अजय देवगन की फिल्म ‘भुजः द प्राइड आफ इंडिया’ का दूसरा ट्रेलर रिलीज, देखें यहां

अभिषेक दुधैया निर्देशित तथा अजय देवगन,संजय दत्त,सोनाक्षी सिन्हा और नोरा फतेही की  ऐतिहासिक सत्य घटनाक्रम पर आधारित फिल्म ‘भुजः द प्राइड ऑफ इंडिया‘ का दूसरा ट्रेलर मंगलवार को जारी होते ही वायरल हो गया.  यह फिल्म 13 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के सप्ताह में हॉट स्टार डिजनी पर स्ट्रीम होगी. फिल्म का दूसरा ट्रेलर देखकर लोगों के मन में देशभक्ति की भावना जागेगी.

फिल्म के निर्देशक अभिषेक दुधैया ने इस फिल्म को भव्य स्तर पर फिल्माया है. जिसकी झलक ट्रेलर  में भी नजर आती है. ट्रेलर में दिखाया गया है कि कैसे भारत ने पाकिस्तान के हमले के खिलाफ जवाबी कार्रवाई की. वीडियो की शुरुआत पाकिस्तानी वायु सेना द्वारा भुज पर हमला करने के साथ होती है, जिसमें वॉयसओवर हमलावरों को निर्देश देते हुए कहता है-‘‘कच्छ से घुसो. भुज एअरबेस पर हमला करो. जितना ज्यादा से ज्यादा इलाका अपने कब्जे मे ले सकते हो,ले लो. उसके बाद हम दिल्ली में श्रीमती गांधी के साथ एक कप चाय साझा करेंगे।‘‘कुछ दृश्योें के बीच सुनाई देता है-‘‘हम उठे. हमने बलिदान किया. हमने जवाबी कार्रवाई की. ‘‘

फिर   इस ट्रेलर  में अजय देवगन का संवाद है-‘‘हम उस महा छत्रपति शिवाजी की औलाद हैं, जिन्होंने मुगलों को घुटनों र ला दिया था और अपने खून से हिदुस्तान का इतिहास लिखा था. ‘‘

ये भी पढ़ें- Akshay Kumar की Bell Bottom में इंदिरा गांधी बनीं लारा दत्ता, पहचान नहीं पा रहे फैंस

सोशल मीडिया पर इस वीडियो को साझा करते हुए अजय देवगन ने लिखा, ‘‘असहनीय बाधाओं का सामना करते हुए, हमारे नायकों ने हमें जीत की ओर अग्रसर किया.‘‘

इस ट्रेलर  में युद्ध के मैदान और जमीन पर हमारे सैनिकों द्वारा प्रदर्शित बहादुरी का नजारा भी दिखायी देता है. ट्रेलर में अजय देवगन (आईएएफ अधिकारी विजय कुमार कार्णिक), संजय दत्त (रणछोड़दास पागी), सोनाक्षी सिन्हा (सुंदरबेन जेठा), अम्मी विर्क ( विक्रम सिंह बाज जेठाज) और शरद केलकर (आरके नायर)भी नजर आते हैं.

ट्रेलर  में अजय देवगन का ट्क चलाते हुए एक्शन दृश्य का हिस्सा नजर आता है. इस एक्शन दृश्य को खतरनाक बताते हुए सह लेखक व निर्देशक अभिषेक दुधैया कह चुके हैं-‘‘फिल्म में एक खतरनाक एक्शन दृश्य है,जिसमें अजय देवगन ट्क चला रहे हैं,सामने से दूसरा ट्क आ जाता है,तो उससे बचने के लिए 360 डिग्री घूमकर फिर से उसी रोड पर उसी दिशा में सड़क पर जाना था. इसे अजय देवगन ने बड़ी बहादुरी से अंजाम दिया. जब अजय सर ने इस स्टंट को अंजाम दिया,तो सीट के साथ जो बेल्ट होती है,वह टूट गयी. फिर भी अजय देवगन रूके नहीं,ट्क को घुमाकर सही दिशा में लेकर आ गए. उस वक्त सभी ने फिंगर क्रास कर लिया था कि यह दृश्य सही सलामत सही ढंग से हो जाए. ’’

वैसे लगभग पंद्रह दिन पहले जब फिल्म‘‘भुज द प्राइड आफ इंडिया’’का पहला ट्रेलर जारी हुआ था,तब उसमें भी अजय देवगन की दमदार आवाज में कुछ धमाकेदार संवाद सुनने को मिले हैं.  फैंस इन संवादों के ही चलते इस फिल्म को लेकर काफी उत्साहित हैं. .

ये भी पढ़ें- 20 लाख का लोन चुकाने के लिए अनुपमा बेचेगी गहने तो पाखी को सबक सिखाएंगे बापूजी

सत्य घटना पर आधारित है फिल्म

फिल्म की कहानी 1971 के भारत पाक युद्ध के समय गुजरात के भुज एअरबेस पर घटी सत्य ऐतिहासिक घटनाक्रम पर है,जिसे निर्देशक व सह लेखक अभिषेक दुधैया की नानी मां लक्ष्मी परमार ने उन्हे सुनायी थी. जीहॉ! 1971 के भारत पाकिस्तान युद्ध के वक्त गुजरात के भुज हवाई अड्डे के एअरबेस को पाकिस्तानी वायुसेना ने बमबारी से ध्वस्त कर दिया था. तब भुज हवाई अड्डे के तत्कालीन प्रभारी आईएएफ स्क्वाड्रन लीडर विजय कर्णिक और उनकी टीम ने मधापर व उसके आसपास के गांव की 300 महिलाओं की मदद से वायुसेना के एयरबेस का पुनः निर्माण किया था. उसी सत्य ऐतिहासिक घटनाक्रम पर औरतोे के शौर्य के साथ स्क्वाड्न लीडर विजय कार्णिक के शौर्य पर लेखक व निर्देशक अभिषेक दुधैया ने एक बड़े बजट की एक्शन फिल्म ‘‘भुजः द प्राइड आफ इंडिया’’बनायी है. एअरबेस का निर्माण करने वाली इन तीन सौ औरतों में अभिषेक दुधैया की नानी मॉं लक्ष्मी परमार भी थी.

Akshay Kumar की Bell Bottom में इंदिरा गांधी बनीं लारा दत्ता, पहचान नहीं पा रहे फैंस

बीते दिन बॉलीवुड एक्टर अक्षय कुमार की मल्टी स्टारर अपकमिंग फिल्म ‘बेल बॉटम’ का ट्रेलर लौंच हुआ है, जो फैंस को काफी पसंद आ रहा है. वहीं इस फिल्म से जुड़े एक्टर्स सोशलमीडिया पर ट्रैंड कर रहे हैं. इसी बीच एक्ट्रेस लारा दत्ता का फिल्म ‘बेल बॉटम’ में किरदार सुर्खियां बटोर रहा है, जिसे देखकर फैंस उन्हें पहचान भी नही पा रहे हैं. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर….

ट्रेलर में दिखी लारा दत्ता की झलक

‘बेल बॉटम’ के ट्रेलर में दिखी लारा दत्ता की झलक फैंस को काफी पसंद आ रही हैं. दरअसल, बेल बॉटम में लारा दत्ता पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के लुक में नज़र आ रही हैं, जिसमें उनका लुक और मेकअप ट्रांसफोर्मेशन फैंस के बीच छा गया है. सोशलमीडिया पर उनके इस लुक को फैंस की काफी तारीफें मिल रही हैं.

ये भी पढ़ें- 20 लाख का लोन चुकाने के लिए अनुपमा बेचेगी गहने तो पाखी को सबक सिखाएंगे बापूजी

फैंस ने की तारीफ

 

View this post on Instagram

 

A post shared by muvyz.com (@muvyz)

हूबहू इंदिरा गांधी के अंदाज में लारा दत्ता काले बालों और उनके लुक में नजर आ रही हैं. वहीं कुछ फैंस मेकअप आर्टिस्ट को नेशनल अवौर्ड देने की बात कहते नजर आ रहे हैं. सोशलमीडिया पर लोग उनकी फिल्म में फोटो को ट्रैंड करते नजर आ रहे हैं.

