कभी-कभी ऐसा भी: पूरबी के साथ क्या हुआ

story in hindi

Serial Story: अब बहुत पीछे छूट गया

story in hindi

प्यार की जीत: भाग 1- निशा ने कैसे जीता सोमनाथ का दिल

‘‘मैं बिलाल से बेइंतहा मोहब्बत करती हूं. चाहे कुछ भी हो जाए मैं उसी से शादी करूंगी. आप मुझे कुछ भी कर के रोक नहीं सकते. मेरे जन्म से आज तक इन 21 सालों में आप ने सिर उठा कर भी मेरी ओर नहीं देखा क्योंकि मैं एक बेटी हूं. ऐसे में आप अब क्यों मेरी जिंदगी में दखल दे रहे हैं? यह मेरी जिंदगी है. अगर इस मामले में भी मैं आप की बात सुनूंगी तो मेरी पूरी जिंदगी बरबाद हो जाएगी. मैं इसे बरदाश्त नहीं कर सकती हूं. गलत क्या है और सही क्या है, यह मैं जानती हूं. इस के अलावा मैं अब नाबालिग नहीं हूं. अपना जीवनसाथी  चुनने का अधिकार है मुझे.’’ अपने समक्ष खड़ी अपनी बेटी निशा की बातें सुन कर सोमनाथ आश्चर्यचकित रह गए.

सोमनाथ को यकीन ही नहीं हो रहा था कि जो उन के सामने बोल रही है वह उन की बेटी निशा है. निशा ने इस घर में आए इन 2 सालों में अपने पिता के सामने कभी इतनी हिम्मत से बात नहीं की.

निशा को अपने पिता से इस तरह बात करते हुए देख कर उस की मां लक्ष्मी भी हैरान थी. उसे भी निशा के इस नए रूप को देख कर यकीन ही नहीं हो रहा था कि यह उस की बेटी निशा ही है. अगर एक सलवारकमीज खरीदनी होती तो भी वह अपने पापा से पूछने के लिए घबराती. अपनी मां के पास आ कर ‘मां, आप ही पापा से पूछिए और खरीद दीजिए न प्लीज, प्लीज मां’ बोलने वाली निशा आज अपने पापा के सामने अचानक शेरनी कैसे बन गई? अपने पापा के सामने इस तरह खड़े हो कर बेधड़क बातें कर रही निशा को देख कर लक्ष्मी सन्न रह गई.

उस से भी बड़ी हैरानी की बात यह है कि निशा का यह कहना कि वह एक मुसलमान युवक से प्यार करती है और उसी से शादी भी करना चाहती है. इस प्रस्ताव को सोमनाथ के सामने रखने के लिए भी हिम्मत चाहिए, क्योंकि सोमनाथ एक कट्टर हिंदू हैं. उन के सामने उन की बेटी कह रही है कि वह एक मुसलमान युवक से शादी करना चाहती है. लक्ष्मी ने मन में सोचा कि जो भी हो, निशा की हिम्मत की दाद देनी चाहिए.

ये भी पढ़ें- Women’s Day: अकेली लड़की- कैसी थी महक की कहानी

एक कड़वा सच यह है कि लक्ष्मी कभी अपने पति के सामने ऐसी बातें नहीं कर सकती थी. शादी हुए इन 30 सालों में लक्ष्मी ने पति के सामने कभी अपनी राय जाहिर नहीं की. उन के परिवार की प्रथा है कि औरतों को आजादी न दी जाए. उन का मानना है कि स्त्री का दर्जा हमेशा पुरुष से कम होता है.

मगर लक्ष्मी के मायके की बात अलग थी. लक्ष्मी के पिता ने उसे एक महारानी की तरह पालपोस कर बड़ा किया. उस के पिता की 3 बेटियां थीं और वे इस से बहुत खुश थे. वे अपनी लड़कियों को घर की महालक्ष्मी मानते थे और उन्हें भरपूर स्नेह व इज्जत देते. उन्हें अपनी तीनों बेटियों पर गरूर था खासकर अपनी बड़ी बेटी लक्ष्मी पर. लक्ष्मी की बातों को वे सिरआंखों पर रखते थे. लक्ष्मी की ख्वाहिश का मान करते हुए उन्होंने उसे अंगरेजी साहित्य में बीए करने की इजाजत दी.

