शादी के लिए मेरे घरवाले मुझ पर प्रैशर डाल रहे हैं, मैं क्या करुं?

सवाल-

मैं 27 साल की हूं शादी को ले कर मेरे घर वाले मुझ पर प्रैशर डाल रहे हैं. कई लड़कों से मिली, लेकिन बात नहीं बनी. भविष्य को ले कर काफी टैंशन में हो जाती हूं और अपना वर्तमान समय उस से खराब कर लेती हूं. जब ऐसे विचार आते हैं तब ऐसा लगता जैसे भविष्य एकदम अंधकारमय है. मैं कुछ नहीं कर पाऊंगी. बताएं मैं क्या करूं?

जवाब-

कभीकभार फैमिली का प्रैशर हमें कुछ निर्णय लेने पर मजबूर कर देता है. मगर शादी एक बहुत ही अहम निर्णय है. इसे किसी के दबाव में आ कर न लिया जाए. जब आप को लगे कि आप इमोशनली, मैंटली और फाइनैंशली तैयार हैं तभी शादी करने का निर्णय लें.

फैमिली मैंबर्स से बात कर उन्हें समझाएं कि आप फिलहाल शादी के लिए तैयार नहीं हैं. जब हो जाएंगी तब खुद उन्हें बता देंगी. आप के ऐसा करने से वे रिलैक्स फील करेंगे.

ये भी पढ़ें- 

सोनिया 20 साल की हुई नहीं कि उस की मां को उस की शादी की चिंता सताने लगी. लेकिन सोनिया ने तो ठान लिया है कि वह पहले पढ़ाई पूरी करेगी, फिर नौकरी करेगी और तब महसूस हुआ तो शादी करेगी वरना नहीं. सोनिया की इस घोषणा की जानकारी मिलते ही परिवार में हलचल मच गई. सभी सोनिया से प्रश्न पर प्रश्न पूछने लगे तो वह फट पड़ी, ‘‘बताओ भला, शादी में रखा ही क्या है? एक तो अपना घर छोड़ो, दूसरे पराए घर जा कर सब की जीहुजूरी करो. अरे, शादी से पतियों को होता आराम, लेकिन हमारा तो होता है जीना हराम. पति तो बस बैठेबैठे पत्नियों पर हुक्म चलाते हैं. खटना तो बेचारी पत्नियों को पड़ता है. कुदरत ने भी पत्नियों के सिर मां बनने का बोझ डाल कर नाइंसाफी की है. उस के बाद बच्चे के जन्म से ले कर खानेपीने, पढ़ानेलिखाने की जिम्मेदारी भी पत्नी की ही होती है. पतियों का क्या? शाम को दफ्तर से लौट कर बच्चों को मन हुआ पुचकार लिया वरना डांटडपट कर दूसरे कमरे में भेज आराम फरमा लिया.’’

यह बात नहीं है कि ऐसा सिर्फ सोनिया का ही कहना है. पिछले दिनों अंजु, रचना, मधु, स्मृति से मिलना हुआ तो पता लगा अंजु इसलिए शादी नहीं करना चाहती, क्योंकि उस की बहन को उस के पति ने दहेज के लिए बेहद तंग कर के वापस घर भेज दिया. रचना को लगता है कि शादी एक सुनहरा पिंजरा है, जिस की रचना लड़कियों की आजादी को छीनने के लिए की गई है. स्मृति को शादीशुदा जीवन के नाम से ही डर लगता है. उस का कहना है कि यह क्या बात हुई. जिस इज्जत को ले कर मांबाप 20 साल तक बेहद चिंतित रहते हैं, उसे पराए लड़के के हाथों निस्संकोच सौंप देते हैं. उन की बातें सुन कर मन में यही खयाल आया कि क्या शादी करना जरूरी है. उत्तर मिला, हां, जरूरी है, क्योंकि पति और पत्नी एकदूसरे के पूरक होते हैं. दोनों को एकदूसरे के साथ की जरूरत होती है. शादी करने से घर और जिंदगी को संभालने वाला विश्वसनीय साथी मिल जाता है. व्यावहारिकता में शादी निजी जरूरत है, क्योंकि पति/पत्नी जैसा दोस्त मिल ही नहीं सकता.

पूरी खबर पढ़ने के लिए- क्या जरूरी है शादी करना

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

इन 6 टिप्स से रखें बच्चों को टेंशन फ्री

हमारे पड़ोस में रहने वाली 8 वर्षीया अविका कुछ दिनों से बहुत परेशान सी लग रही थी. कल जब मैं उसके घर गयी तो उसकी मम्मी कहने लगीं,”आजकल पूरे समय एक ही बात कहती रहती है मुझे मिस वर्ल्ड बनना है जिसके लिए सुंदर होना होता है मम्मा मुझे बहुत सुंदर बनना है..आप मुझे गोरा करने के लिए ये वाली क्रीम लगा दो, वो वाला फेसपैक लगा दो.”

क्रिकेट का शौकीन 10 साल का सार्थक जब तब नाराज होकर घर से बाहर चला जाता है, अपनी बड़ी बहनों को मारने पीटने लगता है, मन का न होने पर जोरजोर से रोना प्रारम्भ कर देता है, उसे सचिन तेंदुलकर बनना है और वह बस क्रिकेट ही खेलना चाहता है.

कुछ समय पूर्व तक तनाव सिर्फ बड़ों को ही होता है ऐसा माना जाता है परन्तु आजकल बड़ों की अपेक्षा बच्चे बहुत अधिक तनाव में जीवन जी रहे हैं और उनके जीवन में समाया यह तनाव उनके स्वास्थ्य और पढ़ाई को भी प्रभावित कर रहा है. बच्चों में पनप रहे इस तनाव पर प्रकाश डालते हुए समाज कल्याण विभाग उज्जैन की वरिष्ठ मनोवैज्ञानिक श्रीमती निधि तिवारी कहतीं हैं,”जिस उम्र में उन्हें मस्ती करते हुए जिंदगी का आनंद उठाना चाहिए उस उम्र में बच्चे तनाव झेल रहे हैं, बोर हो रहे हैं. बच्चों का इस तरह का व्यवहार बहुत चिंतनीय है.” उनके अनुसार बच्चों के इस प्रकार के व्यवहार के लिए काफी हद तक अभिभावक ही जिम्मेदार हैं. यहां पर प्रस्तुत हैं कुछ टिप्स जिन पर ध्यान देकर आप अपने बच्चों को इस तनाव से बचा सकते हैं-

-भरपूर समय दें

बच्चे चूंकि कच्ची मिट्टी के समान होते हैं, बाल्यावस्था से उन्हें जिस प्रकार के सांचे में ढाल दिया जाए वे स्वतः ढल जाते हैं परन्तु वर्तमान समय में जहां परिवार में माता पिता दोनों ही कामकाजी हैं, बच्चे के पास माता पिता के समय को छोड़कर सब कुछ है. उनके मन में पनप रही किसी भी प्रकार की भावना को आप केवल तभी समझ सकते हैं जब आप उन्हें अपना भरपूर समय दें. आज के वातावरण में उन्हें क्वालिटी नहीं क्वांटिटी टाइम की आवश्यकता है ताकि बच्चे को हरदम आपके साथ होने का अहसास हो सके.

-उन्हें सुनें

बच्चों के मन में हर पल कोई न कोई जिज्ञासा जन्म लेती है, अथवा वे हरदम अपने मन की बात शेयर करना चाहते हैं अक्सर देखा जाता है कि बच्चे जब भी अपने मन की बात पेरेंट्स को बताना चाहते हैं तो अभिभावक उन्हें”अरे बाद में बताना, या तुम क्या हरदम कुछ न कुछ बकबक करते रहते हो” जैसी बातें बोलकर उन्हें चुप करा देते हैं इससे बच्चा उस समय शांत तो हो जाता है परन्तु उसके मन की बात मन में ही रह जाती है जिससे अक्सर वे सही गलत में फर्क करना ही नहीं समझ पाते.

