, कहते रहें कि पहले सबकुछ कितना अच्छा था, हम कितनी मस्ती करते थे और आज देखो, हमारे पास बात करने के लिए भी कुछ नहीं है. ऐसा भी न करें कि ब्रेकअप के बाद मिलें तो ओवर ऐक्साइटेड बिहेव करें, यह दिखाने के लिए कि आप पहले से ज्यादा खुश हैं, बल्कि ऐसे रहें जैसे आप अपने बाकी फैं्रड्स के साथ रहती हैं.

चिल यार का फंडा अपनाएं

ब्रेकअप के बाद खुद को स्ट्रौंग रखने के लिए चिल यार का फंडा अपनाएं. आप सोच रही होंगी कि चिल यार का फंडा क्या है? चिल यार का फंडा है जैसे अपना मेकओवर करवाएं, फ्रैंड्स के साथ पार्टी करें, वे सारी चीजें करें जो आप रिलेशनशिप की वजह से नहीं कर पाती थीं.

अपनी तरफ से दें फ्रैंडशिप प्रपोजल

भले ही सामने वाला आप से फ्रैंडशिप रखने में रुचि न दिखाए, लेकिन आप फिर भी खुद से फ्रैंडशिप का प्रपोजल दें. आप के व्यवहार को देख कर सामने वाला भी आप से दोस्ती बरकरार रखेगा.

एक सीमा तय करें

ब्रेकअप के बाद की दोस्ती में एक दायरा तय करें, क्योंकि पहले की बात कुछ और थी. अब चीजें बदल चुकी हैं. अब आप दोनों दोस्त हैं. ऐसा न हो कि आप के बीच का रिश्ता तो खत्म हो गया है लेकिन इस के बाद भी आप के बीच कभी शारीरिक संबंध बन जाएं. इसलिए एक दायरा तय करें. अगर आप ने तय किया है कि दोस्ती का रिश्ता बरकरार रखेंगे तो इस रिश्ते की गरिमा को बना कर रखें.

Diwali Special: सरप्राइज विजिट से ऐसे बनाएं फेस्टिवल यादगार

वक्त की कमी ने रिश्ते निभाने का अंदाज बदल दिया है. व्यस्तता के चलते आजकल लोग मोबाइल, इंटरनैट आदि के इस्तेमाल से एकदूसरे के संपर्क में रहते हैं. लेकिन जरा सोचिए कि क्या दोस्तों से मिल कर बातचीत करने और उन के घर जा कर ऐंजौय करने की कमी को इंटरनैट या फोन पूरा कर सकता है? नहीं न? तो क्यों न अब वह किया जाए जो बहुत दिनों से नहीं किया. अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के घर सरप्राइज विजिट की जाए. अधिकतर लोगों की यही परेशानी होती है कि बहुत दिनों से अपने किसी रिश्तेदार के यहां जाने का मन तो है पर समय न मिलने के कारण जा नहीं सके. लेकिन अब अगर सोच लिया है कि एक बार सरप्राइज विजिट करनी ही है तो कर डालिए. लेकिन ऐसा करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है, क्योंकि आप वहां ऐंजौय करने जा रहे हैं उन्हें परेशान करने नहीं. आइए, जानें कैसे करें सरप्राइज विजिट कि वह यादगार बन जाए:

उन की सुविधा का भी खयाल रखें

दोस्तों और रिश्तेदारों के यहां अचानक जाना अच्छी बात है, लेकिन ऐसा करते समय थोड़ा इस बात का भी ध्यान रखें कि किसी के भी घर जाएं तो वीकेंड पर ही जाएं ताकि उन्हें परेशानी न हो और वे आप को पूरा समय दे सकें. ट्रिक से लें इन्फौर्मेशन: इस बात का पता भी लगा लें कि जिन के घर आप जाना चाहते हैं, वे अपने घर पर हैं भी या नहीं? कहीं उन का उस दिन का कोई और प्रोग्राम तो नहीं है? उन के घर कोई और मेहमान तो आने वाला नहीं है? इसलिए पहले उन से फोन  पर इधरउधर की बातें करें फिर वे आज क्या कर रहे हैं, इस के बारे में जानकारी लें और फिर उसी के अनुसार जाने का प्रोग्राम बनाएं. खातिरदारी ही न करवाते रहें: आप उन के घर अचानक जा रहे हैं, तो इस बात का भी खयाल रखें कि उन्हें काम में ही न लगाए रखें, बल्कि आप कुछ देर के लिए वहां गए हैं तो हंसीमजाक और बातें भी करें. खानेपीने में ही न लगे रहें. अच्छा यह रहेगा कि मिठाई के साथ बैठ कर खाने का सामान भी ले जाएं.

पुरानी बातें याद करें

बहुत दिनों के बाद मिले हैं, तो क्या हुआ. यही वह समय है जब आप अपनी पुरानी अच्छी यादों को ताजा कर सकते हैं. अपने दोस्तों से अपने दिल की, स्कूलकालेज की हर तरह की बातें करें. उन्हें वे सब बातें याद दिलाएं जो आप को उन की और उन्हें आप की पसंद थीं. कुछ फेवर जो आप ने एकदूसरे के लिए किए थे, वे भी याद करें.

