अब कृष्णा के मुंह से निकला.
‘‘औफ…’’
‘‘तू बालबाल बच गई कृष्णा, लगता है वह बुड्ढा कुछ ज्यादा ही रंगीनमिजाज था.’’
‘‘कावेरी तुझे लगता है कि अगर वह बूड्ढा मेरे साथ जबरदस्ती करता तो मैं उसे छोड़ देती, कस के एक झापड़ नहीं रसीद करती उस के गाल पे. ऊंह, ये मुंह और मसूर की दाल.’’
‘‘कृष्णा तू जो भी करती पर एक कांड तो हो जाता न?’’ अब तो तू मान ले कि मैं जो कहती थी वो 100% सही था कि पुरुषों पर भी विश्वास नहीं करना चाहिए भले ही वे बूढ़े ही क्यों न हों.’’
‘‘नहीं सारे पुरुष एक से नहीं होते मेरे पति तो मुझे छोड़ किसी की तरफ ताकते तक नहीं.’’
‘‘कृष्णा तेरी बात सही है कि सारे पुरुष एक से नहीं होते पर कुछ मर्द तो ऐसे होते ही हैं जो अकेली औरत देखी नहीं कि बस लगे लार टपकाने. उन के लिए औरत की उम्र भी कोई माने नहीं रखती. ऐसे मर्दों से हमेशा सावधान रहना चाहिए.’’
‘‘कावेरी तेरी बात मानने को दिल तो नहीं करता पर तू ने इस घटना का विश्लेषण इस तरह किया है कि तेरी बातों में दम नजर आने लगा है. अब तो मुझे भी लगने लगा है कि उस दिन एक हादसा होतेहोते रह गया. पर मुझे अब भी बड़ा अजीब लग रहा है कि मेरे साथ भी इस उम्र में ऐसा कुछ कैसे हो सकता है.’’
‘‘कृष्णा चल अब मैं तुझे अपनी बात बताती हूं. इस बार दीवाली छुट्टी के लिए जब मैं आ रही थी स्टेशन पर मेरे साथ भी एक मजेदार वाकेआ हुआ. मैं स्टेशन समय से पहुंच गई थी पर ट्रेन
2 घंटे लेट हो गई थी. जिस प्लेटफार्म पर ट्रेन आने वाली थी मैं वहीं एक बेंच पर बैठ ट्रेन का इंतजार कर रही थी. मन नहीं लग रहा था अकेले और तू तो जानती ही है मैं अधिक देर चुप नहीं रह सकती. अत: पास बैठे आदमी से बात करने लगी. वह 30-35 साल का सांवले रंग का दुबलापतला सा, औसत कद का आदमी था जो बारबार अपना मोबाइल फोन निकाल कर कुछ बटन दबा रहा था. ऐसा लग रहा था कि जैसे किसी से उस पर बात करना उस का मकसद नहीं वरन उस मोबाइल को लोगों को दिखाना ही उस का मुख्य मकसद हो. मैं ने सोचा अभी ट्रेन आने में देर है तब तक क्यों न इस नमूने से ही बात की जाए. उस की हिंदी अच्छी नहीं थी शायद दक्षिण भारतीय था और उसी शहर में किसी फैक्टरी में नौकरी करता था.
‘‘टूटीफूटी हिंदी और इंग्लिश में वह बातें करने लगा. बात ट्रेन से शुरू हो कर डैस्टिनेशन पर खत्म हो जानी थी पर मुझे समय पास करना था. अत: मैं ने उस के मोबाइल के बारे में पूछा कि कहां से खरीदी, कितने में खरीदी? वह खुशीखुशी मुझे बताने लगा जैसे उसे दिखाते हुए उसे गर्व महसूस हो रहा हो. वैसे भी आज के समय में मोबाइल एक नई चीज तो है ही. वह बता रहा कि मैं ने इसे खरीद तो लिया पर अधिकतर समय इस पर बात नहीं हो पाती क्योंकि टावर नहीं रहता हर जगह. फिर वह मेरे बारे में पूछने लगा कि कहां रहती हैं, कहां जा रही हैं? फिर मैं ने देखा कि जैसे ही उसे पता चला कि मैं इस शहर में अकेली रहती हूं वह मुझे से बात करने में रुचि लेने लगा.
‘‘उस ने बताया कि वह उसी शहर में किसी फैक्टरी में नौकरी करता है और अकेले रहता है. वह मुझे कहने लगा कि आप मेरा फोन नंबर ले लीजिए. मैं ने कहा मेरे पास मोबाइल है नहीं मैं नंबर ले कर क्या करूंगी. पर वह बारबार मुझे नंबर रख लेने के लिए यह कह कर जिद करने लगा कि शायद मैं कभी आप के काम आ सकूं. अब उस से पीछा छुड़ाने के लिए मैं ने मैगजीन खरीदने के बहाने वहां से उठना ही ठीक समझा. मैगजीन खरीद कर मैं दूसरे बेंच पर बैठ गई.
‘‘थोड़ी देर में वह इंसान फिर वहां पहुंच गया और एक बार फिर से मुझ से अनुरोध करने लगा कि मेरा नंबर ले लीजिए. अब मुझे उस पर गुस्सा आने लगा था. शायद मैं उसे झिड़क देती लेकिन तभी ट्रेन आ गई और मेरे जान में जान आई. उस व्यक्ति ने मेरे मना करने के बावजूद मेरा सामान उठा लिया और मेरे सीट तक गया मुझे पहुंचाने के लिए. जब मैं बैठ गई तो उस ने अपना नंबर लिख कर एक बार फिर मुझे देने की कोशिश की. अब मैं ने सोचा इस से पीछा छुड़ाने का सब से अच्छा रास्ता यही है कि नंबर रख लूं ताकि वह चला जाए.
‘‘मैं ने नंबर ले लिया और कहा कि आप के टे्रन का समय हो रहा है आप जाइए वरना आप की ट्रेन छूट जाएगी. आखिर में वह ट्रेन से उतरा पर फिर खिड़की के पास आ कर कहने लगा कि मैडम फोन करोगी न? प्लीज जरूर फोन कीजिएगा. अब मेरा धैर्य जवाब देने लगा था पर ट्रेन ने सीटी दे दी थी और मैं कोई सीन क्रिएट नहीं करना चाहिए थी. अत: उस से जान छुड़ाने के लिए कह दिया कि करूंगी. उस के जाते ही मैं ने वह कागज का टुकड़ा फाड़ कर फेंक दिया.’’
कृष्णा के मुंह से अनायास निकल पड़ा, ‘‘यानी वह तुम से मिलने का ख्वाब
देखने लगा था?’’
‘‘हां, कृष्णा मैं समझ रही थी और मेरा अगला कदम उसे डपट कर ट्रेन से उतारने का था लेकिन वह खुद चला गया.’’
‘‘यानी टेलीफोन के चक्कर में तू भी पड़ी थी.’’
‘‘हां कृष्णा मैं भी, अब बता पुरुष को क्या कहोगी? वह उम्र में मुझ से काफी छोटा लग रहा फिर भी पीछे पड़ गया फोन के बहाने. पता नहीं उस के आगे क्या मंसूबे थे?’’
‘‘ओए कावेरी, कहने का अर्थ यह हुआ कि पुरुष किसी भी उम्र का हो उस से सावधान रहो और दूसरी बात यह भी अभी हम बूढ़े नहीं हुए हैं,’’ इतना कह कर कृष्णा ने एक जोरदार ठहाका लगाया. दोनों गले मिले, अगली बार फिर मिलने का वादा किया और एकदूसरे को सावधान रहने की हिदायत दे कर विदा हो गए.
कृष्णा छुट्टी खत्म कर के वापस गई तो सब से पहले उस ने औफिस में क्वार्टर के लिए आवेदन किया और अपने पति को बता दिया कि उस की बेटी आराधना जब तक यहां आएगी तब तक उसे क्वार्टर अलाट हो जाएगा.