Anupamaa की तरह ये Celebs भी कर चुके हैं बड़ी उम्र में से शादी

टीवी सीरियल ‘अनुपमा’ (Anupamaa) में फैमिली ड्रामा देखने को मिल रहा है. जहां अनुपमा ने अनुज से शादी करने का फैसला कर लिया है तो वहीं उसके इस फैसले से बा का पारा चढ़ गया है. दरअसल, बा का कहना है कि दादी की उम्र में शादी का फैसला सही नही हैं. लेकिन टीवी सीरियल से हटकर रियल लाइफ में कई ऐसे सितारे हैं, जिन्होंने बड़ी उम्र में शादी की है. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

बौलीवुड की सिंगल मदर ने भी की शादी

 

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बौलीवुड एक्ट्रेस नीना गुप्ता अपनी पर्सनल लाइफ को लेकर सुर्खियों में रहती हैं. एक्ट्रेस नीना गुप्ता की लाइफ से हर कोई वाकिफ है कि उनकी एक बेटी मसाबा गुप्ता है. हालांकि उन्होंने कभी शादी नहीं की थी. लेकिन साल 2002 में 6 साल रिलेशनशि में रहने के बाद एक्ट्रेस नीना ने 49 साल की उम्र में दिल्ली के एक चार्टेड अकाउंटेंट विवेक मिश्रा से शादी की थी.

 

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सुर्खियों में रही संजय दत्त की शादी

 

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बौलीवुड एक्टर संजय दत्त ने 48 साल की उम्र में 11 फरवरी 2008 को दिलनवाज शेख उर्फ मान्यता से शादी की थी. हालांकि संजय दत्त के शादी के फैसले के खिलाफ उनकी बहने थीं. लेकिन संजय दत्त ने अपनी बहन के मना करने के बावजूद एक्ट्रेस से तीसरी शादी की थी, जो कि उनसे 21 साल छोटी हैं.

 

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60 की उम्र में दुल्हन बनीं सुहासिनी

 

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टीवी की फेमस एक्ट्रेसेस में से एक सुहासिनी मुले ने भी 60 साल की उम्र में शादी करने का फैसला किया था. एक्ट्रेस ने 16 जनवरी  2011 में अतुल गुर्तु से शादी की थी. हालांकि यह एक्ट्रेस के पति की दूसरी शादी थी. क्योंकि उनके पहले पति का कैंसर से निधन हो गया था. वहीं इस शादी के बाद सुहासिनी मुले काफी ट्रोलिंग का शिकार हुई थीं. लेकिन दोनों ने कभी इस फैसले को नहीं बदला.

 

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OSCAR AWARD 2022: ‘थप्पड़’ कांड ने रंग में डाला भंग

पूरे विश्व के सिनेमा जगत में ‘‘ऑस्कर अवार्ड’’ से बड़ा कोई अवार्ड नही माना जाता. सिनेमा से जुड़ा हर शख्स ‘ऑस्कर अवार्ड’ का ही सपना देखता रहता है. अफसोस हर किसी का सपना पूरा नही हो पाता है. ऐसे ही प्रतिष्ठित ऑस्कर अवार्ड के 94 वें संस्करण का आयोजन 27 मार्च को डॉल्बी थिएटर,लॉस एंजेल्स,अमरीका में संपन्न हुआ. लेकिन इस वर्ष का ऑस्कर अवार्ड समारोह ने न सिर्फ एक नए इतिहास को रचा,बल्कि कई सवाल भी उठा दिए हैं. इस समारोह के दौरान घटी शर्मनाक घटनाक्रम ने कलाकार विरादरी को शर्मसार करने के साथ ही ‘पितृसत्तात्मक सोच’ को भी उजागर कर दिया.  इस समारोह में फिल्म ‘‘किंग रिचर्ड’’ के लिए हौलीवुड अभिनेता विल स्मिथ को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के पुरस्कार से नवाजा गया. फिल्म ‘‘किंग रिचर्ड‘‘ में टेनिस के महान खिलाड़ी वीनस और सेरेना विलियम्स के हार्ड-ड्राइविंग पिता रिचर्ड विलियम्स के किरदार को विल स्मिथ ने अपने अभिनय कौशल से परदे पर साकार कर ऑस्कर की ज्यूरी का दिल जीता है. लेकिन मंच पर जाकर विल स्मिथ अपना यह पुरस्कार ग्रहण करते उससे पहले ही एक नाटकीय व अनहोनी घटनाक्रम घटित हो गया. कार्यक्रम  का संचालन कर रहे अभिनेता क्रिस रॉक ने लोगों का मनोेरंजन करने के ही क्रम में एलोपेसिया से ग्रसित विल स्मिथ की पत्नी जैडा पैंकेट स्मिथ के बालों को लेकर टिप्पणी कर दी. इस टिप्पणी को विल स्मिथ बर्दाश्त न कर सके और वह तुरंत मंच पर गए तथा क्रिस रॉक को झन्नाटेदार थप्पड़ जड़ दिया. इस थप्पड़ की गूंज से पूरा विश्व हिल गया. इस पत्थर की गॅूंज से सेायाल मीडिया पर भी हंगामा बरपा. तमाम लोगों ने इस कृत्य की घोर निंदा की. कुछ लोगों ने क्रिस रॉक को खरी खोटी सुनाई,तो कुछ ने विल स्मिथ की आलोचना की.

पहले तो लोगों को लगा कि यह थप्पड़ भी इस समारोह की लिचाी हुई पटकथा का ही हिस्सा हे. मगर जब क्रिस रॉक्स को थप्पड़ मारने के बाद अपनी कुर्सी पर बैठने के बाद भी विल स्मिथ का गुस्सा शांत नहीं हुआ और क्रिस रॉक्स पर चिल्लाते हुए कहा-‘‘मेरी पत्नी का नाम अपने कमबख्त मुंह से मत निकालना. . ,‘‘तब लोगों को इस कांड की गहराई का अहसास हुआ. यह एक अलग बात है कि बाद में मंच पर जाकर अपना ‘सर्वश्रेष्ठ अभिनेता’ का पुरस्कार लेने के बाद विल स्मिथ ने ऑस्कर के पीछे गैर-लाभकारी अकादमी ऑफ मोशन पिक्चर आर्ट्स एंड साइंसेज और अपने साथी नामांकित लोगों से अपने कारनामें व गुस्से के लिए माफी मांगी. लेकिन अपने गुस्से की वजह को सही ठहराते हुए काफी कुछ कहा. उन्होंने आगे कहा-‘लोगो से मिल रहा प्यार आपको पागलपन वाली हकरतें करने के लिए उकसाता है.  मगर हम जो करते हैं,उसे करने के लिए हमें दुव्र्यवहार सहन करने में सक्षम होना चाहिए. आपके बारे में लाग पागलपन की बातें करे,तो उसे सहने में सक्षम होना चाहिए. इस व्यवसाय में आपको लोगों का अनादर भी सहन करने में सक्षम होना चाहिए.  और आपको मुस्कुराना होगा, आपको यह दिखावा करना होगा कि यह ठीक है. ‘‘

विल स्मिथ का सोशल मीडिया पर माफीनामाः

 

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विल स्मिथ ने ऑस्कर में कॉमेडियन क्रिस रॉक को थप्पड़मारने के बाद सोशल मीडिया पर माफीनामा पोस्ट किया. उन्होंने अपने बयान में कहा-‘‘मेरा बर्ताव. . . अस्वीकार्य और अनुचित था. जेडा की बीमारी पर मजाक मैं सहन नहीं कर पाया और भावुक होकर प्रतिक्रिया व्यक्त कर दी. मैं आपसे सार्वजनिक तौर पर माफी मांगना चाहता हूं क्रिस. . . मैं गलत था. ‘‘

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कौन है क्रिस रॉक

विल स्मिथ से थप्पड़ खाने वाले हास्य अभिनेता क्रिस रॉक से भारतीय दर्शक ज्यादा परिचित नही है.  ‘मेन इन बैल्क’ सीरीज में क्रिस ने अभिनय किया था और उनके अभिनय को काफी सराहा गया था.

विश्व में अलग अलग राय

पूरे विश्व में इस थप्पड़ कांड को लेकर लोग बंटे हुए नजर आ रहे हैं. कुछ लोगों का मानना है कि कलाकार को दयालु,विनम्र व संजीदा होना चाहिए. इसलिए विश्व सिनेमा जगत के इतने बड़े मंच से अभिनेता विल स्मिथ का क्रिस रॉक्स को थप्पड़ जड़ना शोभा नही देता.

केतकी जानी ने भी विरोध जतायाः

लेकिन पूरे विश्व में एलोपेसिया के प्रति लोगों में जागरूकता लाने के लिए प्रयासरत और एलोपेसिया ग्रसित होते हुए भी ‘विश्व सुंदरी’ सहित कई पुरस्कार जीत चुकी पुणे निवासी केतकी जानी ने क्रिस रॉक्स की काफी आलोचना की. केतकी जानी के जीवन और एलोपेसिया को खुलकर स्वीकार करने को लेकर ‘अग्निजा’ नामक किताब भी बाजार में आ चुकी है. केतकी जानी कहती हैं-‘‘ ‘‘ऑस्कर में जो थप्पड़ की घटना घटी,उसकी गूँज पूरी दुनिया में सुनायी दे रही है. यह आवाज एलोपेसिया यानी कि गंजापन को जोक मजाक करने की बात समझने वाले लोगों के कान में ताउम्र रहनी चाहिए, जिससे वह दोबारा पब्लिक प्लेटफार्म पर इस तरह का तंज ना कसे. एलोपेसिया व टकले लोंगों से संबंधित जोक्स भी सोशल मीडिया पर पोस्ट ना करे. अभी कुछ ही दिन पहले एलोपेसिया से संबंधित जोक की वजह से सिर्फ 11 साल की रियो नामक लड़की ने आत्महत्या की है और अब यह घटना. . . ’’

 

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कुछ लोगों को क्रिस रॉक द्वारा जैडा पैंकिट स्मिथ का मजाक उड़ाना इसलिए भी गलत लगा क्यांेकि वह मानते हैं कि  एलोपेसिया, शारीरिक विकलांगता से कमतर नही है.  और वर्तमान समय में कितने लोग शारीरिक विकलांग होते हुए भी समाज में एक से एक मानक स्थापित कर रहे हैं! कुछ लड़कियंा व औरतें महज ‘एलोपेसिया से ग्रसित होने पर समाज के तानों से उबकर आत्महत्याएं भी कर रही हैं.  मगर जैदा पिंकेट स्मिथ ने तो कई बार टीवी पर भी आकर एलोपेसिया की वजह से अपने बालों के झड़ने को लेकर खुलकर बात कर चुकी हैं. ऐसे में विश्व के अति प्रतिष्ठित मंच से उनका मजाक उड़ाया जाना लोगों को रास नही आ रहा है.

क्रिस रॉक को थप्पड़ जड़ने के बाद विल स्मिथ को ऑस्कर से बाहर क्यों नहीं किया गया?