ज्यादा समय न लगाएं

सरप्राइज विजिट हमेशा छोटी रहे. 25-30 मिनट से हरगिज ज्यादा नहीं और उसी दौरान सभी हंसीमजाक कर लें.

गिलेशिकवे भी करें दूर

अगर आप लोग काफी समय के बाद मिल रहे हैं और पहले कुछ बातों को ले कर आप लोगों के बीच कोई मसला रहा है जिस का प्रभाव आप के रिश्तों पर पड़ा हो तो उसे अब क्लियर कर लें. अपने मन की हर बात उन से शेयर करें और उन की सुनें. यकीन मानिए आप के रिश्ते जरूर सुधरेंगे.

गिफ्ट भी हो कुछ खास

अपने रिलेटिव के यहां जा रहे हैं तो गिफ्ट या खानेपीने की चीजें यानी जो भी ले जा रहे हैं वह उन की पसंद का होना चाहिए या फिर वह यूजफुल हो. जैसेकि आप उन के लिए मिठाई की जगह डाईफ्रूट ले जाएं. वे उसे कई दिनों तक खाएंगे और आप को याद करेंगे. अगर गिफ्ट देने का मन है तो और्गैनिक गिफ्ट भी दे सकते हैं जैसेकि और्गैनिक चाय, कौफी, सोप, क्रीम, हेयर ऐंड स्किन केयर रेंज या प्लांट्स आदि. गिफ्ट कोई भी हो, लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि वह बाद तक रखने वाला हो ताकि वे एक अरसे तक आप को याद रखें कि फलानी चीज आप लाए थे. अचानक बनाया प्रोग्राम अच्छा होता है: कई बार हम प्लान कर के जब कोई प्रोग्राम बनाते हैं तो बहुत से लोगों की रजामंदी लेने के चक्कर में प्रोग्राम बन ही नहीं पाता या फिर मन की बात पूरी न होने के कारण कोई न कोई व्यक्ति असंतुष्ट रह जाता है. लेकिन जब हम अचानक कोई प्रोग्राम बनाते हैं तो ज्यादा सोचने और प्लानिंग करने का समय नहीं होता. ऐसे में थोड़े से समय में ही जिस से जो हो पाता है वह द बैस्ट करता है. फिर चाहे वह मेजबान के घर जा कर खानेपीने की बात हो या फिर ऐंजौय करने की.

Diwali Special: इस त्योहार मना लें रूठे यार

दुनिया का हर रिश्ता हमारी चौइस से परे होता है. मांबाप, भाईबहन और अन्य रिश्तेदार चुनने में हमारी कोई भूमिका नहीं होती है. हम जिस परिवार में पैदा होते हैं वहीं से हमें रिश्ते जिंदगीभर के लिए मिल जाते हैं. लेकिन दुनिया में सिर्फ एक ही रिश्ता ऐसा होता है जिसे हम बनाते हैं या कहें कि हम चुनते हैं. इस रिश्ते का नाम है दोस्ती.

दोस्त यानी फ्रैंडशिप ही ऐसा संबंध होता है जो वे बातें समझ सकता है, जो खून के रिश्ते भी नहीं समझ पाते. इसलिए दोस्ती के रिश्ते को हमेशा संभाल कर रखना चाहिए. लेकिन कई बार बीच की गलतफहमियां हमें अपने दोस्तों से दूर कर देती हैं. ऐसे में इस बार फैस्टिवल के मौके पर आप तय कीजिए कि अपने चहेते दोस्तों से न सिर्फ पुराने गिलेशिकवे दूर करने हैं बल्कि अपनी लाइफ में नए दोस्तों का स्वागत भी करना है. कैसे? आइए जानते हैं:

दोस्ती में दरार क्यों

अक्षय और रोहन मन ही मन अपनी क्लासमेट आकृति को चाहते थे. लेकिन दोनों ने अपने दिल की बात अभी तक उसे नहीं बताई थी. एक दिन आकृति की बर्थडे पार्टी में सही मौका देख कर अक्षय ने आकृति को प्रोपोज किया तो वह मना न कर सकी. इस तरह दोनों गर्लफ्रैंडबौयफ्रैंड बन गए. यहां तक तो ठीक था लेकिन कुछ दिनों से अक्षय ने नोटिस किया कि रोहन उस से दूर रहने के बहाने करने लगा. क्लास में जानबूझ कर अलग सीट पर बैठता. कभी लंच टाइम में अकेले ही कैंटीन चला जाता, कभी बीमारी का बहाना कर उस के साथ बने फिल्म के प्लान को कैंसल कर देता.

रोहन की इस आदत से तंग आ कर अक्षय ने भी अपने दोस्त से दूरी बना ली. कल तक के जिगरी दोस्तों के बीच आई दरार कुछ और नहीं, बल्कि गलतफहमी थी. अगर समय रहते दोनों इस टौपिक पर खुल कर बात करते व आकृति के बारे में अपनी फीलिंग्स जाहिर करते तो आज की तरह दोनों एक दूसरे के दुश्मन नहीं बनते.

