घर आ कर उस ने किसी को कुछ नहीं बताया, क्योंकि जानती थी कि उस का घर से निकलना बंद करवा दिया जाता. हो सकता था कि उस का स्कूल भी छुड़वा दिया जाता. इसलिए उसे चुप रहना ही बेहतर लगा. लेकिन आज सोचती है तो लगता है कि गलत किया. मारना चाहिए था पकड़ कर उसे, शोर मचाना चाहिए था, ताकि लोगों को पता तो चलता कि वह कितना गंदा इनसान है?
लेकिन एक डर कि उस की बदनामी हो जाएगी. हमारे समाज में दोषी वह नहीं होता, जो लड़की के साथ छेड़छाड़ करता है, उस का बलात्कार करता है, बल्कि दोषी तो लड़की होती है, क्योंकि उसे घर से नहीं निकलना चाहिए था. हमारे समाज में दोषी आजाद घूमते हैं और निर्दोष को घर में कैद कर दिया जाता है.
दरवाजे की घंटी से स्नेहा अतीत से वर्तमान में आ गई. दरवाजा खोला।तो सामने वरुण खड़ा मुसकरा रहा था.
“आ गए तुम…? और ये हाथ में क्या है?” वरुण के हाथ में लाल पन्नी से लपेटा एक पैकेट देख कर स्नेहा चिहुक उठी.
“अब अंदर भी आने दोगी या यहीं खड़ेखड़े सवालजवाब करोगी,” वरुण ने कहा, तो स्नेहा जरा साइड हो गई.
“खोल कर देखो तो इस में क्या है,” लाल पन्नी से लपेटा पैकेट स्नेहा की ओर बढ़ाते हुए वरुण उस के चेहरे के आतेजाते भावों को पढ़ने लगा.
“वाउ वरुण… इस में तो आईफोन है… मेरे लिए?” स्नेहा ने पूछा, तो आंखों के इशारे से वरुण बोला की हां ये फोन उस के लिए ही है.
‘‘ओह्ह, आई लव यू सो मच वरुण,” कह कर उस ने वरुण के गालों को चूम लिया.
“लेकिन, यह मोबाइल तो बहुत महंगा लगता है?कितने का आया है बताओ?”
“तुम आम खाओ न, गुठली क्यों गिनती हो ?” वरुण ने कहा.
“गिनूंगी, बताओ कहां से आए इतने पैसे…?” स्नेहा तो वरुण के पीछे ही पड़ गई कि आखिर अचानक से उस के पास इतने सारे पैसे कहां से आ गए?
“बोलो न वरुण, नहीं तो मुझे नहीं चाहिए यह मोबाइल… रखो अपना मोबाइल अपने पास,” स्नेहा ने मुंह बनाया.
“अरे भई, एरियर मिला था, उसी पैसे से ले कर आया हूं. तुम बोल रही थी न कि तुम्हारा मोबाइल ठीक से काम नहीं कर रहा है. बात करतेकरते कट जाता है, तो इसलिए नया ले आया और अगले महीने तुम्हारा जन्मदिन भी तो आ रहा है न, तो गिफ्ट समझ कर रख लो,” वरुण ने कहा, तो स्नेहा उस से लिपट गई यह बोल कर कि वह उस का कितना खयाल रखता है.
“हम और तुम… बातबात पर मुझे गालियां देती रहती हो. जरा किसी लड़की को देख क्या लेता हूं, आंखें दिखाने लगती हो, जबकि जानती हो कि मैं तुम से कितना प्यार करता हूं. मैं तो एक नारी ब्रहचारी हूं.“
“अच्छा ठीक है, मैं तुम्हें नहीं डाटूंगी, लेकिन तुम भी ऐसीवैसी हरकतें मत किया करो,” बोल कर स्नेहा हंस पड़ी.
स्नेहा जानती है कि वरुण उसे कभी धोखा नहीं दे सकता. लेकिन डर इस बात का है कि कोई उसे बेवकूफ न बना दे. कितनों को देखा है, लड़कियों के चक्कर में कंगाल बनते हुए.
सुबह वरुण को औफिस भेज कर रोज की तरह वह अपने काम में लग गई.
“सर, मे आई कम इन… वरुण के कैबिन के बाहर खड़ी एक महिला बोली.
वरुण किसी से फोन पर बात करने में व्यस्त था, इसलिए बिना देखे ही उस ने इशारों से उसे अंदर आने को बोल दिया.
“थैंक यू सर,” उस महिला की मधुर खनकती आवाज जब वरुण के कानों में पड़ी और उस ने अपनी नजरें उठा कर देखा तो बला की खूबसूरत उस महिला पर वरुण की नजर टिक गई. उस ने अपनी जिंदगी में पहली बार इतनी खूबसूरत महिला देखी थी. बड़ीबड़ी कजरारी नशीली आंखें, गुलाब की पंखुड़ियों से रसभरे होंठ, रेशमी बाल, जो उस के गोरेगोरे मुखड़े पर अठखेलियां करते हुए कभी उस की आंखों को, कभी गालों को तो कभी उस के गुलाब सी पंखुड़ियों से अधरों को छू रही थी और जिसे वह बारबार अपने कोमल हाथों से हटाने का असफल प्रयास कर रही थी.
“सर, मैं रूपम व्यास हूं,” जब उस महिला ने अपना नाम बताया, तो वरुण की सुस्ती तुरंत फुरती में बदल गई.
“बोलिए मैडम, मैं आप की क्या सहायता कर सकता हूं?‘‘ रूपम के चेहरे पर से नजरें हटाते हुए वरुण ने कहा.
“सर, मुझे अपना ब्यूटीपार्लर खोलने के लिए बैंक से 10-12 लाख रुपए का लोन चाहिए,” रूपम बोले जा रही थी और वरुण उस की मादक और मोहक खुशबू में सराबोर हुए जा रहा था. उस का मन कर रहा था कि वह यों ही बोलती रहे और वह ऐसे ही उसे निहारता रहे.
“सर, क्या मुझे बैंक से लोन मिल सकता है?”
‘‘हां… हां, क्यों नहीं मैडम. हम यहां बैठे किसलिए हैं, आप की सेवा में… मेरा मतलब कि आप जैसों की सेवा के लिए ही न,” उस की आंखों में झांकते हुए वरुण बोला, “वैसे, लोन तो आप को मिल जाएगा, कोई समस्या नहीं है. लेकिन इस के लिए गारंटर का होना जरूरी है. ऐसे हम किसी को लोन नहीं दे सकते,” लेकिन रूपम कहने लगी कि वह इस शहर में अभी कुछ महीने पहले ही रहने आई है. यहां किसी को ज्यादा नहीं जानती.
रूपम आगे और कुछ बोलती कि वरुण बीच में ही बोल पड़ा, “आप की बात सही है मैडम, लेकिन यह तो बैंक का रूल है. हम बिना गारंटर के किसी को भी लोन नहीं दे सकते,“ बोल कर वह हंस पड़ा.
“ठीक है सर, तो फिर मैं चलती हूं,” खड़ी होती हुई रूपम बोली. वह समझ गई कि इस बैंक में उसे लोन नहीं मिलने वाला, इसलिए उसे अब किसी दूसरे बैंक का रुख करना पड़ेगा.
“क्या बात है, आज बड़े चुपचुप लग रहे हो, सब ठीक तो है न?” खाना खाते समय वरुण को चुप देख कर स्नेहा ने पूछा, तो वह यह बोल कर कमरे की तरफ बढ़ गया कि आज औफिस में काम ज्यादा था, इसलिए जरा थकावट हो रही है.
‘बेचारा, औफिस में पूरे दिन खटता रहता है और मैं पागल फिर भी इस से लड़ती रहती हूं. कितनी बुरी हूं मैं भी,’ अपने मन में ही सोच स्नेहा ग्लानि से भर उठी. लेकिन वरुण यह सोच कर गुस्से से भर उठा कि वह भी न, एक नंबर का गधा है. इतनी सुंदर औरत खुद चल कर उस के पास आई और वह उसे इतनी आसानी से जाने दिया. हाऊ केन? और कुछ भी तो नहीं जानता वह उस के बारे में कि वह कौन है, कहां रहती है? अरे, कम से कम उस का फोन नंबर तो ले लिया होता,‘ लेकिन अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत. और गारंटर का क्या है, अपने किसी दोस्त को बना देता या खुद मैं भी तो बन सकता था न? अरे, कौन सा वह बैंक के पैसे ले कर भाग जाती? सही कहती है स्नेहा, मैं ने पिछली रोटी खाई है, तभी मेरा दिमाग सही समय पर काम नहीं करता,’ अपने मन में ही सोच वरुण पछतावे से भर उठा. रात में कितनी देर तक उसे नींद नहीं आई. फिर जाने कब उस की आंख लग गई. सुबह स्नेहा ने उठाया तब जा कर उस की आंख खुली.