मनचाही सुंदरता पाएं

कहा जाता है कि सुंदरता जो कुदरत की देन है, अन्य तरीकों से हासिल नहीं की जा सकती, पर अब यह बात पुरानी हो गई है. साइंस की मदद से ऐसी तकनीक का विकास हो गया है कि अगर कोई चाहे तो मनचाही सुंदरता हासिल कर सकता है.

क्या सुंदरता जरूरी है

इस में संदेह नहीं कि एक सुंदर व्यक्ति किसी भी जगह अपनी उपस्थिति से पहली ही नजर में एक विशेष प्रभाव छोड़ता है.  सुंदरता कई फायदे भी दिला देती है. खासतौर से युवतियां तो सुंदरता के बल पर कई काम दूसरों से करवा लेती हैं. यह भी माना जाता है कि जो व्यक्ति सुंदर और आकर्षक होता है वह पैसे, रुतबे, शिक्षा और सामाजिक स्तर के मामले में दूसरों के मुकाबले काफी आगे होगा. 

लिजा स्लेटरी वौकर ने अपने शोध के आधार पर कहा है कि सुंदरता से शिक्षा के क्षेत्र में कई लाभ मिल जाते हैं, जैसे स्कूल, कालेज और यूनिवर्सिटी स्तर पर सुंदर दिखने वाले युवकयुवतियों को शिक्षक स्मार्ट और बुद्धिमान मानते हैं और उन्हें अच्छे नंबर दे देते हैं. इस से उन का आत्मविश्वास बढ़ता है और आगे चल कर खुद को साबित करने के ज्यादा मौके मिलते हैं. 

पुरानी है चाहत

पुराने जमाने में भी स्त्रीपुरुष सुंदर दिखना चाहते थे. खासतौर से युवतियां कुछ ऐतिहासिक तथ्यों के मुताबिक 18वीं सदी में चेहरे पर लगाने के लिए जिस पाउडर का इस्तेमाल करती थीं, उस में भारी मात्रा में गंधक और पारे का प्रयोग किया जाता था. इसी तरह 19वीं सदी की युवतियां व्हेल मछली की हड्डियों से बने जो आभूषण चेहरे पर सजाती थीं, उन से उन्हें सांस लेने में तकलीफ होती थी, लेकिन सुंदर दिखने के लिए वे यह तकलीफ उठाने को तैयार रहती थीं.

इस समय दुनिया में लोग सिर्फ क्रीमपाउडर लगा कर ही सुंदर नहीं हो रहे हैं बल्कि ब्यूटी पार्लर जा कर वे अपने चेहरे और हाथपांव यानी नखशिख तक को आकर्षक बनवाने का प्रयास करते हैं. इसी तरह मेकअप का मतलब अब सिर्फ चेहरे पर क्रीमपाउडर आदि लगाना नहीं रहा बल्कि पहने या लगाए जा सकने वाले ऐसे मैडिकल पौलिमर पैच आदि जैसे तरीके ढूंढ़े जा रहे हैं जिन से चेहरे की कमियों को लंबे समय तक छिपाया जा सके. मेकअप के ऐसे सामान बनाने की कोशिश हो रही है जो न सिर्फ खूबसूरती को तुरंत बढ़ाने में सहायक हो सकते हैं बल्कि त्वचा के लिए फायदेमंद भी साबित हो सकते हैं. वैज्ञानिक कह रहे हैं कि भविष्य में त्वचा की देखभाल करने वाले उत्पादों में पानी की भूमिका और भी बढ़ सकती है. 

दवाएं बनाएंगी सुंदर

आप सुंदर और सैक्सी दिखाई दें, इसलिए अरबों डौलर खर्च कर के दुनिया में कई प्रयोग हो रहे हैं और ऐसी दवाएं व तकनीक खोजी जा रही हैं जो इस काम में मददगार साबित हो सकें. अभी जिस तरह लोग बोटोक्स के इंजैक्शन लगवा कर अपने चेहरे का आकारप्रकार बदलवाते हैं, उसी प्रकार वैज्ञानिक अब अपीरियंस मैडिसिन कहलाने वाली अन्य दवाओं की खोज में जुटे हैं ताकि लोग दवाओं की बहुत सूक्ष्म मात्रा ले कर चेहरे के दोष दूर कर नाकहोंठ जैसे अंग सुधार सकें.

वैज्ञानिक भी अपनी प्रयोगशालाओं में आम इंसान की खूबसूरती बढ़ाने के लिए नुसखे तलाश रहे हैं. त्वचा की कोमलता बनाए रखने, मोटापा कम करने, कमर और पेट की चरबी पिघलाने, बाल उगाने  और अनचाहे बालों को हटाने के लिए नई दवाओं, क्रीमों और लेजर जैसी तकनीक की खोज की जा रही है. हम दिखने में सुंदर लगें, विज्ञान जगत इस के लिए ‘अपीरियंस मैडिसिन’ पर काम कर रहा है. ऐसी दवाओं का उद्देश्य चेहरे की झुर्रियां हटाना या उन्हें आने से रोकना है.

इस के अलावा त्वचा की रंगत सुधारने और होंठों की बनावट में चेहरे की सुंदरता के हिसाब से अंतर लाने वाली दवाओं और इंजैक्शन को अपीरियंस मैडिसिन की श्रेणी में गिना जाता है. कहा जा रहा है कि निकट भविष्य में क्रीमपाउडर से ज्यादा इस्तेमाल अपीरियंस मैडिसिन का होगा. खास बात यह होगी कि ऐसी दवाओं के साइड इफैक्ट्स भी न के बराबर होंगे.

ये दवाएं कौन सी होंगी, इस का एक उदाहरण फ्लोरिडा (अमेरिका) के जूपिटर में स्थित स्क्राइप्स रिसर्च इंस्टिट्यूट में वैज्ञानिकों द्वारा एसआर9009 नामक एक ऐसा तत्त्व विकसित करने से मिलता है जो व्यायाम कराने वाले सारे फायदे दिला सकता है. फिलहाल एसआर9009 का परीक्षण चूहों पर किया गया है. पाया गया है कि इस से चूहों की भोजन पचाने की क्षमता बढ़ गई और वे पहले की तुलना में ज्यादा सक्रिय हो गए.

इसी तरह की एक खोज न्यूयौर्क स्थित कोलंबिया यूनिवर्सिटी मैडिकल सैंटर में हुई है, जहां एटीएक्स101 नामक एक सिंथैटिक मौलिक्यूल बनाया गया है जो चेहरे की चरबी कम करते हुए लोगों को डबलचिन जैसी समस्याओं से छुटकारा दिला सकता है. शरीर में पहुंचने पर ये मौलेक्यूल त्वचा के नीचे मौजूद वसा को पिघलाने लगते हैं और उस वसा को शरीर में पहुंचा देते हैं ताकि वह ऊर्जा में बदल कर खत्म हो जाए. इंसानों में इस मौलिक्यूल के इस्तेमाल की भी अभी मंजूरी नहीं मिली है.

