बॉलीवुड सितारों की फैंस के साथ शादी

बॉलीवुड के मशहूर सितारों के प्यार और शादी के बारे में तो हमें पता ही होता है. और इन सितारों की शादी कितने दिन चलती है आप ये भी जानते है. बॉलीवुड में कुछ स्टार्स ऐसे भी हैं जिन्होंने अपने फैंस से शादी की है. और अभी भी एक दूसरे के साथ अच्छी जिन्दगी गुजार रहें हैं.

जितेंद्र

बॉलीवुड एक्टर जितेंद्र की पत्नी शोभा ब्रिटिश एयरवेज में एयर हॉस्टेज थी. शोभा बहुत पहले से जितेंद्र की बहुत बड़ी फैन थी. इसके बाद इन दोनों ने शादी कर ली.

राजेश खन्ना

सुपर स्टार्स राजेश खन्ना ने भी अपनी फैन से ही शादी की थी. डिम्पल कपाड़िया फिल्मों में आने से पहले राजेश खन्ना को अपना दिल दे बैठी थी. 1973 में राजेश खन्ना ने अपने से आधी उम्र की डिम्पल के साथ शादी कर ली.

दिलीप कुमार

अभिनेत्री शायरा बानो ने खुद एक बार ये बात कबूल की थी की जब वे 12 साल की थी तब से वे दिलीप कुमार की फैन थी. शायरा बानो के फिल्मों में आने के बाद 1966 में दिलीप कुमार ने शायरा बानो से शादी कर ली.

आमिर खान

आमिर खान ने भी अपनी फैन किरण राव से शादी की है. जब किरण 14 साल की थी तब उन्होंने आमिर की फिल्म कयामत से कयामत तर देखी थी तब से किरण, आमिर की बहुत बड़ी फैन हो गई थी.

बिली जॉय आर्मस्ट्रांग

1990 में बिली जॉय आमस्ट्रॉग एड्रिऐनी नेसे से मिले थे. नेसे उनकी पहले से ही बहुत बड़ी प्रसंशक थी बाद में दोनों ने शादी कर ली.

रेत लागे मोहे सोणी

रेगिस्तान में छुट्टियां बिताने का अपना अलग ही आनंद है. इस में रोमांच तो है ही, साथ ही रोमांस भी है. डैजर्ट में लैंडस्केप के गोल्डन मैजिक को हिंदी फिल्मों में भी बखूबी देखा जा सकता है. ‘गाइड’, ‘सोनार किला’, ‘लमहे’, ‘रुदाली’, ‘डोर’, ‘बौर्डर’ और ‘पहेली’ जैसी अनेक हिंदी फिल्मों में मरुभूमि के रेतीले संसार की रेतीली धरती की शीतल रातों में तारों को निहारने का रोमांस दर्शाया गया है. राजस्थान के बहुत बड़े हिस्से में फैले रेगिस्तान में पर्यटन के विविध आयामों के दर्शन होते हैं. कहीं रेत के टीलों पर पैदल चलने का रोमांच होता है तो कहीं ऊंट की सवारी का लुत्फ उठाया जाता है तो कहीं डैजर्ट कैंपिंग के साथ लोकरंजनभरी प्रस्तुतियों की कल्चरल इवनिंग हर शाम को रोमांटिक बना देती है.

राजस्थान में जोधपुर, जैसलमेर, जयपुर, उदयपुर में डैजर्ट हौलीडे का आनंद उठाया जा सकता है. रंगबिरंगे राजस्थान का जादू इस की समृद्ध विरासत, रंगबिरंगी संस्कृति, चौंका देने वाले रेगिस्तानी मैदानों, चमकते रेत के टीलों में बखूबी दिखाई देता है जो इसे एक अत्यंत आकर्षक पर्यटन स्थल भी बनाता है. राजस्थान में हर किसी के लिए कोई न कोई आकर्षण है. बस, आप को चुननी है अपनी रुचि के अनुसार गतिविधि. हर तीसरा विदेशी सैलानी जो भारत आता है, राजस्थान जरूर जाता है.

राजस्थान के आकर्षण

राजस्थान में जहां जयपुर के प्राचीन महल हैं, उदयपुर की खूबसूरत, रोमांटिक झीलें हैं, जैसलमेर के रेगिस्तान और रेत के टीले हैं वहीं जोधपुर के भव्य शाही महल हैं जो इसे पर्यटन की दृष्टि से खास बनाते हैं. पैलेस औन व्हील्स और रौयल राजस्थान औन व्हील्स ऐसी लग्जरी ट्रेनें हैं जिन से इस अद्भुत राज्य का दर्शन रोमांचकारी बन जाता है.

जैसलमेर

गोल्डन सिटी कहा जाने वाला जैसलमेर शहर शाही महलों के साथ एक रेतीले रेगिस्तान के आकर्षण का प्रतीक है. यहां देखने के लिए एक विशाल किला, सुंदर हवेलियां और शहर से कुछ दूर स्थित सैंड ड्यून्स हैं. विश्वप्रसिद्ध यह स्थल थार रेगिस्तान के बीच में स्थित है. यह सुनहरा शहर राज्य की राजधानी जयपुर से 575 किलोमीटर दूर है. पीले पत्थरों से बने जैसलमेर फोर्ट को ‘सोनार किला’ कहा जाता है. करीब 80 मीटर ऊंची त्रिकूट पहाड़ी पर स्थित यह किला विशाल परकोटे से घिरा है. इस शहर में कई भव्य हवेलियां भी हैं जो पर्यटकों को आकर्षित करती हैं. पटवों की हवेली इन में सब से आकर्षक है जो वास्तुशिल्प का अद्भुत उदाहरण है.

जैसलमेर आने वालों के लिए यहां का सब से बड़ा आकर्षण शहर से 42 किलोमीटर दूर स्थित ‘सम सैंड ड्यून्स’ हैं जहां जीप द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है. दूर-दूर तक फैली रेत पर आप चाहें तो पैदल घूम सकते हैं या फिर ऊंट की पीठ पर बैठ कर रेत में घूम सकते हैं. शाम के समय मरुटीलों के पीछे छिपते सूर्य का दृश्य एक अविस्मरणीय अनुभव देता है. डैजर्ट हौलीडे के लिए जैसलमेर एक लोकप्रिय डैस्टिनेशन है.

लजीज भोजन

जैसलमेर की छुट्टी पर जा रहे पर्यटक राजस्थान के जनजातीय भोजन को चखने का स्वाद उठा सकते हैं. लजीज मुर्ग ए सब्ज, स्वादिष्ठ केर सांगरी जैसलमेर के लोकप्रिय व्यंजन हैं.

कैसे जाएं

जैसलमेर वायु, रेल व सड़क मार्ग द्वारा पहुंचा जा सकता है. निकटतम हवाई अड्डा जोधपुर है. नई दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से जोधपुर के लिए उड़ानें उपलब्ध हैं. साथ ही, यह को?लकाता, चेन्नई, मुंबई व बेंगलुरु से भी हवाई मार्ग द्वारा जुड़ा है. जोधपुर हवाई अड्डे से प्रीपेड टैक्सियों या यात्री गाडि़यों द्वारा गंतव्य तक पहुंचा जा सकता है. रेलमार्ग द्वारा जैसलमेर रेलवे स्टेशन कई ट्रेनों द्वारा जोधपुर व अन्य प्रमुख भारतीय शहरों से जुड़ा है. जैसलमेर के लिए डीलक्स व सेमी डीलक्स बसें भी जयपुर, अजमेर, बीकानेर व दिल्ली से उपलब्ध हैं. यहां जाने का आदर्श समय अक्तूबर व मार्च के बीच का है.

होटल व रिजौर्ट्स : सूर्यगढ़, कहाला फटा, सैमरोड, जैसलमेर.

