तो तकरार से नहीं पड़ेगी रिश्ते में दरार

पतिपत्नी एकदूसरे के जीवनसाथी होने के साथसाथ एकदूसरे के दोस्त भी होते हैं. लेकिन भले ही दोनों एकदूसरे के साथ एक ही छत के नीचे रहते हैं, फिर भी बहुत सी चीजों में उन के विचार नहीं मिलते हैं. कभी वे नेचर में अलग होते हैं, तो कभी उन का लाइफस्टाइल एकदूसरे से मेल नहीं खाता है, जिस वजह से उन के बीच नोकझंक होनी शुरू हो जाती है और कई बार तो छोटीछोटी बातों पर यह झगड़ा इतना अधिक बढ़ जाता है कि रिश्ता टूटने तक की नौबत आ जाती है.

ऐसे में दोनों को रिश्ते में मधुरता बनाए रखने के लिए एकदूसरे की हैबिट्स को इग्नोर करने या फिर उन से इरिटेट होने के बजाय उन्हें आपसी समझ व प्यार से अपनाने की जरूरत

होती है ताकि रिश्ते में प्यार बरकरार रह सके वरना यह तकरार कब रिश्ते में दरार का कारण बन जाएगी, पता नहीं चलेगा. आइए, जानते हैं कैसे करें एडजस्टमैंट:

बैड पर टौवेल छोड़ने की आदत

वैसे तो यह हैबिट किसी की भी अच्छी नहीं होती है, लेकिन अब कर भी क्या सकते हैं. अगर आप का पार्टनर नहाने के बाद गीला टौवेल बैड पर छोड़ दे तो बजाय झगड़ने के आप उन्हें प्यार से समझएं कि माई स्वीटहार्ट, अगर तुम रोज गीला टौवेल बैड पर छोड़ दोगे तो इस से टौवेल में नमी बरकरार रहने से तुम्हें बैक्टीरिया के इन्फैक्शन का खतरा हो सकता है साथ ही इस से बैड पर भी नमी रहने से हम भी बीमार हो सकते हैं.

इसलिए अपनी इस आदत को अपनी हैल्थ के लिए बदल लो. हो सकता है कि आप का यों प्यार से समझना काम कर जाए क्योंकि कई बार झगड़े की जगह प्यार में वह बात होती है, जो अपनों की बुरी से बुरी आदत को बदल देती है. अगर फिर भी पार्टनर न सुधरे तो आप ही बैड से टौवेल को उठा कर सही जगह रख दें क्योंकि यही है अच्छे रिश्ते की पहचान.

अगर आप को पसंद हों स्टाइलिश कपड़े

आज का जमाना स्टाइलिश है. ऐसे में हरकोई खुद को स्टाइलिश दिखाना चाहता है. लेकिन जरूरी नहीं कि आप का पार्टनर आप को स्टाइलिश कपड़ों में देखना पसंद करे. उसे आप सिंपल लुक में ज्यादा पसंद आती हों या फिर ट्रैडिशनल आउटफिट्स में. ऐसे में आप अगर रोज उन से स्टाइलिश कपड़े पहनने को ले कर बहस करेंगी तो आपस में मनमुटाव पैदा होगा.

इस से बेहतर है कि आप उन की पसंद के आउटफिट्स तो पहनें ही, साथ ही आप उन्हें प्यार से, अपने रोमांस से अट्रैक्ट करते हुए उसे समझने की कोशिश करें कि स्टाइलिश कपड़े पहनने में कोई बुराई नहीं है, बल्कि आज हरकोई जमाने के साथ चल कर खुद को अपडेटेड रखना चाहता है. अगर पार्टनर की समझ में आ जाए तो अच्छा वरना आप उस के पीछे स्टाइलिश कपड़े पहन कर अपने इस शौक को पूरा कर सकती हैं.

लेकिन यह भी जरूरी है कि आप उसे धीरेधीरे इस तरह समझने की कोशिश करें कि उसे अपनी गलती का एहसास भी हो जाए और आपस में तकरार भी न हो.

जब हो पति को इंग्लिश मूवीज का शौक

अगर दोनों पार्टनर की हैबिट्स मैच करें तो इस से अच्छा हो ही क्या सकता है. लेकिन अगर न करें तो दिक्कत तो काफी होती ही है, लेकिन फिर भी जरूरी होता है कि एकदूसरे की हैबिट्स को खुशीखुशी अपनाने की. जैसे प्रवीण को इंग्लिश मूवीज देखने का बहुत शौक था, लेकिन उस की पत्नी दीप्ति को सीरियल्स व हिंदी मूवीज पसंद थीं, जिस कारण दोनों कभी साथ बैठ कर टीवी नहीं देखते थे और साथ ही इस बात पर दोनों में कई बार कहासुनी भी हो जाती थी.

ऐसे में प्रवीण ने तो कभी अपनी पत्नी की पसंद की मूवी उस के साथ बैठ कर देखने का मन नहीं बनाया, लेकिन दीप्ति ने सोचा कि ऐसा कब तक चल सकता है, इसलिए मु?ो भी खुद में इंग्लिश मूवीज के प्रति इंटरैस्ट पैदा करना होगा. धीरेधीरे उस ने प्रवीण के साथ इंग्लिश मूवीज देखना शुरू किया और फिर धीरेधीरे ऐंजौय करने लगी. इस से मूवी के मजे के साथसाथ दोनों साथ में एकदूसरे की कंपनी को भी ऐंजौय करने लगे. अगर इसी तरह सब पार्टनर एकदूसरे को समझ कर चलें तो रिश्ते में मधुरता आने के साथसाथ आपसी समझ भी विकसित होती है.

न हो आउटिंग पर जाने का शौक

हो सकता है कि आप के पार्टनर को अपनी छुट्टी को घर पर ही स्पैंड करने की आदत हो और आप उस के बिलकुल उलट हों यानी आप को आउटिंग पर जाना बहुत अच्छा लगता हो. ऐसे में आप अपने पार्टनर को कहीं घूमने के लिए मनाएं कि इस से मूड व माइंड दोनों फ्रैश होने के साथसाथ एक ही तरह की दिनचर्या से चेंज भी मिलता है.

ऐसे में आप खुद कहीं आउटिंग पर जाने के लिए बुकिंग करवाएं, पूरी तैयारी करें. हो सकता है कि आप की यह कोशिश आप के पार्टनर में घूमने के प्रति थोड़ाबहुत शौक पैदा कर दे. लेकिन कोशिश व मनाने की मेहनत तो आप को ही करनी होगी.

अगर फिर भी आप को लगे कि मेहनत करने का कोई फायदा नहीं है तो आप खुद ही अकेले या फिर फ्रैंड्स के साथ आउटिंग के लिए निकल जाएं क्योंकि पार्टनर पर जोरजबरदस्ती करने का कोई फायदा नहीं है. इस से आप जबरदस्ती पार्टनर को आउटिंग पर तो ले जाएंगी, लेकिन यह आउटिंग मजा नहीं बल्कि सजा जैसी लगेगी.

बातबात पर रिएक्ट करने की आदत

कुछ पार्टनर्स की यह आदत होती है कि वे बिना किसी बात के गुस्सा करने लगते हैं या फिर छोटीछोटी बात पर रिएक्ट करने लगते हैं, जिस से आपस में तनाव बढ़ने के साथसाथ इस का प्रभाव धीरेधीरे रिश्ते पर पड़ने के कारण रिश्ता कमजोर पड़ने लगता है. ऐसे में रिश्ते की नींव को मजबूत बनाने के लिए जरूरी है कि दोनों पतिपत्नी में से किसी एक को पार्टनर के रिएक्ट करने पर खुद को चुप रखने की आदत डालनी होगी वरना ऐसे वक्त में बेवजह की बहस रिश्ते को वीक बनाने का काम करेगी.

लेकिन इस का मतलब यह नहीं कि आप हमेशा ही चुप रहें बल्कि जब पार्टनर शांत हो जाए तो उसे समझएं कि आप का इस तरह से रिएक्ट करना आप की पर्सनैलिटी को खराब करने के साथसाथ हम दोनों को एकदूसरे से दूर ले जाने का काम करेगा, इसलिए खुद को शांत रखना सीखें. हो सकता है कि आप की इन बातों का असर पार्टनर पर हो जाए वरना आप की चुप्पी ही इस प्रौब्लम का समाधान है.

जब बातबात पर टोके

टोकाटोकी किसी को भी पसंद नहीं होती है. लेकिन अगर आप की पार्टनर आप को हर छोटीछोटी बात पर टोके कि तुम ने यह काम सही नहीं किया, तुम ऐसे कैसे कर सकते हो, तुम्हें यह नहीं आता, तुम ने किचन में काम क्या किया कि उसे गंदा कर के मेरे लिए ही काम को बढ़ा दिया. ऐसे में अगर आप उस की हर बात पर प्रतिक्रिया देंगी तो हर बार बात लड़ाई में बदल जाएगी. इस से अच्छा है कि आप उसे प्यार से समझएं कि जरूरी नहीं हर बात पर टोक कर ही समझया जाएं बल्कि प्यार से भी चीजों को सुलझया जा सकता है और हर बार टोकना किसी को भी बुरा लग सकता है और तुम अपनी इस टोकने की आदत को धीरेधीरे सुधारने की कोशिश करो.

इस से हो सकता है कि वह आप की इमोशनल बातों से खुद को सच में सुधारने की कोशिश करे. अगर न सुधारे तो आप थोड़े टाइम के लिए उस से कम बात करना शुरू कर दें क्योंकि कई बार गलती का एहसास करवाने के लिए रिश्ते में थोड़ी दूरी बनाना भी जरूरी हो जाता है.

घर का खाना हो पसंद

हर इंसान की अपनी पसंद होती है. किसी को घर में रहना पसंद होता है, तो किसी को आउटिंग करना, किसी को घर का खाना पसंद होता है, तो किसी को बाहर का. ऐसे में हो सकता है कि आप के पार्टनर को घर का खाना पसंद हो और आप को बाहर का, तो इस बात पर आप दोनों आपस में लड़ने के बजाय सहमति बनाएं कि हफ्ते में 6 दिन घर का खाना बनेगा तो एक दिन हम लोग बाहर जा कर खाना खाएंगे. इस से दोनों की बात भी रह जाएगी और इस वजह से बेवजह की लड़ाई से भी बचा जा सकता है.

पार्टनर को हो दाड़ी रखने का शौक

हर कोई चाहता है कि उस का पार्टनर हैंडसम लगे. लेकिन हर लड़के की अपनी आदत होती है कि वह खुद को कैसा रखना पसंद करता है. किसी को सिंपल कपड़ों में रहना पसंद होता है, तो किसी को काफी बनठन कर. किसी को शेव कर के अच्छा लगता है तो किसी को कईकई दिनों तक बिना शेव करे. ऐसे में अगर आप पार्टनर को रोज शेव बनाने के लिए टोकती रहेंगी तो खुद भी परेशान रहेंगी और पार्टनर भी आप से चिढ़ने लगेगा. इस से अच्छा है कि उस की इस आदत को आप खुशीखुशी स्वीकार करें. लेकिन आप खुद को टिपटौप रखना न छोड़ें.

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वह क्यों बनी बेवफा

पार्टनर द्वारा बेवफाई किए जाने का दर्द काफी गहरा होता है. बेवफाई खुशियों पर ग्रहण लगा सकती है, आप को अपने अजीजों से दूर कर सकती है. मगर बेवफाई की जानकारी मिलते ही अपना होशोहवाश खो बैठना ठीक नहीं.

मुंबई के नालासोपारा की एक सच्ची घटना पर जरा गौर करें:

एक दिन एक शौंपिंग सैंटर की दूसरी मंजिल पर रहने वाले होटल सुपरवाइजर की लाश मिलती है. उस लाश के साथ ही कमरे में उस के 2 नन्हे बच्चों की लाशें भी थीं, साथ ही कमरे की दीवार पर मौत की वजह भी लिखी हुई थी. सुपरवाइजर ने अपनी व अपने दोनों बच्चों की हत्या के लिए बेवफाई को जिम्मेदार ठहराया था.

जरा उस व्यक्ति की मानसिक पीड़ा की कल्पना कीजिए जिस ने सुसाइड करने से पहले चैन की नींद सो रहे अपने 2 मासूमों का गला दबाया.

दीवार पर लिखी मौत की वजह

श्रीधर ने तकिए से बच्चों की हत्या कर खुद सुसाइड करने से पहले कमरे की दीवार पर पत्नी की बेवफाई का किस्सा लिखा. दीवार पर श्रीधर ने लिखा, ‘‘मेरी औरत साथ देती तो मैं

ऐसा कदम नहीं उठाता. मेरी औरत बच्चों को छोड़ कर किसी के साथ भाग गई, इसलिए मैं ने यह कदम उठाया.’’

जानकारी के अनुसार इस दर्दनाक घटना की पटकथा लिखने की शुरुआत वैलेंटाइन डे के दिन हुई थी. 42 साल के श्रीधर की पत्नी सोनाली अपने 2 मासूम बच्चों के साथ 13 फरवरी को पड़ोस में रहने वाले तेजस के साथ भाग गई थी. हालांकि वह 16 फरवरी को घर लौट आई. उस के बाद पतिपत्नी के बीच काफी झगड़ा हुआ. सोनाली ने श्रीधर से कहा कि वह तेजस से प्यार करती है और उसी के साथ रहना चाहती है.