लक्ष्मी के पिता ने अपनी बेटी की शादी के मामले में एक गलत फैसला ले लिया. सोमनाथ के परिवार के बारे में अच्छी तरह पूछताछ किए बगैर उस परिवार की शानोशौकत को देख कर अपनी बेटी की शादी सोमनाथ से करवाई. शादी के दूसरे दिन ही लक्ष्मी को ससुराल में एक झटका सा लगा. लक्ष्मी को अंगरेजी अखबार पढ़ते देख कर उस के ससुर ने उसे फटकारा, ‘इस तरह सुबह अंगरेजी अखबार पढ़ना एक बहू को शोभा देता है क्या? तुम्हारी मां ने तुम्हें यही सिखाया है क्या? मर्दों की तरह औरतों का अखबार पढ़ना अच्छे संस्कार नहीं हैं. दुनिया के बारे में जान कर तुम क्या करोगी? तुम्हारा काम है रसोई में खाना पकाना और बच्चे पैदा कर के उन का पालनपोषण करना, समझी तुम?’ ससुरजी की बातें सुन कर लक्ष्मी को ताज्जुब हुआ.

ससुराल में आए कुछ ही दिनों में लक्ष्मी को पता चल गया कि औरतों को मर्दों का गुलाम बना कर रहना ही इस घर की परंपरा है. न चाहते हुए भी लक्ष्मी ने अपनेआप को बदलने की कोशिश की.

समय आया जब लक्ष्मी अपने पहले बच्चे की मां बनने वाली थी. जब डाक्टर ने यह खबर सुनाई तो लक्ष्मी बेहद खुश हुई. उस ने खुशी से अपने पति सोमनाथ को यह समाचार सुनाया तो उन्होंने कहा, ‘‘सुनो, अगर लड़का पैदा हुआ तो उसे ले कर इस घर में आना. लड़की पैदा हुई तो उसे अपने मायके में छोड़ कर आना, समझी. खानदान को आगे बढ़ाने के लिए मुझे लड़का ही चाहिए.’’ यह सुनते ही लक्ष्मी सन्न रह गई. वह सोच भी नहीं सकती थी कि कोई आदमी अपनी पहली संतान के बारे में ऐसा भी सोच सकता है.

बहरहाल, लक्ष्मी ने एक लड़के को जन्म दिया और उस के बाद लक्ष्मी की इज्जत उस घर में बढ़ गई. इस का कारण यह था कि लक्ष्मी की दोनों जेठानियां अपनी पहली संतान लड़की होने केकारण उन्हें अपने मायकों में ही छोड़ कर आईर् थीं. लक्ष्मी के ससुर ने उसे एक कीमती गहना तोहफे में दिया. उस के 2 वर्षों बाद जब लक्ष्मी का दूसरा लड़का पैदा हुआ तब से सोमनाथ अपना सीना चौड़ा करते हुए घूमते थे.

ये भी पढ़ें- बीजी यहीं है: क्या सही था बापूजी का फैसला

लक्ष्मी के कई बार मना करने के बावजूद उस के दोनों बेटों संदीप और सुदीप को उस के पति और ससुर ने लाड़प्यार दे कर बिगाड़ दिया. अगर लक्ष्मी बीच में बोले तो, ‘ये दोनों लड़के हैं, शेर हैं मेरे बच्चे. उन्हें पढ़ने की कोई जरूरत नहीं. कुछ भी कर के जिंदगी में सफल हो जाएंगे,’ कह कर लक्ष्मी के दोनों बेटों को पूरी तरह बिगाड़ दिया सोमनाथ ने. लक्ष्मी बेबस हो कर देखती रह गई.

इतने में लक्ष्मी तीसरी बार गर्भवती हुई. सोमनाथ तो बड़े गरूर से कहता रहा, ‘यह भी बेटा ही होगा.’ सोमनाथ की इस बेवकूफी को देख कर लक्ष्मी को समझ में ही नहीं आया कि वह रोए या हंसे.

मगर इस बार लक्ष्मी के एक खूबसूरत बेटी पैदा हुई. लक्ष्मी ने अपनी नन्ही सी परी को अपने सीने से लगा लिया. जब सोमनाथ को यह खबर मिली कि लक्ष्मी ने एक लड़की को जन्म दिया है तो वे गुस्से से पागल हो गए. बच्ची को देखने के लिए भी नहीं आए और ऊपर से उन्होंने चिट्ठी लिखी कि घर वापस आते समय बेटी को मायके में छोड़ कर आना. अगर वहां भी बच्ची को पालना नहीं चाहें तो उसे किसी अनाथ आश्रम में दाखिल करवा देना.