बता दें, बेल बॉटम एक्टर अक्षय कुमार की एक्शन-ड्रामा फिल्म है, इसकी कहानी एक रहस्यमय प्लेन हाइजैक की है, जिसमें अक्षय कुमार के अलावा एक्ट्रेस वाणी कपूर, हुमा कुरैशी, लारा दत्ता, जैकी भगनानी लीड रोल में नजर आने वाले हैं. वहीं कहा जा रहा है कि ये फिल्म 3डी में भी रिलीज की जाएगी. दरअसल, कोरोना में ये पहली मल्टी स्टारर बिग बजट फिल्म होगी, जो रिलीज होगी.

ये भी पढ़ें- GHKKPM: 1 साल बाद हुई सम्राट की वापसी, क्या हमेशा के लिए अलग हो जाएंगे विराट और सई?

जानें जैकलीन फर्नांडिस ने रचा कौनसा नया इतिहास, पढ़ें खबर

पिछले कुछ समय से इस बात की चर्चाएं काफी गर्म रही हैं कि बॉलीवुड अदाकारा पहली बार किच्चा सुदीप संग कन्नड़ भाषा की थ्री डी फिल्म ‘‘विक्रांत रोणा’’में अभिनय कर रही हैं. वैसे यह फिल्म 14 भाषाओं में 55 देशों में 19 अगस्त 2021 को प्रदर्शित होने वाली है. अनूप भंडारी लिखित व निर्देशित फिल्म ‘‘विक्रांत रोणा’’के निर्माताओं जैकलीन फर्नाडिश का इस फिल्म में लुक जग जाहिर कर दिया है. इस फिल्म में जैकलीन फर्नाडिश ने किच्चा सुदीप संग कैमियो किया है और उनका किरदार काफी रोचक है. मजेदार बात यह है कि निर्माताओें ने जैकलीन के लुक वाला फिल्म‘‘विक्रांत रोणा का पोस्टर पूरे मंुबई में लगाए हैं।इन होर्डिंग से यह बात भी उजागर होती है कि इस फिल्म में जैकलीन फर्नाडिश के किरदार का नाम रकील डी‘कोस्टा उर्फ गडंग रक्कम्मा है।

जैकलीन फर्नाडिश के इस लुक में कई जातियों का मेल है. वह ‘गडंग रक्कम्मा‘ का किरदार निभाती हुई नजर आएंगी, जो एक काल्पनिक जगह पर  मधुशाला चलाती हैं. जहां विक्रांत रोणा(किच्चा सुदीप) उससे मिलता है. इस फिल्म में जैकलीन का सिर्फ अहम किरदार ही नहीं है, बल्कि किच्चा सुदीप के साथ थिरकते हुए भी नजर आने वाली हैं.

ये भी पढ़ें- Pandya Store: धरा के कारण कुएं में कूदेगी सास, लेगी अपनी जान!

फिल्म‘‘विक्रांत रोणा’’ के निर्माता जैक मंजूनाथ कहते हैं-‘‘हमारी इस फिल्म में जैकलीन फर्नाडिश की एंट्री के साथ दुनिया के नए हीरो की कहानी और भी रोमांचक हो जाती है. फिल्म में जैकलीन ने कमाल की छाप छोड़ी है और उसकी एक झलक साझा करते हुए हमें बेहद खुशी हो रही है. हम एक ऐसा सिनेमा बना रहे हैं,  जिसे पीढ़ी दर पीढ़ी याद रखेगी.  फिल्म के प्रति लोगों की उत्सुकता देखकर हमें बेहद खुशी हो रही है. ‘‘

निर्देशक अनूप भंडारी कहते हैं-‘‘प्रत्येक घोषणा के साथ दर्शकों को आश्चर्य चकित करने के सिलसिले को बरकरार रखने में हमें मजा आ रहा है. जैकलीन के पोस्टर की घोषणा फिल्म के स्तर को एक बार फिर से दर्शाती है. हम दर्शकों की आशाओं पर खरे उतरने की पूरी कोशिश कर रहे हैं ताकि उनका थिएटर में अपना कीमती समय देकर देखना सफल हो. ‘‘


जबकि जैकलीन फर्नाडिश कहती हैं-‘‘फिल्म से जुड़ी पूरी टीम ने मेरा सेट पर गर्मजोशी के साथ स्वागत किया. फिल्म के मेकिंग से जुड़े हर क्षण मेरे लिए रोमांचकारी रहे हैं. मैं निर्माताओं की तहे दिल से शुक्रगुजार हूं कि उन्होंने उन्होंने इतने भव्य रूप से पोस्टर का अन्वेषण किया. यह फिल्म मेरी लिए बहुत ही खास और यादगार रहेगी. ‘‘

बहुभाषी एक्शन एडवेंचरस फिल्म ‘‘विक्रांत रोणा’’के लेखक व निर्देशक अनूप भंडारी, निर्माता जैक मंजुनाथ और शालिनी मंजूनाथ ( शालिनी आर्ट्स), सह निर्माता  अलंकार पांडियन (इन्वेनियो फिल्म्स),  संगीतकार बी अजनीश लोकनाथ,  कैमरामैन विलियम डेविड और शिवकुमार हैं. फिल्म ‘विक्रांत रोणा’में किच्चा सुदीप,  निरूप भंडारी और नीता अशोक और जैकलीन फर्नांडीस की अहम भूमिकाएं हैं.

ये भी पढ़ें- अनुपमा की शक्ल देखने से इंकार करेगी पाखी, क्या पूरा हो जाएगा काव्या का प्लान

REVIEW: एक मार्मिक व साहसी Short फिल्म ‘ट्रांजिस्टर’

रेटिंगः तीन स्टार

निर्माताः विनय बरिगिदाद, विनुता बरिगिदाद और धीरज जिंदल

लेखक व निर्देशकः प्रेम सिंह

कलाकारः अहसास चानना,  मोहम्मद समद, अलका विवेक,  अजय प्रताप सिंह, संजीव भट्टाचार्य व अन्य

अवधिः 25 मिनट

ओटीटी प्लेटफार्मः अमेजॉन मिनी टीवी

1975 से 1977 के बीच जब पूरे देश में राष्ट्रीय आपातकाल लगा हुआ था, उसी दौर में सरकार के आदेश पर जनसंख्या वृद्धि पर रोक लगाने के लिए नसबंदी मुहीम लागू हुई थी. जिसके चलते उस दौर में लगभग छह करोड़ से अधिक 14 से 70 वर्ष के पुरूषों की नसबंदी कर दी गयी थी. उसी पृष्ठभूमि में फिल्मकार प्रेम सिंह एक किशोर वय के लड़के व लड़की की प्रेम कहानी को लघु फिल्म‘‘ट्रांजिस्टर’’में लेकर आए हैं. कैसे राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा और एक ट्रांजिस्टर ने उनके रिश्ते में सब कुछ बदल दिया था. इस लघु फिल्म को तीस जुलाई से ‘‘अमेजॉन मिनी टीवी’पर देखा जा सकता है.