झगड़े के बाद श्रीधर ने सोनाली से बच्चों को छोड़ कर चले जाने को कहा. इस के बाद सोनाली घर के पास ही तेजस के साथ रहने लगी.

इस बीच श्रीधर बहुत दुखी और बैचैन

रहने लगा. पुलिस के मुताबिक 18 फरवरी को सोनाली और तेजस कहीं चले गए जिस के बाद परेशान श्रीधर ने शाम के समय इस वारदात को अंजाम दिया.

कैसे करें मैनेज ऐसी सिचुएशन

बेवफाई का सामना किसी को भी करना पड़ सकता है. मगर इस सिचुएशन में आप का रिएक्शन बहुत माने रखता है. आप को यह समझना होगा कि इंसान बेवफाई यों ही नहीं करता. इस के पीछे कोई न कोई वजह होती है, इसलिए पार्टनर द्वारा बेवफाई किए जाने का पता चलने पर एकदम से आपा खो देना, चीखनाचिल्लाना, उस से लड़नाझगड़ना, अपशब्द कहना या एकदम कोई बड़ा फैसला ले लेना उचित नहीं.

मगर साथ ही ऐसी परिस्थिति में खुद परेशान होते रहना या चुपचाप बेवफाई देखते रहना भी व्यावहारिक नहीं है. इस स्थिति में जरूरी है कि आप पार्टनर से इस मसले पर शांति से बात करें. उसे अपना पक्ष रखने दें और यदि वह झठ बोले कि ऐसा कुछ नहीं तो सुबूत पेश करें. बिना सुबूत आप अपनी बात मजबूती से नहीं कह पाएंगे.

बेहतर होगा कि पहले मन को शांत करें और सोचें कि बहुत बड़ी बात नहीं हुई है. ऐसा बहुतों के साथ होता रहता है. यह एक सामान्य घटना है और फिर से सब ठीक भी हो सकता है. यह आप के ही किसी ऐक्शन या व्यवहार में मौजूद किसी कमी का नतीजा है. इस तरह की सोच दिमाग में आते ही सामने वाले पर आप का गुस्सा कम हो जाएगा और आप वजह की तलाश करने लगेंगे. एक बार वजह मिल जाए तो फिर आप उसे दूर भी कर सकते हैं.

याद रखें

‘‘कुछ तो मजबूरियां रही होंगी यों ही कोई बेवफा नहीं होता…’’

बेवफाई के कारण

भावनात्मक दूरी: अकसर पाया गया है कि आमतौर पर महिलाएं तभी धोखा देती हैं जब उन्हें पति से भावनात्मक रूप से दूरी का एहसास होता है. एक आदमी के लिए शारीरिक सुख ज्यादा महत्त्वपूर्ण है पर पत्नी दिल से करीब रहना चाहती है. पत्नी जब खुद को पति से इमोशनली कनैक्टेड महसूस नहीं करती तो वह उसे धोखा दे सकती है.

पति का पूरा अटैंशन न मिलने पर

पति द्वारा इग्नोर किए जाने पर पत्नी का गुस्सा इस रूप में जाहिर हो सकता है. वह पति का पूरा अटैंशन चाहती है पर अकसर काम की भागदौड़ या किसी और के साथ कनैक्टेड होने के कारण पति पत्नी पर पूरा ध्यान नहीं दे पाती. कुछ समय तक तो पत्नी सबकुछ सह लेती है, मगर जब जीवन का यही ढर्रा बन जाता है तो वह विरोध स्वरूप घर के बाहर प्यार ढूंढ़ना शुरू कर देती है.

सैक्सुअली खुश न रहने पर

रिश्तों में दरार आने और बेवफाई की ओर कदम बढ़ाने की एक वजह सैक्स भी है. अगर कोई महिला शादी के बाद अपनी सैक्सुअल लाइफ से खुश नहीं है तो वह अपनी इच्छा के हिसाब से अपने पार्टनर की तलाश कर सकती है. कई बार पति द्वारा बिना प्यार या भावना के जबरन शारीरिक संबंध बनाया जाना भी उसे गवारा नहीं होता.

जब पत्नी को पति के ऊपर हो शक

अगर पत्नी को लगे कि उस के पति का कहीं चक्कर चल रहा है तो यह बात पत्नी के लिए सब से ज्यादा पीड़ादायक होती है. वह हर दुख सह सकती है पर किसी और औरत को पति की जिंदगी में स्वीकार नहीं कर सकती. ऐसे में वह जैसे को तैसा की तर्ज पर अपने लिए भी किसी को तलाश कर सकती है. इस तरह बदला लेने और पति द्वारा उस के भरोसे को तोड़े जाने के विरोध में वह पति को धोखा दे सकती है.

अपमानित करने वाला पति

जब पति अपनी पत्नी की इज्जत नहीं करता, उस की इच्छाओं का खयाल नहीं रखता और मारपीट करता है तो ऐसे में कई बार पत्नी पति के अलावा किसी और पुरुष की तरफ झकने लगती है. ऐसे पुरुष की तरफ जो उसे सम्मान दे और उस की भावनाओं का खयाल रखे.

बेवफाई पर माफ नहीं करते पुरुष

बेवफाई करने का हक सिर्फ मर्दों के हाथ में रहे यह मुमकिन नहीं है. आज बेवफाई के खेल में कई बार महिलाएं मर्दों से आगे निकल जाती हैं. बहुत सी शादीशुदा महिलाओं के ऐक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर होते हैं.

वैसे रिलेशनशिप में महिलाओं की तुलना में पुरुषों द्वारा पार्टनर को धोखा देने की आशंका अधिक होती है, मगर जब बात आती है माफ करने की तो ज्यादातर पुरुष ऐसा नहीं कर पाते. हाल ही में हुई एक रिसर्च में यह बात सामने आई है कि जब बात बेवफाई पर पार्टनर को माफ करने की आती है तो पुरुष ऐसा नहीं कर पाते और तुरंत तलाक ले लेते हैं या कोई और बड़ा खतरनाक कदम उठा लेते हैं.

पार्टनर की बेवफाई के बावजूद पुरुषों की तुलना में महिलाएं अपनी टूटी शादी को बचाने के लिए ज्यादा कोशिशें करती हैं, जबकि पुरुषों में पत्नी की बेवफाई को सहन करने की क्षमता बेहद कम होती है.

कैसे समझें पत्नी की बेवफाई

पत्नी के मोबाइल पर बारबार कौल या मैसेज का आना, पत्नी द्वारा कुछ अलग अंदाज या धीमेधीमे बात करना जैसी बातें ऐक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर की तरफ इशारा करती हैं.

यदि पत्नी अचानक अपने कपड़ों या लुक पर ज्यादा ध्यान देने लगे या अकसर रोमांटिक गाने गाती दिखे तो सम?िए कि उसे कोई अच्छा लगने लगा है.

यदि वह अपनी किसी खास सहेली के साथ पहले की अपेक्षाज़्ज्यादा समय बिताने लगी है और फोन पर ही लंबे समय तक उस से बात करती रहती है तो संभव है कि या तो वह उस सहेली से नए पार्टनर के बारे में सारी बातें शेयर करती है या फिर सहेली के नाम पर पार्टनर से ही मिलने जाती है.

आप के द्वारा कुछ सवाल किए जाने पर वह एकदम से सचेत हो जाए या ज्यादा सफाई देने लगे तो जरूर कुछ गड़बड़ है.

यदि पत्नी शाम को कहीं से आ कर सीधे नहाने चली जाए तो समझ लें कुछ गड़बड़ है.

पत्नी के नजदीक आते ही यदि आप को किसी दूसरे पुरुष जैसी महक महसूस हो और जब आप कोई सवाल पूछें जैसेकि अब तक कहां थी या आज देर क्यों हो गई तो यदि पत्नी इन सवालों के जवाब देते समय आंखें चुराने लगे तो यह साफ है कि वह आप को धोखा दे रही है.

रिश्तों को दोबारा कैसे सुधारें

याद रखें गलती किसी से भी हो सकती है. उस गलती को भुला कर आगे बढ़ना ही जिंदगी है. इसलिए अपनी पत्नी को बातें सुनाते रहने या हमेशा के लिए कड़वाहट बनाए रखने के बजाय सबकुछ भूल कर फिर से नए विश्वास के साथ जिंदगी की शुरुआत करें.

– अपने ईगो को एक तरफ रख दें और फिर रिश्ते को बचाने की कोशिश करें. याद रखें कि ताली एक हाथ से नहीं बजती. कहीं न कहीं गलती दोनों से हुई है. इसलिए मिल कर ही स्थिति सुधारनी होगी.

– सब से पहले तो खुद को ही परखें. कहीं आप की तरफ से ही तो गलती नहीं हुई है? यदि आप से रिश्ता निभाने में कोई चूक हुई है तो पहले उसे सुधारने की कोशिश करें.

– अगर आप को जीवनसाथी की बेवफाई के बारे में पता चल गया है तो तुरंत निर्णय लेने के बजाय शांत मन और नौर्मल टोन में पहले अपने साथी से अकेले में इस बारे में बात करें और कोई समाधान निकालने की कोशिश करें.

– अगर पत्नी को अपनी गलती का एहसास हो गया है और वह सच्चे दिल से आप से माफी मांग कर सबकुछ सुधारना चाहती हो तो उसे एक मौका जरूर दें. कई बार परिस्थितिवश इंसान कुछ समय के लिए गलत हो सकता है, लेकिन इस का यह मतलब नहीं है कि उसे गलती सुधारने का मौका ही न मिले. अपना दिल बड़ा रखें और सबकुछ भूल कर फिर से पहले की तरह प्यार से जीने का प्रयास करें.

– कई कपल्स के बीच बेवफाई की बड़ी वजह एकदूसरे की भावनाओं को न समझना और एकदूसरे को अधिक समय नहीं दे पाना होती है. इस बात को समझ कर सुधार करना जरूरी होता है.

– याद रखें अगर रिश्तों में कोई कमी लंबे समय तक बनी रहे और यह कमी किसी और से पूरी होने लगे तो उस व्यक्ति की तरफ झकाव होना स्वाभाविक है. इसलिए बेवफाई करने पर भी पत्नी को नीचा दिखाने के बजाय अपने रिश्ते की कमियों को दूर करने का प्रयास करें.

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कम जगह में कैसे बढ़ाएं प्यार

परिवार एक एकल इकाई है, जहां पेरैंट्स और बच्चे एकसाथ रहते हैं. इन्हें प्रेम, करुणा, आनंद और शांति का भाव एकसूत्र में बांधता है. यही उन्हें जुड़ाव का एहसास प्रदान करता है. उन्हें मूल्यों की जानकारी बचपन से ही दी जाती है, जिस का पालन उन्हें ताउम्र करना पड़ता है. जो बच्चे संयुक्त परिवार के स्वस्थ और समरसतापूर्ण रिश्ते की अहमियत समझते हैं, वे काफी हद तक एकसाथ रहने में कामयाब हो जाते हैं.

साथ रहने के फायदे

बच्चों के साथ जुड़ाव और बेहतरीन समय बिताने से हंसीठिठोली, लाड़प्यार और मनोरंजक गतिविधियों की संभावना काफी बढ़ जाती है. इस से न सिर्फ सुहानी यादें जन्म लेती हैं बल्कि एक स्वस्थ पारिवारिक विरासत का निर्माण भी होता है.

इस का मतलब यह नहीं है कि हमेशा ही सबकुछ ठीक रहता है. एक से अधिक बच्चों वाले घर में भाईबहनों का प्यार और उन की प्रतिद्वंद्विता स्वाभाविक है. कई बार स्थितियां मातापिता को उलझन में डाल देती हैं और वे अपने स्तर पर स्थिति को नियंत्रित करने का प्रयास करते हैं तथा घर में शांतिपूर्ण स्थिति का माहौल बनाते हैं.  कम जगह में आपसी प्यार बढ़ाने के खास टिप्स बता रही हैं शैमफोर्ड फ्यूचरिस्टिक स्कूल की फाउंडर डायरैक्टर मीनल अरोड़ा :

व्यक्तिगत स्वतंत्रता की व्यवस्था : प्रत्येक बच्चे के लिए एक कमरे में व्यक्तिगत आजादी का प्रबंध करने से उन में व्यक्तिगत जुड़ाव की भावना का संचार होता है. प्रत्येक बच्चे के सामान यानी खिलौनों को उस के नाम से अलग रखें और उस की अनुमति के बिना कोई छू न सके. बच्चों में स्वामित्व की भावना परिवार से जुड़ने के लिए प्रेरित करती है जिस से अनेक सकारात्मक परिवर्तन होते हैं. कमरे को शेयर करने के विचार को दोनों के बीच आकर्षक बनाएं.

नकारात्मक स्थितियों से बचाएं बच्चों को : भाईबहनों में दृष्टिकोण के अंतर के कारण आपस में झगड़े होते हैं. इस के कारण वे कुंठा को टालने में कठिनाई महसूस करते हैं और किसी भी स्थिति में नियंत्रण स्थापित करने के लिए झगड़ते रहते हैं, आप अपने बच्चों को ऐसे समय इस स्थिति से दूर रहने के लिए गाइड करें.