लक्ष्मी अपनी बच्ची को अपनी छोटी बहन के हवाले कर अपने पति के घर वापस आ गई. लक्ष्मी की बहन के 2 बेटे थे, इसलिए उस ने खुशीखुशी लक्ष्मी की बेटी की परवरिश करने की जिम्मेदारी अपने ऊपर ले ली. लक्ष्मी की छोटी बहन ने उस प्यारी सी बच्ची का नाम निशा रखा.

लक्ष्मी के बेटे संदीप और सुदीप दोनों अव्वल नंबर के निकम्मे, बदतमीज और बदचलन बने. 10वीं कक्षा में दोनों फेल हो गए और लफंगों की तरह इधरउधर घूमने लगे. लाख कोशिशों के बावजूद लक्ष्मी अपने बेटों को अच्छे संस्कार नहीं दे पाई. संदीप और सुदीप दोनों गैरकानूनी काम कर के 2 बार जेल भी जा चुके थे.

लक्ष्मी ने अपनी बहन की चिट्ठी से यह जान लिया कि निशा पढ़ाई में हमेशा अव्वल रहती है और अच्छे संस्कारों से आगे बढ़ रही है. लक्ष्मी को इतनी कठिनाइयों के बीच इसी समाचार ने खुश रखा. मगर वह खुशी बहुत दिनों तक नहीं टिकी. लक्ष्मी की छोटी बहन, जिसे कोई बीमारी नहीं थी, अचानक दिल का दौरा पड़ा और 4 दिन अस्पताल में रहने के बाद चल बसी. उस के पति ने सोचा कि एक 21 साल की लड़की को बिन मां के पालना खुद से नहीं होगा, इसलिए निशा को लक्ष्मी के पास छोड़ने का फैसला लिया. उस वक्त निशा फैशन टैक्नोलौजी का कोर्स कर रही थी और वह अपनी पढ़ाई जारी रखना चाहती थी.

आगे पढ़ें- निशा को यह सब बड़ा अजीब सा लगा….

ये भी पढ़ें- किस गुनाह की सजा: रजिया आपा ने क्यों मांगी माफी

26 January Special: स्वदेश के परदेसी: कैसे बन गए थे अलाना और यीरंग

26 January Special story

देहरी के भीतर

3 सखियां

social story in hindi

Social Story In Hindi: मैं कमजोर नहीं हूं- मां और बेटी ने किसे सिखाया सबक

social story in hindi

Social Story In Hindi: बात एक राज की- दोस्तों की एक योजना का क्या था अंजाम

Social Story In Hindi: बात एक राज की- भाग 4- दोस्तों की एक योजना का क्या था अंजाम

कुछ ही देर में सेठ शांतिलाल अपनी कार से वहां पहुंच गए.

‘‘कहां है रिवौल्वर और कहां है रुधिर? फार्महाउस में घुसते ही शांतिलाल ने प्रश्न किया.

‘‘बैडरूम में हैं दोनों. आप के लड़के ने उस रिवौल्वर से खुद को गोली मार ली है,’’ पुलिस अफसर ने बताया.

‘‘ओह,’’ शांतिलाल ने अफसोस वाले स्वर में कहा.

‘‘एक बात समझ में नहीं आ रही है शांतिलालजी. इन तीनों बच्चों का कहना है कि इन्होंने रुधिर के साथ मिल कर उस के अपहरण की साजिश रची और जब इन्होंने फिरौती के लिए आप को फोन किया तो आप ने ऐसा कुछ रिस्पौंस नहीं दिया जिस से लगे कि आप को कोई शौक लगा है,’’ इंस्पैक्टर ने पूछा.

‘‘क्योंकि मैं इन के अपहरण प्लान के बारे में पहले से ही जानता था,’’ सेठ शांतिलाल ने रहस्योद्घाटन किया, ‘‘इन लोगों की योजना के अनुसार जब रुधिर पहले दिन गैराज में छिपा, उस समय मैं बंगले की छत पर ही था और मैं ने उसे गैराज में जाते हुए देख लिया था. मैं ने सोचा, शायद कुछ सामान लेने के लिए गया है. परंतु जब वह लंबे समय तक बाहर नहीं आया तो मैं ने अपने ड्राइवर को उस की निगरानी के लिए रख दिया. मैं यह भी जानता था कि रुधिर ने मेरे फर्म के नाम पर कुछ सिमें निकलवाई हैं. मुझे यह भी पता था कि रुधिर फार्महाउस पर ही छिपा हुआ है. बच्चे हैं, गलतियां कर रहे हैं, आज नहीं तो कल इन लोगों की समझ में आ जाएगी. यही सोच कर मैं ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. अगर मैं पुलिस में रिपोर्ट करूंगा तो इन का भविष्य बरबाद हो जाएगा. यही सब सोच कर मैं ने शिकायत नहीं की.’’