विल स्मिथ द्वारा क्रिस रॉक का थप्पड़ मारने के घटनाक्रम पर लोग सवाल उठा रहे हैं कि आखिर विल स्मिथ को तुरंत वहंा से बाहर क्यों नही किया गया. सूत्रों की माने तो इस घटनाक्रम के बाद ‘ऑस्कर’के लोगों ने गुप्त बैठक की. सूत्र कादावा  है कि इस वास्तविक घटनाक्रम के घटित होने की किसी को भी अंदेशा नही था. थप्पड़ कांड से पहले उन्हें ‘‘किंग रिचर्ड‘‘ में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार लेने के लिए बुलाया जा चुका था और उन्हे पुरस्कार देने के बाद तुरंत समारोह का समापन हो गया.

जबकि एक अन्य इंसान के अनुसार इस समारोह के आयोजक नहीं चाहते थे कि सुरक्षा की दृष्टि से एक लोकप्रिय फिल्म अभिनेता  को उनकी सीट से हटाया जाए,और वह भी तब जब स्मिथ समर्थकों ने उनकी पत्नी जैडा पिंकेट स्मिथ की सुरक्षा व सम्मान को लेकर पर सवाल उठाया हो. जैडा के गंजे सिर के बारे में रॉक का मजाक भी गलत था. क्यांेकि टेलीप्रॉम्प्टर पर उन्हे दिखायी गयी पटकथा में ऐसा कुछ नहीं था. इस तरह आयोजकों के भी क्रिस की ही गलती मानी.

उधर कुछ लोगों का दावा ‘‘ऑस्कर’’ इस पर अपनी राय जाहिर करेगा. अंदेशा है कि विल स्मिथ एक बार फिर से माफी मांग सकते हैं. सूत्रों का दावा है कि आस्कर अकादमी  इस संबंध में विल स्मिथ से जवाब मांग सकती है,पर उनका ऑस्कर अवार्ड रद्द किए जाने की संभावना कम ही हैं.

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पुलिस में शिकायत दर्ज नही हुई

थप्पड़ कांड सोशल मीडिया से लेकर विश्व भर के फिल्म जगत में चचा का विषय बना हुआ है. मगर क्रिस रॉक्स ने विल स्मिथ के खिलाफ लॉस एंजिल्स पुलिस विभाग में कोई शिकायत दर्ज न कराकर अपनेबड़प्पन का परिचय दिया है.

जबकि ऑस्कर अकादमी की तरफ से इस संबंध में एक बयान जारी कर कहा गया कि-‘‘किसी भी रूप की हिंसा की निंदा नहीं करता. ‘‘इसके बजाय शाम के विजेताओं का जश्न मनाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहता था. मगर रॉक और स्मिथ का यह संघर्ष हर जगह चर्चा में रहा.

क्या कहा बौलीवुड के सितारों नेः

हौलीवुड अभिनेता विल स्मिथ द्वारा ऑस्कर अवॉर्ड्स में क्रिस रॉक को थप्पड़ जमड़ने को लेकर बौलीवुड में भी प्रतिक्रिया हुई है.

बौलीवुड की जानी मानी अभिनेत्री व अभिनेता स्व.  रिषि कपूर की पत्नी नीतू कपूर ने इस घटना को अपनी इंस्टाग्राम स्टोरी पर शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा-‘और वह कहते हैं कि महिलाएं अपनी भावनाओं को कंट्रोल नहीं कर पातीं. ’जबकि अभिनेता एक्टर वरुण धवन ने फोटो शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा- ‘वाह, यह उम्मीद नहीं थी. . ’’वहीं सलमान खान, कंगना रणौत, केआरके, एकता कपूर जैसे कई सितारे विल स्मिथ के थप्पड़ कांड को सही ठहरा रहे हैं.

दक्षिण से भी आयी आवाजः

प्रसिद्ध तमिल फिल्म निर्माता एस. आर.  प्रभु ने विल स्मिथ व क्रिस रॉक के बीच हुई थप्पड़ मारने की घटना पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि यह घटना पुरस्कार समारोहों के व्यावसायीकरण का परिणाम थी. ’’

ऑस्कर में हुए विवाद के बाद विल स्मिथ और रॉक को मिला 114 करोड़ रुपये का ऑफरः यूट्यूबर ने की बॉक्सिंग मैच की पेशकश

ऑस्कर समारोह में विल स्मिथ द्वारा रॉक को थप्पड़ जड़ने का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वारयल होने के बाद बॉक्सिंग फील्ड में सनसनी बनकर उभरे यूट्यूबर जेक पॉल ने दोनों अभिनेताओं के बीच मैच कराने का ऑफर दिया है. उन्होनेे ‘विल स्मिथ बनाम क्रिस रॉक बॉक्सिंग मैच’ कराने की बात की है.

इसके बाद ‘द इंप्रैक्टिकल जोकर्स‘ के लिए लोकप्रिय अभिनेता साल वल्कानो ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर अपने अनुयायियों से यह अनुमान लगाने का आव्हान किया कि जेक पॉल, स्मिथ और रॉक के बीच मैच के लिए कितना धन प्रस्तावित करेंगें. अभिनेता ने लिखा, ‘‘जेक पॉल एक बॉक्सिंग पीपीवी के लिए क्रिस रॉक और विल स्मिथ को कितना ऑफर करेंगे?‘‘इसके जवाब में 25 वर्षीय यूट्यूबर जेक पॉल ने स्मिथ और रॉक दोनों को बॉक्सिंग मैच के लिए 114 करोड़ रुपये देने की पेशकश कर दी. उन्होंने अपने अंडरकार्ड पर मैच की तारीख का भी सुझाव दिया है. जेक पॉल लिखते हैं, ‘‘मैं विल स्मिथ और क्रिस रॉक को 114-114 करोड़ रुपये देने के लिए तैयार हूं. लेट्स डू इट इन अगस्त मेरे अंडरकार्ड पर मिलते हैं. ‘‘

विल स्मिथ का मजाक उड़ाने पर  सोशल मीडिया पर ट्रोल हो रहे धर्मा प्रोडक्शंस के      अधिकारी व फिल्म निर्माता

जब बौलीवुड में सभी विल स्मिथ के पक्ष में खड़े नजर आ रहे हैं,वहीं फिल्म निर्माता व धर्मा प्रोडक्शन से जुड़े सोमेन मित्रा ने विल स्मिथ को ट्ोल किया. सोमेन ने ट्वीट करते हुए लिखा- जमाने भर से वह कहते रहे ‘ ऑस्कर सो व्हाइट ’रुव्ेबंतैवॅीपजम, अब समझ आया कि आखिर यह इतना अच्छा क्यों था. लिखने वाला कहीं दूर बहुत दूर जाकर छिप गया है. . . ’’ सोमेन के कहने का आशय यह है कि विल स्मिथ जैसे अश्वेत लोगों को ऑस्कर में न बुलाया जाना ही ठीक था. यानी कि उन्होने रंग भेद को हवा देने का प्रयास किया.

मगर सोमेन का दांव उलटा पड़ गया. लोगों ने उन्हें सोशल मीडिया पर उन्हें ट्रोल करना शुरू कर दिया. एक यूजर ने लिखा- यह इंसान करण जौहर की कंपनी धर्मा में शीर्ष पद पर है. याद रखें कि बॉलीवुड फिल्मों में ‘कालापन‘ आकस्मिक नहीं है. ’एक अन्य यूजर ने लिखा- ‘यह वही लोग हैं,जो कहते फिरते हैं, ‘‘कमबख्त भारतीय लोग, अंग्रेजों ने कम से कम 50 साल पहले भारत में ट्रेन तो चला दी. ‘‘

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ऑस्कर 2022 के कुछ ऐतिहासिक पलः

यूं तो ‘ऑस्कर 2022’ को थप्पड़ कांड के लिए ही सदैव याद किया जाएगा. मगर सोमवार को आयोजित 94वे संस्करण में निम्नलिखित ऐतिहासिक पल भी थे. .

अवॉर्ड सेरेमनी के दौरान बेनेडिक्ट कंबरबैच, जेसन मोमोआ और जेमी ली कर्टिस आदि ने यूक्रेनके साथ एकजुटता दिखाने के लिए नीले रंग की रिबन पहनी थी. इसके साथ ही यूक्रेन में मरने वालों और सीमाओं के भीतर आक्रमण, संघर्ष व पूर्वाग्रह का सामना करने वालों के लिए मौन भी रखा गया था.

‘‘द पावर ऑफ द डॉग‘‘ की निर्देशक जेन कैंपियन सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का पुरस्कार जीतने वाली तीसरी महिला बनीं.

अरियाना डिबोस को फिल्म ‘‘वेस्ट साइड स्टोरी’’के सर्वश्रेष्ठ सह अभिनेत्री का ऑस्कर मिला है. यह उनका पहला नॉमिनेशन और अवॉर्ड है.

फिल्म ‘‘कोडा’’ के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार जीतने वाली ट्रॉय कोत्सुर ऑस्कर जीतने वाले पहले बधिर व्यक्ति बने.

बाक्स आयटमः दो

2022 में इन्हें मिला ऑस्कर

1- सर्वश्रेष्ठ अभिनेताः

फिल्म ‘‘किंग रिचर्ड’’ के लिए हौलीवुड अभिनेता विल स्मिथ को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के पुरस्कार से नवाजा गया. फिल्म ‘‘किंग रिचर्ड‘‘ में टेनिस के महान खिलाड़ी वीनस और सेरेना विलियम्स के हार्ड-ड्राइविंग पिता रिचर्ड विलियम्स के किरदार को विल स्मिथ ने अपने अभिनय कौशल से परदे पर साकार कर ऑस्कर की ज्यूरी का दिल जीता है.

2- सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्रीः

फिल्म ‘‘द आइज ऑफ टैमी फेय‘‘ में टेलीविजनवादी टैमी फेय बेकर के किरदार में बेहतरीन अभिनय के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार जेसिका चैस्टन को मिला. अपने पुरस्कार को स्वीकार करते हुए चेस्टेन ने बकर के समलैंगिक पुरुषों और एड्स रोगियों को चैंपियन बनाने के इतिहास का हवाला दिया,जब इंजील समुदाय के कई सदस्यों ने एक ही तरह की स्वीकृति नहीं दिखाई.

चेस्टन ने आगे कहा- ‘‘संयुक्त राज्य अमरीका में आत्महत्या मौत का प्रमुख कारण है. इस कहानी के साथ लोग रिलेट करते है. मैने भरी रिलेट किया. विशेष रूप से एलजीबीटीक्यू समुदाय के सदस्य, जो अक्सर अपने साथियों के साथ बाहर ऐसा महसूस करते हैं. हमें भेदभावपूर्ण और कट्टर कानून का सामना करना पड़ रहा है,जो हमें और विभाजित करने के एकमात्र लक्ष्य के साथ हमारे देश को व्यापक बना रहा है.  दुनिया भर में निर्दोष नागरिकों के साथ हिंसा और घृणात्मक अपराध हो रहे हैं. ऐसे समय में मैं टैमी के बारे में सोचती हूं. ’’

3-सर्वश्रेष्ठ फिल्म – ‘कोडा‘

4-सर्वश्रेष्ठ सह अभिनेत्रीः

फिल्म ‘‘वेस्ट साइड स्टोरी‘‘ में भावुक अनीता की भूमिका निभाने के लिए एरियाना डिबोस को सर्वश्रेष् ठ सहअभिनेत्री का पुरसकार मिला. यह वह भूमिका है,जिसने लोकप्रिय संगीत के 1961 के फिल्म संस्करण में रीटा मोरेनो को उनके काम के लिए समान पुरस्कार जीता था. इस पुरस्कार को जीतकार डीबोस ने इतिहास रचा है. वह ऑस्कर जीतने वाली पहली क्वीर एफ्रो-लैटिना अभिनेत्री बन गयी

5-सर्वश्रेष्ठ डॉक्यूमेंट्री फीचर – द समर ऑफ सोल

6-फैंस च्वाइस अवॉर्ड- हुमा कुरैशी की फिल्म ‘आर्मी ऑफ द डेड‘

7-सर्वश्रेष्ठ कैमरामैनःड्यून

8-सर्वश्रेष्ठ निर्देशकः जेन कैंपियन

9-सर्वश्रेष्ठ एनिमेटेड फीचर फिल्म

एन्कैंटो

10-सर्वश्रेष्ठ अंतर्राष्ट्रीय फीचर फिल्मः

जापान की ड्राइव माई कार

11-सर्वश्रेष्ठ मूल गीतः नो टाइम टू डाई द्वारा बिली इलिश और फिनीस ओ‘कोनेल

12-सर्वश्रेष्ठ मूल संगीत स्कोरः ड्यून

13-सर्वश्रेष्ठ मूल पटकथाःबेलफास्ट

14-सर्वश्रेष्ठ अनुकूलित पटकथाःकोडा

15-सर्वश्रेष्ठ लघु वृत्तचित्रः बास्केटबॉल की रानी

16-सर्वश्रेष्ठ एनिमेटेड लघु फिल्मः

विंडशील्ड वाइपर

17-बेस्ट लाइव एक्शन शॉर्ट फिल्मः लांग अलविदा

18-सर्वश्रेष्ठ पोशाक डिजाइनः क्रूएला

19-सर्वश्रेष्ठ मेकअप और हेयर स्टाइलिंग -फिल्म ‘‘आइज आफ टैमी फेय’’

20-सर्वश्रेष्ठ फिल्म संपादनः ड्यून

21-सर्वश्रेष्ठ उत्पादन डिजाइनः ड्यून

22-सर्वश्रेष्ठ दृश्य प्रभावः ड्यून

23- सर्वश्रेष्ठ ध्वनिःड्यून

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REVIEW: जानें कैसी है वेब सीरीज ‘ब्लडी ब्रदर्स’

रेटिंगः  दो स्टार

निर्माताः समीर नायर,  दीपक सहगल, समीर गोगाटे

निर्देशकः शाद अली

कलाकारः जयदीप अहलावत, मो. जीशान अयूब, असरानी, श्रुति सेठ,  जीतेंद्र जोशी , सतीश कौशिक, माया अलघ, सारवरी देशपांडे, इंद्रनील सेनगुप्ता , प्रेशा भारती, निपुन धर्माधिकारी, अरविंद कुपलीकर, टीना देसाई, मुग्धा गोड़से व अन्य.

अवधिः लगभग तीन घंटे 45 मिनट,  32 से 49 मिनट के छह एपीसोड

ओटीटी प्लेटफार्म: जी 5 पर 18 मार्च से स्ट्रीम

2019 की चर्चित ब्रिटिश डार्क कौमेडी वेब सीरीज ‘‘गिल्ट’’का हिंदी रीमेक ‘‘ब्लडी ब्रदर्स’’ भाईचारे, रिश्ते, अविश्वास के साथ रिश्तों में आती दरार, प्रेम, लालच, वासना और अपराध मिश्रित एक बोर करने वाली कथा है. जो कि 18 मार्च से ओटीटी प्लेटफार्म ‘‘जी 5’’पर स्ट्रीम हो रही है.

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कहानीः

कहानी शुरू होती है उटी में सखी (सारवरी देशपांडे) की शादी के बाद रिसेप्शन पार्टी से, जिसमें सखी का पूर्व प्रेमी व किताब की दुकान चलाने वाले दलजीत ग्रोवर (मो.  जीशान अयूब)के साथ उसका बड़ा भाई व वकील जगजीत ग्रोवर (जयदीप अहलवात) जो पेशे से वकील है,  और दूसरे तमाम लोग मौजूद हैं. सभी जमकर शराब पीते हैं. फिर जगजीत और दलजीत दोनोे भाई जगजीत की कार से निकलते हैं, मगर कार दलजीत चला रहा होता है. शराब के नशे में उनकी कार एक बूढ़े इंसान साम्युअल अल्वारेज (असरानी) को टक्कर मार देती है. दोनों भाई कार से उतर कर साम्युअल को उनके घर के अंदर ले जाते हंै. दलजीत अपनी पर्स सैम्युअल के घर मंे ही भूल जाते हैं. पर जगजीत वहां पर मौजूद कागज से यह जान जाता है कि सैम्युअल कैंसर के मरीज थे. दोनों भाई वहां से चले जाते हैं. मगर दलजीत इस हादसे को नही भूल पाता. उसे लगता है कि कभी भी उसके गले में फंदा लग सकता है. पर जगजीत उसे आश्वस्त करता रहता है कि सब कुछ ठीक होगा. दूसरे दिन दोनों भाई फिर से साम्युअल के घर के पास जाते हैं, तो देखते हैं कि पुलिस साम्युअल की मृतदेह को एम्बूलेंस मंे डालकर ले जा रही है. दूसरे दिन अखबार में खबर छप जाती है कि सैम्युअल की मौत कैंसर की बीमारी से स्वाभाविक मौत हो गयी. पर दलजीत के पास साम्युअल के वकील जयंत मेहरा (नरेंद्र सचर) का फोन आता है कि उनका पर्स सैम्युअल के घर पर है, जाकर ले आएं. साम्युअल की प्रेअर मीटिंग के वक्त दलजीत व जगजीत दोनो जाते हैं, जहां उनकी मुलाकात साम्युअल की भतीजी सोफी (टीना देसाई )से होती है, जो मंुबई से आयी है. सोफी की मदद करने के बहाने दोनो भाइयों का साम्युअल के घर आना जाना शुरू होता है. इधर तान्या ( मुग्धा गोड़से ) के जिम में कसरत कसरत करते करते जगजीत की पत्नी प्रिया ग्रोवर ( श्रुति सेठ ) तान्या के साथ घूमना शुरू करती है. तान्या लेसबियन है और वह प्रिया ग्रोवर से प्यार करने लगती है. पर प्रिया को तान्या से रिश्ते बनाने की इच्छा नही है. मगर एक दिन अपने पति की व्यस्तता के चलते अपने अकेलेपन को दूर करने के लिए तान्या के पास जाती है. दोनों के बीच समलैंगिक संबंध बनते हैं.  इधर जगजीत व दलजीत खुद को साम्युअल की मौत मामले में निर्दोष बचाए रखने के लिए चालेे चलते हैं. जगजीत अपने दोस्त व जासूस दुश्यंत (जीतेंद्र जोशी ) को लेकर सोफी के पास जाते हैं. उधर साम्युअल ने अपना बंगला पड़ोसी शीला डेविड (माया अलघ)  के नाम और अपनी किताबें अपनी भतीजी सोफी के नाम लिख रखी हैं. शीला डेविड ने इस तरह से सीसीटी लगवा रखा है कि सड़क व साम्युअल के घर की हर घटना नजर आती है. इसी का सहारा लेकर शीला डेविड मुंह बंद रखने के लिए जगजीत से पचास लाख रूपए लेती है. उधर दुश्यंत की जांच से खुद पर आंच आती देख जगजीत उसके साथ इस तरह से पेश आता है कि उनके बीच रिश्ते में खटास आ जाती है. फिर दुश्यतं अपने तरीके से जासूसी करना जारी रखता है. तो पता चलता है कि  जगजीत तो अपरोक्ष रूप से माफिया डॉन हांडा (सतीश कौशिक)के लिए काम करता है. हांडा की तीन सौ कंपनियां दलजीत की किताबों की दुकान के पते पर रजिस्टर्ड है. यहां से कहानी कई मोड़ लेती हैं. कई घटनाक्रम तेजी से बदलते हैं. पता चलता है कि तान्या,  हांडा के इशारे पर काम कर रही है. शीला डेविड और हांडा एक ही हैं. सोफी से दलजीत को प्यार हो गया, पर वह असली सोफी नही है. वह तो शीला की ही मोहरा है. जगजीत की पत्नी प्रिया ग्रोवर, जगजीत को घर से निकाल देती है, जगजीत और दलजीत के बीच खाई बढ़ जाती है. दुश्यंत , शीला व दलजीत एक साथ खड़े नजर आते हैं. जगजीत को पुलिस ले जाती है,

लेखन व निर्देशनः

पटकथा काफी सुस्त और कमजोर है. लिखावट अति बचकानी है. लेखक के ज्ञान का अंदाजा इसी बात से किया जा सकता है कि सीरीज के मुख्य पात्र जगजीत जो कि जाने माने वकील हैं, उन्हें यह नही पता कि दुर्घटना के बाद मृत इंसान को उसके घर छोड़ते हुए उसके घर के सामानों पर भी अपने हाथ व पैरी के निशाने नही छोड़ना चाहिए. इता नही नही दलजीत या जगजीत के चेहरे पर कभी पसीना नही आता. इतना ही नही वेब सीरीज में बेवजह लेस्बियन प्रेम कहानी ठॅूंसना तो नियम सा बन गया है. इसमें भी प्रिया व तान्या के बीच की लेस्बियन प्रेम कहानी व संबंध जबरन ठॅूसे हुए ही नजर आते हैं.

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लेखक व निर्देशक को खुद नही पता कि उन्हे किस किरदार से क्या करवाना है?सभी किरदार कैरीकेचर के अलावा कुछ नही. कहानी वर्तमान व अतीत के बीच हिचकोले लेते हुए चलती है. पहले पांच एपीसोड तक दर्शक उटी की खूबसूरती का आनंद ले सकते हैं. कहानी में जो भी मोड़ आते हैं, जो भी खुलासे होते हैं, वह सब छठे एपीसोड में ही हैं. रोमांच का घोर अभाव है. लेखक ने भ्रमित करने वाली कहानी को उलझाने के अलावा कुछ नही किया. अपराध कथा में अचानक डॉन वाला एंगल ठूंसने की क्या जरुरत थी, यह तो लेखक व निर्देशक ही जाने.

अभिनयः

जब किरदार सही ढंग से न लिखे गए हों और पटकथा में दमखम न हो तो बेहतरीन कलाकार भी अपने अभिनय में कुछ खास नही कर पाता. फिर भी जयदीप अहलवात और मोहम्मद जीशान अयूब की मेहनत नजर आती है. अपराध के सरगना हांडा के छोटे किरदार में सतीश कौशिक अपनी छाप छोड़ जाते हैं. जीतेंद्र जोशी, टीना देसाई, माया अलघ, श्रुतिज सेठ का अभिनय प्रभावशाली नही है.

