खीरे का क्रंची अचार

सामग्री

3 कप खीरा छिला व गोल टुकड़ों में कटा,3/4 कप सफेद सिरका, 1/2 कप चीनी, 1/2 कप प्याज लंबाई में कटा, 1 हरी शिमलामिर्च बीजरहित लंबाई में कटी, 1 लाल शिमलामिर्च लंबाई में कटी, 1 छोटा चम्मच मस्टर्ड पाउडर, 1/4 छोटा चम्मच कालीमिर्च चूर्ण, नमक स्वादानुसार.

विधि

एक सौसपैन में सिरका, नमक और चीनी डाल कर आंच पर उबालें. उबाल आने पर आंच धीमी कर 10 मिनट पकाएं. एक कांच के बड़े बाउल में बाकी सारी सामग्री मिक्स कर सिरके व चीनी वाला मिश्रण डालें. चम्मच से अच्छी तरह मिक्स कर के कांच के जार में भरें. ठंडा होने पर फ्रिज में रख दें. जब इच्छा हो तब खाएं.

आम खीरे का सालसा

सामग्री

1 कप आम पका, छिला व छोटे क्यूब्स में कटा, 1 कप और्गेनिक खीरा छिलके सहित छोटे क्यूब्स में कटा, 1 हरीमिर्च बारीक कटी, 1/2 कप प्याज छोटे टुकड़ों में कटा, 1/4 कप लाल शिमलामिर्च छोटे क्यूब्स में कटी, 1 बड़ा चम्मच नीबू का रस, 1 बड़ा चम्मच पुदीनापत्ती बारीक कटी, नमक स्वादानुसार.

विधि

नमक को छोड़ कर बाकी सारी सामग्री को मिक्स कर 2 घंटे फ्रिज में ठंडा करें. फिर सर्व करते समय नमक डालें.

वीना कुमारावेल

हर महिला चाहती है कि वह सब से खूबसूरत लगे. महिलाओं की इस चाहत को पूरा करने के मकसद से वीना कुमारावेल ने भारत के नंबर वन हेयर ऐंड ब्यूटी सैलून, नैचुरल्स की नींव रखी थी. आज इस की शाखाएं न सिर्फ भारत वरन विदेशों में भी हैं. यही नहीं, उन्होंने महिला व्यवसायियों की भी मदद की. उन्हें नई राह दिखाई है.

पेश हैं, गंभीरतापूर्वक अपनी जिम्मेदारियां निभाने वाली नैचुरल्स सैलून की संस्थापिका, वीना कुमारावेल से हुई बातचीत के कुछ अहम अंश:

सब से पहले अपने बारे में बताएं?

करीब 14 साल पहले मैं ने एक बिजनैस शुरू करने का फैसला लिया. उस वक्त मेरे बच्चों ने स्कूल जाना शुरू कर दिया था. मैं किसी भी क्षेत्र में अपना अलग मुकाम पाना चाहती थी. 2000 में, चैन्नई के नुंगम व बाक्कम कादर नवाज के खान रोड में मैं ने नैचुरल्स सैलून की स्थापना की. उस वक्त मध्यवर्गीय परिवारों के लिए अलग ब्यूटीपार्लर्स, स्पा वगैरह न होना भी इसे शुरू करने की खास वजह रही. फिलहाल इस समय हमारे 350 आउटलैट्स हैं.

वूमन ऐंटरप्रेन्योर्स एवं नैचुरल्स के बारे में बताएं?

अब तक करीब 185 महिला व्यवसायियों ने हमारी फ्रैंचाइजी ली है. इस के लिए हम इंडियन ओवरसीज बैंक के साथ जुड़ कर उन्हें आसानी से लोन दिलाने में मदद कर रहे हैं.

चैन्नई, कोट्टुरपुरम के आईएसटीई प्रोफैशनल सैंटर के बारे में बताएं?

यहां भारत के कई राज्यों के स्त्रीपुरुषों को कौस्मैटोलौजी, हेयर कटिंग आदि की टे्रनिंग दी जाती है. इस के बाद या तो हम स्वयं ही उन्हें जौब दे देते हैं या फिर वे जहां चाहें काम कर सकते हैं.

आप अपने परिवार और बिजनैस दोनों को एकसाथ कैसे संभालती हैं?