डीएनए और स्पेस तकनीक का इस्तेमाल

किसी व्यक्ति के चेहरे पर झुर्रियां न आएं और वह हमेशा जवान दिखे इस के लिए विज्ञान भी कोशिशें कर रहा है. अगर व्यक्ति बूढ़ा नहीं होगा, तो उस की सुंदरता भी बरकरार रह सकती है, इसलिए यह कोशिश डीएनए टैस्टिंग के जरिए की जा रही है. आस्ट्रेलिया में एक नए तरह का स्किन डीएनए टैस्ट विकसित किया गया है, जिस में किसी व्यक्ति के मुंह की लार के माध्यम से उस की उम्र बढ़ने की प्रक्रिया का अध्ययन किया जाता है. इस से यह पता चल सकता है कि किसी व्यक्ति में किस उम्र में जा कर चेहरे पर झुर्रियां पड़ सकती हैं और उस की त्वचा में कब रंग (पिगमैंटेशन) की समस्याएं बढ़ सकती हैं. इन तथ्यों को जान कर वह समय से इन का इलाज कर सकेगा.

भविष्य में डीएनए टैस्टिंग जैसी आधुनिक तकनीक ही लोगों को सुंदर बनाने में मददगार नहीं होगी बल्कि जिस स्पेस टैक्नोलौजी से अभी उपग्रह अंतरिक्ष में भेजे जा रहे हैं और बाहरी अंतरिक्ष में खोजबीन का काम हो रहा है, उसी तकनीक से लोगों को सजीलासुंदर बनाने के प्रयास भी हो रहे हैं. जैसे अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा बाह्य अंतरिक्ष में अपने सैटेलाइट्स से अंतरतारकीय धूल कण (स्टेलर डस्ट पार्टिकल्स) पकड़ने के लिए जिस लिपोफिलिप तकनीक का इस्तेमाल करती है, उसी तकनीक के जरिए, ऐसे अनोखे कंघे बनाए जा रहे हैं जो सिर का मैल खींचते हुए बालों की चमक कायम रख सकते हैं और उन के इस्तेमाल से रूखापन नहीं होता. कुछ सौंदर्य विज्ञानी व्यंग्य में कह रहे हैं कि यह खोज चंद्रमा पर इंसान के कदम पड़ने जितनी क्रांतिकारी नहीं है, लेकिन आम इंसान भी चंद्रमा जितना चमकदार कहां होता है.

मशीन का सहारा ले कर बनें आकर्षक

सुंदरता में चारचांद लगाने का काम ब्यूटी पार्लर में इंसान ही क्यों करे? अच्छा हो कि यह काम मशीनों के हवाले कर दिया जाए जिस से व्यक्ति जब चाहे, मशीन से खुद को सुंदर बनाने का आकलन करवा सके और फिर उस के मुताबिक सुधार करवा सके. इसी नजरिए से सऊदी अरब की तेल अवीव यूनिवर्सिटी के डेनियल कोहेन और उन की टीम ने एक ब्यूटी मशीन बनाई है, जो किसी व्यक्ति के चेहरे की नापतोल कर के बता सकती है कि उस के चेहरे में क्याक्या सुधार किए जाएं जिस से वह सुंदर दिख सके.

यह मशीन बनाने के लिए कोहेन ने इसराईली और जरमन लोगों के चेहरों का मिलान करते हुए 93 तरह के चेहरे बनाए. इन चेहरों की खूबियों को दर्ज करते हुए आकर्षण के बुनियादी सिद्धांत बनाए गए ताकि बेहतर और सुंदर चेहरों की एक निश्चित पहचान बनाई जा सके. मशीन से चेहरे में किए जाने वाले सुधारों की जानकारी ले कर प्लास्टिक सर्जन वैसे ही बदलाव सर्जरी के माध्यम से कर सकते हैं और कोई भी व्यक्ति सुंदर दिख सकता है.

शस्त्रों की होड़ में पिसती शांति

संयुक्त राष्ट्र संघ की बच्चों के उत्थान के लिए काम करने वाली एजेंसी यूनिसेफ यानी यूनाइटेड नेशंस चिल्ड्रैंस फंड का आकलन है कि अगर मौजूदा हालात ऐसे ही रहे तो इस साल 80 हजार बच्चों पर मौत का साया मंडरा रहा है.

यूनिसेफ ने यह आकलन नाइजीरिया के मौजूदा परिदृश्य को देखते हुए लगाया है. उस के मुताबिक, नौर्थईस्ट नाइजीरिया में इस साल 5 लाख बच्चों को भुखमरी का सामना करना पड़ सकता है. वहीं, बोको हराम की वजह से पैदा हुए मानवीय संकट के कारण 80 हजार बच्चों को अगर इलाज की सुविधा नहीं मिली तो उन की मौत हो सकती है. इस तरह, अकेले नाइजीरिया में ही हजारों बच्चों का भविष्य अधर में है.

वहीं, दूसरी ओर सीरिया के अलेप्पो में राष्ट्रपति बशर अल असद की सेनाओं ने शहर के ज्यादातर हिस्से पर कब्जा कर लिया है. ऐेसे में अलेप्पो के पूर्वी हिस्से में विद्रोहियों के कब्जे वाले छोटे से इलाके में फंसे लोगों ने भावुक अंतिम संदेश भेजे हैं. सीरियाई सेना की तेज बमबारी के बीच इन लोगों ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से मदद की अपील की. अपने ट्वीट में कार्यकर्ता लीना ने लिखा कि पूरी दुनिया के लोगों, सोना मत. आप कुछ कर सकते हो. प्रदर्शन करो, यहां के नरसंहार को रोको.

अपने वीडियो संदेश में लीना ने कहा कि घेराबंदी में फंसे अलेप्पो में नरसंहार हो रहा है. यह मेरा अंतिम वीडियो हो सकता है. असद के खिलाफ विद्रोह करने वाले 50 हजार से अधिक लोगों पर नरसंहार का खतरा है. लोग बमबारी में मारे जा रहे हैं. अलेप्पो को बचाओ, इंसानियत को बचाओ. कई संदेशों में उम्मीद खत्म होती दिखती है.

एक वीडियो में एक व्यक्ति कह रहा है कि हम बातचीत से थक गए हैं. कोई हमारी नहीं सुन रहा है. वह देखो, बैरल बम गिर रहा है. यह वीडियो बम गिरने की आवाज के साथ खत्म होता है. सुबह उठा एक व्यक्ति लिखता है, ‘क्या मैं अभी जिंदा हूं?’

भारत व पाकिस्तान के बीच वर्ष 1971 में हुए युद्घ में 16 दिसंबर को भारतीय सेना ने दुश्मन के 93 हजार सैनिकों को, आत्मसमर्पण कराने के बाद, बंदी बना लिया था. बंदी बनाए गए इन सैनिकों की, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो के अडि़यल रवैए के कारण, ढाई वर्ष तक भारत को मजबूरी में मेहमाननवाजी करनी पड़ी. एक जिद्दी प्रधानमंत्री के कारण हजारों सैनिकों तथा उन के परिवारजनों को कष्ट झेलना पड़ा. भारत को भी उन की सुरक्षा तथा खानेपीने के लिए भारी खर्च करना पड़ा.

पिछले 20 सालों से चल रहे प्रोजैक्ट का नतीजा है कि भारत ने इंटरकौंटिनैंटल बैलिस्टिक मिसाइल का 5वां टैस्ट सफलतापूर्वक कर लिया है. अग्नि-5 मिसाइल एटमी हथियार ले जाने की क्षमता रखती है तथा 5,500 किलोमीटर तक मार कर सकती है. चीन भी इस की जद में है. मिसाइल का चौथा टैस्ट जनवरी 2015 में किया गया था. रक्षा मामलों में होने वाले खर्च में भारत ने रूस को पछाड़ा. पहले नंबर पर अमेरिका, दूसरे पर चीन, तीसरे स्थान पर ब्रिटेन, चौथे पर भारत तथा 5वें स्थान पर रूस है.

रिपोर्ट का एक अहम पहलू यह है कि इस के मुताबिक, वर्ष 2018 में ब्रिटेन को पछाड़ते हुए भारत सूची में तीसरे स्थान पर पहुंच जाएगा, क्योंकि पिछली सरकारों ने इस कार्यक्रम पर बहुत पैसा खर्च किया था.

लेकिन व्यापक विनाश के हथियार आतंकियों के हाथों न पड़ें, इस मुद्दे को भारत ने यूएन सिक्योरिटी काउंसिल में जोरदार तरीके से उठाया है. विश्व की शांति की सब से बड़ी संस्था संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत के प्रतिनिधि तन्मय लाल ने कहा कि विनाशकारी हथियार को आतंकियों के हाथ में पहुंचने से रोकने के लिए हुआ समझौता देशों की सरकारों को जल्द से जल्द स्वीकार करना चाहिए.

पाकिस्तान की सेना के संरक्षण में वहीं रह रहे आतंकवादी हाफिज सईद ने अपने योग्य व तेजतर्रार छात्रों से दूसरे देशों के न्यूक्लियर शोध संस्थानों में दाखिला लेने की अपील की है. यह दुनिया के लिए चिंता का विषय है. आतंकवादियों का विभिन्न नागरिकताओं का कौकेटेल बड़ी तादाद में अलगअलग देशों में नुकसान पहुंचाने की घातक योजना बना रहा है. अपनी सुविधा व सुरक्षा के लिए किए तकनीकी विकास द्वारा मानव ने, नासमझी से, दुनिया को ही खत्म करने के सारे इंतजाम कर लिए हैं.

क्यूबा देश ने चेक रिपब्लिक देश का कर्ज चुकाने के लिए अनोखा औफर दिया है. शीतयुद्घ के दौरान लिए गए कर्ज को उतारने के लिए उस ने रुपए की जगह रम शराब देने की पेशकश की है.

चेक रिपब्लिक के वित्त मंत्रालय ने बताया कि क्यूबा सरकार की ओर से 18 अरब रुपयों (222 मिलियन पाउंड) का कर्ज शराब के रूप में चुकाने का प्रस्ताव रखा गया है. क्यूबा ने कहा है कि वह रुपयों के बदले उतने ही मूल्य की रम शराब देगा और किस्तों में कर्ज चुकाएगा. अगर चेक रिपब्लिक क्यूबा के इस प्रस्ताव को मान लेता है तो उस के पास इतनी रम शराब जमा हो जाएगी जो शायद आने वाले 100 साल में भी खत्म न हो.

युद्ध के नाम पर कर्ज

इस तरह के मामले दिखाते हैं कि कुछ देशों की अर्थव्यवस्था शराब, अफीम तथा घातक हथियारों के वृहद उत्पादन पर निर्भर होती जा रही है. क्यूबा ने यह कर्ज शीतयुद्घ के दौरान अपने शत्रु अमेरिका को डराने के लिए हथियार खरीदने के लिए लिया था. इन देशों की युद्घ के नाम पर अपने नागरिकों को कर्जे में लादने तथा किसी भी तरीके से अपनी तथा अपने नागरिकों की आय बढ़ाने की नीयत खोटी है. यह नीति शराबखोरी, नशाखोरी तथा घातक शस्त्रों की होड़ को बढ़ा रही है.

साउथ चाइना सी में चीन अति आधुनिक तथा मारक मिसाइलें तैनात कर रहा है. सैटेलाइट से ली गई तसवीरें इस सत्य को दुनिया के सामने उजागर कर रही हैं. चीन ने अपने मिलिटरी पावर का प्रदर्शन करने के लिए वहां पर जोरदार युद्घ अभ्यास भी किया है. साउथ चाइना सी के द्वीपों को ले कर दक्षिणपूर्व एशिया के अन्य देश भी अपना अधिकार व्यक्त कर चुके हैं. और वे भी चीन से मुकाबले को तैयार हैं. चीन की प्रभावी क्षेत्र विस्तार की नीति पूरे विश्व के लिए खतरा बन गई है. अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ताईवान से बातचीत करने पर बीजिंग ने अमेरिका को धमकी दे डाली है. सीमा विवाद को ले कर भारत का चीन के साथ हमेशा तनाव बना रहता है.

विश्व के अनेक गरीब देश शिक्षा की दयनीय हालत से जूझ रहे हैं. सरकारों को जो पैसा शिक्षा जैसे सब से महत्त्वपूर्ण कार्य पर खर्च करना चाहिए, विश्व में शक्तिशाली देशों की गलत नीतियों तथा शोषण की प्रवृत्ति के कारण गरीब तथा छोटे देशों को अपने रक्षा बजट पर खर्च करना पड़ रहा है. बड़े देश घातक तथा अधिक मारक शस्त्रों का निर्माण कर के उस की बिक्री बढ़ाने के लिए नएनए हथकंडे अपनाते हैं. विश्व के सभी छोटेबड़े देशों का रक्षा बजट प्रतिवर्ष बढ़ता जा रहा है.

कभी आप ने सोचा है कि देश की अर्थव्यवस्था अगर बहुत बुरी हालत में चली जाए या फिर आप कंगाल हो गए, तो क्या करेंगे? नौर्वे में एक प्रथा है कि स्कूली पढ़ाई खत्म होने पर लगभग 18 वर्ष की उम्र में लोग बहुत कम पैसों के साथ बच्चों को अफ्रीका भेज देते हैं. वहां कोई होटल बुकिंग नहीं होती. कोई साथी नहीं होता. वे टैंट वगैरा में रेगिस्तान में रहते हैं, कुछ भी खातेपीते हैं. इस बीच, वे कई चीजें सीखते हैं, जीवन का मूल्य समझते हैं.

इस प्रकार नौर्वे के बच्चे विश्व में बढ़ते शरणार्थियों को गाली नहीं देते, क्योंकि वे उन का कठिन जीवन देख चुके होते हैं. गरीबी का दर्द गरीब व्यक्ति ही बेहतर तरीके से समझ सकता है. नौर्वे ने चांद तथा मंगल पर अपने रौकेट नहीं भेजे लेकिन वह देश विश्व में अपने वृद्घों को सभी प्रकार की सुविधाएं देने में सब से आगे है.

विश्व के सभी देशों के नीतिनिर्माताओं को नौर्वे से अच्छी सीख ले कर उसे अपने देश में भी अपनाना चाहिए. हमें 100 वर्षों की दीर्घकालीन योजनाएं बनाने से पहले अपने देशप्रदेश के सब से अंतिम व्यक्ति के हित को ध्यान में रख कर विकास की योजनाएं बनानी चाहिए, न कि सब से घातक शस्त्र बनाने की होड़ में पड़ने के और झूठे राष्ट्रवाद व देशभक्ति के नारे लगाने के.

– प्रदीप कुमार सिंह ‘पाल’

निर्माताओं ने लगाई मीडिया पर पाबंदी

आपको हमेशा आपके पसंदीदा सीरियल के बारे में टेलीविजन पर कुछ न कुछ जानकारी मिलती ही रहती है. बहुत से सीरियल के सेट पर जाकर मीडिया आपको आपके पसंदीदा टीवी कलाकारों के बारे में और सीरियल से जुड़ी मजेदार-मजेदार बातें बताते रहते हैं.