हम दोस्तों के साथ स्कूलकालेज जाते हैं. उन के साथ हर असाइनमैंट या होमवर्क पूरा करते हैं. लंच से ले कर ब्रैकफास्ट और बर्थडे पार्टी से ले कर फैमिली गेटटूगेदर, बिना दोस्तों के कंप्लीट नहीं होता. फिर ऐसा क्यों होता है कि हम उन से नाराज हो जाते हैं. दरअसल, दोस्ती में दरार तब पड़ती है जब एक दोस्त को लगता है कि उस के दूसरे दोस्त ने उस का विश्वास तोड़ा है या फिर उस से कुछ ऐसी बात छिपाई है जो उसे पता होनी चाहिए थी.

अकसर ऐसी ही बातें जब दोस्ती में दरार पैदा कर देती हैं तो बजाय दूरी और दुश्मनी बढ़ाने के, खुल कर बात करनी चाहिए. याद रखें गर्लफ्रैंड आज है, कल नहीं भी हो सकती है, ब्रैकअप हो सकता है, लेकिन दोस्त हमेशा के लिए होते हैं. वे बिना किसी ऐक्सपैक्टेशन के ताउम्र आप के कदम से कदम मिला कर चलते हैं.

भूल जाएं गिलेशिकवे

फैस्टिवल ही ऐसा मौका लाते हैं जब हम पुराने गिलेशिकवे भूल कर रोशनी के रंगों में सरोबार हो जाते हैं. दीवाली आ रही है और इस दीवाली जब घर में सबकुछ खुशनुमा हो, क्यों न रूठे दोस्तों को मनाने का प्रोग्राम बनाएं. गारंटी है कि फैस्टिवल के मौके पर आप का रूठा यार आप को खाली हाथ वापस नहीं भेजेगा. इस के लिए उस के घर जाने का प्रोग्राम बनाएं. त्योहार में घर पर बनी उस की फेवरेट स्वीटडिश ले कर और उस से सारी गलतफहमी पर खुल कर बात करें. अगर आप की गलती हो तो उस से बिना संकोच के सौरी बोलें और अगर आप की गलती न भी रही हो तो अब तक उस से नाराज रहने के लिए सौरी बोलिए. दोस्ती में कोई छोटाबड़ा नहीं होता है. अगर आप के सौरी बोलने से आप का दोस्त वापस आप के पास आ सकता है तो आप के लिए  इस से बड़ा गिफ्ट भला और क्या हो सकता है.

ईगो खत्म कर दूसरा मौका दें

हर रिश्ते में उतारचढ़ाव होते हैं. दोस्ती में भी. ऐसा कोई रिश्ता नहीं हो सकता जिस में कभी नाराजगी न हो. रिश्तों के बने रहने की शर्त है कि एकदूसरे की गलतियों को माफ करने की हिम्मत हो. हम युवा हैं और गरम खून अपनी अकड़ ले कर चलता है. इसलिए जब कभी दोस्ती में जरा सी बात बिगड़ती है तो हमारा ईगो आड़े आ जाता है. सोचने लगते हैं दोस्त जाता है तो जाए, मैं क्यों झुकूं. इसी ईगो के चलते दोस्त दूर हो जाते हैं.

अपने मैं से बाहर निकलें, दोस्तों के साथ पहले की तरह घुलमिल जाएं. अकसर अहं और छोटीमोटी तकरार इतनी बड़ी हो जाती है कि रिश्तों की वे गांठें कभी नहीं जुड़ पातीं. अगर आप भी किसी ऐसी ही बात का बुरा मान कर किसी दोस्त या करीबी से नाराज हैं तो इस त्योहार उन्हें फिर से दुश्मन से दोस्त बना लें और अपनी दोस्ती को दूसरा मौका दें. किसी संबंध को हमेशा के लिए खत्म करने से बेहतर है कि दूसरा मौका दे कर देखें. हो सकता है आप के दोस्त को गलती का एहसास हो और यह खूबसूरत रिश्ता बना रहे.

खास दोस्तों के लिए करें खास

जरा सोचिए, अगर दोस्त नहीं होंगे तो आप किस के साथ क्लास जाएंगे, वीकैंड पार्टी करेंगे या फिर फैस्टिवल में हंगामा किस के साथ मचाएंगे. जाहिर है इस दीवाली जब आप पटाखे फोड़ेंगे तो बिना दोस्तों के रौनक ही नहीं आएगी. घर पर पकवान तो ढेर सारे बनेंगे, लेकिन साथ में बैठ कर खाने वाले दोस्त कहां से आएंगे.

जब आप यह जानते हैं कि दोस्त आप के लिए कितने खास हैं तो फिर आप की भी जिम्मेदारी बनती है कि उन्हें खास फील कराएं. ऐसा नहीं होना चाहिए कि आप को दोस्तों का बर्थडे या उन से जुड़े खास दिनों की तारीखें याद न हों. उन्होंने कई बार आप को अपने घर डिनर पर बुलाया, लेकिन आप ने उन्हें कभी नहीं बुलाया. दोस्तों को भी एहसास कराएं कि आप की जिंदगी में उन की अहमियत है. बर्थडे पर विश करना या कभी कुछ स्पैशल गिफ्ट देना ऐसी चीजें हैं जो रिश्ते को मजबूत बनाती हैं.

