पति पत्नी का संबंध बेहद संवेदनशील होता है, जिस में अपने साथी के साथ प्यार होने के साथसाथ एकदूसरे के प्रति अपनी जिम्मेदारियों और कर्तव्यों के निर्वाह का भाव भी होना जरूरी है. जब हम अपने साथी के प्रति अपने दायित्वों का ईमानदारी से निर्वाह करते हैं, तो हमें अपने अधिकारों को मांगने की जरूरत नहीं पड़ती. वे स्वत: मिल जाते हैं. लेकिन जब हम अपने कर्तव्यों को तिलांजलि दे देते हैं और अधिकारों की मांग करते हैं, तो फिर यहीं से शुरुआत होती है प्रेमपूर्ण संबंधों में टकराव की. जैसाकि अनिल और रोमा के साथ हुआ.
‘‘यह क्या है, सारे कपड़े बिखरे पड़े हैं. जरा सी भी तमीज नहीं है,’’ घर को अस्तव्यस्त देख कर औफिस से आते ही अनिल का पारा चढ़ गया.
किचन में खाना बनाती रोमा उस की बात सुन कर एकदम से बोल पड़ी, ‘‘सामान बिखरा पड़ा है, तो ठीक कर दो न, क्या मेरी ही जिम्मेदारी है कि मैं ही घर के सारे काम करूं? मैं भी तो औफिस जाती हूं. लेकिन घर आने के बाद सारा काम मुझे ही करना पड़ता है. तुम तो सब्जी तक नहीं लाना चाहते. औफिस से आते ही खाना बनाऊं या घर समेटूं? खाने में देर होने पर भी तुम्हारा पारा चढ़ जाता है. खाना भी समय पर मिलना चाहिए और घर भी सजासंवरा. मैं भी इनसान हूं कोई मशीन नहीं.’’
रोमा की बात सही थी, लेकिन उस का कहने का तरीका तीखा था, जो अनिल को चुभ गया. फिर क्या था छोटी सी बात झगड़े में बदल गई और 3 दिनों तक दोनों में बोलचाल बंद रही.
एकदूसरे को समझें
आमतौर पर ऐसी स्थिति हर उस घर में होती है, जहां पतिपत्नी दोनों वर्किंग होते हैं. वहां काम को ले कर आपस में चिकचिक होती रहती है. इस का कारण यह है कि पति को पत्नी का पैसा तो चाहिए, लेकिन उस के काम में हाथ बंटाना उसे गंवारा नहीं. ऐसा नहीं है कि इस तरह की खटपट सिर्फ कामकाजी पतिपत्नी के बीच ही होती है. जो पत्नियां हाउसवाइफ हैं, उन के पति उन के बारे में यही सोचते हैं कि वे दिन भर औफिस में काम करते हैं और बीवी घर पर आराम करती है. जबकि सच यह है कि हाउसवाइफ भी दिन भर घरपरिवार की जिम्मेदारियों में आराम करने की फुरसत नहीं पाती है. सच तो यह है कि पतिपत्नी के बीच तकरार का कारण उन का एकदूसरे को न समझना और एकदूसरे के काम को कम आंकना है.
जब तक हम अपने साथी के प्रति प्रेम और आदर का भाव नहीं रखेंगे और उसे और उस के परिवार के सदस्यों को अपना नहीं समझेंगे, तब तक हम सुखमय पारिवारिक जीवन की कल्पना चाह कर भी नहीं कर सकते.
प्यार दो प्यार लो
प्यार कभी भी एकतरफा नहीं हो सकता है. अगर आप चाहते हैं कि आप का साथी आप को सराहे, तो इस के लिए यह बेहद जरूरी है कि आप भी उसे उसी शिद्दत से प्यार करें, जिस तरह से वह करता है. सच तो यह है कि एकतरफा संबंधों की उम्र ज्यादा लंबी नहीं होती है. जब आप किसी के साथ वैवाहिक बंधन में बंध जाते हैं, तो यह बात बहुत ज्यादा महत्त्वपूर्ण हो जाती है कि आप अपने साथी को उसी रूप में चाहें जैसा वह है. अगर आप उसे बदलने की कवायद में लग जाएंगे, तो आप दोनों के बीच कभी भी सहज प्रेमसंबंध नहीं बन पाएंगे. खुश रहने के लिए यह बेहद जरूरी है कि आप दोनों एकदूसरे से बिना शर्त प्यार करें.
थोड़ा आदर थोड़ा सम्मान
प्यार भरे संबंधों के लिए एकदूसरे को प्यार करने और एकदूसरे की भावनाओं की कद्र करने के साथसाथ यह भी बेहद जरूरी है कि आप अपने साथी को वही आदरसम्मान दें, जिस की आप उस से अपेक्षा करते हैं. अगर आप को अपने साथी की कोई बात अच्छी नहीं लगती है या आप को उस से शिकायत है, तो उसे चार लोगों के सामने बुराभला कहने के बजाय अकेले में बात करना उचित होता है.
माना कि आप की पत्नी ने खाना बनाया और उस में थोड़ा सा नमक ज्यादा हो गया, मगर आप ने उसे परिवार के सभी सदस्यों के सामने खरीखोटी सुना दी. इस से आप की पत्नी की भावनाएं ही आहत नहीं होती हैं उस का सम्मान भी खंडित होता है.
इसी तरह से आप के पति कोई सामान लाएं और उस में कुछ खराब निकल गया और आप ने उन्हें सुना दिया कि आप को तो कोई भी सामान खरीदने का तरीका नहीं आता है. इस से उन की भावनाएं आहत होंगी और आप दोनों के संबंध में न चाहते हुए भी दूरी आने लगेगी. ऐसी स्थिति से बचने के लिए यह जरूरी है कि आप दोनों एकदूसरे की कमियों को दूसरों के सामने जाहिर कर के अपने साथी को अपमानित करने के बजाय एकदूसरे की कमियों को दूर कर के उसे पूरा करने की कोशिश करें. पतिपत्नी एकदूसरे के पूरक होते हैं, आप को अपने जीवन में इस भावना को भरने की जरूरत है. तभी आप अपने जीवनसाथी को पूरा आदरसम्मान दे पाएंगे.
दायित्वों का निर्वाह
कोई भी काम किसी एक का नहीं है. अगर आप अपने मन में यह भावना रखेंगे तो कभी आप दोनों के बीच तकरार नहीं होगी. पतिपत्नी दोनों के लिए यह जरूरी है कि वे किसी काम को किसी एक पर थोपने के बजाय उसे मिलजुल कर करें. ग्लोबलाइजेशन के इस दौर में जब पतिपत्नी दोनों ही कामकाजी हैं, तो ऐसे में पत्नी से यह अपेक्षा करना कि औफिस से आने के बाद घर समेटना, खाना बनाना, बच्चों को होमवर्क कराना सारी उस की जिम्मेदारी है, गलत बात है. घर आप दोनों का है, इसलिए जिम्मेदारियां भी आप दोनों की हैं. अगर आप दोनों एकसाथ मिल कर दायित्वों का निर्वाह करेंगे, तो आप को जीवन में खुशियों का समावेश स्वत: हो जाएगा. अगर आप ने अपनी पत्नी के साथ मिल कर घरेलू कामों को पूरा कर दिया, तो आप छोटे नहीं हो जाएंगे, उलटे इस से आप दोनों के संबंधों में प्रगाढ़ता ही आएगी. पतिपत्नी का संबंध साझेदारी का है, जिस में एकदूसरे के साथ अपना सुखदुख साझा करने के साथसाथ घरबाहर की जिम्मेदारियों में भी साझेदारी निभाने की जरूरत है. तभी आप अपने घर का माहौल हंसीखुशी से परिपूर्ण बना सकते हैं.
बहस है बेकार
यह सच है कि पतिपत्नी के संबंध में प्यार के साथ तकरार भी होती है, लेकिन छोटीछोटी बातों पर एकदूसरे से झगड़ना अच्छी बात नहीं है. अगर आप को अपने साथी की कोई बात अच्छी नहीं लगती है, तो उसे ले कर बेकार की बहस करना अच्छा नहीं है, क्योंकि कब छोटी सी बात भयंकर झगड़े का रूप ले लेती है, पता ही नहीं चलता है. अगर आप दोनों के बीच किसी बात को ले कर मनमुटाव हो गया है, तो एकदूसरे से माफी मांगने में झिझकें नहीं. सुखमय दांपत्य जीवन के लिए यह बेहद जरूरी है कि आप अपने संबंधों के बीच अपने अहं को न आने दें.
एकदूसरे की केयर करते हैं
‘‘आज की बिजी लाइफ में लोग अपना ही खयाल नहीं रख पाते, तो दूसरे का क्या रखेंगे. लेकिन पतिपत्नी के रिश्ते में यह लागू नहीं होता. भले ही वे अपना खुद का ध्यान न रख पाते हों, लेकिन अपने पार्टनर का ध्यान जरूर रखते हैं. यहीं से भावनात्मक जुड़ाव की शुरुआत होती है. वैसे रिश्ते को बेहतर बनाने के लिए दांपत्य जीवन के पुराने ढर्रों से बाहर निकल कर उसे रोमांचित बनाने का भी प्रयास करना चाहिए. इस से बौंडिंग और भी मजबूत होती है.’’
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इन बातों का रखें ध्यान
– सुखमय दांपत्य जीवन के लिए यह जरूरी है कि आप अपने साथी को उस की अच्छाईबुराई के साथ स्वीकार करें. उसे बदलने की कोशिश करने के बजाय उसे समझने की कोशिश करें.
– अपनेआप को अपने साथी से ज्यादा समझदार और महत्त्वपूर्ण समझने के बजाय उस का पूरक बनने की कोशिश करें. इस बात को समझें कि जिस तरह से साइकिल 1 पहिए से नहीं चल सकती है, उसी तरह पतिपत्नी रूपी साइकिल भी 1 पहिए से नहीं चल सकती. जब तक पतिपत्नी दोनों के बीच तालमेल नहीं होगा आप के जीवन में खुशियों का समावेश नहीं होगा.
– अपने जीवनसाथी के साथसाथ उस से जुड़े लोगों को भी पूरा आदरसम्मान दें.
– घर के काम को किसी एक की जिम्मेदारी समझने के बजाय उसे मिलबांट कर निबटाने की कोशिश करें.
– इस बात को समझें कि कोई भी संबंध एकतरफा नहीं चल सकता. अगर आप चाहते हैं कि आप का साथी आप को प्यार करे और आप का सम्मान करे, तो आप को भी ऐसा ही करना होगा.
– अपने जीवनसाथी की भावनाओं का खयाल रखें और महत्त्वपूर्ण दिनों पर उस का मनपसंद उपहार दें.
अच्छे दोस्त भी हैं
‘‘पतिपत्नी का रिश्ता ताउम्र हंसीखुशी निभाने के लिए आपस में दोस्ती का संबंध होना बहुत जरूरी है. यदि दोनों दोस्ती का रिश्ता रखेंगे, तो कभी भी दोनों के मध्य अहंकार का कोई स्थान नहीं होगा. यह सच है कि किसी महिला के लिए एक नए परिवार से जुड़ना, नए रिश्ते निभाना आसान नहीं होता. मगर यह चंद दिनों की बात होती है. बाद में यही अटपटी चीजें प्यारी लगने लग जाती हैं.’’
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साथी साथ निभाना
– अपने प्रेम को प्रगाढ़ करने के लिए एकदूसरे की भावनाओं को समझें.
– सरप्राइज उपहार दें. पत्नी अगर कामकाजी है और पति औफिस से पहले घर आए तो घर को सजासंवरा कर पत्नी को तारीफ करने का मौका दें.
– पत्नी अस्वस्थ है, तो पति घर पर रह कर पत्नी का खयाल रखे.
– एकसाथ घूमने जाएं. नए प्रेमी की तरह हाथ में हाथ डाले चलें.
– कभीकभी एकदूसरे को फूल उपहार में दें. इस से रिश्ते में गरमाहट बनी रहती है.
– हमेशा खुश रहने की कोशिश करें और संबंधों के बीच कभी भी स्वार्थ, अहं को न आने दें.