योंतो 2015 से भारत में ओटीटी प्लेटफौर्म पैर पसारने लगे थे, मगर 2016 में भारत सरकार द्वारा मनोरंजन क्षेत्र में ‘सौ प्रतिशत एफडीआई’ का नियम लागू करने के साथ ‘नैटफ्लिक्स,’ ‘अमेजन,’ ‘डिज्नी प्लस हौट स्टार’ सहित कई ओटीटी प्लेटफौर्र्म भारत में तेजी से उभरे, पर 2020 में कोरोना महामारी और लौकडाउन के चलते सभी ओटीटी प्लेटफौर्र्म तेजी से लोकप्रिय हुए क्योंकि इस दौरान अपनेअपने घर में कैद हर इंसान के लिए मनोरंजन का एकमात्र साधन ओटीटी प्लेटफौर्म ही रहे. हर ओटीटी प्लेटफौर्म ने अपने साथ लोगों को जोड़ने के सारे तरीके अपनाए.
इन में से ज्यादातर ओटीटी प्लेटफौर्म मासिक या वार्षिक शुल्क लेते हैं, जबकि ‘जी-5’ और ‘सिनेमा पे्रन्योर’ जैसे कुछ ओटीटी प्लेटफौर्म दर्शकों से फिल्म देखने के प्रति फिल्म अलगअलग शुल्क वसूलते हैं.
मगर ओटीटी प्लेटफौर्म ‘एमएक्स प्लेयर’ अपने दर्शकों से कोईर् शुल्क नहीं लेता. कोई भी शख्स ‘एमएक्स प्लेयर’ पर स्ट्रीम हो रहे कार्यक्रम को मुफ्त में देख सकता है, मगर उसे हर कार्यक्रम या वैब सीरीज या फिल्म देखते समय बीचबीच में विज्ञापन भी देखने पड़ते हैं क्योंकि ‘एमएक्स प्लेयर’ विज्ञान पर आधारित ओटीटी प्लेटफौर्म है.
यों तो ‘गूगल प्ले स्टोर’ पर एमएक्स प्लेयर का एक प्रीमियम ऐप है, जो 5 डौलर में विज्ञापन स्ट्रिप्स चलाता है. लेकिन यह ऐप ज्यादातर विज्ञापन से मिलने वाले राजस्व पर ही निर्भर करता है. इन दिनों ‘एमएक्स प्लेयर’ करीब 3 दर्जन से अधिक स्थानीय व अंतर्राष्ट्रीय ओटीटी प्लेटफौर्म संग प्रतिस्पर्धा कर रहा है.
फिलहाल ‘एमएक्स प्लेयर का स्वामित्व ‘टाइम्स ग्रुप’ के पास है और इस का मुख्यालय सिंगापुर (71 राबिंसन रोड, सिंगापुर-068895) में है तथा यह कंपनी सिंगापुर के कानून के तहत संचालित होती है.
मोबाइल ऐप से ओटीटी प्लेटफौर्म तक
मूलत: एमएक्स प्लेयर की शुरुआत कोरिया में एक ऐप के रूप में हुई थी, जो कि वीडियो फाइल के रूप में संग्रहीत वैब सीरीज का प्रसारण स्थानीय मोबाइल फोन पर करता था. छोटे संसाधनों का उपयोग करते हुए ऐप ने भारत जैसे उभरते बाजारों में कम लागत वाले ऐंड्रौइड स्मार्टफोन के साथ लाखों उपयोगकर्ताओं का विश्वास जीतने में कामयाब रहा. धीरेधीरे टाइम्स गु्रप की कंपनी ‘टाइम्स इंटरनैट’ ने इस में निवेश शुरू किया. फिर 2017 के अंत में ‘टाइम्स इंटरनैट’ ने एमएक्स प्लेयर में 140 मिलियन डौलर का निवेश कर स्वामित्व हासिल किया. उस के बाद एमएक्स प्लेयर का मूल्यांकन 500 मिलियन डौलर आंका गया था.
चाइनीज कंपनी टेनसेंट ने किया लगभग 111 मिलियन डौलर का निवेश
30 अक्तूबर, 2019 को एमएक्स प्लेयर ने सूचित किया था कि चीनी इंटरनैट की दिग्गज कंपनी टेनसेंट ने 110.8 मिलियन की राशि ‘एमएक्स प्लेयर’ ऐप में निवेश किए हैं और ‘एम एक्स प्लेयर’ वीडियो ऐप भारत और अन्य अंतर्राष्ट्रीय देशों में अपने कारोबार का विस्तार करना चाहता है.