ये भी पढ़ें- Shinchan बनीं पाखी तो भवानी ने ऐसे किया बुरा हाल, वीडियो वायरल

कहानीः

यह कहानी 1975 की पृष् ठभूमि में ग्रामीण भारत की है. जब पूरे देश में पुरूषों की जबरन नसबंदी की जा रही थी. एक गांव की किशोर वय लड़की उमा (अहसास चानना) अपने ट्रांजिस्टर के साथ बकरी चराने खेतों में आती है. वह एक पेड़ के नीचे बैठकर ट्रांजिस्टर पर जयामाला कार्यक्रम में पेश किए जाने वाले गीत सुना करती थी. नदी पार के गांव से एक किशोर वय लड़का पवन (मोहम्मद समद) नाव से नदी पारकर दूसरे पेड़ की ओट से उमा को देखता रहता है. उमा को भी इस बात का अहसास है. पवन बड़ी बेशर्मी से एक पेड़ के पीछे छिप जाता है,  लेकिन उसके लिए उसकी निगाहों को महसूस करने के लिए बस इतना ही काफी है. उमा एक पेड़ के नीचे बैठती है, जबकि उसका रेडियो उसे नवीनतम हिंदी फिल्मी गीतों से रूबरू कराता है.  यह उनकी दिनचर्या है. एक दिन उमा के पिता को बाजार में पकड़ कर उनकी जबरन नसबंदी करके उन्हे उपहार में ट्रांजिस्टर दिया जाता है. यह बात पवन भी जान जाता है. अब उमा के माता पिता उमा की शादी में दहेज में वही ट्रांजिस्टर देने का फैसला करते हैं. पवन व उमा हर दिन एक ही जगह आते हैं, एक दूसरे को देखते हैं, पर मन ही मन प्यार करने लगते हैं, मगर करीब नही आते. एक दिन पवन उसी पेड़ के उपर चढ़कर बैठ जाता है, जिसके नीचे उमा आकर बैठती है और पेड़ की डाली टूटने से डाली के साथ पवन भी ट्रांजिस्टर के उपर गिरता है, जिससे ट्रांजिस्टर टूट जाता है. इससे उमा को दुख होता है. पवन अपनी जबरन नसबंदी कराकर उमा को ट्रांजिस्टर लाकर देता है. ट्रांजिस्टर पाकर उमा खुश हो जाती है. दोनो पास बैठकर बातें करते हैं. दूसरे दिन उमा, पवन से पूछती है कि वह ट्रांजिस्टर कहां से लाया. पवन की खामोशी से उमा को जवाब मिल जाता है. और फिर उमा की शादी दूसरे युवक से कर दी जाती है, जिससे उसका परिवार व वंश बढ़ सके. अब पवन क्या करेगा, यह तो फिल्म देखने पर पता चलेगा.

लेखन व निर्देशनः

फिल्मकार प्रेम सिंह अपनी इस लघु फिल्म को उस वक्त लेकर आए हैं, जब उत्तर प्रदेश सरकार जनसंख्या नियंत्रण के लिए कानून बनाने जा रही है. फिल्मकार ने किशोर वय की प्रेम कहानी के माध्यम से नसबंदी और जनसंख्या नियंत्रण कानून पर कटाक्ष करते हुए जोरदार तमाचा जड़ा है. फिल्मकार ने आशा,  प्रेम,  भय,  खुशी और सहित इंसान की हर भावनाओं का सटीक निरूपण किया है. इतना ही नही फिल्मसर्जक ने प्रजनन क्षमता व नसबंदी इन दोहरे विषयों को मार्मिकता के साथ उठाया है।फिल्मकार ने फिल्म की लंबाइ बढ़ाने की बजाय कई रूपको का उपयोग किया है. फिल्म के मुख्य किरदारो के बीच विना संवाद के मौन प्यार की अभिव्यक्ति को काफी अच्छे ढंग से उकेरा गया है. फिल्मकार ने 1975 के माहौल को भी ठीक से गढ़ने मे सफल रहे हैं. मगर 25 मिनट की इस लघु फिल्म की गति काफी धीमी है. फिल्म में कुछ घटनाक्रम होने चाहिए थे.

अभिनयः   

किशोर वय ग्रामीण लड़की उमा के किरदार को ‘हॉस्टल डेज’ व ‘ गर्ल्स हॉस्टल’ फेम अहसास चानना ने अपने शानदार अभिनय से जीवंतता प्रदान की है. ट्रांजिस्टर के टूटने पर दुख, नया ट्रांजिस्टर मिलने पर खुशी, लेकिन दूसरे युवक से शादी होते समय उसकी आंखो से बहने वाले आंसू हो, हर जगह वह अपने चेहरे के भावो से विना संवाद काफी कुछ बयां कर जाती हैं. तो वहीं बचकानी नम्रता वाले पवन के किरदार में ‘छिछोरे’ व ‘तुम्बाड’ फेम अभिनेता मेाहम्मद समद का अभिनय भी कमाल का है. दोनो कलाकार अपनी बॉडी लैंगवेज के माध्यम से बहुत कुछ कह जाते हैं.

संगीत की बदलती दुनिया के बारें में क्या कहती है सिंगर प्रिया सरैया

सिर्फ 6 साल की उम्र से संगीत की क्षेत्र में कदम रखने वाली गायिका और गीतकार प्रिया सरैया मुंबई की है. उन्होंने गान्धर्व महाविद्यालय से हिन्दुस्तानी क्लासिकल संगीत की ट्रेनिंग ली है. इसके बाद लंदन, ट्रिनिटी कॉलेज ऑफ़ म्यूजिक, मुंबई ब्रांच से वेस्टर्न म्यूजिक का  प्रशिक्षण लिया है.इसके बाद वह कल्यानजी आनंदजी के साथ कई वर्षो तक स्टेज शो की और तालीम ली. काम के दौरान उनकी मुलाकात संगीतकार, गायक जिगर सरैया से हुई और कई साल की परिचय के बाद शादी की और एक बेटे माहित की माँ बनी. उनकी इस जर्नी में उनके ससुर मुकुल सरैया ने काफी सहयोग दिया है. मृदुभाषी और शांत प्रिया सरैया ने संगीत क्षेत्र के बारें में बात की पेश है अंश.

सवाल- संगीत की क्षेत्र में कैसे आना हुआ, किससे आप प्रेरित हुई?

मैने छोटी उम्र से शास्त्रीय संगीत की शिक्षा लेना शुरू किया. आगे बढ़ने पर मेरी मुलाकात संगीतकार पद्मश्री कल्याण-आनंद जी से हुई. उनके साथ रहते हुए मैंने बहुत सारे स्टेज शो किये. उन्होंने ही स्टेज शो का दौर शुरू किया था. इस तरह से मेरा उनके साथ 16 साल का एसोसिएशन स्टेज शो के लिए रहा. आगे कुछ नया करने की सोच ने मुझे गीतकार बना दिया, क्योंकि बचपन से ही मुझे लिखने का शौक था, लेकिन उसे प्रोफेशनल तरीके से नहीं किया था. इसके अलावा कई नामी-गिरामी लोगों से मिलना, आई.पी.आर.एस. में काम करना, जहाँ बड़े-बड़े लेखक और कंपोजर आते है. उनके साथ मिलकर मैंने बहुत सारे काम सीखे और हिंदी सिनेमा में मैंने गीतकार के रूप में भी काम किया.

परिवार में कोई भी संगीत से जुड़े नहीं है, लेकिन संगीत सबको पसंद है. मेरे दादाजी रतिलाल पांचाल बहुत अच्छा गाते थे, प्रोफेशनली कोई जुड़ा नहीं था. मैं परिवार की पहली लड़की हूं ,जिसे संगीत में इतनी उपलब्धि मिली है. कल्याण जी से मेरी मुलाकात स्कूल की एक कम्पटीशन में हुई थी, वहां जज के रूप में वे आये थे और मुझे चुना था. उन्होंने ही मेरे परेंट्स से कहा था कि मुझे संगीत की तालीम देने पर मैं अच्छा कर सकती हूं. मेरे पेरेंट्स ने उनकी बात मानी और आज मैं यहाँ हूं. मेरे पिता जीतेन्द्र पांचाल इंजिनियर है और इंटीरियर डेकोरेटर का काम करते है, माँ हंसा पांचाल हाउसवाइफ है.

