दिशा परमार

दिशा का जन्म असम के नागांव में हुआ. दिशा ने राजश्री प्रोडक्शन के टीवी धारावाहिक ‘प्यार का दर्द है मीठामीठा प्याराप्यारा’ से अपने अभिनय कैरियर की शुरुआत की. उन से हुई बातचीत काफी रोचक रही:

ग्लैमर वर्ल्ड में आना था

मैं 12वीं में पढ़ती थी जब मुझे ‘प्यार का दर्द है मीठामीठा प्याराप्यारा’ में प्रमुख भूमिका निभाने को मिली और इस मौके को मैं ने झपट लिया. हर कोई ग्लैमर वर्ल्ड में अपना नाम बनाना चाहता है और मैं कोई अलग नहीं. मैं ने टीवी सीरियल्स में काम करने के लिए अपनी पढ़ाई छोड़ दी. मेरे परिवार ने पहले मेरे इस फैसले का विरोध किया, क्योंकि वे चाहते थे कि मैं अपनी पढ़ाई पूरी करूं. लेकिन जब मैं मुंबई आ गई तो उन्होंने मेरे फैसले को अपना समर्थन दिया.

सुंदरता की देखभाल

मैं अलगअलग तरह के हेयर औयल का प्रयोग करती हूं और हफ्ते में 2 बार अपने केशों की मसाज करती हूं, क्योंकि धारावाहिक के लिए मुझे अपने केशों को लगातार मजबूत करने की जरूरत होती है. उन की देखभाल करना मेरे लिए ज्यादा जरूरी हो गया है.

मैं अपनी स्किन के लिए हमेशा अच्छे ब्रैंड के उत्पाद इस्तेमाल करती हूं. चाहे वह मौइश्चराइजर हो या फिर फेसवाश.

खुशनुमा पल

मेरी जिंदगी का सब से खुशनुमा पल है जब मुझे स्टार प्लस पर राजश्री प्रोडक्शन की ‘प्यार का दर्द है…’ मिली. किसी भी लड़की के लिए यह ड्रीम लौंच हो सकता है.

स्टाइल मंत्रा

मैं फैशन ट्रैंड पर नजर रखती हूं और अपडेट रहती हूं. ट्रैंड में रहना ही मेरा स्टाइल मंत्रा है. मैं कुछ भी नहीं पहन सकती. मैं ऐसे कपड़े पहनती हूं जिन में सहज महसूस कर सकूं.

मैं रोज बहुत ज्यादा समय अपने साथी कलाकारों के साथ बिताती हूं, इसलिए कि वे सभी मेरे दोस्त हैं. एक तरह से हम एक बड़े और खुशहाल परिवार के सदस्यों की तरह हैं.

जब शूटिंग नहीं कर रही होती तो सोना पसंद करती हूं. इस के अलावा मुझे शौपिंग करना भी पसंद है.

पसंदीदा फूड

मेरा पसंदीदा स्ट्रीट फूड गोलगप्पे हैं. मैं इन के लिए कुछ भी कर सकती हूं.

तनाव दूर करने के लिए मैं कभीकभी खरीदारी करने भी निकल जाती हूं. मुझे फुटवियर खरीदने का बहुत शौक है. मेरे पास जूतों की 30-40 जोडि़यां हैं.

मुसकान ही जिंदगी

मेरा मानना है कि अगर आप के चेहरे पर मुसकराहट है तो आप इसे किसी दूसरे के चेहरे पर भी ला सकते हैं. इसलिए मुसकराना और पूरी तरह से जिंदगी का आनंद लेना बहुत जरूरी है. राजश्री प्रोडक्शन में पहला ब्रेक मिलना मेरे लिए बेहतरीन मुसकराने का पल था.

पूजा सिंह

मैनेजमैंट की पढ़ाई पूरी कर के मल्टीनैशनल कंपनी में नौकरी करने की चाह रखने वाली पूजा अपनी मां की इच्छा पूरी करने के लिए अभिनय क्षेत्र में आईं. अब वे अपने काम को ऐंजौय कर रही हैं. पेश हैं, उन से हुई बातचीत के खास अंश:

मां के सपने ने बनाया अभिनेत्री

मेरी मां को अभिनय में बहुत रुचि थी और वे चाहती थीं कि मैं ऐक्टिंग में आऊं लेकिन मेरी इच्छा थी कि मैं एमबीए कर के किसी अच्छी कंपनी में नौकरी करूं.