‘‘एमएक्स प्लेयर’’ से पहले टेनसेंट ‘टाइम्स इंटरनैट’ के स्वामित्व वाले गाना विशाल ओला, टेक स्टार्टअप बायूज क्च२क्च ई कौमर्स, स्टार्टअप उडान और व्यापारियों के लिए बहीखाता सेवा ‘खाताबुक’ सहित कुछ भारतीय स्टार्टअप्स कंपनियों में निवेश किया था. टेनसेंट के ‘एमएक्स प्लेयर’ में निवेश करने पर ‘टाइम्स इंटरनेट’ के उपाध्यक्ष सत्यन गजवानी ने कहा था, ‘‘टेनसेंट संगीत और वीडियो में एक प्रमुख वैश्विक शक्ति है और हमें उन की क्षमताओं से सीखने और लाभ उठाने के लिए बहुत कुछ है.’’
जबकि ‘एमएक्स प्लेयर’ के सीईओ करण बेदी ने एक अखबार से बातचीत करते हुए कहा था, ‘‘निवेश के रूप में मिली इस रकम का उपयोग वीडियो ऐप के लिए मौलिक टीवी कार्यक्रमों का उत्पादन बढ़ाने और लाइसैंस प्राप्त साम्रग्री की अपनी सूची को व्यापक बनाने के लिए करेगा. फर्म ने अब तक अपने प्लेटफार्म पर 15 मौलिक शो जोड़े हैं तथा इस साल के अंत तक 20 अन्य का उत्पादन शुरू कर दिया है.
2019 तक भारत में एमएक्स प्लेयर के 175 मिलियन मासिक सक्रिय उपयोगकर्ता थे, जबकि वैश्विक स्तर पर 280 मिलियन से अधिक उपयोगकर्ताओं को एकत्र किया था.
2020 में तेजी से बढ़ा एमएक्स प्लेयर
जी हां, कोरोनाकाल व लौकडाउन का फायदा ‘एमएक्स प्लेयर’ को भी मिला. इस संबंध में नवंबर, 2020 में एक अखबार से बात करते हुए एमएक्स प्लेयर के सीईओ करण बेदी कह चुके हैं, ‘‘हकीकत में आज की तारीख में ‘एमएक्स प्लेयर’ भारत का सब से बड़ा ओटीटी प्लेटफौर्म है. हमारे उपयोगकर्ताओं की संख्या में लगातार इजाफा होता जा रहा है. हम ने अपने लक्ष्य को स्पष्ट रूप से पार कर लिया है. हमारे पास सब से बड़ा होने की दृष्टि थी, लेकिन यह नहीं सोचा था कि यह जल्दी से होगा, हमारे मन में थोड़ी लंबी अवधि की रूपरेखा थी. हम ने स्क्रैच से शुरुआत की. हमें मदद करने के लिए हमारे पीछे कोई भी टीवी नैटवर्क नहीं है.
जाहिर तौर पर ‘टाइम्स’ समूह व्यवसाय में बहुत सारी मीडिया कंपनियों को लाता है, लेकिन यह मुख्य रूप से एक समाचार समूह था न कि एक मनोरंजन समूह. हमारी टीम और शेयरधारक वास्तव में इसे उभारने में कामयाब रहे. ‘एमएक्स प्लेयर’ प्लेटफौर्म कुल मिला कर 220 एमएयू के करीब है. यह एक बहुत बड़ी छलांग है, जो हमारे अलगअलग मीडिया प्लेटफौर्मों पर हुई है और ‘एवरीटेनमैंट’ की अवधारणा संग हम लगातार नए उपयोगकर्ताओं के विस्तार का आधार तैयार करने में सफल रहे.
विस्तार का आधार
‘‘इतना ही नहीं हम अपने मौजूदा उपयोगकर्ताओं के विस्तार का आधार तैयार करने में सफल रहे. यही नहीं हम ने अपने मौजूदा उपयोगकर्ताओं के आधार को पूरी तरह से बनाए रखा है और पुन: प्राप्त किया है. जब हम ने ‘एमएक्स प्लेयर’ का अधिग्रहण किया था, तब 175 मिलियन उपभोक्ता थे.’’
एमएक्स प्लेयर ने 2018 के मध्य में फिल्में और वैब सीरीज की स्ट्रीमिंग शुरू की. आज लगभग 200 टीवी चैनलों, उन के वर्तमान और अतीत के सीरियलों के अलावा ‘गाना’ के साथ एकीकरण के माध्यम से संगीत का भी स्ट्रीमिंग करता है.
‘एमएक्स प्लेयर’ ने भारत में होईचोई जैसी सभी वैब सीरियल निर्माताओं और सोनी और सन सहित शीर्ष 5 टीवी स्थानीय केबल नैटवर्क में से 3 के साथ सम झौता किया है और अब कई विदेशी वैब सीरीज व फिल्मों को हिंदी में डब कर स्ट्म कर रहा है.
डिश टीवी इंडिया की भागीदारी
अप्रैल, 2020 में लौकडाउन के समय ही डिश टीवी ने घोषणा की थी कि उस ने अपने ग्राहकों को वीडियो औन डिमांड सामग्री की पेशकश करने के लिए एमएक्स प्लेयर के साथ भागीदारी की है. डिश टीवी और डी2एच उपयोगकर्ता अपने ऐंड्रौइड सैट टौप बौक्स के माध्यम से एमएक्स प्लेयर की सामग्री का उपयोग कर सकते हैं.
उपयोगकर्ता अब लोकप्रिय एमएक्स प्लेयर की मौलिक वैब सीरीज व फिल्म, टीवी सीरियल, म्यूजिक वीडियो और फिल्मों को कई शैलियों और भाषाओं में स्ट्रीम करने में सक्षम होंगे.
सा झेदारी पर टिप्पणी करते हुए डिश टीवी इंडिया लिमिटेड के कार्यकारी निदेशक और समूह के सीईओ अनिल दुआ ने कहा था, ‘‘एमएक्स प्लेयर के साथ हमारी सा झेदारी हमारी ऐंड्रौइड बौक्स उपयोगकर्ताओं के लिए 10 से अधिक भाषाओं में फैले बड़े कंटैंट लाइब्रेरी तक पहुंचना आसान बनाती है.
हमारे ग्राहकों के लिए अद्वितीय सामग्री की पेशकश हमेशा हमारे लिए एक सर्वोच्च प्राथमिकता है और इस सा झेदारी के माध्यम से हम ने अपना वादा पूरा करने के लिए एक और कदम उठाया है.’’
खर्च व परेशानी
माना कि ओटीटी प्लेटफार्म ‘‘एमएक्स प्लेयर’’ पर उपलब्ध किसी भी वैब सीरीज या फिल्म को दर्शक मुफ्त में देख सकता है. (लेकिन इंटरनैट या यों कहें कि वाईफाई का खर्च तो उसे वहन ही करना पड़ता है.) लेकिन दर्शक की अकसर शिकायत रहती है कि फिल्म या वैब सीरीज रुकरुक कर चलती है अथवा आवाज टूटती रहती है, जिस के चलते उन का इंटरनैट का बिल बढ़ जाता है.
एमएक्स प्लेयर का बिजनैस मौडल क्या है
अब अहम सवाल यह है कि जब दर्शक ‘एमएक्स प्लेयर’ के कार्यक्रम मुफ्त में देखता है, तो फिर ‘एमएक्स प्लेयर’ की अपनी कमाई का जरीया क्या है? जैसा कि हम ने पहले भी बताया कि यह ओटीटी प्लेटफौर्म विज्ञापन पर आधारित है यानी एमएक्स प्लेयर की कमाई का जरीया विज्ञाप होते हैं, जिन्हें वह अपने वीडियो पर लगा कर धन कमाता है.
यह विज्ञापन उस के प्लेटफौर्म के उपयोगकर्ताओं की संख्या बल पर मिलते हैं, मगर विज्ञापन की रकम विज्ञापन को जितने दर्शक देखते हैं, उस आधार पर मिलती है. सूत्रों की मानें तो यह लगभग 23 पैसे प्रति व्यू है. जबकि बैनर विज्ञापन के लिए 13 पैसे प्रति व्यू है. वीडियों की सूची के बीच रखे गए विज्ञापन के लिए 10 पैसे प्रति व्यू है.