अगर दोस्त कहीं दूर रहते हैं और किसी बात पर खफा हैं तो त्योहार की शुभकामनाओं के लिए उन्हें सब से पहले फोन करें और घर पर आमंत्रित कर उन का दिल जीतें. यकीनन उन की नाराजगी बहुत देर तक नहीं टिक पाएगी. अगर वे काफी दूर रहते हैं तो उन्हें बिना बताए कुछ अच्छा सा गिफ्ट ले कर उन के घर पहुंच जाएं और उन को हैरान कर दें. इस सरप्राइज विजिट से उन की हर नाराजगी दूर होते देर नहीं लगेगी. आड़े समय में दोस्त ही काम आते हैं. इसलिए इस फैस्टिवल संकल्प लें कि सभी दोस्तों की नाराजगी दूर कर उन्हें अपने घर बुलाएंगे और नए दोस्त भी बनाएंगे.

इस त्योहार में आप अपने दोस्तों को मनाने की पहल कर देखिए,  उत्सव का आनंद दोगुना हो जाएगा. याद रहे कोई भी गलतफहमी इतनी उलझी नहीं होती कि उसे सुलझाया न जा सके. तो समझ लीजिए दीवाली का यह त्योहार ऐसी ही किसी पुरानी गलतफहमी या कड़वाहट को मिठास में बदलने का मौका है, जो दोस्ती की राह में रोड़ा बन कर खड़ी है.

ऐसे करें दोस्ती की डोर मजबूत

दोस्ती में बहुत ज्यादा अपेक्षाएं न रखें. इस से संबंध बिगड़ते हैं. सब कीअपनी सीमाएं होती हैं, उन्हें समझें.

हर कोई अपनी लाइफ में व्यस्त है. लेकिन फिर भी दोस्तों के लिए समय निकालें.

अच्छे वक्त में भले ही दोस्तों को भूल जाएं लेकिन उन के बुरे समय में उन के साथ खड़े रहें.

उन के सामने अपनी अमीरी या बेहतरी का दिखावा न करें.

उन के लिए कभीकभी सरप्राइज पार्टी का आयोजन करें.

बहस की नौबत आए तो उसे कभी बढ़ने न दें.

उन की मजबूरी समझें. अगर समय न दे पाएं दोस्त, तो उसे अकड़ू या घमंडी कह कर इग्नोर न करें.

हर बार दोस्तों को ही दोषी न ठहराएं अपनी गलती भी मानें.

एकदूसरे की पसंदनापसंद व भावनाओं और इच्छाओं का सम्मान करें.

Diwali Special: फैस्टिवल का फायदा उठाएं प्रेमी को परिवार से मिलवाएं

पिछले 2 साल कैसे बीत गए पता ही नहीं चला. खुशी इतनी थी कि लगता था जैसे समय को पंख लग गए हों. न दिन की खबर, न रात को चैन. बात बहुत पुरानी नहीं है. साल 2012 में सियाली और अबीर का कुछ ऐसा ही हाल था. प्यार में दोनों दुनिया से बेखबर थे और प्यार की खुमारी का आलम यह था कि दोनों के दोस्त उन से कटने लगे थे. ऐसा होना लाजिम भी था, क्योंकि जब भी औफिस के आपाधापी के माहौल से कुछ फुरसत के लमहे मिलते, तो दोनों का फेसबुक स्टेटस बताता कि दोनों साथ में हैं, वहां किसी तीसरे की जगह नहीं. उन के प्यार की प्रगाढ़ता इतनी उफान पर थी कि दोनों ने तय किया कि अब जल्दी ही सामाजिक बंधन में बंधना है. 2 साल की अंतरंगता को सामाजिक स्वीकृति देने के लिए सियाली ने अबीर को अपने परिवार से मिलने को कहा, तो इस के लिए अबीर राजी हो गया. तयशुदा समय पर अबीर दीवाली की शाम सियाली के घर आया. अबीर के स्वभाव से सियाली वाकिफ थी, इसलिए उस के घर आने से पहले उस ने उस को अपने घर वालों के बारे में कुछ बताया नहीं था. ऐसा ही सियाली ने घर वालों के साथ भी किया था. घड़ी की सूइयां शाम के 6 बजा रही थीं. बेचैनी सियाली के घर वालों के हावभाव से साफ झलक रही थी. आलम यह था कि दीवाली की रौनक में दमकते घर के अलावा सियाली के मम्मीडैडी भी नए कपड़ों में चमक रहे थे. डोरबैल बजने पर दरवाजा खोलते ही अबीर कीचड़ से सने जूते पहने रंगोली बिखेरता हुआ आया और बिना किसी फौर्मैलिटी के सोफे पर पसर गया.