मैं पुणे में पढ़ाई कर रही थी लेकिन मां की इच्छा की वजह से औडिशन के लिए मुंबई आतीजाती रहती थी. बिना किसी योजना मैं ने काफी पहले स्टार प्लस में औडिशन दिया था और अचानक एक दिन मुझे ‘दीया और बाती हम’ में एमिली की भूमिका के लिए बुलाया गया.

मैं इतना ही कह सकती हूं कि यह सब बिना किसी योजना के होता चला गया.

खूबसूरती का फंडा

मेरे केश लंबे हैं और मुझे बहुत पसंद हैं. मैं इन्हें नैचुरल रखना पसंद करती हूं. फिर एमिली की भूमिका के लिए भी मुझे अपने केश पूरे रखने थे. मैं जैल या हेयरस्प्रे इस्तेमाल नहीं करती, बल्कि मैं अपने केशों में नियमित तौर पर तेल लगाती हूं, धोती हूं और कंडीशनिंग करती हूं.

मेकअप उतारने और सोने जाने से पहले मैं अपने चेहरे पर बेबी औयल लगाती हूं. उसे अच्छी तरह मौइश्चराइज करती हूं और खूब सारा पानी पीती हूं.

खुशनुमा पल

जब मैं ‘दीया और बाती हम’ में आई तो यह पहले से ही नं. 1 पर था. फिर भी मैं ने इस में अपनी अलग पहचान बनाई जो मेरे खुशनुमा पलों में से एक है.

मुझे लोगों से इतना प्यार और तारीफें मिलती हैं कि क्या कहूं.

स्टाइल मंत्रा

मेरा मानना है कि आप जैसे हैं वैसे ही रहें. बदलते ट्रैंड को बेशक अपनाएं पर अपनी पहचान को खोए बगैर. आप उन्हीं कपड़ों में स्मार्ट और स्टाइलिश दिखेंगे जिन में सहज महसूस करेंगे.

बिंदास रहती हूं

मैं खाली वक्त खुद पर खर्च करती हूं. मैं घर पर टीवी देखती हूं, घर की देखभाल करती हूं, शौपिंग करने चली जाती हूं या फिर आराम करती हूं.

इंडस्ट्री में मेरे दोस्त तो कई हैं, लेकिन ऐसा कोई करीबी नहीं है.

जब मैं तनाव में होती हूं तो चुपचाप अपने कमरे में जा कर मैडिटेशन करती हूं. मां से बात करना भी मेरा तनाव दूर करता है. 

मुसकराना है जरूरी

मेरा मानना है कि आप जैसे हैं वैसे ही रहें. बदलते ट्रैंड को बेशक अपनाएं पर अपनी पहचान खोएं नहीं. मुझे लोगों से इतना प्यार और तारीफें मिलती हैं कि मैं बिना मुसकराए नहीं रह पाती.

पूजा शर्मा

दिल्ली के सभ्रांत परिवार में जन्मीं पूजा ने मौडलिंग से अपने कैरियर की शुरुआत की. टीवी धारावाहिक ‘महाभारत’ में द्रौपदी का किरदार निभा रही पूजा स्वभाव से हंसमुख व जिंदादिल हैं. पेश हैं, उन से हुई बातचीत के कुछ अंश:

ऐक्टिंग की शुरुआत

द्रौपदी की भूमिका मिलना सपने के सच होने जैसा था. हालांकि मैं ने ऐसी कोई भूमिका करने के बारे में पहले कभी नहीं सोचा था, लेकिन थिएटर और परफौर्मिंग आर्ट की तरफ मेरा रुझान शुरू से था. अपने कालेज के दिनों मैं स्पोर्ट्स पर आधारित एक टौक शो के लिए चुन ली गई. उस में परफौर्म करने के बाद मुझे लगा कि शो में मैं बहुत खराब थी, लेकिन टीम में से किसी ने कहा कि एक ऐंकर के तौर पर मैं ने अच्छा काम किया. फिर कुछ ऐंकरिंग, औडिशंस के बाद मुझे बतौर ऐंकर उस में परफौर्म करने के बाद चुन लिया गया. ऐंकरिंग के बाद मैं ने कुछ टीवीसी और रैंप वाक किया. मुझे लगता है कि दिल्ली से मुंबई तक का मेरा सफर आसान रहा. मुझे टैलीविजन जौइन करने में बहुत मुश्किल नहीं हुई. सब कुछ बहुत आसानी से होता गया. मुझे खुशी है कि मुझे ‘महाभारत’ में काम करने का मौका मिला.

मैं द्रौपदी के लंबे केशों से प्रभावित हूं, इसीलिए मैं हर वाश के पहले अपने केशों में तेल लगाती हूं और कंडीशनर का प्रयोग जरूर करती हूं.

अपने किरदार के लिए मुझे लंबे समय तक मेकअप करने की जरूरत होती है, इसलिए यह मेरे लिए जरूरी है कि मैं अपना मेकअप अच्छी तरह उतारूं और क्लींजिंग, टोनिंग और मौइश्चराइजिंग का रोज प्रयोग करूं. मेरा मानना है कि आप का चेहरा आप के व्यक्तित्व का आईना होता है, इसलिए मैं सही खाने और बहुत सारा पानी पीने पर ध्यान देती हूं.

खुशनुमा याद

धारावाहिक ‘महाभारत’ में द्रौपदी की भूमिका पाना मेरी जिंदगी का खुशनुमा पल है. मेरे मातापिता को मुझ पर गर्व है. जब मैं उन के चेहरे पर मुसकान देखती हूं तो वह पल भी मेरे लिए बेहद खुशनुमा और खूबसूरत होता है.

साधारण और जिंदादिल

मैं इंडस्ट्री में नई हूं इसलिए नहीं कह सकती किस के सब से करीब हूं. लेकिन हां, ‘महाभारत’ टीम के कुछ सदस्यों से मेरी दोस्ती हो गई है. मैं बहुत पढ़ाकू हूं और उस दौरान किताबें पढ़ती हूं. इस के अलावा दोस्तों के साथ मस्ती करती हूं और फिल्में भी देखती हूं.

किसी दोस्त या किसी अच्छी फिल्म से अलग अच्छा साहित्य मेरे तनाव को सब से अच्छे तरीके से दूर करता है.                

मुसकान ही असली खूबसूरती

मेरा मानना है कि मुसकराते हुए इंसान को मेकअप की जरूरत नहीं होती. उस की मुसकान ही यह बताती है कि आप कितनी खूबसूरत हैं. मेरे मातापिता को मुझ पर गर्व है. जब मैं उन के चेहरे पर मुसकान देखती हूं तो वह पर मेरे लिए बेहद खूबसूरत होता है.

बात जो दिल को छू गई

सर्वश्रेष्ठ  संस्मरण : मैं पेशे से टीचर हूं. एक दिन विद्यालय में एक नई टीचर रचना ने जौइन किया. वे मुझ से 10 साल बड़ी थीं. मेरी उन से प्रगाढ़ मित्रता हो गई.

वे हमेशा मुसकराती रहतीं और अपना काम बड़ी कुशलता से करतीं. सभी उन की प्रशंसा करते.एक दिन मुझे जैसे ही यह समाचार मिला कि रचना दीदी दुर्घटनाग्रस्त हो गई हैं और अस्पताल में भरती हैं, तो मैं उन्हें देखने तुरंत अस्पताल पहुंच गई. वहां रचना दीदी से पता चला कि उन का अपना कहने को कोई नहीं है.सच कुछ लोग ऐसे होते हैं, जो लाख परेशानियां होने पर भी हमेशा मुसकराते रहते हैं. फिर रचना दीदी जब तक अस्पताल में रहीं मैं रोज उन से मिलने जाती रही. उन की जीने की कला मेरे मन को छू गई.

कविता

बात तब की है जब हमारे पड़ोस में एक अंकल की बीमारी से मृत्यु हो गई. दाहसंस्कार के बाद हम सब महिलाओं ने उन के परिवार वालों से चायनाश्ता और भोजन आदि के बारे में पूछा.पहले तो उन्होंने मना किया पर हमारे बारबार आग्रह करने पर उन के यहां की एक बुजुर्ग महिला ने कहा, ‘‘हमारे यहां घर के सभी लोग बिना हलदी की दाल और बिना घी की रोटियां खाते हैं, इसलिए आप यही भेजिएगा.’’बाहर आ कर अभी महिलाएं आपस में कहने लगीं कि हमारे यहां तो बिना प्याज, हलदी की दाल और बिना घी की रोटियां बनाना बुरा माना जाता है. अत: यह भोजन तो हम नहीं भेज सकते.

तभी एक महिला बोलीं, ‘‘मुझे बिना हलदी की दाल और बिना घी की रोटियां बनाने में कोई परहेज नहीं, क्योंकि मेरी नजर में सब से बड़ी चीज मानवता है. इन बेचारों का एक सदस्य इस दुनिया से चला गया और हम हैं कि हलदीमिर्च के चक्कर में उलझी हैं. मैं तो भोजन भेजूंगी.’’ थोड़ी देर में वे महिला खाना बना कर दे भी आईं. उन का यह व्यवहार मेरे मन को छू गया.

प्रतिभा अग्निहोत्री

मेरी सहयोगी अध्यापिका कमलेश आर्थिक रूप से सामान्य हैसियत रखती थीं. पति के गुजरने के बाद उन्होंने अपने बलबूते बच्चों को पढ़ायालिखाया. उन की बेटी का विवाह अपनी सहयोगी की मध्यस्थता से एक विजातीय परिवार में तय हुआ.कमलेश ने उस परिवार से शादी के रीतिरिवाजों की जानकारी ले ली थी, पर मिलनी की रस्म के बारे में उन्हें पता नहीं था. स्वयं उन के परिवार में ऐसी रस्म नहीं होती थी.

जब गाजेबाजे के साथ बरात ने प्रवेश किया तो कमलेश आरती की थाली ले कर बाहर निकलीं. तभी लड़के की चाची ने ऊंची आवाज में कहा, ‘‘पहले मिलनी कराओ. क्व1-1 हजार में मिलनी होगी.’’ यह सुन कर कमलेश थाली पकड़े वहीं खड़ी की खड़ी रह गईं. उधर चाची के कटाक्ष और तेज हो गए.

बात आगे बढ़ती, उस से पहले ही लड़के की मौसी चाची को शांत करते हुए बोलीं, ‘‘देखो बहन, आज हम इन के दरवाजे पर आए हैं. ये जैसा भी स्वागत करें हमें खुशीखुशी मंजूर है.’’

इस के बाद शादी की बाकी सारी रस्में हंसीखुशी पूरी हुईं. आज भी उस दिन को याद कर के कमलेश की आंखें मौसीजी के प्रति कृतज्ञता से नम हो जाती हैं.

मनोरमा दयाल

मेरा घर नयानया बना था. पड़ोसिन नीता मेरे घर आ कर घंटों बातें करती. वह अकसर पड़ोसी शर्मा दंपती से सावधान रहने को कहती कि वे हमेशा दूसरों के घर जा कर खानेपीने के चक्कर में रहते हैं और मौका मिलते ही सामान भी चोरी कर लेते हैं.

एक दिन मैं शाम के समय अपने बेटे के साथ चाय के साथ पकौड़े खा रही थी. तभी शर्मा दंपती आ गए. न चाहते हुए भी औपचारिकतावश मैं उन के लिए चायपकौड़े ले आई.

तभी फोन बज उठा. मैं दूसरे कमरे में फोन रिसीव करने चली गई. जब वापस आई तो शर्माजी ने मुझे मेरी ही अंगूठी दिखाते हुए कहा, ‘‘अरे भाभीजी, आप हमें पकौड़ों के साथ अपनी सोने की अंगूठी भी खिला रही हैं क्या?’’मैं हक्कीबक्की रह गई. अपनी उंगली देखी तो अंगूठी नहीं थी. दरअसल, बेसन फेंटते समय अंगूठी उंगली से निकल गई थी.

