बिजी लाइफस्टाइल में ये 4 टिप्स आपको रखेंगी सेहतमंद

हेल्थ एक्सपर्ट्स और रिसर्च संस्थाओं की माने तो स्वस्थ रहने के लिए हर व्यक्ति को सप्ताह में कम से कम 150 मिनट, यानी रोजाना लगभग 30 मिनट एक्सरसाइज करना जरूरी है. अगर आपके पास सच में जिम जाने का समय नहीं है, तो आप कुछ बातों को अपनाकर फिट रह सकते हैं इन टिप्स से आपका फुल बौडी वर्कआउट भी हो जाएगा और आपको अलग से समय भी नहीं निकलना पड़ेगा.

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20 मिनट वौक, रखे स्वस्थ

खाना खाने के बाद बैठकर आराम करने या लेटकर फेसबुक और सोशल मीडिया चेक करने से बेहतर है कि आप 20 मिनट पैदल चलें. खाने के बाद थोड़ी देर पैदल चलने से आपके पेट में एक्सट्रा फैट नहीं जमा होता है, जिससे आप मोटापे से बचे रहते हैं. पैदल चलने से आपका खाना अच्छी तरह पचता है और आपका मेटाबौलिज्म अच्छा रहता है. रोजाना 20 मिनट स्ट्रेंथ ट्रेनिंग सिर्फ मसल्स बढ़ाने के लिए ही नहीं, बल्कि हड्डियों कों मजबूत बनाने के लिए भी की जाती है. इससे आपके शरीर की फ्लेक्सिबिलिटी बढ़ती है. साथ ही टीवी देखते समय यदि आप लिफ्ट वेट करेंगे तो ये फायदेमंद होगा.

लिफ्ट का उपयोग करें…

घर, औफिस, शौपिंग मौल और मेट्रो स्टेशन में आप लिफ्ट का प्रयोग करते रहते हैं, पर अगर आप सीढ़ियों का प्रयोग करेंगे तो काफी फायदेमंद होगा. सीढ़ी चढ़ने से आपके पूरे शरीर का अच्छा वर्कआउट होता है. चढ़ने समय आपका हृदय ज्यादा तेज खून पंप करने लगता है, जिससे शरीर के सभी अंगों तक औक्सीजन और पोषक तत्वों का सर्कुलेशन बढ़ जाता है.

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20 मिनट जल्दी उठने से रहेंगी सेहत दुरुस्त

सुबह जल्दी उठना आपके लिए कई तरह से सेहतमंद होता है. जल्दी उठकर आप थोड़ी एक्सरसाइज या मौर्निंग वौक कर सकते हैं, जिससे आपके शरीर को विटामिन डी और ताजी औक्सीजन मिल जाती हैं. इसके अलावा जल्दी उठकर दिन की शुरुआत करने से आप अपने दिन भर के कामों को अच्छी तरह मैनेज कर सकते हैं.

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स्वस्थ रहने के लिए जरुरी है खेल

स्वस्थ रहने का सबसे आसान तरीका है कि जब भी आप दोस्तों या परिवार के सदस्यों के साथ समय बिताना चाहें, तो खाने-पीने की जगह कोई खेल जैसे- टेबल टेनिस, बैडमिंटन आदि खेल सकते हैं या उनके साथ एक छोटी सी वौक पर जा सकते हैं, जहां वौक करते हुए आप बातचीत भी कर सकते हैं. जो आपके रिलेशनशिप को भी स्ट्रोंग रखेंगी. तो इन टिप्स को अपनाकर हेल्दी रखे अपनी सेहत और रिलेशनशिप.

 

5 टिप्स: क्या आप जानते हैं काफल के ये फायदे

खट्टे-मीठे इस फल को बौक्‍स मर्टल और बेबेरी भी कहा जाता है. यह एक लोकप्रिय पहाड़ी फल है, जो गर्मियों के मौसम में अप्रैल से जून के बीच होता है. काफल देखने में मालबैरी की तरह लगता है, लेकिन ये मालबैरी से बहुत अलग है. काफल एंटी- औक्‍सीडेंट गुणों से भरपूर होता हैं जिस वजह से यह शरीर के लिए फायदेमंद है. इसके अलावा इसमें कई नेचुरल तत्‍व पाए जाते हैं.

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इन बीमारियों को रखें दूर

काफल कई बीमारियों में इस्तेमाल किया जाता है, ये एनिमिया, अस्‍थमा, दस्‍त, जुखाम-बुखार और यकृत (Hepatic) संबंधी कई बीमारियों में फायदेमंद माना जाता है. काफल का फल ही नहीं बल्कि इसके पेड़ की छाल और पत्तियां भी औषधीय गुणों की खान हैं. इसके पेड़ की छाल में एंटी इन्‍फ्लैमेटरी, ऐटी-हेल्मिंथिक, एंटी-औक्‍सीडेंट और एंटी-माइक्रोबियल गुण पाये जाते हैं. इन गुणों के कारण यह कैंसर जैसी अनेक बीमारियों से आपको बचाता है.

टेंशन और सिरदर्द में लाभकारी

काफल आपके मानसिक तनाव को कम करने में मदद करता है, इसके सेवन से डिप्रेशन की प्रौब्लम को दूर होती है. इस भागदौड़ भरी लाइफ में टेंशन और सिरदर्द की प्रौब्लम को दूर करने के लिए आप काफल के छाल का चूरण खा कर सकते हैं. इसके अलावा काफल के चूरण को सूंघने से सिरदर्द कम होता है.

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आंख से जुड़ी बीमारियों के लिए हैं फायदेमंद

काफल आंख से जुड़ी बीमारियों जैसे- आंखों के दर्द, नाइट ब्लाइंडनेस , आंख लाल होना,  इन सभी बीमारियों के लिए बेहद फायदेमंद हैं. इसके अलावा सर्दी-जुकाम से होने वाले कान दर्द के इलाज में भी काफल का इस्‍तेमाल किया जाता है

पेट के लिए रामबाण

काफल के तेल की मालिश करने से लकवा मे लाभ मिलता है. गलत खानपान व ज्‍यादा मसालेदाल खाने के अलावा कई कारणों से पेट में गैस हो जाने पर पेट दर्द की समस्‍या होती है. इसके लिए आप काफल में चुटकी भर नमक मिलाकर खाएं, इसके सेवन से आपके पेट दर्द की समस्‍या दूर हो जाएगी. इसके अलावा दस्‍त में आप 1 या 2 ग्राम काफल में दोगुना शहद मिलाकर इसका सेवन करें, इससे दस्‍त से राह‍त मिलेगी. आप चाहें, तो इसका काढ़ा बनाकर भी पी सकते हैं.

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 सांस संबंधी बीमारियों

यदि किसी को सांस संबंधी बीमारी है या सांस लेने में दिक्‍कत हो रही हो, तो काफल के सेवन से इसमें आराम मिलता है. काफल के चूर्ण में अदरक का रस और शहद मिलाकर सेवन करने से बोन डिसीज, दर्द, श्‍वास और टीबी के लिए लाभकारी है. इसके अलावा यह खांसी-जुखाम व बुखार से निजाद दिलाने में भी मदद करता है।

क्या यें तो नहीं आपके मां न बन पाने के कारण

खानपान, शिफ्ट वाली नौकरी और रहन-सहन में आए बदलाव के कारण जहां एक तरफ लाइफस्टाइल पहले से अधिक बढ़ गया है, वहीं दूसरी तरफ टैकनोलौजी से भी कई हेल्थ प्रौब्लम बढ़ गई हैं. अब बढ़ती उम्र के साथ होने वाले रोग युवावस्था में ही होने लगे हैं. इनमें एक कौमन प्रौब्लम है युवाओं में बढ़ती इन्फर्टिलिटी. दरअसल, युवाओं में इन्फर्टिलिटी की समस्या आधुनिक जीवनशैली में की जाने वाली कुछ आम गलतियों की वजह से बढ़ रही है.

1. खानपान की गलत आदतें

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इन्फर्टिलिटी के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार होती है खानपान की गलत आदतें. समय पर खाना नही, जंक व फास्ट फूड खाने के क्रेज का परिणाम है युवावस्था में इन्फर्टिलिटी की प्रौब्लम. फास्ट फूड और जंक फूड खाने में मौजूद पेस्टीसाइड से शरीर में हारमोन संतुलन बिगड़ जाता है, जिसके कारण इन्फर्टिलिटी हो सकती है. इसलिए अपने खानपान में बदलाव का पौष्टिक आहार का सेवन करें. हरी सब्जियां, ड्राई फ्रूट्स, बींस, दालें आदि ज्यादा से ज्यादा खाएं.

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2. टेंशन

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आधुनिक जीवनशैली में लगभग हर व्यक्ति टेंशन से ग्रस्त है. काम का दबाव, कंपीटिशन की भावना, ईएमआई का बोझ, लाइफस्टाइल मैंटेन करने के लिए फाइनैंशल बोझ आदि कुछ ऐसी समस्याएं हैं जो हम ने स्वयं अपने लिए तैयार की हैं. इन सभी के कारण ज्यादातर युवा टेंशन में रहते हैं और इन्फर्टिलिटी का शिकार हो रहे हैं. इससे बचने के लिए ऐसे काम करें कि आप टेंशन न हों. टेंशन के समय घर वालों और दोस्तों की मदद लें.

3. अधिक उम्र में विवाह

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आज तरक्की और सफलता की चाह में पुरुष और महिलाएं कम उम्र में विवाह नहीं करना चाहते. विवाह के बाद भी फाइनैंशियल सिक्युरिटी बनाते-बनाते बच्चे के बारे में सोचने में भी उन्हें समय लग जाता है. महिलाएं भी आजकल ज्यादा आत्मनिर्भर होने लगी हैं और वे कम उम्र में बच्चा नहीं चाहतीं. डाक्टर के अनुसार अधिक उम्र में विवाह होने से महिलाओं में ओवम की क्वालिटी प्रभावित होती है और इन्हीं कारणों से उन में इन्फर्टिलिटी की संभावना भी बढ़ जाती है.

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इसके अलावा गलत लाइफस्टाइल के कारण आजकल ज्यादातर महिलाओं में फाइब्रौयड्स बनना, ऐंडोमिट्रिओसिस से संबंधित समस्याएं भी होने लगी हैं. इस के अलावा हाइपरटैंशन जैसी बीमारी भी युवाओं में इन्फर्टिलिटी का कारण बन रही है.

4. एक्सरसाइज न करना

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काम के दबाव के कारण व्यायाम का समय निकालना युवाओं के लिए बहुत मुश्किल होता है. कौल सैंटर और मीडिया की नौकरी में तो समय की बाध्यता न होने के कारण काम का दबाव और प्रतियोगिता और भी बढ़ जाती है. युवाओं के लिए रीप्रोडक्शन से ज्यादा जरूरी हो गई है तरक्की और भौतिक ऐशोआराम के लिए पैसा. इसी कारण से जीवन का ज्यादा समय औफिस के कामों में बीतता है. अधिक समय तक काम करने के बाद औफिस से थक कर घर आने के बाद अधिकतर कपल्स में सैक्स की इच्छा में भी कमी हो जाती है. यदि काम के साथ ऐक्सरसाइज जारी रखते हैं तो इन्फर्टिलिटी से बचा जा सकता है.

5. नींद पूरी न होना

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नींद पूरी न कर पाने के कारण भी युवाओं में इन्फर्टिलिटी की समस्या बढ़ रही है. काम का बोझ और देर रात तक पार्टी करने के कारण युवकयुवतियां भरपूर नींद नहीं ले पाते हैं, जिस के कारण हारमोन में असंतुलन होता है और बांझपन की समस्या बढ़ती है. कई शोधों में भी यह बात सामने आ चुकी है कि नींद न पूरी होने के कारण हारमोन संतुलन बिगड़ जाता है और बांझपन की परेशानी हो सकती है. इसलिए नियमित रूप से कम से कम 7 से 9 घंटों की नींद लेनी चाहिए.

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6. वजन

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खानपान की गलत आदत और व्यस्त दिनचर्या में ऐक्सरसाइज के लिए समय न मिलने का परिणाम है मोटापा. डाक्टरों के अनुसार मोटापा इन्फर्टिलिटी समस्या की एक बड़ी वजह है. अधिक वजन महिला व पुरुष दोनों की फर्टिलिटी को प्रभावित करता रहता है. इस के अलावा जिन महिलाओं का वजन सामान्य से कम होता है उन में भी यह शिकायत हो सकती है. इसलिए यदि आप का वजन अधिक है तो इसे कम करने की कोशिश करें और अगर कम है तो उसे बढ़ाएं.

7. सिगरेट और शराब

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आजकल युवाओं में शराब, सिगरेट, कोकीन आदि का इस्तेमाल बेहद आम बात है. इन सभी नशीले पदार्थों की वजह से लड़के और लड़कियां दोनों की फर्टिलिटी प्रभावित होती है. इन के अधिक इस्तेमाल करने से सीमन की गुणवत्ता भी प्रभावित होती है. एक तरफ जहां धूम्रपान करने से स्पर्म काउंट कम होता है, वहीं दूसरी तरफ शराब के सेवन से टेस्टोस्टेरौन हारमोन उत्पादन भी कम होता है. इस के अलावा दवाओं खासकर ऐंटीबायोटिक का इस्तेमाल अधिक करने के कारण भी बांझपन की समस्या बढ़ रही है.

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8. हेल्थ प्रौब्लम

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हाइपरटैंशन और हाई ब्लडप्रैशर जैसी समस्याएं जिन्हें बुजुर्गों की बीमारी माना जाता था, आज युवाओं में भी बहुत आम हो गई हैं और इन का प्रभाव उन की सैक्सुअल लाइफ पर भी पड़ रहा है. बचपन से ही कंप्यूटर और लैपटौप पर बैठना आम बात हो गई है. यह आदत भी इन्फर्टिलिटी की वजह बन रही है.

इन्फर्टिलिटी का उपचार असिस्टेड रीप्रोडक्टिव तकनीक यानी आईवीएफ के माध्यम से आप का मां बनने का सपना पूरा हो सकता है. मगर ऐसी स्थिति में डोनर की मदद लेनी पड़ती है. इसलिए हिदायत यह दी जाती है कि आप स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं और इन्फर्टिलिटी की समस्या से बचें.

-डा. ज्योति बाली

इन्फर्टिलिटी स्पैशलिस्ट, मैडिकल डाइरैक्टर, बेबीसून, आईवीएफ सैंटर

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इन टिप्स को अपनाएं और करें वजन कम

आज के समय में मोटापा एक गंभीर बीमारी बन चुकी है. ये परेशानी अकेले नहीं आती, अपने साथ कई अन्य बीमारियां भी लाती हैं.  इसलिए स्वस्थ रहने के लिए जरूरी है कि आप मोटापे को गंभीरता से लें और अपना खानपान इस तरह से रखें कि ये परेशानी आपसे दूर रहे. इससे आपको दिल की बीमारियां, जोड़ों में दर्द, डायबिटीज, थकान, पाचन की समस्याएं आदि हो सकती हैं.

इस खबर में हम आपको बताएंगे कि आप प्राकृतिक तरीके से अपना वजन कैसे कम कर सकती हैं. इसके लिए हम आपको बताएंगे ऐसी रेसिपी जिसके नियमित प्रयोग से आप मोटापे को खत्म कर सकेंगी और इससे दूर रहने में भी ये आपको मदद करेगी. इसे खाने से डायबिटीज और कब्ज जैसी समस्या से बचने में मदद मिलती है.

सामग्री

1 कप कटा हुआ गोभी का पत्ता

1 कप चुकंदर

1 कप जैतून का तेल

बनाने का तरीका

सभी चीजों को एक कटोरे में डालकर अच्छी तरह मिला लें. अपने स्वादानुसार आप इसमें काली मिर्च का पाउडर या शहद मिला सकती हैं. ध्यान रहे कि नमक का प्रयोग नहीं करना है. इसे चार दिनों तक डिनर में खाएं.

इसको खाने के साथ आपको एक्सरसाइज भी करना होगा. संतुलित आहार लें. ध्यान रखें कि आप फाइबर और प्रोटीन की मात्रा अधिक लें और फैट को कम लें. गोभी एक पत्तेदार सब्जी है जिसमें फाइबर, पोटेशियमऔर कैल्शियम की एक उच्च मात्रा है.

 

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