उधर सियाली के मातापिता ने यह किया कि उस दिन चायनाश्ता आते ही सामने वाले से पूछे बिना खुद लेना शुरू कर दिया. सियाली मन ही मन कुढ़ती रही, क्योंकि दोनों ओर से फर्स्ट इंप्रैशन का सत्यानाश हो गया था. माना कि मौका बेहतरीन था, लेकिन मौके की नजाकत कोई नहीं समझ पाया और रिश्ते की बात फैस्टिव मूड में भी किसी को खुशी नहीं दे पाई. यह कहानी अकसर कुछ परिवारों में घटित होती है यानी सोचा था कुछ और हो गया कुछ. इसे हलके में न लें. अगली बार अगर आप अपने प्रेमी के साथ बंधन में बंधने के लिए उसे घर पर इन्वाइट करें, तो दोनों पार्टीज को फुल ट्रेनिंग दें, ताकि दोनों का इंप्रैशन शानदार रहे. और तो और मौके को देखते हुए हम आप को बता दें कि मिलनेमिलाने का बेहतरीन समय है फैस्टिव सीजन. इस में खुशी व उमंग पौजिटिव रिस्पौंस की उम्मीद जगाएगी.

पहली ट्रेनिंग घर वालों की

आप के बौयफ्रैंड की आप के मातापिता के साथ पहली मीटिंग शानदार रहे, इस के लिए आप को होमवर्क करना होगा. माना कि मांबाप आप से ज्यादा समझदार हैं, लेकिन कई बार जल्दबाजी में जबान से निकले साधारण शब्द भी सामने वाले का दिल छलनी कर सकते हैं, उस की भावनाओं को ठेस पहुंचा सकते हैं. आप ने अपने प्रेमी को घर वालों से मिलाने की ठान ली है, तो सब से पहले जरूरी है मौमडैड को प्रेमी के जीवन संबंधित पूर्ण जानकारी देना. इस का फायदा यह होगा कि मौमडैड के सवालों की बौछार हैरतअंगेज नहीं होगी और बिना डरे, सकुचाए व घबराए आत्मविश्वास के साथ प्रेमी जवाब दे पाएगा. ऐसे ही अगर वह हाल ही में विदेश हो कर आया है तो यह मौमडैड को बताएं जरूर ताकि उन का उस के बारे में पूछना उसे यह महसूस कराए कि आप उस में दिलचस्पी ले रहे हैं. आप अपने मौमडैड को पहले ही बता दें कि वे कुछ संवेदनशील मुद्दों को पहली ही मुलाकात में न खगालें. यह जवाबतलबी सामने वाले को बेइज्जती का एहसास कराएगी. मसलन, सुना है कि फलां नौकरी आप को छोड़नी पड़ी थी या आप के मातापिता का तलाक हो गया है आदि. खैर, इन सवालों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. आखिर उन के जिगर के टुकड़े की जिंदगी का मामला है. वे तफतीश जरूर करें लेकिन पहली मुलाकात पर नहीं.

अगर आप के प्रेमी को किसी चीज से ऐलर्जी है या वह सौ फीसदी शाकाहारी है तो इसे छिपाएं नहीं. हो सकता है कि डिनर टेबल पर आप के मौमडैड का चिकन विद पीनट सौस पेश करने का प्लान हो और ऐसा होना उसे नागवार गुजरे. प्रेमी की फूड चौइस जानने से सभी डिनर टेबल पर हलकीफुलकी बातों के साथ डिश का मजा ले पाएंगे. यानी यहां सहजता को तरजीह मिलेगी और एकदूसरे को बेहतर समझने का मौका.

दूसरी ट्रेनिंग प्रेमी की

आप ने अपने मातापिता को होमवर्क करा दिया ताकि आप के प्रेमी से उन की पहली मुलाकात जानदार रहे. अब बारी है प्रेमी को घर में आने से पूर्व समझाने की ताकि उस के तौरतरीके आप के मातापिता का दिल जीत लें. लेकिन इस के लिए अपने प्रेमी के सामने घर वालों की बुराइयों का चिट्ठा न खोलें. जैसे आप की मां की पिता से नहीं बनती या आप की लंबे समय से घर वालों से बातचीत बंद है आदि. इन बातों से सहानुभूति जरूर मिल जाएगी, लेकिन प्रेमी के सामने आप के घर के लोगों की छीछालेदर हो जाएगी, जो आने वाले समय में रिश्ते बिगाड़ने के लिए पर्याप्त है.

बताएं कुछ कौमन बातें

अधिकांश लोगों को वही लोग पसंद आते हैं जिन के शौक उन जैसे हों. इस मानसिकता को कैश करें. प्रेमी को घर पर आने से पहले दोनों के बीच जो कुछ भी कौमन हो उसे बताएं. इस का फायदा यह होगा कि आप के मातापिता और प्रेमी के बीच बातचीत का पुल बन जाएगा. नतीजतन दोनों पार्टी बातचीत शुरू कर पाएंगे. मसलन, यदि आप के प्रेमी को गार्डनिंग पसंद है और आप जानते हैं कि मातापिता का भी गार्डनिंग में मन रमता है, तो प्रेमी को यह कौमन बात जरूर बताएं. किसी के घर आने पर आप के घर वालों की क्या प्रतिक्रिया होती है, इस से आप बखूबी वाकिफ होंगी. आप भलीभांति जानती होंगी कि उन्हें आने वाले से हाथ मिलाना पसंद है या नहीं. किसी का भी स्वागत वे गले मिल कर करते हैं या गले मिलना उन्हें कतई पसंद नहीं. कोई हाथ जोड़ कर उन्हें नमस्ते करे तो यह तरीका उन्हें लुभाता है और कोई पांव छू कर उन का सम्मान करे तो वह शख्स तो गुड लिस्ट में शुमार हो जाता है. आप अपने प्रेमी को यह बात जरूर बताएं कि पहली मुलाकात में उस का कौन सा तरीका मौमडैड को पसंद आएगा, ताकि पहली मुलाकात में ही आप के प्रेमी का नाम नेगेटिव लोगों की लिस्ट में शुमार न हो जाए.

नियमकायदे से परिचय

हर घर के कुछ नियमकायदे होते हैं, जिन्हें घर के सभी सदस्य आंख मूंद कर अपनाते हैं. किसी से भी नियमों को अपनाने में चूक हो जाए, तो देखिए कैसे घर की शांति भंग होती है. इसलिए घर वालों से पहली मुलाकात से पहले अपने प्रेमी को अपने घर के कुछ नियमों से वाकिफ जरूर कराएं, ताकि उन नियमों का पालन प्रेमी के लिए आसान हो जाए. मसलन, आप के घर में प्रवेश से पहले जूते बाहर उतारे जाते हैं और किसी भी प्रकार की अश्लीलता व द्विअर्थी संवाद पसंद नहीं किए जाते. खाने की प्लेट में जूठन छोड़ना आप के मौमडैड को पसंद नहीं और आते ही उस पर टूट पड़ना भी.

अब आप की बारी

आप अपने घर वालों के हावभाव पढ़ लेती हैं. उन्हें क्या पसंद है और क्या नहीं सब से वाकिफ हैं, इसलिए अपने प्रेमी के आने पर हरदम उस के साथ रहें, ताकि वह सहज महसूस करे. याद रहे कि प्रेमी आप के घर में नया है, आप नहीं. ऐसी परिस्थिति में आप की जिम्मेदारी है कि आप प्रेमी को अपनत्व महसूस कराएं और अपने मौमडैड के सामने उस की तारीफ करें. तारीफ प्रेमी में आत्मविश्वास जगाएगी, साथ ही मौमडैड की गुड बुक में उस के शुमार होने की संभावना बढ़ जाएगी. अकेला छोड़ने से प्रेमी असहज तो महसूस करेगा ही बातचीत में अनकही बात भी उजागर हो सकती है. इस से बचने के लिए एक पल के लिए भी उस को अकेला न छोड़ें.

Diwali Special: सामूहिक सैलिब्रेशन से खिल उठे मन

रोशनी का त्योहार दीवाली हो या कोई और उत्सव, जब तक 10-20 लोग मिल कर धूम न मचाएं आनंद नहीं आता. सैलिब्रेशन का मतलब ही मिल कर खुशियां मनाना और मस्ती करना होता है. पर मस्ती के लिए मस्तों की टोली भी तो जरूरी है.  आज बच्चे पढ़ाई और नौकरी के लिए घरों से दूर रहते हैं. बड़ेबड़े घरों में अकेले बुजुर्ग साल भर इसी मौके का इंतजार करते हैं जब बच्चे घर आएं और घर फिर से रोशन हो उठे. बच्चों से ही नहीं नातेरिश्तेदारों और मित्रों से मिलने और एकसाथ आनंद उठाने का भी यही समय होता है.

सामूहिक सैलिब्रेशन बनाएं शानदार

पड़ोसियों के साथ सैलिब्रेशन:  इस त्योहार आप अपने सभी पड़ोसियों को साथ त्योहार मनाने के लिए आमंत्रित करें. अपनी सोसाइटी या महल्ले के पार्क अथवा खेल के मैदान में पार्टी का आयोजन करें. मिठाई, आतिशबाजी और लाइटिंग का सारा खर्च मिल कर उठाएं. जब महल्ले के सारे बच्चे मिल कर आतिशबाजी का आनंद लेंगे तो नजारा देखतेही बनेगा.

इसी तरह आप एक शहर में रहने वाले अपने सभी रिश्तेदारों और मित्रों को भी सामूहिक सैलिब्रेशन के लिए आमंत्रित कर सकते हैं.

डांस पार्टी:  भारतीय वैसे भी डांस और म्यूजिक के शौकीन होते हैं तो क्यों न प्रकाशोत्सव के मौके को और भी मस्ती व उल्लास भरा बनाने के लिए मिल कर म्यूजिक डांस और पार्टी का आयोजन किया जाए.  पूरे परिवार के साथसाथ पड़ोसियों को भी इस में शरीक करें ताकि यह उत्सव यादगार बन जाए. बुजुर्गों, युवाओं और बच्चों के चाहें तो अलगअलग ग्रुप बना सकते हैं ताकि उन के मिजाज के अनुसार संगीत का इंतजाम हो सके. बुजुर्गों के लिए पुराने फिल्मी गाने तो युवाओं के लिए आज का तड़कताभड़कता बौलीवुड डांस नंबर्स, अंत्याक्षरी और डांस कंपीटिशन का भी आयोजन कर सकते हैं.

स्वीट ईटिंग कंपीटिशन

प्रकाशोत्सव सैलिब्रेट करने का एक और बेहतर तरीका है कि तरहतरह की प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएं. मसलन, स्वादिष्ठ मिठाईयां बनाने की प्रतियोगिता, कम समय में ज्यादा मिठाई खाने की प्रतियोगिता, खूबसूरत रंगोली बनाने की प्रतियोगिता आदि. आप चाहें तो जीतने वाले को इनाम भी दे सकते हैं. इतना ही नहीं, कौन जीतेगा यह शर्त लगा कर गिफ्ट की भी मांग कर सकते हैं.

वन डे ट्रिप

आप त्योहार का आनंद अपने मनपसंद  शहर के खास टूरिस्ट स्थल पर जा कर भी ले सकते हैं. सभी रिश्तेदार पहले से बुक किए गए गैस्ट हाउस या रिजौर्ट में पहुंच कर अलग अंदाज में त्योहार मनाएं और आनंद उठाएं. त्योहार मनाने का यह अंदाज आप के बच्चों को खासतौर पर पसंद आएगा.

तनहा लोगों की जिंदगी करें रोशन  

आप चाहें तो त्योहार की शाम वृद्घाश्रम या अनाथालय जैसी जगहों पर भी बिता सकते हैं और अकेले रह रहे बुजुर्गों या अनाथ बच्चों की जिंदगी रोशन कर सकते हैं. पटाखे, मिठाई और कैंडल्स ले कर जब आप उन के बीच जाएंगे और उन के साथ मस्ती करेंगे तो सोचिए उन के साथसाथ आप को भी कितना आनंद मिलेगा. जरा याद कीजिए ‘एक विलेन’ फिल्म में श्रद्घा कपूर के किरदार को या फिर ‘किस्मत कनैक्शन’ फिल्म में विद्या बालन का किरदार. ऐसे किरदारों से आप अपनी जिंदगी में ऐसा ही कुछ करने की प्रेरणा ले सकते हैं. इनसान सामाजिक प्राणी है. अत: सब के साथ सुखदुख मना कर ही उसे असली आनंद मिल सकता है.

सामूहिक सैलिब्रेशन के सकारात्मक पक्ष

खुशियों का मजा दोगुना:  जब आप अपने रिश्तेदारों और परिवार के सदस्यों के साथ सामूहिक रूप से त्योहार मनाते हैं तो उस की खुशी अलग ही होती है. घर की सजावट और व्हाइटवाशिंग से ले कर रंगोली तैयार करना, मिठाई बनाना, शौपिंग करना सब कुछ बहुत आसान और मजेदार हो जाता है. हर काम में सब मिल कर सहयोग करते हैं. मस्ती करतेकरते काम कब निबट जाता है, पता ही नहीं चलता. वैसे भी घर में कोई सदस्य किसी काम में माहिर होता है तो कोई किसी काम में. मिल कर मस्ती करते हुए जो तैयारी होती है वह देखने लायक होती है.

मानसिक रूप से स्वस्थ त्योहारों के दौरान मिल कर खुशियां मनाने का अंदाज हमारे मन में सिर्फ उत्साह ही नहीं जगाता वरन हमें मानसिक तनाव से भी राहत देता है.  यूनिवर्सिटी औफ दिल्ली की साइकोलौजी की असिस्टैंट प्रोफैसर, डा. कोमल चंदीरमानी कहती हैं कि त्योहारों के समय बड़ों का आशीर्वाद और अपनों का साथ हमें ऊर्जा, सकारात्मक भावना और खुशियों से भर देता है. समूह में त्योहार मनाना हमारे मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य के लिए अच्छा है. इस से हमारा सोशल नैटवर्क और जीवन के प्रति सकारात्मक सोच बढ़ती है, जीवन को आनंद के साथ जीने की प्रेरणा मिलती है.  हाल ही में अमेरिका में हुए एक शोध में यह बात सामने आई है कि जिन लोगों का समाजिक जीवन जितना सक्रिय होता है उन के मानसिक रोगों की चपेट में आने की आशंका उतनी ही कम होती है. शोध के अनुसार,

15 मिनट तक किया गया सामूहिक हंसीमजाक दर्द को बरदाश्त करने की क्षमता को 10% तक बढ़ा देता है.

अपने होने का एहसास:

आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में अकसर हमें अपने होने का एहसास ही नहीं रह जाता. सुबह से शाम तक काम ही काम. मिल कर त्योहार मनाने के दौरान हमें पता चलता है कि हम कितने रिश्तेनातों में बंधे हैं. हम से कितनों की खुशियां जुड़ी हैं. तोहफों के आदानप्रदान और मौजमस्ती के बीच हमें रिश्तों की निकटता का एहसास होता है. हमें महसूस होता है कि हम कितनों के लिए जरूरी हैं. हमें जिंदगी जीने के माने मिलते हैं. हम स्वयं को पहचान पाते हैं. जीवन की छोटीछोटी खुशियां भी हमारे अंदर के इनसान को जिंदा रखती हैं और उसे नए ढंग से जीना सिखाती हैं.

बच्चों में शेयरिंग की आदत:  आप के बच्चे जब मिल कर त्योहार मनाते हैं तो उन में मिल कर रहने, खानेपीने और एकदूसरे की परवाह करने की आदत पनपती है. वे बेहतर नागरिक बनते हैं.

बच्चे दूसरों के दुखसुख में भागीदार बनना सीखते हैं. उन में नेतृत्व की क्षमता पैदा होती है. घर के बड़ेबुजुर्गों को त्योहार पर इकट्ठा हुए लोगों को अच्छी बातें व संस्कार सिखाने और त्योहार से जुड़ी परंपराओं और आदर्शों से रूबरू कराने का मौका मिलता है.

गिलेशिकवे दूर करने का मौका  

उत्सव ही एक ऐसा समय होता है जब अपने गिलेशिकवों को भूल कर फिर से दोस्ती की शुरुआत कर सकता है. त्योहार के नाम पर गले लगा कर दुश्मन को भी दोस्त बनाया जा सकता है. सामने वाले को कोई तोहफा दे कर या फिर मिठाई खिला कर आप अपनी जिंदगी में उस की अहमियत दर्शा सकते हैं. सामूहिक सैलिब्रशन के नाम पर उसे अपने घर बुला कर रिश्तों के टूटे तार फिर से जोड़ सकते हैं.

कम खर्च में ज्यादा मस्ती

जब आप मिल कर त्योहार मनाते हैं, तो आप के पास विकल्प ज्यादा होते हैं. आनंद व मस्ती के अवसर भी अधिक मिलते हैं. इनसान सब के साथ जितनी मस्ती कर सकता है उतनी वह अकेला कभी नहीं कर सकता. एकल परिवारों के इस दौर में जब परिवार में 3-4 से ज्यादा सदस्य नहीं होते, उन्हें वह आनंद मिल ही नहीं पाता जो संयुक्त परिवारों के दौर में मिलता था. सामूहिक सैलिब्रेशन में मस्ती और आनंद ज्यादा व खर्च कम का फंडा काम करता है.

मैरिड लाइफ से जुड़ी समस्या का इलाज बताएं?

सवाल-

मैं 35 वर्षीय विवाहिता हूं. सहवास के दौरान पति यौनांग में चिकनाहट के लिए किसी वाटरबेस्ड क्रीम का नाम जानना चाहते हैं. वे तेल का इस्तेमाल नहीं करना चाहते. कृपया बताएं कि कौन सी क्रीम प्रयोग में सही रहेगी?

जवाब-

आप के पति को आवश्यक लगता है तो वे कोई भी गोल्ड क्रीम लगा सकते हैं. कुछ क्रीम उत्तेजना को भी बनाए रखती हैं.

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प्यार के महकते फूल को बचाए रखने के लिए यह जरूरी है कि बैडरूम को कुरुक्षेत्र नहीं, बल्कि प्रणयशाला बनाया जाए और इस के लिए यह बेहद जरूरी है कि बैडरूम लव की ए टु जैड परिभाषा को कायदे से जाना जाए. तो फिर चलिए प्रणयशाला की क्लास में:

1. अटै्रक्ट-आकर्षित करना

अपने साथी को आकर्षित करना ही प्रणयशाला का प्रथम अक्षर है. पत्नी को चाहिए कि वह पति के आने से पहले ही अपने काम निबटा कर बनावशृंगार कर ले और पतिदेव औफिस के काम का बोझ औफिस में ही छोड़ कर आएं.

2. ब्यूटीफुल-सुंदर

सुंदरता और आकर्षण सिक्के के 2 पहलू हैं. हर सुंदर चीज अपनी ओर देखने वाले को आकर्षित करती ही है, इसलिए शादी के बाद बढ़ते वजन पर लगाम लगाएं और ब्यूटीपार्लर जा कर अपनी सुंदरता को फिर से अपना बनाएं ताकि आप की सुंदरता को देख कर उन्हें हर दिन खास लगे.

3. चेंज-बदलाव

अगर जिंदगी एक ही धुरी पर घूमती रहे तो बेमजा हो जाती है. इसलिए अपनी सैक्स लाइफ में भी थोड़ा चेंज लाएं. मसलन, प्यार को केवल बैडरूम तक ही सीमित न रख कर एकसाथ बाथ का आनंद लें और अगर जौइंट फैमिली में हैं तो चोरीछिपे उन्हें फ्लाइंग किस दें, कभी अपनी प्यार की कशिश का चोरीछिपे आतेजाते एहसास कराएं. यकीन मानिए कि यह प्यार की लुकाछिपी आप की नीरस जिंदगी को प्यार से सराबोर कर देगी.

4. डेफरेंस-आदर

पतिपत्नी को चाहिए कि वे एकदूसरे को उचित मानसम्मान दें. साथ में एकदूसरे के परिवार का भी आदर करें, क्योंकि जिस दर पर आदर व कद्र हो, प्यार भी वहीं दस्तक देता है.

पूरी खबर पढ़ने के लिए- इन 26 टिप्स से बढ़ाएं पति-पत्नी का प्यार

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