‘‘मतलब कल रात को रुधिर घर पर आ गया था?’’ इंस्पैक्टर ने प्रश्न किया.

‘‘जी नहीं, उसे तो पता ही नहीं कि उस का प्लान लीक हो गया था,’’ शांतिलाल ने उसी धारा प्रवाह में उत्तर दिया.

‘‘तो फिर रिवौल्वर आज सुबह बंगले से कैसे गायब हुई? उसे तो कल ही रुधिर के साथ गायब हो जाना चाहिए था,’’ अफसर ने कहा.

‘‘जी, जी वो शायद मैं ने कल ध्यान से कबर्ड देखा नहीं था. शायद वह कल ही अपने साथ ले आया हो,’’ शांतिलाल ने भरपूर आत्मविश्वास के बीच अपनी घबराहट छिपाते हुए कहा.

ये भी पढ़ें- Social Story In Hindi: सच्चाई सामने आती है पर देर से

‘‘आश्चर्य है इतनी बड़ी गलती आप कैसे कर सकते हैं. ऐसी गलती करने पर सरकार आप का लाइसैंस रद्द तक कर सकती है,’’ इंस्पैक्टर ने चेताया.

‘‘मैं ने रिवौल्वर रख कर ही गलती कर दी, साहब. अगर यह रिवौल्वर नहीं होती तो रुधिर आत्महत्या नहीं करता,’’ शांतिलाल अफसोस जाहिर करते हुए बोले.

‘‘सरकार, माईबाप, यह आत्महत्या नहीं हत्या है और सेठजी ने ही रुधिर बाबा की…’’ एक अजनबी घटनास्थल पर प्रवेश करता हुआ बोला.

‘‘तुम कौन हो?’’ इंस्पैक्टर ने कड़क आवाज में पूछा.

‘‘सर, यही हैं यहां के चौकीदार रामू अंकल,’’ रक्ताभ ने बताया.

‘‘कैसे चौकीदार हो तुम? यहां पर इतनी बड़ी घटना हो गई और तुम्हारे पतेठिकाने ही नहीं हैं. जानते हो, इस घटना की सब से पहली सूचना तुम्हें ही पुलिस को देनी चाहिए थी,’’ इंस्पैक्टर रामू को डपटते हुए बोला. ‘‘तुम इतनी आसानी से कैसे कह सकते हो कि खून सेठ शांतिलाल ने ही किया है?’’

‘‘सरकार, मैं ठहरा अनपढ़गंवार. मुझे नहीं पता किसे सूचना देनी चाहिए,’’ रामू मिमियाता हुआ बोला, ‘‘पर आप एक बार मेरी बात ध्यान से सुन लीजिए.’’

‘‘अच्छा, बताओ क्या जानते हो इस घटना के बारे में?’’ इंस्पैक्टर कुछ नरम पड़ कर बोला.

‘‘सरकार, कल सुबह रुधिर बाबा अचानक आ गए. आते ही उन्होंने मुझे चाय बनाने को कहा. मैं किचन में चाय बनाने चला गया. जब मैं वापस लौटा तो उन्होंने मुझे बताया कि वे सेठजी से नाराज हो कर यहां आ गए हैं. लेकिन मैं सेठजी को यह बात किसी कीमत पर न बताऊं कि वे यहां पर हैं. उन्होंने मुझे यह भी बताया कि बाहर से कोई फोन न आ सके, इसलिए उन्होंने फोन खराब कर दिया है. एकदो दिनों में जब सेठजी का गुस्सा शांत होगा तब वे घर वापस चले जाएंगे. शाम को सेठजी का ड्राइवर आया और बोला कि सुबह साढ़े 6 बजे तक आवश्यक सफाई के लिए बंगले पर बुलवाया है. मैं अकसर तीजत्योहार पर बंगले की सफाई करने जाता ही हूं.

‘‘शाम को खाने में रुधिर बाबा ने चिकन बनाने की फरमाइश रखी. इसी कारण खाना बनाने और सफाई करने में काफी देर हो गई. देर से सोने के कारण नींद भी सुबह देर से खुली. जागा, तब तक साढ़े 7 बज चुके थे. रुधिर बाबा अभी सो ही रहे थे. मैं ने सोचा दिशामैदान कर आता हूं, उस के बाद बाबा को चायनाश्ता करवा कर चला जाऊंगा.

‘‘मैं कुछ दूर झाडि़यों में बैठा ही था कि मैं ने देखा सेठजी खुद कार चला कर फार्महाउस आ गए हैं. मैं ने सोचा शायद मुझे लेने आए हैं. लगभग 5 मिनट के बाद मैं ने देखा कि सेठजी वापस जा रहे हैं. मुझे फार्महाउस में न पा कर शायद सेठजी ने सोचा होगा कि मैं सफाई के लिए पहले ही निकल चुका हूं. मैं जल्दी से फार्महाउस पहुंचा तो देखा कि रुधिर बाबा के सीने में गोली लगी है और हाथ में पिस्तौल है.

‘‘मुझे कुछ समझ में नहीं आया और मैं साइकिल उठा कर सेठजी के घर निकल पड़ा. मैं तकरीबन 11 बजे सेठजी के घर पहुंच गया. लेकिन तब तक सेठजी वहां से निकल पड़े थे. मेरे पूछने पर सेठानीजी ने बताया कि उन की पिस्तौल चोरी हो गई

है और वे इस की सूचना देने के लिए थाने गए हैं.

‘‘तब मैं ने सेठानीजी को फार्महाउस की पूरी घटना की जानकारी दे दी. रुधिर बाबा की मौत की खबर सुन कर वे बेहोश हो गईं. पानी के छींटे डालने और होश में आने पर काफी समझाने के बाद वे सामान्य हुईं. उन्होंने ही मुझे पुलिस को सूचित करने को बोला.

‘‘थाने पहुंचने पर पता चला कि आप लोग फार्महाउस पहुंच चुके हैं. साइकिल से लगभग 2 घंटे बाद यहां पहुंच सका हूं,’’ रामू ने अपने बयान में बताया.

‘‘क्यों शांतिलालजी, रामू ठीक कह रहा है?’’ इस के बयानों की तसदीक आप के ड्राइवर से करवाई जाए?’’ इंस्पैक्टर ने पूछा.

‘‘नहीं, रामू सही कह रहा है. मैं ने ही रुधिर की हत्या की है,’’ सेठ शांतिलाल ने अपने जुर्म का इकबाल किया.

ये भी पढ़ें- Family Story In Hindi: उन्मुक्त- कैसा था प्रौफेसर सोहनलाल का बुढ़ापे का जीवन

वहां खड़े रक्ताभ, लालिमा और सिंदूरी को अपने कानों पर विश्वास नहीं हुआ कि जो उन्होंने चुना वह ठीक था या नहीं, वे चुपचाप हैरानी से सब देखते रहे.

‘‘तुम ने अपने बेटे का खून क्यों किया?’’ इंस्पैक्टर ने हैरत से पूछा.

‘‘क्योंकि रुधिर मेरा बेटा है ही नहीं,’’ शांतिलाल ने खुलासा किया.

‘‘आप का बेटा नहीं है रुधिर, तो फिर किस का बेटा है?’’ आप को कैसे पता चला रुधिर आप का अपना बेटा नहीं है?’’ इंस्पैक्टर ने पूछा.

‘‘पता नहीं रुधिर किस का बेटा है. सौभाग्यवती से शादी से पूर्व ही मैं जानता था कि मैं सौभाग्यवती को दुनिया का हर सुख दे सकता हूं सिवा मातृत्व सुख के. मैं ने सोचा था अगर सौभाग्यवती अनुरोध करेगी तो किसी वैज्ञानिक पद्धति से या अनाथालय से बच्चा गोद ले कर वह कमी पूरी कर लेंगे. किंतु सौभाग्यवती ने मुझे बताए बिना यह गलत कदम उठा लिया.

‘‘मैं  ने रुधिर को कभी भी अपना खून नहीं समझा, सिर्फ सौभाग्यवती की खुशी की खातिर उसे मैं अपने साथ रखे हुए था. मुझे उस पर कभी भी विश्वास नहीं था. इसी कारण मैं उसे सिर्फ जरूरत के अनुसार ही आवश्यक सुविधाएं दिया करता था. मेरी धारणा थी कि मेरी दौलत पाने के लिए रुधिर किसी भी स्तर पर गिर सकता है. खुद के अपहरण की इस साजिश ने मेरी इस धारणा को और पक्का कर दिया. इसी कारण अपनेआप को भविष्य में सुरक्षित रखने के दृष्टिकोण से मैं ने यह योजना बनाई. काश, मुझे पता चल पाता कि रुधिर का पिता कौन है,’’ सेठ शांतिलाल स्वीकारोक्ति करते हुए बोला.

‘‘मैं हूं उस का पिता,’’ नजरें झुका आगे आ कर रामू बोला. लगभग 20 साल पहले फार्महाउस पर आप की अनुपस्थिति में मैं सेठानीजी के आग्रह को ठुकरा न सका. वह पहला और आखिरी मिलाप था हमारा. आज जब सेठानीजी को फार्महाउस की घटना बतलाई तो उन्होंने यह राज की बात मुझे बताई. एक तरफ नमक का कर्ज था तो दूसरी तरफ पिता होने का फर्ज. आखिरकार पिता ने अपना आखिरी व एकमात्र कर्तव्य पूरा किया.’’

‘‘चलिए, सेठ शांतिलालजी, गुनाहगार का फैसला अदालत ही करेगी,’’ इंस्पैक्टर असली गुनाहगार को अपने साथ ले जाते हुए बोले.

रक्ताभ, लालिमा, सिंदूरी के होंठ जैसे किसी ने सी दिए हों. मन ही मन तीनों अपनी नादानी पर पछता रहे थे जिस की वजह से उन्होंने अपना प्यारा दोस्त हमेशा के लिए खो दिया था.

ये भी पढ़ें- Social Story In Hindi: नींद- मनोज का रति से क्या था रिश्ता

Social Story In Hindi: बात एक राज की- भाग 3- दोस्तों की एक योजना का क्या था अंजाम

‘‘क्यों, क्या हुआ?’’ लालिमा सिंदूरी को कौन्फ्रैंस कौल पर लेती हुए बोली. ‘‘यह लो रक्ताभ, सिंदूरी भी आ गई.’’

‘‘क्या हुआ रक्ताभ? तुम्हारी आवाज घबराई हुई सी क्यों हैं?’’ सिंदूरी फोन पर जौइन करते हुए बोली.

‘‘अरे, मैं अभी रुधिर के फार्महाउस गया था. वहां पर सीन बहुत चौंकाने वाला था? रुधिर ने सुसाइड कर लिया है,’’ रक्ताभ घबराता हुआ बोला.

‘‘क्या? कैसे??’’ दोनों ने एकसाथ घबराई आवाज में पूछा.

‘‘ उस के एक हाथ में रिवौल्वर है और छाती पर गोली लगी है. शायद रिवौल्वर से खुद को बिस्तर पर लेटेलेटे गोली मार ली है,’’ रक्ताभ की आवाज अभी भी लड़खड़ा रही थी.

रुधिर की मौत की खबर सुन कर लालिमा और सिंदूरी दोनों रोने लगीं. रक्ताभ की आंखें भी भर आईं.

‘‘देखो, संभालो अपनेआप को. रुधिर के पापा को जब यह बात मालूम पड़ेगी तो वे पुलिस में अवश्य जाएंगे. तब आज नहीं तो कल, पुलिस हम तक पहुंचेगी जरूर. हमें अपने बचाव के लिए कुछ करना चाहिए,’’ रक्ताभ ने भर्राई आवाज में कहा.

‘‘क्या करें?’’ लालिमा ने पूछा.

‘‘तुम लोग पार्क में आओ. वहीं बैठ कर सोचते हैं कि हमें आगे क्या करना है. हम पर किडनैप करने का आरोप लगा तो हमारा कैरियर शुरू होने से पहले ही खत्म हो जाएगा. हम पर किडनैपर होने का ठप्पा लग जाएगा वह अलग,’’ रक्ताभ बोला.

‘‘ठीक है, एक घंटे बाद पार्क में मिलते हैं,’’ सिंदूरी रोते हुए बोली.

लगभग एक घंटे बाद तीनों पार्क में इकट्ठे हुए. सिंदूरी बहुत गंभीर व उदास लग रही थी. लालिमा की आंखों में भी रोने के कारण लाल डोरे पड़े हुए थे.

‘‘कैसे हुआ रक्ताभ?’’ सिंदूरी ने पूछा.

‘‘पता नहीं,’’ रक्ताभ ने जवाब दिया.

‘‘कहीं ऐसा तो नहीं कि फोन आने पर रामू अंकल ने रुधिर के पापा को रुधिर के वहां होने की खबर दे दी हो और राज खुलने के डर से घरवालों की नजरों में गिरने से बचने के लिए फार्महाउस पर रखी हुई रिवौल्वर से खुद को शूट कर लिया हो,’’ रक्ताभ चिंतित होते हुए बोला.

ये भी पढ़ें- Social Story In Hindi: मैं थी, मैं हूं, मैं रहूंगी- विधवा रितुल की कैसे बदली जिंदगी

‘‘एक बार पुलिस के हत्थे चढ़ना मतलब आगे की जिंदगी को परेशानियों में डालना,’’ लालिमा भी उसी तरह चिंतित होते हुए बोली.

‘‘अब क्या करें?’’ सिंदूरी ने पूछा.

‘‘मेरे विचार से हमें आगे हो कर पुलिस को सूचना देनी चाहिए. इस से पुलिस हमारी बात सुनेगी भी और विश्वास करेगी भी. हमारी बातों की सचाई जानने के लिए वह सिम बेचने वाले शौपकीपर के पास भी जा सकती है जो हमारी बा?तों को सच साबित करेगा. बाद में तो हमारी बात कोई ठीक से सुनेगा भी नहीं,’’ रक्ताभ ने कहा.

‘‘हां, यह ठीक रहेगा,’’ लालिमा ने भी समर्थन किया.

‘‘जैसा तुम को उचित लगे,’’ सिंदूरी घबराए हुए निराश स्वर में बोली.

‘‘रुधिर के पिताजी के जाने के बाद अंदर चलेंगे ताकि हम अपनी बात अच्छे से रख सकें,’’ रक्ताभ ने सुझाया.

‘‘हां, यह ठीक रहेगा. अभी उन्हें अपने बेटे की मौत का गम और गुस्सा दोनों होगा. पता नहीं हमारे साथ क्या कर बैठें,’’ लालिमा बोली.

‘‘ठीक है, हम उन के जाने के बाद अंदर चलेंगे,’’ रक्ताभ ने समर्थन किया. लगभग 15 मिनट के बाद रुधिर के पिताजी बाहर आ गए.

‘‘सर, हम एक घटना की सूचना देने आए हैं,’’ रक्ताभ, लालिमा और सिंदूरी थाना इंचार्ज के सामने खड़े हो कर कह रहे थे.

‘‘पहले आराम से बैठो. घबराओ मत और बताओ किस घटना की सूचना देना चाहते हो,’’ थाना इंचार्ज ने तीनों को बैठने का इशारा करते हुए कहा.

‘‘सर, हमारे मित्र रुधिर ने आत्महत्या कर ली है,’’ रक्ताभ ने साहस बटोर कर कहा.

‘‘क्या कहा रुधिर? सेठ शांतिलाल का बेटा?’’ थाना इंचार्ज ने प्रश्न किया.

‘‘जी हां, वही,’’ सिंदूरी ने कहा.

‘‘परंतु सेठ शांतिलाल ने तो रिपोर्ट लिखवाई है कि उन का बेटा रुधिर आज सुबह से उन की रिवौल्वर के साथ गायब है,’’ थाना इंचार्ज ने कहा.

‘‘नहीं सर, आज सुबह से नहीं, रुधिर तो कल से ही गायब है,’’ कहते हुए रक्ताभ ने रुधिर के अपहरण की पूरी कहानी बयान कर दी.

‘‘ओह, तो ऐसा है,’’ थाना इंचार्ज ने कहा. ‘‘तुम्हारे अलावा इस योजना के बारे में और कौनकौन जानता था.’’

‘‘कोई भी नहीं. अगर फार्महाउस जाने के बाद रुधिर ने रामू अंकल को यह बात बताई हो, तो पता नहीं,’’ रक्ताभ बोला.

‘‘एक बात और समझ में नहीं आई. तुम्हारे हिसाब से अपहरण कल सुबह ही हो गया था. और तुम ने इस विषय में शांतिलाल को फोन भी कर दिया था. लेकिन उस ने तुम्हारे फोन को तवज्जुह नहीं दी?’’ पुलिस अफसर ने रक्ताभ से पूछा.

‘‘यस सर,’’ रक्ताभ ने सहमति दी.

‘‘इस का मतलब तो एक ही निकलता है कि जिस समय तुम ने फोन किया उस समय तक रुधिर वापस घर पहुंच चुका था. तुम्हारा प्लान फेल हो चुका था. शायद इसी शर्मिंदगी में रुधिर ने सुबह वापस फार्महाउस जा कर आत्महत्या कर ली,’’ पुलिस अफसर ने अनुमान लगाया.

