‘‘रितु तुम्हारा घरगृहस्थी में मन नहीं लगता है. आज तो कुछ ढंग का लंच बना देती.’’
‘‘सुबह से ही तो काम पर लगी हूं और क्या चाहते हो मुझ से?’’
‘‘3 समय का भोजन समय से मिल जाए और क्या चाहूंगा.’’
‘‘यह क्या है?’’ रितु ने अपनी प्लेट पटकते हुए कहा.
‘‘हफ्ते भर का मेनू बना कर रसोई में टांग लो, तुम्हें भी बनाने में सुविधा रहेगी और मुझे भी खिचड़ी से छुटकारा मिल जाएगा,’’ आदित्य ने गुस्से से कहा.
‘‘किसी महराजिन को रख लो, फिर सुबहशाम मनपसंद खाते रहना,’’ रितु ने भी उसी अंदाज में जवाब दिया.
‘‘यहां कुक की पगार पता है? फिर तुम से शादी करने का क्या फायदा? तुम्हें सजाधजा कर ड्राइंगरूम की शोभा बढ़ाने तो नहीं लाया हूं,’’ आदित्य ऊंचे स्वर में बोला.
‘‘ऐसे कह रहे हो जैसे मैं दिनभर महारानी की तरह राज करती हूं. कामवाली भी आधे दिन छुट्टी कर जाती है. घर की साफसफाई से ले कर खाना बनाने तक की सारी जिम्मेदारी मेरी ही तो है. तुम से शादी करने का मुझे क्या फायदा मिला? नौकरानी बन कर रह गई हूं.’’
‘‘कौन सी नौकरानी 10-15 हजार की ड्रैस पहनती है? अभी शादी में लिए कपड़े पहने भी नहीं गए हैं… तुम ने इतनी महंगी शौपिंग कर डाली.’’
‘‘ओह तो सारी आग उन कपड़ों को ले कर है. मुझे मौडलिंग के 2-3 औफर मिल गए हैं. तुम्हारे रुपए लौटा दूंगी. मुझे पता होता कि तुम इतने कंजूस हो तो कभी शादी नहीं करती,’’ रितु तमक कर बोली.
‘‘कुछ पता भी है कैसे खर्च किया जाता है. इस फ्लैट की किश्त, गाड़ी की किश्त देने के बाद जो बचता है. उसी में सेविंग भी करनी होती है. यह नहीं कि कार्ड घिसा और बिना सोचेसमझे और्डर कर दिया.’’
‘‘कौन से लाखों रुपए खर्च कर दिए. मुझे जैसे ही मौडलिंग करने से पैसे मिलेंगे तुम्हारी पाईपाई चुका दूंगी,’’ रितु भड़क चुकी थी.
‘‘ज्यादा हवा में न रहो. इतनी फ्रौड कंपनियां भरी हैं नैट में, तुम से कपड़ेगहनों पर खर्चा भी करवाएंगी. तुम्हीं से शूटिंग का पैसा भी लेंगी, फिर गायब हो जाएंगी.’’
‘‘तुम तो यही कहोगे.’’
‘‘हां यही सच है. मेरा कार्ड वापस कर दो. आइंदा इस घर में मुझ से पूछे बिना कुछ नहीं आएगा. मौडलिंग के सपने देखना बंद करो. दिमाग खराब कर के रख दिया है.’’
अगले ही पल रितु ने डैबिट कार्ड उस के सामने पटक दिया.
रात के खाने में भी दोनों के बीच सन्नाटा पसरा रहा. दोनों ही करवट बदलने में लगे हुए थे. आदित्य ने हाथ बढ़ा कर रितु के कंधे पर रख कर समझौता करना चाहा. रितु ने गुस्से से हाथ झटक दिया और ड्राइंगरूम के सोफे पर जा कर पसर गई.
दोनों के बीच अबोला हफ्तेभर चलता रहा. शनिवार की शाम आदित्य शराब की
बोतल खोल कर बैठ गया. उस ने 2 पैग ही लिए थे कि रितु ने बोतल बिना कुछ कहे, हटा कर अलमारी में संभाल दी. आदित्य फिर बोतल निकाल लाया. आदित्य को तीसरा पैग बनाते देख कर वह बोतल पर बाज की तरह झपट कर पलटी कि उस का पैर कालीन में उलझ गया और बोतल हाथ से छूट कर गिरी और फूट कर बिखर गई. रितु का सिर टेबल का किनारा लगने से चोटिल हो उठा. रितु अपनी बेइज्जती महसूस कर फूटफूट कर रोने लगी. तभी दरवाजे की घंटी बज उठी. आदित्य ने रितु को उस के हाल पर छोड़ दिया और दरवाजे की ओर बढ़ गया.
दरवाजे पर रितु का बड़ा भाई ऋ षभ उन दोनों को सरप्राइज देने का मन बना कर मिलने चला आया था. आदित्य उसे देख कर हड़बड़ा गया. ऋ षभ को गरमजोशी से स्वागत की उम्मीद थी मगर उसे घर के माहौल में गड़बड़ लगी.
रितु के माथे की चोट, टूटी बोतल देख ऋषभ के मन में शंका हुई. उस ने परोक्ष रूप से कुछ नहीं कहा, मगर उस के विश्वास को ठेस पहुंच गई थी. ऋ षभ ने दोनों की पसंद पूछ कर डिनर और्डर कर दिया.
