क्या पति को धोखा देना सही है?

सवाल-

मैं 32 वर्षीय विवाहिता हूं. मेरे पति बैडरूम में घुसते ही मुझ पर बलात्कारी की तरह टूट पड़ते हैं. दिन भर घर का काम और बच्चों की देखभाल करतेकरते मैं पूरी तरह थक चुकी होती हूं और चाहती हूं कि रिलैक्स करूं पर उन्होंने कभी मेरी इच्छाअनिच्छा की परवाह नहीं की. इसीलिए मेरी न तो सहवास में कोई रुचि रही है और न ही पति में. इधर कुछ दिनों से एक लड़का, जो मेरे पड़ोस में रहता है मुझे बहुत आकर्षित कर रहा है. चाहती हूं उस से दोस्ती कर लूं और एक बार उस के साथ संबंध बनाऊं. क्या मेरा प्रस्ताव वह स्वीकार करेगा और यह भी बताएं कि ऐसा करना ठीक होगा?

जवाब-

आप अपने पति की आदत जानती हैं, तो खुद को तैयार कर लिया करें ताकि जो भी हो रजामंदी से हो. ऐसा करने पर आप भी सहवास को ऐंजौय करेंगी. रात को आप को थकावट हो या न हो सैक्स ऐंजौय करने की प्लानिंग आप को करनी चाहिए. पड़ोस के लड़के से दोस्ती करना और संबंध बनाना न तो आसान है न ही व्यावहारिक.

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धोखा देना इंसान की फितरत है फिर चाहे वह धोखा छोटा हो या फिर बड़ा. अकसर इंसान प्यार में धोखा खाता है और प्यार में ही धोखा देता है. लेकिन आजकल शादी के बाद धोखा देने का एक ट्रेंड सा बन गया है. शादी के बाद लोग धोखा कई कारणों से देते हैं. कई बार ये धोखा जानबूझकर दिया जाता है तो कई बाद बदले लेने के लिए. इतना ही नहीं कई बार शादी के बाद धोखा देने का कारण होता है असंतुष्टि. कई बार तलाक का मुख्‍य कारण धोखा ही होता है. लेकिन ये जानना भी जरूरी है कि शादी के बाद धोखा देना कहां तक सही है, शादी के बाद धोखे की स्थिति को कैसे संभालें. क्या करें जब आपका पार्टनर आपको धोखा दे रहा है.

शादी के बाद धोखा देने के कारण

1. असंतुष्टि- कई बार पुरूष को अपनी महिला साथी से संभोग के दौरान असंतुष्टि होती है जिसके कारण वह बाहर की और जाने पर विविश हो जाता है और जल्दी ही वह दूसरी महिलाओं के करीब आ जाता है, नतीजन वो चाहे-अनचाहे अपनी महिला साथी को धोखा देने लगता है.

2. खुलापन- समाज में आ रहे खुलेपन के कारण भी पुरूष अपनी महिला साथी को धोखा देने से नहीं चूकता. दरअसल, समाज में खुलापन आने के कारण लोग खुली मानसिकता के हो गए हैं जिससे उन्हें विवाहेत्तर संबंध बनाने में भी कोई दिक्कत नहीं होती और महिलाएं भी बहुत बोल्ड हो गई हैं. इस कारण भी पुरूष अपनी महिला साथी का धोखा देते हैं.

3. संभावनाओं के कारण- आजकल विवाहेत्तर संबंध बनने की संभावनाएं अधिक हैं यानी विवाहेत्तर संबंध आसानी से बन जाते हैं. जिससे पुरूष अपनी पत्नी को धोखा देने लगते हैं, यह सोचकर कि उन्हें कुछ पता नहीं चलेगा.

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मैं अपने रिलेशनशिप को एक लेवल आगे बढ़ाना चाहता हूं, मैं क्या करुं?

सवाल-

गलफ्रैंड के साथ मेरी फ्रैंडशिप हुए अभी  6 महीने हुए हैं. हम आपस में खूब मिलते हैं, बातें करते हैं. वह मु झ से और मैं उस से सैक्सी बातें भी करता हूं. लेकिन मैं पता नहीं लगा पा रहा कि वह मेरे साथ सैक्स करने में कितनी इंट्रैस्टैड है. मैं उस से सैक्स के लिए पूछूं और वह मना कर दे, ऐसा मैं हरगिज नहीं चाहता. ऐसा क्या करूं कि वह मेरी फीलिंग्स सम झे,  मु झे गलत न सम झे और फिजिकल होने में उस की रजामंदी शामिल हो?  उस की रजामंदी मेरे लिए बहुत माने रखती है.

जवाब-

यह अच्छी बात है कि आप अपने पार्टनर की फीलिंग्स का ध्यान रखते हैं और सैक्स के लिए उस की रजामंदी आप के लिए उतनी ही माने रखती है जितनी खुद की.

फिलहाल कुछ तरीके अपना कर देखें जिन के जरिए आप अपनी गर्लफ्रैंड से अपनी ख्वाहिश जाहिर कर सकते हैं, जैसे कि साथसाथ चलते हुए, बातें करते हुए आप उस का हाथ अपने हाथ में ले सकते हैं. उंगलियों को आपस में उल झा सकते हैं. इस से वह महसूस करेगी कि आप ज्यादा नजदीकी चाहते हैं.

उस की तारीफ करते हुए आंखों में आंखें डाल कर उस के हावभाव देखें. उस की कमर पर हाथ रख कर देखें कि उस का क्या रिऐक्शन है. उस का अच्छा मूड देखते हुए एसएमएस या व्हाट्सऐप  भेजें, ‘आई वांट यू.’ इंतजार कीजिए वह क्या जवाब देती है या कोई उत्तर देती है भी या नहीं.

सरप्राइज में इनरवियर सैट गिफ्ट में दें लेकिन उस से कह दें कि अकेले में खोल कर देखे. गर्लफ्रैंड आप की इच्छा जरूर समझ जाएगी.

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प्यार, रोमांस फिर शादी ये चलन सदियों से चला आ रहा है. दो युगलों के बीच प्यार एक पराकाष्ठा को पार तब करता है जब दोनों का मिलन आत्मा से होता है. प्यार का समागम आत्मा और शरीर दोनों से ही होता है. जब नवविवाहिता आती है तो धारणा यह बनती है कि अब दोनों का शारीरिक मिलन तय है, पर यह गलत है. हालांकि, शारीरिक मिलन यानि कि सेक्स जीवन का एक आधार है एक नई पीढ़ी को तैयार करने का. पर नवविवाहित जोड़ों को सेक्स से संबंधी कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ता है. या यूं कहें कि कुछ मतभेद जो उनके दिलों में कई सवाल बनकर खड़े हो जाते हैं. सेक्स से जुड़े वो कौन-से मतभेद हैं जो उनको एक-दूसरे के करीब नहीं आने देते –

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2 कदम तुम चलो, 2 कदम हम

पति पत्नी का संबंध बेहद संवेदनशील होता है, जिस में अपने साथी के साथ प्यार होने के साथसाथ एकदूसरे के प्रति अपनी जिम्मेदारियों और कर्तव्यों के निर्वाह का भाव भी होना जरूरी है. जब हम अपने साथी के प्रति अपने दायित्वों का ईमानदारी से निर्वाह करते हैं, तो हमें अपने अधिकारों को मांगने की जरूरत नहीं पड़ती. वे स्वत: मिल जाते हैं. लेकिन जब हम अपने कर्तव्यों को तिलांजलि दे देते हैं और अधिकारों की मांग करते हैं, तो फिर यहीं से शुरुआत होती है प्रेमपूर्ण संबंधों में टकराव की. जैसाकि अनिल और रोमा के साथ हुआ.

‘‘यह क्या है, सारे कपड़े बिखरे पड़े हैं. जरा सी भी तमीज नहीं है,’’ घर को अस्तव्यस्त देख कर औफिस से आते ही अनिल का पारा चढ़ गया.

किचन में खाना बनाती रोमा उस की बात सुन कर एकदम से बोल पड़ी, ‘‘सामान बिखरा पड़ा है, तो ठीक कर दो न, क्या मेरी ही जिम्मेदारी है कि मैं ही घर के सारे काम करूं? मैं भी तो औफिस जाती हूं. लेकिन घर आने के बाद सारा काम मुझे ही करना पड़ता है. तुम तो सब्जी तक नहीं लाना चाहते. औफिस से आते ही खाना बनाऊं या घर समेटूं? खाने में देर होने पर भी तुम्हारा पारा चढ़ जाता है. खाना भी समय पर मिलना चाहिए और घर भी सजासंवरा. मैं भी इनसान हूं कोई मशीन नहीं.’’

रोमा की बात सही थी, लेकिन उस का कहने का तरीका तीखा था, जो अनिल को चुभ गया. फिर क्या था छोटी सी बात झगड़े में बदल गई और 3 दिनों तक दोनों में बोलचाल बंद रही.

एकदूसरे को समझें

आमतौर पर ऐसी स्थिति हर उस घर में होती है, जहां पतिपत्नी दोनों वर्किंग होते हैं. वहां काम को ले कर आपस में चिकचिक होती रहती है. इस का कारण यह है कि पति को पत्नी का पैसा तो चाहिए, लेकिन उस के काम में हाथ बंटाना उसे गंवारा नहीं. ऐसा नहीं है कि इस तरह की खटपट सिर्फ कामकाजी पतिपत्नी के बीच ही होती है. जो पत्नियां हाउसवाइफ हैं, उन के पति उन के बारे में यही सोचते हैं कि वे दिन भर औफिस में काम करते हैं और बीवी घर पर आराम करती है. जबकि सच यह है कि हाउसवाइफ भी दिन भर घरपरिवार की जिम्मेदारियों में आराम करने की फुरसत नहीं पाती है. सच तो यह है कि पतिपत्नी के बीच तकरार का कारण उन का एकदूसरे को न समझना और एकदूसरे के काम को कम आंकना है.

जब तक हम अपने साथी के प्रति प्रेम और आदर का भाव नहीं रखेंगे और उसे और उस के परिवार के सदस्यों को अपना नहीं समझेंगे, तब तक हम सुखमय पारिवारिक जीवन की कल्पना चाह कर भी नहीं कर सकते.

प्यार दो प्यार लो

प्यार कभी भी एकतरफा नहीं हो सकता है. अगर आप चाहते हैं कि आप का साथी आप को सराहे, तो इस के लिए यह बेहद जरूरी है कि आप भी उसे उसी शिद्दत से प्यार करें, जिस तरह से वह करता है. सच तो यह है कि एकतरफा संबंधों की उम्र ज्यादा लंबी नहीं होती है. जब आप किसी के साथ वैवाहिक बंधन में बंध जाते हैं, तो यह बात बहुत ज्यादा महत्त्वपूर्ण हो जाती है कि आप अपने साथी को उसी रूप में चाहें जैसा वह है. अगर आप उसे बदलने की कवायद में लग जाएंगे, तो आप दोनों के बीच कभी भी सहज प्रेमसंबंध नहीं बन पाएंगे. खुश रहने के लिए यह बेहद जरूरी है कि आप दोनों एकदूसरे से बिना शर्त प्यार करें.

थोड़ा आदर थोड़ा सम्मान

प्यार भरे संबंधों के लिए एकदूसरे को प्यार करने और एकदूसरे की भावनाओं की कद्र करने के साथसाथ यह भी बेहद जरूरी है कि आप अपने साथी को वही आदरसम्मान दें, जिस की आप उस से अपेक्षा करते हैं. अगर आप को अपने साथी की कोई बात अच्छी नहीं लगती है या आप को उस से शिकायत है, तो उसे चार लोगों के सामने बुराभला कहने के बजाय अकेले में बात करना उचित होता है.

माना कि आप की पत्नी ने खाना बनाया और उस में थोड़ा सा नमक ज्यादा हो गया, मगर आप ने उसे परिवार के सभी सदस्यों के सामने खरीखोटी सुना दी. इस से आप की पत्नी की भावनाएं ही आहत नहीं होती हैं उस का सम्मान भी खंडित होता है.

इसी तरह से आप के पति कोई सामान लाएं और उस में कुछ खराब निकल गया और आप ने उन्हें सुना दिया कि आप को तो कोई भी सामान खरीदने का तरीका नहीं आता है. इस से उन की भावनाएं आहत होंगी और आप दोनों के संबंध में न चाहते हुए भी दूरी आने लगेगी. ऐसी स्थिति से बचने के लिए यह जरूरी है कि आप दोनों एकदूसरे की कमियों को दूसरों के सामने जाहिर कर के अपने साथी को अपमानित करने के बजाय एकदूसरे की कमियों को दूर कर के उसे पूरा करने की कोशिश करें. पतिपत्नी एकदूसरे के पूरक होते हैं, आप को अपने जीवन में इस भावना को भरने की जरूरत है. तभी आप अपने जीवनसाथी को पूरा आदरसम्मान दे पाएंगे.

दायित्वों का निर्वाह

कोई भी काम किसी एक का नहीं है. अगर आप अपने मन में यह भावना रखेंगे तो कभी आप दोनों के बीच तकरार नहीं होगी. पतिपत्नी दोनों के लिए यह जरूरी है कि वे किसी काम को किसी एक पर थोपने के बजाय उसे मिलजुल कर करें. ग्लोबलाइजेशन के इस दौर में जब पतिपत्नी दोनों ही कामकाजी हैं, तो ऐसे में पत्नी से यह अपेक्षा करना कि औफिस से आने के बाद घर समेटना, खाना बनाना, बच्चों को होमवर्क कराना सारी उस की जिम्मेदारी है, गलत बात है. घर आप दोनों का है, इसलिए जिम्मेदारियां भी आप दोनों की हैं. अगर आप दोनों एकसाथ मिल कर दायित्वों का निर्वाह करेंगे, तो आप को जीवन में खुशियों का समावेश स्वत: हो जाएगा. अगर आप ने अपनी पत्नी के साथ मिल कर घरेलू कामों को पूरा कर दिया, तो आप छोटे नहीं हो जाएंगे, उलटे इस से आप दोनों के संबंधों में प्रगाढ़ता ही आएगी. पतिपत्नी का संबंध साझेदारी का है, जिस में एकदूसरे के साथ अपना सुखदुख साझा करने के साथसाथ घरबाहर की जिम्मेदारियों में भी साझेदारी निभाने की जरूरत है. तभी आप अपने घर का माहौल हंसीखुशी से परिपूर्ण बना सकते हैं.

बहस है बेकार

यह सच है कि पतिपत्नी के संबंध में प्यार के साथ तकरार भी होती है, लेकिन छोटीछोटी बातों पर एकदूसरे से झगड़ना अच्छी बात नहीं है. अगर आप को अपने साथी की कोई बात अच्छी नहीं लगती है, तो उसे ले कर बेकार की बहस करना अच्छा नहीं है, क्योंकि कब छोटी सी बात भयंकर झगड़े का रूप ले लेती है, पता ही नहीं चलता है. अगर आप दोनों के बीच किसी बात को ले कर मनमुटाव हो गया है, तो एकदूसरे से माफी मांगने में झिझकें नहीं. सुखमय दांपत्य जीवन के लिए यह बेहद जरूरी है कि आप अपने संबंधों के बीच अपने अहं को न आने दें.