62 की Neena Gupta ने शेयर की बोल्ड ड्रैस में वीडियो, ट्रोलर्स को दिया जवाब

बॉलीवुड एक्ट्रेस नीना गुप्ता (Neena Gupta ) आए दिन सुर्खियों में रहती हैं. जहां उनका फैशन चर्चा का विषय बन जाता है तो वहीं ट्रोलर्स को करारा जवाब देते हुए वह सोशल मीडिया पर छाई रहती हैं. इसी बीच नीना गुप्ता ने एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें वह बेझिझक बातें करती हुई नजर आ रही हैं. आइए आपको दिखाते हैं वायरल वीडियो की झलक….

ट्रोलर्स के लिए कही ये बात

 

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हाल ही में नीना गुप्ता ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें वह अपनी हौट ड्रैस के बारे में बेझिझक मन की बातें फैन्स से शेयर करती नजर आ रही हैं. वहीं वीडियो में कहती नजर आ रही हैं कि ‘मुझे ये इसलिए पोस्ट करना है क्योंकि मुझे ऐसा लगता है कि जो ऐसे सेक्सी टाइप कपड़े पहनती हैं, जैसे मैंने अभी पहने हैं लोगों को लगता है कि वो ऐसे ही बेकार के होते हैं. लेकिन मैं बता दूं कि मैंने संस्कृत में एमफिल की हुई है और भी बहुत कुछ किया हुआ है. तो कपड़े से किसी को जज नहीं करना चाहिए, ट्रोल करने वालो समझ लो.’

 

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सिंगल मदर हैं नीना

 

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नीना गुप्ता ने पर्सनल लाइफ के बारे में बात करें वह क्रिकेटर विवियन रिचर्ड्स के साथ रिलेशनशिप में रह चुकी हैं, जिनसे उनकी बेटी मसाबा गुप्ता हैं. हालांकि उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा है कि सिंगल मदर बनने का फैसला कोई बहादुरी वाला नहीं है, जिसे सुनकर फैंस को झटका लगा था. वहीं अपनी एक बुक में भी वह कई खुलासे करती हुई नजर आ चुकी हैं.

बता दें, नीना गुप्ता बौलीवुड की कई फिल्मों में काम कर चुकी हैं वहीं बधाई हो, शुभ मंगल सावधान जैसी फिल्मों के चलते वह सुर्खियों में रही हैं. हालांकि वह अपने फैशन के चलते सोशलमीडिया पर अक्सर छाई रहती हैं.

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REVIEW: पैन इंडिया सिनेमा के नाम पर सिर दर्द है ‘राधे श्याम’

रेटिंगः आधा स्टार

निर्माताः यू वी क्रिएशंस और टीसीरीज

लेखक व निर्देशकः राधा कृष्णा कुमार

कलाकारः प्रभास, मुरली शर्मा, सचिन खेड़ेकर, भाग्यश्री, पूजा हेगड़े जगापति बाबू, सत्यराज व अन्य.

अवधिः दो घंटा बाइस मिनट

फिल्मकार राधा कृष्णा कुमार की 11 मार्च को हिंदी के अलावा तेलगू व तमिल भाषा में सिनेमाघरों में पहुॅची फिल्म ‘राधे श्याम ’’ देखकर समझ में आ जाता है कि पिछले कुछ समय से जो हो हल्ला मचाया जा रहा था कि ‘बौलीवुड खत्म हो गया’ और दक्षिण का सिनेमा बौलीवुड पर कब्जा कर रहा है. . ’’ उसकी हवा निकल चुकी है. यह हो हल्ला भी महज जुमला ही साबित हुआ. ‘राधे श्याम’से यह बात साबित हो गयी कि बौलीवुड पर दक्षिण के सिनेमा का कब्जा नही हो सकता. इससे पहले ‘साहो’,  ‘मास्टर’, ‘खिलाड़ी’का हिंदी वर्जन,  ‘वालीमाई’ का हिंदी वर्जन बुरी तरह से असफल हुए हैं. इसी के चलते ‘विमलाबाई’ का हिंदी वर्जन आने से पहले ही बंद कर दिया गया.  अब ‘‘राधे श्याम’’ का हिंदी वर्जन देखकर लोग दक्षिण सिनेमा को हिंदी में लेकर नही आएंगे.

कहानीः

फिल्म की कहानी सत्तर के दशक की है. मशहूर हस्तरेखा ज्योतिषी विक्रमादित्य उर्फ आदित्य( प्रभास), प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी का हाथ देखकर आपातकाल की भविष्य वाणी करते हैं. इसके बाद उन्हे भारत छोड़कर विदेश यानी कि रोम में जाकर बसना पड़ता है. रोम ही नही पूरे यूरोप में उनके हस्तज्योतिष के चमत्कारों की खूब चर्चा हो रही है. विक्रमादित्य एक पोलीटीशियन का हाथ देखकर भविष्य वाणी करते है कि वह सफल राजनेता नही सफल उद्योगपति बनने वाले हैं. यहां तक कि वह जिस तारीख की बात करते हैं, वह भी सच साबित होता है. वह ट्ेन के एक्सीडेंट और उसके यात्रियों की मौत की भविष्यवाणी करते हैं. यानी कि उनकी हर भविष्यवाणी सच साबित होती है. फिर नाटकीय अंदाज में वह एक अस्पताल में डॉ प्रेरणा(पूजा हेगड़े) से टकराते हैं और उनसे उन्हे प्यार हो जाता है. हस्तरेखाविद् विक्रमादित्य उर्फ आदित्य (प्रभास) भाग्य में यकीन करते हैं, जबकि डॉक्टर प्रेरणा (पूजा हेगड़े) की अलग मान्यता है. डॉ.  प्रेरणा  विज्ञान और तर्क के नियमों में यकीन करती हैं. लेकिन उनका प्यार सभी तर्कों को धता बताता है.

डॉ.  प्रेरणा को पता है कि उनकी जिंदगी के चंद माह ही बचे हैं. क्योंकि वह दुर्लभ ब्रेन ट्यूमर नुमा कैंसर रोग से पीड़ित हैं. डॉ.  प्रेरणा के चाचा(सचिन खेड़ेकर), जो चालिस वर्ष से डाक्टरी पेशे में हैं, जिनका अपना एक नाम है, वह भी मानते हैं कि मेडीकल साइंस में डॉ.  प्रेरणा की बीमारी का कोई इलाज नही है. मगर डां.  प्रेरणा के प्यार में आकंठ डूबे विक्रमादित्य उनका हाथ देखकर 74 वर्ष तक जीने की भविष्यवाणी करते हैं. पर उन्हे यह नही पता चलता कि डॉं प्रेरणा कैंसर की मरीज है. जब प्रेरणा के चाचा डॉ. आदित्य को बताते हैं कि प्रेरणा की बीमारी का मेडिकल साइंस में कोई इलाज नही है, तब आदित्य कहते हैं कि मेडिकल साइंस बेकार है. प्रेरणा 74 साल तक जिएंगी. इतना ही नहीं मृत लोगों के हाथों के कागज पर प्रिंट देखकर उनकी उम्र, पुरूष या स्त्री, मौत का कारण वगैरह बताते हैं. फिर अपने अपने प्यार को जीतने की बात होती है. इसके बाद कहानी एक अलग ढर्रे पर चलती है.

लेखन व निर्देशनः

जिन्हे मनोरंजन की बजाय सिर दर्द मोल लेकर क्रोसीन या अन्य सिर दर्द की दवा का सेवन करना हो, उन्हे ही ‘बाहुबली’ फेम अभिनेता प्रभास की फिल्म ‘‘राधे श्याम ’’ देखनी चाहिए. फिल्म की धीमी गति और कहानी के चलते यह अति बोरिंग व सिरदर्द वाली फिल्म है. फिल्म की सबसे बड़ी कमजोर कड़ी इसकी पटकथा है.  इसमें हस्तज्योतिष को महान बताने के लिए विज्ञान को ही नेस्तानाबूद कर डाला गया. इतना ही नही हस्तरेखाविद् विक्रमादित्य उर्फ आदित्य (प्रभास) भाग्य में यकीन करते हैं, जबकि डॉक्टर प्रेरणा (पूजा हेगड़े) की अलग मान्यता है. डॉ.  प्रेरणा  विज्ञान और तर्क के नियमों में यकीन करती हैं. लेकिन प्यार को जिताने के चक्कर में फिल्मकार आदित्य व प्रेरणा के विरोधाभासी यकीन को नजरंदाज कर पूरी फिल्म को तहस नहस कर डाला. फिल्मकार अपने किसी भी तर्क ्रपर टिके ही नहीं. पूरी फिल्म देखकर यह सोचना भी मूर्खता ही होगी कि फिल्म का नाम ‘राधे श्याम’ क्यों है?

अफसोस की बात यह है कि फिल्मकार को यही नही पता कि वह हस्त ज्योतिष को महान,  मेडीकल साइंस को बेकार  बताना चाहते हैं अथवा टाइटैनिक वाली प्रेम कहानी बताना चाहते हैं या हाथ की रेखाएं नही बल्कि कर्म से तकदीर बनती है. आखिर उन्हे दर्शकांे को कौन सी कहानी बतानी है, यही नही पता. पूजा हेगड़े और प्रभास के बीच जो रोमांस फिल्माया गया है, वह दो ंइंसानों की बजाय दो लकड़ियों की कठपुतली का रोमांस नजर आता है. पूजा और प्रभास के बीच कोई केमिस्ट्ी ही नजर नही आती. फिल्म में पूजा हेगड़े का परिचय वाला शुरूआती दृश्य हूबहू उस स्टंट की नकल है,  जो कि चलती लोकल ट्ेन में नई पीढ़ी के लड़के व लड़कियां करते नजर आने पर पुलिस उन पर जुर्माना लगाकर सजा देती है. और हमारे फिल्मकार उसी स्टंट का महिमा मंडन करते हुए युवा पीढ़ी को गलत राह पर ढकेलने का काम किया है. अफसोस तो इस बात का है कि जिसे भारतीय रेलवे गैर कानूनी मानता है, उस स्टंट को सेंसर बोर्ड ने पारित कर दिया. इतना ही नहीं विक्रमादित्य अपने ज्योतीषीय ज्ञान से देख लेता है कि ट्ेन का एक्सीडेंट होगा और सभी यात्री मारे जाएंगे, फिर वह बाहुबली बनकर पेड़ को उखाड़कर फेंकते हुए तेज गति से भाग रही ट्ेन का एक्सीडेंट रोकने के लिए भागता है, जबकि ट्ेन का एक्सीडेंट हो जाता है. यह पूरा दृश्य ही अति बनावटी है. इस तरह के दृश्य कहानी को मजबूती प्रदान नही करते.

फिल्म का क्लायमेक्स अति घटिया है. अस्पताल के अंदर दो मिनट के ‘डेथ प्रैक्टिस’ के दृश्य न सिर्फ घटिया हैं, बल्कि सेंसर बोर्ड पर सवाल उठाते हैं कि उसने ऐसे दृश्य को पारित कैसे कर दिया?

फिल्म में सारा वीएफएक्स  बहुत घटिया है. माना कि कैमरामैन मनोज परमहंस ने इटली और जॉर्जिया के भव्य स्थानों और गलियों को सबसे असाधारण तरीके से कैद किया है. प्रत्येक दृश्य एक दृश्य तमाशा है, जो दर्शकों को इसकी पृष्ठभूमि से मंत्रमुग्ध कर देता है. यहां तक कि फिल्म के मुख्य किरदारों के घर और बेडरूम भी आलीशान हैं. काश इतना ही ध्यान इसकी पटकथा लेखन पर भी दिया गया होता.

फिल्म के अंतिम दृश्य के साथ अमिताभ बच्चन की आवाज में संवाद गूंजता है-‘किस्मत तुम्हारे हाथों की लकीरें नहीं,  तुम्हारे कर्मों का नतीजा है. ’तो सवाल उठता है कि फिल्मकार सवा दो घंटे से भी अधिक समय तक दर्शकों को क्या मूर्ख  बना रहे थे.

350 करोड़ की लागत से बनी फिल्म ‘राधे श्याम’ को लेकर लंबे समय से ‘साइंस फिक्शन’ के नाम पर जो हौव्वा खड़ा किया गया था, इसमें वैसा कुछ भी नही है.

अभिनयः

‘राधे श्याम’ में प्रभास के अति स्तरहीन अभिनय को देखकर यह यकीन करना मुश्किल हो रहा है कि प्रभास ने ही ‘बाहुबली’ में अभिनय किया था. ‘बाहबुली’ में प्रभास का जो करिश्माई व्यक्तित्व, अभिनय स्टाइल वगैरह नजर आया था, वह सब इस फिल्म में शून्य है. प्रभास की संवाद अदायगी बहुत ही कमजोर है. पूजा हेगड़े का अभिनय की बजाय उनकी खूबसूरती जरुर आंखे को सकून देती है. पर भावनात्मक दृश्यों को उन्होने  परिपक्वता के साथ निभाया है. जगापति बाबू, मुरली शर्मा, कुणाल रौय कपूर जैसे कलाकारों की प्रतिभा को पूरी तरह से जाया किया गया है.

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आज आलिया बॉलीवुड में टॉप के बड़े फिल्म सितारों में से एक है, अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दर्शकों को प्रभावित करने के लिए पूरी तरह से तैयार है. यह फिल्म भारत के सबसे बड़े बॉलीवुड सितारों में से एक के रूप में चार फिल्मफेयर पुरस्कार विजेता आलिया की वैश्विक शुरुआत को चिह्नित करती है, जो उसने बहुत ही कम समय में पा लिया है. उनकी मेहनत और लगन हमेशा फिल्मों में किसी न किसी रूप में देखी गयी है, जिसे दर्शकों ने काफी सराहा है. अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा, दीपिका पादुकोण की श्रेणी में आज अलिया भी शामिल होने वाली है, जो उनके परिवार के लिए गर्व की बात है. आलिया ने लगभग हर बड़े निर्देशक के साथ काम किया है और मानती है कि किसी कलाकार के कला को निखारने में निर्देशक का बड़ा हाथ होता है.

संजय लीला भंसाली द्वारा निर्देशित उनकी हाल ही में रिलीज़ हुई फिल्म “गंगूबाई काठियावाड़ी”, बॉक्स ऑफिस पर एक सफल फिल्म बन चुकी है. फिल्म ने पिछले सप्ताह के अंत में तीसरी सबसे बड़ी ओपनिंग हासिल की और और महामारी की शुरुआत के बाद से बॉलीवुड फिल्म के लिए सबसे बड़ी गैर-हॉलिडे ओपनिंग साबित हुई है, हालांकि ये फिल्म काफी पहले बन चुकी थी, लेकिन इस लार्जर देन लाइफ फिल्म को भंसाली सिनेमा हॉल में रिलीज करना चाहते थे.संजय ने वैसा ही किया और अब रिलीज किया है.

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जोया अख्तर द्वारा निर्देशित उनकी 2019 की फिल्म “गली बॉय”, उस वर्ष के बर्लिन फिल्म महोत्सव में प्रीमियर हुई थी और एक अंतरराष्ट्रीय हिट बन गई थी, जिसने अब तक दुनिया भर में $ 25M से अधिक की कमाई की है. यह फिल्म 2020 के ऑस्कर में सर्वश्रेष्ठ विदेशी भाषा फिल्म के तौर पर भारत की आधिकारिक प्रस्तुति थी. अलिया जानती है कि किस तरह से उसे लाइम लाइट में रहना है. ITA अवार्ड फंक्शन में अलिया प्लास्टिक की साड़ी में प्रवेश किया, तो सभी ने उसका मजाक उड़ाया, लेकिन बाद में पता चला कि वह कोई मामूली साड़ी नहीं है बल्कि आलिया की स्टर्लिंग सिल्वर साड़ी रिसाइकल नायलॉन बेस और डिग्रेडेबल फॉक्स लेदर (अशुद्ध चमड़े) से मिलकर तैयार की गई है, जिसमें मैटेलिक पैराशूट का भी प्रयोग किया गया है.

फ़िल्मी परिवार में जन्मी आलिया अपने पेरेंट्स के बहुत कारीब है और किसी भी बात को वह कहने से हिचकिचाती नहीं. 28 साल की आलिया हर तरीके की फिल्म में काम करना पसंद करती है और ये मौका उसे मिल भी रहा है. International women’s day पर महिलाओं के लिए अलिया का कहना है कि मैं अपने आसपास इतनी महिला कर्मचारी को देखकर बहुत खुश होती हूँ, क्योंकि उनका काम के प्रति समर्पण बहुत अधिक होता है, इसलिए अधिकतर कंपनियों में भी महिला कर्मचारी को अधिक प्राथमिकता दी जाती है.मैं खुद महिला होकर गर्वित हूँ.

उनकी अंतर्राष्ट्रीय अपील (इंस्टाग्राम पर 60 मिलियन से अधिक फॉलोअर्स सहित) को स्वीकार करते हुए, द अकादमी ने उन्हें 2020 के क्लास में शामिल किया.

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REVIEW: जानें कैसी है Web Series ‘अनदेखी सीजन 2’

रेटिंगः साढ़े तीन स्टार

निर्माताः अप्लॉज एंटरटेनमेंट और बानीजे एशिया प्रोडक्शन

निर्देशकः आशीष आर शुक्ल

लेखकः अमेय सारदा , अनाहता मेनन , दीपक सेगल और सुमीत बिश्नोई

कलाकारः हर्ष छाया , दिब्येंदु भट्टाचार्य , सूर्य शर्मा , आंचल सिंह , अपेक्षा पोरवाल , अंकुर राठी , नंदीश सिंह संधू और मेयांग चांग व अन्य.

अवधिः लगभग छह घंटेः 34 से 40 मिनट के दस एपीसोड

ओटीटी प्लेटफार्मः सोनी लिव

सोनी लिव पर 2020 में अपराध कथा वाली वेब सीरीज ‘‘अनदेखी’’ स्ट्रीम हुई थी,जिसे काफी पसंद किया गया था. अब दो वर्ष बाद ‘अनदेखी’ का सीजन दो 4 मार्च से ‘सोनी लिव’ पर ही स्ट्रीम हो रही है. जिसका मुकाबला अजय देवगन अभिनीत वेब सीरीज ‘‘रूद्राः द एज आफ डार्कनेस’’ से हैं,जो कि 4 मार्च से ही हॉटस्टार डिज्नी पर स्ट्रीम हो रही है. मगर नामी कलाकारों को देखने की बजाय कहानी देखने व सुनने में रूचि रखने वालों को ‘‘अनदेखी सीजन दो’’ ही पसंद आएगी.  इतना ही नही ‘सत्यकथा’ और ‘मनोहर कहानियां’ के पाठकों को ‘‘अनदेखी सीजन दो’’ काफी पसंद आएगा.

कहानीः

‘‘अनदेखी सीजन दो’’ की कहानी वहीं से शुरू होती है,जहां पहले सीजन की कहानी खत्म हुई थी. अब हर किरदार के लिए अपने सामने हत्याएं देखना न सिर्फ आम बात है बल्कि वह इसका हिस्सा बन चुके हैं. अब तो हर किरदार अपने मकसद के लिए हत्या करने व दूसरों को बरबाद करने पर आमादा है. हर किरदार ‘मैं’ तक ही सीमित है. पर पात्र जो चाहते हैं,वह उनके हाथ में आते आते फिसल जाता है.

ऋषि मर चुका है और रिंकू (सूर्य शर्मा ) किसी भी कीमत पर कोयल (आपेक्षा पोरवाल ) और ऋषि के दोस्तों सलोनी(ऐनी जोया ) व शाश्वत( ) को ढूंढना चाहता है. जबकि कलकत्ता का डीएसपी घोष (दिब्येंदु भट्टाचार्य ),कोयल को गिरफ्तार कर अपने साथ ले जाना चाहता है. उधर दमन) अटवाल(अंकुर राठी ) के आपराधिक परिवार के कांड जानने के बाद शादी तोड़ने वाली तेजी( आंचल सिंह) अब उसी परिवार व उसी व्यापार से जुड़कर अटवाल परिवार के मुखिया पापाजी(हर्ष छाया) की जड़ काटने पर आमादा है.

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नाटकीय घटनाक्रम में बुरी तरह से घायल कोयल एक बौद्ध बिक्षु अभय( मियांग चेंग ) के हाथ लग जाती है,जो कि अपने साथ सुरक्षित जगह ले जाकर उसका इलाज करता है. जबकि कोयल का पता न लग पाने पर डीएसपी घोष को वापस बंगाल बुला लिया जाता है.  लेकिन कोयल अभी भी रिंकू और पापाजी से बदला लेना चाहती है. तो वहीं शाश्वत व सोनाली किसी तरह सुरक्षित चंडीगढ़ पहुॅचना चाहते हैं,मगर ऐसा हो नही पाता. तो वहीं अटवाल परिवार के अंदर और बाहर बहुत कुछ घटता है. बीच में कुछ एपीसोडो में कहानी बदला लेने व हत्या के सबूत मिटाने से हटकर ड्ग सिंडिकेट के इर्द गिर्द ही घूमती है. अटवाल परिवार को बर्बाद कर समर्थ (नंदीश संधू) का विश्वास जीतकर खुद गैर कानूनी दवाओं के व्यापार व अपराध जगत की हस्ती बनने के लिए तेजी अपने ही दोस्तो शाश्वत और सलानी को रिंकू के हाथ सौंप देती है. इसी बीच पुनः डीएसपी घोष मनाली पहुंचकर कोयल को अपने साथ जिंदा ले जाना चाहते हैं,मगर ऐसा हो नही पाता. जबकि कोयल व अभय अपनी तरफ से अटवाल परिवार के खिलाफ काम कर रहे हैं,लेकिन अभय व कोयल दोनों के मकसद अलग अलग हैं. कहानी कई मोड़ो, उतार चढ़ाव,खून खराबे के साथ आगे बढ़ती रहती है और कई किरदार खत्म हो जाते हैं. मगर तीसरे सीजन का संकेत देते हुए दसवां एपीसोड खत्म होता है.

