लेखक- जितेंद्र मोहन भटनागर
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तान्या अपनी मम्मी के साथ नानी के घर रुड़की आई. छुट्टियां खत्म होने के बाद वे वापस जाने के लिए एअरपोर्ट गए. जिस फ्लाइट से वे वापस जा रहे थे उस में साथ वाली सीट पर डाक्टर नितिन से तान्या की मुलाकात हुई. वह इंटर्नशिप कर रहा था. बातचीत के दौरान तान्या नितिन की तरफ आकर्षित हो गई. हवाईजहाज से बाहर निकलते ही तान्या की मम्मी को लगातार सूखी खांसी होने लगी. तब डाक्टर नितिन ने उन्हें मास्क पहनने की सलाह दी और सब से अलग बैठने को कहा. फिर तीनों एकसाथ बाहर निकले और नितिन ने तान्या को अपना फोन नंबर दिया.
एअरपोर्ट से बाहर निकलने के बाद तान्या गाड़ी में बैठ चुकी थी. वह कोरोना वायरस के फैलने पर चिंतित थी. घर पहुंचने के बाद उस की सोसाइटी में भी सबकुछ बदलाबदला सा नजर आ रहा था. पड़ोसी दूर से ही हैलोहाय कर रहे थे. पड़ोसी मिलने तक से बच रहे थे. 2-3 दिनों बाद तान्या की मां की तबीयत अचानक खराब हो गई. उन्हें तेज बुखार था और सांस लेने में दिक्कत हो रही थी. जांच रिपोर्ट में वे कोरोना पौजिटिव निकलीं. मां को अस्पताल में ऐडमिट कराने के बाद तान्या परेशान थी क्योंकि वहां भी सभी डरे हुए थे और अफरातफरी का माहौल था.
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शामढलते ही नितिन हौस्पिटल की वैन से तान्या से मिलने और अनिला का हालचाल बताने आ गया.
तान्या को पूरा विश्वास था कि नितिन उस से मिलने जरूर आएगा इसलिए आज न जाने क्यों उस ने अपने को कुछ ज्यादा ही आकर्षक बना लिया था. सुंदर तो वह थी ही और बस हलके मेकअप के साथ बालों के स्टाइल ने उसे मोहक बना दिया था.
बैल बजते ही उस ने निंदिया को निर्देश दिए और कहा, ‘‘आने वाला अगर अपना नाम डाक्टर नितिन बताएं तो सीधे ड्राइंग रूम में ला कर बिठा देना और हां उन के हाथ जरूर सैनिटाइज करवा लेना.
निंदिया ने ऐसा ही किया. नितिन को थोड़ा इंतजार करा कर तान्या ने ड्राइंग रूम में प्रवेश करते हुए मुंह से गले की तरफ मास्क सरका कर पूछा, ‘‘वेलकम डाक्टर मम्मा कैसी हैं?’’
अपने मुंह और नाक पर चढ़ाया मास्क नीचे सरकाते हुए नितिन बोला, ‘‘कोरोना का ही अटैक है उस दिन एअरपोर्ट पर वो जिस फौरेन लेडी के पास बैठी थी मुझे पूरा विश्वास है कि उसी से उन्होंने वायरस कैरी किया है.’’
लेकिन तब से तो 7 दिन हो गए, आज कैसे इस का अटैक हो गया?
तान्या यही तो कठिनाई है कि इस वायरस का अटैक तुरंत नहीं होता है 10 दिन के भीतर यदि शरीर में नहीं मरा तो कभी भी अटैक कर सकता है. इस में हर व्यक्ति का इम्यून सिस्टम बहुत काम करता है. वैसे ट्रीटमैंट शुरू हो गया है और तुम सब की कोरोना टेस्ट रिपोर्ट भी मैं ने जल्दी मंगवाई है.
‘‘और डाक्टर यदि… तान्या कुछ कहना चाहती थी पर नितिन बोल पड़ा,
‘‘तान्या, तुम मुझे केवल नितिन पुकार सकती हो… डाक्टर तो मैं हौस्पिटल के लिए हूं तुम्हारे लिए नहीं?
‘‘फिर मेरे लिए तुम क्या हो? तान्या ने बेबाकी से पूछा तो नितिन मास्क उतार कर मुसकराते हुए बोला,
‘‘अभी तो केवल मित्र… हो सकता है कि आगे चल कर कुछ हो जाऊं.
‘‘और कुछ न हो पाए तो?
‘‘तब की तब देखी जाएगी पर ये बात तो सच है प्लेन में हुई तुम्हारी दोस्ती ने मेरी राह आसान कर दी. मेरे अरमान तुम्हारे जैसी ही लड़की से शादी करने के थे और तुम्हें देखते ही मन तुम्हें चाहने लगा है.’’
‘‘नितिन, पहले मां का ठीक होना जरूरी है. दूसरे उन्हें मैं अकेला नहीं छोड़ सकती शादी होती भी है तो मैं उन्हें अपने साथ ही रखना चाहूंगी. शादी तभी करूंगी जब मेरा सपना पूरा हो जाएगा.
इसी बीच निंदिया कौफी और स्नेक्स रख गई थी. सैंटर टेबल के इस पार सोफे पर तान्या बैठी थी और दूसरी तरफ नितिन. दोनों के बीच मतलब भर की दूरी थी.
मास्क गले की तरफ सरका कर दोनों चुपचाप कौफी पीते रहे. तान्या ने स्नैक्स की प्लेट नितिन की तरफ बढ़ाते हुए कहा भी, ‘‘कुछ लो न’’ पर नितिन ने मना कर दिया.
कौफी खतम हुई ही थी कि नितिन का फोन बज उठा, कौल रिसीव करते ही वो उठ खड़ा हुआ बोला, ‘‘मुझे वापस हौस्पिटल जाना होगा, एक सीरीयस केस आ गया है, आई हैव टु अटैंड हर.’’
‘‘मैं भी तुम्हारे साथ चलूंगी नितिन’’ तान्या के मुंह से ये शब्द सुन कर नितिन के माथे पर कुछ देर को चिंताएं उभरीं फिर उस ने मास्क लगे ही कहा,
‘‘ओके, तुम्हारे लिए पीपीई किट की व्यवस्था करनी पड़ेगी,’’ जोखिम भी पूरा है… लेकिन चलो चलते हैं. मैं अपनी रिस्क पर तुम्हें साथ ले चलता हूं. मैं तुम्हें, तुम्हारी मम्मी से मिलवा कर उसी वैन से वापस भिजवा दूंगा.
हौस्पिटल की पिकअप वैन को ड्राइव करते हुए हौस्पिटल के वैन ड्राइवर को तान्या के साथ पीछे की सीट पर बैठे नितिन ने कुछ निर्देश दिए. उस ने कुशलता के साथ वैन को हौस्पिटल वाली रोड पर डाल कर स्पीड बढ़ा दी.
रास्ते में तान्या ने पूछा, ‘‘नितिन ये बताओ की यदि मेरी रिपोर्ट भी पौजिटिव आ गई तब क्या करोगे?’’
‘‘तब सब से पहले सारे मरीजों को छोड़ कर हम तुम्हारा इलाज करेंगे.’’
‘‘और तब भी मैं न बच पाई तो?’’
उस के इतना कहते ही नितिन ने उस के होठों पर अपने हाथ रख दिए और बोला, ‘‘अब तुम्हे मेरे लिए जीना है तान्या और मुझे तुम्हारे लिए.’’
ग्लब्स में लगे सैनिटाइजर की हलकी सी महक तान्या की नाक में घुस गई और कोई वक्त होता तो वो सैनिटाइजर की महक बर्दाश्त नहीं कर पाती लेकिन इस समय उसे वो महक अच्छी लगी.
फिर जब नितिन ने अपना एक हाथ उस के एक कंधे के ऊपर से निकाल कर अपनी हथेली उस के दूसरे कंधे पर प्यार से रख दी तो वो उस की तरफ थोड़ी सी सरक आई.
दोनों ने ही मास्क पहन रखे थे और नितिन ने आदतन हैंड ग्लब्स पहने हुए थे. कंधे पर रखा ग्लब्स पहना नितिन का हाथ तान्या को कुछ प्यार भरे मौन संदेश रास्तेभर देता रहा.
हौस्पिटल में अंदर ले जाने से पहले नितिन ने तान्या के लिए पीपीई किट की व्यवस्था कर के उसे सिक्योर किया मां के पास एक घंटा बिता कर तान्या संतुष्ट सी जब घर वापस आ रही थी तो उसे फिर लगा कि उस की धड़कनों में सुर वास्तव में पहले जैसे नहीं रहे, संगीतमय हो गए हैं.
जरा सी मुलाकात में ही उस ने मां को बता दिया था कि वह नितिन से प्यार करने लगी है और मामी को भी फोन पे उस ने बता दिया है कि उस ने लड़का पसंद कर लिया है.
नितिन उस के बाद 2 बार और तान्या से मिलने आ पाया और हर बार तान्या ने चाहा कि वो मास्क और दूरी का डर छोड़ कर नितिन के सीने से चिपक जाए पर ऐसा हो न सका.
नितिन को भी हौस्पिटल में थोड़ी फुरसत मिलती तो वो भी तान्या को फोन लगा लेता और प्यार भरी बातें करता. फिर बताता कि उस की मां अब खतरे से बाहर है.
इस बीच रुड़की से नानी और मामामामी के भी फोन आते रहे और मां के कोरोना संक्रमण से बच कर घर आने की बात सुनी तो सब से पहले नानी का फोन आया.
‘‘तान्या बेटी मन तो कर रहा है कि तुम्हारे पास हम सब पहुंच जाएं पर परिस्थितियां ऐसी हैं कि लौकडाउन में कहीं निकल ही नहीं सकते. तुम अपना ध्यान रखना.’’
जब मां कोरोना महामारी की जंग जीत कर विजयी भाव के साथ घर लौटीं तो तान्या ने उन के कमरे में आराम करने की व्यवस्था कर के उन्हें बेड पर लिटाने के बाद पूछा, ‘‘मम्मा नितिन साथ में नहीं आए.
‘‘हां वो नहीं आ पाया. मुझे घर भेजने की सब व्यवस्था तो उस ने कर दी थी पर चलते समय उस से मुलाकात नहीं हो पाई…
सुनते ही तान्या ने नितिन को फोन मिलाया पर वह स्विच औफ आया. पिछले 4 दिन से यही हो रहा था. 2 बार तो नर्स ने बताया कि मैडम, डाक्टर किसी से नहीं मिल सकते.
मां तो घर आ गई. ट्रेनिंग सैंटर के शीघ्र खुलने की कोई उम्मीद नहीं थी. लौकडाउन के
कारण वो घर से कहीं निकल सकती नहीं थी. नितिन ने फोन उठाना बंद क्यों कर दिया? अस्पताल में ज्यादा बिजी हो गया होगा? केसेज भी तो तेजी से बढ़ रहे हैं. यही सब सोच कर वो अपने को तसल्ली देती रही?
इसी बीच जब नानी का फोन आया तो अपने मन की बात बताते हुए उस ने कहा, नानी आप और मामी अकसर कहते थे कि अब और लंबी मत हो जाना वरना बड़ी मुश्किल से लड़का मिलता है. और जब मैं ने लड़का पसंद कर लिया तो वो फोन नहीं उठा रहा है. नानी मैं क्या करूं?
तू कुछ मत कर, बस उसे भूल जा क्योंकि मेरा अब तक का अनुभव कहता है कि हर डाक्टर चाहता है कि उस का ब्याह डाक्टर लड़की से हो क्योंकि किसी और प्रोफैशन की लड़की से उस का रूटीन मेल नहीं खाता है. फिर तेरे मामीमामा भी यही चाहते हैं कि जब तुझे आर्मी जौइन करनी है तो तू एक सिविल डाक्टर से कैसे तालमेल बैठा पाएगी.
बेचैनी में उस ने मामामामी से अगले दिन बात करी, उन्होंने भी उसे समझया कि हाईट इत्यादि की बात तो ठीक है पर जब तू पायलेट अफसर बन कर मिलिटरी जौइन कर लेगी तब क्या होगा. असल में मिलिटरी पर्सन्स की लिविंग स्टाइल तथा अनुशासन और सिविलियन्स की सोच में बहुत अंतर होता है इसलिए तू नितिन को भूल जा.
पर तान्या ने वास्तव में नितिन को अपना दिल दे दिया था और उस ने अपनी किताब नितिन के सामने खोल दी थी इसलिए वो उसे बंद करने के मूड में नहीं थी बल्कि जब मां के मुंह से भी उस ने शब्द सुने कि बेटे अभी तो तेरी पढ़ाई बाकी है और तेरा सपना भी अधूरा है फिर मामामामी और तेरी नानी भी नहीं चाह रहे हैं तो नितिन की तरफ से तू ध्यान हटा ले.
लेकिन तान्या जिस की धड़कनों के सुर बदलने के बाद इतने मधुर हो चले थे जिन्हें अब वो किसी कीमत पर बदलना नहीं चाहती थी.
उस का किसी काम में मन लगना बंद हो गया वो अपने कमरे में बंद रहने लगी. मामामामी और नानी से उस ने बात करना बंद कर दिया. बस कभीकभी नितिन के नंबर पर फोन लगा लेती. लेकिन उधर से लगातार स्वीच्ड औफ पा कर वो अजीब सी उलझन में घिर जाती.
लौकडाउन का दूसरा दौर भी शुरू हो गया. मां
को घर आए हुए भी 15 दिन हो गए तभी उस के मोबाइल पर एक मैसेज चमका, ‘‘तान्या कैसी हो? आज मैं बेहतर महसूस कर रहा हूं, असल में लोगों की बीमारी दूर करतेकरते मैं खुद संक्रमित हो गया था. किसी से मिल नहीं सकता था मोबाइल भी मुझ से दूर कर दिया गया था आज 15 दिन बाद जब मेरी रिपोर्ट नैगेटिव आई तो तुम्हें मैसेज कर रहा हूं. इस बीच हर पल हर दिन तुम्हें याद करता रहा.’’
तान्या ने जवाब में तुरंत नितिन को मैसेज न कर के कौल लगा दी और कहा, ‘‘जब तुम्हारी रिपोर्ट पौजिटिव आई थी तब तो मां हौस्पिटल में थी उन्हें बता देते तो इतने दिन मैं परेशान हो कर रोती न रहती.’’
इस का मतलब है कि मां ने तुम्हें नहीं बताया? जिस समय मेरी रिपोर्ट आई थी, उस समय तो मैं तुम्हारी मां के पास ही बैठा था क्योंकि वो मेरे ही मोबाइल से रुड़की वाले मामाजी से बातें कर रही थी. और मामाजी को भी उन्होंने ये खबर दे दी थी कि जो डाक्टर उन का इलाज कर रहा था वह खुद संक्रमित हो गया है.
‘‘फिर मेरी रिपोर्ट आने के बाद मुझे वहां से तुरंत हटा कर, अन्य चेकअप के लिए ले जाया गया तब भी मोबाइल उन के पास ही मैं छोड़ गया था.’’
तान्या का माथा ठनका उस ने नितिन से कहा, ‘‘तुम अपना ध्यान रखो मैं कुछ देर में तुम्हें फोन लगाती हूं.’’
ओह, तो इस का अर्थ है कि मम्मी और मामा दोनों जानते थे कि नितिन कोरोना पौजिटिव हो गया है तभी मुझ से ये बात छिपा कर ऐसी बातें की जा रही थीं, ‘‘उसे भूल जाओ’’ मिलिटरी और सिविलयन की लाइफ में बहुत फर्क होता है. लंबे लड़के और मिल जाएंगे.
उसे सब से ज्यादा आश्चर्य हो रहा था कि मां ने उस से यह बात छिपाई. इसलिए वह तेजी से मां के कमरे में गई.
मां स्वस्थ लग रही थी और नौवेल पढ़ने में व्यस्त थी. उन के पास पहुंच कर वह आदेश में बोली, ‘‘मां, मुझे तुम से यह उम्मीद नहीं थी.’’
‘‘अरे इतने गुस्से में क्यों है? किस उम्मीद की बात कर रही है मेरी प्यारी बेटी.’’
‘‘यही तुम्हारा बेटी के प्रति प्यार है कि जिस डाक्टर ने तुम्हारी संक्रमण से जान बचाई उस के खुद संक्रमित होने की बात तुम ने मुझ से छिपाई. क्यों मां क्यों.’’
‘‘बेटी तेरे मामा और नानी ने मुझ से ऐसा करने को कहा था.’’
‘‘उन्होंने क्यों मना किया?’’
‘‘क्योंकि तेरी नानी और मामा का सोचना था कि मिलिटरी परिवार में पलीबढ़ी लड़की उसी परिवेश में ही खुश रह सकती है. दूसरे इस उम्र में कोरोना पौजिटिव लड़के से शादी के पक्ष में वे नहीं थे, उन का सोचना था कि इस खतरनाक वायरससे अगर तू भी संक्रमित हो गई तो तेरा भविष्य भी चौपट हो सकता है.’’
‘‘वाह, मम्मी वाह, बड़ा अच्छा तर्क दे कर तुम्हें समझ दिया नानी और मामा ने और तुम समझ भी गईं. लेकिन तुम ने यह नहीं सोचा कि जब तुम इतने खतरनाक वायरस के प्रभाव में आने के बाद भी बच कर आ सकती हो तो डाक्टर क्यों नहीं.’’
मां तुम सब भले ही कुछ भी सोचो पर अब मैं नितिन के साथ ही बिताऊंगी और उस के साथ ही मरूंगी. तुम नानी और मामा को बता देना और कह देना कि तान्या जिन सपनों को देखती है उन्हें पूरा भी करना जानती है. मैं आज से मामा और नानी से कोई बात नहीं करूंगी.
कहती हुई तान्या मां के कमरे से बाहर निकल कर अपने कमरे में आ गई.
उस ने नितिन को फोन लगा दिया, ‘‘बोली आज तुम से एक वादा लेना है.’’
‘‘कैसा वादा?’’ नितिन ने उधर से पूछा.
‘‘यही कि तुम वास्तव में मुझ से ही शादी करोगे न?’’
‘‘हां, तुम्ही से करूंगा’’
‘‘ठीक होने के बाद कोई और पसंद तो नहीं आएगी?’’
‘‘एक डाक्टर के नाते मुझे इतनी फुरसत कहां मिलेगी जो तुम जैसी दूसरी लड़की ढूंढ़ता फिरूं.’’
‘‘तो यह बताओ कि कब तक ठीक हो रहे हो?’’
‘‘ठीक तो हो गया हूं बस तीसरी रिपोर्ट और नैगेटिव आ जाए. पर ऐसी बातें तुम आज क्यों कर रही हो?’’
‘‘क्योंकि मुझे अपने मामामामी, मम्मी और नानी का यह भरम तोड़ना है कि कोरोना संक्रमित हो जाने वाले व्यक्ति से शादी करना एक जवान लड़की के लिए जोखिम भरा है.’’
‘‘ठीक है तान्या, मैं तुम्हारे साथ हूं पर अभी तो शादी और ऐसे सारे फंक्शन बंद हैं. जब सबकुछ ओपन होगा तो सब से पहले हम ही शादी करेंगे.’’
‘‘लौकडाउन खत्म हो गया. नितिन ठीक होकर फिर संक्रमितों की सेवा में जुट गया. अभी तक लगभग रोज ही दोनों की फोन पर बातें होती थीं. अनलौक 1 में दोनों एक पार्क में सारी सावधानियों के साथ मिले. मास्क पहनेपहने ही एकदूसरे को प्यार किया.
अनिला से तान्या केवल काम की ही बातें करतीं. एक दिन मां ने बताया कि बेटी मामा और नानी तुझ से बात करना चाहते हैं. ऐसी भी क्या जिद है क्या तू सदा के लिए उन से रूठी रहेगी.
‘‘मुझे उन से कोई बात नहीं करनी.’’
‘‘नानी से भी नहीं?’’
‘‘नहीं.’’
‘‘तू अपना बचपन भूल गई जब नानी की गोद में चढ़ कर बैठ जाती थी और हर जिद पूरी करवा लेती थी.’’
‘‘लेकिन अब मैं बड़ी हो गई हूं, उन की गोद में नहीं बैठ सकती.’’
‘‘ठीक है अब तू बड़ी हो गई है और यह जान ले कि बड़ी होने पर उन्हें फोन करना भी गोद में बैठने के बराबर है. तू बात करेगी तो शायद वो तेरी यह बात भी मान जाएं.’’ देख मैं अपने मोबाइल से उन्हें फोन लगाती हूं तू अपनी बात तो कह के देख, फिर तेरे मामामामी भी कल वापस अपनी ड्यूटी पर जा रहे हैं.
कहतेकहते अनिला ने अपनी मां को फोन मिला दिया और उधर से हैलो की आवाज सुनते ही तान्या को फोन पकड़ा कर बोलीं, ‘‘बेटी, नानी तुझ से बात करना चाह रही हैं.’’अपने बचपन के दिनों को याद करते हुए उस ने नानी से बात करनी शुरू की, ‘‘हां, नानी बोलो क्या कहना चाह रही हो.’’
कुछ नहीं मैं सब कुछ सह सकती हूं पर तेरा रूठना नहीं. पता है तेरी आवाज सुने पूरा 1 महीना हो गया है… मुझ से बता तू क्या चाहती है… तुझे पता है कि तेरी खुशी ही हम सब की खुशी है.
‘‘पर नानी आप सब तो मेरी खुशी मुझ से छीनना चाहते हो.’’
‘‘हां, मन में कुछ नैगेटिव थौट्स आ गए थे… फिर लगा कि मेरा जीवन अब रह ही कितना गया है मैं क्यों अपनी इच्छाएं तुझ पे मढ़ूं इसलिए तू जिसे चाहती है उसी से तेरी शादी होगी. तेरे मामा को भी मैं ने समझ दिया है. वे भी तैयार हो गए हैं. बस सिचुएशन नौर्मल हो जाए तब हम सब का पहला काम तेरी धूमधाम से शादी.’’
ओह नानी, मेरी प्यारी नानी आई लव यू, रीयली आई लव यू कह कर तान्या खुशी और आवेश में मोबाइल चूमने लगी.