एकदूसरे की केयर करते हैं

‘‘आज की बिजी लाइफ में लोग अपना ही खयाल नहीं रख पाते, तो दूसरे का क्या रखेंगे. लेकिन पतिपत्नी के रिश्ते में यह लागू नहीं होता. भले ही वे अपना खुद का ध्यान न रख पाते हों, लेकिन अपने पार्टनर का ध्यान जरूर रखते हैं. यहीं से भावनात्मक जुड़ाव की शुरुआत होती है. वैसे रिश्ते को बेहतर बनाने के लिए दांपत्य जीवन के पुराने ढर्रों से बाहर निकल कर उसे रोमांचित बनाने का भी प्रयास करना चाहिए. इस से बौंडिंग और भी मजबूत होती है.’’

– स्मिता व पोरस चड्ढा, शादी को 5 वर्ष बीत चुके हैं

इन बातों का रखें ध्यान

– सुखमय दांपत्य जीवन के लिए यह जरूरी है कि आप अपने साथी को उस की अच्छाईबुराई के साथ स्वीकार करें. उसे बदलने की कोशिश करने के बजाय उसे समझने की कोशिश करें.

– अपनेआप को अपने साथी से ज्यादा समझदार और महत्त्वपूर्ण समझने के बजाय उस का पूरक बनने की कोशिश करें. इस बात को समझें कि जिस तरह से साइकिल 1 पहिए से नहीं चल सकती है, उसी तरह पतिपत्नी रूपी साइकिल भी 1 पहिए से नहीं चल सकती. जब तक पतिपत्नी दोनों के बीच तालमेल नहीं होगा आप के जीवन में खुशियों का समावेश नहीं होगा.

– अपने जीवनसाथी के साथसाथ उस से जुड़े लोगों को भी पूरा आदरसम्मान दें.

– घर के काम को किसी एक की जिम्मेदारी समझने के बजाय उसे मिलबांट कर निबटाने की कोशिश करें.

– इस बात को समझें कि कोई भी संबंध एकतरफा नहीं चल सकता. अगर आप चाहते हैं कि आप का साथी आप को प्यार करे और आप का सम्मान करे, तो आप को भी ऐसा ही करना होगा.

– अपने जीवनसाथी की भावनाओं का खयाल रखें और महत्त्वपूर्ण दिनों पर उस का मनपसंद उपहार दें.

अच्छे दोस्त भी हैं

‘‘पतिपत्नी का रिश्ता ताउम्र हंसीखुशी निभाने के लिए आपस में दोस्ती का संबंध होना बहुत जरूरी है. यदि दोनों दोस्ती का रिश्ता रखेंगे, तो कभी भी दोनों के मध्य अहंकार का कोई स्थान नहीं होगा. यह सच है कि किसी महिला के लिए एक नए परिवार से जुड़ना, नए रिश्ते निभाना आसान नहीं होता. मगर यह चंद दिनों की बात होती है. बाद में यही अटपटी चीजें प्यारी लगने लग जाती हैं.’’

– डा. मीनाक्षी ओमर व रवि ओमर, शादी को 10 वर्ष बीत चुके हैं

साथी साथ निभाना

– अपने प्रेम को प्रगाढ़ करने के लिए एकदूसरे की भावनाओं को समझें.

– सरप्राइज उपहार दें. पत्नी अगर कामकाजी है और पति औफिस से पहले घर आए तो घर को सजासंवरा कर पत्नी को तारीफ करने का मौका दें.

– पत्नी अस्वस्थ है, तो पति घर पर रह कर पत्नी का खयाल रखे.

– एकसाथ घूमने जाएं. नए प्रेमी की तरह हाथ में हाथ डाले चलें.

– कभीकभी एकदूसरे को फूल उपहार में दें. इस से रिश्ते में गरमाहट बनी रहती है.

– हमेशा खुश रहने की कोशिश करें और संबंधों के बीच कभी भी स्वार्थ, अहं को न आने दें.

मेरे पति किसी दूसरी औरत से बात करते है, मैं क्या करुं?

सवाल-

मैंने शादी के 4 साल बाद एक दिन अपने पति को एक औरत से फोन पर बात करते सुना. औरत उन की पहले की परिचित थी और इस के बारे में उन्होंने स्वयं मुझे बताया था कि इस ने उन्हें प्रपोज किया था पर उन्होंने उस का प्रपोजल ठुकरा दिया था. इस के बाद दोनों में कोई संपर्क नहीं रहा. पर अपने कानों से उस से बातें करते सुन कर मुझे बहुत दुख हुआ. तब मैं ने उन से बात करना बंद कर दिया और उदास रहने लगी. फिर मैं ने भी एक युवक से जो विवाह से पहले मुझे चाहता था, से संपर्क स्थापित कर लिया. पति को जलाने के लिए मैं जानबूझ कर उन के सामने उस युवक से बातचीत करने लगी, जिस का असर यह हुआ कि पति ने अपनी परिचिता से बात करना बंद कर दिया और मुझ पर खूब प्यार लुटाने लगे. ज्यादा से ज्यादा समय घर पर बिताने लगे. तब परिणामस्वरूप मैं ने भी अपने मित्र को गुडबाय कह दिया. मैं पति से बहुत प्यार करती हूं और उन्हें खोना नहीं चाहती. रहरह कर मेरे मन में संदेह उपजता है कि कहीं पति दोबारा पुराना सिलसिला न शुरू कर दें. बताएं, मैं क्या करूं?

जवाब-

पतिपत्नी का रिश्ता आपसी विश्वास पर टिका होता है. आप के पति ने यदि आप के विश्वास को ठेस पहुंचाई थी, तो आप ने क्या किया? आप ने भी उन्हीं की तरह आचरण किया जो ठीक नहीं था. आप उन्हें वैसे भी समझा सकती थीं. पर जो हुआ सो हुआ. हालात सामान्य हो गए, यही खुशी की बात है. आप के पति आप का पूरा ध्यान रखते हैं, आप से प्यार करते हैं, तो आप भी उन्हें दिल खोल कर प्यार करें. इस से उन्हें कहीं और जाने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी. सब से अहम बात यह कि आप अपने दिमाग में शक का कीड़ा न कुलबुलाने दें. पति पर भरोसा करें. सतर्कता बरतें पर जासूसी न करें.

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शादी का बंधन प्यार का बंधन

जो लोग वैलेंटाइन डे को केवल प्यार के इजहार से जोड़ कर देखते हैं, वे इस का सही अर्थ नहीं समझते. वैलेंटाइन डे प्यार के साथसाथ शादी से भी जुड़ा है. रोम में तीसरी शताब्दी के सम्राट क्लाडियस का अपने शासनकाल में यह मानना था कि शादी करने से पुरुषों की शक्ति और बुद्धि कम होती है. इसलिए उस ने अपने सैनिकों और अफसरों के लिए शादी न करने का फरमान जारी कर दिया. संत वैलेंटाइन ने इस बात का विरोध किया और सैनिकों और अफसरों को शादी करने का आदेश दिया. इस से नाराज हो कर क्लाडियस ने 14 फरवरी, 269 को उसे मौत की सजा दे दी. उसी की याद में लोगों ने वैलेंटाइन डे मनाने की शुरुआत की.

वैलेंटाइन डे और शादी के बीच रिश्ते को समझ कर अब भारत में भी युवाओं ने वैलेंटाइन डे को मैरिज डे के रूप में मनाने की शुरुआत कर दी है. इस से कट्टरवादी सोच को करारा जवाब मिला है.

