शादी से पहले यह प्लानिंग की क्या

बदलती सामाजिक और आर्थिक परिस्थितियों ने लोगों के जीवन को बहुत प्रभावित किया है. आधुनिकता के इस युग में ऐसी सभी सामाजिक मान्यताएं जो व्यक्ति की इच्छाओं और हितों के खिलाफ हैं, अपना औचित्य खो चुकी हैं. बदलावों की इस सूची में विवाह की प्रक्रिया को भी शामिल किया जा चुका है. जहां पहले मातापिता ही अपनी संतान के लिए हमसफर चुनते थे, वहीं अब जीवनसाथी का चुनाव युवा खुद करने लगे हैं.  प्यार के नशे में चूर युवाओं को अपने साथी के साथ के अलावा कुछ नहीं सूझता. अपने रिश्ते पर सामाजिक मुहर लगवाने के लिए शादी के बंधन में युवा बंध तो जाते हैं, लेकिन प्यार का हैंगओवर तब उतर जाता है जब पारिवारिक और आर्थिक समस्याओं से सामना होता है.

इस स्थिति में कई बार रिश्ते टूटने के कगार पर पहुंच जाते हैं.

ऐसा ही हुआ दिल्ली की दिव्या के साथ. वह अपने प्रेमी अमित को पति के रूप में पा कर बेहद खुश थी. दिव्या का परिवार आर्थिक रूप से मजबूत था, लेकिन अमित अपने घर में इकलौता कमाने वाला था. अत: मातापिता की जिम्मेदारी के साथसाथ छोटे भाई की पढ़ाईलिखाई का खर्च भी उसे ही उठाना पड़ता था. पहले से अमित के परिवार की आर्थिक स्थिति से अवगत दिव्या को उस के जिम्मेदाराना  स्वभाव ने ही आकर्षित किया था. लेकिन यह आकर्षण तब फीका पड़ने लगा जब दिव्या को ससुराल जा कर घरेलू कामकाज में खटना पड़ा. आमदनी अच्छी होने के बावजूद अमित दिव्या को नौकरचाकर की सुविधा उपलब्ध नहीं करा सकता था, क्योंकि उस की सैलरी का आधे से अधिक हिस्सा घर की ही जिम्मेदारियों को पूरा करने में खर्च हो जाता था.

दिव्या ने भी शादी से पहले अमित से इन सुविधाओं को उपलब्ध कराने की कोई बात नहीं की थी. अमित दिव्या को इसीलिए ऐडजस्टिंग स्वभाव का समझता था. लेकिन यहां गलती दिव्या की है. गलती यह नहीं कि सुविधाओं के अभाव में वह ऐडजस्ट नहीं कर पा रही, बल्कि गलती यह है कि दिव्या ने शादी से पूर्व अपनी जरूरतों का जिक्र अमित से नहीं किया जो उस की सब से बड़ी भूल थी. दिव्या की ही तरह कई लड़कियां हैं, जो अपनी उम्मीदों को अपने प्रेमी पर शादी से पहले कभी जाहिर नहीं करतीं और बाद में उम्मीद के विपरीत परिस्थितियों में उन्हें इस बात का पछतावा होता है कि आखिर अपनी इच्छाओं को पहले जाहिर कर देते तो ये दिन न देखने पड़ते.  इसलिए बहुत जरूरी है कि शादी से पहले अपनी और अपने प्रेमी की इन बातों का खयाल कर लिया जाए:

आप का प्रेमी किराए के मकान में रहता है, मगर आप अपना घर चाहती हैं, इस बात को अपने प्रेमी के आगे रखने में कोई हरज नहीं है. यदि उस की आर्थिक स्थिति उसे शादी से पहले नया घर खरीदने की मंजूरी देगी तो वह शायद ऐसा कर सकेगा वरना शादी के बाद जल्दी से जल्दी अपना घर खरीदने का प्रयास करेगा. इस के अलावा आप खुद भी अपना घर खरीदने में अपने पति की आर्थिक सहायता करने के लिए खुद को तैयार कर सकेंगी.

आजकल कामकाजी लड़कियों के पास रसोई में परिवार के लिए खाना बनाने का समय नहीं होता, लेकिन विवाह बाद रसोई के काम के अलावा घर के बाकी काम भी करने पड़ते हैं. मगर सहयोग के लिए एक नौकर हो तो बात बन जाती है. अपने प्रेमी को शादी से पहले ही इस बात का संकेत दे दें कि आप पूरा दिन रसोई में नहीं खट सकतीं और आप को बेसिक होम ऐप्लायंस और एक नौकर की आवश्यकता पड़ेगी. यदि आप के प्रेमी के घर में पहले से ये सब चीजें उपलब्ध नहीं होगीं, तो वह कोशिश करे आप की मदद के लिए कुछ सुविधाएं उपलब्ध कराने की या फिर वह आप को साफ कह दे कि घर के काम के लिए सहयोग की उम्मीद न रखें. इस से आप अपने लिए सुविधा का सामान खुद भी जुटा सकती हैं.

घर में वाहन होने के बाद भी उस के सुख से आप वंचित हैं, क्योंकि वाहन पति नहीं पति के पिता का है. जाहिर है आप का उस वाहन पर हक नहीं है. लेकिन यदि वाहन आप के लाइफस्टाइल के लिए बहुत जरूरी है, तो इस की व्यवस्था करने के लिए प्रेमी को कहें या फिर खुद प्रयास करें.

प्रेमी की दादी, बहन या भाई की जिम्मेदारी उठाना.

प्रेमी यदि संयुक्त परिवार से है तो भाभी/देवरानी आदि की समस्याएं.

नौकरी है तो ठीक वरना अपने व्यवसाय के लंबे घंटे.

कैरियर प्लानिंग पर भी चर्चा जरूरी

आज की लड़कियां शिक्षित, आत्मनिर्भर और महत्त्वाकांक्षी हैं. घर बैठ कर रोटियां बेलने के बजाय उन्हें लैपटौप पर उंगलियां दौड़ाना पसंद है. मगर शादी के बाद पति चाहता है कि वह हाउसवाइफ बन जाए. अब यहां निर्णय आप को लेना है कि पति चाहिए या कैरियर अथवा दोनों. इस के लिए आप को विवाह का निर्णय लेने के पूर्व ही बौयफ्रैंड से इन बिंदुओं पर बात कर लेनी चाहिए:  शादी के बाद भी आप अपने कैरियर के लिए उतनी ही फिक्रमंद रहना चाहती हैं जितनी अभी हैं. हो सकता है आप का बौयफ्रैंड इस के विपरीत आप को नौकरी छोड़ घर की जिम्मेदारियों को संभालने के लिए कहे. इस परिस्थिति में यदि आप अपने कैरियर से खुशीखुशी समझौता कर लेती हैं तो ठीक है वरना रिश्ते से समझौता करना ही बेहतर विकल्प होगा.

शादी के बाद प्रेमी किस शहर में शिफ्ट होने की सोच रहा है. इस बारे में प्रेमी से चर्चा करें. आपसी सहमति से ही किसी दूसरे शहर में शिफ्ट होने का निर्णय लें. कई बार शादी के बाद भी युवा अपने कैरियर से संतुष्ट नहीं होते. ऐसे में जौब छोड़ कर फिर से पढ़ने का मन बना लेते हैं. आप के साथ ऐसा न हो, इस के लिए पार्टनर से इस विषय पर भी बात कर लें.

परखें पार्टनर की नीयत

प्यार में साथी के आकर्षण में खो जाना एक आम बात है. लेकिन आकर्षण में इतना भी न खोएं कि पार्टनर की नीयत को न परख सकें. दरअसल, लड़कियां अधिक भावुक होती हैं. लड़कों की मीठीमीठी बातों में जल्दी फंस जाती हैं. लेकिन कुछ लड़कों में इस के विपरीत गुण होते हैं. वे अपना उल्लू सीधा करने के लिए लड़कियों को अपनी चिकनीचुपड़ी बातों में फंसा लेते हैं. जैसे कानपुर की सोनिया को कौशल ने फंसाया था. दोनों एक ही कालेज में पढ़ते थे. सोनिया पढ़ाई में होशियार थी. उस के घर की आर्थिक स्थिति भी मजबूत थी. कौशल इन सभी बातों को भांप चुका था. सोनिया को अपने प्यार में फंसाने का उस का मकसद केवल उस के पैसों पर जिंदगी भर मजे लूटना था. घर वालों के बहुत समझाने पर भी सोनिया नहीं मानी और कौशल से शादी कर ली. शादी के बाद पति का निकम्मापन सोनिया को खलने लगा. लेकिन अब घर वालों से भी वह कुछ नहीं कह सकती थी. पछताने के सिवा अब उस के पास और कोई चारा न था.

सोनिया जैसी स्थिति का सामना हर उस लड़की को करना पड़ सकता है, जो अपने पार्टनर की नीयत को परखे बिना शादी का फैसला ले लेती है. लेकिन सवाल यह उठता है कि साथी की नीयत को कैसे परखा जाए? चलिए हम बताते हैं:

  1. पैसों को ले कर बौयफ्रैंड का क्या बरताव है, यह भांपने की कोशिश करें. जब आप दोनों साथ घूमते हैं, तो अधिक खर्चा कौन करता है? कहीं पैसे खर्च करने में साथी आनाकानी तो नहीं करता? इन बातों को समझने की कोशिश करें.
  2. भले ही आप की सैलरी आप के बौयफ्रैंड से ज्यादा हो, लेकिन उस के आत्मसम्मान को परखें. यदि वह आप से पैसे लेने में नहीं हिचकता तो जाहिर है कि उस में आत्मसम्मान की कमी है.
  3. यह जानने की कोशिश करें कि आप का साथी शादी के वक्त आप से किनकिन विलासिता की चीजों की डिमांड करता है. जाहिर है यदि वह आप से नक्द या किसी मूल्यवान वस्तु की चाहत रखता है तो उसे आप से नहीं आप के पैसों से प्रेम है.

शादी से पूर्व फाइनैंशियल प्लानिंग

कनासा स्टेट यूनिवर्सिटी की रिसर्चर एवं असिस्टैंट प्रोफैसर औफ फैमिली स्टडीज ऐंड ह्यूमन सर्विस की सोनया बर्ट की 4,500 कपल्स पर की गई स्टडी के परिणामस्वरूप पतिपत्नी के रिश्ते में सब से बुरा वक्त तब आता है, जब पैसों को ले कर दोनों में झगड़े होते हैं. स्टडी के मुताबिक इन झगड़ों की वजह से रिश्ता टूटने के कगार पर आ जाता है. इसलिए शादी से पूर्व ही भविष्य में आने वाली आर्थिक जरूरतों पर चर्चा कर लेनी चाहिए.

इस बाबत आर्थिक सलाहकार अरविंद सिंह सेन कहते हैं, ‘‘लव मैरिज में अकसर किसी एक पक्ष के घर वालों को रिश्ते पर आपत्ति होती है. ऐसे में शादी के बाद अपनी सभी आर्थिक जरूरतों को पूरा करने के लिए नए जोड़े को अपनी ही आमदनी पर निर्भर होना पड़ता है. ऐसे में सब से अधिक जरूरी होती है सिर छिपाने के लिए एक छत यानी अपना घर और आपातकालीन स्थितियों से निबटने के लिए नक्द पैसा. यदि शादी से पूर्व कुछ निवेश किए गए हों तो इस से काफी मदद मिलती है. ये निवेश इस प्रकार के हो सकते हैं :

पना घर होने के सपने को पूरा करने के लिए शादी से 2-4 साल पहले ही रियल स्टेट स्मौल इन्वैस्टमैंट प्लान लिया जा सकता है. इस प्लान के तहत बिना होम लोन लिए और एकमुश्त डाउनपेमैंट की समस्या से बचने के लिए छोटीछोटी इंस्टौलमैंट्स दे कर अपना घर बुक किया जा सकता है. हां, यह प्लान लेने से पहले कुछ जरूरी बातों पर जरूर गौर कर लें:

सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई गाइडलाइन को पढ़ कर ही कोई फैसला लें.

श्वसनीय बिल्डर द्वारा बनाई गई प्रौपर्टी में ही निवेश करें.

चिट फंड कंपनियों द्वारा बनाई प्रौपर्टी में निवेश करने से बचें.

ग्रुप हैल्थ इंश्योरैंस प्लान लें. यदि आप तय कर चुकी हैं कि शादी आप को अपने बौयफ्रैंड से ही करनी है तो अपने और उस के नाम पर इस प्लान को लिया जा सकता है. यह प्लान शादी के बाद सेहत से जुड़ी हर परेशानी में आप का आर्थिक मददगार बनेगा. इस प्लान के तहत छोटीछोटी बीमारियों से ले कर प्रैगनैंसी तक इस प्लान में कवर होते हैं.

अत: भावनाओं में बह कर बनाए गए रिश्ते भविष्य में आने वाली दिक्कतों का सामना करने में कमजोर साबित हो सकते हैं. प्रेम विवाह में अकसर ऐसा ही होता है. लेकिन थोड़ी सी समझदारी, प्लानिंग और साथी को परखने की कला आप की शादीशुदा जिंदगी को सफल बना सकती है.

कैसे बनाएं सुखद मैरिड लाइफ, ये टिप्स जरूर आजमाएं

दिल्ली के दीपक का मानना है कि शारीरिक संबंध तभी बनाया जाए जब इस की भूख हो. भावना और प्यार की इन की सोच में कहीं जगह नहीं है.

ऐसा अकसर देखने में आता है कि पतिपत्नी सहवास के दौरान एकदूसरे की इच्छा और भावना को नहीं समझते. वे बस एक खानापूर्ति करते हैं. लेकिन वे यह बात भूल जाते हैं कि खानापूर्ति से सैक्सुअल लाइफ तो प्रभावित होती ही है, पतिपत्नी के संबंधों की गरमाहट भी धीरेधीरे कम होती जाती है. ऐसा न हो इस के लिए प्यार और भावनाओं को नजरअंदाज न करें. अपने दांपत्य जीवन में गरमाहट को बनाए रखने के लिए आगे बताए जा रहे टिप्स को जरूर आजमाएं.

1. पत्नी की इच्छाओं को समझें

सागरपुर में रहने वाली शीला की अकसर पति के साथ कहासुनी हो जाती है. शीला घर के कामकाज, बच्चों की देखभाल वगैरह से अकसर थक जाती है, लेकिन औफिस से आने के बाद शीला के पति देवेंद्र उसे सहवास के लिए तैयार किए बिना अकसर यौन संबंध बनाते हैं. वे यह नहीं देखते कि पत्नी का मन सहवास के लिए तैयार है या नहीं.

सैक्सोलौजिस्ट डा. कुंदरा के मुताबिक, ‘‘महिलाओं को अकसर इस बात की शिकायत रहती है कि पति उन की इच्छाओं को बिना समझे सहवास करने लगते हैं. लेकिन ऐसा कर के वे केवल खुद की इच्छापूर्ति करते हैं. पत्नी और्गेज्म तक नहीं पहुंच पाती. आगे चल कर इसी बात को ले कर आपसी संबंधों में कड़वाहट पैदा होती है.

‘‘पति को चाहिए कि सैक्स करने से पहले पत्नी की इच्छा को जाने. उसे सैक्स के लिए तैयार करे. तभी संबंधों में गरमाहट बरकरार रहती है.’’

2. करें प्यार भरी बातें

एक हैल्दी सैक्सुअल लाइफ के लिए बेहद जरूरी है कि यौन संबंध बनाने से पहले पत्नी से प्यार भरी बातें जरूर की जाएं. कोई समस्या हो तो उस का हल निकालें. पत्नी से बातोंबातों में पता करें कि वह सैक्स में क्या सहयोग, क्या नवीनता चाहती है.

जयपुर के संजय और रूपाली का विवाह 2007 में हुआ. शादी के कुछ सालों तक संजय रूपाली के साथ खुल कर यौन संबंध बनाते रहे. लेकिन इधर 1 साल से वे रूपाली के साथ सैक्स संबंध बनाने से कतराने लगे हैं. रूपाली कहती है कि संजय गाहेबगाहे शारीरिक संबंध बनाते तो हैं, लेकिन बाद में उस से अलग हो कर सोने लगते हैं.

दरअसल, संजय की नजरों में यौन संबंध केवल पुरुष की भूख है, इसलिए रूपाली चाह कर भी संजय को भरपूर सहयोग नहीं कर पाती है.

मनोचिकित्सक डा. दिनेश त्यागी का मानना है कि एक अच्छे सहवास सुख के लिए आवश्यक है कि पतिपत्नी आपस में सैक्स के दौरान प्यार भरी बातें करें. यदि ऐसा नहीं हो तो पत्नी को लगता है कि पति को केवल सैक्स की ही भूख है, प्यार की नहीं. इसलिए प्यार भरी बातों को नजरअंदाज न करें.

3. स्थान व समय को बदलें

दिल्ली के ही नवीन का कहना है कि यदि वे रोजरोज पत्नी के साथ यौन संबंध नहीं बनाएंगे तो दूसरे दिन औफिस में तरोताजा हो कर काम नहीं कर पाएंगे. लेकिन उन की पत्नी को कोई मजा नहीं आता है, क्योंकि यह रोज के ढर्रे जैसी बात बन गई है. उस में कोई भी नवीनता नहीं रहती.

डा. कुंदरा कहते हैं कि सहवास का भरपूर आनंद उठाने के लिए कभी सोफा, कभी फर्श, कभी कालीन तो कभी छत पर और अगर घर में झूला लगा हो तो झूले पर, नहीं तो लौन पर चटाई बिछा कर सैक्स का आनंद लिया जा सकता है. पत्नियां सैक्स को प्यार से जोड़ती हैं. प्यार के इस अनुभव को वे घर के अलगअलग स्थानों पर अलगअलग समय पर नएनए तरीके से करना चाहती हैं. लेकिन अकसर पति यह बात समझ कर भी नहीं समझते.

4. शुरुआत धीरेधीरे करें

डा. कुंदरा यह भी कहते हैं कि कई पत्नियों की यह शिकायत रहती है कि उन के पति सहवास की शुरुआत धीरेधीरे न कर के उन्हें बिना उत्तेजित किए जल्दीबाजी में करते हैं. जबकि सहवास की शुरुआत धीरेधीरे विभिन्न सैक्स मुद्राओं जैसे गालों को काटना, सैक्स के हिस्सों पर थप्पड़ लगाना आदि को अपना कर ही करनी चाहिए और उस के बाद ही सैक्स सुख का आनंद लेना चाहिए.

5. फोर प्ले का आनंद उठाएं

पति को चाहिए कि वह पत्नी के साथ चुंबन, आलिंगन, उसे सहलाना, केशों में उंगलियां फेरना, अंगों को स्पर्श करना वगैरह की अहमियत को समझे. ऐसा कर के वह पत्नी को उत्तेजित कर के मानसिक और शारीरिक रूप से सहवास के लिए तैयार करे. पत्नी का और्गेज्म तक पहुंचना जरूरी होता है. और्गेज्म तक नहीं पहुंच पाने के कारण घर में अकसर तनाव का माहौल पैदा हो जाता है, जो आपसी संबंधों में दिक्कतें भी पैदा करता है. एक सर्वे के मुताबिक 55% लोगों का मानना है कि सैक्स के दौरान जो आनंदमयी क्षण आते हैं, उन का अनुभव बेहद महत्त्वपूर्ण है.

6. बराबर का साथ दें

डा. कुंदरा के अनुसार, ‘‘सैक्सुअल लाइफ बेहद रोमांटिक तभी बन पाती है, जब पतिपत्नी सैक्स संबंध बनाते समय बराबर का साथ दें. सहवास के दौरान 70% महिलाएं बिस्तर पर चुपचाप ही पड़ी रहती हैं. पुरुष ऐसी महिलाओं को पसंद नहीं करते. सहवास के दौरान बराबर का साथ पति पसंद करते हैं. यदि पत्नी ऐसा करती है तो सैक्स का आनंद और भी ज्यादा बढ़ जाता है.’’

दिल्ली की जनकपुरी की रेशमा 48 साल की और उन के पति 54 साल के हो गए हैं, लेकिन हफ्ते में 1-2 बार दोनों खुल कर यौन संबंध बनाते हैं. एकदूसरे के लिए रोमांटिक बने रह कर वे खुल कर उस का आनंद उठाते हैं.

7. फालतू बातों को तूल न दें

मैरिज काउंसलर एन.के. सूद कहते हैं कि पतिपत्नी जब भी यौन संबंध बनाएं, पत्नी घर की समस्याओं या शिकायतों का पिटारा खोल कर न बैठे. सारिका जब भी रमेश के साथ सहवास करती थी, कोई न कोई शिकायत ले कर बातें शुरू कर देती थी. इस से रमेश असहज हो जाता था. आगे चल कर इन की समस्या इतनी बढ़ गई कि इन्हें आपसी संबंधों को सहज बनाने के लिए मैरिज काउंसलर की सहायता लेनी पड़ी.

संबंधों में गरमाहट बनी रहे इस के लिए ऐसी बातों को तूल न दे कर सैक्स लाइफ को ऐंजौय करें. पति का साथ दें, उन के साथ बिस्तर पर सक्रिय बनी रहें.

8. सैक्सी कपड़ों में लुभाएं

कोटा में रहने वाली राधा गोरी और खूबसूरत नैननक्श वाली है. लेकिन वह अपने पति महेंद्र के पास उन्हीं कपड़ों में जाती है, जो उस ने सुबह से पहने होते हैं. राधा को तरोताजा न देख कर महेंद्र सहवास में ढंग से सहयोग नहीं कर पाते हैं.

पति को लुभाने व उत्तेजित करने के लिए सैक्सी ड्रैस व हौट लुक में अपने पार्टनर को ऐसा सरप्राइज दें कि यौन संबंधों में नवीनता तो आए ही, सहवास सुखद भी बने. ऐसा होने से पतिपत्नी का आपसी विश्वास व प्यार भी बराकरार रहता है.

9. नएनए प्रयोग करें

डा. कुंदरा कहते हैं कि अकसर पुरुष सैक्स को ले कर ज्यादा ही उत्साहित होते हैं. वे नएनए आसनों का प्रयोग कर सहवास को सुखद बनाते हैं. लेकिन पत्नी यदि किसी तरीके को अनकंफर्टेबल महसूस करे तो पति को बताए जरूर.

बहुत सी महिलाएं यौन संबंध बनाते वक्त नएनए प्रयोगों से घबराती हैं. वे ऐसा न कर के पति के साथ सहवास में प्रयोग करें. उम्र कोई बाधा नहीं, दिलदिमाग और शरीर को स्वस्थ रखने और वैवाहिक जीवन को सफल बनाने में नए प्रयोग हमेशा मददगार ही साबित होते हैं.

करवा चौथ 2022: इन 26 टिप्स से बढ़ाएं पति-पत्नी का प्यार

प्यार के महकते फूल को बचाए रखने के लिए यह जरूरी है कि बैडरूम को कुरुक्षेत्र नहीं, बल्कि प्रणयशाला बनाया जाए और इस के लिए यह बेहद जरूरी है कि बैडरूम लव की ए टु जैड परिभाषा को कायदे से जाना जाए. तो फिर चलिए प्रणयशाला की क्लास में:

1. अटै्रक्ट-आकर्षित करना

अपने साथी को आकर्षित करना ही प्रणयशाला का प्रथम अक्षर है. पत्नी को चाहिए कि वह पति के आने से पहले ही अपने काम निबटा कर बनावशृंगार कर ले और पतिदेव औफिस के काम का बोझ औफिस में ही छोड़ कर आएं.

2. ब्यूटीफुल-सुंदर

सुंदरता और आकर्षण सिक्के के 2 पहलू हैं. हर सुंदर चीज अपनी ओर देखने वाले को आकर्षित करती ही है, इसलिए शादी के बाद बढ़ते वजन पर लगाम लगाएं और ब्यूटीपार्लर जा कर अपनी सुंदरता को फिर से अपना बनाएं ताकि आप की सुंदरता को देख कर उन्हें हर दिन खास लगे.

3. चेंज-बदलाव

अगर जिंदगी एक ही धुरी पर घूमती रहे तो बेमजा हो जाती है. इसलिए अपनी सैक्स लाइफ में भी थोड़ा चेंज लाएं. मसलन, प्यार को केवल बैडरूम तक ही सीमित न रख कर एकसाथ बाथ का आनंद लें और अगर जौइंट फैमिली में हैं तो चोरीछिपे उन्हें फ्लाइंग किस दें, कभी अपनी प्यार की कशिश का चोरीछिपे आतेजाते एहसास कराएं. यकीन मानिए कि यह प्यार की लुकाछिपी आप की नीरस जिंदगी को प्यार से सराबोर कर देगी.

4. डेफरेंस-आदर

पतिपत्नी को चाहिए कि वे एकदूसरे को उचित मानसम्मान दें. साथ में एकदूसरे के परिवार का भी आदर करें, क्योंकि जिस दर पर आदर व कद्र हो, प्यार भी वहीं दस्तक देता है.

5. ऐलिगैंस-सुघड़ता

अस्तव्यस्त हालत में न तो घर अच्छा लगता है और न ही आप. कहीं ऐसा न हो कि जब आप दोनों बैडरूम में आएं तो पलंग पर सामान ही बिखरा पड़ा हो और बैठने की जगह भी न मिले. फिर प्यार की बात तो भूल ही जाएं. इसलिए घर को हमेशा संवार कर रखें.

6. फौरगेट-भूल जाना

भुलक्कड़पने की आदत वैसे तो बुरी होती है लेकिन बात जहां पतिपत्नी के रिश्ते की हो तो यह आदत अपनाना ही श्रेयस्कर है. मतलब अतीत में मिले जख्मों, शिकवेशिकायतों व लड़ाईझगड़ों को बैडरूम के बाहर ही भूल कर हर रोज अपने रिश्ते की नई शुरुआत करनी चाहिए और भूल कर भी भूली बातों को याद नहीं करना चाहिए.

7. गारमैंट्स-परिधान

यह काफी कौमन प्रौब्लम है कि लेडीज सुबह के पहने हुए कपड़ों में ही रात को सोने पहुंच जाती हैं. नतीजतन उन के कपड़ों से आने वाली सब्जियों, मसालों व पसीने की दुर्गंध बेचारे पतिदेव को व्यर्थ में ही सब्जीमंडी की याद दिला देती है. ऐसे में बेचारे दिल के कोने में दुबका पड़ा प्यार भी काफूर हो जाता है और उस की जगह चिड़चिड़ाहट ले लेती है. इसलिए प्यार के एहसास को तरोताजा करने के लिए खुद भी तरोताजा हो कर साथी के संसर्ग में आएं.

8. हैल्प-मदद

बढ़ती जरूरतों के कारण समयसीमा जिंदगी में छोटी पड़ती जा रही है. लेकिन अगर पतिपत्नी स्वेच्छा से एकदूसरे के काम में अपना सहयोग दें तो भागते समय में से प्यारमुहब्बत के पलों को आसानी से पकड़ा जा सकता है यानी जिम्मेदारियों को मिल कर उठाएं और जिंदगी का भरपूर आनंद लें.

9. इंपेशेंस-अधीरता

प्यार का मतलब सिर्फ जिस्मानी जरूरत से ही नहीं होता, बल्कि प्यार में एकदूसरे की भावना को भी मान देना जरूरी होता है. प्यार का तात्पर्य बेसब्री और अधीरता से प्रणयसंबंध बना कर दूसरी तरफ करवट ले कर सो जाना नहीं होता, बल्कि प्यार भरा आलिंगन प्रेमालाप और प्यार भरी बातों व स्नेहिल स्पर्श के द्वारा भी आप अपने साथी को प्यार से सराबोर कर सकते हैं.

10. जौइन-जोड़ना

अकसर पत्नी की आदत हो जाती है कि वह बैडरूम में आते ही ससुराल वालों की बुराई शुरू कर देती है, जिस से बेवजह माहौल में तनाव आ जाता है. माना कि आप परेशान हैं, लेकिन आप के पति को भी तो औफिस में न जाने कितने काम और टैंशनरही होगी. इन सब बेकार की बातों से आप अनजाने में वे हसीन पल गवां देती हैं, जो आप दोनों को खुशियां दे सकते थे. पतिपत्नी को स्वयं सोचना चाहिए कि जिंदगी में टैंशन तो लगी रहती है, लेकिन दिलों को जोड़ने वाले पल होते ही कितने हैं. इसलिए बैडरूम में दिलों को जोड़ें, न कि तोड़ने का काम करें.

11. किड्स-बच्चे

बच्चे होने के बाद पतिपत्नी के रिश्ते को मजबूत आधार मिलता है. लेकिन कहीं न कहीं पति को प्यार बंटता हुआ भी महसूस होता है, क्योंकि बच्चे होने के बाद पत्नी का ध्यान बच्चों में ज्यादा लगा रहता है जिसे पति अपनी उपेक्षा समझने लगता है. इसलिए बच्चों के साथसाथ अगर पति की भी थोड़ीबहुत फरमाइश पूरी करें तो उन को भी अच्छा लगेगा.

12. लाइक-अच्छा लगना

पतिपत्नी को एकदूसरे के स्वभाव, इच्छाओं आदि को मान देना चाहिए. स्त्री स्वभाव से शर्मिली होती है, इसलिए यह पति का कर्तव्य होता है कि वह चुंबन, आलिंगन, स्पर्श व प्यार भरी बातों से उस की झिझक को दूर करे. उसी तरह पत्नी को भी वह सब करना चाहिए जो पति को अच्छा लगे.

13. मसाज-मालिश

मसाज करने से बौडी और माइंड दोनों रिलैक्स फील करते हैं और ऐसे में यदि आप का पार्टनर ही आप को मसाज थेरैपी दे तो क्या कहने. माना कि वर्किंग डे में ऐसा होना मुश्किल है, लेकिन अगर वीकेंड में इस थेरैपी का इस्तेमाल किया जाए तो यकीन मानिए आप दोनों को ही वीकेंड का ही इंतजार रहेगा.

14. नेवर-कभी नहीं

प्यार को लड़ाईझगड़े में हथियार न बनाएं. फरमाइश पूरी न होने पर, ‘नहीं आज मूड नहीं है’, ‘मुझे सोना है’ और ‘जब देखो तब तुम्हें यही सूझता है’ जैसे संवाद रिश्तों में पड़ने वाली गिरह का काम करते हैं. इसलिए प्यार को सिर्फ प्यार ही रहने दें.

15. ओपिनियन-राय

गृहस्थ जीवन में कई ऐसे मुद्दे होते हैं, जिन में कभीकभी पतिपत्नी दोनों की राय एक होती है, तो कभीकभी दोनों की राय जुदा होती है. ऐसे मौकों पर एकदूसरे की राय को सुनें, उस पर ध्यान दें और मिल कर सही निर्णय लें फिर चाहे मसला जो भी हो.

16. प्लौडिट-प्रशंसा

हर इनसान अपनी प्रशंसा करवाना चाहता है, इसलिए जो बातें आप को एकदूसरे में अच्छी लगती हैं उन्हें निस्संकोच अपने साथी से कहें. सिर्फ इतना ही नहीं, निश्छल रूप से सहवास के आनंददायक पलों में भी बेझिझक उन की तारीफ करें. यह तारीफ आप के साथी में पहले से कई गुना ज्यादा जोश भर देगी.

17. क्वैरी-प्रश्न पूछना

अकसर संबंधों में ठहराव आने की वजह चुप्पी भी होती है, जिसे हम अपने अहं की वजह से ओढ़ लेते हैं. उस के कारण कई बार छोटेछोटे झगड़े बड़ा भयंकर रूप धारण कर लेते हैं. इसलिए चुप्पी की दीवार फांद कर उन से पूछें कि एक छोटी सी बात हमारे प्यार के बीच कब तक रहेगी? पतिपत्नी के रिश्ते में स्वस्थ संवाद होने बेहद जरूरी हैं अन्यथा दिल की धड़कनों को भी चुप्पी लगने में समय नहीं लगता.

18. रेमेंट-पोशाक

प्रेमिका या प्रेमी के रूप में आप ने अपने साथी को आकर्षित करने के लिए कितना कुछ किया, लेकिन शादी के बाद वह प्यार कहीं डब्बे में बंद कर दिया. इसलिए डब्बा खोलें और आप के हमसफर शादी से पहले आप को जिस ड्रैस व रूप में पसंद करते थे वापस उस रूप में आ जाएं.

19. सैटिस्फैक्शन-संतुष्टि

विवाह का एक महत्त्वपूर्ण तथ्य है पतिपत्नी दोनों की यौन इच्छाओं की तृप्ति. लेकिन किसी एक के संतुष्ट न होने पर असंतोष, द्वेष, आक्रोश व हीनता का रूप ले लेता है. इसलिए अपने साथी की जरूरतों को समझें.

20. र्म-शर्तें

पतिपत्नी के रिश्ते में आपसी तालमेल व समझदारी बहुत माने रखती है. लेकिन जब संबंधों के बीच शर्त आने लगे तो वह रिश्ते में घुन का काम करती है. कई महिलाएं ऐसी भी होती हैं, जो प्यार और शर्त को एक ही पलड़े में रखती हैं. जैसे यह कहती हैं कि मुझे सोने का सैट ला कर दोगे तो ही हाथ लगाने दूंगी. नतीजा, पति का मन प्रणय संबंध से खट्टा हो जाता है और वह कहीं और प्यार की तलाश करने लगता है.

21. अनकंसर्न-उदासीन

जिस तरह प्यार में एकदूसरे का साथ जरूरी होता है, उसी तरह एकदूसरे की परवाह करना भी जरूरी होता है. ऐसा न हो कि पतिदेव आएं और आप टीवी या बच्चों में ही उलझी रहें. अगर रिश्ते में नीरसता और उदासीनता ही छाई रहेगी, तो प्यार को हरियाली कैसे मिलेगी, क्योंकि उन के छोटे से दिल में या तो उदासीनता रह सकती है या फिर आप.

22. वैराइटी-विभिन्न प्रकार

जिंदगी एक ढर्रे पर चलती रहे तो बोरिंग लगने लगती है. उसी तरह बैडरूम रोमांस में भी नई जान डालने के लिए रोमांटिक बनें. कभी बाथरूम, कभी ड्राइंगरूम तो कभी किचन रोमांस का लुत्फ उठाएं. प्रणय मिलन के समय अलगअलग रतिक्रीडाओं द्वारा सैक्सुअल लाइफ का भरपूर आनंद उठाएं.

23. व्हीड्ल-लुभाना

प्रणयमिलन का भरपूर लुत्फ उठाना चाहती हैं तो उस की शुरुआत दिन से ही करें. उन्हें फोन पर ‘आई लव यू’ कहें और मैसेज के द्वारा रोमांटिक बातें सैंड करें. उन्हें निस्संकोच बताएं कि आप उन का साथ चाहती हैं. फिर बनसंवर कर शाम को उन का इंतजार करें.

24. जेरौटिक-नीरस

बैडरूम के नीरस माहौल में तबदीली कर के उसे थोड़ा रोमांटिक व सुगंधित बनाएं. साथ में कोई धीमा संगीत चलाएं. माहौल को और ज्यादा रंगीन व खुशनुमा बनाने के लिए कोई रोमांटिक मूवी, मैगजीन या फोटो देखें, जो आप की उमंग भरी कल्पनाओं को हकीकत का रूप दे, साथ में आप की जिंदगी में नया जोश, नई उमंग भर दे.

25. योगा

हैल्दी सैक्स लाइफ के लिए हैल्दी शरीर होना बेहद जरूरी है और उस के लिए योगा यानी व्यायाम से बेहतर कोई और औप्शन नहीं है. यह आप के शरीर को नई स्फूर्ति व ऊर्जा देगा. फिट शरीर के साथ ही आप फिट सैक्स लाइफ पा सकते हैं और अपने साथी व अपनी इच्छाओं को पूरा कर सकते हैं.

26. जेस्ट-मजेदार

जिंदगी मजेदार तभी होती है जब जिंदगी के हर पल का भरपूर आनंद उठाया जाए. सैक्स लाइफ को भी हैल्दी व अपडेट करना चाहते हैं, तो मुख्य सहवास क्रिया से ज्यादा फोरप्ले और आफ्टरप्ले में ध्यान लगाएं, जिस से हसीन लमहों का एहसास आप के साथसाथ आप के साथी को भी भरपूर मिले.

पति के कारण परेशान हो गई हूं, मैं क्या करुं?

सवाल-

मैं 24 वर्षीय विवाहिता हूं. मैं अपनी एक बेहद अंतरंग समस्या से परेशान हूं. मैं जब भी सहवास करती हूं मेरे गुप्तांग में जलन और खुजली होती है. कृपया उपचार बताएं?

जवाब-

सब से पहले आप दोनों पतिपत्नी को चाहिए कि अपने यौनांगों की सफाई पर ध्यान दें खासकर सहवासपूर्व. फिर भी समस्या जस की तस रहती है तो किसी यौन विशेषज्ञा से परामर्श लें.

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विवेक कई दिनों से अपनी पत्नी आशु के साथ अंतरंग संबंध बनाना चाह रहा था, पर आशु कोई न कोई बहाना बना कर टाल देती. रोज की नानुकर से तंग आ कर एक दिन आखिर विवेक ने झल्लाते हुए आशु से कहा कि आशु, तुम्हें क्या हो गया है? मैं जब भी तुम्हें प्यार करना चाहूं, तुम कोई न कोई बहाना बना कर टाल देती हो. कम से कम खुल कर तो बताओ कि आखिर बात क्या है?

यह सुन कर आशु रोते हुए बोली कि ये सब करने का उस का मन नहीं करता और वैसे भी बच्चे तो हो ही गए हैं. अब इस सब की क्या जरूरत है?

यह सुन कर विवेक हैरान रह गया कि उस की बीवी की रुचि अंतरंग संबंध में बिलकुल खत्म हो गई है. उस की समझ में नहीं आ रहा था कि ऐसा क्यों हो गया जबकि उस की पत्नी पहले इस सब में बहुत रुचि लेती थी?

यह परेशानी सिर्फ विवेक की ही नहीं है, बल्कि ऐसे बहुत से पति हैं, जो मिडिल ऐज में आने पर या बच्चों के हो जाने पर इस तरह की समस्याओं से जूझते हैं.

कम क्यों हो जाती है दिलचस्पी

सैक्सोलौजिस्ट डा. बीर सिंह का कहना है कि कई बार पतिपत्नी के बीच प्यार में कोई कमी नहीं होती है, फिर भी उन के बीच सैक्स को ले कर समस्या खड़ी हो जाती है. विवाह के शुरू के बरसों में पतिपत्नी के बीच सैक्स संबंधों में जो गरमाहट होती है, वह धीरेधीरे कम हो जाती है. घरेलू जिम्मेदारियां बढ़ने के कारण सैक्स को ले कर उदासीनता आ जाती है. इस की वजह से आपस में दूरी बढ़ने लगती है. इस समस्या से बाहर आने के लिए पतिपत्नी को एकदूसरे से अपने सैक्स अनुभव शेयर

पूरी खबर पढ़ने के लिए- मैरिड लाइफ बनाएं पहले जैसी खुशहाल

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

मां को छोड़ कर अलग रहना क्या उचित होगा?

सवाल-

मैं 34 वर्षीय युवक हूं. मेरी विधवा मां ने काफी कष्ट सह कर मेरी और मेरी बहन की परवरिश की. बहन की शादी के बाद मैं ने शादी की. मेरे विवाह को 8 वर्ष हो चुके हैं और 2 बच्चे भी हैं. मेरी समस्या यह है कि मेरी मां और पत्नी में हर समय खटपट रहती है. दोनों को समझातेसमझाते मैं आजिज आ चुका हूं. मेरी मां हमारे लिए जितनी ममतामयी रही हैं बहू को ले कर उतनी ही खड़ूस हैं. उन की पढ़ाईलिखाई (उच्च शिक्षिता हैं) और बड़प्पन कहीं नहीं दिखता. दूसरी ओर पत्नी भी कमतर नहीं है. आजकल मां रातदिन एक ही रट लगाए है कि मैं उसे ले कर अलग हो जाऊं. मैं कोई निर्णय नहीं कर पा रहा. मां पूरी तरह से स्वस्थ और सक्षम हैं. अपनी देखभाल स्वयं कर सकती हैं पर फिर भी मां को छोड़ कर अलग रहना क्या उचित होगा? लोग क्या कहेंगे? बताएं, क्या करूं?

जवाब-

सासबहू के रिश्ते में मधुरता प्राय: कम ही देखने को मिलती है. इसलिए आप के घर में यदि आप की मां और पत्नी के बीच 36 का आंकड़ा है, तो कोई अनहोनी बात नहीं है. आप के भरसक प्रयास के बावजूद यदि दोनों में तालमेल नहीं बैठ रहा तो रोजरोज की कलह से नजात पाने के लिए आप मां से अलग हो जाएं. अपने लिए घर थोड़े फासले पर ले लें. दूर रहने पर अमूमन रिश्तों में मिठास लौट आती है. दूर रह कर भी आप बीचबीच में आ कर और दिन में 1-2 बार फोन कर के उन का हालचाल पूछ सकते हैं. जहां तक लोगों की बात है तो लोग तभी तक बोलते हैं जब तक हम उन की परवाह करते हैं. अत: उन की बातों पर कान न दें.

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

सैक्स फीलिंग्स के ये 5 सीक्रेट्स जानती हैं आप

ज्यादातर महिलाएं चाहती हैं कि उन के कुछ सैक्स सीक्रेट्स उन के पतियों को खुद जानने चाहिए. नौर्थवैस्टर्न यूनिवर्सिटी इलिनौयस की सैक्सुअलिटी प्रोग्राम की थेरैपिस्ट पामेला श्रौक कहती हैं कि ज्यादातर विवाहित पुरुष अपनी पत्नी की सैक्सुअल प्राथमिकताओं और चाहतों को नहीं समझते. पामेला ने इस विषय पर पत्नियों के मन में झांकने की कोशिश की तो उन्हें कुछ ऐसे सैक्स सीक्रेट्स का पता चला, जिन्हें महिलाएं अपने पति से कहना तो चाहतीं, पर कह नहीं पातीं.

महिलाओं के लिए अच्छा सैक्स सिर्फ इंटरकोर्स नहीं:

महिलाओं को आनंददायक सैक्स के लिए सिर्फ इंटरकोर्स ही नहीं, बल्कि पति के साथ दिन के अन्य क्षणों में भी अच्छी फीलिंग्स और अनुभव की जरूरत होती है. महिलाओं को यह बात कतई अच्छी नहीं लगती कि पति दिन भर सिर्फ अपने ही काम में व्यस्त रहे, रात को घर लौट कर खाना खा देर तक टीवी देख कर फिर बिस्तर पर आते ही पत्नी को दबोच ले. इस से पत्नी के मन में खुद को औब्जैक्ट समझने की भावना आती है. वह अपने पति को बेहद स्वार्थी और खुद को भोग की वस्तु समझने लगती है. हर पत्नी चाहती है कि उस का पति उसे सिर्फ बिस्तर पर ही नहीं बिस्तर के बाहर भी उतना ही प्यार करे, उस पर ध्यान दे, उस के साथ अपनी बातें शेयर करे, प्रेमपूर्वक बातें करे, उस की भावनाओं को जानने की कोशिश करे आदि.

समाजशास्त्री डालिया चक्रवर्ती कहती हैं, ‘‘पत्नियां अपनी जिंदगी के हर पहलू को एकदूसरे से जोड़ कर देखती हैं जबकि पति समझते हैं कि स्ट्रैस और झगड़ों को सैक्स के वक्त एक तरफ रख देना चाहिए और इन चीजों को सैक्स के साथ नहीं जोड़ना चाहिए. सच यह है कि सैक्स का असली मजा अफैक्शन के कारण ही आता है. मानसिक रूप से अपनापन, प्यार और नजदीकियां होती हैं तभी सैक्स संबंध सही माने में उत्तेजनापूर्ण होता है. जब कोई पति अपनी पत्नी को समयसमय पर छोटेमोटे उपहार देता है, बीवीबच्चों को घर से बाहर ले जाता है, परिवार का खयाल रखता है और बीवी को स्पैशल फील करवा कर घर का माहौल खुशनुमा रखता है, तो सैक्स का मजा कई गुना बढ़ जाता है.

महिलाओं को टर्नऔन करने के लिए प्रेम भरी बातें चाहिए:

रात के भोजन के वक्त मीठीमीठी छेड़छाड़, रोमांटिक बातें और गुदगुदाने वाले किस्से पत्नियों को भीतर तक भिगो देते हैं. इस से उन का मूड बन जाता है. इसी तरह सैक्स के दौरान पत्नी की प्रशंसा, उस के साथ प्यार का इजहार और उस का नाम लेना पत्नी को उत्तेजना से भर देता है. सैक्स थेरैपिस्ट लिन एटवाटर कहती हैं, ‘‘महिलाओं की शारीरिक संबंधों से ज्यादा दिलचस्पी मानसिक उत्तेजना और मानसिक संबंधों में होती है.’’

यूनिवर्सिटी औफ कैलिफोर्निया मैडिकल स्कूल की साइकोलौजिस्ट लोनी बारबच कहती हैं, ‘‘अकसर घरेलू कामों, बच्चों की देखभाल, पति के हजार काम और फिर औफिस वर्क के दबाव के बीच किसी पत्नी को सब से ज्यादा जरूरत सहानुभूति और प्रेमपूर्ण बातों की होती है. उसे शरीर सहलाने से जितना मजा आता है उस से कहीं ज्यादा उस का मन सहलाने से आनंद मिलता है. हर पत्नी चाहती है कि उस का पति उस के साथ रोमांटिक बातें करे.’’

महिलाओं में भी होती है परफौर्मैंस ऐंग्जाइटी:

कई अध्ययनों में यह बात सामने आ चुकी है कि सिर्फ 60% ऐसी पत्नियां हैं, जिन्होंने जितनी बार संभोग किया उस से कम से कम आधी बार चरम आनंद का अनुभव किया. लेकिन उन्हें पति को खुश करने के लिए सैक्स के दौरान चरम आनंद का दिखावा करना पड़ा. कई बार तो उन के मन में अपराधबोध आ जाता है कि कहीं उन्हीं में तो कोई कमी नहीं.

पत्नियों में भी अपने अंगों की बनावट, आकार और साफसफाई को ले कर तुलनात्मक हीनता की भावना होती है. इसीलिए वे अंधेरे में ही निर्वस्त्र होना चाहती हैं. ऐसे में वे अपने पति से प्रोत्साहन, अपने शारीरिक अंगों की प्रशंसा और सौंदर्य के बखान की अपेक्षा रखती हैं. कई पति तो अपनी पत्नी की प्रशंसा करना ही नहीं जानते और कई सैक्स के दौरान उस के अंगों में भी मीनमेख निकालने लगते हैं. पत्नी को मोटी, थुलथुल आदि न जाने क्याक्या कहने लगते हैं. ऐसे में पत्नी के मन का बुझ जाना, उस का तनावग्रस्त हो जाना स्वाभाविक है. ऐसी पत्नी अपने पति के साथ सैक्स संबंध बनाने से कतराने लगती है.

जाहिर है, इन का यौन जीवन नीरस और आनंदविहीन हो जाता है. झूठी बढ़ाई की जरूरत नहीं, लेकिन समझदार पति वही है जो अपनी पत्नी की त्वचा की कोमलता, आंखों या उस का जो कुछ भी अच्छा लगे उस की सराहना कर के पत्नी का आत्मविश्वास बढ़ाए और हंसीठिठोली करे ताकि पत्नी ऐंग्जाइटी से ग्रस्त न हो.

सैक्स के बाद भी चाहिए अटैंशन:

कई पति पत्नी के साथ अंतरंग क्षणों का जम कर आनंद उठाते हैं और फिर चरम पर पहुंच कर स्खलित होते ही ऐसे मुंह फेर कर सो जाते हैं जैसे उन्हें पत्नी से कोई लेनादेना ही नहीं. ऐसे में पत्नी खुद को बेहद अकेली, उपेक्षित समझने लगती है. उसे लगता है कि बस पति का यही अंतिम उद्देश्य था. पत्नी चाहती है कि सैक्स और स्खलन के बाद भी पति उसे सहलाए, चूमे उस के अंगों को छेड़े. साथ ही उसे धन्यवाद दे व प्यार जताए. ऐसा करतेकरते ही पत्नी को बांहों में भरे हुए उसे नींद आ जाए. इस से पत्नी को बड़ा आत्मसंतोष महसूस होता है.

नौनसैक्सुअल टच: पत्नियों को यह बात बिलकुल अच्छी नहीं लगती है कि दिन भर में पति उन्हें एक बार भी न छुए या चूमे. बस बिस्तर पर फोरप्ले के लिए ही उन के हाथ बढ़ते हैं. वे चाहती हैं कि दिन में भी पति उन्हें छूएं, लेकिन यह टच नौनसैक्सुअल हो. वे छेड़छाड़ या हंसीमजाक के लिए अथवा अपनापन जताने के लिए छूएं. कभी बालों को सहलाएं या पीठ पर हाथ फेरें, गालों को चूमें, गालों को थपथपाएं. मनोवैज्ञानिक कहते हैं कि पति और पत्नी के संबंध सिर्फ और सिर्फ सैक्स के लिए ही नहीं होने चाहिए. सैक्स के अलावा भी दुनिया में और बहुत कुछ ऐंजौय करने को होता है. संबंधों में प्रगाढ़ता और केयरिंग होना ज्यादा जरूरी है. पत्नी की कुकिंग को सराहते हुए उस के हाथों को चूम लेना, उस की ड्रैसिंग सैंस की प्रशंसा करना, बात करने के तरीके को सराहना आदि उस के मन को गहराई तक छू लेता है. रिश्तों में मजबूती के लिए यह बेहद जरूरी है. पत्नी को जताएं कि आप उसे सिर्फ सैक्स के लिए ही नहीं चाहते.

गरबा 2022: फैमिली के स्पैशल मूमैंट्स को सैलिब्रेशन के साथ बनाएं यादगार

सुबह बच्चों को स्कूल और पति को औफिस भेजने के बाद घर के कामों में व्यस्त होने के बाद कब शाम हो जाती है, पता ही नहीं चलता. बस यही रह जाता है हमारा डेली रूटीन. ऐसे में हमारे स्पैशल डेज भी आ कर कब निकल जाते हैं पता ही नहीं चलता. यह ठीक नहीं. तो नए साल में नए जोश के साथ थोड़ा समय अपने लिए भी निकालें और डेली लाइफ में कुछ छोटेबड़े सैलिब्रेशन करते रहें. आइए, जानें कैसे:

जब हो शादी की सालगिरह या जन्मदिन

शादी की सालगिरह हर कपल की लाइफ का बहुत महत्त्वपूर्ण दिन होता है. अगर आप की भी सालगिरह नजदीक है तो उसे यादगार बनाएं. उस दिन के लिए खास प्लानिंग पहले से कर लें ताकि सालगिरह को पूरी तरह ऐंजौय कर सकें. जिस से आप प्यार करते हैं, जो आप का साथी है अगर इस एक दिन उस के लिए कुछ स्पैशल किया जाए तो सोचिए उसे कितनी खुशी मिलेगी और फिर उसे खुश देख कर आप को भी बहुत खुशी मिलेगी. जानिए, कुछ टिप्स:

अगर आप की शादी की 5वीं, 10वीं, 12वीं, 14वीं या फिर 20वीं सालगिरह भी है तो फिर उसे यादगार बनाने के लिए 25वीं वर्षगांठ का ही इंतजार क्यों? उसे आज ही क्यों न यादगार बना दें. हां, इस के लिए थोड़ा पैसा जरूर खर्च होगा और अगर आप ऐसा करने में सक्षम हैं तो इस दिन को यादगार बना दें. अपने सभी सगेसंबंधियों को बुला कर पार्टी का आयोजन करें. अगर आप बाहर पार्टी नहीं करना चाहतीं तो घर पर ही मेहमानों को बुलाएं और ऐंजौय करें. यह सस्ता भी पड़ेगा. हां, इस काम की सारी जिम्मेदारी आप अकेली न उठाएं, बल्कि कुछ काम आप अपने बच्चों और परिवार के बाकी सदस्यों को भी बांट दें. यह आप का दिन है तो बाकी लोगों का भी काम करना बनता है.

द्य यदि अकेले सैलिब्रेशन करना चाहती हैं तो इस दिन अपनी वैडिंग नाइट का मेन्यू दोहरा सकती हैं. सारा नहीं, बल्कि उस दिन जो आप को अच्छा लगा हो वह. अगर आप चाहें तो खाना बाहर से भी और्डर कर के पति को सरप्राइज दे सकती हैं अथवा खुद ही उन के साथ मिल कर टाइम स्पैंड करते हुए डिनर तैयार करें. वैडिंग केक लाना न भूलें. डिनर से पहले केक काटते हुए अपनी सालगिरह कुछ अलग अंदाज में मनाएं.

इस दिन आप दोनों कुछ न करें बस एकदूसरे के साथ रहें और अपनी शादी का अलबम, वीडियो देख कर पुरानी यादें ताजा करें. पूरा दिन छोटेछोटे सरप्राइज दे कर एकदूसरे को स्पैशल फील कराएं. अपनी फीलिंग्स जो बरसों से आप ने एकदूसरे को नहीं बताईं उन्हें बताएं.

एक सरप्राइज ट्रिप प्लान करें, जिस में सिर्फ आप दोनों हों. इस के लिए अगर संभव हो तो बच्चों को 2-3 दिनों के लिए किसी रिश्तेदार के घर छोड़ दें. अगर यह संभव नहीं है तो बच्चों को साथ ले जाएं लेकिन वहां एकदूसरे के लिए समय जरूर निकालें.

लवस्टोरी थीम का फोटो शूट करें. आजकल प्रोफैशनल फोटोग्राफर हर जगह होते हैं, जो आप के इस दिन को पूरी तरह यादगार बना सकते हैं.

एकदूसरे को उपहार भी दें, एक नहीं कई छोटेछोटे उपहार दें जो साथी को पसंद हों. यहां उपहार को कीमत से न तोल कर उस के पीछे छिपी साथी की भावनाओं को समझें.

इसी तरह अगर साथी का बर्थडे है तो भी इस दिन को कुछ इस अंदाज में सैलिब्रेट करें कि वह उसे कभी न भूले. इस दिन वह सब करें जो साथी को पसंद है. अगर उसे अपनी फैमिली का साथ अच्छा लगता है तो बिना झिझके उस की फैमिली के साथ पार्टी प्लान करें और वह भी बिना साथी को बताए. उस के पुराने फ्रैंड्स को कौल कर के कुछ प्लान करें. कोई रोमांटिक मूवी देखें और स्पैशल कैंडल लाइट डिनर ऐंजौय करें. तोहफा भी ऐसा दें जिस की तमन्ना उसे कई बरसों से रही हो. इस तरह छोटीछोटी खुशियां ढूंढ़ कर साथी के इस खास दिन को सैलिब्रेट करें.

बच्चों की सफलता पर सैलिब्रेशन

रिजल्ट आने पर बच्चे अपनी पसंद का गिफ्ट तो ले ही लेते हैं, साथ ही अपने स्कूलकालेज के दोस्तों के साथ पार्टी भी करते हैं. लेकिन आप का क्या? हम में से कितने पेरैंट्स हैं जो बच्चों के ऐग्जाम को अपने खुद के ऐग्जाम की तरह देखते हैं और परीक्षा की तैयारी करने के लिए बच्चों के साथ पूरीपूरी रात जागते हैं. जब बच्चे अच्छे नंबरों से पास होते हैं या उन्हें अच्छी नौकरी मिलती है, तो जितनी खुशी बच्चों को होती है उस से कहीं ज्यादा पेरैंट्स को होती है. तो फिर इस मौके पर जब बच्चे पार्टी कर सकते हैं, तो आप का तो पार्टी करना बनता ही है, कुछ इस तरह:

एक फैमिली गैटटूगैदर रखें, जिस में परिवार के सभी लोग शामिल हों. इस से पिछले कुछ दिनों की पूरी थकान उतर जाएगी और परिवार के साथ अच्छा समय बिताने को भी मिलेगा.

अगर बच्चे को उस की सफलता के लिए कोई गिफ्ट दे रही हैं तो एक गिफ्ट अपने लिए लेने में बिलकुल कंजूसी न करें, क्योंकि यह आप का भी अचीवमैंट है.

बच्चों के लिए काफी समय से मेहनत करतेकरते आप भी थक गई होंगी, इसलिए क्यों न अब थोड़ा समय अपने लिए निकालें. अपने घर में एक पार्टी रखें, जिस में बच्चों के दोस्तों को भी बुलाएं और अपने मिलनेजुलने वालों को भी. इसी बहाने एक अच्छी पार्टी भी हो जाएगी.

गृहिणी का आउटडोर सैलिब्रेशन

क्या आप के घर में भी आप की ननद, देवर या फिर आप के अपने बेटे या बेटी की शादी हुई है अथवा कोई भी ऐसा समारोह? फंक्शन चाहे कोई भी हो, उस की लगभग सारी जिम्मेदारी गृहिणी की हो जाती है. भले ही वह जिम्मेदारियों को बांट कर काम करे, लेकिन उसे अपनी नजर हर जगह रखनी पड़ती है. यही वजह है कि घर के किसी भी खास समारोह के बाद गृहिणी पूरी तरह थक जाती है और उसे भी रिलैक्स करने की जरूरत होती है. इस बार क्यों न आप भी रिलैक्स करने के लिए अपने फ्रैंड्स के साथ आउटडोर पार्टी करें. पेश हैं, कुछ टिप्स:

यह मौका है गर्ल्सगैंग आउटिंग का. जी हां, पति, बच्चे सब से दूर. आखिर आप कब तक इन में उलझी रहेंगी. इसलिए अपने गैंग को तैयार कर आज शाम ही पार्टी पर निकल जाएं. अरे सोच क्या रही हैं, ऐसा कर के तो देखें, कालेज के दिन दोबारा न याद आ जाएं तो कहना.

अगर बहुत दिन से आप का किसी हिल स्टेशन पर जाने का मन है और वह किसी न किसी वजह से टलता रहा है तो क्यों न यह प्रोग्राम फ्रैंड्स के साथ सैट कर लें.

यह न भूलें कि सब का खयाल रखने के साथसाथ खुद की खुशी के बारे में सोचना और छोटेछोटे पलों को सैलिब्रैट करना आप को आप से मिलवाता है.

इस तरह बच्चों में डालें पढ़ने की आदत

आजकल सभी मातापिता यह शिकायत करते हैं कि बच्चे स्मार्टफोन, टैबलेट, टीवी या फिर मोबाइल पर गेम्स खेलने में लगे रहते हैं. मंजीत कहते हैं, ‘‘एक हमारा जमाना था जब हम पढ़ते हुए कभी नहीं थकते थे.’’ साथ में बैठी उन की पत्नी फौरन बोल उठीं, ‘‘मुझे तो मीकू, चीकू बहुत पसंद थे.’’  बालपुस्तकों की कमी आज भी नहीं, किंतु आज की पीढ़ी पढ़ने का खास शौक नहीं रखती है. कहीं इस के जिम्मेदार हम ही तो नहीं? पहले इतनी तकनीक हर हाथ में उपलब्ध नहीं होती थी कि बच्चे किताबों के अलावा मन लगा पाते. आजकल गैजेट्स हर छोटेबड़े हाथ को आसानी से प्राप्त हैं.

अपने नन्हे को पढ़ कर सुनाएं : 

अपने नन्हेमुन्ने का अपने जीवन में स्वागत करने के कुछ वर्षों बाद ही आप उसे कहानी पढ़ कर सुनाने की प्रक्रिया आरंभ कर दें. इस से न केवल आप का अपने बच्चे से बंधन मजबूत होगा बल्कि स्वाभाविक तौर पर उसे पुस्तकों से प्यार होने लगेगा.  उम्र के छोटे पड़ाव से ही किताबों के साथ से बच्चों में पढ़ने की अच्छी आदत विकसित होती है. प्रयास करें कि प्रतिदिन कम से कम 20 मिनट आप अपने बच्चों के साथ मिल कर बैठें और पढ़ें. पुस्तकों में कोई रोक न रखें, जो आप के बच्चे को पसंद आए, उसे वह पढ़ने दें.

पढ़ने के साथ समझना भी जरूरी : 

बच्चा तेजी के साथ किताब पढ़ पाए, यह हमारा लक्ष्य नहीं है, बल्कि जो कुछ वह पढ़ रहा है, उसे समझ भी सके. इस के लिए आप को बीचबीच में कहानी से संबंधित प्रश्न करना चाहिए. इस से बच्चा न केवल पढ़ता जाएगा, बल्कि उसे समझने की कोशिश भी करेगा. आप ऐसे प्रश्न पूछें, जैसे अब आगे क्या होना चाहिए, क्या फलां चरित्र ठीक कर रहा है, यदि तुम इस की जगह होते तो क्या करते. ऐसे प्रश्नों से आप का बच्चा कहानी में पूरी तरह भागीदार बन सकेगा तथा उस की अपनी कल्पनाशक्ति भी विकसित होगी.

बच्चे के रोलमौडल बनें : 

यदि आप का बच्चा बचपन से पढ़ने का शौकीन है तब भी घर में किसी रोलमौडल की अनुपस्थिति उसे इधरउधर भटकने पर मजबूर कर सकती है. आप स्वयं अपने बच्चे के रोलमौडल बनें और उस की उपस्थिति में अवश्य पढ़े. चाहे आप को स्वयं पढ़ना बहुत अधिक पसंद न भी हो तब भी आप को प्रयास करना होगा कि बच्चे के सामने आप पढ़ते नजर आएं. क्या पढ़ते हैं, यह आप की इच्छा है, लेकिन आप के पढ़ने से आप का बच्चा यह सीखेगा कि पढ़ना उम्र का मुहताज नहीं होता और हर उम्र में इंसान सीखता रह सकता है.

आसपास देख कर सिखाइए : 

छोटे बच्चे बिना पढ़े ही क्रीम की बोतल के नाम, शैंपू के नाम, उन के पसंदीदा रैस्तरां, जैसे डोमिनोज का नाम आदि जान जाते हैं. कैसे? चिह्नों द्वारा. मीनल बताती हैं कि उन की डेढ़ वर्र्र्षीया बिटिया ढेर सारे चिह्न (कंपनियों के लोगो) पहचानती है और उन की कंपनियों के नाम बता देती है तो जब उन के दूसरा बच्चा होने का समय निकट आया, उन्होंने नवजात शिशु की कौट के ऊपर उस के नाम के अक्षर टांग दिए. इस का असर यह हुआ कि न केवल उन की बड़ी बिटिया नाम की स्पैलिंग सीख गई, बल्कि छोटी भी बहुत जल्दी वर्णमाला सीख गई. तकनीकी भाषा में इसे ‘एनवायरनमैंटल पिं्रट’ कहते हैं अर्थात चिह्नों की सहायता से बच्चे, बिना पढ़े ही, भिन्न रैस्तरां, सौंदर्य प्रसाधन, ट्रैफिक सिग्नल, कपड़े, पुस्तकें आदि पहचानने लगते हैं और उन में भेद कर सकते हैं.  नन्हे बच्चों की उत्सुक प्रवृत्ति का लाभ उठाते हुए आप उन्हें न केवल किसी चीज का शाब्दिक अर्थ बल्कि सामाजिक महत्त्व तथा उपयोग भी बता सकते हैं. अपने आसपास की चीजें देख वे प्रश्न करेंगे और आप उत्तर के द्वारा उन्हें कईर् चीजें सिखा सकते हैं.

भिन्न प्रकार की पुस्तकों को बनाएं मित्र :

  जब आप का बच्चा पढ़ने लगे, तब आप उसे भिन्न प्रकार की पुस्तकें पढ़ने को दें, जैसे अक्षर ज्ञान वाली पुस्तकें, बाल कहानियां, कविताओं की पुस्तकें आदि. साथ ही, वह एक प्रकार की कहानियों को दूसरी से अलग करने में अपने दिमाग में विचारों को बनाना व संभालना सीखेगा.

खेलखेल में :

कई खेलों द्वारा आप अपने छोटे बच्चे को पढ़ने की ओर आकर्षित कर सकती हैं. दिल्ली की प्रेरणा सिंह कहती हैं, ‘‘हर शुक्रवार वे अपनी सोसाइटी में 5 से 7 साल के बच्चों के लिए ‘फन फ्राइडे’ मनाती हैं. यहां वे बच्चों की टोली को अलगअलग टीम में विभाजित कर खेलों द्वारा पढ़ने की ओर उन का रुझान पैदा करती हैं. इस के लिए वे कई खेलों का सहारा लेती हैं.

वे कहती हैं, ‘‘केवल स्कूली पढ़ाई ही जीवन में काम नहीं आती. जो कुछ हम अपने वातावरण से सीखते हैं, वही हमारा व्यक्तित्व बनता है और जिंदगी में हमारे काम आता है.’’

डिजिटल बनाम प्रिंट

वर्ष 2013 से 2015 तक नाओमि बैरोन द्वारा किए गए शोध में 5 देशों-भारत, जापान, अमेरिका, जरमनी व स्लोवेनिया के 429 विश्ववि-ालयों के छात्रों से जब डिजिटल बनाम कागज की किताबों की तुलना करने को कहा गया तो छात्रों की प्रतिक्रिया थी कि उन्हें कागज की खुशबू भाती है. उन्हें कागज को छूने, देखने, पकड़ने से आभास होता है कि वे पढ़ रहे हैं. पिं्रट उन्हें बेहतर समझ में आता है और अधिक याद रहता है.

सोशल मीडिया का असर

सोशल मीडिया पर ज्ञान तो बहुत है पर सही या गलत, इस का कोई प्रमाण नहीं है. जिस के जो दिल में आता है, वह उस का औडियो या वीडियो बना कर सोशल मीडिया पर अपलोड कर देता है. बच्चे व किशोर ज्ञान की कमी के कारण इस अधकचरी जानकारी को प्राप्त कर समझते हैं कि उन्हें किताबें पढ़ने की आवश्यकता नहीं है.

बच्चे को सिर्फ अक्षरज्ञान देना नहीं है, बल्कि पुस्तकों जैसे सच्चे मित्र द्वारा सामाजिक ज्ञान के साथ भावनात्मक संबलता भी प्रदान करना है. बच्चा जो पढ़े, जो सीखे, उसे गुने भी. इस के बिना पढ़ना व्यर्थ है.  केवल पढ़ना ही ध्येय नहीं, लिखना भी लक्ष्य होना चाहिए. और अच्छा लिखने के लिए ज्यादा पढ़ना आवश्यक है. अच्छी किताबें बच्चों को ज्ञान के साथ एक नई दुनिया दिखाती हैं, उन्हें सही राह पर चलने की प्रेरणा देती हैं.

खेल ऐसा जो पढ़ने में रुचि जगाए

कुछ आकर्षक खेल जिन के द्वारा आप अपने बच्चों में पढ़ने की अभिरुचि विकसित कर सकती हैं-

–     हर अक्षर की कठपुतलियां बनाइए. कोई एक शब्द कहिए, जिस की स्पैलिंग बच्चों को कठपुतलियों को उठा कर बनानी है. जो टोली पहले बना देगी, वह जीत जाएगी.

–     हर टोली में से एक बच्चा आएगा और एक बड़े बोर्ड पर किसी वस्तु की कलाकारी करेगा. दूसरी टीम को उस की स्पैलिंग बतानी होगी.

–     जिस बच्चे ने जो भी नई कहानी पढ़ी है, वह उसे पूरे समूह को सुनाएगा. कहानी समाप्त होने पर सब तालियां बजाएंगे.

–     सब बच्चों को एक विषय दिया जाएगा और उस पर उन्हें एक छोटी कहानी बनानी होगी.

–     बारीबारी से सब बच्चे दी हुई पुस्तक में से कहानीपाठ या कवितापाठ करेंगे.

शोध जो कहता है

–     करीब 1,500 अभिभावकों, जिन के 8 वर्ष तक की आयु के बच्चे हैं, से लंदन के बुकट्रस्ट द्वारा बातचीत करने पर परिणाम आया कि अभिभावक मानते हैं कि डिजिटल के मुकाबले कागज से बच्चों की दृष्टि को कम खतरा रहता है, उन को कम सिरदर्द होता है और बेहतर नींद आती है.

–     92 फीसदी लोगों का कागज की किताब में अधिक ध्यान लगता है.

–     86 फीसदी डिजिटल के मुकाबले प्रिंट को पसंद करते हैं.

–     45 फीसदी लोगों ने इस बात का भय जताया कि गैजेट के हाथ में आने से बच्चों का स्क्रीनटाइम बढ़ जाएगा.

–     31 फीसदी को डर था कि गैजेट से बच्चे गलत साइट पर जा कर कुछ अनर्गल भी देख सकते हैं.

इन 5 वजहों से गर्लफ्रेंड से दूरी बनाते हैं बौयफ्रैंड

गर्लफ्रेंड ब्वॉयफ्रेंड के रिश्ते में हल्की फुल्की नोंक झोंक तो चलती ही रहती है. ये नोंक-झोंक प्यार को और मजबूत बनाती है. लेकिन कभी-कभी झगड़ा इतना बढ़ जाता है कि रिश्ता टूटने की कगार पर आ जाता है. वैसे तो झगडे में कोई एक जिम्मेदार नहीं होता गलती दोनों तरफ से ही होती है. लेकिन आज हम आपको बताएंगे वो बातें जिससे ब्वॉयफ्रेंड अपनी गर्लफ्रेंड से दूरी बनाने लगता है.

1. शक

महिलाएं अक्सर बहुत जल्द शक करने लगती हैं. उनका ब्वॉयफ्रेंड कहां है और क्या कर रहे हैं. इसे जानने के लिए सभी प्रकार की मुखर्तापूर्ण व्यवहार करने लगती हैं. महिलाओं द्वारा किए जाने वाले इस व्यवहार को मर्द बिल्कुल पसंद नहीं करते.

2. जरूरत से ज्यादा खर्चा

ज्यादार गर्लफ्रेंड अपने ब्वॉयफ्रेंड का वॉलट अनावश्यक रूप से शॉपिंग करके खाली करवा देती हैं. गर्लफ्रेंड द्वारा जरूरत से ज्यादा खर्चा करवाए जाने को ज्यादातर ब्वॉयफ्रेंड पसंद नहीं करते. ऐसी स्थिति में भी ब्वॉयफ्रेंड इस रिश्ते से दूरी बनाने लगता है.

3. पर्सनल स्पेस

गर्लफ्रेंड द्वारा पर्सनल स्पेस ना दिए जाने के कारण भी ब्वॉयफ्रेंड को अपनी गर्लफ्रेंड पर गुस्सा आना लगता है. ज्यादातर लड़कियां अपने ब्वॉयफ्रेंड को अपने दोस्ते के साथ टाइम बिताने नहीं देती है. ऐसी स्थिति किसी भी रिश्ते के लिए सही नहीं होती है.

4. मजाक नहीं पसंद

ब्वॉयफ्रेंड को यह कतई पसंद नहीं आता कि उनकी गर्लफ्रेंड किसी और सामने उनका मजाक बनाएं. महिलाओं अक्सर अपनी सहेलियों और दोस्तों के सामने अपने ब्वॉयफ्रेंड का मजाक बनाने से नहीं चूंकती. बता दें कि ब्वॉयफ्रेंड ऐसा चीजे बिल्कुल पसंद नहीं करते और धीरे-धीरे इस रिश्ते से दूरी बनाने लगते हैं.

5. छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा

ज्यादातर लड़किया छोटी-छोटी बातों को लेकर अपने ब्वॉयफ्रेंड के साथ झगड़ा करती रहती हैं.वे भूल जाती है उनका द्वारा किया जा रहा यह मूर्खतापूर्ण व्यवहार उनके अच्छे लाइफ पार्टनर को कितनी परेशानी में डाल सकता है.

इसीलिए जरुरी है कि गर्लफ्रैंड औऱ बौयफ्रेंड के रिश्ते की डोर को संभाल कर रखा जाए ताकि एक छोटे से झटके रिश्ता ना टूट जाए.

एक लड़की ने मुझे धोखा दिया, मैं उसे कैसे भुलाऊं?

सवाल-

मैं एक लड़की से पिछले 2 सालों से प्यार करता हूं. 2 साल तक वह मेरे साथ घूमतीफिरती रही. उस के बाद एक दिन अचानक उस ने बताया कि वह तो किसी और से प्यार करती है. तभी से मैं सदमे में हूं. सचाई जान कर भी उस की बेवफाई पर गुस्सा नहीं आ रहा. दुखी हूं कि मेरे साथ ऐसा क्यों हुआ? मैं उसे दिल की गहराइयों से प्यार करता हूं. उसे भुलाना नामुमकिन है. बताएं, क्या करूं?

जवाब-

प्यार के नाम पर आप के साथ वाकई धोखा हुआ है. आप की प्रेमिका काफी शातिर निकली. इसीलिए आप के जज्बातों से खेलती रही. ऐसी लड़कियां प्यार के नहीं नफरत के काबिल होती हैं. अत: आप भी उसे एक बुरा सपना समझ कर भुलाने का प्रयास करें. स्वयं को व्यस्त रखेंगे तो कुछ समय बाद अतीत की स्मृतियां स्वत: धुंधली पड़ जाएंगी.

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सोमवार की सुबह सीमा औफिस पहुंची तो अपनी सीट की तरफ जाने के बजाय वंदना की मेज के सामने जा खड़ी हुई. उस के चेहरे पर तनाव, चिंता और गुस्से के भाव अंकित थे. अपना सिर झुका कर मेज की दराज में से कुछ ढूंढ़ रही वंदना से उस ने उत्तेजित लहजे में कहा, ‘‘वंदना, वह तुझे बेवकूफ बना रहा है.’’ वंदना ने झटके से सिर उठा कर हैरान नजरों से सीमा की तरफ देखा. उस के कहे का मतलब समझने में जब वह असमर्थ रही, तो उस की आंखों में उलझन के भाव गहराते चले गए. कमरे में उपस्थित बड़े बाबू ओमप्रकाश और सीनियर क्लर्क महेश की दिलचस्पी का केंद्र भी अब सीमा ही थी.

‘‘क….कौन मुझे बेवकूफ बना रहा है, सीमा दीदी?’’ वंदना के होंठों पर छोटी, असहज, अस्वाभाविक मुसकान उभर कर लगभग फौरन ही लुप्त हो गई.

‘‘समीर तुझे बेवकूफ बना रहा है. प्यार में धोखा दे रहा है वह चालाक इंसान.’’

‘‘आप की बात मेरी समझ में कतई नहीं आ रही है, सीमा दीदी,’’ मारे घबराहट के वंदना का चेहरा कुछ पीला पड़ गया.

‘‘मर्दजात पर आंखें मूंद कर विश्वास करना हम स्त्रियों की बहुत बड़ी नासमझी है. मैं धोखा खा चुकी हूं, इसीलिए तुझे आगाह कर भावी बरबादी से बचाना चाहती हूं.’’

‘‘सीमा दीदी, आप जो कहना चाहती हैं, साफसाफ कहिए न.’’ ‘‘तो सुन, मेरे मामाजी के पड़ोसी हैं राजेशजी. कल रविवार को समीर उन्हीं की बेटी रजनी को देखने के लिए अपनी माताजी और बहन के साथ पहुंचा हुआ था. रजनी की मां तो पूरे विश्वास के साथ सब से यही कह रही हैं कि समीर ही उन का दामाद बनेगा,’’ सीमा  की बात का सुनने वालों पर ऐसा प्रभाव पड़ा था मानो कमरे में बम विस्फोट हुआ हो.

पूरी कहानी पढ़ने के लिए- बिचौलिए: क्यों मिला वंदना को धोखा

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