ये भी पढ़ें- ‘ये रिश्ता’ फेम Ashish Kapoor ने की प्रौड्यसर राजन शाही की एक्स वाइफ से सगाई, पढ़ें खबर

सवाल- आपके साथ परिवार का सहयोग कितना था?

पूरे परिवार का ही सहयोग रहा है, आज से 25 साल पहले जब मैं स्टेज शो में जाती थी, आज की तरह टीवी रियलिटी शो नहीं थी. संगीत और नृत्य को हॉबी ही माना जाता था, ऐसे में लड़कियों का बाहर जाकर शो करने को लोग अच्छा नहीं मानते थे, कईयों ने यहाँ तक कहा कि बेटी को रात-रात भर आप बाहर क्यों रखते हो? ऐसी कई कमेंट्स पेरेंट्स को सुनने पड़ते थे, पर उन्होंने आगे की बात सोचकर तालीम दी. लड़की और लड़के में कभी फर्क नहीं समझा.

सवाल- जिगर सरैया से मिलना कैसे हुआ?

उनसे मैं फेसबुक के ज़रिये मिली थी. हिंदी फिल्म ‘फालतू’ का काम चल रहा था. उन्होंने फेसबुक के जरिये एक यंग राइटर चाहते थे, क्योंकि फिल्म कॉलेज बेस्ड थी और शब्द यंग बच्चों को ध्यान में रखकर लिखना था. मैं उनसे स्टूडियों में जाकर मिली और काम शुरू किया. वे जो भी धुन बनाते थे, मैं उसमे शब्द भरने का काम डमी में करती थी, जिसे निर्देशक और निर्माता सभी ने पसंद किया. इस तरह से मैंने करीब 20 फिल्मों के शब्द लिखे है.

सवाल- क्या दोनों एक क्षेत्र से होने की वजह से कभी किसी गीत को लेकर मतभेद हुई?

ये सामान्य है और बहुत बार होता है, क्योंकि ये ह्युमन एक्सप्रेशन है. कई बार लड़ाईयां भी होती है, लेकिन जब गाना तैयार होकर आता है और लोग पसंद करते है, तो सब भूल जाते है.

सवाल- आजकल फिल्मों में गाने कम रह गयी है, रियल कहानियों को लोग पसंद कर रहे है,जिसमे गाने कम होते है,ऐसे में प्ले बैक सिंगर की भूमिका हिंदी फिल्मों में कितनी रह जाती है?

फिल्मों में गाने भले ही कम हो, लेकिन इंडिपेंडेंट गानों का क्रेज़ बढ़ा है. सारे सिंगर्स इंडिपेंडेंटली अपनी टैलेंट को दिखा रहे है. सिंगर्स अभी कंपोज करने के अलावा गाने को लिख भी रहे है. कलाकार को बाँध कर नहीं रखा जा सकता.

सवाल- आज अभिनय करने वाले भी गाना गा रहे है और उनके स्वर में किसी प्रकार की कमी को तकनीक के सहारे ठीक कर लिया जाता है, इस बारें में आपकी सोच क्या है?

मेरा मानना है कि पुराने ज़माने में भी अभिनय करने वाले गाया भी करते थे, जिसमें किशोर कुमार, गीता दत्त,नूरजहाँ आदि थे, लेकिन उनकी आवाज अच्छी थी. आज तकनीक से कुछ गानों को ठीक भले ही कर लें, एक समय बाद सिंगर जरुरी है. सारे लोग अपने शौक पूरे कर रहे है और मंच मिलने पर ये करना सही भी है.

सवाल- गीत के बोल पहले जैसे खूबसूरत अब नहीं है, सुर बनाने के बाद उसमें बोल फिट कर दिये जाते है,इसे कैसे आप लेती है?

गानों में कवितायेँ कम हो रही है, इस बात से मैं सहमत हूं और एक लेखक होने की वजह से मैं इसकी महत्व को समझती हूं. इसमें मैं श्रोता जो गानों को सुनती और हिट बनाती है, उनके लिए वे जो सुनना चाहते है, उसे ही वे बनाते है, कविताओं के शौक़ीन लोग इरशाद कामिल और अमिताभ भट्टाचार्या के गाने सुनते है. ये तो चलने वाला है.

सवाल- पहले संगीत के बोल कहानी के आधार पर लिखी जाती रही है, क्योंकि हिंदी फिल्मों में गीत भी कहानी को आगे बढाती है, अब गानों को पहले बनाकर फिल्मों में फिट कर दिया जाता है, क्या इसकी वजह से फिल्मो की कहानी और गानों का तालमेल सही हो पाता है?

पहले साल में 3 से 4 फिल्में बनती थी, अब साल में 250 से 300 फिल्में बनती है. अब प्रोड्यूसर को फटाफट गाने चाहिए, वे रुक नहीं सकते, समय नहीं है. पहले लिरिक्स लिखने वालो को काफी समय शब्दों को लिखने के लिए मिलता था. इससे वे कहानी को सुनकर उसके आधार पर एक फ्रेश कविता संगीतकार को दे पाते थे और गाने अच्छे बनते थे. मैंने तेरे नाल इश्क हो गया, बदलापुर आदि के गाने सिचुएशन के आधार पर लिखे है, कुछ निर्माता, निर्देशक बोल लिखने के लिए आज भी काफी समय देते है.

ये भी पढ़ें- परिवार के लिए राखी दवे के सामने झुकेंगे अनुपमा-वनराज! आएगा नया ट्विस्ट

सवाल- आगे की योजनायें क्या है?

पेंडेमिक ख़त्म होने के बाद खुलकर गानों का लिखना, गाना और शो करने की इच्छा है.

सवाल- नए सिंगर्स के लिए क्या मेसेज देना चाहती है?

रियलिटी शो की वजह से आज के गायकों को मंच मिलता है, लेकिन इसके बाद इंडस्ट्री में कायम रहने के लिए उन्हें आगे बढ़ने की भूख कम दिखाई पड़ती है, क्योंकि सबको काम मिल जाता है. शार्टटर्म प्रसिद्धी के बाद उन्हें उस ताज के ईगो को हटाकर अधिक मेहनत और सीखने की जरुरत होती है, ताकि वे आगे भी अच्छा काम कर सकें.

REVIEW: दिल को छू लेने वाली कहानी है ईशा देओल की ‘एक दुआ’

रेटिंगः साढ़े तीन स्टार

निर्माताः वेंकीस, भारत तख्तानी,  ईशा देओल तख्तानी और अरित्रा दास

निर्देशकः राम कमल मुखर्जी

लेखकः अविनाश मुखर्जी

कलाकारः ईशा देओल, राजवीर अंकुर सिंह, बॉर्बी शर्मा , निक शर्मा व अन्य

अवधिः लगभग एक घंटा

ओटीटी प्लेटफार्मः वूट सेलेक्ट

पुरूष प्रधान भारतीय समाज में आज भी बेटे व बेटी के बीच भेदभाव किया जाता है. अत्याधुनिक युग में भी भ्रूण हत्या की खबरें आती रहती हैं. सरकार इस दिशा में अपने हिसाब से कदम उठा रही है. पर इसके सार्थक परिणाम नही मिल रहे हैं. इसी महत्वपूर्ण मुद्दे पर फिल्म सर्जक राम कमल मुखर्जी और कहानीकार अविनाश मुखर्जी एक फिल्म‘‘एक दुआ’’लेकर आए हैं,  जिसका निर्माण ईशा देओल तख्तानी व उनके पति  तख्तानी ने  किया है. जो कि 26 जुलाई से ओटीटी प्लेटफार्म ‘वूट ’’पर स्ट्रीम हो रही है.