वक्त को सही ढंग से मैनेज किया जाए तो सब कुछ संभव है. मैं भी इसे ही फौलो कर रही हैं. मेरे पति कुमारावेल मेरा साथ दे रहे हैं. परिवार के बाकी लोग भी मेरी मदद करते हैं. यही मेरी सफलता का राज है.

नैचुरल्स डब्ल्यू के बारे में बताएं?

यह ब्राइडल स्टूडियो है. इस में भारत के हर क्षेत्र की ब्राइडल का मेकअप किया जाता है. इस में कई तरह की सिटिंग्स होती हैं जैसे 6 माह की या फिर शौर्ट टर्म की भी.

अपने आउटलैट्स के बारे में बताएं.

अब तक भारत में हमारे 350 आउटलेट्स हैं. हाल ही में कोलंबो में भी एक आउटलैट की शुरुआत की है. जल्द ही यूके, दुबई जैसे देशों में भी इस की शुरुआत करने वाले हैं. इस वर्ष के अंत तक कुल 650 आउटलैट्स खोलने और 2017 तक 3,000 आउटलैट्स खोलने, 1,000 वूमन ऐंटरप्रेन्योर और 5,000 लोगों को नौकरी मुहैया कराने का हमारा लक्ष्य है. हाल ही में हम ने बौलीवुड ब्यूटी करीना कपूर को नैचुरल्स का ब्रैंड ऐंबैसेडर बनाया है.

आजकल युवतियों के बीच कौन सा हेयरस्टाइल फैशन में है?

पहले स्ट्रेटनिंग बहुत फेमस था. ट्रैडिशनल टच हेयरस्टाइल भी मशहूर रहा. अब यंग गर्ल्स, कर्ल्स को बहुत पसंद कर रही हैं.

गरमी के मौसम के लिए क्या ब्यूटी टिप्स देना चाहेंगी?

गरमी में हलका मेकअप ही सही रहता है. इस के अलावा वाटरबेस्ड प्रोडक्ट्स और पेस्टल शेड्स का प्रयोग अधिक करना चाहिए. सनस्क्रीन का प्रयोग भी अनिवार्य है.

शाइनी दोषी

आहमदाबाद की शाइनी के पिता उन्हें डाक्टर बनाना चाहते थे क्योंकि वे खुद भी डाक्टर थे. मगर ग्रैजुएशन के बाद शाइनी की रुचि फैशन क्षेत्र में बढ़ गई और उन्होंने नैशनल इंस्टिट्यूट औफ फैशन डिजाइनिंग में दाखिला ले लिया.

शुरुआत में पहले तो उन्होंने मौडलिंग में हाथ आजमाया फिर धीरेधीरे ऐक्टिंग में हाथ आजमाना शुरू कर दिया अब शाइनी टीवी दुनिया का एक जानामाना नाम बन गई हैं. पेश हैं, उन से हुई बातचीत के प्रमुख अंश:

ऐक्टिंग में थी रुचि

मुझे ऐक्टिंग में हमेशा से रुचि थी. ‘सरस्वतीचंद्र’ में कुसुम की भूमिका दे कर स्टार ने मुझे बहुत बड़ा बे्रक दिया. मैं ने हालांकि टीवी में ऐक्टिंग के बारे में नहीं सोचा था, लेकिन मुझे यह कौंसैप्ट बहुत रोचक लगा.

ब्यूटी सीक्रेट

मैं हफ्ते में 3-4 बार केश धोती हूं और कंडीशनर का प्रयोग करती हूं. केश धोने से पहले लगातार तेल का प्रयोग करती हूं. काम खत्म होते ही मैं अपना मेकअप उतार देती हूं और अपनी स्किन पर मौइश्चराइजर का प्रयोग करती हूं.

यादगार पल

जिस दिन मेरे मांबाप ने मेरा नाम शाइनी रखा वह दिन मेरी यादों में हमेशा रहेगा. मुझे लगता है कि उन्हें पता था कि मैं अपने नाम की तरह ही चमकूंगी.

स्टाइल मंत्रा

ड्रैस चाहें इंडियन हो या वैस्टर्न, अपनी पर्सनैलिटी के हिसाब से ही चुनें. जो स्टाइल आप को हमेशा सूट करता हो उसी के अनुसार ड्रैसेज का चुनाव करेंगी तो सहज महसूस करेंगी.

खुद को वक्त दें

यों तो मैं इंडस्ट्री में कई लोगों को जानती हूं पर मैं अपने सब से करीब अपने काम को ही मानती हूं क्योंकि आज मैं जो कुछ भी हूं वह अपने काम की वजह से ही हूं. इस के अलावा जब भी मुझे खाली वक्त मिलता है तो वह मैं खुद के साथ बिताना पसंद करती हूं. आराम और शौपिंग भी करती हूं.

खानपान पर ध्यान

शाइनी को मुंबई की चौपाटी की चाट बेहद पसंद है. वे शारीरिक फिटनैस पर खासा ध्यान देती हैं. वे कहती हैं कि शरीर की उचित देखभाल के लिए खानपान पर ध्यान देने के साथसाथ फिटनैस पर भी ध्यान देना जरूरी है. वे मैडिटेशन और कसरत के लिए भी वक्त जरूर निकालती हैं.              

मुसकान है जरूरी

मैं हमेशा मुसकराती रहती हूं और मेरी कोशिश रहती है कि मेरे आसपास के लोग भी मुसकराते रहें. यह आप की सकारात्मकता को प्रदर्शित करता है और आप जिस से भी मिलते हैं उस पर भी उस का असर होता है. मांबाप ने मेरा नाम शायद शाइनी इसीलिए रखा होगा कि उन्हें पता था कि मैं अपने नाम की तरह ही चमकूंगी.

प्रीति चौधरी

टीवी धारावाहिक ‘हम लड़कियां’ से अभिनय कैरियर का आगाज करने वाली प्रीति का नाम किसी परिचय का मुहताज नहीं. स्वभाव से सरल प्रीति अभिनय के हर क्षेत्र को छूना चाहती हैं. उन्हें एक अच्छे कौमेडी रोल की भी तलाश है. पेश हैं, उन से हुई बातचीत के प्रमुख अंश:

अभिनेत्री ही बनना था

मैं ने जब से होश संभाला तब से मेरी अभिनेत्री बनने की ही इच्छा रही. मैं ने यहां आने के लिए संघर्ष किया है. मैं थोड़े पुराने खयालात के परिवार से ताल्लुक रखती हूं, इसलिए उन्हें इस बात पर राजी करना थोड़ा कठिन काम था. लेकिन अब वे ‘दीया और बाती हम’ देखते हैं तो मेरे काम पर गर्व महसूस करते हैं.

फिट रहें खूबसूरत दिखें

मैं सप्ताह में 3 दिन अपने केशों में तेल लगाती हूं. हरी सब्जियां खाती हूं. अपने केशों की देखभाल के लिए मैं नियमित तौर पर स्पा भी जाती हूं. मैं थोड़ी आलसी हूं इसलिए बस पानी पीने का और नियमित तौर पर क्लीनअप के लिए जाने का ध्यान रखती हूं.

यादगार पल

धारावाहिक ‘कैरी’ में फर्स्ट लीड पाना मेरी जिंदगी का खुशनुमा पल था और अब मैं धारावाहिक ‘दीया और बाती हम’ में एकदम अलग तरह की भूमिका निभा रही हूं, जिस से मुझे काफी उम्मीदें हैं. मेरे काम पर मेरे मांबाप को गर्व है और जब मांबाप आप पर गर्व करते हैं तो यह एहसास बहुत खूबसूरत होता है.

स्टाइल मंत्रा

मुझे लगता है कि किसी भी मामले में आप का एटीट्यूड आप को औरों से अलग करता है. आप चाहें किसी भी ट्रैंड या स्टाइल की ड्रैस पहनें, जब तक उसे सही तरह से कैरी नहीं करेंगी वह आप की पर्सनैलिटी को बिलकुल सूट नहीं करेगी.

निजी जिंदगी

मुझे दोस्त बनाना बेहद पसंद है. धारावाहिक ‘महाभारत’ में सुभद्रा की भूमिका निभा रही विभा आनंद मेरी करीबी दोस्त है. मैं फिल्मों की दीवानी हूं. जब भी मुझे वक्त मिलता है मैं फिल्म देखती हूं और मैं एक कमरे में सिर्फ टीवी के साथ बंद रह सकती हूं. यानी मैं लगातार टीवी देख सकती हूं.

मैं खानेपीने की शौकीन हूं और स्ट्रीट फूड में पानीपूरी और दही चाट मेरे फैवरेट हैं. जब भी मुझे तनाव होता है तो मैं संगीत और डांस में मन लगाती हूं. मेरी नजर में इस से अच्छा स्ट्रैस बस्टर कोई नहीं.

मुसकान से पौजिटिव एनर्जी

मैं हमेशा मुसकराती रहती हूं और मेरी कोशिश रहती है कि मेरे आसपास के लोग भी मुसकराते रहें. यह आप की सकारात्मकता को प्रदर्शित करता है और आप जिस से भी मिलते हैं उस पर भी उस का असर होता है. मेरे काम पर मेरे मांबाप को बहुत गर्व होता है. मेरे लिए यह एहसास बहुत खूबसूरत होता है.

फरनाज शेट्टी

मुंबई में जन्मीं और पलीबढ़ी फरनाज थोड़ी रिजर्व नेचर की हैं पर मौका मिलने पर अपनी बात लोगों के सामने जरूर रखती हैं. अभिनय में कैरियर बना कर वे अपनी मां का सपना पूरा कर रही हैं. पेश हैं, उन से हुई बातचीत के कुछ अंश:

अभिनय नहीं करना था

मुझे ऐक्टिंग में कोई दिलचस्पी नहीं थी. 12वीं करने के बाद मुझे कुछ औफर मिले, लेकिन मैं ने ध्यान नहीं दिया, क्योंकि मैं अपनी पढ़ाई पर ध्यान दे रही थी. लेकिन ग्रैजुएशन करने के बाद मुझे महसूस हुआ कि मुझे अपने कैरियर के बारे में सोचना चाहिए और मैं ने ऐक्टिंग के बारे में सोचा. मैं ने अपनी शुरुआत धारावाहिक ‘दिल की नजर से खूबसूरत’ से की फिर मेरी यात्रा शुरू हो गई. धारावाहिक ‘वीरा’ में गुंजन की भूमिका अपनेआप मेरे पास आ गई. मैं इस किरदार के हर रंग का आनंद ले रही हूं.

ब्यूटी फंडा

मैं अपने केशों की बहुत देखभाल करती हूं और यह ‘वीरा’ के किरदार के लिए बहुत जरूरी है. फिर अपने लुक के हिसाब से भी केशों का खूबसूरत दिखना बहुत जरूरी है. मैं सप्ताह में 2-3 बार अपने केशों में तेल लगाती हूं और उन्हें प्रदूषण और धूल से बचाती हूं.

अच्छी स्किन के लिए मेकअप अच्छी तरह उतारना बहुत जरूरी है. मैं मेकअप उतारने के लिए फेसवाश करती हूं, जिस के लिए मैं सामान्य पानी या फिर कोकोनट वाटर प्रयोग करती हूं.

जिंदगी का खुशनुमा पल

धारावाहिक ‘वीरा’ का प्रस्ताव मिलना मेरे लिए एक बहुत बड़ा पल था और यह अब भी मुझे बहुत संतुष्टि देता है. इस किरदार को निभाना मेरी जिंदगी में हुई सब से खूबसूरत बातों में से एक है. दिल्ली में मैं अपने बहुत से प्रशंसकों से मिली जो मेरे काम की तारीफ कर रहे थे, यह बहुत सुकून भरा एहसास था.

स्टाइल मंत्रा

मेरा अपना खुद का स्टाइल है जिस में मैं सहज महसूस करती हूं. मैं ट्रैंड के हिसाब से नहीं चलती. मैं जिन ड्रैसेज को आत्मविश्वास के साथ कैरी कर सकूं वही चुनती हूं.

मेरी रियल लाइफ

मैं अपनी रील लाइफ मां बनसारी के बहुत करीब हूं जिस की भूमिका विश्वप्रीत कौर निभा रही हैं. मैं अपने खाली समय में पेंटिंग करना और अपने परिवार और करीबी दोस्तों के साथ अच्छा वक्त बिताना पसंद करती हूं. मुझे उबला स्वीट कौर्न ढेर सारे मसाले के साथ पसंद है. चिकन कोरमा भी मेरी पसंदीदा डिश है.

मैं अपने काम का आनंद लेती हूं जिस से मेरे ऊपर कभी थकान हावी नहीं होती. लेकिन जब मानसिक तनाव होता है, तो मैं संगीत सुन कर खुद को सुकून देने की कोशिश करती हूं.

मुसकराते रहें मस्त रहें

असल जिंदगी में मैं बहुत मस्त लड़की हूं, जो लोगों को खुश करने और खुशियां बिखेरने में विश्वास करती है. सैट पर जब हर कोई थक जाता है, तो मैं सब के चेहरे पर मुसकान लाने की कोशिश करती हूं.

दिशा परमार

दिशा का जन्म असम के नागांव में हुआ. दिशा ने राजश्री प्रोडक्शन के टीवी धारावाहिक ‘प्यार का दर्द है मीठामीठा प्याराप्यारा’ से अपने अभिनय कैरियर की शुरुआत की. उन से हुई बातचीत काफी रोचक रही:

ग्लैमर वर्ल्ड में आना था

मैं 12वीं में पढ़ती थी जब मुझे ‘प्यार का दर्द है मीठामीठा प्याराप्यारा’ में प्रमुख भूमिका निभाने को मिली और इस मौके को मैं ने झपट लिया. हर कोई ग्लैमर वर्ल्ड में अपना नाम बनाना चाहता है और मैं कोई अलग नहीं. मैं ने टीवी सीरियल्स में काम करने के लिए अपनी पढ़ाई छोड़ दी. मेरे परिवार ने पहले मेरे इस फैसले का विरोध किया, क्योंकि वे चाहते थे कि मैं अपनी पढ़ाई पूरी करूं. लेकिन जब मैं मुंबई आ गई तो उन्होंने मेरे फैसले को अपना समर्थन दिया.

सुंदरता की देखभाल

मैं अलगअलग तरह के हेयर औयल का प्रयोग करती हूं और हफ्ते में 2 बार अपने केशों की मसाज करती हूं, क्योंकि धारावाहिक के लिए मुझे अपने केशों को लगातार मजबूत करने की जरूरत होती है. उन की देखभाल करना मेरे लिए ज्यादा जरूरी हो गया है.

मैं अपनी स्किन के लिए हमेशा अच्छे ब्रैंड के उत्पाद इस्तेमाल करती हूं. चाहे वह मौइश्चराइजर हो या फिर फेसवाश.

खुशनुमा पल

मेरी जिंदगी का सब से खुशनुमा पल है जब मुझे स्टार प्लस पर राजश्री प्रोडक्शन की ‘प्यार का दर्द है…’ मिली. किसी भी लड़की के लिए यह ड्रीम लौंच हो सकता है.

स्टाइल मंत्रा

मैं फैशन ट्रैंड पर नजर रखती हूं और अपडेट रहती हूं. ट्रैंड में रहना ही मेरा स्टाइल मंत्रा है. मैं कुछ भी नहीं पहन सकती. मैं ऐसे कपड़े पहनती हूं जिन में सहज महसूस कर सकूं.

मैं रोज बहुत ज्यादा समय अपने साथी कलाकारों के साथ बिताती हूं, इसलिए कि वे सभी मेरे दोस्त हैं. एक तरह से हम एक बड़े और खुशहाल परिवार के सदस्यों की तरह हैं.

जब शूटिंग नहीं कर रही होती तो सोना पसंद करती हूं. इस के अलावा मुझे शौपिंग करना भी पसंद है.

पसंदीदा फूड

मेरा पसंदीदा स्ट्रीट फूड गोलगप्पे हैं. मैं इन के लिए कुछ भी कर सकती हूं.

तनाव दूर करने के लिए मैं कभीकभी खरीदारी करने भी निकल जाती हूं. मुझे फुटवियर खरीदने का बहुत शौक है. मेरे पास जूतों की 30-40 जोडि़यां हैं.

मुसकान ही जिंदगी

मेरा मानना है कि अगर आप के चेहरे पर मुसकराहट है तो आप इसे किसी दूसरे के चेहरे पर भी ला सकते हैं. इसलिए मुसकराना और पूरी तरह से जिंदगी का आनंद लेना बहुत जरूरी है. राजश्री प्रोडक्शन में पहला ब्रेक मिलना मेरे लिए बेहतरीन मुसकराने का पल था.

पूजा सिंह

मैनेजमैंट की पढ़ाई पूरी कर के मल्टीनैशनल कंपनी में नौकरी करने की चाह रखने वाली पूजा अपनी मां की इच्छा पूरी करने के लिए अभिनय क्षेत्र में आईं. अब वे अपने काम को ऐंजौय कर रही हैं. पेश हैं, उन से हुई बातचीत के खास अंश:

मां के सपने ने बनाया अभिनेत्री

मेरी मां को अभिनय में बहुत रुचि थी और वे चाहती थीं कि मैं ऐक्टिंग में आऊं लेकिन मेरी इच्छा थी कि मैं एमबीए कर के किसी अच्छी कंपनी में नौकरी करूं.

मैं पुणे में पढ़ाई कर रही थी लेकिन मां की इच्छा की वजह से औडिशन के लिए मुंबई आतीजाती रहती थी. बिना किसी योजना मैं ने काफी पहले स्टार प्लस में औडिशन दिया था और अचानक एक दिन मुझे ‘दीया और बाती हम’ में एमिली की भूमिका के लिए बुलाया गया.

मैं इतना ही कह सकती हूं कि यह सब बिना किसी योजना के होता चला गया.

खूबसूरती का फंडा

मेरे केश लंबे हैं और मुझे बहुत पसंद हैं. मैं इन्हें नैचुरल रखना पसंद करती हूं. फिर एमिली की भूमिका के लिए भी मुझे अपने केश पूरे रखने थे. मैं जैल या हेयरस्प्रे इस्तेमाल नहीं करती, बल्कि मैं अपने केशों में नियमित तौर पर तेल लगाती हूं, धोती हूं और कंडीशनिंग करती हूं.

मेकअप उतारने और सोने जाने से पहले मैं अपने चेहरे पर बेबी औयल लगाती हूं. उसे अच्छी तरह मौइश्चराइज करती हूं और खूब सारा पानी पीती हूं.

खुशनुमा पल

जब मैं ‘दीया और बाती हम’ में आई तो यह पहले से ही नं. 1 पर था. फिर भी मैं ने इस में अपनी अलग पहचान बनाई जो मेरे खुशनुमा पलों में से एक है.

मुझे लोगों से इतना प्यार और तारीफें मिलती हैं कि क्या कहूं.

स्टाइल मंत्रा

मेरा मानना है कि आप जैसे हैं वैसे ही रहें. बदलते ट्रैंड को बेशक अपनाएं पर अपनी पहचान को खोए बगैर. आप उन्हीं कपड़ों में स्मार्ट और स्टाइलिश दिखेंगे जिन में सहज महसूस करेंगे.

बिंदास रहती हूं

मैं खाली वक्त खुद पर खर्च करती हूं. मैं घर पर टीवी देखती हूं, घर की देखभाल करती हूं, शौपिंग करने चली जाती हूं या फिर आराम करती हूं.

इंडस्ट्री में मेरे दोस्त तो कई हैं, लेकिन ऐसा कोई करीबी नहीं है.

जब मैं तनाव में होती हूं तो चुपचाप अपने कमरे में जा कर मैडिटेशन करती हूं. मां से बात करना भी मेरा तनाव दूर करता है. 

मुसकराना है जरूरी

मेरा मानना है कि आप जैसे हैं वैसे ही रहें. बदलते ट्रैंड को बेशक अपनाएं पर अपनी पहचान खोएं नहीं. मुझे लोगों से इतना प्यार और तारीफें मिलती हैं कि मैं बिना मुसकराए नहीं रह पाती.

पूजा शर्मा

दिल्ली के सभ्रांत परिवार में जन्मीं पूजा ने मौडलिंग से अपने कैरियर की शुरुआत की. टीवी धारावाहिक ‘महाभारत’ में द्रौपदी का किरदार निभा रही पूजा स्वभाव से हंसमुख व जिंदादिल हैं. पेश हैं, उन से हुई बातचीत के कुछ अंश:

ऐक्टिंग की शुरुआत

द्रौपदी की भूमिका मिलना सपने के सच होने जैसा था. हालांकि मैं ने ऐसी कोई भूमिका करने के बारे में पहले कभी नहीं सोचा था, लेकिन थिएटर और परफौर्मिंग आर्ट की तरफ मेरा रुझान शुरू से था. अपने कालेज के दिनों मैं स्पोर्ट्स पर आधारित एक टौक शो के लिए चुन ली गई. उस में परफौर्म करने के बाद मुझे लगा कि शो में मैं बहुत खराब थी, लेकिन टीम में से किसी ने कहा कि एक ऐंकर के तौर पर मैं ने अच्छा काम किया. फिर कुछ ऐंकरिंग, औडिशंस के बाद मुझे बतौर ऐंकर उस में परफौर्म करने के बाद चुन लिया गया. ऐंकरिंग के बाद मैं ने कुछ टीवीसी और रैंप वाक किया. मुझे लगता है कि दिल्ली से मुंबई तक का मेरा सफर आसान रहा. मुझे टैलीविजन जौइन करने में बहुत मुश्किल नहीं हुई. सब कुछ बहुत आसानी से होता गया. मुझे खुशी है कि मुझे ‘महाभारत’ में काम करने का मौका मिला.

मैं द्रौपदी के लंबे केशों से प्रभावित हूं, इसीलिए मैं हर वाश के पहले अपने केशों में तेल लगाती हूं और कंडीशनर का प्रयोग जरूर करती हूं.

अपने किरदार के लिए मुझे लंबे समय तक मेकअप करने की जरूरत होती है, इसलिए यह मेरे लिए जरूरी है कि मैं अपना मेकअप अच्छी तरह उतारूं और क्लींजिंग, टोनिंग और मौइश्चराइजिंग का रोज प्रयोग करूं. मेरा मानना है कि आप का चेहरा आप के व्यक्तित्व का आईना होता है, इसलिए मैं सही खाने और बहुत सारा पानी पीने पर ध्यान देती हूं.

खुशनुमा याद

धारावाहिक ‘महाभारत’ में द्रौपदी की भूमिका पाना मेरी जिंदगी का खुशनुमा पल है. मेरे मातापिता को मुझ पर गर्व है. जब मैं उन के चेहरे पर मुसकान देखती हूं तो वह पल भी मेरे लिए बेहद खुशनुमा और खूबसूरत होता है.

साधारण और जिंदादिल

मैं इंडस्ट्री में नई हूं इसलिए नहीं कह सकती किस के सब से करीब हूं. लेकिन हां, ‘महाभारत’ टीम के कुछ सदस्यों से मेरी दोस्ती हो गई है. मैं बहुत पढ़ाकू हूं और उस दौरान किताबें पढ़ती हूं. इस के अलावा दोस्तों के साथ मस्ती करती हूं और फिल्में भी देखती हूं.

किसी दोस्त या किसी अच्छी फिल्म से अलग अच्छा साहित्य मेरे तनाव को सब से अच्छे तरीके से दूर करता है.                

मुसकान ही असली खूबसूरती

मेरा मानना है कि मुसकराते हुए इंसान को मेकअप की जरूरत नहीं होती. उस की मुसकान ही यह बताती है कि आप कितनी खूबसूरत हैं. मेरे मातापिता को मुझ पर गर्व है. जब मैं उन के चेहरे पर मुसकान देखती हूं तो वह पर मेरे लिए बेहद खूबसूरत होता है.

बात जो दिल को छू गई

सर्वश्रेष्ठ  संस्मरण : मैं पेशे से टीचर हूं. एक दिन विद्यालय में एक नई टीचर रचना ने जौइन किया. वे मुझ से 10 साल बड़ी थीं. मेरी उन से प्रगाढ़ मित्रता हो गई.

वे हमेशा मुसकराती रहतीं और अपना काम बड़ी कुशलता से करतीं. सभी उन की प्रशंसा करते.एक दिन मुझे जैसे ही यह समाचार मिला कि रचना दीदी दुर्घटनाग्रस्त हो गई हैं और अस्पताल में भरती हैं, तो मैं उन्हें देखने तुरंत अस्पताल पहुंच गई. वहां रचना दीदी से पता चला कि उन का अपना कहने को कोई नहीं है.सच कुछ लोग ऐसे होते हैं, जो लाख परेशानियां होने पर भी हमेशा मुसकराते रहते हैं. फिर रचना दीदी जब तक अस्पताल में रहीं मैं रोज उन से मिलने जाती रही. उन की जीने की कला मेरे मन को छू गई.

कविता

बात तब की है जब हमारे पड़ोस में एक अंकल की बीमारी से मृत्यु हो गई. दाहसंस्कार के बाद हम सब महिलाओं ने उन के परिवार वालों से चायनाश्ता और भोजन आदि के बारे में पूछा.पहले तो उन्होंने मना किया पर हमारे बारबार आग्रह करने पर उन के यहां की एक बुजुर्ग महिला ने कहा, ‘‘हमारे यहां घर के सभी लोग बिना हलदी की दाल और बिना घी की रोटियां खाते हैं, इसलिए आप यही भेजिएगा.’’बाहर आ कर अभी महिलाएं आपस में कहने लगीं कि हमारे यहां तो बिना प्याज, हलदी की दाल और बिना घी की रोटियां बनाना बुरा माना जाता है. अत: यह भोजन तो हम नहीं भेज सकते.

तभी एक महिला बोलीं, ‘‘मुझे बिना हलदी की दाल और बिना घी की रोटियां बनाने में कोई परहेज नहीं, क्योंकि मेरी नजर में सब से बड़ी चीज मानवता है. इन बेचारों का एक सदस्य इस दुनिया से चला गया और हम हैं कि हलदीमिर्च के चक्कर में उलझी हैं. मैं तो भोजन भेजूंगी.’’ थोड़ी देर में वे महिला खाना बना कर दे भी आईं. उन का यह व्यवहार मेरे मन को छू गया.

प्रतिभा अग्निहोत्री

मेरी सहयोगी अध्यापिका कमलेश आर्थिक रूप से सामान्य हैसियत रखती थीं. पति के गुजरने के बाद उन्होंने अपने बलबूते बच्चों को पढ़ायालिखाया. उन की बेटी का विवाह अपनी सहयोगी की मध्यस्थता से एक विजातीय परिवार में तय हुआ.कमलेश ने उस परिवार से शादी के रीतिरिवाजों की जानकारी ले ली थी, पर मिलनी की रस्म के बारे में उन्हें पता नहीं था. स्वयं उन के परिवार में ऐसी रस्म नहीं होती थी.

जब गाजेबाजे के साथ बरात ने प्रवेश किया तो कमलेश आरती की थाली ले कर बाहर निकलीं. तभी लड़के की चाची ने ऊंची आवाज में कहा, ‘‘पहले मिलनी कराओ. क्व1-1 हजार में मिलनी होगी.’’ यह सुन कर कमलेश थाली पकड़े वहीं खड़ी की खड़ी रह गईं. उधर चाची के कटाक्ष और तेज हो गए.

बात आगे बढ़ती, उस से पहले ही लड़के की मौसी चाची को शांत करते हुए बोलीं, ‘‘देखो बहन, आज हम इन के दरवाजे पर आए हैं. ये जैसा भी स्वागत करें हमें खुशीखुशी मंजूर है.’’

इस के बाद शादी की बाकी सारी रस्में हंसीखुशी पूरी हुईं. आज भी उस दिन को याद कर के कमलेश की आंखें मौसीजी के प्रति कृतज्ञता से नम हो जाती हैं.

मनोरमा दयाल

मेरा घर नयानया बना था. पड़ोसिन नीता मेरे घर आ कर घंटों बातें करती. वह अकसर पड़ोसी शर्मा दंपती से सावधान रहने को कहती कि वे हमेशा दूसरों के घर जा कर खानेपीने के चक्कर में रहते हैं और मौका मिलते ही सामान भी चोरी कर लेते हैं.

एक दिन मैं शाम के समय अपने बेटे के साथ चाय के साथ पकौड़े खा रही थी. तभी शर्मा दंपती आ गए. न चाहते हुए भी औपचारिकतावश मैं उन के लिए चायपकौड़े ले आई.

तभी फोन बज उठा. मैं दूसरे कमरे में फोन रिसीव करने चली गई. जब वापस आई तो शर्माजी ने मुझे मेरी ही अंगूठी दिखाते हुए कहा, ‘‘अरे भाभीजी, आप हमें पकौड़ों के साथ अपनी सोने की अंगूठी भी खिला रही हैं क्या?’’मैं हक्कीबक्की रह गई. अपनी उंगली देखी तो अंगूठी नहीं थी. दरअसल, बेसन फेंटते समय अंगूठी उंगली से निकल गई थी.

मैं तुरंत कह उठी, ‘‘आप तो बहुत नेक इंसान हैं. फिर नीता…’’ मेरी बात पूरी भी न हो पाई थी कि शर्मा दंपती बोल उठे, ‘‘अच्छा तो नीता ने आप के यहां भी अपना रंग दिखा दिया. दरअसल, उसे कई बार हम ने अपने यहां चोरी करते पकड़ा है. तब से वह खुद को बचाने के लिए हमें ही बुरा बनाती है. किसी की सुनीसुनाई बात पर कभी विश्वास मत करिएगा वरना अच्छेबुरे की पहचान नहीं कर पाएंगी’’

उन की यह बात मेरे दिल को छू गई. मुझे इस बात का अफसोस हुआ कि मैं नेक इंसानों को गलत समझ बैठी और गलत इंसान को नेक. उस दिन से मैं बिना देखेपरखे किसी के बारे में कोई राय नहीं बनाती हूं.

संगीता बलवंत

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