प्यार साथी के घरवालों से

प्यार की परिधि व्यापक होती है. जिस से प्यार होता है उस से संबंधित लोगों, चीजों और बातों आदि तमाम पक्षों से प्यार हो जाता है. प्यार विवाहपूर्व हो तो प्रिय को पाने के लिए उस के घर वालों से भी प्यार उस राह को आसान और सुगम बना देता है और जहां तक विवाह के बाद की बात है, वहां भी साथी के घर वालों से प्यार रिश्तों में मजबूत जुड़ाव और परिवार का अटूट अंग बनाने में सहायक होता है. हमारे यहां विवाह संबंध 2 व्यक्तियों के बजाय 2 परिवारों का संबंध माना जाता है, इसलिए उस में सिर्फ व्यक्ति के बजाय समूह को प्रधानता दी जाती है. केवल प्रिय या अपने बच्चों तक ही प्यार को स्वार्थ माना जाता है. केवल अपने लिए जिए तो क्या जिए? उस तरह तो हर प्राणी जीता है.

दरअसल, बहू हमारे यहां परिवार की धुरी है, उसी पर हमारे वंश का जिम्मा है, इसलिए उसे परिवार की भावना को अगली पीढ़ी में सुसंस्कार डालने वाली माना जाता है.

क्या कहते हैं अनुभव

राजेश्वरी आमेटा ससुराल में काफी लोकप्रिय हैं. उन के पति डाक्टर हैं और उन्हें भी ससुराल पक्ष व उन के परिचितों से बहुत स्नेह मिला. डा. आमेटा कहते हैं, ‘‘मैं स्वभाव से संकोची और कम बोलने वाला था पर बड़े परिवार में शादी होने से मुझे अपने से छोटेबड़ों का इतना मानसम्मान तथा प्यार मिला कि मुझे जो सामाजिकता पसंद न थी, वह भी अच्छी लगने लगी. राजेश्वरी कहती हैं, ‘‘शादी का मतलब ही प्रेम का विस्तार है. मेरी ससुराल में ससुरजी के 3 भाइयों का परिवार एक ही मकान में रहता था, इसलिए दिन भर घर में रौनक व चहलपहल का माहौल रहता था.’’

अगर मन में यह बात रखी जाए कि पारिवारिकता से आप को प्यार देने के साथसाथ उस की प्राप्ति का सुख भी मिलता है, पारिवारिकता आप के मन को विस्तार देती है, समायोजन में सहूलियत पैदा करती है, तो साथी के घर वालों से भी सहज ही प्यार हो जाता है. मनोवैज्ञानिक सलाहकार डा. प्रीति सोढ़ी इस तरह के संबंधों पर मनोवैज्ञानिक रोशनी डालते हुए बताती हैं कि साथी के घर वालों या संबंधियों से प्यार सपोर्टेड रिलेशनशिप कहलाता है. इस से भावनात्मक जुड़ाव मजबूत होता है, आत्मीयता और एकदूसरे के प्रति हमदर्दी में बहुत सपोर्ट मिलता है और लड़ाईझगड़े कम होते हैं. नकारात्मक सोच के लिए कोई मौका नहीं मिलता.

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मिलती सकारात्मक ऊर्जा

हमारे यहां परिवारों में ज्यादातर झगड़े पक्षपात, कमज्यादा लेनदेन व स्नेहभाव कमज्यादा होने पर होते हैं. इसलिए साथी के संबंधियों से प्यार आप का मानसम्मान, हौसला और अहमियत बढ़ाने वाला होता है. लेखिका शिवानी अग्रवाल कहती हैं, ‘‘शुरूशुरू में यह प्यार आप को जतानाबताना पड़ता है, लेकिन धीरेधीरे यह सहज हो जाता है. मसलन, आप उन को बुलाएं, उन का इंतजार करें, उन की पसंदनापसंद का खयाल रखें, उन की जन्मतिथि, शादी की वर्षगांठ आदि याद रखें. यानी भावनात्मक रूप से जुड़ें. फिर ये सब दोनों तरफ से होने लगता है, तो आप अपनेआप पर फख्र करते हैं.’’ आभा माथुर कहती हैं, ‘‘केवल बातों की बादशाही से काम नहीं चलता, उन्हें मूर्त रूप दिया जाना जरूरी होता है. अविवाहित ननद है, तो उस की सहेली बनें. देवर या ननद के छोटेछोटे काम कर दें. साथ खाना खाएं. बाजार से पति बच्चों के लिए कुछ लाएं तो उन्हें न भूलें जैसे सैकड़ों कार्य हैं इस प्यार की अभिव्यक्ति के.’’

सच भी है, साथी के घर वालों से प्यार करने से घरपरिवार में सकारात्मक ऊर्जा रहती है. उन्हें नहीं लगता कि उन का भाई, बेटा, पोता या बहन, बेटी, पोती किसी ने छीन ली या दूर कर ली है. कई बार लगता है एक व्यक्ति से जुड़ कर कई लोगों से रिश्ते बने. अपने घरपरिवार वालों से साथी के बारे में अच्छी प्रतिक्रिया से मन बहुत खुश रहता है. लगता है हमें अच्छा साथी मिला. जिस के साथी की निंदा होती हो, वह अच्छा भी हो, तो भी लगता है जैसे उस व्यक्ति के चयन में कोई गड़बड़ी या गलती हो गई है. एक प्रेमविवाह करने वाला जोड़ा कहता है, ‘‘शुरूशुरू में हम दोनों एकदूसरे में ही खोए हुए थे. इस वजह से हमें किसी और का ध्यान ही नहीं आया. पर संबंधियों से हमें इतना प्यार मिला कि हमें एकदूसरे के घर वालों से बहुत प्यार हो गया और अब बढ़ता जा रहा है. हमारे घर वालों ने हमारी पुरानी बातें भुला कर अच्छा ही किया, वरना तनातनी होती व बढ़ती. अब हमें जिंदगी जीने का मजा आ रहा है.’’ कुछ लोगों को लगता है साथी के घर वालों को ज्यादा भाव देने से वे हमारे घर में दखल करेंगे. उन का हस्तक्षेप हमारे जीवन के सुख को कम कर सकता है, व्यावहारिकता से देखासोचा जाए तो सचाई तो यह है प्यार से रिश्तों को पुख्ता बनाने में मदद मिलती है. हारीबीमारी के वक्त, परिस्थिति को जानना, झेलना आसान हो जाता है. हम किसी के साथ हैं तो कोई हमारे साथ भी है, छोटेछोटे परिवार होने पर भी बड़े परिवार का लाभ मिल जाता है.

जहां नहीं होती आत्मीयता

चिरंजी लाल की 6 बहनें हैं. वे कहते हैं, ‘‘माफ कीजिएगा, हम पुरुष जितनी आसानी से ससुराल वालों को मान देते हैं, उतना हमारी पत्नियां हमारे घर वालों को मान नहीं देतीं. मैं पत्नी के भाइयों की खूब खातिर करता हूं, पर मेरी पत्नी मेरे भाईबहनों का उतना आदरसम्मान नहीं करतं, बल्कि मुझे उन से सावधान रहने जैसी बातें कह कर भड़काती रहती हैं. मेरी पत्नी बेहद सुंदर है फिर भी वह मन से भी उतनी ही सुंदर होती, तो मेरे दिल के और करीब होती.’’ जो एकदूसरे के घर वालों से जुड़ नहीं पाते उन्हें मलाल रहता है. इस का कहीं न कहीं उन के अपने प्यार पर भी प्रभाव पड़ता है. प्यार के शुरुआती दिनों में तो यह चल जाता है पर बाद में यह बात आपसी रिश्तों में खींचतान व खटास का कारण भी बनती है. प्रेमविवाह हो या परंपरागत विवाह, साथी के घर वालों से प्यार करने से सुख बढ़ता ही है, अपना भी व दूसरों का भी. यार से हस्तक्षेप बढ़ता है यह भ्रम ही है. मौके पर अच्छी सलाह और मदद अलादीन के चिराग का काम करती है. आज हम किसी के सुखदुख में खड़े हैं, तो कल को कोई हमारे साथ खड़ा होगा. जीवन हमेशा एक जैसा नहीं चलता.

मेरी बचपन की एक सहेली को विवाह के बाद गुपचुप दूसरा विवाह कर के उस के पति ने धोखा दिया. उस के ससुराल वालों ने अपने बेटे का बहिष्कार कर के कानूनन तलाक करवा कर उसे अपनी बेटी बना कर, उस का अपने घर से ही दूसरा विवाह कराया. यदि उस का पति के घर वालों से लगावजुड़ाव नहीं होता, तो यह कभी संभव ही नहीं था.

देखें अपने आसपास

साथी के घर वालों से जुड़ाव का नतीजा आसपास आसानी से देखा जा सकता है. जो ऐसा करते हैं, वे औरों की अपेक्षा ज्यादा मान और भाव पाते हैं. 3 बहुओं व बेटों के होने पर भी ऐसा करने वाला एक व्यक्ति उन पर भारी पड़ता है, उस की पूछ ज्यादा होती है. विवाह और प्यार के मूल में पारिवारिकता है, जो इसे नहीं समझ पाते वे कटेकटे व अलगथलग पड़ जाते हैं. दूसरों से जुड़ कर और अपने से जोड़ कर ही तो हम भी खुल कर कुछ कह सकते हैं और अपनी बात बता सकते हैं. इस जुड़ाव से बहुत से कठिन मौके आसान हो जाते हैं. साथी के घर वालों से जुड़ कर साथी से जुड़ी शिकायतें भी दूर की जा सकती हैं. मसलन, नशा, जुआ या ऐसे ही तमाम ऐबतथा गैरजिम्मेदारी भरे रवैए. जहां यह पारिवारिक जुड़ाव नहीं, वहां तनाव भी पसरता है. साथी एकदूसरे को खुदगर्ज व अपनों से दूर करने वाला भी समझते हैं. तमाम सुखसुविधाओं के बीच भी आधाअधूरापन अनुभव होता है. बच्चों में भी स्वत: यह प्रवृत्ति आती जाती है.

जब हम किसी से जुड़ाव और प्यार रखते हैं, तो औपचारिकता में कड़वी लगने वाली बातें भी आत्मीयता के कारण सहजस्वाभाविक लगती हैं. एकदूसरे के प्रति स्नेह बढ़ता है व रिश्तों की समझ पैदा भी होती है. व्यर्थ के गिलेशिकवे, ताने, तनातनी, लड़ाईझगड़े हो नहीं पाते. जैसे बिखरे पन्नों को बाइंडर किताब के रूप में जोड़ देता है, जिस से लगता ही नहीं कि वे अलगअलग भी थे. यही काम साथी के घर वालों से प्यार पर किसी रिश्ते का होता है.

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खूबसूरत महिला बौस से परेशान पत्नियां

राखी के पति रोहित औफिस से आने के बाद बस अपनी बौस की खूबसूरती का ही राग अलापते रहते कि आज उस ने ऐसी ड्रैस पहनी, उस का हेयरस्टाइल देखो, हमारे यू.एस. वाले क्लाइंट को उस ने कैसे इंप्रैस किया. राखी को पति पर विश्वास था पर फिर भी वह पति से इन बातों पर उलझ पड़ती कि तुम ने मेरी तो कभी तारीफ नहीं की, मैं ने कौन सी नई साड़ी ली है, तुम्हें नहीं पता, पर बौस की हर चीज पर तुम्हारी नजर रहती है. रोहित का कहना था, ‘‘मैं तुम्हें यह सब इसलिए बताता हूं, क्योंकि तुम बाहर कम जाती हो और तुम्हें भी आजकल के फैशन के बारे में पता होना चाहिए ताकि तुम भी मौडर्न और स्मार्ट बन सको.’’

लेकिन रोहित के ये तर्क राखी के लिए काफी नहीं थे. उसे हर पल ‘ऐतराज’ फिल्म की प्रियंका चोपड़ा और ‘सिर्फ तुम’ की सुष्मिता ही रोहित की बौस में नजर आती थीं, जो हर वक्त रोहित को इंप्रैस करने के बहाने खोजती होगी. यह स्थिति सिर्फ रोहित की पत्नी राखी की ही नहीं है, बल्कि कई घरेलू पत्नियां इस डर में जीती हैं और पति के बौस से एक अनचाही सी असुरक्षा महसूस करते हुए पति पर छींटाकशी करने लगती हैं. इस बारे में एक मल्टीनैशनल कंपनी में काम करने वाले अमित ने बताया, ‘‘मेरी पत्नी मेरी बौस से औफिस की एक पार्टी में मिली थी. तब उसे देख कर रुचि ने कहा, ‘आप की बौस तो बहुत खूबसूरत है.’ सच कहूं तो मेरा उस तरफ कभी ध्यान ही नहीं गया था. मैं ने पहली बार बौस को ध्यान से देखा, तो लगा वाकई यह खूबसूरत है और यह बात मैं ने अपनी पत्नी से कह दी. तब से तो वह मेरे पीछे ही पड़ गई. औफिस में थोड़ी देर हो जाए तो उसे लगता है कि मैं बौस के ही साथ था. अगर कभी उसे कह दूं, ‘आज तुम साड़ी नहीं सूट पहन लो,’ तो वह पलट कर कहती है, ‘क्यों आप की बौस पहनती है इसलिए?’ उस की इन बातों से मैं तंग आ चुका हूं.’’

अकसर देखा जाता है कि पत्नी पति पर सवालों की झड़ी लगा देती है. औफिस में कौन सी मीटिंग थी? छुट्टी वाले दिन औफिस में कौन सा काम है? आजकल तुम्हारा मन घर में लगता ही कहां है? इस तरह के ताने बेचारे पतियों के लिए आम हो जाते हैं. महिला बौस की खूबसूरती तो मानो पति के लिए एक सजा हो जाती है. इस बारे में जब नेहा से पूछा गया तो उन का कहना था, ‘‘मैं मानती हूं कि हर पति गलत नहीं होता, पर अगर सामने वाली ‘ऐतराज’ फिल्म की प्रियंका चोपड़ा बनने पर उतारू हो जाए तो अच्छेअच्छों के कदम बहक जाएं और फिर बौस खूबसूरत हो और दिन में 8-10 घंटे जब वह आंखों के सामने रहे, तो मुझ जैसी सामान्य सी दिखने वाली पत्नी की वैल्यू कहीं न कहीं कम तो हो ही जाती है.’’ नेहा भी अपनी जगह सही है और पति महाशय अगर सही भी हों तो भी इस स्थिति में उन्हें सैंडविच बनने से कोई नहीं रोक सकता. तो आइए, जानें कि ऐसे में पतिपत्नी क्या करें-

पत्नियां ध्यान दें

हर महिला बौस फिल्मों में दिखाई गई बौस की तरह नहीं होती, उस का भी अपना परिवार होता है, इसलिए यह डर अपने मन से निकाल दीजिए.

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अगर आप फिल्मों को देख कर यह सोच रही हैं, तो यह भी देखें कि ऐसी औरतों के लाख जतन करने पर भी पति खुद को ‘ऐतराज’ फिल्म के अक्षय कुमार की तरह काबू में रखना जानते हैं.

अगर बौस काबिल है, तो आप कौन सा उन से कम हैं. वह औफिस संभाल रही है तो आप पूरा घर संभाल रही हैं.

बौस के सुंदर होने की बात है, तो क्यों न इसी बहाने आप भी खुद पर ध्यान देना शुरू कर दें.

आप शायद भूल गई हैं कि आप के फीचर्स, केश, पति की बौस से ज्यादा अच्छे हैं. बस, थोड़ी सी केयर करने की जरूरत है, जो आप गृहस्थी में फंसने के कारण कई सालों से नहीं कर पाईं.

पति ध्यान दें

अपनी खैर चाहते हैं, तो हर वक्त अपनी बौस की तारीफों के पुल बांधने बंद कर दीजिए.

अपनी बौस और पत्नी की तुलना करने की कोशिश न करें. दोनों का अलग व्यक्तित्व व गुण हैं. अपनी हमसफर की अच्छाइयां ढूंढ़ें, बुराइयां नहीं.

आप की पत्नी बौस से इनसिक्योरिटी फील कर रही है, तो बेवजह उसे हवा देने के बजाय प्यार से समझा कर गलतफहमी दूर करने की कोशिश करें, क्योंकि शक की यह दीमक अगर एक बार लग गई, तो आप की हंसतीखेलती गृहस्थी को खा जाएगी.

अगर बौस जबरदस्ती आप से नजदीकी बढ़ाने की कोशिश करे, तो स्पष्ट शब्दों में इनकार कर दें और यह बात अपनी पत्नी से छिपाएं नहीं.

अगर आप को लगे कि आप भी अपनी बौस की तरफ खिंच रहे हैं या आप के मन में भी चोर आ रहा है, ?तो तुरंत संभल जाइए. खतरे की घंटी बज चुकी है, इसलिए अपनी बौस से दूरियां बनानी शुरू कर दीजिए वरना आप की पत्नी के शक को यकीन में बदलते देर नहीं लगेगी.

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अगर बौस पत्नी से ज्यादा सुंदर है, तो क्या हुआ आप बाहरी रूप पर नहीं, बल्कि अपनी पत्नी के आंतरिक गुणों की खूबसूरती के बारे में सोचें. फैसला आप के हाथ में है. आप के लिए पल दो पल की खूबसूरती का बखान करना ज्यादा अच्छा है या फिर अपनी पत्नी के आजीवन रहने वाले गुणों का.

जब सताने लगे अकेलापन

रंजना का अपने पति से तलाक हो गया सुन कर धक्का लगा. 45 वर्षीय रंजना भद्र महिला है. पति, बच्चे सब सुशिक्षित. भला सा हंसताखेलता परिवार. फिर अचानक यह क्या हुआ? बाद में पता चला कि रंजना ने दूसरी शादी कर ली. दूसरा पति हर बात में उन के पहले पति से उन्नीस ही है. किसी ने बताया रंजना की मुलाकात उस व्यक्ति से फेसबुक पर हुई थी और उन्हीं के बेटे ने उन्हें बोरियत से बचाने के लिए उन का फेसबुक पर अकाउंट बनाया था. प्रारंभिक जानपहचान के बाद उन की घनिष्ठता बढ़ती गई, जो बाद में प्यार में बदल गई. वह व्यक्ति भी उसी शहर का था. कभीकभी होने वाली मुलाकात एकदूसरे के बिना न रह सकने में तबदील हो गई. वह भी शादीशुदा था. इस शादी के लिए उस ने अपनी पत्नी को बड़ी रकम दे कर उस से छुटकारा पा लिया.

कुछ साल पहले तक ऐसे समाचार अखबारों में पढ़े जाते थे और वे सभी विदेशों के होते थे. तब अपने यहां की संस्कृति पर बड़ा मान होता था. लेकिन आज हमारे देश में भी यह आम बात हो गई है. हमारा सामाजिक व पारिवारिक परिवेश तेजी से बदल रहा है. इन परिवर्तनों के साथ आ रहे हैं मूल्यों और पारिवारिक व्यवस्था में बदलाव. आज संयुक्त परिवार तेजी से खत्म होते जा रहे हैं. सामाजिक व्यवस्था नौकरी पर टिकी है जिस के लिए बच्चों को घर से बाहर जाना ही होता है. पति के पास काम की व्यस्तता और बच्चों की अपनी अलग दुनिया. अत: महिलाओं के लिए घर में अकेले समय काटना मुश्किल हो जाता है. ऐसे में उन का सहारा बनती है किट्टी पार्टी या फेसबुक पर होने वाली दोस्ती.

आइए जानें कुछ उन कारणों को जिन के चलते महिलाएं अकेलेपन की शिकार हो कर ऐसे कदम उठाने को मजबूर हो रही हैं:

संयुक्त परिवार खत्म हो रहे हैं. एकल परिवार के बढ़ते चलन से पति व बच्चों के घर से चले जाने के बाद महिलाएं घर में अकेली होती हैं. तब उन का समय काटे नहीं कटता.

अति व्यस्तता के इस दौर में रिश्तेदारों से भी दूरी सी बन गई है. अत: उन के यहां आनाजाना, मिलनाजुलना कम हो गया है. साथ ही सहनशीलता में भी कमी आई है. इसलिए  रिश्तेदारों का कुछ कहना या सलाह देना अपनी जिंदगी में दखल लगता है, जिस से उन से दूरी बढ़ा ली जाती है.

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विश्वास की कमी के चलते सामाजिक दायरा बहुत सिमट गया है. अब पासपड़ोस पहले जैसे नहीं रह गए. पहले किस के घर कौन आ रहा है कौन जा रहा है की खबर रखी जाती थी. दिन में महिलाएं एकसाथ बैठ कर बतियाते हुए घर के काम निबटाती थीं. इस का एक बड़ा कारण दिनचर्या में बदलाव भी है. सब के घरेलू कामों का समय उन के बच्चों के अलग स्कूल टाइम, ट्यूशन की वजह से अलगअलग हो गया है.

पति की अति व्यस्तता भी इस का एक बड़ा कारण है. अब पहले जैसी 10 से 5 वाली नौकरियां नहीं रहीं. अब दिन सुबह 5 बजे से शुरू होता है, जो सब के जाने तक भागता ही रहता है. इस से पतिपत्नी को इतमीनान से साथ बैठ कर पर्याप्त समय बिताने का मौका ही नहीं मिलता. कम समय में जरूरी बातें ही हो पाती हैं.

ऐसे ही पुरुषों की व्यस्तता भी बहुत बढ़ गई है. सुबह का समय भागदौड़ में और रात घर पहुंचतेपहुंचते इतनी देर हो जाती है कि कहनेसुनने के लिए समय ही नहीं बचता. इसलिए आजकल पुरुष भी अकेलेपन का शिकार हो रहे हैं और औफिस में या फेसबुक पर उन की भी दोस्ती महिलाओं से बढ़ रही है जिन के साथ वे अपने मन की सारी बातें शेयर कर सकें.

यदि अकेले रहने की वजह परिवार से मनमुटाव है, तो ऐसे में पति का उदासीन रवैया भी पत्नी को आहत करने वाला होता है. उसे लगता है कि उस का पति उसे समझ नहीं पा रहा है या उस की भावनाओं की उसे कतई कद्र नहीं है. इस से पतिपत्नी के बीच भावनात्मक अलगाव पैदा हो रहा है.

टीवी सीरियलों में आधुनिक महिलाओं के रूप में जो चारित्रिक हनन दिखाया जा रहा है उस का असर भी महिलाओं के सोचनेसमझने पर हो रहा है. अब किसी पराए व्यक्ति से बातचीत करना, दोस्ती रखना, कभी बाहर चले जाना जैसी बातें बहुत बुरी बातों में शुमार नहीं होतीं, बल्कि आज महिलाएं अकेले घर का मोरचा संभाल रही हैं. ऐसे में बाहरी लोग आसानी से उन के संपर्क में आते हैं.

पति परमेश्वर वाली पुरानी सोच बदल गई है.

इंटरनैट के द्वारा घर बैठे दुनिया भर के लोगों से संपर्क बनाया जा रहा है. ऐसे में अकेलेपन, हताशानिराशा को बांट लेने का दावा करने वाले दोस्त महिलाओं की भावनात्मक जरूरत में उन के साथी बन कर आसानी से उन के फोन नंबर, घर का पता हासिल कर उन तक पहुंच बना रहे हैं.

नौकरीपेशा महिलाएं भी घरबाहर की जिम्मेदारियां निभाते हुए इतनी अकेली पड़ जाती हैं कि ऐसे में किसी का स्नेहस्पर्श या  भावनात्मक संबल उन्हें उस की ओर आकर्षित करने के लिए काफी होता है.

अत्यधिक व्यस्तता और तनाव की वजह से पुरुषों की सैक्स इच्छा कम हो रही है. सैक्स के प्रति पुरुषों की अनिच्छा स्त्रियों में असंतोष भरती है. ऐसे में किसी और पुरुष द्वारा उन के रूपगुण की सराहना उन में नई उमंग भरती है और वे आसानी से उस की ओर आकर्षित हो जाती हैं. लेकिन क्या ऐसे विवाहेतर संबंध सच में महिलाओं या पुरुषों को भावनात्मक सुकून प्रदान कर पाते हैं? होता तो यह है कि जब ऐसे संबंध बनते हैं दिमाग पर दोहरा दबाव पड़ता है. एक ओर जहां उस व्यक्ति के बिना रहा नहीं जाता तो वहीं दूसरी ओर उस संबंध को सब से छिपा कर रखने की जद्दोजेहद भी रहती है. ऐसे में यदि कोई टोक दे कि आजकल बहुत खुश रहती हो या बहुत उदास रहती हो तो एक दबाव बनता है.

जब संबंध नएनए बनते हैं तब तो सब कुछ भलाभला सा लगता है, लेकिन समय के साथ इस में भी रूठनामनाना, बुरा लगना, दुख होना जैसी बातें शामिल होती जाती हैं. बाद में स्थिति यह हो जाती है कि न इस से छुटकारा पाना आसान होता है और न बनाए रखना, क्योंकि तब तक इतनी अंतरंग बातें सामने वाले को बताई जा चुकी होती हैं कि इस संबंध को झटके से तोड़ना कठिन हो जाता है. हर विवाहेतर संबंध की इतिश्री तलाक या दूसरे विवाह में नहीं होती. लेकिन इतना तो तय है कि ऐसे संबंध जब भी परिवार को पता चलते हैं विश्वास बुरी तरह छलनी होता है. फिर चाहे वह पति का पत्नी पर हो या पत्नी का पति पर अथवा बच्चों का मातापिता पर. बच्चों पर इस का सब से बुरा असर पड़ता है. एक ओर जहां उन का अपने मातापिता के लिए सम्मान कम होता है वहीं परिवार के टूटने की आशंका भी उन में असुरक्षा की भावना भर देती है, जिस का असर उन के भावी जीवन पर भी पड़ता है और वे आसानी से किसी पर विश्वास नहीं कर पाते.

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यदि परिवार और रिश्तेदार इसे एक भूल समझ कर माफ भी कर दें तो भी आगे की जिंदगी में एक शर्मिंदगी का एहसास बना रहता है, जो सामान्य जिंदगी बिताने में बाधा बनता है. विवाहेतर संबंध आकर्षित करते हैं, लेकिन अंत में हाथ लगती है हताशा, निराशा और टूटन. इन से बचने के लिए जरूरी है कि अकेलेपन से बचा जाए. खुद को किसी रचनात्मक कार्य में लगाया जाए. अपने पड़ोसियों से मधुर संबंध बनाए जाएं, रिश्तेदारों से मिलनाजुलना शुरू किया जाए. अपने पार्टनर से अपनी परेशानियों के बारे में खुल कर बात की जाए और अपने पूर्वाग्रह को भुला कर उन की बातें सुनी और समझी जाएं. हमारी सामाजिक व पारिवारिक व्यवस्था बहुत मजबूत और सुरक्षित है. इसे अपने बच्चों के लिए इसी रूप में संवारना हमारा कर्तव्य है. आवेश में आ कर इसे तहसनहस न करें.

रिश्ते को बना लें सोने जैसा खरा

पतिपत्नी के बीच मतभेद होना बहुत ही स्वाभाविक सी बात है, क्योंकि दोनों अलगअलग सोच, धारणाओं और परिवारों के होते हैं. एक में धैर्य है तो दूसरे को बहुत जल्दी क्रोध आ जाता है और एक मिलनसार है तो दूसरा रिजर्व रहता है. ऐसे में लोहे और पानी की तरह उन के मतभेदों का औक्सीडाइज्ड होना बहुत आम बात है. लोहे और पानी के मिलने का अर्थ ही है जंग लगना. नतीजा रिश्ते में बहुत जल्दी कड़वाहट का जंग लग जाता है.

ऐसा न हो इस के लिए जानिए कुछ उपाय:

हो सोने जैसा ठोस

अगर हम अपने रिश्ते को सोने जैसा बना लें और सोने की खूबियों को अपने जीवन में ढाल लें, तो मतभेद रूपी जंग कभी भी वैवाहिक जीवन में लगने ही न पाए. सोने की सब से बड़ी खूबी यह होती है कि वह ठोस होता है, इसलिए उस में कभी जंग नहीं लगता और न ही उस के टूटने का खतरा रहता है. अपने वैवाहिक रिश्ते को भी आपसी समझ, प्यार और विश्वास की नींव पर खड़ा करते हुए इतना ठोस बना लें कि वह भी सोने की तरह मजबूत हो जाए.

आपसी विश्वास, सम्मान और साथी के साथ संवाद स्थापित कर आसानी से रिश्ते में आए खोखलेपन को दूर किया जा सकता है. सोना न तो अंदर से खोखला होता है न ही इतना कमजोर कि उसे हाथ में लो तो वह टूट जाए या उस में दरार आ जाए. आप का साथी, जो कह रहा है उसे मन लगा कर सुनें और यह जताएं कि आप को उस की परवाह है. बेशक आप को उस की बात ठीक न लगती हो, पर उस समय उस की बात काटे बिना सुन लें और बाद में अपनी तरह से उस से बात कर लें. ऐसा होने से मतभेद होने से बच जाएंगे और आप के रिश्ते की नींव भी खोखली नहीं होगी. सोने जैसी ठोस जब नींव होगी, तो जीवन में आने वाले किसी भी तूफान के सामने न तो आप का रिश्ता हिलेगा न टूटेगा. सच तो यह है कि आप का रिश्ता सोने की तरह हर दिन मजबूत होता जाएगा.

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हो प्यार की चमक

सोने का ठोस होना ही नहीं, उस की चमक भी सब को अपनी ओर आकर्षित करती है. पास से ही नहीं दूर से भी देखने पर सोने की चमक वैसी ही लगती है और उसे पाने की चाह महिला हो या पुरुष दोनों में बराबर रूप से बलवती हो उठती है. वैवाहिक रिश्ते में केवल शारीरिक रूप से ही नहीं, बल्कि वैचारिक व संवेदनशील रूप से भी यह चमक बरकरार रहनी चाहिए. सोने जैसा चमकीलापन पाने के लिए पतिपत्नी में प्यार और समर्पण की भावना समान रूप से होनी चाहिए. सोने की चमक पानी है तो वह सिर्फ प्यार से ही पाई जा सकती है और केवल प्यार होना ही काफी नहीं है, उसे जताने में भी पीछे न रहें. वैसे ही जैसे सोने का आभूषण जब आप पहनती हैं तो उसे बारबार दिखाने का प्रयास करती हैं और लोगों को उस के बारे में बढ़चढ़ कर बताती हैं. तो फिर आप अपने साथी को प्यार करती हैं, तो उसे बढ़चढ़ कर कहने में हिचकिचाहट क्यों? तभी तो चमकेगा आप का रिश्ता सोने की तरह.

जैसा चाहो ढाल लो

सोना महिलाओं की खूबसूरती में अगर चार चांद लगाता है, तो उस की दूसरी सब से बड़ी खासीयत है उस का पिघल कर किसी भी रूप में ढल जाना. ठोस होने के बावजूद सोना पिघल जाता है और फिर हम जैसा चाहते हैं वैसा उसे आकार देते हैं. अगर आप विवाह के बाद सोने की ही तरह स्वयं को पति के परिवार वालों या पति के अनुरूप ढाल लेती हैं, तो रिश्ता सदा सदाबहार रहता है और उस में जंग लगता ही नहीं. अपने को ढाल लेने का मतलब अपनी खुशियों या इच्छाओं की कुरबानी देना या अपना अस्तित्व खो देना नहीं होता, बल्कि इस का मतलब तो दूसरों की खुशियों और इच्छाओं का मान करना होता है. एक पहल अगर आप करती हैं तो यकीन मानिए दूसरे भी पीछे नहीं रहते. विवाह होने के बाद आप केवल पत्नी ही नहीं बनती हैं, वरन आप को बहुत सारे रिश्तों में अपने को ढालना होता है. अहंकार और इस भावना से खुद को दूर रखते हुए कि साथी की बात मानना झुकना होता है, उस के अनुरूप एक बार ढल जाएं. फिर देखें वह कैसे आप के आगे बिछ जाता है.

उपहार दें

सोना एक ऐसी चीज है जिसे उपहार में मिलना हर कोई पसंद करता है. उस के सामने अन्य चीजें फीकी पड़ जाती हैं. आज जब हम सोने की कीमत पर नजर डालते हैं तो पता चलता है कि वह निरंतर महंगा होता जा रहा है. फिर भी न तो विभिन्न मौकों पर सोना खरीदने वालों में कमी आई है और न ही उसे गिफ्ट में देना बंद हुआ है. वजह साफ है कि सोना शानोशौकत का प्रतीक है और व्यक्ति की हैसियत, उस के रहनसहन को समाज में उजागर करता है. आप जितना सोना पहन कर कहीं जाती हैं, उस से आप की हैसियत का भी अंदाजा लगाया जाता है.

सोने की ही तरह अपने रिश्ते में भी एक शानोशौकत को बरकरार रखें. अपने वैवाहिक जीवन की छोटीछोटी बातों का आनंद लें और साथी को गिफ्ट देना न भूलें. अपने घर की सज्जा और अपनी जीवनशैली पर ध्यान दें और पूरी मेहनत करें ताकि सोने की तरह आप के जीवन में भी शानोशौकत बनी रहे.

प्रशंसा करें

सोने के गहने हों या उस से बनी कोई नक्काशी या उस से किया कपड़ों पर काम, आप प्रशंसा किए बिना नहीं रह पाती हैं. ठीक वैसे ही आप साथी की भी प्रशंसा करने में कोताही न बरतें. इस से उसे महसूस होगा कि आप उस से प्यार करती हैं, उस को पसंद करती हैं. प्रशंसा करने के लिए बड़ीबड़ी बातों का इंतजार न करें. उस की छोटीछोटी बातों की भी तुरंत प्रशंसा कर दें. इस से उस के चेहरे पर खुशी आ जाएगी. इसी तरह अगर पति अपनी पत्नी की झूलती लटों की प्रशंसा कर दे, तो वह खुश हो अपना सारा प्यार उस पर लुटा देगी.

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सुरक्षा है सदा के लिए

महंगा होने पर भी लोग सोना इसलिए खरीदते हैं, क्योंकि वे जानते हैं कि मुसीबत के समय यही काम आएगा. सोना जहां सौंदर्य का प्रतीक है, वहीं वह यह मानसिक संतुष्टि भी प्रदान करता है कि कभी जीवन में कठिनाइयों ने घेरा तो उसे बेच कर काम चला लेंगे. सोना एक सुरक्षा का एहसास देता है, इसलिए उस के पास होने से हम निश्चिंत रहते हैं. सोने जैसा स्थायित्व, मानसिक संतुष्टि और राहत का एहसास वैवाहिक जीवन में भी पाया जा सकता है. युगल को केवल आर्थिक ही नहीं, हर पहलू से यह आश्वासन चाहिए होता है कि मुसीबत के समय उस का साथी उस का साथ देगा. उसे वह मझधार में नहीं छोड़ेगा. अपने साथी को सुरक्षित होने का एहसास कराना आवश्यक है. उस के सुखदुख में साथ दे कर, उस की परेशानियों को समझ कर आप ऐसा कर सकते हैं. अगर जीवन में मानसिक संतुष्टि हो और एक स्थायित्व की भावना तो वह बहुत सुगमता और मधुरता से आगे बढ़ सकता है, वह भी तमाम हिचकोलों के बीच.

शादी से पहले Financial Issues पर करें बात

आपमें से कई लोगों ने डेविड धवन की फिल्म मुझसे शादी करोगी देखी होगी. इस फिल्म में सनी बार-बार समीर और रानी के बीच तरह-तरह की गलत फहमियां पैदा करने की कोशिश करता है. फिल्म में एक तरह का संदेश था कि किसी भी कपल के रिश्तों में सनी नाम की कई तरह की समस्याएं हमेशा आती हैं और रिश्तों की परीक्षा लेती रहती हैं. कई बार इनके कारण गलत फहमियां पैदा होती है जो रिश्ते टूटने तक पहुंच जाती है.

द इमोशन बिहाइंड मनी की लेखक जूली मर्फी के मुताबिक शादी में वित्तीय मामले हमेशा से दिक्कत पैदा करते हैं. मौजूदा आर्थिक संकट और बदलती जीवन शैली लोगों के रिश्तों में ज्यादा दरार डाल रही है.

कई बार नई-नई शादी होने पर पति-पत्नी वित्तीय मामलों पर ज्यादा बात नहीं करते. अगर आपकी शादी नहीं हुई है तो अपनी मंगेतर से शादी से पहले वित्तीय मामलों पर जरूर बात करें. भारत में अरेंज मैरिज होने के कारण कई बार कपल आपस में इस तरह की बातें नहीं करते हैं. लेकिन बेहतर भविष्य के लिए शुरूआत में वित्तीय मामलों पर बात करना बहुत जरूरी है.

इन मुद्दों पर बात करें

शादी के बाद की उम्मीदें

शादी के बाद न्युली वेड कपल के कई सपने होते हैं. पर क्या आपने कभी सोचा है कि इन सपनों के लिए पैसा कहां से आएगा? शायद नहीं. अगर आप जीवन भर के लिए रिश्ते में बंधने जा रहे हैं तो अपने सपने और उनको कैसे पूरे करेंगे इस पर जरूर बात करें. ये रोमांटिक नहीं है लेकिन कड़वा सच है. कितनी जल्दी आप घर खरीदने जा रहे हैं. बच्चे होने के बाद वित्तीय भार कैसे बदलेगा. क्या कोई सिर्फ एक नौकरी करेगा. क्या आप नौकरी बदलेंगे. इस तरह की बाते शुरूआत में करने पर बाद में दिक्कतें कम आती हैं.

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बचत

बचत में आपके पास भले ही 1 लाख हो या 50 लाख हो. आपको अपने पार्टनर को बताना चाहिए कि आप कितनी बचत कर रहे हैं और किस चीज के लिए. बचत कितनी जरूरी है. आप पैसे बचाने के लिए क्या-क्या त्याग कर सकते हैं? आप दोनों किस तरह का निवेश करना चाहते हैं? रिटायरमेंट की योजना भी शुरूआत से ही बनाएं. बाहर छुट्टी और इमरजेंसी फंड की व्यवस्था पर आपकी बातचीत होती रहन चाहिए.

मनी पर्सनालिटी

आप और आपके पार्टनर किस तरह के मनी पर्सनालिटी है? क्या वो खर्चीले हैं या बचत करने वाले? पैसे को लेकर क्या सोच है? किसी भी बड़े खर्च के समय ये बहुत काम आती है. अगर आप दोनों खर्चीले हैं तो पैसा बचाना मुश्किल होगा. इसलिए इस तरह के मुद्दों पर बातचीत करते रहें.

कर्ज

कर्ज एक संवेदनशील विषय है. कुछ लोग बहुत बड़ी परेशानी आने पर ही कर्ज लेते हैं तो कुछ को ये शिक्षा मिली होती है लग्जरी चीजों के लिए भी कर्ज लिया जा सकता है. रिश्तों में इस विषय पर बात करने में थोड़ी मुश्किल होती है. अगर कर्ज ले रहे हैं तो अपने पार्टनर को जरूर बताएं. बड़ी चीजों के लिए कर्ज लेने योजना से पहले उसके चुकाने के इंतजाम के बारे में सोंचे. अगले साल ये कर्ज किस तरह से आपकी स्थिति पर असर डालेगा इस पर भी विचार करें.

खर्च

अपने खर्च की स्थिति पर बात करें. अगर कार की ईएमआई भर रहे हैं, मेडिकल का खर्च उठा रहे हैं तो इसकी चर्चा करें. आपको इस बात का अंदाजा होगा कि एक महीने में आप कितना पैसा खर्च करते हैं. अगर नहीं है तो बैठकर इस बात का अंदाजा लगाएं. अपने खर्च और आय का हिसाब बिठाएं. बजट बनाकर काम करें.

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मनी मैनेजमेंट पर शुरूआत से ही बातचीत करना शुरू कर बजट, खर्च और निवेश की योजना बनाएंगे तो ये वित्तीय अनुशासन जीवन भर काम आएगा. यही नहीं आगे जाकर इससे आपको वित्तीय स्वायत्तता मिलेगी. इस मोर्चे पर टीम की तरह काम करेंगे तो जीवन में वित्तीय मौकों पर कई तरह की परेशानियों से छुटकारा मिल जाएगा.

Top 10 Best Relationship Tips in hindi: रिश्तों की प्रौब्लम से जुड़ी टौप 10 खबरें हिंदी में

Relationship Tips in hindi: रिश्ते हमारी लाइफ का सबसे जरुरी हिस्सा है. हर व्यक्ति किसी न किसी रिश्ते से जुड़ा होता है. चाहे वह माता-पिता हो या पति पत्नी. ये रिश्ते हर सुख-दुख में आपका सपोर्ट सिस्टम बनती है. लेकिन कई बार रिश्तों में खटास आ जाती है, जिसके चलते हमारा सपोर्ट सिस्टम टूट जाता है. इसीलिए आज हम आपको गृहशोभा की 10 Best Relationship Tips in Hindi के बारे में बताएंगे. इन Relationship Tips से आपको कई तरह की सीख मिलेगी. जो आपके रिश्ते को और भी मजबूत करेगी. तो अगर आपको भी है रिश्तों से जुड़ी टिप्स जाननी है तो पढ़िए Grihshobha की Best Relationship Tips in Hindi.

1. 10 टिप्स: ऐसे मजबूत होगा पति-पत्नी का रिश्ता

Relationship Tips in hindi

जीवन की खुशियों के लिए पति-पत्नी के रिश्ते को प्यार, विश्वास और समझदारी के धागों से मजबूत बनाना पड़ता है. छोटी-छोटी बातें इग्नोर करनी होती हैं. मुश्किल के समय में एक-दूसरे का सहारा बनना पड़ता है. कुछ बातों का ख्याल रखना पड़ता है. जैसे…

1 मैसेज पर नहीं बातचीत पर निर्भर रहे…

ब्राइघम यूनिवर्सिटी में किए गए एक अध्ययन के मुताबिक जो दंपत्ति जीवन के छोटे-बड़े पलों में मैसेज भेज कर दायित्व निभाते हैं जैसे बहस करना हो तो मैसेजेज, माफी मांगनी हो तो मैसेज, कोई फैसला लेना हो तो मैसेज, ऐसी आदत रिश्तों में खुशी और प्यार कम करती है. जब कोई बड़ी बात हो तो जीवनसाथी से कहने के लिए वास्तविक चेहरे के बजाय इमोजी का सहारा न लें.

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2. शादी के बाद धोखा देने के क्या होते हैं कारण

 Relationship Tips in Hindi

धोखा देना इंसान की फितरत है फिर चाहे वह धोखा छोटा हो या फिर बड़ा. अकसर इंसान प्यार में धोखा खाता है और प्यार में ही धोखा देता है. लेकिन आजकल शादी के बाद धोखा देने का एक ट्रेंड सा बन गया है. शादी के बाद लोग धोखा कई कारणों से देते हैं. कई बार ये धोखा जानबूझकर दिया जाता है तो कई बाद बदले लेने के लिए. इतना ही नहीं कई बार शादी के बाद धोखा देने का कारण होता है असंतुष्टि. कई बार तलाक का मुख्‍य कारण धोखा ही होता है. लेकिन ये जानना भी जरूरी है कि शादी के बाद धोखा देना कहां तक सही है, शादी के बाद धोखे की स्थिति को कैसे संभालें. क्या करें जब आपका पार्टनर आपको धोखा दे रहा है.

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3. जानें कैसे करें लव मैरिज

 Relationship Tips in Hindi

राशि और अमन का अफेयर पिछले 2 साल से चल रहा है. अब उन्होंने शादी करने का फैसला ले लिया, लेकिन वे इस बात को अच्छी तरह जानते थे कि उन के पेरैंट्स इस रिश्ते के सख्त खिलाफ होंगे और वे चाह कर भी घर वालों की रजामंदी से शादी नहीं कर पाएंगे. इसलिए उन्होंने कोर्टमैरिज के बारे में सोचा, लेकिन कोर्ट में शादी की क्या औपचारिकताएं होती हैं, इस बारे में उन्हें कुछ पता नहीं था. उन्होंने अपने एक कौमन फ्रैंड राजेश से बात की जिस ने अभी कुछ साल पहले ही कोर्टमैरिज की थी, लेकिन उस से भी उन्हें आधीअधूरी जानकारी ही मिली.

ऐसा कई जोड़ों के साथ होता है, वे शादी करना तो चाहते हैं, लेकिन उस का क्या प्रोसीजर है, इस के बारे में उन्हें कुछ पता नहीं होता और संकोचवश वे खुद इस की जांचपड़ताल करने से हिचकिचाते हैं. आइए जानें कि अगर पेरैंट्स राजी नहीं हैं और आप शादी के फैसले तक पहुंच गए हैं, तो आप विवाह कैसे कर सकते हैं.

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4. सास-बहू के रिश्तों में बैलेंस के 80 टिप्स

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अकसर देखा जाता है कि घर में सासबहू के झगड़े के बीच पुरुष बेचारे फंस जाते हैं और परिवार की खुशियां दांव पर लग जाती हैं. पर यदि रिश्तों को थोड़े प्यार और समझदारी से जिया जाए तो यही रिश्ते हमारी जिंदगी को खुशनुमा बना देते हैं.

जानिए, कुछ ऐसे टिप्स जो सासबहू के बीच बनाएं संतुलन रखेंगे.

कैसे बनें अच्छी बहू

1. मैरिज काउंसलर कमल खुराना के मुताबिक, बेटा, जो शुरू से ही मां के इतना करीब था कि उस का हर काम मां खुद करती थीं, वही शादी के बाद किसी और का होने लगता है. ऐसे में न चाहते हुए भी मां के दिल में असुरक्षा की भावना आ जाती है. आप अपनी सास की इस स्थिति को समझते हुए शुरू से ही उन से सदभाव का व्यवहार करेंगी तो यकीनन रिश्ते की बुनियाद मजबूत बनेगी.

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5. KISS से जानें साथी का प्यार

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रिलेशनशिप में जैसेजैसे समय बीतता जाता है वैसेवैसे रिश्ता और गहरा होता जाता है और प्यार में पड़ कर जब लोग छोटीछोटी हरकतें करते हैं, तो उस से उन की पर्सनैलिटी के बारे में काफी कुछ पता लगाया जा सकता है.

अगर आप को पता करना है कि आप का रिश्ता कितना गहरा और अटूट है तो आप यह तरीका अपना सकते हैं.

जब शब्द हमारी भावनाओं को व्यक्त नहीं कर पाते, तो लोग अलगअलग तरीके से अपने प्यार को जाहिर करने की कोशिश करते हैं. अपने प्यारभरे संदेश को पार्टनर तक पहुंचाने के लिए किस से बेहतर तरीका और क्या हो सकता है. किसिंग किसी भी रिश्ते का अहम हिस्सा है और इस में कोई शक नहीं कि लोग दुनियाभर में अलगअलग तरीके से किस करते हैं.

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6. जब मायके से न लौटे बीवी

 Relationship Tips in Hindi

पेशे से मैकैनिक 22 साल का शफीक खान भोपाल की अकबर कालोनी में परिवार के साथ रहता था. उस की कमाई भी ठीकठाक थी और दूसरी परेशानी भी नहीं थी. लेकिन बीते 18 अक्तूबर को उस ने घर में फांसी लगा कर खुदकुशी कर ली. ऐशबाग थाने की पुलिस ने जब मामला दर्ज कर तफतीश शुरू की तो पता चला कि शरीफ की शादी कुछ महीने पहले ही हुई थी और उस की बीवी शादी के बाद पहली बार मायके गई तो फिर नहीं लौटी.

शरीफ और उस के घर वालों ने पूरी कोशिश की थी कि बहू घर लौट आए. लेकिन कई दफा बुलाने और लाने जाने पर भी उस ने ससुराल आने से इनकार कर दिया तो शरीफ परेशान हो उठा और वह तनाव में रहने लगा. फिर उसे परेशानी और तनाव से बचने का बेहतर रास्ता खुदकुशी करना ही लगा.

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7. Married Life में क्या है बिखराव के संकेत

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Married Life में प्रेम की ऊष्मा जब कम होने लगती है तब पतिपत्नी के जीवन में ऐसी छोटीछोटी बातें होने लगती हैं, जो इस बात की ओर संकेत करती हैं कि उन के बीच दूरियां बननी शुरू हो रही हैं. अधिकतर दंपती इन संकेतों पर ध्यान नहीं देते या फिर वे समझ नहीं पाते हैं. समय रहते इन संकेतों पर ध्यान न दिया जाए तो उन के बीच प्यार, अपनापन, समर्पण की भावना कम होती जाती है और फिर एक दिन उन का दांपत्य जीवन टूट जाता है. इन संकेतों के प्रति संवेदनशील रह कर संबंधों के बीच पनप रही खाई को गहरा होने से रोका जा सकता है. बिखराव के ये संकेत दांपत्य जीवन के हर छोटेबड़े पहलू से जुड़े हो सकते हैं.

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8. शादी किसी से भी करें, आपका हक है

दिल्ली के पश्चिम विहार इलाके में रहने वाले प्रतीक (29) ने जब अपने घर में सिया (25,बदला नाम) के बारे में बताया तो मानो घर में पहाड़ टूट पड़ा हो. सिया के बारे में सुनते ही प्रतीक के घरवाले खुद को दोतरफा चोट खाया हुआ महसूस करने लगे. एक, सिया उन के अपने राज्य उत्तराखंड से नहीं थी, वह यूपी से ताल्लुक रखती थी. दूसरी व बड़ी बात यह कि वह जाति से भी अलग थी. दरअसल प्रतीक और सिया काफी समय से एकदुसरे से प्रेम कर रहे थे. साथ में समय बिताते हुए दोनों के बीच आपसी अंडरस्टेंडिंग काफी अच्छी हो गई थी. दोनों ने शादी करने का फैसला किया. लेकिन उन दोनों के प्रेम सम्बन्ध और शादी के बंधन के बीच उन की जाति आड़े आ रही थी. जहां प्रतीक ऊंची जाति से था वहीँ सिया कथित नीची जाती से थी.

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9. मिलन की पहली रात जरूरी नहीं बनाएं बात

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दूध का गिलास लिए दुलहन कमरे में प्रवेश करती है. कमरा सुंदर रंगबिरंगे फूलों और लाइट से सजा व मंदमंद खुशबू से महक रहा होता है और माहौल में नशा सा छाया होता है. दूल्हा बेसब्री से दुलहन के आने का इंतजार कर रहा होता है. उस के आते ही वह दूध का गिलास लेने के बहाने उस को बांहों में भरने के लिए लपकता है. वह भी लजातीसकुचाती हुई उस की बांहों में समा जाती है. इस के बाद पतिपत्नी के प्यार से कमरा सराबोर हो उठता है. यह दृश्य है हिंदी फिल्मों के हीरोहीरोइन पर फिल्माई गई मिलन की पहली रात का. विवाह और यौन संबंध बेहद नाजुक विषय है. पतिपत्नी का शारीरिक मिलन तभी सफल माना जाएगा, जब दोनों इस के लिए तैयार हों. अगर ऐसा न हो तो उसे एकतरफा भोग कहा जाएगा. विवाह के बाद पतिपत्नी अपने नए जीवन की शुरुआत करते हैं. ऐसे में दोनों का एकदूसरे पर भरोसा और आपसी संवाद उन के आपसी संबंध को अधिक मजबूत बनाता है.

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10. डोमिनेशन: पत्नी का हो या पति का, रिश्तों में पैदा करता है दरार

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आप दोनो कामकाजी हैं. आपका बच्चा बीमार है. आपके पति बच्चे की देखरेख के लिए छुट्टी न ले पाने की अपनी मजबूरी बताते हैं और उम्मीद करते हैं कि आपको उसकी देखभाल के लिए छुट्टी लेनी होगी. ऐसे में आपकी क्या प्रतिक्रिया होती है? दूसरी और आपके पति आपको आॅफिस से घर लौटकर आकर बताते हैं कि कल रात उन्होंने अपने दोस्तों को डिनर के लिए आमंत्रित किया है. ऐसे में आपकी प्रतिक्रिया क्या होती है? इस तरह की स्थितियां अकसर विवाहित पति पत्नी के जीवन में आती ही हैं और उस दौरान इनके जवाब किस तरह दिये जाते हैं. इसी से पता चलता है कि पति और पत्नी दोनो में से कौन डोमिनेटिंग हैं. सवाल पैदा होता है ये डोमिनेशन क्या है? डोमिनेशन का मतलब है अपने पार्टनर की इच्छाओं का सम्मान न करना, जबरन उसपर अपनी मर्जी थोपना. यह पति और पत्नी दोनो पर ही लागू होता है. कंसलटेंट साइकेट्रिक्ट डाॅ. समीर पारिख, डोमिनेशन को शारीरिक, वित्तीय, वरबल और साइकोलाॅजिकल इन तमाम श्रेणियों में विभाजित करते हैं. मसलन पति का यह कहना कि तुम आज किट्टी पार्टी के लिए नहीं जा सकती; क्योंकि तुम्हें मेरी मां को डाॅक्टर के पास लेकर जाना है. इस कथन के द्वारा पति अपनी इच्छा या अपेक्षा को जबरदस्ती पत्नी पर थोपता है. कई घरों में ऐसा भी देखा गया है कि पत्नी पति के इजाजत के बगैर अपने माता-पिता से मिल नहीं सकती.

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सास नहीं मां बनें

आज सुहानी जब औफिस में आई तो उखड़ीउखड़ी सी दिख रही थी. 2 वर्ष पूर्व ही उस का विवाह उसी की जाति के लड़के विवेक से हुआ था. विवाह क्या हुआ, मानो उस के पैरों में रीतिरिवाजों की बेडि़यां डाल दी गईं. यह पूजा है, इस विधि से करो. आज वह त्योहार है, मायके की नहीं, ससुराल की रस्म निभाओ. ऐसी ही बातें कर उसे रोज कुछ न कुछ अजीबोगरीब करने पर मजबूर किया जाता.

समस्या यह थी कि पढ़ीलिखी और कमाऊ बहू घर में ला कर उसे गांवों के पुराने रीतिरिवाजों में ढालने की कोशिश की जा रही थी. पहनावे से आधुनिक दिखने वाली सास असलियत में इतने पुराने विचारों की होगी, कोई सोच भी नहीं सकता था.

बेचारी सुहानी लाख कोशिश करती कि उस का अपनी सास से विवाद न हो, फिर भी किसी न किसी बहाने दोनों में खटपट हो ही जाती. सास तो ठहरी सास, कैसे बरदाश्त कर ले कि बहू पलट कर जवाब दे व उसे सहीगलत का ज्ञान कराए.

सो, बहू के बारे में वह अपने सभी रिश्तेदारों से बुराइयां करने लगी. यह सब सुहानी को बिलकुल अच्छा नहीं लग रहा था. और तो और, उस के पति को भी उस की सास ने रोधो कर और सुहानी की कमियां गिना कर अपनी मुट्ठी में कर रखा था. नतीजतन, पति से भी सुहानी का रोजरोज झगड़ा होने लगा था.

हमारे आसपास में ही न जाने ऐसे कितने उदाहरण होंगे जिन में सासें अपनी बहुओं को बदनाम करती हैं और सभी रिश्तेदारों को अपने पक्ष में करने की कोशिश में सारी जिंदगी बहुओं की बुराई करने में बिता देती हैं.

एटीएम न मिलने का दुख

12 और 8 वर्षीय बेटियों की मां योगिता कहती हैं, ‘‘शादी होते ही जब मैं ससुराल गई तो मेरी सास ने तय कर रखा था कि पढ़ीलिखी बहू है, नौकरी तो करेगी ही और उस की तनख्वाह पर उन्हीं का ही हक होगा. लेकिन मेरे पति ने मुझे लेटेस्ट कंप्यूटर कोर्स करना शुरू करवा दिया. उन का कहना था कि अभी विवाह के कारण तुम अपनी पुरानी नौकरी छोड़ कर आई हो, नया कोर्स कर लोगी तो आगे भी नौकरी में फायदा रहेगा. मैं ने उन की बात मान कर कोर्स करना शुरू कर दिया.

पूरे दिन मेरी सास घर के बाहर ही रहतीं, उन्हें घूमनेफिरने का बहुत शौक है. मैं सुबह नाश्ते से ले कर रात का डिनर तक सब संभालती. उस के अलावा कंप्यूटर क्लास भी जाती और उस की पढ़ाई

भी करती. घर में साफसफाई के लिए कामवाली आती थी. सास मुझे ताने दे कर कहती कि क्या जरूरत है कामवाली की, तुम नौकरी तो कर नहीं रही हो. कभी कहतीं जब नौकरी करो तो ही सलवार सूट पहनो. अभी रोज साड़ी पहना करो.

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हमारी आर्थिक स्थिति उच्चमध्यवर्गीय थी. सो, मुझे समझ नहीं आया कि कामवाली और पहनावे का नौकरी से क्या ताल्लुक. लेकिन मैं ने कामवाली को नहीं हटाया. सास रोज किसी न किसी तरह मेरे काम में कमी निकाल कर उलटेसीधे ताने मारतीं. मुझे तो समझ ही न आया कि वे ये सब क्यों करती हैं.

मेरे पति से वे आएदिन अपनी विवाहित बेटी की जरूरतों को पूरा करने के लिए पैसे मांगती रहतीं. मेरे पति धीरेधीरे सब समझने लगे थे कि मम्मी की पैसों की डिमांड बढ़ती जा रही है. यदि हम अपने घर में कुछ नया सामान लाते तो वे झगड़ा करतीं और देवर के विवाह की जिम्मेदारी हमें बतातीं.

ऐसा चलते एक वर्ष बीत गया और तो और, मुझ से कहतीं, ‘अभी बच्चा पैदा मत करना.’ जबकि मेरी उम्र 29 वर्ष हो गई थी. मुझे समझ ही न आता कि यह कैसी सास है जो अपनी बहू को बच्चा पैदा करने पर रोक लगाती है.

मुझे हर बात पर टोकतीं और पति के साथ मुझे समय भी न बिताने देतीं. जैसे ही पति दफ्तर से घर आते, वे हमारे कमरे में आ कर बैठ जातीं.

एक दिन जब उन्होंने मुझे किसी बात पर टोका तो मैं ने भी पलट कर जवाब दिया. तो वे गुस्से में आगबबूला हो गईं और बोलीं, ‘‘नौकरी भी नहीं की तू ने, न जाने पढ़ीलिखी भी है कि नहीं, यदि करती तो तनख्वाह मुझे थोड़ी दे देती तू.’’

इतना सुन कर मुझे हकीकत समझते देर न लगी और मैं ने भी पलट कर कहा, ‘‘यही प्रौब्लम है न आप को, कि तनख्वाह नहीं आ रही. इसलिए घर की सारी जिम्मेदारी उठाने पर भी आप मुझे चैन से नहीं रहने देतीं. घर की कामवाली बना रखा है. माफ कीजिए आप को बहू नहीं, एटीएम मशीन चाहिए थी. वह न मिली तो आप मुझे चौबीसों घंटों की नौकरानी की तरह इस्तेमाल कर रही हैं. बेटा पूरी कमाई आप के हाथ में देदे और बहू चौबीसों घंटे आप की चाकरी करे.’’

बस, उसी दिन के बाद से उन्होंने मेरे देवरननद को मेरे खिलाफ भड़काना शुरू कर दिया. रिश्तेदारों से जा कर कहने लगीं, बहू को आजादी चाहिए, इसलिए बच्चा भी पैदा नहीं करती. मेरे ससुर को भी झूठी पट्टी पढ़ा कर मेरे खिलाफ कर दिया. कल तक जो ससुर मेरे पढ़ीलिखी होने के साथ घरेलू गुणों की तारीफ करते न थकते थे, अब मुझे बांझ पुकारने लगे थे.

रोजरोज के झगड़ों से परेशान हो कर मेरे पति ने अलग घर ले लिया और किसी तरह उन से पीछा छुड़ाया. अब हम उन्हें हर महीने पैसे दे देते हैं, वे चाहे जैसे रहें. उन्हें सिर्फ पैसा चाहिए, वे न तो मेरी बेटियों से मिलना चाहती हैं और न ही मैं उन की सूरत देखना चाहती हूं. बस, मेरे पति कभीकभी उन से मां होने के नाते, मिल लेते हैं.

संयुक्त परिवार नहीं चाहिए

25 वर्षीया रीता कहती है, ‘‘मेरे विवाह के समय मेरे पति विदेश में रहते थे. सो मैं भी विवाह होते ही उन के साथ चली गई. 2 वर्षों बाद जब हम अपने देश लौट आए और सास के साथ रहे, तब 2 महीने भी मेरी सास ने मुझे चैन से न रहने दिया. सारे दिन अपनी तारीफ करतीं और मुझे नीचा दिखाने की कोशिश करतीं. सब से पहले उन्होंने कहा कि मैं जींस और वैस्टर्न कपड़े न पहनूं क्योंकि आसपास में कई रिश्तेदार रहते हैं. मैं ने उन की वह  बात मान ली. लेकिन हर बात में बेवजह टोकाटाकी देख कर ऐसा लगता जैसे उन्हें हमारा साथ में रहना नहीं भाया.

‘‘जब तक बेटा विदेश में काम कर उन्हें पैसे देता था, सब ठीक था. लेकिन जैसे ही हम यहां आए, न जाने कौन सा तूफान आ गया. वे बारबार मेरे ससुर की आड़ में मुझे ताने देतीं. मेरे ससुर सीधेसादे रिटायर्ड बुजुर्ग हैं. उन से भी वे खूब झगड़ा करतीं. मैं फिर भी चुप रहती क्योंकि मैं जानती थी कि वे ससुर से भी बेवजह झगड़ा कर रही हैं, यदि मैं बीच में कुछ बोलूंगी तो वे मुझ से झगड़ना शुरू कर देंगी.

‘‘लेकिन हद तो तब हो गई जब मैं ने एक दिन खाना बना कर परोसा और वे मेरे हाथ के बने खाने में कमी निकाल कर मुझे नीची जाति का कहने लगीं. जबकि मैं और मेरे पति एक ही ब्राह्मण जाति के हैं. तो मैं ने भी पलट कर कह दिया, ‘आप ही मुझे लेने बरात ले कर आए थे तो मैं यहां आई हूं, तब मेरी जाति नजर नहीं आई आप को?’

‘‘बस, अगली ही सुबह जैसे ही मेरे पति औफिस गए, वे कहने लगीं, ‘‘मैं ने चावल में रखी कीटनाशक गोली खा ली है.’’ पहले तो मैं समझी नहीं, लेकिन मेरे ससुर भी मुझे कोसने लगे और कहने लगे कि डाक्टर को बुलाओ. तो मैं ने अपनी पति को फोन किया. वे बोले कि मम्मी को अस्पताल ले कर जाओ. मैं उन्हें अस्पताल ले कर गई और वहां भरती करवाया.

‘‘इस बीच, मैं ने अपनी जेठानी को भी फोन कर बुला लिया था, जो उसी शहर में ही अलग रहती थीं. क्योंकि मैं जान गई थी कि वे मेरे से ज्यादा अनुभवी हैं और मैं ने यह भी सुन रखा था कि सास के बुरे व्यवहार के कारण ही वे अलग रहने लगी थीं.

‘‘मेरी जेठानी ने वहां आ कर मुझे बताया कि यह पुलिस केस बनेगा तो मैं बहुत घबरा गई और मेरी आंखों से आंसू बह निकले. तब तक मेरे पति दफ्तर से छुट्टी ले कर अस्पताल पहुंच गए, उस से पहले अस्पताल वालों ने पुलिस को खबर कर दी थी कि आत्महत्या की कोशिश का केस आया है. मेरी जेठानी ने पुलिस से बात कर मामला सुलझा दिया.

‘‘नजदीकी रिश्तेदार यह खबर सुनते ही अस्पताल में जमा हो गए. मेरे ससुर ने सभी से कहा कि सासबहू का रात को झगड़ा हुआ. सब ने सोचा कि नई बहू बहुत खराब है और मेरे पति ने भी मुझे डांटा कि मम्मी से रात को उलझने की क्या जरूरत थी. सब से बुरी बात तो यह हुई कि जब अस्पताल में टैस्ट हुए और रिपोर्ट आई तो मालूम हुआ कि उन्होंने कोई कीटनाशक गोली नहीं खाई थी. यह सब मुझे बदनाम करने के लिए किया गया एक ड्रामा था ताकि मैं आगे से उन के सामने पलट कर जवाब देने की हिम्मत ही न करूं.

‘‘आज मैं, अपने पति के साथ विदेश में ही रहती हूं. लेकिन जब भी भारत आती हूं, अपनी सास से नहीं मिलना चाहती.’’

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रीता ने जब मुझे यह सब बताया तो वह आंसुओं में डूबी हुई थी और अपनी जेठानी का बहुत धन्यवाद कर रही थी. लेकिन अपनी सास के लिए उस के मन में नफरत के सिवा कुछ भी नहीं था.

सारी सासें एक सी

योगिता और रीता के किस्सों से मुझे अपनी एक चाइनीज सहेली की याद आई. उस चाइनीज सहेली का नाम है ब्रेंडा. वह शंघाई की रहने वाली थी और मलयेशिया में नौकरी करने गईर् थी. वहीं उसे एक रशियन लड़के से प्यार हो गया और दोनों ने विवाह भी कर लिया. विवाह को 6 वर्ष बीते और उस के पति का तबादला भारत में हो गया. उस का पति होटल इंडस्ट्री में कार्यरत था.

मेरी ब्रेंडा से मुलाकात हुई और हम सहेलियां बन गईं. हम दोनों अंगरेजी में ही बात किया करते थे.

3 वर्ष हम साथ रहे और उस ने मुझे अपनी सास से होने वाले झगड़ों के बारे में बताया. मैं आश्चर्यचकित थी कि क्या विदेशी सासें, जो देखने में बहुत मौडर्न लगती हैं, भी बुरा व्यवहार करती हैं? तो उस ने कहा, ‘‘यस, देयर आर सम ड्रैगन लेडीज हू कीप डूइंग समथिंग दिस ओर दैट टू स्पौयल अवर इमेज ऐंड शो देयर सैल्फ गुड’’ यानी कि कुछ महिलाएं ड्रैगन के समान बुरी होती हैं, जो अपनेआप को भली दिखाने के लिए हमारा नाम खराब करती रहती हैं. वह मुझे शंघाई और मलयेशिया की सासों के और भी बहुत किस्से सुनाया करती.

जब वह भारत में भी थी, उन 3 वर्षों में एक बार उस की रशियन सास भारत में उस के घर आईं और 2 महीने तक उस के साथ रहीं. उन दिनों ब्रेंडा रोज ही घर में सास द्वारा किए गए बुरे व्यवहार के किस्से सुनाया करती. साथ ही, उस ने यह भी बताया कि अपार्टमैंट में जो दूसरे रशियन लोग हैं, जिन से उस के पति की अच्छी दोस्ती भी है, उन से उस की सास ने उस के बारे में बहुत बुराइयां की.

उस के बाद ब्रेंडा कहती थी कि मैं अपनी मदर इन ला को भारत बुलाना ही नहीं चाहती. वे दूर रहें तो अच्छा है.

सुहानी, रीता, योगिता और ब्रेंडा सभी के किस्से सुन कर ऐसा लगता है कि यह यूनिवर्सल ट्रुथ है कि सास खाए बिना रह सकती है, पर बोले बिना नहीं.

कैसे पटेगा एकतरफा सौदा

सासबहू के रिश्ते में मधुरता की उम्मीद के साथ कोईर् भी पिता अपनी बेटी को दूसरी महिला के हाथ में सौंप देता है, जोकि उस की बेटी की मां की उम्र की होती है. इस में वह क्यों उस बहू के साथ बराबरी का कंपीटिशन बना लेती है. या यों कहिए कि देने के सिवा सिर्फ लेने का सौदा तय करना चाहती है. और यदि वह न मिले तो उसे सरेआम बदनाम करती है ताकि वह दुनिया की नजरों में अपनेआप को बेचारी साबित कर सके. क्योंकि वह एक नई लड़की के घर में कदम रखते ही घर में बरसों से चलती आई रामायण को महाभारत में बदल देती है, और सिर्फ स्वयं ही नहीं, घर के अन्य सदस्यों समेत उस पर चढ़ाई करने लगती  है?

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इसी बात पर एक बार ब्रेंडा ने कहा था, ‘‘एक्चुअली, शी यूज टू बी द क्वीन औफ द हाउस, नाऊ शी कैन नौट टोलरेट एनीबडी एल्स इन द हाउस.’’ यानी कल तक सास ही घर की रानी होती थी, सारा राजपाट उसी का था, अब वह किसी और को घर में राज करते कैसे बरदाश्त करे.’’ शायद ब्रेंडा ने सही ही कहा था, लेकिन क्या इस रिश्ते में खींचातानी की जगह प्यार व मिठास नहीं भरी जा सकती?

यदि गहराई से सोचा जाए तो इस मिठास के लिए सास को राजदरबार की रानी की तरह नहीं, एक मालिन की तरह का व्यवहार करना चाहिए. जिस तरह से मालिन नर्सरी से लाए नए पौधे उगा कर, उन्हें सींच कर हरेभरे पेड़ में बदल देती है, उसी तरह से अगर सास भी पराएघर से आई बेटी को अपने घर की मिट्टी में जड़ें फैलाने के लिए खादपानी व धूप का पूरा इंतजाम कर दे तो बहूरूपी वह पौधा हराभरा हो सकेगा और निश्चित रूप से मीठे फल मिलेंगे ही.

सुनिए भी और सुनाइए भी…..

लेखिका- प्रीता जैन

प्रणव तेरी लखनऊ वाली ज़मीन कितने की बिकी, किसने ली कहाँ का रहने वाला है, कब तक पैसे मिलेंगे क्या सौदा हुआ वगैरा-वगैरा. एक के बाद एक कई सवाल और उससे अधिक सभी कुछ जानने की इच्छा, प्रणव के बड़े भाई फ़ोन पर पूछताछ कर रहे थे वैसे तो प्रणव उनसे कुछ नहीं छिपाता था पर आज ज़्यादा बताने का उसका मन नहीं हो रहा था वजह एक-एक बात पूछ लेना और अपने बारे में कुछ ना बताना, बस! इतना कह देना सब ठीक है.

इसी तरह अंजू और उसकी बहन की बातचीत हो रही थी बातों-बातों में अंजू की दीदी ने पूछा, तेरी कुछ बचत भी है या नहीं कुछ ज्वैलरी भी लेकर रखी थी ना तूने– हाँ! दीदी अविनाश ने हर महीने की बचत के साथ कुछ पैसे की मेरे नाम एफडी करा दी है इसके अलावा कुछ दिन पहले हमने ज्वैलरी (सोने का एक सेट) भी खरीदी है सब सहेज कर रख दिया है तुम चिंता ना करो. तुम बताओ दीदी क्या सेविंग्स हो रही है क्या-क्या खरीदा? अरे! अंजू तुझे तो पता ही है मैं सब खर्च देती हूँ, बस! यूँ समझ ले अभी तो मेरे पास कुछ भी नहीं है. दीदी तुम पिछले महीने तो ज्वैलर्स के यहां गई थी और सुना था कुछ प्रॉपर्टी भी ली है अरे! वो तो सब थोड़ा-बहुत ऐसे ही है, चल छोड़ तू फ़िक्र ना कर और अपनी कुछ बता…..

ऐसा सिर्फ प्रणव या अंजू के साथ ही ना होकर हममें से कई लोग ऐसे ही अनुभव अहसास से गुज़रते हैं. कुछ ऐसे परिचितों से बातचीत होती है जो आमने-सामने या फिर फ़ोन पर ही निजी बातें मालुम करने में माहिर होते हैं, वे इतनी जानकारी लेते हैं कि दूसरा व्यक्ति वास्तव में परेशान हो जाता है और ये विशेषता होती है कि अपने बारे में ज़रा नहीं बताना चाहते, टालमटोल ही करते रहते हैं. कई दफ़ा तो रोज़मर्रा तक की बातें अक्सर ही मालुम करते रहते हैं मसलन– आज खाने में क्या बनाया, सारा दिन क्या-क्या किया कौन आया कौन गया, कहां-कहां फ़ोन पर बातचीत की वगैरा-वगैरा. और हाँ! पूछते-पूछते यदि उन्हें कोई बात सही नहीं लगती तो अपनी सलाह भी देने लगते हैं ऐसा करना चाहिए वैसा करना चाहिए, यह सही वो गलत……

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क्या ऐसा करना उचित है? हर किसी समझदार व्यावहारिक इंसान की यही राय होगी ऐसा करना सही नहीं है, दूसरे की हर बात जानने की यदि जिज्ञासा रहती है तो स्वयं की भी बताएं अन्यथा किसी तरह की रूचि ना लें. यदि दूसरा  व्यक्ति अपनी इच्छानुसार कुछ भी बताना चाहे तो अवश्य सुनें किन्तु हर बात जानने की और सलाह देने की पहल कदापि ना करें, यदि सुनना भी चाहें तो अपनी भी बताएं इसी में आपकी समझदारी तथा बड़प्पन माना जाता है. सबसे अहम् ऐसा करने से आपसी रिश्ते-नातों में स्नेह व लगाव बना रहता है और आपसी सम्बन्ध अधिक प्रगाढ़ घनिष्ठ होते हैं, वर्षों तक परस्पर स्नेह की गांठ बंधी रहती है ढीली नहीं होती.

हम सभी भलीभांति जानते हैं व्यस्तता से परिपूर्ण ये जीवन अपनों के और पारिवारिक संबंधों के बिना नहीं बिताया जा सकता, प्रतिपल ख़ुशी-ख़ुशी भरपूर जीने के लिए नाते-रिश्तों का हमारे साथ होना बेहद ज़रूरी है इससे मानसिक अवसाद भी कम होने से काफी हद तक तनावमुक्त रहा जाता है. अतः कुछ बातों का ध्यान रख सालोंसाल प्रियजनों का संग-साथ पाकर खुशहाल जीवन बिताएं–

1. हरेक की अपनी पर्सनल लाइफ व बातें होती हैं, जिन्हें कई बार दूसरों के साथ साझा नहीं किया जा सकता. चाहे कोई कितना भी अपना सगा हो फिर भी उसके जीवन की हर घटना या बात जानने का प्रयास अथवा कोशिश कदापि ना करें.

2. किसी की व्यक्तिगत बातों की जानकारी इधर-उधर से भी मालुम करने की आदत स्वयं में विकसित ना करें, ऐसा करना हमारी अव्यवहारिकता और नासमझी दर्शाता है.

3. अन्य व्यक्ति इच्छुक हो अथवा ज़रुरत मुताबिक आपसे कोई अपनी बात शेयर करना चाहता हो तभी अपनी रुचि ज़ाहिर करें अन्यथा सुनने या मालुम करने में कोई उतावलापन ना दिखाएं. साथ ही अपनी राय-मशविरा बात-बात में देने की आदत से भी बचें.

4. यदि सामने वाले से आप कुछ बातों की जानकारी लेते हैं तो आवश्यकतानुसार ही लें ज़रूरत से ज़्यादा इच्छुक होना अच्छी बात नहीं है. और हाँ! स्वयं के बारे में भी विस्तारपूर्वक सही ढंग से बताएं, किसी तरह का दुराव-छिपाव आपस में ना होने दें इससे दूरियां भी नज़दीकियां बन जाती हैं रिश्तों में सदा अपनत्व बना रहता है.

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5. रिश्तों को बहुत ही सहेजकर- संभालकर रखा जाता है इन्हीं के सहारे ज़िन्दगी की हर चुनौती का सामना कर लिया जाता है, इसलिए आवश्यकता से अधिक एक-दूसरे की बातों या पर्सनल मामलों में हस्तक्षेप ना किया जाए ना ही पारिवारिक मामलों में बिन मांगे

सलाह-मशविरा दिया जाए. यदि लम्बे समय तक रिश्तों में स्नेह-प्यार लगाव व अपनापन रखना है तो आसपास बेफिज़ूल ध्यान केंद्रित करने की बजाय मैं और मेरा जीवन तक ही सोचें इसी में सुख व खुशियां निहित हैं.

अतः! थोड़ी सी सूझबूझ व समझदारी से प्यारे आत्मीय रिश्तों का बगीचा अपनों की खुशबू से महकते हुए सदैव आनंदमय सुखमय बना रहता है.

शादी के बाद तुरंत उठाएं ये 5 स्‍टेप

बैचलर लाइफ में आपके लिए फाइनेंशियल प्‍लानिंग करना थोड़ा मुश्किल होता है. लेकिन आपकी शादी के बाद आपकी जिम्मेदारियां बढ़ जाती हैं. ऐसे में आपके लिए आगे की लाइफ के लिए प्‍लानिंग करना जरूरी हो जाता है. हम आपको पांच टिप्‍स बता रहे हैं जिनको फॉलो करके आप हैप्पी मैरिड लाइफ जी सकते हैं और आपको कोई फाइनेंशियल क्राइसिस भी नहीं होगी.

1. लाइफ पार्टनर के साथ साझा करें पैसे को लेकर अपना नजरिया

फाइनेंस या पैसे को लेकर हर आदमी का नजरिया अलग-अलग होता है. ऐसे में अगर आपको फ्यूचर के लिए फाइनेंशियल प्‍लानिंग करनी है तो जरूरी है कि आप पैसों को लेकर अपने लाइफ पार्टनर का नजरिया समझें. अगर आप दोनों की सोच या नजरिया अलग-अलग है तो बातचीत करके सामंजस्‍य बनाएं. इससे फ्यूचर में आपके और आपके लाइफ पार्टनर के बीच पैसे या फाइनेंशियल पलानिंग को लेकर विवाद की आशंका नहीं रहेगी.

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2. शार्ट, मीडियम और लांग टर्म के लिए तय करें गोल

आप कहां रहना चाहते हैं. आप किराए के घर में रहे हैं तो क्‍या आप अपना घर खरीदना चाहेंगे. आने वाले समय कैरियर के मोर्चे पर खुद को कहां देख रहे हैं. गोल तय करना और लाइफ को प्‍लान करना सक्‍सेजफुल मैरिज के अहम है. आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि आप और आपका लाइफ पार्टनर एक दूसरे के गोल को समझे. इससे इसके अनुरूप फाइनेंशियल प्‍लानिंग करने में आसानी होगी.

3. ज्‍वाइंट स्‍पेंडिंग और सेविंग के लिए बनाएं प्‍लान

आप कहां रहना चाहते हैं. आप किराए के घर में रहे हैं तो क्‍या आप अपना घर खरीदना चाहेंगे. आने वाले समय कैरियर के मोर्चे पर खुद को कहां देख रहे हैं. गोल तय करना और लाइफ को प्‍लान करना सक्‍सेजफुल मैरिज के अहम है. आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि आप और आपका लाइफ पार्टनर एक दूसरे के गोल को समझे. इससे इसके अनुरूप फाइनेंशियल प्‍लानिंग करने में आसानी होगी.

4. अपनी क्रेडिट हिस्‍ट्री करें साझा

शादी के पहले अगर आपने क्रेडिट हिस्‍ट्री पर ठीक से गौर नहीं किया है तो अब इसे नजरअंदाज करने की गलती न करें. आप दोनों की क्रेडिट हिस्‍ट्री आपकी फ्यूचर प्‍लानिंग में अहम रोल निभाने वाली है. अगर किसी भी वजह से आप दोनों में से किसी की क्रेडिट हिस्‍ट्री खराब या क्रेडिट स्‍कोर कम है तो इसे सुधारने के उपायों पर डिस्‍कर करें या किसी कंसलटेंट की मदद लें.

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5. मिल कर करें इन्वेस्‍टमेंट के फैसले

पैसे मैनेज करने को लेकर पुरुष और महिलाओं की स्‍ट्रेंथ अलग अलग होती है. पुरुष आम तौर तेजी से फैसले करते हैं और परिवार के खर्च पर कंट्रोल करना पसंद करते हैं. वहीं महिलाओं में ज्‍यादा धैर्य होता है और वे कोई फैसला लेने से पहले ज्‍यादा सोच विचार करतीं हैं. ऐसे में अगर इन्‍वेस्‍टमेंट से जुड़े फैसले आप दोनों मिल कर करते हैं तो इसमे दोनों की स्‍ट्रेंथ का फायदा उठाया जा सकता है.

Married Life पर पड़ता परवरिश का असर

आप जब विवाह के बंधन में बंधते हैं, तो जीवन में ढेर सारे बदलाव आते हैं. जिंदगी में प्यार के साथसाथ जिम्मेदारियों का भी समावेश होता है. जब आप अपने जीवनसाथी के साथसाथ उस के परिवार के सदस्यों को भी दिल से स्वीकारते हैं, तो आप के जीवन से कभी न जाने वाली खुशियों का आगमन होता है.

पतिपत्नी का संबंध बेहद संवेदनशील होता है, जिस में प्यारदुलार के साथसाथ एकदूसरे की अच्छीबुरी बातों को स्वीकार करने की भावना भी होती है. आप चाहे इस बात को मानें या न मानें कि आप के संबंधों पर आप के मातापिता का संबंध एकदूसरे के साथ कैसा था, इस का प्रभाव पड़ता है. सच तो यह है कि आप के व्यक्तित्व पर कहीं न कहीं आप के पेरैंट्स की छाप होती है. जीवन के प्रति आप के नजरिए में काफी हद तक आप के पेरैंट्स का असर दिखता है.

कई बार न चाहते हुए भी आप अपने पेरैंट्स की गलत आदतों को सीख लेते हैं, जो जानेअनजाने आप के संबंधों को प्रभावित करती हैं.

अगर आप में अपने पेरैंट्स की कोई ऐसी आदत है, जिस की वजह से जीवनसाथी के साथ आप के संबंधों में टकराहट आ रही है, तो उसे छोड़ने का प्रयास करें.

कभी प्यार कभी तकरार

रिलेशनशिप काउंसलर डा. निशा खन्ना के अनुसार, पतिपत्नी का रिश्ता बेहद संवेदनशील होता है, जिस में प्यारदुलार के साथसाथ तकरार भी होती है. लेकिन जब यह तकरार जरूरत से ज्यादा बढ़ जाती है, तो दोनों के संबंधों में दरार आते देर नहीं लगती. सच तो यह है कि पतिपत्नी अपने संबंध को बिलकुल ही वैसा बना देना चाहते हैं, जैसा संबंध उन के पेरैंट्स का एकदूसरे से था. इस की वजह से दोनों के संबंधों में दूरी आने लगती है. जब पतिपत्नी एकदूसरे पर अपनी बातें थोपना शुरू करते हैं, तो उन के संबंधों से प्रेम समाप्त होने लगता है और वे एकदूसरे से छोटीछोटी बातों पर भी लड़ना शुरू कर देते हैं. आमतौर पर पत्नी को शिकायत होती है कि पति उसे समय नहीं देता है और पति को यह शिकायत रहती है कि पत्नी औफिस से आते ही उस के सामने शिकायतों की पिटारा खोल कर बैठ जाती है.

आमतौर पर पतिपत्नी में यह आदत उन के पेरैंट्स से आती है. अगर आप के पेरैंट्स की आदत अपनी गलतियों को एकदूसरे के ऊपर थोपने की रही है, तो न चाहते हुए भी आप उस आदत का शिकार हो जाते हैं. सुखमय दांपत्य जीवन के लिए यह बेहद जरूरी है कि आप अपने साथी को उस की हर अच्छाईबुराई के साथ स्वीकार करें. कोशिश करें कि आप के जीवन में वैसी नकारात्मक बातें न हों जैसी आप के पेरैंट्स के जीवन में थीं.

जिन दंपतियों के पेरैंट्स की आदत संबंधों को फौर ग्रांटेड लेने की रही है, उन के बच्चे भी अपने जीवनसाथी के साथ उसी तरह का संबंध स्थापित करते हैं. इस तरह की सोच दोनों के संबंधों को पनपने नहीं देती है.

सच तो यह है कि पतिपत्नी एकदूसरे के पूरक हैं. जब दोनों एकसाथ मिल कर चलते हैं, तो जीवन की गाड़ी सहजता से आगे बढ़ती है, लेकिन जब दोनों में टकराव होता है, तो संबंधों की डोर को टूटते देर नहीं लगती. अपने रिश्ते को सहजता से चलाने के लिए यह बेहद जरूरी है कि आप अपने साथी को टेकन फौर ग्रांटेड लेने की भूल न करें. उसे अपना दोस्त, अपना हमसफर समझ कर उस के साथ अपने सुखदुख को साझा करें.

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जरूरी नहीं आप ही सही हों

अगर आप के पेरैंट्स की आदत यह रही है कि मैं ही सही हूं, तो यकीनन कहीं न कहीं आप के अंदर भी वही बात होगी. अपनी इस तरह की सोच को बदलें. आजकल पतिपत्नी एकदूसरे के साथ मिल कर काम कर रहे हैं. घरपरिवार की जिम्मेदारियों को साथ मिल कर निभा रहे हैं. ऐसे में दोनों की बात माने रखती है. अगर आप के अंदर अपनी बात को ही ऊपर रखने की आदत है, तो इस आदत को छोड़ कर अपने साथी की बात को भी मानें. जरूरी नहीं कि हर बार आप ही सही हों. आप का साथी जो सोच रहा है, कर रहा है. वह भी सही हो सकता है.

साझी जिम्मेदारी साझा पैसा

आमतौर पर हम में से बहुत सारे लोगों की परवरिश ऐसे माहौल में होती है, जहां पति का काम पैसा कमाना और पत्नी का घर की जिम्मेदारियों को निभाना था. आप के पिता मां को पैसा दे कर अपनी जिम्मेदारियों से मुक्त हो जाते थे और मां जरूरत पड़ने पर भी अपने संचित पैसे पिता को देने से गुरेज करती थीं.

अगर आप की सोच इस तरह की है, तो इस में बदलाव लाने की जरूरत है, क्योंकि बदलते परिवेश में जब पतिपत्नी दोनों वर्किंग हैं, तो ऐसे में यह बेहद जरूरी है कि संबंधों में मजबूती के लिए पतिपत्नी दोनों ही एकदूसरे की जिम्मेदारियों में सहयोग दें. पति यह न सोचे कि घर का काम करना पत्नी की जिम्मेदारी है. इसी तरह पत्नी को भी इस सोच से बाहर निकलने की जरूरत है कि घर के खर्चे चलाना तो पति का काम है.

जमाना बदल गया है

जीवनसाथी के साथ संबंधों में प्रगाढ़ता के लिए यह बेहद जरूरी है कि आप पुरानी चीजों से बाहर निकलें. यह जरूरी नहीं है कि जिस तरह से आप की मां साड़ी पहनती थीं या फिर घूंघट निकालती थीं ठीक उसी तरह आप की पत्नी भी करेगी. आप की मां मंदिर जाती थीं पूजा करती थीं, तो इस का यह अर्थ नहीं है कि आप की पत्नी भी वैसा ही करेगी. उसे अपनी तरह से जीने की आजादी दें. पत्नी के लिए भी यह समझना जरूरी है कि घर से संबंधित बाहर के कामों की जिम्मेदारी पति की ही नहीं है. यह जरूरी नहीं है कि आप के पिता घर से बाहर के सारे काम करते थे, तो आप के पति को भी वैसा ही करना चाहिए. बदलते परिवेश में अपनी सोच को बदल कर ही आप अपने संबंधों में प्यार और दुलार का समावेश कर सकते हैं.

लड़ाई झगड़ा न बाबा न

आप के पेरैंट्स आपस में छोटीछोटी बातों पर उलझ जाते थे, तो इस का अर्थ यह नहीं है कि यह बहुत अच्छी बात है और आप भी बातबात पर अपने जीवनसाथी से उलझने लगें.

सच तो यह है कि आप दोनों एकदूसरे की भावनाओं की कद्र कर के और एकदूसरे का सम्मान कर के अपने संबंधों को ज्यादा बेहतर तरीके से जी सकते हैं.

क्वालिटी लव है जरूरी

अगर आप के मन में अपने पेरैंट्स को देख कर यह सोच घर कर गई है कि पेरैंट्स बनने के बाद एकदूसरे के साथ रोमांस करना एकदूसरे से प्यार जताना गलत है, तो अपनी इस सोच को अपने मन से बाहर निकालें.

आमतौर पर मां बनने के बाद पत्नी का पूरा ध्यान अपने बच्चे पर रहता है, जिस की वजह से पति फ्रस्टे्रट होता है. पेरैंट्स बनने के बाद भी एकदूसरे के साथ समय बिताएं. कभीकभार एकदूसरे के साथ घूमने जाना और एकदूसरे से अपना प्यार जताना आप के संबंधों की मजबूती देगा. बच्चे की जिम्मेदारी मिलजुल कर उठाएं. इस सोच को परे करें कि बच्चे की जिम्मेदारी सिर्फ मां की है.

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इन बातों का भी रखें ध्यान

– अगर आप के पिता आप के ननिहाल के लोगों की कद्र नहीं करते थे, तो इस का यह अर्थ बिलकुल भी नहीं है कि आप भी अपनी पत्नी के मायके वालों से वैसा ही व्यवहार करें. अपनी ससुराल के लोगों की कद्र करें, उन को पूरा सम्मान देंगे तो आप की पत्नी के मन में आप के प्रति प्यार का भाव और बढ़ेगा फिर वह भी आप के परिवार के सदस्यों को पूरा मानसम्मान देगी.

– अगर आप की आदत बातबात पर चिल्लाने की है, तो उसे भूल जाएं. घर में प्रेमपूर्ण माहौल बनाए रखें.

– घरपरिवार की जिम्मेदारियों को मिलजुल कर निभाएं.

– अपने जीवनसाथी को पूरा स्पेस दें.

– अगर किसी बात पर मनमुटाव हो गया है, तो तेज आवाज में एकदूसरे से लड़ने के बजाय चुप बैठ जाएं.

– सुखमय दांपत्य के लिए एकदूसरे पर गलतियां थोपने के बजाय एकदूसरे की गलतियों को स्वीकार करना सीखें.

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