हमें अपने बच्चों को झगड़े की स्थिति को पहचानने में सहायता करनी चाहिए और इसे शुरू होने के पहले ही समाप्त करने के तरीके बताने चाहिए.  व्यक्तिगत सम्मान की शिक्षा दें : प्रत्येक व्यक्ति का अपना खुद का शारीरिक और भावनात्मक स्थान होता है, जिस की एक सीमा होती है, उस का सभी द्वारा सम्मान किया जाना चाहिए. बच्चों को समर्थन दे कर उन की सीमाओं को मजबूत करें.

उन्हें दूसरे बच्चों की दिनचर्या और जीवनशैली का सम्मान करने की शिक्षा भी दें. यदि दोनों भाईबहन पहले से निर्धारित सीमाओं से संतुष्ट हैं तो उन के बीच पारस्परिक सौहार्द बना  रहता है.

क्षतिपूर्ति सुनिश्चित करें : कभी ऐसा भी समय आता है, जब एक बच्चा दूसरे बच्चे की किसी चीज को नुकसान पहुंचा देता है या उस से जबरन ले लेता है. ऐसे में पेरैंट्स को चाहिए कि जिस बच्चे की चीज ली गई है उस बच्चे की भावनाओं का खयाल कर उस के लिए नई वस्तु का प्रबंध करें और गलत काम करने वाले बच्चे को उस की गलती का एहसास करवाएं.

इस से परिवार में अनुशासन और ईमानदारी सुनिश्चित होगी. इस से भाईबहनों को भी यह एहसास होता है कि  पेरैंट्स उन का खयाल रखते हैं और घर में न्याय की महत्ता बरकरार है.  चरित्र निर्माण में सहयोग : एकदूसरे के नजदीक रहने से दूसरे के आचारव्यवहार पर निगरानी बनी रहती है. किसी की अवांछनीय गतिविधि पर अंकुश लगा रहता है. यानी कि बच्चा चरित्रवान बना रहता है. किसी समस्या के समय दूसरे उस का साथ देते हैं. दूसरी और, सामूहिक दबाव भी पड़ता है और बच्चा गलत कार्य नहीं कर पाता. अत: मौरल विकास अच्छा होता है.

बच्चे की जागरूकता की प्रशंसा करें : यदि कोई बच्चा समस्या के समाधान की पहल करता है और नकारात्मक स्थिति से बाहर निकलने की कोशिश करता है तो उस की प्रशंसा करें.

समस्या के समाधान के सकारात्मक नजरिए को सम्मान प्रदान करें, क्योंकि इस से उस का बेहतर विकास होगा और वह परिपक्वता की दिशा में आगे बढ़ेगा. प्रोत्साहन मिलने  से हम अपने लक्ष्य की दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित होते हैं.  इस से बच्चों को अपनी उपलब्धियों पर गर्व का एहसास होगा और वे इस स्वभाव को दीर्घकालिक रूप से आगे बढ़ाएंगे. हमेशा बच्चे द्वारा नकारात्मक स्थिति में सकारात्मक समाधान तलाशने के प्रयास की प्रशंसा करें.  याद रखें इन नुस्खों को अपना कर आप अपने बच्चों को संभालने में आसानी महसूस करेंगे. भाईबहन एकदूसरे के पहले मित्र और साझीदार होते हैं, जो एक सुंदर व स्वस्थ समरसता को साझा करते हैं, इस से कम जगह में भी पूरा परिवार खुशीखुशी जीवन व्यतीत कर सकता है.

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महामारी के बाद छोटे बच्चों को स्कूल जाने और पढने की रूचि को बढ़ाएं कुछ ऐसे

कोविड के बाद रीना अपनी 5 साल के बेटे से बहुत परेशान है, क्योंकि उसका बेटा रेयान दिन भर खेलना चाहता है. स्कूल जाना नहीं चाहता, रोज कुछ न कुछ बहाने बनाता है, एक दिन उसकी माँ बहुत घबरा गयी, क्योंकि उसने माँ को बताया कि उसे पेटदर्द हो रहा है, माँ पहले उसे पेट दर्द की दवा दी और उसे लेकर डॉक्टर के पास जब जाने लगी तो उसने माँ से कहा कि उसका पेट दर्द ठीक हो गया है. फिर भी माँ नहीं मानी और डॉक्टर ने जाँच कर बताया कि कुछ सीरियस नहीं है, शायद मौसम की वजह से ऐसा हुआ है. उसे सादा खाना देना ठीक रहेगा.

कोविड महामारी की वजह से ऑनलाइन पढाई कर रहे छोटे बच्चों कीसमस्या पेरेंट्स के लिए यह भी है कि अब ऑनलाइन नहीं है,लेकिन बच्चेमोबाइल के लिए जिद करते है, न देने पर अपनी मनमानी कुछ भी करते है. मोबाइल मिलने पर कार्टून देखना शुरू कर देते है. कल्पना की 6 साल की बेटी मायरा भी कुछ कम नहीं अपनी अपर केजी की क्लास में न जाकर नर्सरी में बैठी रहती है,उसकी भोली सूरत देखकर टीचर भी कुछ नहीं कहती. कल्पना के लिए बहुत समस्या है. उन्हें हर दूसरे दिन उसे दूसरे बच्चे से क्लास की पढाई का नोट्स लेना पड़ता है. पूछने पर मायरा कहती है कि आप तो पहले ऑनलाइन पढ़ाते समय सारे नोट्स लेती थी, अब भी ले लीजिये, मैं घर आकर आपसे पढ़ लेती हूँ. ऐसे व्यवहार केवल रीना और कल्पना ही फेस नहीं कर रही, बल्कि बाकी बच्चों की माएं भी परेशान है, उन्हें इस बात की फ़िक्र है कि पहले की तरह बच्चों में स्कूल के प्रति रुझान कैसे लाई जाय. हालाँकि बच्चे स्कूल जाकर खुश है, लेकिन उनके पुराने मित्र भी नए बन चुके है. वे चुपचाप एक कोने में बैठे रहते है और टीचर के कुछ कहने पर अनसुना कर देते है. दो साल का गैप छोटे बच्चों और उनके पेरेंट्स के लिए एक समस्या अवश्य है, लेकिन उसे ठीक करने के लिए कुछ उपाय निम्न है, जिसे टीचर्स और पेरेंट्स को धैर्य के साथ पालन करना है.

बच्चों के व्यवहार को समझे

देखा जाय, तो इसमें बच्चों का दोष भी नहीं, उन्हें क्लासरूम में सारेटीचर्स उन्हें नए लग रहे है,पिछले दो सालों में कई टीचर्स बदले गए या फिर छोड़कर चले गए, जिससे बच्चे उनसे बात करने या कुछ पूछने से डर रहे है. इस बारें में मुंबई की ओर्किड्स द इंटरनेशनल स्कूल की इंग्लिश अध्यापिका नेहा लोहाना कहती है कि छोटे बच्चों को एक रूटीन और अनुसाशन में लाना अब एक बड़ी चुनौती हो चुकी है, क्योंकि अभी इन बच्चों ने अधिकतर समय अपने पेरेंट्स के साथ इनडोर गेम्स खेलते हुए बिताया है. इसे ठीक करने के लिए पेरेंट्स और टीचर्स मिलकर कदम उठाने की जरुरत है, जिसमे उन्हें लर्निंग अनुभव और एक्टिविटीज के द्वारा एक प्लान बनाने की जरुरत होती है.पेरेंट्स अपने काम को थोड़ा रोककर बच्चे की सीखने या कुछ देखने की आदतों को सुधारें. अगर बच्चा रोज-रोज घर आकर टीचर्स के बारें में कुछ आरोप लगाता है, तो उसे धैर्य से समझने की कोशिश करें, डांटे नहीं. इसके बाद टीचर से कहकर उसके लिए कुछ दूसरे एक्टिविटीज को लागू करने की कोशिश करें, जो उसके लिए रुचिपूर्ण हो. इसके अलावा टीचर्स के साथ स्कूल के नए माहौल में बच्चे को सुरक्षा और सुरक्षित महसूस करें, ये सुनिश्चित करना बहुत जरुरी है. हालाँकि ये थोड़े दिनों में ठीक हो जायेगा, पर अभी के लिए ये बहुत चुनौतीपूर्ण है.

नए क्लास में उत्तीर्ण की चुनौती

कोविड के दौरान कुछ बच्चों ने शुरू के दो साल के क्लासेस पढ़े नहीं है और उन्हें अगले कक्षा में उत्तीर्ण कर दिया गया है,ऐसे में उन्हें नयी कक्षा में पढाई को समझ पाना मुश्किल हो रहा है. इस समस्या के बारें में पूछने पर इंग्लिश टीचर नेहा कहती है कि ये समस्या वाकई सभी स्कूलों के लिए एक बड़ी चुनौती है. लॉकडाउन के दौरान घर पर ऑनलाइन पढ़ाते हुएटीचर्स ने कई प्रकार के चैलेन्ज फेस किये है, मसलन पाठ को रिवाईज करवाना, कुछ नया सिखाना आदि, क्योंकि अधिकतर बच्चे ऑनलाइन समय पर नहीं आते थे, उनकी उपस्थिति बहुत अधिक अनियमितऔर अनुपस्थित रहना होता था, जिससे टीचर्स को एक पाठ को कई बार पढाना पड़ता था. कई बच्चों ने तो कलम और पेंसिल से लिखना बंद कर दिया और उन्हें लिखने से अधिक ओरल परीक्षा अच्छी लगने लगी थी. देखा जाय,तो ये पेरेंट्स और टीचर्स के लिए मुश्किल समय है, इसे लगातार मेहनत के साथ ही इम्प्रूव किया जा सकेगा.

मुश्किल है अनुसाशन में रखना

ये सही है कि दो साल बाद बड़े बच्चों को भी एडजस्ट करने में समस्या आ रही है, क्योंकि स्कूल के अनुसाशन, सहपाठी से खेलना, किसी चीज को शेयर करना आदि सब बच्चों से दूर चले गए है, क्योंकि उन्हें अब स्कूल में मास्क पहनना, बार-बार हाथ सेनिटाइज करना, डिस्टेंस बनाए रखना आदि सब स्कूल में करना पड़ता है, ऐसे में किसी से सहज तरीके से बात करने में भी बच्चे हिचकिचाते है. ओर्किड्स द इंटरनेशनल स्कूल में बच्चों की काउंसलिंग कर रही काउंसलर और एचओडी बेथशीबा सेठ कहती है कि इतने सालों बाद बच्चे ही नहीं, टीचर्स को भी बच्चों के साथ एडजस्ट करने में मुश्किल आ रही है. महामारी के बाद मानसिक स्वास्थ्य पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो गया है, क्योंकि जैसे-जैसे हम जीवन के नए तरीकों को अपनाना शुरू करते है. जीवन की नई शर्तों के साथ तालमेल बिठाना पड़ता है. बच्चों और उनके मानसिक स्वास्थ्य की उपेक्षा करना असंभव है.छोटे बच्चे स्वभाव से फ्लेक्सिबल दिमाग के होते है और वे अपनी समस्या को किसी के सामने कह नहीं पाते. वे शाय और डीनायल मूड में होते है,उनके हाँव-भाँव से उनकी समस्या को पकड़ना पड़ता है. इसके अलावा उन्हें खुद को और अपने विचारों को व्यक्त करने के लिए सुरक्षित वातावरण देना पड़ता है, ताकि खुलकर वे अपनी बात रख सकें.

अपने एक अनुभव के बारें में काउंसलर बताती है कि एक बच्चे का एडमिशन क्लास वन में हुआ, उसने लोअर और अपर केजी नहीं पढ़ा है, जब वह अपनी माँ और बड़े भाई के साथ स्कूल आया, तो उसे स्कूल बहुत ही अजीब लग रहा था, जब उसने अपनी टीचर को देखा, तो भाई के पीछे छुप गया और कहने लगा कि ये टीवी वाली टीचर यहाँ क्यों आई है, फिर किसी दूसरे टीचर को बुलाकर उसे क्लास में भेजा गया. अगले दिन टीचर ऑनलाइन आकर बच्चे को समझाई कि वह अब उसके पेरेंट्स की तरह सामने दिखेगी और उन्हें पढ़ाएगी. तब जाकर बच्चे ने माना और उस टीचर की क्लास में बैठा. ये समय कठिन है, इसलिए अध्यापकों और पेरेंट्स को बहुत धैर्य के साथ बच्चों को पढाना है, ताकि उन्हें फिर से वही ख़ुशी मिले और स्कूल आने से परहेज न करें.

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घर और औफिस में यों बनाएं तालमेल

मान्या की शादी 4 महीने पहले ही हुई है. वह बैंक में है. पहले संयुक्त परिवार में रह रही थी. इसलिए उस पर काम का बोझ अधिक नहीं था. लेकिन शादी के 2 महीने बाद ही पति का ट्रांसफर दूसरे शहर में हो गया. मान्या को भी पति के साथ जाना पड़ा. वह जिस बैंक में थी उस की अन्य शाखा भी उस शहर में थी, इसलिए मान्या ने भी वहां तबादला करा लिया.