‘‘हो सकता है. परंतु रुधिर को कम से कम हमें सूचित तो करना चाहिए था,’’ रक्ताभ कुछ सहमते हुए बोला.

‘‘नहीं, ऐसा नहीं हो सकता. मुझे पूरा विश्वास है रुधिर के साथ कुछ गलत जरूर हुआ है.’’ सिंदूरी रुधिर पर विश्वास जताते हुए बोली.

‘‘पहले घटनास्थल पर जा कर मौके का मुआयना करते हैं. शायद कुछ निकल कर आए. आप तीनों को भी साथ चलना पड़ेगा,’’ थाना इंचार्ज ने कहा.

तीनों पुलिस वालों के साथ फार्महाउस पहुंच गए.

‘‘आप डेडबौडी की स्टडी कीजिए और अपने थौट्स के बारे में मुझे बताइए,’’ पुलिस अफसर ने फोरैंसिक ऐक्सपर्ट को निर्देश दिए.

‘‘सर, यह सुसाइड का केस है ही नहीं, यह तो सीधेसीधे मर्डर का केस है,’’ अपनी प्रारंभिक जांच के बाद ऐक्सपर्ट ने कहा.

‘‘क्या?’’ सभी आश्चर्य से बोल पड़े.

‘‘आप कैसे कह सकते हैं कि यह मर्डर है?’’ इंस्पैक्टर ने पूछा.

‘‘क्योंकि रिवौल्वर पर जिस प्रैशर से फिंगरप्रिंट बनने चाहिए थे उतने प्रैशर से फिंगरप्रिंट बने नहीं हैं. दूसरा, रिवौल्वर चलने के बाद गन पाउडर का कुछ अंश चलाने वाले की कलाइयों पर आ जाता है जो नहीं है. ऐसा लगता है गहरी नींद में सोते हुए रुधिर पर किसी ने बहुत पास से दिल पर गोली मारी है और आत्महत्या दर्शाने के लिए रिवौल्वर हाथ में पकड़ा दी है. इसी कारण रिवौल्वर पर फिंगर एक्सप्रैशन प्रौपर नहीं आ पाए हैं,’’ एक्सपर्ट ने अपनी राय दी.

‘‘ओह, यह तो केस का डायरैक्शन ही चेंज हो गया. मतलब इस केस के बारे में और किसी को भी मालूम था. और उस ने फिरौती न मिलने की दशा में रुधिर को मार डाला. दूसरा एंगल यह है कि चौकीदार रामू ही रुधिर का कातिल हो सकता है. क्योंकि कायदे से तो सब से पहले सूचना उसी को देनी चाहिए थी मगर वह घटना के बाद से ही फरार है,’’ इंस्पैक्टर ने अपना शक जाहिर करते हुए कहा.

ये भी पढें- Social Story In Hindi: देवकन्या – राधिका मैडम का क्या था प्लान

‘‘किंतु सर, रामू अंकल तो अनपढ़ हैं उन्हें तो लैंडलाइन से फोन करना तक नहीं आता. वे गोली इतनी सही नहीं चला सकते,’’ सिंदूरी ने कहा क्योंकि वह 2-3 बार रुधिर के साथ फार्महाउस आ चुकी थी.

‘‘तीसरा एंगल यह बनता है कि तुम तीनों में से ही किसी ने उस की हत्या की हो और पुलिस की जांच को भटकाने के लिए खुद पहले आ कर शिकायत कर दी ताकि तुम पर शक न हो,’’ इंस्पैक्टर तीनों पर पैनी नजर डालता हुआ बोला, ‘‘पुलिस तुम तीनों को अरैस्ट करती है.’’

‘‘सर, हम ने तो कुछ किया ही नहीं. हमें घर जाने दीजिए, प्लीज सर,’’ घबराते हुए लालिमा बोली.

‘‘जांच पूरी होने तक थाने का लौकअप ही तुम्हारा घर रहेगा. कौंस्टेबल, सेठ शांतिलाल को फोन कर के यही बुलवा लो. बता दो उन की रिवौल्वर मिल गई है,’’ इंस्पैक्टर ने आदेश दिया.

‘‘यस सर,’’ कौंस्टेबल बोला.

आगे पढ़ें- शांतिलाल अपनी कार से वहां पहुंच गए.

ये भी पढ़ें- गली आगे मुड़ती है : क्या विवाह के प्रति उन का नजरिया बदल सका

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें