महिलाओं को होता है कैंसर का ज्यादा खतरा, जानिए क्यों

देश में असमय मौत होने वाले कारणों में कैंसर प्रमुख कारण है. 2016 में तरीब 14 लाख कैंसर के मामले दर्ज किए गए हैं. आपको बता दें कि इन आंकडों में महिलाओं की संख्या पुरुषों से अधिक है. वहीं इंडियन काउंसिल औफ मेडिकल रिसर्च ने साल 2020 तक कैंसर के 17 लाख नए मामलों के दर्ज होने की आशंका जताई है, जिनमें 8 लाख लोगों के लिए जान का खतरा कहीं ज्यादा है.

महिलाओं को होने वाले कैंसर में स्तन, सर्वाइकल, फेफड़े के मामले प्रमुख हैं. एक वेबसाइट के मुताबिक देश में हम मिनट एक महिला की मौत सर्वाइकल कैंसर से होती है. आपको बता दें कि महिलाओं को हर तरह के कैंसरों में स्तन का कैंसर सबसे ज्यादा 27 प्रतिशत होता है.

जानकारों की माने तो महिलाओं में स्तन कैंसर होने के प्रमुख कारण मोटापा, वसा युक्त भोजन, देर से शादी, अपर्याप्त स्तनपान हैं.

बड़े पद पर बैठी एक हेल्थ एक्सपर्ट ने एक आर्टिकल में लिखा कि महिलाओं में पुरुषों की अपेक्षा अधिक कैंसर होने का कारण खान-पान पर ध्यान ना देना है. इसके अलावा वायु प्रदूषण का भी महिलाओं के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है. हालांकि इन दोनों कारणों का शिकार पुरुष भी हैं लेकिन जागरूकता के अभाव में महिलाएं देर से इलाज कराती हैं जिसका खामियाजा भुगतना पड़ता है. इसके अलावा भारत में मासिक धर्म के दौरान महिलाएं साफ-सफाई का ख्याल नहीं रख पातीं जिसकी वजह से भी स्वास्थ्य से जुड़ी कई समस्याएं हो जाती हैं.

2 से ज्यादा बच्चों की प्लानिंग कर रहीं हैं तो है जान का खतरा

जिन महिलाओं के दो से अधिक बच्चे होते हैं, उनमें हार्ट अटौक का खतरा बढ़ जाता है. इस बात की पुष्टी यूके में हुए एक शोध में हुई. कैंब्रीज यूनिवर्सिटी के छात्रों द्वारा किए इस शोध में ये स्पष्ट हुआ कि हर बच्चे के जन्म से मां के दिल में खिंचाव होता है. जिसकी ओर किसी का भी ध्यान नहीं जाता. इसके अलावा बच्चों के पैदा होने पर घर में कामकाज भी अधिक हो जाता है, जिसके चलते मां अपनी सेहत का ख्याल नहीं रख पाती.

इस शोध में ये बात भी सामने आई कि महिलाएं जिनके दो बच्चे होते हैं, कि तुलना में महिलाएं जिनके 5 बच्चे हैं, उनमें दिल की बीमारी का खतरा 30 फीसदी बढ़ जाता है.

इस लिए जरूरी है कि लोग छोटे परिवार रखें और मां की सेहत का खासा ख्याल रखें. आपको बता दें कि इस शोध में करीब 8000 महिलाओं को शामिल किया गया, जिनकी उम्र 45 से 64 साल की थी.

त्वचा संबंधी इन परेशानियों का इलाज है अंडा

अंडा प्रोटीन का प्रमुख स्रोत होता है. इसके सफेद हिस्से में प्रोटीन और एलबुमिन की प्रचूर मात्रा होती है है. त्वचा संबंधी कई समस्याओं में ये बेहद कारगर होता है. आपको बता दें कि एलबुमिन वही तत्व है जिससे स्किन टोनिंग की जाती है. इस गुण के कारण झुर्रियों की समस्या कम होती है.