लेखन व निर्देशनः

‘अनदेखी’ का दूसरा सीजन पहले वाले के मुकाबले ज्यादा डार्क है. यह सीजन काफी तेज गति से भागता है. पर कई जगह लॉजिक की बजाय इत्तफाक ही नजर आता है. मसलन- समर्थ के अति सुरक्षा युुक्त गैर कानूनी दवा के गोदाम में शाश्वत बड़े आराम से घुसकर आफिस में समर्थ के लैपटैप में अपने फोन से कुछ फाइल ट्रांसफर कर बड़े आराम से वापस आ जाता है.  कहने का अर्थ यह कि लेखन और एडीटिंग कमजोर है. यहां तक कि अभय के किरदार को भी ठीक से विकसित नही किया गया.  इतना ही नही इस बार उभ्एसपी घोष का किरदार निभाने वाले प्रतिभाशाली कलाकार दिब्येंदु भट्टाचार्य का कम इस्तेमाल किया जना दर्शकों को अखरता है.

इस सीरीज में तमाम दृश्य ऐसे है,जिन्हें दर्शक कई फिल्मों में देख चुका है. मगर निर्देशक आशीष आर शुक्ला ने खुद को भारतीय परिवेश की अपराध कथाओं को पश्चिम का अनुसरण कर ढालने की नई परंपरा से बचाए रखा.  इतना ही नही इस सीरीज की दूसरी खास बात इसकी लोकेशन है. सुरम्य मानाली यानी कि हिमाचल की गहराई और घुमावदार पहाड़ियों का खूबसूरती से कहानी में उपयोग किया गया है.

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अभिनयः

पहले सीजन की भंाति इस सीजन में भी पापाजी के किरदार में  हर्ष छाया अपनी पूरी लय में हैं. रिंकू के किरदार में सूर्य शर्मा ने नायक और खलनायक दोनों ही रूप में बौलीवुड के फिल्मकारों का ध्यान अपनी तरफ खींचा है.  विशाल व्यक्तित्व और मौत का तांडव विखेरने वाले रिंकू के किरदार में सूर्य शर्मा एकदम फिट नजर आते हैं.

परिवार के अंदर दरकिनार किए जाने के बाद अपराध जगत में जोड़ तोड़ की मास्टर माइंड बन  जाने वाली तेजी के किरदार में आंचल सिंह ने कमाल का अभिनय किया है. इस सीरीज से पहले वह एक सीरियल कर चुकी हैं,मगर ‘अनदेखी सीजन दो’ से आंचल सिंह ने साबित कर दिखाया कि उनके अंदर एक सफल अभिनेत्री बनने की प्रतिभा है. दमन के किरदार में अंकुर राठी को बड़ा मौका मिला,मगर वह कमजोर नजर आते हैं. उन्हे अपने अंदर की प्रतिभा को उजागर करने का अवसर नही मिला. लकी के किरदार में वरूण भाट और मुस्कान के किरदार में शिवांगी सिंह अपनी छाप छोड़ती हैं.

अभय के किरदार में मेयांग चांग अपनी छाप छोड़ जाते हैं,जबकि उनके किरदार को ठीक से लिखा नही गया. समर्थ के किरदार में नंदीश संधू का अभिनय शानदार है.

REVIEW: जानें कैसी है Ajay Devgn की Web Series ‘रूद्राः द एज आफ डार्कनेस’

रेटिंगः तीन स्टार

निर्माताः समीर नायर

निर्देशकः राजेश मापुस्कर

कलाकारः अजय देवगन, ईशा देओल तख्तानी, राशी खन्ना, अश्विनी कलसेकर, अतुल कुलकर्णी, अशीश विद्यार्थी, मिलिंद गुणाजी

अवधिः साढ़े चार घंटेः 45 मिनट के छह एपीसोड

ओटीटी प्लेटफार्मः हॉटस्टार डिज्नी

इदरीस एल्बा की रोमांचक  व सायकोलॉजिकल ब्रिटिश वेब सीरीज ‘‘लूथर’’ का हिंदी रीमेक वेब सीरीज ‘‘ रूद्राः द डार्क एज’’ लेकर फिल्मकार राजेश मापुस्कर आए हैं, जो कि डिज्नी हॉट स्टार पर 4 मार्च से स्ट्रीम हो रही है.  मगर अफसोस की बात है कि राजेश मपुस्कर नकल करने में भी सफल नही हो पाए. जबकि मुंबई की पृष्ठभूमि की आपराधिक कहानियों को रोमांचक तरीके से पेश करते हुए पूरा माहौल न्यूयार्क जैसा रचने के अलावा दिग्गज व प्रतिभाशाली कलाकारों को इसमें भर रखा है. इतना ही नही ‘रूद्राः द डार्क एज’  जैसी वेब सीरीज को जिस तरह से फिल्माया गया है, उसे देखते हुए यह टीवी, मोबाइल या लैपटॉप पर देखना सुखद अनुभव नही दे सकता. इसे तो सिनेमाघर में ही देखना उचित होगा. हमने इस सीरीज के तीन एपीसोड सिनेमाघर मे ही देखे हैं.

कहानीः

पहले एपीसोड की कहानी शुरू होती है मुंबई के क्राइम स्पेशल स्क्वॉड के डीसीपी रुद्रवीर सिंह उर्फ रूद्रा (अजय देवगन ) द्वारा एक संदिग्ध का पीछा करने से. पर उस अपराधी से सच कबुलवाने के बाद वह उसे बचाता नही है, बल्कि उसे उंची इमारत से नीचे गिरने देता है, जो कि बाद में अस्पताल में कोमा में चला जाता है. पर डीसीपी रूद्रा की बॉस दीपाली हांडा (अश्विनी कलसेकर) उन्हें सस्पेंड होने से बचा लेती है. इसके बाद वह सायकोलॉजिस्ट और ख्ुाद को सबसे बड़ी जीनियस समझने वाली आलिया चैकसी (राशी खन्ना ) के माता पिता की हत्या की जांच शुरू करते हंै, जहां वह मनोविज्ञान का सहारा लेकर बता देते हंै कि आलिया ने ही अपने माता पिता की हत्या की है, पर सबूत नहीं मिलते. लेकिन यहां से रूद्रा की जिंदगी में आलिया का समावेश हो जाता है. उधर रूद्रा का वैवाहिक जीवन संकट के दौर से गुजर रहा है. रूद्रा की पत्नी शैला(ईशा देओल तख्तानी ) अब अपने प्रेमी राजीव के साथ रह रही है. वहीं रूद्रा की बॉस बार बार उन्हे चेतावनी देती रहती है. जबकि उनका साथी गौतम(अतुल कुलकर्णी) भी मदद करता रहता है. इस तरह मुंबई शहर में होने वाले अपराधों और रुद्र की व्यक्तिगत लड़ाइयों के आसपास की आशंकाओं के साथ हर एपीसोड की कहानी चलती रहती है.

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लेखन व निर्देशनः

इस वेब सीरीज की सबसे बड़ी कमजोर कड़ी इसके निर्देशक राजेश मपुसकर हैं. वह इसे पूरी संजीदगी व गहराई के साथ नहीं बना पाए. निर्देशक राजेश मापुसकर ने इसे फिल्माते समय अपना सारा ध्यान आस पास के माहौल को बनाने पर ज्यादा दिया. मंुबई में ही फिल्मायी गयी इस वेब सीरीज को देखकर अहसास होता है, जैसे कि हम अमरीका के न्यूयार्क शहर में पहुच गए हों. पुलिस के खास जांच कार्यालय, अपराधी से पूछताछ के कक्ष आदि की बनावट, साफ सफाई व तकनीक आदि को देखकर यह अहसास नही होता कि यह भारत में होगा. इसके अलावा हर एपीसोड काफी धीमी गति से चलता है. कहानी को बेवजह खींचा गया है. हर एपीसोड 45 से 48 मिनट का है, जिसे महज तीस मिनट के अंदर खत्म किया जा सकता था. दूसरी बात यह सीरीज पूरी तरह से मानव सायकोलॉजी पर आधारित है. जिसमें इंसान के हाव भाव,  बौडी लैंगवेज आदि से सच का पता लगाया जाता है. मसलन- पहले एपीसोड में आलिया चैकसी से पूछ ताछ करते समय तेज तर्रार व अतिबुद्धिमान आलिया से रूद्रा सच कबूल नही करवा पाता. तब वह उबासी लेता है. मतलब ऐसी हरकत करता है कि उसे नींद आ रही है. मनोविज्ञान के अनुसार जब एक इंसान उबासी लेता है, तो सामने वाले इंसान को भी उबासी आनी चाहिए. पर आलिया को उबासी नही आती, जिससे रूद्रा आश्वस्त हो जाता है कि उसी ने अपने माता पिता की हत्या की है. अब इस बात को वही इंसान समझ सकता है, जिसे मानवीय मनोविज्ञान की समझ हो. इस वजह से भी यह वेब सीरीज आम लोगों के सिर के ेउपर से जाने वाली है. इतना ही नही इसकी मेकिंग जिस तरह की है, उसे देखते हुए इसे मोबाइल या लैपटॉप पर देखकर लुत्फ नही उठाया जा सकता. यह तो सिर्फ बड़े स्क्रीन पर देखे जाने योग्य है. जी हॉ!इसमें भव्यता है. कैमरा वर्क अच्छा है. मगर कमजोर लेखन, निर्देशकीय कमजोरी और एडिटिंग में कसावट का अभाव इसे बिगाड़ने का काम करता है.  सीरीज में काफी खून-खराबा दिखाया गया है.  एक कहानी तो ऐसे पेंटर की है,  जो महिलाओं का अपहरण करके उनका खून पीता है,  उनके खून से कैनवास पर तस्वीर बनाता है. यानीकि विभत्सता का भी चित्रण है. इस वेब सीरीज में मनोरंजन का ग्राफ एक समान नहीं है.  वह तेजी से ऊपर-नीचे होता है.

यॅूं तो किसी भी पुलिस अफसर की निजी जिंदगी और उसके द्वारा अपराध की छानबीन का मिश्रण लोगों को काफी पसंद आता है. मगर यहां निर्देशक इसे सही अंदाज में नही पेश कर पाए. दूसरी बात पिछले कुछ समय से हर वेब सीरीज या फिल्म में पुलिस अफसर के तबाह वैवाहिक जीवन की कहानी को ठूंसा जाता जा रहा है. इसे देखने पर कई बार  अहसास होता है कि रुद्रा के किरदार को ठीक से विकसित नहीं किया गया. पूरी वेब सीरीज जुमलों वाले संवाद व फार्मूलों पर ही चलती है. पूरी वेब सीरीज में रोमांच का अभाव है.

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अभिनयः

रूद्रा जैसे समर्पित पुलिस अफसर, जो अपराधी को पकड़ने व न्याय के लिए कानून को अपने हाथ में लेने में यकीन विश्वास करता है,  के किरदार में अजय देवगन ने काफी सध हुआ अभिनय किया है. कई दृश्यों में उनकी बौडी लैंगवेज मनेाविज्ञान के अनुरूप है. मगर उनकी ईमेज एक एक्शन स्टार की है, जबकि इस वेब सीरीज में एक्शन न के बराबर है. फिर भी लड़खड़ाती वेब सीरीज को कई जगह अजय देवगन का अभिनय  संभालता है. मगर ओटीटी पर अजय देवगन कुछ भी नया करते हुए नजर नही आते. आलिया चैकसी के किरदार में राशी खन्ना अपने अभिनय से जरुर कुछ उम्मीदें जगाती हैं. शैला के किरदार में ईशा देओल तख्तानी  निराश करती हैं. इस वेब सीरीज से उनके जुड़ने की बात समझ से परे हैं. अश्विनी कलसेकर, अतुल कुलकर्णी,  अशीश विद्यार्थी, मिलिंद गुणाजी ठीक ठाक हैं.

Nepotism से लेकर मजेदार किस्सों के बारे में क्या बताते हैं 60s और 70s के सुपरस्टार विश्वजीत चटर्जी, पढ़ें इंटरव्यू

कोविड ने आज सबकी लाइफस्टाइल बदल दी है, कोविड की वजह से किसी का किसी के साथ मिलना, मौज-मस्ती करना, फेस्टिवल का आनंद लेना सब बदल चुका है, आज भी लोग जरुरत के बिना घर से बाहर निकलना पसंद नहीं करते. आसपास के माहौल में काफी डर है. अभी भी कोरोना के मरीज हर कोविड अस्पतालों में है.खुलकर जीने की जो आदत लोगों की विश्व में थी, उसे फिर से वापस पाने में शायद कुछ साल और बीत जायेगे, लेकिन इस कोविड ने फिल्म इंडस्ट्री के वयस्कों के मानसिक और शारीरिक क्षमता को कमजोर किया है, फलस्वरूप इरफ़ान खान, ऋषि कपूर, सौमित्र चटर्जी, दिलीपकुमार, लतामंगेशकर, संध्या मुखर्जी और बप्पी लहड़ी जैसे कई प्रसिद्ध लोग पिछले दो सालों में गुजर चुके है, ऐसे में किसी के भी जीवन गारंटी आज नहीं है, जितना समय मिलता है, उसे अच्छी तरह से बिता लेना ही अच्छा होता है,ऐसा कहते है 60 और 70 के सुपरस्टार, अभिनेता, प्रोड्यूसर, सिंगर विश्वजीत चटर्जी. उनके हिसाब से बचना और जिन्दा रहना ये दो अलग बाते है, जो किसी के हाथ में नहीं है. इसका प्रभाव आज कोविड की वजह से हर किसी के जीवन पर है. हालाँकि वैक्सीन से कुछ राहत मिली है, पर विश्वजीत का परिवार सभी निर्देशों को पालन कर भी कोविड की दूसरी लहर के शिकार हुए और बहुत मुश्किल से ठीक हुए. उनकी पत्नी ईरा चटर्जी बहुत खुश मिजाज स्वभाव की है और विश्वजीत चटर्जीअपने लम्बे जीवन में उनका सौ प्रतिशत हाथ मानते है. मध्यप्रदेश की ईरा चटर्जी को गृहशोभा बहुत पसंद है. विश्वजीत ने खास गृहशोभा के लिए बात की और उन नौस्टाल्जिक पहलूओं को याद किया, आइये जानते है, क्या कहा उन्होंने.

हुई फिल्म इंडस्ट्री की क्षति

बिश्वजीत इस महामारी की वजह से फिल्म इंडस्ट्री पर हुए प्रभाव से दुखी है और कहते है कि इस बीमारी पर अभी तक सही रिसर्च नहीं हो पाया है, इसलिए आगे कुछ भी कह पाना संभव नहीं है.इसे जैविक हथियार के रूप में प्रयोग करने और विश्व को नाश करने के उद्देश्य से ही तैयार किया गया है. इसलिए इसका इलाज भी उनके पास है, जिन्होंने इसका निर्माण किया है.कोविड की वजह से आज पूरा विश्व एक अलग तरह से जी रहा है. मेरा विश्वास है कि इस समय सभी को साहस के साथ रहना है, ताकि सभी मानसिक और शारीरिक रूप से मजबूत रहे, क्योंकि मन से शरीर का सम्बन्ध होता है और मानसिक रूप से कमजोर व्यक्ति शारीरिक रूप से भी कमजोर हो जाता है. डर को अपने पास से हटायें, ताकि आप किसी भी परिस्थिति से उबरने में सक्षम हो.

काम में रही पारदर्शिता

इन दिनों विश्वजीत ऑटोबायोग्राफी लिख रहे है और उन्हें संगीत से लगाव हमेशा रहा है,कोलकाता में उनके बांग्ला गीत आज भी बजते है. वे विवेकानंद के विचार से बहुत प्रभावित है. विश्वजीतअपने जमाने के सुपर स्टार माने जाते रहे और आज भी उनके नाम के आगे कोई सुपर स्टार लगाना नहीं भूलता, लेकिन 60 और 70 के दशक में कलाकारों के काम में पारदर्शिता और काम करने का पैटर्न के बारें में पूछने पर वे हँसते हुए कहते है कि मैंने उस दौर में काम किया जब हिंदी फिल्म इंडस्ट्री, जिसे आज बॉलीवुड भी कहते है,वह ‘गोल्डन पीरियड ऑफ़ फिल्म’ कहा जाता था. ये केवल कहने के लिए नहीं, असल में भी गोल्डन ही था, क्योंकि तब कोशिश ये होती थी कि कलाकार का अभिनय इतनी अच्छी हो कि लोग सालों तक उन्हें याद रखें और यही जुनून मुझमे भी था. पैसे के बारें में तब कोई सोचते नहीं थे या कुछ अच्छा पैसा मिलने पर एक फिल्म छोड़कर दूसरी फिल्म में काम करने लगे,ऐसा भी नहीं था. अच्छा काम और समय से काम करना मुख्य था. उस समय निर्देशक भी वैसे ही हुआ करते थे, जो बड़ी लगन से एक फिल्म को बनाते थे. आज सब कुछ बदल गया है, अब काम के  तरीके भी वैसे नहीं है, इसलिए अगर मुझे काम मिले, तो भी करना मुश्किल होगा, क्योंकि आज इंडस्ट्री में भाई-भतीजावाद, खेमेबाजी आदि कई चीजे घुस चुकी है, जो मेरे समय में ट्रांसपेरेंट था.

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दौर भाई-भतीजावाद की

विश्वजीत कहते है किसी का किसी से कोई झगडा या मनमुटाव नहीं था. एक कलाकार दूसरे कलाकार को अपना दोस्त मानते थे और दोस्ती कर अच्छा समय सेट पर बिताते थे. किसी का किसी से इर्ष्या नहीं होती थी, दो एक्टर एक ही ग्रीन रूम में बैठकर मेकअप करवाते थे. दिलीपकुमार, राजकपूर, देवानंद आदि सभी में एक दूसरे के प्रति प्यार था. ये सभी नए कलाकरों को गाइडेंस देते थे. बलराज साहनी, पृत्वीराजकपूर, अशोक कुमार आदि सभी ने मुझे एक्टिंग सिखाया है. ये मेरे बड़े भाई की तरह थे. मेरा नाम कैसे हो, इसके लिए बड़े एक्टर्स कोशिश करते थे, जबकि आज ऐसा नहीं है, एक बड़े स्टार को कैसे नीचे गिराना है, उसके बारें में आज के कलाकार सोचते है. मेरा दौर अब फिर से लौटकर नहीं आ सकता. इसके अलावा एक व्यक्ति जो उभर कर आगे आ रहा है, उसकी जिंदगी भी खत्म कर देते है. इस इंडस्ट्री से मुझे दुःख होता है.

हावी स्टार पॉवर

दुखी स्वर में विश्वजीत कहते है कि आज फिल्मकार फिल्म अपने हिसाब से नहीं बना सकते, स्टार पॉवर आज अधिक चलता है. मेरे समय में कोस्टार का चुनाव भी निर्देशक करते थे, जिसमें कभी आशा पारेख, माला सिन्हा या वहीदा रहमान होती थी.  डायरेक्टर , कैप्टेन ऑफ़ द शिप होते थे, उन्हें फिल्म कैसे बनानी है, उनका ही विजन होता था. आज तो हीरों डिक्टेट करते है, उनके हिसाब से ऐक्ट्रेस चुनी जाती है. यहाँ तक की कई बार एक्टर ही प्ले बैक सिंगर तय करते है. मैं तो इंडस्ट्री की हर बात को देख रहा हूँ, कि फिल्म इंडस्ट्री का हाल कैसा हो रहा है. ये हाल तबसे शुरू हुई है जब से कॉर्पोरेट हाउस इसमें घुसी है. इंडस्ट्री का हाल बुरा हो रहा है, वे व्यवसाई दिमाग से है, क्रिएटिविटी का उनपर कोई असर नहीं, वे ही एक्टर और एक्ट्रेस का निर्णय लेते है, ताकि उन्हें अच्छा पैसा मिल जाए, यही वजह है कि आज बड़े-बड़े अच्छे निर्देशक, कैमरामैन, कलाकार, सिंगर्स आदि सब घर पर बैठे है.

है कॉर्पोरेट का जमाना

विश्वजीत मानते है कि अभी कॉर्पोरेट का ही बोलबाला है और वे अपनी शर्तों पर फिल्में बनाते है. प्रोडक्शन का एक स्पॉट बॉय अगर किसी कॉर्पोरेट में जाकर किसी बड़े हीरो को लाने की बात कहता है, तो तुरंत कॉर्पोरेट हाउस उसे निर्देशक बना देता है, क्योंकि वह उस स्टार का चमचा है. जबकि उसे फिल्म मेकिंग की जानकारी नहीं है. फिल्म भी वैसी ही बनती है, स्टार के नाम से कॉर्पोरेट वाले पैसे कमा लेते है, लेकिन फिल्म दर्शकों के मन पर छाप नहीं डाल पाती. फिल्म के गाने तब तक हिट रहते है, जबतक फिल्म थिएटर में रहती है.मेरे समय के गाने आज भी लोग सुनते है, यूथ को भी वही गाने पसंद है. मेरे कई गानों को रिमिक्स भी किया गया है.

भावना परिवारवाद की

विश्वजीत आगे कहते है कि मैं जब फिल्मों में काम करता था, तब पूरी यूनिट एक परिवार की तरह हुआ करता था. मैं किसी भी एक्ट्रेस से बहुत जल्दी फ्रेंडली हुआ करता था, क्योंकि फ्रेंडली होने से क्रिएटिव काम अच्छा होता था. आज भी मेरी उन एक्ट्रेसेस के साथ अच्छे व्यवहार है. देश और विदेश में मेरे किसी भी शो में आशा पारेख और वहीदा रहमान जाती है.

आसान नहीं था मुंबई आना

कोलकाता से मुंबई आने की वजह के बारें में पूछने परविश्वजीतकहते है कि कोलकाता में मैं अमेचर थिएटर में कभी – कभी एक्टिंग कर लिया करता था. इससे पहले स्कूल में भी एक्टिंग किया है. इसके अलावा मेरी माँ की लेडिस क्लब में माँ ने चित्रांगदा, नटी विनोदिनी आदि कई डांस ड्रामा किया था और वह मुझे वहां ले जाती थी, वही से मुझे अभिनय की प्रेरणा जगी, लेकिन 13 साल की उम्र में मैंने माँ को खो दिया. मेरे पिता आर्मी के डॉक्टर थे,लेकिन बहुत कंजरवेटिव स्वभाव के थे. उन्हें एक्टिंग और गाना कुछ भी पसंद नहीं था. लेकिन मैंने अपनी पढाई पूरी कर थिएटर ज्वाइन किया, वहां धीरे-धीरे मैं जूनियर आर्टिस्ट से बड़ा एक्टर बन गया.कई बांग्ला फिल्म में मुझे हीरो की भूमिका मिली और सभी फिल्में हिट हुई, जिसमें माया मृग, दुई भाई आदि कई फिल्में थी. फिल्मों में काम करते हुए भी मैंने स्टेज का काम नहीं छोड़ा, मैं एक बांग्ला नाटक ‘साहब बीबी और गुलाम’ में हीरो की भूमिका कर रहा था. शो फुल हाउस चल रहा था,तब सिंगर हेमंत मुखर्जी ने मुझे स्टेज छोड़कर उनके साथ मुंबई आने को कहा , क्योंकि वह फिल्म ‘’20 साल बाद’बनाने वाले है. मैं उनके साथ मुंबई आया और बीस साल बाद फिल्म में एक्टिंग की, फिल्म सुपर हिट रही. इसके बाद मुझे सस्पेंस वाली फिल्में ही मिलने लगी जैसे कोहरा, बिन बादल बरसात, ये रात फिर न आएगी, जाल आदि सभी फिल्मों में सस्पेंस ही रहा, लेकिन मैंने अपना स्टाइल बदला और मेरे सनम , अप्रैल फूल, फेसबुक आदि मनोरंजक फिल्में की, इसके बाद कुछ घरेलू फिल्में आसरा, पैसा या प्यार, नई रौशनी, दो कलियाँ जैसे हर तरह की फिल्मों में अभिनय किये है.

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कुछ नौस्टाल्जिक बातें

दिलीप कुमार के साथ मैंने ‘फिर कब मिलोगी’ फिल्म में काम किया जिसके निर्देशक ऋषिकेश मुखर्जी थे. बहुत अच्छा अनुभव रहा. उन्हें मैं युसूफ भाई कहता था, वे बहुत ही अच्छे और सधे हुए कलाकार थे. वे हमारे बीच नहीं है, पर उन्हें मैं अमर मानता हूँ. मैं इंडस्ट्री में अशोक कुमार और दिलीप कुमार बनने की इच्छा से ही आया था. मैंने हर तरह के निर्देशकों के साथ अच्छा काम किया है, जैसे ऋषिकेश मुखर्जी, किशोर कुमार, मनमोहन देसाई, अनिल गांगुली ये सभी बहुत ही अच्छे निर्देशक रहे और उनके साथ काम करने में मजा भी खूब आया.

कुछ मजेदार बातें

  • विश्वजीत हँसते हुए कहते है कि अभिनेता महमूद, पंचम यानि राहुलदेव बर्मन और मैं बहुत अच्छे दोस्त हुआ करते थे, उस समय में हीरो बन गया था. पंचम को ‘भूत’ फिल्म में लिया गया. महमूद हमेशा सबको खूब हंसाते थे. महमूद बांग्ला फिल्म ‘पाशेर बाड़ी’ का राईट लेकर आया और पड़ोसन फिल्म हिंदी में बनाई, लेकिन इसमें किशोर कुमार की भूमिका केवल वे ही कर सकते है, कोई दूसरा उसमें काम नहीं कर सकता, ऐसा सोचकर वे उनके पीछे पड़गए, फिल्म के लिए सुनील दत्त और शायरा बानू दोनों ने साईन कर दिया था पर किशोर कुमार उन्हें समय नहीं दे रहे थे. महमूद बहुत परेशान था और रोज मेरे सामने आकर रोता था, आखिर किशोर कुमार ने साईन की, फिल्म बनी और जबरदस्त हिट भी रही.
  • एक बार कश्मीर में दो से तीन यूनिट गए थे उसमें शशि कपूर और माला सिन्हा ‘जब जब फूल खिले’ फिल्म के लिए, मैं और आशा पारेख फिल्म ‘मेरे सनम ‘ के लिए शूट कर रहे थे, रात को मिलकर सभी गपशप करते थे, एक दिन एक कॉल आया कि मुझसे कोई मिलना चाहता है, मैं गया और बुर्का डाले एक लेडी आशापारेख के साथ बैठी थी,आशा पारेख ने मेरा परिचय करवाया, मैं सोफे पर बैठा था, वह महिला भी सोफे पर बैठ गयी, लेकिन वह महिला धीरे-धीरे खिसक कर मेरे पास आने लगी, मैं थोडा एलर्ट हो गया कि ये लेडी मेरे पास क्यों आ रही है? फिर वह मेरे गोद में बैठ गयी, मैं कूदकर गिरते हुए खड़ा हुआ और देखा कि वह शशि कपूर है. असल में आशा पारेख और शशि कपूर ने मिलकर मुझे बुद्धू बनाने का प्लान बनाया था.

बिछड़े कई लेजेंड्री

विश्वजीत ने तक़रीबन हर एक्ट्रेस के साथ काम किया है. उनका कहना है कि एक एक्टर हूँ इसलिए राजा हो या रंक किसी भी भूमिका से परहेज नहीं किया. मेरी एक बेटी राइमा चटर्जी है, वह डांसर और एक एक्ट्रेस है.कोरोना के कम होने की वजह से फिल्में अच्छी तरह से अब रिलीज हो रही है, कितने आर्टिस्ट आज नहीं है. सब ठीक होने के बाद भी बहुत सारे लोग गुजर चुके है और ये इंडस्ट्री के लिए गहरा धक्का है. पहले मेरी मैच्युरिटी नहीं थी और उस समय के काम को आज देखने पर लगता है कि मैं इसे और अधिक अच्छा कर सकता था. बांग्ला अभिनेता उत्तम कुमार काफी प्रसिद्ध इंसान थे, 4 से 5 फिल्में मैंने उनके साथ की है. वे हमेशा चुपरहकर अपना काम करते थे. हिंदी फिल्मों में अभी शाहरुख़ खान, नसीरुद्दीन शाह बहुत अच्छा काम करते है. सौमित्र चटर्जी जो बांग्ला फिल्म इंडस्ट्री के एक महान कलाकार थे. मैं जब आकाशवाणी में प्ले करता था. तब वे एनाउंस किया करते थे, इससे मेरी दोस्ती उनसे हो गयी थी. उन्हें भारत रत्न निर्माता निर्देशक सत्यजीत रॉय ने फिल्म ‘अपूर संसार’के लिए साइन किया. बांग्ला फिल्म मोनिहार में मैंने उनके साथ काम किया. फिल्म प्लेटिनम जुबली हुई थी. सौमित्र कभी भी हिंदी फिल्मों में नहीं आना चाहते थे. वे सत्यजीत रॉय के फेवोरिट एक्टर थे. उनके गुजरने से बांग्ला फिल्म इंडस्ट्री को बहुत आघात पहुंचा है, क्योंकि उन्होंने अंतिम दिनों तक काम किया है.

अंत में विश्वजीत चटर्जी का यूथ से कहना है कि जीवन में आये किसी भी चीज से खुश होना सीखे, क्योंकि सबको मौका अवश्य मिलता है. केवल धैर्य ही उन्हें मंजिल तक पहुंचा सकती है.

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Anushka Sharma की तरह Kajal Aggarwal ने किया प्रैग्नेंसी वर्कआउट, वीडियो वायरल

साउथ इंडियन और बौलीवुड एक्ट्रेस काजल अग्रवाल (Kajal Aggarwal) इन दिनों अपनी प्रैग्नेंसी के चलते सुर्खियों में हैं. जहां बीते दिनों उनकी गोदभराई की फोटोज वायरल हुई थीं तो वहीं अब उनकी हैवी वर्कआउट (Kajal Aggarwal Pregnancy Workout)करते हुए वीडियो सोशलमीडिया पर छा गई हैं. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर….

एक्सरसाइज करती दिखीं काजल

हाल ही में एक्ट्रेस काजल अग्रवाल (Kajal Aggarwal) ने अपनी प्रेग्नेंसी के दूसरे ट्राइमेस्टर में हैवी वर्कआउट वाली मुश्किल एक्सरसाइज की एक वीडियो शेयर की हैं, जिसमें उन्होंने प्रैग्नेंसी एक्सरसाइज को करने की सलाह के साथ-साथ सावधानी रखने के लिए कहा है. कैप्शन में एक्ट्रेस ने इस एक्सरसाइज की पूरी जानकारी शेयर की है. वहीं काजल की ये एक्सरसाइज देखकर फैंस उनकी तारीफ करते नजर आ रहे हैं और उन्हें अपना ख्याल रखने के लिए कहते नजर आ रहे हैं.

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वजन के चलते हो चुकी हैं ट्रोल

बीते दिनों एक्ट्रेस काजल अग्रवाल (Kajal Aggarwal) अपनी प्रैग्नेंसी में बढ़ते वजन के कारण ट्रोल हो चुकी हैं. हालांकि एक्ट्रेस ने सोशलमीडिया पर अपने एक पोस्ट के जरिए प्रैग्नेंसी के इस सफर की तारीफ की थी. वहीं ट्रोलर्स को करारा जवाब भी दिया था. इसके साथ ही वह फैंस के साथ अपनी गोदभराई की फोटोज भी शेयर करते हुए नजर आईं थीं, जिसमें एक्ट्रेस के चेहरे का ग्लो साथ नजर आ रहा था. फैंस ने काजल के गोदभराई फोटोज पर जमकर प्यार लुटाया था.

 

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बता दें, एक्ट्रेस काजल अग्रवाल (Kajal Aggarwal) के अलावा अनुष्का शर्मा (Anushka Sharma) भी अपना प्रैग्नेंसी वर्कआउट पति विराट कोहली (Virat Kohli) के साथ शेयर कर चुकी हैं. हालांकि उन्हें सोशलमीडिया पर इसी कारण ट्रोलिंग का सामना करना पड़ा था. लेकिन कपल ने ट्रोलर्स को करारा जवाब दिया था.

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