दोनों परिवार से दूर अनजाने शहर में रह रहे हैं. यहां मान्या के ऊपर घर व औफिस की दोहरी जिम्मेदारियों का बोझ आ पड़ा. बचपन से संयुक्त परिवार में रही थी. इसलिए उस ने अकेले काम का इतना अधिक बोझ कभी नहीं संभाला था. उस का टाइम मैनेजमैंट गड़बड़ाने लगा. वह घर और दफ्तर के कार्यों के बीच अपना सही संतुलन नहीं बना पा रही थी. धीरेधीरे उस की सेहत पर इस का असर दिखने लगा.

एक दिन अचानक मान्या औफिस में बेहोश  हो गई. उसे हौस्पिटल ले जाया गया. डाक्टर ने बताया कि वह तनाव से घिरी है. इस का असर उस के स्वास्थ्य पर पड़ने लगा है. उस के बेहोश होने की वजह यही है.

1 हफ्ता मान्या ने घर पर आराम किया. कई रिश्तेदार और दोस्त उस से मिलने आए. एक दिन उस की एक खास सखी भी आई, जो मल्टीनैशनल कंपनी में मैनेजर थी. उस ने बताया, ‘‘तुम्हारे तनाव और बीमारी की वजह तुम्हारे द्वारा टाइम को सही तरीके से मैनेज नहीं करना है. वर्किंग वूमन के लिए अपने टाइम को इस तरह से बांटना कि तनाव और डिप्रैशन जैसी स्थिति न आए, बहुत जरूरी होता है.’’

आधुनिक समय में कामकाजी महिलाओं को घर और औफिस की दोहरी जिम्मेदारियां उठानी पड़ रही हैं, जिन में वे उलझ जाती हैं. वे हर जगह खुद को साबित करने और अपना शतप्रतिशत देने की चाह में तनाव की शिकार हो जाती हैं. पति और बच्चों के साथ समय नहीं बिता पातीं. सोशल लाइफ से दूर होती जाती हैं. औफिस में घर की परेशानियां और घर में औफिस की परेशानियों के साथ कार्य करना, ऐसे बहुत से कारण हैं, जो उन की जिंदगी में कहीं न कहीं ठहराव सा ला देते हैं, जो उन की सुपर वूमन की छवि पर एक प्रश्नचिह्न होता है.

ऐसे में जिंदगी में आई इन मुश्किलों का सामना जिंदादिली के साथ किया जाए, तो हार के रुक जाने का मतलब ही नहीं बनता. वैसे भी जिंदगी में सफलता का मुकाम कांटों भरी राह को तय करने के बाद ही मिलता है.

दोहरी जिम्मेदारी निभाएं ऐसे

आइए जानते हैं किस तरह वर्किंग वूमन अपनी दोहरी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाते हुए दूसरी महिलाओं के लिए कामयाबी की मिसाल बन सकती हैं:

जमाना ब्यूटी विद ब्रेन का है. अत: सुंदरता के साथसाथ बुद्धिमत्ता भी जरूरी है. हमेशा सकारात्मक सोच रखें. नकारात्मक विचारों को खुद पर हावी न होने दें.

ऐसी दिनचर्या बनाएं, जिस में आप अपनी पर्सनल और प्रोफैशनल लाइफ को समय दे सकेें.

अपने व्यक्तित्व पर ध्यान दें. अपनी कमियों को दूर करने का प्रयास करें, क्योंकि यह आप के व्यक्तित्व विकास में बाधक बनती है. अपने अंदर आत्मनिरीक्षण करने की आदत विकसित करें. इस के अलावा अपने दोस्तों, शुभचिंतकों से भी अपनी कमियां जानने की कोशिश करें.

वर्किंग वूमन के लिए टाइम मैनेजमैंट बहुत जरूरी है. इसलिए औफिस और घर पर समय की बरबादी को रोकने का हर संभव प्रयास करें. कौन सा कार्य कितने समय में करना है, इस की रूपरेखा मस्तिष्क या लिखित रूप में आप के पास होनी चाहिए.

घर के कामों में परिवार के सदस्यों और बच्चों की मदद जरूर लें. साथ ही अपनी समस्याओं को परिवार के सदस्यों से प्यार से बताएं.

औफिस में अकसर आप को आलोचना का शिकार भी होना पड़ता होगा. ऐसी बातों को नकारात्मक ढंग से न लें. अपनी कार्यक्षमता, संयमित व्यवहार और अपने आदर्शों से आप किसी न किसी दिन अपने आलोचकों को मुंह बंद कर ही देंगी.

यदि आप को औफिस में अतिरिक्त जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं, तो उन से पीछा छुड़ाने के बजाय उन्हें सकारात्मक तरीके से निभाएं, क्योंकि ऐसी जिम्मेदारियां आप की कार्यक्षमता की, परीक्षा की जांच के लिए भी आप को दी जा सकती हैं.

वीकैंड पति व बच्चों के नाम कर दें. इस दिन मोबाइल फोन से जितनी हो सके दूरी बना कर रखें. बच्चों और पति को उन की फैवरेट डिश बना कर खिलाएं. शाम के समय मूड फ्रैश करने के लिए परिवार के साथ पिकनिक स्पौट या आउटिंग पर जाएं. इस तरह आप खुद को अगले सप्ताह के कामों के लिए फ्रैश और कूल महसूस करेंगी.

औफिस में अपने काम को पूरी ईमानदारी और लगन से करें. लंच में ज्यादा समय न खराब करें. देर तक मोबाइल पर बातें करने से बचें.

औफिस में सहकर्मियों से न तो अधिक निकटता रखें और न ही अजनबियों जैसा व्यवहार करें. औफिस में सहकर्मियों के साथ फालतू की बहस से बचें. उन के साथ आप को जादा देर तक काम करना होता है. अत: उन के साथ दोस्ताना संबंध बना कर चलें.

फिस की परेशानियों को घर न लाएं. ज्यादा देर टीवी देख कर या मोबाइल पर बातें कर के समय खराब न करें.

जहां तक हो घर जा कर खाना खुद ही बनाएं. रोजरोज बाहर का खाना और्डर न करें. यह आप और आप के परिवार के लिए सही नहीं.

आप की दोहरी भूमिका निभाने में पारिवारिक सदस्यों का सहयोग बहुत ही जरूरी है. इसलिए  व्यवहारिक जीवन में पतिपत्नी को एकदूसरे की भावनाओं का सम्मान करना चाहिए और एकदूसरे की परेशानी को हल करने के लिए आपस में काम बांट लेने चाहिए.

आप का अपने लिए भी समय निकालना जरूरी है ताकि आप इस बीच शौपिंग आदि कर के अपना मूड फ्रैश कर सकें. रोजाना औफिस और घर के बीच की भागदौड़ की थकावट आप की सुंदरता कम कर सकती है. इस के लिए पार्लर में जा कर अपने सौदर्य में चार चांद लगाएं. चाहें तो पति को एक दिन के लिए बच्चों की जिम्मेदारी सौंप कर फ्रैंड्स के साथ मूवी देखने का प्रोग्राम बनाएं.

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शादी के बाद ऐसे बनाएं कैरियर

भारत की बात करें तो यहां आज भी काफी महिलाओं को शादी के कारण अपनी पढ़ाई, अपने कैरियर को बीच में ही ड्रौप करना पड़ता है क्योंकि कभी पेरैंट्स उन्हें शादी में इतना खर्च आएगा यह कह कर उन के सपनों को उड़ने से पहले ही उन के पंख काट देते हैं तो कभी यह कह कर उन के कैरियर को बीच में ही छुड़वा देते हैं कि ये सब शादी के बाद करना और जब शादी के बाद वे अपने अधूरे सपने या कैरियर को पूरा करने की बात कहती हैं तो परिवार उन्हें यह कह कर चुप करवा देता है कि अब घरपरिवार ही तुम्हारी जिम्मेदारी है.

ऐसे में बेचारी लड़की कर ही क्या सकती है. बस बेबस हो कर रह जाती है. लेकिन इस बीच परिवार ये ताने कसे बिना रह नहीं पाता कि तुम करती ही क्या हो, कमाता तो हमार बेटा ही है. ऐसे में अपने पैरों पर खड़े होने के लिए अपनी लड़ाई आप को खुद लड़ने की जरूरत है ताकि आप खुद को आत्मनिर्भर बना सकें.

सीरियल ‘अनुपमा’ में रूपाली गांगुली जो अनुपमा का किरदार निभा रही है, उसे डांस का बहुत शौक था. वह स्टेज परफौरर्मैंस करने के साथ खुद की अकादमी भी खोलना चाहती थी. उसे शादी के बाद अपने हुनर को दिखाने के लिए विदेश जाने का भी मौका मिला, लेकिन पति, सास की सपोर्ट न मिलने के कारण उसे अपने इस हुनर को मसालों के डब्बों में ही बंद कर के रखना पड़ा और बाद में यह भी सुनने को मिला कि तुम करती ही क्या हो.

मगर जब अनुपमा को समझ आया कि घरपरिवार के साथसाथ कैरियर, पैसा, नाम कितना जरूरी है तो उस ने बच्चों के सैटल होते ही अपनी हिम्मत के दम पर छोटे से सैटअप के साथ अपनी डांस अकादमी खोली और आज उसे विदेशों में भी स्टेज परफौर्मैंस करने के कौंट्रैक्ट मिल रहे हैं.

भले ही यह वर्चुअल कहानी है, लेकिन हकीकत में भी ऐसी अनेक कहानियां आप को मिल जाएंगी, जो आप को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करने का काम करेंगी.

तो आइए जानते हैं आप अपने अधूरे कैरियर को कैसे पूरा करें. हर व्यक्ति के अपने सपने, अपने कैरियर एरिया होते हैं. इसे वे अपने इंटरैस्ट के हिसाब से चुनती व पूरा करती हैं. ऐसे में अगर आप का भी शादी के कारण कैरियर या डिगरी अधूरी रह गई है तो उसे जरूर पूरा करें क्योंकि आज पुरुष व महिला दोनों को बराबरी के राइट व अपने मुताबिक जीने का अधिकार है.

अपनी अधूरी डिगरी को पूरा करें

हो सकता है कि आप अपनी रुचि का प्रोफैशनल कोर्स कर रही हों, लेकिन पेरैंट्स के शादी के प्रैशर के कारण आप को अपने उस कोर्स को बीच में ही छोड़ना पड़ गया हो, जिस के कारण आप काफी परेशान भी रही होंगी. लेकिन अब मौका है कि आप अपनी उस अधूरी डिगरी को पूरा करें. हो सकता है कि घर से सपोर्ट न मिले और अब ससुराल वाले यह कह कर

फिर मना करें कि तुम्हारी पढ़ाई के कारण घर बिखर जाएगा.

तब आप उन्हें समझाएं कि अब सिर्फ बाहर जा कर ही कोर्स नहीं होता बल्कि आजकल अधिकांश कोर्सेज को औनलाइन घर बैठे भी करने की सुविधा है. इस से घर भी देख लूंगी और अपना कोर्स भी पूरा कर पाऊंगी और इस कोर्स के बाद अगर अच्छीखासी नौकरी मिल गई तो फिर तो डबल इनकम से बच्चों के और बेहतर कैरियर में भी सहायता मिलेगी. फिर अब तो बच्चे भी बड़े व समझदार हो गए हैं. अब मुझे भी खुद आत्मनिर्भर बनना है ताकि छोटीछोटी जरूरतों के लिए किसी के आगे हाथ न पसारने पड़ें. अपने बच्चों के लिए कुछ करना है.

यकीन मानिए आप का इस तरह से खुद के बारे में सोचना आप को आगे बढ़ने से नहीं रोक पाएगा. इस से आप का अधूरा सपना तो पूरा होगा ही, साथ ही आप का कौन्फिडैंस भी बढ़ेगा.

टीचिंग में रुचि

आप की शुरू से ही टीचर बनने की इच्छा थी. लेकिन परिवार में पैसों की तंगी की वजह से आप अपने इस सपने को पूरा नहीं कर पाईं. लेकिन अब जब परिवार संपन्न है और किसी तरह की कोई दिक्कत भी नहीं है तो आप अपनी इस कैरियर इच्छा को जरूर पूरा करें.

इस के लिए आप ऐसे कोर्सेज सर्च करें जो औनलाइन व औफलाइन दोनों सुविधाएं हों और जिन में ज्यादा से ज्यादा प्रैक्टिकल नौलेज दी जाती हो, साथ ही कोर्स खत्म होने के बाद आप को उन्हीं की तरफ से प्लेसमैंट भी मिल जाए. इस से फायदा यह होगा कि आप का टीचिंग कोर्स भी हो जाएगा और आप को जौब भी मिल जाएगी. भले ही शुरुआत में सैलरी थोड़ी कम मिले, लेकिन यह कदम आप के आगे बढ़ने में काफी अहम रोल निभाएगा.

टैलेंट को पहचानें

हर व्यक्ति में कोई न कोई टैलेंट जरूर होता है, बस उसे पहचान कर निखारने की जरूरत होती है. ऐसे में आप में जो भी टैलेंट है जैसे ट्यूशन पढ़ाने का, अलगअलग तरह की डिशेज बनाने का शौक है, अच्छी स्टिचिंग कर लेती हों, अच्छी ड्राइंग बनाने का शौक है तो आप अपने अंदर छिपे इस टैलेंट को अपने अंदर ही समेट कर न रखें बल्कि शादी के बाद उस में अपना कैरियर बनाएं.

आप इस के लिए या फिर इस में कोर्स कर के और अपनी स्किल्स को निखार सकती हैं या फिर आप अगर इन की अच्छीखासी जानकार हैं तो शुरुआत में छोटे स्तर पर बिजनैस शुरू करें, फिर जैसेजैसे डिमांड बढ़े आप अपने इस हुनर से अपने बिजनैस को बड़े स्तर पर ले जा सकती हैं, जिस से आप पैसा व नाम दोनों कमा सकती हैं और आप का टैलेंट भी बरबाद नहीं जाएगा.

स्टार्टअप की शुरुआत

आज जिस तरह से स्टार्टअप का क्रेज बढ़ता जा रहा है, वह अपनेआप में एक बड़ा बदलाव है. ऐसे में अगर आप को भी मार्केटिंग की अच्छीखासी जानकारी है, नएनए आइडियाज आप के दिमाग में आते रहते हैं, जो काफी काम के साबित हो सकते हैं, तो आप बिजनैस की और अच्छी जानकारी लेने के लिए कोर्स कर सकती हैं या फिर अगर आप ने इस का कोर्स पहले ही किया हुआ है तो आप और लोगों को इस से जोड़ कर अपना खुद का स्टार्टअप शुरू कर सकती हैं. अगर आप के आइडियाज काम आ गए फिर तो इन के जरीए आप अपनी अच्छीखासी पहचान बना सकती हैं.

एचआर जौब

आप को कौरपोरेट कंपनीज में काम करने का शौक है और इस के लिए आप ने ह्यूमन रिसोर्स में एमबीए भी कर लिया, लेकिन जब इस में जौब की बारी आई तो घर वालों ने आप की शादी तय कर दी, जिस के कारण आप की डिगरी रखी की रखी रह गई.

अकसर कैरियर को ले कर जो सपने हम ने संजोए होते हैं, अगर वे पूरे नहीं होते तो हमारे अरमानों पर पानी फिर जाता है. ऐसे में अब जब आप शादी के बाद खुद के लिए समय निकाल पा रही हैं या फिर चीजें मैनेज कर पा रही हैं तो एचआर जौब कर के अपने कैरियर को पटरी पर लाएं या फिर इस में और एडवांस्ड कोर्स कर के खुद को और अपडेट कर के अच्छी नौकरी हासिल करें.

बता दें कि एक तो इस जौब के टाइमिंग काफी सूट करने वाले होते हैं, साथ ही यह जौब काफी सम्मानीय भी होती है. इस तरह आप जौब कर के अपने एचआर बनने के सपने को साकार कर सकती हैं.

फ्रीलांस वर्क

अगर आप को पढ़नेलिखने का शुरू से ही बहुत शौक रहा है, लेकिन आप परिवार की मजबूरियों व शादी हो जाने के कारण अपने इस जनून को पूरा नहीं कर पाई हैं, तो अभी भी देर नहीं हुई है क्योंकि आज कंटैंट राइटिंग के लिए ढेरों फ्रीलांस वर्क करने का औप्शन है, जिस में आप अपनी लेखन की कला को दिखा कर अच्छाखासा पैसा कमा सकती हैं.

एक बार आप के लेखन ने गति पकड़ ली, फिर तो यकीन मानिए आप के पास अवसरों की कमी नहीं रह जाएगी. इस से आप का शादी व बाकी मजबूरियों के चलते अधूरा सपना भी पूरा हो जाएगा और आप खुद को आत्मनिर्भर भी बना पाएंगी. बस जरूरत है अपने

अधूरे सपने, कैरियर, डिगरी को पूरे जज्बे के साथ पूरा करने की.

एयरहोस्टेस जौब

एयरहोस्टेस की जौब को काफी ग्लैमरस जौब माना जाता है. इस के लिए अच्छी पर्सनैलिटी होने के साथसाथ बौडी लैंग्वेज पर अच्छी कमांड होना भी बहुत जरूरी होता है. ऐसे में अगर आप ने शादी से पहले एयरहोस्टेस का कोर्स तो कर लिया, लेकिन जैसे ही जौब की बारी आई तो परिवार वालों ने कहीं रिश्ता तय कर दिया, जिस के कारण आप की इस फील्ड में जौब करने की ख्वाहिश धरी की धरी रह गई.

लेकिन अब जब चीजें सैटल हैं और आप की उम्र भी अभी ज्यादा नहीं है तो फिर एयरहोस्टेस बन कर अपने सपनों को ऊंचाइयों तक पहुंचाएं. अच्छीखासी सैलरी व माननीय जौब न सिर्फ आप के सपने को पूरा करेगी बल्कि आप भी घर में बराबर का सहयोग दे पाएंगी, जो आज के समय की जरूरत है.

दहेज जमा न कर लड़की को पढ़ाएं

आज भी हमारे देश में आप को अनेक परिवार ऐसे मिल जाएंगे, जो अपनी लड़की की शादी के लिए दहेज तो जमा करते हैं, लेकिन बेटी अगर अपने कैरियर को आगे बढ़ाने के बारे में उन से बात करती है तो वे यह कह कर टाल देते हैं कि तुम्हारी शादी के लिए पैसा जमा करें या फिर तुम्हें पढ़ाएं. तुम्हें तो वैसे भी दूसरे घर जाना है तो पढ़लिख कर क्या करोगी.

ऐसे में दहेज लड़कियों के आगे बढ़ने के मार्ग में बाधा बन कर खड़ा हुआ है, जबकि पेरैंट्स को इस बात को समझना चाहिए कि अगर आप अपनी लड़की को इतना शिक्षित कर दोगे तो आप को शादी में दहेज देने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी. वह जरूरत पड़ने पर किसी पर निर्भर नहीं रहेगी बल्कि खुद को व अपनों को भी पाल लेगी. इसलिए दहेज  जमा करने से ज्यादा अपनी लड़की को पढ़ाने पर ध्यान दें.

सक्सैसफुल स्टोरी

मैं इंदौर की रहने वाली थी. मेरी शादी दिल्ली में हुई. पति रमेश की जौब काफी अच्छी है. शादी के 2 साल बाद ही मैं एक बेटे की मां बन गई, जिस कारण मुझे अच्छीखासी आईटी की जौब छोड़नी पड़ी. आखिर होता भी यही है कि पत्नी को ही परिवार व बच्चों की खातिर अपने कैरियर को छोड़ना पड़ता है. दुख बहुत हुआ, लेकिन मजबूर थी कुछ कर नहीं सकती थी. धीरेधीरे 5-6 साल बीत गए. मेरा प्रोफैशनल कैरियर किचन व घर तक ही सीमित हो कर रह गया. मुझे हर चीज के लिए पति पर निर्भर रहना पड़ता था जो मुझे अंदर ही अंदर परेशान कर रहा था. फिर एक दिन मैं ने फैसला लिया कि अब मैं दोबारा से कैरियर में कमबैक करूंगी.

शुरू में परिवार में किसी की भी सपोर्ट नहीं मिली, लेकिन जब मैं कैरियर से समझौता नहीं करने के मूड पर अड़ गई तो मुझे जौब करने की परमिशन भी मिल गई. आज मैं फैमिली, बच्चे व जौब सब को अच्छे से हैंडल कर रही हूं. मुझे कैरियर में भी काफी ऊंचाइयां मिल रही हैं. कहने का मतलब यह है कि अगर आप चीजों को मैनेज करना सीख गए और कुछ करने की ठान ली, फिर तो आप को उड़ने से कोई नहीं रोक सकता. लेकिन अगर आप ने अपने सपनों के आगे घुटने टेक दिए, फिर तो आप के पास आगे पछताने के कुछ नहीं बचेगा.

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सास को अपनी कमाई कब दें कब नहीं

भले ही सासबहू के रिश्ते को 36 का आंकड़ा कहा जाता हो पर सच यह भी है कि एक खुशहाल परिवार का आधार सासबहू के बीच आपसी तालमेल और एकदूसरे को समझने की कला पर निर्भर करता है.

एक लड़की जब शादी कर के किसी घर की बहू बनती है तो उसे सब से पहले अपनी सास की हुकूमत का सामना करना पड़ता है. सास सालों से जिस घर को चला रही होती हैं उसे एकदम बहू के हवाले नहीं कर पातीं. वे चाहती हैं कि बहू उन्हें मान दे, उन के अनुसार चले.

ऐसे में बहू यदि कामकाजी हो तो उस के मन में यह सवाल उठ खड़ा होता है कि वह अपनी कमाई अपने पास रखे या सास के हाथों पर? बात केवल सास के मान की ही नहीं होती बहू का मान भी माने रखता है. इसलिए कोई भी फैसला लेने से पहले कुछ बातों का खयाल जरूर रखना चाहिए.

बहू अपनी कमाई सास के हाथ पर कब रखे

जब सास हों मजबूर:

यदि सास अकेली हैं और ससुर जीवित नहीं हों तो ऐसे में एक बहू यदि अपनी कमाई सास को सौंपती है तो सास उस से अपनापन महसूस करने लगती हैं. पति के न होने की वजह से सास को ऐसे बहुत से खर्च रोकने पड़ते हैं जो जरूरी होने पर भी पैसे की तंगी की वजह से नहीं कर पातीं. बेटा भले ही अपने रुपए खर्च के लिए देता हो पर कुछ खर्चे ऐसे हो सकते हैं जिन के लिए बहू की कमाई की भी जरूरत पड़ सकती. ऐसे में सास को कमाई दे कर बहू परिवार की शांति कायम रख सकती है.

सास या घर में किसी और के बीमार होने की स्थिति में:

यदि सास की तबीयत खराब रहती है और इलाज पर बहुत रुपए लगते हैं तो यह बहू का कर्तव्य है कि वह अपनी कमाई सास के हाथों पर रख कर उन्हें इलाज की सुविधाएं उपलब्ध कराने में मदद करे.

अपनी पहली कमाई:

जैसे एक लड़की अपनी पहली कमाई को मांबाप के हाथों पर रख कर खुश होती है वैसे ही यदि आप बहू हैं तो अपनी पहली कमाई सास के हाथों पर रख कर उन का आशीर्वाद लेने का मौका न चूकें.

यदि आप की सफलता की वजह सास हैं:

यदि सास के प्रोत्साहन से आप ने पढ़ाई की या कोई हुनर सीख कर नौकरी हासिल की है यानी आप की सफलता में आप की सास का प्रोत्साहन और प्रयास है तो फिर अपनी कमाई उन्हें दे कर कृतज्ञता जरूर प्रकट करें. सास की भीगी आंखों में छिपे प्यार का एहसास कर आप नए जोश से अपने काम में जुट सकेंगी.

यदि सास जबरन पैसे मांग रही हों:

पहले तो यह देखें कि ऐसी क्या बात है जो सास जबरन पैसे मांग रही हैं. अब तक घर का खर्च कैसे चलता था? इस मामले में अच्छा होगा कि पहले अपने पति से बात करें. इस के बाद पतिपत्नी मिल कर इस विषय पर घर के दूसरे सदस्यों से  विचारविमर्श करें. सास को समझएं. उन के आगे खुल कर कहें कि आप कितने रुपए दे सकती हैं. चाहें तो घर के कुछ खास खर्चे जैसे राशन, बिल, किराए आदि की जिम्मेदारी अपने ऊपर ले लें. इस से सास को भी संतुष्टि रहेगी और आप पर भी अधिक भार नहीं पड़ेगा.

यदि सास सारे खर्च एक जगह कर रही हों:

कई परिवारों में घर का खर्च एक जगह किया जाता है. यदि आप के घर में भी जेठ, जेठानी, देवर, ननद आदि साथ रह रहे हैं और पूरा खर्च एक ही जगह हो रहा है तो स्वाभाविक है कि घर के प्रत्येक कमाऊ सदस्य को अपनी हिस्सेदारी देनी होगी.

सवाल यह उठता है कि कितना दिया जाए? क्या पूरी कमाई दे दी जाए या एक हिस्सा दिया जाए? इस तरह की परिस्थिति में पूरी कमाई देना कतई उचित नहीं होगा. आप को अपने लिए भी कुछ रुपए बचा कर रखने चाहिए. वैसे भी घर के प्रत्येक सदस्य की आय अलगअलग होगी. कोई 70 हजार कमा रहा होगा तो कोई 20 हजार, किसी की नईनई नौकरी होगी तो किसी ने बिजनैस संभाला होगा. इसलिए हर सदस्य बराबर रकम नहीं दे सकता.

बेहतर होगा कि आप सब इनकम का एक निश्चित हिस्सा जैसे 50% सास के हाथों में रखें. इस से किसी भी सदस्य के मन में असंतुष्टि पैदा नहीं होगी और आप भी निश्चिंत रह सकेंगी.

यदि मकान सासससुर का है:

जिस घर में आप रह रही हैं यदि वह सासससुर का है और सास बेटेबहू से पैसे मांगती हैं तो आप को उन्हें पैसे देने चाहिए. और कुछ नहीं तो घर और बाकी सुखसुविधाओं के किराए के रूप में ही पैसे जरूर दें.

यदि शादी में सास ने किया है काफी खर्च:

अगर आप की शादी में सासससुर ने शानदार आयोजन रखा था और बहुत पैसे खर्च किए थे, लेनदेन, मेहमाननवाजी तथा उपहारों आदि में कोई कसर नहीं छोड़ी थी, बहू और उस के घर वालों को काफी जेवर भी दिए थे तो ऐसे में बहू का भी फर्ज बनता है कि वह अपनी कमाई सास के हाथों में रख कर उन्हें अपनेपन का एहसास दिलाए.

