बिहार के गोपालगंज के बेलसंड गांव में जन्में अभिनेता पंकज त्रिपाठी हिंदी सिनेमा जगत के एक जाना-माना नाम है और आज हर निर्माता निर्देशक उन्हें अपनी फिल्मों में लेना चाहते है, लेकिन कामयाबी के इस मुकाम तक पहुंचना पंकज के लिए आसान नहीं था. उनके पिता का नाम पंडित बनारस त्रिपाठी और माँ का नाम हेम्वंती त्रिपाठी है. पिता किसान होने के साथ-साथ पंडिताई भी करते थे. चार बच्चों में सबसे छोटे पंकज को बचपन से ही अभिनय का शौक था. छोटी उम्र में ही उन्होंने लड़की की वेशभूषा धारण कर किसी भी उत्सव या अवसर पर अभिनय किया करते थे, इससे उनके अंदर अभिनय की इच्छा जगी और वे इसे ही अपना प्रोफेशन मान लिए थे, लेकिन उनके पिता चाहते थे कि वे डॉक्टर बने और उच्च शिक्षा के लिए उन्होंने पटना भेज दिए.
स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद पकज ने होटल मनेजमेंट की पढाई की और पटना के एक पांच सितारा होटल में किचन सुपरवाईजर का काम करने लगे, क्योंकि उन्हें कुछ पैसा कमा लेना था. पंकज के आदर्श मनोज बाजपेयी है, एक बार जब मनोज पटना होटल में आये और अपना स्लीपर छोड़कर चले गए थे तो पंकज ने उन स्लीपर्स को सम्हाल कर अपने पास रखा, ताकि अभिनय के प्रति उनकी शौक बनी रहे. करीब 7 साल होटल में काम करने के बाद वे दिल्ली एक्टिंग की ट्रेनिंग लेने के लिए शिफ्ट हो गए और नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा में ग्रेजुएशन कर अभिनय के लिए मुंबई आ गए. मुंबई वे अपनी पत्नी मृदुला और बेटी आशी के साथ आये थे. अभी उनकी बेटी दसवीं कक्षा में है और पढाई पर ध्यान दे रही है.
पंकज को लगा नहीं था कि उनकी संघर्ष इतनी लम्बी होगी, लेकिन उन्होंने धीरज नहीं हारी. शुरू में पंकज ने कई विज्ञापनों और एक दो सीन्स में काम किये,उस दौरान उनकी पत्नी, मृदुला,जो एक स्कूल टीचर थी, पूरे परिवार का खर्चा चलाया और पंकज को उनके सपनों को पूरा करने की आज़ादी दी. कुछ दिनों बाद पंकज को फिल्म ‘रन’ मिली, लेकिन फिल्म ‘गैंग्स ऑफ़ वासेपुर’ उनके अभिनय कैरियर की माइलस्टोन बनी, जिसके बाद से उन्हें मुड़कर पीछे देखना नहीं पड़ा. इस फिल्म की ऑडिशन पंकज ने करीब 8 घंटे तक दिया था. व्यस्त जीवन शैली के बीच पंकज त्रिपाठी ने मुंबई स्थित अपने आवास से टेलीफोन पर गृहशोभा के लिए खास बात की, जो रोचक थी, पेश है, कुछ खास अंश.
सवाल – अभिनय की प्रेरणा आपको कहाँ से मिली?
जवाब –जब गाँव में था तो वह किसी भी अवसर पर नाटक करता था. पटना जाने के बाद भी मैं वहां थिएटर करने लगा था, फिर महसूस हुआ कि ये फील्ड अच्छी है, इसमें काम कर जीवन चलाना आसान होगा. इसके बाद पटना से दिल्ली आ गया और एनएसडी में ज्वाइन किया. आज यहं तक पहुंचा हूँ. 12 साल की संघर्ष के बाद मुझे लोग थोडा जानने लगे थे. काम मिलने लगा था.
सवाल- 12 साल की संघर्ष में किसका सहयोग रहा?
जवाब – मेरी पत्नी मृदुला का जो उस समय मुंबई में टीचर थी और उनके पैसे से ही घर चल जाता था. उस दौरान मैं काम खोज रहा था और अपने क्राफ्ट पर काम कर रहा था. उन्होंने उनका काम मेरे स्टाब्लिश होने के बाद छोड़ दिया और अपने मनपसंद शूटिंग की कंपनी चलाती है.
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सवाल –पत्नी से आप कैसे मिले थे?
जवाब – मैं उनसे एक शादी में मिला था, मुझे मृदुला बहुत अच्छी लगी थी. इसके बाद प्यार और प्रेमविवाह किया है.
सवाल – मुंबई आने पर काम के लिए कितनी समस्याएं आई? क्या आउटसाइडर होने की वजह से आपको अधिक मेहनत करनी पड़ी?
जवाब –हमारे देश में हर काम के लिए भीड़-भाड होती है और एक्टर बनना तो सबसे कठिन काम होता है. उसमें जो मेहनत करते है, उनके लिए रास्ते बन जाने है, मैंने भी मेहनत कर अपना रास्ता बनाया. इतना ही नहीं कई बार काम होते-होते पता चलता था कि नहीं हुआ किसी दूसरे को ले लिया है, ये पार्ट ऑफ़ ऑडिशन होता है.
सवाल – आपकी अधिकतर फिल्मों या वेब सीरीज में आपके काम को सराहा जाता है, इसकीवजह क्या मानते है?
जवाब – इसके लिए मैं उन कहानियों में काम करना पसंद करता हूँ, जो मुझे अच्छी लगती है. उसे सजीव करने के लिए पूरी मेहनत करता हूँ और उससे जुड़ जाता हूँ. ये अच्छी बात है कि मेरे काम की प्रसंशा दर्शक करते है, जिससे मुझे हर फिल्म में अधिक अच्छा करने की इच्छा होती है.
सवाल – आप अपनी जर्नी से कितना संतुष्ट है, क्या कोई रिग्रेट रह गया है?
जवाब – मैं अपने जर्नी से बहुत संतुष्ट हूँ, क्योंकि जितना मैंने सोचा, उससे अधिक मुझे मिला है, इसलिए किसी प्रकार की रिग्रेट मुझमे नहीं है. इसके अलावा मैं सुकून गति का व्यक्ति हूँ और जिस गति से मेरा काम चल रहा है,उसे मैं वैसे ही चलने देना चाहता हूँ. मेरे जीवन में ठहराव है औरजब समय मिलने पर दार्शनिक किताबे पढना पसंद करता हूँ.
सवाल – आपके मुंबई एक्टिंग के लिए आने पर परिवार की प्रतिक्रियां कैसी थी?
जवाब – परिवार वालों को मुझपर भरोसा था, वे जानते थे कि मैं कुछ न कुछ अच्छा अवश्य कर लूँगा, इसलिए उन्होंने सफल होने का आशीर्वाद दिया. गांव मैं हर तीन से चार महीने बाद 2 दिन के लिए जाता हूँ. मेरे जाते ही कई लोग मुझसे मिलने आ जाते है.
सवाल –मुंबई में सभी यूथ हीरो बनने के लिए आते है,आपकी इच्छा क्या थी?
जवाब –मेरी इच्छा एक्टिंग करने की थी, इसलिए जो भी काम मिला मैं करता गया. इसमें मैंने केवल गैंग्स्टर ही नहीं, वकील, कॉमेडियन, आम आदमी आदि सबकी भूमिका निभा रहा हूँ.
सवाल – आगे आपकी कौन-कौन सी फिल्में रिलीज पर है?
जवाब – आगे फिल्म ‘ओह माय गॉड 2’ और ‘शेरदिल’ है, जिसपर काम चल रही है.
सवाल – अभिनय से पहले और अब एक सफल एक्टर बनने की जर्नी में आप वजह क्या मानते है?
जवाब –मेरा धीरज, निरंतर प्रयास करते रहना, अपने क्राफ्ट को सवांरते रहना आदि कई बातें है, जिसे मैंने अपने जीवन में शामिल किया है.
सवाल – रियल लाइफ में पंकज कैसे है?
जवाब – रियल लाइफ में पंकज एक साधारण मध्यम वर्गीय परिवार का बेटा है, जिन्हें बाज़ार जाकर सब्जियां खरीदना, ट्रेन के स्लीपर कोच में सफ़र करना, परिवार के साथ समय बिताना, गांव और खेती को देखना, खाना बनाना आदि सब पसंद है.
सवाल – अगर आपको कोई सुपर पॉवर मिले तो आप देश में क्या बदलना चाहेंगे?
जवाब – मैं बहुत सारे पौधे लगाना चाहता हूँ, ताकि बहुत हरियाली रहे. ऑक्सिजन की कमी न रहे, नदियाँ साफ़ रहे, वातावरण सुंदर रहे, पशु पक्षी का समागम हो और सभी सुखी रहे. सुपर पॉवर से मैं पूरी दुनिया को सुखी बनाना चाहता हूँ.
सवाल – आपने अधिकतर फिल्मों में बाहुबली की भूमिका निभाई है, क्या आपको राजनीति में जाने की कभी इच्छा है?
जवाब –अभी तो बताना मुश्किल है, क्योंकि इस बारें में मैंने सोचा नहीं है, लेकिन आगे क्या होगा उसे आज समझ पाना बहुत मुश्किल है. राजनीति डेमोक्रेटिक देश में बहुत जरुरी होती है, क्योंकि इससे सामाजिक क्षमता बढ़ जाती है. हाथ में पॉवर होता है और आप कुछ सही काम करना चाहते है तो कर सकते है. देश का संविधान भी एक महत्व पूर्ण अंग है, जिसके आधार पर हम सब चलते है. इसके द्वारा हमें अपने अधिकार, कर्तव्य, स्वतंत्रता आदि कई मूलभूत बातों का पता चलता है.
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सवाल – बिहार का विकास बाकी राज्यों की तुलना में काफी कम है, क्या आप अपने राज्य के विकास के बारें में कभी सोचा है?
जवाब – सोचते है कि गांव और राज्य का विकास हो. अपने हिसाब से करने का प्रयास भी करते है. इसके अलावा कई सामाजिक कार्य से जुड़ा हूँ, पर उस बारें में बात करना नहीं चाहता.
सवाल – कोविड और लॉकडाउन ने बता दिया है कि हमारे देश में लोग कितने गरीब है और कितनी संख्या में वे माइग्रेट करते है, खासकर मुंबई से बिहार, उत्तरप्रदेश, राजस्थान आदि राज्यों से, आपकी सोच इस बारें में क्या है?
जवाब – देश में माइग्रेशन सालों से होता आया है, मुंबई में अधिक होने की वजह काम का मिलना है, जिससे वे अपने गांव और शहर से आकर अपनी रोजी -रोटी कमाते है. विस्थापन एक बड़ी समस्या है और इसपर लगाम तभी लग सकेगा, जब उन राज्यों का समुचित विकास हो. अगर मेरे गाँव में एक फैक्ट्री लग जाती है, तो कोई मुंबई या कल्याण की फैक्ट्री में काम करने क्यों आएगा? हर राज्य में उद्योग – धंधे और काम के मौके का सही विकास हो तो कोई भी व्यक्ति अपने शहर और परिवार को छोड़कर दूसरी जगह नहीं जायेगा.
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