भोजन करते समय उस ने रितु से कहा, ‘‘लगता है तुम्हें एक ब्रेक की जरूरत है. मैं तो बौएज हौस्टल में रहता हूं. तुम्हें अपने साथ नहीं रख सकता. तुम कहो तो अगले वीकैंड में तुम्हें कानपुर पहुंचा दूंगा. वहां रह कर ठंडे दिमाग से सोचना. तुम दोनों कुछ दिन एकदूसरे से दूर ही रहो तो बेहतर है. आगे साथ रहना है कि नहीं इस विषय में तुम दोनों को सोचने का समय मिल जाएगा,’’ ऋ षभ ने समझदारी के साथ खरीखरी सुना दी.
आदित्य यह सुन कर चौंक उठा. इस विषय की गहराई पर उस ने ध्यान ही नहीं दिया था. यदि दोनों भाईबहन मिल कर उस पर घरेलू हिंसा का आरोप लगा दें तो वह कोर्टकचहरी के चक्कर ही काटता रह जाएगा. उस के मित्र के साथ ऐसा ही हुआ जब मामूली धक्कामुक्की होने पर पत्नी ने पुलिस बुला ली और पुलिस ने उस के मित्र को
4 डंडे लगा कर ही छोड़ा. आदित्य का शादी को ले कर बनाया गया स्वप्नमहल भरभरा कर गिर गया.
यही रितु के दिमाग में भी चल रहा था कि मौडलिंग के चक्कर में वह अपनी गृहस्थी को बिखेर रही है. प्रत्यक्ष में ऋ षभ से इतना ही बोली, ‘‘मैं तुम्हें कल शाम तक बता दूंगी कि कानपुर कब चलना हैं.’’
रात बिस्तर पर लेटते ही रितु की आंखों के आगे अपनी शादी की तैयारी से
ले कर आज तक का दिन फिल्म की तरह घूम गया. उसे अपनी गलतियां साफ नजर आने लगीं. मगर उस का दंभ इसे स्वीकार नहीं करना चाह रहा था. उधर आदित्य सोच रहा था कि वह अपनी व्यस्तता के बीच रितु के मन की थाह लेना ही भूल गया. यदि वह उस के साथ खुल कर हर विषय पर चर्चा करता तो रितु उस से छिप कर, मौडलिंग के लिए उलटेसीधे हाथपैर नहीं मारती. आज भी अगर वह अपनी बात कहने से चूक गया तो उस की गृहस्थी उजड़ते देर नहीं लगेगी.
‘‘रितु क्या तुम सचमुच कानपुर लौट जाओगी?’’ आदित्य ने बात की शुरुआत करने के लिए पूछा.
‘‘हां क्या फायदा यहां आ कर जब मुझे मौडलिंग करने का मौका ही नहीं मिला. तुम भी पिताजी की तरह तानाशाही दिखाने लगे हो,’’ रितु ने अपनी भड़ास निकाली.
आदित्य ने उठ कर बैडरूम की लाईट जला दी और रितु की ओर देखा. रितु की आंखें रोने के कारण लाल हो रही थीं. उस ने रितु का हाथ पकड़ा और उसे सहलाते हुए बोला, ‘‘रितु, अगर तुम आत्मनिर्भर बनना चाहती हो तो इस में कोई बुरी बात नहीं है. मगर कौन सी कंपनी फ्रौड है कौन सी नहीं, यह तो मैं भी नहीं जानता. अखबार में इन से जुड़ी खबरे तो पढ़ी ही होंगी. तुम्हारी इतनी अच्छी पर्सनैलिटी है तुम चाहो तो प्रोफैशनल कोर्स में दाखिला ले लो. फिर तुम्हें आगे बढ़ने के कई अवसर मिल जाएंगे. मैं भी चाहता हूं कि तुम तरक्की करो मगर सही तरीके से. शौर्टकट के चक्कर में कहीं भटक कर न रह जाओ.’’
रितु आदित्य की बात सुन कर शर्मिंदा हो उठी और बोली, ‘‘सौरी आदित्य मैं ने तुम से कई सारी बातें छिपाईं. तुम ठीक कहते हो मैं प्रोफैशनल कोर्स करने को तैयार हूं. मुझे खाना बनाना नहीं आता, मगर नैट से सीख कर कुछ न कुछ नया बनाती तो हूं.’’
‘‘ठीक है रितु, गलती मेरी भी है मुझे तुम्हारी इच्छाओं का भी सम्मान भी करना चाहिए था. मैं तो बस शादी के बाद अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए उतावला हो गया,’’ आदित्य ने कहा.
‘‘नहीं गलती मेरी है. मुझे घर में रह कर भी इतनी अव्यवस्था नहीं फैलानी चाहिए कि समय से भोजन भी न मिल सके.’’
‘‘कोई बात नहीं रितु, जैसे ही मेरा इंसैंटिव बढ़ेगा मैं एक फुल टाइम मेड रख लूंगा,’’ आदित्य ने दिलासा दिया.
‘‘नहीं आदित्य जब तुम मेरे विषय में इतना सोचते हो तो मेरा भी कर्तव्य है कि हम अपने भविष्य के लिए बचत करें. मैं तुम्हें अब निराश नहीं करूंगी,’’ रितु ने कहा.
‘‘यह हुई न रोल मौडल वाली बात. तुम अपने बच्चों के लिए रोल मौडल बनो, मैं तो बस यही चाहता हूं,’’ कह आदित्य ने रितु को अपनी बांहों के घेरे में कसते हुए चुंबन जड़ दिया.
रितु ने कसमसा कर अपना हाथ टेबललैंप की तरफ बढ़ा कर स्विच औफ कर दिया. सपनों के महल से निकल कर वे वर्तमान की इमारत में हाथों में हाथ थामे बढ़ चले.
ये भी पढ़ें- Mother’s Day Special- उसका निर्णय: मां के फैसले की क्या वजह थी