ये भी पढ़ें- विराट से झगड़े के बाद हुआ सई का एक्सीडेंट, देखें वीडियो

कहानीः

फिल्म की कहानी टैक्सी ड्रायवर सुलेमान(राजवीर अंकुर सिंह)के परिवार के इर्द गिर्द घूमती है. सुलमान के परिवार में उनकी मां, पत्नी आबिदा(ईशा देओल तख्तानी),  बेटा फैज(निक शर्मा ) व बेटी दुआ(बार्बी शर्मा )हंै. बेटी दुआ के जन्म से सुलेमान की मॉं खुश नही है और सुलेमान भी अपनी बेटी से कटा कटा सा रहता है. सुलेमान के आर्थिक हालात अच्छे नही है, मगर वह अपने बेटे को स्कूल ख्ुाद छोड़ने जाता है. बेटे के लिए उपहार भी लाता है. सुलेमान बेटी दुआ को पढ़ाना नहीं चाहता. हर जगह उसकी उपेक्षा करता रहता है. लेकिन आबिदा हमेशा अपनी बेटी दुआ का खास ख्याल रखती है. वह बेटी को स्कूल भी भेजती है और बेटेे के साथ ही बेटी को भी बर्फ के गोले भी खिलाती है. ईद आने से पहले वह चुपचाप अपनी बेटी दुआ के लिए उपहार भी खरीद लाती है. जबकि ईद के दिन सुलेमान पूरे परिवार के साथ मस्जिद व दरगाह पर जाता है. सुलेमान ईद के अवसर पर अपनी मॉं के अलावा पत्नी व बेटे को ईदी यानी कि उपहार देता है. मगर वह बेटी दुआ के लिए कुछ नही लाता. यह देख दुआ की आॅंखों से आंसू बहते हैं, पर वह चुप रहती है. लेकिन आबिदा उसे उसकी पंसदीदा फ्राक ईदी यानी कि उपहार में देकर उसके चेहरे पर मुस्कान ले आती है. इस बीच दुआ की दादी सुलेमान से कहती है कि वह दूसरा बेटा पैदा करे. जबकि घर के बदतर आर्थिक हालात को देखते हुए आबिदा ऐसा नही चाहती. मगर मां की इच्छा के लिए सुलेमान पत्नी आबिदा को धोखा देकर उसे गर्भवती कर देता है. दुआ की दादी गभर्वती आबिदा के पेट की सोनोग्राफी के साथ ही लिंग परीक्षण भी करवा देती है, जिससे पता चलता है कि आबिदा बेटी को ही जन्म देने वाली है. अब दुआ की दादी चाहती हैं कि डाक्टर, आबिदा गर्भपात कर दे. मगर डाक्टर ऐसा करने की बजाय सुलेमान व उनकी मॉं को ही फटकार लगाती है. मगर सुलेमान की मां कहां चुप बैठने वाली. वह एक दूसरी औरत की मदद से ऐसा खेल खेलती है कि दूसरी दुआ नहीं आ पाती.

लेखन व निर्देशनः

अविनाश मुखर्जी ने अपनी कहानी में एक ज्वलंत व अत्यावश्क मुद्दे को उठाया है. लेकिन इसे जिस मनोरंजक तरीके से निर्देशक राम कमल मुखर्जी ने फिल्माया है, उसके लिए वह बधाई के पात्र हैं. राम कमल मुखर्जी ने इस फिल्म में लंैगिक समानता, भ्रूण हत्या, नारी स्वतंत्रता व नारी सशक्तिकरण के मुद्दों को बिना किसी तरह की भाषण बाजी या उपेदशात्मक जुमलों के मनोरंजन के साथ प्रभावशली ढंग से उकेरा है. इस फिल्म की सबसे बड़ी खासियत यह है कि कम संवादों के साथ बहुत गहरी बात कही गयी है. इसमें लिंग भेद व ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’की बात इस तरह से कही गयी है कि उन पर यह आरोप नहीं लग सकता कि इसी मुद्दे के लिए फिल्म बनायी गयी. इतना ही राम कमल मुखर्जी ने अपनी पिछली फिल्मों की ही तरह इस फिल्म में भी रिश्तों को उकेरा है.  इसमें मां बेटी के बीच के रिश्ते की गहराई को उकेरा गया है. तो वही फिल्मकार ने बदलते युग में किस तरह से ‘ओला’ व ‘उबर’की एसी वाली गाड़ियों के चलते दशकों से काली पीली टैक्सी वालों के सामने दो वक्त की रोटी का संकट पैदा होता जा रहा है, उसे भी बड़ी खूबसूरती से उकेरा है. एक गरीब मुस्लिम परिवार हो या बाजार या स्कूल के सामने का माहौल या दरगाह व उसके अंदर हो रही कव्वाली हो, फिल्मकार ने हर बारीक से बारीक बात को जीवंतता प्रदान करने में कोई कसर नही छोड़ी है. मगर कहीं न कहीं इसे कम बजट में बनाने का दबाव भी नजर आता है. फिल्म की गति थोड़ी धीमी है. फिर भी हर इंसान को सेाचे पर मजबूर करती है.

ये भी पढ़ें- सौतेली मां काव्या संग फ्लर्ट करते दिखा Anupamaa का बेटा समर, वीडियो वायरल

गीत संगीत पर थोड़ी सी मेहनत की जाती, तो बेहतर होता.

कैमरामैन मोधुरा पालित बधाई की पात्र हं. उन्होने अपने कैमरे से मंुबई शहर को एक नए किरदार में पेश किया है.

अभिनयः

आबिदा के किरदार में ईशा देओल तख्तानी ने शानदार अभिनय किया है. एक बार फिर उन्होने साबित कर दिखाया कि ग्रहस्थ जीवन या दो बेटियों की मां बनने के बावजूद उनकी अभिनय क्षमता में निखार ही आया है. तो वहीं टैक्सी ड्रायवर सुलेमान के किरदार को जीवंतता प्रदान करने में राजवीर कंुवर सिंह सफल रहे हैं. राजवीर,  मां व पत्नी के बीच पिसते युवक के साथ ही आर्थिक हालात से जूझते इंसान के दर्द को बयां करने में सफल रहे हैं. दुआ के किरदार में बॉर्बी शर्मा बरबस  लोगों का ध्यान अपनी तरफ खींचती हैं. वह बिना संवाद के महज अपने चेहरे के भाव व आंखों से ही दर्द, खुशी सब कुछ जितनी खूबसूरती से बयां करती है, वह बिरले बाल कलाकारों के ही वश की बात है. बेटे फैज के किरदार में निक शर्मा ठीक ठाक हैं.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Esha Deol Takhtani (@imeshadeol)

बच्चे के जीवन में पेरेंट्स की भूमिका को लेकर क्या कहती हैं एक्ट्रेस मेघना मलिक, पढ़ें इंटरव्यू

लड़कियों ने अगर कोई सपना किसी क्षेत्र में जाने के लिए देखा है…. तो उनको सिर्फ एक सहारे की जरुरत होती है….उनके माता-पिता, समाज और उनकी कम्युनिटी आगे बढ़ने में रोड़े न अटकाएं………जो पिता अपने बेटियों को रोकेगा नही….. वे आगे अपना रास्ता अवश्य बना लेंगी….लड़कियों में प्रतिभा है…..उन्होंने जो सोचा है, उसे अवश्य कर लेगी. कहना है अभिनेत्री मेघना मलिक का, जिन्होंने एक लम्बी जर्नी एंटरटेनमेंट की दुनिया में तय किया है और अपने काम से संतुष्ट है.

अभिनेत्री मेघना मलिक हरियाणा के सोनीपत की है. धारावाहिक ‘न आना देस लाडो’ में अम्मा की भूमिका से वह चर्चा में आई. मेघना एक थिएटर आर्टिस्ट है. इंग्लिश लिटरेचर में मास्टर डिग्री लेने के बाद मेघना दिल्ली आई और नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा में ग्रेजुएट किया और अभिनय की तरफ मुड़ी. सौम्य और हंसमुख स्वभाव की मेघना हमेशा खुश रहना पसंद करती है. फिल्म साइना में वह साइना की माँ उषा रानी नेहवाल की भूमिका निभाई है, जिनका उद्देश्य बेटी को एक मंजिल तक पहुंचाने की रही और इसके लिए उन्होंने बेटी को भरपूर सहयोग दिया. पेरेंट्स डे के अवसर पर मेघना ने पेरेंट्स की सहयोग का बच्चे की कामयाबी पर असर के बारें में बातचीत की. आइये जाने क्या कहती है, मेघना मलिक अपनी जर्नी और जर्नी के बारें में.

ये भी पढ़ें- विराट से झगड़े के बाद हुआ सई का एक्सीडेंट, देखें वीडियो

सवाल-इस फिल्म में माँ की भूमिका निभाना कितना चुनौतीपूर्ण रहा?

जब मैंने निर्देशक अमोल गुप्ते की स्क्रिप्ट पढ़ी और मेरे किरदार को जाना, तो लगा कि यही एक भूमिका जो मुझे हमेशा से करनी थी और मुझे उसे करने को मिल रहा है. कहानी की पृष्ठभूमि हरियाणा की है. असल में भी साइना नेहवाल भी हरियाणा की है. उनकी बैडमिन्टन खेल ने नयी जेनरेशन को पूरी तरह से प्रभावित किया है. उन्हें देखकर बच्चों में इस खेल के प्रति रूचि बढ़ी है. पहले बैडमिन्टन इतना प्रचलित खेल नहीं था, लेकिन सायना की जीत ने सबको प्रेरित किया है. उषा रानी नेहवाल लाइमलाइट में नहीं थी, पर उन्हें अपनी बेटी की प्रतिभा की जानकारी थी. माता-पिता दोनों ने सायना के सपनों को पूरा किया है. इसके अलावा उषा रानी को सभी जानते है, इसलिए उनकी भूमिका को सही तरह से पर्दे पर लाना मेरे लिए बड़ी चुनौती थी. जब उषा रानी फिल्म को देखे,तो उन्हें लगना चाहिए  कि ये अभिनय वे खुद कर रही है, क्योंकि एक माँ जो बेटी की हर अवस्था में साथ थी, उस चरित्र को मुझे क्रिएट करना था. साइना के पेरेंट्स फिल्म देखकर मुझे फ़ोन पर बताया कि मेरी भूमिका में वे खुद को देख पा रही है. मुझे ये कोम्प्लिमेंट्स बहुत पसंद आया.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Meghna Malik (@imeghnamalik)

सवाल-माँ की भूमिका लड़कियों की परवरिश में कितनी होती है?

मेरी फिल्म देखने के बाद एक आर्मी ऑफिसर ने फ़ोन किया और कहा कि मैं लद्दाख में पोस्टेड हूं, लेकिन मेरा परिवार दिल्ली में रहता है. मेरी पत्नी और बेटी फिल्म देखने के बाद फ़ोन कर बताया कि बच्चे की परवरिश में पत्नी भी मेरा साथ देगी. जबकि पहले वह मना कर रही थी. आपकी फिल्म ने सोच को बदला है.

सवाल-आपने अधिकतर माँ की भूमिका निभाई है, क्या आपने कभी हिरोइन बनने का सपना नहीं देखा?

मैं एक अभिनेत्री हूं, फिर चाहे मुझे माँ, चाची या सांस की भूमिका मिले, चरित्र कैसा है उस पर अधिक फोकस्ड रहती हूं. अगर कोई मुझे हिरोइन बना देगा, तो वह भी बन जाउंगी.(हंसती हुई) ये सामने वाले की सोच है, मेरी नहीं.

सवाल-आपने एक लम्बी जर्नी तय की है, कितने खुश है?

बचपन से अभिनय का शौक था, लेकिन वहां थिएटर नहीं था, कोई गाइड करने वाला भी नहीं था. मेरी माँ डॉ. कमलेश मलिक जो एक अध्यापिका थी अब रिटायर्ड हो चुकी है. एक लेखिका और कवयित्री है. वह मेरे लिए मोनो एक्ट लिखती थी और मैं उसे करती थी. फिर उसे मैं स्कूल में करती थी. उन्होंने मेरी प्रतिभा को पहचाना और बहुत सहयोग दिया. मैं केवल 4 साल की अवस्था में मंच तक पहुँच चुकी थी, जिसमें नाटक, मोनोएक्टिंग आदि करने लगी और अभिनय से जुड़ गयी. इसके अलावा स्कूल, कॉलेज में भी मैंने हमेशा मंच पर कुछ न कुछ किया है. जर्नी वही से शुरू किया. मुझे जो स्क्रिप्ट पसंद आती है, उसमें किसी भी चरित्र में मैं काम कर सकती हूं. कई बार चुनौती तो कई बार पैसे के लिए भी काम करना पड़ता है, जो मुंबई में रहने के लिए बहुत जरुरी है.

ये भी पढ़ें- सौतेली मां काव्या संग फ्लर्ट करते दिखा Anupamaa का बेटा समर, वीडियो वायरल

सवाल-पेरेंट्स की कौन सी बात जीवन में उतारना चाहती है?

मेरी माँ की स्प्रिट बहुत अच्छी है. क्लब जाना, मेंबर बनना, लिखना आदि सब करती है. इसके अलावा खाना बनाना, हम दोनों बहनों को पढ़ाना, संस्कृत में पी एच डी करना सब साथ-साथ करती रही. मैंने उन्हें कभी थकते हुए नहीं देख. मुझे उनसे ऐसी स्प्रिट और आत्मविश्वास को अपने जीवन में लाना चाहती हूं. मेरे पिता भी हमेशा चाहते थे कि हम दोनों वित्तीय रूप से आत्मनिर्भर हो. कर्म को ही उन्होंने धर्म बताया है.

सवाल-कुछ पेरेंट्स अपनी इच्छाओं को बच्चों पर थोपते है, उनके लिए आप क्या कहना चाहती है?

बच्चों पर कभी भी पेरेंट्स को अपनी इच्छाओं को थोपना नहीं चाहिए, इससे बच्चे को किसी भी चीज में मन नहीं लगता. केवल डॉक्टर और इंजिनियर बनना ये पुरानी बात हो चुकी है. बच्चे की रूचि के हिसाब से जाने दे, इससे उसकी रूचि के बारें में पता लग सकेगा और उसकी ग्रोथ भी अच्छी होगी. अपने सपने में बच्चों को ढूढने के वजाय, उन्हें सपनों को देखने दें और थोड़ी सहयोग दे. पैरेंट्स की भूमिका इतनी ही होनी चाहिए. इससे बच्चे का भविष्य अच्छा होता है.

REVIEW: जानें कैसी हैं शिल्पा शेट्टी और परेश रावल की ‘Hungama 2’

रेटिंगः एक स्टार

निर्माताः वीनस वल्र्डवाइड इंटरटेनमेंट

निर्देशकः प्रियदर्शन

कलाकारः परेश रावल, शिल्पा शेट्टी, आशुतोष राणा, मिजान जाफरी,  प्रणिता सुभाष, टीकू टलसानिया, जॉनी लीवर, राजपाल यादव, मनोज जोशी व अन्य.

अवधिः दो घंटे 36 मिनट

ओटीटी प्लेटफार्मः हॉट स्टार डिजनी

मशहूर फिल्मसर्जक प्रियदर्शन हमेशा अपनी सफल मलयालम फिल्मों का ही हिंदी रीमेक बनाते रहे हैं. इस बार वह अपनी 1994 की सफल मलयालम हास्य फिल्म ‘‘मिन्नारम’’का हिंदी रीमेक ‘‘हंगामा 2’’लेकर आए हैं, जिसे 2003 की उनकी सफलतम हिंदी फिल्म ‘हंगामा’का सिक्वअल बताया जा रहा है. दो घंटे 36 मिनट लंबी हास्य फिल्म ‘हंगामा 2’’देखकर हंसी आती ही नही है.

