गर्लफ्रैंड के कारण उठाने पड़ सकते हैं नुकसान

सुरेश को पम्मी से पहली मुलाकात में ही प्यार हो गया. सुरेश अपनी गर्लफ्रैंड का इतना दीवाना हो गया कि वह अपने फ्रैंड्स को भूल गया. उन से मिलनाजुलना बंद कर दिया. उस ने अपनी पढ़ाई पर भी ध्यान देना बंद कर दिया. सुरेश को हर वक्त सिर्फ एक ही बात का ध्यान रहता था प्यार, प्यार और सिर्फ प्यार.

इश्क, प्यार, मुहब्बत के चक्कर में पड़ कर अनेक युवा अपनी गर्लफ्रैंड के इतने दीवाने हो जाते हैं कि वे खानापीना, पढ़ाईलिखाई, सोना या घूमना, मिलनाजुलना आदि सबकुछ भूल जाते हैं. अनेक युवा इश्क के चक्कर में अपने कैरियर व फ्यूचर को दांव पर लगा देते हैं. वे फुलटाइम आशिक बन कर अपना सारा वक्त किसी पार्क, सी बीच, रैस्टोरैंट, पिक्चर हौल या मौल आदि जगहों पर बिताने लगते हैं.

माना कि जीने के लिए प्यार भी जरूरी है, मगर प्यार में पूरी तरह से डूब कर दिनरात सिर्फ प्यारप्यार की रट लगाना समझदारी नहीं है. आप ने किसी से प्यार किया है, अच्छी बात है. सही मौका मिलने पर प्यार करने में कोई बुराई नहीं है. प्यार की अहमियत अपनी जगह बहुत कुछ है. पर ध्यान रहे प्यार के चक्कर में अपना समय, स्वास्थ्य, पैसा, रिश्ते आदि को न भूल जाएं. कहीं ऐसा न हो कि आप को बाद में पछताना पड़े.

इन को न भूलें

इस बात का ध्यान रखें कि जीवन में सफल होने के लिए पढ़ाई जरूरी है. प्यार के चक्कर में अपनी पढ़ाई न छोड़ें.

गर्लफ्रैंड के चक्कर में अपने कैरियर को दांव पर न लगाएं. कैरियर बिगड़ा तो आप की लाइफ ही पूरी तरह डगमगा सकती है. प्यार अपनी जगह, कैरियर अपनी जगह.

गर्लफ्रैंड को किसी भी हाल में पाना या उसे हर हाल में खुश रखने को लाइफ का मकसद न बनाएं. इस के अलावा भी बहुत कुछ है, इस दुनिया में.

‘मैं सबकुछ भुला दूंगा, तेरी चाहत में…’ वाली सोच न रखें. गर्लफ्रैंड की चाहत में सबकुछ भुला देना कोई समझदारी की बात नहीं है.

गर्लफ्रैंड के चक्कर में अपने पेरैंट्स, भाईबहन, सगेसंबंधी, यारदोस्तों को न भूल जाएं. इन के बिना जीवन अधूरा है. इन से दूर रह कर जीवन का कोई सुख नहीं मिलेगा.

प्यार के चक्कर में पड़ कर खानापीना, घूमनाफिरना आदि न भूल जाएं. ऐसा करना प्यार नहीं पागलपन समझा जाएगा. शारीरिक स्वास्थ्य के लिए खानापीना, घूमनाफिरना जरूरी है. इस के बिना आप अस्वस्थ हो जाएंगे.

किसी से प्यार होने पर अपना कामधंधा न छोड़ दें. जीवनयापन के लिए काम करना बहुत जरूरी है. इस के बिना आप अस्वस्थ हो जाएंगे.

गर्लफ्रैंड पर अपनी पूंजी दोनों हाथों से न लुटाएं. जिस दिन आप की पूंजी खत्म हो जाएगी, उस दिन प्यार नाम की चिडि़या भी आप के पास से उड़ जाएगी.

गर्लफ्रैंड के चक्कर में अपना फर्ज, जिम्मेदारी, ईमानदारी जैसी बातों को अपने जीवन से दूर न करें.

गर्लफ्रैंड के चक्कर में लापरवाह, आलसी व निकम्मा न बनें. लाइफ में आगे बढ़ने के लिए इन से दूर रहना बेहद जरूरी है.

अधिकतर वक्त गर्लफ्रैंड के साथ बिता कर जीवन के कीमती समय को नष्ट न करें.

अपने काम, कैरियर व पढ़ाई को प्राथमिकता दें. निश्चित करें कि फिर से कहां, कब, कितने समय के लिए मिलना है. समय कम होने पर फोन, मोबाइल या इंटरनैट द्वारा इसे ऐडजस्ट करें.

छुट्टी के दिन अपनी गर्लफ्रैंड को कुछ अधिक समय दे कर उस के साथ वक्त बिता सकते हैं, पर ध्यान रखें, इस चक्कर में छुट्टी वाले दिन के जरूरी काम न भूल जाएं.

गर्लफ्रैंड की अधिक याद आने पर मन को काबू में लाएं. मुंह पर पानी के छींटें मारें. कमरे से बाहर घूमने निकल जाएं. फ्रैंड्स या फैमिली के साथ थोड़ा वक्त गुजारें.

अपना ध्यान बंटाने के लिए म्यूजिक सुनें. स्टोरी बुक या नौवेल पढ़ें. कोई क्रिएटिव काम करें या फिर अपनी हौबी पर ध्यान दें.

यदि आप नौकरी कर रहे हैं, तो मन लगा कर करें. ऐसा न हो गर्लफ्रैंड के चक्कर में समय से औफिस नहीं जा रहे हैं. ऐसा करने पर नौकरी से हाथ धोना पड़ सकता है. ऐसा न करें क्योंकि नौकरी बड़ी मुश्किल से मिलती है.

परीक्षा या किसी कंपीटिशन की तैयारी कर रहे हैं, तो अपना सारा वक्त गर्लफ्रैंड के चक्कर में बरबाद न करें. उसे भी इस की जानकारी दें, जिस से वह भी आप के समय को नष्ट न करे.

सेक्सुअल लाइफ की प्रौब्लम से परेशान हूं, मैं क्या करुं?

सवाल-

मैं 48 साल की हूं. सैक्स की इच्छा होती है पर गीलापन कम होता है. ऐसा नहीं है कि मैं चरम पर नहीं पहुंचती. बताएं मैं क्या करूं?

जवाब-

संभव है कि यह समस्या मेनोपौज की वजह से हो रही हो, क्योंकि मेनोपौज के बाद शरीर में फीमेल हारमोन ऐस्ट्रोजन की कमी हो जाती है और इस से भी यह समस्या हो जाती है.

शरीर में ऐस्ट्रोजन की मात्रा बढ़ाने के लिए आप आहार संबंधी जरूरतों पर ध्यान दें. खाने में मौसमी फल, हरी सब्जियां, दूध, पनीर आदि का नियमित सेवन करें और नियमित टहलें, व्यायाम करें.

सैक्स करते वक्त आप फिलहाल क्रीम का प्रयोग कर सकती हैं. इस से चिकनाई बनी रहेगी और सैक्स में आनंद भी आएगा. बेहतर है कि सैक्स से पहले फोरप्ले करें. इस से भी काफी हद तक सूखेपन की समस्या से बचा जा सकता है.

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टैम्पोन और मासिक धर्म कप को “स्त्री स्वच्छता उत्पाद” में ही गिना जाता है. पीरियड्स के दौरान वैजाइना से निकलने वाले रक्त और टिश्यू को सोखने या इकट्ठा करने के लिए इनका इस्तेमाल किया जाता है .

टैम्पोन और मैन्सट्रुअल कप क्या हैं?

टैम्पोन और मैन्सट्रुअल कप आपको सामान्य जीवन का अनुभव कराते हैं. टैम्पोन कॉटन से बने छोटे प्लग होते हैं, जो आपकी वैजाइना के अंदर फिट होते हैं और पीरियड में आने वाले खून को सोखते हैं. कुछ टैम्पोन ऐप्लिकेटर के साथ आते हैं जो इसे वैजाइना में डालने में मदद करते हैं. टैम्पोन के अंत में एक स्ट्रिंग जुड़ी होती है, जिससे आप उन्हें आसानी से खींच सकते हैं.

मैंस्ट्रुअल कप छोटे घंटी या कटोरे के आकार के होते हैं और वे रबड़, सिलिकॉन या नरम प्लास्टिक से बने होते हैं. वजाइना के अंदर कप को पहना जाता हैं और यह पीरियड में निकले रक्त को एकत्र कर लेता है . ज्यादातर कप दोबारा उपयोग में लाए जा सकते हैं. ज़रुरत के हिसाब से आपको इसकी आवश्यकता होती है. आवश्यकता के बाद इसे धो लें और फिर से उपयोग करें. अन्य कप डिस्पोजेबल होते हैं और आप इन्हें एक बार या एक पीरियड चक्र के बाद फेंक सकते हैं.

टैम्पोन का उपयोग कैसे करें ?

टैम्पोन कईं तरह से उपलब्ध हैं, जैसे – लाइट, रेगुलर और सुपर . कुछ टैम्पोन एप्लीकेटर्स के साथ आते हैं – कार्डबोर्ड या प्लास्टिक से बनी छोटी स्टिक्स, जो वजाइना में टैम्पोन डालने में मदद करती हैं और कुछ टैम्पोन के पास एप्लीकेटर नहीं होता, इसलिए आप उन्हें अपनी उंगली से डालते हैं.

Breakup: सुखद प्यार का दुखद अंत

बौलीवुड अभिनेत्री सुष्मिता सेन अपनी पर्सनल लाइफ को ले कर सुर्खियों में रहती हैं. ऐक्ट्रैस ने अपने बौयफ्रैंड रोहमन शौल के साथ ब्रेकअप कर लिया. सुष्मिता ने अपने ब्रेकअप के बाद पहला पोस्ट शेयर कर लिखा शांति सब से खूबसूरत है. मैं आप सभी से प्यार करती हूं. इस के साथ उन्होंने स्माइली इमोजी शेयर करते हुए लिखा कि रिश्ता तो काफी पहले खत्म हो चुका था, लेकिन हम दोस्त बने रहे.

रिपोर्ट्स के अनुसार, कपल के बीच सबकुछ सही नहीं चल रहा था इसलिए दोनों का ब्रेकअप हो गया.

सुष्मिता और रोहमन करीब 3 सालों से रिलेशनशिप में थे. रोहमन ने यहां तक कहा था कि वे सुष्मिता और उन की बेटियों को अपना परिवार मानते हैं. फिर ऐसा क्या हुआ कि दोनों अगल हो गए? जो भी हो पर सुष्मिता सेन के ब्रेकअप की खबर से उन के फैंस टूट गए.

मगर सवाल यह उठता है कि आखिर क्यों गहरे प्यार और विश्वास के बाद कपल एकदूसरे से अलग हो जाते हैं? ब्रेकअप की नौबत क्यों आ जाती है उन के बीच? कुछ का तर्क होता है हम एकदूसरे के लिए बने ही नहीं थे तो कुछ का यह कि हम से उसे सम झने में गलती हो गई.

प्यार जितना सुखद होता है, ब्रेकअप उतना ही दुखद. 2 प्यार करने वाले रिश्ते में इतने जुड़ चुके होते हैं कि उनका अलग होना मुश्किल हो जाता है. कई बार प्यार को शादी की मंजिल तक ले जाना हो तो धर्म, जैंडर और उम्र आड़े आ जाती है, जिन की वजह से 2 प्यार करने वाले बीच रास्ते में ही अलग हो जाते हैं. लेकिन वक्त के साथ बदलाव हुए हैं. लोग अब इन सब चीजों को नहीं मानते. लेकिन कई बार कुछ ऐसा होता है कि प्यार शादी तक नहीं पहुंच पाता और ब्रेकअप हो जाता है. रिलेशनशिप मुश्किल से कुछ साल ही टिक पाती है और फिर दोनों की राहें जुदा हो जाती हैं.