सूरज की रोशनी, प्रदूषण, स्मोकिंग, एल्कोहल, मोटापा, खानपान की आदतें, कैमिकल भरे स्किन प्रोडक्ट, डिहाइड्रेशन की वजह से त्वचा का इलैसटिन और कोलेजन नष्ट हो जाता है. इससे त्वचा पर पिंपल्स, झुर्रियां और उम्र के निशान नजर आने लगते हैं. आपको बता दें कि अंडे के सफेद हिस्से का फेस मास्क बना कर इस्तेमाल करने से स्किन टाइट होती है. यह त्वचा का सारा तेल सोक लेता है. इसके अलावा इसके विटामिन्स और मिनरल्स त्वचा के लिए बेहद फायदेमंद होते हैं.

इस खबर में हम आपको बताएंगे कि अंडा हमारी त्वचा के लिए कैसे फायदेमंद है.

औयली स्किन के लिए शानदार

औयली स्किन में मुहांसो और एक्ने की समस्या बेहद आम है. एग व्हाइट इस परेशानी में भी काफी कारगर है. इससे आपकी त्वचा में मौजूद अतिरिक्त तेल बाहर हो जाता है. मास्क लगाने से पहले चेहरे को गुनगुने पानी से धो लें. इसके बाद चेहरे पर मास्क लगाएं. मास्क सूखने के बाद चेहरे को ठंडे पानी से धो लें. नियमित तौर पर ऐसा करने से कुछ ही दिनों में आपको अंतर महसूस होगा.

स्किन टाइटनिंग

अंडे के सफेद हिस्से में ऐसे गुण होते हैं जो त्वचा के पोरों को छोटा कर त्वचा को टाइट करते हैं. एग व्हाइट मास्क बना कर उसमें नींबू डाल लें. उसे चेहरे पर लगाएं. कुछ देर तक उसे छोड़ दें. बाद में इसे गुनगुना पानी से धो लें. हफ्ते में दो बार इसका इस्तेमाल करने से आपको अंतर दिखेगा.

चेहरे के बाल हटाए

चेहरे पर छोटेछोटे बालों का आना एक आम परेशानी है. इससे नीजात पाने में एग व्हाइट मददगार है. माथे, गाल और अपर लिप्स पर छोटेछोटे बाल हटाने के लिए एग व्हाइट लगा सकती हैं. जब यह सूख जाए तो मास्क को खींचकर हटा लें.

कीलमुंहासों से छुटाकरा दिलाए

ऐक्ने या औयली स्किन त्वचा की ऊपरी परत पर धूल जमा होने की वजह से होते हैं. एग व्हाइट से आपकी त्वचा का एक्स्ट्रा तेल निकल जाता है जिससे अपने आप ऐक्ने और पिंपल खत्म हो जाते हैं.

30 से ज्यादा की उम्र में प्रेग्नेंसी हो सकती है खतरनाक

एक वक्त था जब बेहद कम उम्र में लड़कियों की शादी कर दी जाती थी. आज लोगों की सोच में बदलाव देखा जा रहा है. बहुत से लोग अब लड़की के 30 की उम्र के बाद शादी कर रहे हैं. लड़कियों की प्राथमिकता शादी नहीं रही. वो अपने करियर के लिए ज्यादा फोकस हैं. यही कारण है कि बच्चा होते होते लड़की की उम्र 32-34 हो जाती है. पर एक महिला की सेहत लिहाज से ये अच्छा नहीं है.

बढ़ती उम्र के साथ ही गर्भवती होने और बच्चे को जन्म देने से संबंधी कई समस्याएं हो जाती हैं. जिसमें मां और बच्चे दोनों को खतरा है. इस खबर में हम आपको बताएंगे कि अगर आप 30 की उम्र के बाद मां बनने की प्लानिंग कर रही हैं तो आपको क्या परेशानियां हो सकती हैं.

इसी उम्र में शुगर का खतरा तेज रहता है. प्रेग्नेंसी में इस परेशानी का होना बच्चे और मां, दोनों के लिए काफी खतरनाक है. इस स्थिति में अगर बच्चे का जन्म सर्जरी से होता है तो इसमें जोखिम और ज्यादा बढ़ जाता है.

35 की उम्र में गर्भ धारण करना काफी मुश्किल होता है. उम्र के इस पड़ाव के बाद गर्भ धारण करने पर गर्भपात होने की आशंका बहुत अधिक बढ़ जाती है.

आपको बता दें कि 35 से ज्यादा की उम्र में नार्मल डिलिवरी होने की संभावना काफी कम हो जाती है. ऐसे में सर्जरी आप की मजबूरी हो जाती है. अगर आप 35 की उम्र के पार हैं और बेबी प्लान कर रही हैं तो डाक्टर से जरूर संपर्क करें.

इस उम्र में प्रेग्नेंसी में महिलाओं में उच्च रक्तचाप की समस्या होने का खतरा काफी बढ़ जाता है. हाई ब्लड प्रेशर की स्थिति में मां और बच्चे, दोनों का नुकसान है.

35 की उम्र के बाद प्रेग्नेंसी में भ्रूण का विकास समान्य नहीं हो पाता. इसके कारण बच्चे में विकार होने की संभावना तेज हो जाती है.

बच्चों को इन रोगों से बचाने के लिए जरूरी है मां का दूध

नवजात के लिए मां का दूध बेहद जरूरी होता है. बच्चे को जितना पोषण मां की दूध से मिलता है, उतना किसी और चीज से नहीं मिलता. जानकारों की माने तो दूध में जटिल शर्करा का विशेष संयोजन होता है, जो भविष्य में होने वाली एलर्जी से बच्चों को  बचाता है. इससे उनमें रोगों से लड़ने के लिए प्रतिरोधक क्षमता विकसित होती है.

आपको बता दें कि मां के दूध में ओलिगोसैकराइड्स (एचएमओ) पाया जाता है. जिसकी संरचनात्मक में जटिल शर्करा के अणु होते हैं. यह मां के दूध में पाए जाने वाले लेक्टोज और वसा के बाद तीसरा सबसे बड़ा ठोस घटक है.

असल में बच्चे इसे पचा नहीं पाते हैं लेकिन लेकिन शिशु के आंत में माइक्रोबायोटा के विकास में प्रिबॉयोटिक के तौर पर काम करते हैं. माइक्रोबायोटा एलर्जी की बीमारी पर असर डालता है.

इस शोध को एक साल से कम उम्र के बच्चों पर किया गया. उनकी त्वचा पर इसकी जांत की गई. जिसमें पाया गया कि स्तनपान करने वाले शिशुओं ने खाद्य पदार्थ की एलर्जी के प्रति संवेदनशीलता नहीं दिखाई.

शोध में शामिल शोधार्थियों की माने तो, परीक्षण में सकारात्मक लक्षण का पाया जाना जरूरी नहीं है कि वह एलर्जी का साक्ष्य हो, लेकिन यह उच्च संवेदनशीलता का संकेत अवश्य देता है. बाल्यावस्था के संवेदीकरण हमेशा बाद के दिनों तक नहीं बने रहते हैं, लेकिन वे भविष्य में एलर्जी बीमारी के महत्वपूर्ण नैदानिक संकेतक और संभावनाओं को उजागर करते हैं.

केले का छिलका है बेहद फायदेमंद, जानिए इसके गुण

केले के फायदे के बारे में सभी लोग जानते हैं. सेहत के लिए केला बेहद फायदेमंद होता है. इसमें विटामिन, मिनरल्‍स, प्रोटीन, एंटी फंगल, फाइबर प्रचूर मात्रा में पाए जाते हैं. पर क्या आप केले के छिलके से होने वाले फायदों के बारे में जानती हैं? आम तौर पर लोग केला खा कर छिलका फेंक देते हैं. इस खबर में हम केले के छिलके से होने वाले फायदों के बारे में बताएंगे. जिसके बाद आप उन्हें कभी फेंकेंगी नहीं.

आइए जानते हैं कि केले के छिलके किस तरह से हमारे लिए फायदेमंद हो सकते हैं.

  • केले का छिलका हमारे मूड को अच्छा करने में काफी मददगार होता है. इसमें सेरोटोनिन हार्मोन पाया जाता है, जो हमारे मूड को हल्का करता है और हम अच्छा महसूस करते हैं. एक स्टडी के मुताबिक 3 दिन तक रोजाना केले के 2 छिलके खाने से शरीर में सेरोटोनिन हार्मोन की मात्रा 15 फीसदी तक बढ़ जाती है.
  • आपको बता दें कि केले के छिलके में सबसे ज्यादा फाइबर पाया जाता है. ये दो तरह के होते हैं. सौल्यूबल और इनसौल्यूबल. ये शरीर में कौलेस्ट्रोल की मात्रा को कम करते हैं.
  • केले के छिलकों में ल्यूटिन होता है. यह तत्व आंखों की रोशनी को तेज करता है.
  • केले का छिलका शरीर में पैदा होने वाली लाल कोशिकाओं को टूटने से रोकता है.
  • केले के छिलके में फाइबर की मात्रा ज्यादा होती है. मोटापे को कम करने में ये काफी सहायक होता है.
  • केले के छिलकों में ट्रिप्टोफेन नाम का केमिकल होता है. इससे आपको अच्छी और सुकून की नींद आती है.
  • केले का छिलका खून को साफ करने में मदद करता है. इतना ही नहीं बल्कि यह कब्ज की बीमारी को दूर करने के साथ इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता है.

चेहरे पर चमक और पाचन दुरुस्त चाहिए तो पढ़ें ये खबर

जीने के लिए खाने से कहीं ज्यादा जरूरी है पानी. जानकारों का मानना है कि अच्छी सेहत के लिए 8 से 10 ग्लास पानी जरूरी है. पर क्या आपको पता है कि गर्म पानी पीने से सेहत को कई तरह के फायदे पहुंचते हैं. शरीर की कई बीमारियों में गर्म पानी पीना काफी लाभकारी होता है. इस खबर में हम आपको गर्म पानी पीने के फायदे बताएंगे.

वजन होता है वजन

वजन कम करने में गर्म पानी बेहद कारगर उपाय है. गर्म पानी में नींबू और शहद मिला कर लगातार तीन महीने तक पिएं. खाना खाने के बाद रोज एक ग्लास पानी पीना आपके लिए फायदेमंद होगा.

 बौडी करे डिटौक्‍स

गर्म पानी पीने से बौडी डिटौक्स होती है. आम भाषा में समझें तो शरीर की सारी अशुद्धियां निकल जाती हैं. गर्म पानी पीने से शरीर का तापमान बढ़ने लग जाता है, जिससे पसीना आता है और इसके माध्यम से शरीर की अशुद्धियां दूर हो जाती हैं.

पेट की परेशानी रहे दूर

पाचन क्रिया के लिए गर्म पानी का सेवन लाभकारी होता है. खाने के बाद गर्म पानी पीने की आदत डाल लें. इससे खाना जल्दी पच जाएगा, पेट हल्का रहेगा और साथ में गैस की समस्या से भी राहत मिलेगी.

चमकदार होते हैं बाल

बालों के लिए भी गर्म पानी का सेवन काफी फायदेमंद होता है. इससे बाल चमकदार होते हैं. बालों के ग्रोथ के लिए भी गर्म पानी काफी असरदार होती है.

जोड़ों का दर्द करें दूर

जोड़ों के दर्द में गर्म पानी काफी असरदार होता है. आपको बता दें कि हमारी मांसपेशियों का 80 फीसदी भाग पानी से बना हुआ है. गर्म पानी पीने से मांसपेशियों के एठन में राहत मिलती है.

बढ़ती उम्र थम जाए

चेहरे की झुर्रियों में गर्म पानी का सेवन काफी फायदेमंद होता है. अगर आप अपनी झुर्रियों के निजात पाना चाहती हैं तो आज ही से गर्म पानी पीना शुरू कर दें. कुछ ही हफ्तों में स्किन में कसाव आने लगेगा और स्किन चमकदार भी हो जाएगी.

खूब खाइए बादाम, ये हैं फायदे

बादाम सेहत के लिए बेहद लाभकारी होता है. दिमाग की सेहत के लिए बादाम काफी लाभकारी है. हालांकि कुछ लोगों का मानना है कि बादाम खाने से वजन बढ़ता है. इस कारण वो बादाम नहीं खाते. पर  कई जानकारों का कहना है कि बादाम से वजन नहीं बढ़ता, लोगों में ये धाराणा गलत है.

भारत में अधिकतर लोग बादाम भिगोकर रोजाना खाते हैं हालांकि कुछ लोग वजन बढ़ने की चिंता से बादाम से दूरी बनाकर रखते हैं. आम धारणा ये है कि बादाम में कैलोरी ज्यादा होती है और इसके सेवन से वजन बढ़ जाता है. विशेषज्ञों का दावा है कि नट्स से भरपूर ऊर्जा मिलती है और शरीर में कैलोरी भी एब्सौर्ब नहीं होती है. कई स्टडीज में पासोया गया है कि नट्स में मौजूद 20 फीसदी फैट और एक चौथाई कैलोरी शरीर में अवशोषित नहीं होती है.

इस बारे में शोध करने वाले शोधार्थियों के मुताबिक रिसर्च से पता चलता है कि कुछ चीजों पर लगे फूड लेबलों की जांच करना कितना जरूरी है. फूड पैकेट पर दिखने वाले फैट और कैलोरी की मात्रा शरीर में जाने पर कुछ और हो सकती है. नट्स इसका बेहतरीन उदाहरण है और अब हमें लंबे समय से कायम इस धारणा को तोड़ना होगा कि इनमें खूब कैलोरी होती है और इनसे वजन बढ़ता है.

बादाम बेहतरीन स्नैक्स है. पेट और दिल के लिए फायदेमंद है. इसमें अनसैचुरेटेड फैट की मात्रा ज्यादा होती है जिससे लोगों को पेट भरा-भरा महसूस होने लगता है और लोग कम खाते हैं. इससे ब्लड शुगर, इंसुलिन और कोलेस्ट्रॉल का लेवल भी कंट्रोल में रहता है.

इन बादामों में फाइबर, प्रोटीन, विटामिन्स और विटामिन-ई, पोटैशियम, फोलेट जैसे मिनरल्स प्रचूर मात्रा में होते हैं. दो अलग-अलग स्टडीज में भी यह बात साबित की गई थीं कि नट्स से वजन कंट्रोल हो सकता है और सेहत भी सुधरती है.

ब्लड प्रेशर का इलाज है टमाटर

टमाटर हमारी सेहत के लिए कई मायनों में फायदेमंद है. इसके कई सेहत लाभ हैं. हाइपर टेंशन एक गंभीर बीमारी है जिससे आपको दिल संबंधी समस्याएं होती हैं. अपनी डाइट में टमाटर जोड़ कर इस समस्या का जोखिम कम किया जा सकता है. इस खबर में हम आपको बताएंगे कि टमाटर कैसे ब्लड प्रेशर की परेशानी में फायदेमंद है.

अमेरिका के हार्ट जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन की माने तो टमाटर में भरपूर मात्रा में एंटी औक्सीडेंट पाया जाता है. जो लोग टमाटर का नियमित तौर पर सेवन करते हैं, उनमें ब्लड प्रेशर की शिकायत कम देखी गई है.

जानिए कैसे लाभकारी है टमाटर

tomato benefit in blood pressure

आपको बता दें कि टमाटर में लाइकोपीन और बीटा कैरोटीन जैसे कैरोटीनौइड होते हैं, जो शक्तिशाली एंटीऔक्सीडेंट्स हैं. इनकी मदद से शरीर में फ्री रेडिकल्स को निष्क्रिय हो कर आसानी से फ्लश हो जाते हैं. इससे न केवल एथेरोस्लेरोसिस की प्रगति धीमी होती है बल्कि औक्सीडेटिव स्ट्रेस भी कम होता है और ब्लड प्रेशर को कंट्रोल रखता है.

tomato benefit in blood pressure

टमाटर में विटामिन ई प्रचूर मात्रा में पाई जाती है. इसके अलावा टमाटर पोटैशियम का भी महत्वपूर्ण स्रोत है. इससे शरीर में फ्लूइड इलेक्ट्रोलाइट संतुलन को बनाए रखने में मदद मिलती है, साथ ही ब्लड प्रेशर भी कंट्रोल में रहता है. इसलिए अगर आप हाइपरटेंशन की मरीज हैं तो टमाटर का अधिक सेवन करें. आप इसे सलाद या सब्जियों में मिलाकर खा सकते हैं. इसके अलावा इसे टोमेटो सूप, रसम या चटनी के रूप में भी खाया जा सकता है.

पानी पी कर कम करें वजन

बढ़ा हुआ वजन लोगों के लिए किसी सिरदर्द से कम नहीं होता. वजन कम करने के लिए लोग तरह तरह के हथकंडे आजमाते हैं. लोगों को लगता है कि केवल एक्सर्साइज और डाइटिंग से उनका वजन कम हो सकता है. जबकि वजन का बढ़ना या कम होना आपकी डाइट पर निर्भर करता है. आप लाख एक्सर्साइज या डाइटिंग कर लें, अगर आपकी डाइट अच्छी नहीं है तो वजन संतुलित नहीं हो सकता.

इस खबर में हम आपको बताएंगे कि सही समय पर पानी पीना आपकी वजन की समस्या का इलाज कैसे हो सकता है. कई जानकारों का मानना है कि खाने से ठीक पहले पानी पीने से वजन केवल कम नहीं होता, बल्कि इससे आपका वजन मेनटेन भी रहता है. और खास बात ये कि खाने से पहले पानी पीने से आपके शरीर को कोई नुकसान नहीं होगा.

खाने से पहले पिएं एक ग्लास पानी

खाना खाने से पहले पानी लाभदायक है या बाद में, इसे ले कर सबकी अपनी समझ है. यूएस में हुए एक शोध में ये बात सामने आई है कि खाने से पहले 16 आउंस, यानि करीब एक ग्लास पानी आपको स्वस्थ रखेगा. जानकारों की माने तो खाना खाने से पहले पानी पीने से एनर्जी इनटेक कम रहता है, जिससे आपका वजन संतुलित रहता है. ज्यादातर लोग भूख को प्यास से जोड़ कर देखते हैं, इस कारण फूड इनटेक बढ़ जाता है, जिसके कारम वजम बढ़ता है. इस समस्या से बचने के लिए जरूरी है कि आप खाने से पहले करीब एक ग्लास पानी जरूर पिएं.

आपको बता दें कि आपकी सेहत पर पानी के तापमान का भी काफी असर होता है. कई लोग गर्मी के मौसम में ज्यादा ठंडा पानी पीते हैं, वहीं, ठंड में वो गर्म पानी पीते हैं, आपकी सेहत के लिए ये आदत खतरनाक है. इससे शरीर का काफी नुकसान होता है. स्वस्थ रहने के लिए जरूरी है कि आप गुनगुना पानी का सेवन करें. गुनगुना पानी शरीर में मौजूद तेल को तोड़ता है. पाचन क्रिया के लिए ये बेहद फायदेमंद है. इसके नियमित सेवन से फैट बर्न भी होता है.

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