ये भी पढ़ें- क्या ‘दयाबेन’ के बाद ‘बबीता जी’ छोड़ेंगी ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’? पढ़ें खबर

कहानीः

कहानी के केंद्र में दो परिवार हैं. एक परिवार वकील राधे तिवारी(  परेश रावल)  और उनकी पत्नी अंजली( शिल्पा शेट्टी) का है. और दूसरा परिवार तिहाड़ जेल में सुपरीटेंडेंट रहे कपूर(  आशुतोष राणा )  का है. कपूर के परिवार में उनके दो बेटे अमन(रमन त्रिखा )  और आकाश(मिजान जाफरी) तथा एक बेटी है. अमन की पत्नी श्वेता(नायरा शाह) हैं. अमन के तीन बेटे व एक बेटी छोटे है और वह अपने दादाजी कपूर के साथ ही रहते हैं. कपूर के घर मे रसोइया नंदन(टीकू टलसानिया) है. अमन व श्वेता विदेश में रहते हैं. अमन व श्वेता के बीच तलाक होते होते बचा है. इधर कपूर ने अपने दूसरे बेटे आकाश का विवाह अपने मित्र बजाज(मनोज जोशी )  की बेटी सिमरन के साथ तय कर दी है. अमन की जिंदगी व कैरियर को सुधारने के लिए कपूर अपने मित्र बजाज से दस करोड़ रूपए उधार भी मागते हैं. आकाश व सिमरन की सगाई होने से पहले ही एक दिन वाणी(प्रणिता सुभाष )  एक छोटी बच्ची गहना के साथ कपूर के घर पहुंचती है और दावा करती है कि वह आकाश की पत्नी तथा गहना आकाश की बेटी है. आकाश यह स्वीकार करता है कि  कालेज में वह वाणी से प्यार करता था. उनके इस प्यार कीक हानी से कालेज कैंटीन का मैनेजर पोपट (राजपाल यादव ) वाकिफ है. मगर उसने वाणी से शादी नही की है. वाणी धमकी देती है कि न्याय न मिलने पर वह कपूर के घर के बाहर बैठकर धरना देगी. मामले को सुलझाने तक कपूर, वाणी को अपने घर में रहने के लिए कह देते हैं और सच का पता लगाना शुरू करते हैं. इस बीच वह वाणी का सच बजाज से भी छिपाने की कोशिश करते रहते हैं. आकाश इस मुसीबत से बचने के लिए अंजली की मदद लेता है. कपूर, अंजली से कह देते हैं कि यह बात राधे तिवारी को भी पता न चले. राधे छिपकर अंजली व आकाश की बातें सुनकर अंदाजा लगाता है कि उसकी पत्नी अंजली, आकाश के बेटे क मां बनने वाली है.  अब राधे, आकाश  की हत्या करना चाहता है. उधर आकाश अपने तरीके से वाणी से छुटकारा पाना चाहता है. . पर हर बार असफलता ही हाथ लगती है.

लेखन व निर्देशनः

इस फिल्म की सबसे बड़ी कमजोर कड़ी इसके पटकथा लेखक युनुस सजावल और निर्देशक प्रियदर्शन हैं. इसके अलावा कई किरदारों में कलाकारों का गलत चयन भी कमजोर कड़ी है. इसका अहसास इसी बात से लगाया जा सकता है कि मलयालम फिल्म में जिस किरदार को मोहनलाल ने निभाया था, उसी किरदार में यहां मिजान हैं. निर्देशक प्रियदर्शन  इस बात को भूल गए कि मलयालम भाषी और हिंदी भाषी दर्शकों की रूचि अलग है. हिंदी रीमेक करते समय कुछ बदलाव करने चाहिए थे, प्रियदर्शन अतीत में अपनी हर फिल्म के साथ ऐसा करते रहे हैं. मगर इस बार प्रियदर्शन ने अपनी मलयालम फिल्म ‘मिन्नारम’’का हिंदी रीेमेक करते समय सीन दर सीन फिल्मा डाला. मगर मलयालम फिल्म के इमोशनल कर देने वाले क्लायमेक्स को हिंदी में बदलकर फिल्म का बंटाधार कर दिया. इतना ही नही संवाद लेखक ने मलयालम फिल्म के संवादों का शब्दशः हिंदी में अनुवाद कर डाला. इससे ह्यूमर खत्म हो गया. कुछ संवाद अति घटिया व पुराने हैं. एक दो दृश्यों को नजरंदाज कर दें, तो हंसी आती ही नही है. फिल्म में  कहानी के एक दो सब प्लॉट बेवजह ठूंसे हुए लगते हैं. इसमें जबरन ठूंसा हुआ हास्य जरुर है. पहली बार प्रियदर्शन ने अपने प्रशंसको को बुरी तरह से निराश किया है.

ये भी पढ़ें- Anupamaa से लेकर Ghum Hai Kisikey Pyaar Meiin तक, रीजनल शोज के हिंदी रीमेक हैं ये 7 सीरियल

अभिनयः

पूरे 14 वर्ष बाद शिल्पा शेट्टी ने इस फिल्म से अभिनय में वापसी की है, मगर उनका वनवास खत्म नही हुआ. अंजली के किरदार के साथ न्याय करने में असफल रही हैं. राधे तिवारी के किरदार में परेश रावल भी नही जमे. परेश रावल की बॉडी लैंगवेज, उनके संवाद व उनकी हरकतों से हंसी नही आती. कपूर के किरदार में आशुतोष राणा काफी निराश करते हैं. आकाश के किरदार के लिए मिजान का चयन ही गलत रहा. मिजान को अभी अपने अभिनय को सुधारने के लिए कड़ी मेहनत करने की जरूरत है. मिजान के चेहरे पर भाव ही नही आते हैं. एक दृश्य है जब प्रणिता सुभाष आती है, उसे देखकर आकाश के चेहरे पर डर,  गुस्सा, प्रणिता को पहचानते हुए भी न पहचानने का नाटक करने के भाव चेहरे पर एक साथ आने चाहिए थे, पर उनका चेहरा एकदम सपाट रहता है. यह निर्देशक की भी कमी है कि उसने ऐसे दृश्य को ओके कर दिया. वाणी के किरदार में प्रणिता सुभाष कुछ नही कर पायी. प्रणिता को अभिनय की ट्रेनिंग लेना चाहिए. टीकू टलसानिया के किरदार को ठीक से गढ़ा ही नहीं गया. जॉनी लीवर की प्रतिभा को जाया किया गया है. अक्षय खन्ना छोटे से किरदार में भी अपनी छाप नही छोड़ पाते. पोपट के किरदार में राजपाल यादव भी नही जमे. उनकी कॉमिक टाइमिंग भी गड़बड़ है. मनोज जोशी का भी अभिनय बहुत खराब है.

पति की गिरफ्तारी के बाद Shilpa Shetty को मिली क्लीन चिट! पढ़ें खबर

बौलीवुड एक्ट्रेस शिल्पा शेट्टी (Shilpa Shetty) के पति और बिजनेसमैन राज कुंद्रा (Raj Kundra) बीते सोमवार देर रात गिरफ्तार हो गए. वहीं खबरों की मानें तो राज कुंद्रा पर पोर्न फिल्में बनाने और उनके बेचने के आरोप लगाए गए हैं. इसी के चलते शिल्पा शेट्टी सदमे हैं, जिसके कारण उन्होंने अपने रियलिटी डांस शो की शूटिंग भी कैंसल कर दी है. वहीं कुछ लोग शिल्पा शेट्टी के भी इस मामले होने के भी कयास लगा रहे हैं. लेकिन पुलिस ने इस मामले में शिल्पा को क्लीन चिट दे दी है. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

शिल्पा शेट्टी को मिली क्लीन चिट

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Viral Bhayani (@viralbhayani)

राज कुंद्रा की गिरफ्तारी के बाद लोगों ने शिल्पा शेट्टी को ट्रोल करना शुरू कर दिया है. वहीं पुलिस ने साफ कर दिया कि इस पूरे मामले में अभी तक शिल्पा शेट्टी की कोई भूमिका नजर नहीं आई है. दरअसल, मुंबई पुलिस के जॉइंट कमिश्नर ऑफ पुलिस मिलिंद भारंबे ने कहा, ‘हमें इस मामले में अभी तक शिल्पा शेट्टी की किसी भी तरह की भूमिका नजर नहीं आई है. हम जांच कर रहे हैं. हम सभी पीड़ितों से अनुरोध करते हैं कि वे आगे आएं और क्राइम ब्रांच से संपर्क करें. हम उनकी शिकायतों पर उचित कार्रवाई करेंगे.’

ये भी पढ़ें- शिल्पा शेट्टी के पति राज कुंद्रा हुए गिरफ्तार, पोर्नोग्राफी बनाने व बेचने के लगे आरोप

कपिल शर्मा के शो की वीडियो हुआ वायरल

जहां दूसरे ट्रोलर्स ने लिखा, ‘बॉलीवुड इस समय धीरे-धीरे खत्म हो रहा है. कई लोग इस समय आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं. ऐसे में लोग पोर्न बिजनेस के जरिए पैसा कमाने का घिनोना काम कर रहे हैं. इस अश्लील काम में कई प्रोडक्शन्स भी शामिल हो सकते हैं.’ वहीं दूसरी तरफ कपिल शर्मा के शो का एक पुराना वीडियो शो हो रहा है, जिसमें शो शिल्पा शेट्टी और राज कुंद्रा कपिल के सवालों का जवाब देते नजर आ रहे हैं.

बता दें, शिल्पा शेट्टी और राज कुंद्रा सोशलमीडिया पर काफी एक्टिव रहते हैं. दोनों अक्सर अपनी कौमेडी वाली वीडियो शेयर करते हैं, जिसके कारण फैंस भी एंटरटेन होते हैं. लेकिन इस केस के बाद देखना है कि दोनों के फैंस का क्या रिएक्शन देखने को मिलेगा.

ये भी पढ़ें- ‘शादी मुबारक’ से लेकर ‘शौर्य और अनोखी की कहानी’ तक, 1 साल के अंदर ही बंद हुए ये 9 TV शोज

credit-Viral Bhayani

शिल्पा शेट्टी के पति राज कुंद्रा हुए गिरफ्तार, पोर्नोग्राफी बनाने व बेचने के लगे आरोप

बौलीवुड की मशहूर अदाकारा के पति व व्यवसायी राज कुंद्रा को सोमवार की देर रात मुंबई क्राइम ब्रांच पुलिस ने अश्लील फिल्में पोर्नोग्राफी बनाने और उन्हे ऐप के माध्यम से वितरित करने के मुख्य साजिश कर्ता के आरोप के साथ गिरफ्तार कर लिया. अब आज, मंगलवार को राज कुंद्रा की मेडीकल जांच के पास अदालत में पेश किया जाएगा. मुंबई क्राइम ब्रांच पुलिस ने दावा किया है कि उनके पास राज कुंद्रा के खिलाफ ठोस सबूत हैं. सोमवार की देर रात गिरफतार करने के बाद मुंबई क्राइम ब्रांच ने राज कुंद्रा से सख्ती से पूछताछ की है.

इस वर्ष की शुरूआत यानी कि फरवरी 2021 माह में मुंबई क्राइम ब्रांच पुलिस ने अश्लील फिल्में पोर्नोग्राफी बनाने और उन्हे ऐप तथा अलग अलग ओटीटी प्लेटफार्म के जरिए स्ट्रीम करने का केस दर्जकर जांच शुरू की थी. उस वक्त क्राइम ब्रांच ने नौ लोगों को गिरफ्तार भी किया था. उसके बाद पुलिस ने कई जगह छापेमारी की थी. मुंबई क्राइम ब्रांच का कहना है कि बाकायदा ‘हॉटशॉट’नामक एक ऐप बनाया गया था और उस पर अश्लील फिल्मों को स्ट्ीम@रिलीज किया जाता था.  उसके बाद लोगों से पैसे लिए जाते थे.  पुलिस के मुताबिक, इस ऐप के मालिक राज कुंद्रा हैं. जबकि राज कुंद्रा ने दावा किया था कि इससे उनका कोई संबंध नहीं है. मगर अब पुलिस ने राज कुंद्रा के खिलाफ पुख्ता सबूत होने की बात कहते हुए उन्हे गिरफ्तार किया है.

ये भी पढ़ें- कोरोना ने बदल दी ओटीटी प्लेटफौर्म की सूरत

लेकिन पुलिस सुत्रों के अनुसार गिरफ्तार नौ लोगों के बयान तथा तकनीकी सबूतों के आधार पर ही राज कुंद्रा की गिरफ्तारी हुई है. अब तक की जांच के अनुसार राज कुंद्रा ही मुख्य आरोपी और साजिश कर्ता हैं.

मुंबई पुलिस के अनुसार जो लड़कियां मुंबई फिल्म नगरी में अभिनेत्री बनने के मकसद से आती थीं,उन भोली भाली व संघर्षरत लड़कियों को फंसाकर अश्लील फिल्में बनायी जाती थी. इन लड़कियों को बड़े बैनरों की फिल्मों में हीरोईन बनाने का लालच देकर उनसे जबरन अश्लील फिल्मों में अभिनय करवाया जाता था. इस तरह अश्लील फिल्म बनाने के बाद उन्हें मोबाइल ऐप और  ओटीटी प्लेटफार्म पर स्ट्रीम कर लाखों रूपए कमाए जाते थे. फरवरी माह में  एपीआई लक्ष्मीकांत सालूखे ने जानकारी मिलने पर मुंबई,मढ़ आईलेंड के एक बंगले पर छापा मारा,तो उस वक्त वहां पर अश्लील फिल्म की शूटिंग चल रही थी. जिसके चलते  अभिनेत्री व निर्माता गहना वशिष्ठ सहित कुछ लोगों को गिरफ्तार किया गया था. तभी से मुंबई क्राइम ब्रांच पोर्नोग्राफी के इस गैर कानूनी धंधे की जांच में जुट गयी थी.

मूलतः भारतीय मगर लंदन में जन्मे व पले राज कुंद्रा का लंदन में बहुत बड़ा व्यवसाय है. राज कुंद्रा के पिता लुधियाना,पंजाब,भारत से लंदन चले गए थे. 2004 में उन्हें अमीरो में 198 वां ब्रिटिश एशियन व्यवसायी माना गया था. राज कुंद्रा ने अपनी पहली पत्नी कविता को तलाक देकर   22 नवंबर 2009 में फिल्म अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी से विवाह रचाया था. यहां वह और शिल्पा शेट्टी जुहू में समुद्र के किनारे एक आलीशान बंगले में रहते हैं. शिल्पा शेट्टी ने बेटे को 21 मई 2012 को जन्म दिया. फिर सरोगसी से 15 फरवरी 2020 को एक बेटी के पिता बने.

ये भी पढ़ें- Yeh Rishta… से हुई Karan Kundra की छुट्टी, कार्तिक-सीरत की लाइफ से दूर होगा रणवीर

राज कुंद्रा ने 2015 में भारत में ‘‘बेस्ट डील’’नामक टी वी चैनल की शुरूआत की. इसके अलावा ‘सुपर फ्लाइट लीग’,‘विआन इंडस्ट्रीज’ सहित उनकी कई दूसरी कंपनियां भी हैं.

यूं तो राज कुंद्रा पहले भी विवादो में रहे हैं. राज कुंद्रा के खिलाफ अभिनेत्री व मॉडल पूनम पांडे ने आपराधिक केस दर्ज कराया था.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें