अपने देवर से परेशान हो गई हूं, मैं क्या करुं?

सवाल

मैं 23 साल की हूं. शादी को 2 साल हुए हैं. मैंने 6 महीने पहले अपने देवर के साथ कई बार हमबिस्तरी की, पर अब नहीं करना चाहती. अब देवर जबरदस्ती करता है. मैं उसे कैसे रोकूं?

जवाब

आप ने अपनी मरजी से भूखे को लजीज खाने का चसका लगा दिया और अब उस के आगे से प्लेट हटा रही हैं. ऐसे में वह झपट्टा मारेगा ही. अब बेहतर यही है कि उसे ऐसा मौका ही न दें कि वह खींचातानी कर सके. उस से अकेले में कतई न मिलें. यकीनन वह खुद चोर है, इसलिए किसी से नहीं कहेगा.

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जिस्म की भूख क्या न करा दे

‘यार, हौट लड़कियां देखते ही मुझे कुछ होने लगता है.’

मेरे पतिदवे थे. फोन पर शायद अपने किसी दोस्त से बातें कर रहे थे. जैसे ही उन्होंने फोन रखा, मैं ने अपनी नाराजगी जताई, ‘‘अब आप शादीशुदा हैं. कुछ तो शर्म कीजए.’’

‘‘यार, यह तो मर्द के ‘जिंस’ में होता है. तुम इस को कैसे बदल दोगी? फिर मैं तो केवल खूबसूरती की तारीफ ही करता हूं. पर डार्लिंग, प्यार तो मैं तुम्हीं से करता हूं,’’ यह कहते हुए उन्होंने मुझे चूम लिया और मैं कमजोर पड़ गई.

एक महीना पहले ही हमारी शादी हुई थी, लेकिन लड़कियों के मामले में इन की ऐसी बातें मुझे बिलकुल अच्छी नहीं लगती थीं. पर ये थे कि ऐसी बातों से बाज ही नहीं आते. हर खूबसूरत लड़की के प्रति ये खिंच जाते हैं. इन की आंखों में जैसे वासना की भूख जाग जाती है.

यहां तक कि हर रोज सुबह के अखबार में छपी हीरोइनों की रंगीन, अधनंगी तसवीरों पर ये अपनी भूखी निगाहें टिका लेते और शुरू हो जाते, ‘क्या ‘हौट फिगर’ है?’, ‘क्या ‘ऐसैट्स’ हैं?’ यार, आजकल लड़कियां ऐसे बदनउघाड़ू कपड़े पहनती हैं, इतना ज्यादा ऐक्सपोज करती हैं कि आदमी बेकाबू हो जाए.’

कभी ये कहते, ‘मुझे तो हरी मिर्च जैसी लड़कियां पसंद हैं. काटो तो मुंह ‘सीसी’ करने लगे.’ कभीकभी ये बोलते, ‘जिस लड़की में सैक्स अपील नहीं, वह ‘बहनजी’ टाइप है. मुझे तो नमकीन लड़कियां पसंद हैं…’

राह चलती लड़कियां देख कर ये कहते, ‘क्या मस्त चीज है.’

कभी किसी लड़की को ‘पटाखा’ कहते, तो कभी किसी को फुलझड़ी. आंखों ही आंखों में लड़कियों को नापतेतोलते रहते. इन की इन्हीं हरकतों की वजह से मैं कई बार गुस्से से भर कर इन्हें झिड़क देती.

मैं यहां तक कह देती, ‘सुधर जाओ, नहीं तो तलाक दे दूंगी.’

इस पर इन का एक ही जवाब होता, ‘डार्लिंग, मैं तो मजाक कर रहा था. तुम भी कितना शक करती हो. थोड़ी तो मुझे खुली हवा में सांस लेने दो, नहीं तो दम घुट जाएगा मेरा.’

एक बार हम कार से डिफैंस कौलोनी के फ्लाईओवर के पास से गुजर रहे थे. वहां एक खूबसूरत लड़की को देख पतिदेव शुरू हो गए, ‘‘दिल्ली की सड़कों पर, जगहजगह मेरे मजार हैं. क्योंकि मैं जहां खूबसूरत लड़कियां देखता हूं, वहीं मर जाता हूं.’’

मेरी तनी भौंहें देखे बिना ही इन्होंने आगे कहा, ‘‘कई साल पहले भी मैं जब यहां से गुजर रहा था, तो एक कमाल की लड़की देखी थी. यह जगह इसीलिए आज तक याद है.’’

मैं ने नाराजगी जताई, तो ये कार का गियर बदल कर मुझ से प्यारमुहब्बत का इजहार करने लगे और मेरा गुस्सा एक बार फिर कमजोर पड़ गया.

लेकिन, हर लड़की पर फिदा हो जाने की इन की आदत से मुझे कोफ्त होने लगी थी. पर हद तो तब पार होने लगी, जब एक बार मैं ने इन्हें हमारी जवान पड़ोसन से फ्लर्ट करते देख लिया. जब मैं ने इन्हें डांटा, तो इन्होंने फिर वही मानमनौव्वल और प्यारमुहब्बत का इजहार कर के मुझे मनाना चाहा, पर मेरा मन इन के प्रति रोजाना खट्टा होता जा रहा था.

धीरेधीरे हालात मेरे लिए सहन नहीं हो रहे थे. हालांकि हमारी शादी को अभी डेढ़दो महीने ही हुए थे, लेकिन पिछले 10-15 दिनों से इन्होंने मेरी देह को छुआ भी नहीं था. पर मेरी शादीशुदा सहेलियां बतातीं कि शादी के शुरू के महीने तक तो मियांबीवी तकरीबन हर रोज ही… मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि आखिर बात क्या थी. इन की अनदेखी मेरा दिल तोड़ रही थी. मैं तिलमिलाती रहती थी.

एक बार आधी रात में मेरी नींद टूट गई, तो इन्हें देख कर मुझे धक्का लगा. ये आईपैड पर पौर्न साइट्स खोल कर बैठे थे और…

‘‘जब मैं यहां मौजूद हूं, तो तुम यह सब क्यों कर रहे हो? क्या मुझ में कोई कमी है? क्या मैं ने तुम्हें कभी ‘न’ कहा है?’’ मैं ने दुखी हो कर पूछा.

‘‘सौरी डार्लिंग, ऐसी बात नहीं है. क्या है कि मैं तुम्हें नींद में डिस्टर्ब नहीं करना चाहता था. एक टैलीविजन प्रोग्राम देख कर बेकाबू हो गया, तो भीतर से इच्छा होने लगी.’’

‘‘अगर मैं भी तुम्हारी तरह इंटरनैट पर पौर्न साइट्स देख कर यह सब करूं, तो तुम्हें कैसा लगेगा?’’

‘‘अरे यार, तुम तो छोटी सी बात का बतंगड़ बना रही हो,’’ ये बोले.

‘‘लेकिन, क्या यह बात इतनी छोटी सी थी?’’

कभीकभी मैं आईने के सामने खड़ी हो कर अपनी देह को हर कोण से देखती. आखिर क्या कमी थी मुझ में कि ये इधरउधर मुंह मारते फिरते थे?

क्या मैं खूबसूरत नहीं थी? मैं अपने सोने से बदन को देखती. अपने हर कटाव और उभार को निहारती. ये तीखे नैननक्श. यह छरहरी काया. ये उठे हुए उभार. केले के नए पत्ते सी यह चिकनी पीठ. डांसरों जैसी यह पतली काया. भंवर जैसी नाभि. इन सब के बावजूद मेरी यह जिंदगी किसी सूखे फव्वारे सी क्यों होती जा रही थी.

एक रविवार को मैं घर का सामान खरीदने बाजार गई. तबीयत कुछ ठीक नहीं लग रही थी, इसलिए मैं जरा जल्दी घर लौट आई. घर का बाहरी दरवाजा खुला हुआ था. ड्राइंगरूम में घुसी तो सन्न रह गई. इन्होंने मेरी एक सहेली को अपनी गोद में बैठाया हुआ था.

मुझे देखते ही ये घबरा कर ‘सौरीसौरी’ करने लगे. मेरी आंखें गुस्से और बेइज्जती के आंसुओं से जलने लगीं.

मैं चीखना चाहती थी, चिल्लाना चाहती थी. पति नाम के इस प्राणी का मुंह नोच लेना चाहती थी. इसे थप्पड़ मारना चाहती थी. मैं कड़कती बिजली बन कर इस पर गिर जाना चाहती थी. मैं गहराता समुद्र बन कर इसे डुबो देना चाहती थी. मैं धधकती आग बन कर इसे जला देना चाहती थी. मैं हिचकियां लेले कर रोना चाहती थी. मैं पति नाम के इस जीव से बदला लेना चाहती थी.

मुझे याद आया, अमेरिका के राष्ट्रपति रह चुके बिल क्लिंटन भी अपनी पत्नी हिलेरी क्लिंटन को धोखा दे कर मोनिका लेविंस्की के साथ मौजमस्ती करते रहे थे, गुलछर्रे उड़ाते रहे थे. क्या सभी मर्द एकजैसे बेवफा होते हैं? क्या पत्नियां छले जाने के लिए ही बनी हैं. मैं सोचती.

रील से निकल आया उलझा धागा बन गई थी मेरी जिंदगी. पति की ओछी हरकतों ने मेरे मन को छलनी कर दिया था. हालांकि इन्होंने इस घटना के लिए माफी भी मांगी थी, फिर मेरे भीतर सब्र का बांध टूट चुका था. मैं इन से बदला लेना चाहती थी और ऐसे समय में राज मेरी जिंदगी में आया.

राज पड़ोस में किराएदार था. 6 फुट का गोराचिट्टा नौजवान. जब वह अपनी बांहें मोड़ता था, तो उस के बाजू में मछलियां बनती थीं. नहा कर जब मैं छत पर बाल सुखाने जाती, तो वह मुझे ऐसी निगाहों से ताकता कि मेरे भीतर गुदगुदी होने लगती.

धीरेधीरे हमारी बातचीत होने लगी. बातों ही बातों में पता चला कि राज प्रोफैशनल फोटोग्राफर था.

‘‘आप का चेहरा बड़ा फोटोजैनिक है. मौडलिंग क्यों नहीं करती हैं आप?’’ राज मुझे देख कर मुसकराता हुआ कहता.

शुरूशुरू में तो मुझे यह सब अटपटा लगता था, लेकिन देखते ही देखते मैं ने खुद को इस नदी की धारा में बह जाने दिया.

पति जब दफ्तर चले जाते, तो मैं राज के साथ उस के स्टूडियो चली जाती. वहां राज ने मेरा पोर्टफोलियो भी बनाया. उस ने बताया कि अच्छी मौडलिंग असाइनमैंट्स लेने के लिए अच्छा पोर्टफोलियो जरूरी था. लेकिन मेरी दिलचस्पी शायद कहीं और ही थी.

‘‘बहुत अच्छे आते हैं आप के फोटोग्राफ्स,’’ उस ने कहा था और मेरे कानों में यह प्यारा सा फिल्मी गीत बजने लगा था :

‘अभी मुझ में कहीं, बाकी थोड़ी सी है जिंदगी…’

मैं कब राज को चाहने लगी, मुझे पता ही नहीं चला. मुझ में उस की बांहों में सो जाने की इच्छा जाग गई. जब मैं उस के करीब होती, तो उस की देहगंध मुझे मदहोश करने लगती. मेरा मन बेकाबू होने लगता. मेरे भीतर हसरतें मचलने लगी थीं. ऐसी हालत में जब उस ने मुझे न्यूड मौडलिंग का औफर दिया, तो मैं ने बिना झिझके हां कह दिया.

उस दिन मैं नहाधो कर तैयार हुई. मैं ने खुशबूदार इत्र लगाया. फेसियल, मैनिक्योर, पैडिक्योर, ब्लीचिंग वगैरह मैं एक दिन पहले ही एक अच्छे ब्यूटीपार्लर से करवा चुकी थी. मैं ने अपने सब से सुंदर पर्ल ईयररिंग्स और डायमंड नैकलैस पहना. कलाई में महंगी घड़ी पहनी और सजधज कर मैं राज के स्टूडियो पहुंच गई.

उस दिन राज बला का हैंडसम लग रहा था. गुलाबी कमीज और काली पैंट में वह मानो कहर ढा रहा था.

‘‘हे, यू आर लुकिंग ग्रेट,’’ मेरा हाथ अपने हाथों में ले कर वह बोला. यह सुन कर मेरे भीतर मानो सैकड़ों सूरजमुखी खिल उठे.

फोटो सैशन अच्छा रहा. राज के सामने टौपलेस होने में मुझे कोई संकोच नहीं हुआ. मेरी देह को वह एक कलाकार सा निहार रहा था.

किंतु मुझे तो कुछ और की ही चाहत थी. फोटो सैशन खत्म होते ही मैं उस की ओर ऐसी खिंची चली गई, जैसे लोहा चुंबक से चिपकता है. मेरा दिल तेजी से धड़क रहा था. मैं ने उस का हाथ पकड़ लिया.

‘‘नहीं नेहा, यह ठीक नहीं. मैं ने तुम्हें कभी उस निगाह से देखा ही नहीं. हमारा रिलेशन प्रोफैशनल है,’’ राज का एकएक शब्द मेरे तनमन पर चाबुकसा पड़ा.

‘…पर मुझे लगा, तुम भी मुझे चाहते हो…’ मैं बुदबुदाई.

‘‘नेहा, मुझे गलत मत समझो. तुम बहुत खूबसूरत हो. पर तुम्हारा मन भी उतना ही खूबसूरत है, लेकिन मेरे लिए तुम केवल एक खूबसूरत मौडल हो. मैं किसी और रिश्ते के लिए तैयार नहीं और फिर पहले से ही मेरी एक गर्लफ्रैंड है, जिस से मैं जल्दी ही शादी करने वाला हूं,’’ राज कह रहा था.

तो क्या वह सिर्फ एकतरफा खिंचाव था या पति से बदला लेने की इच्छा का नतीजा था?

कपड़े पहन कर मैं चलने लगी, तो राज ने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे रोक लिया. उस ने स्टूडियो में रखे गुलदान में से एक पीला गुलाब निकाल लिया था. वह पीला गुलाब मेरे बालों में लगाते हुए बोला, ‘‘नेहा, पीला गुलाब दोस्ती का प्रतीक होता है. हम अच्छे दोस्त बन कर रह सकते हैं.’’

राज की यह बात सुन कर मैं सिहर उठी थी. वह पीला गुलाब बालों में लगाए मैं वापस लौट आई अपनी पुरानी दुनिया में…

उस रात कई महीनों के बाद जब पतिदेव ने मुझे प्यार से चूमा और सुधरने का वादा किया, तो मैं पिघल कर उन के आगोश में समा गई.

खिड़की के बाहर रात का आकाश न जाने कैसेकैसे रंग बदल रहा था. ठंडी हवा के झोंके खिड़की में से भीतर कमरे में आ रहे थे. मेरी पूरी देह एक मीठे जोश से भरने लगी.पतिदेव प्यार से मेरा अंगअंग चूम रहे थे. मैं जैसे बहती हुई पहाड़ी नदी बन गई थी. एक मीठी गुदगुदी मुझ में सुख भर रही थी. फिर… केवल खुमारी थी. और उन की छाती के बालों में उंगलियां फेरते हुए मैं कह रही थी, ‘‘मुझे कभी धोखा मत देना.’’

कमरे के कोने में एक मकड़ी अपना टूटा हुआ जाला फिर से बुन रही थी. इस घटना को बीते कई साल हो गए हैं. इस घटना के कुछ महीने बाद राज भी पड़ोस के किराए का मकान छोड़ कर कहीं और चला गया. मैं राज से उस दिन के बाद फिर कभी नहीं मिली. लेकिन अब भी मैं जब कहीं पीला गुलाब देखती हूं, तो सिहर उठती हूं. एक बार हिम्मत कर के पीला गुलाब अपने जूड़े में लगाना चाहा था, तो मेरे हाथ बुरी तरह कांपने लगे थे

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ऐसे संभालें मैरिड लाइफ

आजकल पढ़ीलिखी लड़कियां शादी के 2-3 साल बाद ही तलाक लेने के लिए मजबूर हो जाती हैं. आखिर क्यों तलाक की नौबत आती है, आइए जानते हैं:

तलाक के कारण

  1. पतिपत्नी को एकदूसरे का व्यवहार पसंद न आना.
  2. दोनों में से किसी एक के घर वालों की दखलंदाजी तथा उन के ऊपर उन का अत्यधिक प्रभाव.
  3. दोनों या किसी एक को छोटीछोटी बातों पर भी गुस्सा आना.
  4. अहं का टकराव.
  5. अच्छे संस्कारों की कमी.
  6. रिश्तों को दिमाग से तोलना.
  7. लड़के का सपनों का सौदागर न निकलना.
  8. कई बार लड़की या लड़का एकदूसरे का चेहरा या बाहरी दिखावा देख कर आकर्षित हो जाते हैं, परंतु शादी होते ही एकदूसरे का वास्तविक व्यवहार सामने आने पर लड़ाईझगड़ा शुरू हो जाता है.
  9. कुछ लड़कियां शादी के बाद तलाक को कमाई का जरीया भी बना लेती हैं.
  10. आजकल के लड़केलड़कियां प्रेम किसी और से करते हैं पर घर वालों के डर से शादी किसी और से कर लेते हैं.

तलाक के नुकसान

  1. पहली शादी में जैसा पति या पत्नी मिलती है दूसरी शादी में वैसा ही पति या पत्नी मिले यह जरूरी नहीं. कोई न कोई समझौता करना ही पड़ता है.
  2. चूंकि पहला रिश्ता बहुत सोचसमझ कर किया जाता है, इसलिए समाज में थोड़ी मानप्रतिष्ठा बढ़ जाती है. लोग भी बधाई देते समय कहते हैं कि बहुत अच्छा रिश्ता मिला. ऐसा दूसरी बार नहीं मिल पाता.
  3. दूसरी बार जो साथी होगा, हो सकता है वह पहले जितना पढ़ालिखा या अमीर न हो. दूसरी शादी में जो लड़की या लड़का होता है वह ज्यादातर उम्मीद से कम ही होता है.
  4. रिश्ता टूटने पर बहुत दुख भी होता है और यह बात वही जानता है जिस का रिश्ता टूटता है.
  5. जब तक दूसरी शादी नहीं हो जाती तब तक लड़की तथा उस के अभिभावकों को असुरक्षा की भावना घेरे रहती है.

तलाक समाधान नहीं

  1. मांबाप समाज में लोगों से नजरें नहीं मिला पाते.
  2. फिर दूसरी शादी करने पर इस बात की क्या गारंटी है कि वह सही चलेगी. दूसरी शादी करने पर लड़का या लड़की न चाहते हुए भी हर बात सहते हैं, क्योंकि उन्हें डर रहता है कि कुछ कहा तो कहीं यह शादी भी न टूट जाए.
  3. पहले पति या पत्नी की याद हमेशा दुख देती है.
  4. किसी भी तलाकशुदा लड़की को मांबाप ज्यादा समय तक घर में नहीं रखते. उस की जल्दी से जल्दी दूसरी शादी करवाना चाहते हैं. कई बार लड़की खुद भी मांबाप के घर में खुद को उन पर बोझ समझने लगती है.
  5. तलाकशुदा होने पर लड़की समाज में अकेला रहने पर असुरक्षित भी महसूस करती है.

समाधान

अगर तलाक के इतने नुकसान हैं तो फिर जहां तक हो सके रिश्ते को संभालने की कोशिश करनी चाहिए. अगर कोई पति मारपीट करता है, शक करता है या फिर साइकिक है, तो उस का कोई हल नहीं. उस के लिए आप एनजीओ की मदद लें या पुलिस की. तलाक लेना जायज है, परंतु आजकल ज्यादातर तलाक अहं के टकराव की वजह से हो रहे हैं.

  1. शादी से पहले लड़कालड़की को एकदूसरे से अकेले में मिलने दें. उन्हें एकदूसरे को समझने का पर्याप्त समय मिलना चाहिए.
  2. अभिभावकों को अपने बच्चे की कमजोरियां पता होती हैं जैसे गुस्सा आना या कोई और कमी होना आदि. ऐसे में उन्हें अपने बच्चों से पूछते रहना चाहिए कि तुम्हारी इस बात पर तुम्हारी होने वाली पत्नी या पति ने कैसी प्रतिक्रिया व्यक्त की.
  3. रिश्ते को दिमाग से नहीं दिल से जोड़ने की कोशिश करें. हर लड़कालड़की कहीं न कहीं एकदूसरे में अपना प्रेमी या प्रेमिका भी ढूंढ़ रहा होता हैं.
  4. अगर अपने मंगेतर को देख कर आप के दिल की धड़कनें नहीं बढ़तीं या आप को खुशी नहीं मिलती तो आप इस रिश्ते पर दोबारा विचार करें.

अच्छी सोच

अकसर देखा गया है कि लगभग सभी घरों में सासससुर आपस में बहुत अच्छी तरह से रिश्ते निभा रहे होते हैं और आप सोचती हो कि मेरा पति इन के जैसा क्यों नहीं? पहले वे भी आप की तरह लड़ते रहे होंगे, परंतु रिश्ता सींचने में उन्हें समय मिल गया. सोचो एक दिन आप का रिश्ता भी ऐसा ही हो जाएगा.

  1. रिश्ते को समय दें. कुछ सह लें तो कुछ मना लें.
  2. लड़केलड़की में परिपक्वता तथा तजरबे की कमी होती है, क्योंकि आजकल बच्चे ज्यादा समय पढ़ाई को देते हैं. फिर संयुक्त परिवार भी नहीं देखा होता, इसलिए किसी दूसरे के साथ घर में रहने के तौरतरीकों की समझ भी कम ही होती है. ऐसे में अभिभावकों को इन की मदद करनी चाहिए.
  3. समाज की एक दुविधा यह भी है कि लड़की को ही अपने मांबाप का घर छोड़ कर लड़के के घर जाना पड़ता है. इस बात से दुखी होने के बजाय आप इस के फायदे ढूंढें़.

दिल में जगह

  1. अपने रिश्ते तथा घर की हर बात अपने मांबाप या रिश्तेदारों को बताना सही नहीं. वे नहीं जानते कि आप जो बात कर रही हैं, उस में आप का क्या रोल था. उन की सलाह आप को महंगी भी पड़ सकती है.
  2. कुछ ही सालों में आप अपने पति का दिल जीत लेंगी और उसी घर में रानी के समान बन जाएंगी, क्योंकि समय रुकता नहीं है. एक समय ऐसा भी आता है जब सासससुर बुजुर्ग हो रहे होते हैं और आप के बच्चे जवान.
  3. शादी के बाद पति या पत्नी पर शक करना या उस की आजादी पर अंकुश लगाना रिश्ते को एक बंदिश बना देता है.
  4. आप रात को पति के साथ कमरे में अकेली होती ही होंगी. उस समय का सही उपयोग करें. पति के साथ बैठ कर भावनात्मक बातें करें. धीरेधीरे पति के दिल में जगह बनाएं, क्योंकि आप को यह जंग दिल तथा दिमाग से जीतनी है, तलवार से नहीं.

सब कुछ अनुरूप नहीं

  1. हर इंसान को सब कुछ नहीं मिलता. अत: जो अधूरा है उसे पूरा करने की कोशिश करें.
  2. अकेले में आप अपने पति या पत्नी की बुरी आदतों या फिर वे जो आप को पसंद नहीं हैं उन के बारे में उसे अवगत कराएं.
  3. अगर पति मौडर्न या पुराने विचारों का है तो थोड़ा आप भी बदलें, क्योंकि आप को उस घर में ऐडजस्ट होना है.
  4. अगर पति हर बात अपने मांबाप से करता है, तो आप वही बातें करें, जो मांबाप तक पहुंचें तो कोई गलत प्रतिक्रिया न हो.
  5. बातबात पर रिश्ते को तोड़ने की धमकी न दें. घर छोड़ कर न जाएं तथा जल्दी से नाराज न हों. अगर हों भी तो जल्दी मान जाएं.

घर की बात घर में

  1. ज्यादातर लड़की को ही ऐडजस्ट करना पड़ता है, क्योंकि लड़की को अपने घर में, चाहे हजार रुपए लेने में झिझक महसूस होती हो, परंतु शादी होते ही वह लड़के की आधी प्रौपर्टी की हकदार बन जाती है.
  2. अपने लड़ाईझगड़े की किसी तीसरे से शिकायत करने पर आप के रिश्ते की बागडोर अनजान हाथों में चली जाएगी, जैसे गांव की पंचायत, कोई एनजीओ ग्रुप इत्यादि. वे अपनी वाहवाही बटोरने के लिए आप की पत्नी या पति के स्वाभिमान को ठेस भी पहुंचा सकते हैं, जिस से आप के रिश्ते में गांठ पड़ जाएगी.
  3. अगर उसी घर में रहने की इच्छा हो तो किसी को बीच में न लें, क्योंकि डर से हो सकता है ससुराल वाले आप को तंग न करें, परंतु आप से कोई बात भी नहीं करेगा तो आप वहां पर अकेली पड़ जाएंगी.
  4. यह टीवी सीरियल नहीं है जहां कई शादियां होती हैं. यह आप का जीवन है और दूसरी शादी एक समझौता है.
  5. अगर आप अपनी अटैची पकड़ कर बसस्टैंड पर खड़ी हैं और पति का घर छोड़ आई हैं तो आप कोई भी बहाना बना कर वापस चली जाएं. क्या मालूम वे सब बहुत पछताए हों. औरत चूंकि हमेशा ही महानता की मूर्ति रही है, इसलिए इस रिश्ते को आप ज्यादा अच्छी तरह संभाल सकती हैं.

पति के बदले व्यवहार से परेशान हो गई हूं, मैं क्या करुं?

सवाल

मैं 28 साल की विवाहित स्त्री हूं. मेरे पति और मेरी कामेच्छा में जमीन आसमान का अंतर है. मुझे लगता है कि मेरी योनि में पहले की तुलना में काफी ढीलापन आ गया है और मेरा सैक्स के प्रति रुझान घट गया है. लेकिन पति की कामेच्छा पहले की ही तरह बनी हुई है. मैं उन का साथ नहीं दे पाती. इस से उन के व्यवहार में मेरे प्रति रूखापन आता जा रहा है. मुझे क्या करना चाहिए?

जवाब

कामसुख दांपत्य जीवन की महत्त्वपूर्ण कड़ी है. इस से दांपत्य में अबाध प्रेम, भावात्मक बंधन, सुख, संतोष और आस्था के स्वर गहरे होते हैं, परस्पर आकर्षण बना रहता है और प्रेम गाढ़ा होता है.

प्रत्येक विवाहित स्त्री के लिए यह जानना जरूरी है कि पति के लिए कामसुख प्रेम की तीव्रतम अभिव्यक्ति है. पति के अंतर्मन में पत्नी की अस्वीकृति शूल सी चुभ जाती है. उस का मन क्षोभ और पीड़ा से भर उठता है, जिस के फलस्वरूप वैवाहिक जीवन में असंतोष और बिखराव की रेखाएं सघन होने लगती हैं, दांपत्य संबंधों में ठंडापन आ जाता है और कलह सिर उठाने लगती है.

आप के लिए उचित यही होगा कि आप अपने पति की भावनाओं का आदर करें. यदि किसी कारण कभी मन संबंध बनाने का न हो, तब भी अपने मधुर व्यवहार से पति के मन को संभालें, उन्हें टीस न लगने दें.

योनि में आए ढीलेपन को मिटाने के लिए आप श्रोणि पेशियों का व्यायाम करें. यह व्यायाम आप दिन के किसी भी पहर कर सकती हैं. इसे आप लेटे हुए, बैठे हुए या खड़े किसी भी मुद्रा में कर सकती हैं. करने की विधि बिलकुल आसान है. बस, श्रोणि पेशियों को इस प्रकार सिकोड़ें और भींच कर रखें मानो मूत्रत्याग की क्रिया पर रोक लगाने की जरूरत है.

10 की गिनती तक श्रोणि पेशियों को भींचे रखें और फिर उन्हें ढीला छोड़ दें. अगले 10 सैकंड तक श्रोणि पेशियों को आराम दें. इस के लिए 10 तक गिनती गिनें. यह व्यायाम पहले दिन 12 बार दोहराएं. फिर धीरेधीरे बढ़ाते हुए सुबहशाम 24-24 बार इसे करने का नियम बना लें. 2-3 महीनों के भीतर ही आप योनि की पेशियों को फिर से कसा हुआ पाएंगी. नतीजतन आप पतिपत्नी के बीच यौनसुख भी दोगुना हो जाएगा.

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शादी को लेकर परिवार को कैसे मनाएं?

सवाल

मैं 21 वर्षीय युवती हूं. 2 वर्ष पहले मेरे पिता मेरे लिए एक विवाह प्रस्ताव लाए थे. लड़का पढ़ा लिखा और काफी योग्य था, पर परले दर्जे का घमंडी था. मैं ने उस के लिए मना कर दिया. फिर मेरे चाचा ने एक लड़का तलाशा. लड़का हर तरह से ठीक था. अकसर हमारे यहां आता जाता था.

मैं उस से प्यार करने लगी. इसी बीच हम से गलती हो गई. हम ने संबंध बना लिया और मैं गर्भवती हो गई. घर में कोई बताने वाला नहीं था. क्या करें, क्या न करें सोचते सोचते 3 महीने बीत गए. हमें कुछ समझ नहीं आया, तो हम घर से भाग गए.

वहीं मैं ने एक बेटे को जन्म दिया. खबर मिलने पर पिता आ कर बच्चे का नामकरण वगैरह कर के हमें घर ले आए. अब वे बात बात पर मुझे और मेरे पति को खरीखोटी सुनाते रहते हैं. हम माफी भी मांग चुके हैं. बताएं क्या करें?

जवाब

माता पिता अपने बच्चों का हमेशा भला चाहते हैं. इसीलिए आप के द्वारा 2 बार गलती पहली विवाहपूर्व गर्भधारण करना और दूसरी घर से भाग जाने की करने पर भी वे आप को आप के बच्चे सहित घर ले आए. हमेशा सामने देख कर पिता यदि गुस्से में कभी कड़वी बात कह देते हैं, तो आप को उसे अन्यथा नहीं लेना चाहिए.

यदि आप से सहन नहीं होता, तो आप को पति के साथ रहने की कहीं और व्यवस्था कर लेनी चाहिए. दूर होने से मन की कड़वाहट कम हो जाती है और संबंधों में मधुरता लौट आती है.

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प्यार का चसका

शहर के कालेज में पढ़ने वाला अमित छुट्टियों में अपने गांव आया, तो उस की मां बोली, ‘‘मेरी सहेली चंदा आई थी. वह और उस की बेटी रंभा तुझे बहुत याद कर रही थीं. वह कह गई है कि तू जब गांव आए तो उन से मिलने उन के गांव आ जाए, क्योंकि रंभा अब तेरे साथ रह कर अपनी पढ़ाई करेगी.’’

यह सुन कर दूसरे दिन ही अमित अपनी मां की सहेली चंदा से मिलने उन के गांव चला गया था.

जब अमित वहां पहुंचा, तो चंदा और उन के घर के सभी लोग खेतों पर गए हुए थे. घर पर रंभा अकेली थी. अमित को देख कर वह बहुत खुश हुई थी.

रंभा बेहद खूबसूरत थी. उस ने जब शहर में रह कर अपनी पढ़ाई करने की बात कही, तो अमित उस से बोला, ‘‘तुम मेरे साथ रह कर शहर में पढ़ाई करोगी, तो वहां पर तुम्हें शहरी लड़कियों जैसे कपड़े पहनने होंगे. वहां पर यह चुन्नीवुन्नी का फैशन नहीं है,’’ कह कर अमित ने उस की चुन्नी हटाई, तो उस के हाथ रंभा के सुडौल उभारों से टकरा गए. उस की छुअन से अमित के बदन में बिजली के करंट जैसा झटका लगा था.

ऐसा ही झटका रंभा ने भी महसूस किया था. वह हैरान हो कर उस की ओर देखने लगी, तो अमित उस से बोला, ‘‘यह लंबीचौड़ी सलवार भी नहीं चलेगी. वहां पर तुम्हें शहर की लड़की की तरह रहना होगा. उन की तरह लड़कों से दोस्ती करनी होगी. उन के साथ वह सबकुछ करना होगा, जो तुम गांव की लड़कियां शादी के बाद अपने पतियों के साथ करती हो,’’ कह कर वह उस की ओर देखने लगा, तो वह शरमाते हुए बोली, ‘‘यह सब पाप होता है.’’

‘‘अगर तुम इस पापपुण्य के चक्कर में फंस कर यह सब नहीं कर सकोगी, तो अपने इस गांव में ही चौकाचूल्हे के कामों को करते हुए अपनी जिंदगी बिता दोगी,’’ कह कर वह उस की ओर देखते हुए बोला, ‘‘तुम खूबसूरत हो. शहर में पढ़ाई कर के जिंदगी के मजे लेना.’’

इस के बाद अमित उस के नाजुक अंगों को बारबार छूने लगा. उस के हाथों की छुअन से रंभा के तनबदन में बिजली का करंट सा लग रहा था. वह जोश में आने लगी थी.

रंभा के मांबाप खेतों से शाम को ही घर आते थे, इसलिए उन्हें किसी के आने का डर भी नहीं था. यह सोच कर रंभा धीरे से उस से बोली, ‘‘चलो, अंदर पीछे वाले कमरे में चलते हैं.’’ यह सुन कर अमित उसे अपनी बांहों में उठा कर पीछे वाले कमरे में ले गया. कुछ ही देर में उन दोनों ने वह सब कर लिया, जो नहीं करना चाहिए था.

जब उन दोनों का मन भर गया, तो रंभा ने उसे देशी घी का गरमागरम हलवा बना कर खिलाया. हलवा खाने के बाद अमित आराम करने के लिए सोने लगा. उसे सोते हुए देख कर फिर रंभा का दिल उसके साथ सोने के लिए मचल उठा.

वह उस के ऊपर लेट कर उसे चूमने लगी, तो वह उस से बोला, ‘‘तुम्हारा दिल दोबारा मचल उठा है क्या?’’

‘‘तुम ने मुझे प्यार का चसका जो लगा दिया है,’’ रंभा ने अमित के कपड़ों को उतारते हुए कहा. इस बार वे कुछ ही देर में प्यार का खेल खेल कर पस्त हो चुके थे, क्योंकि कई बार के प्यार से वे दोनों इतना थक चुके थे कि उन्हें गहरी नींद आने लगी थी.

शाम को जब रंभा के मांबाप अपने खेतों से घर लौटे, तो अमित को देख कर खुश हुए.

रंभा भी उस की तारीफ करते नहीं थक रही थी. वह अपने मांबाप से बोली, ‘‘अब मैं अमित के साथ रह कर ही शहर में अपनी पढ़ाई पूरी करूंगी.’’

यह सुन कर उस के पिताजी बोले, ‘‘तुम कल ही इस के साथ शहर चली जाओ. वहां पर खूब दिल लगा कर पढ़ाई करो. जब तुम कुछ पढ़लिख जाओगी, तो तुम्हें कोई अच्छी सी नौकरी मिल जाएगी. तुम्हारी जिंदगी बन जाएगी.’’

‘‘फिर किसी अच्छे घर में इस की शादी कर देंगे. आजकल अच्छे घरों के लड़के पढ़ीलिखी बहू चाहते हैं,’’ रंभा की मां ने कहा, तो अमित बोला, ‘‘मैं दिनरात इसे पढ़ा कर इतना ज्यादा होशियार बना दूंगा कि फिर यह अच्छेअच्छे पढ़ेलिखों पर भारी पड़ जाएगी.’’

रंभा की मां ने अमित के लिए खाने को अच्छेअच्छे पकवान बनाए. खाना खाने के बाद बातें करते हुए उन्हें जब रात के 10 बज गए, तब उस के सोने का इंतजाम उन्होंने ऊपर के कमरे में कर दिया.

जब अमित सोने के लिए कमरे में जाने लगा, तो चंदा रंभा से बोली, ‘‘कमरे में 2 पलंग हैं. तुम भी वहीं सो जाना. वहां पर अमित से बातें कर के शहर के रहनसहन और अपनी पढ़ाईलिखाई के बारे में अच्छी तरह पूछ लेना.’’

यह सुन कर रंभा मुसकराते हुए बोली, ‘‘जब से अमित घर पर आया है, तब से मैं उस से खूब जानकारी ले चुकी हूं. पहले मैं एकदम अनाड़ी थी, लेकिन अब मुझे इतना होशियार कर दिया है कि मैं अब सबकुछ जान चुकी हूं कि असली जिंदगी क्या होती है?’’

यह सुन कर चंदा खुशी से मुसकरा उठी. वे दोनों ऊपर वाले कमरे में सोने चले गए थे. कमरे में जाते ही वे दोनों एकदूसरे पर टूट पड़े. शहर में आ कर अमित ने रंभा के लिए नएनए फैशन के कपड़े खरीद दिए, जिन्हें पहन कर वह एकदम फिल्म हीरोइन जैसी फैशनेबल हो गई थी. अमित ने एक कालेज में उस का एडमिशन भी करा दिया था.

जब उन के कालेज खुले, तो अमित ने अपने कई अमीर दोस्तों से उस की दोस्ती करा दी, तो रंभा ने भी अपनी कई सहेलियों से अमित की दोस्ती करा दी. गांव की सीधीसादी रंभा शहर की जिंदगी में ऐसी रम गई थी कि दिन में अपनी पढ़ाई और रात में अमित और उस के दोस्तों के साथ खूब मौजमस्ती करती थी.

जब रंभा शहर से दूसरी लड़कियों की तरह बनसंवर कर अपने गांव जाती, तब सभी लोग उसे देख कर हैरान रह जाते थे. उसे देख कर उस की दूसरी सहेलियां भी अपने मांबाप से उस की तरह शहर में पढ़ने की जिद कर के शहर में ही पढ़ने लगी थीं.

अब अमित उस की गांव की सहेलियों के साथ भी मौजमस्ती करने लगा था. उस ने रंभा की तरह उन को भी प्यार का चसका जो लगा दिया था.

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

प्यार के बारे में ये भी जानना आपके लिए है जरूरी

प्यार खूबसूरत एहसास है, जिसे शब्दों में बयां कर पाना मुश्किल है. लेकिन अकसर देखा जाता है कि युवाओं पर चढ़े प्यार का खुमार शादी होने के बाद तेजी से उतरने लगता है. हाथों में हाथ ले कर प्यार में जीनेमरने के वादे करने वाले जल्द ही मरनेमारने पर उतारू हो जाते हैं. दरअसल, शादी के बाद रिश्ते को कानूनी अधिकार व सामाजिक मान्यता मिलने से नवयुगल की एकदूसरे से चाहत और उम्मीदें भी अधिक बढ़ जाती हैं. अब वे एकदूसरे में अपने मनमुताबिक बदलाव देखना चाहते हैं.

ब्रिटिश रिसर्च एजेंसी जिंजर द्वारा नए शादीशुदा कपल्स पर एक सर्वे किया गया. इस सर्वे में कई रोचक परंतु चौंकाने वाले तथ्य सामने आए.

रिलेशनशिप ऐक्सपर्ट और साइकोलौजिस्ट डोना डावसन कहती हैं, ‘‘इस सर्वे में कई चौंका देने वाली बातें सामने आई हैं, जिन से पता चलता है कि नए कपल्स को एकदूसरे के प्यार की किस कदर जरूरत महसूस होती है. स्त्रियों के मुकाबले पुरुषों में अपने पार्टनर से स्नेह की अधिक चाह होती है. शादी के बाद एक पत्नी की चाहत होती है कि पति शादी से पहले की अपनी तमाम बुरी आदतों को छोड़ दे. बातबात में उस से नाराज न हो और उस की बातों को ध्यान से सुने, उस की तारीफ करे.’’

जबकि पति चाहता है कि पत्नी से वह अधिक प्यार करे. वह यह भी चाहता है कि उस की पत्नी दूसरे की पत्नी से ज्यादा ग्लैमरस दिखे. वह अपनी पत्नी को दूसरी औरतों से ज्यादा स्मार्ट रखना चाहता है. वह चाहता है कि उस की पत्नी थकी न दिखे. शादी होते ही एकदूसरे में बहुत कुछ बदलाव देखना चाहते हैं न्यू कपल. इन बदलावों के न होने पर उन्हें मायूसी हाथ लगती है, जो धीरेधीरे खीज में बदल जाती है.

बदलने की शिकायत

जहां एक तरफ नईनई हुई शादी के बाद पतिपत्नी एकदूसरे में बदलाव देखना चाहते हैं, वहीं दूसरी ओर शादी के बाद कई पतिपत्नी यह भी कहते सुने जाते हैं, ‘तुम पहले तो ऐसे न थे या शादी के बाद तुम बहुत बदल गए हो.’

इस की जड़ में मूलतया यही बात होती है कि शादी के बाद हर वक्त साथ रहने से पतिपत्नी को एकदूसरे के बारे में कई नई बातें पता चलती हैं, जिन्हें वे शादी से पहले नहीं जान पाते. मसलन, पार्टनर का देर तक सोना, देर से नहाना, काम टालना, किसी दूसरे रिश्ते को ज्यादा महत्त्व देना, अपने कमरे व सामान को बेतरतीब रखना इत्यादि, कई लोग शादी के पहले अपने पार्टनर को इंप्रैस करने के चक्कर में वे काम भी करने लगते हैं, जो उन की आदत में शामिल नहीं होते. फलतया शादी के बाद वे जब अपने असली रूप में आते हैं तो पार्टनर को लगता है कि वह बदल गया.

पहले तो ऐसे नहीं थे

सुयश की दीवानी विभा को शादी होते ही सुयश की कई नई आदतों का पता चला जो उसे बिलकुल अच्छी नहीं लगीं. शादी के पहले उस ने सुयश को हमेशा टिपटौप देखा था. उसे लगा था कि खुद को इतने अच्छे तरीके से प्रेजैंट करने वाला सुयश घर में भी ऐसे ही साफसफाई और सलीके से रहता होगा. पर वास्तव में सुयश ऐसा नहीं था. सिर्फ विभा को इंप्रैस करने के लिए वह स्मार्ट बन कर रहता था.

सच तो यह था कि सुयश कईकई दिनों तक नहाता भी नहीं था. बाथरूम यूज करने के बाद फ्लश नहीं चलाता था. यहां तक कि अपना वार्डरोब और कमरा भी बेहद गंदा रखता था. उस की आदतें देख विभा के मुंह से अब अकसर यही निकलता कि कितने बदल गए हो तुम. पहले तो ऐसे न थे और इन्हीं बातों पर अकसर उन की हलकी सी कहासुनी एक बड़ी झड़प में बदल जाती.

बदलाव के मूल में परिस्थितियां

हकीकत में शादी के बाद बदलता कुछ भी नहीं है. न ही पतिपत्नी की सोच, न ही उन का व्यवहार या रवैया. हां, यदि इस बीच उन में कोई बदलाव दिखाई देता है तो उस बदलाव के मूल में होती हैं परिस्थितियां. ये बदलाव अनायास हमारी जिंदगी के साथ होते हैं, जो बदलती परिस्थितियों के साथ स्वाभाविक तौर पर हमारे स्वभाव में शामिल होते चले जाते हैं.

पहले जिन्हें सिर्फ अपनी व्यक्तिगत लाइफ से सरोकार था, स्वछंद जिंदगी जीना जिन की आदत में शुमार था, पर चूंकि शादी के बाद दोनों मिल कर एक परिवार बनाते हैं, इस नाते वे कई नई पारिवारिक जिम्मेदारियों से भी जुड़ जाते हैं. कभीकभी समय व उचित प्रबंधन की कमी भी उन्हें अपने पार्टनर की कसौटी पर खरा नहीं उतरने देती, जिस से पार्टनर अपनेआप को उपेक्षित मानने लगता है और शिकायत करने लगता है.

इस वक्त थोड़ी सी समझदारी

जरा सा आपसी तालमेल रिश्तों की इस नई पौध को नवजीवन दे सकता है. आइए, जानें कि कौनकौन सी बातें नवदंपती को जीवनपर्यंत एकदूसरे से जोड़े रख सकती हैं:

कोई भी व्यक्ति सर्वगुणसंपन्न नहीं होता, इसलिए पार्टनर को उस की कमियों के साथ स्वीकार करें. धीरेधीरे उन कमियों को दूर करने की कोशिश की जा सकती है.

अगर अपने पार्टनर में कोई सकारात्मक बदलाव देखना चाहते हैं तो उस के लिए प्यारमनुहार का सहारा लीजिए, क्योंकि क्रोध और जबरदस्ती रिश्तों की जड़ को सुखाने का काम करते हैं.

लाइफ पार्टनर पर भरोसा जताएं, उसे बताएं कि आप उस की फिक्र करते हैं. इस के लिए छोटेछोटे मौकों पर छोटेछोटे गिफ्ट दे कर अपनी भावनाओं को व्यक्त किया जा सकता है, क्योंकि पार्टनर के लिए आप का प्रयास और भावनाएं अधिक महत्त्वपूर्ण हैं बजाय वस्तु की कीमत के.

याद रखें किसी भी बात को छिपाना या झूठ बोलना किसी भी रिश्ते पर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर देता है. अत: अपने से हुई किसी भी गलती को छिपाने के बजाय ईमानदारी से अपने हमराही को बता दें.

रूठनामनाना हर रिश्ते के लिए संजीवनी का काम करता है. इस रिश्ते में भी इस संजीवनी बूटी को उपयोग में लाएं. हमसफर से रूठें परंतु जल्द ही मान भी जाएं और उसे प्यार से मनाएं भी.

शादी होने के बाद यह न सोचें कि आप के प्यार को मंजिल मिल गई. अब आप को उस के लिए कुछ करने की जरूरत नहीं,

बल्कि शादी तो सिर्फ एक पड़ाव है पूरी जीवनयात्रा जीवनसाथी के साथ तय करनी बाकी है. अत: अपने साथी को खुश करने हेतु प्रयास जारी रखें.

एकदूसरे के रिश्तेदारों को ले कर टकराहट का माहौल न बनने दें. अपनेअपने घर वालों को सही साबित करने की फिराक में न लगें.

खुद को दूसरे से बेहतर साबित करने करने वाली किसी होड़ का हिस्सा न बनें, बल्कि जीवनसाथी के मन व भावनाओं का सम्मान करें. सौरी, प्लीज, थैंक्यू जैसे छोटेछोटे शब्द जीवनसाथी के जीवन में आप की गरिमा निश्चित रूप से बढ़ा देते हैं.

छोटीछोटी बातों को नजरअंदाज करना सीखें. पार्टनर पर बेवजह शक कर के उसे शर्मिंदा न करें. याद रखें 2 दिलों के इस पवित्र बंधन में अहं व वहम का कोई स्थान नहीं होना चाहिए.

शादी के बाद हुए बदलावों को हौआ समझ कर बवाल खड़ा न करें, बल्कि हर बदलाव या परिवर्तन को समझें और उसे स्वीकार करें. वक्त व हालात के अनुसार स्वयं को ढालने की कोशिश आप दोनों की जिंदगी को बेहतर मोड़ दे सकती है. एकदूसरे से हुई छोटीमोटी गलतियों को माफ करते चलें, मुसकरा कर.

पति की इस आदत से स्वास्थ्य पर कोई दुष्प्रभाव तो नहीं पड़ेगा?

सवाल

मैं 25 वर्षीय विवाहिता हूं. मेरे पति बहुत ही रोमांटिक हैं. नियमित सहवास करते हैं. कई तरह की रतिक्रीड़ाएं करते हैं. मैं भी उन्हें पूरा सहयोग देती हूं. आजकल उन पर मुखमैथुन का जनून सवार है. मैं जानना चाहती हूं कि इस से हमारे स्वास्थ्य पर कोई दुष्प्रभाव तो नहीं पड़ेगा. कई बार मुखमैथुन करते हुए उन का वीर्य मेरे मुंह में ही स्खलित हो जाता है.

जवाब

मुखमैथुन भी संभोग की एक प्रक्रिया है. यदि इस में आप के पति को आनंद मिलता है, तो इस में कोई हरज नहीं है. जहां तक स्वास्थ्य पर इस के दुष्प्रभाव की बात है, तो यदि यौनांगों की साफ सफाई पर खास ध्यान दिया जाए, तो इस का स्वास्थ्य पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता.

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अनुभा ने कैसे लिया जिस्म का मजा

क्लासरूम से बाहर निकलते ही अनुभा ने अनुभव से कहा, ‘‘अरे अनुभव, कैमिस्ट्री मेरी समझ में नहीं आ रही है. क्या तुम मेरे कमरे पर आ कर मुझे समझा सकते हो?’’

‘‘हां, लेकिन छुट्टी के दिन ही आ पाऊंगा.’’

‘‘ठीक है. तुम मेरा मोबाइल नंबर ले लो और अपना नंबर दे दो. मैं इस रविवार को तुम्हारा इंतजार करूंगी. मेरा कमरा नीलम टौकीज के पास ही है. वहां पहुंच कर मुझे फोन कर देना. मैं तुम्हें ले लूंगी.’’

रविवार को अनुभव अनुभा के घर में पहुंचा. अनुभा ने बताया कि उस के साथ एक लड़की और रहती है. वह कंप्यूटर का कोर्स कर रही है. अभी वह अपने गांव गई है.

अनुभव ने अनुभा से कहा कि वह कैमिस्ट्री की किताब निकाले और जो समझ में न आया है वह पूछ ले. अनुभा ने किताब निकाली और बहुत देर तक दोनों सूत्र हल करते रहे.

अचानक अनुभा उठी औैर बोली, ‘‘मैं चाय बना कर लाती हूं.’’

अनुभव मना करना चाह रहा था लेकिन तब तक वह किचन में पहुंच गई थी. थोड़ी देर में वह एक बडे़ से मग में चाय ले कर आ गई. अनुभव ने मग लेने के लिए हाथ बढ़ाया, तभी मग की चाय उस की शर्टपैंट पर गिर गई.

‘‘सौरी अनुभव, गलती मेरी थी. मैं दूसरी चाय बना कर लाती हूं. तुम्हारी शर्टपैंट दोनों खराब हो गई हैं. ऐसा करो, कुछ देर के लिए तौलिया लपेट लो. मैं इन्हें धो कर लाती हूं. पंखे की हवा में जल्दी सूख जाएंगे. तब मैं प्रैस कर दूंगी.’’

अनुभव न… न… करता रहा, लेकिन अनुभा उस की ओर तौलिया उछाल कर भीतर चली गई.

अनुभव ने शर्टपैंट उतार कर तौलिया लपेट लिया. तब तक अनुभा दूसरे मग में चाय ले कर आ गई थी. वह शर्टपैंट ले कर धोने चली गई. अनुभव ने चाय खत्म की ही थी कि अनुभा कपड़े फैला कर वापस आ गई. उस ने ढीलाढाला गाउन पहन रखा था. अनुभव ने सोचा शायद कपड़े धोने के लिए उस ने ड्रैस बदली हो.

अचानक अनुभा असहज महसूस करने लगी मानो गाउन के भीतर कोई कीड़ा घुस गया हो. अनुभा ने तुरंत अपना गाउन उतार फेंका और उसे उलटपलट कर देखने लगी.

अनुभव ने देखा कि अनुभा गाउन के भीतर ब्रा और पैंटी में थी. वह जोश और संकोच से भर उठा. एकाएक हाथ बढ़ा कर अनुभा ने उस का तौलिया खींच लिया.

अनुभव अंडरवियर में सामने खड़ा था. अनुभा उस से लिपट गई. अनुभव भी अपनेआप को संभाल नहीं सका. दोनों वासना के दलदल में रपट गए.

अगले रविवार को अनुभा ने फोन कर अनुभव को आने का न्योता दिया. अनुभव ने आने में आनाकानी की, पर अनुभा के यह कहने पर कि पिछले रविवार की कहानी वह सब को बता देगी, वह आने को तैयार हो गया. अनुभव के आते ही अनुभा उसे पकड़ कर चूमने लगी और गाउन की चेन खींच कर तकरीबन बिना कपड़ों के बाहर आ गई. अनुभव भी जोश में था. पिछली बार की कहानी एक बार फिर दोहराई गई. जब ज्वार शांत हो गया, अनुभा उसे ले कर गोद में बैठ गई और उस के नाजुक अंगों से खेलने लगी.

अनुभा ने पहले से रखा हुआ दूध का गिलास उसे पीने को दिया. अनुभव ने एक ही घूंट में गिलास खाली कर दिया.अभी वे बातें कर ही रहे थे कि भीतर के कमरे से उस की सहेली रमा निकल कर बाहर आ गई.

रमा को देख कर अनुभव चौंक उठा. अनुभा ने कहा कि घबराने की कोई बात नहीं है. वह उस की सहेली है और उसी के साथ रहती है. रमा दोनों के बीच आ कर बैठ गई. अचानक अनुभा उठ कर भीतर चली गई. रमा ने अनुभव को बांहों में भींच लिया. न चाहते हुए भी अनुभव को रमा के साथ वही सब करना पड़ा. जब अनुभव घर जाने के लिए उठा तो बहुत कमजोरी महसूस कर रहा था. दोनों ने चुंबन ले कर उसे विदा किया.

इस के बाद से अनुभव उन से मिलने में कतराने लगा. उन के फोन आते ही वह काट देता. एक दिन अनुभा ने स्कूल में उसे मोबाइल फोन पर उतारी वीडियो क्लिपिंग दिखाई और कहा कि अगर वह आने से इनकार करेगा तो वह इसे सब को दिखा देगी.

अनुभव डर गया और गाहेबगाहे उन के कमरे पर जाने लगा. एक दिन अनुभव के दोस्त सुरेश ने उस से कहा कि वह थकाथका सा क्यों लगता है? इम्तिहान में भी उसे कम नंबर मिले थे. अनुभव रोने लगा. उस ने सुरेश को सारी बात बता दी.

सुरेश के पिता पुलिस इंस्पैक्टर थे. सुरेश ने अनुभव को अपने पिता से मिलवाया. सारी बात सुनने के बाद वे बोले, ‘‘तुम्हारी उम्र कितनी है?’’

‘‘18 साल.’’

‘‘और उन की?’’

‘‘इसी के लगभग.’’

‘‘क्या तुम उन का मोबाइल फोन उठा कर ला सकते हो?’’

‘‘मुझे फिर वहां जाना होगा?’’

‘‘हां, एक बार.’’

अब की बार जब अनुभा का फोन आया तो अनुभव काफी नानुकर के बाद हूबहू उसी के जैसा मोबाइल ले कर उन के कमरे में पहुंचा. 2 घंटे समय बिताने के बाद जब वह लौटा तो उस के पास अनुभा का मोबाइल फोन था.

मोबाइल क्लिपिंग देख कर इंस्पैक्टर चकित रह गए. यह उन की जिंदगी में अजीब तरह का केस था. उन्होंने अनुभव से एक शिकायत लिखवा कर दोनों लड़कियों को थाने बुला लिया.

पूछताछ के दौरान लड़कियां बिफर गईं और उलटे पुलिस पर चरित्र हनन का इलजाम लगाने लगीं. उन्होंने कहा कि अनुभव सहपाठी के नाते आया जरूर था, पर उस के साथ ऐसीवैसी कोई गंदी हरकत नहीं की गई. अब इंस्पैक्टर ने मोबाइल क्लिपिंग दिखाई. दोनों के सिर शर्म से झुक गए. इंस्पैक्टर ने कहा कि वे उन के मातापिता और प्रिंसिपल को उन की इस हरकत के बारे में बताएंगे.

लड़कियां इंस्पैक्टर के पैर पकड़ कर रोने लगीं. इंस्पैक्टर ने कहा कि इस जुर्म में उन्हें सजा हो सकती है. समाज में बदनामी होगी और स्कूल से निकाली जाएंगी सो अलग. उन के द्वारा बारबार माफी मांगने के बाद इंस्पैक्टर ने अनुभव की शिकायत पर लिखवा लिया कि वे आगे से ऐसी कोई हरकत नहीं करेंगी.

अनुभव ने वह स्कूल छोड़ कर दूसरे स्कूल में दाखिला ले लिया. साथ ही उस ने अपने मोबाइल की सिम बदल दी. इस घटना को 7 साल गुजर गए.

अनुभव पढ़लिख कर कंप्यूटर इंजीनियर बन गया. इसी बीच उस के पिता नहीं रहे. मां की जिद थी कि वह शादी कर ले.अनुभव ने मां से कहा कि वे अपनी पसंद की जिस लड़की को चुनेंगी, वह उसी से शादी कर लेगा.

अनुभव को अपनी कंपनी से बहुत कम छुट्टी मिलती थी. ऐन फेरों के दिन वह घर आ पाया. शादी खूब धूमधाम से हो गई.

सुहागरात के दिन अनुभव ने जैसे ही दुलहन का घूंघट उठाया, वह चौंक पड़ा. पलंग पर लाजवंती सी घुटनों में सिर दबाए अनुभा बैठी थी.

‘‘तुम…?’’ अनुभव ने चौंकते हुए कहा.

‘‘हां, मैं. अपनी गलती का प्रायश्चित्त करने के लिए अब जिंदगीभर के लिए फिर तुम्हारी देहरी पर मैं आ गई हूं. हो सके तो मुझे माफ कर देना,’’ इतना कह कर अनुभा ने अनुभव को गले लगा लिया.

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खुश रहने के ये 19 हैल्दी और मस्त फंडे आप भी जानिए

हर किसी के जीवन में समस्याएं होती हैं. अगर आप उन से उबर गए तो आप की लाइफ हैप्पी वरना टैंशन ही टैंशन. आप को अपनी लाइफ को हैप्पी व हैल्दी बनाने के लिए वजह ढूंढ़नी पड़ेंगी. जिंदगी में खुश रहना चाहते हैं तो आप को यह करना पड़ेगा :

1. अच्छा खाना खाएं : जरूरी नहीं है कि आप ऐसा पौष्टिक व स्वस्थ भोजन करें जो आप को पसंद न हो, लेकिन ऐसा कुछ खाएं जो पौष्टिकता व स्वाद दोनों में अच्छा हो. अपने लिए अच्छा खाना तैयार कर के उस खाने का मजा उठाएं.

2. व्यायाम जरूर करें : दिन में वक्त निकाल कर 10 मिनट तक व्यायाम करें. यह आप के शरीर में कोई बहुत बड़ा बदलाव तो नहीं लाएगा लेकिन इस से आप को बेहतर होने का एहसास होगा. दरअसल, कुछ न करने से कुछ करना बेहतर है. थोड़ाथोड़ा अधिक समय व्यायाम करने में लगाएं तो आप का शरीर उक्त व्यायाम को स्वीकार करने लगेगा. इस से आप खुद को पहले से बेहतर महसूस करेंगे और आप को अच्छी नींद आने लगेगी. अगर आप बहुत अधिक वजन उठाते हैं तो व्यायाम करें. यह कुछ अलग होगा और आप को अच्छा भी महसूस होगा. कुछ अलग करना हमेशा ही अच्छा होता है.

3. थोड़ाथोड़ा कर के खाएं : 5 बार खाने की कोशिश करें. बहुत लोग 5 बार से अधिक खाने की सलाह देते हैं. कई लोग 5 बार खाना नहीं खाते हैं. यह जरूरी नहीं है कि आप कितना खाते हैं लेकिन कोशिश यह करें कि आप बारबार खाएं यानी दिन में 5 बार. पढ़ने की क्रिया : जब हम किसी परेशानी या तनाव में होते हैं, तो उस में खुद को खो देना आसान होता है. इस से उबरने का एक अच्छा तरीका है कि अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में थोड़े समय की छुट्टी जरूर लें और अपनी पसंद की किताब या पत्रिकाएं पढ़ें.

4. एडल्ट कलरिंग : यह भी एक अच्छा तरीका है. अपने लिए कलरिंग बुक लाएं और अपने बच्चे के साथ मिल कर कलरिंग करें. इस से आप को बहुत खुशी मिलेगी. थोड़ी सफाई करें : सफाई करना एक बहुत बड़ा काम हो सकता है, पर थोड़ी सी सफाई, जैसे अपने पुराने कपड़े फेंकना, जो किताबें आप नहीं पढ़ते हैं उन्हें किसी चैरिटी शौप में दे देने जैसा काम जरूर करें.

5. चैरिटी में पैसे दें : यह सुनने में बहुत अजीब लगेगा कि मैं क्या दान कर सकती हूं लेकिन कुछ ऐसी चीजें दान में दें जो आप के लिए बहुत महत्त्व रखती हों. गाना सुनें : गाड़ी चलाते समय अपना पसंदीदा गीतों का अलबम या गाना चलाएं. सोचिए यह कितना अच्छा होगा कि जब आप का समय खराब चल रहा हो और एमदम से आप का पसंदीदा गाना आ जाए.

6. वाक करने जाएं : चाहे वैसा भी मौसम क्यों न हो, कोई भी मौसम खराब नहीं होता. अगर बहुत ठंड है तो गरम कपड़े पहनें और अगर बारिश का मौसम हो तो वाटरप्रूफ कपड़े पहनें. अगर मौसम अच्छा न हो तो घर वापस आ कर अपना मनपसंद पेय पिएं. किसी का दिन अच्छा बनाएं : किसी जरूरतमंद की सहायता करें, चाहे वह पैसे से हो या आप के साथ से. कोशिश करें कि जरूरतमंद व्यक्ति की आप भरपूर सहायता कर सकें.

7. आर्ट गैलरी में जाएं : अगर आप को आर्ट का शौक है तो उस को असलियत में देखना बहुत अलग अनुभव होता है. कभीकभी उस के रंग आप को इतना आकर्षित करते हैं कि आप मंत्रमुग्ध हो कर किसी और ही दुनिया में खो जाते हैं.

8. बबल बाथ लें : अगर आप के पास बाथटब है तो बहुत सारे बबल्स, कैंडल्स और हलके कुनकुने पानी में अच्छा सा बाथ लें. यह आप को रीफ्रैश करेगा. बाथटब न हो तो थोड़ा ज्यादा देर तक पानी के नीचे बैठ कर उस का आनंद लें.

9. आदत को बदलें : अगर आप खाना खाते समय एक ही जगह पर बैठते हैं तो जगह बदल दें. बदलाव अच्छा होता है.

10. कुछ लोगों से बात करना बंद करें : अगर आप का दोस्त उतना खास नहीं रहा तो अब समय आ गया है कि आप उन से दूर हो जाएं. अगर आप चाहते हैं तो आप उसे सोशल मीडिया पर म्यूट कर दें. आप को ऐसे लोगों की अपनी जिंदगी में जरूरत नहीं जिन से आप को और दुख महसूस होता हो. लुक्स के ऊपर समय दें : उम्रदराज हैं, व्यस्क बच्चों के मातापिता हैं तो मेकअप का इस्तेमाल करें जो आप की पसंद हो. स्मार्ट बनना पागलपन नहीं होता, बल्कि ऐसा करने से आप को बहुत अच्छा लगेगा. घर से बाहर जाने से पहले अपने को शीशे में जरूर देखें.

11. छुट्टी प्लान करें : काम से फुरसत लें. थोड़े समय के लिए छुट्टी पर जाएं, अपनी पसंद का स्थान चुनें और कुछ समय अपनों के साथ बिताएं.

12. पिकनिक पर जाएं : गरमी में किसी गार्डन में पिकनिक मनाने जाएं तो चादर या दरी बिछा कर बैठें. ताजी हवा मूड को भी ताजा कर देगी.

13. एक्टिविटीज सोचें : हर रोज दिन के अंत में 3 ऐसी चीजों के बारे में सोचें जो अच्छी हों, अच्छी तरह से उन को याद करें और खुद को बधाई दें. यह चाहे छोटी हों या बड़ी, इस से फर्क नहीं पड़ता. बस, अच्छे समय और अच्छी बातों को याद करें.

14. अच्छे टीवी शो देखें : अपने मनपसंद टीवी शो को रिकौर्ड करें और समय मिलने पर उसे अकेले में सोफे पर बैठ कर या चाय, कौफी पीते वक्त देखें.

15. दोस्त से मिलें : अपने किसी दोस्त से मिलें और उस के साथ बैठ कर चाय, कौफी पिएं. काम से ब्रेक लें : काम करते समय ब्रेक लें. अपनी डैस्क पर ब्रेक लेना बंद करें, अच्छी तरह से ब्रेक लें.

16. दिन की शुरुआत मुसकराहट से : अपने दिन की शुरुआत स्माइल से करें. आप के लिए यह खास नाश्ता है.

17. कविता लिखें : जब भी आप तनाव में हों या कुछ ऐसी भावनाएं जिन्हें आप निकालना चाहते हों तो कविताएं लिखें. ऐसा करने से आप बहुत शांत महसूस करेंगे. अगर आप लिख नहीं सकते तो किसी और की लिखी कविता पढ़ें.

18. कुछ अलग सौंग सुनें : आस्ट्रेलियन फिल्म डाइरैक्टर बाज लुहरमैन का ‘ऐवरीबौडिज फ्री टू वियर सनस्क्रीन’ गाना सुनें. अगर आप ने कभी पहले यह गाना नहीं सुना तो जरूर इस गाने को सुनें नहीं तो अपनी पसंद का गाना सुनें. कुछ इस तरह एंजौय करें : कुछ ऐसा करें जो आप को पसंद हो. ऐसी कौन सी चीज है जो आप बचपन में पसंद करते थे, क्यों न उस काम को दोबारा शुरू करें. ऐसा करने से आप का तनाव कम होगा.

19.  किसी की मदद लें : किसी की मदद लें. जब चीजें कठिन होती हैं तो आप अकसर किसी से मदद मांगना भूल जाते हैं. अधिकतर लोग आप की मदद करने से मना नहीं करेंगे और हो सकता है कि बहुत से लोगों को यह पता ही नहीं चले कि आप को किसी की जरूरत है. लेकिन कोई भी आप की मदद करने से इनकार नहीं करेगा. ऐसा करने से अप महसूस करेंगे कि आप के ऊपर से तनाव कितना कम हो गया.

अब आप को पता चल गया होगा कि जिंदगी में कैसे खुश रहें. इन सब बातों को जीवन में शामिल करने, व्यवहार में लाने में शुरू में परेशानी हो सकती है, परंतु कुछ समय बाद आप महसूस करेंगे कि आप बहुत खुशी से जीवन जी रहे हैं.

ताकि न टूटे बसी बसाई गृहस्थी

पतिपत्नी के बीच जब ‘वो’ आ जाए तो आपसी विश्वास खत्म हो जाता है और रिश्तों को दरकते देर नहीं लगती. अगर ‘वो’ सास हो या अपनी ही मां जो छोटीछोटी बातों का बतंगड़ बनाए तो भी बसीबसाई गृहस्थी को आग लगते देर नहीं लगती. ऐसे कई परिवार हैं जहां पतिपत्नी के बीच संबंध आपसी तकरार की वजह से नहीं टूटते बल्कि सास या मां की बेवजह की रोकटोक, जरूरत से ज्यादा हुक्म जताने और परिवार के बीच फूट डालने से टूटते हैं. सास और मां का कहर बाहरी औरत से ज्यादा ही होता है.

जरूरी नहीं हमेशा सास ही गलत हो और यह भी जरूरी नहीं कि हमेशा बहू की ही गलती हो. आखिर अधिकतर मामलों में इन के रिश्ते सुल?ो हुए क्यों नहीं होते? क्यों बहू अपनी सास को मां का दर्जा नहीं दे पाती और सास अपनी बहू को बेटी का दर्जा देने से कतराती हैं?

क्योंकि सास सास होती है

आजकल लड़कियों के मन में पहले से ही ससुराल के प्रति नकारात्मक छवि बना दी जाती है. अब मांएं समझदार हो गई हैं पर फिर भी एक मां का अपने बेटे की चिंता रहती है. मन में कई सवाल दौड़ रहे होते हैं कि पता नहीं मेरी बहू कैसी होगी, कहीं कुछ समय बाद हमें अलग न कर दे, कहीं बेटा बदल न जाए आदि. शादी के बाद वह बेटे को बातबात पर भड़काने लगती है यह उस से बहू की छोटीछोटी शिकायतें करने लगती है.

बेटी की गृहस्थी में मां बनी विलेन

सास और बहू के अलावा लड़की की मां का भी अहम किरदार होता है. हर मां चाहती है कि उस की बेटी राजकुमारी बन कर रहे. जब मां अपनी बेटी को ससुराल में थोड़ाबहुत काम करते देखती या सुनती है, तो उसे लगता है कि उस के पैसे बरबाद हो गए, शादी में जितना पैसा खर्च किया था वह बेटी के लिए ही तो किया था कि वह राजकुमारी बन कर रहे. मगर वहां तो उसे नौकरानी बना कर रखा हुआ है. ये सब देख कर वह बेटी को यह सिखाती है कि किस तरह ससुराल में अपना रुतबा बनाना है.

अब श्रेया को ही देख लीजिए. मांबाप की इकलौती बेटी श्रेया की शादी बहुत अच्छे परिवार में हुई. वह अपनी शादी से बहुत खुश थी. उस की मां अकसर उस का हालचाल पूछने के लिए फोन करती रहती थी.

एक दिन मां ने श्रेया को फोन किया. उस वक्त श्रेया कहीं जाने की तैयारी में थी. बोली, ‘‘हैलो, हां मां.’’

‘‘कैसी हो तुम? क्या चल रहा

है वहां?’’

‘‘मैं ठीक हूं मां, कपड़े प्रैस कर रही हूं.’’

‘‘कपड़े प्रैस? क्यों तुम्हारे घर में धोबी नहीं आता क्या?’’

‘‘नहीं, मां यहां सब अपने कपड़े खुद प्रैस करते हैं और टाइम भी ज्यादा नहीं लगता. फिर वैसे भी धोबी के प्रैस किए कपड़े किसी को पसंद नहीं आते. इसलिए हम प्रैस खुद ही कर लेते हैं.’’

‘‘अरे, तुम ने तो यहां कभी कपड़े प्रैस नहीं किए और वहां तुम प्रैस करने लगी हुई हो. यहां तुम रानी बन कर रहती थी?’’

अब श्रेया की मां ने अपनी बेटी के मन में ससुराल वालों के प्रति गांठ डालने का काम शुरू कर दिया.

याद आती हैं मां की बातें

उस दिन के बाद से श्रेया जब भी कपड़े प्रैस करती उसे अपनी मां की बात याद आने लगती, जिस से उसे कपड़े प्रैस करना अखरने लगा. सिर्फ कपड़े प्रैस करना ही नहीं वरन घर के दूसरे काम करने के लिए भी मुंह बनाने लगी. उस के व्यवहार में बदलाव शुरू हो गया. अब श्रेया जब भी कोई काम करती तो चिड़चिड़ी हो कर. इस से उस की सास और उस के बीच संबंध खराब होने लगे. जब उस का पति उसे समझने की कोशिश करता तो वह अपनी ससुराल और मायके के बीच तुलना करने लगती. अपनी पत्नी के बदले व्यवहार से पति भी तंग आ गया और फिर दोनों के बीच दूरियां बढ़ने लगीं.

अकसर इस तरह की छोटीछोटी बातें आपस में कटुता पैदा कर देती हैं. कपड़े प्रैस करना कोई बहुत बड़ा काम नहीं है. लेकिन श्रेया की मां ने उसे इतना बड़ा काम बता दिया जैसे श्रेया अपनी ससुराल में कोई मजदूरी का काम कर रही हो. अगर श्रेया की मां चाहती तो वह अपनी बेटी के इस काम से खुश हो सकती थी क्योंकि जिस लड़की ने अपने मायके में कोई काम नहीं किया, वह आज अपनी जिम्मेदारी समझ रही है. लेकिन यहां तो उलटा ही देखन को मिला.

दूसरों की बात में न आएं

ऊष्मा की मां ने भी उस की गृहस्थी में कुछ ऐसे ही जहर घोला. ऊष्मा और उस की सास में बहुत बनती थी. घर में 2 नौकरानियां थीं. ऊष्मा की सास खाना बहुत अच्छा बनाती है, इसलिए ज्यादातर खाना वही बनाती थी. खाना बनाते समय ऊष्मा अपनी सास की मदद कर देती थी. एक दिन ऊष्मा की मां ने वीडियोकौल की और ऊष्मा बात करतेकरते रसोई में चली गई.

‘‘चाय तुम बना रही हो? लगता है आज तुम्हारी मेड नहीं आई.’’

‘‘नहींनहीं मां, मेड आई है, लेकिन सामान लेने बाजार गई है.’’

‘‘अरे काम के समय बाजार चली गई. उसे तो इस समय रसोई में होना चाहिए था. मैं जब भी तुम्हें फोन करती हूं, तुम हमेशा बिजी मिलती हो. तुम से 2 मिनट बात करना भी मुश्किल हो गया है. क्या यही दिन देखने के लिए इतना पैसा खर्च कर के हम ने तुम्हारी शादी इतने बड़े परिवार में की थी?’’

‘‘क्या मौम कुछ भी बोलती रहती हो. यहां सब लोग मु?ो बहुत प्यार करते हैं.’’

‘‘तुम्हारी सास को तो पूरा आराम है. खूब ऐश कर रही है न?’’

‘‘अरे मां, ऐसे क्यों बोल रही हो? वे भी तो कुछ न कुछ करती रहती हैं.’’

‘‘अच्छा तुम्हें उन का पक्ष लेने की ज्यादा जरूरत नहीं है. वह महारानी की तरह ऐसी में बैठ कर आराम फरमाए और तुम नौकरानी बन कर रसोई में लगी रहो. मेरी बात ध्यान से सुनो, अगर ऐसा ही चलता रहा तो ये लोग तुम्हें अपने पैरों तले रखेंगे. तुम ने अपने घर पर आज तक एक पानी का गिलास नहीं उठाया और वहां सभी के लिए चाय बना रही हो?’’

‘‘अरे मौम…’’

‘‘मैं तुम्हारी मां हूं ऊष्मा. तुम्हारे भले के लिए बोल रही हूं.’’

ऊष्मा की हंसतीखेलती गृहस्थी में अचानक तूफान आ गया. उस की मां ने चिनगारी जो लगा थी.

सासबहू के बीच बढ़ती है दरार

एक दिन ऊष्मा ने अपने पति से बंटवारे की बात कह दी. उस का कहना था कि वह और उस का पति अलग रहेंगे. यह सुन कर सब हक्काबक्का रह गए. सास और बहू के बीच बढ़ती दरार को देख उस के पति ने अलग होने का फैसला ले लिया.

यहां ऊष्मा की ससुराल वालों की कोई गलती नहीं थी. उस की ससुराल वाले ऊष्मा को बेटी की तरह मानते थे. थोड़ाबहुत घर का काम तो हम सभी करते हैं और करना भी चाहिए. इस का मतलब यह नहीं कि आप नौकरानी हो. ऊष्मा की सास सब के लिए खाना बनाती थी. आज ऊष्मा खुद अपने और अपने पति के लिए अकेले खाना बनाती है और घर के दूसरे सब काम भी खुद करती है. ऊष्मा का पति उस के साथ रहता तो है, लेकिन दोनों के बीच अब पहले जैसा प्यार नहीं है.

जब पति घुन की तरह पिसने लगे

आजकल ससुराल में नई शादीशुदा लड़कियां छोटीछोटी बातों का इशू बना लेती हैं. यदि सास या ननद किसी भी बात पर थोड़ा भी कुछ कह दे तो वे झट से मायके फोन कर देती हैं और ससुराल की शिकायतें मां से करने लगती हैं. ऐसे मामलों में पति बेचारा चक्की के दो पाटों में पीसा जाता है.

घर पर लड़के की मां अपने लड़के को बहू के खिलाफ भड़काती है. यदि बेटा जरूरत से ज्यादा समय बीवी को देता है तो इस में भी मां को दिक्कत होने लगती है. उसे लगता है कि बेटा हाथ से निकल रहा है. दोनों ही स्थितियों में पति की स्थिति दयनीय बन जाती है. वह बीवी और घर के बीच पिस कर रह जाता है.

सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे

सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे मतलब रिश्तों के बीच कड़वाहट भी खत्म हो जाए और रिश्ते भी न टूटें. बेटे की शादी के बाद अकसर मां में बेटे को ले कर ज्यादा पजैसिवनैस आने लगती है. ऐसे में बेटे को अपनी मां को पहले की ही तरह समय देना चाहिए. जिन बातों को वह अपनी मां से शेयर करता था उन्हें शादी के बाद भी शेयर करते रहना चाहिए. यदि मां को अपने बेटे में थोड़ा भी बदलाव दिखता है तो उस का सीधा निशाना उस की बीवी बनती है और फिर सासबहू के बीच दरार आने लगती है.

बहू को भी अपनी सास को मां की तरह पूरा सम्मान देना चाहिए. पति को अपनी बीवी को घर के सभी सदस्यों की पसंदनापसंद के बारे में बताना चाहिए ताकि वह उन्हें आसानी से समझ सके और सभी के दिल में जगह बना सके.

बेटी को मां और सास दोनों को बराबर मानसम्मान देना चाहिए. पति के विश्वास के साथसाथ घरपरिवार का विश्वास जीतने की कोशिश भी करनी चाहिए. ससुराल में जितना जरूरी पति का प्यार है उतना ही जरूरी बाकी सदस्यों का भी है.

हमारे समाज में सास और बहू के रिश्ते को हमेशा नकारात्मक रूप से दिखाया जाता है. फिर चाहे वह सीरियल हों या हिंदी सिनेमा. ऐसे कई सीरियल्स और फिल्में हैं, जिन में सास को विलेन के रूप में दिखाया गया है, जिस से हमारी मानसिकता वैसी ही हो गई है. हम यही मानते हैं कि सास मां की जगह कभी नहीं ले सकती. इसलिए हम रिश्ते से तो उन्हें अपना मान लेते हैं, लेकिन दिल से मानने में बहुत वक्त लग जाता है. ऐसा सिर्फ सास और बहू के बीच ही नहीं, बल्कि मां और बेटी के बीच भी होता है, जिस से रिश्ते में कड़वाहट आने लगती है और दूरियां बढ़ने लगती हैं.

समाज में हर पति है खलनायक नहीं

क्या आप ने कभी किसी पुरुष को फूटफूट कर रोते देखा है? यह प्रश्न अजीब लगता है क्योंकि पुरुष के साथ आंसुओं का कोई संबंध हो सकता है, यह बात आमतौर पर गले नहीं उतरती. लेकिन यह सत्य है कि पुरुष भी रोते हैं खासतौर पर तब जब पुरुष किसी ऐसी स्त्री से शादी कर लेता है, जिस से तालमेल तो नहीं बैठता, लेकिन जीवन निभाने वाली स्थिति में भी नहीं रह पाता क्योंकि पत्नी के रूप में उस के जीवन में आई स्त्री उस का जीना दूभर कर देती है. ऐसी पत्नियों को आतंकवादी पत्नियां कहना कोई गलत न होगा.

पत्नी द्वारा आतंकवाद क्या और कैसे होता है? पतियों की यह आम शिकायत होती है कि जब पत्नियां अपनी समस्याओं के बारे में बात करती हैं तो सारा दोष पतियों पर मढ़ देती हैं, साथ ही पुरुषों के लिए यह भी कहा जाता हैं कि वे पत्नियों को बिलकुल नहीं समझते और उन का केवल ‘सैक्स’ के लिए इस्तेमाल किया जाता है. तभी तो छोटी सी बात पर भी पत्नियों को मारने के लिए हाथ तक उठा देते हैं. यहां तक कि जला भी डालते हैं.

पुरुष ही विलेन क्यों

भारतीय पुरुषों को तो मीडिया ने काफी हद तक विलेन बना कर दिखाया है. ज्यादातर भारतीय पुरुषों को संवेदनशीलता से दूर क्रूर और दुष्ट माना जाता है, लेकिन जैसे अच्छे और बुरे दोनों पुरुष होते हैं वैसे ही अच्छी और बुरी दोनों तरह की स्त्रियां होती हैं.

प्रमोद कुमार एक सफल डाक्टर हैं. उन का खुशमिजाज स्वभाव उन के अपने मरीजों से बातचीत करते समय साफ पता चलता है. लेकिन घर में पहुंचते ही उनकी यह मुसकराहट गायब हो जाती है. एक भरेपूरे संपन्न परिवार से संबंध रखते हुए डा. प्रमोद घर पहुंचते ही पूर्णया चुप्पी साध लेते हैं.

उन के अनुसार, ‘‘घर की चारदीवारी में मैं जो झेलता हूं उसे मैं शब्दों में बयां नहीं कर सकता. मेरी पत्नी ने शादी के बाद सब से पहले मेरी डाक्टरी की डिगरी देखने की मांग की. उसे शक था कि कहीं मेरे मातापिता झठ तो नहीं बोले थे. उसे मेरे खानेपीने, पहनने से ले कर मेरे बातचीत करने तक में कमी नजर आती है. उस का रौद्ररूप मेरे कपड़े तक फाड़ देता है, मेरी किताबें जला देता है. यहां तक कि कई बार वह अपने बढ़े हुए नाखूनों से नोच भी देती है.’’

पतियों के बीच यह डर आज बहुत ज्यादा घर कर गया है कि पत्नी दहेज की मांग का डर दिखा कर उन्हें ब्लैकमेल कर सकती है. विवाह की जरूरत सिर्फ पुरुष को ही नहीं होती बल्कि स्त्री को भी होती है और हर पुरुष अपनी पत्नी को खुश रखना चाहता है. ज्यादातर पत्नियों को किसी के भी आगे रोनेधोने की आदत होती है, जबकि पुरुष को अपनी परेशानी बयां करने में शर्म आती है. पत्नी अगर आंसू बहाती है तो पति आंसू पीता है क्योंकि अदालतें, पुलिस और कानून सभी स्त्री का साथ देते हैं.

अविनाश एक मल्टीनैशनल कंपनी में उच्च पद पर कार्यरत है तथा 2 लाख रुपए महीना वेतन ले रहा है. उस की पत्नी एक फाइव स्टार होटल में उच्च प्रशासनिक अधिकारी है.

झगड़े की वजह

दिल्ली के सुंदर व संपन्न इलाके में अपने घर और 2 बच्चों का भरापूरा परिवार छोड़ कर अविनाश की पत्नी अकसर एक सहयोगी के साथ शाम गुजारने चली जाती है. अविनाश की मजबूरी है कि वह अपने बच्चों के आगे इस बात को जाहिर नहीं करना चाहता और न ही यह चाहता है कि उस के मातापिता को इस दुख का सामना करना पड़े. अविनाश कभी लड़ कर तो कभी रो कर इस स्थिति को झेल रहा है.

वैवाहिक मामलों के सलाहकार सुभाष वधावन कहते हैं कि इस तरह की पत्नियों के पति यह शिकायत करते मिलते हैं कि उन की पत्नियां उन्हें सिर्फ एक लेबल की तरह इस्तेमाल करना चाहती हैं. पति के नाम के लेबल के नीचे वे कुछ भी कर के सुरक्षित बच निकलती हैं. इस तरह की पत्नियां अपने तौरतरीकों में किसी भी तरह का दखल पसंद नहीं करतीं. वे कहां जा रही हैं, कब लौटेंगी पूछना झगड़े की शुरुआत का कारण बन जाता है.

विवाह सलाहकार डा. राखी आनंद के अनुसार, ‘‘अकसर युवा पुरुष जो अपने कैरियर पर विशेषतौर पर ध्यान देते हैं, पत्नियों द्वारा थोपी जाने वाली लड़ाई से बचे रहना चाहते हैं. लेकिन कैरियर की सफलता पत्नी के रोज चढ़तेउतरते पारे की भेंट चढ़ जाती है.’’

हमारा सामाजिक परिवेश हमें यह सिखाता है कि पुरुषों को चुप रहना चाहिए तथा उन में सहनशीलता भी ज्यादा होनी चाहिए. लेकिन ऐसा होता नहीं है. इस का प्रभाव पुरुष के मानसिक संतुलन पर पड़ता है, जिस के कारण वह गहरी उदासी में डूब जाता है.’’

पत्नी अत्याचार के विरोध में मोरचा

पारिवारिक मामलों में स्त्रियों की गलती पुरुषों से ज्यादा होती है. पुरुष समझौता करना चाहता है. वह क्लेश से भी बचना चाहता है, लेकिन आतंकवादी किस्म की पत्नियां क्लेश को बनाए रखना पसंद करती हैं.

सभी महिलाएं या पत्नियां बुरी नहीं होतीं, लेकिन पतिपत्नी या पारिवारिक विवादों में पुरुषों की बात भी सुनी जानी चाहिए. सुधीर के अत्यधिक धार्मिक मातापिता ने जन्मपत्री अच्छी तरह मिलाने व सारे धार्मिक रीतिरिवाजों के अनुसार अपने बेटे की शादी की थी. शादी के बाद कुछ रातें होटल में ठहरी बहू ने घर जाने से साफ इनकार कर दिया. उस का कहना था कि वह संयुक्त परिवार की भीड़ का हिस्सा नहीं बन सकती. मजबूरन सुधीर को अपनी पत्नी को होटल से सीधे किराए पर लिए गए फ्लैट में ले जाना पड़ा.

अजीबोगरीब सवाल

सुधीर का कहना है कि आज भी उस की पत्नी को मेरा अपने मातापिता से मिलना पसंद नहीं. कभी भी दफ्तर से देरी होने पर उस के प्रश्न कुछ इस प्रकार होते है कि मां से मिल कर आए हो? मां को कितने पैसे दिए? मुझे पहले क्यों नहीं बताया?

इस तरह प्रताडि़त पतियों का कहना है कि इस तरह की पत्नियों के शारीरिक और मानसिक व्यवहार की कोई गारंटी नहीं होती. यह मत करो, वह मत करो से बात शुरू हो कर कहां खत्म होगी इस का अंदाजा लगाना मुश्किल होता है.

ऐसी पत्नियां अपने पति के संबंध किसी के साथ भी जोड़ देती हैं, फिर चाहे वह भाभी हो या रिश्ते की बहन. पत्नी को ‘बैटर हाफ’ कहने वाले यह जानने की कोशिश अवश्य करें कि क्या वह वाकई बैटर कहलाने के काबिल है?

विवाहेतर संबंध: कागज के फूल महकते नहीं

पतिपत्नी के शारीरिक संबंध जहां दांपत्य जीवन में प्रेम संबंध के मजबूत स्तंभ माने जाते है वहीं विवाहेतर पर स्त्री या पर पुरुष शारीरिक संबंध कई प्रकार की समस्याओं और अपराधों का कारण भी बनते हैं.

2011 का एनआरआई निरंजनी पिल्ले का उस के पति सुमीत हांडा द्वारा कत्ल का केस पुराना है. अपनी पत्नी को अपने बिस्तर पर मित्र कहलाने वाले पर पुरुष को साथ वासनात्मक शारीरिक संबंध की स्थिति में देखना सुमीत के लिए सदमा तो था ही, बरदाश्त से बाहर भी था. जलन, क्रोध और धोखे के एहसास ने उस के हाथों पत्नी की हत्या करवा दी.

नोएडा के निवासी मिश्रा को अपनी पत्नी पर संदेह था कि उस के पर पुरुष से संबंध हैं. मिश्रा ने पुष्टि करना भी आवश्यक नहीं समझ कि उस का संदेह केवल संदेह या वास्तविकता. संदेह के आधार पर ही मिश्रा ने पत्नी का कत्ल कर दिया.

एक मां के विवाहेतर शारीरिक संबंधों का पता उस के 20 वर्षीय बेटे को चल गया. उस ने जब इन संबंधों पर ऐतराज किया, तो मां ने अपने संबंध बरकरार रखने के लिए अपने ही बेटे की सुपारी दे कर मरवा दिया. यहां विवाहेतर संबंधों की वासना पर ममता की बलि चढ़ गई.

समस्या से उपजा असंतोष

ऐसे संबंधों से जुड़े इस प्रकार के कितने ही अपराध आए दिन सुनने को मिलते हैं. कत्ल के अतिरिक्त कारण से कितने ही तलाक और सैपरेशन के केस भी हो जाते हैं, जिन की गिनती ही नहीं. कितने परिवार ऐसे भी हैं जो सामाजिक सम्मान अथवा बच्चों के कारण मुखौटा लगाए जीए जा रहे हैं परंतु इस समस्या से उपजा असंतोष उन्हें भीतर ही भीतर खाए जा रहा है.

यदि हम अपनेअपने दायरे में अवलोकन करें तो कितने ही दंपतियों में यह समस्या दिखती है. भावना का पति तो भंवरा है. न जाने उस में वासना की इतनी भूख है या उच्छृंखलताकी अति है कि उस के एक नहीं कई लड़कियों से संबंध हैं. एक समय पर वह 1 से अधिक लड़कियों से संबंध बनाने को भी उत्सुक रहता है. भावना ने विरोध भी बहुत किया और बरदाश्त भी. अंतत: वही हुआ जिस के आसार बहुत पहले से दिख रहे थे. अपने मन की शांति पाने और अपने बच्चों को स्वस्थ वातावरण देने हेतु भावना पति से अलग हो गई.

सूरज की पत्नी ने न चाहते हुए भी सूरज के पर स्त्री संबंध स्वीकार किए. सूरज ने साफ  कह दिया कि वह दूसरी स्त्री से संबंध नहीं तोड़ेगा. पत्नी चाहे तो साथ रहे चाहे तो अलग हो जाए. वह किसी हाल में सूरज से अलग होना नहीं चाहती थी. इस मजबूर स्वीकृति से मन ने कितनी पीड़ा बरदाश की होगी.

टूटते हैं परिवार

भावना और सूरज के अतिरिक्त भी अन्य बहुत से उदाहरण हैं. यदि सब का वर्णन किया जाए तो ग्रंथ के ग्रंथ तैयार हो जाएंगे. प्रश्न यह उत्पन्न होता है कि जब विवाह के रूप में शारीरिक संबंधों को सामाजिक मान्यता प्राप्त हो जाती है तो कभी पुरुष और कभी स्त्री क्यों विवाह से बाहर छिपछिपा कर संतुष्टि या तृप्ति ढूंढ़ते हैं?  सभी जानते हैं कि विवाहेतर संबंधों की कोई सामाजिक मान्यता नहीं है और उजागर हो जाने पर सुखी परिवार का सारा सुखसम्मान नष्ट हो जाता है.

मधुर दांपत्य संबंधों मं कटुता आ जाती है. इस सब जानकारी के होते हुए भी आए दिन इस तरह के संबंध बनते रहते हैं. इन संबंधों के कारण अनेक परिवार टूटते हैं, अनेक समस्याएं उत्पन्न होती हैं और अनेक अपराध जन्म लेते हैं.

विचार करें तो अनेक कारण ऐसे हो सकते हैं जिन की वजह से विवाहेतर संबंध बनते हैं. इन में कुछ कारण तो ऐसे हैं जिन्हें बेहद खोखला कहा जा सकता है. जैसे- उच्छृंखलता, विलासिता, अहम आदि. ये ऐसे कारण हैं जिन्हें किसी भी प्रकार की कसौटी पर परखें, नैतिकता से गिरे हुए ही कहलाएंगे.

सम्मान खोने का भय

इस श्रेणी के स्त्री या पुरुष समाज में चरित्रहीन कहलाते हैं. ऐसे लोग न तो समाज में सम्मान योग्य माने जाते हैं और न ही परिवार में. इस श्रेणी के अधिकतर लोग बेशर्म होते हैं. ऐसे लोग या तो सबकुछ खुल्लमखुल्ला करते हैं या फिर जो अपने संबंध छिपा पाने में सक्षम होते हैं उन्हें उन के खुल जाने का कोई भय नहीं होता. उच्छृंखलता और विलासिता उन की प्राथमिकता होती है. इस के लिए चाहे कितना भी अपमान क्यों न झेलना पड़े. संस्कारहीनता, शिक्षा का अभाव, नैतिकता का अभाव, गलत माहौल, गलत संगीसाथी, गलत दृष्टिकोण ऐसे कारणों की नींव होते हैं.

इन के अतिरिक्त कुछ अन्य कारण भी होते हैं जिन्हें इन खोखले कारणों से अलग रख कर देखा जा सकता है. जैसे असंतुष्टि, अलगाव, विवश्ता, ब्लैकमेलिंग, भावनात्मक लगाव, आकर्षण, असंयम आदि.

शारीरिक क्षुधा की चाहत

वैवाहिक जीवन में पतिपत्नी के पारस्परिक शारीरिक संबंध विवाह का आवश्यक अंग होते हैं. ये संबंध पति और पत्नी दोनों की ही आवश्यकता होते हैं, परंतु कभीकभी पति पत्नी ये या पत्नी पति से अथवा दोनों एकदूसरे से इस रिश्ते में असंतुष्ट रहते हैं. यह असंतुष्टि दूसरे साथी में शारीरिक संबंधों के प्रति इच्छा के अभाव से भी उपजती है और किसी एक साथी में अत्यधिक अर्थात सामान्य से कहीं अधिक शारीरिक क्षुधा से भी. नैतिकता की दृष्टि से न चाहते हुए भी दोनों या कोई एक साथी शारीरिक क्षुधा की संतुष्टि हेतु विवाहेतर संबंध बना लेता है.

कई संबंधों में भावनात्मक अलगाव भी विवाहेतर संबंधों का कारण बन जाते हैं. कई बार घर वालों के दबाव के कारण या किसी प्रकार के लालच के कारण विवाह तो हो जाता है, परंतु पतिपत्नी में भावनात्मक स्तर पर प्रेम संबंध नहीं बन पाते. इस का कारण दोनों में बौद्धिक स्तर की भिन्नता, दृष्टिकोण की भिन्नता, आपसी समझ का अभाव या आर्थिक स्तर और लाइफस्टाइल में अत्यधिक अंतर आदि कुछ भी हो सकता है. एकदूसरे के प्रति अलगाव और अरुचि अकसर उन की दिशाएं बदल देती हैं.

भावनात्मक या शारीरिक आकर्षण

भावनात्मक अलगाव की भांति भावनात्मक लगाव भी अकसर विवाहेतर संबंधों का कारण बन जाता है. विवाहपूर्व के प्रेमीप्रेमिका जब अन्यत्र विवाह हो जाने के बाद भी एकदूसरे को भूल नहीं पाते तो चाहेअनचाहे उन का भावनात्मक लगाव उन्हें एकदूसरे के करीब ले आता है. ये नजदीकियां धीरेधीरे उन्हें इतना नजदीक ले आती हैं कि वे सामाजिक सीमाएं भूल कर एकदूसरे में खो जाते हैं.

कई बार पति या पत्नी का पर स्त्री या पर पुरुष पर मुग्ध और आकर्षित हो जाना भी विवाहेतर संबंधों का सूत्रपात कर देता है. एकतरफा आकर्षण भी कभीकभी सामने वाले को चुंबक की भांति आकर्षित कर लेता है और आकर्षण यदि दोतरफा हो तो परिणाम अकसर ऐसे संबंधों में परिवर्तित हो जाता है. अब आकर्षण का कारण शारीरिक सौंदर्य, प्रभावशाली व्यक्तित्व, वाकचातुर्य, आर्थिक स्तर अथवा उच्चपद आदि कुछ भी हो सकता है.

इन कारणों के अतिरिक्त भी विवाहेतर संबंधों के कई कारण होते है. जैसे कहीं बौस ने पदोन्नति का लालच दे कर या रिपोर्ट बिगाड़ने की धमकी दे कर किसी को विवश किया, तो कभी बास को प्रसन्न करने हेतु किसी ने अपनी इच्छा से स्वयं को परोस दिया. किसीकिसी को आर्थिक विवशता के कारण इच्छा के विरुद्ध भी यह अनैतिक कार्य करने को बाध्य होना पड़ता है.

कभीकभी परिस्थितियां और हालात 2 प्रेमियों या 2 लोगों को ऐसी स्थिति में डाल देते हैं कि उन्हें न चाहते हुए भी एकांत में परस्पर एकसाथ समय बिताना पड़ जाता है. ऐसे में एकांत वातावरण में कभीकभी कुछ लोग असंयम का शिकार हो जाते हैं और उन के विवाहेतर संबध बन जाते हैं.

विवाहेतर संबंध बनाते समय यह ध्यान रखें कि संबंध होने के बाद पति या पत्नी से संबंध तोड़ना आसान नहीं है. फरवरी, 2022 में केरल हाई कोर्ट ने एक मामले में डाइवोर्स ग्रांट करा क्योंकि पति के मना करने पर भी वह प्रेमी को फोन करती थी पर यह विवाद शुरू हुआ 2012 में. 10 साल बाद तलाक दिया, पत्नी ने हैरेसमैंट का केस 2012 में दायर किया था.

कारण और परिस्थितियां कुछ भी हों, ऐसे संबंधों के बन जाने और उन के खुलने के परिणाम अकसर विध्वंसक ही होते हैं. परिवारों का टूटना, सामाजिक प्रतिष्ठा का हनन, बच्चों की दृष्टि में मातापिता का सम्मान गिरना, बच्चों के लिए समाज में अपमानजनक स्थितियां उत्पन्न होना, विवाहेतर संबंधों से उत्पन्न बच्चों की उलझनें, संपत्ति व जायदाद के लिए झगड़ा, अलगाव, तनाव, मनमुटाव, सैपरेशन, तलाक, कत्ल आदि अनेक समस्याएं पगपग पर कांटे बन कर चुभने लगती हैं. सब से अधिक झेलना पड़ता है टूटे या तनावग्रस्त परिवारों के बच्चों को.

परिणाम विध्वंसक होते हैं

यद्यपि आज के युग में सामाजिक मान्यताएं बहुत बदल गई हैं, फिर भी जब गर्मजोशी का बुखार उतरता है तो व्यक्ति चाहे वह पुरुष हो या स्त्री स्वयं को अकेला ही पाता है. 2 नावों का सवार डूबता ही है. लिव इन रिलेशनशिप में कोई वादा या वचन नहीं होता फिर भी धोखा चोट देता है, फिर विवाह तो नाम ही सुरक्षा और विश्वास का है. अत: स्वयं से विवाह को ईमानदारी से निभाने का वादा करते हुए ही इस बंधन में बंधें. खुले जमाने का अर्थ विवाहेतर संबंध नहीं अपितु संबंध जोड़ने से पहले खुल कर अपने होने वाले साथी से चर्चा करें और एकदूसरे से अपनी आशाएं तथा कमजोरियां न छिपाएं और दोनों साथी एकदूसरे को भलीभांति परख लें कि दोनों एकदूसरे के लिए उचित हैं या नहीं. इस प्रकार समस्या का अंत भले ही संभव न हो परंतु समस्या में कमी तो अवश्य संभव है.

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