कुछ समय पहले टेलीविजन जगत की बड़ी निर्देशक एकता कपूर ने अपने सीरियल्स के सेट पर मीडिया के लोगों के आने पर रोक लगा दी थी, अब इनके बाद सेट पर मीडिया को बैन करने वालों की सूची में एक और नाम शामिल हो गया है.

इस बार बारी है टेलीविजन की निर्देशक गुल खान की, उन्होंने अपने शो ‘इश्कबाज’ के सेट पर मीडिया के आने पर रोक लगा दी है. इस शो की निर्माता टीम में शामिल गुल खान का कहना है कि ये खबर सच है. उनके अनुसार बहुत से मीडिया वाले अपने काम और मार्गदर्शन के चलते अपने साथ सेट से कुछ-कुछ फुटेज ले जाते रहते हैं और इनसे ही संबंधित कुछ घटनाओं की वजह से हमें ये कदम उठाना पड़ा.

पिछले दिनों मीडिया में इस धारावाहिक के आने वाले एपिसोड का खुलासा पहले से ही कर दिया गया, जिसके चलते इसके निर्माताओं ने शूटिंग सैट पर मीडिया के आने पर रोक लगा दी है. 
आपको बता दें कि इससे पहले पिछले ही दिनों एकता कपूर ने भी यही फैसला लिया था. एकता कपूर के बाद मीडिया पर बैन लगाने वाला ये दूसरा प्रोडक्शन हाउस है.

जैसा कि लोगों को अपने पसंदीदा सीरियल के बारे में कोई न कोई जानकारी मीडिया के जरिये मिल जाती थी, लेकिन अब इस फैसले के बाद सीरियल के प्रशंसक काफी निराश होंगे. 

टीवी पर इश्कबाज सीरियल के प्रशंसक काफी ज्यादा हैं. इस सीरियल को लोग काफी पसंद कर रहे हैं. ये सीरियल टीवी टीआरपी रेटिंग में काफी आगे भी है. कई अन्य धारावाहिकों के सेट पर मीडिया के बैन होने के बाद से इश्कबाज को काफी लोकप्रियता मिली थी.

इस शो के निर्माताओं ने ये फैसला इसलिए लिया ताकि सीरियल का अहम भाग प्रसारित होने से पहले लीक न हो सके, क्योंकि ऐसा होता है तो इससे शो की टीआरपी पर काफी असर पड़ता है. अब इस बारे में लोगों का क्या रिएक्शन रहता है ये देखना दिलचस्प है. देखते हैं कि क्या लोग इस शो के निर्माताओं के इस कड़े फैसले को सही मानेंगे या नहीं.

बर्थडे स्पेशल : आमिर की इन 6 फिल्मों को जरूर देखें

हिंदी सिनेमा जगत की मशहूर खान तिकड़ी में से एक आमिर खान अपने संजीदा अभिनय और सादगी भरे जीवन के लिए जाने जाते हैं. अंग्रेजी में कहावत है- “एक्शन स्पीक्स लाउडर दैन वर्डस” यानी बातों की बजाय आपका काम आपके बारे में सब कुछ बयां करता है. यह बात ‘मिस्टर परफेक्शनिस्ट’ आमिर पर एकदम सटीक बैठती है.

14 मार्च 1965 को जन्मे आमिर आज 52 साल के हो गए हैं. करियर के शुरुआती दौर में अपनी चॉकलेटी छवि से लाखों लड़कियों के दिलों पर राज करने वाले आमिर का एक खास टशन है और वह यह कि वह साल में एक फिल्म ही करते हैं. इसके बावजूद उनकी हर फिल्म का प्रशंसकों को बेसब्री से इंतजार रहता है. भारत सरकार के ‘अतुल्य भारत’ अभियान से देश की छवि को सशक्त कर चुके आमिर पिछले दिनों असहिष्णुता पर अपने बयान के चलते विवादों में रहे.

आमिर अभिनय के साथ फिल्म निर्माण और निर्देशन में भी छाप छोड़ चुके हैं. वह अपनी बात बेबाकी से रखते हैं, जो कम ही लोगों में देखने को मिलता है. वह आज सफलता की जिन ऊंचाइयों पर हैं, वहां पहुंचना उनके लिए आसान नहीं रहा. हालांकि, आमिर की पारिवारिक पृष्ठभूमि फिल्म उद्योग जगत से जुड़ी हुई है. उनके पिता ताहिर हुसैन फिल्म निर्माता और चाचा ताहिर हुसैन अभिनेता, निर्माता और निर्देशक रह चुके हैं.

आमिर ने 1973 में फिल्म ‘यादों की बारात’ में बाल कलाकार के रूप में अभिनय के क्षेत्र में कदम रखा. उसके बाद ‘होली’ (1984) से अभिनेता के तौर पर अपने करियर का आगाज किया. उन्हें ‘कयामत से कयामत तक'(1988) से विशेष कामयाबी मिली. इस फिल्म के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ नवोदित कलाकार का अवॉर्ड मिला.

1996 में ‘राजा हिंदुस्तानी’ आमिर के करियर की सबसे बड़ी हिट फिल्म मानी जाती है. इस फिल्म के लिए आमिर को आठ नामांकनों के बाद सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पहला फिल्मफेयर पुरस्कार मिला.

‘दिल’, ‘दिल है कि मानता नहीं’, ‘जो जीता वही सिकंदर’, ‘हम हैं राही प्यार के’, ‘अंदाज अपना अपना’, ‘अकेले हम अकेले तुम’, ‘राजा हिंदुस्तानी’, ‘इश्क’, ‘गुलाम’, ‘सरफरोश’, ‘मन’, ‘अर्थ’, ‘मेला’, ‘लगान’, ‘दिल चाहता है’, ‘मंगल पांडे: द राइजिंग’, ‘रंग दे बसंती’, ‘फना’, ‘तारे जमीं पर’, ‘गजनी’, ‘थ्री इडियट्स’, ‘धोबीघाट’, ‘तलाश: द आंसर लाइज वीदिन’, ‘धूम 3’ ‘पीके’ और ‘दंगल’ जैसी फिल्में उनके सशक्त अभिनय का प्रमाण हैं.

आमिर ने 2001 में ‘आमिर खान प्रोडक्शन्स’ नाम से फिल्म निर्माण कंपनी की शुरुआत की. उन्होंने इसके बैनर तले ‘लगान’ फिल्म बनाई. इसका निर्देशन भी उन्होंने ही किया. ‘लगान’ को सर्वश्रेष्ठ विदेशी भाषा फिल्म के लिए 74वें अकादमी पुरस्कार में भारत की ओर से चुना गया था. इसके बाद 2007 में उन्होंने अपने प्रोडक्शन की दूसरी फिल्म ‘तारे जमीन पर’ बनाई. इसके बाद ‘जाने तू या जाने ना’, ‘पीपली लाइव’, ‘धोबी घाट’, ‘डेल्ही बैली’ और ‘तलाश’ आमिर के ही प्रोडक्शन हाउस से ही हैं, जिन्होंने अच्छा कारोबार किया.

2012 में आमिर ने टेलीविजन शो ‘सत्यमेव जयते’ के साथ छोटे पर्दे का रुख किया. उन्होंने इस शो के माध्यम से देश के सामाजिक मुद्दों को बहुत ही गहराई से जनता के समक्ष रखा.

आमिर ने कुछ वर्ष पूर्व एक बयान में कहा था कि वह कर्म में विश्वास रखते हैं और फल की चिंता नहीं करते. उन्होंने 2009 में लंदन के प्रख्यात मैडम तुसाद संग्रहालय में अपनी मोम की प्रतिमा बनवाने से यह कहते हुए इनकार कर दिया था कि जिन कार्यो में उनकी रूचि नहीं है, वह उसे करने में विश्वास नहीं रखते. आमिर ने हिंदी फिल्म उद्योग जगत पुरस्कार समारोहों में उचित पारदर्शिता नहीं बरतने के मद्देजनर इन समारोहों से दूरी बना रखी है.

आमतौर पर विवादों से दूर रहने वाले आमिर उस समय विवादों में फंस गए, जब उन्होंने देश में असहिष्णुता के मुद्दे पर अपनी बात मीडिया से साझा की जिसके बाद उन्हें कड़ी आलोचना झेलनी पड़ी. हालांकि, आमिर ने मीडिया के समक्ष अपना रुख स्पष्ट करते हुए भारत को सहिष्णु राष्ट्र बताया.

आमिर ने 1986 में ही रूढ़िवादी मान्यताओं को दरकिनार करते हुए रीना दत्ता से विवाह किया, लेकिन 2002 में उनका तलाक हो गया. 2005 में आमिर ने किरण से शादी कर ली. दोनों का सेरोगेसी प्रक्रिया से एक बेटा भी है, जिसका नाम आमिर ने आजाद राव खान रखा है.

आमिर को 2003 में पद्मश्री और 2010 में पद्मभूषण से नवाजा गया. उन्हें भारतीय सिनेमा और मनोरंजन उद्योग में अपने अभूतपूर्व योगदान के लिए मौलाना आजाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय (एमएएनयूयू) से डॉक्टरेट की मानद उपाधि से नवाजा जा चुका है.

आमिर खान अभिनीत इन फिल्मों को जरूर देखना चाहिए.

दंगल

फिल्म एक रेसलिंग ड्रामा है. इसमें रेसलर महावीर फोगाट की बेटियां गीता और बबिता के रेसलर बनने की कहानी को दिखाया गया है.

तारे जमीन पर

‘तारे जमीन पर’ एक ऐसे बच्चे की कहानी थी जो डिस्लेक्सिया की बीमारी से संघर्ष कर रहा है. इस फिल्म में दिखाने की कोशि‍श की गई है कि हर बच्चा खास है.

थ्री इडियट्स

फिल्म ‘थ्री इडियट्स’ एक बार फिर अपने सपनों को पूरा करने का हौसला देती है.

रंग दे बंसती

‘रंग दे बंसती’ कॉलेज से निकलें उन युवाओं की कहानी थी जो देश के तौर तरीकों से खफा थें. ये कहानी युवाओं के अंदर के जोश और सिस्टम से लड़ने को जज्बे को दिखाने की कोशि‍श करती है.

पीके

आमिर खान की फिल्म ‘पीके’ को लेकर काफी कंट्रोवर्सिज हुईं क्योंकि इस फिल्म में मानवता को धर्म से बड़ा बताया गया था.

पीपली लाइव

आमिर की ‘पीपली लाइव’ किसानों की आत्महत्या पर सरकार और मीडिया के रवैये को दिखाती कहानी है.

तो त्वचा रहेगी हरदम जवां

उम्र बढ़ने पर उसका प्रभाव आपके शरीर पर साफ तौर पर दिखने लगता है और यह बात तो आपको मालूम है कि लोग इससे बचने के लिए महंगी- महंगी क्रीम, देशी नुस्खे और कई तरह के ब्यूटी ट्रीटमेंट का सहारा लेते हैं.

यह सारी मेहमत आप अपने चेहरे पर पड़ी झुर्रियों को छुपाने के लिए ही करते हैं. अब आप अपने जीवन में सालों को बढ़ने से रोकने के लिए तो कुछ नहीं कर सकते हैं लेकिन इसे दिखने से रोक जरूर सकते हैं.

क्या आप जानते हैं कि एक फिट और सही दिनचर्या की वजह से आप अपनी उम्र को बढ़ने से रोक सकते हैं. नियमित तौर पर व्यायाम को करने से आपको फिट रहने में मदद मिलती है. एक उचित दिनचर्या की मदद से आप बीमारियों की चपेट में भी नहीं आएंगे. आपका स्टैमिना और शरीर की ताकत बढ़ने के साथ-साथ ही मांसपेशियां भी मजबूत बनेंगी.

नियमित व्यायाम करने से आप अपनी उम्र से कम नजर आते हैं. यहां हम आपको कुछ वर्कआउट बता रहे हैं जिनकी मदद से आप हर दम जवान नजर आएंगे.

योगा- योगा किसी विशेष बीमारी पर ही नहीं आपके पूरे शरीर पर समान तौर से असर करता है. कई विशेषज्ञ बताते हैं कि योगा से आप ज्यादा और लंबे समय तक युवा दिखते हैं. कुछ विशेष आसनों को अपनाकर आप चेहरे की झुर्रियों से भी निजात पा सकते हैं.

आमतौर पर महिलाएं वेट लिफ्टिंग नहीं कपती हैं, पर हम आपको यहां बताना चाहते हैं कि अगर आपको अपनी हड्डियां मजबूत रखनी हैं तो आपको ऐसा करना ही होगा.

बहुत से मेडिकल और फिटनेस एक्सपर्ट्स का मानना यही है कि इससे ऑस्टियोपोरोसिस जैसे कई समस्याओं से छुटकारा मिलता है. हालांकि ऐसा किसी की देखरेख में ही करना उचित होता है.

स्कवाएट्स– स्कवाएट्स का मुख्य उद्देश्य आपकी मांसपेशियों को मजबूत बनाना होता है. इससे ना केवल आपके शरीर से कैलोरीज बर्न होती हैं बल्कि आपके हाथ-पैर भी मजबूत बनते हैं.

चलना– कई शोधों से यह बात साबित हो चुकी है कि चलने से डिमेंशिया का खतरा एक तिहाई तक कम हो जाता है. यह आपके चेहरे की झुर्रियों को कम करने के साथ-साथ आपके दिल के स्वास्थ्य को भी सुधारता है.

कंपाउंड मूवमेंट– कई फिटनेस इंस्ट्रक्टर्स के अनुसार कंपाउंड मूव्स आपके शरीर के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं. यह आपको कम समय में बेहतर वर्कआउट करने का मौका देते हैं और आप हमेशा जवान नजर आते हैं.

इन फ्लॉप अभिनेताओं ने अपनाया दूसरा करियर

फिल्म जगत की यह एक बहुत बड़ी सच्चाई है कि यहां आना तो आसान है लेकिन यहां हिट होना और नाम कमाना उतना ही मुश्किल है. बॉलीवुड में कुछ ऐसे ही कलाकार हैं जिनको अपने बॉलीवुड करियर में सफलता नहीं मिली और इसी के चलते उन्हें अपने दूसरे करियर की शुरुआत करनी पड़ी.

ट्विंकल खन्ना

सुपर स्टार राजेश खन्ना की बेटी और फिल्म इंडस्ट्री के खिलाड़ी कुमार की पत्नी ट्विंकल खन्ना ने अपने फिल्मी करियर में बहुत सी फ्लॉप फिल्में की 2001 में टविंकल की आखिरी फिल्म आयी थी “लव के लिए कुछ भी करेगा” इसके बाद ट्विंकल ने बॉलीवुड को अलविदा कर दिया. ट्विंकल खन्ना वर्तमान में लेखक और बतौर डिजाइनर काम कर रही हैं.

साहिल खान

2010 में आयी फिल्म “रामा द शेवियर” में आयी फिल्म साहिल की आखिरी फिल्म थी साहिल ने 2002 में अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की थी. लेकिन साहिल को फिल्मों से कोई खास सफलता हासिल नहीं हुई और साहिल फिल्मों से दूर हो गए. इसके बाद साहिल ने गोवा में जाकर जिम खोला और जिम ट्रेनर बन गए.

मंदाकिनी

“राम तेरी गंगा मैली” फिल्म से शुख्रीयों में आयी अभिनेत्री मंदाकिनी ने 1996 में ही बॉलीवुड को अलविदा कर दिया था. मंदाकिनी को बॉलीवुड में फिल्म “जिरदार” में आखिरी बार देखा गया था. वर्तमान में मंदाकिनी मुम्बई में तिब्बती योग सिखाती हैं.

डिनो मोरिया

फिल्म राज में बिपाशा के साथ काम करने वाले डिने मोरिया ने 2010 में फिल्म “प्यार इम्पोशिबल” में आखिरी बार नजर आए थे. अब डिनो मोरिया मुम्बई में हॉटल और रेस्टॉरेंट चला रहे हैं.

किम शर्मा

फिल्म “मोहब्बतें” और “तुमसे अच्छा कौन है” में नजर आयी किम शर्मा का नाम एक समय में क्रिकेटर युवराज सिंह के साथ भी जोड़ा गया था. उस समय किम शर्मा शुख्रियों में आयी थी. लेकिन किम शर्मा को फिल्में मिलना बंद हो गई और उन्होंने शादी कर ली. अब वे लायसन नाम का एक ब्राइडल ब्रुमिंग स्टूडियो चला रहीं हैं.

ईशा देओल

हेमा मालिनी की बेटी ईशा देओल को आखिरी बार 2006 में फिल्म “धूम” में देखा गया था. इसके बाद ईशा को फिल्मों में कोई खास कामयाबी नहीं मिल पाई. 2012 में ईशा ने बिजनेसमेन भारत तखतानी के साथ शादी कर ली. अब ईशा अपने पति के बिजनेस में उनका हाथ बटाती हैं.

इस हीरोइन के चक्कर में फैंस को खाने पड़े थे डंडे

80 और 90 के दशक में फिल्म इंडस्ट्री में कई चर्चित चेहरे थे और उस वक्त एक ऐसा चेहरा फिल्मों में आया जिसके चेहरे की मासूमियत और झील सी गहरी आंखों ने लोगों के दिलों को छू लिया. ये चेहरा कोई और नहीं साधना सिंह थीं, जिन्होंने राजश्री प्रोडक्शनंस की फिल्म ‘नदिया के पार’ से अपना डेब्यू किया.

पहली ही फिल्म ने साधना को स्टार बना दिया और बड़ी हीरोइनों की लीग में ला खड़ा किया. इस फिल्म के बाद जहां साधना के पास फिल्मों की बौछार शुरु हो गईं तो वहीं दूसरी तरफ उनके फैंस की फेहरिस्त भी बढ़ती चली गई.

धीरे-धीरे साधना सिंह की लोकप्रियता इस मुकाम पर पहुंच गई कि लोग उनसे मिलने के लिए लाइन लगाकर खड़े रहते. कई बार तो ऐसा हुआ कि साधना से मिलने के चक्कर में लोगों को पुलिस की मार भी खानी पड़ी. बावजूद इसके अपनी हीरोइन के लिए उनका प्यार कम नहीं हुआ.

साधना की लोकप्रियता को देखते हुए उन्हें कड़ी सुरक्षा दी जाती. आमतौर पर जहां फिल्मी सितारों के साथ बॉडीगार्ड चलते हैं, वहीं साधना सिंह के लिए बाकायदा पुलिस की कड़ी सुरक्षा का बंदोबस्त किया जाता. कुल मिलाकर साधना सिंह ने अपने चंद सालों के फिल्मी करियर पर अपार सफलता देखी.

वैडिंग टूरिज्म का बढ़ता बाजार

भारत में वैडिंग टूरिज्म का व्यवसाय तेजी से बढ़ रहा है. वैडिंग टूरिज्म का अर्थ है विदेशियों का भारत में होने वाले विवाह समारोहों में शिरकत करना. इस तरह विदेशी न केवल भारतीय परिवेश व संस्कृति से रूबरू होते हैं, बल्कि देश को विदेशियों से अच्छी कमाई भी होती है. हाल ही में दिल्ली में हुई एक शादी में विदेशों से आए 10-15 युवा छात्र-छात्राएं मेजबानों के आकर्षण का केंद्र बने हुए थे.

ये अलगअलग देशों से आए थे पर शादी के रस्मोरिवाज में एक जैसी रुचि ले रहे थे. शेरवानी कुर्ते, चूड़ीदार कुर्ते में सजे लड़के और चमकीले सलवार सूट और लाचाशरारा ड्रैस पहने विदेशी लड़कियां आकर्षण व उत्सुकता का केंद्र बनी हुई थीं. इन की सक्रिय प्रतिभागिता ने स्टेटस कौंशस वाले व अपनेआप में सिमटे रहने वाले लोगों की आंखों में भी उत्सुकता पैदा कर दी थी.

बदल रहा है सिनैरियो

शादी में भाग लेने आई एक विदेशी लड़की कहती है, ‘‘पहले एशियाई देशों की छवि शांत व अहिंसक देशों की थी पर अब (यहां) घटते जीवन मूल्यों, बढ़ते आतंकवाद व हिंसा ने विदेशों में यहां की छवि काफी नकारात्मक बना दी, इस के चलते सुरक्षा हमारी पहली शर्त हो गई है. ऐसी स्थिति में इस तरह के मौकों पर आने से हमारे घर वाले भी बहुत सुरक्षित तथा आश्वस्त अनुभव नहीं कर रहे थे. पर मैं ने ऐसा कुछ नहीं महसूस किया जैसा अकसर भारत के बारे में कहा जाता था.’’

एक और लड़की कहती है, ‘‘हम गुजरात के भावनगर में इस शादी में आ कर इसलिए भी खुश हैं कि यहां हम, लोगों के साथ हैं, अकेले नहीं घूम रहे हैं. हम ने 15 दिन में अनेक स्थान देखे. दिल्ली उतर कर हम ने 6 दिन में पहले राजस्थान घूमा, फिर गुजरात आ गए. 3 दिन शादी एंजौय की. 3-4 दिन गुजरात के विभिन्न स्थानों पर घूमने के बाद फिर 1 दिन आगरा और आखिर के 2 दिन दिल्ली घूम कर हम फिर अपने देश स्विट्जरलैंड वापस चले जाएंगे.

‘‘शादी में भारत आने पर भारत के प्रति हम विदेशियों की जो सोच थी वह एकदम बदल गई और हम बहुत सुखद स्मृतियां ले कर वापस जा रहे हैं. इतना अपनापन भारत में हमें मिलेगा, ऐसा हम ने कभी सोचा न था.’’ रोमानिया से दिल्ली पढ़ने आई कैटरीना कहती है, ‘‘भारत के लोगों व देश की छवि के बारे में अपनी आंखों से देख कर बहुत खुश हूं. मैं यहां हर चीज में विविधता पाती हूं.

इतनी विविधता और कहीं नहीं दिखती.’’ कैटरीना कंप्यूटरबायोलौजी में पीएचडी कर रही है. वह आगे कहती है, ‘‘मुझे भारत आ कर पढ़ाई की थकान उतारने में बहुत मदद मिली है. मैं यहां मिले लोगों के प्यार, स्नेह व आत्मीयता से बहुत खुश हूं.’’यह पूछने पर कि आप और लोगों की तरह यहां की नकारात्मकता से वाकिफ हैं, कैटरीना कहती है, ‘‘जी हां, फिर भी मैं कहना चाहूंगी कि जितने जाति, धर्म, संप्रदाय के लोग भारत में मिल कर रहते हैं वैसे दुनिया के किसी भी देश में नहीं रह सकते. यहां के लोग बहुत मिलनसार व जोशीले हैं.’’

सस्ता है यह टूरिज्म

विदेश से पीएचडी कर के आए आयुष की शादी में उस के कई दोस्त आए. आयुष कहते हैं, ‘‘विदेश में रहना बहुत खर्चीला है पर मेरे इन दोस्तों के कारण मुझे बहुत मदद मिली. मैं स्कौलरशिप से ही अपना खर्च खुशीखुशी निकाल सका. मैं अपने मातापिता पर भी बोझ न बना और मुझे एजुकेशन लोन भी न लेना पड़ा. दोस्तों को री पे करने की आंतरिक इच्छा से मैं ने इन का 8 दिन का स्टे अरेंज किया.

ये घरों में रह कर खुश हैं. इस तरह ये भी किसी पर बोझ बने बिना आसानी से विदेश भ्रमण कर सके. इन्होंने मेरे और भाईबहनों की शादी में आने की भी इच्छा जताई है, साथ ही शर्त रखी है कि ठहरने आदि का इंतजाम वे खुद करेंगे. मैं इन के व्यवहार से बहुत खुश हूं.’’ शादी में आया एक और मेहमान जोड़ा कहता है, ‘‘हम लोग सोचते हैं कि बस, हम ही बचत या खर्चे की सोचते हैं परंतु ये बात विदेशियों से बात कर के ज्यादा अच्छी तरह सीख सके कि खर्च करना कितना आसान हो जाता है जब आप नियमित बचत की आदत डालते हैं.’’

भारतीय शादी में भाग ले चुकी विदेशी छात्रा कहती है, ‘‘मैं शादी के खानपान से काफी कुछ जान सकी हूं वरना रेस्तरां में इस नए खानपान का पता नहीं चल पाता. कम खर्च में ही हम शादी के कारण 30-40 नई डिशेज का आनंद उठा सके हैं.’’

आईना भी दिखाती है

आईआईटी के प्रोफैसर सुधीर की बेटी ने विदेशी युवक से शादी की. उस शादी में लेखिका ने स्वयं देखा कि विदेशी दूल्हा अपनी मां व अपने अन्य विदेशी दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ रिकशे में बैठ कर बाजेगाजे के साथ बरात ले कर विवाहस्थल पर आया. दूल्हे की मां ने लेखिका को बताया कि हम इस तरह किसी और से शादी के लिए खर्च नहीं करवाना चाहते. हम ने इतना भी करने को मना किया. वैसे भारत के हिसाब से यह शादी काफी सादगीपूर्ण थी. दूल्हे का कहना था कि उस ने किसी पर भी शादी में आने का दबाव नहीं डाला. जो आया है वह अपनी मरजी व खुशी से आया है. हम अपनी ओर से डिनर करें, यह हमें अच्छा लगा पर यह बुरा लगा कि आप के यहां कई लड़की वाले लड़के वालों के यहां खाते नहीं. खुशी के मौके बारबार नहीं आते.

खर्च पर तौबातौबा

गुड़गांव के एक फार्महाउस में हुई एक शादी में आए कुछ विदेशी मेहमान कहते हैं, ‘‘हम यहां आ कर दंग हैं. यहां लगता है जैसे इस देश में गरीबी है ही नहीं. लोग अपने जीवन की मेहनत से अर्जित कमाई किस कदर फूंक रहे हैं. भारतीय दिखावे के इतने शौकीन हैं, यह जान कर बहुत धक्का लगा. यहां की खर्चीली शादियों ने हमें भारत के संपन्न होने का एहसास कराया है.

भारत की शादियां देख कर कोई भारत के एनजीओ को पैसा देना पसंद नहीं करेगा. बेहतर हो इन स्थितियों पर सरकार कानूनी नियंत्रण रखे.’’ इटली की मारिया कहती हैं, ‘‘मैं 2-3 बार भारत आई हूं शादीब्याह में. यहां आ कर मेरे कई भ्रम दूर हो गए कि भारत में संपन्नता के बावजूद यहां लोग स्वस्थ क्यों नहीं हैं? यहां श्रमहीनता क्यों है? हर कोई मधुमेह, हृदय रोग आदि से जकड़ा क्यों है? इतने तेल, मसाले और फूड क्वालिटी इंसानी शरीर के लिए ठीक नहीं. शादियों में हैल्दी फूड व हाइजीन का ध्यान रखा जाना चाहिए.’’

आर्थिक नजरिया

शादी व्यक्तिगत आयोजन है, इसलिए इस में औरों का दखल नहीं हो सकता, फिर भी वैडिंग प्लानर के यहां काम कर रही युवती चारू का कहना है, ‘‘सांस्कृतिक केंद्रों पर इन रीतिरिवाजों को लाइट ऐंड साउंड शो की तरह प्रदर्शन का अवसर प्रदान कर पर्यटकों को हमारे देश के बारे में जानने का मौका दिया जा सकता है.

इस से विदेशी मुद्रा भी अर्जित की जा सकती है.’’ अपने परिचितों, मित्रों के लिए शौकिया वैडिंग प्लानिंग में मदद करने वाली शाहीना कहती हैं, ‘‘इस मामले में सरकार भी कुछ कदम उठा सकती है. इस से पर्यटन के अन्य आयाम भी पुख्ता हो सकते हैं. निजी काम से आया पर्यटक भी किसी देश की सांस्कृतिक संपन्नता व आम लोगों का व्यवहार देखना, जानना चाहता है, इसलिए दिखावे के बजाय इसे सहज रखा जाए.’’

शादीब्याह में आए विदेशी पर्यटक भारतीयों से नई जगह व चीजों के बारे में जानते हैं तो उस से घूमने व खरीदारी के प्रति उन का रुझान बढ़ता है. एक फैशन डिजाइनर कहती है, ‘‘शादी में मिले विदेशी युवाओं ने उस से कपड़े डिजाइन करवाए. दिल्ली के लाल डोरा क्षेत्र से अब मैं अच्छे क्षेत्र में दुकान लगा रही हूं. एक्सपोर्ट के बारे में कानूनी प्रक्रिया से अवगत होने का प्रयास कर रही हूं. शादी में आए परदेसियों ने मेरे गुणों और हुनर को बहुत मान दिया.’’

सकारात्मक छवि

विदेशी मेहमानों की खास हिफाजत की जाए. कोई उन से ओवरफ्रैंडली न हो. अपने यहां लोग विदेशियों को फ्रीसैक्स का हिमायती समझते हैं, यह सोचना गलत है. शादी में शिरकत करने वाले विदेशियों के साथ नाचगाने के दौरान फिजिकल रिलेशन कायम करने की कोशिश न करें. अवांछित स्थितियों को विदेशी सहते नहीं. उन की नाराजगी रंग में भंग पैदा कर सकती है.

विदेशियों को समय पर तथा अपने हिसाब से जीवन गुजारने की आदत होती है. इसलिए विदेशियों के साथ अच्छा व्यवहार करें, ऐसा कुछ भी न करें जिस से आप का और देश का नाम बदनाम हो. विदेशी ज्यादा एहसान लेना पसंद नहीं करते. उन्हें गिव ऐंड टेक की आदत होती है, इसलिए अपना काम होने के बाद वे चल दें तो इसे फायदा उठाना न माना जाए. महंगे डीजे के बजाय सस्ते लोकसंगीत और अन्य प्रबंध भी उन्हें आसानी से स्वीकार्य होते हैं.

विदेशी किसी भी अच्छी बात के लिए लक्ष्य करे तो अच्छा है. कई शादियों में मिले कुछ विदेशियों ने लेखिका को बताया कि जरमनी, स्विट्जरलैंड और ऐसे ही कई देश अब पछता रहे हैं कि उन्होंने सिर्फ अपनी ही भाषा का आग्रह दुराग्रह की तरह रखा. सो, आज उन देशों के युवा पिछड़ रहे हैं. उन देशों में बेरोजगारी है पर अंतर्राष्ट्रीय भाषा न जानने के कारण वे अन्य किसी देश में नौकरी हेतु नहीं जा पा रहे हैं.

इस के विपरीत भारत जैसी स्थिति भी न हो कि यहां लोग अपनी भाषा को तिरस्कृत कर के विदेशी भाषा पढ़ें. अंग्रेजी और कंप्यूटर के ज्ञान के कारण भारत के लोग विश्व में कहीं भी नौकरी करने के योग्य हैं. भारत के लोग जितना ज्यादा व अच्छी तरह मुकाम बना रहे हैं उतना अन्य देश के लोग नहीं बना पा रहे हैं. हमारे यहां की तरह फेसबुक चैटिंग और इंटरनैट व ऐसे ही अन्य उपक्रमों का उपयोग निरर्थक श्रमशक्ति को जाया करने के बजाय विदेशी अपने कामों व रोजमर्रा के जीवन को सुगम बनाने के लिए अधिक करते हैं. विदेशी मेहमान हमें परस्परप्रियता का बोध कराते हैं.

मंजु देवी कहती हैं, ‘‘हमारे हरियाणा में शादियों में अंगरेज आते हैं. वे हम रोटी बेलने वालों से भी इतने प्यार से मिलते हैं पर हम उन की बातों का जवाब नहीं दे पाते. मैं ने अब अंगरेजी सीखने की सोची है ताकि उन से बोलबतिया सकूं.’’ उन की सलाद सजाने वाली सखी कहती है, ‘‘शादी में आए अंगरेजों ने हमें अपने काम से प्यार उपजा दिया है. अपने यहां सब हमें छोटे लोग समझते हैं. कोई इतने प्यार से नहीं मिलता. हम तो देसी लोगों से भी ऐसा और इतना ही प्यार चाहते हैं.’’ वैडिंग टूरिज्म आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक एवं सुधार हर स्तर पर लाभदायक हो सकता है.

हड्डियों को मजबूत बनाएं ये स्वादिष्ट आहार

कैल्शियम और आयरन हमारे शरीर की हड्डियों को मजबूत बनाए रखने और शरीर में खून की कमी को रोकने में बहुत मददगार होते हैं. आप स्वादिष्ट तरीके से कैल्शियम और आयरन का सेवन कर अपने शरीर को स्वस्थ्य बना सकते हैं.

कई पोषण विशेषज्ञ ये बताते हैं कि कई तरीको से कैल्शियम और आयरन युक्त स्वादिष्ट भोजन तैयार किये जा सकते हैं :

1. स्वाद और मिठास के लिए तिल, सूखे आडू और आलूबुखारा के जूस का सेवन कीजिए.

2. क्या आप जानते हैं कि पालक, मेथी और अन्य हरी पत्तेदार सब्जियों में पर्याप्त मात्रा में आयरन पाया जाता है. इन सब्जियों में आलू और टमाटर डाल कर बनाने से सब्जियां स्वादिष्ट बनती हैं और आपका शरीर इन्हें अच्छे से पचा भी लेता है.

3. तिल स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक होते हैं और ये काफी स्वादिष्ट भी होता है. सलाद या रोटी में मिलाकर या भोजन पर एक मुट्ठी तिल छिड़क कर खाना चाहिए, इससे भोजन का स्वाद और बढ़ जाएगा.

4. पत्ता गोभी एंटीऑक्सीडेंट, विटामिंस, फोलेट और फाइबर से भरपूर होते हैं. इसके साथ ये आयरन का भी प्रमुख स्रोत होता है, इसका सेवन आप सब्जी या सलाद के रूप में कर सकते हैं. यह आयरन की कमी को लगभग पूरी तरह से दूर कर देता है.

5. इसके अलावा, अन्य मेवों की तरह ही किशमिश आयरन से भरपूर होता है, इसे दही, सलाद, दलिया में मुट्ठी भर डालकर खाया जा सकता है.

6. रोजाना सूखे आडू खाना आपके शरीर के लिए आवश्यक है. ये आपके शरीर के नौ प्रतिशत आयरन की जरूरत को पूरा कर देते हैं. पोषण विशेषज्ञ इनका सेवन जरूर करने की सलाह देते हैं.

7. आलूबुखारा का जूस आयरन का महत्वपूर्ण स्रोत है, इसमें मौजूद विटामिन सी आपको शरीर को आसानी से आयरन को अवशोषित करने में मदद करती है. इसलिए खाने के साथ एक गिलास आलू बुखारा जूस का सेवन करें.

8. सूखे खूबानी, आयरन और अन्य पोषक तत्वों के बढ़िया स्रोत होते हैं, इन्हें कच्चा या पकाकर या सूखे के रूप में उपलब्ध होने पर भी खाया जा सकता है, इसका सेवन शरीर के लिए बेहद लाभदायक होता है.

9. धूप में सुखाए हुए टमाटर भी आयरन के भरपूर स्रोत होते हैं, आप इसे आमलेट, पास्ता, सैंडविच या सलाद में डालकर खा सकते हैं.

जायकेदार व्यंजन : ब्लैक ऐंड व्हाइट सीसम आलू

सामग्री

500 ग्राम बेबी पोटैटोज

2 बड़े चम्मच सफेद तिल

1 बड़ा चम्मच काले तिल

हींग पाउडर चुटकी भर

1 छोटा चम्मच जीरा

1 बड़ा चम्मच मोटा कुटा धनिया

2 छोटे चम्मच सौंफ मोटी कुटी

2 छोटे चम्मच अमचूर पाउडर

1/2 छोटा चम्मच लालमिर्च पाउडर

2 बड़े चम्मच रिफाइंड औयल

1 बड़ा चम्मच धनियापत्ती बारीक कटी

विधि

आलुओं को उबाल कर छीलने के बाद कांटे से गोद लें. एक नौनस्टिक पैन में तेल गरम कर के हींग व जीरा भूनें. फिर दोनों तरह के तिल भूनें. उस में आलू डाल कर 10 मिनट धीमी आंच पर उलटती पलटती रहें. इस में सभी मसाले मिलाएं. 1 मिनट चलाएं और फिर हरी धनियापत्ती बुरक कर सर्व करें.

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