2019 के अंत तक एमएक्स प्लेयर के भारत में 280 मिलियन से अधिक सक्रिय मासिक उपयोगकर्ता हो चुके थे, जो देश के अन्य ओटीटी प्लेटफौर्म के मुकाबले अधिक संख्या थी. गत वर्ष इंगलैंड व अमेरिका में भी यह देखा जाने लगा है. इस के अलावा अब एमएक्स प्लेयर दूसरे निर्माता से उन की वैब सीरीज या फिल्म के प्रसारण अधिकार लेने के बजाय स्वयं मौलिक कार्यक्रम बनाने की दिशा में प्रयासरत है.
लेकिन वैब सीरीज ‘आश्रम अध्याय 1’ और ‘अध्याय 2’ की संयुक्त दर्शक संख्या एक बिलियन रही. इस से इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस प्लेटफौर्म के उपयोगकर्ताओं का आधार कितना विशाल है. इसी वजह से इस प्लेटफौर्म पर लोग विज्ञापन देना पसंद करते हैं.
प्रत्येक ऐपिसोड में लगभग 6-7 विज्ञापन होते हैं. हर विज्ञापन की अवधि 30 सैकंड से ले कर 2 मिनट तक की होती है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार वैब सीरीज के दोनों अध्याय को मिला कर करीब 6 बिलियन विज्ञापन देखे गए. लेकिन ‘एमएक्स प्लेयर’ की हर वैब सीरीज या फिल्म को इतने दर्शक नहीं मिल रहे हैं.
निर्माताओं के साथ ऐग्रीमैंट
‘एमएक्स प्लेअर’ अपने प्लेटफौर्म पर किसी भी वैब सीरीज या फिल्म के प्रसारण के अधिकार हासिल करने के लिए 15 पन्नों का लंबाचौड़ा ऐग्रीमैंट करता है. इस के अनुसार ‘एमएक्स प्लेयर’ पूरे 24 माह तक सारे अधिकार रखता है. इस बीच वह कंटैंट का किसी भी रूप में उपयोग कर सकता है और अपने हिसाब से उस में विज्ञापन आदि जोड़ कर स्ट्रीम करेगा.
इस के एवज में ‘एमएक्स प्लेयर’ निर्माता को महज उस फिल्म या वैब सीरीज के लिए मिले नैट विज्ञापन राशि का सिर्फ 40-60% ही दिया जाता है. यह प्रतिशत निर्माता व कंटैंट को देख कर तय होता है जब कि ऐग्रीमैंट बनाने के खर्च से ले कर स्टांप ड्यूटी तक का खर्च भी निर्माता को ही वहन करना पड़ता है.
ऐग्रीमैंट के अनुसार हर तीन माह में इस का हिसाब किया जाता है और निर्माता को देय राशि, उस के बाद 60 दिन में देने की बात कही गई है. लेकिन अब तक कई निर्माताओं से बात करने से पता चला कि किसी को भी ‘एमएक्स प्लेयर’ से कोई रकम नहीं मिली. लेकिन सभी निर्माता फिलहाल चुप रहने में ही अपनी भलाई सम झ रहे हैं.
वास्तव में यदि अब तक ‘एमएक्स प्लेयर्स’ पर प्रसारित फिल्मों पर गौर किया जाए, तो ज्यादातर कम बजट वाली फिल्में या वैब सीरीज ही ज्यादा प्रसारित हुई हैं. इसी बीच ‘आश्रम’ सहित कुछ बड़ी वैब सीरीज भी प्रसारित हुईं. ‘एमएक्स प्लेयर’ की इस नीति के चलते अभी तक छोटे निर्माताओं को आर्थिक रूप से कोई लाभ भले न हुआ हो, मगर उन छोटे निर्माताओं का इस माने में भला हो गया कि कई वर्षों से डब्बे में बंद उन की फिल्में दर्शकों तक पहुंच गईं. एमएक्स प्लेयर ने कुछ फिल्मों को वैब सीरीज के नाम पर कई ऐपीसोडों में विभाजित कर के भी स्ट्रीम किया.
मगर अफसोस की बात यह है कि ‘एमएक्स प्लेयर’ की तरफ से किसी भी वैब सीरीज या फिल्म का सही ढंग से प्रचार नहीं किया जाता. ‘आश्रम’ या ‘बिसात’ जैसी वैब सीरीज, जिन के निर्माण से बड़े निर्माता जुड़े हुए हैं, इन के विज्ञापन जरूर दिए गए. वैसे ‘एमएक्स प्लेयर’ की पीआर टीम तो खुद को किसी से कम नहीं सम झती. वास्तव में पीआर टीम की कोई जवाबदेही तय नहीं है.
पीआर टीम पत्रकारों को प्रैस रिलीज भेज कर अपने कर्तव्यों की ‘इतिश्री’ सम झ लेती है. इस का खमियाजा ‘एमएक्स प्लेयर’ के साथ ही इस प्लेटफौर्म पर अपनी वैब सीरीज या फिल्म देने वाले निर्माताओं को भी भुगतना पड़ रहा है.
‘एमएक्स टकाटक’ और ‘एमएक्स गेमिंग’
‘‘एमएक्स प्लेयर’’ के 2 अन्य प्लेटफार्म हैं- ‘‘एमएक्स टकाटक’’ और ‘‘एमएक्स गेमिंग.’’ ‘एमएक्स गेमिंग’ तो काफी चर्चित ऐप है. वास्तव में दर्शक किसी वैब सीरीज या फिल्म को देखते समय विज्ञापन मजबूरी में देखता है. मगर गेमिंग ऐप पर वह स्वयं चाहता है कि ज्यादा से ज्यादा विज्ञापन हों, जिस से उस के बोनस पौइंट बढ़ जाएं.
इस संबंध में करण बेदी ने कहा है, ‘‘जहां तक ग्राहकों का सवाल है, तो गेमिंग एक ‘इंगेजमैंट’ और विज्ञापन के लिए सब से अच्छे प्लेटफौर्मों में से एक है. भारत अभी भी सब्सक्रिप्शन वीडियो औन डिमांड फ्रैंडली के बजाय बहुत एडवर्टाइजिंग वीडियो औन डिमांड फ्रैंडली मार्केट है.
इसलिए जब हम वीडियो में कोई विज्ञापन दिखाते हैं या उस व्यक्ति को प्रदर्शित करते हुए कहते हैं, ‘ठीक है, मु झे अपने वीडियो को जारी रखने के लिए विज्ञापन को देखना होगा.’ गेमिंग में इस के विपरीत, गेमर्स अधिक विज्ञापन चाहते हैं क्योंकि यह विज्ञापन उन के खेल में अलगअलग सकारात्मक परिणाम लाते हैं. इसलिए यदि आप एक अतिरिक्त जीवन चाहते हैं, या आप खेल में एक शक्ति चाहते हैं तो विकल्प यह है कि इसे खरीदें या विज्ञापन देखें. ज्यादातर लोग विज्ञापन देखना पसंद करते हैं. हर जगह लोग किसी भी तरह से विज्ञापनों से बचना चाहते हैं, मगर यहां गेम खेलने वाला अधिक बोनस पौइंट पाने के लिए और अधिक विज्ञापन की मांग करते हैं.
यदि आप वास्तव में चाहते हैं कि आप का ब्रैंड दर्शकों के साथ प्रतिध्वनित हो, तो इसे लगाने का सही स्थान वह है जहां लोग इसे मजबूरी के रूप में अधिक दोस्ताना तरीके से देखना चाहते हैं. इसलिए गेमिंग ऐंगेजमैंट और हमारे राजस्व में वृद्धि के लिए एक बहुत ही सकारात्मक बदलाव है.
टिकटौक पर पाबंदी
जहां तक ‘एम एक्स टकाटक’ का सवाल है, तो भारत में चाइनीज ऐप ‘टिकटौक’ बच्चों से ले कर बूढ़ों तक काफी लोकप्रिय रहा है. कईर् लोगों ने ‘टिकटौक’ बन कर काफी धन कमाया. मगर चीन से संबंधों में कड़वाहट आने के बाद भारत सरकार ने कई ‘टिकटौक’ सहित कई और चाइनीज ऐपों पर पाबंदी लगाई. ‘टिकटौक’ के बंद होते ही उसी तर्ज पर ‘एमएक्स प्लेयर’ तुरंत ‘एमएक्स टकाटक’ ले कर आ गया और उसे सब से बड़ा फायदा यह हुआ कि ‘टिकटौक’ पर लोकप्रियता बटोर चुके आधे से ज्यादा मौलिक कंटैंट बनाने वाले लोग ‘एमएक्स टकाटक’ के संग जुड़ गए.
एमएक्स टकाटक से जुड़ने पर लोगों को एक फायदा यह हो रहा है कि उन्हें उन की लोकप्रियता के आधार पर ‘एमएक्स प्लेयर’ की वैब सीरीज या फिल्म से जुड़ने के साथसाथ बौलीवुड से भी जुड़ने का अवसर मिलने की संभवनाएं हैं. इसलिए ‘एमएक्स प्लेयर’ के कर्ताधर्ताओं को यकीन है कि ‘एमएक्स टकाटक’ एक दिन ‘टिकटाक’ से अधिक लोगों तक पहुंच जाएगा.
‘एमएक्स प्लेयर’ की कार्यशैली में तमाम कमियां हैं, यदि इन पर गौर कर के सुधार किया जाए तो इस तरह के ओटीटी प्लेटफौर्म और अधिक लोकप्रिय हो सकते हैं. वैसे भी ‘प्राइस वाटर हाउस कूपर्स’ के अनुसार दुनिया में दूसरे सब से बड़े इंटरनैट बाजार के रूप में जाना जाने वाले भारत देश में वीडियो स्ट्रीमिंग का बाजार अगले 4 वर्षों में 1.7 बिलियन डौलर का होने वाला है.
उपयोगकर्ता हैं मगर दर्शक
‘एमएक्स प्लेयर’ के मासिक उपयोगकर्ताओं की संख्या 280 मिलियन से भी अधिक है. इस के बावजूद ‘एमएक्स प्लेयर’ के दावे के ही अनुसार ‘चक्रव्यूह’ को महज 70 मिलियन, ‘बुलेट्स’ को 68 मिलियन, ‘डैंजर्स’ को 48 मिलियन लोगों ने ही देखा. यह महज प्रचार की कमी और वैब सीरीज की गुणवत्ता में कमी का ही नतीजा है.
‘एमएक्स प्लेयर’ को 100 से 150 मिलियन डौलर के निवेश की तलाश
इन दिनों चर्चा है कि ‘एमएक्स प्लेयर’’ करीब 150 मिलियन डालर की राशि जुटाने के लिए प्रयत्नशील है. सूत्रों की मानें तो वर्तमान निवेशक ‘टेनसेंट’ अमेरिकन कंपनी के साथ हाथ मिलाने की तैयारी कर रहा है और उस के बाद हो सकता है कि इस का नाम बदल कर ‘यूनीकार्न’ हो जाए. पर इस संबंध में स्पष्ट कुछ नहीं है. न्यूयौर्क स्थित मर्चेंट बैंक राइन गु्रप इस सौदे पर एमएक्स प्लेयर को सलाह दे रहा है.
राइन अपने स्वयं के पैसे के साथ नए दौर में भी भाग लेने की संभावना है. पर ‘एमएक्स प्लेयर’ की तरफ से इस की पुष्टि नहीं की गई
कुछ चर्चित वैब सीरीज
‘एमएक्स प्लेयर’ ने अब तक ‘हे प्रभु,’ ‘थिंकिस्तान’ और ‘अपरिपक’ सहित तमाम वैब सीरीज को बड़े पैमाने पर कालेज के छात्रों को लक्ष्य कर के बनाया. लेकिन कंपनी धीरेधीरे क्वीन जैसी वैब सीरीज के साथ मंच को पौपुलर कर रही है.
इतना ही नहीं पोंगा पंडितों की पोल खोलने वाली ‘आश्रम’ जैसी वैब सीरीज भी स्ट्रीम की. मादक द्रव्यों, ड्रग्स के कारोबार के इर्दगिर्द घूमती कहानी पर वैब सीरीज ‘हाई’ उस वक्त प्रसारित हुई, जब बौलीवुड में ड्रग्स की जांच एनसीबी कर रही थी. इस के अलावा ‘रक्तांचल,’ ‘भौकाल,’ ‘आप के कमरे में कौन रहता है,’ ‘बुलेट्स,’ ‘शोर इन द सिटी’ ‘चक्रव्यूह,’ ‘द मिसिंग स्टोन,’ ‘पतिपत्नी और पंगा,’ ‘बीहड़ का बागी,’ ‘हैलो मिनी,’ ‘एक थी बेगम,’ ‘विश लिस्ट’ जैसी वैब सीरीज के साथ ही ‘आखेट,’ ‘लंगड़ा राज कुमार’ जैसी कई छोटे बजट की फिल्में स्ट्रीम हो रही हैं.
इसी 26 अप्रैल से विक्रम भट्ट की रहस्य रोमांच प्रधान वैब सीरीज ‘बिसात’ भी स्ट्रीम होना शुरू हुई है. ज्ञातव्य है कि यह ओटीटी प्लेटफौर्म बोल्डनैस व सैक्स को ज्यादा परोसता आ रहा है..