सोलह वर्ष की उम्र में दिल्ली से एक लड़की मौडलिंग करने मुंबई पहुंची थी. उस वक्त उसे फिल्मी दुनिया के बारे में कुछ भी नहीं पता था. बतौर अभिनेत्री 17 वर्ष की उम्र में उस की एक तेलुगु फिल्म ‘लव टुडे’ तथा हिंदी फिल्म ‘अब तुम्हारे हवाले वतन साथियो’ प्रदर्शित हुईर् और लोगों ने उसे अभिनेत्री दिव्या खोसला के नाम से पहचाना. तब उसे लगा कि उसे तकनीक सीखनी चाहिए.
उस ने सिनेमैटोग्राफी और निर्देशन की ट्रेनिंग ली. फिर लगातार कई म्यूजिक वीडियो और ‘यारियां’ व ‘सनम रे’ जैसी फिल्मों का निर्देशन कर अपनी एक अलग पहचान बनाई. इस बीच टीसीरीज के भूषण कुमार के संग विवाह रचाया. एक बेटे की मां बनी और फिर कुछ फिल्मों का निर्माण भी किया. अब वह फिल्म ‘सत्यमेव जयते-2’ में एक सशक्त नारी का किरदार निभा रही है.
प्रस्तुत हैं दिव्या खोसला कुमार से हुई ऐक्सक्लूसिव बातचीत के अंश:
सवाल- आप अभिनेत्री, निर्माता, निर्देशक, मां व पत्नी हैं. इन सारी जिम्मेदारियों का निर्वाह आप किस तरह से करती हैं और कब किसे प्रधानता देती हैं?
हमें निजी और प्रोफैशनल जिंदगी के बीच तालमेल बैठा कर चलना पड़ता है. यह सच है कि हम सभी की निजी जिंदगी भी होती है. लेकिन प्रोफैशनल जिंदगी में जब मैं निर्देशन कर रही थी, तब मैं अभिनय नहीं कर रही थी और अब जब अभिनय कर रही हूं, तो निर्देशन नहीं कर रही हूं क्योंकि मेरा मानना है कि प्रोफैशनली एकसाथ कई चीजें करना संभव नहीं है, इन दिनों में सिर्फ अभिनय पर ही पूरा ध्यान दे रही हूं.
मैं बहुत पैशनेटली अभिनय के कैरियर को आगे बढ़ा रही हूं. पर यह तय है कि भविष्य में मैं पुन:निर्देशन करूंगी. जब हम निजी और प्रोफैशनल जिंदगी के बीच तालमेल बैठा कर चलते हैं, तो हमें परिवार से काफी मदद मिलती है. परिवार की तरफ से हौसलाअफजाई होती है. मेरी राय में प्रोफैशन में निरंतर आगे बढ़ने के लिए परिवार का सहयोग बहुत माने रखता है.
सवाल-मगर अकसर देखा गया है कि प्रोफैशनल जिंदगी जीते समय प्रोफैशन को महत्त्व देने पर पारिवारिक जिंदगी पर असर पड़ता है. कम से कम मां का जो रूप होता है, उस पर काफी असर पड़ता है. तो इस से उबरने के लिए आप क्या करती हैं?
जहां तक मेरा अपना सवाल है मैं अपने परिवार संग काफी समय बिताती हूं. बेटे को भी काफी समय देती हूं. मुझे अपने बेटे की हर बात पता है. मैं हर बात उसे बताती रहती हूं. हम जब फिल्म ‘सत्यमेव जयते-2’ की शूटिंग लखनऊ में कर रहे थे, तब घर से दूर थी. पर जब हमारी शूटिंग नहीं होती है, तो हम घर पर ही रहते हैं. जब हमारी प्रोफैशनल मीटिंग होती है, तब भी घर से दूर रहना पड़ता है. बेटे के साथ मेरी अच्छी दोस्ती है. वह भी मुझे अपनी हर बात बताता है. अभी तो काफी छोटा है, पर जिस ढंग से वह बड़ा हो रहा है, उसे देखते हुए मैं बहुत खुश हूं.
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सवाल-फिल्म ‘सत्यमेव जयते-2’ में ऐसी क्या खास बात लगी कि इस से आप ने अभिनय में वापसी की बात सोची?
मैं सशक्त नारी किरदार की तलाश में थी और मिलापजी ने मेरा किरदार काफी दमदार लिखा है. इस फिल्म में मिलाप झवेरी सर ने जिस संसार को गढ़ा है, वह अद्भुत है. फिल्म में भ्रष्टाचार पर कुठाराघात किया गया है. हमारे देश में हर जगह भ्रष्टाचार फैला हुआ है. लेकिन मिलाप सर ने पूरी फिल्म मनोरंजक बनाई है. यह फिल्म मनमोहन देसाई और रोहित शेट्टी मार्का मनोरंजक फिल्म है.
सवाल-फिल्म ‘सत्यमेव जयते-2’ के अपने किरदार को ले कर क्या कहना चाहेंगी?
मैं ने इस में एक सशक्त राजनेता विद्या का किरदार निभाया है. यह मेरे लिए एक बहुत ही ज्यादा चुनौतीपूर्ण किरदार है. निजी जीवन में मैं राजनीतिक पृष्ठभूमि से नहीं हूं. मैं निजी जीवन में विद्या जैसी नहीं हूं. मैं निजी जीवन में बहुत ही ज्यादा इमोशनल इंसान हूं, जबकि विद्या इमोशनल नहीं, बल्कि सख्त व सशक्त है. वह अपने आसपास के लोगों को भी ताकतवर बनाती है.
सवाल-फिल्म ‘सत्यमेव जयते-2’ में राजनेता विद्या को देख कर आम दर्शक या औरतें राजनीति से जुड़ने के संदर्भ में क्या सोचेंगी?
हर भारतीय अपने देश के लिए अंदर से एहसास करता है. जब वह देखता है कि कुछ नाइंसाफी हो रही है, तो वह सोचता है कि वह कुछ करे. फिर चाहे भ्रष्टाचार का ही मसला क्यों न हो. देश के लिए कुछ करने या राजनीति से जुड़ने की भावना फिल्म से नहीं बल्कि इंसान के अंदर से आती है. इंसान के अंदर से ही आवाज उठती है कि उसे समाज के लिए कुछ करना चाहिए. समाज में इस बुराई के खिलाफ आवाज उठा कर बदलाव लाना चाहिए.
मेरी राय में लोगों को खुद अपनी तरफ से इस दिशा में पहल करनी चाहिए. मैं देख रही हूं कि औरतें सिर्फ राजनीति ही नहीं हर क्षेत्र में बड़ी मजबूती के संग अपना झंडा गाड़ रही हैं. आप हमारी फिल्म इंडस्ट्री में ही देखिए औरतें अभिनय से ले कर लेखन, निर्देशन, नृत्य निर्देशन सहित हर विभाग में बेहतरीन काम कर रही हैं. राजनीति जगत में भी औरतों ने दमदार ढंग से अपना अस्तित्व बनाया है. यह युग औरतों के लिए सर्वश्रेष्ठ युग है.
सवाल-एक नागरिक के नाते किसी बात को ले कर आप को भी कोफ्त होती होगी. क्या उस पर इस फिल्म में बात की गई है?
मुझे भ्रष्टाचार को ले कर ही सब से ज्यादा कोफ्त होती है और इस फिल्म में उसी पर बात की गई है. जिस तरह से अदालत में मुकदमे लंबे समय तक चलते हैं, उस से मुझे कोफ्त होती है. हमारी फिल्म में कोर्ट केस को ले कर कोई बात नहीं की गई है. लेकिन फिल्म में भ्रष्टाचार के कई रूपों को ले कर बात की गई है. मुझे निजी स्तर पर लगता है कि जब आप किसी अदालत के मामले में या पुलिस के शिकंजे में आ जाते हैं, तो जबरदस्त भ्रष्टाचार नजर आता है.
छोटे से बड़े अफसर तक भ्रष्टाचार में लिप्त नजर आते हैं. यह बहुत दुख की बात है. बिना पैसा लिए आम नागरिक का काम न करना बहुत ही दुख की बात है. मगर यदि हम सभी खुद को भारतीय नागरिक समझें व देश को महत्त्व दें, तो भ्रष्टाचार पर लगाम लग सकती है.
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सवाल-नारी सशक्तीकरण की बातें काफी हो रही हैं, इस का असर फिल्म इंडस्ट्री पर हो रहा है?
मैं ने पहले ही कहा कि यह औरतों के लिए बहुत अच्छा समय है. हर क्षेत्र की तरह फिल्म इंडस्ट्री में भी औरतें काफी बढ़चढ़ कर बेहतरीन काम कर रही हैं. अब लड़कियां ज्यादा पढ़ रही हैं. सभी अपने बच्चों को शिक्षा दिला रहे हैं. औरतें नौकरी कर रही हैं. परिवार भी अब लड़कियों या औरतों को नौकरी या व्यवसाय करने के लिए बढ़ावा दे रहे हैं. समाज में काफी जागरूकता आ गई है. नारी सशक्तीकरण के ही चलते औरतें अपने सपनों को पूरा कर पा रही हैं.
सवाल-आप ने निर्देशन और सिनेमैटोग्राफी की शिक्षा ली. इस का अभिनय में कितना फायदा मिल रहा है?
अभिनय में तो हमारी जिंदगी के अनुभव मदद करते हैं. मैं इस क्षेत्र में 17 वर्ष की उम्र में आई थी. उस वक्त मैं कुछ भी नहीं जानती थी. अब मैं ने अपनी जिंदगी में कुछ ज्ञान अर्जित किया, कुछ अनुभव हासिल किए तो मेरे अंदर एक आत्मविश्वास पैदा हुआ. इसी आत्मविश्वास के चलते मैं कुछ अच्छा काम कर पा रही हूं. मेरी राय में इंसान की जिंदगी के अनुभव, उतारचढ़ाव उस की मदद करते हैं.
सवाल-इन दिनों ओटीटी प्लेटफौर्म जिस तरह से बढ़ रहे हैं, इस से सिनेमा को फायदा होगा या नुकसान?
मुझे नहीं लगता कि इस से सिनेमा को नुकसान होगा. कोविड-19 के समय जब हमारे पास मनोरंजन का कोई साधन नहीं था तब ओटीटी ही साधन बना. पर अब भी सिनेमाघर जा कर फिल्म देखना चाहते हैं तो ओटीटी व सिनेमाघर अपनीअपनी जगह रहेंगे.
सवाल-सोशल मीडिया पर आप सब से अधिक सक्रिय रहती हैं. आप कई बार विवादों में भी फंसीं. सोशल मीडिया को ले कर आप की सोच क्या है?
मेरी राय में लोगों से जुड़ने के लिए सोशल मीडिया एक सशक्त माध्यम है. लोगों से सीधे बात करने का एक अच्छा जरीया है. रचनात्मक इंसान या कलाकार के तौर पर दर्शकों के साथ सीधे जुड़ाव होने से फायदा ही होता है. मैं ने म्यूजिक वीडियो का निर्देशन करने के साथसाथ अभिनय भी किया. उस के साथ भी लोग जुड़े. मैं तो सोशल मीडिया को अच्छा ही मानती हूं.
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