सर्दियों में होने वाली परेशानियों का ये है आसान इलाज

सर्दी के मौसम में खांसी, जुकाम, गले की खराश, जैसी समस्याएं आम हैं. खराश की समस्या को जल्दी ठीक करना जरूरी है, नहीं तो ये खांसी का रूप ले लेती है. इस खबर में हम आपको बताने वाले हैं कि सर्दी, खांसी, खराश जैसी समस्याओं का दवाइयों के बिना, घरेलू नुस्खों की मदद से कैसे इलाज कर सकते हैं.

इसमें एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं. गले के इंफेक्शन और दर्द में अदरक काफी लाभकारी होता है. इसके लिए आप एक कप में गर्म पानी उबाल लें. उसमें शहद डाल कर मिलाएं और दिन में दो बार पिएं. कुछ ही दिनों में आपको अंतर समझ आएगा.

1. नमक पानी से करें गरारा

गले की खराश में नमक के पानी का गरारा काफी लाभकारी होता है. खराश के कारण गले में सूजन आ जाती है. गुनगुने पानी और नमक का गरारा करने से सूजन में काफी आराम मिलता है. इसे दिन में 3 बार करने से आपको जल्दी ही आराम मिलेगा.

2. मसाला चाय

लौंग, तुलसी और काली मिर्च को पानी में डाल कर उबाल लें. इसके बाद इसमें चायपत्ती डालकर चाय बना लें. सर्दियों में नियमित तौर पर इसका सेवन करें. आपको सर्दी संबंधित परेशानियां नहीं होंगी.

3. अदरक

अदरक को पानी में डाल कर उबाल  लें. थोड़ी देर तक उसे उबालें ताकि अदरक का अर्क पानी में आ जाए. इसके बाद पानी में शहद मिला कर पिएं. सर्दी से होने वली परेशानियों में आपको काफी आराम मिलेगा.

4. लहसुन

लहसुन इंफेक्शन पैदा करने वाले जीवाणुओं को मार देता है. इसलिए गले की खराश में लहसुन बेहद फायदेमंद है. उपचार के लिए गालों के दोनों तरफ लहसुन की एक-एक कली रखकर धीरे-धीरे चूसते रहें.

5. भाप लेना

सर्दियों में होने वाली परेशानियों में भाप लेना काफी कारगर होता है. किसी बड़े बर्तन में गुनगुना पानी कर लें और तौलिया से पानी और चेहरा ढक कर भाप लें. आराम मिलेगा.

वैजाइनल इन्फैक्शन से बचाव है जरूरी

वैजाइनल इन्फैक्शन यानी योनि में संक्रमण छोटी बच्ची से ले कर उम्रदराज महिला तक किसी को भी हो सकता है. कुछ महिलाएं जीवन में कई बार इस की शिकार होती हैं. वैजाइनल इन्फैक्शन वैसे तो एक आम बीमारी है पर इस की अनदेखी करने के परिणाम खतरनाक हो सकते हैं. यहां तक कि बांझपन तक हो सकता है. प्रैगनैंसी के दौरान वैजाइनल इन्फैक्शन होने पर यौन रोग भी हो सकते हैं, जो होने वाले बच्चे को भी अपना शिकार बना सकते हैं.

वैजाइनल इन्फैक्शन के कारण ल्यूकोरिया जैसी परेशानी भी हो सकती है, जिस के कारण वैजाइना से सफेद बदबूदार डिस्चार्ज होता है. इस से पेट और कमर का दर्द हो सकता है. बुखार होने के साथसाथ महिलाओं में कमजोरी भी आ सकती है.

वैजाइनल इन्फैक्शन का मुख्य कारण पर्सनल हाइजीन का ध्यान न रखना है. डाक्टर मधु गुप्ता कहती हैं कि योनि संक्रमण के कारण सैक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज भी हो सकते हैं. पर्सनल हाइजीन का रखें ध्यान कुछ इस तरह:

साफ पानी का करें प्रयोग:

वैजाइना बौडी को साफ रखने का काम खुद करती है. पर्सनल हाइजीन के लिए जरूरी है कि बाथरूम का प्रयोग करने से पहले टौयलेट फ्लश चला लें क्योंकि अगर आप से पहले किसी रोगी ने टौयलेट का प्रयोग किया है तो आप को भी इन्फैक्शन हो सकता है.

टौयलेट के बाद वैजाइना को साफ पानी से साफ करें और फिर इस एरिया को नर्म कपड़े से सुखा लें. ऐसा करने से इन्फैक्शन से बचा जा सकता है.

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पीरियड्स में रखें खास खयाल:

पीरियड्स के दौरान इन्फैक्शन का खतरा ज्यादा होता है, इसलिए इस दौरान साफसफाई का खास खयाल रखें. इन्फैक्शन से दूर रहने के लिए अच्छी किस्म के सैनिटरी पैड्स का ही प्रयोग करें. जरूरत के हिसाब से जल्दीजल्दी पैड्स बदलती रहें. टैंपून लगाने से पहले वैजाइना को पानी से वाश कराएं. इसे 5 घंटों से ज्यादा समय तक न लगाए रखें.

कौटन का प्रयोग है सही: पैंटी का प्रयोग करते समय यह जरूर देख लें कि वह कौटन की ही हो और बहुत टाइट फिटिंग वाली पैंटी का प्रयोग न करें. नायलोन और सिंथैटिक पैंटी का प्रयोग कम करें. यह पसीना पैदा करती है, जिस से वैजाइनल एरिया में स्किन इन्फैक्शन का खतरा बढ़ जाता है. पैंटी को धोते समय ध्यान रखें कि उस में साबुन न रहे और इसे धोने के लिए खुशबूदार साबुन का प्रयोग न करें.

गंदे टौयलेट से रहें दूर:

इन्फैक्शन से बचने के लिए गंदे टौयलेट का भी प्रयोग न करें. जिस टौयलेट में बहुत सारे लोग जाते हों उस का प्रयोग बहुत ही सावधानी से करें क्योंकि ऐसे टौयलेट का प्रयोग करने से यूरिनरी टै्रक्ट इन्फैक्शन यानी मूत्रमार्ग इन्फैक्शन का खतरा बढ़ जाता है.

न करें खुद इलाज: अगर वैजाइना या उस के आसपास खुजली हो रही हो तो उस जगह को रगड़ें नहीं और यदि खुजली बराबर बनी रहती है तो डाक्टर से संपर्क करें. अपने मन या फिर कैमिस्ट के कहने पर दवा न लें वरना परेशानी बढ़ सकती है.

डाक्टर की सलाह से करें डाउचिंग:

वैजाइना के अंदरूनी हिस्से की सफाई के लिए डाउचिंग की सलाह दी जाती है. इस में कुछ खास किस्म की दवा मिली होती है, पर इस का प्रयोग अपने मन से न करें.

वैजाइना में अच्छे और बुरे दोनों किस्म के बैक्टीरिया मौजूद होते हैं. कभीकभी डाउचिंग से खराब बैक्टीरिया के साथसाथ अच्छे बैक्टीरिया भी खत्म हो जाते हैं, जिस से इन्फैक्शन होने लगता है.

प्यूबिक हेयर की सफाई:

प्यूबिक हेयर यानी जननांग के बाल वैजाइना की सुरक्षा के लिए होते हैं. ये यूरिन के अंश को वैजाइना में जाने से रोकने का काम भी करते हैं. समयसमय पर इन की सफाई बेहद जरूरी होती है. यहां की स्किन बहुत संवेदनशील होती है, इसलिए यहां के बालों की सफाई के लिए हेयर रिमूवर और शेविंग क्रीम का इस्तेमाल कम करें. हेयर ट्रिमिंग सब से सुरक्षित उपाय माना जाता है.

Makar Sankranti Special: सर्दियों में गजक, लड्डू और गुड़ की चिक्की खाने से स्वास्थ्य को होते हैं ये फायदे

सर्दी के दिनों में हम सभी सुस्ती और आलस महसूस करते हैं. साल के इस समय बिस्तर से बाहर निकलना भी बड़ा काम  लगता है. हालांकि, ऐसा तब  होता है, जब आप इस मौसम में अपनी बढ़ती भूख पर ध्यान नहीं देते.  इसलिए आपको इस मौसम में खासतौर से अपनी खाने की आदतों पर ध्यान देना चाहिए. विशेषज्ञों के अनुसार, सर्दियों के कुछ ऐसे खाद्य पदार्थ हैं, जो न केवल हमें ऊर्जावान महसूस कराते हैं, बल्कि दैनिक कार्यों को इच्छा और लगन के साथ पूरा करने में हमारी मदद करते हैं. ये खाद्य पदार्थ कुछ अलग नहीं हैं, बल्कि सर्दियों में हर घर में आने वाली गजक, लड्डू और चिक्की हैं. वैसे स्वस्थ रहने के लिए हमेशा मीठी चीजों से परहेज करने की हिदायत दी जाती है, लेकिन हममें से कई लोग सर्दियों में इन स्वादिष्ट मीठे व्यंजनों का स्वाद लेकर ही बड़े हुए हैं. दरअसल, इन खाद्य पदार्थों को कुछ ऐसे अवयवों को इस्तेमाल करके बनाया जाता है, जो सुपर हेल्दी होते हैं. बता दें कि सर्दी का मौसम भूख को बढ़ाता है और आपके शरीर की जरूरत को पूरा न करने के कारण आपको थकान होती है. इसलिए अपने आहार में इन मीठे खाद्य पदार्थों को लेना फायदेमंद होगा .

ठंड के दिनों में खाने चाहिए पंजीरी के लड्डू

ठंड के दिनों में पंजीरी के लड्डू खाने की सलाह दी जाती है. पंजीरी को प्रतिरक्षा बढ़ाने  और सर्दियों में समग्र स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए जानाजाता है. दरअसल, पंजीरी गेहूं के आटे के साथ घी, सूखे मेवे और गोंद से बनाई जाती है. ये सभी चीजें ठंड के मौसम में हमें कई बीमारियों से बचाती  हैं. पंजीरी शरीर में गर्मी पैदा करती है. पंजीरी में मौजूद तत्व गले की मांसपेशियों को शांत  करने, जोड़ों को चिकनाई देने और शरीर के दर्द को कम करने में मदद करते हैं. इतना ही नहीं यह स्वादिष्ट मिठाई इम्यूनिटी बढ़ाने के साथ सर्दी और खांसी सहित मौसमी संक्रमणों को भी दूर करने में करगार है. बता दें कि पंजाब और राजस्थान में पंजीरी के लड्डू काफी मशहूर हैं. यहां की लगभग हर मिठाई की दुकान में यह हेल्दी लडड्डू बड़ी आसानी से मिल जाते हैं.

सर्दियों में गजक खाने से पाचन में होता है सुधार-

सर्दियों के मौसम में बाजार में हर जगह गजक बिकती हुई दिख जाएगी. गजक तिल से बनाई जाती है. तिल में कैल्शियम, मैगनीज , फॉस्फोरस, आयान, जिंक , सेलेनियम और डायट्री फाइबर जैसे मिनरल्स भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. पोषक तत्वों से भरपूर तिल न केवल आपके पाचन में सुधार करती है, बल्कि हड्डियों के स्वास्थ्य को बनाए रखने का बेहतरीन घरेलू उपाय भी  है. इसे खाने से स्ट्रेस और डिप्रेशन से उबरने में मदद मिलती है. वहीं गजक को बनाने के लिए गुड़ का इस्तेमाल किया जाता है. यह न केवल आपको ऊर्जा देता है बल्कि एंटीऑक्सीडेंट और तमाम मिनरल्स से भरपूर है. शायद आप नहीं जानते, लेकिन गुड़ एक डिटॉक्स के रूप में भी काम करता है और पाचन में भी आपकी बहुत  हेल्प करता है. अगर आप भी ठंड के दिनों में गजक का स्वाद लेना चाहते हैं, तो मेरठ, मुरैना, रोहतक, आगरा, दिल्ली, बीकानेर और भोपाल से गुड़ और शक्कर की गजक मंगा सकते हैं. इन शहरों की गजक का स्वाद आपको देशभर में और कहीं नहीं मिलेगा.

इम्यूनिटी बूस्टर है चिक्की-

ठंड के दिनों में गुड़ और मूंगफली की चिक्की खाना सबको पसंद होता है. विशेषज्ञ कहते हैं कि अगर गुड़ की चिककी का सेवन सीमित मात्रा में किया जाए, तो यह हमारे सिस्टम के लिए इम्यूनिटी बूस्टर के रूप में काम करती है. कैल्शियम और आयरन से भरपूर होने के कारण यह न केवल हमारे हीमोग्लोबिन लेवल को बढ़ाती है, बल्कि दांतों और हड्डियों के लिए भी बहुत फायदेमंद है. बस, इतना ही नहीं यह एक नेचुरल स्वीटरनर भी है, जो बदलते मूड को हल्का करने के लिए आपको जरूर खानी चाहिए. बता दें कि देशभर में बिहार , तेलांगना, आंध्रप्रदेश और उत्तरप्रदेश की चिक्की की डिमांड सबसे ज्यादा है. इस तरह के व्यंजन बंग्लादेश में भी काफी लोकप्रिय है. यहां इसे पेडी मोलेक के नाम से जाना जाता है.

तो अब आप सर्दियों में गजक, लड्डू और गुड़ व मूंगफली की चिक्की खाने के फायदे जान गए होंगे. पर ध्यान  रखें, इन्हें सीमित मात्रा में ही खाएं. इनका जरूरत से ज्यादा सेवन आपकी सेहत बिगाड़ सकता है.

Winter Special: कालेज के बाद भी रहें तरोताजा

कालेज लाइफ में युवतियों में एकदूसरे से आगे निकलने की होड़ रहती है. बात चाहे पढ़ाई की हो, सुंदरता की हो या फिर हौट दिखने की, खुद को सब से बेहतर साबित करने के लिए युवतियां हरसंभव प्रयास करती हैं.

खुद को फिट रखने के लिए जहां जिम जौइन करती हैं, पार्कों में अकसर सुबह फिटनैस के तमाम उपाय अपनाती दिखती हैं, वहीं सुंदर लुक के लिए डिजाइनर कपड़े पहनती हैं. मौडर्न ड्रैसेज, मिड्डी, शौर्ट्स, जैगिंग्स का उन का सलैक्शन लाजवाब होता है. उन्हें लगता है कि बस वे सब पर छा जाएं. इस से उन के दोस्त बनेंगे जिस से वे अपने ग्रुप के साथसाथ अपने कालेज में भी चर्चित होंगी.

युवतियां अपने बाहरी रंगरूप को संवारने में ही आगे नहीं रहतीं, बल्कि अपनी जानकारी व इंटैलिजैंसी का लोहा मनवाने के लिए भी एकैडमिक रिजल्ट को सही रखने के साथसाथ तमाम कालेज ऐक्टिविटीज में बढ़चढ़ कर भाग लेती हैं.

स्मार्ट दिखने, आगे रहने, ऐक्टिविटीज में भाग लेने व खुद को ऐनर्जैटिक रखने के ये तमाम प्रयत्न कालेज लाइफ खत्म होते ही डंप हो जाते हैं और उन की दिनचर्या में ढीलापन व सुस्ती हावी हो जाती है.

आखिर ऐसा क्यों होता है कि कालेज खत्म होते ही युवतियों के स्वभाव में चेंज आने लगता है. ये ढीलापन ड्रैस सैंस में, फिटनैस में, नौलेज में, बात करने के तरीके में भी स्पष्ट झलकने लगता है. कारण बताते हुए आकांक्षा कहती है कि कालेज लाइफ के बाद भी ऐसा लगने लगता है कि हम ने न तो ड्रैस फ्रैंड्स को दिखानी है और न ही अपना लुक. सिर्फ घर में ही तो रहना है इसलिए अब तो नाइट सूट में ही पूरे दिन मजे से रहो. जब चाहे सो कर उठो, जो मरजी खाओ, जितना चाहे टीवी देखो, पढ़ो या नहीं पढ़ो, सब अपनी मरजी के अनुसार होता है.

  1. मनमरजी को कहें बाय

कहने को तो मरजी कालेज में भी चलती है, लेकिन तब वह कुछ हद तक हमारी पर्सनैलिटी में निखार लाती है. घर बैठ कर मनमरजी चलाना खुद के लिए फायदेमंद साबित नहीं होता.

पेरैंट्स जब इस सुस्ती व ढीलेपन पर बारबार टोकते हैं तो उन्हें भी वे नजरअंदाज करती हैं. सुस्ती व ढीलापन शरीर के साथसाथ मानसिक तनाव भी देता है, जिस से निकलना आसान नहीं होता.

अनुपमा सिन्हा कहती है, ‘‘कालेज के बाद आप रैस्ट मूड में हैं, आप का कमरा, ड्रैसेज, किचेन सब अस्तव्यस्त है, परंतु घर के बाकी सदस्य हमारे इस बदले लाइफस्टाइल से कितने डिस्टर्ब हो रहे हैं, यह समझने के मैनर्स तो हम में होने चाहिए,’’ लेकिन अनुपमा की बात काटते हुए शशांक बोला, ‘‘यार, हर समय, हर जगह तो हम खुद को नियमों में नहीं बांध सकते. आफ्टर औल, रिलैक्सेशन भी तो कोई चीज है, क्या हम इसे भी फुलफिल ऐंजौय नहीं कर सकते.’’

इन दोनों के मत को इस प्रतिनिधि ने कुछ यंगस्टर्स के सामने रखा तो अधिकतर गर्ल्स का यही कहना था कि ऐंजौय करने की भी एक सीमा होनी चाहिए. इसलिए मनमरजी को कहें बाय और अपनी पर्सनैलिटी को कहें हाय.

2. फिटनैस का फंडा

कुछ भी खानेपीने से परहेज करें

कालेज टाइम में आप ने अपना खाने का जैसा रूटीन बना रखा था उसी का पालन करें. ऐसा न हो कि जो मिला, जितनी बार मिला, खा लिया. अपने पेट को फैलता हुआ कुआं न बनाएं. फास्ट फूड से परहेज रखें, क्योंकि इस में कैलोरी की मात्रा बहुत अधिक होती है, जिस से मोटापा बढ़ता है. मोटापा बढ़ने से कौन्फिडैंस लैवल भी घटेगा.

पोषक तत्त्वों से भरपूर डाइट लें. फल व सब्जियों में रस व फाइबर होने से ये जहां आप को ऊर्जा प्रदान करेंगे, वहीं इन से आप को लंबे समय तक भूख भी नहीं लगेगी. जब आप पौष्टिक खाद्य पदार्थों का सेवन करेंगी तो इस से आप फिट तो रहेंगी ही साथ ही आत्मविश्वास भी बरकरार रहेगा.

दिल्ली विश्वविद्यालय के राजधानी कालेज से पासआउट स्नेहा ने बताया कि जब मैं कालेज में पढ़ती थी तो अपनेआप को फिट रखती थी, लेकिन जैसे ही कालेज की पढ़ाई खत्म हुई मैं ने खुद पर ध्यान देना ही छोड़ दिया, जिस का नतीजा यह हुआ कि कालेज में जो दोस्त मेरी फिटनैस और अपटुडेट रहने की तारीफ करते नहीं थकते थे आज वही मुझे बेवकूफ व झल्ली कहने से नहीं हिचकते. इसलिए मैं कालेज पासआउट युवतियां, जो घर में रहती हैं, से कहना चाहूंगी कि कालेज छूटने के बाद भी अपनी दिनचर्या पर विशेष ध्यान दें.

3. ऐक्सरसाइज जरूर करें

भले ही कालेज टाइम में आप बहुत ज्यादा ऐक्सरसाइज यह सोच कर न करती हों कि कालेज आनेजाने में ही काफी ऐक्सरसाइज हो जाती है, लेकिन ऐसी सोच कालेज के बाद सही नहीं है, क्योंकि घर पर रहने से शारीरिक व्यायाम कम ही हो पाता है जिस से मोटापा व अन्य बीमारियां बढ़ने की आशंका बनी रहती है, इसलिए ऐक्सरसाइज का रूटीन जरूर बनाएं.

रोजाना सुबह जल्दी उठ कर पार्क जाएं. पार्क जाने से जहां आप का ऐक्सरसाइज का रूटीन बनेगा वहीं आप का प्रकृति से लगाव भी बढ़ेगा. हो सकता है कि आप पार्क में जा कर ऐक्सरसाइज करने के मूड में न हों, ऐसे में आप जिम भी जौइन कर सकती हैं. लेकिन एक बात का ध्यान जरूर रखें कि ऐक्सरसाइज कभी न छोड़ें.

अंजू वर्मा का कहना है कि मैं कालेज टाइम में बहुत पतली थी. मुझे लगता था कि मैं हमेशा ऐसी ही रहूंगी, इसलिए मैं ने कालेज के बाद ऐक्सरसाइज करना छोड़ दिया, जिस का रिजल्ट यह हुआ कि मैं मोटी हो गई. आज मुझे इस बात का बहुत पछतावा है. काश, मैं उसी समय संभल जाती तो आज मेरी ऐसी हालत न होती.

दिल्ली विश्वविद्यालय के गार्गी कालेज से ग्रैजुएट दीक्षा का कहना है कि मैं ने अपना वही रूटीन रखा जो मेरा कालेज टाइम में था. ऐसा मैं इसलिए भी कर पाई, क्योंकि हमारे परिवार में सभी का सुबह जल्दी उठ कर ऐक्सरसाइज करने का रूटीन है. इस से मैं अब भी वैसी की वैसी ही हूं.

4. वजन पर नियंत्रण रखें

हफ्ते में एक बार वजन जरूर कराना चाहिए ताकि अगर आप का वजन बढ़ रहा है तो उसे शुरुआती दौर में ही नियंत्रित किया जा सके.

अगर आप ने जिम जौइन कर रखा है तो वहां रोजरोज वजन तौल कर खुद को परेशान न करें, क्योंकि यदि वजन बढ़ता है तो तनाव भी बढ़ता है. यदि आप को लग रहा है कि आप वजन पर नियंत्रण नहीं रख पा रही हैं तो अपने जिम के डाइटीशियन से डाइट चार्ट बनवा लें. फिर भी अगर वजन कम न हो तो चिकित्सक की राय लें. इस प्रकार आप खुद को फिट रख पाएंगी. इस विषय पर खासतौर से ध्यान दें कि अनेक कंपनियों के आज सप्लिमैंट्स फूड्स के नाम से कुछ पेय पदार्थ मार्केट में हैं, जिन्हें सुबह और रात को लेने से नाश्ता व रात का खाना नहीं खाना होता है लेकिन कहीं ये पेय पदार्थ आप की सेहत से तो खिलवाड़ नहीं कर रहे हैं, इसलिए इन से सजग रहें.

5. स्मार्टनैस बरकरार रखें

खुद को समय के अनुसार ढालें. ऐसा न सोचें कि अब मुझे देखने वाला कौन है जो मैं कपड़ों पर या किसी अन्य चीज पर इतने पैसे खर्च करूं. स्मार्टनैस खुद के लिए भी बहुत महत्त्व रखती है. इस से आप कौन्फिडैंट भी फील करेंगी.

यहां स्मार्टनैस का मतलब सिर्फ कपड़ों से ही नहीं है बल्कि आप के बात करने के ढंग, भाषाशैली आदि से भी है. आप यह बात अच्छी तरह जानती हैं कि आज के युवक उन्हीं लड़कियों को पसंद करते हैं जो हर चीज में स्मार्ट हों इसलिए समय की मांग और खुद के लिए स्मार्टनैस को बरकरार रखें.

इस बारे में स्नेहा का कहना है कि मैं कालेज टाइम से ही अपनी स्मार्टनैस के लिए जानी जाती हूं. मेरे दोस्त मुझे स्मार्टी कह कर बुलाते थे. जब मैं ने कालेज छोड़ा तभी निश्चय कर लिया था कि मैं अपनी इस स्मार्टनैस को हमेशा बरकरार रखूंगी और मैं ने रखा भी. इसलिए हर किसी को हमेशा अपनी स्मार्टनैस का ध्यान रखना चाहिए.

6. रुचि वाले सब्जैक्ट की ट्यूशन पढ़ाएं

आप कालेज की पढ़ाई के बाद अपने ज्ञान को लौक न करें. आप ट्यूशन पढ़ा कर अपनी नौलेज को बरकरार रख सकती हैं. अगर आप में सीनियर क्लास के बच्चों को पढ़ाने का कौन्फिडैंस नहीं है तो प्राइमरी क्लास के बच्चों को ट्यूशन पढ़ाएं. इस से आप का ज्ञान तो बढ़ेगा ही साथ ही घर बैठे आप की पौकेटमनी भी बन जाएगी. इस से आप आत्मनिर्भर भी बनेंगी. इस फैसले से आप के पेरैंट्स आप पर बहुत गर्व करेंगे.

इस संबंध में नेहा का कहना है कि कालेज के बाद जब मैं काफी समय तक खाली बैठी तो काफी बोरियत होने लगी साथ ही नकारात्मक विचार भी मन में आने लगे. तभी मेरे दोस्त ने मुझे ट्यूशन पढ़ाने की सलाह दी. उस की इस सलाह ने मेरी जिंदगी बना दी. आज मेरा अपना ट्यूशन सैंटर है और मैं महीने के 50 हजार रुपए कमा लेती हूं.

रेखा का इस संबंध में कहना है कि मेरी इंगलिश सब्जैक्ट  में खास रुचि है, लेकिन उस के बावजूद मैं ने अपनी इस क्षमता का फायदा नहीं उठाया, जिस का मुझे आज तक पछतावा है. मेरे दोस्त आज काफी आगे निकल गए हैं लेकिन मैं वहीं की वहीं हूं, सिर्फ सही निर्णय न लेने के कारण.

7. नौलेज अपडेट करती रहें

अगर आप पूरे दिन में 6 घंटे टीवी देख रही हैं तो उस में से 2 घंटे न्यूज, डिस्कवरी, नौलेज वाले चैनल्स जरूर देखें. इस से आप वर्ल्ड में घटित घटनाएं जान सकती हैं, साथ ही अगर आप किसी ऐग्जाम वगैरा की तैयारी कर रही हैं तो उस में भी आप को इस का काफी लाभ मिलेगा.

नौलेज अपडेट रखने का सब से बड़ा फायदा यह होता है कि आप समूह में बात करने से पीछे नहीं रहेंगी. जब आप को विषय की संपूर्ण जानकारी होगी तो आप अपना पक्ष भी रख सकेंगी. इस का सामने वाले पर भी अच्छा प्रभाव पड़ेगा. हो सकता है कि इस से आप को कहीं अच्छी नौकरी का अवसर भी मिल जाए.

इस संबंध में स्वीटी का कहना है कि मैं अपने कालेज की टौपर रही हूं, लेकिन कालेज के बाद मैं ने नौलेज अपडेट करने की ओर कोई ध्यान नहीं दिया जिस का मेरी पर्सनैलिटी पर तो प्रभाव पड़ा ही, साथ ही मुझे कही नौकरी भी नहीं मिली.

8. बुक्स पढ़ती रहें

कालेज के बिजी शैड्यूल की वजह से अकसर ऐसा होता होगा कि आप कोर्स के अलावा अन्य लेखकों की किताबें नहीं पढ़ पाई होंगी. तो अब तो गोल्डन टाइम है, जितनी बुक्स पढ़ सकें, पढ़ें. बुक्स में जो तथ्य आप को रोचक लगते हैं उन्हें एक डायरी में नोट करती रहें. आप अपनी यह रोचक जानकारी फेसबुक व व्हाट्सऐप पर सब के साथ शेयर कर सकती हैं, अगर किसी लेखक की जीवनदर्शन संबंधी कोई बात आप के दिल को छू जाए तो उसे भी शेयर करना न भूलें, क्योंकि आपाधापी, भागदौड़, फुल टैंशन लाइफ में ऐसे थौट्स मन को सुकून देते हैं. बुक्स अपने फ्रैंड्स के साथ भी शेयर कर सकती हैं. जिस बुक को पढ़ रही हैं उस के औथर का इंटरनैट से जीवनवृत्तांत भी खंगाल डालिए, उन का लाइफस्टाइल भी आप की लाइफ को स्टाइल देगा.

9. हौबी क्लासेज जौइन करें

आप की जो हौबी हो उसे बढ़ाएं. जैसे खाना बनाना, सिंगिंग, डांसिंग आदि जो अच्छा लगता हो उस की क्लासेज जौइन करें. इस से आप बोर भी नहीं होंगी और कुछ नया भी सीखेंगी. भविष्य में यह आप के काम आएगा. खाली समय का सदुपयोग करने वालों की ही जीत होती है.

Winter Special: जीरो फिगर की दीवानगी

हर कोई हीरो बनना चाहता है जीरो नहीं, लेकिन जब बात परफैक्ट बौडी फिगर की आती है, तो युवाओं में जीरो साइज बौडी फिगर का जबरदस्त क्रेज दिखाई देता है जहां हर युवक रितिक रोशन जैसा दिखना चाहता है और हर युवती करीना जैसी परफैक्ट फिगर पाना चाहती है और चाहे भी क्यों न भला, आखिर परफैक्ट बौडी पर ही तो हर पोशाक जंचती है.

दुनिया से साइज जीरो फिगर का परिचय पहली बार 1966 में ब्रिटिश मौडल ट्वीगी ने कराया था. भारत में जीरो साइज फिगर को युवाओं के बीच पौपुलर किया प्रसिद्ध अभिनेत्री करीना कपूर ने. फिल्म ‘रिफ्यूजी’ की 65 किलोग्राम की करीना ने जब फिल्म ‘टशन’ के लिए अपना वजन घटा कर 49 किलोग्राम किया, तो देशभर के युवा उन की जीरो साइज सैक्सी फिगर के दीवाने हो गए.

30-22-32 की जीरो फिगर में पतली कमर न केवल खूबसूरती का आईना होती है बल्कि स्वास्थ्य की दृष्टि से भी बेहतर होती है, क्योंकि मोटापा या बेडौल शरीर ब्लड प्रैशर, शुगर, थायराइड, हार्ट संबंधी अनेक गंभीर बीमारियों को न्योता देता है. टीवी, पत्रपत्रिकाओं, फिल्मों में दिखते जीरो साइज मौडल भी युवाओं को जीरो साइज बौडी पाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं. जीरो साइज के दीवाने युवा डाइट कंट्रोल कर के जिम जौइन कर तरहतरह की सर्जरी करवा कर जीरो साइज पाने की रेस में खड़े हैं.

वे हर रोज सुबह उठ कर अपना वजन नापते हैं और इंचीटेप से कमर का नाप लेते हैं. उन का एकमात्र ध्येय होता है, जीरो साइज फिगर पाना. फिर चाहे उस के लिए उन्हें कुछ भी क्यों न करना पड़े.

छोटे परदे पर साइज जीरो का जनून

साइज जीरो वाली पतली कमर व परफैक्ट फिगर वाली छोटी परदे की सभी नाजुक बालाएं मानती हैं कि साइज जीरो यानी ब्यूटी व अट्रैक्शन और इसी सोच के आधार पर आज सभी हौलीवुड बालाएं जीरो फिगर के फंडे को अपना रही हैं. फिर चाहे वे ‘एक हजारों में मेरी बहना हो’ की क्रिस्टल डिसूजा हों, ‘इस प्यार को क्या नाम दूं’ की सनाया ईरानी हों, ‘सास बिना ससुराल’ की ऐश्वर्या सखूजा हों, ‘उतरन’ की टीना दत्ता हों या फिर ‘बालिका वधू’ की प्रत्यूषा बनर्जी हों.

गैजेट्स भी भुना रहे हैं जीरो फिगर ट्रैंड को

जीरो फिगर की दीवानगी अब लैपटौप में साफ दिखाई दे रही है. हाल ही में सोनी कंपनी ने अपना अल्ट्रा स्लिम लैपटौप ‘वायो ऐक्स’ लौंच किया, जिसे बौलीवुड की जीरो फिगर ब्यूटी करीना ने प्रमोट किया.

करीना कपूर की जीरो साइज फिगर में रुजुता दिवाकर का योगदान

करीना कपूर को जीरो साइज फिगर दिलाने में करीना की डाइटीशियन रुजुता का बहुत बड़ा यो गदान था. रुजुता मानती हैं कि जीरो साइज फिगर पाने के लिए मुख्य 4 बातों पर ध्यान देना चाहिए. 1. सुबह उठने के बाद चाय या कौफी बिलकुल न लें, बल्कि 10-15 मिनट के भीतर कुछ फल खाएं या हैल्दी स्नैक्स लें. 2. दिनभर में हर 2 घंटे के अंतराल पर कुछ न कुछ थोड़ाथोड़ा खाएं. यानी दिनभर में 8-9 बार कुछ न कुछ खाएं. 3. भोजन की मात्रा आप की कार्यक्षमता यानी आप दिन भर में कितनी कैलोरी बर्न करते हैं, इस बात पर निर्भर करती है. 4. रात का भोजन सोने से 2 घंटे पहले कर लें. दिन भर के खाने में एक सेब, अंडे की सफेदी, दूध, चीज, स्लाइस, मुट्ठी भर मेवे अवश्य शामिल करें. दिनभर में 5 लिटर पानी पीएं. इस से आप की त्वचा पर चमक आएगी. वजन कम करने के लिए रोजाना 45 मिनट तक ऐक्सरसाइज व जौगिंग करें व अच्छी नींद लें.

जीरो फिगर बौडी पाने की राह में डाइट की भूमिका

डाइटीशियन गीतू अमरनानी कहती हैं, आजकल युवाओं में जीरो फिगर बौडी पाने का जबरदस्त क्रेज है. जीरो फिगर बौडी पाने के लिए डाइट का खास ध्यान रखना बेहद जरूरी होता है. कुछ युवा जीरो फिगर बौडी पाने के लिए भूखे रह कर अपने शरीर के साथ खिलवाड़ करते हैं, जो एकदम गलत है. जीरो फिगर बौडी के लिए आप का डाइट प्लान ऐसा होना चाहिए जिस में सभी जरूरी पोषक तत्त्व मसलन, कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, विटामिन, मिनरल या जरूरी फैट हों. डाइट प्लान आप के वजन व हाइट के अनुसार होना चाहिए.

वजन कम करने के लिए केवल डाइटिंग के बजाय ऐक्सरसाइज को भी शामिल करें. ज्यादा डाइटिंग से शरीर में तनाव बढ़ाने वाले हारमोन बढ़ जाते हैं और आप सामान्य से ज्यादा खाना खाने लगते हैं. डाइट में अनाज, फल, सब्जियां शामिल करें. इस से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी व मैडिकल जटिलताएं भी नहीं होंगी.

खाने में जंकफूड से दूर रहें. आप की डाइट ऐसी हो जो आप के स्वास्थ्य के लिए भी सही हो. जीरो साइज फिगर पाने के लिए ऐसी डाइट लें जो आप के शरीर को ताकत दे. खाने में हाईफाइबर चीजें शामिल करें. इस से शरीर का मैटाबौलिज्म रेट बढ़ने के साथसाथ कैलोरी जल्दी घटने में भी मदद मिलती है. डाइट में सूप, सलाद, नारियल पानी व ग्रीन टी शामिल करें. खाने में छोटा या रैगुलर साइज चुनें. खाना धीरेधीरे खाएं. हर कौर को 20 सैकंड तक चबाएं. इस से पाचनशक्ति बढ़ेगी और आप को मनचाही फिगर पाने में मदद भी मिलेगी.

ऐक्सरसाइज को न करें नजरअंदाज

‘‘अगर आप जीरो फिगर बौडी पाना चाहते हैं तो आप को डाइट के साथसाथ अपने ऐक्सरसाइज शैड्यूल पर भी ध्यान देना होगा,’’ यह कहना है कृष्णा नगर, दिल्ली के रिदम जिम की संचालिका पूजा का. पूजा बताती हैं, ‘‘एक रात में जीरो फिगर बौडी पाना असंभव है, लेकिन सही डाइट प्लान व नियमित ऐक्सरसाइज द्वारा आप जीरो साइज बौडी अवश्य पा सकते हैं. शरीर के ऊपरी हिस्से से वजन कम करने के लिए पुशअप करें, शोल्डर प्रैस से शरीर सुडौल बनता है व कमर पतली तथा शरीर स्ट्रीमलाइंड बनता है. पेट के निचले हिस्से से फैट कम करने के लिए एब्डौमिनल क्रंच करें. इस के अलावा टे्रडमिल व स्टेपिंग मशीन का प्रयोग कर के भी आप परफैक्ट जीरो बौडी फिगर पा सकते हैं.’’

पूजा बताती हैं कि जीरो फिगर बौडी पाने की चाह में वजन एकदम से न घटाएं. इस से त्वचा ढीली हो कर लटक सकती है, जबकि सही तरीके से वजन घटाने व डाइट लेने से मसल्स मजबूत व बौडी शेप में आ जाती है. व्यायाम शरीर की जरूरत व क्षमता के अनुसार करें. ऐक्सरसाइज के दौरान सिप कर के कुनकुना पानी पीना न भूलें, ताकि पसीने के रूप में निकलने वाले तरल पदार्थों की पूर्ति हो सके. वर्कआउट के साथ मनचाहा खाना खाने का लाइसैंस न लें. सही डाइट व रैगुलर वर्कआउट से आप मनचाही फिगर पा सकते हैं. वर्कआउट अपने वजन, लंबाई, आयु, दिनभर की गतिविधियां मैटाबौलिक रेट, डाइट व जीवनशैली के अनुसार करें. कोई भी ऐक्सरसाइज करने से पहले ऐक्सपर्ट की राय अवश्य लें.

पूजा कहती हैं, ‘‘जीरो साइज में बुराई नहीं है, लेकिन जीरो साइज फिगर के लिए हैल्थ के साथ खिलवाड़ न करें. जीरो फिगर पाने के लिए क्रैश डाइट व ऐक्सरसाइज के गलत तरीकों को अपना कर शरीर के साथ खिलवाड़ न करें. खूबसूरती व परफैक्ट फिगर के साथसाथ हैल्थ को भी पूरा महत्त्व दें.’’

जीरो फिगर स्टार अभिनेता- अभिनेत्रियां

सोनम कपूर : आप को यह जान कर हैरानी होगी कि आज की जीरो फिगर सोनम कपूर का वजन किसी समय 86 किलो था. सोनम कपूर अपनी डाइट में पेयपदार्थों को भरपूर शामिल करती हैं. वे हर 1-2 घंटे में नारियल पानी पीती हैं. इस के अलावा वे खीरे का रस व छाछ भी खूब पीती हैं. सोनम चीनी व नमक सोचसमझ कर ही लेती हैं.

प्रतीक बब्बर : ‘‘अगर आप फिट नहीं हैं, तो जिंदगी में कुछ भी ऐंजौय नहीं कर सकते.’’ प्रतीक का मानना है कि हर किसी को रैगुलर वर्कआउट करना चाहिए. प्रतीक की फेवरेट परफैक्ट बौडी फिगर में मेल सैलेब्रिटी हग जैकमैन व रितिक रोशन हैं जबकि फीमेल सैलेब्रिटी मेगन फौक्स व प्रियंका चोपड़ा हैं.

करीना कपूर : जीरो फिगर की सिंबल करीना के अनुसार, ‘‘सैक्सी नहीं है मोटापा. भला मोटी हो कर कोई हौट कैसी लगेगी. अच्छी फिगर हर फीमेल का सपना होता है. बौडी के फैट डिपौजिट्स पर गर्व भला कैसे किया जा सकता है.’’

कैटरीना कैफ : हाल ही में कैट ने धूम-3 में मिस्टर परफैक्शनिस्ट आमिर खान को टक्कर देने के लिए 2 महीने में 5 किलोग्राम  वजन कम कर के स्वयं को स्लिम व स्किनी टीम में शामिल कर लिया है.

वजन घटाने में मददगार जीरो नूडल्स

‘डेली मेल’ की एक खबर के अनुसार जापान में वजन घटाने में मददगार जीरो नूडल्स पेश किए गए हैं. ये जीरो नूडल्स एशियन ग्राउंड रूट कौंजेक और 96 प्रतिशत पानी से तैयार किए गए हैं. इन के निर्माताओं का दावा है कि ये नूडल्स न केवल कैलोरी की मात्रा कम करेंगे बल्कि आप के दिमाग को सोचने के लिए भी प्रेरित करेंगे कि आप ने पेट भर भोजन कर लिया है.

हाल ही में इसराईल सरकार ने अल्ट्रास्लिम होने से जुड़े तमाम रिस्क देखते हुए एक कानून द्वारा मौडल पर बैन लगा दिया है. कानून के अनुसार, मौडल को मौडलिंग करने के लिए सही बीएमआई मैंटेन करना होगा. मौडल को अपनी मैडिकल रिपोर्ट में प्रूव करना होगा कि वह हैल्दी है और अंडरवेट नहीं अर्थात उस का बीएमआई 18.5 से कम नहीं है. ऐसा कानून बनाने वाला इसराईल दुनिया का पहला देश है. 

Winter Special: स्पर्म काउंट पर भारी पड़ती स्क्रीन टाइमिंग

बहुत से लोग हर वक्त मोबाइल पे चिपके रहते हैं. उन की यह लत उन्हें बहुत भारी पड़ सकती है क्योंकि हाल ही में अमेरिकन जरनल में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार हफ्ते में 20 घंटे से ज्यादा टीवी या मोबाइल फोन देखने से पुरुषों के स्पर्म प्रोडक्शन में 35% तक की कमी आ सकती है. रिपोर्ट के मुताबिक 1 दिन में 5 घंटे से ज्यादा टीवी देखने वाले लोगों के शरीर में स्पर्म काउंट में भारी कमी आती देखी गई.इस के ठीक उलट कंप्यूटर पर रोजमर्रा का औफिस का दिनभर काम करते रहने वालों के शरीर में ऐसी कोई कमी नहीं देखी गई.

ऐसे लोगों के न तो स्पर्म काउंट में कोई कमी देखी गई और न ही उन के शरीर में टेस्टोस्टेरौन के स्तर में कोई कमी आई. इस का एक कारण यह भी हो सकता है कि ऐसे लोग, जो बहुत ज्यादा टीवी देखते हैं, ज्यादा ऐक्सरसाइज नहीं करते हों और न ही हैल्दी खाना खाते हों, तो ये आदतें सीधे तौर पर फर्टिलिटी पर प्रभाव डालती हैं.इनफर्टिलिटी का बड़ा कारणटीवी या मोबाइल पर फिल्में देखने वालों का दिमाग एक तरह से काम करना बंद कर देता है.

जंक फूड के अत्यधिक सेवन और आलस भरे लाइफस्टाइल के चलते आजकल काफी लोग मोटापे का शिकार हो रहे हैं और यह इनफर्टिलिटी का एक बड़ा कारण बनता जा रहा है. मोटापे की वजह से पुरुषों और महिलाओं दोनों की कामेच्छा कम होती जाती है. मोटापा न केवल यौन संबंध बनाने की इच्छा में कमी लाता है, बल्कि इस के चलते सैक्स के दौरान जल्दी स्खलन होने की समस्या भी पेश आती है. इस के चलते सैक्सुअल परफौर्मैंस प्रभावित होती है क्योंकि लिंग में पर्याप्त उत्तेजना नहीं आ पाती, साथ ही अगर महिला मोटापे से पीडि़त है, तो उस स्थिति में सही तरीके से समागम भी नहीं हो पाता है.

कैन, पैकेट बंद फूड और हाई फैट युक्त चीजें बहुत तेजी से और बड़ी मात्रा में ऐसिडिटी पैदा करती हैं, जिस से शरीर के पीएच स्तर में बदलाव आता है. आलस भरे लाइफस्टाइल के साथ कैमिकल ऐडिटिव्स और ऐसिडिक नेचर वाला खानपान या तो स्पर्म सैल्स के आकार और उन की गतिशीलता को नुकसान पहुंचाता है या फिर इस की वजह से स्पर्म डैड हो जाते हैं.

शारीरिक अक्षमता‘ब्रिटिश जनरल औफ स्पोर्ट्स मैडिसन’ में प्रकाशित रिपोर्ट के तहत लैब ऐनालिसिस के लिए 18 से 22 साल की उम्र के 200 स्टूडैंट्स के स्पर्म सैंपल कलैक्ट किए गए. उन के विश्लेषण से यह पता चला कि सुस्त लाइफस्टाइल और स्पर्म काउंट में कमी का एकदूसरे से सीधा संबंध है. ज्यादा टीवी देखने वालों का औसत स्पर्म काउंट 37 एमएन माइक्रोन प्रति एमएल था, जबकि उन स्टूडैंट्स का स्पर्म काउंट 52 एमएन माइक्रोन प्रति एमएल था, जो बहुत कम टीवी देखते हैं.सुस्त लाइफस्टाइल और टीवी देखने के आदी लोगों के स्पर्म काउंट में सामान्य के मुकाबले 38% तक कमी पाई गई.

इस रिपोर्ट से यह भी साबित हुआ है कि अत्यधिक टीवी देखने वालों के हृदय में अत्यधिक आवेग के चलते फेफड़ों में खून का जानलेवा थक्का जमने और उस के चलते हार्ट अटैक से मौत होने की संभावना भी 45% तक बढ़ जाती है और टीवी या मोबाइल स्क्रीन के सामने हर 1 घंटा और बिताने के साथसाथ यह संभावना और भी बढ़ती जाती है.

हर चीज की एक सीमा हो कुछ रिपोर्ट्स में बताया गया है कि हर हफ्ते औसतन 18 घंटे की ऐक्सरसाइज करने से स्पर्म क्वालिटी बढ़ाई जा सकती है, लेकिन अत्यधिक ऐक्सरसाइज करने से भी स्पर्म क्वालिटी पर असर पड़ता है. देखने में आया है कि शारीरिक रूप से सक्रिय रहने वाले ऐसे लोग जो हफ्ते में 15 घंटे मौडरेट ऐक्सरसाइज करते हैं या कोई खेल खेलते हैं उन का स्पर्म काउंट शारीरिक रूप से कम सक्रिय रहने वाले लोगों की तुलना में 3-4 गुना तक ज्यादा रहता है.

टीवी या मोबाइल के सामने घंटों एकटक निगाहें रखने का सीधा संबंध शरीर में गरमी बढ़ाने से होता है. स्पर्म सैल्स ठंडे वातारण में ज्यादा अच्छी तरह पनपते हैं, जबकि शरीर के ज्यादा गरम रहने से वे ज्यादा अच्छी तरह नहीं पनप पाते हैं.जरूरत से ज्यादा ऐक्सरसाइज करना और लगातार टीवी देखना, दोनों ही शरीर में फ्रीरैडिकल्स के उत्पादन और उत्सर्जन को बढ़ावा देते हैं, जिस के चलते स्पर्म सैल्स मर जाते हैं, जिस का प्रजनन क्षमता पर सीधा असर पड़ता है.

Winter Special: झड़ते बाल कैसे रोके

हर महिला की चाहत होती है कि उस के सुंदर, घने, काले बाल हों जो उस की खूबसूरती को बढ़ा जाएं. जब ये बाल उम्र से पहले ही झड़ने लग जाएं तो दिल पर क्या बीतती है यह तो कोई युवा महिला ही बता सकती है. सिर्फ औरतें ही नहीं बल्कि पुरुषों को भी इस मुसीबत का सामना करना पड़ता है. वर्तमान समय में हर दूसरा व्यक्ति बाल झड़ने की समस्या से जूझ रहा है. इस समस्या से

निजात पाने के लिए कोई घरेलू नुस्खों को अपनाता है तो कोई आयुर्वेदिक तेल और तरह तरह के शैंपू आजमाता है. कोई सप्प्लिमेंट्स लेने लगता है तो कोई बालों की कटिंग ही करा लेता है. लेकिन समस्या जस की तस बनी रहती है. औसत वयस्क के सिर में लगभग 100,000 से 150,000 बाल होते हैं. अमेरिकन एकेडमी ऑफ डर्मेटोलॉजिस्ट के अनुसार प्रतिदिन 50 से 100 बालों का गिरना सामान्य है. अगर आप के बाल इस से ज्यादा गिरते हैं और गुच्छों में निकलते हैं तो समझ जाइए कि आप के बाल झड़ने लगे हैं.

समय पर ध्यान नहीं दिया गया तो परिणाम के रूप में गंजेपन की सौगात मिल सकती है. वैसे महिलाओं में गंजापन कम ही देखा जाता है. मगर ज्यादा समय तक बाल झड़ने की समस्या बने रहने से उन के बाल पतले और छोटे हो जाते हैं. साथ ही बालों की खूबसूरती भी चली जाती है. इसलिए समय रहते अपने बालों की चिंता करें, उन का ख़याल रखें और अगर बाल ज्यादा संख्या में गिर रहे हैं तो कारण समझने का प्रयास करें. दरअसल बालों के गिरने की समस्या अक्सर खराब हेयर केयर रूटीन, सही डाइट न लेने और स्कैल्प से जुड़ी बीमारियों के कारण होता है. मन में किसी तरह का तनाव हो तो भी बाल कम हो जाते हैं.

बाल झड़ने के पैटर्न

सिर के ऊपर धीरे धीरे बालों का कम होना – यह बालों के झड़ने का सब से आम प्रकार है. बाल झड़ने की यह समस्या बढ़ती उम्र के साथ लोगों को प्रभावित करता है. पुरुषों में अक्सर माथे पर हेयरलाइन पर बाल झड़ने लगते हैं मगर महिलाओं के साथ ऐसा नहीं होता. उन के पूरे बाल कम होने लगते हैं. चकत्तों में बालों का झड़ना – कई लोगो में गोलाकार में बाल झड़ने की समस्या होती है. इस में लोग अपने सिर पर सिक्के के आकार के गंजेपन के चकत्ते महसूस करते हैं.

हल्के से छूने से गुच्छों में बालों का झड़ना – कुछ लोगों को एक साथ काफी बाल टूटने की समस्या का सामना करना पड़ता है. ऐसे में बाल गुच्छे में टूटते हैं जिस की वजह से गंजापन तेजी से होता है. लेकिन यह समस्या जल्द ही ठीक भी हो जाती है. बालों से जुड़ी यह समस्या तब होती है जब कोई व्यक्ति किसी गंभीर और लंबे समय तक किसी शारीरिक समस्या से जूझता रहता है.

पूरे शरीर से बाल झड़ना –  कई लोगों को पूरे शरीर में बाल झड़ने की समस्या होती है. ऐसे में अचानक से शरीर से बाल झड़ने लग जाते हैं. कुछ चिकित्सीय उपचारों जैसे कि कैंसर के लिए कीमोथेरेपी से भी पूरे शरीर के बाल झड़ सकते हैं. बाद में आमतौर पर बाल फिर से उग आते हैं. कोई भी समस्या होने के पीछे कोई न कोई कारण जरूर जरूर होता है. इसी प्रकार बाल झड़ने की समस्या होने के पीछे भी कई कारण होते हैं जिन की पहचान कर बाल झड़ने की समस्या से बच सकते हैं.

आइए जानते हैं बाल झड़ने के कुछ संभावित कारणों के बारे में ;

  • तनाव या डिप्रेशन के कारण – जब कोई व्यक्ति लगातार काफी लंबे समय से डिप्रेशन की समस्या जूझता है तो उस दौरान उसे बाल झड़ने की समस्या का सामना करना पड़ सकता है. वैसे तो डिप्रेशन एक मानसिक बीमारी है लेकिन समय पर उपचार न होने से यह एक शारीरिक समस्या के रूप में भी सामने आने लगती है. ऐसे में केवल बाल ही नहीं झड़ते बल्कि बाल सफ़ेद भी होने लगते हैं.
  • पोषण की कमी – शरीर में पोषण की कमी भी बाल झड़ने का एक सब से मूल कारण है. खासकर महिलाएं अपने पोषण का ख़याल नहीं रखतीं. अगर आप संतुलित आहार नहीं लेते तो आप को बाल झड़ने की समस्या संभावित रूप से हो सकती है. इसलिए अपने खाने में हमेशा विटामिन ई, आयरन, जिंक और सबसे जरूर प्रोटीन को जरूर शामिल करना चाहिए.
  • हेयर स्टाइलिंग या हेयर स्टाइल –  जरूरत से ज्यादा हेयर स्टाइलिंग करने की वजह से भी बाल झड़ने की समस्या का करना पड़ सकता है. जब आप ज्यादा हेयर स्टाइलिंग करवाते हैं तो इस की वजह से आप के बालों को कस कर खींचा जाता है और केमिकल्स लगाए जाते हैं जिस से ये कमजोर हो सकते हैं.
  • कैंसर रोग के कारण – कैंसर होने के कारण रोगी को बाल झड़ने की समस्या का सामना करना पड़ सकता है. इस गंभीर रोग के दौरान रोगी को अक्सर काफी गंभीर और जटिल उपचारों से गुजरना पड़ता है और साथ ही काफी दवाएं भी लेनी पडती है जिसकी वजह से रोगी के पूरे शरीर से बाल झड़ने लगते हैं.
  • डैंड्रफ या रूसी- डैंड्रफ या रूसी के कारण आमतौर पर हर किसी के बाल झड़ते हैं. डैंड्रफ कई कारणों से होता है जैसे कि ड्राई स्कैल्प के कारण, ऑयली बालों के कारण, गंदगी के कारण, मौसम बदलने के कारण या फिर खराब हेयर केयर रूटीन के कारण.
  • आनुवांशिकता – बाल झड़ने की समस्या पारिवारिक भी हो सकती है.  अक्सर यह देखा गया है अगर किसी  को बाल झड़ने की समस्या है तो उस की आने वाली पीढ़ी में भी यह समस्या होती है.
  • लूपुस डिसऑर्डर – ऑटोइम्यून डिसऑर्डर की वजह से भी अक्सर लोगो को बाल झड़ने की समस्या का सामना करना पड़ता है जिस मे लूपुस भी एक है. लूपुस ऑटोइम्यून डिसऑर्डर होने पर शरीर के कई हिस्सों में लंबे समय तक सूजन आ जाती है जिस की वजह से उस हिस्से में ब्लड ठीक से नहीं पहुँच पाता और फिर बाल झड़ने की समस्या हो जाती है.
  • हार्मोन बदलने के कारण – अगर शरीर में हार्मोन अचानक से बदलने लग जाए या हार्मोन असंतुलित हो जाए तो इस की वजह से भी बाल झड़ने की समस्या का सामना करना पड़ता है.  यह समस्या अक्सर महिलाओं में मासिक धर्म और गर्भवस्था के दौरान देखी जाती है.
  • प्रसव के बाद– महिलाओं में बाल झड़ने का एक कारण गर्भावस्था भी है. गर्भावस्था के बाद ज्यादातर महिलाओं के बाल झड़ने लगते है. कई नई माताओं को गर्भावस्था के बाद अत्यधिक बाल झड़ने का अनुभव होता है. बाल झड़ना आमतौर पर जन्म देने के लगभग चार महीने बाद होता है.
  • दवाओं के कारण – मधुमेह, खून पतला करने की दवाएं, थायरॉइड , आर्थराइटिस, ब्लड प्रेशर और दिल की दवाएं लेने की वजह से व्यक्ति को बाल झड़ने की समस्या का समाना करना पड़ सकता है.
  • एनॉरेक्सिया और बुलिमिया – बाल झड़ने की यह समस्या किशोरों में दिखाई देती है. अक्सर किशोर स्लिम फिट बॉडी की चाहत में अक्सर डाइटिंग करते हैं जिस की वजह से उन्हें एनॉरेक्सिया और बुलिमिया जैसे ईटिंग डिसऑर्डर की समस्याहो जाती है. इन डिसऑर्डर्स से ग्रसित युवा  कुपोषण का भी सामना करना पड़ता है जिस की वजह से बाल झड़ने की समस्या होने लगती है. एलोपेसिया यूनिवर्सलिस एलोपेसिया यूनिवर्सलिस एक ऐसी बीमारी है जिस में आप के शरीर के बाल भी झड़ने लगते हैं. जिन लोगों के बाल पूरी तरह झड़ जाते हैं वह एलोपेसिया टोटलिस के शिकार हो जाते हैं लेकिन जिन लोगों के शरीर के बाल धीमे धीमे झड़ते हैं उन्हें एलोपेसिया यूनिवर्सलिस कहते हैं. आमतौर पर एलोपेसिया डॉक्टरों के द्वारा ट्रीटमेंट करने पर कुछ महीनों में ठीक हो सकता है. टेलोजेन एफ्लुवियम   टेलोजेन एफ्लुवियम के कारण भी लोगों के बाल तेजी से झड़ने लगते हैं.  ये तब होता है जब आप का शरीर तनाव, सदमा, आघात या बीमारी से गुजरता है. इस से आप के सिस्टम को नुकसान पहुंचता है. सर्जरी, कुछ दवाओं के इस्तेमाल, क्रैश डाइटिंग, अत्यधिक तनाव, थायराइड आदि के कारण आप के बाल टेलोजन की स्थिति तक पहुंच जाते हैं और बाल पतले हो कर टूटने लगते हैं. ऐसे में डॉक्टरी उपचार की जरूरत हो सकती है.

टिनिआ केपिटिस (tinea capitis)

टिनिआ केपिटिस का मतलब है एक दाद संक्रमण जो त्वचा पर और खोपड़ी पर बालोंके रोम के अंदर विकसित होता है.  यह एक तरह का फंगल इंफेक्शन है जो त्वचा की अलगअलग जगहों पर बनता है. यह सिर में हो जाए तो आप के बाल तेजी सेटूटने और गिरने लगते हैं. स्कैल्प इंफेक्शन स्कैल्प इंफेक्शन स्कैल्प में बैक्टीरियल या फंगल इंफेक्शन के कारण होताहै. इस में फंगस या बैक्टीरिया बालों के रोम या क्षतिग्रस्त त्वचा के  माध्यम से खोपड़ी में प्रवेश करते हैं तो खोपड़ी संक्रमित हो सकती है. इस से बाल तेजी से टूटने लगते हैं.

रक्तचाप की समस्या के कारण – रक्तचाप की समस्या होने से बाल झड़ने शुरू हो सकते हैं. जब कोई व्यक्ति ब्लड प्रेशर की समस्या से जूझ रहा होता है तो ऐसे में ब्लड का प्रेशर बाधित हो जाता है. साथ ही ब्लड में सोडियम की मात्रा अधिक हो जाती है. इस की वजह से ब्लड बालों तक ठीक से पोषण नहीं पहुंचा पाते और व्यक्ति के बाल तेजी से गिरने लगते हैं.

बालों का गिरना कैसे रोकें

अगर आप बाल झड़ने की समस्या से जूझ रहे हैं तो निम्नलिखित उपायों को अपना कर इस से बच सकते हैं अपने बालों को सही तरीके से धोएं पतले या झड़ते हुए बाल ज्यादा नाजुक होते हैं. ये आसानी से टूट जाते हैं.

ऐसे में आप को बाल धोते समय कुछ बातों का खास ख्याल रखना चाहिए. जैसे कि एक सौम्य शैम्पू का प्रयोग करें. हर शैंपू के बाद मॉइस्चराइजिंग कंडीशनर लगाएं. कंडीशनर आप के स्ट्रैंड्स को कोट करता है जिस से टूटना और स्प्लिट एंड्स कम हो जाते हैं. अपने बालों को माइक्रोफाइबर टॉवल में लपेटें ताकि ये अधिक तेजी से सूख सके. कोशिश करें कि अपने बालों को प्राकृतिक  तरीके से सूखने दें. केमिकल स्ट्रेटनिंग और कलरिंग से बचें जितना हो सके अपने बालों को नेचुरल रूप में रहने दें क्योंकि केमिकल स्ट्रेटनिंग और कलरिंग आप के बालों को नुकसान पहुंचा सकते हैं. अगर आप ये करवा भी रहे हैं तो सैलून में करवाएं और बाद में एक मॉइस्चराइजिंग कंडीशनर का उपयोग करें. बालों में अलग अलग तरह के कलर, शैम्पू, हेयर मास्क आदि का प्रयोग न करें. कोशिश करें कि आप एक ही ब्रांड के उत्पादों का प्रयोग करें.

बालों को हौले से ब्रश करें

अपने बालों को धीरे से ब्रश करें. इस से बालों का ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है और उन्हें नुकसान भी नहीं पहुँचता. ब्रश या कंघी करते समय अपने बालों की मालिश करें. बालों को हमेशा प्यार से संभाले. बारीक़ कंघी की जगह चौड़ी कंघी का इस्तेमाल करें और बालों को खींचे नहीं. अगर बाल गीलें हैं तो उन्हें भी प्यार से ही संभालें. अपने बालों को कस कर न बांधें. बालों का हेयर स्टाइल ऐसा रखें जिस से बालों पर जोर न पड़े क्योंकि यह बालों के झड़ने का कारण बन सकता है.

डाइट सही रखें

अपनी डाइट को सही रखें ताकि बाल मजबूत बनें. आयरन और प्रोटीन से भरपूर चीजें खाएं जो बालों को मजबूत बनाते हैं. बहुत कम कैलोरी वाले खाने  से भी बाल झड़ सकते हैं. बालों के रोम ज्यादातर प्रोटीन से बने होते हैं जिन्हें केराटिन कहा जाता है. आहार में आयरन और प्रोटीन को जरूर शामिल करें. इन दोनों की कमी की वजह से बाल झड़ने की समस्या सब से ज्यादा होती है और बाल सफ़ेद भी होते हैं. अपने आहार में विटामिन बी को भी शामिल करें.

विटामिन बी की से बाल झड़ने की समस्या तेजी से बढ़ती है. गाजर खाने से बालों का झड़ना कम हो जाता है क्योंकि इसमें मौजूद विटामिन ए हमारे बालों को नरिश करता है और स्कैल्प को भी हेल्दी रखता है. इसी तरह हेयरफॉल हो रहा हो तो आप को वॉलनट्स का सेवन करना चाहिए. इस में विटामिन बी, प्रोटीन, जिंक और आयरन की मौजूदगी होती है जो बालों की सेहत के लिए फायदेमंद है.  विटामिन बी-12, आयरन, जिंक और ओमेगा 6 फैटी एसिड्स की कमी होने से भी बाल बहुत ज्यादा झड़ने लगते हैं. अंडे को बालों के लिए काफी अच्छा माना जाता है.लो फैट डेयरी प्रोडक्ट्स भी आप के बालों की ग्रोथ के लिए बेहतर विकल्प है. इस में कैल्शियम की भरपूर मात्रा पाई जाती है जो बालों की मजबूती के लिए जरूरी है. डाइट में ताजे फल और सब्जियों को शामिल करें. अंकुरित अनाज खाएं और दही को दैनिक आहार में शामिल करें. रोजाना 6 से 8 गिलास पानी पिएं. नींबू पानी और फलों और सब्जियों के ताजा निकाले गए जूस  भी पीएं. नियमित रूप से एक्सरसाइज करें.

सिगरेट शराब पीना कर दें बंद

वैसे ही नशे की लत बहुत खतरनाक है उस पर बालों के मामले में इस का नतीजा और भी बुरा होता है. शराब और सिगरेट के सेवन से प्रोटीन सिंथेसिस प्रभावित होता है. इस से बाल पतले और कमजोर हो जाते हैं. धूम्रपान करने से सिगरेट में मौजूद टॉक्सिन बालों में मौजूद हार्मोन को नष्ट भी कर सकते हैं. इस से बालों का विकास रुक जाता है. इसलिए जितनी जल्दी हो सके इस नशे को अपने जीवन से दूर करें.

शुगर से करें परहेज

मीठा खाने के शौकीन लोगों के लिए चीनी छोड़ना मुश्किल जरूर है लेकिन ऐसा करने से आपके बालों का झड़ना कम हो सकता है. रिपोर्ट्स के अनुसार चीनी खा कर आप अपने शरीर में इंसुलिन की मात्रा बढ़ा रहे हैं जो आप के बालों को सिर से अलग करता है. साथ ही यह मेल हार्मोन एंड्रोजन का भी उत्पादन करती है. इस से आपके हेयर फॉलिकल्स भी सिकुड़ जाते हैं और बाल झड़ने का कारण बन जाते हैं. कई लोग इसे नजरअंदाज करते हैं और बाल झड़ने के बाद भी चीनी के सेवन पर रोक नहीं लगाते.

हेड मसाज से बचें

जब आप के बाल झड़ने हैं तो हेड मसाज करने से बचना चाहिए क्योंकि इस से बालों का गिरना बढ़ सकता है. दरअसल मसाज करने से बालों की जड़ें कमजोर होती हैं और स्कैल्प मसाज करने पर ज्यादा बाल टूट सकते हैं. आप स्कैल्प पर तेल लगा कर रातभर इसे छोड़ सकती हैं. इस के लिए शुद्ध नारियल का तेल, ऑलिव ऑयल, बादाम का तेल और तिल का तेल यूज़ करें. गर्म किया हुआ तेल आप को ज्यादा फायदा पहुंचाएगा. आप तेल को स्कैल्प पर लगाने के बाद हल्के हाथों से उंगलियों का इस्तेमाल करते हुए सर्कुलर मोशन से मसाज कर सकते हैं लेकिन अधिक जोर न दें.

माइल्ड शैंपू का यूज करें

बाल झड़ने की परेशानी से बचने के लिए स्कैल्प को अच्छी तरह से साफ करना बहुत जरूरी है, इस के लिए माइल्ड शैंपू का यूज करें. बस इस बात का ध्यान रखें कि स्कैल्प और बालों को हफ्ते में दो या तीन बार बहुत कम शैंपू से धोना चाहिए. आप शिकाकाई, आंवला, रीठा, ब्राह्मी, भृंगराज जैसे हर्बल हेयर टॉनिक के साथ समय से पहले बालों के झड़ने का इलाज कर सकते हैं. ये सभी चीजें  बालों की मजबूती के लिए जानी जाती हैं.

खींचने वाले हेयर स्टाइल ना करें

बाल कोमल होते हैं.  टाइट ब्रैड और पोनीटेल या इस तरह के दूसरे हेयर स्टाइल आप के बालों को खींचते हैं जो आप के बालों को नुकसान पहुंचा सकते हैं. इसलिए ऐसे हेयर स्टाइल से तौबा कर लें.

केमिकल्स और ब्लीच का प्रयोग न करें

बालों के उपचार के केमिकल्स बालों के रोम को नुकसान पहुंचाते हैं. बाल झड़ रहे है तो हाइलाइट्स, पेरोक्साइड उपचार, रंगों और पर्म के उपयोग को रोक दें.

प्राकृतिक चीजों का उपयोग –  प्याज का रस निकाल लें. बालों की जड़ों में इस से मसाज करें. आधे घंटे बाद पानी से धो लें. बालों के झड़ने की समस्या में आराम मिलेगा. एलोवेरा हेयर फॉल को कंट्रोल करने में कारगर है. एलोवेरा की पत्तियों के गूदे को निकाले और उसे बालों की जड़ों में मसाज करें. आधे घंटे बाद पानी से धो दें. हेयर फॉल कम हो जाएगा. बालों की हर तरह की समस्या को रोकने में आंवला बहुत असरदार है. आंवले के पाउडर में शिकाकाई, रीठा डालकर उस का पेस्ट बालों पर लगाएं और सूखने दें. इस के बाद बालों को पानी से धो लें.

Winter Special: आधुनिक इलाज से दांत होगें और भी मजबूत

चिकित्सा जगत में अब दांतों के आधुनिक उपचार में क्रांति आई है. दांतों के आधुनिक उपचार की मांग तो बढ़ी है, लेकिन जानकारी न होने के कारण कई मरीजों को इस का खमियाजा भुगतना पड़ता है. एक ही सेशन के दौरान होने वाली कई प्रक्रियाओं जैसे दांतों को सफेद करना, ब्लीचिंग, लैमिनेट, वेनीर, मसूढ़ों की सर्जरी इनेमेलोप्लास्टी आदि से लोगों को न सिर्फ संतुष्टि मिलती है, बल्कि बिना कारण के भी औसतन से अधिक हंसने लगते हैं. लेकिन इन प्रक्रियाओं के दुष्प्रभावों को जानने के बाद आप के लिए यह निर्णय करना आसान हो जाएगा कि आप बिना कारण कुछ दिन तक हंसना चाहते हैं या फिर हमेशा के लिए अपनी हंसी को अपने पास संजो कर रखना चाहते हैं.दांतों को सफेद कराना या ब्लीचिंग कराने की प्रक्रिया को एक सेशन मेें ही किया जा सकता है. लेकिन क्या आप इस के लिए उपयुक्त उम्मीदवार हैं?

सब के लिए यह जानना आवश्यक है कि दांतों पर ब्लीचिंग का असर सिर्फ कुछ हफ्तों तक ही रहता है इसलिए इसे बारबार और जल्दीजल्दी कराना पड़ता है. फिर हर बार उतनी चमक नहीं आती जितनी कि शुरुआत में आती है. इस का सब से बड़ा दुष्प्रभाव तो यह होता है कि बारबार ब्लीचिंग कराने से दांत कमजोर हो जाते हैं और आगे चल कर इन के जल्दी ही गिरने की आशंका रहती है. दांत जल्दी सड़ जाते हैं, खुरदुरे हो जाते हैं और दांतों के बीच फ्रेक्चर लाइन बन जाती है. तो क्या ये सब जानने के बाद आप मुसकराना चाहेंगे

अब कई आधुनिक तकनीकों केक आने से ब्लीचिंग के लिए सही सदस्यों का चयन कर पाना आसान हो गया है. एडवांस्ड पावर जूम भी एक ऐसी ही तकनीक है. इस के

दौरान प्रोफेशनल तरीके से दांतों को चमकाया जाता है. इस के शतप्रतिशत परिणामस्वरूप जादू जैसा असर देखने को मिलता है. शेड गाइड पर तुलना करने से पता चलता है कि यह दांतों को 6-8 शेड अधिक चमकदार बनाता है. इस का असर कम से कम दो सालों तक रहता है अन्यथा ब्लीचिंग या अन्य उत्पादों का इस्तेमाल करने से केवल एक या दो शेड ही चमक मिलती है व इस का प्रभाव केवल कुछ समय तक ही रहता है

  1.  लैमिनेट

लैमिनेट धातु से बने पतले कवर की तरह होते हैं जिन्हें पीले, भूरे दांतों की गंदगी, फ्लोराइड दाग आदि को छिपाने के लिए लगाया जाता है. यह पुरानी मगर विशष्ट प्रक्रिया है. लेकिन यहां भी वही सवाल उठता है कि क्या आप इस के लिए उपयुक्त उम्मीदवार हैं?

लैमिनेट कैप या क्राउन का बेहतर विकल्प माना जाता है. कैप के मुकाबले इस में दांतों को 75 % काटना पड़ता है. तकनीकी तौर पर इस प्रक्रिया के दौरान सामने से दांतों के आकार को केवल 0.5 मि.मी. से अधिक  हीं काटना पड़ता है. जबकि कैप लगाने के लिए दांतों के चारों तरफ से उसे 1.5 मि.मी. काटना पड़ता है. इस के अलावा कैप लगवाने वाले दांतों में पहले रूट कैनाल ट्रीटमेंट आरसीटी कराना पड़ता है. इस से दांत निष्क्रिय हो जाते हैं, उन तक कोई पौष्टिक आहार आदि नहीं पहुंचता और दांत जल्द ही कमजोर हो जाते हैं.

हालांकि कैप और लैमिनेट दोनों का खर्चा लगभग बराबर ही होता है लेकिन कैप के साथ आरसीटी कराने का खर्चा अलग से करना पड़ता है यानी कैप अधिक महंगा पड़ता है.

2. मसूढ़ों की सर्जरी या एनेमेलोप्लास्टी

हर कोई इन प्रक्रियाओं के लिए उपयुक्त नहीं हो सकता. इस से दांतों को नुकसान हो सकता है.

3. दांतों पर लगने वाले ब्रेसिस

चलिए किसी अवस्था के बारे में सोचते हैं. कोई लड़की जिस के दांत टेढ़ेमेढ़े हैं और 2-3 महीने में उस की शादी होने वाली है. वह अपने दांतों के लिए कोई उपचार ढूंढ़ रही है. लेकिन उसे लगभग हर दंत रोग विशेषज्ञ यही कहेगा कि ब्रेसिस लगाने की उस की उम्र समाप्त हो चुकी है. और अगर ब्रेसिस लगाए भी गए तो उन्हेें अपना परिणाम देने में लगभग 1 वर्ष का समय लगेगा. लेकिन यह एक मिथ्य है कि किशोर ब्रेसिस नहीं लगवा सकते या फिर हर केस में परिणाम आने में 1 वर्ष का समय लगेगा. यह उपचार किसी भी उम्र में किया जा सकता है. इस का परिणाम भी 3-4 महीनों में आ जाता है. लेकिन यह मरीज के ऊपर निर्भर करता है कि वह उम्र भर के लिए आरसीटी करा के नकली कैप लगा कर हरना है कि फिर उम्र भर के लिए प्राकृतिक मुसकराहट चाहिए. इस का निर्णय मरीज को सोचसम?ा कर करना चाहिए. अगर हम खर्चे की बात करें तो किसी को यह नहीं भूलना चाहिए कि ब्रेसिस का खर्चा लैमिनेट की तुलना में 50 से 70 % तक कम होता है.

4. मुसकराहट की बनावट

किसी भी दंत उपचार के लिए विज्ञान की बहुत बड़ी भूमिका होती है. लैमिनेट का आकार हर व्यक्ति व हर दांत के लिए अलग होता है. यह आप के चेहरे के आकार पर भी निर्भर करता है. अगर आप का चेहरा गोल, अंडाकार, लंबा, छोटा है और आप के दांत छोटेबड़े, चौड़े, पतले, टेढ़े या ?ाके हुए हैं या फिर ऊपरनीचे के दांत कम दिखते हैं या कई केसों में आगे के नीचे वाले दांत ऊपरी दांतों को बारबार रगड़ देते हैं जिस से ऊपरी दांत घिसने लगते हैं तो ऐसे में आसानी से ब्रेसिस लगाए जा रहे हैं.

दांतों की सुरक्षा या खूबसूरती की एक दंत रोग विशेषज्ञ जिसे स्माइल आर्किटेक्ट भी कहा जाता है, आज के लिए बहुत जरूरी है और कोई भी सौंदर्य उपचार इस के बिना पूरा नहीं है. दांतों के उपचार में अवेजेनेटिक का भी रोल रहेगा. आप के शरीर के जीन के कोड के अनुसार टूटे या सड़े दांतों को ठीक करना सर्जनों के लिए आम हो जाएगा. डा. थिमि और मितसैदीस, जो यूनीवर्सिटी औफ ज्यूरिक में हैं. अब दांतों के एनेमल और आप के शरीर के जीन पर काम कर रहे हैं.

– डा. राकेश वर्मा निदेशक, ब्रेसिस मल्टीस्पेश्यलिटी डेंटल क्लीनिक, गृहशोभा, नई दिल्ली

Winter Special: पत्नी का पेट पति की आफत बन जाएं तो क्या करें?

एक पत्रिका में एक समस्या छपी थी, ‘‘मेरी शादी को 3 साल हो गए हैं. मेरे मोटे पेट के कारण मेरे पति मेरी तरफ देखते भी नहीं. कृपया बताएं कि मैं क्या करूं, जो पति मेरे पेट को भूल कर मेरे करीब आ जाएं और मैं फिर से वैवाहिक सुख का आनंद ले पाऊं?’’

इसी तरह एक और समस्या थी. एक लड़की की 1 महीने बाद शादी होने वाली थी और वह अपना वजन घटाना चाहती थी. शादी के दिन वह अपने मोटापे को ले कर हंसी का पात्र नहीं बनना चाहती थी. इस के लिए उस ने टीवी में कैलोग्स स्लिम फैट का ऐड देख कर उसे नाश्ते में लेना शुरू कर दिया, जिस से वह बीमार पड़ गई. तब डाक्टर ने दुलहन बनने जा रही उस मुहतरमा को सही सलाह दी.

क्या आप भी दुलहन बनने जा रहीं और छरहरा बनना चाहती हैं? क्या यह सिर्फ विवाह तक के लिए करना चाह रही हैं? विवाह के बाद का क्या? उस के बाद जब भी आप खुद को आईने में देखेंगी तो आप को अपने थुलथुल बदन पर क्या शर्म महसूस नहीं होगी?

ऐसी कई लड़कियां होंगी, जो लड़का देखने आने तक से शादी तक स्लिम होना चाहती हैं. शादी के 1-2 साल बाद या कहें मां बन जाने के बाद इन सारे फौर्मूलों को बायबाय कह देती हैं.

  1. आफतें कैसीकैसी

रील लाइफ: शरत कटारिया द्वारा निर्देशित फिल्म ‘दम लगा कर हईशा’ में फिल्म की बेमेल जोड़ी की चर्चा है. ऐक्टर आयुष्मान खुराना उर्फ प्रेम निखट्टू की बीवी विशाल शरीर वाली इंटैलीजैंट दिखाई गई है. पति 10वीं फेल है पर पत्नी के मोटापे को ले कर बेहद शर्मिंदा रहता है. उसे फिक्र रहती है कि उस के दोस्त व बाकी लोग उस की मोटी बीवी के बारे में पता नहीं क्या सोचते होंगे. खैर, फिल्म के बीच में विवाद होने के बाद हैप्पी ऐंडिंग हो जाती है.

रीयल लाइफ: रोहन एक मल्टीनैशनल कंपनी में कार्यरत था. आए दिन कंपनी की गैटटूगैदर पार्टियां होती रहती थीं. ऐसे में जब रोहन औफिस की गैटटूगैदर में अपनी पत्नी मालिनी को ले जाता तो सामने व पीठ पीछे उस पर लोग मंदमंद मुसकराते. कारण था, बीवी का प्रैगनैंसी के बाद मोटा हो जाना. ‘जिस की बीवी मोटी उस का भी बड़ा नाम है.’ रोहन को इस तरह के न जाने कितने जुमले सुनने को मिलते. रोहन को पहले इन बातों से कोई फर्क नहीं पड़ता था, पर बाद में उसे भी मालिनी के साथ पार्टी में जाने पर शर्मिंदगी महसूस होने लगी. फिर उस ने अकेले पार्टियों में जाने का फैसला लिया.

सैक्स और वजन: मोटे पेट वाली महिलाएं और पुरुष दोनों ही घर से बाहर भी और भीतर भी शर्मिंदगी का कारण बनते हैं. एक अध्ययन से पता चला है कि बाहर निकले पेट का संकोच सिर्फ बैडरूम में ही नहीं, बल्कि बाहर भी रहता है. प्यार की बात पर शरीर का जो पहला हिस्सा झिझक व अनफिट दिखता है, वह है बड़ा पेट. यह बड़ा पेट आप के प्यार के पलों का मजा कम कर देता है. ऐसे में आप जल्दी थक जाते हैं या आप की सांसें फूलने लगती हैं, प्यार करने की इच्छा नहीं होती और बाहर मन डोलने लगता है. इतना ही नहीं साथी को खुश न कर पाना तनाव को भी जन्म देता है.

मनचाही ड्रैस न दे पाना: शादी के बाद या फिर बच्चा हो जाने के बाद यह तो नहीं कि रोमांस खत्म हो जाए पर अगर बीवी मोटी हो तो पति की कई इच्छाएं मर जाती हैं जैसे अगर वह आप को कोई मनचाही ड्रैस देना भी चाहे तो या तो आप का साइज नहीं मिलेगा या फिर आप पर वह फबेगी नहीं. इस चक्कर में पति चाह कर भी पत्नी को अपनी मनचाही ड्रैस का सरप्राइज नहीं दे पाता.

कौंप्लैक्स का भाव: अगर आप की फिगर 36-24-36 से डबल हो जाए तो आप उम्र से भी बड़ी दिखने लगेंगी. ऐसे में आप के पति की उम्र भले ही आप से ज्यादा हो पर वह जवां दिखेगा. तब आप को कौंप्लैक्स फील होगा कि आप अपनी उम्र से बड़ी दिख रही हैं. इसलिए वेट लौस कर बन जाएं स्लिम ऐंड ट्रिम, पति की तरह एकदम फिट. ऐसा नहीं है कि औरत को मोटा होना अच्छा लगता है पर शादी हो जाने के बाद वह मान लेती है कि मोटी हो भी जाए तो क्या पति का प्यार कम थोड़े होगा. यह सोच गलत है.

2. लाइफस्टाइल है पेट पर भारी

यूनानी चिकित्सक हिप्पोक्रैट्स के अनुसार, सारी बीमारियां पेट से ही शुरू होती हैं. 2 दशक पहले हुए शोध के अनुसार पूरी तरह से फिट व हैल्दी रहने के लिए आंतों का स्वस्थ रहना बहुत जरूरी है. हमारे लाइफस्टाइल की वजह से हमारी आंतें प्रभावित होती हैं, क्योंकि हम हाई कैलोरी फूड और जंक फूड का सेवन बहुत ज्यादा करने लगे हैं. ऐसे में आंतों को स्वस्थ बनाए रखना बहुत आवश्यक है. मोटापा, लिवर में फैट जमना, सूजन होना, इरिटेबल बौवेल सिंड्रोम, अल्सर जैसी बीमारियां लाइफस्टाइल से जुड़ी होती हैं.

3. क्यों बढ़ता है मोटापा

नोवा स्पैश्यलिटी हौस्पिटल बैंगलुरु की डाइट ऐंड न्यूट्रीशियन कंसलटैंट डा. शीला कृष्णनन स्वामी ने बताया कि तनाव के कारण हमारी बौडी में एड्रीनेलिन और कार्टिसोल हारमोंस का स्तर बढ़ जाता है. इस से शरीर की कार्यप्रणाली प्रभावित होती है और पाचनतंत्र बिगड़ जाता है. प्रैगनैंसी के दौरान, हारमोंस असंतुलन आदि के कारण भी डिप्रैशन, नींद न आना या गर्भनिरोधक गोलियों के सेवन और मेनोपौज के कारण महिलाओं में हारमोंस के स्तर में तेजी से बदलाव आता है, जिस कारण पेट के आसपास चरबी बढ़ जाती है. इस के अलावा आजकल महिलाएं गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन करती हैं, स्टेराइड हारमोन, डायबिटीज, अवसाद और ब्लडप्रैशर को कंट्रोल करने वाली दवाओं के कारण भी वजन बढ़ जाता है. नींद की कमी भी मोटापे का कारण हो सकती है. आजकल गैजेट्स का ज्यादा इस्तेमाल, शारीरिक सक्रियता में कमी, लिफ्ट का इस्तेमाल, बाहर खेलने के बजाय लैपटौप या टीवी से चिपके रहने से भी मोटापे का शिकार हो सकते हैं. आनुवंशिकता भी मोटापे की एक बड़ी वजह है.

4. मोटापे से होने वाली बीमारियां

यूनिवर्सिटी औफ मौंट्रियल के शोधकर्ताओं के अनुसार मोटे लोगों को वायु प्रदूषण से होने वाली बीमारियों का ज्यादा खतरा रहता है, क्योंकि ऐसे लोगों को सांस लेने के लिए ज्यादा हवा की जरूरत होती है. जिन लोगों का बीएमआई यानी बौडी मास इंडैक्स 18.5 से 25 तक हो उन्हें रोजाना 16.4 क्यूबिक मीटर हवा की जरूरत पड़ती है जबकि 35 से 40 बीएमआई वालों को 24.6 क्यूबिक मीटर हवा की. ऐसे में ज्यादा बीएमआई वालों को वायु प्रदूषण का ज्यादा प्रभाव पड़ता है. यह अध्ययन 2000 लोगों पर किया गया था. इस के अलावा मोटापे से शरीर पर वसा की ज्यादा परतें जम जाती हैं. आज दुनिया की 20 फीसदी आबादी मोटापे से ग्रस्त है. मोटापे से होने वाली बीमारियों में डायबिटीज, जोड़ों में दर्द, बांझपन, हार्ट फेल्योर, अस्थमा, कोलैस्ट्रौल, ज्यादा पसीना आना, हाइपरटैंशन आदि का खतरा बढ़ जाता है. खानपान की गलत आदतें या फिर लाइफस्टाइल में आए बदलाव और शारीरिक सक्रियता में कमी के चलते भी यह परेशानी हो रही है.

5. मोटापे के फायदे

  • हम कुछ मोटापे के फायदे बता रहे हैं. लेकिन हम यहां बिलकुल भी फबतियां नहीं कस रहे हैं: 
  • पति हमेशा पत्नी के बौडीगार्ड का काम करता है पर आप की मोटी बीवी तो खुद आप की बौडीगार्ड होगी.
  • मोटी बीवी कपड़ों को ले कर न ज्यादा वक्त लगाती है और न सिलैक्टिव होती है. ऐसे में न आप का टाइम ज्यादा वेस्ट होगा न डिजाइनर कपड़ों को ले कर आप को ज्यादा खर्च करने पड़ेंगे.
  • अगर पति खाने का शौकीन है तो मोटी बीवी उसे ज्याद टोकेगी नहीं, बल्कि उलटा फौरन साथ देने लगेगी.
  • पत्नी मोटी हो तो उसे जल्दी सीट मिल जाती है पर स्लिम पत्नी के लिए उस के पति को ही किसी से सीट मांगनी होगी.
  • कुछ लोगों को मोटी या कहें हृष्टपुष्ट बदन वाली लड़की ही पसंद होती है.
  • छरहरी बदन वाली पत्नी जहां ज्यादातर अपनी काया की देखरेख में लगी रहेगी वहीं मोटी बीवी पति का पूरापूरा ध्यान रखेगी.

6. कैसे घटाएं वजन

  • भूखे रह कर नहीं खा कर घटाएं वजन.
  • भोजन में फाइबर की मात्रा ज्यादा लें.
  • रोजाना व्यायाम करें.
  • स्टार्च का सेवन कम कर दें. हो सके तो इस का इस्तेमाल ही न करें.
  • ग्रीन टी का सेवन करें. चाय और कौफी बंद कर दें.
  • खाली पेट कतई न रहें. बीचबीच में यानी 3 घंटे के अंतराल पर कुछ पौष्टिक खा लें. ओट्स, बाजरा, गेहूं आदि का सेवन ज्यादा करें.
  • हरी सब्जियां ज्यादा से ज्यादा खाएं जैसे पालक, मेथी, सरसों आदि.

7. सर्जरी

पुष्पांजलि क्रासले हौस्पिटल दिल्ली, के सर्जन डा. दीपक कुमार के अनुसार बेहद मोटे यानी जिन्हें अपना वजन कम से कम 35 से 40 किलोग्राम तक घटाना है तो वे बैरिएट्रिक सर्जरी करा सकते हैं. लेकिन जिन्हें मधुमेह या फिर ब्लडप्रैशर हो उन्हें 32.5 या उस से ज्यादा बीएमआई होने पर सर्जरी की सलाह दी जाती है. अगर कोई बीमारी नहीं है तो 37.5 या उस से ऊपर के बीएमआई वालों की सर्जरी की जा सकती है. बैरिएट्रिक सर्जरी के 2 प्रकार हैं- पहली गैस्टिक स्लीव, इस में पेट के साइज को स्टैप्पल कर के कम दिखाया जाता है. इस सर्जरी से 80 फीसदी मोटापा कम कर दिया जाता है. इस सर्जरी के कराने के बाद पेट भराभरा सा लगेगा. यह परमानैंट सर्जरी है. दूसरा प्रकार है गैस्टिक बाईपास. इस में पेट के छोटेछोटे पाउच बना कर उन्हें सीधे इंटेस्टाइन से जोड़ा जाता है. यह सर्जरी कराने पर कम खाने से पेट भर जाता है. पेट का इस में कोई पार्ट रिमूव नहीं होता. चाहें तो बाद में पाउच की हटवा भी सकते हैं. एक अच्छी बात यह भी है कि इस सर्जरी को कराने के बाद मधुमेह के रोगियों को मधुमेह से छुटकारा पाने के चांसेज बढ़ जाते हैं.

Winter Special: बदलते दौर में मील रिप्लेसमेंट

बदलते दौर में जब महिलाएं घरगृहस्थी के दायरे से निकल कर हाईटेक समाज में जगह बना रही हैं, तो ऐसे में खुद के लिए वक्त निकाल पाना कठिन होता जा रहा है. वक्त के साथसाथ समाज में महिलाओं की भागीदारी बढ़ती जा रही है. चुस्तदुरुस्त और फिट दिखना अब बेहद जरूरी है. स्वस्थ तनमन, खूबसूरत काया, स्लिम फिगर, आकर्षक बनावट को बनाए रखने के लिए प्रोटीन, फाइबर, विटामिंस, मिनरल्स, कार्बोहाइडे्रट व फैट को परफेक्ट और नियंत्रित मात्रा में लेने की जरूरत है. इस के लिए प्रतिदिन 3 वक्त के खाने के लिए पूरा दिन खाने का सामान जुटाने में बिताना होगा जो संभव नहीं. ऐसे में महिलाओं को लेना होगा एक ऐसा विकल्प, जो बिना ज्यादा वक्त लिए उन की खूबसूरती और अच्छे स्वास्थ्य को बरकरार रख सके. प्रोटीन, विटामिन आदि पदार्थों का सही मात्रा में सेवन गोलियों, ड्रिंक्स, पाउडर आदि के रूप में होता है. इंस्टेंट एनर्जी देने वाले मील रिप्लेसमेंट आइटम्स ज्यादा महंगे नहीं होते हैं. धीरेधीरे ये और सस्ते होते जाएंगे. न खाना पकाने का झंझट, न टेबल तैयार करने की चिंता, न ही बैठ कर खाते हुए कहीं जाने में देर हो जाने की फिक्र और पोषण का पूरा वादा.

  1. टाइनी टेबलेट्स

ये भूख का एक ‘मैजिक सोल्यूशन’ हैं. छोटीछोटी गोलियों के रूप में ये टेबलेट्स कमाल की पोषक तत्त्व होती हैं. भूख लगने पर ये टेबलेट्स आहार में लिए जाने वाले सभी महत्त्वपूर्ण पोषक तत्त्वों के साथ पेट भरती हैं. जी हां, ये पिल्स मील रिप्लेसमेंट हैं यानी भोजन के विकल्प के रूप में ली जाने वाली गोलियां. एक पोषक डाइट की तरह इन में प्रोटीन, मिनरल, मल्टीविटामिन व अन्य पोषक पदार्थों के साथ केवल जरूरत के अनुसार कार्बोहाइडे्रट और बिलकुल नाम मात्र का फैट मौजूद होता है. इस में अनुमानित कैलोरी करीब 1,200 होती है, हालांकि इस की मात्रा कंपनी पर निर्भर करती है. तीनों वक्त केवल मील रिप्लेसमेंट पिल्स पर निर्भर रहना भी सेहत के हित में नहीं है. मील रिप्लेसमेंट टेबलेट डाइट पिल्स का पर्याय नहीं हैं.

2. पावर पाउडर

पावर पाउडर उन लोगों के लिए है, जो व्यस्त रहने के कारण ठीक प्रकार से अपने खानपान पर ध्यान नहीं दे पाते. चुस्तदुरुस्त, आकर्षक शरीर की चाहत पूरी करने हेतु एक वक्त के भोजन के बदले लिया जाने वाला मील रिप्लेसमेंट पाउडर जूस, दूध या पानी के साथ लिया जा सकता है. इस पाउडर में प्रोटीन की काफी बढ़ी हुई मात्रा लगभग 20 से 25 ग्राम तक, कम कार्बोहाइडे्रट, कम फैट और प्रचुर मात्रा में विभिन्न मिनरल व विटामिन होते हैं. आमतौर पर इस के एक बार के सेवन से 200 से 600 कैलोरी मिलती है. यह कई फ्लेवर्स में उपलब्ध है.

3. सेहतमंद शेक

रेडी टू ड्रिंक पेय पदार्थ केवल पैकेट से खोल कर पीए जा सकते हैं, जैसे कोल्ड ड्रिंक्स, पैक्ड जूस या पानी की बोतल. इन की गुणवत्ता कम नहीं होती. बौडी बिल्डर या नियमित जिम जाने वालों के लिए तो अभी भी अलग तरह के न्यूट्रिशियस शेक आते हैं, जो मील रिप्लेसमेंट नहीं होते हैं, बल्कि भोजन के साथ लिए जाने वाले सप्लीमेंट होते हैं. इन में शुगर की मात्रा ज्यादा होने की वजह से कैलोरी काफी ज्यादा होती है.

4. फूड बार

मील रिप्लेसमेंट फूड बार के रूप में भी खाने की जगह पर लिए जाते हैं. इन में 200 से 400 कैलोरी, 15 से 30 ग्राम प्रोटीन, 25 से 40 ग्राम कार्बोहाइड्रेट और थोड़ी सी वसा हो सकती है. इन में विटामिन और मिनरल्स के सही मिश्रण के साथ होल ग्रेन, फाइबर और लो शुगर होता है. बाजार में उपलब्ध कई प्रकार के न्यूट्रिशियस फूड बार्स में स्वाद के लिए कई कंपनियां सैचुरेटेड फैट की मिलावट कर देती हैं, जो शरीर में अन्य पदार्थों के साथ घुलता नहीं है और जमा हो कर नुकसान पहुंचाता है. इसलिए अनसैचुरेटेड फैट वाले फूड बार ही लें. ध्यान रहे कि ये पोषक बार भोजन का विकल्प हैं, इन्हें भोजन का सप्लीमेंट समझ कर इस्तेमाल न करें. 

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