ऐसे बनेगा बच्चा वैल बिहेव्ड

रीटा अपने 5 साल के बच्चे के साथ अपनी सहेली के घर गई. वहां पर बच्चे ने प्लेट में रखी सारी चीजें उठा कर अपनी जेब में रख लीं और फिर रीटा की सहेली की 4 साल की बेटी को धक्का दे दिया. रीटा के समझाने पर वह उस से भी ऊंची आवाज में बात करने लगा. बच्चे के इस व्यवहार से रीटा को बहुत शर्मिंदगी महसूस हुई.

जब आप अपने छोटे बच्चे को ले कर किसी के घर जाती हैं, तो वह वहां किस तरह का व्यवहार करेगा, यह समझ पाना मुश्किल होता है. कई बार वह घर में अच्छा व्यवहार करता है, लेकिन बाहर जाने पर अजीब सा व्यवहार करने लगता है. इस संबंध में वरिष्ठ मनोवैज्ञानिक डा. अतुल वर्मा का कहना है कि बच्चा जैसा भी व्यवहार करता है वह अपने परिवार से ही सीखता है. आप घर में जिस तरह से किसी से बात करती हैं बच्चा उसे ही फौलो करता है. कई बार वह ध्यान आकर्षित करने के लिए भी उलटीसीधी हरकतें करता है.

पेरैंटिंग का अर्थ अपने बच्चे की हर जायजनाजायज मांग को पूरा करना नहीं वरन अपनी सही बात को बच्चे के नजरिए का ध्यान रखते हुए उसे उसी तरीके से सिखाना है जैसे वह चाहता है. आप अपने बच्चे को अच्छीबुरी बातों की जानकारी तो देती हैं, लेकिन उसे अपने से छोटों और बड़ों को संयमित व्यवहार कैसे करना है जैसे बुनियादी बातों की सीख देना भूल जाती हैं, जिस की वजह से वह कब किस से कैसा व्यवहार करता है जैसी बातें नहीं सीख पाता.

कुछ छोटीछोटी बातों का ध्यान रख कर आप अपने बच्चे को संयमित व्यवहार करना सिखा सकती हैं. मसलन:

1. खुद को बदलें

अपने बच्चे को वैल बिहेव्ड बनाने के लिए आप को स्वयं को भी बदलना होगा. आप अपने परिवार के साथ जैसा व्यवहार करती हैं, आप का बच्चा भी वैसा ही व्यवहार करना सीखेगा. आप चाहती हैं कि आप का लाडला अपने बड़ों की इज्जत करे, उन से ऊंची आवाज में बात न करे, तो इस के लिए आप को खुद को परिवार की इज्जत करनी होगी. अपने सासससुर और परिवार के दूसरे सदस्यों के साथ मैत्रीपूर्ण और सम्मानपूर्ण व्यवहार करना होगा. यकीन मानिए, अगर आप अपने बच्चे से कहेंगी कि आप अपने बड़ों से अच्छी तरह बात करो या फिर झूठ न बोलो, तो वह नहीं करेगा. बच्चे को समझाने के लिए आप को खुद में बदलाव लाना होगा, क्योंकि बच्चे की समझ इतनी विकसित नहीं होती है कि वह आप के कहे को समझ कर उसे व्यवहार में लाए. आप अपने बच्चे के सामने किसी से झूठ बोल रही हैं और उस से यह अपेक्षा कर रही हैं कि वह झूठ न बोले तो ऐसा संभव नहीं है.

2. अपने बनाए नियम पर प्रतिबद्ध रहें

आप ने अपने बच्चे के लिए कुछ नियम बना रखे होंगे. मसलन, आप उसे सप्ताह में 2 बार चौकलेट देंगी या फिर वह दिन में 2 घंटों के लिए ही अपना मनपसंद कार्टून शो देख सकता है आदि. अगर आप चाहती हैं कि आप का  बच्चा अपने जीवन में नियमों का पालन करे, तो इस के लिए आप को भी अपने बनाए रूल्स को फौलो करना होगा. ऐसा नहीं है कि जब आप का मूड हो या फिर आप किसी काम में बिजी हों तो नियमों में ढील दे दें. जैसे कि आप घर या औफिस का जरूरी काम कर रही हैं और आप का बच्चा आप को डिस्टर्ब कर रहा है, तो आप ने उस समय भी उस के लिए टीवी चला दिया जो उस के टीवी देखने का समय नहीं है. इस तरह की बातों से बच्चा कन्फ्यूज होता है. अत: आप जो रूल्स बना रही हैं, उन पर अडिग रहें. अगर आप संयुक्त परिवार में रहती हैं, तो भी परिवार के सदस्यों से इस बाबत बात कर लें कि वे आप के बच्चे को नियमों का पालन करने में मदद करें न कि रूल्स तोड़ने में.

3. मारने पीटने से करें तोबा

आप की आदत अपने बच्चे को बिना बात के पीटने की है, तो अपनी इस आदत पर तुरंत विराम लगा दें, क्योंकि आप मारपीट कर बच्चे को कुछ सिखाने की बजाय उस से अपने संबंधों को ही खराब कर रही हैं. अगर आप को उस की किसी बात पर गुस्सा आ रहा है, तो उसे मारने के बजाय प्यार से समझाएं कि वह जो कर रहा है वह गलत है. इस के अलावा उसे डांटते समय गालीगलौज न करें. अगर आप उस से गालीगलौज करेंगी या फिर बिना बात के उसे पीटेंगी तो इन बातों से बच्चे के मन में विद्रोह की भावना पनपती है. छोटा हो या बड़ा हर किसी को इज्जत की जरूरत होती है. आप चाहती हैं कि आप का बच्चा आप की और परिवार के दूसरे सदस्यों की इज्जत करे, तो आप भी उसे पूरा सम्मान दें.

4. गलत मांगों को न करें पूरा

अपने बच्चे को प्यार करना अच्छी बात है, लेकिन इस का अर्थ यह नहीं है कि आप उस की जिद को भी पूरा करें. कभीकभार जब आप मार्केट जाती हैं या फिर कोई घर में आ जाता है तो उस समय बच्चा फालतू की जिद करने लगता है. वह बेकार में गुस्सा दिखाने लगता है. अगर आप उस की बात को पूरा करेंगी, तो उस में अपनी बात को पूरा कराने के लिए जिद करने की आदत विकसित होगी जोकि उस के संयमित विकास के लिए ठीक नहीं है. अत: उस की जिद को इग्नोर करें. 1-2 बार ऐसा करने से उसे समझ आ जाएगा कि जिद कर के सारी मांगों को पूरा नहीं कराया जा सकता है.

5. ढेर सारा प्यारदुलार और खूब सारी बातें

बच्चे की सही परवरिश के लिए यह बेहद जरूरी है कि आप उस से खूब सारी बातें करें. जब वह स्कूल से आता है, तो उस ने स्कूल में क्या किया, उसे स्कूल में कोई दिक्कत तो नहीं है या फिर उसे क्या अच्छा लगता है और क्या नहीं जैसी बातें करें. इस से आप के बच्चे में आप के साथ अपनी बातें शेयर करने की हिम्मत आएगी. बच्चा गलत व्यवहार सिर्फ आप का अटैंशन पाने के लिए करता है. इस से बचने के लिए जब भी वह कुछ अच्छा करता है उस की तारीफ करें. उसे खूब सारा प्यार करें और गले लगाएं. इस से बच्चे के मन में सुरक्षित होने का एहसास आएगा और वह अच्छा व्यवहार करना सीखेगा.

6. इन बातों का भी रखें ध्यान

– बच्चे को वैल बिहेव्ड बनाने के लिए यह बेहद जरूरी है कि आप उस के सम्मान का ध्यान रखें. अगर उस से कोई गलती हो गई है, तो उस के लिए उसे सब के सामने डांटने के बजाय अकेले में समझाने की कोशिश करें.

– आप जिस तरह का व्यवहार अपने बच्चे से चाहती हैं, उस के साथ वैसा ही व्यवहार करें. अगर यह कहा जाए कि बच्चा बहुत बड़ा कौफी कैट होता है, तो गलत नहीं होगा. अगर आप चाहती हैं कि आप के बच्चे में पढ़ने की आदत विकसित हो, तो इस के लिए आप को खुद भी पढ़ना होगा.

– अपने बच्चे में किसी काम के लिए आभार जताने और गलती को महसूस करने के लिए उसे थैंक्यू और सौरी जैसे छोटेछोटे शब्दों का महत्त्व बताएं. इस के लिए अगर उस ने आप का छोटा सा भी काम किया है, तो आप उसे थैंक्यू कहना न भूलें और गलती होने पर उसे सौरी बोलने से न हिचकें. आप के द्वारा किए गए ये छोटेछोटे प्रयास आप के लाड़ले को वैल बिहेव्ड बनाने में मददगार साबित होंगे.

सैक्स ऐजुकेशन

बच्चे के सही विकास के लिए यह बेहद जरूरी है कि आप के बच्चे के साथ ऐसा कुछ न हो, जिस की वजह से उस का बचपन अनायास खत्म हो जाए. हर जगह होने वाले चाइल्ड ऐब्यूज को देखते हुए यह बेहद जरूरी है कि आप अपने बच्चे को समयसमय पर सैक्स संबंधित जानकारी देती रहें. उसे यह बताएं कि अगर कोई उस के प्राइवेट पार्ट को छूने की कोशिश करता हो, तो वह इस बारे में आप से बताए. बच्चा आप से अपने मन की बातें बांट सके, इस के लिए उसे सहज बनाना जरूरी है ताकि कोई उस के साथ किसी तरह का दुराचार न कर सके.

मेरी मैरिड लाइफ से जुड़े सवालों का जवाब दें?

सवाल

मैं 21 साल का हूं और रोजाना अपनी बीवी से हमबिस्तरी करता हूं. क्या ऐसा करना सेहत के लिए ठीक नहीं है?

जवाब

इस से सेहत पर कोई असर नहीं पड़ता है, लिहाजा आप बेखौफ ऐसा कर सकते हैं.

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मेरठ का 30 वर्षीय मनोहर अपने वैवाहिक जीवन से खुश नहीं था, कारण शारीरिक अस्वस्थता उस के यौन संबंध में आड़े आ रही थी. एक वर्ष पहले ही उस की शादी हुई थी. वह पीठ और पैर के जोड़ों के दर्द की वजह से संसर्ग के समय पत्नी के साथ सुखद संबंध बनाने में असहज हो जाता था. सैक्स को ले कर उस के मन में कई तरह की भ्रांतियां थीं.

दूसरी तरफ उस की 24 वर्षीय पत्नी उसे सैक्स के मामले में कमजोर समझ रही थी, क्योंकि वह उस सुखद एहसास को महसूस नहीं कर पाती थी जिस की उस ने कल्पना की थी. उन दोनों ने अलगअलग तरीके से अपनी समस्याएं सुलझाने की कोशिश की. वे दोस्तों की सलाह पर सैक्सोलौजिस्ट के पास गए. उस ने उन से तमाम तरह की पूछताछ के बाद समुचित सलाह दी.

क्या आप जानते हैं कि सैक्स का संबंध जितना दैहिक आकर्षण, दिली तमन्ना, परिवेश और भावनात्मक प्रवाह से है, उतना ही यह विज्ञान से भी जुड़ा हुआ है. हर किसी के मन में उठने वाले कुछ सामान्य सवाल हैं कि किसी पुरुष को पहली नजर में अपने जीवनसाथी के सुंदर चेहरे के अलावा और क्या अच्छा लगता है? रिश्ते को तरोताजा और एकदूसरे के प्रति आकर्षण पैदा करने के लिए क्या तौरतरीके अपनाने चाहिए?

सैक्स जीवन को बेहतर बनाने और रिश्ते में प्यार कायम रखने के लिए क्या कुछ किया जा सकता है? रिश्ते में प्रगाढ़ता कैसे आएगी? हमें कोई बहुत अच्छा क्यों लगने लगता है? किसी की धूर्तता या दीवानगी के पीछे सैक्स की कामुकता के बदलाव का राज क्या है? खुश रहने के लिए कितना सैक्स जरूरी है? सैक्स में फ्लर्ट किस हद तक किया जाना चाहिए?

इन सवालों के अलावा सब से चिंताजनक सवाल अंग के साइज और शीघ्र स्खलन की समस्या को ले कर भी होता है. इन सारे सवालों के पीछे वैज्ञानिक तथ्य छिपा है, जबकि सामान्य पुरुष उन से अनजान बने रह कर भावनात्मक स्तर पर कमजोर बन जाता है या फिर आत्मविश्वास खो बैठता है.

वैज्ञानिक शोध : संसर्ग का संघर्ष

हाल में किए गए वैज्ञानिक शोध के अनुसार, यौन सुख का चरमोत्कर्ष पुरुषों के दिमाग में तय होता है, जबकि महिलाओं के लिए सैक्स के दौरान विविध तरीके माने रखते हैं. चिकित्सा जगत के वैज्ञानिक बताते हैं कि पुरुष गलत तरीके के यौन संबंध को खुद नियंत्रित कर सकता है, जो उस की शारीरिक संरचना पर निर्भर है.

पुरुषों के लिए बेहतर यौनानंद और सहज यौन संबंध उस के यौनांग, मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी पर निर्भर करता है. पुरुषों में यदि रीढ़ की हड्डी की चोट या न्यूरोट्रांसमीटर सुखद यौन प्रक्रिया में बाधक बन सकता है, तो महिलाओं के लिए जननांग की दीवारें इस के लिए काफी हद तक जिम्मेदार होती हैं और कामोत्तेजना में बाधक बन सकती हैं.

पूरी खबर पढ़ने के लिए – कामुकता का राज

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

प्यार खुद से और लाइफ पार्ट्नर से

‘योर बैस्ट ईयर एट’ की लेखिका जिन्नी डिटजलर कहती हैं कि अगर आप चाहते हैं कि आप का प्रत्येक वर्ष विशेष व अच्छा हो, तो अपने आप से प्रेम करने एवं आनंद प्राप्ति हेतु सब से पहले अपने प्रति दयावान बनो. जब तक आप चिंतामुक्त रहने का तरीका नहीं सीखोगे तब तक अपने आप को खुश नहीं रख सकते और दूसरों के साथ उदार व्यवहार नहीं कर सकते. इसलिए स्वयं से प्रेम करो और स्वयं को असंतोष और पछतावे से मुक्त रखो.

अपने आप को स्वीकार करो

जब आप स्वयं से बिना शर्त प्रेम करते हो, तो यह गुण आप की औरों से प्रेम करने की योग्यता में वृद्धि करता है. योग गुरु गुरमुख और खालसा कहती हैं कि स्वयं से प्रेम करना सांस लेने की भांति है. जबकि आमतौर पर होता यह है कि हम स्वयं से और अपने सपनों से अलग हो जाते हैं, इसलिए दुखी रहते हैं.

जिन्नी कुछ व्यावहारिक तरीके स्वयं से जुड़ने के लिए बताती हैं, जो हैं अच्छा खाना, ध्यान, नए चलन के कपड़े पहनना, दान देने की कला और जीवन के उद्देश्य प्राप्त करना इत्यादि.

100 दिन के नियम

मोनिका जांडस, जिन्होंने ‘स्वयं से प्रेम करें’ नाम से प्रचार अभियान चलाया है, कहती हैं कि स्वयं को प्रेम भरा आलिंगन दो. स्वयं से प्रेम करोगे तो आजीवन प्रेम मिलेगा. जब मैं ने प्रचार शुरू किया तो मैं लोगों से चाहती थी कि वे स्वयं को 100 दिन 100 तरीकों से प्रेम करें. मैं चाहती थी लोग स्वयं की देखभाल करें. जीवन के प्रति लगाव रखें और अपनी भावनाओं को व्यक्त करें. आप विभिन्न चीजों को विभिन्न तरीकों से प्रतिदिन व्यवहार में लाने से स्वयं से प्रेम करना शुरू कर सकते हो. साथ ही अपना जीवन उद्देश्य तय कर के अपना लक्ष्य प्राप्त कर सकते हो.

पूर्वाग्रह को न कहो

पूर्वाग्रह का कभी पुलिंदा न बांधो. जहां भी संभव हो क्षमादाता बनो. माइकल डिओली, जो ‘आप के लिए उत्तम संभावनाएं’ के लेखक भी हैं, कहते हैं कि जीवन में सुगम यात्रा के लिए व्यक्ति को पूर्वाग्रहों के अतिरिक्त भार से समयानुसार मुक्त हो जाना चाहिए. केवल जरूरत पड़ने पर ही व्यक्ति को एक स्थान पर रुकना चाहिए. आप का द्वेष, आप का नकारात्मक आचरण, आप की सनक, द्वंद्व, क्रोध और आप की उदारता की कमी, आप को अच्छे संबंध बनाने से रोकती है.

अनीता मोरजानी, जो नैतिक उत्थान परामर्शदाता एवं लेखिका भी हैं, कहती हैं कि वास्तव में स्वयं के शत्रु हम स्वयं हैं और स्वयं के कठोर आलोचक भी. यदि औरों के प्रति भी हम इसी तरह का रवैया रखते हैं, तो हम हर व्यक्ति का आकलन एक ही दृष्टिकोण से करते हैं. हमें अपने जीवन के प्रत्येक पहलू को स्वीकार करना चाहिए, चाहे वह अच्छा हो या बुरा.

दूसरों के अधीन न बनो

सामान्य जीवन जीते हुए भी अगर मौका मिले तो पूर्ण आनंद लेने से खुद को मत रोको. मनोवैज्ञानिक रोहित जुनेजा, जो ‘दिल से जियो’ के लेखक भी हैं, कहते हैं कि हम स्वयं के सुख और विवाद के मुख्य स्रोत हैं. हम सभी मानव हैं और गलती करना मानवीय प्रवत्ति है. श्रेष्ठता के लिए दूसरों के अधीन न बनो और स्वयं के बारे में गलत राय भी न बनाओ. जरूरतमंद व्यक्तित्व प्रभावशाली नहीं होता. जीवन के उतारचढ़ाव के कारण स्वयं को जीवन के आनंदमयी क्षणों का आनंद लेने से वंचित न रखो.

स्वयं से प्रेम कैसे मुमकिन

स्वयं से प्रेम करने के लिए दिन में कम से कम 5 मिनट ध्यान करो जो रक्तचाप को कम कर जठराग्नि प्रणाली मजबूत करता है और साथ ही जीवन को प्रभावशाली तरीके से जीने योग्य बनाता है. ध्यान आप की स्मरण शक्ति में भी वृद्धि करता है, दुखों से लड़ना सिखाता है और आप के आवेश को रोकता है. तब आप स्वयं को प्रेम करने लगते हैं क्योंकि ध्यान आप की मानसिकता और स्वास्थ्य में वृद्धि करता है. यह खुशी प्रदान करने वाले हारमोंस का भी संचार करता है.

पारिवारिक समस्याएं

आप के निरंतर याद दिलाने और टोकने पर भी अगर आप का जीवनसाथी, घर के बिल, चाबी और घर के अन्य जरूरी सामान सही जगह पर नहीं रखता है, तो समस्या है कि खत्म ही नहीं होती और आप की परेशानी का कारण भी बन जाती है.

ऐसा कछ होने पर परेशानी में उलझे रहने के बजाय यह सोचो कि आप ने जिस व्यक्ति से विवाह अपना सुखदुख साझा करनेके लिए किया है, उस के साथ आप को असमानता का साझा भी करना है. आप अपनी चिंता को सहज रूप से जीवनसाथी के समक्ष रखो और घर की व्यवस्था एवं निजी जरूरतों के बारे में भी बात करो.

इसी प्रकार कई बार थकावट के कारण कुछ पुरुष संभोग के इच्छुक नहीं होते, जिस के कारण संबंध बनाते समय उन में गर्मजोशी की कमी रहती है. ऐसे में उन की इच्छा के विरुद्ध अगर उन की जीवनसंगिनी उन से यौन संबंध बनाती है तो वे असहज महसूस करते हैं. जिस से जीवनसंगिनी असंतुष्ट रह जाती है.

इस संबंध में यौन विशेषज्ञों का कहना है कि हर 3 में से 1 युगल तब यौन संतुष्टि न होने की समस्या का सामना करता है जब एक साथी इच्छुक होता है और दूसरा इच्छुक नहीं होता. कई बार ऐसी दुशवारियों के कारण आप के दांपत्य जीवन की डोर टूटने की कगार पर आ जाती है. संभोग आप के लिए मात्र औपचारिकता नहीं है, बल्कि एक महत्त्वपूर्ण आवश्यकता है. यदि आप का साथी संभोग हेतु इच्छुक नहीं है तो यौन इच्छा जाग्रत करने के कई कई उपाय हैं. आप उसे गुदगुदाएं तथा प्रेम भरी व कामुक वार्त्ता करें. इस से आप के साथी की यौन इच्छा जाग्रत होगी और वह यौन क्रिया हेतु तत्पर हो कर आप से सहयोग करने लगेगा. इस से आप दोनों ही यौन संतुष्टि पा सकोगे.

कामकाजी समस्याएं

औफिस से घर लौटने पर आजकल कई पुरुष लैपटौप या डिनर टेबल पर काम से संबंधित फोनकाल में व्यस्त रहते हैं, जो उन की जीवनसंगिनी की नाराजगी का कारण बनता है क्योंकि पूरे दिन के बाद यह समय आपसी बातचीत का होता है.

जब आप का जीवनसाथी लैपटौप या फोनकाल में व्यस्त हो, तो उसी समय समस्या पर तर्कवितर्क करने के बजाय मुद्दे को सही समय पर उठाएं और उसे प्रेमपूर्वक बताएं कि हम दोनों को साथ समय बिताने की सख्त आवश्यकता है. इस में किसी भी प्रकार का व्यवधान नहीं होना चाहिए. यदि आप को रोज समय नहीं मिलता तो हफ्ते का एक दिन भी सिर्फ मेरे लिए रखो.

जीवन को रसीला बनाए रखने हेतु चुंबन की सार्थकता से इनकार नहीं किया जा सकता. इस संबंध में किए गए सर्वे का निष्कर्ष यह है कि नौकरी, बच्चे, आदत और पारिवारिक उत्तरदायित्व के कारण विवाहित युगल दिन में केवल 4 मिनट साथ होते हैं. वह वक्त वे चुंबन या प्रेमवार्त्ता को देते हैं तो दांपत्य जीवन में खुशहाली बनी रहती है.

एक आम युगल साल में 58 बार संभोग करता है यानी औसतन सप्ताह में एक बार. इसलिए सिर्फ सैक्स नहीं मित्रता, हासपरिहास, उदारता, क्षमापूर्ण स्वभाव व संभोग से बढ़ कर दंपती के बीच आपसी विश्वास सुखद  वैवाहिक जीवन के लिए महत्त्वपूर्ण आवश्यकता है. इस के साथ ही जो व्यक्ति अपनी जीवनसंगिनी का सुबह के समय चुंबन लेते हैं, वे चुंबन न लेने वालों की तुलना में 5 वर्ष दीर्घ आयु वाले होते हैं. इसलिए चुंबन व प्रेमवार्त्ता हेतु समय अवश्य निकालें.

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झट प्यार पट ब्रेकअप

कुछ समय से सैलिब्रिटी ब्रेकअप्स सुर्खियों में छाए हुए हैं. पहले सलमान कैटरीना, फरहान अधुना, बिपाशा जौन अचानक अलग हो गए अब मलाइकाअरबाज ने अगल हो कर सब को हैरान कर दिया. छोटे परदे के मशहूर अभिनेता करण सिंह ग्रोवर का अपनी पहली पत्नी श्रद्धा निगम से तलाक, फिर जेनिफर से विवाह और फिर तलाक, फिर बिपाशा बसु से विवाह. यह रिश्ता कितने दिन या हमेशा चलेगा, यह देखना बाकी है. जैसे ही हम किसी सैलिब्रिटी को देख कर सोचते हैं कि वाह, क्या जोड़ी है. पता चलता है कि उस जोड़ी का भी ब्रेकअप हो चुका है और हमारा आधुनिक रिश्तों पर विश्वास डगमगाने लगता है.

रणबीर और दीपिका की जोड़ी देखते ही बनती थी, आज भी दोनों के फैंस दोनों को साथ देखना चाहते हैं. रितिक रोशन ने जब सुजैन से विवाह किया तो कइयों के दिल टूटे पर अब ये भी अलग हो चुके हैं.

हौलीवुड की जान ब्रैडपिट और जेनिफर का प्यार एक मिसाल था, पर ऐंजेलिना से ब्रैडपिट के संबंध होने पर इन का भी ब्रेकअप हो गया. बेन हिंजिस और लौरेन बुशनैल, कैटीपैरी और ओलैंडो ब्लूम, रिचर्ड पैरी और जेन फोंडा, निकी मिनाज और मीक मिल का ब्रेकअप भी सब को हैरान कर गया था.

टीवी की मशहूर हस्ती दिव्यांका त्रिपाठी और शरद मल्होत्रा दोनों ‘बनूं मैं तेरी दुलहन’ के सैट पर मिले थे. यह रिश्ता 7 साल चला पर फिर टूट ही गया. करण पटेल और काम्या पंजाबी का संबंध भी काफी चर्चा में रहा पर रिश्तों में अचानक आई खटास से ब्रेकअप भी हो गया. करण ने धूमधाम से अंकिता भार्गव से फिर जल्दी विवाह भी कर लिया.

आम लोगों में भी बढ़ता अलगाव

जहां मशहूर हस्तियों के टूटते रिश्तों के कई उदाहरण रोज देखने को मिलते हैं, वहीं आम लोगों के जीवन में भी इस तरह के रिश्ते कमजोर पड़ते दिख रहे हैं. झट प्यार भी होता है पर ब्रेकअप की खबर आते भी देर नहीं लग रही. पवई निवासी जूही और प्रशांत का 4 सालों से अफेयर था, दोनों के दोस्तों के ग्रुप में यह बात तय थी कि जल्द ही दोनों विवाह भी कर लेंगे. अलगअलग जाति थी पर दोनों के परिवार आधुनिक थे. दोनों के परिवार को यह संबंध पता भी था पर जब जूही के परिवार ने इस विवाह के लिए हामी नहीं भरी तो जूही ने प्रशांत से दूरी बनानी शुरू कर दी. आधुनिक, सुशिक्षित जूही का पीछे हटना सब को हैरान कर गया. जूही ने बहुत ही सहजता से तर्क दिया कि कौन फैमिली की टैंशन मोल ले. जितना साथ रहना था रह लिए. अब आगे देखते हैं.

बात सुननेपढ़ने में मामूली सी है पर अब रिश्ते सचमुच कमजोर पड़ते दिख रहे हैं. जूही का इतना व्यावहारिक दृष्टिकोण प्रशांत को तोड़ गया. वह कई दिन तक आहत रहा. जूही ने 6 महीने के अंदर मातापिता की मरजी से एक लड़के से विवाह भी कर लिया. जीवन में आगे बढ़ने में कोई बुराई नहीं पर प्रश्न यह है कि आधुनिक रिश्ते इतने कमजोर क्यों हैं?

रिश्ते निभाना आजकल जटिल क्यों हो रहा है? क्या हम प्रेम करना भूल गए हैं? या उस से भी बुरा यह है कि हम यही भूल गए हैं कि प्रेम है क्या? आजकल के रिश्ते इतनी जल्दी क्यों टूट रहे हैं, कारणों पर एक नजर:

हम शायद त्याग के लिए, समझौते के लिए, बिना किसी शर्त के प्यार करने के लिए तैयार ही नहीं हैं. हम आजकल हर चीज सुगमता से पा लेना चाहते हैं. हम पलायन कर जाते हैं, हम अपना प्यार पूर्णतया विकसित ही नहीं होने देते. समय से पहले ही सब पा लेना चाहते हैं या सब छोड़ देते हैं.

यह वह प्यार है ही नहीं जिस की हमें तलाश है. हम लाइफ में अब उत्तेजना और रोमांच चाहते हैं. हमें मूवीज और पार्टियों के लिए एक साथी चाहिए, न कि कोई ऐसा जो हमारे मौन को भी समझ ले. हम साथ समय तो बिताते हैं पर यादें नहीं सहेजते. हम बोरिंग लाइफ नहीं चाहते. हम अब जीवनसाथी नहीं, बस इसी समय वर्तमान का साथी सोच रहे होते हैं. हम अब किसी रहस्य की सुंदरता में यकीन नहीं करते, क्योंकि अब हमें साहसपूर्ण रोमांच भाता है.

हमारे पास प्यार का समय ही नहीं है, रिश्तों को निभाने का धैर्य हम में बचा ही नहीं. शहरी भागदौड़ के बाद प्यार की जगह ही नहीं बचती. हम भौतिक सपने देखने वाले व्यस्त इंसान हो गए हैं. रिश्ते अब सुविधा से ज्यादा कुछ भी नहीं.

हमें हर चीज में फौरन खुशी चाहिए. चाहे वह हमारी औनलाइन पोस्ट हो, कैरियर हो या वह इंसान जिसे हम प्यार करते हैं. रिश्तों में गंभीरता समय के साथ आती है, दूसरे व्यक्ति से पूर्णतया जुड़ने में सालों लग जाते हैं. अब प्यार के लिए समय और धैर्य कम ही पड़ जाते हैं.

हम विकल्पों में विश्वास करने लगे हैं. हम सोशल लोग हैं, हम लोगों को जानने की बजाय बस उन से मिलते हैं. हम लालची हो गए हैं. हमें सब कुछ चाहिए. हम जरा से आकर्षण पर भी रिश्ता शुरू कर देते हैं और थोड़ा सा अपेक्षाकृत अच्छा साथी मिलने पर फौरन पुराने से बाहर आ जाते हैं.

टैक्नोलौजी हमें एकदूसरे के बहुत ज्यादा पास ले आई है. इतना पास कि सांस लेना मुश्किल हो गया है. हमारी शारीरिक उपस्थिति की जगह टैक्स्ट्स, वौइस मैसेज, स्नैप चैट्स, वीडियो कौल्स ने ले ली है. हमें एकदूसरे के साथ समय बिताने की जरूरत ही महसूस नहीं होती, हमारे पास एकदूसरे के बारे में पहले ही बहुत जानकारी होती है, बात करने के लिए कुछ रह ही नहीं जाता.

प्यार और सैक्स को अलगअलग ही देखा जाने लगा है. सैक्स अब आसान है, निष्ठा रखना मुश्किल है. रिश्तों के बाहर सैक्स अब बड़ी बात नहीं रही. प्यार की जगह हमारे जीवन में सीमित रह गई है.

यह व्यावहारिक पीढ़ी है, जो तर्क जानती है. हमें पागलपन की हद तक प्यार करना नहीं आता. हम अपना हितअहित सोचसमझ कर ही कोई कदम उठाते हैं. प्यार में दीवानों की तरह किसी को देखने भागे जाने का समय अब किसी के पास नहीं.

हम प्यार में कमिटमैंट और दिल टूटने से डरते हैं. हम अब आंख बंद कर किसी के प्यार में पड़ कर अपनी लाइफ खराब नहीं कर सकते.

इंसान का सब से जरूरी गुण प्यार है. हम शायद धीरेधीरे इस शब्द के माने ही भूल रहे हैं. आधुनिक समय में रह रहे हम कहीं प्यार का वजूद, महत्त्व ही न भूल जाएं, यह विचारणीय है. रिश्तों से प्यार, सहयोग, समर्पण कहीं पूरी तरह से न खो जाए, इस बात का ध्यान रखना होगा. मशीन की तरह न जी कर जीवनरूपी पौधे को प्यार भरे रिश्तों से सींचना होगा ताकि चारों ओर हवाओं में प्यार भरे रिश्तों की खुशबू आए.

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साथ खाना बनाने के 4 फायदे

लंबे समय तक साथ रहने के बाद चाहे पतिपत्नी हों या लिव इन पार्टनर, दोनों एकदूसरे के प्रति लापरवाह होने लगते हैं. लापरवाही धीरेधीरे आदत में बदल जाती है और रिश्ते में दरार का कारण बनती है. ऐसे में समझदारी से काम न लिया जाए तो रिश्ते की नींव कमजोर होने लगती है. इसलिए रिश्ता चाहे नया हो या पुराना, समयसमय पर एकदूसरे को स्पैशल फील कराते रहना जरूरी है. इस से आपसी प्यार और भरोसा बढ़ता है .

आजकल की भागदौड़ वाली जिंदगी में अधिकतर घरों में कपल्स औफिस जाते हैं या फिर वर्क फ्रौम होम कर रहे हैं. कई बार दोनों के औफिस टाइम भी अलगअलग होते हैं, जिस के कारण उन के पास समय का अभाव बना रहता है. वे एकदूसरे के लिए भी वक्त नहीं निकल पाते हैं. ऐसे में एकदूसरे के लिए वक्त की कमी के चलते धीरेधीरे कपल्स के बीच दूरी आने लगती है, जो आगे चल कर उन के रिश्ते में दरार पैदा कर सकती है.

याद रखें किसी भी रिश्ते को सफल और मजबूत बनाए रखने के लिए व्यक्ति को उचित समय देना पड़ता है. यदि आप बहुत व्यस्त रहते हैं तो अपने पार्टनर के साथ कुछ पल क्वालिटी टाइम जरूर बिताएं. वर्क फ्रौम होम  में भी आप दोनों छुट्टी ले कर एकदूसरे के साथ एक यादगार समय बिता सकते हैं. ऐसा करने से आप न सिर्फ उन के मन में चल रही नकारात्मकता बल्कि उन के अकेलेपन को भी दूर कर पाएंगे.

भरें दांपत्य में मिठास

दांपत्य में मिठास बनाए रखने के लिए कुछ स्पैशल करें. एकदूसरे को स्पैशल फील कराने के लिए कहीं बाहर जाने के बजाय घर पर ही पार्टनर संग हैल्दी और टेस्टी डिश बनाएं. ऐसी डिश का चुनाव करें जिसे आप दोनों मिल कर बना सकें ताकि आप एकदूसरे की मदद कर सकें एवं एकदूसरे के साथ ज्यादा समय और यादगार समय बिता सकें. साथ बैठ कर खाने का मजा ले सकते हैं. भले ही आप के घर खाना बनाने के लिए प्रोफैशनल कुक हो, फिर भी किसी छुट्टी के दिन पतिपत्नी दोनों मिल कर खाना बनाएं और एकसाथ खाएं.

हो सकता है आप के हस्बैंड को खाना बनाना नहीं आता हो. ऐसे में आप उन की मदद सब्जी काटने, खाने की टेबल सजाने, खाना बनाते समय जो चीजें आप को चाहिए उन की मदद ले सकते हैं और साथसाथ बातें कर सकते हैं तथा उन्हें खाना बनाने के गुर भी सिखा सकती हैं.

पार्टनर संग साथ में कुछ भी बनाने से पहले एकदूसरे से डिस्कस जरूर कर लें और एकदूसरे से सु?ाव मांगने में संकोच न करें. इस तरह आप एकदूसरे के साथ क्वालिटी टाइम बिता सकते हैं और अपनी छुट्टी का भरपूर मजा ले सकते हैं अगर पत्नी ने पति की पसंदीदा डिश बनाई है तो पति उन की पसंद की कोई चीज बनाएं. इस से दोनों स्पैशल फील करेंगे और एकदूसरे के लिए प्यार और भरोसा बढ़ेगा.

अपने रिश्ते को मजबूत बनाए रखने के लिए मिल कर खाना बनाने के बाद या दौरान इन बातों का अवश्य ध्यान रखें:

1. थैंक्यू बोलें

किचन में उन के द्वारा की गई हर मदद के लिए उन्हें थैंक्यू कहना न भूलें आप के ऐसा करने से उन्हें काफी अच्छा फील होगा और आप की बौंडिंग भी बेहतर बनेगी.

2. कौंप्लिमैंट जरूर दें

पार्टनर को दिया आप का एक कौंप्लिमैंट बहुत बड़ा कमाल कर सकता है. आप के ऐसा करने से आप के साथी का कौन्फिडैंस बढ़ जाता है जिस से आपसी प्यार बढ़ता है.

3. तारीफ करना न भूलें

तारीफ के दो बोल दुनिया के हर रिश्ते को मजबूती देते हैं. इसलिए पार्टनर की अच्छी आदतों, अच्छे काम, केयरिंग नेचर और सकारात्मक नजरिए की हमेशा तारीफ करें. जब भी पार्टनर कुछ नया और क्रिएटिव करें उन की  तारीफ करना न भूलें. आप के द्वारा तारीफ का हर शब्द उन्हें अलग ही खुशी देगा. इस से आप एकदूसरे के और करीब आ जाएंगे और आप के रिश्ते को मजबूती मिलेगी.

4. बदलें अपने बोलने के लहजे को

यदि आप को पार्टनर के संग किसी काम से कोई परेशानी हो रही है या कोई बात पसंद न हो तब तो उसे उस लहजे में कहें कि बुरा न लगे. जैसे पार्टनर का कोई काम पसंद न आए तो यह न कहें कि यह काम आप ने अच्छे से नहीं किया या आप को नहीं आता बल्कि यों कहें कि आप ने मेरी बहुत मदद कर दी इस के लिए थैंक्यू. उन्हें सिखाएं कि देखिए ऐसे करते हैं ताकि अगली बार वे आप के हिसाब से काम कर सकें.

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तो तकरार से नहीं पड़ेगी रिश्ते में दरार

पतिपत्नी एकदूसरे के जीवनसाथी होने के साथसाथ एकदूसरे के दोस्त भी होते हैं. लेकिन भले ही दोनों एकदूसरे के साथ एक ही छत के नीचे रहते हैं, फिर भी बहुत सी चीजों में उन के विचार नहीं मिलते हैं. कभी वे नेचर में अलग होते हैं, तो कभी उन का लाइफस्टाइल एकदूसरे से मेल नहीं खाता है, जिस वजह से उन के बीच नोकझंक होनी शुरू हो जाती है और कई बार तो छोटीछोटी बातों पर यह झगड़ा इतना अधिक बढ़ जाता है कि रिश्ता टूटने तक की नौबत आ जाती है.

ऐसे में दोनों को रिश्ते में मधुरता बनाए रखने के लिए एकदूसरे की हैबिट्स को इग्नोर करने या फिर उन से इरिटेट होने के बजाय उन्हें आपसी समझ व प्यार से अपनाने की जरूरत

होती है ताकि रिश्ते में प्यार बरकरार रह सके वरना यह तकरार कब रिश्ते में दरार का कारण बन जाएगी, पता नहीं चलेगा. आइए, जानते हैं कैसे करें एडजस्टमैंट:

बैड पर टौवेल छोड़ने की आदत

वैसे तो यह हैबिट किसी की भी अच्छी नहीं होती है, लेकिन अब कर भी क्या सकते हैं. अगर आप का पार्टनर नहाने के बाद गीला टौवेल बैड पर छोड़ दे तो बजाय झगड़ने के आप उन्हें प्यार से समझएं कि माई स्वीटहार्ट, अगर तुम रोज गीला टौवेल बैड पर छोड़ दोगे तो इस से टौवेल में नमी बरकरार रहने से तुम्हें बैक्टीरिया के इन्फैक्शन का खतरा हो सकता है साथ ही इस से बैड पर भी नमी रहने से हम भी बीमार हो सकते हैं.

इसलिए अपनी इस आदत को अपनी हैल्थ के लिए बदल लो. हो सकता है कि आप का यों प्यार से समझना काम कर जाए क्योंकि कई बार झगड़े की जगह प्यार में वह बात होती है, जो अपनों की बुरी से बुरी आदत को बदल देती है. अगर फिर भी पार्टनर न सुधरे तो आप ही बैड से टौवेल को उठा कर सही जगह रख दें क्योंकि यही है अच्छे रिश्ते की पहचान.

अगर आप को पसंद हों स्टाइलिश कपड़े

आज का जमाना स्टाइलिश है. ऐसे में हरकोई खुद को स्टाइलिश दिखाना चाहता है. लेकिन जरूरी नहीं कि आप का पार्टनर आप को स्टाइलिश कपड़ों में देखना पसंद करे. उसे आप सिंपल लुक में ज्यादा पसंद आती हों या फिर ट्रैडिशनल आउटफिट्स में. ऐसे में आप अगर रोज उन से स्टाइलिश कपड़े पहनने को ले कर बहस करेंगी तो आपस में मनमुटाव पैदा होगा.

इस से बेहतर है कि आप उन की पसंद के आउटफिट्स तो पहनें ही, साथ ही आप उन्हें प्यार से, अपने रोमांस से अट्रैक्ट करते हुए उसे समझने की कोशिश करें कि स्टाइलिश कपड़े पहनने में कोई बुराई नहीं है, बल्कि आज हरकोई जमाने के साथ चल कर खुद को अपडेटेड रखना चाहता है. अगर पार्टनर की समझ में आ जाए तो अच्छा वरना आप उस के पीछे स्टाइलिश कपड़े पहन कर अपने इस शौक को पूरा कर सकती हैं.

लेकिन यह भी जरूरी है कि आप उसे धीरेधीरे इस तरह समझने की कोशिश करें कि उसे अपनी गलती का एहसास भी हो जाए और आपस में तकरार भी न हो.

जब हो पति को इंग्लिश मूवीज का शौक

अगर दोनों पार्टनर की हैबिट्स मैच करें तो इस से अच्छा हो ही क्या सकता है. लेकिन अगर न करें तो दिक्कत तो काफी होती ही है, लेकिन फिर भी जरूरी होता है कि एकदूसरे की हैबिट्स को खुशीखुशी अपनाने की. जैसे प्रवीण को इंग्लिश मूवीज देखने का बहुत शौक था, लेकिन उस की पत्नी दीप्ति को सीरियल्स व हिंदी मूवीज पसंद थीं, जिस कारण दोनों कभी साथ बैठ कर टीवी नहीं देखते थे और साथ ही इस बात पर दोनों में कई बार कहासुनी भी हो जाती थी.

ऐसे में प्रवीण ने तो कभी अपनी पत्नी की पसंद की मूवी उस के साथ बैठ कर देखने का मन नहीं बनाया, लेकिन दीप्ति ने सोचा कि ऐसा कब तक चल सकता है, इसलिए मु?ो भी खुद में इंग्लिश मूवीज के प्रति इंटरैस्ट पैदा करना होगा. धीरेधीरे उस ने प्रवीण के साथ इंग्लिश मूवीज देखना शुरू किया और फिर धीरेधीरे ऐंजौय करने लगी. इस से मूवी के मजे के साथसाथ दोनों साथ में एकदूसरे की कंपनी को भी ऐंजौय करने लगे. अगर इसी तरह सब पार्टनर एकदूसरे को समझ कर चलें तो रिश्ते में मधुरता आने के साथसाथ आपसी समझ भी विकसित होती है.

न हो आउटिंग पर जाने का शौक

हो सकता है कि आप के पार्टनर को अपनी छुट्टी को घर पर ही स्पैंड करने की आदत हो और आप उस के बिलकुल उलट हों यानी आप को आउटिंग पर जाना बहुत अच्छा लगता हो. ऐसे में आप अपने पार्टनर को कहीं घूमने के लिए मनाएं कि इस से मूड व माइंड दोनों फ्रैश होने के साथसाथ एक ही तरह की दिनचर्या से चेंज भी मिलता है.

ऐसे में आप खुद कहीं आउटिंग पर जाने के लिए बुकिंग करवाएं, पूरी तैयारी करें. हो सकता है कि आप की यह कोशिश आप के पार्टनर में घूमने के प्रति थोड़ाबहुत शौक पैदा कर दे. लेकिन कोशिश व मनाने की मेहनत तो आप को ही करनी होगी.

अगर फिर भी आप को लगे कि मेहनत करने का कोई फायदा नहीं है तो आप खुद ही अकेले या फिर फ्रैंड्स के साथ आउटिंग के लिए निकल जाएं क्योंकि पार्टनर पर जोरजबरदस्ती करने का कोई फायदा नहीं है. इस से आप जबरदस्ती पार्टनर को आउटिंग पर तो ले जाएंगी, लेकिन यह आउटिंग मजा नहीं बल्कि सजा जैसी लगेगी.

बातबात पर रिएक्ट करने की आदत

कुछ पार्टनर्स की यह आदत होती है कि वे बिना किसी बात के गुस्सा करने लगते हैं या फिर छोटीछोटी बात पर रिएक्ट करने लगते हैं, जिस से आपस में तनाव बढ़ने के साथसाथ इस का प्रभाव धीरेधीरे रिश्ते पर पड़ने के कारण रिश्ता कमजोर पड़ने लगता है. ऐसे में रिश्ते की नींव को मजबूत बनाने के लिए जरूरी है कि दोनों पतिपत्नी में से किसी एक को पार्टनर के रिएक्ट करने पर खुद को चुप रखने की आदत डालनी होगी वरना ऐसे वक्त में बेवजह की बहस रिश्ते को वीक बनाने का काम करेगी.

लेकिन इस का मतलब यह नहीं कि आप हमेशा ही चुप रहें बल्कि जब पार्टनर शांत हो जाए तो उसे समझएं कि आप का इस तरह से रिएक्ट करना आप की पर्सनैलिटी को खराब करने के साथसाथ हम दोनों को एकदूसरे से दूर ले जाने का काम करेगा, इसलिए खुद को शांत रखना सीखें. हो सकता है कि आप की इन बातों का असर पार्टनर पर हो जाए वरना आप की चुप्पी ही इस प्रौब्लम का समाधान है.

जब बातबात पर टोके

टोकाटोकी किसी को भी पसंद नहीं होती है. लेकिन अगर आप की पार्टनर आप को हर छोटीछोटी बात पर टोके कि तुम ने यह काम सही नहीं किया, तुम ऐसे कैसे कर सकते हो, तुम्हें यह नहीं आता, तुम ने किचन में काम क्या किया कि उसे गंदा कर के मेरे लिए ही काम को बढ़ा दिया. ऐसे में अगर आप उस की हर बात पर प्रतिक्रिया देंगी तो हर बार बात लड़ाई में बदल जाएगी. इस से अच्छा है कि आप उसे प्यार से समझएं कि जरूरी नहीं हर बात पर टोक कर ही समझया जाएं बल्कि प्यार से भी चीजों को सुलझया जा सकता है और हर बार टोकना किसी को भी बुरा लग सकता है और तुम अपनी इस टोकने की आदत को धीरेधीरे सुधारने की कोशिश करो.

इस से हो सकता है कि वह आप की इमोशनल बातों से खुद को सच में सुधारने की कोशिश करे. अगर न सुधारे तो आप थोड़े टाइम के लिए उस से कम बात करना शुरू कर दें क्योंकि कई बार गलती का एहसास करवाने के लिए रिश्ते में थोड़ी दूरी बनाना भी जरूरी हो जाता है.

घर का खाना हो पसंद

हर इंसान की अपनी पसंद होती है. किसी को घर में रहना पसंद होता है, तो किसी को आउटिंग करना, किसी को घर का खाना पसंद होता है, तो किसी को बाहर का. ऐसे में हो सकता है कि आप के पार्टनर को घर का खाना पसंद हो और आप को बाहर का, तो इस बात पर आप दोनों आपस में लड़ने के बजाय सहमति बनाएं कि हफ्ते में 6 दिन घर का खाना बनेगा तो एक दिन हम लोग बाहर जा कर खाना खाएंगे. इस से दोनों की बात भी रह जाएगी और इस वजह से बेवजह की लड़ाई से भी बचा जा सकता है.

पार्टनर को हो दाड़ी रखने का शौक

हर कोई चाहता है कि उस का पार्टनर हैंडसम लगे. लेकिन हर लड़के की अपनी आदत होती है कि वह खुद को कैसा रखना पसंद करता है. किसी को सिंपल कपड़ों में रहना पसंद होता है, तो किसी को काफी बनठन कर. किसी को शेव कर के अच्छा लगता है तो किसी को कईकई दिनों तक बिना शेव करे. ऐसे में अगर आप पार्टनर को रोज शेव बनाने के लिए टोकती रहेंगी तो खुद भी परेशान रहेंगी और पार्टनर भी आप से चिढ़ने लगेगा. इस से अच्छा है कि उस की इस आदत को आप खुशीखुशी स्वीकार करें. लेकिन आप खुद को टिपटौप रखना न छोड़ें.

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वह क्यों बनी बेवफा

पार्टनर द्वारा बेवफाई किए जाने का दर्द काफी गहरा होता है. बेवफाई खुशियों पर ग्रहण लगा सकती है, आप को अपने अजीजों से दूर कर सकती है. मगर बेवफाई की जानकारी मिलते ही अपना होशोहवाश खो बैठना ठीक नहीं.

मुंबई के नालासोपारा की एक सच्ची घटना पर जरा गौर करें:

एक दिन एक शौंपिंग सैंटर की दूसरी मंजिल पर रहने वाले होटल सुपरवाइजर की लाश मिलती है. उस लाश के साथ ही कमरे में उस के 2 नन्हे बच्चों की लाशें भी थीं, साथ ही कमरे की दीवार पर मौत की वजह भी लिखी हुई थी. सुपरवाइजर ने अपनी व अपने दोनों बच्चों की हत्या के लिए बेवफाई को जिम्मेदार ठहराया था.

जरा उस व्यक्ति की मानसिक पीड़ा की कल्पना कीजिए जिस ने सुसाइड करने से पहले चैन की नींद सो रहे अपने 2 मासूमों का गला दबाया.

दीवार पर लिखी मौत की वजह

श्रीधर ने तकिए से बच्चों की हत्या कर खुद सुसाइड करने से पहले कमरे की दीवार पर पत्नी की बेवफाई का किस्सा लिखा. दीवार पर श्रीधर ने लिखा, ‘‘मेरी औरत साथ देती तो मैं

ऐसा कदम नहीं उठाता. मेरी औरत बच्चों को छोड़ कर किसी के साथ भाग गई, इसलिए मैं ने यह कदम उठाया.’’

जानकारी के अनुसार इस दर्दनाक घटना की पटकथा लिखने की शुरुआत वैलेंटाइन डे के दिन हुई थी. 42 साल के श्रीधर की पत्नी सोनाली अपने 2 मासूम बच्चों के साथ 13 फरवरी को पड़ोस में रहने वाले तेजस के साथ भाग गई थी. हालांकि वह 16 फरवरी को घर लौट आई. उस के बाद पतिपत्नी के बीच काफी झगड़ा हुआ. सोनाली ने श्रीधर से कहा कि वह तेजस से प्यार करती है और उसी के साथ रहना चाहती है.

झगड़े के बाद श्रीधर ने सोनाली से बच्चों को छोड़ कर चले जाने को कहा. इस के बाद सोनाली घर के पास ही तेजस के साथ रहने लगी.

इस बीच श्रीधर बहुत दुखी और बैचैन

रहने लगा. पुलिस के मुताबिक 18 फरवरी को सोनाली और तेजस कहीं चले गए जिस के बाद परेशान श्रीधर ने शाम के समय इस वारदात को अंजाम दिया.

कैसे करें मैनेज ऐसी सिचुएशन

बेवफाई का सामना किसी को भी करना पड़ सकता है. मगर इस सिचुएशन में आप का रिएक्शन बहुत माने रखता है. आप को यह समझना होगा कि इंसान बेवफाई यों ही नहीं करता. इस के पीछे कोई न कोई वजह होती है, इसलिए पार्टनर द्वारा बेवफाई किए जाने का पता चलने पर एकदम से आपा खो देना, चीखनाचिल्लाना, उस से लड़नाझगड़ना, अपशब्द कहना या एकदम कोई बड़ा फैसला ले लेना उचित नहीं.

मगर साथ ही ऐसी परिस्थिति में खुद परेशान होते रहना या चुपचाप बेवफाई देखते रहना भी व्यावहारिक नहीं है. इस स्थिति में जरूरी है कि आप पार्टनर से इस मसले पर शांति से बात करें. उसे अपना पक्ष रखने दें और यदि वह झठ बोले कि ऐसा कुछ नहीं तो सुबूत पेश करें. बिना सुबूत आप अपनी बात मजबूती से नहीं कह पाएंगे.

बेहतर होगा कि पहले मन को शांत करें और सोचें कि बहुत बड़ी बात नहीं हुई है. ऐसा बहुतों के साथ होता रहता है. यह एक सामान्य घटना है और फिर से सब ठीक भी हो सकता है. यह आप के ही किसी ऐक्शन या व्यवहार में मौजूद किसी कमी का नतीजा है. इस तरह की सोच दिमाग में आते ही सामने वाले पर आप का गुस्सा कम हो जाएगा और आप वजह की तलाश करने लगेंगे. एक बार वजह मिल जाए तो फिर आप उसे दूर भी कर सकते हैं.

याद रखें

‘‘कुछ तो मजबूरियां रही होंगी यों ही कोई बेवफा नहीं होता…’’

बेवफाई के कारण

भावनात्मक दूरी: अकसर पाया गया है कि आमतौर पर महिलाएं तभी धोखा देती हैं जब उन्हें पति से भावनात्मक रूप से दूरी का एहसास होता है. एक आदमी के लिए शारीरिक सुख ज्यादा महत्त्वपूर्ण है पर पत्नी दिल से करीब रहना चाहती है. पत्नी जब खुद को पति से इमोशनली कनैक्टेड महसूस नहीं करती तो वह उसे धोखा दे सकती है.

पति का पूरा अटैंशन न मिलने पर

पति द्वारा इग्नोर किए जाने पर पत्नी का गुस्सा इस रूप में जाहिर हो सकता है. वह पति का पूरा अटैंशन चाहती है पर अकसर काम की भागदौड़ या किसी और के साथ कनैक्टेड होने के कारण पति पत्नी पर पूरा ध्यान नहीं दे पाती. कुछ समय तक तो पत्नी सबकुछ सह लेती है, मगर जब जीवन का यही ढर्रा बन जाता है तो वह विरोध स्वरूप घर के बाहर प्यार ढूंढ़ना शुरू कर देती है.

सैक्सुअली खुश न रहने पर

रिश्तों में दरार आने और बेवफाई की ओर कदम बढ़ाने की एक वजह सैक्स भी है. अगर कोई महिला शादी के बाद अपनी सैक्सुअल लाइफ से खुश नहीं है तो वह अपनी इच्छा के हिसाब से अपने पार्टनर की तलाश कर सकती है. कई बार पति द्वारा बिना प्यार या भावना के जबरन शारीरिक संबंध बनाया जाना भी उसे गवारा नहीं होता.

जब पत्नी को पति के ऊपर हो शक

अगर पत्नी को लगे कि उस के पति का कहीं चक्कर चल रहा है तो यह बात पत्नी के लिए सब से ज्यादा पीड़ादायक होती है. वह हर दुख सह सकती है पर किसी और औरत को पति की जिंदगी में स्वीकार नहीं कर सकती. ऐसे में वह जैसे को तैसा की तर्ज पर अपने लिए भी किसी को तलाश कर सकती है. इस तरह बदला लेने और पति द्वारा उस के भरोसे को तोड़े जाने के विरोध में वह पति को धोखा दे सकती है.

अपमानित करने वाला पति

जब पति अपनी पत्नी की इज्जत नहीं करता, उस की इच्छाओं का खयाल नहीं रखता और मारपीट करता है तो ऐसे में कई बार पत्नी पति के अलावा किसी और पुरुष की तरफ झकने लगती है. ऐसे पुरुष की तरफ जो उसे सम्मान दे और उस की भावनाओं का खयाल रखे.

बेवफाई पर माफ नहीं करते पुरुष

बेवफाई करने का हक सिर्फ मर्दों के हाथ में रहे यह मुमकिन नहीं है. आज बेवफाई के खेल में कई बार महिलाएं मर्दों से आगे निकल जाती हैं. बहुत सी शादीशुदा महिलाओं के ऐक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर होते हैं.

वैसे रिलेशनशिप में महिलाओं की तुलना में पुरुषों द्वारा पार्टनर को धोखा देने की आशंका अधिक होती है, मगर जब बात आती है माफ करने की तो ज्यादातर पुरुष ऐसा नहीं कर पाते. हाल ही में हुई एक रिसर्च में यह बात सामने आई है कि जब बात बेवफाई पर पार्टनर को माफ करने की आती है तो पुरुष ऐसा नहीं कर पाते और तुरंत तलाक ले लेते हैं या कोई और बड़ा खतरनाक कदम उठा लेते हैं.

पार्टनर की बेवफाई के बावजूद पुरुषों की तुलना में महिलाएं अपनी टूटी शादी को बचाने के लिए ज्यादा कोशिशें करती हैं, जबकि पुरुषों में पत्नी की बेवफाई को सहन करने की क्षमता बेहद कम होती है.

कैसे समझें पत्नी की बेवफाई

पत्नी के मोबाइल पर बारबार कौल या मैसेज का आना, पत्नी द्वारा कुछ अलग अंदाज या धीमेधीमे बात करना जैसी बातें ऐक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर की तरफ इशारा करती हैं.

यदि पत्नी अचानक अपने कपड़ों या लुक पर ज्यादा ध्यान देने लगे या अकसर रोमांटिक गाने गाती दिखे तो सम?िए कि उसे कोई अच्छा लगने लगा है.

यदि वह अपनी किसी खास सहेली के साथ पहले की अपेक्षाज़्ज्यादा समय बिताने लगी है और फोन पर ही लंबे समय तक उस से बात करती रहती है तो संभव है कि या तो वह उस सहेली से नए पार्टनर के बारे में सारी बातें शेयर करती है या फिर सहेली के नाम पर पार्टनर से ही मिलने जाती है.

आप के द्वारा कुछ सवाल किए जाने पर वह एकदम से सचेत हो जाए या ज्यादा सफाई देने लगे तो जरूर कुछ गड़बड़ है.

यदि पत्नी शाम को कहीं से आ कर सीधे नहाने चली जाए तो समझ लें कुछ गड़बड़ है.

पत्नी के नजदीक आते ही यदि आप को किसी दूसरे पुरुष जैसी महक महसूस हो और जब आप कोई सवाल पूछें जैसेकि अब तक कहां थी या आज देर क्यों हो गई तो यदि पत्नी इन सवालों के जवाब देते समय आंखें चुराने लगे तो यह साफ है कि वह आप को धोखा दे रही है.

रिश्तों को दोबारा कैसे सुधारें

याद रखें गलती किसी से भी हो सकती है. उस गलती को भुला कर आगे बढ़ना ही जिंदगी है. इसलिए अपनी पत्नी को बातें सुनाते रहने या हमेशा के लिए कड़वाहट बनाए रखने के बजाय सबकुछ भूल कर फिर से नए विश्वास के साथ जिंदगी की शुरुआत करें.

– अपने ईगो को एक तरफ रख दें और फिर रिश्ते को बचाने की कोशिश करें. याद रखें कि ताली एक हाथ से नहीं बजती. कहीं न कहीं गलती दोनों से हुई है. इसलिए मिल कर ही स्थिति सुधारनी होगी.

– सब से पहले तो खुद को ही परखें. कहीं आप की तरफ से ही तो गलती नहीं हुई है? यदि आप से रिश्ता निभाने में कोई चूक हुई है तो पहले उसे सुधारने की कोशिश करें.

– अगर आप को जीवनसाथी की बेवफाई के बारे में पता चल गया है तो तुरंत निर्णय लेने के बजाय शांत मन और नौर्मल टोन में पहले अपने साथी से अकेले में इस बारे में बात करें और कोई समाधान निकालने की कोशिश करें.

– अगर पत्नी को अपनी गलती का एहसास हो गया है और वह सच्चे दिल से आप से माफी मांग कर सबकुछ सुधारना चाहती हो तो उसे एक मौका जरूर दें. कई बार परिस्थितिवश इंसान कुछ समय के लिए गलत हो सकता है, लेकिन इस का यह मतलब नहीं है कि उसे गलती सुधारने का मौका ही न मिले. अपना दिल बड़ा रखें और सबकुछ भूल कर फिर से पहले की तरह प्यार से जीने का प्रयास करें.

– कई कपल्स के बीच बेवफाई की बड़ी वजह एकदूसरे की भावनाओं को न समझना और एकदूसरे को अधिक समय नहीं दे पाना होती है. इस बात को समझ कर सुधार करना जरूरी होता है.

– याद रखें अगर रिश्तों में कोई कमी लंबे समय तक बनी रहे और यह कमी किसी और से पूरी होने लगे तो उस व्यक्ति की तरफ झकाव होना स्वाभाविक है. इसलिए बेवफाई करने पर भी पत्नी को नीचा दिखाने के बजाय अपने रिश्ते की कमियों को दूर करने का प्रयास करें.

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सिंगल मदर के लिए पेरैंटिंग टिप्स

आप ने ताउम्र अविवाहित रहने का निर्णय लिया. पति से विचारों का न मिलना या किसी और कारण से आप ने अकेले रहने का फैसला किया तो इस में कोई बुराई भी नहीं है आखिर अपने जीवन को अपनी तरह जीने का हक सभी को है. चूंकि बच्चा आप के साथ है, तो आप यह मान कर चलिए कि आप को अपने बच्चे के कुछ ज्वलंत प्रश्नों का सामना करना ही पड़ेगा. जाहिर है बच्चा अपने मन की बात आप से ही शेयर करेगा और यह उचित भी है क्योंकि किसी बाहर वाले से उसे पता नहीं क्या जवाब मिले जो उस के तनाव और आप के प्रति सोच को गलत बना दे.

इसलिए बच्चे के साथ आप का रिश्ता खुला और ईमानदारी का होना चाहिए और आपसी अच्छे संवाद का भी माहौल होना चाहिए जिस में बच्चा बे?िझक अपने दिल की बात आप से कह सके.

पहले से ही रखें प्रश्नों के उचित जवाब की तैयारी:

आप सिंगल मदर हैं तो कुछ सामान्य से प्रश्न आप का बच्चा आप से कभी भी पूछ सकता है जिस के लिए आप को पहले से ही तैयार रहना होगा जैसे मेरे पापा क्यों नहीं हैं? सब के पापा तो उन के साथ रहते हैं? मेरे दोस्त पूछते हैं पीटीएम में तेरी मां अकेली क्यों आती हैं?

ऐसे ही बहुत सारे सवालों की बौछार आप का बच्चा आप पर कर सकता है, जिन के जवाब कभी न कभी आप को देने ही होंगे. इन के लिए पहले से ही मानसिक रूप से तैयार रहें.

झंझलाएं नहीं प्यार से समझएं:

बच्चों का मन बहुत ही कोमल होता है. उन के बचपना भरे सवालों पर झंझलाने के बजाय उन्हें प्यार और मधुर आवाज में समझएं. कभी बच्चे के मन में उठने वाले सवालों पर डांट कर उसे चुप रहने के लिए दबाव न डालें. घर में थोड़ा हंसीमजाक या सैंस औफ ह्यूमर का भी माहौल रखने की कोशिश करें, ताकि बच्चा कुछ भी पूछने में हिचके नहीं. उस की कोई भी फ्रस्टे्रशन हो तो वे सवालों के माध्यम से आप के सामने आनी ही चाहिए.

आज के बच्चे बहुत ही समझदार और स्मार्ट हैं. वे कुछ समय में ही अपनेआप को माहौल के हिसाब से एडजैस्ट कर लेते हैं. बस आप को उन के लिए थोड़ा समय निकालना होगा.

बच्चे के सवालों के ठोस जवाब दें:

आप के जवाब से बच्चे का संतुष्ट होना जरूरी है नहीं तो समयअसमय वह अपने प्रश्न को कहीं भी आप से पूछने लगेगा. तब आप के लिए एक अजीब सी स्थिति भी आ सकती है जब बच्चा सब के बीच में आप से कुछ अटपटे सवाल पूछने लगे. बच्चे से भावनात्मक रूप से नजदीकी रखें और समझएं कि कौन सी परिस्थितियां थीं जिन में आप ने सिंगल रहने का निर्णय लिया. बच्चा धीरेधीरे अपने को हालात के हिसाब से एडजैस्ट अवश्य ही कर लेगा.

बच्चे को हमेशा सच बताएं:

बच्चे से कभी सचाई छिपाएं नहीं. कभी न कभी सच सामने आएगा ही तब आप के रिश्ते बहुत खराब हो सकते हैं. मेरी एक सहेली अपने पति के व्यवहार से शुरू से ही परेशान थी. आखिर वह अपने बच्चे को ले कर अलग रहने लगी. पैसे की कोई प्रौबलम नहीं थी सभी तरह की सुविधाओं के बावजूद अकसर बच्चे के सवालों को ले कर वह तनाव में रहती, खासतौर पर बच्चे के अपने पिता को ले कर प्रश्नों पर वह काफी असहज महसूस करती.

वह बच्चे को टालती रहती कि जब तुम बड़े हो जाओगे तब बताऊंगी, अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो, दोस्तों के साथ मस्ती करो. तुम्हें कोई कमी हो तो बताओ? इस तरह बच्चे को टालना ठीक  नहीं है वह कुंठित हो सकता है या अपने मन में उठते सवालों को किसी और पूछ सकता है जहां उसे गलत और गुमराह करने वाले जवाब भी मिल सकते हैं, जो आप और आप के बच्चे दोनों के जीवन में अशांति फैला सकते हैं, इसलिए बच्चे को खुद सही स्थिति से अवगत कराएं.

बड़ों की चुगली न करें

आप यदि सिंगल मदर हैं तो यकीनन आप पर कई जिम्मेदारियां होंगी. बच्चा आप के साथ है तो उसे अच्छे संस्कार और अच्छी परवरिश की जिम्मेदारी भी आप पर आ जाती है. आप उसे गलतियों के लिए डांटेगी भी और अच्छी परवरिश के लिए रोकटोक भी करेंगी. ये बातें अकसर बच्चों को बुरी लगती हैं पर उन्हें बाद में इस के फायदे समझ आते हैं. आप के प्रशंसकों के साथसाथ आप से जलने वाले भी आप के आसपास होंगे.

कई बार बच्चा बाहर से कुछ सुन कर आता है कि उस के पिता तो बहुत अच्छे थे या मां को ले कर कुछ नैगेटिव सोच बच्चे को प्रश्न पूछने पर विवश करती है. इस समय आप को किसी की बुराई नहीं करनी है धीरज से काम लेना है. कभी भी समाज, परिजनों या पति से मतभेदों का रोना बच्चे के सामने ले कर न बैठें. वो नकारात्कता से भर सकता है. सर्वप्रथम बच्चे को विश्वास में ले कर ऐसे लोगों से दूर रहने की सलाह देनी होगी. उसे सचाई से रूबरू कराएं ताकि वह तनाव में न रहे.

एक  बार और भी ध्यान में रखनी होगी कि बच्चे के किसी भी सवाल को अंतिम सवाल न समझें. वह अपने मैटल लैबल के हिसाब से सवाल पूछता रहेगा और आप को उस की जिज्ञासा को शांत करना ही होगा ताकि वह हमेशा तनावमुक्त रहे और आप की अच्छी परवरिश की छांव तले एक बेहतर इंसान बन सके.

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रिश्तों से दूर न कर दें दोस्ताना, जानिए क्या हैं इसके नुकसान

आजकल युवाओं में अपने सगे रिश्तों को दरकिनार कर दोस्तोंसहेलियों को महत्त्व देने का प्रचलन बढ़ता जा रहा है. यह सच है कि दोस्ती का रिश्ता बेमिसाल होता है और अगर समझदारीपूर्वक निभाया जाए तो जीवनपर्यंत बना रहता है. किंतु खेद इस बात का है कि आज हम अपने इर्दगिर्द इकट्ठे हो गए कुछ चेहरों को ही अपना मित्र मानने लगे हैं और इन मात्र दिखावटी और टाइमपास मित्रों के लिए न केवल अपनों की अनेदेखी कर रहे हैं, बल्कि अपनों के प्रति निभाने वाली जिम्मेदारियों से भी मुंह मोड़ते जा रहे हैं.

अवंतिका अपने बेटे की जन्मदिन पार्टी का आमंत्रण देने के लिए रिश्तेदारों की सूची तैयार कर रही थी तो उसे देख कर बेटा पलाश बोल पड़ा, ‘‘अरे अम्मी, ये इतने रिश्तेदारों की सूची क्यों तैयार कर रही हैं? क्या करना है सब को बुला कर? मैं इस बार अपना बर्थडे अपने दोस्तों के साथ मनाऊंगा.’’

‘‘दोस्तों को तो हम हर साल बुलाते हैं, इस साल भी बुलाएंगे पर तुम रिश्तेदारों को बुलाने से क्यों मना कर रहे हो?’’

अवंतिका ने आश्चर्य से पूछा. इस पर पलाश ने कहा, ‘‘मम्मी, रिश्तेदार तो आप लोगों के होते हैं. उन के बीच मैं बोर हो जाता हूं. इस बार अपना बर्थडे मैं केवल अपने दोस्तों के साथ किसी मौल या रैस्टोरैंट में ही सैलिब्रेट करूंगा.’’

दोस्त हमारे रिश्तेदार तुम्हारे

पलाश के मुंह से ऐसी बातें सुन कर अवंतिका खामोश हो गई. ‘रिश्तेदार तो आप लोगों के होते हैं’ यह वाक्य काफी देर तक उस के कानों में गूंजता रहा और वह सोचती रही कि क्या अब बच्चों की दुनिया सिर्फ उन के दोस्तों तक ही सिमट कर रह जाएगी? बच्चों को चाची, बूआ, मौसी, भाभी जैसे रिश्तों से कोई लेनादेना नहीं रह गया है? अब वे केवल हमारे रिश्तेदार हैं?

दिल्ली की सुमन ने जब अपनी भतीजी से जोकि दिल्ली में ही किसी कंपनी में जौब करती है से पूछा कि वह न्यू ईयर पर अपने घर बनारस जा रही है या नहीं? तो उस ने जवाब दिया कि वह नहीं जा रही है, क्योंकि अगले ही महीने उस की एक सहेली का जन्मदिन है और इस बार वे सारी सहेलियां उस का जन्मदिन मनाने शिमला जाने वाली हैं. अत: अगर उस ने न्यू ईयर पर छुट्टी ले ली तो फिर सहेली के जन्मदिन में जाने के लिए उसे छुट्टी नहीं मिल पाएगी. इसलिए उस ने न्यू ईयर पर घर जाने का विचार त्याग दिया. यह सुन कर सुमन को क्रोध तो बहुत आया पर उस ने कहा कुछ नहीं, उस के सामने अपने भैयाभाभी का चेहरा घूम गया कि वे कितनी उत्सुकता से त्योहार पर बेटी के घर आने का इंतजार कर रहे हैं पर उस के न आने की खबर सुन कर वे कितने मायूस हो जाएंगे.

विरोधाभास क्यों

युवाओं के अलावा विवाहित महिलाओं और पुरुषों में भी आजकल पारिवारिक सदस्यों को दरकिनार कर तथाकथित दोस्तोंसहेलियों को अहमियत देने का प्रचलन बढ़ता जा रहा है. मैं अपनी एक पड़ोसिन की शादी की 25वीं सालगिरह में जब पहुंची तो वहां मौजूद लोगों में केवल सहेलियों और पड़ोसियों को देख कर मुझे बहुत आश्चर्य हुआ और मैं उन से पूछ बैठी कि तुम्हारा कोई रिश्तेदार नजर नहीं आ रहा है?

तब उस ने हंसते हुए कहा, ‘‘तुम लोग किसी रिश्तेदार से कम हो क्या? यार जितनी मस्ती हम दोस्तों के साथ मिल कर कर रहे हैं उतनी क्या रिश्तेदारों के साथ हो पाती है? उन्हें बुलाती तो हजार समस्याएं होतीं. पहले तो उन्हें 1-2 दिन ठहराने और खिलानेपिलाने की व्यवस्था करनी पड़ती. पूरा समय आवभगत में लगा रहना पड़ता. उस के बाद तरहतरह के नखरे उठाने पड़ते वे अलग.’’

दोस्तों की अहमियत कितनी

मैं मन ही मन सोचने लगी कि इतनी बड़ी खुशी, लाखों का खर्च और इस खुशी में शरीक होने के लिए किसी अपने को कोई आमंत्रण नहीं. यह कैसा समय आ गया है? बिना पारिवारिक सदस्यों के कोई खुशी मनाने से अच्छा तो न ही मनाओ.

सारिका ने अपनी सोसायटी में किट्टी जौइन की. शुरूशुरू में उसे वहां नईनई सखियों के साथ बैठना और उन से बातें करना बहुत अच्छा लगा. वह सोचने लगी कि उसे बहुत अच्छी सहेलियां मिल गई हैं. लेकिन धीरेधीरे उस ने देखा कि उस की उन कथित सहेलियों के लिए अपनों से ज्यादा किट्टी पार्टी में शामिल होने वाली सहेलियों की अहमियत है.

सारिका ने देखा कि एक दिन उस की एक किट्टी मैंबर आयशा किट्टी में नहीं पहुंची. उस ने मैसेज भेजा था कि उस की सास की तबीयत खराब हो गई है, इसलिए वह नहीं आ पाएगी. सारिका यह देख हैरान रह गई कि आयशा के साथ सहानुभूति जताने और फोन कर के उस की सास का हाल पूछने के बजाय किट्टी में उस के खिलाफ बातें होने लगीं कि अरे, उस की सास तो रोज ही बीमार रहती है, यह तो किट्टी में न आने का एक बहाना है. आयशा आना चाहती तो दवा दे कर आ जाती.

धीरेधीरे सारिका यह नोट करने लगी कि उस की किट्टी से किस तरह महिलाएं अपने परिवारजनों की उपेक्षा कर के पहुंचती हैं और फिर उस बात को इस तरह बताती हैं जिस से यह सिद्घ हो सके कि उस की नजर में सहेलियों की अहमियत कितनी ज्यादा है जिन से मिलने वह अपने परिवारजनों से झूठ बोल कर आ गई.

सिक्के का दूसरा पहलू

दोस्त बनाना और दोस्ती करना बहुत अच्छी बात है, लेकिन दोस्तों के आगे परिवारजनों की उपेक्षा व उन की अनदेखी करना बहुत ही घातक है. हमारे आसपास दोस्तों की भीड़ भले ही नजर आए पर उन में सच्चा दोस्त एक भी हो यह कहना बहुत मुश्किल होता है. दोस्तों के साथ बैठना हंसनाहंसाना, समय व्यतीत करना अच्छा तो लगता है पर क्या इन चीजों से वे हमारे इतने अपने हो जाते हैं कि उन के आगे रिश्तों का महत्त्व नगण्य कर दिया जाए?

मोबाइल, व्हाट्सऐप और फेसबुक की आदी दुनिया के इस दौर में मित्रों की एक फौज तैयार कर लेना बहुत आसान हो गया है. घर बैठे दिनरात उन से चटरपटर करते रहने से मन में यह गलतफहमी बन जाती है कि हम बहुत अच्छे मित्र बन चुके हैं और फिर वही मित्र अपने सच्चे हितैषी लगने लगते हैं. जबकि हकीकत यह है कि ऐसे मित्र खुशियों में तो बहुत बढ़चढ़ कर हिस्सा लेते हैं, किंतु जब कभी मित्रता की कसौटी पर खरा उतरने का समय आता है तब टांयटांय फिस हो जाते हैं. दुखपरेशानी के समय में ऐसे मित्र 2-4 दिन तो साथ देते हैं, पर उस के बाद रिश्तेदारों का ही मुंह ताकने लगते हैं कि कब वे आएं और उन्हें छुट्टी मिले.

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परिवार मुझ पर शादी करने का दबाव डाल रहा है, मैं क्या करुं?

सवाल-

मैं 24 साल की अविवाहित युवती हूं. 10 साल की थी तब मेरे मामा ने मेरे साथ छेड़छाड़ की थी. तभी से मुझे हस्तमैथुन की आदत पड़ गई. शायद इसी कारण मेरी योनि का ठीक से विकास नहीं हुआ और वह छोटी रह गई. अब मेरी यह आदत छूट गई है, पर मैं ने फैसला कर लिया है कि मैं विवाह नहीं करूंगी. किसी पुरुष से शारीरिक संबंध बनाने की बात मन में आने से ही मुझे बहुत डर लगने लगता है. पर मुझ पर परिवार का निरंतर दबाव है कि अब उम्र हो गई है और मैं विवाह कर लूं. कृपया बताएं क्या करूं?

जवाब-

आप के साथ बचपन में जो हुआ उस की काली परछाईं में रह कर आप अपना पूरा जीवन बरबाद कर लें, ठीक नहीं. आप विवाह करें या न करें, मगर उस बीते कल से उबर कर ही जीने में जीवन का सुख है. हस्तमैथुन कोई असामान्य क्रिया नहीं है. आप ही नहीं, विवाह से पहले बहुत सी युवतियां अपने सैक्स उफान को शांत करने के लिए इस नुकसानरहित विधि को अपनाती हैं. इस से न तो योनि छोटी होती है और न ही कोई दूसरा शारीरिक दुष्प्रभाव देखने में आता है.

दूसरी बात आप के भीतर बैठा वह डर है जिस की आप ने चर्चा की है. इस के बने रहने पर आप अपने होने वाले पति के साथ शारीरिक संबंध बनाने में गहरी परेशानी से गुजर सकती हैं. इस स्थिति में सैक्स के समय योनिछिद्र रिलैक्स हो कर खुलने के बजाय इतना टाइट हो जाता है कि लगता है योनि सचमुच छोटी है. मन में बैठा डर योनि की पेशियों को इतना भींच देता है कि कोई उपाय काम नहीं करता. यह विकार वैजिनिस्मस कहलाता है और इस के कारण बहुत से विवाह संबंधविच्छेद तक पहुंच जाते हैं. आप उस पुरानी दुर्घटना की दुखद यादों के साथसाथ अन्य सभी पूर्वाग्रहों से भी अपने को मुक्त कर लें. मन को खुली उड़ान भरने का मौका दें. यकीनन जीवन में सुख के फूल खिल उठेंगे.

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