जाने जीजी के मन में क्या था. उस ने इन्हीं दिनों सेल्विना को अपना और तनय का वीडियो भेज कर अपने घर बुला लिया. वह भी उस वक्त जब तनय जीजी के साथ था.
सेल्विना का रोतेराते बुरा हाल था. वह लौट गई. सुबह तनय सेल्विना के पास वापस नहीं
लौट सका.
तनय समझ गया था कि वह सेल्विना को खो चुका है. जीजी ने उसे समझ लिया कि
जीजी तनय को हमेशा के लिए अपना बनाना चाहती है, इधर डेढ़ महीना होने को आया था- मम्मीपापा को बिहार के पास रखे हुए. अब जल्दी नतीजे पर पहुंचना जरूरी था. आखिर सेल्विना कौन थी? क्यों जीजी ने उस की जिंदगी उजाड़ी? तनय ही क्यों?
मैं ने अनादि को एक कौफी शौप में बुलाया. उस से कहा, ‘‘क्या तुम भी इस गेम में उतर रहे हो अनादि?’’
‘‘ऐसा क्यों लगा तुम्हें?’’
‘‘फिर ये सब क्या है? चाहने की बात क्यों करने लगे.’’
‘‘इस में बुराई तो कुछ नहीं न. हमउम्र हैं दोनों और दोनों की आय भी अच्छी है, दोस्त भी हैं. मैं तुम्हें पसंद भी करता हूं.’’
‘‘और मैं? पूछोगे नहीं या जरूरी नहीं है?’’
‘‘प्लीज बताओ.’’
‘‘बताऊंगी. पहले मेरे लिए हमारे इस काम को खत्म करो.’’
‘हांहां क्यों नहीं.’’
‘‘चलो फिर सेल्विना के स्कूल.’’
स्कूल पहुंच कर सेल्विना हमें नहीं मिली तो एक बच्चे की मदद से पास ही उस के फ्लैट में पहुंचे. शाम के 5 बज रहे थे. सेल्विना ने दरवाजा खोला तो पूरे घर में अंधेरा पसरा था. खिड़कीदरवाजे सब बंद. सेल्विना एक स्लीवलैस औफ व्हाइट बनियान फ्रौक में बड़ी मुरझई सी लग रही थी. ब्रेकअप का दर्द साफ था उस के चेहरे पर.
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सेल्विना हमें ड्राइंगरूम में ले गई. हम ने अपना परिचय देकर अपनी
मंशा जताई. उस ने पूरी जानकारी देने का वादा किया. मैं ने पूछा, ‘‘तुम्हारे बौयफ्रैंड का नाम
तनय है?’’
‘‘हां.’’
‘‘कब मिली थी उस से?’’
‘‘लगभग 3 साल पहले. मैं रशिया के समारा शहर की लड़की हूं, सौतेले पिता के 2 बेटों की मुझ पर बुरी नजर थी, मैं वहां से अमेरिका चली गई पढ़ने. वहां तनय मिला मुझे.
‘‘उसे ग्राफिक्स कंपनी में जल्द नौकरी
मिल गई. हमारी आपस में बौंडिंग अच्छी हो गई थी. पेंटिंग्स का वह दीवाना था और अपनी ग्राफिक्स डिजाइनिंग में मुझ से आइडिया लेता रहता था.’’
‘‘तनय का बैकग्राउंट बताओ. कहां का है व कहां से पढ़ा है?’’
‘‘वे लोग कोलकाता से हैं… ये असल में राजस्थान के लाला हैं.’’
‘‘हमारे रिश्तेदार भी हैं कुछ जिन की लाला में शादी हुई थी. पढ़ा कहां से है?’’
‘‘मुंबई.’’
‘‘इस के पिता का नाम हरिनाथ और मां का नाम सुभागी है?’’
‘‘हां ऐसा ही कुछ है.’’
‘‘तनय तो तुम्हारे ही साथ रहता है, उस की मां कहां है?’’
‘‘यहां से पास ही है उन लोगों का घर. वह शाम को नौकरी के बाद वहां जाता था, कभीकभी मैं भी.’’
‘‘सेल्विना तनय का कोई पुराना सर्टिफिकेट है तुम्हारे पास जिस में उस के पिता का नाम
दर्ज हो?’’
सेल्विना ने अलमारी से एक फाइल निकाल कर दिखाई.
हां, यह तो वही शख्स है जिस पर जीजी ने बदले का प्रण किया था यानी हमारी नानी के चचिया सास की बेटी के बेटे यानी हमारी नानी की चचेरी ननद के बेटे यानी हमारे चचेरेफुफेरे मामा तनय लाला.
धन्य हो जीजी. तुम्हारे बदले की भावना हम सब को कहां ले कर गई. अब और तुम क्या करने वाली हो. तुम ने तो बदले की भावना से न सिर्फ सेल्विना और तनय को बरबाद किया, बल्कि और भी कई लोगों को उलझया. अब और क्या हासिल करना चाहती हो?’’
सेल्विना ने ही बताया कि जीजी तनय से पहले ही से जुड़ी थी, बाद में तनय ने सल्विना से जोड़ा जीजी को. मगर तनय धीरेधीरे जीजी के जाल में कब फंस गया, खुद ही नहीं समझ पाया.
हम सेल्विना को मदद का वादा कर बाहर आ गए. अनादि से मैं ने पूछा ‘‘क्या अब तुम्हें मेरी मदद करने के लिए किसी शर्त की जरूरत पड़ेगी?’’
‘‘नहींनहीं पड़ेगी, मेरी कोई शर्त भी नहीं है, यह तो तुम्हारी इच्छा पर है कि तुम मेरी बनना चाहोगी या नहीं.’’
‘‘तो पहले एक निर्दोष का दुख दूर करें, उस के बाद दूसरी बातें.’’
‘‘जी आज्ञा,’’ अनादि मुसकराया.
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मैं अनादि के फ्लैट में रहने चली गई. अनादि मुझ से चाबी ले कर मेरे घर पहुंच कर मेरे कमरे में जा कर सो गया. तनय सुबह वहीं से औफिस के लिए निकल गया. सभी यही समझते रहे कि बंद कमरे में मैं हूं.
जीजी अभी नहा कर निकली थी और वह टौवल लपेटे थी. अनादि कमरे से निकला. जीजी उसे सामने देख अचंभित हो गई.
अनादि उसे आगे कुछ समझने का मौका दिए बिना मेरे कमरे में खींच ले गया. अनादि अपने शिकार को काबू में करता हुआ धीरेधीरे उसे इस तरह तैयार कर चुका था कि वह खुद शिकारी बन जाए.
गोरी रंगत का नया लड़का, जीजी खुद पर काबू नहीं रख पा रही थी जो उठ कर इस का विरोध करे.
आधे चंद्रमा के सामने जब आधी रात
जीजी तड़प उठी तो उस ने खुद ही यह बीड़ा उठा लिया.
अनादि इसी इंतजार में था. सतर्कता से रखे कैमरे को अनादि ने अब औन कर लिया था.
मैं ने अनादि से क्षमा मांगी और उस के पैन में लगे कैमरे में कैद दृश्यों को देखा और उन्हें अपने फोन में लिया. मेरा काम बन गया था.
सेल्विना और निहार को वे वीडियो भेजे और नोट लिखा, ‘‘बुराई को फांसा गया है, अब न्याय होगा.’’
मैं ने सेल्विना से संपर्क किया और कहा, ‘‘जल्द ही तुम्हें तुम्हारा प्यार वापस मिलेगा. तनय का फोन नंबर दो.’’
उस ने तुरंत दिया और मैं ने तनय से उस के औफिस में लंच के समय मिलने का तय किया.
मैं ने जीजी, उस के और हमारे बीच के परिचय सूत्र
और बदले के इतिहास का पूरा विवरण दे डाला. इस के साथ ही जीजी के साथ उस का वीडियो उसे यह कह कर दिखाया कि यह जीजी ने तुम्हारे विरुद्ध इस्तेमाल के लिए दिया था. किस तरह जीजी उस की मेहनत की कमाई लूट रही थी, याद दिलाया और अंतत: जीजी और अनादि का वीडियो यह कह कर दिखाया कि कैमरा मैं ने अपने कमरे में पहले से लगा रखा था. मुझे जीजी पर बिलकुल भी भरोसा नहीं था.
तनय खूबसूरत तो था, लेकिन वाकई कुछ नासमझ था.
वह डर गया, ‘‘यह औरत मेरे औफिस तक न आ जाए.’’
‘‘तुम अपने फोन की सिम बदल लो, साथ ही अपने बौस से मिला दो मुझे, तुम किस कदर मुश्किल में फंसे हो, वह भी पहले की किसी गलती के बिना, उन्हें समझ दूंगी. फिर तुम पर आंच नहीं आएगी.’’
तनय ने हमारे सामने सेल्विना से माफी
मांग ली. सेल्विना ने भी अपने प्यार को माफ कर नया जीवन शुरू करने का ठान लिया. अब बारी थी निहार और अनादि की. अनादि के दिल में अब तूफान मचा था. चौंतीस साल के निहार
जिम और डायट कंट्रोल से छब्बीस के लग रहे थे. मैं ने मम्मीपापा और निहार को जीजी का
1-1 कारनामा बताया.
कहा मैं ने, ‘‘जीजी के अविकसित दिमाग में बदला, ईर्ष्या और वासना का अजब तालमेल है. इसलिए वह जिंदगी से तालमेल नहीं बैठा पाई. जो जैसा है उसे उस का प्रतिफल मिलता ही है. यही न्याय है. न्याय अपनापराया नहीं देखता और उसे देखना भी नहीं चाहिए.’’
अनादि अपनी बात के लिए चंचल हो
रहा था.
मैं ने अनादि से कहा, ‘‘अनादि तुम ने जो हमारे लिया किया, वह पूरी तरह निस्वार्थ था. किसी न किसी रूप में हम सब का स्वार्थ जुड़ा था. एक तुम ही ऐसे थे, जिन्हें इस केस से कुछ भी लेनादेना नहीं था. तुम्हारे लिए जो भी मेरे मन में है निहार से कहना जरूरी है.’’
मैं ने देखा उन दोनों की सांसें लगभग रुक चुकी थीं.
मैं ने निहार से कहा, ‘‘अनादि अब मेरा बहुत अच्छा दोस्त है और निहार, शादी के बाद…’’ मैं जानबूझ कर रुक गई थी.
निहार का चेहरा देखने लायक था, पर अनादि का सताना सही नहीं था. मैं बोल पड़ी, ‘‘शादी के बाद हम अनादि के लिए दुनिया की सब से अच्छी लड़की मिल कर
ढूंढ़ेंगी निहार. निहार की रुकी हुई सांसें जैसे चल पड़ी थीं.
‘‘ईशु,’’ निहार के मुंह से निकला.
अनादि उठ कर निहार से गले मिला. फिर मुझ से और निहार से संपर्क में रहने की बात कह वह चला गया. उधर तनय और सेल्विना की शादी में जीजी को छोड़ सभी उपस्थित थे.
जीजी को मम्मीपापा ने अपने गहनों और रुपयों से कुछ हिस्स देकर बाहर का
रास्ता दिखा दिया. जीजी के असामाजिक कृत्यों की वजह से जल्द ही निहार को जीजी से डिर्वोस मिल गया और मैं निहार की बन गई हमेशा के लिए. जीजी दिल्ली चली गई थी और वहीं एक स्कूल में नौकरी कर ली थी.
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दिल्ली से एक दिन जीजी का मुझे संदेश आया, ‘‘उम्मीद नहीं थी तू मुझे धोखा दे कर जड़ से काट फेंकेगी.’’
मैं ने उसे कोई जवाब नहीं दिया. मन ही मन मथ रही थी मैं कि बदले की आग में इंसान खुद तो जल मरता है, दूसरों को भी अकारण जला देता है. अब अगर बुराई को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए मैं ने धोखा दिया तो दिया… जीजी, इस असुविधा के लिए खेद है, पर अफसोस नहीं.