तनीषाने बड़ी मुश्किल से टाइट जींस और क्रौप टौप पहना और फिर जल्दीजल्दी मेकअप करने लगी. उधर अनुष्का ने फटाफट अपना असाइनमैंट खत्म करा और हरे रंग का सलवारकुरता पहन लिया. नीचे मम्मी और दादी नाश्ते की टेबल पर बैठी थीं.
मम्मी ने अनुष्का को देख कर भौंहें चढ़ाते हुए कहा, ‘‘यह क्या पहन रखा है? आखिर कब तुम इस बहनजी अवतार से बाहर निकलोगी. तनीषा तुम से बड़ी है, मगर तुम्हारी छोटी बहन लगती है.’’
अनुष्का बोली, ‘‘मम्मी, मैं इन टाइट और छोटे कपड़ों में बहुत असहज महसूस करती हूं्. मैं बहनजी ही सही, मगर खुश हूं.’’
तभी अनुष्का की दादी बोलीं, ‘‘अरे मेरी बच्ची तो बहुत प्यारी लग रही है बहू… खूबसूरती कपड़ों में नहीं विचारों से झलकती है.’’
मगर अनुष्का की मम्मी अलका बड़बड़ाती रहीं, ‘‘मम्मीजी आजकल स्मार्टनैस का जमाना है. कोई ऐश्वर्य की तरह खूबसूरत भी नही है कि जो भी पहन ले वह अच्छा ही लगे.’’
अनुष्का कोई जवाब दिए बिना दुपट्टे को ठीक करते हुए बाहर निकल गई. उधर तनीषा अपने क्रौप टौप को नीचे की तरफ खींचते हुए बाहर भागी. उसे पता था कि अगर 2 मिनट की भी देरी हुई तो अनुष्का अपनी स्कूटी उड़ा कर चली जाएगी.
तनीषा के बैठते ही स्कूटी हवा से बातें करने लगी. जब अनुष्का स्कूटी मैट्रो स्टेशन पर पार्क कर रही थी तो तनीषा लेडीज वाशरूम की तरफ भागी. अपनी लिपस्टिक ठीक करते हुए तनीषा बोली, ‘‘तुम्हारा पहनावा ठीक है… तुम्हें किसी बात की कोई चिंता नही.’’
‘‘तुम्हें किस ने कहा है ये सब पहनने के लिए?’’ अनुष्का बोली.
तनीषा हंसते हुए बोली, ‘‘अनु मुझे लड़कों का अटैंशन पसंद है. जब लड़के मुझे हसरत भरी नजरों से देखते हैं तो मुझे अच्छा लगता है.’’
अनुष्का बोली, ‘‘कब तक दी? जैसी हो वैसी ही रहो… कोई पसंद करे तो ऐसे ही.’’
तनीषा अनुष्का की बात को अनसुना करते हुए अपने बौयफ्रैंड साहिल की तरफ चली गई.
कालेज में पहुंचते ही अनुष्का सधे कदमों से लाइब्रेरी की तरफ चली गई. वहां पर पहले से कुछ लड़केलड़कियां बैठे थे. कुछ नजरों में उसे अपने लिए आदरभाव दिखा तो कुछ नजरें उस की खिल्ली उड़ा रही थीं.
अनुष्का को पता था कि कालेज में वह बहनजी के नाम से मशहूर है. लड़के उस के करीब तभी आना चाहते हैं जब उन्हें या तो तनीषा को प्रपोज करना होता या उन्हें अनुष्का से कोई काम होता. मगर अनुष्का को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता था. वह जैसी थी और जो थी उस ने अपनेआप को स्वीकार कर लिया था. वह अपनी जिंदगी खूबसूरती की कठपुतली बन कर नहीं गुजारना चाहती थी.
आज इंटर कालेज डिबेट कंपीटिशन था. अनुष्का बेहद अच्छी वक्ता थी. जब
वह बोलती थी तो ऐसा लगता था जैसे बिजली कड़क रही हो. डिबेट इंग्लिश में थी और अनुष्का की सब से आखिर में बारी थी. अनुष्का को स्टेज पर देख कर जो लड़का ऐंकरिंग कर रहा था एक मिनट को रुक गया और फिर धीमे स्वर में बोला, ‘‘यह डिबेट हिंदी में नहीं इंग्लिश में है.’’
‘‘मुझे पता है,’’ अनुष्का बोली.
जब अनुष्का ने आत्मविश्वास के साथ अपनी डिबेट शुरू करी तो पूरा हौल एकदम शांत हो गया था. बहनजी जैसी दिखने वाली लड़की कैसे इतनी अच्छी अंगरेजी बोल सकती है सब यही सोच रहे थे.
जो लड़का ऐंकरिंग कर रहा था उस का नाम उदीक्ष था. न जाने अनुष्का की डिबेट में क्या जादू था कि उदीक्ष अपना दिल हार बैठा. जब अनुष्का स्टेज से उतरी तो उदीक्ष उस के पीछेपीछे आया और फिर उस से हाथ मिलाते हुए बोला, ‘‘अनुष्का आप ने तो कमाल कर दिया. आप के जैसी लड़की मैं ने आज तक नहीं देखी.’’
अनुष्का हंसते हुए बोली, ‘‘हां बहनजी को अच्छी इंग्लिश बोलते देख कर चौंक गए होंगे.’’
उदीक्ष शरमाते हुए बोला, ‘‘नहीं तुम्हारी प्रतिभा देख कर मैं चौंक गया हूं.’’
डिबेट रिजल्ट आ गया था और अनुष्का को प्रथम पुरस्कार मिला था.
उदीक्ष जाते हुए अनुष्का को अपना मोबाइल नंबर दे गया, ‘‘अगर मन करे तो बात कर लेना. मुझे लगता है मेरीतुम्हारी अच्छी जमेगी.’’
तभी तनीषा वहां आ गई. उसे देख कर उदीक्ष बोला, ‘‘अरे क्या अनुष्का तुम्हारी बहन है?’’
तनीषा बोली, ‘‘हां हो गए न तुम भी सरप्राइज?’’
उदीक्ष बोला, ‘‘एक हीरा और दूसरा रंगीन पत्थर.’’
अनुष्का मन ही मन सोचने लगी कि शायद अब उदीक्ष को फोन करने का कोई फायदा नहीं है. सभी लड़के तनीषा को देखते ही अनुष्का को अनदेखा कर देते हैं. मगर अनुष्का को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता था.
जब अनुष्का और तनीषा वापस मैट्रो में जा रही थीं तो तनीषा बारबार अपना टौप नीचे कर रही थी.
अनुष्का बोली, ‘‘ऐसा क्यों कर रही हो बारबार? या तो ठीक कपड़े पहना करो या फिर यह खींचतान मत किया करो.’’
तनीषा चिढ़ते हुए बोली, ‘‘ऐसे कपड़े पहनने के लिए एफर्ट लगता है वरना बहनजी की तरह कुरता तो हरकोई पहन सकता है.’’
अनुष्का अपनी बहन की बात सुन कर मुसकरा उठी. जो तनीषा एक स्कूटी तक ड्राइव नहीं कर सकती है वह मौडर्न है और अनुष्का जो कालेज से ले कर घर तक आनेजाने की जिम्मेदारी खुद संभालती है वह बहनजी है क्योंकि वह छोटे कपड़े नहीं पहनती है. मेकअप नहीं करती है, गौसिप उसे पसंद नहीं. उस का कोई बौयफ्रैंड नहीं है. मगर अनुष्का खुश थी क्योंकि वह मानसिक रूप से आजाद है. उस की खुशी किसी लड़के की प्रशंसा की मुहताज नहीं थी.
रात में तनीषा बेचैनी से इधरउधर घूम रही थी. अनुष्का ने पूछा, ‘‘क्या हुआ तनीषा इतनी बेचैन क्यों हो?’’
तनीषा आंखों में पानी भरते हुए बोली, ‘‘यार साहिल मेरा फोन नहीं उठा रहा है.’’
‘‘इस में रोने की क्या बात है?’’ अनुष्का बोली.
‘‘मुझे लगता है अब वह पंखुड़ी के पीछे है… मेरे में क्या कमी है?’’
अनुष्का बोली, ‘‘तुम्हारे अंदर कोई कमी नहीं है… तुम्हारी यह सोच तुम्हारे दुख का कारण है कि तुम्हारी खुशी की बागडोर तुम्हारे बौयफ्रैंड पर निर्भर है.’’
तनीषा बोली, ‘‘मगर अनुष्का मुझे साहिल के बिना बेहद खालीपन लगता है. तुम्हारे जितनी बहादुर नहीं हूं मैं कि भीड़ से अलग दिखूं… बहुत बार मन करता है कि इस तामझम से हट कर तुम्हारी तरह सिंपल जिंदगी व्यतीत करूं.’’
अनुष्का हंसते हुए बोली, ‘‘अरे तो क्या मुश्किल है… दूसरों में नहीं, अपनी खुशी खुद में ढूंढ़ो… अपने हर पल को इस तरह काम से लाद दो कि तुम्हें एक मिनट का भी समय न मिले.’’
रात में जहां तनीषा अपने चेहरे पर निकल आए एक पिंपल को ठीक करने की कोशिश में लगी हुई थी वहीं अनुष्का अपने कालेज के आने वाले इवेंट की तैयारी कर रही थी. तनीषा चाह कर भी अपने को इस जाल से आजाद नहीं कर पा रही थी.
कालेज में पहुंच कर तनीषा बेहद असहज महसूस कर रही थी. बारबार
आईने में खुद को देखती और परेशान हो उठती. तभी तनीषा को सामने से अपना बौयफ्रैंड साहिल आता दिखाई दिया, मगर साहिल ने तनीषा को देख कर भी अनदेखा कर दिया.
तनीषा को लग रहा था कि वह भीड़ में भी अकेली है. वह दुखी ही एक कोने में खड़ी थी कि तभी अनुष्का आई और बोली, ‘‘अरे चलो, मेरे साथ हम लोग नुक्कड़ नाटक की प्रैक्टिस कर रहे हैं.’’
तनीषा ने वहां जा कर देखा कि सब लड़केलड़कियां अपनी ही धुन में व्यस्त हैं. अनुष्का उस ग्रुप की लीडर थी. तनीषा टकटकी लगाए ये सब देख रही थी. पहली बार वह खुद को तुच्छ समझ रही थी.
अनुष्का बिना किसी सौंदर्य प्रसाधन के भी बेहद सलोनी लग रही थी. उस के चेहरे पर आत्मविश्वास का तेज था.
अनुष्का का सौंदर्य ऐसा था जो जितना करीब आता था उतना ही दिल को लुभाता था. अपने गुणों के कारण अनुष्का का सौंदर्य देखने वाले की आंखों को शीतलता प्रदान करता था.
नुक्कड़ नाटक में फिर से अनुष्का का गु्रप प्रथम आया. उदीक्ष फिर से अनुष्का के पास आया और बोला, ‘‘कुछ स्किल्स हम लोगों के लिए भी छोड़ दो. तुम तो फोन करोगी नहीं, मुझे अपना नंबर दे दो.’’
अनुष्का ने उदीक्ष को अपना नंबर दे दिया. धीरेधीरे अनुष्का और उदीक्ष में अच्छी बनने लगी.
तनीषा जब मौका मिलता अनुष्का को छेड़ती, ‘‘अरे अब तो थोड़ी बनठन कर रहा कर… तेरा बौयफ्रैंड इतना हौट है.’’
अनुष्का हंसते हुए बोलती, ‘‘दी अच्छा दिखने में कोई बुराई नहीं है, मगर मेरी पहचान मेरी खूबसूरती से नहीं वरन गुणों से होनी चाहिए.’’
उदीक्ष को अनुष्का का साथ बेहद पसंद था. दोनों बिना किसी वादे के एकदूसरे की जिंदगी का अहम हिस्सा थे.
अनुष्का जहां टीच इंडिया प्रोजैक्ट का हिस्सा बन गई थी वहीं उदीक्ष को एक मीडिया हाउस में अच्छी नौकरी मिल गई थी. अब उदीक्ष अनुष्का को अपने घर ले कर जाना चाहता था, मगर उसे पता था कि उस के परिवार के हिसाब से अनुष्का थोड़ी अलग लगेगी. उदीक्ष की बहन और मम्मी टिपटौप रहना पसंद करती थीं.
उदीक्ष आज अनुष्का के लिए एक छोटा सा वनपीस लाया था. अनुष्का सवालिया निगाहों से उस की तरफ देख कर बोली, ‘‘तुम्हें तो पता है कि मुझे ऐसे कपड़े पसंद नहीं हैं?’’
उदीक्ष चिरौरी करते हुए बोला, ‘‘अरे एक बार मेरी खातिर पहनो तो सही… तुम पर यह ड्रैस बहुत अच्छी लगेगी. और मेरी बात मानो जब हम लोग मेरे घर चलेंगे तो यही पहन लेना. तुम बहुत अच्छी लगोगी.’’
अनुष्का को लेने जब उदीक्ष पहुंचा तो वह बेहद असहज सी नजर आ रही थी. आज अपनी मम्मी के कहने पर अनुष्का ने लाइट मेकअप भी कर लिया था. कुल मिला कर अनुष्का खुद को ही पहचान नहीं पा रही थी.
कार में बैठ कर जब अनुष्का अपनी ड्रैस को खींचने लगी तो उदीक्ष बोला, ‘‘अरे ऐसा
मत करो, खूब हौट लग रही हो.’’
अनुष्का को पूरे रास्ते उदीक्ष अपनी मम्मी और बहन के बारे में बताता रहा. जब अनुष्का उदीक्ष के घर पहुंची तो टिकटिक करती हुई एक लिपीपुती महिला आई और अनुष्का को तोलती हुई निगाहों से देखते बोली, ‘‘तुम हो अनुष्का. उदीक्ष तो तुम्हारी बहुत तारीफ करता है.’’
उदीक्ष की मम्मी की बातों से अनुष्का को ऐसा महसूस हुआ जैसे उदीक्ष की तारीफों से वे सहमत नहीं हैं.
तभी उदीक्ष की छोटी बहन शिप्रा आई और अनुष्का को अपना घर दिखाने लगी. अनुष्का को उदीक्ष का घर बेहद सुंदर मगर एक डैकोरेटिव पीस जैसा लग रहा था. सारी सुखसुविधाएं थीं, मगर कहीं भी प्यार की उष्मा नहीं थी. घर घूमते हुए अनुष्का को ऐसा महसूस हुआ जैसे वह बार्बी डौल का घर घूम रही हो.
शिप्रा पूरे टाइम कपड़ों, मेकअप, पार्टीज और अपने बौयफ्रैंड्स की बातें करती रही.
जब अनुष्का वापस घर आई तो उसे समझ आ चुका था कि उदीक्ष के घर के हिसाब से वह थोड़ी अलग है. मगर उसे यह भी विश्वास था कि उदीक्ष ने उसे जैसी वह है, उसे वैसा ही पसंद किया है. उदीक्ष ने कभी अनुष्का को बदलने का प्रयास नहीं किया.
उदीक्ष और अनुष्का की मंगनी तय हो गई थी. मंगनी में पहनने के लिए अनुष्का को गाउन दिलाया गया था. गाउन का भार अनुष्का के भार से भी अधिक था. अनुष्का ने जब यह बात अपने घर में कही तो अनुष्का की मम्मी बोलीं, ‘‘अरे एक तो तरी सास तेरे लिए इतने प्यार से गाउन लाई है और तुझे ये नखरे सूझ रहे हैं.’’
गाउन का खुला हुआ गला, कपड़ा सबकुछ अनुष्का को असहज कर रहा था, मगर उसे बोलने की अनुमति नहीं थी. अनुष्का को ऐसी मौडर्निटी समझ नहीं आ रही थी जो बस कपड़ों में झलकती थी विचारों में नहीं.
घर की होने वाली बहू को उस की मरजी के कपड़े पहनने की अनुमति नहीं है क्योंकि उस में उस की फूहड़ता और गांवरूपन नजर आता है.
जैसेजैसे मंगनी की तारीख नजदीक आ रही थी उदीक्ष के व्यवहार में भी बदलाव आ रहा था.
उदीक्ष के परिवार को अनुष्का का टीच इंडिया के लिए कार्य करना पसंद नहीं था. अनुष्का की सास के अनुसार, ‘‘आजकल बहनजी ही टीचिंग करती हैं, जो लड़कियां किसी काबिल नहीं होती हैं वे ही मास्टरनी बनती हैं.’’
उदीक्ष ने अनुष्का को यह नौकरी छोड़ने के लिए बोल दिया, ‘‘अरे मेरे मम्मीपापा ने मेरी पसंद स्वीकार कर ली है और वे तुम्हें कोई घर बैठने को थोड़े ही कह रहे हैं. वे तो बस तुम्हें उड़ने के लिए आकाश दे रहे हैं.’’
अनुष्का ने फीकी मुसकान से कहा, ‘‘हां मेरे पंखों को काट कर मुझे उड़ने को बोला जा रहा है.’’
उदीक्ष अनुष्का की यह बात सुन कर
झंझला उठा.
अनुष्का का अपना परिवार भी उस की बातें समझ पाने में असमर्थ था.
मंगनी के रोज उदीक्ष का परिवार समय से पहुंच गया. चारों तरफ हंसीखुशी का माहौल था. उदीक्ष के आधुनिक परिवार को देख कर, उस फंक्शन में उपस्थित सभी लोग अनुष्का की पसंद की सराहना कर रहे थे.
उदीक्ष की नजरें भी अनुष्का को ढूंढ़ रही थीं. तभी अनुष्का बाहर आई. पीच रंग की साड़ी और लाइट मेकअप में वह बेहद सौम्य नजर आ रही थी.
मगर उदीक्ष की छोटी बहन शिप्रा बोली, ‘‘भाभी यह क्या औरतों की तरह तैयार हो कर आई हो? आप ने गाउन क्यों नही पहना?’’
उदीक्ष भी धीमे स्वर में बोला, ‘‘अनुष्का तुम क्यों जिद पकड़ लेती हो. लड़कियां तो आधुनिक कपड़े पहनना चाहती हैं, मगर उन्हें ससुराल में अनुमति नहीं मिलती है और यहां एकदम विपरीत है.’’
अनुष्का की मम्मी बात संभालते हुए बोलीं, ‘‘अरे बेटा तुम परेशान मत हो, मैं अनुष्का को दोबारा तैयार करती हूं…’’
अनुष्का अपनी मम्मी की बात काटते हुए बोली, ‘‘उदीक्ष मैं जैसी हूं वैसी ही रहूंगी… मैं वही कपड़े पहनना पसंद करती हूं जो मुझे कंफर्टेबल लगते हैं.’’
अनुष्का की मम्मी गुस्से में बोलीं, ‘‘कब तक बहनजी बनी रहोगी?’’
अनुष्का की होने वाली सास, ननद सब उसे गुस्से से देख रही थीं.
अनुष्का सयंत स्वर में बोली, ‘‘बात कपड़ों की नहीं मेरी मरजी की है. मैं अगर अपनेआप को ही बदल दूंगी तो फिर मैं ही क्या रह जाऊंगी?’’
उदीक्ष बोला, ‘‘तुम्हें हमारे रिश्ते से अधिक अपनी जिद प्यारी है.’’
अनुष्का बोली, ‘‘अगर मैं तुम्हें कहूं कि शादी के बाद तुम टैनिस खेलना छोड़ दो, शौर्ट्स पहनना छोड़ दो या फिर अपने परिवार को छोड़ दो तो?’’
उदीक्ष की मम्मी बोलीं, ‘‘उदीक्ष हम तुम्हारी खुशी के लिए तैयार हो गए थे, मगर हमें नहीं लगता यह लड़की तुम से प्यार करती है.’’
अनुष्का बोली, ‘‘आंटी प्यार करती हूं… तभी तो उदीक्ष जैसा है उसे वैसे ही स्वीकार कर रही हूं.’’
उदीक्ष उठते हुए बोला, ‘‘अनुष्का तुम वह नहीं हो जिसे मैं जानता था.’’
पूरे पंडाल में सन्नाटा पसरा हुआ था, मगर अनुष्का को यह मौन बेहद भला लग रहा था. उसे खुद पर फख्र महसूस हो रहा था कि आज उस ने खुद को कठपुतली बनने से बचा लिया.
कठपुतली जिसे सुंदर दिखना होता है, कठपुतली जिसे अपनी देह के उतारचढ़ाव से पति को खींच कर रखना होता है, कठपुतली जिस की खुशी की डोर दूसरों के हाथों में होती है, मगर आज अनुष्का ने उस कठपुतली की डोर को
थोड़ी सी हिम्मत कर के सदा के लिए अपने हाथों में ले लिया.