ननद की शादी के लिए:

यदि घर में जवान ननद है और उस की शादी के लिए रुपए जमा किए जा रहे हैं तो बेटेबहू का दायित्व है कि वे अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा दे कर अपने मातापिता का सहयोग करें.

जब पति शराबी हो:

कई बार पति शराबी या निकम्मा होता है और पत्नी के रुपयों पर ऐय्याशी करने का मौका ढूंढ़ता है. वह पत्नी से रुपए छीन कर शराब या गलत संगत में खर्च कर सकता है. ऐसी स्थिति में अपने रुपयों की सुरक्षा के लिए जरूरी है कि आप ला कर उन्हें सास के हाथों पर रख दें.

कब अपनी कमाई सास के हांथों में न रखें

जब आप की इच्छा न हो. अपनी इच्छा के विरुद्ध बहू अपनी कमाई सास के हाथों में रखेगी तो घर में अशांति पैदा होगी. बहू का दिमाग भी बौखलाया रहेगा और उधर सास बहू के व्यवहार को नोटिस कर दुखी रहेंगी. ऐसी स्थिति में बेहतर है कि सास को रुपए न दिए जाएं.

जब ससुर जिंदा हो और घर में पैसों की कमी न हो:

यदि ससुर जिंदा हैं और कमा रहे हैं या फिर सास और ससुर को पैंशन मिल रही है तो भी आप को अपनी कमाई अपने पास रखने का पूरा हक है. परिवार में देवर, जेठ आदि हैं और वे कमा रहे हैं तो भी आप को कमाई देने की जरूरत नहीं है.

जब सास टैंशन करती हों:

यदि आप अपनी पूरी कमाई सास के हाथों में दे रही हैं इस के बावजूद सास आप को बुराभला कहने से नहीं चूकतीं और दफ्तर के साथसाथ घर के भी सारे काम कराती हैं, आप कुछ खरीदना चाहें तो रुपए देने से आनाकानी करती हैं तो ऐसी स्थिति में सास के आगे अपने हक के लिए लड़ना लाजिम है. ऐसी सास के हाथ में रुपए रख कर अपना सम्मान खोने की कोई जरूरत नहीं है बल्कि अपनी मरजी से खुद पर रुपए खर्च करने का आनंद लें और दिमाग को टैंशनफ्री रखें.

जब सास बहुत खर्चीली हों:

यदि आप की सास बहुत खर्चीली हैं और आप जब भी अपनी कमाई ला कर उन के हाथों में रखती हैं तो वे उन रुपयों को 2-4 दिनों के अंदर ही बेमतलब के खर्चों में उड़ा देती हैं या फिर सारे रुपए मेहमाननवाजी और अपनी बेटियों और बहनों पर खर्च कर देती हैं तो आप को संभल जाना चाहिए. सास की खुशी के लिए अपनी मेहनत की कमाई यों बरबाद होने देने के बजाय उन्हें अपने पास रखें और सही जगह निवेश करें.

जब सास माता की चौकी कराएं:

जब सासससुर घर में तरहतरह के धार्मिक अनुष्ठान जैसे माता की चौकी वगैरह कराएं और पुजारियों की जेबें गरम करते रहें या अंधविश्वास और पाखंडों के चक्कर में रुपए बरबाद करते रहें तो एक पढ़ीलिखी बहू उन की ऐसी गतिविधियों का हिस्सा बनने या आर्थिक सहयोग करने से इनकार कर सकती है. ऐसा कर के वह सास को सही सोच रखने को प्रेरित कर सकती है.

बेहतर है कि उपहार दें

इस संदर्भ में सोशल वर्कर अनुजा कपूर कहती हैं कि जरूरी नहीं आप पूरी कमाई सास को दें. आप उपहार ला कर सास पर रुपए खर्च कर सकती हैं. इस से उन का मन भी खुश हो जाएगा और आप के पास भी कुछ रुपए बच जाएंगे. सास का बर्थडे है तो उन्हें तोहफे ला कर दें, उन्हें बाहर ले जाएं, खाना खिलाएं, शौपिंग कराएं, वे जो भी खरीदना चाहें वे खरीद कर दें. त्योहारों के नाम पर घर की साजसजावट और सब के कपड़ों पर रुपए खर्च कर दें.

पैसों के लेनदेन से घरों में तनाव पैदा होता है पर तोहफों से प्यार बढ़ता है, रिश्ते संभलते हैं और सासबहू के बीच बौंडिंग मजबूत होती है. याद रखें रुपयों से सास में डौमिनैंस की भावना बढ़ सकती है जबकि बहू के मन में भी असंतुष्टि की भावना उत्पन्न होने लगती है. बहू को लगता है कि मैं कमा क्यों रही हूं जब सारे रुपए सास को ही देने हैं. इसलिए बेहतर है कि जरूरत के समय सास या परिवार पर रुपए जरूर खर्च करें पर हर महीने पूरी रकम सास के हाथों में रखने की मजबूरी न अपनाएं.

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मांएं जो बनीं मिसाल

जुलाई, 2019 की बात है जब कौफी कैफे डे (सीसीडी) जैसी बड़ी कंपनी के मालिक वीजी सिद्धार्थ ने बिजनैस में नुकसान और कर्ज की वजह से आत्महत्या कर ली थी. मीडिया में उन का एक सुसाइड नोट भी मिला था, जिस में सिद्धार्थ एक प्रौफिटेबल बिजनैस मौडल बनाने में मिली असफलता के लिए माफी मांग रहे थे. लैटर में लिखा था कि वे प्राइवेट इक्विटी होल्डर्स व अन्य कर्जदाताओं का दबाव और इनकम टैक्स डिपार्टमैंट का उत्पीड़न बरदाश्त नहीं कर सकते हैं इसलिए आत्महत्या कर रहे हैं.

सिद्धार्थ की इस अचानक मौत के बाद उन की पत्नी मालविका टूट गई थीं. उन की हंसतीखेलती दुनिया उजड़ गई थी. एक तरफ पति की मौत का सदमा तो दूसरी तरफ करोड़ों के कर्ज में डूबी कंपनी. ऊपर से अपने दोनों बेटों के भविष्य की चिंता भी थी. मगर इन बुरी परिस्थितियों में भी मालविका हेगड़े ने हौसला नहीं खोया और पूरे आत्मबल के साथ मोरचा संभाला. कंपनी की बागडोर अपने हाथ में ली और पूरी तरह जुट गईं सब ठीक करने के प्रयास में. उन की मेहनत रंग लाई और 2 साल के अंदर ही कंपनी फिर से अपने पैरों पर खड़ी हो गई.

31 मार्च, 2019 तक के आंकड़ों के अनुसार कैफे कौफी डे पर करीब क्व7 हजार करोड़ का कर्ज था. दिसंबर, 2020 में मालविका हेगड़े कैफे कौफी डे ऐंटरप्राइजेज लिमिटेड की सीईओ बनीं. जब मालविका ने कमान संभाली तब उन के सामने 4 चुनौतियां थीं- पति वीजी सिद्धार्थ की मौत से उबरना, परिवार को संभालना, कंपनी को कर्ज से उबारना और काम करने वाले हजारों कर्मचारियों के रोजगार को बचाना. विपरीत परिस्थितियों से जू?ाते हुए बहुत ही कम समय में उन्होंने सफलता और नारी शक्ति की अद्भुत मिसाल कायम की.

जो कहा वह कर दिखाया

एक रिपोर्ट के मुताबिक मार्च, 2021 तक सीसीडी कंपनी पर क्व1,779 करोड़ कर्ज रह गया था, जिस में क्व1,263 करोड़ का लौंग टर्म लोन और क्व5,16 करोड़ का शौर्ट टर्म कर्ज शामिल है. मौजूदा समय में सीसीडी भारत के 165 शहरों में 572 कैफे संचालित कर रहा है. 36,326 वैंडिंग मशीनों के साथ सीसीडी देश का सब से बड़ा कौफी सर्विस ब्रैंड है. इस तरह स्थिति में काफी सुधार आया और इस का श्रेय जाता है मालविका की कुशल प्रबंधन क्षमता और कंपनी हित में किए गए उन के कार्यों को.

कंपनी की सीईओ बनने के बाद मालविका ने 25 हजार कर्मियों को एक पत्र लिखा था, जो चर्चा में आया था. कर्मचारियों को सामूहिक तौर पर लिखे पत्र में उन्होंने कहा था कि वे कंपनी के भविष्य के लिए प्रतिबद्ध हैं और कंपनी को बेहतर स्थिति में लाने के लिए मिल कर काम करेंगी. उन्होंने जो कहा वह कर दिखाया और न केवल कंपनी के कर्मचारियों के बीच विश्वास कायम किया बल्कि उद्योग जगत में एक सशक्त बिजनैस वूमन के तौर पर भी अपनी एक अलग पहचान बनाई. आज वे नारी शक्ति की ताजा उदाहरण बन गई हैं.

मेहनत पर विश्वास

नारी शक्ति का ऐसा ही एक और उदाहरण है उद्यमी राजश्री भगवान जाधव का. महाराष्ट्र के जिला रायगढ़ के मुंगोशी गांव की 39 वर्षीय राजश्री भगवान जाधव फोटोग्राफी का काम करने वाले अपने पति, 2 बेटियों और सास के साथ रह रही थीं. उन का संसार खुशीखुशी चल रहा था क्योंकि प्रशिक्षित नर्स राजश्री खुद भी एक प्राइवेट अस्पताल में काम करती थीं.

लेकिन कुछ समय बाद उसे छोड़ कर वे पंचायत के ‘21 बचत गट अभियान’ में कम्युनिटी रिसोर्स पर्सन के रूप में शामिल हो गईं.

फिर एक समय ऐसा भी आया जब राजश्री के पति लंग्स कैंसर डायग्नोज हुआ. तब उन के पैरों तले जमीन खिसक गई. परिवार और पति की बीमारी ने उन्हें अधिक पैसे कमाने पर मजबूर किया. आज राजश्री ने एक छोटा होटल खोल लिया है जिस में वे हर तरह के स्नैक्स, भुझिया, बड़ा पाव, मिसल आदि बनाती हैं.

इस के अलावा त्योहारों में मिठाई और फरसाण के पैकेट बना कर घरघर भी बेचती हैं. वे अब अपने परिवार की एक मात्र कमाने वाली सदस्य हैं जो परिवार और पति के इलाज के लिए पूरा दिन काम करती है.

महिलाओं को बनाया आत्मनिर्भर

राजश्री भारी स्वर में कहती हैं कि नर्सिंग का काम छोड़ कर मैं ‘21 बचत गट अभियान’ के काम में जुट गई. ग्राम पंचायत ने मुझे ‘कम्युनिटी रिसोर्स पर्सन’ की पोस्ट पर नियुक्त किया. मैं उस काम के साथ अपने पति की स्टूडियो में भी बैठने लगी. बचत गट के काम में मु?ो सप्ताह में एक दिन अलगअलग बचत गट में जाना पड़ता था. मेरा गांव ग्रामीण क्षेत्र के अंतर्गत आता है.

उस दौरान अलीबाग की महाराष्ट्र ग्रामीण जिवोन्नती अभियान आणि ग्रामीण स्वयं रोजगार प्रशिक्षण संस्था मेरे गांव में फ्री ट्रेनिंग कोर्स महिलाओं को देने के लिए गांव में आई ताकि महिलाएं आत्मनिर्भर बन सकें. मैं ने 30 महिलाओं का बैच बना कर ज्वैलरी बनाने की ट्रेनिंग भी खुद ली और उन्हें भी दिलाई.

वहां डेढ़ महीने की ट्रेनिंग के बाद 2 साल तक सरकार के साथ काम करना पड़ता है जिस में उन के द्वारा दी गई ट्रेनिंग से महिलाएं कितना कमा रही है, उस की जांच सरकारी लोग करते हैं. मैं उन सभी महिलाओं को इकट्ठा कर राखी, कंठी और सजावट की वस्तुएं महिलाओं से बनवा कर पति के स्टूडियो के सामने बेचने लगी.

कोविड-19 ने कर दिया सब खत्म

राजश्री आगे कहती हैं कि कोविड की वजह से महिलाओं ने काम करना बंद कर दिया, लेकिन मैं फराल, कंठी और त्योहारों के अनुसार सामान बना कर घर घर बेचने लगी. कोविड-19 के समय भी मैं सामान ला कर गांव में बेचती थी. मेरी अच्छी कमाई होती थी क्योंकि शहर में सब बंद था. मेरे आसपास के 16 गांवों में कुछ भी मिलना मुश्किल हो गया था. उस दौरान मैं खानपान के साथसाथ सैनिटरी नैपकिन, जरूरत की सारी चीजें बेचने लगी थी. होल सेल में सामान ले कर गांवों में बेचती थी. मेरे पास थोड़ी खेती है जिस में मजदूरों को ले कर चावल उगाती हूं जो पूरा साल चलते हैं.

पति हुए कैंसर के शिकार

अपनी भावनाओं को काबू में रखते हुए राजश्री कहती हैं कि इसी बीच पति के लंग कैंसर का पता चला और मेरी दुनिया में सबकुछ बदल गया क्योंकि उन के इलाज पर खर्च बहुत अधिक होने लगा. इसलिए सीजन के अलावा भी काम करने की जरूरत पड़ी. मैं ने ब्याज पर बचत गट और बैंक से पैसा ले कर होटल का व्यवसाय शुरू किया. होटल का नाम मैं ने ‘स्नैक्स कार्नर’ रखा. सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक मैं इसे चलाती हूं. मेरे होटल में मैं बड़ा पाव, मिसल, समोसा, भुझिया, कांदा पोहा, चाय, कौफी आदि सब बनाती हूं.

रात का खाना बनाना अभी शुरू नहीं किया है क्योंकि जगह छोटी है. इस में अच्छी कमाई हो रही है जिस से मेरे पति का इलाज हो रहा है. लेकिन उन की दवा का खर्चा बहुत है. मेरे परिवार वाले भी मेरी सहायता करते हैं.

कीमोथेरैपी की वजह से वे बहुत कमजोर हो गए हैं. मेरी कमाई 40 हजार तक होती है जिस मे आधे से अधिक पैसा पति के इलाज पर खर्च हो जाते हैं. मेरे साथ मेरी भाभी भी काम में हाथ बंटाती है. रसोई का काम मैं करती हूं. मु?ो कर्जा भी चुकाना पड़ता है.

हुईं सम्मानित

राजश्री कहती हैं कि मेरे काम से प्रभावित हो कर राज्य सरकार द्वारा मु?ो आरएसईटीआई में प्रशिक्षण लेने और सभी महिलाओं द्वारा बनाए गए प्रोडक्ट को बेचने में सहायता करने व कर्ज ले कर होटल चलाने के लिए 8 मार्च, 2022 को पुरस्कार दिया गया है.

समाज में इस तरह के मिसालों की कमी नहीं है जहां एक औरत ने पति के गुजर जाने या लाचार हो जाने के बाद न सिर्फ एक मां और पत्नी का सही अर्थों में दायित्व निभाया बल्कि अपनी आत्मशक्ति और काबिलीयत से सब को हतप्रभ भी कर दिया.

घर की आर्थिक जिम्मेदारी उठा कर ऐसी महिलाओं ने यह साबित कर दिखाया कि वे न सिर्फ घर और बच्चों को अच्छी तरह संभाल सकती हैं बल्कि जरूरत पड़ने पर बाहरी मोरचे की कमान भी अपने हाथों में लेने और कंपनी चलाने से भी नहीं हिचकतीं. इन्हें बस मौका चाहिए. ये अपना रास्ता खुद बना सकती हैं और अपने बल पर पूरे परिवार का बो?ा उठा सकती हैं. बस जरूरत होती है कुछ बातों का खयाल रखने की:

सही प्लानिंग

आप को अपने जीवन में कई तरह की प्लानिंग कर के चलना होगा. आप को अपने परिवार का खयाल रखना है, खुद को देखना है और साथ ही बिजनैस/नौकरी को भी पूरा समय देना है. घरपरिवार और काम के प्रति केवल समर्पण ही काफी नहीं है बल्कि अच्छे से सब कुछ मैनेज करना भी जरूरी होता है खासकर तब जब आप का सहयोग देने के लिए जीवनसाथी मौजूद नहीं है.

एक औरत जिस तरह घर को मैनेज करती है वैसे ही अपना काम भी हैंडल कर सकती है. बस जरूरत है थोड़ी गहराई से सोचने की. किस तरह आगे बढ़ा जा सकता है और किस तरह की समस्याएं आ सकती हैं उन पर पहले से ही विचार कर लेना और फिर तय दिशा में आगे बढ़ना ही प्रौपर प्लानिंग है. इस से आप का आत्मविश्वास बढ़ता है और आप के कंपीटीटर देखते रह जाते हैं.

लोगों से मिलनाजुलना जरूरी

बिजनैस में आगे बढ़ना है तो दूसरे लोगों से मिलनाजुलना जरूरी है. भले ही वे सीनियर कर्मचारी हों, मातहत हों, कंपीटीटर हों या फिर इस फील्ड से जुड़े आप के दोस्त अथवा परिचित. 4 लोगों से बात करने और समय बिताने से एक तो आप का इस फील्ड का ज्ञान बढ़ेगा, नईनई बातें जानने को मिलेंगी साथ ही समय आने पर ये लोग आप की हैल्प भी करने को तैयार होंगे. जितना ज्यादा आप के परिचय का दायरा होगा उतने ही ज्यादा आप के सफल होने के चांसेज बढ़ते हैं.

ज्ञान हासिल करना

ज्ञान हासिल करने की कोई उम्र नहीं होती और फिर जब आप एक जिम्मेदारी भरे पद पर होती हैं तब तो हर वक्त आप का सजग रहना, काम को अंजाम देने के नए तरीकों के बारे में जानना और मार्केट ट्रैंड्स के बारे में जानकारी रखना बहुत जरूरी होता है. काम कोई भी हो आप उसे बेहतर तरीके से तभी कर सकेंगी जब आप उस से जुड़ी तकनीकी जानकारी, नए इक्विपमैंट्स और रिसर्च आदि का ज्ञान रखेंगी. इस से आप कम समय में बेहतर प्रदर्शन कर के मार्केट में अपनी वैल्यू बढ़ा सकेंगी.

सब से बना कर रखना

अकसर लोग जाने अनजाने अपने दुश्मन बनाते रहते हैं मगर लौंग टर्म में यह असफलता और तकलीफ का कारण बन सकता है. खासकर जब आप ने इस फील्ड में नयानया काम शुरू किया हो तो आप कोई रिस्क नहीं ले सकतीं. इसलिए अपने काम पर फोकस करना और बेवजह के विवादों से दूर रहना सीखिए. जितना हो सके सब से बना कर रखिए भले ही वह आप का कंपीटीटर या क्रिटिक ही क्यों न हो.

कर्मचारियों को खुशी देना

मालविका की सफलता की कहानी में कहीं न कहीं मालविका द्वारा कर्मचारियों के दिल में विश्वास और जज्बा कायम करने का बढ़ा योगदान रहा है. कर्मचारियों की संतुष्टि और रिस्पैक्ट आप के आगे बढ़ने के लिए बहुत अहम है. आप बाधारहित काम कर सकें और खुद को बेहतर साबित कर सकें इस के लिए अपने नीचे काम करने वालों की परेशानियां सुनना और उन्हें सुल?ाना जरूरी है.

खराब परिस्थितियों में घबराना नहीं

परिस्थितियां कभी भी बदल सकती हैं. उतारचढ़ाव जीवन का नियम है. इसलिए कोई दिक्कत आने पर एकदम से घबरा जाना या यह सोचना कि आप महिला हैं आप से अब यह नहीं हो पाएगा, गलत है. खुद पर विश्वास रखें और सही रास्ते पर डट कर कदम बढ़ाएं, आप को आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकेगा. अपना मनोबल कभी कमजोर न पड़ने दें. आत्मबल का परिचय दें कोई न कोई रास्ता जरूर निकल आएगा.

सब को साथ ले कर चलें

बिजनैस में आगे बढ़ने के लिए अपने साथ काम करने वालों को सम?ाना और उन के आइडियाज को महत्त्व देना जरूरी है. अपने कुलीग्स से बात करते रहें, उन्हें सम?ों और उन का काम के प्रति जोश और जज्बा बना रहे इस के लिए उन्हें प्रोत्साहित करते रहें. तारीफ और प्रोत्साहन से आप के एंप्लोइज के काम करने की क्षमता बढ़ेगी.

गलतियों से सबक लें

बिजनैस में नई हों या पुरानी गलतियां तो होगीं ही. अब इन गलतियों से आप सीखती हैं या फिर घबरा जाती हैं यह ऐटीट्यूड आप के आगे का रास्ता बनाता या बिगाड़ता है. जो भी गलतियां हुई हैं उन पर विचार करें और आगे के लिए सबक लें. आप की गलतियां आप को सीखने, सुधरने और जीतने का मौका देती हैं.

सफल बिजनैस वूमन से प्रेरणा

डिजिटल युग में देश हो या विदेश आप कई ऐसी महिलाओं से प्रेरणा ले सकती हैं जिन्होंने कई परेशानियों का सामना कर सफलता पाई है. इन की सक्सैस स्टोरी, बायोग्राफी या औटोबायोग्राफी पढ़  कर आप को मोटिवेशन भी मिलेगा और अपना रास्ता बनाने में भी आसानी होगी.

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दुखों में हिम्मत न हारें

3 साल पहले जब 30 वर्षीय शुभि गोयल ने अपने 40 दिन के बेटे को खो दिया, तो जैसे उस की दुनिया ही उजड़ गई. सांस की तकलीफ से बेटा इस दुनिया में आते ही चला गया. यह एक अपूर्णीय क्षति थी और उसे अब इस दुख के साथ जीना था. 1 हफ्ते बाद ही अपने बेटे के लिए खरीदे गए कपड़े और खिलौने ले कर वह एक बालाश्रम चली गई. वह पहली बार किसी अनाथालय गई और इस अनुभव ने उस का जीवन ही बदल दिया.  वहां शुभि ने बहुत कुछ देखा. 1-1 दिन के बच्चे की बात सुनी, जिन्हें कूड़े के ढेर से लाया गया था. क्रूरता के शिकार अनाथ बच्चे उस की तरफ देख कर मुसकरा रहे थे. वे बच्चे शुभि का दुख नहीं जानते थे पर कोई उन से मिलने आया है, यह देख कर ही वे खुश थे. उसी समय उस ने उन बच्चों के साथ और ज्यादा समय बिताने का फैसला कर लिया.

शुभि बताती हैं, ‘‘ये वे दिन थे जब मैं सोचा करती थी कि मेरे साथ ही यह क्यों हुआ. जब भी किसी मां को अपने छोटे बच्चे के साथ देखती थी, मुझे अधूरापन लगता था. मैं ने अपने दोस्तों, रिश्तेदारों, जिन के बच्चे होते थे, उन से मिलना बंद कर दिया था. मुझे अपना बेटा याद आने लगता था. मैं कल्पना करती थी कि मेरा बेटा अब इतना बड़ा हो गया होता. मैं अपनेआप को बहुत असहाय महसूस करने लगी थी.’’  शुभि को यह भी पता चला कि जिन के बच्चे हो गए हैं, उन दोस्तों ने यह खबर शुभि से छिपाई है, तो उसे बहुत दुख हुआ.

शुभि आगे कहती हैं, ‘‘जब आप स्वयं  को ठगा सा समझते हैं, तो सहानुभूति भी चाकू की तरह लगती है पर अब मैं समझी हूं कि मेरी दोस्त मुझे तकलीफ से बचाने की कोशिश कर रही थीं.’’

साइकोथेरैपिस्ट और काउंसलर डाक्टर सोनल सेठ साफ करती हैं, ‘‘वे लोग जिन्होंने हाल ही में कोई दुख या नुकसान सहा है, वे दूसरों को अच्छा समय बिताते देख कर डिप्रैशन में आ सकते हैं. ऐसा उन के जीवन में आया खालीपन और दूसरों के जीवन की पूर्णता महसूस कर विरोधाभास के कारण होता है.’’

दुख से उबरने की सीमा

हर व्यक्ति के किसी दुख से उबरने की सीमा अलगअलग होती है, जैसे कि 40 वर्षीय तनु शर्मा, जो एक प्रतिष्ठित कंपनी में प्रोडक्ट मैनेजर हैं, आजकल मैटरनिटी ब्रेक पर हैं. जब तनु ने प्रेमविवाह किया तो उन्हें लगा, यह उन की परफैक्ट लवस्टोरी है.  बहुत लंबे समय तक झेली गई मानसिक यंत्रणा याद करते हुए तनु कहती हैं, ‘‘विवाह के थोड़े दिनों बाद ही मैं ने महसूस कर लिया कि  मेरे पति में बहुत गुस्सा है और उन का अपने गुस्से पर जरा भी कंट्रोल नहीं है. मैं बारबार  झूठे वादों पर यकीन करती रही. कई सैकंड  चांस देने के बाद भी उन के व्यवहार में कोई बदलाव नहीं आया.  घरेलू हिंसा की कई घटनाओं के बाद  अंत में मैं वहां से भाग आई. मैं कुछ न कर  पाने की स्थिति में खुद पर ही नाराज थी, मैं  सिर्फ दुनिया को दिखाने के लिए मुसकराती  रहती थी. अपनी परेशानी किसी से कह भी  नहीं पा रही थी. मुझे सामान्य होने में बहुत  समय लगा.’’

डाक्टर सेठ कहती हैं, ‘‘एक दुखी  व्यक्ति दुख और हानि की 5 अवस्थाओं से गुजरता है, डिनायल, गुस्सा, बारगनिंग,  डिप्रैशन और स्वीकृति. मिलीजुली भावनाएं  रहना सामान्य है.’’

फौरगैट ऐंड स्माइल

चाहे किसी रिश्ते का अंत हो या किसी करीबी की मृत्यु, आगे बढ़ना आसान नहीं है.  तनु बताती हैं, ‘‘मैं जीवन में अपने मातापिता  की पौलिसी फौलो करती हूं, फौरगिव, फौरगैट और स्माइल. इस से आप को दर्द सहने में  और आगे बढ़ने में मदद मिलती है. अपने  दोस्तों से रोज बात करना बहुत महत्त्वपूर्ण है.  चाहे कुछ भी हो, अपने करीबी लोगों से जरूर बात करें.’’  तनु शर्मा की उन के दोस्तों ने बहुत मदद की. वे कहती हैं, ‘‘दोस्तों ने मुझे कभी अकेला नहीं छोड़ा. अब उन्हें मेरी बेबीसिटिंग नहीं  करनी पड़ती, अब धीरेधीरे मैं ने खुश रहना  सीख लिया है.’’

डाक्टर सेठ सलाह देती हैं, ‘‘हर व्यक्ति  की जरूरतें अलगअलग होती हैं. यदि आप सोशल गैदरिंग में अनकंफर्टेबल हैं, तो यह  कहना उचित रहता है कि मुझे अभी अकेले  रहने की जरूरत है, सो प्लीज, ऐक्सक्यूज मी. फिर भी ध्यान रखें, अकेलेपन में आप  नकारात्मक विचारों से घिर सकते हैं. ऐसी  स्थिति में अपने दोस्त या किसी फैमिली मैंबर  के साथ या किसी काम में खुद को व्यस्त रखना सब से अच्छा रहता है.’’

अपराधबोध न पालें

डाक्टर सेठ बताती हैं कि उन की एक  30 वर्षीय क्लाइंट इस अपराधबोध में घिर गई  थी कि वह अपने पति की मृत्यु के बाद  पहला नया साल अपने दोस्तों के साथ बिता  कर मना रही थी. मैं ने उसे समझाया कि  फोकस इस दुख पर नहीं, बल्कि अपने पति  की यादों पर रखो. वे भी तुम्हें खुश ही  देखना चाहेंगे.  35 वर्षीय वैडिंग फोटोग्राफर कविता अग्रवाल को 2 दुखों का सामना करना पड़ रहा था. उस के छोटे भाई की ऐक्सीडैंट में डैथ हो  गई थी और उस का तलाक का केस भी चल रहा था. वे कहती हैं, ‘‘मेरे भाई के जाने के बाद मुझे लगा जैसे मैं ने अपने बच्चे को खो दिया है. जब मैं विवाह या किसी और खुशी के अवसर पर शूटिंग करती थी, भाईबहनों का प्यार देख कर मुझे हमेशा अपने भाई की याद आती थी. उस मुश्किल समय में मेरे परिवार ने हमेशा एकदूसरे को सहारा दिया.’’

शुभि गोयल अब सांताक्रूज में स्पैशल  बच्चों के लिए बने आश्रम में जाती हैं. वे कहती हैं, ‘‘जब भी मैं अपने बेटे को याद करती हूं या अधूरापन महसूस करती हूं, फौरन अपने सोचने की दिशा बदलने की कोशिश करती हूं. मेरे बच्चे के दुख ने मुझे उदार बना दिया है. अब मैं इन स्पैशल बच्चों पर अपना प्यार बांटती हूं और खुशी महसूस करती हूं.’’  जब परिवार या दोस्त किसी शोकाकुल व्यक्ति को किसी प्रोग्राम में आमंत्रित करना चाहें तो उन्हें अच्छी तरह सोच लेना चाहिए कि कैसे क्या करना है. डाक्टर सेठ सलाह देते हुए कहती हैं, ‘‘यदि किसी का दुख बिलकुल ताजा है और वह शोकसंतप्त है तो उसे किसी पार्टी में बुलाना बिलकुल उचित नहीं है.  यदि 2 या 3 महीने बीत गए हैं और  आप उस व्यक्ति की स्थिति का अंदाजा नहीं  लगा पा रहे हैं तो पहले उस से मिलें, सामान्य बातचीत करें. अंदाजा लगाएं कि वह अब  कैसा महसूस कर रहा है. फिर अगर आप  ठीक समझें, कोमलता से, स्नेह से स्पष्ट करें  कि आप जानते हैं कि यह उस के लिए मुश्किल समय है पर यदि वह ठीक महसूस करे तो आप उसे अपने प्रोग्राम में बुलाना चाहते हैं. जबरदस्ती न करें, दबाव न डालें. यदि वे तैयार नहीं हैं, तो उन की भावनाओं का सम्मान करें ओर अपना सहयोग दें.’’

समय अपनी गति से चलता रहता है. किसी प्रिय की मृत्यु या आर्थिक अथवा पारिवारिक कष्ट आते रहते हैं. आसान नहीं है पर आगे बढ़ना भी जरूरी होता है. याद रखें, काली से काली रात का भी सवेरा होता है. दूसरों के दुखों में अपना सहयोग दें, स्नेहपूर्वक उन का हौसला बढ़ाते रहें. ऐसे समय में परिवार और दोस्तों का बहुत महत्त्वपूर्ण स्थान होता है. कभी किसी के दुख में शामिल होने से पीछे न हटें.

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रिश्ते में जरुरी है थोड़ा प्यार, थोड़ी छेड़छाड़

नेहा ने कुहनी मार कर समर को फ्रिज से दूध निकालने को कहा तो, वह चिढ़ गया, ‘‘क्या है? नजर नहीं आता, मैं कपड़े पहन रहा हूं?’’

लेकिन नेहा ने तो ऐसा प्यारवश किया था. और बदले में उसे भी इसी तरह के स्पर्श, छेड़छाड़ की चाहत थी. मगर समर को इस तरह का स्पर्श पसंद नहीं आया.

नेहा का मूड अचानक बिगड़ गया. वह आंखों में आंसू भर कर बोली, ‘‘मैं ने तुम्हें आकर्षित करने के लिए कुहनी मारी थी. इस के बदले में तुम से भी ऐसी ही प्रतिक्रिया चाहिए थी, पर तुम तो गुस्सा हो गए.’’

समर यह सुन कर कुछ पल सहमा खड़ा रहा, फ्रिज से दूध निकाल कर देते हुए बोला, ‘‘सौरी, मैं तुम्हें समझ नहीं सका. मैं ने तुम्हारे इमोशंस को नहीं समझा. मैं शर्मिंदा हूं. इस मामले में शायद अभी अनाड़ी हूं.’’

शब्द को कई खास नहीं थे पर दिल की गहराइयों से निकले थे. बोलते समय समर के चेहरे पर शर्मिंदगी की झलक भी थी.

नेहा का गुस्सा काफूर हो गया. वह समर के पास आई और उस के कालर को छूते हुए बोली, ‘‘तुम ने मेरी नाराजगी को महसूस किया, इतना ही मेरे लिए काफी है. तुम ने अपनी गलती मान ली यह भी एक स्पर्श ही है. मेरे दिल को तुम्हारे शब्द सहला गए हैं… मेरे तनमन को पुलकित कर गए हैं,’’ और फिर वह उस के गले लग गई.

समर के हाथ सहसा ही नेहा की पीठ पर चले गए औैर फिर नेहा की कमर को छूते हुए बोला, ‘‘कितनी पतली है तुम्हारी कमर.’’

समर का यह कहना था कि नेहा ने समर के पेट में धीरे से उंगली चुभा दी. वह मचल कर पलंग पर गिर पड़ा तो नेहा भी हंसते हुए उस के ऊपर गिर पड़ी. फिर कुछ पल तक वे यों ही हंसतेखिलखिलाते रहे.

इस तरह बढ़ेगा प्यार

ऐसे ही जीवन में रोमांस बढ़ता है. तीखीमीठी दोनों ही तरह की अनुभूतियां जीवन में रस घोलती हैं और रिलेशन को आसान एवं जीने लायक बनाती हैं. आजकल वैसे भी कई तरह के तनाव औैर जिम्मेदारियां दिमाग में चक्कर लगाती रहती हैं. पास हो कर भी पतिपत्नी हंसबोल नहीं पाते. बस दूरदूर से ही एकदूसरे को देखते रह जाते हैं. ऐसे बोर कर देने वाले पलों में साथी को छेड़ना किसी औषधि से कम मूल्यवान नहीं हो सकता. अधिकतर पतिपत्नी तनाव के पलों में चाह कर भी आपस में बोलबतिया नहीं पाते. ऐसे ही क्षणों में पहल करने की जरूरत होती है. आप हिम्मत कर के साथी का माथा चूमें या सहलाएं. शुरू में तो वह आप को अनदेखा करेगा पर अधिक देर तक नहीं कर सकेगा, क्योंकि छेड़छाड़ से दिमाग को पौजिटिव रिस्पौंस मिलता है. आप पत्नी हैं यह सोच कर न डरें. यह सोच कर अबोलापन न पसरने दें कि न जाने पति आप की पहल को किस रूप में लेगा. इस तरह के डर के साथ जीने वालों की लाइफ में कभी रोमांस नहीं आ पाता और उम्र यों ही निकल जाती है. आप हिम्मत कर के साथी का माथा चूमें या गले लगें अथवा कमर पर हाथ रख कर स्पर्श करें, शुरू में तो साथी आप की छेड़खानी नजरअंदाज करने लगेगा, पर अधिक देर तक वह आप की छेड़खानी को अनदेखा नहीं कर सकेगा, क्योंकि छूने या छेड़छाड़ से दिमाग को पौजिटिव संदेश मिलता है और इस संदेश के पहुंचते ही धीरेधीरे दिमाग से तनाव की काली छाया हट जाती है. आप उसे अच्छे लगने लगते हैं. वह गुड फील करने लगता है. यह फीलिंग ही रोमांस के पलों को आप के बीच विकसित करने में मदद करती है.

सुखद पहलू

नेहा ने चुपचाप खड़े समर को अचानक कुहनी मार कर फ्रिज से दूध निकालने को कहा था, उस पर वह चिढ़ गया. लेकिन नेहा डरीसहमी नहीं, बल्कि उस ने अपनी फीलिंग्स और अंदर के प्यार व इमोशंस को बताने की पूरी कोशिश की. समर का गुस्सा छूमंतर हो गया और वह शर्मिंदा भी हुआ. फिर उस ने भी नेहा के प्रति अपनी फीलिंग्स जाहिर करनी शुरू कर दीं. दोनों अगले ही पल रोमांस के रंगों में रंग गए. उन का मूड आशिकाना हो गया. एकदूसरे को अच्छे लगने लगे.

यही है रोमांस और रोमांच को वैवाहिक जीवन में लाने की तकनीक, जिस का हम में से अधिकांश दंपतियों को पता ही नहीं होता. बस साथ रहते हैं. मन करता है तो बोल लेते हैं या बहस कर लेते हैं. ज्यादा ही तनाव में होते हैं, तो एकदूसरे के आगे रो लेते हैं. लेकिन यह मैरिड लाइफ का नैगेटिव पक्ष है इस से पतिपत्नी कभी रोमांटिक कपल नहीं बन सकते. उन के जीवन में जो भी घटता है, वह स्वाभाविक या नैचुरल रूप से नहीं, बल्कि जबरदस्ती, यौन संबंध हो या प्यार अथवा हंसीमजाक, जिसे इन चीजों की जरूरत होती है, वह खुद शादी के करीब आ कर कोशिश करता है. अब सब सामने वाले साथी के मूड पर निर्भर करता है. वह अपने पार्टनर की इच्छा की पूर्ति करना चाहता है या नहीं. यही मैरिड लाइफ का सुखद पहलू है, रोमांटिक पहलू है. ऐसा कब तक एक साथी दूसरे के साथ जोरजबरदस्ती करेगा? एक दिन थकहार कर कोशिश करना ही छोड़ देगा.

कैसे बनें रोमांटिक

आज की मैरिड लाइफ में जिम्मेदारियों के बोझ के कारण एकदूसरे को देख कर कोई भी प्यारअनुराग मन में पैदा नहीं हो पाता. ये सिर्फ और सिर्फ मन से ही उत्पन्न हो सकती हैं और आप दोनों में से किसी एक को ही इस के लिए आगे आना होगा. अब आगे आए कौन? इस दुविधा में ही जोड़ी रोमांस के पल हाथ से जाने देती है, मेरी राय में पत्नी से बेहतर जीवन को समझने वाला कोई हो ही नहीं सकता. एक औरत होने के नाते वह स्नेही हृदय की होती है, दिल वाली होती है. प्रेम का अर्थ वह जानती है. फिर जो प्यार को जानता है वही पुरुष को रोमांटिक बना सकता है. नेहा ने कोशिश की तो उसे बदले में रोमांस के पल मिले. आप भी इस मामले में हठी न बनें. मन में इगो न पालें कि जब पति को मेरी कोई जरूरत नहीं है, वह मुझ से बात करने को राजी नहीं है, तो मैं क्यों फालतू में उस के साथ जबरदस्ती जा कर बात करूं. ऐसे विचार मन में नहीं लाने चाहिए. इस  से दांपत्य जीवन बंजर बन जाता है. आप औरत हैं, आप में पैदाइशी प्यार, रोमांस सैक्स के भाव हैं. आप जब चाहें जैसे चाहें पति को रोमांटिक बना सकती हैं. रोमांस आप से पैदा होता है और आप के भीतर हमेशा ही होता है. जरूरत है बस उसे जीवन में लाने की. फिर देखिए, तनाव और जिम्मेदारियों पर कैसे रोमांस भारी पड़ने लगता है.

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