कट्टरवादी लोग वैलेंटाइन डे की कितनी ही आलोचना कर लें, पर प्यार करने वालों के लिए इस दिन का महत्त्व कम होने के बजाय बढ़ता ही जा रहा है. 2015 में होने वाली शादियों की तारीखों को देखा जाए तो सब से अधिक शादियां वैलेंटाइन डे के ही दिन हो रही हैं. होटलों, मैरिज हौलों, ब्यूटीपार्लरों और मैरिज गार्डनों की बुकिंग में सब से ज्यादा मारामारी इसी दिन की है. इस की वजह यह है कि हम सामान्य व्यवहार में उदार होने लगे हैं. हम हर उस त्योहार को मनाने लगे हैं जिसे बहुत सारे लोग मनाते हैं. इस से साफ पता चलता है कि त्योहार अब किसी खास धर्म की बपौती नहीं रह गए हैं. वैलेंटाइन डे, चीनी नया साल, क्रिसमस, ईद, दीवाली आदि सभी लोग मिल कर मनाने लगे हैं. इसी वजह से सामान्य रीतिरिवाज वाले दिनों को पीछे छोड़ कर लोगों ने वैलेंटाइन डे के दिन शादी करने की शुरुआत कर दी है.

स्पैशल दिन बनाने की चाहत

रीतिका कहती हैं, ‘‘मैं अपनी शादी के दिन को स्पैशल दिन बनाना चाहती थी. मुझे लगा कि अगर हम शादी के दिन को पूरी जिंदगी स्पैशल फील करना चाहते हैं, तो क्यों न वैलेंटाइन डे के दिन ही शादी करें. इस से हमें हर साल एक अलग तरह का एहसास अनुभव होता रहेगा. शादी की सफलता में प्यार और रोमांस का सब से अहम रोल होता है. वैलेंटाइन डे के दिन शादी करने से यह हमेशा अनुभव होता रहेगा. हम जब भी अपनी शादी की सालगिरह मनाएंगे एक स्पैशल फीलिंग आती रहेगी.’’

खुशियों का बाजार

हाल के कुछ सालों से वैलेंटाइन डे के दिन प्यार का इजहार करने के लिए बाजार में तरहतरह के ऐसे उत्पाद आने लगे हैं, जो रिश्तों को रोमानी बनाने का पूरा काम करते हैं. होटलों में रुकने, घूमने या खाने जाएं तो वहां की सजावट अलग किस्म की होती है. इस से रोमांस की फीलिंग आती है. पत्रिकाएं, अखबार और टीवी से ले कर दूसरी तमाम जगहों पर केवल और केवल प्यार और रोमांस का माहौल रहता है. सब से खास बात यह कि ज्वैलरी से ले कर कपड़े तक कुछ भी खरीदने के लिए जाएं तो वैलेंटाइन डे औफर की भरमार रहती है. कुल मिला कर इस दिन खुशियों से बाजार भरा रहता है.

मैरिज डे बन गया वैलेंटाइन डे

वैलेंटाइन डे के दिन अपनी शादी की छठी सालगिरह मना रहे अर्पित और पारुल श्रीवास्तव कहते हैं, ‘‘वैलेंटाइन डे के दिन शादी कर के हम ने प्यार के बंधन को शादी के बंधन में बांधने का काम किया है. हमें इस दिन शादी की सालगिरह मना कर बहुत अच्छा अनुभव होता है. प्यार को शादी के बंधन में बांधने का इस से अच्छा दूसरा दिन नहीं हो सकता है. इस दिन हमारे साथ पूरी दुनिया प्यार के इस प्रतीक को मनाती है.’’  लैक्मे ब्यूटी सैलून की संचालक रिचा शर्मा कहती हैं, ‘‘शादी के लिए दुलहन को तैयार करने की सब से अधिक बुकिंग हमारे पास वैलेंटाइन डे के दिन की ही आ रही है. हाल के कुछ सालों से यह चलन धीरेधीरे बढ़ता ही जा रहा है. शादीशुदा कपल्स भी वैलेंटाइन डे के दिन थीम पार्टियों का आयोजन करने लगे हैं, जिस से इस दिन मेकअप कराने वालों की तादाद बढ़ जाती है,’’

समाज में अब रूढियां टूट रही हैं. लोग अपनी जिंदगी को अपनी तरह से जीना चाहते हैं. वे अपनी जिंदगी में किसी भी तरह के धर्म या आडंबर को जगह नहीं देना चाहते हैं.

टूटते आडंबर

वैलेंटाइन डे को पश्चिमी सभ्यता का दिन मान कर जिस तरह से इस का विरोध किया गया था वह गलत था. वैलेंटाइन डे को अपनी शादी का दिन बना कर लोगों ने इस बात को साबित कर दिया है. इन लोगों ने कट्टरवादी लोगों और उन की सोच को करारा जवाब भी दिया है. समय के साथ चलना आज की जरूरत है. ऐसे में जिस दिन पूरी दुनिया खुशी मनाती हो हमें भी उस में शामिल हो जाना चाहिए. हमें धर्म के आडंबरों को इस से दूर रखना चाहिए ताकि हर तरह के लोग एकसाथ मिल कर खुशियां मना सकें.

कुछ साल पहले तक इस दिन सड़कों, पार्कों, सिनेमाहौलों और दूसरी जगहों पर लड़कालड़की का साथ खड़े होना मुश्किल होता था. कुछ कट्टरवादी लोग इस दिन ग्रीटिंग कार्ड तक बिकने नहीं देते थे. शहर और समाज को सुरक्षित रखने के लिए पुलिस और प्रशासन को अलग से सुरक्षा इंतजाम करने पड़ते थे. मगर अब समाज ने कट्टरवादी विचारधारा को दरकिनार कर वैलेंटाइन डे को शादी का दिन बना कर सामाजिक स्वीकृति दे दी है. इस बारे में लखनऊ की अनिता मिश्रा कहती हैं, ‘‘कई देशों में हमारी सोच को दकियानूसी माना जाता है. वैलेंटाइन डे को जिस तरह से हमारे देश ने अपनाया है, उसे एक नई सोच दी है. इस से साफ पता चलता है कि हमारा देश और हमारी सोच दकियानूसी नहीं है. वैलेंटाइन डे को हमारे समाज ने प्यार के दायरे से बाहर निकाल कर परिवार और प्यार दिवस के रूप में मनाने का बड़ा काम किया है. यह बताता है कि हम रूढिवादी ताकतों और सोच को पछाड़ कर आगे बढ़ रहे हैं.’’

परिवार दिवस के रूप में नई पहचान

समाजशास्त्री डाक्टर दीपमाला सचान कहती हैं, ‘‘शादी और प्यार का रिश्ता एकदूसरे का पूरक होता है. ऐसे में प्यार को परिभाषित करने वाले दिन को शादी का दिन बना कर युवाओं ने जो शुरुआत की है वह बहुत सार्थक है. समाज भी इसे स्वीकार रहा है. आने वाले दिनों में यह और प्रचलित होगा. इस से कट्टरता के नाम पर वैलेंटाइन डे का विरोध करने वालों को करारा जवाब मिल रहा है. लोगों ने बता दिया है कि समाज में कट्टरता फैलाने वालों के लिए कोई जगह नहीं रह गई है.’’

वैलेंटाइन डे को जिस तरह से प्यार के साथ जोड़ कर पहले प्रचारप्रसार किया गया था, उस से एक अलग तरह का संदेश युवाओं में गया. इसे उन्होंने लड़कियों को प्रभावित करने का जरीया समझ लिया था. अब इसे परिवार दिवस के रूप में जगह मिल गई है. वैलेंटाइन डे के दिन शादी कर के युवाओं ने इस दिन को परिवार दिवस के रूप में मान्यता देने का काम किया है. इस से समाज में वैलेंटाइन डे की नई पहचान बनी है. इस का विरोध करने वालों को भी अब यह समझ में आने लगा है. यही वजह है कि साल दर साल वैलेंटाइन डे के विरोध की घटनाएं कम होने लगी हैं. वैलेंटाइन डे का विरोध करने वाले केवल प्रतीकात्मक विरोध करने के लिए विरोध प्रदर्शन करने भर तक सीमित रहने लगे हैं.

तीज स्पेशल 10 टिप्स: ऐसे मजबूत होगा पति-पत्नी का रिश्ता

जीवन की खुशियों के लिए पति-पत्नी के रिश्ते को प्यार, विश्वास और समझदारी के धागों से मजबूत बनाना पड़ता है. छोटी-छोटी बातें इग्नोर करनी होती हैं. मुश्किल के समय में एक-दूसरे का सहारा बनना पड़ता है. कुछ बातों का ख्याल रखना पड़ता है. जैसे…

1 मैसेज पर नहीं बातचीत पर निर्भर रहे…

ब्राइघम यूनिवर्सिटी में किए गए एक अध्ययन के मुताबिक जो दंपत्ति जीवन के छोटे-बड़े पलों में मैसेज भेज कर दायित्व निभाते हैं जैसे बहस करना हो तो मैसेजेज, माफी मांगनी हो तो मैसेज, कोई फैसला लेना हो तो मैसेज, ऐसी आदत रिश्तों में खुशी और प्यार कम करती है. जब कोई बड़ी बात हो तो जीवनसाथी से कहने के लिए वास्तविक चेहरे के बजाय इमोजी का सहारा न लें.

2 ऐसे दोस्तों का साथ जिन की वैवाहिक जिंदगी खुशहाल है…

ब्राउन यूनिवर्सिटी में किए गए एक अध्ययन के मुताबिक यदि आप के निकट संबंधी या दोस्त ने डिवोर्स लिया है तो आप के द्वारा भी यही कदम उठाए जाने की संभावना 75% तक बढ़ जाती है. इस के विपरीत यदि आप के प्रियजन सफल वैवाहिक जीवन बिता रहे हैं तो यह बात आप के रिश्ते में भी मजबूती का कारण बनता है.

3 पति-पत्नी बनें बेस्ट फ्रेंड्स…

द नेशनल ब्यूरो औफ इकनोमिक द्वारा किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि जो दंपत्ति एक-दूसरे को बेस्ट फ्रेंड मानते हैं वे दूसरों के देखे अपनी वैवाहिक जिंदगी में दोगुना अधिक संतुष्ट जीवन जीते हैं.

4 छोटी-छोटी बातें भी होती हैं महत्वपूर्ण…

मजबूत रिश्ते के लिए समय-समय पर अपने जीवनसाथी को स्पेशल महसूस कराना जरूरी है. यह जताना भी जरूरी है कि आप उन की केयर करते हैं और उन्हें प्यार करते हैं. इस से तलाक की नौबत नहीं आती. आप भले ही ज्यादा कुछ नहीं पर इतना तो कर ही सकते हैं कि प्यार भरा एक छोटा सा नोट जीवनसाथी के पर्स में डाल दें या दिनभर के काम के बाद उन के कंधों को प्यार से सहला दें.

5 सरप्राइज दें…

उन के बर्थडे या अपनी एनिवर्सरी को खास बनाएं. कभी-कभी उन्हें सरप्राइज दें. ऐसी छोटी-छोटी गतिविधियां आप को उन के करीब लाती हैं. वैसे पुरुष जिन्हे अपनी बीवी से इस तरह का सपोर्ट नहीं मिलता उन के द्वारा तलाक दिए जाने की संभावना दोगुनी ज्यादा होती है. जब कि स्त्रियों के मामले में ऐसा नहीं देखा गया है. इस की वजह यह है कि स्त्रियों का स्वभाव अलग होता है. वे अपने दोस्तों के क्लोज होती हैं. ज्यादा बातें करती हैं. छोटी-छोटी बातों पर उन्हें हग करती हैं. अनजान लोग भी महिलाओं को कौन्प्लीमेंट देते रहते हैं. जबकि पुरुष स्वयं में सीमित रहते हैं. उन्हें फीमेल पार्टनर या पत्नी से सपोर्ट की जरूरत पड़ती है.

6 आपसी विवादों को बेहतर ढंग से करें हैंडल…

पतिपत्नी के बीच विवाद और झगड़े होने बहुत स्वाभाविक है और इन से बचा नहीं जा सकता. मगर रिश्ते की मजबूती इस बात पर निर्भर करती है कि आप इन्हे किस तरह हैंडल करते हैं. अपने जीवनसाथी के प्रति हमेशा सौम्य और शिष्ट व्यवहार करने वालों के रिश्ते जल्द नहीं टूटते. झगड़े या विवाद के दौरान चिल्लाना, अपशब्द बोलना या मारपीट पर उतारू हो जाना रिश्ते में जहर घोलने जैसा है. ऐसी बातें इंसान कभी भूल नहीं पाता और वैवाहिक जिंदगी पर बहुत बुरा असर पड़ता है.

एक अध्ययन में इस बात का खुलासा किया गया है कि कैसे फाइटिंग स्टाइल आप की मैरिज को प्रभावित करती है. शादी के 10 साल बाद वैसे कपल्स जिन्होंने तलाक ले लिया और वैसे कपल्स जो अपने जीवनसाथी के साथ खुशहाल जिंदगी जी रहे थे, के बीच जो सब से महत्वपूर्ण अंतर पाया गया वह था शादी के 1 साल के अंदर के अंदर उन के आपसी विवाद और झगड़ों को निपटाने का तरीका.

कपल्स जिन्होंने शादी के प्रारंभिक वर्षों में ही अपने जीवनसाथी के साथ समयसमय पर क्रोध और नकारात्मक लहजे के साथ व्यवहार किया उन का तलाक 10 सालों के अंदर हो गया. अली इयर्स ऑफ मैरिज प्रोजेक्ट में भी अमेरिकी शोधकर्ता ओरबुच ने यही पाया कि अच्छा, जिंदादिल रवैया और मधुर व्यवहार रहे तो परेशानियों के बीच भी कपल्स खुश रह सकते हैं.  इस के विपरीत मारपीट और उदासीनता भरा व्यवहार रिश्ते को कमजोर बनाता है.

7 बातचीत का विषय हो विस्तृत…

पति-पत्नी के बीच बातचीत का विषय घरेलू मामलों के अलावा भी कुछ होना चाहिए. अक्सर कपल्स कहते हैं कि हम तो आपस में बातें करते ही रहते हैं. संवाद की कोई कमी नहीं. पर जरा गौर करें कि आप बातें क्या करते हैं. हमेशा घर और बच्चों के काम की बातें करना ही पर्याप्त नहीं होता. खुशहाल दंपति वे होते हैं जो आपस में अपने सपने, उम्मीद, डर, ख़ुशी और सफलता सबकुछ बांटते हैं. एकदूसरे को जानने समझने का प्रयास करते हैं. किसी भी उम्र में और कभी भी रोमांटिक होना जानते हैं.

8 अच्छे समय को करे सेलिब्रेट…

जर्नल औफ पर्सनैलिटी और सोशल साइकोलौजी में प्रकाशित एक रिसर्च के मुताबिक अच्छे समय में पार्टनर का साथ देना तो अच्छा है पर उस से भी जरूरी है कि दुख, परेशानी और कठिन समय में अपने जीवनसाथी के साथ खड़ा होना. पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन पर मोनिका लेविंस्की ने जब यौन शोषण का आरोप लगाया, उस वक्त भी हिलेरी क्लिंटन ने अपने पति का साथ नहीं छोड़ा. उन दिनों के साथ ने दोनों के रिश्ते को और भी मजबूत बना दिया.

9 रिस्क लेने से न घबराएं…

पति-पत्नी के बीच यदि नोवेल्टी, वैरायटी और सरप्राइज का दौर चलता रहता है तो रिश्ते में भी ताजगी और मजबूती बनी रहती है. साथ मिल कर नएनए एक्साइटमेंटस से भरी एक्टिविटीज में इन्वौल्व हों, नई-नई  जगह घूमने जाएं, रोमांचक सफर का मजा ले, लौन्ग ड्राइव पर जाएं, एक-दूसरे को खानेपीने, घूमने, हसने ,मस्ती करने और समझने के नए-नए औप्शन दे. कभी भी रिश्ते में नीरसता और उदासीनता को झांकने न दे. जिंदगी को नई-नई सरप्राइज से सजा कर रखे.

10 केवल प्यार काफी नहीं…

हम जिंदगी में अपने हर तरह के कमिटमेंट्स के लिए पूरा समय देते हैं. ट्रेनिंग्स लेते हैं. प्रयास करते हैं ताकि हम उसे बेहतर तरीके से आगे ले जा सके जैसे खिलाड़ी खेल के टिप्स सीखता रहता है, लौयर किताबें पढ़ता है, आर्टिस्ट्स वर्कशौप्स करता है. उसी तरह शादी को सफल बनाने के लिए हमें कुछ न कुछ नया सीखने और करने को तैयार रहना चाहिए.  सिर्फ अपने पति/पत्नी को प्यार करना ही काफी नहीं. उस प्यार का अहसास कराना और उस की वजह से मिलने वाली खुशी को सेलिब्रेट करना भी जरूरी है. साइंटिफिक दृष्टि से देखें तो इस तरह के नए-नए अनुभव शरीर में डोपामिन सिस्टम को एक्टिवेट करते हैं जिस से आप का दिमाग शादी के प्रारंभिक वर्षों में महसूस करने वाले रोमांटिक पलों को जीने का प्रयास करता है. एक-दूसरे को सकारात्मक बातें कहना तारीफ करना और साथ रहना रिश्ते में मजबूती लाता है.

तीज 2023: सफल शादी के राज, सूरत नहीं सीरत

लड़के की हाइट कितनी है? कम तो नहीं है. हमें तो अच्छी हाइट का लड़का चाहिए. रिश्ता आने के बाद सबसे पहले पूछा जाने वाला प्रश्न . आखिर हमारा समाज हमेशा ही ऐसा क्यों मानता है कि लड़के को  हमेशा ही लड़की से हाइट में लंबा होना चाहिए .अगर लड़का लंबा और लड़की उससे कम हाइट की हो  तब ही उनकी जोड़ी अच्छी क्यों लगती है? क्या इसके पीछे कोई ठोस कारण है या फिर यह महज़ हमारा  एक मानसिक विकार है.

ऐसा क्यों हैं ? क्या यह कोई सामाजिक ठप्पा है जो शादी के सर्टिफिकेट पर लगना ही चाहिए?

दोस्तों आजकल हमारे समाज में यह अजीब सा प्रचलन हो चला है कि हम अपने जीवन साथी को अपनी निगाह से ज्यादा दूसरों की निगाहों से देखना पसंद करते हैं. अगर दूसरे बोलते हैं कि आपका साथी अच्छा है तो आप खुश होते हैं और  अगर वही लोग आपके साथी में कमियाँ निकालते हैं तो हमें भी अपने साथी में हजारों कमियां नज़र आने लगती है. यह गलत है क्योंकि केवल आप ही अपने जीवनसाथी की आंतरिक सुंदरता को पहचानते हैं.

यदि आप एक ऐसे व्यक्ति हैं जो “लोग क्या कहेंगे” के बारे में बहुत सोचता है, तो मेरा विश्वास करो कि लोग हमेशा कुछ कहेंगे.हाइट तो सिर्फ संख्या है.अगर आप समाज और दूसरे लोगों की इतनी परवाह करेंगे और यह सोचेंगे की दूसरे लोग आपके बारे में क्या सोचते है तो यकीन मानिए आप कभी खुश नहीं रह पाएंगे.यह सोच  आपको हमेशा परेशान करती रहेगी.

अगर आपके पार्टनर में कोई कमी है तो यकीन मानिए कि आप से ज्यादा उसे यह चीज परेशान करती है और अगर आप भी उस पर कमेंट करेंगे तो वह अपना आत्म विश्वास  खो देगा. कमेंट करने की जगह उसका सहारा बनिए. उसे महसूस कराइए कि उसमे कोई कमी नहीं है और वह आपके लिए एकदम परफेक्ट है.

आपको यह दिखावा करने की ज़रूरत नहीं है कि वह लंबा है.बिना किसी वजह उसकी इस कमी पर ध्यान न देने की कोशिश करें. यदि आप उसके दोस्तों या अन्य लोगों को उसकी ऊंचाई के बारे में मजाक करते हुए नोटिस करते हैं, तो आपको निश्चित रूप से कभी भी इसमें शामिल नहीं होना चाहिए. आपकी यह प्रतिक्रिया उसे बहुत बेहतर महसूस कराएगी. आपका साथी इस बात की थोड़ी परवाह कर सकता है कि दूसरे क्या सोचते हैं, लेकिन वह इस बात को ज्यादा तवज्जो देगा कि आप क्या सोचते हैं.उसके साथ ईमानदार रहें और  उसे समय- समय पर महसूस कराते रहें कि वो अभी भी आपके लिए आकर्षक हैं इससे उसे पता चल जाएगा कि आप उसे कितना चाहते हैं  और उसकी हाइट आपके लिए कोई मायने नहीं रखती. अगर आप उसकी इस एक कमी को नज़रंदाज़ करेंगे तो यकीन मानिये वो भी आपकी हजारों कमियों को नज़रंदाज़ करेगा. आप अपने जीवनसाथी से  दिल और आत्मा से प्यार करना सीखें क्योंकि वे ही कीमती  चीजें हैं बाकि तो सब दिखावा है.

मैं ये नहीं कहती की शादी के लिए आप अपने जीवनसाथी की शारीरिक विशेषताओं पर ध्यान न दें लेकिन शारीरिक विशेषताओं के साथ -साथ आंतरिक सुन्दरता भी बहुत जरूरी है.

हममें से ज्यादातर लोग रिश्तों में धोखा खाते है और अंत तक कभी भी सही व्यक्ति को नहीं पा पाते, क्योंकि हमारी पहली प्रमुखता ही रूप और कद काठी होती है हमें कभी लोगों के चरित्र और आत्मा की परवाह होती ही नहीं. हमें यह नहीं भूलना चाहिए, अगर दिल या आत्मा खोखली है, तो किसी भी तरह का अच्छा लुक किसी को खूबसूरत नहीं बनाता . हमें लोगों को  उनकी शारीरिक बनावट पर निर्णय लेने के बजाय, उनकी आंतरिक सुंदरता को समझना महत्वपूर्ण है.

यदि आप अपने जीवन-साथी के रूप में सिर्फ उसके शारीरिक सौंदर्य की तलाश कर रहें है तो यकीन मानिये की आप अभी शादी करने के लिए पूरी तरह  परिपक्व नहीं हैं.

शादी दो दिलों और आत्माओं का मिलन है और एक दूसरे से जीवन भर प्यार करने का वादा है. आसमां में जोड़ियाँ वो सबकी बनाता है,जिसपे जिसका नाम लिखा वो उसे मिल जाता है.

हमारी शादीशुदा जिंदगी को खुशहाल बनाने के लिए कुछ उपाय बताएं?

सवाल

मैं 26 वर्षीय युवती हूं. विवाह को 2 वर्ष हो चुके हैं. हमारी सैक्स लाइफ ठीक नहीं है. हम दोनों का वजन काफी अधिक है. इस के अलावा वे हमेशा थकेथके रहते हैं. ऐसा कोई उपाय बताएं जिस से हमारी शादीशुदा जिंदगी खुशहाल हो सके.

जवाब

व्यायाम, सैर करने के अलावा आप को अपने खानपान पर भी समुचित ध्यान देने की आवश्यकता है. बेहतर होना कि किसी आहार विशेषज्ञ से अपना डाइट चार्ट बनवा लें और उसी के अनुसार दिनचर्या बनाएं. वजन से छुटकारा पा लेने के बाद आप की समस्याएं स्वत: सुलझ जाएंगी. संतानोत्पत्ति के लिए भी आप को अपने वजन को कम करना आवश्यक है.

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सफल वैवाहिक जीवन के सूत्र

‘‘समीर, कितनी देर कर दी लौटने में? तुम्हारा इंतजार मुझे बेचैन कर देता है.’’

‘‘ओह सीमा, क्या सचमुच मुझ से इतना प्यार करती हो?’’ समीर भावुक हो उठे.

‘‘देखो, कितने मैसेज भेजे हैं तुम्हें?’’

‘‘क्या करूं, डार्लिंग. दफ्तर में काम बहुत ज्यादा है,’’ समीर ने सीमा को कस कर अपनी बांहों में भींच लिया. फिर जेब से फिल्म के 2 टिकट निकाल कर बोले, ‘‘आज की शाम तुम्हारे नाम. पहले एक कप गरम कौफी हो जाए, फिर फिल्म. डिनर किसी अच्छे रेस्तरां में करेंगे.’’ समीर ने प्यार से पत्नी की आंखों में झांका तो उस ने अपना सिर समीर की चौड़ी छाती पर टिका दिया. करीब 4 साल बाद.

‘‘समीर, आज एटीएम से कुछ पैसे निकाल लेना.’’

‘‘हद करती हो. पिछले हफ्ते ही तो 2 हजार रुपए निकाल कर दिए थे.’’

‘‘2 हजार में कोई इलास्टिक तो लगी नहीं थी कि पूरा महीना चल जाते.’’

‘‘फिर भी, थोड़ा कायदे से खर्चा किया करो. बैंक में नोटों का पेड़ तो लगा नहीं है कि जब चाहा तोड़ लिए.’’ रोजमर्रा की जिंदगी में अपने इर्दगिर्द हम ऐसे कई उदाहरण देखते हैं. अपनी निजी जिंदगी में भी ऐसा ही कुछ महसूस करते हैं. दरअसल, विवाह के शुरुआती दिनों में, पतिपत्नी एकदूसरे के गुणों और आकर्षण से इस कदर प्रभावित होते हैं कि अवगुणों की तरफ उन का ध्यान जाता ही नहीं. जाता भी है तो उसे नजरअंदाज कर देते हैं. धीरेधीरे जब घर बसाने और घर चलाने की जिम्मेदारी आ पड़ती है तो तकरार, बहस और समझौते की प्रक्रिया शुरू हो जाती है और दोनों एकदूसरे पर दोष मढ़ना शुरू कर देते हैं, जबकि सचाई यह है कि शादी के शुरू के बरसों में सैक्स का आकर्षण तीव्र होने के कारण ये नजदीकियां बनी रहती हैं और धीरेधीरे जब सैक्स में संतुष्टि होने लगती है तो उत्तेजना कम होने लगती है और पहले वाला आकर्षण नहीं रह पाता. फलत: उन के संबंध उबाऊ होने लगते हैं.

प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक रौबर्ट स्टर्नबर्ग ने ‘टैं्रगुलर थ्योरी औफ लव’ के अंतर्गत कहा है कि आदर्श विवाह वह है, जिस में 3 गुणों का समावेश हो- इंटीमेसी (घनिष्ठता), कमिटमैंट (समर्पण) और पैशन (एकदूसरे के नजदीक रहने की गहरी इच्छा). तीनों गुणों का संतुलन ही वैवाहिक जीवन को सफल बनाता है. विवाह के कुछ सालों बाद यदि पति शेव कर रहा हो और बगल से गुजरती पत्नी की उस से टक्कर हो जाए तो उसे बाहुपाश में लेने के बजाय, ‘‘अरे यार, जरा देख कर चलो,’’ यही वाक्य उस के मुंह से निकलेगा. ऐसा नहीं है कि एक अंतराल के बाद उभरती दूरी को मिटाया नहीं जा सकता. आदर्श स्थिति तो यह होगी कि ऐसी दूरी ही न आए. कैसे, आइए, देखें:

स्वयं को आकर्षक बनाए रखें

यदि आप अपनेआप को घर में आकर्षक बना कर नहीं रखतीं तो आप के पति यह समझ सकते हैं कि आप उन की पसंद की चिंता नहीं करतीं. ‘विवाह के 10 साल बाद भी आप अपने पति को आकर्षित कर सकती हैं’ यह फीलिंग ही आप को गुदगुदा देती है. पति के मुंह से ‘लुकिंग ब्यूटीफुल’ सुन कर आप स्वयं को मिस यूनीवर्स से कम नहीं समझेंगी.

प्यार के समय को बदलिए

अगर आप प्यार के समय को, रात के लिए और अंतिम कार्य के रूप में छोड़ती हैं तो इसे सुबह अपनाइए. प्यार को शयनकक्ष तक सीमित रखने के बजाय प्यार के क्षणों को पहचानिए और उन का उपयोग कीजिए. ड्राइंगरूम, रसोई, बगीचा या जहां कहीं भी आप को मौका मिले, आप इन क्षणों का उपयोग कीजिए.

एकांत का सदुपयोग करें

यदि परिवार संयुक्त हो या बच्चे दिन भर आप के पास रहते हों तो आप को एकांत नहीं मिलता. कुछ समय के लिए बच्चों को घर से बाहर भेज दें या खुद घर से बाहर निकल कर कुछ समय एकसाथ एकांत में बिताएं, नजदीकियां बढ़ेंगी.

प्यार के अलगअलग तरीकों को अपनाएं

प्यार को नीरस या उबाऊ नित्यक्रिया बनाने के बजाय, अच्छा होगा कि सप्ताह 2 सप्ताह के लिए इसे बंद कर दें और जब आप की वास्तविक इच्छा हो तभी प्यार के क्षणों का आनंद लें. प्यार के अलगअलग तरीकों को अपनाइए, इस से भी संबंधों में नवीनता आएगी.

दूर करें भ्रांतियां

दरअसल, संस्कार और परंपरागत मूल्यों के नाम पर हमेशा से ही सैक्स के प्रति हमारे मनमस्तिष्क में अनावश्यक भ्रांतियां भर दी जाती हैं. इस के कारण हम में से कुछ लोग सैक्स को अनैतिक समझने लगते हैं और एक मजबूरी के तौर पर निभाते हैं. यह ठीक है कि सैक्स के प्रति संयम और शालीनता का व्यवहार आवश्यक है, लेकिन जब यही भाव दांपत्य जीवन में मानसिक ग्रंथि का रूप धारण कर लेता है, तब पतिपत्नी दोनों का जीवन भी पूरी तरह अव्यवस्थित हो जाता है.