होटल शाही पैलेस, शिव स्ट्रीट, जैसलमेर.

चौखी ढाणी रिजौर्ट्स, कन्नौज विलेज, नियर सैंड ड्यून, जैसलमेर.

निरवाना नेचर रिजौर्ट, आर जी फार्म्स, सोडालोर, जैसलमेर.

जोधपुर

जोधपुर जयपुर के बाद दूसरा सब से बड़ा रेगिस्तानी शहर है. अपनी अनोखी विशेषताओं के कारण इस शहर को 2 नामों-‘सनसिटी’ और ‘ब्लू सिटी’ से पुकारा जाता है. जोधपुर की चमकीली धूप के कारण इसे ‘सनसिटी’ जबकि शहर के मेहरानगढ़ किले के आसपास स्थित नीले घरों के कारण इसे ‘ब्लू सिटी’ कहा जाता है. थार रेगिस्तान की सीमा पर स्थित होने के कारण इसे थार के प्रवेशद्वार के रूप में भी जाना जाता है. चमकदमक से भरपूर इस शहर में घूमने लायक अनेक पर्यटन स्थल हैं जिन में मेहरानगढ़ किला प्रमुख आकर्षक है.

मेहरानगढ़ किला

यह भारत का विशाल और शानदार किला है. मेहरानगढ़ किले में लगे हुए आकर्षक बलुआ पत्थर जोधपुर के कारीगरों की शानदार शिल्पकारी का प्रदर्शन करते हैं. मेहरानगढ़ किले में भव्य महल भी हैं, जैसे मोती महल, रंग महल, चंदन महल, फूल महल. फूल महल की छत पर सोने का महीन काम किया हुआ है. इस के अलावा उमेद भवन भी जोधपुर का एक अन्य आकर्षक स्थल है. यह दुनिया का सब से बड़ा निजी निवास स्थान भी है.

चित्तार पहाड़ी पर बने होने के कारण इसे चित्तार महल भी कहा जाता है. यह महल 3 हिस्सों में बंटा हुआ है. इस में फाइवस्टार होटल, म्यूजियम व जोधपुर शाही परिवार का निवास स्थान है. जोधपुर जा कर क्लौक टौवर और सरदार मार्केट से शौपिंग करना न भूलें. जोधपुर से आप अपने दोस्तों व रिश्तेदारों के लिए यादगार स्वरूप राजस्थानी कढ़ाई व शीशे के काम की लहंगाचुनरी व साड़ी ला सकते हैं, साथ ही आप खरीद सकते हैं सिल्वर ज्वैलरी, ऐंटीक व ओल्ड स्टोनवर्क के सामान.

कैसे पहुंचें

जोधपुर रेलमार्ग द्वारा सभी प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है. सड़कमार्ग द्वारा भी जोधपुर के लिए सभी प्रमुख पड़ोसी शहरों से बस सेवाएं उपलब्ध हैं. अगर आप जोधपुर वायुमार्ग द्वारा जाना चाहते हैं तो जोधपुर के नजदीक उदयपुर का एअरपोर्ट है. यहां पहुंच कर आप बस या टैक्सी से जोधपुर जा सकते हैं.

होटल व रिजौर्ट : मेंगो होटल, बी 1 से बी 4 घनश्याम भवन, मंडौर रोड, स्टेट बैंक औफ बीकानेर के ऊपर, पाओटा, जोधपुर.

मंडौर गेस्ट हाउस, दादावरी लेन, मंडौर गार्डन के पास, मंडौर, जोधपुर.

मरुगढ़ वैंचर रिजौर्ट, चोपासनी, जैसलमेर बाईपास, जोधपुर.

माउंट आबू

पश्चिमी राजस्थान जहां रेगिस्तान की खान है वहीं पूर्वी व दक्षिणी राजस्थान की छटा भी कम निराली नहीं है. माउंट आबू प्रकृति के वरदान से भरेपूरे नजारों, हरीभरी वादियों से भरपूर एक ऐसा अनुपम दर्शनीय स्थल है जो डैजर्ट स्टेट कहे जाने वाले राजस्थान का एकमात्र हिल स्टेशन है. दक्षिणी राजस्थान के सिरोही जिले में गुजरात की सीमा से सटा यह हिल स्टेशन 4 हजार फुट की ऊंचाई पर बसा हुआ है.

अरावली पर्वत शृंखलाओं के दक्षिणी किनारे पर बसा यह हिल स्टेशन अपने ठंडे मौसम और वानस्पतिक समृद्धि की वजह से देशभर के पर्यटकों की पसंदीदा जगह है. माउंट आबू, आबू रोड रेलवे स्टेशन से 20 किलोमीटर दूर है. राजस्थान के सिरोही जिला मुख्यालय से 85 किलोमीटर और झीलों की नगरी उदयपुर से करीब 185 किलोमीटर दूर हरीभरी पहाडि़यों के मध्य स्थित इस पर्वतीय स्थल के ठंडे और सुहाने मौसम से आकर्षित हो कर पर्यटक, दूरदूर से यहां खिंचे चले आते हैं.

दर्शनीय स्थल

नक्की झील : हरीभरी वादियां, खजूर के वृक्षों की कतारों के बीच पहाडि़यों से घिरी नक्की झील का दृश्य अत्यंत मनमोहक है. यहां आप बोटिंग का लुत्फ भी उठा सकते हैं.

सनसैट पौइंट : ढलते सूर्य की सुनहरी रंगत के बीच सूर्यास्त का खूबसूरत नजारा पर्वत शृंखलाओं को स्वर्ण मुकुट पहना दिया हो, ऐसा दिखाई देता है. यहां से डूबता सूरज गेंद की तरह लटकता हुआ दिखता है.

हनीमून पौइंट : सनसैट पौइंट से 2 किलोमीटर दूर बना हनीमून पौइंट नवविवाहित जोड़ों के लिए आकर्षण का केंद्र है. हरे भरे मैदान व घाटियों के मनमोहक दृश्य नवविवाहित जोड़ों के लिए आकर्षण का केंद्र हैं.

टोड रौक : नक्की झील से कुछ दूरी पर स्थित टोड रौक एक खूबसूरत चट्टान है जो सैलानियों को बरबस ही आकर्षित करती है.

कैसे जाएं

माउंट आबू का निकटतम हवाई अड्डा उदयपुर है जो 185 किलोमीटर दूर है. निकटतम रेलवे स्टेशन आबू रोड है. सड़कमार्ग द्वारा भी सभी प्रमुख शहरों से माउंट आबू पहुंचा जा सकता है.

होटल व रिजौर्ट : होटल माउंट रीजेंसी पैट्रोल पंप के पास, माउंट आबू.

अरण्या विलेज हिल रिजौर्ट, नीलकंठ रोड, माउंट आबू.

होटल हिल्टन, मेन रोड, माउंट आबू.

जयपुर

राजस्थान की राजधानी जयपुर जिसे ‘पिंक सिटी’ यानी ‘गुलाबी नगर’ के नाम से भी जाना जाता है, पर्यटन की दृष्टि से अत्यंत खूबसूरत स्थल है. इस के चारों तरफ पहाड़ियों के ऊपर किले बने हुए हैं जिन के निर्माण के लिए गुलाबी पत्थरों का प्रयोग किया गया है. जयपुर में देखने लायक कई पर्यटन स्थल हैं, जैसे सिटी पैलेस, हवा महल, जल महल, जंतरमंतर, रामनिवास बाग, अल्बर्ट हाल, आमेर का किला आदि. जयपुर शहर चारों ओर से परकोटों से घिरा हुआ है जिस में प्रवेश के लिए 7 दरवाजे बने हुए हैं.

जयपुर आएं और फुरसत के पल हों तो रोमांचप्रेमी ऊंट की सवारी, गरम हवा के गुब्बारों की सैर और रौक क्लाइंबिंग जैसे खेलों का आनंद उठा सकते हैं. अगर आप खानेपीने के शौकीन हैं तो यहां की मसालेदार दाल कचौड़ी, दाल वाली पफ पेस्ट्री, मुंह में पानी ला देने वाली मीठी फेनी व घेवर का स्वाद ले सकते हैं. इस के अलावा टिक्की, रबड़ी, प्याज व मावा कचौड़ी भी अवश्य चखें. अगर आप राजस्थान के परंपरागत भोजन का स्वाद लेना चाहते हैं तो यहां की दाल, बाटी, चूरमा अवश्य खाएं.

कैसे जाएं

जयपुर देश के कई मुख्य हिस्सों से भलीभांति वायु, रेल व सड़क मार्ग द्वारा जुड़ा है. जयपुर शहर से 13 किलोमीटर दूर सांगानेर हवाई अड्डा है जो जयपुर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के नाम से जाना जाता है. जयपुर जंक्शन यहां का रेलवे स्टेशन है जो देश के मुख्य शहरों से रेलमार्ग से जुड़ा है. सड़कमार्ग द्वारा पर्यटक राजस्थान राज्य सड़क परिवहन निगम की बसों द्वारा यहां पहुंच सकते हैं. शहर में भ्रमण के लिए और दर्शनीय स्थलों पर जाने के लिए जयपुर सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विसेज लिमिटेड की बस सेवाओं का लाभ उठाया जा सकता है.

होटल व रिजौर्ट्स : द ललित जयपुर, 213-26 जगतपुरा रोड, जवाहर सर्कल के पास, जयपुर.

जयपुर मेरियट होटल, आश्रम मार्ग, जवाहर सर्कल के पास, जयपुर.

द ट्री हाउस रिजौर्ट, एमिटी यूनिवर्सिटी के पीछे, एनएच-8, जयपुर-दिल्ली हाइवे, जयपुर.

चौखीढाणी रिजौर्ट, 2 माइल्स टोंक रोड वाया वाटिका, जयपुर.

उदयपुर

हरीभरी पहाड़ियों से घिरे झीलों के शहर उदयपुर को पूर्व का वैनिस भी कहा जाता है. महलों, झीलों व बगीचों के इस शहर का अतीत काफी वैभवपूर्ण रहा है. झीलों के साथ मरुभूमि का अनोखा संगम जो उदयपुर में देखने को मिलता है वह अन्य किसी जगह में नहीं मिलता. उदयपुर के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में सिटी पैलेस, पिछोला झील, लेक पैलेस, सहेलियों की बावड़ी, विंटेज कार म्यूजियम आदि हैं.

सिटी पैलेस कौंप्लैक्स

यह पैलेस पिछोला झील पर स्थित है. यह एक भव्य परिसर है. परिसर में प्रवेश करते ही आप को भव्य त्रिपोलिया गेट दिखाई देगा. इसी परिसर का एक भाग सिटी पैलेस संग्रहालय भी है. इस संग्रहालय में प्रवेश करते ही आप की नजर कुछ बेहतरीन चित्रों पर पड़ेगी जो मेवाड़ शैली में बने हुए हैं.

सिटी पैलेस से 2 किलोमीटर दूर पर बना हुआ विंटेज कारों का म्यूजियम भी पर्यटकों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र है. यहां पुरानी कारों का अच्छा संग्रह है. इस के अलावा उदयपुर में सहेलियों की बावड़ी भी एक अन्य आकर्षक पर्यटन स्थल है. उदयपुर की रानियों व राजकुमारियों के विश्राम के लिए बनवाई गई सहेलियों की बावड़ी हरीभरी वादियों से घिरी है और यहां फौआरे भी लगे हुए हैं.

पिछोला झील

उदयपुर शहर के सौंदर्य को दोगुना करती यहां की झीलों में सब से प्रमुख पिछोला झील है. सिटी पैलेस के पीछे बसी इस झील का सौंदर्य सिटी पैलेस से ही नजर आता है. राजमहल की दीवारों से टकराती झील की लहरें पर्यटकों को मोहित करती हैं.

कैसे जाएं

हवाई मार्ग : सब से नजदीकी हवाई अड्डा महाराणा प्रताप है. यह हवाई अड्डा डबौक में है. उदयपुर का रेलवे स्टेशन देश के अन्य शहरों से जुड़ा है. यह सड़क मार्ग से जयपुर से 9 घंटे, दिल्ली से 14 घंटे तथा मुंबई से 17 घंटे की दूरी पर है.

होटल व रिजौर्ट : द ललित लक्ष्मी विलास पैलेस, उदयपुर, फतेहसागर झील के पीछे, उदयपुर.

जगत निवास पैलेस होटल, 23-25 लालघाट, उदयपुर.

ओरिएंटल पैलेस रिजौर्ट, मेन रोड, सुभाष नगर, अंधेरी, उदयपुर.

शिल्पी रिजौर्ट, शिल्पग्राम के पास, रानी रोड, उदयपुर.

सावधानी एवं तैयारी

‘गे्रट इंडियन डैजर्ट’ यानी थार के रेगिस्तान में छुट्टियां मनाने की योजना बना रहे हैं तो निम्न सावधानी बरतें :

– रेगिस्तान में दिनरात के तापमान में 20 डिगरी तक का अंतर हो सकता है, इसलिए दिन के लिए सूती वस्त्र व रात के लिए ऊनी कपड़े रखें.

– दिन में हलके रंग के कपड़े पहनें. दिन में हैट व सनग्लासेज का प्रयोग करें. छाता साथ रखें. पानी भी साथ में रखें.

– सनस्क्रीन व मौइश्चराइजर का प्रयोग करें ताकि त्वचा के रूखेपन व टैनिंग से बचा जा सके.

– गाइड के साथ रहें और उस के निर्देशों का पालन करें. रेतीले समंदर में दिशाहीन होने का खतरा रहता है.

आखिर सोशल मीडिया से क्यों दूर रहती हैं रानी

फिल्म ‘मर्दानी’ के बाद बेटी अदिरा की वजह से रानी मुखर्जी ने फिल्मों से ब्रेक ले लिया था, लेकिन अब वह अपनी फिल्म ‘हिचकी’ से कमबैक करने जा रही हैं. रानी यशराज फिल्म्स के ऑफिशल फेसबुक पेज पर लाइव नजर आईं और फैमिली से जुड़ीं कुछ मजेदार बातें कही हैं.

एक फैन उनसे अदिरा के भाई या बहन के बारे में सवाल किया, जिसका रानी ने काफी प्यारा सा जवाब दिया है. रानी ने कहा, वह कुछ फिल्में करेंगी, फिर ब्रेक लेंगी. उन्होंने बताया कि मां बनकर उन्हें काफी अच्छा लग रहा है और वह इन पलों को काफी इंजॉय कर रही हैं.

उन्होंने इस लाइव चैट में बताया कि वह ‘हिचकी’ की शूटिंग अगले महीने शुरू करने जा रही हैं और उम्मीद है कि इस साल के अंत तक यह फिल्म आ जाएगी.

एक ने पूछा कि वह अपने मेकअप में कितना वक्त लगाती हैं? रानी ने बड़ी चालाकी से इसका जवाब देते हुए कहा कि यह तो मेकअप आर्टिस्ट से पूछना पड़ेगा.

सोशल मीडिया पर रानी ने अपनी गैरमौजूदगी के बारे में कहा कि उनके पति प्राइवेट लाइफ पसंद करते हैं. वह चाहती हैं कि अपनी बातें, अपनी जिंदगी से जुड़ी बातें अपने फैन्स से शेयर करें, अदिरा की तस्वीरें शेयर करें, लेकिन उन्हें अपने पति की पसंद का भी ध्यान रखना है. वह नहीं चाहते कि अदिरा की तस्वीरें सोशल मीडिया तक पहुंचे और वह फैन्स को न भी नहीं कह सकतीं, इसलिए वह सोशल मीडिया से ही दूर रहती हैं.

हालांकि, उन्होंने अपने एक अन्य फैन के कहने पर इंस्टाग्राम अकाउंट जॉइन करने के बारे में सोचने की बात जरूर कही.

अनिल कपूर ने छेड़ी ‘वीरे की वेडिंग’ के खिलाफ जंग

अंततः अनिल कपूर और उनकी बेटी रिया कपूर कुंभकर्णी नींद से जाग गयी हैं. सर्वविदित है कि अनिल कपूर व रिया कपूर ने सोनम कपूर के करियर को गति देने के लिए जनवरी 2016 में फिल्म ‘‘वीरे दी वेडिंग’’ की घोषणा की थी.

सोनम कपूर के अलावा करीना कपूर व स्वरा भास्कर इस फिल्म में अभिनय करने वाली थीं. पहले इसकी शूटिंग अप्रैल 2016 में शुरू होने वाली थी. पर अचानक पता चला कि करीना कपूर गर्भवती हैं. पर रिया कपूर ने घोषणा की कि करीना कपूर अक्टूबर 2016 माह तक इस फिल्म की आधे से ज्यादा शूटिंग कर लेंगी. लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ.

इस बीच हमने पाठकों को सूचना दी थी फरवरी माह में निर्माता रजत बक्शी, राजेश बक्शी, चंदन बक्शी और प्रमोद गोंबर ने जिम्मी शेरगिल और पंजाब की मशहूर अदाकारा दिलजोत की जोड़ी को लेकर फिल्म ‘‘वीरे की वेडिंग’’ की शुरूआत कर दी है. फिल्म ‘‘वीरे की वेडिंग’’ की पचास प्रतिशत शूटिंग मनाली में की जा चुकी है. लेकिन पिछले डेढ़ माह से चुप बैठे अनिल कपूर और रिया कपूर की नींद अब खुली है.

सूत्रों के अनुसार अनिल कपूर ने ‘फिल्म मेकर्स कंबाइन’ को पत्र लिखकर मांग की है कि फिल्म ‘वीरे की वेडिंग’ की शूटिंग रूकवाई जाए और उन्हें यह नाम उपयोग करने से रोका जाए. अनिल कपूर की दलील है कि उन्होंने सबसे पहले ‘वीरे दी वेडिंग’ की घोषणा करते हुए ‘फिल्म मेकर्स कंबाइन’ में नाम रजिस्टर्ड करवाया था. अनिल कपूर ने फिल्म ‘वीरे की वेडिंग’ के निर्माताओं के खिलाफ कानूनी कार्यवाही की भी मांग कर दी है.

मगर जानकारों की मानें तो अनिल कपूर और रिया कपूर कानूनी कार्यवाही कर भी फिल्म ‘वीरे की वेडिंग’ को नहीं रूकवा सकते. सूत्रों के अनुसार फिल्म ‘वीरे की वेडिंग’ के निर्माताओं ने फिल्म उद्योग की मूल एसोसिएशन ‘‘इम्पा’’ (इंडियन मोषन पिक्चर्स) में अपनी फिल्म का नाम रजिस्टर्ड करवा रखा है.

उधर फिल्म ‘‘वीरे की वेडिंग’’ के निर्देशक आशु त्रिखा ने दावा किया है कि उन्होंने कानूनन इस नाम का कॉपीराइट हासिल करने के अलवा इसका ट्रेड मार्क भी हासिल कर रखा है. हमने शीर्शक गीत के अलावा कई गाने फिल्मा लिए हैं. और अगले शिड्यूल में हमारी फिल्म अस्सी प्रतिशत पूरी हो जाएगी.

उधर ‘इम्पा’ से जुड़े सूत्र कहते हैं कि अब अनिल कपूर के सामने एकमात्र विकल्प यही बचा है कि वह अपनी फिल्म के लिए नया नाम चुन लें. क्योंकि ट्रेड मार्क रजिस्टर्ड होने के बाद कोई संस्था कुछ नहीं कर सकती.

इस सारे विवाद के बीच एक सच यह है कि फिल्म ‘‘नीरजा’’ को मिली अपार सफलता के बावजूद सोनम कपूर को अभी तक एक भी फिल्म नहीं मिली है. अब देखना है कि यह विवाद आगे क्या रूप लेता है.

कार्ड हैकिंग : सतर्कता में बचाव

पिछले साल नवंबर में 1,000 और 500 के नोट बंद होने के बाद नई करेंसी के लिए लोगों को एटीएम और बैंकों के बाहर लाइन लगानी पड़ी. नकदी की किल्लत के चलते रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने में भी काफी दिक्कतें आईं. इन सब के बीच औनलाइन बैंकिंग और कार्ड के जरीए होने वाले कैशलैस लेनदेन लोगों के लिए वरदान साबित हुए. पैट्रोल पंप से ले कर राशन की खरीदारी तक दुकानदारों ने कार्ड के जरीए शौपिंग की सुविधा दिलाई. बिलों के भुगतान में औनलाइन बैंकिंग मददगार साबित हुई. हालांकि कैशलैस की ओर बढ़ रहे इन कदमों के साथ जोखिम भी कम नहीं.

कार्ड और बैंक अकाउंट की हैकिंग का खतरा हर वक्त मंडराता है. इन के इस्तेमाल में बरती गई लापरवाही आप को बड़ी चपत लगा सकती है. क्या है हैकिंग औनलाइन या कार्ड के जरीए किए जाने वाले औनलाइन भुगतान के दौरान अकसर हैकर्स फेक वैब पेज या कंप्यूटर वायरस के जरीए लोगों की डैबिट या क्रैडिट कार्ड डीटेल या औनलाइन पासवर्ड आदि चुरा लेते हैं. इसे हैकिंग कहते हैं.

अकाउंट और कार्ड डीटेल की हैकिंग कर के हैकर्स लोगों के  बैंक खातों से औनलाइन चोरी को अंजाम देते हैं. घात में रहते हैं हैकर्स 2016 में देश में कई प्रमुख बैंकों की 32 लाख एटीएम कार्ड डीटेल हैक हो गई. बैंक इस के बाद तत्काल हरकत में आए और उन्होंने उपभोक्ताओं के एटीएम कार्ड ब्लौक कर दिए. 2 सप्ताह के अंदर ही सभी ग्राहकों को नए डैबिट कार्ड जारी किए. जब तक पिन नंबर बदल नहीं गया बैंकों ने इन से जुड़े खातों से रोजाना निकासी की सीमा 5 हजार कर दी थी.

दरअसल, देश और विदेश में हैकर्स दिनरात इसी ताक में रहते हैं कि उपभोक्ता से एक चूक हो और उन की चांदी हो जाए. यही वजह है कि नैट बैंकिंग और कार्ड के इस्तेमाल में सतर्कता बेहद जरूरी है. हैक हो जाए कार्ड या अकाउंट तो क्या करें साइबर ला ऐक्सपर्ट पवन दुग्गल के मुताबिक कैशलैस लेनदेन के बढ़ते चलन के साथ ही हैकिंग की घटनाएं भी बेहद आम हो चुकी हैं.

ऐसे में अकाउंट या कार्ड हैक हो जाए तो व्यक्ति को तत्काल हरकत में आना चाहिए और ये कदम उठाने चाहिए:

– हैकिंग की सूचना तत्काल बैंक को दें और अपना कार्ड ब्लौक कराएं.

– यदि आप कहीं बाहर हैं तो संबंधित बैंक के कस्टमर केयर नंबर पर फोन कर के अपना कार्ड ब्लौक कराएं.

– बैंक को सूचना दे कर अपने खाते से कार्ड या नैटबैंकिंग को प्रतिबंधित कर दें.

– इस की लिखित शिकायत पुलिस को दें.

– इस दौरान खुद लेनदेन करने के लिए चैक का इस्तेमाल करें.

– जिस बैंक अकाउंट का इस्तेमाल आप नैटबैंकिंग और कार्ड के जरीए भुगतान के लिए करते हैं उस में अधिक पैसे न रखें.

– यदि क्रैडिट कार्ड होल्डर हैं तो क्रैडिट लिमिट कम ही रखें ताकि हैकिंग की स्थिति में ज्यादा नुकसान न हो.

– बैंक करेंगे भरपाई : हैकिंग के बाद यदि उपभोक्ता को नुकसान होता है तो इस की भरपाई का जिम्मा बैंक का होता है. यदि हैकिंग के चलते उपभोक्ता को 10 हजार का नुकसान होता है तो वे बैंक से इस राशि का दावा कर सकते हैं. लेकिन इस के लिए आप को पर्याप्त साक्ष्य देने होंगे कि बैंक की लापरवाही के चलते ऐसा हुआ. अधिकांश उपभोक्ताओं को इस बात की जानकारी नहीं है, जिस की वजह से हैकिंग से हुए नुकसान का दावा वे बैंक से नहीं करते हैं.

– सतर्कता जरूरी : कार्ड या नैट बैकिंग का इस्तेमाल करते वक्त आप को बेहद सतर्क रहना चाहिए. यदि आप गलती से अपना नैट बैंकिंग डीटेल या फिर 16 अंकों का कार्ड नंबर, कार्ड वैलिडिटी अवधि और कार्ड के पीछे मौजूद 3 अंकों का सीवीवी नंबर किसी को बता देते हैं तो वह कभी भी आप के खाते से आप की मेहनत की कमाई में सेंध लगा सकता है.

– अपने एटीएम के पिन को समयसमय पर बदलते रहें. यह काम आप किसी एटीएम पर जा कर कर सकते हैं.

– आप की कार्ड डीटेल जानने के लिए कस्टमर केयर बता कर यदि कोई फोन करे तो कभी उस से क्रैडिट या डैबिट कार्ड की जानकारी साझा न करें. याद रहे बैंक कभी किसी उपभोक्ता से उस के कार्ड का नंबर या फिर पासवर्ड नहीं मांगता.

– अपने मोबाइल नंबर को अपने खाते से जुड़वाएं. इस से किसी भी वक्त पैसे की निकासी की स्थिति में आप को तत्काल मैसेज आ जाएगा.

– हर 3 दिनों में अपनी बैंक स्टेटमैंट चैक करें. आजकल ये सेवाएं औनलाइन हैं तो आप कभी भी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं.

– केवल अपने कार्यालय या निजी कंप्यूटर से ही औनलाइन पैसों का लेनदेन करें. इन दोनों ही जगह ऐंटीवायरस का इस्तेमाल होगा. दोनों के सर्वर सुरक्षित होंगे.

– साइबर कैफे में जा कर नैट बैंकिंग या कार्ड के जरीए लेनदेन करने से बचें. इन जगहों पर हैकिंग का खतरा अधिक होता है.

– अपने नैट बैंकिंग पासवर्ड को भी 2-3 महीनों में बदलते रहें.

– यदि आप को मोबाइल मैसेज के जरीए अपने खाते से हुए किसी ऐसे लेनदेन की सूचना मिले जो आप ने नहीं किया है तो तत्काल इस विषय में बैंक को सूचित करें.

– ऐसी स्थिति में अपने खाते से कार्ड या नैट बैंकिंग से होने वाले लेनदेन को तत्काल प्रतिबंधित कर दें.

– ई-मेल पर कई बार ऐसे संदेश आते हैं जिन में लोगों से कहा जाता है कि उन्होंने लौटरी जीती है. ऐसे भुगतान के लिए ऐसे संदेशों में लोगों से उन के खाते आदि की जानकारी मांगी जाती है. ऐसे ई-मेल संदेशों को देखते ही डिलीट कर दें. गलती से भी इन का जवाब न दें.

धूम मचा रहा है दंगल गर्ल सान्या का यह वीडियो

आमिर खान और सांक्षी तंवर स्टारर फिल्म दंगल में फातिमा सना शेख और सान्या मल्होत्रा की भूमिका प्रशंसनीय रही थी. फिल्म में बबिता फोगाट की भूमिका निभाने वाली सान्या मल्होत्रा सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहती हैं और आम तौर पर अपनी तस्वीरें और वीडियो शेयर करती रहती हैं.

हाल ही में उन्होंने पंजाबी गाने “इक मेरी अंख काशनी” पर डांस का एक वीडियो इंस्टाग्राम पर शेयर किया. सान्या के इस वीडियो को अब तक 80 हजार से ज्यादा लोग देख चुके हैं. सान्या ने इस पोस्ट में नेहा भसीन को टैग किया है और यह वीडियो उन्हीं को डेडिकेट भी किया है. नेहा ने पोस्ट के साथ लिखा, ‘मुझे यह गाना बहुत ज्यादा पसंद है. नेहा भसीन आप बहुत शानदार हैं.’

मालूम हो कि सान्या एक जबरदस्त डांसर हैं और उन्होंने आमिर की अगली आगामी फिल्म ‘सीक्रेट सुपरस्टार’ के एक गीत की कोरियोग्राफी की है. उन्होंने इस गाने में आमिर के लिए काफी मुश्किल नृत्य मुद्राओं की तलाश की, लेकिन बॉलीवुड के मिस्टर परफेक्शिनिस्ट कहे जाने वाले अभिनेता ने भी संगीत की ताल पर इन्हें आसानी से कर दिखाया.

आमिर खान की फिल्म दंगल में बबिता फोगाट के किरदार से पहचान बनाने वाली सान्या मल्होत्रा अब अपनी अगली फिल्म की तैयारियों में लग गई हैं. सूत्रों के मुताबिक सान्या फिल्मकार अनुराग कश्यप की अगली फिल्म मनमर्जियां में नजर आएंगी.

 

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माओवादियों के अलावा भी बहुत कुछ है यहां

‘जंगल महल’ नाम से ज्यादातर भारतीय वाकिफ नहीं होंगे, पर जिनको इसके बारे में ये पता है, वे ये नाम सुनकर एक बार जरूर सिहर जाएंगे. यहां बात किसी जंगल में पाए जाने वाले जन्तुओं की नहीं हो रही है पर, माओवादियों की हो रही है. माओवादी या माओवाद नाम सोच समझकर लेने में ही भलाई है. जिस क्रांति ने कभी देश के जमाखोरों की नींद हराम कर दी थी, वहीं अब किसी को कम्युनिस्ट कहना गाली देने जैसा हो गया है. जिस सोच के साथ इस क्रांति को हवा दी गई थी, वो तो किताबों के पन्नों में कब की दफन हो गई है.

बंगाल का इलाका जंगल महल माओवादियों के लिए बड़ा बदनाम है. पर देश में धीरे-धीरे इन उपद्रवियों की संख्या और गतिविधियां भी कम हो रही हैं. तो जाहिर सी बात है कि जंगल महल की खूबसूरती पर भी आम लोगों का ध्यान जाना चाहिए. वैसे भी सहवासियों को यह बात पता होनी चाहिए कि पश्चिम बंगाल में कोलकाता और दार्जिलिंग के अलावा भी बहुत कुछ है. कुछ फिल्मी लोगों के करकमलों से धीरे-धीरे पश्चिम बंगाल के अन्य राज्यों को भी देशवासी जानने लगे हैं. आज हम आपको पश्चिम बंगाल के पुरूलिया के बारे में बताएंगे. अब आप कहेंगे कि आप पूरी दुनिया छोड़कर जंगलों में क्यों जाएं? तो जनाब जब तक जाएंगे नहीं तो जानेंगे कैसे?

पुरूलिया में देश की एक विलुप्त प्राय चित्रकारी ‘पटुआ’ आज भी जिन्दा है. पटुआ चित्रकार, पटों यानि की कपड़ों पर चित्रकारी और गीत द्वारा कहानियां कहते हैं. एक जमाने में ये सिर्फ देवी-देवताओं पर ही कहानियां कहते थे. पर अब वे स्वच्छ भारत मिशन से लेकर मंगलयान तक की कहानियां भी कहते हैं. पुरूलिया के अलावा बंगाल के बांकुरा, मिदनापुर, बीरभूम, 24 परगना और हुगली जिलाओं में भी यह ‘आर्ट फॉर्म’ आज भी प्रचलित हैं.

‘छऊ’ भारत का एक लोक नृत्य है और पुरूलिया का छऊ बहुत लोकप्रिय है. छऊ नृत्य युद्ध की भंगिमाओं और नृत्य का मिश्रण है. इसमें लड़ाई कि तकनीक और पशु की चाल को दर्शाया जाता है. गांव के जीवन पर भी प्रस्तुति दी जाती हैं. पुरुष नर्तक स्त्रियां का भेष धरकर नृत्य करते हैं. ढोल, धुम्सा और खर्का के साथ मोहुरि और शहनाई की धुनों पर भारी भरकम मुखौटें पहनकर नर्तक नृत्य करते हैं.

पुरूलिया में आप और भी बहुत कुछ देख सकते हैं-

1. जयचंडी पहाड़

जयचंडी पहाड़ पर ट्रेकिंग के शौकीन अपना शौक पूरा कर सकते हैं. यह स्टेशन आसानसोल-आदरा रूट पर मिलता है. हरे-भरे खेतों के बीच बसा जयचंडी पहाड़. यहां आसपास कई छोटे-बड़े पहाड़ हैं और यह स्थानीय लोगों का एक लोकप्रिय पिकनिक स्पॉट की तरह उभर रहा है.

2. अजोध्या पहाड़

दल्मा पहाड़ियों का एक हिस्सा है अजोध्या पहाडा. पर्वतारोहण सीखने के लिए यह नए पर्वतारोहियों की पसंदीदा जगह है. महाकाव्य रामायण की कथा के अनुसार राम वनवास के समय यहां अपनी पत्नी के साथ आए थे. सीता को प्यास लगी और राम ने बाण से धरती से पानी का स्रोत निकाला(कहानी को कहानी की तरह ही लिया जाए) और सीता ने अपनी प्यास बुझाई. अजोध्या पहाड़ के पास ही तुर्गा डैम है, जहां बहुत ही सुंदर झरना बहता है.

3.  साहेब बांध

50 एकड़ में फैली यह झील पुरूलिया की खूबसूरती में चार चांद लगा देती है. इसे 19वीं शताब्दी में बनवाया गया था. हर साल यह झील प्रवासी पक्षियों का घर भी बन जाता है. प्रवासी पंछियों के बीच पानी के पास बैठकर आप अपनी निजी जिन्दगी की चिंताओं को कुछ दिनों के लिए भूल जाएंगे.

4. गढ़ पंचकोट

पंचकोट में किसी जमाने में कोई किला था. अब यहां किले की कुछ टूटी-फूटी दीवारें ही बची हैं. यह किला 18वीं शताब्दी में हुए बारगी हमले का जीता-जागता सबूत है. इस किले को एक मराठा राजा के कोप का भाजन बनना पड़ा था. इस किले की बनावट भी अनोखी है. इस किले को ऐसे बनाया गया था कि इसमें सिर्फ नाव के जरिए ही प्रवेश किया जा सकता था. बंगाली में एक बहुत ही प्रचलित कहावत है, ‘बोरगियो एलो देशे, खाजना दिबो किशे?’, जिसका मतलब है, हमारे देश में मराठा आ गए हैं, अब हम लगान कैसे दें? इस जगह को ‘मानभूम’ के नाम से भी जाना जाता है. मराठा राजा और पंचकोट के राजा के बीच की दुश्मनी का असल कारण किसी को मालूम नहीं, पर कहा जाता है कि राजा की 17 रानियों ने कुंए में कुदकर आत्महत्या कर ली थी.

5. पकबिरा

बंगाल में जैनों के प्रभाव का सबूत यहां से मिलता है. यह 3 जैन मंदिरों का समूह है. यहां 9वीं शताब्दी के अवशेष बरामद किए गए थे. धार्मिक नहीं, पर कला की दृष्टि से यह स्थान बहुत एहमियत रखता है. यहां पाई गई मूर्तियों की बहुत उम्दा कारीगरी है. काले पत्थर पर शितलनाथ और पद्मप्रभा की मूर्तियां यहां रखी हैं. इन मंदिरों में बहुत सारी मूर्तियां रखी गई हैं, जिनकी नक्काशी से एक बार फिर वो बात याद आ जाती है कि अपना देश कारीगरों का ही देश है.

6. बेगुनकोडोर स्टेशन

भारत के भुतहा स्टेशन में से एक है बेगुनकोडोर स्टेशन. स्थानीय लोगों का मानना है कि जो भी इस स्टेशन पर जाता है वह जिन्दा वापस नहीं आता. यह स्टेशन पिछले कुछ सालों से इसे बंद रखा गया था. पर स्थानीय लोगों की सुविधा के लिए इसे हॉल्ट की तरह खोल दिया गया है.

इन सबके अलावा आप यहां के स्थानीय व्यंजनों का भी आनंद ले सकते हैं. अगर आप टूरिस्ट माइंडेड हैं तो पुरूलिया जाने से पहले जरा सोच लें, पर ट्रेवेलर को यह जगह बहुत पसंद आएगी. शाल के पेड़ों और कृष्णाचूड़ा के फूलों से ढके रास्ते आपको बहुत पसंद आएंगे. एक बार शिमला-मनाली छोड़, बंगाल के इस खजाने की खोज में जरूर जाएं.

पिता और चाचा नें डुबोई मुस्तफा की फिल्म

निर्माता निर्देशक जोड़ी अब्बास मस्तान का नाम आते ही ‘‘बाजीगर’’,‘‘खिलाड़ी’’, ‘‘रेस’’,‘ ‘सोल्जर’’,‘‘किस किस को प्यार करूं” जैसी कई सफलतम फिल्मों की याद आती है. यह वह अब्बास मस्तान है, जिन्होंने ‘बाजीगर’ से शाहरुख खान, ‘सोल्जर’ से बॉबी देओल, ‘खिलाडी’ से अक्षय कुमार और ‘रेस’ से सैफ अली के करियर को उंचाईयों पर पहुंचाया. मगर जब उन्होंने अपने बेटे मुस्तफा बर्मावाला के अभिनय करियर की शुरूआत के लिए फिल्म ‘‘मशीन’’ बनाई, तो फिल्म बॉक्स आफिस पर चारों खाने चित हो गयी. फिल्म ‘मशीन’ 1300 स्क्रीन्स में प्रदर्शित हुई है, मगर 26 करोड़ की लागत में बनी यह फिल्म दो दिन में डेढ़ करोड़ रूपए भी नहीं कमा पायी. जबकि उपरी सतह पर जो तस्वीर नजर आ रही है, उसे देखते हुए अब्बास मस्तान ने अपनी तरफ से कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी.

उन्होंने फिल्म ‘‘मशीन’’ को जॉर्जिया की खूबसूरत लोकेशनों में फिल्माया. फिल्म व बेटे के प्रचार के बॉलीवुड के बहुत बड़े प्रचारक की सेवाएं ली. एक फिल्म पत्रिका का पूरा एक अंक अपनी फिल्म व अपने बेटे के लिए लाखों रूपए अदाकर सुरक्षित करवाया. इस फिल्म पत्रिका के एक खास अंक के सभी 40 पन्ने मुस्तफा व अब्बास मस्तान को महिमा मंडित करते हुए भरे गए. मुंबई के कुछ अंग्रेजी अखबारों में भी ‘पेड इंटरव्यू’ छपवाए गए. मगर अफसोस की बात यह रही कि इसका एक प्रतिशत का भी फायदा फिल्म ‘‘मशीन’’ या मुस्तफा बर्मावाला को नहीं मिला. और अब इसके लिए पूरी तरह से अब्बास मस्तान को ही दोषी ठहराया जा रहा है.

फिल्म ‘‘मशीन’’ के लिए अब्बास मस्तान स्वयं ही जिम्मेदार हैं. बॉलीवुड के बिचौलिए सवाल उठा रहे हैं कि कई सफल फिल्म निर्देशित कर चुके अब्बास मस्तान ने अपने बेटे के करियर की फिल्म के लिए अति कमजोर कहानी व अति कमजोर पटकथा का चयन कैसे किया? उन्हें तो हर कलाकार को पर्दे पर बेहतरीन तरीके से पेश करने का अनुभव है, फिर वह अपने बेटे मुस्तफा के सपाट चेहरे क्यों नहीं समझ कर उस कमी को छिपाने के रास्ते क्यों नहीं अपनाए? बेटे करियर को संवारने के लिए फिल्म में बड़े कलाकार को जोड़ने से क्यों बचे?

तो दूसरी तरफ अब्बास मस्तान के करीबी तो यह भी नहीं समझ पा रहे हैं कि फिल्म के प्रचार के लिए पानी की तरह धन बहाने के बावजूद वह फिल्म को सही ढंग से प्रचारित क्यों नहीं कर पाए? क्या अब्बास मस्तान ने यह फिल्म किसी सोची समझी रणनीति के तहत बनायी और एक रणनीति के ही तहत अपनी फिल्म के प्रचारक को हिदायत देकर फिल्म को प्रचारित करवाया? फिल्म ‘मशीन’ व मुस्तफा बर्मावाला को लेकर उन अखबारों में कुछ नहीं छपा, जिन अखबारों में छपने से दर्शक मिलते हैं. सर्वविदित है कि मुंबई के चंद अंग्रेजी अखबारों में छपने मात्र से दर्शक नहीं मिलते हैं.

फिल्म के प्रति दर्शकों का ध्यान आकर्शित करने के लिए हिंदी भाषी अखबारों पर ध्यान देना पड़ता है. मगर देश के करीबन तीन दर्जन से ज्यादा हिंदी के बड़े अखबारों में ‘मशीन’ व मुस्तफा को लेकर एक शब्द नहीं छपा. कई बड़ी पत्रिकाओं से भी मुस्तफा को मिलने नहीं दिया गया? इस सच से अब्बास मस्तान अनभिज्ञ हों, यह कौन यकीन करेगा?

बहरहाल, अब लोगों की निगाहें इस बात पर हैं कि अब्बास मस्तान अपने बेटे मुस्तफा के लिए दूसरी फिल्म शुरु करते हैं या बेटे के अभिनय करियर पर ताला लगवाते हैं?

“बड़ी फिल्मों को इसलिए ठुकराया क्योंकि…”

गैर फिल्मी परिवार से आकर बॉलीवुड में अपनी अलग जगह बनाने के साथ साथ तीनों खान कलाकारों के साथ अभिनय करते हुए हर फिल्म में इन खान कलाकारों से अलग पहचान बना लेने वाली अनुष्का शर्मा ने सबसे कम उम्र में अभिनय के साथ ही फिल्म निर्माण के क्षेत्र में कदम रखा.

पहली फिल्म ‘‘एन एच 10’’ को मिली अपार सफलता के बाद वह अब बतौर निर्माता दूसरी फिल्म ‘‘फिलौरी’’ लेकर आयी हैं. जिसमें उन्होंने सूरज शर्मा, दिलजीत दोशांज व मेहरीन पीरजादा के संग अभिनय किया है. तो वहीं शाहरुख खान के साथ तीसरी फिल्म ‘द रिंग’ कर रही हैं, जिसके निर्देशक इम्जिताज अली हैं. गत वर्ष उन्होंने ‘सुल्तान’ तथा ‘ए दिल है मुश्किल’ फिल्मों में अपनी अच्छी उपस्थिति दर्ज करायी है.

गत वर्ष आपकी फिल्मों ने बाक्स आफिस पर जबरदस्त कमाई की थी. जिसका फायदा अब आपकी फिल्म ‘‘फिलौरी’’ को मिलेगा?

इसमें कोई शक नहीं है. 2016 में मेरी फिल्म रिलीज हुई, उसके बाद फिल्मों को जिस तरह से लोगों ने पसंद किया, जिस तरह से मेरे काम को सराहा, उससे तो यही लगता है कि लोगों ने मुझे पसंद किया. 2016 में मेरी दोनों फिल्में अलग तरह की रहीं. दोनों में मैंने बहुत अलग तरह के किरदार निभाए. मुझे उन फिल्मों के लिए पुरस्कार भी मिले. पर 2017 में फिल्म के प्रदर्शन से पहले मैं किसी भी फिल्म को लेकर अपनी तरफ से कुछ कहना नहीं चाहती. 24 मार्च को मेरी पहली फिल्म ‘फिलौरी’ प्रदर्शित होगी. उसके बाद इम्तियाज अली वाली फिल्म भी इसी साल प्रदर्शित होगी.

फिल्म ‘‘फिलौरी’’ क्या है?

यह एक प्रेम कहानी है. पर फिल्म में मांगलिक दोश के चलते पेड़ से शादी और भूत की प्रेम कहानी के जुड़ने से फिल्म अनूठी हो गयी. हमने अपनी इस फिल्म के लिए एक ऐसा किरदार रचा, जो कि अब तक किसी भी फिल्म में नहीं रचा गया. यह भूत ऐसा है, जो कि लोगों को डराता नहीं है. हमने काफी वीएफएक्स और स्पेशल इफेक्ट्स का प्रयोग किया है. इस फिल्म में हमने बहुत कुछ नया जोड़ा है. हम लोगों को ‘दृश्य श्राव्य’ माध्यम में कुछ नया अनुभव देना चाहते हैं. 

फिल्म ‘‘फिलौरी’’ के अपने किरदार पर रोशनी डालना चाहेंगी?

मैं आज की तारीख में अपने किरदार को लेकर बहुत कुछ बता नहीं सकती. क्योंकि कहीं न कहीं उसमें एक सस्पेंस भी है.

फिल्म के ट्रेलर के बाद किस तरह की प्रतिक्रिया मिली?

देखिए, जब आप कुछ अलग काम करने जाते हैं, तो आपके मन में शक होता है कि क्या लोगों को पसंद आएगा? कई बार आपने जो अलग काम किया, वह लोगों को पसंद नहीं भी आ सकता है. ट्रेलर आने के बाद हमारा यह शक दूर हो गया. क्योंकि लोगो ने बड़ी तारीफ की. हम तो बहुत अलग ढंग से सोचते हैं, पर दर्शक का नजरिया अलग हो सकता है. ट्रेलर देखकर ज्यादातर लोगों ने प्रशंसा ही की है.

फिल्म ‘‘फिलौरी’’ में भूत के अलावा लड़के के मांगलिक होने का मसला भी है. आप इन दोनों चीजों पर कितना यकीन करती हैं?

देखिए, भूत होते हैं या नहीं, किसको पता? मैंने निजी जिंदगी में ऐसा कोई अनुभव नहीं किया है, हो सकता है भूत होते हों. मैं इस बात से इंकार भी नहीं कर सकती. जहां तक मांगलिक का मसला है, तो यह एक सामाजिक सोच है, जिस पर हमने बहुत ज्यादा तवज्जो नहीं दी है. मांगलिक के मसले पर हमारी फिल्म अपनी तरफ से कोई कमेंट नहीं करती है. यह सब हर इंसान के अपने विष्वास की बात है. यदि आप किसी बात पर यकीन नहीं करते हैं, तो उससे आपको कोई फर्क नहीं पड़ता.

सिनेमा में आ रहे बदलाव का आप पर असर?

सिनेमा में आ रहे बदलाव के चलते मैं फिल्मों में नारियों का सही प्रतिनिधित्व कर पा रही हूं. मैंने हर फिल्म में नारी किरदारों को सही परिप्रेक्ष्य व प्रगतिशील नारी के किरदार ही निभाती आ रही हूं.

आप मानती हैं कि बॉलीवुड फिल्मों में नारियों का सही प्रतिनिधित्व हो रहा है?

मैं तो सिर्फ अपनी बात कर सकती हूं. मैंने अपनी तरफ से हर फिल्म में नारी का सही प्रतिनिधित्व किया है. देखिए, हम वही काम कर सकते हैं, जो मेरे हाथ में है. हम अपना निर्णय दूसरों पर थोप नहीं सकते हैं. आप शायद यकीन ना करें, पर सच यह है कि मैंने कई बड़ी बड़ी फिल्मों को महज इसलिए ठुकाराया है, कि उनमें मेरे किरदार में करने के लिए कुछ नहीं था और ना ही वह नारी का सही प्रतिनिधित्व कर रहे थे. पर दूसरी अभिनेत्रियों ने उन फिल्मों में वही किरदार निभाए. आज मैं यह कह सकती हूं कि मैंने अपनी कोशिश से, अपने प्रयास से,कुछ अलग करने की कोशिश कर रही हूं.

शाहरुख खान के साथ तीन फिल्में करने के बाद खुद में क्या बदलाव महसूस करती हैं?

इस सवाल का जवाब देना बड़ा मुश्किल है. क्योंकि जो बदलाव होता है, वह जल्द नजर नहीं आता. जिस समय सारी चीजें हो रही होती हैं, जिस समय हम काम कर रहे होते हैं, उस वक्त यह सब चीजें समझ नहीं आती. मगर मेरे साथ यह होता रहा है कि हर फिल्म के बाद मुझे सकून मिला. हर फिल्म के बाद मेरी समझ बढ़ी है. जब हम शाहरूख खान जैसे कलाकार के साथ काम करते हैं, हमें उनसे भी मदद मिलती है.

ट्वीटर पर आप बहुत ज्यादा व्यस्त हैं. ट्वीटर का बॉक्स ऑफिस पर कितना असर पड़ता है?

देखिए, ट्वीटर भी प्रचार का एक माध्यम है. हम चाहते हैं कि हमारी फिल्म के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी लोगों के पास पहुंचे. लोगों में फिल्म को लेकर जागरूकता आए. क्योंकि हम तो हर माध्यम का उपयोग कर अपनी फिल्म को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुचांना चाहते हैं. आज की तारीख में सोशल मीडिया बहुत बड़ा प्लेटफॉर्म है. सोशल मीडिया पर मेरे करीब एक करोड़ फॉलोवर हैं. तो यही फैन आधार हैं? जिस तरह से अखबार या मैगजीन में कुछ छपने से फिल्म का प्रचार होता है, उसी तरह से ट्वीटर से भी फिल्म का प्रचार होता है. तभी तो हमने ट्वीटर को बहुत अलग अलग तरीके से उपयोग करने की कोशिश की है. जिससे हमारी फिल्म लोगों के जेहन में रहे. बॉक्स ऑफिस पर असर है या नहीं, इस पर नहीं सोचा.

मीडिया को लेकर भी आपकी कुछ नाराजगी है?

बिलकुल नहीं है. वास्तव में मैंने एक खास घटनाक्रम पर वह बात कही थी. वह भी किसी खास मीडिया को लेकर. अन्यथा मुझे आज तक कभी भी मीडिया को लेकर नाराजगी नहीं हुई. मैंने साफ कहा था कि जिन्होंने भी यह स्टोरी छापी है, उनकी बात कर रही हूं. मैं कभी भी पूरे मीडिया को कटघरे में खड़ा नही करती.

घर में ऐबौर्शन

सीमा के पिता रेलवे में नौकरी करते थे, सो वे ज्यादातर दौरे पर रहते थे. सीमा की मां सारा दिन कालोनी में यहांवहां घूमती रहती थीं. सीमा घर पर होती तो उस की मां का रिश्तेदार चंदू आ जाता.

चंदू तबीयत से दिलफेंक मिजाज का था और इस की वजह से उस की बीवी उसे छोड़ चुकी थी. वह प्राय: इधरउधर लड़कियों के पीछे घूमता रहता. सीमा की मां के लिए शहर से उपहार लाता तो वे खुश हो जातीं. एक दिन वह सीमा को शहर घुमाने के बहाने ले गया और उसे बहलाफुसला कर उस से संबंध बना लिए. सीमा को जब तक कुछ समझ में आता, उसे अनचाहा गर्भ ठहर चुका था.

अब चूंकि चंदू तो मतलब साध कर निकल गया, लेकिन जैसेजैसे सीमा पर दिन चढ़े तो उन की पड़ोसिन को संदेह हुआ. गांव में रहने के कारण मामला गंभीर था. अगर किसी को भनक लग गई तो पूरे गांव में बदनामी हो जाएगी.

अब सीमा की मां को कुछ सूझ नहीं रहा था कि क्या करें? क्योंकि 3-4 माह का गर्भ हो चुका था. यदि वे पति को बतातीं तो पति तो उन्हें ही बदचलन कह कर छोड़ देता. सीमा की मां अपनी पड़ोसिन के साथ पास के गांव की दाई रजिया के पास गई. रजिया ने यह काम आसानी से करने का भरोसा दिलाया और बतौर मेहताना मोटी रकम मांगी. वक्त तय हुआ रात 12 बजे का. सीमा के पिता नाइट ड्यूटी पर चले गए तब रजिया व पड़ोसिन सीमा के घर आए. उस ने सीमा को लिटाया. बिना किसी दवा व इंजैक्शन के रजिया ने सीमा की योनि से उस के गर्भ में एक कमची जैसी पतली लकड़ी डाली, जैसे हरे बांस की छड़ी होती है. उस पतली लकड़ी के भीतर डाले जाने से सीमा चीखने लगी. वह असहाय दर्द से बिलबिला उठी तो रजिया ने कहा कि उस का हाथ पकड़ कर रखो साथ ही मुंह भी दबा दो.

रजिया ने लकड़ी को गर्भाशय में आघात से चलाना शुरू किया व उस की मां व पड़ोसिन ने सीमा के हाथ कस कर पकड़े रखे और मुंह भी कपड़े से बांध दिया ताकि वह चीख न सके.

लकड़ी के तेज आघात से सीमा का गर्भाशय क्षतविक्षत हो गया और जब ब्लीडिंग होने लगी तो सीमा की मां घबरा गई. रजिया बोली, ‘‘गर्भ गिर गया है. सुबह तक होश आ जाएगा.’’ वह पैसे ले कर चली गई. लेकिन न तो ब्लीडिंग रुकी और न ही सीमा होश में आई. वह असहनीय पीड़ा से तड़पतड़प कर प्राण गवां चुकी थी.

सीमा की मां को सुबह पता चला कि सीमा का प्राणांत हो चुका है. कमरा सीमा के खून से भर चुका था. पुलिस ने जांच की तो रजिया की करतूत पता चली. सीमा की मां की रंगीनमिजाजी उस की बेटी को लील गई. इतना ही नहीं, चंदू की ऐयाशी अभी भी जारी रही क्योंकि वह पकड़ से दूर जा चुका था.

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