ऐसे रिश्तों पर ऐक्सपर्ट्स का कहना है कि 70% अविवाहित कपल का ब्रेकअप पहले ही साल में हो जाता है. यह भी पाया गया कि रिलेशनशिप के 5 साल बीत जाने के बाद ब्रेकअप की संभावना केवल 20% तक ही रह जाती है.

एक रिपोर्ट के मुताबिक, अधिकतर लोगों का ब्रेकअप शुक्रवार के दिन होता है. एक इंग्लिश वैबसाइट द्बद्यद्यद्बष्द्बह्ल द्गठ्ठष्शह्वठ्ठह्लद्गह्म्ह्य ने लोगों पर यह रिसर्च की जिस में पाया गया कि शुक्रवार को पार्टनर्स एकदूसरे से सब से ज्यादा  झगड़ते हैं. साथ ही इस दिन रिश्ते टूटने का खतरा सब से ज्यादा होता है. रिपोर्ट के अनुसार, शुक्रवार के दिन 75% लोगों का ब्रेकअप होता है. लेकिन सवाल यह है कि पहले 1-2 साल में ऐसा क्या होता है कि 2 प्यार करने वाले अलग हो जाते हैं?

पार्टनर का सच सामने आना

रिलेशनशिप ऐक्सपर्ट नील स्ट्रास कहते हैं कि किसी भी रिलेशनशिप का पहला साल चुनौतियों से भरा होता है. शुरूशुरू में सब खयालों में खोए होते हैं यानी वास्तविकता से दूर होते हैं. अपने पार्टनर में आप वही देखते हैं जो आप देखना चाहते हैं. लेकिन कुछ महीने बाद आप वास्तविकता के करीब आने लगते हैं तो तसवीर साफ होने लगती है. सामने वाले व्यक्ति की आदतें, व्यवहार, तौरतरीका, बात करने का ढंग वगैरह सब दिखने लगता है और तब आप का उस से मोहभंग होने लगता है क्योंकि तब आप को वह सब दिखने लगता है जो असल में उस व्यक्ति में है. फिर उस के बाद शुरू हो जाता है टकराव. अगर उसे पार कर लिया तो रिश्ता आगे बढ़ जाता है वरना बीच रास्ते में ही दम तोड़ देता है.

ब्रेक का सीजन

एक स्टडी में पाया गया है कि वैलेंटाइन डे के आसपास ही सब से ज्यादा ब्रेकअप होते हैं क्योंकि इस दिन प्रेमी एकदूसरे से सब से ज्यादा उम्मीद रखते हैं कि वे उस के लिए क्या खास करने वाले हैं, क्या गिफ्ट मिलेगा और जब उम्मीद टूट जाती है, तब बात ब्रेकअप तक पहुंच जाती है. वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो अपने ब्रेकअप को प्लान करते हैं खास वैलेंटाइन डे के लिए. जो लोग प्यार में खुद को ठगा हुआ महसूस करते हैं, बदला लेने की नियत से वैलेंटाइन पर ही ब्रेकअप करते हैं.

प्यार अंधा होता है

वैज्ञानिक इस बात की पुष्टि कर चुके हैं कि प्यार सच में अंधा होता है. उन्होंने पाया कि प्रेमी की भावनाएं मस्तिष्क के उन हिस्सों को दबाती हैं जिन में गंभीर विचार नियंत्रित किए जाते हैं. इसलिए जब हम खुद को किसी व्यक्ति के करीब महसूस करते हैं तो हमारा मस्तिष्क तय करता है कि उस व्यक्ति के चरित्र या व्यक्तित्व का गहराई से आकलन करना उतना आवश्यक नहीं है. लेकिन एक समय आता है जब व्यक्ति आकलन करता है.

ब्रेकअप का कारण

लाइफ कोच केली रौजर्स ने अपनी रिसर्च में पाया कि महिलाएं अपने रिश्तों में जो देती हैं उस के बदले भावनात्मक लाभ पाना चाहती हैं. एक रिलेशनशिप में 6 महीने कमिटेड रहने के बाद महिलाएं यह सम झती हैं कि उन्होंने इस रिश्ते में अपना प्यार, एटैंशन, पैसा और समय दिया है तो उस के बदले में उन्हें कुछ मिलना ही चाहिए. ज्यादा ऐक्सपैक्टेशन भी कभीकभी ब्रेकअप की वजह बन जाती है.

जब बीच में पैसा आ जाए

आप का पार्टनर पैसे के मामले में कितने दिलदार है या कंजूस है यह बात आप को कुछ समय बाद पता चलती है. उस के साथ 2-4 बार डेट्स पर जाने और बर्थडे बिताने के बाद ही आप जान पाते हैं कि पैसे के मामले में आप का पार्टनर कितना दिलदार है. अगर वह आप की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरता तो ब्रेकअप की नौबत आ जाती है. कुछ साल किसी भी रिलेशनशिप में रहने के बाद आर्थिक असंगति बीच में आ जाती है. रिश्ते में पैसा बीच में आया तो फिर भरोसा और सुरक्षा जैसे सवाल उठने लगते हैं. छोटेछोटे खर्चे की तो कोई बात नहीं है, लेकिन जब बड़े खर्चे हों या आप साथ में ट्रिप पर जा रहे हों तो प्यार से ज्यादा पैसा मैटर करने लगता है.

कमिटमैंट न मिले तो

ऐक्सपर्ट्स का कहना है कि ज्यादातर लोग 1 साल की रिलेशनशिप के बाद अपने रिश्ते के बारे में सब को बता देते हैं. 1 साल के बाद कुछ लोगों को पक्का कमिटमैंट चाहिए होता है. लेकिन पार्टनर रिलेशनशिप के बारे में किसी को बताना नहीं चाहता या शादी के लिए बात नहीं करता तो कमिटमैंट चाहने वाला पार्टनर रिश्ता खत्म कर लेता है. ज्यादातर लड़कियां इस तरह का कमिटमैंट लड़कों से चाहती हैं क्योंकि वे अपने रिश्ते को सिक्योर करना चाहती हैं. मगर लड़के कोई न कोई कारण बता कर ऐसा करने से अकसर भागते हैं.

जब रिश्ते की उम्र पता हो

कुछ लोगों को पता होता है कि उन का रिश्ता बहुत आगे तक नहीं जाने वाला. उन्हें अपने रिश्ते को कितने समय के लिए रखना है या नहीं रखना है यह बात वे जानते हैं. तभी तो ब्रेकअप होने का उन्हें कोई मलाल नहीं होता है. प्यार वे सिर्फ टाइम पास या दोस्तों को दिखाने के लिए रखते हैं. बहुतों को देखा होगा, किसी नए शहर में पढ़ने या नौकरी करने गए तब तक के लिए पार्टनर ढूंढ़ लिया और फिर ब्रेकअप कर लिया.

कम उम्र का प्यार

किसी अफेयर की शुरुआत बहुत ही अच्छी होती है. उस वक्त इंसान दिमाग से नहीं, बल्कि दिल से सोचता है. लेकिन एक दिन जब उसे सम झ आ जाता है कि इस प्यारव्यार के चक्कर में पड़ कर वह सिर्फ अपना समय बरबाद कर रहा है क्योंकि अभी उसे अपना भविष्य संवारना है, कैरियर बनाना है, तो वह ब्रेकअप कर लेता है. यह ज्यादातर कम उम्र लोगों में होता है जहां उन के बड़े उन्हें सम झाते हैं कि यह समय अपना भविष्य बनाने का है न कि प्यारव्यार के चक्कर में पड़ने का.

जब इंसान बदलने लगता है

रिलेशनशिप की शुरुआत में आप वही करते हैं जो आप का पार्टनर करता है. सिर्फ उसे यह दिखाने के लिए कि आप उस में दिलचस्पी ले रहे हैं. जैसे वीकैंड पर घूमने जाना, फिल्में देखना, डिनर पर जाना, पार्टी करना. लेकिन कुछ समय बाद जब आप को पता चलता है कि आप के पार्टनर को वीडियो गेम खेलना पसंद है या टीवी पर चिपके रहना, तो फिर रिलेशनशिप आगे बढ़ने के बजाय पीछे खिसकने लगती है और फिर इस का अंत ब्रेकअप होता है.

परिवार भी बन सकता है ब्रेकअप का कारण

इस बात में कोई दोराय नहीं है कि जब 2 लोग लंबे समय तक एक रिलेशन में रहते हैं तो एकदूसरे की फैमिली से भी उनका रिश्ता बन जाता है. वे न केवल एकदूसरे के सुखदुख में बराबर के भागीदार होते हैं, बल्कि एकदूसरे के परिवार के साथ भी जुड़ाव महसूस करने लगते हैं, जोकि बहुत हद तक रिलेशन को आगे बढ़ाने का काम करता है. लेकिन कभीकभी जब एक पार्टनर का परिवार दूसरे को पसंद नहीं करता, उस की वजह से घर में कलह होने लगती है तब भी रिश्ता टूट जाता है.

ज्यादातर रिलेशनशिप उस समय टूटने के कगार पर आ जाते हैं जब लड़का या लड़की के परिवार वालों के विचार आपस में नहीं मिल पाते. ऐसी सिचुएशन में कपल्स को ऐसा लगने लगता है कि उन की वजह से घर में लड़ाई झगड़े हो रहे हैं और फिर वे अपने रिलेशनशिप से पीछे हटने लगते हैं, यह जानते हुए भी कि वे एकदूसरे के बिना खुश नहीं रह पाएंगे.

हालांकि ऐसी स्थिति में उन्हें स्टैंड लेने की जरूरत है, साथ ही परिवार को सम झाने की कि वे एकदूसरे से प्यार करते हैं साथ ही साथ परिवार के बीच मधुर संबंध बनाने की कोशिश भी करनी चाहिए.

अनमोल रिश्तों की डोर को जरा प्यार से संभाले

भारत में तलाक के मामलों में तेजी से वृद्धि हो रही है. 10 साल पहले जहां भारत में 1 हजार लोगों में 1 व्यक्ति तलाक लेता था, वहीं अब यह संख्या 1,000 पर 13 से ज्यादा हो गई है. तलाक याचिकाएं पहले से दोगुनी मात्रा में जमा हो रही हैं. खासकर मुंबई, बैंगलुरु, कोलकाता, लखनऊ जैसे बड़े शहरों में यह ट्रैंड ज्यादा देखने को मिल रहा है. इन शहरों में मात्र 5 सालों में तलाक फाइल करने के मामलों में करीब 3 गुना वृद्धि दर्ज की गई है.

2014 में मुंबई में तलाक के 11,667 केस फाइल किए गए जबकि 2010 में यह संख्या 5,248 थी. इसी तरह 2014 में लखनऊ और दिल्ली में क्रमश: 8,347 और 2000 केस फाइल किए गए जबकि 2010 में यह संख्या क्रमश: 2,388 और 900 थी.

तलाक के मामलों में इस बढ़ोतरी और दंपती के बीच बढ़ते मतभेदों की वजह क्या है? क्यों रिश्ते टिक नहीं पाते? ऐसे क्या कारण हैं जो रिश्तों की जिंदगी छोटी कर देते हैं?

इस संदर्भ में अमेरिका के मनोवैज्ञानिक और मैरिज ऐक्सपर्ट जौन गौटमैन ने 40 सालों के अध्ययन और अनुभवों के आधार पर निष्कर्ष निकाला कि मुख्य रूप से 4 ऐसे कारक हैं, जिन की वजह से दंपती के बीच संवादहीनता की स्थिति पैदा होने लगती है. इस स्थिति के 6 सालों के अंदर उन का तलाक हो जाता है.

आलोचनात्मक रवैया:

वैसे तो कभी न कभी सभी एकदूसरे की आलोचना करते हैं पर पतिपत्नी के बीच यह आम बात है. समस्या तब पैदा होती है जब आलोचना करने का तरीका इतना बुरा होता है कि चोट सीधे सामने वाले के दिल पर लगती है. किसी भी हाल में एक जना दूसरे को गलत साबित करने के प्रयास में लग जाता है. उस पर इलजामों की बौछार करने लगता है. ऐसे में कई दफा पतिपत्नी एकदूसरे से इतनी दूर चले जाते हैं कि फिर लौटना कठिन हो जाता है.

घृणा:

जब आप के मन में जीवनसाथी के लिए घृणा और तिरस्कार के भाव उभरने लगें तो समझ जाएं कि अब रिश्ता ज्यादा दिन टिकने वाला नहीं. घृणा प्रदर्शन के तहत ताने देना, नकल उतारना, नाम से पुकारना जैसी कितनी ही हरकतें शामिल होती हैं, जो सामने वाले को महत्त्वहीन महसूस कराती हैं. इस तरह का व्यवहार रिश्तों की जड़ों पर चोट करता है.

बचाव करने की आदत:

जीवनसाथी पर इलजाम लगा कर खुद को बचाने का रवैया जल्द ही रिश्तों के अंत की वजह बनता है. पतिपत्नी से अपेक्षा की जाती है कि वे हर स्थिति में एकदूसरे का सहयोग करें. मगर जब वे एकदूसरे के ही विरोध में खड़े होने लगें तो उन का रिश्ता कोई नहीं बचा सकता.

संवादहीनता:

जब व्यक्ति अपने जीवनसाथी के प्रति उदासीनता की चादर ओढ़ लेता है, संवाद खत्म कर देता है और उस की बातों को नजरअंदाज करने लगता है, तो दोनों के बीच आई यह दीवार रिश्ते में मौजूद रहीसही जिंदगी भी खत्म कर देती है.

कुछ और कारण

 क्वालिटी टाइम: इंस्टिट्यूट फौर सोशल ऐंड इकोनौमिक चेंज, बैंगलुरु द्वारा की गई एक रिसर्च के अनुसार पतिपत्नी के अलगाव का सब से प्रमुख कारण ड्युअल कैरियर कपल (पतिपत्नी दोनों का कामकाजी होना) की लगातार बढ़ती संख्या है. इस रिसर्च में यह बात सामने आई है कि 53% महिलाएं अपने पति से झगड़ती हैं, क्योंकि उन के पति उन के साथ क्वालिटी टाइम नहीं बिताते, वहीं 31.7% पुरुषों को अपनी कामकाजी पत्नियों से शिकायत है कि उन के पास परिवार के लिए समय नहीं है.

सोशल मीडिया: हाल ही में अमेरिका में किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि सोशल मीडिया में अधिक समय देने की प्रवृत्ति और तलाक दर में पारस्परिक संबंध है. जितना ज्यादा व्यक्ति सोशल मीडिया में ऐक्टिव होता है, परिवार टूटने का खतरा उतना ही ज्यादा होता है.

इस की मुख्य रूप से 2 वजहें हो सकती हैं. पहली यह कि सोशल मीडिया में लिप्त रहने वाला व्यक्ति पत्नी को कम समय देता है. वह सारा समय नए दोस्त बनाने व लाइक्स और कमैंट्स पाने के चक्कर में लगा रहता है. दूसरी यह कि ऐसे व्यक्ति के ऐक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर्स होने के चांसेज बढ़ जाते हैं. सोशल मीडिया पर फ्रैंडशिप ऐक्सैप्ट करना और उसे आगे बढ़ाना बहुत आसान होता है.

धर्म का असर रिश्तों पर

सामान्यतया रिश्तों में कभी खटास और कभी मिठास का दौर चलता ही रहता है. मगर इस का मतलब यह नहीं कि आप अपनी गलतियों पर ध्यान न दें और समाधान के लिए पंडेपुजारियों के पास दौड़ें. पंडेपुजारी पतिपत्नी के रिश्ते को 7 जन्मों का बंधन बताते हैं. रिश्तों को बचाने के लिए वे सदा स्त्री को ही शिक्षा देते हैं कि वह दब कर रहे, आवाज न उठाए.

दरअसल, धर्मगुरुओं की तो मंशा ही होती है कि व्यक्ति 7 जन्मों के चक्कर में फंसा रहे और गृहकलेषों से बचने के लिए तरहतरह के धार्मिक अनुष्ठानों व क्रियाकलापों में पानी की तरह पैसा बहाता रहे.

स्त्रियां ज्यादा भावुक होती हैं. जपतप, दानपुण्य में विश्वास करती हैं. इसी का फायदा उठा कर धर्मगुरु उन से ये सब करवाते रहते हैं ताकि उन्हें चढ़ावे का फायदा मिलता रहे.हाल ही में एक परिवार इसलिए बरबाद हो गया क्योंकि गृहक्लेष से बचने के लिए घर की स्त्री ने तांत्रिक का दरवाजा खटखटाया.

गत 25 मई को दिल्ली के पालम इलाके में एक बेटे ने अपनी मां की चाकू घोंप कर बेरहमी से हत्या कर दी. 63 साल की मां यानी प्रेमलता अपने बेटेबहू के साथ रहती थी. हर छोटीबड़ी समस्या के समाधान के लिए वह तांत्रिकों और ज्योतिषियों के पास जाती. घर में आएदिन होने वाले झगड़ों के निबटारे के लिए भी वह तांत्रिक के पास गई और फिर उस के बताए उपायों को घर पर आ कर आजमाने लगी. यह सब देख कर बहू को लगा कि वह जाटूटोना कर रही है अत: उस ने यह बात पति को बताई. फिर इसी बात को ले घर में खूब झगड़ा हुआ और बेटे ने सब्जी काटने वाले चाकू से मां पर हमला कर दिया.

मजबूत बनाएं रिश्ता 

रिश्ते बनाना बहुत सहज है पर उन्हें निभाना कठिन. जौन गौटमैन के मुताबिक रिश्ते को मजबूत बनाने के लिए कपल्स को इन बातों का खयाल रखना चाहिए:

लव मैप का फंडा: लव मैप मानव मस्तिष्क का वह हिस्सा है जहां व्यक्ति अपने जीवनसाथी से जुड़ी हर तरह की सूचना जैसे उस की परेशानियों, उम्मीदों, सपनों समेत दूसरे महत्त्वपूर्ण तथ्यों व भावनाओं को इकट्ठा रखता है. गौटमैन के मुताबिक दंपती लव मैप का प्रयोग एकदूसरे के प्रति अपनी समझ, लगाव और प्रेम प्रदर्शित करने में कर सकते हैं.

साथ दें सदा: जीवनसाथी के जीवन से जुड़े हर छोटेबड़े मौके पर उस के साथ खड़े रहें. पूरे उत्साह और प्रेम के साथ उस के हर दुखसुख के भागीदार बनें.

महत्त्व स्वीकारें: किसी भी तरह का फैसला लेते वक्त या कोई भी महत्त्वपूर्ण काम करते समय जीवनसाथी को भूलें नहीं. उस की सहमति अवश्य लें.

तनाव करें दूर: पतिपत्नी के बीच तनाव लंबे समय तक कायम नहीं रहना चाहिए, जीवनसाथी आप की किसी बात से आहत है तो मीठे शब्दों का लेप जरूर लगाएं. एकदूसरे के साथ सामंजस्य बनाए रखें. कंप्रोमाइज करना सीखें.

दूरी न दें बढ़ने: कई दफा पतिपत्नी के बीच का विवाद इतना गहरा हो जाता है कि पास आने के सारे रास्ते बंद हो जाते हैं. साथी स्वयं को अस्वीकृत महसूस करता है. दोनों इस बारे में बात तो करते हैं पर कोई सकारात्मक समाधान नहीं निकाल पाते. हर वादविवाद के बाद वे और ज्यादा कुंठित महसूस करते हैं.

गौटमैन कहते हैं कि कभी ऐसा मौका न आने दें. पतिपत्नी के बीच विवाद इसलिए बढ़ता है क्योंकि उन की बातचीत में मधुरता, उत्साह और लगाव का अभाव होता है. वे समझौता नहीं करना चाहते. इसी वजह से भावनात्मक रूप से भी एकदूसरे से दूर हो जाते हैं. यह दूरी कितनी भी बढ़ जाए पर एक कपल को यह जरूर पता लगाना चाहिए कि विवाद के मूल में क्या है और उसे कैसे दूर किया जाए.

पार्टनर को अच्छा महसूस कराएं: पतिपत्नी को इस बात का खयाल रखना चाहिए कि उस के जीवनसाथी को क्या पसंद है, वह किस बात से खुश होता है. समयसमय पर जीवनसाथी के साथ बीते खुशनुमा लमहों का जिक्र करें ताकि वही प्यार आप फिर से महसूस कर सकें.

जीवनसाथी का सम्मान करें

 अगर आप अपनी शादी को कामयाब बनाना चाहते हैं, तो आप को अपने जीवनसाथी का सम्मान करना होगा. इस के लिए आप को अपने जीवनसाथी को महसूस कराना होगा कि आप उसे अपने बराबर समझते हैं और उस की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए ही आप कोई निर्णय लेते हैं. आप को अपने जीवनसाथी की गोपनीयता का भी सम्मान करना चाहिए.

आप को अपने पति या पत्नी के प्रति दयालु, प्यार भरा और समझदारी भरा व्यवहार करना चाहिए. यदि आप का कोई एक दिन बुरा बीता हो और जिस की परछाई आप अपनी जिंदगी पर स्पष्ट रूप से देख रहे हों तो आप साथी से माफी मांगने की पहल करें. आप ने उन से शादी की है इसलिए आप उन के साथ कैसा भी बुरा व्यवहार कर सकते हैं, यह सोचने के बजाय, साथी को सम्मान दें.

– शैली माहेश्वरी गुप्ता, मिसेज यूनिवर्सल ऐलिगैंस, 2017

 अच्छे रिश्ते के लिए जरूरी बातें 

सफल रिश्ते के लिए क्या करें जिन से जीवनसाथी के साथ वैवाहिक जीवन सुखद बीते, आइए जानते हैं:

विश्वास: आप अपने जीवनसाथी पर कितना यकीन कर सकते हैं, वह अपनी बातों पर कितना टिका रहता है जैसी बातें रिश्ते का भविष्य तय करती हैं.

ड़ाव: औथर रोनाल्ड ऐडलर 4 तरह के जुड़ाव का जिक्र करते हैं जिस से हम स्वयं को जीवनसाथी के साथ जुड़ा हुआ महसूस करते हैं. पहला फिजिकल, दूसरा इमोशनल, तीसरा इंटलैक्चुअल और चौथा शेयर्ड ऐक्टीविटीज.

सहजता: रिश्ते में सहजता होनी जरूरी है. आप स्वयं सोचिए कि जब आप पार्टनर के साथ होते हैं तो क्या आप का बैटर सैल्फ बाहर आता है? पार्टनर के साथ रहते हुए आप खुद को सहज महसूस कर पाती हैं? यदि ऐसा है तभी आप का रिश्ता लंबा खिंच सकता है.

सम्मान: जौन गौटमैन ने अपने 20 सालों के अध्ययन के बाद निष्कर्ष निकाला कि तलाक की सब से अहम वजह है एकदूसरे के प्रति सम्मान का अभाव.

एकदूसरे का सम्मान करने के बजाय जब मन में नकारात्मक भाव, आलोचनात्मक रवैया और कटाक्ष करने की प्रवृत्ति पैदा होने लगे तो समझ जाएं कि रिश्ते का अंत नजदीक है. कम्यूनिकेशन स्टडीज में इसे ‘टफ टु ए पर्सन ऐंड सौफ्ट औन द इशु’ कहा जाता है.

बात बढ़ाएं नहीं: झगड़े हर घर में होते हैं, मगर उन्हें लंबा न खिंचने दें. कुछ लोग झगड़े के दौरान पागलों की तरह चीखतेचिल्लाते हैं. ऐसे में जरूरी बातें गौण हो जाती हैं और दंपती बेमतलब की बातों में उलझते चले जाते हैं. भावनात्मक रूप से उन का रिश्ता बिलकुल जड़ हो जाता है.

मन से करीब रहेंगे तभी समस्या का समाधान होगा और आप का रिश्ता पूर्ववत हो जाएगा और आप पूरी तरह साथी को माफ कर पाएंगे.

मुसीबत में साथ: सफल और लंबे रिश्ते के लिए जरूरी है मुसीबत के समय जीवनसाथी के साथ खड़े रहना. उसे अपने कंधों का सहारा देना. आर्थिक चुनौतियां हों या शारीरिक, अच्छे वक्त के साथसाथ बुरे वक्त में भी एकदूसरे के करीब रहना जरूरी है.

आर्थिक फैसलों पर सहमति: एक अध्ययन के मुताबिक वे पतिपत्नी जो सप्ताह में 1 बार आर्थिक फैसलों पर एकदूसरे के प्रति असहमति दिखाते हैं, के बीच तलाक की संभावना 30% तक बढ़ जाती है.

ऐसे बनाएं सुखद जीवन

 पतिपत्नी की खुशी में आपसी संबंध महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. 30% से ज्यादा नई शादियों का तलाक में अंत होने लगा है. ऐसे में कई ऐसे कदम हैं, जो तलाक के जोखिम को कम करने, समस्याओं से बचने और सेहतमंद रिश्ता बनाए रखने के लिए उठाए जा सकते हैं:

– पतिपत्नी के बीच की भावनात्मक विरक्ति की वजह से ब्रेकअप या तलाक होता है. ऐसे में अपने साथी की भावनाओं को अच्छी तरह से समझना, उस के दृष्टिकोण को सुनना और उसे हंसाने की कोशिश करना जरूरी है.

– शोधकर्ताओं ने पाया है कि बातचीत करने का तरीका समर्पण के स्तर, व्यक्तित्व की विशेषताओं या तनावपूर्ण जिंदगी की घटनाओं से ज्यादा महत्त्वपूर्ण है, जिस से यह अनुमान लगाया जाता है कि खुशनुमा विवाहित जोड़े तलाक तक जाएंगे या नहीं. खासतौर पर संचार के नकारात्मक तरीकों जैसेकि क्रोध और अपमान को अलग होने की संभावना बढ़ने से जोड़ा जाता है.

– अपने साथी की भावनाओं, पसंदों और विचारों की प्रशंसा करनी चाहिए. साथी का सम्मान करना चाहिए. उस के द्वारा किए गए छोटेछोटे कामों के लिए भी धन्यवाद कहना न भूलें.

– जीवन में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है जैसेकि कैरियर की चुनौतियां, सेहत के मामले, भविष्य को ले कर चिंताएं आदि. ये समस्याएं अकसर संबंध को प्रभावित करती हैं. इसलिए पतिपत्नी को पारस्परिक समझदारी और परिपक्वता के साथ इन का सामना करना चाहिए.

– डा. मनीत वालिया, मनोचिकित्सक, केडिहैल्थ

जानें मौर्डन रिलेशनशिप के असफल होने का कारण

प्यार को संभांलने के लिए आज की जेनेरेशन तैयार ही नहीं होती है. कई बार हमें ये समझ ही नहीं आता कि हम प्यार करना भूल गए है या ये ही भूल गए कि प्यार क्या होता है. हमारे प्यार के पैरामीटर सोशल मीडिया के ट्रिक्स तय करने लगे है. अगर वो ये करता है, तो सही है, अगर वो ये नहीं करता तो वो आपके प्यार में जैसे आर्टिकल से हम अपने प्यार को समझने की कोशिश करते है. शायद ये सबसे बड़ा कारण है कि हम प्यार को संभाल नहीं पाते है.

रिश्तों के लिए तैयार नहीं

रिश्तों को ना संभाल पाने का एक बड़ा कारण ये भी है कि हम रिश्तों के लिए तैयार नहीं होते है. हम समझौतों और कुर्बानियों के लिए तैयार नहीं होते है. रिश्तों को बनाए रखने के लिए हम पूरी तरह से समर्पण के लिए तैयार नहीं होते है. हम सब कुछ आसानी से चाहते है, रिश्तें भी. ना मिले तो बहुत आसानी से हम उन रिश्तों को तोड़ देते है. हम प्यार को बढ़ने का समय देने की बजाय प्यार को चले जाने देना ज्यादा बेहतर समझते है.

प्यार को समझना बहुत जरूरी है. अक्सर हम एक्साइटमेंट और थ्रिल की चाहत में प्यार कर बैठते है. हमको कोई चाहिए होता है जिसके साथ हम मूवी जा सके, वक्त गुजार सके पार्टी कर सके. पर हम ऐसे लोगो को नहीं ढूढ़ पाते है जो हमे समझ सके. हम यादें को नहीं बनना चाहते बस अपनी बोरिंग लाइफ से बचना चाहते है. हम जीवन भर का साथी नहीं बल्कि पलभर की खुशी ढ़ूढ़ते है. जैसे जैसे जिम्मेदारी हमारे एक्साइटमेंट को कम करती है प्यार भी कम लगने लगता है.

ये जिम्मेदारियां जो हमे साथ मिलकर निभानी चाहिए, अक्सर हमारे साथ को ही अलग कर देती है. हममे सब्र नहीं है, हमे सब चाहिए. भौतिकतावादी सपनों को पाने की दौंड़ मे जीतना जीवन बन गया है, यहां प्यार के लिए जगह नहीं है. बस पलभर का मजा चाहिए. रिश्तों के टूटने पर यहां दिल नहीं टूटते और जिद के साथ वो आगे बढ़ जाते है.

हर बात में हमें जल्दी है, फिर चाहे औनलाइन स्टेट्स पोस्ट करना हो, करियर को चुनना हो या दोबारा किसी से प्यार करना हो. प्यार में मैच्योरिटी सभी चाहते है पर समय कोई नहीं देना चाहता. लोग ये भूल गए है कि मैच्योरिटी वक्त के साथ आती है. सालों लग जाते है एक दूसरे के प्रति भावनाओं को जुड़ने में, एक मिनट में हम किसी को नहीं जान सकते है. आज के रिश्तों में समय और सब्र है नहीं तो प्यार कैसे होगा.

हम एक हर घंटा सैंकड़ो लोगो के बीच बिता देना पंसद करते है बजाय इसके कि एक दिन किसी अपने के साथ बिताए. हम सोशल लोग हो गए है. यहां विकल्प बहुत है. हम ज्यादा से ज्यादा लोगों को जानने और मिलने में यकीं रखते है. पल भर में प्यार, पल भर में ब्रेकअप और अगले ही पल नए रिश्तें मे होना पंसद करते है. हम किसी एक ही अच्छाई और बुराई को जानने की कोशिश भी नहीं करते है. हम चाहते है कि सब परफेक्ट हो. हम कई सारे लोगो को डेट करते है पर किसी को भी गंभीरता के साथ मौका नहीं देते. कर किसी में कुछ कमियां ढ़ूंढ लेते है.

टेक्नौलजी एंड प्रैक्टिकल लोग

तकनीक ने हमे एक दूसरे के इतना करीब ला दिया है कि सांस लेना मुश्किल हो गया है. एख दूसरे से मिलने से ज्यादा टेक्ट्स, वॉयस मेसेज आदि ने ले लिया है. हमे दूसरे के साथ वक्त बिताना जरूरी ही नहीं लगता है. हम एक दूसरे को इतनी जल्दी इतना जान जाते है कि बात करने के लिए कुछ बचा ही नहीं होता है.  हमें कमिटमेंट फोबिया है. जरा सी मुश्किल दिखने पर हम कभी ना सेटेल होने का सोचने लगे है. हमे किसी की साथ बोझ लगने लगता है. बाकियों से अलग दिखने की चाह में रिश्तों ये भागना आसान लगता है. शादी या कमिटमेंट आज की जेनरेशन के लिए ओल्ड फैशन हो गया है.

सेक्स करना खुद को मौर्डन साबित करने के अलावा और कुछ नहीं रह गया है. प्यार और सेक्स को एक दूसरे से जोड़ना हम गलत मानते है. हम पहले सेक्स फिर ये सोचते है कि हमे उससे प्यार हो सकता है या नहीं. सेक्स आराम से किया जा सकता है लेकिन भरोसा और विश्वास इतनी आसानी से नहीं होता है. सेक्स आप किसी से प्यार के लिए बल्कि अपनी उत्सुकता को मिटाने के लिए करते है. रिलेशनशिप भी अब कई तरह की हो गई है, जैसे ओपन रिलेशनशिप, फ्लिंग रिलेशनशिप, फ्रेंड्स विड बेनिफिट आदि.

बुढ़ापे में मैरिड लाइफ कैसी होनी चाहिए?

सवाल

मैं 83 वर्षीय वृद्ध हूं. पत्नी की उम्र 75 वर्ष है. बच्चे भी पोते पोतियों वाले हो गए हैं. मैंने करीब 35-40 साल पहले अपना नसबंदी औपरेशन कराया था. न तो उस से और न ही इतनी उम्र हो जाने पर मेरी, बल्कि कहना चाहिए हम दोनों की कामुकता में कोई अंतर आया है. हम अब भी महीने में 2-3 बार सैक्स करते हैं. प्राय: इस उम्र तक आते आते लोगों की सैक्स के प्रति विरक्ति हो जाती है. हमारी क्यों नहीं हो रही?

जवाब
कामेच्छा की कोई तय सीमा नहीं होती, न ही कोई मानदंड होता है. यह व्यक्ति विशेष की सामर्थ्य और इच्छाशक्ति पर निर्भर करता है. जहां तक नसबंदी औपरेशन की बात है, उस का भी इस पर दुष्प्रभाव नहीं होता. आप इस उम्र में भी अपनी सैक्स लाइफ का आनंद ले रहे हैं, तो यह अच्छी बात है.

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पचपन में भी न करें सेक्स से परहेज

कुछ समय पहले की बात है. एक विख्यात सेक्स विशेषज्ञ को एक महिला का पत्र मिला. लिखा था, मेरे पति 54 साल के हैं. उन्होंने फैसला किया है कि वह अब भविष्य में मुझ से कोई जिस्मानी संबंध न रखेंगे. उन का कहना है कि उन्होंने कहीं पढ़ा है कि 50 साल बाद वीर्य का निकलना मर्द पर अधिक शारीरिक दबाव डालता है और वह अगर नियमित संभोग में लिप्त रहेगा तो उस की आयु कम रह जाएगी यानी वह वक्त से पहले मर जाएगा. इसलिए उन्होंने सेक्स को पूरी तरह से त्याग दिया है. क्या इस बात में सचाई  है? अगर नहीं, तो आप कृपया उन्हें सही सलाह दें.

मैं आशा करती हूं कि इस में कोई सत्य न हो, क्योंकि यद्यपि मैं 50 की हूं मेरी इच्छाएं अभी बहुत जवान हैं. मैं इस विचार से ही बहुत उदास हो जाती हूं कि अब ताउम्र मुझे सेक्स सुख की प्राप्ति नहीं होगी. मैं ने अपने पति को समझाने की बहुत कोशिश की. मुझे यकीन है कि वह गलत हैं. लेकिन मेरे पास कोई मेडिकल सुबूत नहीं है, इसलिए वह मेरी बात पर ध्यान नहीं देते. मुझे विश्वास है कि जहां मैं नाकाम रही वहीं आप कामयाब हो जाएंगे.

यह केवल एक महिला का दुखड़ा नहीं है. अगर सर्वे किया जाए तो 50 से ऊपर की ज्यादातर महिलाएं इसी कहानी को दोहराएंगी और महिलाएं ही क्यों पुरुषों का भी यही हाल है. सेक्स से इस विमुखता के कारण स्पष्ट और जगजाहिर हैं, लेकिन एक बात जिसे मुश्किल से स्वीकार किया जाता है और जो आधुनिक शोध से साबित है, वह यह है कि सेक्स न करने से व्यक्ति जल्दी बूढ़ा हो जाता है और उसे बीमारियां भी घेर लेती हैं.

एक 55 साल की महिला से सेक्स के बाद जब उस के प्रेमी ने कहा कि वह जवान लग रही है, तो उस ने आईना देखा. उस ने अपने शरीर में अजीब किस्म की तरंगों को महसूस किया और उसे लगा कि वह अपने जीवन में 20 वर्ष पहले लौट आई है.

50 के बाद सेक्स में दिलचस्पी कम होने की कई वजहें हैं. हालांकि अब वैदिक काल जैसी कट्टरता नहीं है, लेकिन अब भी सोच यही है कि 50 पर गृहस्थ आश्रम खत्म हो जाता है और वानप्रस्थ आश्रम शुरू हो जाता है. इसलिए शायद ही कोई घर बचा हो जिस में यह वाक्य न दोहराया जाता हो : नातीपोते वाले हो गए, अब तुम्हारे खेलने के दिन कहां बाकी हैं. शर्म करो, अब बचपना छोड़ो. बहूबेटे क्या कहेंगे? क्या सोचेंगे कि बूढ़ों को अब भी चैन नहीं है.

दरअसल, भक्तिकाल में जब ब्रह्मचर्य और वीर्य को सुरक्षित रखने पर जो बल दिया गया उस से यह सोच विकसित हो गई कि सेक्स का उद्देश्य आनंदित स्वस्थ और तनावमुक्त रहना नहीं बल्कि केवल उत्पत्ति है. एक बार जब संतान की उत्पत्ति हो जाए तो सेक्स पर विराम लगा देना चाहिए.

इस तथाकथित धार्मिक धारणा पर अब तक साइंस का गिलाफ चढ़ाने का प्रयास किया जाता रहा है. मसलन, हाल ही में ‘योग’ से  संबंधित एक पत्रिका में लिखा था, ‘‘वीर्य में सेक्स हारमोन होते हैं. उन्हें सुरक्षित रखें और सेक्स में लिप्त हो कर उसे बरबाद न करें. यह कीमती हारमोन यदि बचा लिए जाते हैं तो वापस रक्त में चले जाते हैं और शरीर में ताजगी और स्फूर्ति आ जाती है. आधी छटांक वीर्य 40 छटांक रक्त के बराबर होता है, क्योंकि वह इतने ही खून से बनता है. जिस्म से जितनी बार वीर्य निकलता है उतनी ही बार कीमती रासायनिक तत्त्व बरबाद हो जाते हैं, वह तत्त्व जो नर्व व बे्रन टिश्यू के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण  हैं. यही वजह है कि अति उत्तेजक पुरुषों की पत्नियां और वेश्याओं की आयु बहुत कम होती है.

इस पूरे ‘प्रवचन’ के लिए एक ही शब्द है, बकवास. सब से पहली बात तो यह है कि वीर्य में शुक्राणु बड़ी मात्रा में साधारण शकर, सेट्रिक एसिड, एसकोरबिक एसिड, विटामिन सी, बाइकारबोनेट, फासफेट और अन्य पदार्थ होते हैं जो ज्यादातर एंजाइम होते हैं, इन सब का उत्पादन अंडकोशिकाएं, सेमिनल बेसिकल्स और एपिडर्मिस व वसा की डक्ट के जरिए होता है. वीर्य में सेक्स हारमोन होते ही नहीं. यह सारे तत्त्व या पदार्थ जिस्म में खाने की सप्लाई से बनते हैं जोकि एक न खत्म होने वाली प्रक्रिया है. निष्कासित होने से पहले वीर्य सेमिनल वेसिकल्स में स्टोर होता है, अगर इसे निष्कासित नहीं किया गया तो भीगे ख्वाबों से यह अपनेआप हो जाएगा. जाहिर है इस के शरीर में स्टोर होने का अर्थ है कि जिस्म में यह सरकुलेशन का हिस्सा रहा ही नहीं है और न ही ऐसी कोई प्रक्रिया है जिस से वीर्य फिर खून में शामिल हो कर ऊर्जा का हिस्सा बन जाए.

विख्यात वैज्ञानिक डॉक्टर इसाडोर रूबिन का कहना है, ‘‘अगर यह धारणा सही होती कि वीर्य के निकलने से या महिला के चरम आनंद प्राप्त करने से जिस्म में कमजोरी आ जाती है और उम्र में कटौती हो जाती है, तो कुंआरों की आयु विवाहितों से ज्यादा होती, क्योंकि अविवाहितों को सेक्स के अवसर कम मिलते हैं. वास्तविकता यह है कि विवाहित व्यक्ति लंबे समय तक जीते हैं.’’ हाल में किए गए शोधों से पता चला है कि अगर कोई व्यक्ति काफी दिन तक सेक्स से दूर रहता है तो कुछ प्रोस्टेटिक फ्लूड सख्त हो कर ग्रंथि में रह जाते हैं. इस से प्रोस्टेट ग्रंथि का आकार बढ़ जाता है और व्यक्ति को पेशाब करने में कठिनाई होने लगती है. इस समस्या पर अगर ध्यान न दिया जाए तो फिर प्रोस्टेट की सर्जरी आवश्यक हो जाती है.

50 के बाद सेक्स से विमुखता का एक अन्य कारण यह है कि जवानी में लोग कसरत पर और अपने जिस्म को सुडौल रखने के लिए खानपान पर अकसर खास ध्यान नहीं  देते. इस से उम्र के साथ उन के शरीर पर फैट जमा होने लगता है जिस से वह मोटे हो जाते हैं. यह जानने के लिए ज्ञानी होना आवश्यक नहीं है कि मोटापा अपनेआप में कई गंभीर बीमारियों की जड़ होता है. व्यक्ति जब बीमार रहेगा तो उस का ध्यान सेक्स की ओर कहां जाएगा, साथ ही पुरुष का जब पेट निकल जाता है और उस का सीना भी औरतों की तरह लटक जाता है तो वह उस मुस्तैदी से सेक्स में लिप्त नहीं हो पाता जैसे वह जवानी में होता था. महिलाओं के बेडौल और मोटे होने से उन में मर्द के लिए पहले जैसा आकर्षण नहीं रह पाता. इसलिए जरूरी है कि उम्र के हर हिस्से में कसरत की जाए और अपना वजन नियंत्रित रखा जाए.

वैसे सेक्स भी अपनेआप में बेहतरीन कसरत है. अन्य फायदों के अलावा इस से मांसपेशियों सुगठित रहती हैं, ब्लड प्रेशर सामान्य और अतिरिक्त फैट कम हो जाता है. गौरतलब है कि पुरुष के गुप्तांग में जोश स्पंजी टिश्यू के छिद्रों में खून के बहाव से आता है. अगर आप के जिस्म पर 1 किलो अतिरिक्त फैट है तो रक्त को 22 मील और ज्यादा सरकुलेट होना पड़ता है. अगर व्यक्ति बहुत मोटा है तो फैट उस के सामान्य सरकुलेशन को और कमजोर कर देता है और खास मौके पर इतना रक्त उपलब्ध नहीं होता कि पूरी तरह से जोश में आ जाए.

दरअसल, खानेपीने का तरीका सामान्य सेहत को ही नहीं सेक्स जीवन को भी प्रभावित करता है. इस में कोई दोराय नहीं कि पतिपत्नी क्योंकि एक ही छत के नीचे रहते हैं इसलिए खाना भी एक सा ही खाते हैं. अगर किसी दंपती के खाने में विटामिन ‘बी’ की कमी है तो इस का उन के जीवन पर जटिल प्रभाव पडे़गा. इस की वजह से पत्नी में अतिरिक्त एस्ट्रोजन (महिला सेक्स हारमोन) आ जाएंगे और उस की सेक्स इच्छाएं बढ़ जाएंगी जबकि पति में इस का उलटा असर होता है. एस्टो्रजन के बढ़ने से उस के एंड्रोजन (पुरुष सेक्स हारमोन) में कमी आ जाती है.

दूसरे शब्दों में, स्थिति यह हो जाएगी कि पत्नी तो ज्यादा प्यार करना चाहेगी, लेकिन पति की इच्छाएं कम हो जाएंगी. इसलिए आवश्यक है कि संतुलित हाई प्रोटीन खुराक ली जाए. साथ ही शराब और सिगरेट की अधिकता से बचा जाए, क्योंकि इन दोनों के सेवन से व्यक्ति वक्त से पहले चरम पर पहुंच जाता है और फिर अतृप्त सा महसूस करता है.

गौरतलब है कि इंटरनेशनल जर्नल आफ सेक्सोलोजी-7 के अनुसार विटामिन और हारमोंस का गहरा रिश्ता है. दर्द भरी माहवारी में राहत के लिए जब टेस्टेस्टेरोन हारमोन दिया जाता है तो उस की अधिक सफलता के लिए साथ ही विटामिन ‘डी’ भी दिया जाता है. इसी तरह से गर्भपात के संभावित खतरे से बचने के लिए प्रोजेस्टरोन हारमोन के साथ विटामिन ‘सी’  दिया जाता है.

50 के बाद सेक्स से विमुखता की एक वजह यह भी है कि दोनों पतिपत्नी बननासंवरना काफी हद तक कम कर देते हैं. अच्छे और आकर्षक कपडे़ पहनने से और बाल अच्छी तरह बनाने से यकीनन महिला का मनोबल और आत्मविश्वास बढ़ता है. इस के बावजूद आप को रजोनिवृत्ति से गुजर चुकी ऐसी अनेक महिलाएं मिल जाएंगी जो भद्दे कपडे़ पहनती हैं, ऐसे बाल संवारती हैं जो फैशन में नहीं है. गाल उन के लटक गए होते हैं, ऊपरी होंठ पर बाल होते हैं, स्तन लटके हुए और पेट व कूल्हे फैले हुए होते हैं. ऐसी पत्नियों में भला किस पति की दिलचस्पी बरकरार रहेगी जबकि जरा सी कोशिश से यह सबकुछ बदला जा सकता है. महिलाएं अच्छी डे्रस शाप पर जाएं, सप्ताह में एक बार ब्यूटी पार्लर जाएं, लटकी हुई खाल और मांसपेशियों को सही आकार देने के लिए हैल्थ व ब्यूटी जिम्नेजियम में कोर्स करें और दृढ़ता से तय कर लें कि मांसपेशियों को सख्त रखने के लिए वे रोजाना कुछ मिनट व्यायाम के लिए भी निकालेंगी. यह सौंदर्य उपचार और हलकी कसरत न सिर्फ उन के मनोबल को बेहतर रखेगी बल्कि सख्त जिस्म उन के सेक्सुअल सिस्टम को भी दुरुस्त रखेगा और उन के पति उन की ओर आकर्षित रहेंगे. ज्ञात रहे कि आत्मविश्वास से भरी सुंदर स्त्री जो अपने जिस्म के रखरखाव में भी माहिर हो, वह अपनी ओर एक 16 साल की लड़की से ज्यादा ध्यान आकर्षित करा लेती है.

यहां यह बताना भी आवश्यक होगा कि इसी किस्म का आकर्षण लाने के लिए पुरुषों को भी चाहिए कि वे कसरत करें, ब्यूटी पार्लर जाएं और अच्छे कपडे़ पहनें, साथ ही उन की पत्नी जब रजोनिवृत्ति से गुजर रही हो तो उस का विशेष ध्यान रखें. पत्नी जितना खुल कर अपने पति से बातें कर सकती है उतना वह अपने डाक्टर से भी नहीं कह पाती. इसलिए अगर रजोनिवृत्ति के दौरान पति ने उसे सही से संभाल लिया तो आगे का सेक्स जीवन बेहतर रहेगा.

अब तक जो बहस की गई है उस से स्पष्ट है कि अच्छे, स्वस्थ और लंबे जीवन के लिए 50 के बाद भी सेक्स उतना ही आवश्यक है जितना कि उस से पहले. लेकिन उसे बेहतर बनाए रखने के लिए अपने नजरिए में बदलाव लाना भी जरूरी है और अगर कोई समस्या है तो मनोवैज्ञानिक और डाक्टर से खुल कर बात करने में कोई शर्म नहीं करनी चाहिए.

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

साझेदारी में ही समझदारी: पति पत्नी का रिश्ता होगा मजबूत

वह जमाना गया, जिस में बेटे श्रवण कुमार की तरह पूरी पगार मांबाप के हाथों या पांवों में रख देते थे और फिर अपने जेबखर्च के लिए मांबाप का मुंह ताकते थे यानी उन्हें अपनी कमाई अपनी मरजी से खर्च करने का हक नहीं था.

परिवार सीमित होने लगे तो बच्चों के अधिकार बढ़तेबढ़ते इतने हो गए हैं कि उन्हें पूरी तरह आर्थिक स्वतंत्रता कुछ अघोषित शर्तों पर ही सही मगर मिल गई है. इन एकल परिवारों में पत्नी का रोल और दखल आमदनी और खर्च दोनों में बढ़ा है, साथ ही उस की पूछपरख भी बढ़ी है.

भोपाल के जयंत एक संपन्न जैन परिवार से हैं और पुणे की एक सौफ्टवेयर कंपनी में क्व18 लाख सालाना सैलरी पर काम कर रहे हैं. जयंत की शादी जलगांव की श्वेता से तय हुई तो शादी के भारीभरकम खर्च लगभग क्व20 लाख में से उन्होंने क्व10 लाख अपनी बचत से दिए. श्वेता खुद भी नौकरीपेशा है. जयंत से कुछ कम सैलरी पर एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में काम करती है.

शादी तय होने से पहले दोनों मिले तो ट्यूनिंग अच्छी बैठी. उन के शौक और आदतें दोनों मैच कर चुके थे. दोनों ने 4 दिन साथ एकदूसरे को समझने की गरज से गुजारे और फिर अपनी सहमति परिवार को दे दी. जयंत श्वेता के सादगी भरे सौंदर्य पर रीझा तो श्वेता अपने भावी पति के सरल स्वभाव और काबिलीयत से प्रभावित हुई. इन 4 दिनों का घूमनेफिरने और होटलिंग का खर्च पुरुष होने के नाते स्वाभाविक रूप से जयंत ने उठाया. दोनों ने एकदूसरे की सैलरी के बारे में कोई बात नहीं की.

अकेले सैलरी ही नहीं, बल्कि इन्होंने भविष्य की कोई आर्थिक योजना भी तैयार नहीं की और न ही एकदूसरे की खर्च करने की आदतों को समझा. घर वालों से मिली जानकारी के आधार पर दोनों ने एकदूसरे के बारे में अंदाजा भर लगाया कि अच्छी पगार है, इसलिए सेविंग अकाउंट में पैसा भी खासा होगा.

झिझक क्यों

शादी के बाद हनीमून मनाने दोनों ने पूर्वोत्तर राज्यों का रुख किया. हनीमून को यादगार बनाने के लिए दिल खोल कर खर्च किया. प्यार में डूबे इस नवदंपती ने फिर यह गलती दोहराई कि एकदूसरे की खर्च करने की आदतों के अलावा बचत और भविष्य की कोई बात नहीं की. हनीमून के दौरान अधिकांश बड़े खर्च जयंत ने किए और फिर दोनों पूना वापस आ गए जहां जयंत किराए के फ्लैट में रहता था. श्वेता ने भी अपनी ट्रांसफर पूना करवा ली, वहां उस की कंपनी की ब्रांच थी.

10 लाख शादी में देने के बाद और करीब क्व4 लाख हनीमून पर खर्च करने के बाद जयंत के पास पैसे कम बचे थे. महंगे होटलों का बिल उस ने अपने क्रैडिट कार्ड से अदा किया था.

खुद को आधुनिक कहने और समझने वाले ये दोनों उस पूर्वाग्रही भारतीय मानसिकता के शिकार थे, जिस में पैसों की बाबत खुल कर बात नहीं की जाती. हो यह रहा था कि अभी भी परंपरागत भारतीय पति की तरह घर खर्च जयंत ही कर रहा था. श्वेता बस अपने खर्चे उठा रही थी. उस का ध्यान इस तरफ गया ही नहीं कि जयंत काफी पैसे खर्च कर चुका है. शादी के खर्चे में अपनी भागीदारी की बात जयंत उसे यह सोच कर बता चुका था कि बात समझ कर वह खुद मदद की पहल करेगी, लेकिन यह अंदाजा महज अंदाज ही रहा.

क्रैडिट कार्ड के भारीभरकम बिलों और 40 हजार के किराए वाले लक्जरी फ्लैट का किराया जब भारी पड़ने लगा तो जयंत परेशान हो उठा. घर से पैसे मंगाता तो फजीहत होती. लिहाजा, हार मान कर उस ने श्वेता को तंगी की बात बताई तो वह हैरान तो हुई, लेकिन समझदारी दिखाते हुए अपने खाते से पैसे निकाल कर जयंत को दे दिए.

इस मोड़ पर आ कर शादी के 5 महीने बाद दोनों का ध्यान अपनीअपनी गलतियों पर गया और फिर उन्होंने न केवल पैसों पर खुल कर बात की, बल्कि भविष्य की योजनाओं का भी खाका खींच डाला कि अब आगे क्या करना है.

श्वेता ने जयंत से कहा भी कि पहले बता देते तो लगभग डेढ़ लाख रुपए बच जाते. दरअसल, हुआ यह था कि श्वेता यह समझती रही कि जयंत के पास पर्याप्त पैसे होंगे तभी तो वह खुले हाथ से खर्च कर रहा है. उधर शादी और हनीमून को यादगार बनाने के उत्साह में डूबा जयंत यह मान बैठा था कि श्वेता समझ रही होगी कि वह एक तरह से संयुक्त रूप से खर्च कर रहा है जबकि ऐसा कुछ था नहीं.

अब इन दोनों की माली रेलगाड़ी पटरी पर है और दोनों ने तय किया है कि अगले 3 साल तक जितना हो सकेगा पैसा बचाएंगे. दोनों तमाम नए कपल्स की तरह बच्चा भी प्लान कर रहे हैं कि उस का घर और दुनिया में आना कब ठीक होगा.

बाहर रह कर अपनी गृहस्थी की गाड़ी चला रहे बेटेबेटियों की जिंदगी में मांबाप अब कोई दखल नहीं देते. यह एक अच्छी बात है, लेकिन बात जब पैसों की आती है तो उन का चिंतित होना स्वाभाविक है कि कहीं ऐसा तो नहीं कि बहू के चुनाव में कोई चूक हो गई हो. उलट लड़की के मांबाप भी यह सोच सकते हैं कि कहीं गलत दामाद तो पल्ले नहीं पड़ गया.

ऐसे बनाएं आर्थिक साझेदारी

खुशहाल दांपत्य जीवन के लिए बेहद जरूरी है कि पतिपत्नी के बीच आमदनी को ले कर पारदर्शिता हो, इसलिए शादी तय होते ही या शादी के तुरंत बाद जीवनसाथी से इस मसले पर खुल कर बात लेना काफी कारगर साबित होता है.

नवदंपतियों को चाहिए कि वे अपनी फाइनैंशियल प्लानिंग जल्दी कर लें और इस के लिए जरूरी है:

एकदूसरे से अपनी आमदनी व बचत छिपाएं नहीं, बल्कि उसे साझा करें.

अगर शादी के पहले कोई बड़ा कर्ज ले रखा है तो उसे भावी जीवनसाथी को बता दें.

एकदूसरे से छिपा कर उधारी का लेनदेन और अपने रिश्तेदारों की मदद न करें.

शादी के बाद शुरुआती दौर में अपने जीवनसाथी की आमदनी और खर्च के मामलों पर आंख मूंद कर भरोसा न करें और उस की आदतों को समझें.

क्रैडिट कार्ड के बजाय डैबिट कार्ड का इस्तेमाल करें.

कम वेतन वाला खुद को हीन और ज्यादा वेतन वाला खुद को श्रेष्ठ या बुद्घिमान समझते हुए खुद को दूसरे पर थोपे नहीं.

निजी कंपनियों की नौकरी भले ही अच्छी सैलरी वाली होती है, लेकिन उस के कभी भी जाने या किसी वजह से छोड़ने का जोखिम बना रहता है, इसलिए यह मान कर न चलें कि आज जो आमदनी है वह हमेशा बनी रहेगी. अत: दोनों बचत की आदत डालें.

बचत के लिए कहां निवेश करें इस में मतभेद हों, तो उन्हें किसी अच्छे वित्तीय सलाहकार की मदद से दूर करें. आमतौर पर पत्नियां ज्वैलरी में तो पति म्यूचुअल फंड वगैरह में नियमित निवेश को प्राथमिकता देता है. पैसा ऐसी जगह लगाएं जहां से रिटर्न ज्यादा से ज्यादा मिलने की संभावना हो.

घर खर्च में किस की कितनी हिस्सेदारी होगी यह तय करना कोई हरज या शर्म की बात नहीं. इस के लिए जरूरी है कि एकदूसरे के पैसे को अपना समझा जाए.

याद रखें पतिपत्नी का रिश्ता बेहद संवेदनशील होता है और बात जब पैसों की आती है, तो एकदूसरे से कुछ भी छिपाना या चोरीछिपे खर्च अथवा बचत करना और भी घातक साबित होता है. वैचारिक मतभेद एक दफा वक्त रहते सुलझ जाते हैं, लेकिन आर्थिक अविश्वास आ जाए तो वह आसानी से दूर नहीं होता.

बचत में रखें प्रतिस्पर्धा

यह कहावत गलत नहीं है कि बचाया गया पैसा ही असली आमदनी है, इसलिए नियमित बचत की आदत डालें. इस के लिए एक दिलचस्प तरीका यह अपना सकते हैं कि पतिपत्नी दोनों अपनी आमदनी से ज्यादा से ज्यादा बचत करने की प्रतिस्पर्धा करें.

जाहिर है ऐसा करेंगे तो दोनों अपनी व्यक्तिगत फुजूलखर्ची से छुटकारा पाने की और कोशिश करेंगे. होटलिंग, पैट्रोल, इलैक्ट्रौनिक्स आइटम, मोबाइल आदि पर खर्च करने पर लगाम लगाएं यानी इन पर जरूरत के मुताबिक ही खर्च करें. छोटी बचत लगातार की जाए तो वह देखते ही देखते बड़ी हो जाती है.

बचत प्रतिस्पर्धा के लिए 1 साल की मियाद तय करें कि कौन कितना पैसा बचा सकता है. अगर ईमानदारी से बचत करेंगे तो जान कर हैरान रह जाएंगे कि आप ने साल भर में एक बड़ा अमाउंट इकट्ठा कर लिया है, जिसे किसी बड़े काम या निवेश में लगाया जा सकता है.

यह भी याद रखें कि आजकल पैसा कमाने से दुष्कर काम पैसा बचाना हो चला है, इस के लिए अपने मातापिता का जीवन याद करें कि वे कैसेकैसे बचत करते थे. कुछ पैसा बचत खाते में डाला हो और कुछ निवेश भी किया हो, तो तय है दांपत्य की गाड़ी सरपट दौड़ेगी और दोनों के बीच कोई अविश्वास और मनमुटाव नहीं रहेगा.

रिश्ते में प्यार के बदलते मायने

सच्चे प्रेम से खिलवाड़ करना किसी बड़े अपराध से कम नहीं है. प्रेम मनुष्य को अपने अस्तित्व का वास्तविक बोध करवाता है. प्रेम की शक्ति इंसान में उत्साह पैदा करती है. प्रेमरस में डूबी प्रार्थना ही मनुष्य को मानवता के निकट लाती है.

मुहब्बत के अस्तित्व पर सैक्स का कब्जा

आज प्रेम के मानदंड तेजी से बदल रहे हैं. त्याग, बलिदान, निश्छलता और आदर्श में खुलेआम सैक्स शामिल हो गया है.

प्रेम की आड़ में धोखा दिए जाने वाले उदाहरणों की शृंखला छोटी नहीं है और शायद इसी की जिम्मेदारी बदलते सामाजिक मूल्यों और देरी से विवाह, सच को स्वीकारने पर डाली जा सकती है. प्रेम को यथार्थ पर आंका जा रहा है. शायद इसी कारण प्रेम का कोरा भावपक्ष अस्त हो रहा है यानी प्रेम की नदी सूख रही है और सैक्स की चाहत से जलराशि बढ़ रही है.

विकृत मानसिकता व संस्कृति

आज के मल्टी चैनल युग में टीवी और फिल्मों ने जानकारी नहीं मनोरंजन ही परोसा है. समाज द्वारा किसी भी रूप में भावनाओं का आदर नहीं किया जाता.

प्रेम का मधुर एहसास तो कुछ सप्ताह तक चलता है. अब तन के उपभोग की अपेक्षा है.

क्षणिक होता मुहब्बत का जज्बा

प्रेम अब सड़क, टाकीज, रेस्तरां और बागबगीचों का चटपटा मसाला बन गया है. वर्तमान प्रेम क्षणिक हो चला है, वह क्षणभर दिल में तूफान ला देता है और अगले ही पल बिलकुल खामोश हो जाता है. युवा आज इसी क्षणभर के प्रेम की प्रथा में जी रहे हैं.

एक शोध के अनुसार, 86% युवाओं की महिला मित्र हैं, 92% युवक ब्लू फिल्म देखते हैं, तो 62% युवक और 38% युवतियों ने विवाहपूर्व शारीरिक संबंध स्थापित किए हैं.

यही है मुहब्बत की हकीकत

एक नई तहजीब भी इन युवाओं में गहराई से पैठ कर रही है, वह है डेटिंग यानी युवकयुवतियों का एकांत मिलन.

शोध के अनुसार, 93% युवकयुवतियों ने डेटिंग करना स्वीकार किया. इन में से एक बड़ा वर्ग डेटिंग के समय स्पर्श, चुंबन या सहवास करता है. इस शोध का गौरतलब तथ्य यह है कि अधिकांश युवक विवाहपूर्व यौन संबंधों के लिए अपनी मंगेतर को नहीं बल्कि किसी अन्य युवती को चुनते हैं. पहले इस आयु के युवाओं को विवाह बंधन में बांध दिया जाता था और समय आने तक जोड़ा दोचार बच्चों का पिता बन चुका होता था.

अमीरी की चकाचौंध में मदहोश प्रेमी

मृदुला और मनमोहन का प्रेम कालेज में चर्चा का विषय था. दोनों हर जगह हमेशा साथसाथ ही दिखाई देते थे. मनमोहन की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी. वह मध्यवर्गीय परिवार से था, लेकिन मृदुला के सामने खुद को थोड़ा बढ़ाचढ़ा कर दिखाने की कोशिश में रहता था. वह मृदुला को अपने दोस्त की अमीरी और वैभव द्वारा प्रभावित करना चाहता था. दूसरी ओर आदेश पर भी अपना रोब गांठना चाहता था कि धनदौलत न होने पर भी वह अपने व्यक्तित्व की बदौलत किसी खूबसूरत युवती से दोस्ती कर सकता है.

लेकिन घटनाचक्र ने ऐसा पलटा खाया कि जिस की मनमोहन ने सपने में भी कल्पना नहीं की थी. उस की तुलना में अत्यंत साधारण चेहरेमुहरे वाला आदेश अपनी अमीरी की चकाचौंध से मृदुला के प्यार को लूट कर चला गया.

मनमोहन ने जब कुछ दिन बाद अपनी आंखों से मृदुला को आदेश के साथ उस की गाड़ी से जाते देखा तो वह सोच में पड़ गया कि क्या यह वही मृदुला है, जो कभी उस की परछाईं बन उस के साथ चलती थी. उसे अपनी बचकानी हरकत पर भी गुस्सा आ रहा था कि उस ने मृदुला और आदेश को क्यों मिलवाया.

कालेज में मनमोहन की मित्रमंडली के फिकरों ने उस की कुंठा और भी बढ़ा दी.

प्रेम संबंधों में पैसे का महत्त्व

प्रेम संबंधों के बीच पैसे की महत्ता होती है. दोस्ती का हाथ बढ़ाने से पहले युवक की आर्थिक स्थिति को ध्यान में रख कर निर्णय लेना चाहिए. प्रेमी का यह भय सही है कि यदि वह अपनी प्रेमिका को महंगे उपहार नहीं देगा तो वह उसे छोड़ कर चली जाएगी. कोई भी युवती अपने प्रेमी को ठुकरा कर एक ऐसा नया रिश्ता स्थापित कर सकती है, जिस का आधार स्वाभाविक प्यार न हो कर केवल घूमनेफिरने और मौजमस्ती करने की चाह हो. युवकों को पैसे के अनुभव के बावजूद अपनी प्रेमिकाओं और महिला मित्रों को प्रभावित करने के लिए हैसियत से ज्यादा खर्च करना होगा.

प्रेम में पैसे का प्रदर्शन, बचकानी हरकत

छात्रा अरुणा का विचार है कि अधिकतर युवक इस गलतफहमी का शिकार होते हैं कि पैसे से युवती को आकर्षित किया जा सकता है. यही कारण है कि ये लोग कमीज के बटन खोल कर अपनी सोने की चेन का प्रदर्शन करते हैं. सड़कों, पान की दुकानों या गलियों में खड़े हो कर मोबाइल पर ऊंची आवाज में बात करते हैं या गाड़ी में स्टीरियो इतना तेज बजाते हैं कि राह चलते लोग उन्हें देखें.

हैसियत की झूठी तसवीर पेश करना घातक

अरुणा कहती है कि कुछ लोग प्रेमिका से आर्थिक स्थिति छिपाते हैं तथा अपनी आमदनी, वास्तविक आय से अधिक दिखाने के लिए अनेक हथकंडे अपनाते हैं. इसी संबंध में उन्होंने अपने एक रिश्तेदार का जिक्र किया जो एक निजी कंपनी में नौकरी करते थे. विवाह के तुरंत बाद उन्होंने पत्नी को टैक्सी में घुमाने, उस के लिए ज्वैलरी खरीदने तथा उसे खुश रखने के लिए इस कदर पैसा उड़ाया कि वे कर्ज में डूब गए. कर्ज चुकाने के लिए जब उन्होंने कंपनी से पैसे का गबन किया तो फिर पकड़े गए.

परिणामस्वरूप अच्छीखासी नौकरी चली गई. इतना ही नहीं, पत्नी भी उन की ऐसी स्थिति देख कर अपने मायके लौट गई. अगर शुरू से ही वह चादर देख कर पैर फैलाते, तो यह नौबत न आती.

समय के साथ बदलती मान्यताएं

मीनाक्षी भल्ला जो एक निजी कंपनी में कार्यरत हैं, का कहना है कि प्यार में प्रेमीप्रेमिका दोनों ही जहां एकदूसरे के लिए कुछ भी कर गुजरने की भावना रखते हैं, वहीं अपने साथी से कुछ अपेक्षाएं भी रखते हैं.

व्यापार बनता आज का प्रेम

इस प्रकार के रवैए ने प्यार को एक प्रकार का व्यापार बना दिया है. जितना पैसा लगाओ, उतना लाभ कमाओ. कुछ मित्रों का अनुभव तो यह है कि जो काम प्यार का अभिनय कर के तथा झूठी भावुकता दिखा कर साल भर में भी नहीं होता, वही काम पैसे के दम पर हफ्ते भर में हो सकता है. अगर पैसे वाला न हो तो युवती अपना तन देने को तैयार ही नहीं होती.

नोटों की ऐसी कोई बौछार कब उन के लिए मछली का कांटा बन जाए, पता नहीं चलेगा. ऐसी आजाद खयाल या बिंदास युवतियों का यह दृष्टिकोण कि सच्चे आशिक आज कहां मिलते हैं, इसलिए जो भी युवक मौजमस्ती और घूमनेफिरने का खर्च उठा सके, आराम से बांहों में समय बिताने के लिए जगह का इंतजाम कर सके, उसे अपना प्रेमी बना लो.

शादी के बाद धोखा देने के क्या होते हैं कारण

धोखा देना इंसान की फितरत है फिर चाहे वह धोखा छोटा हो या फिर बड़ा. अकसर इंसान प्यार में धोखा खाता है और प्यार में ही धोखा देता है. लेकिन आजकल शादी के बाद धोखा देने का एक ट्रेंड सा बन गया है. शादी के बाद लोग धोखा कई कारणों से देते हैं. कई बार ये धोखा जानबूझकर दिया जाता है तो कई बाद बदले लेने के लिए. इतना ही नहीं कई बार शादी के बाद धोखा देने का कारण होता है असंतुष्टि. कई बार तलाक का मुख्‍य कारण धोखा ही होता है. लेकिन ये जानना भी जरूरी है कि शादी के बाद धोखा देना कहां तक सही है, शादी के बाद धोखे की स्थिति को कैसे संभालें. क्या करें जब आपका पार्टनर आपको धोखा दे रहा है.

शादी के बाद धोखा देने के कारण

1. असंतुष्टि- कई बार पुरूष को अपनी महिला साथी से संभोग के दौरान असंतुष्टि होती है जिसके कारण वह बाहर की और जाने पर विविश हो जाता है और जल्दी ही वह दूसरी महिलाओं के करीब आ जाता है, नतीजन वो चाहे-अनचाहे अपनी महिला साथी को धोखा देने लगता है.

2. खुलापन- समाज में आ रहे खुलेपन के कारण भी पुरूष अपनी महिला साथी को धोखा देने से नहीं चूकता. दरअसल, समाज में खुलापन आने के कारण लोग खुली मानसिकता के हो गए हैं जिससे उन्हें विवाहेत्तर संबंध बनाने में भी कोई दिक्कत नहीं होती और महिलाएं भी बहुत बोल्ड हो गई हैं. इस कारण भी पुरूष अपनी महिला साथी का धोखा देते हैं.

3. संभावनाओं के कारण- आजकल विवाहेत्तर संबंध बनने की संभावनाएं अधिक हैं यानी विवाहेत्तर संबंध आसानी से बन जाते हैं. जिससे पुरूष अपनी पत्नी को धोखा देने लगते हैं, यह सोचकर कि उन्हें कुछ पता नहीं चलेगा.

4. आपसी वार्तालाप ना होना- पुरूष अकसर चाहते हैं कि वो अपनी पत्नी से खूब बातें करें और उनकी पत्नी भी अपनी बातें शेयर करें लेकिन जब आपसी वार्तालाप या संवाद की स्थिति खत्म हो जाती है तो रिश्तों में दरार आने और धोखा देने की संभावना अधिक बढ़ जाती है.

5. प्रयोगवादी होना- लोग आजकल नए-नए एक्सपेरिमेंट करते हैं. जब कोई पुरूष रिश्तों से उबने लगता है तो वह एक्सपेरिमेंट करने से नहीं चूकता. लेकिन जब पत्नी इसमें सहयोग नहीं देती तो पुरूष धोखा देने लगते हैं.

महिलाओं का शादी के बाद धोखा देने के कारण

1. अफेयर होना- आमतौर पर महिलाएं शादी के बाद पुरूषों को इसीलिए धोखा देने लगती हैं, क्योंकि उनका शादी से पहले किसी से अफेयर होता है या फिर उनका पहला प्रेमी उन्हें परेशान और ब्लैकमेल करता है जिससे वे धोखा देने पर मजबूर हो जाती हैं.

2. विश्वास ना होना- इसीलिए कुछ महिलाएं धोखा देने लगती हैंक्योंकि उनका पति उन पर विश्वास नहीं करता या फिर बिना किसी वजह शक करता है.

3. बोरियत होना- कई बार महिलाएं घर में रहकर या फिर एक ही तरह के रूटीन से बोर हो जाती हैं और अकेले रहते-रहते वे बाहर की और आकर्षित होती हैं. नतीजन कई बार उनके इससे विवाहेत्तर संबंध भी बन जाते हैं.

4. साथी से विचार ना मिलना- कई बार पति से विचार ना मिलना या फिर हर समय घर के झगड़े के कारण भी महिलाएं बाहर की ओर आकर्षित होती हैं.

इसके अलावा भी बहुत से कारण हैं जिससे महिलाएं और पुरूष शादी के बाद भी अपने साथी को धोखा देने लगती हैं.

जानें हैप्पी मैरिड लाइफ से जुड़ी बातें

मेरठ का 30 वर्षीय मनोहर अपने वैवाहिक जीवन से खुश नहीं था, कारण शारीरिक अस्वस्थता उस के यौन संबंध में आड़े आ रही थी. एक वर्ष पहले ही उस की शादी हुई थी. वह पीठ और पैर के जोड़ों के दर्द की वजह से संसर्ग के समय पत्नी के साथ सुखद संबंध बनाने में असहज हो जाता था. सैक्स को ले कर उस के मन में कई तरह की भ्रांतियां थीं.

दूसरी तरफ उस की 24 वर्षीय पत्नी उसे सैक्स के मामले में कमजोर समझ रही थी, क्योंकि वह उस सुखद एहसास को महसूस नहीं कर पाती थी जिस की उस ने कल्पना की थी. उन दोनों ने अलगअलग तरीके से अपनी समस्याएं सुलझाने की कोशिश की. वे दोस्तों की सलाह पर सैक्सोलौजिस्ट के पास गए. उस ने उन से तमाम तरह की पूछताछ के बाद समुचित सलाह दी.

क्या आप जानते हैं कि सैक्स का संबंध जितना दैहिक आकर्षण, दिली तमन्ना, परिवेश और भावनात्मक प्रवाह से है, उतना ही यह विज्ञान से भी जुड़ा हुआ है. हर किसी के मन में उठने वाले कुछ सामान्य सवाल हैं कि किसी पुरुष को पहली नजर में अपने जीवनसाथी के सुंदर चेहरे के अलावा और क्या अच्छा लगता है? रिश्ते को तरोताजा और एकदूसरे के प्रति आकर्षण पैदा करने के लिए क्या तौरतरीके अपनाने चाहिए?

सैक्स जीवन को बेहतर बनाने और रिश्ते में प्यार कायम रखने के लिए क्या कुछ किया जा सकता है? रिश्ते में प्रगाढ़ता कैसे आएगी? हमें कोई बहुत अच्छा क्यों लगने लगता है? किसी की धूर्तता या दीवानगी के पीछे सैक्स की कामुकता के बदलाव का राज क्या है? खुश रहने के लिए कितना सैक्स जरूरी है? सैक्स में फ्लर्ट किस हद तक किया जाना चाहिए?

इन सवालों के अलावा सब से चिंताजनक सवाल अंग के साइज और शीघ्र स्खलन की समस्या को ले कर भी होता है. इन सारे सवालों के पीछे वैज्ञानिक तथ्य छिपा है, जबकि सामान्य पुरुष उन से अनजान बने रह कर भावनात्मक स्तर पर कमजोर बन जाता है या फिर आत्मविश्वास खो बैठता है.

वैज्ञानिक शोध : संसर्ग का संघर्ष

हाल में किए गए वैज्ञानिक शोध के अनुसार, यौन सुख का चरमोत्कर्ष पुरुषों के दिमाग में तय होता है, जबकि महिलाओं के लिए सैक्स के दौरान विविध तरीके माने रखते हैं. चिकित्सा जगत के वैज्ञानिक बताते हैं कि पुरुष गलत तरीके के यौन संबंध को खुद नियंत्रित कर सकता है, जो उस की शारीरिक संरचना पर निर्भर है.

पुरुषों के लिए बेहतर यौनानंद और सहज यौन संबंध उस के यौनांग, मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी पर निर्भर करता है. पुरुषों में यदि रीढ़ की हड्डी की चोट या न्यूरोट्रांसमीटर सुखद यौन प्रक्रिया में बाधक बन सकता है, तो महिलाओं के लिए जननांग की दीवारें इस के लिए काफी हद तक जिम्मेदार होती हैं और कामोत्तेजना में बाधक बन सकती हैं.

शोध में वैज्ञानिकों ने पाया है कि एक पुरुष में संसर्ग सुख तक पहुंचने की क्षमता काफी हद तक उस के अपने शरीर की संरचना पर निर्भर है, जिस का नियंत्रण आसानी से नहीं हो पाता है. इस के लिए पुरुषों में मस्तिष्क, रीढ़ की हड्डी और शिश्न जिम्मेदार होते हैं.

मैडिसन के इंडियाना यूनिवर्सिटी स्कूल और मायो क्सीविक स्थित वैज्ञानिकों ने सैक्सुअल और न्यूरो एनाटोमी से संबंधित संसर्ग के प्रचलित तथ्यों का अध्ययन कर विश्लेषण किया. विश्लेषण के अनुसार,

डा. सीगल बताते हैं, ‘‘पुरुष के अंग के आकार के विपरीत किसी भी स्वस्थ पुरुष में संसर्ग करने की क्षमता काफी हद तक उस के तंत्रिकातंत्र पर निर्भर है. शरीर को नियंत्रित करने वाले तंत्रिकातंत्र और सहानुभूतिक तंत्रिकातंत्र के बीच संतुलन बनाया जाना चाहिए, जो शरीर के भीतर जूझने या स्वच्छंद होने की स्थिति को नियंत्रित करता है.’’

डा. सीगल अपने शोध के आधार पर बताते हैं कि शारीरिक संबंध के दौरान संवेदना मस्तिष्क या रीढ़ की हड्डी द्वारा पहुंचती है और फिर इस के दूसरे छोर को संकेत मिलता है कि आगे क्या करना है. इस आधार पर वैज्ञानिकों ने पाया कि उत्तेजना 2 तथ्यों पर निर्भर है.

एक मनोवैज्ञानिक और दूसरी शारीरिक, जिस में शिश्न की उत्तेजना प्रत्यक्ष तौर पर बनती है. इन 2 कारणों में से सामान्य मनोवैज्ञानिक तर्क की मान्यता में पूरी सचाई नहीं है. डा. सीगल का कहना है कि रीढ़ की हड्डी की चोट से शिश्न की उत्तेजना में कमी आने से संसर्ग सुख की प्राप्ति प्रभावित हो जाती है. इसी तरह से मस्तिष्क में मनोवैज्ञानिक समस्याओं में अवसाद आदि से तंत्रिका रसायन में बदलाव आने से संसर्ग और अधिक असहज या कष्टप्रद बन जाता है.

स्त्री की यौन तृप्ति

कोई युवती कितनी कामुक या सैक्स के प्रति उन्मादी हो सकती है? इस के लिए बड़ा सवाल यह है कि उसे यौन तृप्ति किस हद तक कितने समय में मिल पाती है? विश्लेषणों के अनुसार, शोधकर्ता वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि ऐसे लोगों को चिकित्सकीय सहायता मिल सकती है और वे सुखद यौन संबंध में बाधक बनने वाली बहुचर्चित भ्रांतियों से बच सकते हैं.

इस शोध में यह भी पाया गया है कि युवतियों के लिए यौन तृप्ति का अनुभव कहीं अधिक जटिल समस्या है. इस बारे में पता लगाने के लिए वैज्ञानिकों ने माइक्रोस्कोप के जरिए युवतियों के अंग की दीवारों में होने वाले बदलावों और असंगत प्रभाव बनने वाली स्थिति का पता लगाया है. वैज्ञानिकों ने एमआरआई स्कैन के जरिए महिला के दिमाग में संसर्ग के दौरान की  सक्रियता मालूम कर उत्तेजना की समस्या से जूझने वाले पुरुषों को सुझाव दिया है कि वे अपनी समस्याओं से छुटकारा पा सकते हैं. उन्हें सैक्सुअल समस्याओं के निबटारे के लिए डाक्टरी सलाह लेनी चाहिए, न कि नीम हकीम की सलाह या सुनीसुनाई बातों को महत्त्व देना चाहिए. इस अध्ययन को जर्नल औफ क्लीनिकल एनाटौमी में प्रकाशित किया गया है.

महत्त्वपूर्ण है संसर्ग की शैली

डा. सीगल के अनुसार, महिलाओं के लिए संसर्ग के सिलसिले में अपनाई गई पोजिशन महत्त्वपूर्ण है. विभिन्न सैक्सुअल पोजिशंस के संदर्भ में शोधकर्ताओं द्वारा किए गए सर्वेक्षणों में भी पाया गया है कि स्त्री के यौनांग की दीवारों को विभिन्न तरीके से उत्तेजित किया जा सकता है. आज की भागदौड़भरी जीवनशैली में मानसिक तनाव के साथसाथ शारीरिक अस्वस्थता भी सैक्स जीवन को प्रभावित कर देती है. ऐसे में कोई पुरुष चाहे तो अपनी सैक्स संबंधी समस्याओं को डाक्टरी सलाह के जरिए दूर कर सकता है. कठिनाई यह है कि ऐसे डाक्टर कम होते हैं और जो प्रचार करते हैं वे दवाएं बेचने के इच्छुक होते हैं, सलाह देने में कम. वैसे, बड़े अस्पतालों में स्किन व वीडी रोग (वैस्कुलर डिजीज) विभाग होता है. अगर कोई युगल किसी सैक्स समस्या से जूझ रहा है तो वह इस विभाग में डाक्टर को दिखा कर सलाह ले सकता है.

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