मैं तुरंत कह उठी, ‘‘आप तो बहुत नेक इंसान हैं. फिर नीता…’’ मेरी बात पूरी भी न हो पाई थी कि शर्मा दंपती बोल उठे, ‘‘अच्छा तो नीता ने आप के यहां भी अपना रंग दिखा दिया. दरअसल, उसे कई बार हम ने अपने यहां चोरी करते पकड़ा है. तब से वह खुद को बचाने के लिए हमें ही बुरा बनाती है. किसी की सुनीसुनाई बात पर कभी विश्वास मत करिएगा वरना अच्छेबुरे की पहचान नहीं कर पाएंगी’’

उन की यह बात मेरे दिल को छू गई. मुझे इस बात का अफसोस हुआ कि मैं नेक इंसानों को गलत समझ बैठी और गलत इंसान को नेक. उस दिन से मैं बिना देखेपरखे किसी के बारे में कोई राय नहीं बनाती हूं.

संगीता बलवंत

सत्ता में बढ़ता स्त्री का कद

योग्यता, कर्मठता और अनुशासन के साथसाथ धर्मनिरपेक्ष छवि रखने वाली बीजेपी की वरिष्ठ महिला नेता सुषमा स्वराज को भारत की पहली महिला विदेश मंत्री होने का रुतबा हासिल हुआ है.

फरवरी, 1952 को अंबाला कैंट में जन्मीं सुषमा स्वराज ने पंजाब विश्वविद्यालय से कानून की डिगरी ली है. लंबे समय तक बतौर अधिवक्ता, सर्वोच्च न्यायालय में काम करने के बाद वे राजनीति में सक्रिय हुईं और 1998 में दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री बनने का गौरव हासिल किया. वे भाजपा की राष्ट्रीय प्रवक्ता बनने वाली पहली महिला भी हैं और भारत की सर्वश्रेष्ठ सांसद का पुरस्कार पाने वाली पहली महिला भी.

सुषमा शुरू से ही लोगों के आगे एक मिसाल बनती रही हैं. 1970 में उन्हें एस.डी. कालेज में सर्वश्रेष्ठ छात्रा का सम्मान दिया गया. वे 3 साल तक इस कालेज में एनसीसी की सर्वश्रेष्ठ कैडेट और

3 साल तक राज्य की श्रेष्ठ वक्ता भी चुनी गईं. चौधरी देवीलाल की सरकार में 1977 से 79 के बीच हरियाणा की श्रम मंत्री रह कर 25 साल की उम्र में कैबिनेट मंत्री बनने का रिकौर्ड बनाया. 1987 और 1996 में केंद्र में सूचना व प्रसारण मंत्री के रूप में उन की काफी सराहना हुई.

2014 के लोकसभा चुनावों में विदिशा से सुषमा ने 4,10,698 वोटों से शानदार जीत हासिल की. जुलाई 1975 में स्वराज कौशल से उन का विवाह हुआ. कौशल 6 साल तक राज्यसभा के सांसद रहे. फिर मिजोरम के राज्यपाल भी बने. स्वराज कौशल अब तक सब से कम आयु में राज्यपाल का पद प्राप्त करने वाले व्यक्ति हैं. सुषमा स्वराज व उन के पति की उपलब्धियों के ये रिकौर्ड लिम्का बुक औफ वर्ल्ड रिकौर्ड्स में दर्ज करते हुए उन्हें विशेष दंपती का दर्जा दिया गया है.

स्वराज दंपती की एक बेटी है, जो औक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से ग्रैजुएशन कर फिलहाल वकालत कर रही है. अमेठी संसदीय सीट से भारतीय आम चुनाव 2014 में कांगे्रस उपाध्यक्ष राहुल गांधी व आम आदमी पार्टी के कुमार विश्वास को कड़ी टक्कर देने वाली स्मृति ईरानी को मोदी मंत्रिमंडल में मानव संसाधन विकास मंत्री का कार्यभार दिया गया है.

 

वर्ष 1976 में दिल्ली में जन्मीं स्मृति एक रूढिवादी पंजाबी बंगाली परिवार से जुड़ी हैं. पर तमाम बंदिशों की परवाह न करते हुए 12वीं, बैचलर औफ कौमर्स पार्ट-1 (पत्राचार से) पास कर के उन्होंने ग्लैमर जगत में कदम रखा और 1998 में फेमिना मिस इंडिया सौंदर्य प्रतियोगिता के फाइनल तक पहुंचीं.

वर्ष 2000 में टीवी धारावाहिक ‘हम हैं कल आज और कल’ से कैरियर की शुरुआत की और फिर एकता कपूर के धारावाहिक ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ में लीड रोल निभा कर घरघर में पहचान बना ली.

स्मृति ने 5 भारतीय टैलीविजन अकादमी अवार्ड (सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री), 4 इंडियन टैली अवार्ड और 8 स्टार परिवार अवार्ड जीते हैं. बाद में राजनीतिक कैरियर की शुरुआत करते हुए 2003 में स्मृति बीजेपी में शामिल हुईं. 2010 में इन्हें भाजपा महिला मोरचा की कमान सौंपी गई. 2011 में गुजरात से वे राज्यसभा की सांसद चुनी गईं.

वर्ष 2001 में स्मृति ने जुबिन ईरानी से शादी की. उसी वर्ष उन्हें एक बेटा हुआ जिस का नाम जौहर है. सितंबर 2003 में उन्हें एक बेटी हुई. स्मृति एक बच्ची की सौतेली मां भी हैं, जो जुबिन की पहली पत्नी मोना ईरानी से है.

38 वर्षीय स्मृति ईरानी फिलहाल केंद्रीय मंत्रिमंडल की सब से कम उम्र की मंत्री हैं.

 

16वीं लोकसभा में पीलीभीत सीट से विजयी, मेनका गांधी को मोदी मंत्रिमंडल में भारत की महिला और बाल विकास मंत्री का कार्यभार दिया गया है.

मेनका गांधी का जन्म 26 अगस्त, 1956 को दिल्ली की एक सिक्ख फैमिली में हुआ था. उन की शिक्षा लौरेंस स्कूल और फिर लेडी श्रीराम कालेज, नई दिल्ली में हुई. वे मात्र 18 साल की थीं, जब इंदिरा गांधी के छोटे पुत्र, संजय गांधी के साथ उन की शादी हुई. और फिर महज 23 साल की उम्र में जब उन का बेटा वरुण गांधी सिर्फ 100 दिन का था. एअरक्रैश में पति संजय गांधी की मौत हो गई. उन्होंने संजय गांधी मंच नाम से एक पार्टी बनाई और 1982 से वे सक्रिय राजनीति में आ गईं.

1988 में मेनका ने अपनी पार्टी को जनता दल के साथ मिला दिया और इस की जैनरल सैके्रटरी बनीं. पार्टी ने चुनाव जीता और 33 साल की उम्र में उन्होंने सब से कम उम्र की मंत्री बनने का रिकौर्ड बनाया.

राजनीति के अलावा मेनका एक लेखिका, पर्यावरणविद व पशु अधिकारवादी भी हैं और एक पत्रिका की संपादक भी रह चुकी हैं. उन्होंने कानून व पशुपक्षियों पर आधारित बहुत सी पुस्तकें लिखी हैं.

गृहशोभा पत्रिका में भी पशुपक्षियों और पर्यावरण से संबंधित विषयों पर मेनका गांधी का नियमित कौलम जाता है और लेखन के प्रति उन की अभिरुचि लोकसभा चुनाव में भी कम नहीं हुई और चुनावों के दौरान भी उन्होंने लिखना जारी रखा.

बेजबान पशुओं पर होने वाले अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाने के लिए उन्हें खासतौर पर माना जाता है.

 

47 साल की हरसिमरत कौर बादल को खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री के तौर पर सरकार में शामिल किया गया. वे भटिंडा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से वर्ष 2009 से लगातार 15वीं और 16वीं लोकसभा की सांसद हैं. वे शिरोमणि अकाली दल की सदस्य और पंजाब के उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल की पत्नी हैं.

1966 में दिल्ली में जन्मीं हरसिमरत कौर की शादी 1991 में पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के बेटे सुखबीर सिंह बादल के साथ हुई. हरसिमरत कौर मैट्रिकुलेट हैं और टैक्सटाइल डिजाइनिंग में डिप्लोमा होल्डर हैं.

 

वर्ष 2014 के लोकसभा चुनावों में झांसी क्षेत्र से निर्वाचित, आत्मविश्वासी व्यक्तित्व वाली उमा भारती एक प्रखर राजनीतिज्ञ, समाजसेवी होने के साथसाथ हिंदू महाकाव्यों की अच्छी जानकार भी हैं. उन्हें मोदी मंत्रिमंडल में भारत की जल संसाधन, नदी विकास और गंगा सफाई मंत्री बनाया गया है. वे मध्य प्रदेश की मुख्यमंत्री भी रह चुकी हैं.

बीजेपी की इस बेबाक महिला नेता का जन्म मई, 1959 में मध्य प्रदेश के एक लोधी राजपूत परिवार में हुआ था. उन का पूरा नाम उमाश्री भारती है. उन का पालनपोषण ग्वालियर की तत्कालीन राजमाता विजया राजे सिंधिया द्वारा हुआ था. केवल छठी कक्षा तक पढ़ीं उमा भारती की 3 किताबें भी प्रकाशित हो चुकी हैं.

उमा भारती का राजनैतिक सफर बहुत छोटी आयु में ही शुरू हो गया था. बीजेपी से जुड़ कर उमा ने 1984 में पहली दफा चुनाव लड़ा. वर्ष 1991 में उन्होंने खजुराहो लोकसभा सीट में जीत दर्ज कराई. इस के बाद लगातार 3 बार वे इस सीट से जीतती रहीं. वाजपेयी सरकार में उमा भारती ने विभिन्न मंत्रालयों जैसे मानव संसाधन विभाग, पर्यटन, खेल और युवा मामले आदि का पद भार संभाला.

2003 के चुनाव में विजयी होने के बाद उन्हें मध्य प्रदेश की मुख्यमंत्री बनाया गया. कुछ समय के लिए उन्हें बीजेपी से निलंबित भी किया गया था. उस दौरान उन्होंने भारतीय जनशक्ति दल का गठन किया. बाद में फिर से उन की बीजेपी में वापसी हुई और उत्तर प्रदेश में पार्टी की स्थिति सुधारने के लिए उन्होंने गंगा बचाओ अभियान चलाया. सादगीपूर्ण लिबास में रहने वाली उमा भारती अविवाहिता हैं और अपने मकसद की राह पर आगे बढ़ रही हैं.

 

74 वर्षीय नजमा हेपतुल्ला, मोदी मंत्रिमंडल में सब से अधिक उम्र की और एकमात्र मुसलिम महिला सदस्या हैं. उन्हें अल्पसंख्यक मामलों का मंत्री बनाया गया है. नजमा हेपतुल्ला ने मुंबई प्रदेश कांगे्रस कमेटी की महासचिव के तौर पर अपना राष्ट्रीय जीवन शुरू किया. बाद में उपाध्यक्ष का दायित्व भी निभाया. वे 1985 से 1986  और 1988 से 2007 तक राज्यसभा की उपसभापति भी रहीं. इस दौरान उन्होंने सदन की कार्यवाही का कुशल संचालन किया और सत्ता पक्ष तथा विपक्ष में भी लोकप्रिय बनीं.

13 अप्रैल 1940 को मध्य प्रदेश के भोपाल में जन्मीं डा. हेपतुल्ला को राजनीति विरासत में मिली है. रिश्ते में मोहम्मद अबुल कलाम आजाद की नातिन, नजमा ने एम.एससी. करने के बाद यूनिवर्सिटी औफ डेनवर से हृदय रोग विज्ञान में पी.एचडी. प्राप्त की पर राजनीति में दिलचस्पी के कारण वे इसी में सक्रिय हो गईं.

राजनीतिज्ञ होने के साथसाथ वे लेखिका भी हैं. उन्होंने ‘एड्स: ऐप्रोचेज टु प्रिवैंशन’ नाम की किताब भी लिखी है. इस के अलावा भी वे कई तरह के विषयों पर लिखती रही हैं.

नजमा के पति अकबर अली ए. हेपतुल्ला का निधन हो चुका है. उन की 3 बेटियां हैं, जो अमेरिका में हैं.

 

निर्मला सीतारमन बीजेपी की प्रवक्ता के साथसाथ भारत की वाणिज्य और उद्योग (स्वतंत्र प्रभार) तथा वित्त व कौरपोरेट मामले की राज्यमंत्री हैं.

अगस्त, 1959 में तिरुचिरापेल्ली तमिलनाडु में जन्मीं निर्मला ने 1980 में ग्रैजुएशन किया और फिर जेएनयू से अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन विषय से एम.फिल. की डिगरी ली.

निर्मला सीतारमन ने प्राइसवाटर हाउस कूपर्स के साथ वरिष्ठ प्रबंधन, शोध एवं विश्लेषक के तौर पर भी काम किया. कुछ समय के लिए उन्होंने बीबीसी विश्व सेवा के लिए भी काम किया. वे हैदराबाद स्थित प्रणव स्कूल के संस्थापकों में से एक हैं.

निर्मला 2003 से 2005 तक राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य भी रह चुकी हैं. उन का विवाह डा. परमल प्रभाकर से हुआ, जो लंदन स्कूल औफ इकोनौमिक्स के पूर्व छात्र हैं. वे एक राजनीतिक टीकाकार, लोकप्रिय टीवी ऐेंकर और एक बुद्धिजीवी हैं, वर्तमान समय में डा. परमल प्रभाकर राईफोलिया में एम.डी. हैं.

गरीबी बन रही सजा

ऊपर आप ने कंबोडिया के अंगकोरवत्त और किलिंग के बारे में पढ़ा. अब यह भी जान लें कि वहां गरीबी भी है और नौकरानियों के लिए वहां की लड़कियों को स्मगल किया जाता है. इस रैकेट में ताईवानी औरत लिन यू शिन को पकड़ा गया है और उसे नीदरलैंड में 10 साल की सजा सुनाई गई है. रांची की लड़कियों के व्यापार पर क्या किसी को इस तरह की सजा मिली है?

स्वाद के लिए मत मारो मुझे

पैक्ड मछली रू 850 किलोग्राम, पैक्ड बकरे का मांस रू 800 किलोग्राम, पैक्ड आदमी रू 20 किलोग्राम. यह नया सुपर मार्केट फ्रांस में दिखा जहां जानवरों के प्रति हिंसा के विरोधी आंदोलनकारी खुद को पैक कर के मीट खाने वालों को शर्मिंदा करने की कोशिश कर रहे हैं.

यह कैसी शानोशौकत

जानवरों पर अत्याचार अभी भी कम नहीं हो रहे. अमीर लोग दुर्लभ जानवरों की हड्डियों, खालों, दांतों और यहां तक कि खोपडि़यों तक का इस्तेमाल महज सजावट के लिए करने से बाज नहीं आ रहे. आस्ट्रेलिया के कस्टम विभाग ने औरेंगुटन किस्म के बंदर की नक्काशी की हुई खोपडि़यां पकड़ीं. जानवरों को बचाना है तो अमीरों को उन्हें शान की चीज समझना बंद करना होगा.

अब स्मृतियां ही शेष

1975 से 1979 यानी केवल 4-5 वर्ष में कंबोडिया की कट्टर खामेर रूज सरकार ने लाखों को बेघर कर दिया और लाखों को मार डाला. उन की याद में जगहजगह अब स्मृतियां बची हैं जहां लोग अपने प्रियजनों को श्रद्धांजलि देने आते हैं. आश्चर्य की बात तो यह है कि अंगकोरवत्त मंदिरों के लिए प्रसिद्ध यह देश अब साफसुथरा भला सा लगता है, अपने देश जैसा बिखरा, गरीब, गंदा नहीं.

मेहनत का अच्छा नतीजा

यह छोटू कुमामोन कोई देवीदेवता नहीं, जापान के कुमामोटो जिले का एक प्रतीक चिह्न है जिसे अब वहां के एक जौहरी ने 10 किलोग्राम सोने का बनाया है. पर्यटक इस जिले में आएं और जापानी आवभगत का मजा लें, इस के लिए आम व्यापारी भी मेहनत करते रहते हैं.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें