सर्दियों में ऐसे करें अपने दिल की देखभाल

लेखक डॉ. ज़ाकिया खान, सीनियर कंसलटेंट – इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी, फोर्टिस हॉस्पिटल, कल्याण 

जैसे-जैसे तापमान गिरने लगता है, दिल का दौरा पड़ने का खतरा बढ़ने लगता है. ठंड का मौसम हृदय संबंधी समस्याओं के लिए जोखिम पैदा कर सकता है. यहाँ जानिए इससे संबंधित आवश्यक बातें.

ठंड का मौसम और हृदय स्वास्थ्य

ठंड का मौसम आपके हृदय की मांसपेशियों में ऑक्सीजन युक्त रक्त की आपूर्ति को कम कर सकता है. यह आपके हृदय को अधिक काम करने के लिए मजबूर कर सकता है; नतीजतन आपका दिल अधिक ऑक्सीजन युक्त रक्त की मांग करता है. दिल में ऑक्सीजन की कम सप्लाई होना फिर दिल द्वारा ऑक्सीजन की अधिक मांग हार्ट अटैक का कारण बनता है. ठंड रक्त के थक्कों को विकसित करने के जोखिम को भी बढ़ा सकती है, जिससे फिर से दिल का दौरा या स्ट्रोक हो सकता है.

ठंड का मौसम थकान पैदा करता है और हार्ट फेलियर का कारण बनता है. ठंड का मौसम आपके शरीर को गर्म रखने के लिए आपके दिल को अधिक मेहनत कराता है. आपकी रक्त वाहिकाएं संकुचित हो जाती हैं ताकि हृदय आपके मस्तिष्क और अन्य प्रमुख अंगों में रक्त पंप करने पर ध्यान केंद्रित कर सके. यदि आपके शरीर का तापमान 95 डिग्री से नीचे चला जाता है तो हाइपोथर्मिया हो सकता है, जिससे हृदय की मांसपेशियों को गंभीर नुकसान पहुंचता है. इसके अलावा सामान्य से अधिक तेजी से चलना तब आम है जब आपके चेहरे पर हवा लग रही हो. ठंड में बाहर रहना हमें अधिक काम करने के लिए उत्तेजित करता है.

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फ्लू का प्रभाव

पहले से ही हृदय रोग के जोखिम वाले लोगों में मौसमी फ्लू का होना हार्ट अटैक को ट्रिगर कर सकता है. यह बुखार का कारण बनता है जिससे आपका दिल तेजी से धड़कता है (जिससे ऑक्सीजन की मांग बढ़ जाती है). फ्लू डिहाइड्रेशन का कारण भी बन सकता है, जो आपके रक्तचाप को कम कर सकता है (हृदय में ऑक्सीजन की आपूर्ति को कम कर सकता है). फिर जब मांग आपूर्ति से अधिक हो जाती है तो दिल का दौरा पड़ने का खतरा बढ़ जाता है. यदि आपको हृदय की समस्या है तो यह सलाह दी जाती है कि आप फ्लू के टीके लगवाने के लिए अपने जीपी से बात करें.

सबसे अधिक जोखिम

बुजुर्ग लोगों और बहुत छोटे बच्चों के लिए अपने तापमान को विनियमित करना कठिन होता है. अत्यधिक तापमान उन्हें अधिक जोखिम में डालता है. अपने स्वयं के स्वास्थ्य की रक्षा करते हुए, ठंड के दिनों में बुजुर्ग और अस्वस्थ्य दोस्तों, परिवार और पड़ोसियों के स्वास्थ्य का ध्यान रखें और यह सुनिश्चित करें कि वे गर्म और आरामदायक माहौल में हों. सुनिश्चित करें कि आप हार्ट अटैक के लक्षणों और संकेतों को पहचान सकते हैं और तुरंत इसकी जानकारी किसी मेडिकल एक्सपर्ट को दे सकते हैं.

चेतावनी के संकेत

यदि आप सीने में दर्द महसूस कर रहे हैं जो असहनीय है और वह आपकी गर्दन, कंधे और हाथ तक रैडीऐट हो रहा है, तो यह हार्ट अटैक का सबसे आम लक्षण है. लक्षण पुरुषों और महिलाओं के लिए भिन्न हो सकते हैं. पुरुष कभी-कभी मतली और चक्कर आने की शिकायत करते हैं जबकि महिलाएं चक्कर आना और थकान जैसे असामान्य लक्षण की शिकायत करती हैं.

स्वस्थ रहें, अपने दिल के स्वास्थ्य को बनाए रखें, एक सक्रिय जीवन जीएं और इस सर्दी के मौसम में अपने दिल को स्वस्थ रखने के लिए नीचे दिए गए सुझावों का पालन करें:

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● स्वस्थ आहार खाएं

• कम से कम 30 मिनट तक नियमित व्यायाम करें.

• अपने तनाव को कम करें.

• अपने रक्त शर्करा, रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बनाए रखें.

• यदि आप अपने शरीर में कुछ अनियमित महसूस करते हैं, तो अपने चिकित्सक से मिलें.

• त्योहारों के दौरान असंतुलित खाने से बचें; हल्का और स्वस्थ भोजन ही खाएं.

जोड़ों में अकसर दर्द बना रहता है, क्या इससे छुटकारा पाने का कोई और तरीका है?

सवाल-

मेरी उम्र 70 साल है. मेरे जोड़ों में अकसर दर्द बना रहता है. इलाज चल रहा है, लेकिन कोई खास फायदा नहीं मिल रहा है. परिवार वालों का कहना है कि इस उम्र में तो दर्द होना आम बात है, लेकिन मेरे लिए यह दर्द बरदाश्त करना मुश्किल हो रहा है. क्या इस से छुटकारा पाने का कोई और तरीका है?

जवाब-

इस उम्र में शरीर कई बीमारियों की चपेट में आने लगता है. इस उम्र में दर्द की शिकायत सभी को होने लगती है लेकिन इस का मतलब यह नहीं है कि इस से छुटकारा नहीं पाया जा सकता है. आप ने बताया कि आप का इलाज चल रहा है. हर इलाज की एक प्रक्रिया होती है, जिस का असर होने में समय लगता है. हालांकि आज दर्द से नजात पाने के कई नौन इनवेसिव विकल्प मौजूद हैं, जैसेकि रेडियोफ्रीक्वैंसी ट्रीटमैंट, जौइंट रिप्लेसमैंट, रीजैनरेटिव मैडिसिन आदि. अपने डाक्टर से सलाह कर जरूरत के अनुसार उचित विकल्प का चुनाव कर सकती हैं. इस के साथ ही अपनी जीवनशैली और आहार में सुधार करें. अच्छा खाना खाएं, व्यायाम करें, हफ्ते में 2 बार जोड़ों की मालिश कराएं, शराब और धूम्रपान से दूर रहें, नियमित रूप से जोड़ों की जांच कराएं.

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डॉक्टर अमोद मनोचा, मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, साकेत

उत्तर भारत में ठंड की दस्तक हो चुकी है. ठंड का मौसम वैसे तो अधिकतर लोगों के चेहरे पर मुस्कान ले आता है लेकिन दूसरी ओर कइयों की परेशानी का कारण भी बनता है. क्या ठंड का नाम सुन कर आप को भी जकड़े हुए जोड़ याद आते हैं? क्या ठंड आप को बीमारियों की याद दिलाता है?

ऐसा नहीं है कि ये समस्या केवल एक निर्धारित उम्र के लोगों को ही परेशान करती है. वास्तव में गतिहीन जीवनशैली के कारण ये समस्या अब हर उम्र के लोगों में देखने को मिल रही है. जोड़ों का दर्द ही नहीं बल्कि मांसपेशियों में दर्द, पीठ दर्द, सिरदर्द, गर्दन दर्द, तंत्रिका दर्द, फाइब्रोमायल्जिया आदि समस्याएं इस मौसम में बहुत ज्यादा परेशान करती हैं.

सर्दी के मौसम में दर्द से बचाव के लिए खास टिप्स

दर्द से बचाव के लिए जीवनशैली का खासतौर से ध्यान रखना चाहिए. निम्नलिखित टिप्स की मदद से दर्द की समस्या से बचा जा सकता है:

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पिछले कुछ दिनों से मेरे कंधों में अचानक दर्द होने लगता है, मैं क्या करुं?

सवाल-

मेरी उम्र 35 साल है. पिछले कुछ दिनों से मेरे कंधों में अचानक दर्द होने लगता है. मुझे दवाइयां खाना बिलकुल पसंद नहीं है. कृपया इस से छुटकारा पाने का कोई और उपाय बताएं?

जवाब-

समय बदल चुका है और साथ ही लोगों की जीवनशैली भी, जिस के कारण युवा और कम उम्र के व्यस्क भी शरीर के विभिन्न अंगों में दर्द से परेशान होने लगे हैं. वहीं अधिकतर लोग इस दर्द को अनदेखा करते रहते हैं, जो वक्त के साथ समस्या को गंभीर करता रहता है. यह कहावत तो आपने सुनी ही होगी कि इलाज से बेहतर बीमारी की रोकथाम है. जी हां, यदि आप रोकथाम के तरीके अपनाएं तो बीमारी आप को छू भी नहीं पाएगी. बढ़ती उम्र के साथ बढ़ते दर्द से बचने के लिए एक स्वस्थ और सक्रिय जीवनशैली का पालन करें. स्वस्थ आहार का सेवन करें, शराब और धूम्रपान से दूर रहें, रोजाना ऐक्सरसाइज के लिए समय निकालें, तनाव से दूर रहें, वजन को नियंत्रण में रखें. ऐसा करने से आप एक लंबी उम्र तक स्वस्थ शरीर पा सकते हैं.

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लंबे समय तक कंप्यूटर पर काम करना, गलत पोस्चर में बैठना, कंधों को अधिक चलाना या फिर बिलकुल भी न चलाना जैसी आदतें आप को फ्रोजन शोल्डर का शिकार बना सकती हैं. लेकिन जीवनशैली में बदलाव ला कर और कुछ एहतियात बरत कर इस समस्या से बचा जा सकता है.अगर घर या औफिस में काम करतेकरते आप को अचानक कंधे में असहनीय दर्द होता है और यह भी महसूस होता है कि आप का कंधा मूव नहीं कर रहा है तो फौरन सम झ जाएं कि आप को फ्रोजन शोल्डर की समस्या ने अपनी चपेट में ले लिया है.दरअसल, हमारे शरीर में मौजूद हर जौइंट के बाहर एक कैप्सूल होता है. फ्रोजन शोल्डर की समस्या में यही कैप्सूल स्टिफ या सख्त हो जाता है, जिस वजह से कंधे की हड्डी को हिलाना बहुत ही ज्यादा मुश्किल हो जाता है. इस में दर्द धीरेधीरे या फिर अचानक शुरू हो जाता है और पूरा कंधा जाम हो जाता है. यह समस्या 40 से अधिक आयु वाले लोगों में देखने को मिलती है और पुरुषों की तुलना में महिलाओं में इस के होने की संभावना अधिक होती है.

पूरी खबर पढ़ने के लिए- फ्रोजन शोल्डर से निबटें ऐसे

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वर्किंग वुमन और हाउसवाइफ कैसे रहें फिट?

आज के मौर्डन टाइम में फिट रहना काफी जरुरी हैं. पर बिजी होने के कारण आपके पास या तो समय नहीं होता या फिर काम के कारण थकान आपको ऐक्सरसाइज करने से रोकती हैं. बदलती लाइफ स्टाइल जहां लोगों को प्रगति पथ पर ला रही है, वहीं कई समस्याएं उन्हें कम उम्र में ही होने लगी हैं. उन में शुगर, ब्लडप्रैशर, नींद न आना वगैरह खास हैं. अधिकतर ये समस्याएं बिना सोचेसमझे उद्देश्य के पीछे भागने, तनावपूर्ण जीवन बिताने, कम सोने, समय पर भोजन न करने आदि कारणों से होती हैं. अगर आप फिट रहना चाहती हैं, तो स्वास्थ्यवर्धक भोजन समय पर करना, व्यायाम करना, पूरी नींद लेना आदि बहुत जरूरी है. आप चाहे वर्किंग वूमन हों चाहे हाउसवाइफ अगर आप इन बातों पर विशेष ध्यान दे कर इन्हें अपनाती हैं तो आप स्फूर्तिवान, ताजगीपूर्ण और फ्रैश दिख सकती हैं. इस बारे में मुंबई के फिटनैस ऐक्सपर्ट मिकी मेहता कहते हैं कि फिटनैस के प्रति महिलाएं सब से अधिक उदास रहती हैं. वे इस बात पर ध्यान नहीं देतीं कि केवल घर पर रह कर या बाहर के काम से आप का वर्कआउट पूरा नहीं होता. कुछ व्यायाम आप को समयसमय पर करने जरूरी हैं.

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वर्किंग विमंस के लिए जरूरी व्यायाम

  1. काम करते-करते जब भी समय मिले, कुरसी पर बैठ कर अपने सिर को बाएं हाथ से दाईं ओर ले जाएं. 15 से 20 सैकंड वैसे रखने के बाद सिर को दाएं हाथ से बाईं ओर ले जाएं. इसे ट्रंक ट्विस्ट कहा जाता है. यह गरदन के लिए बहुत आरामदायक वर्कआउट है.
  2. अपने दोनों हाथों को सिर के पीछे ले जा कर कुहनी से दाएं घुटने को छूने की कोशिश करें. इस के लिए 15 से 20 सैकंड काफी होते हैं. फिर बाएं घुटने के साथ ऐसा करें.
  3. कुरसी पर बैठ कर पैरों को सीधा कर 30 सैकंड तक रखें. ऐसा थोड़ीथोड़ी देर में करने से दोनों पैरों में सूजन या थकान नहीं आती.
  4. कुरसी पर ही बैठ कर पैरों को सीधा कर, अंगूठे को जमीन पर टिका कर एक बार क्लौकवाइज और एक बार ऐंटीक्लौकवाइज घुमाएं. इस से पैरों में होने वाला दर्द कम होता है व ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है.

हाउसवाइफ के लिए टिप्स 

हाउसवाइफ को किसी ऐक्सपर्ट से व्यायाम को सीख लेना चाहिए ताकि उन की सेहत पर इस का बुरा प्रभाव न पडे़. कई बार सही जानकारी के अभाव में किया गया व्यायाम कई परेशानियों को भी दावत देता है. एक अनुभव को शेयर करते हुए मिकी मेहता बताते हैं कि एक महिला ने घर पर पतले होने के लिए साइकिलिंग करना शुरू किया. लेकिन जरूरत से अधिक साइकिलिंग करने की वजह से उन के स्पाइनल कौर्ड में दर्द शुरू हो गया. वे कई महीनों तक ठीक से उठनेबैठने में असमर्थ थीं. काफी इलाज के बाद वे नौर्मल हुईं. हलके-फुलके व्यायाम, जैसे जौगिंग करना, तैरना, साइकिल चलाना, टहलना आदि व्यक्ति कभी भी कर सकता है. पर कुछ खास व्यायाम जो आप को फिट रखें निम्न हैं:

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  1. स्क्वाट्स शरीर को फिट रखने का उत्तम व्यायाम है. इस में कंधे को सीधा कर खड़े हो कर, पैरों को थोड़ा अलग करें. फिर दोनों हाथों को ऊपर ले जा कर झुकें और अंगूठे को छुएं. करीब 10 सैकंड के बाद वापस खड़ी हो जाएं और 5 बार दोहराएं.
  2. जमीन पर उलटी लेट कर दोनों हाथों के सहारे शरीर को सहारा दे धीरेधीरे शरीर को ऊपर उठाएं. इसे 5 बार दोहराएं.
  3. महिलाओं के लिए पेट का व्यायाम एबडौमिनल कं्रचेस बहुत लाभदायक होता है. इस में फर्श पर लेट कर घुटनों को मोड़ लें और गरदन के पीछे दोनों हाथों को ले जा कर अपनी बौडी को घुटनों के साथ जोड़ने की कोशिश करें. बौडी को उठाते वक्त सांस खींच लें. फिर धीरेधीरे छोड़ें. इसे 12 से 15 बार दोहराएं.

ऐसे करें मोटापे को दूर

  1. कभी भी भूखी न रहें. आहार तालिका में फल, हरी पत्तेदार सब्जियां शामिल करें.
  2. भोजन से पहले सलाद या सूप अवश्य लें.
  3. हर्बल या ग्रीन टी भी भोजन से पहले ले सकती हैं. इस से मैटाबोलिज्म अच्छा रहता है.

कुछ दिनों से लगभग हर सप्ताह मुझे बुरे सपने आ रहे हैं, मैं क्या करुं?

सवाल

मैं 18 वर्षीय बीए प्रथम वर्ष का छात्र हूं. कुछ दिनों से लगभग हर सप्ताह मुझे 1-2 बार रात में स्वप्नदोष हो जाता है. मेरे मित्र का कहना है कि मुझे जल्द से जल्द किसी डाक्टर से संपर्क करना चाहिए, नहीं तो मेरी सेहत पर बुरा असर पड़ेगा. क्या यह समस्या सचमुच इतनी गंभीर है? इस के लिए मुझे किस डाक्टर के पास जाना चाहिए? मैं ने कुछ वैद्यहकीमों के विज्ञापन भी देखे हैं जिन में स्वप्नदोष के इलाज का दावा किया जाता है. मेरा मन काफी विचलित है. राय दें कि मुझे क्या करना चाहिए?

जवाब

आप परेशान न हों. किशोर अवस्था से युवा उम्र में पांव रखते हुए जब हमारा शरीर सयाना हो जाता है, शरीर में सैक्स हारमोन का संचार होने लगता है, अंड ग्रंथियां शुक्राणु बनाने लगती हैं, प्रजनन प्रणाली में वीर्य बनने लगता है और पुरुषत्व के दूसरे शारीरिक गुण प्रकट हो जाते हैं. उस अवस्था में कुछ किशोरों और युवाओं में सोते समय यौन उत्तेजना जागृत होने पर स्वत: विसर्जित हो जाना बिलकुल सामान्य शारीरिक प्रक्रिया है. आम बोलचाल की भाषा में लोग इसे स्वप्नदोष के नाम से जानते हैं.

सच तो यह है कि यह कोई विकार नहीं है और इसे सामान्य शारीरिक क्रिया के रूप में ही देखा जाना चाहिए. तरूणाई से ले कर वृद्धावस्था तक यह शारीरिक घटना हर उम्र के पुरुष में देखी जाती है. असल में तो इसे स्वप्नमैथुन कहना अधिक उचित होगा. चूंकि इस का जुड़ाव कामुक सपनों से होता है, जो नींद से उठने पर प्राय: याद नहीं रहते. मनोविज्ञानी इसे कामेच्छाओं की निकासी का कुदरती रास्ता भी मानते हैं.

ध्यान रहे कि भूल कर भी वैद्यहकीमों के चक्कर में न पड़ें. कई वैद्यहकीम अपना उल्लू सीधा करने के चक्कर में अनावश्यक ही भ्रामक बातों में फंसा अनेक युवाओं का यौन जीवन खराब कर देते हैं.

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अधिक उबासी लेना हो सकता है आने वाले हार्ट अटैक का संकेत

हार्ट अटैक एक बहुत ही गंभीर स्थिति होती है जिसमें हमारी जान जाने तक का खतरा भी होता है. इसमें हमारा रक्त प्रवाह ब्लॉक हो जाता है और हमारे ह्रदय की मसल्स डेमेज होने लगती हैं. जैसा कि हमने आज तक देखा या सुना है हम सोचते हैं कि हार्ट अटैक के लक्षण केवल छाती में दर्द होना या फिर जमीन पर गिरना ही होते हैं. परन्तु असल में जब आप को हार्ट अटैक आने की सम्भावना होती है तो यह लक्षण आप के आस पास भी नहीं फिरते हैं. हार्ट अटैक के कुछ लक्षण बहुत ही अजीब व हैरान पूर्वक भी हो सकते हैं जिनमें से एक लक्षण होता है उबासियां लेना. क्या आप चौंक गए? चलिए जानते हैं इसके बारे में.

उबासी लेने हार्ट अटैक के बीच का सम्बन्ध

आम तौर पर हम उबासी लेने को नींद आने का एक लक्षण मानते हैं या जब हम बहुत अधिक थक जाते हैं और हमें सोने की जरूरत होती है तब हमें उबासी आती है. परन्तु यदि आप ने नींद भी ले ली और आप थके हुए भी नहीं है तो भी अगर आप को उबासियां आ रही हैं तो यह एक गंभीर लक्षण हो सकता है. आप को इसे हल्के में नहीं टाल देना चाहिए.

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उबासी लेना मेडिकल जगत के लिए एक रहस्य से कम नहीं है. इस के पीछे के कारण पता करने के लिए वैज्ञानिकों ने बहुत मेहनत की है. परन्तु अभी तक उन्हे ज्यादा सफलता नहीं मिली है. कुछ अध्ययन यह बताते हैं कि उबासी लेने से आप का ब्रेन रिलैक्स होता है और आप के खून में ऑक्सिजनेशन बढ़ती है. यह भी माना जाता है कि अधिक उबासी लेना वागस नर्व से जुड़ा होता है जोकि ब्रेन से नीचे होकर हृदय व पेट तक जाती है.

कुछ केस में बहुत से लोगो को जब उबासी आती हैं जब उनके हृदय के आस पास ब्लीडिंग होने लगती है. यह स्थिति स्ट्रोक से भी जुड़ी होती है. बहुत से लोग तब बहुत ज्यादा उबासी लेते हैं जब उन्हें स्ट्रोक आता है. इसके कुछ अन्य लक्षण बाजुओं में कमजोरी होना, बोलने में दिक्कत महसूस होना आदि भी शामिल हैं.  यदि आप दिन में एक्सरसाइज करते समय बहुत ज्यादा उबासी लेते हैं तो यह हार्ट अटैक का भी एक लक्षण हो सकता है.

बहुत ज्यादा उबासी लेने के कुछ अन्य संकेत

अधिक उबासी लेना केवल हार्ट अटैक या स्ट्रोक से ही नहीं जुड़ा है बल्कि अन्य गंभीर स्थितियों से भी जुड़ा हुआ है जो निम्नलिखित दी गई है.

  • ब्रेन ट्यूमर
  • एपिलेप्सी
  • मल्टीपल सेलरोसोस
  • लीवर फेल होना
  • शरीर द्वारा तापमान नियंत्रण करना विफल हो जाना.

इस स्थिति में आप को क्या करना चाहिए?

यदि आप बिना किसी कारण के बहुत अधिक उबासी ले रहे हैं तो आप को सबसे पहले अपने डॉक्टर के पास जाना चाहिए. जितनी जल्दी आप मेडिकल सहायता लेंगे उतना ही आप की सेहत के लिए अच्छा होगा. डॉक्टर इसके पीछे का कारण पता लगा कर आप को कुछ दवाई दे देंगे. यदि ऐसा आप को नींद न आने के कारण होता है तो डॉक्टर्स आप को एक चैन की नींद सोने के लिए कुछ तकनीक सुझा देंगे. जैसे कुछ प्रकार के ब्रीदिंग यन्त्र जिस से आप को सांस लेने में किसी प्रकार की तकलीफ महसूस न हो. स्लीप रूटीन में बदलाव करना व स्ट्रेस कम लेने से भी आप की मदद हो सकती है.

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निष्कर्ष

यदि आप को लगता है कि आप आजकल बहुत ज्यादा उबासियां ले रहे हैं और वह भी बिना किसी कारण के तो आप को यह स्थिति हल्के में लेकर उसे इग्नोर नहीं करना चाहिए बल्कि तुरन्त डॉक्टर को दिखाना चाहिए. पहले से ही बरती गई सावधानी आप को एक बड़े खतरे से टाल सकती है.

पैदल चलने के फायदे

जब भी फिटनैस की बात होती है, तब पैदल चलना सब से सरल और अधिक असरदार माना जाता है. जो भी सजग हैं और बढ़ती उम्र को थाम लेना चाहते हैं, अच्छी सेहत के आनंद से वंचित नहीं रहना चाहते वे इस के लिए सब से बढ़िया नुसखा आजमाते हैं और पैदल चलना शुरू कर देते हैं.

पैदल चलना सब से सस्ता तरीका है जिस में आप को ज्यादा कुछ नहीं करना है, बल्कि अपने घर से सिर्फ निकलना है.

इन सरल नियमों का पालन कीजिए और हर दिन खुश और स्वस्थ रहिए :

1. रोजाना आदत डालें :

पैदल चलने को अपनी दिनचर्या में जितनी जल्दी हो शामिल कर लें यह. अन्य व्यायाम की तुलना में चलने में सब से ज्यादा आनंद आता है. चलते वक्त आप संगीत भी सुन सकते हैं और यदि आप अपने जीवनसाथी या फिर मित्र को भी अपने साथ चलने के लिए बुला लें तो और भी बेहतर है.

2. किसी उपकरण की जरूरत नहीं :

फिटनैस ऐक्सपर्ट्स भी कहते हैं कि प्रतिदिन हर व्यक्ति को सुबह व शााम पैदल चलना ही चाहिए. यह एक ऐसा व्यायाम है जिसे करने के लिए न ही किसी उपकरण की जरूरत होती है और न ही किसी पर निर्भर रहना पड़ता है. सबसे अच्छी बात यह कि किसी भी उम्र का व्यक्ति कभी भी कहीं भी कुछ मिनट के लिए पैदल चल सकता है.

3. अवसाद खत्म करता है :

पारंपरिक तौर पर सुबह के समय पैदल चलना ही सर्वोत्तम माना गया है. लेकिन अगर आप किन्हीं वजहों से आप सुबह के समय पैदल नहीं चल पाते हैं तो फिर आप को अपनी दिनचर्या के हिसाब से जब भी वक्त मिले पैदल चलने की कोशिश जरूर कीजिए. अगर आप दिन में नहीं जा सकते तो शाम को व दोपहर को भी घर से पैदल निकला जा सकता है. चिकित्सक कहते हैं कि पीठ पर पड़ती धूप और पैदल चलना अवसाद को मिटा देता है.

4. आरामदायक तरीका :

नियमित पैदल चलने के लिए आरादायक कपड़े पहनें. वैसे तो लोगों को जिस तरह के कपड़े पहनने की आदत होती है वही उन के लिए सब से आरामदायक होता है. लेकिन कसी जींस या साड़ी जैसे कपड़ों को पहनने से बचना चाहिए. सलवारकुरता या ट्रैकसूट जैसे कपड़े चलने के लिए आरामदयक होते हैं.

ऐसे करें शुरुआत : शुरुआत में आप थोड़ा कम भी चल सकते हैं. इस क्षमता को धीरेधीरे बढ़ाया जा सकता है. शुरू में आप 3 किलोमीटर चल रहे हैं तो 1-2 हफ्ते में उसे बढ़ा कर 5 किलोमीटर भी कर सकते हैं. लेकिन यह अपनी शरीर की ऊर्जा और क्षमता के अनुपात में ही करिए.

5. शरीर को स्वस्थ रखता है :

अगर पैदल चलना अपने जीवन का एक अभियान बना लिया है, तो यह बुखार, जुकाम, खांसी, सिरदर्द, बदन दर्द, थकान, कमजोरी, बाल गिरना, अवसाद, हताशा, घबराहट, मधुमेह, थायराइड आदि बीमारियों को वैसे भी दूर से भगा देगा.

खास खयाल : यह खास खयाल रखें कि मोबाइल का उपयोग करते हुए पैदल न चलें. यह घातक है साथ ही हमेशा फुटपाथ का ही इस्तेमाल करें पर जहां फुटपाथ न हो, वहां सड़क के दाहिनी ओर चलें.

ऐसे में आप को विपरीत दिशा से आ रहे वाहन आसानी से नजर आ जाएंगे, जबकि बाईं ओर चलने पर पीछे से आने वाले वाहनों के बारे में मालूम नहीं पड़ेगा. फुटपाथ न होने पर आप हादसे का शिकार हो सकते हैं.

कहां टहलनें :

यों तो पैदल चलने के लिए हराभरा क्षेत्र अच्छा होता है. अगर आप शहर में रहते हैं तो आप को आसपास ऐसे बगीचे अथवा पार्क भी मिल जाएंगे जहां जा कर आप सैर कर सकते हैं. बाग और हरीहरी घास में नंगे पाव चलना भ्रमण का महत्त्व बढ़ा देता है.

अगर यह नहीं हो पा रहा है तो महानगरों में पैदल चलने का शौक रखने वाले लोगों के लिए यह अनिवार्य है कि जहां क्रौसिंग हो, उसी के जरीए सड़क पार करें. मगर जहां उस की व्यवस्था न हो, वहां पर दोनों तरफ ट्रैफिक लाइट और वाहन देखने के बाद ही कदम आगे बढ़ाएं. फुटओवर ब्रिज और सबवे का इस्तेमाल करना एक समझदारी और सुरक्षा भरा उपाय है.

कई फायदे : पैदल चलने के कई फायदे हैं. यह दिल के मरीजों से ले कर घुटने के दर्द से परेशान लोगों को राहत दे सकता है. कमरदर्द का तो यह मुफ्त इलाज है ही साथ ही चुस्त बना कर सुस्ती का नामोनिशान तक मिटा देता है .

बेहतर बनाएं याद्दाश्त : पैदल चलना भूलने की समस्या दूर करने के लिए भी कारगर माना जाता है. पैदल चलने के बाद याद्दाश्त पहले के मुकाबले बेहतर हो जाती है. बगीचे अथवा पार्क में हरी दूब पर पैदल चलना आखों के लिए किसी औषधि से कम नहीं है.

शरीर रखता है फिट : अगर हर दिन 20 मिनट भी चलने लगें तो शरीर में शर्करा का स्तर संतुलित रह सकता है. एक आम स्वस्थ व्यक्ति के लिए रोजाना 40 से ले कर 80 मिनट तक के पैदल चलने को आदर्श माना जाता है.

6. ताकि आराम से चल सकें :

पैदल चलना है और काफी लंबा चलना है तो इस के लिए जूते पहनें ना कि चप्पलें. इस से किसी प्रकार की मोच या असंतुलन की स्थि‍ति नहीं बनेगी. पहने गए जूते आरामदायक हों ताकि चलते समय तकलीफ न हो.

7. चलने का सही तरीका :

चलते समय अपने हाथों को नीचे की ओर रखें और हाथ हिलाते हुए चलें. इस से शरीर में ऊर्जा का संचार होगा और स्फूर्ति बनी रहेगी. चलते समय किसी प्रकार का मानसिक तनाव न रखें.

8. संतुलित आहार जरूरी :

पैदल चलने का काम शुरू करते समय और समाप्त करते समय हमेशा चलने की गति धीमी रखें. इस के साथ ही सुबह की सैर के पश्चात संतुलित आहार की ओर भी विशेष ध्यान देना चाहिए.

9. उर्जा बढाएं :

बहुत सारे लोग तो घर की छत पर ही 40-50 मिनट पैदल चल कर अपनी रचनात्मक ऊर्जा बढा लेते हैं. मनोवैज्ञानिक कहते हैं कि कल्पना, रचना, सृजन, सकारात्मक यह सब उन लोगों में भरपूर मिलता है जो हर दिन कम से कम 1 घंटा पैदल चलते हैं.

10. सुंदर एहसास :

जब नियमित पैदल चलने की आदत बन जाती है तब यह महसूस होता है कि सुंदर तितलियां, चिड़िया भी हमारे आसपास खुशी से मंडराती चली आई हैं और हवा के स्पर्श से ही मौसम के बदलाव को महसूस करने लगते हैं. यह एक चकित करने वाला एहसास होता है, पर असल में यह गुण पहले ही हमारे अंदर उपस्थित रहता है.

11. सब से खास और अलग व्यायाम :

यह तो मानना ही पड़ेगा कि बाकी तरह के व्यायामों की तुलना में चलने में सब से ज्यादा आनंद आता है. अगर हम अपनेआप को एक तरह के अनुशासन मे ढाल लें और पैदल चलने की मानसिकता को दिनचर्या का हिस्सा बना लें तो काफी सुंदर अनुभवों से खुद को सराबोर कर सकते हैं.

12. खूब लगती है भूख :

चिकित्सक भी यह साबित कर चुके हैं कि रोज 40 मिनट पैदल चलने वालों को खूब खुल कर भूख लगती है साथ ही खाना आसानी से पच भी जाता है. बगैर किसी खर्च के शरीर को तराशना है तो पैदल चलना कुदरत का निशुल्क उपहार है.

13. रोमांचक अनुभव :

खुद के लिए घर के भीतर बनाई गई सुविधाजनक दीवार से बाहर आ कर अपनी देह को आनंदित होने देना चाहिए. बेहतरीन सेहत के लिए प्रकृति को सूक्ष्मता से सीखनासमझना बहुत जरूरी है. जीवन का हर आम दिन हमें तैयार करता है उस रोमांचक अनुभव के लिए.

हमें नियमित पैदल चल कर एक खिलाड़ी की तरह हर दिन की शुरुआत करनी चाहिए.

14. बनिए स्मार्ट :

पैदल चलना न सिर्फ मोटापे को दूर करता है, बल्कि पेट की चर्बी खत्म कर आप को स्मार्ट भी बनाता है. विशेषज्ञों का मानना है कि रोजाना पैदल चलने वालों का शरीर हमेशा स्वस्थ रहता है.

ध्यान दें : जब भी पैदल टहलने निकलें तो न तो जेब में मोबाइल रखें और न ही कानों में लीड लगाए संगीत सुनें. ऐसा करना आप के लिए असुरक्षित हो सकता है.

कई दिनों से पीठ और हाथों में अचानक दर्द होने लगता है, इसके क्या कारण हैं?

सवाल-

मेरी उम्र 42 साल है. कई दिनों से पीठ और हाथों में अचानक दर्द होने लगता है. पीठ के दर्द की तीव्रता हर बार अलग होती है. मलमूत्र में भी समस्या हो रही है और कभीकभी पैरों में भी दर्द होता है. क्या ये किसी बीमारी के लक्षण हैं या कोई सामान्य समस्या है? इस दर्द से कैसे छुटकारा पाऊं?

जवाब-

आप के द्वारा बताए गए सभी लक्षण स्पाइनल इन्फैक्शन की ओर इशारा करते हैं. हालांकि समस्या कोई और भी हो सकती है, इसलिए एमआरआई करवा के सही समस्या की पुष्टि करें. इस में रीढ़ का आकार खराब हो सकता है, इसलिए इलाज में देरी बिलकुल न करें. स्पाइनल संक्रमण का सब से सामान्य उपचार इंट्रावीनस ऐंटीबायेटिक दवाइयों के सेवन, ब्रेसिंग और शरीर को पूरी तरह आराम देने के साथ शुरू होता है. वर्टिकल डिस्क में रक्त प्रवाह ठीक से नहीं हो पाता है, इसलिए जब बैक्टीरिया अटैक करता है तो शरीर की इम्यून कोशिकाओं और एंटीबायोटिक दवाइयों को संक्रमण के स्थान तक पहुंचने में मुश्किल होती है. वहीं, संक्रमण के उपचार के दौरान रीढ़ को सही आकार में रखने में मदद करती हैं. बे्रसिंग संक्रमण के उपचार के दौरान रीढ़ को सही आकार में रखने में मदद करती है. इस का दूसरा इलाज सर्जरी है, जिस की सलाह तब दी जाती है जब संक्रमण पर दवा का कोई असर नहीं पड़ता है.

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इस लॉक डाउन में महिलाओं को घर के सारे काम और ऑफिस का काम घंटो बैठकर करना पड़ रहा है, जिससे वे पीठ दर्द की समस्या से पीड़ित हो रही है. वैसे भी महिलाओं को अधिकतर कमर दर्द से गुजरना पड़ता है. पीठ दर्द एक ऐसी समस्या है, जिसकी वजह से महिलाओं का कई बार उठना-बैठना या कोई भी काम करना मुश्किल हो जाता है. कोरोना संक्रमण के बीच ‘वर्क फ्रॉम होम’ को काफी बढ़ावा मिला है, कई कंपनियां तो लगातार अपने कर्मचारी को घर से काम करने की सलाह दी है. इसकी वाजह से 20 से 60 वर्ष की महिलाओं में लगभग 40 प्रतिशत पीठ, कंधे और गर्दन में दर्द की शिकायत बढ़ी है. मुंबई के अपोलो स्पेक्ट्रा अस्पताल के इंटरवेंशनल स्पाइन & मॅनेजमेंट स्पेशालिस्ट डॉ. कैलाश कोठारी कहते है कि महिलाएं पीठ दर्द को नजरंदाज करती है और इसे वे थोडा दर्द की मलहम या सेक लगाकर ठीक करने की कोशिश करती है, जबकि ऐसा नहीं होता, सही इलाज और वर्कआउट की जरुरत इसे कम करने के लिए होती है.

पूरी खबर पढ़ने के लिए- स्पाइन के दर्द को न करे नजरंदाज 

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz
 
सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

क्या आप जानते हैं नीबू के ये 12 फायदे

नीबू के लाभ बड़े

चाट हो या दाल, कोई भी व्यंजन इस के प्रयोग से स्वादिष्ठ हो जाता है. यह फल खट्टा होने के साथसाथ बेहद गुणकारी भी है. आइए जानते हैं इस के कुछ प्रयोगों के बारे में:

1.कृमि रोग: 10 ग्राम नीबू के पत्तों के रस (अर्क) में 10 ग्राम शहद मिला कर पीने से 10-15 दिनों में पेट के कीड़े मर जाते हैं. नीबू के बीजों के चूर्ण की फंकी लेने से भी कीड़े मर जाते हैं.

2.सिरदर्द : नीबू के पत्तों का रस निकाल कर अच्छी तरह सूंघें. जिस व्यक्ति को हमेशा सिरदर्द बना रहता है, उसे भी इस से शीघ्र आराम मिलता है.

3.नकसीर : ताजे नीबू का रस निकाल कर नाक में पिचकारी देने से नाक से खून निकलता हो, तो बंद हो जाएगा.

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4.तृष्णा : किसी कारण से बारबार प्यास लगती हो, तो नीबू चूसने या शिकंजी पीने से तुरंत प्यास बंद हो जाती है. इसे तेज बुखार में भी दिया जा सकता है.

5.मिरगी : चुटकी भर हींग को नीबू में मिला कर चूसने से मिरगी रोग में लाभ होगा.

6.दांत व मसूड़ों का दर्द : दांत दर्द होने पर नीबू को 4 टुकड़ों में काट लीजिए, इस के बाद ऊपर से नमक डाल कर सभी टुकड़े गरम कीजिए, फिर 1-1 टुकड़ा दांत व दाढ़ में रख कर दबाते जाएं व चूसते जाएं. दर्द में राहत महसूस होगी. मसूड़े फूलने पर नीबू को पानी में निचोड़ कर कुल्ले करने से अत्यधिक लाभ होगा. पायरिया : नीबू का रस व शहद मिला कर मसूड़ों पर मलते रहने से रक्त व पीप आना बंद हो जाते हैं.

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7.हिचकी : 1 चम्मच नीबू का रस व शहद मिला कर पीने से हिचकी बंद हो जाएगी. इस प्रयोग में स्वादानुसार कालानमक भी मिलाया जा सकता है.

8.खुजली : नीबू में फिटकरी का चूर्ण मिला कर खुजली वाले स्थान पर रगड़ें. खुजली समाप्त हो जाएगी.

9.जोड़ों का दर्द : नीबू के रस को दर्द वाले स्थान पर मलने से दर्द व सूजन समाप्त हो जाएगी.

10.पीड़ारहित प्रसव : गर्भधारण के चौथे माह से प्रसवकाल तक अगर स्त्री 1 नीबू की शिकंजी रोज पिए तो प्रसव बिना कष्ट होता है.

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11.मूत्रावरोध : नीबू के बीजों को महीन पीस कर नाभि पर रख कर ठंडा पानी डालें, रुका हुआ पेशाब खुल कर व साफ आ जाता है.

12.तपोदिक : नीबू के 25 ग्राम रस में 11 तुलसी के पत्ते तथा जीरा, हींग व नमक सब को गरम पानी में मिला कर पीने से तपेदिक रोग में लाभ होगा.

3 टिप्स: क्या आप जानते हैं कद्दू के बीज के ये फायदे…

कद्दू या सीताफल खाने में जितना स्वादिष्ट होता है, सेहत के लिए भी उतना ही फायदेमंद होता है. कद्दू में मौजूद बीटा कैरोटीन आपके शरीर में फ्री रेडिकल से लड़ने में मदद करते हैं. कद्दू के बीज में अनेक कार्बनिक रसायन और पोषक तत्‍व पाये जाते हैं.

विटामिन्स से भरपूर

कद्दू विटामिन डी, विटामिन ए, विटामनि बी1, बी2, बी6, विटामिन सी और ई के अलावा बीटा कैरोटिन का बहुत अच्‍छा स्‍त्रोत है. कद्दू में कौपर, आयरन और फास्‍फोरस भी होता है जिसके चलते सेहत के लिए कद्दू बहुत पौष्टिक होता है. लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि कद्दू ही नहीं, बल्कि उसके बीज भी आपके स्‍वास्‍थ्‍य के लिए फायदेमंद होते है. कद्दू के बीज में अनेक पोषक तत्‍व और रसायन होते हैं, जो आपकी सेहत के लिए फायदेमंद होते हैं. आइए जानते हैं कद्दू के बीज आपको किन बिमारियों के लिए मददगार होते है.

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1. हृदय की बीमारियों के लिए फायदेमंद

कद्दू के बीज हृदय संबंधी समस्‍याओं से निपटने में बेहद फायदेमंद है. यदि आप रोजाना करीब 2 ग्राम कद्दू के बीजों का सेवन करे तो आपको फायदा मिलेगा. कद्दू में फाइबर, पोटैशियम और विटामिन सी पाया जाता है. पोटैशियम के सेवन से दिल की बीमारियों का खतरा कम होता है.

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2. जोड़ों के दर्द के लिए असरदार

डौक्टर के अनुसार गठिया के रोगियों के लिए कद्दू के बीज का सेवन फायदेमंद माना जाता है. कद्दू के बीजों को नेचुरल हर्ब के तौर पर इस्‍तेमाल किया जा सकता है. इससे आपके शरीर पर कोई नेगेटिव असर नहीं पड़ता. कद्दू के बीज के सेवन से शरीर में ब्लड और एनर्जी के स्‍तर का सही रूप से डेवेलपमेंट होता है.

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3. बेहतर नींद के लिए फायदेमंद है कद्दू..

कद्दू के बीज में ट्रिप्टोफेन प्रोटीन पाया जाता है, इसे नींद का कारक माना जाता है. कद्दू के बीज के सेवन से अनिंद्रा की समस्‍या में राहत मिलती है. इसमें मौजूद  एमिनो एसिड ट्रीप्टोफन शरीर में सेरोटोनिन को परिवतिर्त कर गहरी नींद में मदद करता है. इसलिए जिन लोगों को नींद नहीं आती अगर वह कद्दू के बीजों का नियमित सेवन करें, तो उन्‍हें सामान्‍य दिनों की तुलना में बेहतर नींद आएगी. इसके अलावा कद्दू के बीच टेंशन को दूर करने में भी स‍हायक हैं.

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