एकदूसरे की भावनाओं को समझें

दांपत्य जीवन को खुशहाल बनाए रखने के लिए यह जरूरी है कि दंपती एकदूसरे की शारीरिक जरूरतों को ही नहीं, भावनात्मक जरूरतों को भी समझें. यदि आप के मन में किसी विषय को ले कर किसी प्रकार का संशय या सवाल है तो इस बारे में अपने जीवनसाथी से खुल कर बात करें. अपनी इच्छाओं का खुल कर इजहार करें. लेकिन हर बार केवल अपनी बात मनवाने की जिद से आप के साथी के मन में झुंझलाहट पैदा हो सकती है. इसलिए अपनी इच्छाओं की संतुष्टि के साथसाथ अपने साथी की संतुष्टि का भी ध्यान रखें.

इन बातों का भी ध्यान रखें:

एकदूसरे के प्रति अपने प्यार को प्रदर्शित करें.

रोजमर्रा की समस्याएं बेडरूम तक न ले जाएं.

अनावश्यक थकाने वाले कामों से बचें.

अगर प्यार को आप वास्तव में महत्त्व देती हैं तो अनावश्यक व्यस्तताओं से बचें.

मीठीमीठी, प्यारीप्यारी बातें कर के, स्पर्श या चुंबन द्वारा आप अपने साथी को सैक्स के लिए धीरेधीरे प्रेरित करें.

यदि किसी कारणवश आप की इच्छा न हो तो आप के इनकार में भी प्यार और वह अदा होनी चाहिए कि आप का जीवनसाथी बिना किसी नाराजगी के आप की बात मान ले.

समय के साथसाथ आप के जीवनसाथी में परिपक्वता और परिस्थितियों का विश्लेषण और आकलन करने की क्षमता बढ़ती जाती है. जिस बात के लिए ब्याह के शुरुआती दिनों में वह तुरंत हामी भर देता था, अब सोचविचार कर हां या न कहेगा. इसलिए किसी भी मसले को धैर्यपूर्वक सुलझाएं. यकीन मानिए, इस तरह आप दोनों का रिश्ता न सिर्फ प्रगाढ़ होता जाएगा, बल्कि इस के साथ ही आप का दांपत्य जीवन भी नीरस नहीं होगा. उस में बेशुमार खुशियां भी शामिल हो पाएंगी.

लिव इन रिलेशनशिप में रहने के लिए क्या सावधानी बरतनी चाहिए?

सवाल-

मैं अपने बौयफ्रैंड के साथ लिव इन रिलेशनशिप में रहना चाहती हूं. मैं जानना चाहती हूं कि इस दौरान जब हम शारीरिक संबंध बनाएं तो हमें क्याक्या सावधानी बरतनी चाहिए, ताकि मैं गर्भवती न होऊं?

जवाब-

शारीरिक संबंध बनाने के उपरांत गर्भधारण से बचने के लिए आप को अपनी सुविधानुसार कोई गर्भनिरोधक प्रयोग करना चाहिए. 

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आज राहुल के दोस्त विनय के बेटे का नामकरण था, इसलिए वह औफिस से सीधे उस के घर चला गया था.

वैसे, राहुल को ऐसे उत्सव पसंद नहीं आते थे, पर विनय के आग्रह पर उसे वहां जाना ही पड़ा, क्योंकि विनय उस का जिगरी दोस्त जो था.

‘‘यार, अब तू भी सैटल हो ही जा, आखिर कब तक यों ही भटकता रहेगा,’’ फंक्शन खत्म होने के बाद नुक्कड़ वाली पान की दुकान पर पान खाते हुए विनय ने राहुल से कहा. ‘‘नहीं यार,’’ राहुल पान चबाता हुआ बोला, ‘‘तुझे तो पता है न कि मुझे इन सब झमेलों से कितनी कोफ्त होती है?

‘‘भई, मैं तो अपनी पूरी जिंदगी पति नाम का पालतू जीव बन कर नहीं गुजार सकता. मैं सच कहूं तो मुझे शादी के नाम से ही चिढ़ है और बच्चा… न भई न.’’

‘‘अच्छा यार, जैसी तेरी मरजी,’’ इतना कह कर विनय खड़ा हुआ, ‘‘पर हां, एक बात तेरी जानकारी के लिए बता दूं कि मेरी पत्नी राशि की मुंहबोली बहन करिश्मा फिदा है तुझ पर. उस बेचारी ने जब से तुझे मेरी शादी में देखा है तब से वह तेरे नाम की रट लगाए बैठी है. उस ने जो मुझ से कहा वह मैं ने तुझे बता दिया, अब आगे तेरी मरजी.’’

उस के बाद काफी समय तक दोनों की मुलाकात नहीं हो पाई, क्योंकि अपने घर वालों के तानों से तंग आ कर अब राहुल ज्यादातर टूर पर ही रहता था.

‘‘न जाने क्या है हमारे बेटे के मन में, लगता है पोते का मुंह देखे बिना ही मैं इस दुनिया से चली जाऊंगी,’’ जबजब राहुल की मां उस से यह कहतीं, तबतब राहुल की बेचैनी बहुत बढ़ जाती.

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सास के कारण मैं परेशान हो गया हूं, मैं क्या करुं?

सवाल-

मेरा 2 वर्ष पूर्व ही विवाह हुआ है. मेरी 45 वर्षीय सास बेहद खूबसूरत है. वह विधवा है और अकेली रहती है. एक दिन मैं किसी काम से ससुराल गया तो वह टीवी पर ब्लू फिल्म देख रही थी. मुझे देख कर शरमा गई, पर फिल्म बंद नहीं की. कनखियों से मुझे देखती रही. धीरेधीरे हम दोनों ही उत्तेजित होने लगे और फिर आलिंगनचुंबन करतेकरते हमबिस्तर हो गए. उस दिन से यह सिलसिला लगातार चल रहा है. मैं डरता भी हूं पर खुद पर नियंत्रण नहीं कर पाता. कहीं मैं संकट में तो नहीं पड़ जाऊंगा?

जवाब-

आप की कुछ समय पहले ही शादी हुई है. घर में जवान पत्नी है बावजूद इस के आप उस की अधेड़ उम्र मां (जो आप के लिए भी मां समान है) से अवैध संबंध बना रहे हैं. सब से हैरतअंगेज तो आप की सास का व्यवहार है, जो अपनी ही बेटी के घर में सेंध लगा रही है. जरा सोचिए, यदि आप की पत्नी को कभी आप के रिश्ते की भनक लग गई तो उस पर क्या गुजरेगी. अवैध संबंध ज्यादा दिनों तक छिपे नहीं रहते. देरसवेर जगजाहिर हो ही जाते हैं. तब आप का दांपत्य जीवन तो तहसनहस होगा ही समाज में बदनामी भी होगी. अत: समय रहते संभल जाएं.

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धोखा देना इंसान की फितरत है फिर चाहे वह धोखा छोटा हो या फिर बड़ा. अकसर इंसान प्यार में धोखा खाता है और प्यार में ही धोखा देता है. लेकिन आजकल शादी के बाद धोखा देने का एक ट्रेंड सा बन गया है. शादी के बाद लोग धोखा कई कारणों से देते हैं. कई बार ये धोखा जानबूझकर दिया जाता है तो कई बाद बदले लेने के लिए. इतना ही नहीं कई बार शादी के बाद धोखा देने का कारण होता है असंतुष्टि. कई बार तलाक का मुख्‍य कारण धोखा ही होता है. लेकिन ये जानना भी जरूरी है कि शादी के बाद धोखा देना कहां तक सही है, शादी के बाद धोखे की स्थिति को कैसे संभालें. क्या करें जब आपका पार्टनर आपको धोखा दे रहा है.

पूरी खबर पढ़ने के लिए- शादी के बाद धोखा देने के क्या होते हैं कारण

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