-तुलना न करें

सदैव ध्यान रखिये हर बच्चा खास होता है, उसकी अपनी विशेषताएं होतीं हैं, और प्रत्येक बच्चे में अलग तरह की प्रतिभा होती है इसलिए एक बच्चे की कभी भी किसी दूसरे बच्चे से तुलना नहीं की जा सकती. अक्सर पेरेंट्स अपने बच्चों की दूसरे बच्चों से तुलना करने लगते हैं  जिससे बच्चे का कोमल मन आहत होता है और वे मन ही मन घुटना प्रारम्भ कर देते हैं.

-प्रकृति से परिचित कराएं

बच्चों पर हर समय पढ़ाई करने का दबाब बनाने के स्थान पर उन्हें बाग बगीचा, फूल पौधे और आसपास की प्रकृति से परिचित कराएं ताकि पढ़ाई से इतर भी उनके  व्यक्तित्व का विकास हो सके.

-उनकी क्षमताओं को पहचानें

अक्सर माता पिता अपनी इच्छाओं का बोझ बच्चे पर थोपकर उसे अपने अनुसार चलाने का प्रयास करते हैं इसकी अपेक्षा अपने बच्चे की क्षमताओं को पहचानकर उस क्षेत्र में उसे आगे बढ़ाने का प्रयास करें. आजकल कॅरियर की अनेकों ऑप्शन मौजूद हैं इसलिए बच्चे पर अनावश्यक रूप से पढ़ाई का दबाब बनाने के स्थान पर उसे समझने का प्रयास करना बेहद जरूरी है.

-बच्चे के दोस्त बनें

छोटी छोटी बातों पर बच्चे को हर समय टोकते रहने के स्थान पर बच्चे के दोस्त बनने का प्रयास करें ताकि बच्चा अपने मन की हर दुविधा या समस्या का आपके सामने जिक्र कर सके. इंडोर गेम्स में उसके साथी बनें, घर के छोटे मोटे कार्यों में उसे अपना साझीदार बनाएं, साथ ही प्रतिदिन उसे घर से बाहर अपने दोस्तों के साथ कम से कम 1 घन्टा खेलने अवश्य भेजें.

कभी न बताएं 9 बैडरूम सीक्रेट्स

रोमी की नइ नई शादी हुई थी. सैक्स जो अब तक उस के लिए अनजाना विषय था अब विवाह के बाद एकाएक रोमांचक हो उठा था. रोमी अपनी जिंदगी में होने वाले इन परिवर्तनों को किसी के साथ शेयर करना चाहती थी. वह जानना चाहती थी कि जैसा उसे महसूस होता है वैसा ही क्या सब को होता हैं?

रोमी ने खुशी और रोमांच के कारण अपने सारे बैडरूम सीक्रेट अपनी सहेलियों के साथ शेयर कर लिए थे. जब रोमी और उस का पति जय उस की सहेली श्वेता के यहां खाने के लिए गए तो श्वेता ने जय के सामने ही ऐसी बातें करनी शुरू कर दीं थी जो अश्लीलता की परिधि में आती थीं. जय को समझ आ गया था कि रोमी ने उन के मध्य की बेहद निजी बातें सार्वजनिक कर दी हैं. इस बात के लिए वो आज तक रोमी को माफ नहीं कर पाया है. उधर श्वेता जब भी मौका मिलता रोमी से उस के बैडरूम सीक्रेट पूछती और चटकारे लेले कर पूरे गु्रप में बता देती.

भूमिका का जब विवाह हुआ तो उस की विवाहित दोस्त एकता उस की सैक्स गुरु बनी हुई. भूमिका भोलेपन में अपनी हर छोटीबड़ी बात एकता को बता देती थी. एकता जो अपने पति से संतुष्ट नहीं थी, भूमिका के बैडरूम सीक्रेट सुन कर उस के पति की ओर आकर्षित हो गई. मौका मिलते ही एकता ने भूमिका के पति को अपनी और खींच लिया था. भूमिका उस दिन को कोस रही है जब उस ने एकता के साथ अपनी बैडरूम लाइफ शेयर करनी शुरू की थी.

आज भी बहुत सारे नवविवाहित जोड़े विवाह से पहले सैक्स से अछूते रहते हैं. इसलिए जब विवाह के पश्चात वे इस नई दुनिया में कदम रखते हैं तो उन्हें समझ नहीं आता है कि वे अपनी बातें किस से शेयर करें. बहुत सारे अनजाने डर होते हैं, कुछ अछूती बातें होती हैं, कुछ रहस्य होते हैं तब समझ नहीं आता कि किस के साथ साझ करें. ऐसे में अपने दोस्तों के सिवा और कोई नहीं सूझता है. अपने दोस्तों के साथ बैडरूम सीक्रेट शेयर करना कई बार आप के लिए फायदेमंद भी हो सकता है.

जैसेकि मोहनी को अपने परफौर्मैंस को ले कर बेहद स्ट्रैस रहता था. मगर जब एक दिन बातों ही बातों में उस ने अपनी दोस्त वर्षा से इस बारे में बात करी तो मोहनी को समझ आ गया कि वह बेकार में ही स्ट्रैस्ड महसूस कर रही थी.

लड़कियां शादी के बाद सैक्स से संबंधित बातों को अपनी सहेलियों के साथ ही शेयर करने में कंफर्टेबल रहती हैं. मगर अपने बैडरूम सीक्रेट अपनी सहेलियों से आप किस हद तक साझ कर सकती हैं, यह अवश्य तय कर लें. अपने बैडरूम सीके्रट शेयर करने से पहले यह बात अवश्य ध्यान कर लें कि अगर आप के पति भी अपनी बैडरूम लाइफ अपने दोस्तों के साथ साझ करेंगे तो आप को कैसा लगेगा?

कोशिश करें वही बातें शेयर करें जिन से आप के पार्टनर की छवि धूमिल न हो और न ही वे हंसी के पात्र बनें.

ये बातें भूल कर शेयर न करें

सैक्सुअल फैंटेसी:

आप के पार्टनर की कोई वाइल्ड सैक्सुअल फैंटेसी हो सकती है. आप का पार्टनर आप पर ट्रस्ट कर के ही वह फैंटेसी आप के साथ शेयर करता है, मगर अगर आप ये बातें अपनी फ्रैंड्स से शेयर करती हैं और पार्टनर को पता चल जाता है तो वे ताउम्र आप के सामने कभी खुल नही पाएंगे. उन्हें हमेशा यह डर बना रहेगा कि न जाने आप कब सब के सामने उन्हें बेपरदा कर दें.

साइज डिस्कशन:

अपने पार्टनर का पेनिस साइज डिस्कस करना एक बेहद बुरा आइडिया है. थोड़ा सा सोच कर देखें अगर आप के पार्टनर आप के स्तन या किसी और अंग के साइज का जिक्र अपने दोस्तों के सामने करेंगे तो आप को कैसा लगेगा? आप के पार्टनर की ऐसी डिस्कशन उन्हें आप की सहेलियों के मध्य डेजीराबल भी बना सकती है. फिर बाद में अगर कोई बात हो जाती है तो ये पूरी तरह से आप की जिम्मेदारी है.

इरैक्शन प्रौब्लम:

पार्टनर की इरैक्शन प्रौब्लम को उजागर करना एक बेहद संवेदनशील विषय है. अगर आप को मदद चाहिए तो सहेली के बजाय डाक्टर की मदद लीजिए. ऐसी बातें हर फ्रैंड के साथ डिस्कस नहीं कर सकते हैं. आप की फ्रैंड्स आप की बैडरूम लाइफ को पब्लिक भी कर सकती है और ऐसी बातों का कुछ लोग गलत फायदा भी उठा सकते हैं जो आप के विवाहित जीवन के लिए ठीक नहीं होगा.

सैक्सुअल वोकैबुलरी है बेहद निजी:

पार्टनर की सैक्सुअल वोकेबुलरी को सहेलियों के साथ साझ करना भी एक खराब आइडिया है. याद रखें आप की बैडरूम लाइफ आप और आप के पार्टनर के बेहद निजी पल हैं. इन्हें आप अपनी सभी फ्रैंड्स के साथ नहीं बांट सकती हैं. ऐसा न हो कि आप अपनी बैडरूम लाइफ डिस्कस करतेकरते अपनी सहेलियों के सामने एक ऐसी पिक्चर पेंट करती हैं जिस पेंटिंग का वे अनजाने में हिस्सा बन जाती हैं.

मगर जरूरी नहीं बैडरूम सीक्रेट्स शेयर करने के हमेशा नुकसान ही होते हैं. अगर आप सोचसमझ कर और भरोसेमंद सहेलियों के साथ अपने सीके्रट शेयर करती हैं तो इस के निम्न फायदे भी होते हैं:

बैडरूम लाइफ को स्पाइसी बनाने में सहायक:

बहुत बार सहेलियों के साथ बातों ही बातों में आप को कुछ ऐसी बातें पता चल जाती हैं जो आप की बैडरूम लाइफ को स्पाइसी बना सकती हैं. किस तरह की लौंजरी पार्टनर को अट्रैक्ट करती है या किस तरह के परफ्यूम बैडरूम लाइफ को और अधिक रोमांचक बनाते हैं ये सब आप आराम से अपनी फ्रैंड्स के साथ डिस्कस कर सकती हैं.

फोरप्ले के नए तरीके:

फोरप्ले सैक्स ड्राइव को बेहतर बनाता है. इस का कोई सैट मेथड नहीं होता है. हर किसी का फोरप्ले का तरीका अलग होता है. यह जानकारी आप एकदूसरे के साथ शेयर कर सकती हैं परंतु याद रखें जानकारी बेहद जनरल तरीके से साझ की जाए. इसे स्पैसिफिक मत करिए.

और्गेज्म से परिचय:

और्गेज्म पर बस पुरुषों का ही हक नहीं होता है, महिलाओं का भी यह मौलिक अधिकार होता है. नईनई शादी में अधिकतर महिलाएं इस से अछूती ही रहती हैं. अगर आप की सहेली किसी खास पोजीशन के बारे में बताती है जिस से उसे और्गेज्म प्राप्त होता है तो आप भी उस पोजीशन को अगली बार अपना सकती हैं.

कन्फ्यूजन से मिल सकता है छुटकारा:

बहुत सारे रहस्य होते हैं या बहुत सारी ऐसी बातें होती हैं जो बेहद नौर्मल होती हैं, मगर नईनई शादी में ये बेहद अजीब लगती हैं. पर्सनल हाइजीन से ले कर सैक्स टौयज तक बहुत सारे कन्फ्यूजन होते हैं जो आपस मे बात कर के सौल्व हो सकते हैं.

सैक्स लाइफ की बेहतर समझ:

सैक्स लाइफ की बेहतर समझ के लिए बहुत बार सहेलियों के साथ आप खुल कर बात कर सकती हैं पर 2 बातों का ध्यान हमेशा रखें पहला किसी भी महफिल में बैठ कर अपनी सैक्स गाथा आरंभ मत कीजिए नहीं तो आप की स्थिति हास्यस्पद हो जाएगी और दूसरी बात सैक्स से जुड़ी बातें शेयर करते हुए अपने पार्टनर का जिक्र न करें.

पति से तलाक लेने के लिए मैं क्या करुं?

सवाल-

मैं 35 वर्षीय विवाहिता और एक 13 वर्षीय बेटे की मां हूं. मेरे पति सरकारी अधिकारी हैं. रोज शराब पी कर लड़ाईझगड़ा करते हैं. अब तो मारपीट भी करने लगे हैं. मैं 15 सालों से यातनापूर्ण जीवन जी रही हूं. मातापिता बिरादरी में अपनी इज्जत की खातिर मायके में नहीं रखना चाहते. विवाहपूर्व में सरकारी स्कूल में टीचर थी. चाहती हूं कि पति से अलग हो कर दोबारा से किसी स्कूल में नौकरी कर लूं और अपने बच्चे को सही ढंग से पालूं. मेरे पिता सेवानिवृत्त हैं. वे या मां बीचबीच में मेरे पास आ कर रह सकते हैं. क्या मेरा निर्णय सही है? मैं जानती हूं कि मेरे पति मुझे कभी तलाक नहीं देंगे पर मुझे इस से कोई फर्क नहीं पड़ता.

जवाब-

यदि आप को लगता है कि आप के पति सुधरने वाले नहीं हैं तो उन का अत्याचार सहने और बच्चे को स्वस्थ वातावरण देने के लिए आप यह कदम उठा सकती हैं. आप को चाहिए कि पहले आप अपने लिए नौकरी तलाशें. उस के बाद ही रहने की व्यवस्था हो जाने के बाद पति को अपने निर्णय से अवगत कराएं. संभव है आप के इस कठोर निर्णय से आप के पति को अपराधबोध हो और वे सुधर जाएं. कई बार दूर जाने से भी रिश्तों में मधुरता लौट आती है. 

सवाल-

मैं जानना चाहती हूं कि 2 लड़कियों के परस्पर चुंबन करने से कोई नुकसान तो नहीं होता?

जवाब-

रोमांचित होने पर एकदूसरे का चुंबन लेने से कोई नुकसान नहीं होता. यह खुशी का इजहार करने का एक तरीका है.

ये भी पढ़ें-

स्मिता को जिस तलाक की चाह थी वह मिल गया था, लेकिन जिस रूप, जवानी पर उसे घमंड था वह वक्त के साथ ढल चुकी थी. अब वह जाए तो जाए किस के पास, कौन था उस का हाथ थामने वाला?

पूरी कहानी पढ़ने के लिए- तलाक के बाद: क्या स्मिता को मिला जीवनसाथी

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

लड़का देखते वक्त ध्यान रखें ये 17 बातें

अब वह जमाना नहीं रहा जब युवकयुवती देखने जा कर अपनी पसंदनापसंद बताता था. बदलते दौर में अब न सिर्फ युवक बल्कि युवती भी लड़का देखने जाती है और दस तरह की बातें पौइंट आउट करती है जैसे वह दिखने में कैसा है? उस का वे औफ टौकिंग कैसा है? बौडी फिजिक बोल्ड है या नहीं ममाज बौय तो नहीं है? वगैरावगैरा.

आज बराबर की हिस्सेदारी के कारण युवतियां किसी चीज से समझौता करना पसंद नहीं करतीं. यह ठीक भी है कि जिस के साथ ताउम्र रहना है उस के बारे में जितना हो सके जान लेना चाहिए ताकि आगे किसी तरह का कोई डाउट न रहे.

ऐसे में आप जब लड़का देखने जाएं तो कुछ बातें ध्यान में रखें और खुद भी ऐसा कुछ न करें जो आप की नैगेटिव पर्सनैलिटी को दर्शाए.

1. जब भी आप युवक से पहली बार मिलें तो उस की बौडी लैंग्वेज पर खास ध्यान दें. इस से आप को उस की आधी पर्सनैलिटी का तो ऐसे ही अंदाजा हो जाएगा. बात करते हुए देख लें कि कहीं वह बात करने से ज्यादा अपने हाथपैर तो नहीं हिला रहा. बात करते हुए फेस पर अजीब से रिऐक्शन तो नहीं आ रहे. इस से आप को उसे जज करने में काफी आसानी होगी.

2. बात करते समय इस बात पर गौर फरमाएं कि कहीं वह तू से बात करना तो शुरू नहीं करता कि यार, मुझे तो बिलकुल तेरे जैसी लड़की चाहिए, तू तो आज बहुत क्यूट लग रही है. अगर ऐसा कहे तो समझ जाएं कि वह आप के लायक युवक नहीं है, क्योंकि जो पहली बातचीत में ही तू तड़ाक पर आ जाए उस से भविष्य में रिस्पैक्ट की उम्मीद नहीं की जा सकती.

3. भले ही उस युवक का सैलरी पैकेज काफी अच्छा हो, लेकिन इस का यह मतलब तो नहीं कि उस की हर बात में सैलरी का ही जिक्र हो. जैसे अगर हम दोनों की शादी हो गई तो तुम ऐश करोगी, तुम्हें ब्रैंडेड चीजें यूज करने का मौका मिलेगा, क्योंकि मैं औफिस के काम से विदेश भी जाता रहता हूं. इस से आप को अंदाजा हो जाएगा कि उसे अपनी सैलरी पर घमंड है.

4. युवक को जानने के साथसाथ आप उस की फैमिली को भी एकनजर में जानने की कोशिश करें. आप को उन की बातचीत के तरीके से पता लग जाएगा कि वे कैसे विचारों के लोग हैं. लड़की को जौब करवाने के फेवर में हैं या नहीं. घर में लड़की से ज्यादा लड़के को तो महत्त्व नहीं देते. इन सारी बातों का पता होने पर आप को डिसीजन लेने में काफी आसानी होगी.

5. बातोंबातों में कहीं दहेज की ओर तो इशारा नहीं है. जैसे हमारी बड़ी बहू तो शादी में हर चीज लाई थी, हमारा लड़का तो 15 लाख रुपए सालाना कमाता है, हमारे यहां तो रिश्तेदारों का शादी में खास खातिरदारी का रिवाज है. आप को जो देना है अपनी लड़की को देना है, हमें कुछ नहीं चाहिए जैसी बातें अगर मीटिंग में की जा रही हैं तो समझ जाएं कि उन्हें लड़की से ज्यादा दहेज में इंट्रस्ट है.

6. आप की फैमिली लड़की को आप से बात करने के लिए कह रही है और वह इस के लिए मम्मी से परमिशन ले कर खुद को ममाज बौय दिखाने की कोशिश करे तो समझ जाएं कि लड़के की खुद की कोई पर्सनैलिटी नहीं है और वह हर बात के लिए मम्मी पर डिपैंड रहता है.

7. अगर थोड़ी सी सीरियस बात के बाद वह सीधा कपड़ों पर आ जाए जैसे मुझे तो सूट वगैरा बिलकुल पसंद नहीं हैं. मैं तो चाहता हूं कि मेरी लाइफ पार्टनर हमेशा हौट ड्रैसेज पहने, इस से आप को यह समझने में आसानी होगी कि उसे आप से ज्यादा छोटे कपड़ों में इंट्रस्ट है, जो हैप्पी मैरिड लाइफ के लिए सही नहीं है.

8. कहीं ऐसा तो नहीं कि फर्स्ट मीटिंग में ही युवक आप से फ्यूचर प्लानिंग के बारे में बात करना शुरू कर दे कि हम तो शादी के बाद अकेले रहेंगे, इस तरह चीजों को मैनेज करेंगे, मुझे तो लड़के बहुत पसंद हैं इस से आप को उस की मैच्योरिटी के बारे में पता चल जाएगा.

9. जरूरी नहीं कि जब हम इस तरह की मीटिंग के लिए कहीं बाहर जाएं तो हमेशा लड़की वाले ही बिल पे करें. भले ही आप के पेरैंट्स उन्हें बिल पे न करने दें, लेकिन फिर भी यह बात जानने के लिए थोड़ी देर तक बिल पे न करें. अगर वह एक बार भी बिल पे करने का जिक्र न करे तो समझ जाएं कि वह सिर्फ फ्री में खानेपीने वाले सिद्धांत पर चलने वाला है.

10. भले ही आप काफी स्मार्ट हों, लेकिन इस का यह मतलब नहीं कि आप लड़के के गुणों को देखने के बजाय उस की स्मार्टनैस के बेस पर ही उसे पौइंट्स दें. एक बात मान कर चलें कि स्मार्टनैस थोड़े दिन ही अच्छी लगती है उस के बाद तो व्यक्ति के गुणों के बल पर ही जिंदगी चलती है. इसलिए आउटर के साथसाथ इनर पर्सनैलिटी को भी ध्यान में रखें.

11. हमारे घर में यह होता है, हम ऐसे रहते हैं, हम यह नहीं खाते, मौल्स के अलावा हम कहीं और से शौपिंग नहीं करते. भले ही आप का लिविंग स्टैंडर्ड काफी हाई हो, लेकिन अगर आप इस तरह की बातें लड़के से करेंगी तो वह चाहे आप कितनी भी सुंदर क्यों न हों, आप से शादी नहीं करेगा.

12. माना कि युवतियों को शौपिंग का शौक होता है, लेकिन इस का मतलब यह तो नहीं कि आप युवक से 20 मिनट में 15 मिनट शौपिंग को ले कर ही बात करें. जैसे मैं हफ्ते में जब तक एक बार शौपिंग नहीं कर लेती तब तक मुझे चैन नहीं आता, क्या तुम्हें शौपिंग पसंद है? अगर हमारी शादी हो गई तो क्या तुम मेरे साथ हर वीकैंड पर शौपिंग पर चला करोगे? ऐसी बातों से सिर्फ यही शो होगा कि आप को मैरिज से ज्यादा शौपिंग में इंट्रस्ट है जो आप की नैगेटिव पर्सनैलिटी को शो करेगा.

13. आज सोशल मीडिया का जमाना है, लेकिन इस का यह मतलब नहीं कि हर जगह सोशल मीडिया ही हावी हो. ऐसे में जब आप लड़के से बात कर रही हैं तो यह न पूछ बैठें कि आप सोशल साइट्स पर ऐक्टिव हैं कि नहीं. अगर हैं तो अपनी आईडी दीजिए ताकि मैं अपनी फ्रैंडलिस्ट में आप को ऐड कर सकूं. इस से लड़के तक यही मैसेज जाएगा कि आप सोशल मीडिया को ले कर कितनी क्रेजी हैं तभी इतनी सीरियस टौक में आप सोशल मीडिया को ले आई हैं.

14. जब भी आप लड़के से मिलने जाएं तो उस का बायोडाटा अच्छी तरह पढ़ लें कि वह कहां जौब करता है, इस से पहले उस ने किनकिन कंपनियों में जौब की है, उस की फैमिली में कितने मैंबर्स हैं और कौन क्या करता है. यहां तक कि उस की कंपनी व पद के बारे में भी जानकारी रखें. इस से जब वह अपनी कंपनी के बारे में बता रहा होगा तो आप की तरफ से भी अच्छा फीडबैक मिल पाएगा.

15. पहली मुलाकात में ही आप उस से अपना नंबर शेयर न करें, क्योंकि आप को क्या पता कि बात बनेगी या नहीं. इसलिए इस बात को अपने पेरैंट्स पर छोड़ दें, क्योंकि अगर आप का रिश्ता बना तो पेरैंट्स खुद ही आप को नंबर दिलवा देंगे ताकि आप को एकदूसरे को जानने का मौका मिल सके.

16. अगर बड़े किसी टौपिक पर बात कर रहे हैं कि जैसे हम शादी तो अपने होम टाउन से ही करेंगे तो ऐसे में आप बीच में टांग न अड़ाने लगें कि नहीं आंटी ऐसा नहीं होगा. आप के इस व्यवहार से आप की बदतमीजी ही शो होगी इसलिए जब तक जरूरी न हो तब तक बीच में न बोलें.

17. अगर आप को लड़के की कोई बात पसंद नहीं आ रही तो एकदम से गुस्से में न आ जाएं बल्कि शांत तरीके से अपनी बात रखें, इस से उस पर आप का अच्छा प्रभाव पड़ेगा और उसे लगेगा कि आप चीजों को अच्छे से ऐडजस्ट करना जानती हैं.

इस तरह आप को अपने लाइफ पार्टनर के सिलैक्शन में आसानी होगी.   

क्या जरूरी है शादी करना

सोनिया 20 साल की हुई नहीं कि उस की मां को उस की शादी की चिंता सताने लगी. लेकिन सोनिया ने तो ठान लिया है कि वह पहले पढ़ाई पूरी करेगी, फिर नौकरी करेगी और तब महसूस हुआ तो शादी करेगी वरना नहीं. सोनिया की इस घोषणा की जानकारी मिलते ही परिवार में हलचल मच गई. सभी सोनिया से प्रश्न पर प्रश्न पूछने लगे तो वह फट पड़ी, ‘‘बताओ भला, शादी में रखा ही क्या है? एक तो अपना घर छोड़ो, दूसरे पराए घर जा कर सब की जीहुजूरी करो. अरे, शादी से पतियों को होता आराम, लेकिन हमारा तो होता है जीना हराम. पति तो बस बैठेबैठे पत्नियों पर हुक्म चलाते हैं. खटना तो बेचारी पत्नियों को पड़ता है. कुदरत ने भी पत्नियों के सिर मां बनने का बोझ डाल कर नाइंसाफी की है. उस के बाद बच्चे के जन्म से ले कर खानेपीने, पढ़ानेलिखाने की जिम्मेदारी भी पत्नी की ही होती है. पतियों का क्या? शाम को दफ्तर से लौट कर बच्चों को मन हुआ पुचकार लिया वरना डांटडपट कर दूसरे कमरे में भेज आराम फरमा लिया.’’

यह बात नहीं है कि ऐसा सिर्फ सोनिया का ही कहना है. पिछले दिनों अंजु, रचना, मधु, स्मृति से मिलना हुआ तो पता लगा अंजु इसलिए शादी नहीं करना चाहती, क्योंकि उस की बहन को उस के पति ने दहेज के लिए बेहद तंग कर के वापस घर भेज दिया. रचना को लगता है कि शादी एक सुनहरा पिंजरा है, जिस की रचना लड़कियों की आजादी को छीनने के लिए की गई है. स्मृति को शादीशुदा जीवन के नाम से ही डर लगता है. उस का कहना है कि यह क्या बात हुई. जिस इज्जत को ले कर मांबाप 20 साल तक बेहद चिंतित रहते हैं, उसे पराए लड़के के हाथों निस्संकोच सौंप देते हैं. उन की बातें सुन कर मन में यही खयाल आया कि क्या शादी करना जरूरी है. उत्तर मिला, हां, जरूरी है, क्योंकि पति और पत्नी एकदूसरे के पूरक होते हैं. दोनों को एकदूसरे के साथ की जरूरत होती है. शादी करने से घर और जिंदगी को संभालने वाला विश्वसनीय साथी मिल जाता है. व्यावहारिकता में शादी निजी जरूरत है, क्योंकि पति/पत्नी जैसा दोस्त मिल ही नहीं सकता.

सामाजिक सम्मान

पतिपत्नी का रिश्ता एक आवश्यकता है. दुनिया में हर आदमी अच्छे स्वस्थ संबंधों की कामना करता है. अच्छे संबंध पतिपत्नी को बेहतर इनसान बनाने में मदद करते हैं. इस बात से आप मुंह नहीं मोड़ सकते. लंबी आयु के लिए भी शादीशुदा होना जरूरी है. इस सुझाव में न तो खानपान पर रोक है न ही कोई बंदिश. यानी हींग लगे न फिटकरी रंग भी आए चोखा. लंदन स्कूल आफ इकोनोमिक्स के जानेमाने रिसर्चर प्रोफैसर माइक मर्फी के मुताबिक शादी खुद ही एक तरह का फायदा है. उन की रिसर्च के अनुसार अविवाहित लोगों के मुकाबले शादीशुदा लोग न केवल लंबी जिंदगी जीते हैं, बल्कि उन की सेहत भी ज्यादा ठीक रहती है.

उम्र ढलने पर उन्हें ज्यादा देखभाल भी हासिल होती है. जहां 34 साल से कम उम्र के अविवाहित पुरुषों में मृत्युदर इस उम्र के शादीशुदा पुरुषों के मुकाबले ढाई गुना ज्यादा पाई गई, वहीं अविवाहित बुजुर्ग महिलाओं में भी उन की शादीशुदा साथियों के मुकाबले मृत्युदर कहीं ज्यादा पाई गई. विवाह तो इनसानी सभ्यता की न जाने कितनी पुरानी रस्म है. हजारों सालों से विवाह होते आ रहे हैं. यदि शादी नाम की संस्था न होती तो क्या होता? जंगलराज. कोई भी किसी के साथ जब तक मन होता रहता, फिर छोड़ कर अपना अलग रास्ता नापता, जबकि स्त्रीपुरुष शादी के बंधन में बंध कर सम्मान का रास्ता बनाते हैं. यह सच है कि इस संस्था में दहेज जैसी कुरीति का प्रवेश हो गया है, जिस से लड़कियों की खुशियों का मोल लगाया जाता है और उस से उन्हें लगता है कि जैसे उन का कोई वजूद ही नहीं है. पर यह कुरीति तो जानेअनजाने हम सभी ने अपनाई है और इसे बढ़ावा दिया है. आज जरूरत है तो दहेज जैसी कुरीति को समाप्त करने की न कि विवाह संस्था को समाप्त करने की.

सामंजस्य जरूरी

वे दिन लद गए जब पत्नियों से पति और ससुराल वालों के हर जुल्म को सहने की उम्मीद की जाती थी. अब तो बराबरी का जमाना है. गलत बात पर आवाज उठाना और अपने हक के लिए लड़ना पत्नियों का अधिकार है. फिर आज की युवा लड़कियों को विवाहित जिंदगी में पांव रखने में हिचकिचाहट क्यों? दरअसल, घरपरिवार बनाना और विवाहित जीवन सफल बनाना पति और पत्नी दोनों के ही हाथ में होता है, जो बातें कुदरत ने अलगअलग दी हैं, वे तो हमेशा ही रहेंगी. जरूरत है आपसी सामंजस्य, सूझबूझ और प्रेम की. इस धरती पर कोई भी 2 लोग एकजैसे नहीं होते. खून के रिश्तों में यहां तक कि जुड़वा जन्मे बच्चों में भी कोई भिन्नता अवश्य होती है. फिर पतिपत्नी जो एकदूसरे से विपरीत पारिवारिक माहौल में रहने वाले व अलगअलग संस्कार वाले होते हैं, उन में परस्पर वैचारिक और स्वभावगत भिन्नता हो तो अचरज कैसा. इसलिए विवाह संस्था पर उंगली उठाने से पूर्व निम्न पूर्वाग्रहों से मुक्त हो जाएं :

कोई भी पूर्ण नहीं होता. अत: दूसरे को उस की कमियों के साथ ही स्वीकारें.

सिर्फ लड़के/लड़कियों की कमियों का ही विश्लेषण न करें, बल्कि अपनी कमियों पर भी गौर करें और उन्हें दूर करने का प्रयास करें.

किसी को सुधारने के चक्कर में उस के अहं को ठेस न पहुंचाएं.

परस्पर सम्मान और भावनात्मक लगाव बनाएं.

समानता का अर्थ टक्कर लेना नहीं बल्कि एकदूसरे के लिए समान रूप से उपयोगी साबित होने से है, इस सचाई को समझें और खुले दिल से स्वीकारें.        

शादी न करने पर होने वाले अभाव

व्यक्तित्व का पूर्ण विकास नहीं हो पाता.

स्वभावगत भिन्नता से मिलने वाला आत्मविकास नहीं हो पाता.

विवाहित लोगों की जिंदगी लंबी होती है अविवाहितों की कम.

शादीशुदा रिश्ता जिंदगी की अहम जरूरतों को पूरा करता है, जो गैरशादीशुदा होने पर पूरी नहीं हो पातीं.

कठिन वक्त पर सब से विश्वसनीय साथी की कमी बेहद खलती है.

रूठे मंगेतर को कैसे मनाएं

आप की सगाई हो चुकी है और शादी होने में कुछ वक्त बाकी है, तो ऐसे में आप मोबाइल पर एकदूसरे से बात भी करते होंगे या व्हाट्सऐप के जरिए संदेशों का आदानप्रदान करते होंगे. यदि मंगेतर उसी शहर में है, तो व्यक्तिगत रूप से मुलाकात भी होती होगी. यहां तक तो सब सामान्य है, लेकिन जब आप घंटों आपस में बतियाते हैं या रूबरू होते हैं तो जानेअनजाने कोई बात बुरी भी लग सकती है, जिस की वजह से मंगेतर रूठ सकता है.

यदि आप का मंगेतर आप से रूठ गया है तो क्या किसी बिचौलिए का इंतजार करेंगी या स्वयं इस की पहल करेंगी? कैसे मनाएंगी रूठे मंगेतर को?

रूठे मंगेतर को मनाना आसान भले ही न हो, लेकिन मुश्किल भी नहीं है. उस का आप से रूठना, नाराज होना थोड़े समय के लिए ही होता है, क्योंकि लंबे समय तक वह भी बात किए बिना नहीं रह सकता. हां, पुरुष होने का अहम उसे हो सकता है, इस के चलते वह सोचता है कि आप उसे मनाएंगी.

यदि आप दोनों के बीच असंवाद की स्थिति बनी हुई है, तो इसे लंबा न खींचें. कई बार यह रिश्ता टूटने का कारण भी बन जाती है. इसलिए सौरी कहने में देर न करें.

जब आप अकेली होती हैं और मोबाइल पर उस से बात करते नहीं थकतीं, तो कई बार कोई ऐसी बात निकल जाती है, जो उसे चुभ जाती है. यही नहीं फोन पर या व्हाट्सऐप पर आप झगड़ भी लेती हैं. इस लड़ाईझगड़े को आप तूल देती हैं तो रिश्ता टूटते देर नहीं लगती.

यदि छोटीमोटी बात को ले कर तकरार हुई भी हो तो उसे प्रतिष्ठा का प्रश्न न बनाएं. आप को लगता है कि गलती उस की है और उसे लगता है कि आप गलत हैं. इस का फैसला कौन करेगा? बेहतर होगा कि आप ही झुक जाएं ताकि उस का ईगो शांत हो जाए.

कई बार गलतफहमी की वजह से अर्थ का अनर्थ हो जाता है, जिस से बात का बतंगड़ बन जाता है. इस स्थिति से बचने और गलतफहमी दूर करने के लिए संवाद स्थापित करना बहुत जरूरी है.

रूठे मंगेतर को मनाना भी एक कला है और यदि यह कला आप को आती है तो आप को उसे मनाने में देर नहीं लगेगी. आप की एक मुसकराहट से उस का सारा गुस्सा काफूर हो जाएगा. बस, प्यार भरी दो बातें कर के तो देखिए, वह घुटनों के बल आप के सामने नतमस्तक न हो जाए तो कहिएगा, लेकिन यदि आप यह सोचती हैं कि मैं उसे क्यों मनाऊं? तो बैठी रहिए उस के इंतजार में. यह इंतजार कब खत्म होगा, कह नहीं सकते?

याद रहे, मानमनौअल से प्यार बढ़ता है और रिश्ते में मजबूती आती है. आप चाहें तो उसे मनाने के लिए किसी कवि, गीतकार की प्यार भरी कोईर् कविता, गजल उसे व्हाट्सऐप कर दें या फिर सुंदर खिला गुलाब या गुलदस्ता व्हाट्सऐप कर दें. हां, यदि व्यक्तिगत रूप से मिलना संभव हो तो उस के लिए गुलाब के साथसाथ कोई अच्छा तोहफा भी ले जाएं. और हां, उसे आई लव यू कहने में कोताही न बरतें.

दो बातें युवकों से

आप उस के होने वाले पति हैं. यदि वह आप से नाराज है, तो उस की नाराजगी दूर होने तक इंतजार करें.

यदि आप की मंगेतर किसी बात पर आप से रूठ जाती है तो क्या आप उसे नहीं मनाएंगे? अपने पुरुष अहम को छोड़ कर उसे मनाने की कोशिश करें. सौरी कह कर देखिए, वह मान जाएगी. एक सौरी सारे गिलेशिकवे दूर कर देती है.

युवतियां स्वभाव से काफी भावुक होती हैं. यदि मंगेतर रूठ जाए तो उन की आंखों से आंसू थमने का नाम नहीं लेते. क्या आप उस के आंसू पोंछने नहीं जाएंगे? उसे मनाने के लिए एक चौकलेट ही काफी है. युवतियां इस की दीवानी होती हैं तथा इसे प्रेम का प्रतीक भी मानती हैं. यदि व्यक्तिगत तौर पर मुलाकात हो तो चौकलेट के साथ कोई अच्छा सा तोहफा और प्यार का प्रतीक गुलाब देना न भूलें.

– डा. अनुभा गुप्ता बडेस

बच्चों के बदलते रंगढंग, पेरेंट्स हो रहे तंग

राहुल के पेरैंट्स को उस समय गहरा सदमा लगा जब उन्हें पता चला कि उन के बेटे का लिवर खराब हो चुका है. उन्होंने 2 साल पहले राहुल को इंजीनियरिंग पढ़ने के लिए बेंगलुरु भेजा था. अपनी मेहनत की गाढ़ी कमाई का बड़ा हिस्सा वे अपने लाड़ले की पढ़ाई पर खर्च कर रहे थे. उन्हें भरोसा था कि पढ़लिख कर राहुल का कैरियर संवर जाएगा. बेटे से मिलने जब वे बेंगलुरु पहुंचे तो डाक्टरों ने बताया कि काफी ज्यादा नशा लेने की वजह से राहुल का लिवर खराब हो गया है. यह सुन कर उन्हें झटका लगा. पढ़ने के बजाय राहुल नशाखोरी करता रहा. सिर पीटने के अलावा उन के पास कोई चारा न था.  इस तरह के ढेरो वाकए हैं कि जब मातापिता बेटे को पढ़नेलिखने के लिए बाहर भेजते हैं और बेटा नशे के जाल में फंस कर अपनी जिंदगी व कैरियर चौपट कर लेता है.

पटना के एक बैंक अधिकारी हीरा सिन्हा के साथ कुछ ऐसा ही हादसा हुआ. 4 साल पहले उन्होंने बड़े ही जतन से अपने इकलौते बेटे रौशन को मैडिकल की कोचिंग के लिए दिल्ली भेजा था.  वे हर महीने बेटे के बैंक अकाउंट में 10 हजार रुपए डाल देते और निश्ंिचत थे कि उन का बेटा मैडिकल की जम कर तैयारी कर रहा है. एक दिन उन के पास पुलिस का फोन आया कि उन के बेटे ने खुदकुशी कर ली है. दिल्ली पहुंचे तो पता चला कि शुरुआत में एक महीना कोचिंग करने के बाद वह कभी कोचिंग करने गया ही नहीं. शराब और ड्रग्स की चपेट में फंस कर उस ने अपनी जिंदगी ही खत्म कर ली.

स्कूल, कालेज और कोचिंग क्लासेज करने वाले काफी ज्यादा बच्चे नशे के शिकार बन रहे हैं. जब नशे की वजह से किसी गंभीर और खतरनाक बीमारी की चपेट में आ जाते हैं तो उन्हें पता चलता है कि नशे ने उन का क्या बरबाद कर के रख दिया. ग्लानि और मातापिता के डर से कई खुदकुशी कर लेते हैं तो कईर् बीमारी का इलाज करातेकराते ही अपने जीवन का सुनहरा दौर खत्म कर लेते हैं.  रमेश कदम पटना में सैंकंड ईयर इंजीनियरिंग का स्टूडैंट है. पढ़ाई के दौरान ही उस की संगति नशेडि़यों से हो गई और शराब पीने की लत लग गई. उस की आंखें हमेशा लाल और चढ़ीचढ़ी रहने लगीं और वह बातबात पर चिड़चिड़ाने व झल्लाने लगा. घर वाले उसे डाक्टर के पास ले गए तो डाक्टर ने बताया कि रमेश नशे का आदी है. डाक्टर ने कहा कि नशामुक्ति केंद्र में डाल कर उस का इलाज कराएं.

बच्चे के रोज की दिनचर्या और उस की बदल रही गतिविधियों पर मातापिता को नजर रखनी चाहिए. बच्चे के रंगढंग में बदलाव दिखने पर सतर्क हो जाना चाहिए. नशा या किसी भी गलत काम करने वाला लड़का दिन या शाम में कोई खास समय पर घर से गायब होने लगता है. वह पढ़ाई करने, दोस्तों से नोट्स लेने, टीचर के पास जाने, दोस्तों द्वारा पार्टी देने आदि का बहाना बना कर रोज घर से निकलने लगेगा.  रोजरोज ऐसे बहाने बना कर बच्चा बाहर जाने की कोशिश करे तो शुरू में ही उसे समझाबुझा कर या हलकी डांटफटकार लगा कर पढ़ाई के लिए बैठने को कहें.  आखिर पढ़ाईलिखाई की उम्र में बच्चे कैसे और क्यों नशे के जाल में फंस जाते हैं? बच्चों के प्रति मातापिता और परिवार का ध्यान न देना इस की सब से बड़ी वजह है. ज्यादातर मातापिता बच्चों को किताब, कपड़े, मोबाइल, कंप्यूटर, रुपया दे कर अपनी जिम्मेदारी का खत्म होना समझ लेते हैं. जबकि उन्हें चाहिए कि रोज बच्चों के साथ बैठ कर पढ़ाई, टीचर, दोस्तों और उन के शौक के बारे में उन से बातें करें.

इस से बच्चा मातापिता और परिवार वालों से घुलामिला रहेगा. कभीकभार अभिभावकों को चाहिए कि वे बच्चों के साथ मार्केटिंग, फिल्म देखने, डीवीडी लेने, पार्कों में घूमने भी जाएं, ताकि मनोरंजन के लिए उसे गलत रास्ता न अपनाना पड़े.  नशामुक्ति केंद्र में 6 माह तक इलाज करवा कर नशे से तोबा करने वाला रवि बताता है कि ग्रुप प्रैशर यानी दोस्तों के दबाव में उस ने शराब पीनी शुरू की. दोस्त उसे शराब पीने को कहते और वह मना करता तो उस की खिल्ली उड़ाई जाती. दूधपीता बच्चा, नामर्द, बबुआ और न जाने क्याक्या कहा जाता. इस से आजिज हो कर एक दिन शराब पी ली और फिर उस में ऐसा डूबा कि फिर निकलना मुश्किल हो गया.  मातापिता से आसानी से रुपया मिल जाना, कदमकदम पर आसानी से शराब, गुटखा, गांजा व नशे का अन्य सामान मिल जाना, पश्चिमी शैली की नकल, समाज में बढ़ता खुलापन, तनाव, अवसाद आदि वजहों से भी युवा नशे की गिरफ्त में फंसते हैं.

कम आयु में ही बच्चों को नशे की लत लगने से उन का जीवन, कैरियर, शरीर, परिवार और समाज पर काफी बुरा असर होता है. जिस आयु में उन्हें खुद को और परिवार व समाज को बनानेसंवारने का समय होता है, उस में नशाबाजी कर वे सब चौपट कर लेते हैं. सो, मातापिता को बच्चों के प्रति सतर्क होने की जरूरत है.

चेत जाएं मातापिता जब…

बच्चा बेसमय या किसी खास समय पर घर से रोज निकलने लगे.

अलमारी, दराज या आप के पौकेट से रुपए गायब होने लगें.

बच्चों की आंखें लाल और सूजी लगने लगें.

उलटी करें और नींद न आने की बात करें.

घर से कीमती सामान गायब होने लगें.

बाथरूम में ज्यादा समय गुजारें.

बच्चे सुबह देर से जगें.

परिवार के सदस्यों से दूरी बनाने लगें.

चिड़चिड़े और गुस्सैल हो जाएं.

खांसी का दौरा पड़ने लगे.

झूठ बोलने की आदत पड़ जाए.

क्या आपको पता हैं महिलाओं के ये 12 सीक्रेट

बहुत सी ऐसी बातें है जिसकी चाहत हर महिला को होती है लेकिन वो स्‍वयं इन्हें अपनी जुबां से कभी नहीं कहती. जैसे उनका प्रेमी उनके नखरे उठाएं, उनके आगे-पीछे घूमें, उन्हें महत्‍वपूर्ण समझें, उनकी हर बात मानें.

1. महिलाओं के सीक्रेट

महिलाओं का स्‍वभाव बहुत शार्मिला होता है. इसलिए उनके दिल की बात को जुबां तक आने में काफी समय लगता हैं. लेकिन बहुत सी बातें ऐसी है जो हर महिला चाहती हैं. जैसे अपने प्रेमी से प्‍यार और देखभाल की उम्‍मीद, साथ ही यह भी की उनका प्रेमी उनके नखरे उठाएं, उनके आगे-पीछे घूमें, उन्हें महत्‍वपूर्ण समझें, उनकी हर बात मानें. आइये इसके अलावा महिलाओं की सीक्रेट के बारे में जानें.

2. अपनी तारीफ सुनना

महिलाओं को हमेशा उनकी तारीफ करने वाले पुरुष बहुत अच्‍छे लगते हैं. ऐसे में उन्‍हें बहुत अच्‍छा लगता है जब प्रेमी उनमें किसी भी तरह का बदलाव दिखने पर तुरंत उनकी प्रशंसा करें. जैसे अगर महिला फिट दिखें, कोई नया हेयरकट करवाया हो या आकर्षक लगें, तो उनकी तारीफ जरुर करें.

3. ध्यान रखने वाला पुरुष

महिलाओं को केयर करने वाले पुरुष बहुत पसंद होते है. महिलाएं संवेदनशील होती है इसलिए उन्‍हें ऐसे ही पुरुष बहुत अच्‍छे लगते है. जो परेशानी के समय उनकी अच्‍छे से देखभाल कर सकें.

4. कपड़ों से प्रभावित होना

ज्‍यादातर महिलाएं पुरूषों को उनके पहनावे से भी पसंद करती है. इसलिए पुरुषों को चाहिए कि वह महिलाओं को अपने कपड़ों से प्रभावित करने की कोशिश करें. पुरुषों को हमेशा अपने सौंदर्य और कपडों पर ध्यान देना चाहिए. अगर, महिलाएं आपको टाइट जींस में देखना पसंद करती है, तो उनके लिए ज्यादातर टाइट जींस पहनें.

5. पुराने संबंधों के बारे में जानना

अगर महिलाएं आप से आपके पुराने संबंधों के बारे में बात करना चाहे, तो इसका अर्थ यह नहीं कि आपने कुछ गलत किया है. अपने संबंधों के बारे में बात करने से ना डरें. यह तो आप दोनों के लिए अच्छी बात है, क्‍योंकि सच्चाई और लंबी बातचीत आप लोगों को एक दूसरे के करीब ला सकती है.

6. सुझावों को थोपें नहीं

अकसर पुरुष महिलाओं की समस्‍या सुने बिना अपने सुझावों को उनपर थोपने लगते हैं. पुरुष, अपने राय को उन पर थोप कर उनकी दुनिया को सीमित कर देते हैं. इसलिए अगर वह किसी बात से परेशान है, तो उन्हें सलाह देने से पहले उनकी बात को अच्‍छे से सुनें.

7. रिश्‍ते में रोमांस

महिलाएं अपने रिश्‍ते की कद्र करने के साथ रिश्‍ते में रोमांस को निरंतर बनाये रखना चाहती हैं. इसलिए यह जरूरी है कि आपका रिश्‍ता चाहे वह 5 म‍हीने से हो या 5 सालों से उसमें रोमांस को हमेशा बनाये रखें.

8. कमियों को जानना

महिलाओं को प्रशंसा करने वाले पुरुषों के साथ-साथ कमियां बताने वाले पुरुष भी पसंद होते हैं. जैसे, अगर महिला लंबे समय तक काम करने के बाद काफी थक गई हैं और चिडचिडापन महसूस कर रहीं हैं तो उस समय उनकी कमी को बताने वाले पुरुष पसंद आते हैं.

9. बातों को ध्‍यान से सुनना

महिलाएं अकसर यह जानने की कोशिश करती हैं कि उनकी बातों को आप कितनी ध्‍यान से सुनते हो और कैसे प्रतिक्रिया देते हैं. इसलिये महिलाओं से बात करते समय केवल सर हिलाना काफी नहीं है उनकी बात को महत्वपूर्ण ढंग से सुने.

10. सेक्स में उनकी चाहत

महिला अकसर सेक्‍स के बारे में बात करना और अपने साथी को खुश करना चाहती हैं. इसलिए आप भी सेक्‍स के दौरान वह करें जो महिला साथी चाहती है. इसके लिए विनम्र दृष्टिकोण अक्सर सबसे अच्छा होता है. पहले, यह पूछे कि वह क्या चाहती है. फिर अपनी इच्छा को सकारात्मक और सही तरीके से उनके सामने व्यक्त करें.

11. शिष्टता का व्‍यवहार

जब रोमांस की बात आती है तो बहुत सारी महिलाएं पुरुषों की पारंपरिक मर्दाना भूमिका ही पसंद करती है. जैसे लड़की बैठने के लिये खुद ही कुर्सी खीच सकती हो, लेकिन वह आपका इंतजार करती है कि आप उसको कुर्सी खींच कर दें. तो समय आ गया है कि आप उसकी नजरों में सज्जन पुरुष बन जाएं.

12. आपकी शर्ट उनके लिए प्यार का चुंबक

क्‍या आपकी महिला साथी आपके स्‍वेटर में सिकुड़ने या शर्ट में घुसने का प्रयास करती हैं. कुछ शोधकर्ताओं के अनुसार, महिलाओं को पुरुष के पसीने की गंध से आरामदायक प्रभाव पड़ता है. क्‍या आप महिलाओं के इस सीक्रेट के बारे में जानते हैं.

बच्चों को जरूर सिखाएं ये 5 बातें

आवश्यकता से अधिक बच्चों को बांध कर रखना बच्चों के विकास के लिए हानिकारक हो सकता है. दुनिया तेजी से आगे बढ़ रही है और बच्चों को हमेशा दुनिया की परेशानियों से दूर ऐसी दुनिया में नहीं रख सकते जहां उन्हें हमेशा यह महसूस हो कि सब बहुत अच्छा है. हाल ही में गुजरात के एक हीरा व्यापारी ने अपने इकलौते बेटे को खुद अपने बल पर कुछ कमाने के लिए कहा. अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा की 15 वर्षीया बेटी का सीफूड रेस्तरां में काम करना इस बात का प्रमाण है कि जीवन में शिक्षा के साथ और भी बहुतकुछ महत्त्वपूर्ण है. कुछ तरीकों से आप अपने बच्चे को आत्मविश्वासी और आत्मनिर्भर बना सकते हैं, जैसे–

1. उन्हें सिखाएं कि ‘न’ कैसे कहना है :

यह सुननेपढ़ने में आसान लगता है पर न कहना सीखना वाकई मुश्किल होता है. दुनिया अपने हिसाब से हमें चलाने की उम्मीद रखती है. ऐसे में न कहने के लिए काफी हिम्मत चाहिए. बच्चों को जल्दी ही न कहना सिखा देना उन्हें कई चीजों में मदद करता है. उन्हें सिखाएं कि जो तुम्हें पसंद नहीं आ रहा है उस के बारे में वे साफसाफ कहें. इस से उन का आत्मविश्वास बढ़ेगा, कोई उन्हें हलके में नहीं लेगा. अगर न कहना नहीं आएगा तो उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. वे तनाव नहीं झेल पाएंगे, झूठ बोल सकते हैं या किसी की भी बातों में फंस सकते हैं.

2. घर में कभीकभी अकेला छोड़ें :

बहुत सारे मातापिता को घर में बच्चों को अकेला छोड़ना मुश्किल लगेगा लेकिन सीसीटीवी कैमरा, आप के फोन कौल्स, पड़ोसी, इन सब सुरक्षाओं के साथ आप थोड़ा निश्चिंत हो सकते हैं. एक पेपर पर इमरजैंसी नंबर लिख कर रखें. बच्चों को गैस रैगुलेटर बंद करना सिखाएं. उन्हें फिनायल, कीटनाशक दवाओं या इस तरह की चीजों से दूर रखना सिखाएं. सब से जरूरी बात, उन्हें दरवाजा खोलने से पहले पीपहोल का प्रयोग करना सिखाएं.

10 वर्षीया बेटी की मां सरिता शर्मा कहती हैं, ‘‘कभीकभी बैंक या सब्जी या कुछ और खरीदने के लिए बेटी को घर में छोड़ कर जाना पड़ता है. इसलिए मैं ने उसे डिलीवरी बौयज या किसी अजनबी के लिए दरवाजा खोलने से मना किया हुआ है. दूसरा, यदि मैं घर पर नहीं हूं तो कोई लैंडलाइन पर फोन करता है तो उसे समझाया है कि वह यह कहे कि मम्मी व्यस्त हैं और बस, वह मैसेज ले ले. इस से बच्चे अपना समय ज्यादा अच्छी तरह बिताना सीख लेते हैं और अपनेआप ही उन्हें कई काम करने आ जाते हैं.’’

3. घूमने और अनुभव लेने दें :

चाहे कौमिक पढ़ना हो, मूवी देखना हो, कैंप में जाना हो या ट्रैकिंग के लिए जाना हो, उन्हें  मना न करें. उन से अपनी पसंद की पुस्तकें चुनने के लिए कहें. उन से दोस्तों के साथ समय बिताने दें. उन पर हमेशा हावी न रहें. उन्हें भविष्य में बड़े, महत्त्वपूर्ण निर्णय लेने होंगे. 4 वर्षीय बेटे के पिता गौरव कपूर कहते हैं, ‘‘जब मेरा बेटा 7 साल का था तब से ही मैं उसे अपनी बिल्डिंग में नीचे ही सामान खरीदने भेज दिया करता था. उसे स्कूल एजुकेशनल ट्रिप पर भी भेजा करता था. वह अपनी उम्र के बच्चों से ज्यादा आत्मनिर्भर है और बातचीत करने में उस में बहुत आत्मविश्वास है.’’

4. पब्लिक ट्रांसपोर्ट के बारे में बताएं :

अंजू गोयल ने अपने 2 साल के बेटे का जन्मदिन अपने पति के साथ मुंबई में ‘बैस्ट’ बस में बिताया. वे कहती हैं, ‘‘जब भी हम बाहर जाते हैं, मेरा बेटा बस को बहुत शौक से देखता है. मैं ने सोचा अपने जन्मदिन पर वह बस में बैठ कर खुश होगा और वह बहुत खुश हुआ भी. जब वह और बड़ा होगा, मैं उस से पब्लिक ट्रांसपोर्ट का प्रयोग करने के लिए ही कहूंगी.’’ भले ही आप अपने बच्चे को कार का आराम देना चाहें, उन्हें पब्लिक ट्रांसपोर्ट के बारे में बताना भी बहुत महत्त्वपूर्ण है. सामान्य ट्रैफिक नियम बताएं, सड़क के शिष्टाचार सिखाएं.

5. यदि ऐसा हो तो :

जीवन में कई स्थितियों में अपने बच्चों को ऐक्सिडैंटप्रूफ बनाने के लिए, ‘यदि ऐसा हो जाए’ वाली स्थिति से निबटने के लिए समझाएं. 8 और 10 साल के बच्चों की मां रीता शर्मा कहती हैं, ‘‘हम दोनों कामकाजी हैं. हमारे बच्चे डेकेयर में रहते हैं. मैं ने बच्चों को लोकप्रिय गानों की ट्यून पर इमरजैंसी नंबर, पास में रहने वाले रिश्तेदारों के नंबर बताए हैं. अब जब गाना बजता है, वे नंबर दोहराने लगते हैं.’’ बच्चों को अजनबियों से सचेत रहने के लिए कहें. उन्हें असुरक्षित जगहों के बारे में बताएं. अपने घर के आसपास महत्त्वपूर्ण लैंडमार्क समझा दें. भले ही वे सुरक्षित माहौल में हों, आप खुद भी उन पर, उन के आसपास की चीजों पर नजर जरूर रखें. उन की बातें ध्यान से सुनें, उन्हें अपना समय दें.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें