तो कहलाएंगी Wife नं. 1

आजकल अगर आप पत्नियों से यह पूछें कि पति पत्नी से क्या चाहता है तो ज्यादातर पत्नियों का यही जवाब होगा कि सौंदर्य, वेशभूषा, मृदुलता, प्यार. जी हां, काफी हद तक पति पत्नी से नैसर्गिक प्यार का अभिलाषी होता है. वह सौंदर्य, शालीनता, बनावट और हारशृंगार भी चाहता है. पर क्या केवल ये बातें ही उसे संतुष्ट कर देती हैं?

जी नहीं. वह कभीकभी पत्नी में बड़ी तीव्रता से उस की स्वाभाविक सादगी, सहृदयता, गंभीरता और प्रेम की गहराई भी ढूंढ़ता है. कभीकभी वह चाहता है कि वह बुद्धिमान भी हो, भावनाओं को समझने वाली योग्यता भी रखती हो.

बहलाने से नहीं बनेगी बात

पति को गुड्डे की तरह बहलाना ही पत्नी के लिए पर्याप्त नहीं. दोनों के मध्य गहरी आत्मीयता भी जरूरी है. ऐसी आत्मीयता कि पति को अपने साथी में किसी अजनबीपन की अनुभूति न हो. वह यह महसूस करे कि वह उसे सदा से जानता है और वह उस के दुखसुख में हमेशा उस के साथ है. पतिपत्नी के प्यार और वैवाहिक जीवन में यह आत्मिक एकता जरूरी है. पत्नी का कोमल सहारा वास्तव में पति की शक्ति है. यदि वह सहृदयता और सूझबूझ से पति की भावनाओं का साथ नहीं दे सकती, तो वह सफल पत्नी नहीं कहला सकती. पत्नी भी मानसिक तृष्णा अनुभव करती है. वह भी चाहती है कि वह पति के कंधे पर सिर रख कर जीवन का सारा बोझ उतार फेंके.

बहुतों का जीवन प्राय:

इसलिए कटु हो जाता है कि वर्षों के सान्निध्य के बावजूद पति और पत्नी एकदूसरे से मानसिक रूप से दूर रहते हैं और एकदूसरे को समझ नहीं पाते हैं. बस यहीं से शुरू होती है दूरी. यदि आप चाहती हैं कि यह दूरी न बढ़े, जीवन में प्रेम बना रहे तो निम्न बातों पर गौर करें:

यदि आप के पति दार्शनिक हैं तो आप दर्शन में अपनी जानकारी बढ़ाएं. उन्हें कभी शुष्क या उदास मुखड़े से अरुचि का अनुभव न होने दें.

यदि आप कवि की पत्नी हैं, तो समझिए वीणा के कोमल तारों को छेड़ते रहना आप का ही जीवन है. सुंदर बनी रहें, मुसकराती रहें और  सहृदयता से पति के साथ प्रेम करें. उन का दिल बहुत कोमल और भावुक है, आप की चोट सहन न कर पाएगा.

आप के पति प्रोफैसर हैं तो आटेदाल से ले कर संसार की प्रत्येक समस्या पर हर समय व्याख्यान सुनने के लिए प्रसन्नतापूर्वक तैयार रहें.

यदि आप के पति धनी हैं, तो उन के धन को दिमाग पर लादे न घूमें. धन से इतना प्रभावित न हों कि पति यह विश्वास करने लगे कि सारी दिलचस्पी का केंद्र उस की दौलत है. आप दौलत से बेपरवाह हो कर उन के व्यक्तित्व की उस रिक्तता को पूरा करें जो हर धनिक के जीवन में होती है. विनम्रता और प्रतिष्ठतापूर्वक दौलत का सही उपयोग करें और पति को अपना पूरा और सच्चा सान्निध्य दें.

यदि आप के पति पैसे वाले न हों तो उन्हें केवल पति समझिए गरीब नहीं. आप कहें कि आप को गहनों का तो बिलकुल शौक नहीं है. साधारण कपड़ों में भी अपना नारीसौंदर्य स्थिर रखें. चिंता और दुख से बच कर हर मामले में उन का साथ दें.

हमेशा याद रखें कि सच्चा सुख एकदूसरे के साथ में है, भौतिक सुखसुविधाएं कुछ पलों तक ही दिल बहलाती हैं.

Married Life की डोर न होने दें कमजोर

पतिपत्नी का रिश्ता विश्वास की डोरी से बंधा होता है. अगर इस रिश्ते में विश्वास की गाड़ी जरा सी भी डगमगाई, तो फिर रिश्ते के टूटने में देर नहीं लगती. पूरा परिवार ताश के पत्तों की तरह बिखर जाता है. अत: एकदूसरे पर संदेह करना मतलब घर की बरबादी को न्योता देना है. फिर चाहे संदेह पति करे या पत्नी. ज्यादातर मामलों में जब पत्नी नौकरीपेशा होती है तब यह संदेह उत्पन्न होता है, जिस का कारण औफिस के लोगों से बातचीत, दोस्ती होती है. संदेह करने वाला पति यह नहीं समझता कि उस की भी औफिस में महिला दोस्त हैं. वह भी उन से हंसहंस कर बातें करता है. अगर औरत किसी से हंसतेबोलते दिख जाए तो हजारों लोगों की उंगलियां उठने लगती हैं. समाज के ठेकेदार पता नहीं उसे क्याक्या नाम देने लगते हैं.

एक सच्ची दास्तां से रूबरू कराना चाहता हूं. पतिपत्नी दोनों नौकरीपेशा हैं. उन के परिवार में 4 लड़के भी हैं. बड़े लड़के की उम्र करीब 27 साल होगी. काफी सालों तक सब ठीक चलता रहा. फिर अचानक पति के स्वभाव में बदलाव आने लगा. वह बदलाव परिवार को बरबाद करने के लिए काफी था. पति सरकारी नौकरी करता है. पत्नी प्राइवेट जौब करती है. कुछ साल पहले पतिपत्नी के बीच मतभेद शुरू हो गए थे. मतभेद की वजह शक था. पतिपत्नी में रोज लड़ाई होती थी. पति पत्नी को गंदी गालियां देता. बेचारी पत्नी सहन करती रही.

पति को पत्नी के औफिस के एक आदमी पर शक था. पत्नी आखिर अपनी बेगुनाही को कैसे साबित करे, यह उस के लिए बड़ी मुसीबत बन चुकी थी. महल्ले में, रिश्तेदारों में परिवार की बदनामी हो रही थी. लेकिन पति को इस से क्या मतलब? उस पर तो धुन सवार थी. पति सुबह से शाम तक गायब रहे तो कुछ नहीं. लेकिन पत्नी के पास किसी का फोन भी आ जाए तो वह क्यों आया है? किस का है? कौन है? हजारों सवाल खड़े हो जाते हैं. ऐसा ही कुछ उस परिवार में चल रहा था. दरअसल, पत्नी एक दिन अपने सहकर्मी की गाड़ी में बैठ कर औफिस तक गई थी. बस पति को यही बात खाए जा रही थी. हर रोज इस बात पर ताना देता. यहां तक कि वेश्या तक कहा. पूरे घर में तनाव का माहौल बना रहता था.

57 साल की उम्र में पति का इस तरह से व्यवहार करना पत्नी और बच्चों को तनिक भी अच्छा नहीं लगता था. पूरे महल्ले में वह परिवार चर्चा का विषय बना हुआ था. पत्नी पर शक करने से कितना नुकसान परिवार झेल रहा था, पति को इस बात से कोई लेनादेना नहीं था. कहते हैं बेटा हो जब आप बराबर, तो समझो उसे बाप बराबर. लेकिन उस परिवार में पति को न अपने बच्चों का लिहाज था और न ही पत्नी का. पतिपत्नी का रिश्ता आपसी विश्वास पर टिका होता है. लेकिन उस परिवार में यह विश्वास डगमगा गया था, जिस से पूरा परिवार तबाह हो रहा था.

ये भी पढ़ें- Entertainment: गैजेट्स बनाम परिवार

1. रिश्ते पर भरोसा

पतिपत्नी के रिश्ते की डोर भरोसे पर टिकी होती है. भरोसा टूटा कि रिश्ता टूटा. घरपरिवार में एक बार कलह ने दस्तक दे दी तो फिर बाहर जाने वाली नहीं. धीरेधीरे लड़ाईझगड़े इतने बढ़ जाते हैं कि तलाक तक की नौबत आ जाती है, जिस से पूरा परिवार तबाह हो जाता है. जिंदगी भर इस रिश्ते की गाड़ी को चलाने के लिए एकदूसरे पर पूरा भरोसा करना जरूरी है.

2. सुनीसुनाई बातों को अनसुना करें

अकसर पति को पत्नी की बातें दूसरों से सुनने को मिलती हैं. अधिकतर मामलों में जब लोग कोई बात किसी से कहते हैं तो उस में कुछ बातें मिर्चमसाले के साथ खुद से भी जोड़ देते हैं. ऐसे में ये बातें आहत करती हैं. शक की गुंजाइश पैदा कर देती हैं. अत: इस रिश्ते में दूसरे की बातों को ज्यादा महत्त्व न दें जब तक कि आप अपनी आंखों से न देख लें.

3. भावनाओं की कद्र करें

पतिपत्नी के रिश्ते में एकदूसरे की भावनाओं की कद्र करना बहुत जरूरी है. कभीकभी छोटी सी बात भी काफी बड़ी बन जाती है. औफिस से लौट कर आने के बाद जो समय मिलता है, उसे एकदूसरे के साथ व्यतीत करें ताकि दिलों की बातें एकदूसरे से कह सकें. पतिपत्नी के रिश्ते में सैक्स का बहुत महत्त्व है. अधिकतर रिश्ते इस वजह से टूट जाते हैं कि इस क्रिया के लिए समय नहीं निकाल पाते. इस से संदेह की स्थिति उत्पन्न होती है.

4. बच्चों के भविष्य की चिंता

पतिपत्नी के रिश्ते से जब आप मातापिता के रिश्ते में पहुंचते हैं तब आप एक अच्छा जोड़ा कहलाने के साथसाथ अच्छे मातापिता भी कहलाना पसंद करते हैं. जब आप बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के बारे में सोचेंगे तो फालतू बातों की ओर आप का ध्यान ही नहीं जाएगा.

ये भी पढ़ें- ताकि तलाक के बाद न हों बर्बाद

5. अफेयर से बचें

शादी के पहले आप का किस से क्या संबंध था, किस से अफेयर था, इस बात को भूलते हुए शादी के बाद अफेयर से बचें. कुछ मामलों में ऐसा होता है कि एकदूसरे से प्यार करने वालों की जब शादी दूसरी जगह हो जाती है और जब यह बात पत्नी या पति को पता चलती है तो संदेह की स्थिति उत्पन्न हो जाती है. लेकिन कई बार शादी के बाद भी किसी के साथ अफेयर की बातें सामने आती हैं, जिस से पूरा परिवार बिखरने लगता है. अत: जब एक बार शादी के बंधन में बंध जाते हैं, तो फिर अपने जीवनसाथी और परिवार के विषय में ही सोचना चाहिए.

सुख की गारंटी नहीं शादी

लंदन स्कूल औफ इकोनौमिक्स के प्रोफैसर (जो हैप्पीनैस ऐक्सपर्ट भी हैं) पाल डोलन के शब्दों में, ‘‘शादी पुरुषों के लिए तो फायदेमंद है, लेकिन महिलाओं के लिए नहीं. इसलिए महिलाओं को शादी के लिए परेशान नहीं होना चाहिए क्योंकि वे बिना पति के ज्यादा खुश रह सकती हैं खासकर मध्य आयुवर्ग की विवाहित महिलाओं में अपनी हमउम्र अविवाहित महिलाओं की तुलना में शारीरिक और मानसिक परेशानियां होने का ज्यादा खतरा होता है. इस से वे मर भी जल्दी सकती हैं.’’

विवाहित महिलाओं की तुलना में अविवाहित महिलाएं ज्यादा खुश रहती हैं. शादीशुदा, कुंआरे, तलाकशुदा, विधवा और अलग रहने वाले लोगों पर किए गए सर्वे के आधार पर पाल डोलन का कहना है कि आबादी में जो हिस्सा सब से स्वस्थ और खुशहाल रहता है वह उन महिलाओं का है जिन्होंने कभी शादी नहीं की और जिन के बच्चे नहीं हैं. उन के मुताबिक जब पतिपत्नी एकसाथ होते हैं और उन से पूछा जाए कि वे कितने खुश हैं तो उन का कहना होता है कि वे बहुत खुश हैं. लेकिन जब पति या पत्नी साथ में नहीं हों तो वे स्वाभाविक रूप से यह कहते सुने जा सकते हैं कि जिंदगी दूभर हो गई है.

अगर कहीं भी शादी की बात पर बहस होती है तो शादी की जरूरत के कई कारण बताए जाते हैं जैसे नई सृष्टि की रचना, भावनात्मक सुरक्षा, सामाजिक व्यवस्था, औरत मां बन कर ही पूरी होती है, स्त्रीपुरुष एकदूसरे के पूरक हैं, समाज में अराजकता रोकने में सहायक आदि. ये सारे कारण शादी को महज एक जरूरत का दर्जा देते हैं, मगर कोई यह नहीं कहता कि हम ने शादी अपनी खुशी के लिए की है.

ज्यादातर घरों में लड़कियों को बचपन से शादी कर के खुशीखुशी घर बसाने के सपने दिखाए जाते हैं. हर बात के पीछे उन्हें समझया जाता है कि शादी के बाद वे अपने मन का कर सकेंगी, शादी के बाद बहुत प्यार मिलेगा, शादी के बाद अपने घर जाएंगी या फिर शादी के बाद ही उन का जीवन सार्थक होगा वगैरहवगैरह. मगर सच तो यह है कि शादी के बाद भी बहुत सी लड़कियों के सपने हकीकत के आईने में बेरंग ही नजर आते हैं.

अपना घर

घर की बुजुर्ग महिलाओं द्वारा लड़कियों के मन में बचपन से यह बात भरी जाती है कि मां का घर उस का अपना नहीं है. उसे मायका छोड़ कर ससुराल जाना पड़ेगा और वही उस का अपना घर कहलाएगा. ससुराल पहुंच कर लड़की को पता चलता है कि वह इस घर में बाहर से आई है और कभी सगी नहीं कहलाएगी. वह बहू ही रहेगी कभी बेटी नहीं हो सकती.

मायके के पास पैसों की कितनी भी कमी हो पर लड़की को कभी महसूस नहीं होने देते, जबकि ससुराल कितनी भी धनदौलत से पूर्ण हो पर बहू को अपनी सीमा में रहना होता है. शुरुआत में कई साल उसे घरपरिवार के किसी भी मसले में बोलने का हक नहीं दिया जाता. ससुराल वाले कितने भी एडवांस हों, मगर बहू तो बहू ही होती है. वह बेटे या बेटी की बराबरी नहीं कर सकती.

ये भी पढ़ें- बौयफ्रैंड डैडी

अकेलापन

लड़कियों को बचपन से शादी के सपने दिखाए जाते हैं. जिस लड़की की किसी कारणवश शादी नहीं हो पाती या फिर वह स्वयं शादी करना नहीं चाहती तो मांबाप या रिश्तेदारों के साथसाथ सारा समाज उसे सिखाता है कि शादी के बाद ही लाइफ सैटल हो पाती है. शादी के बिना जीवन में कुछ भी नहीं रखा. भले ही वह लड़की सैल्फ डिपैंडैंट हो, अच्छा कमा रही हो मगर उसे बुढ़ापे का डर जरूर दिखाया जाता है.

उसे बताया जाता है कि जब घर में सब खुद के परिवारों में व्यस्त हो जाएंगे तो वह अकेली रह जाएगी. यह सोच काफी हद तक सही है क्योंकि समय के साथ जब मांबाप चले जाते हैं और भाईबहन अपनी दुनिया में व्यस्त हो जाते हैं तब अविवाहित लड़की खुद को अकेला महसूस करती है. मगर इस का समाधान कठिन नहीं. यदि वह अपने काम में व्यस्त रहे और रिश्तेदारों व दोस्तों के साथ अच्छे संबंध बना कर रखे तो इस तरह की समस्या नहीं आती.

बात पते की

लड़कियों को बचपन से यह भी सिखाया जाता है कि एक औरत मां बनने के बाद ही पूर्ण होती है. लड़कियों पर कम उम्र में ही शादी के लिए दबाव डाला जाता है ताकि वे सही उम्र में मां बन जाएं. मां बनना जीवन की एक बड़ी उपलब्धि मानी जाती है मगर जरा सोचिए इस के कारण लड़की को सब से पहले तो अपनी पढ़ाई और कैरियर बीच में छोड़ना पड़ता है. फिर वह शादी कर दूसरे घर आ जाती है और वहां एडजस्टमैंट कर ही रही होती है कि हर तरफ से बच्चे के लिए दबाव पड़ने लगती है.

सही समय पर बच्चे हो गए तो सब अच्छा है पर मान लीजिए किसी कारण से बच्चे नहीं हुए तब क्या होता है? दबी आवाज में उस पर ही इलजाम लगाए जाते हैं. उसे बांझ कह कर पुकारा जाता है. सालोंसाल बच्चे की चाह में घर वाले उसे पंडेपुजारियों और झड़फूंक वालों के पास ले जाते हैं. इन सब के बीच उस महिला को कितना मैंटल स्ट्रैस होता होगा यह बात समझनी भी जरूरी है.

शादी के बाद पति गलत आदतों का शिकार निकल जाए तो जरूरी नहीं कि आप की जिंदगी खुशहाल ही रहेगी. शादी के समय आप को यह पता नहीं होता कि आप का पति कैसा है? पति अच्छा निकला तो लड़की सुकूनभरी जिंदगी जीती है, मगर जरूरी नहीं कि हमेशा ऐसा ही हो. कितनी ही लड़कियां शादी के बाद अपने शराबी पति के अत्याचारों का शिकार बन जाती हैं तो कुछ पति की बेवफाई से परेशान रहती हैं.

कुछ के पति बिजनैस डुबो देते हैं तो कुछ दोस्तबाजी के चक्कर में बीवी को रुलाते रहते हैं. बहुत से पति ऐसे भी होते हैं जो पत्नी के साथ मारपीट करते हैं और उसे अपने पैरों की जूती से ज्यादा नहीं समझते. ऐसे में आप यह कैसे कह सकते हैं कि शादी के बाद लड़की को सुख ही मिलेगा और उस का जीवन संवर जाएगा? संभव तो यह भी है न कि उस की जिंदगी बरबाद ही हो जाए और उसे उम्रभर घुटघुट कर जीना पड़े.

ससुराल वालों के सितम

कई बार ऐसा भी होता है कि मांबाप तो अच्छा घर देख कर बेटी की शादी करते हैं, मगर नतीजा उलटा निकलता है. बहुत से मामलों में ससुराल वाले लड़की पर जुल्म करते हैं. कभी दहेज के लिए धमकाते हैं तो कभी घरेलू हिंसा करते हैं. बहुत सी लड़कियों को ससुराल में जिंदा जला दिया जाता है. कुछ घरों में ऊपरी तौर पर भले ही कुछ न किया जाए पर दिनरात ताने दिए जाते हैं, बुराभला कहा जाता है.

अकसर सास बहू के खिलाफ बेटे के कान भरती पाई जाती है. ऐसे हालात में लड़की को शादी के बाद घुटघुट कर जीना पड़ता है और उस की जिंदगी खुशहाल होने के बजाय बरबाद हो जाती है.

मांबाप का कर्तव्य है कि वे अपनी बेटियों को हमेशा अप्रत्याशित के लिए तैयार रहने के काबिल बनाएं. शादी के बाद भी ऐसा बहुत कुछ हो सकता है जिस का मुकाबला करने के लिए खुद को मजबूत बनाना पड़ता है और दिमाग से ही नहीं, मन से व तन से भी. बेहतर होगा कि मातापिता बेटियों पर शादी के लिए दबाव डालने के बजाय उन्हें अपने पैरों पर खड़ा होना सिखाएं.

ये भी पढ़ें- क्या परफैक्ट होते हैं नुक्स निकालने वाले पति

शादी मजबूरी क्यों

एक शादीशुदा महिला ही जानती है कि शादी के बाद असल में उसे क्याक्या ?ोलना पड़ता है. यही वजह है कि आज बहुत सी लड़कियां शादी करना नहीं चाहतीं. उन का मानना है कि जब वे खुद कमा रही हैं और शांति से जी रही हैं तो फिर शादी कर के अपनी परेशानियां क्यों बढ़ाएं. दरअसल, हमारा सामाजिक तानाबाना ही इस तरह का रहा है जहां यह माना जाता है कि महिलाओं का काम घर संभालना और बच्चे पैदा करना होता है जबकि पुरुषों का काम कमाना और महिलाओं को संरक्षण देना. लेकिन वक्त के साथ महिलाओं और पुरुषों के रोल बदल रहे हैं. ऐसे में सोच बदलनी भी जरूरी है.

यह सही है कि अविवाहित जीवन में महिलाओं को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. मगर शादी भी इंसान को अनेक सामाजिक व पारिवारिक झंझटों में फंसाती है. तो फिर अविवाहित जीवन को गलत या हेय क्यों माना जाए? क्यों न लड़कियों को खुद तय करने दिया जाए कि उन्हें क्या करना है?

30-35 साल से ऊपर की अविवाहित महिला अब भी लोगों की आंखों में खटकती है. लड़की भले ही कितना भी पढ़लिख ले और ऊंचे पद पर पहुंच जाए, लेकिन उसे ससुराल भेज कर ही मातापिता के सिर से बोझ उतरता है. ज्यादातर लोगों की सोच यह होती है कि 30 साल से ऊपर की अविवाहित लड़की सुखी हो ही नहीं सकती.

सुख का सीधा संबंध शादी से है. मगर सच तो यह है कि सुखी या दुखी और खुश या नाखुश होने की परिभाषा सब के लिए अलगअलग होती है. ऐसी बहुत सी अविवाहित महिलाएं हैं जो 30 के ऊपर हैं और अपनेआप में पूर्ण हैं. आप मदर टेरेसा, लता मंगेशकर, पीनाज मसानी, बरखा दत्त, सोनल मान सिंह जैसी बहुत सी महिलाओं का नाम ले सकते हैं. हम यदि कहीं भी अचीवर्स लिस्ट ढूंढ़ते हैं तो कभी भी शादी क्राइटेरिया नहीं होता यानी जीवन में आप की खुशी शादी पर निर्भर नहीं करती.

मातापिता का कर्तव्य है कि बच्चों को शिक्षित करें, आत्मनिर्भर बनाएं और उस के बाद अपने जीवन के निर्णय ख़ुद लेने दें. सब के सुख अलगअलग होते हैं. सुख को अगर परिभाषित करें तो कोई भी इंसान जब अपने मन की करता है या कर पाता है शायद तभी वह सब से सुखद स्थिति में होता है.

विवाह तभी करना चाहिए जब आप किसी को इतना चाहें कि उस के साथ जीवन बिताना चाहें. मगर जिस की शादी में रुचि न हो उसे कभी भी नहीं करनी चाहिए. प्रेम हो तो शादी करें, मगर उस में भी खुशी मिलेगी ही यह कहा नहीं जा सकता. जीवन में खुशियां चुननी पड़ती हैं. कोई हाथ में रख कर नहीं देता. खुशियां पाने का यत्न हम सभी करते हैं. कभी सफल होते हैं तो कभी असफल. विवाह करना या न करना व्यक्ति का निजी मामला है. इस में कोई कुछ नहीं कह सकता. हमारे समाज में शादीशुदा, अविवाहित और समलैंगिक के लिए व्यक्ति के स्तर पर समान इज्जत होनी चाहिए. कोई क्या चुनता है यह व्यक्तिगत मसला है.

ये भी पढ़ें- ऐसे बनें गुड Husband-Wife

ऐसे बनें गुड Husband-Wife

आज की जीवनशैली में घर और औफिस की बढ़ती जिम्मेदारियों को निभाना यों तो आसान लगता है किंतु वास्तव में आसान है नहीं. स्वस्थ मानसिकता के अभाव में इस रिश्ते को निभाने में कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है. आइए, उन बातों का अध्ययन करें जो कमजोर पड़ते रिश्तों को और अधिक कमजोर बनाती हैं.

विवाह के बाद के पहले 5 वर्ष

  • पतिपत्नी के लिए पहले 5 वर्ष बहुत अहमियत रखते हैं. शुरू के 5 वर्षों में जो गलतियां करते हैं वे हैं:
  • खुद को बदलने की जगह पार्टनर से बदलने की चाह रखना.
  • य लाइफपार्टनर से जरूरत से ज्यादा अपेक्षाएं रखना.
  • छोटीछोटी बातों को मुद्दा बना कर लड़ाईझगड़ा करना. न खुद चैन से रहना, न दूसरे को चैन से रहने देना.
  • एकदूसरे के दोषों को ढूंढ़ढूंढ़ कर आलोचना और ताने मारने की प्रवृत्ति रखना.

इन कारणों से पतिपत्नी में दूरी बढ़ती जाती है और वक्त रहते अगर सूझबूझ से अपनी समस्याओं का समाधान पतिपत्नी नहीं कर पाते हैं तो अलगाव होना और फिर तलाक की संभावना बढ़ जाती है. अत: दोनों को इस बात का आभास होना चाहिए कि रिश्ते बहुत नाजुक होते हैं. इन्हें अथक प्रयास द्वारा, स्वस्थ मानसिकता के साथ संभालना बहुत जरूरी होता है.

गलतियों को मानें

सब से विचित्र बात यह है कि पतिपत्नी अपनी गलतियों को स्वीकार नहीं कर पाते जबकि जीवन से संबंधित ये गलतियां जीवन को अधिक सीमा तक प्रभावित करती हैं. इन्हें छोटी गलतियां मानना ही मूलरूप से गलत है. रिश्ते को हर हाल में टूटने से बचाने की जिम्मेदारी पति और पत्नी दोनों की होती है. मुश्किलें पतिपत्नी की हैं, तो समाधान भी उन के द्वारा ही ढूंढ़ा जाना चाहिए.

ये भी पढ़ें- शादी से पहले यह प्लानिंग की क्या

दिल खोल कर प्रशंसा करें

रिलेशनशिप ऐक्सपर्ट मानते हैं कि एकदूसरे के प्रति तारीफ के शब्द न केवल पार्टनर्स को एकदूसरे के नजदीक लाते हैं, बल्कि टूटने के कगार पर आ गए रिश्तों में ताजगी भरने की भी संभावना रखते हैं. वैवाहिक जीवन की कामयाबी बहुत सीमा तक इस बात पर निर्भर करती है कि पतिपत्नी एकदूसरे की प्रशंसा कर के जीवन को आनंदपूर्ण बनाए रखें.

रिलेशनशिप टिप्स

ऐक्सपर्ट स्टीव कपूर ने अपनी पुस्तक में हैल्दी रिलेशनशिप के निम्न टिप्स दिए हैं:

पतिपत्नी को सैंस औफ ह्यूमर रखना चाहिए. चीजों और समस्याओं को गंभीरता से लेना चाहिए, जब यह स्थिति और समस्या की मांग हो.

पतिपत्नी को एकदूसरे की ड्रैस सैंस की तारीफ करनी चाहिए. अच्छी बातों के लिए तारीफ करने में कंजूसी बिलकुल नहीं करनी चाहिए.

एकदूसरे को कौंप्लिमैंट दें. विश्वास के आधार पर रिश्ते में मिठास भरें.

यदि पतिपत्नी में से कोई एकदूसरे की बात मानने को तैयार नहीं है तो इस के कारण को जानने की कोशिश करें न कि उस के साथ विवाद कर उसे परेशान करें और खुद भी परेशान हों.

सरे की भावनाओं से खिलवाड़ ठीक नहीं होता है. एकदूसरे को ब्लैकमेल करने से या उस की कमजोरी पर फोकस करने की आदत आत्मघाती होती है. भावनात्मक स्तर पर एकदूसरे के साथ जुड़ाव के लिए वक्त निकाल कर घूमने अवश्य जाएं. भूल कर भी अपने प्यार का प्रदर्शन लोगों के सामने न करें.

बहसबाजी अच्छी आदत नहीं है. जब भी ऐसा अवसर आए अपने संवाद को कट शौर्ट कर के सुखद मोड़ देते हुए अपने रिश्ते को बचाएं और संवारें.

रिलेशनशिप की समस्याओं की पृष्ठभूमि

आइए, रिलेशनशिप की समस्याओं को नीतिपूर्वक तरीके से निबटने के बारे में जानें:

  • आप अपने पार्टनर को बेहद प्यार करते हैं, लेकिन जब बात आती है इगो को बैलेंस करने की तो चुपचाप सहन करते हुए कभी खुल कर एकदूसरे के सामने नहीं आ पाते हैं. चुप रहना एक बहुत बड़ी कमजोरी बन जाती है. बेहतर होगा कि अपनी तरफ से आप स्पष्ट रूप से पार्टनर का सहयोग कर विवाहित जीवन को बेहतर बनाने के बारे में सोचें.
  •  रिलेशनशिप का सारा दारोमदार क्रिया और प्रतिक्रिया का है. अपनी प्रतिक्रिया जाहिर करने में जल्दबाजी न करें. सोचसमझ कर व सूझबूझ के साथ सही प्रतिक्रिया दें. एक सिंगल वार्तालाप से हमेशा समस्या सुलझ जाने की आशा न करें.
  • अपनी रिलेशनशिप को बेहतर बनाए रखने के लिए एकदूसरे से सुझाव मांगें और अध्ययन करने के बाद उन सुझावों को अमल में लाएं जो रिलेशनशिप के लिए कारगर और उपयोगी हैं. यह काम धैर्यपूर्वक समस्या को खुले दिल से स्वीकार करने के बाद ही हो सकता है.
  •   कार का वादविवाद न करें और न ही दूसरे लोगों को उस का हिस्सा बनाएं. कम से कम शब्दों में समस्या को परिभाषित करें. एकदूसरे को उचित समय दें. ऐसा माहौल बनाएं जिस में आप खुले दिल और दिमाग से समस्या का निवारण करने की जिम्मेदारी पूरी लगन और सचाई के साथ कर सकें.
  • हर समस्या के समाधान पर एकदूसरे को पार्टी, लंच, डिनर दे कर यह एहसास कराएं कि जो कुछ हुआ बहुत अच्छा हुआ.

ये भी पढ़ें- ऐसे बनें स्मार्ट मदर

ऐसे निकालें समस्याओं के हल

पतिपत्नी का रिश्ता जब विवाह के बाद प्रारंभिक चरण में होता है तो सब रिश्तेदारों की अपेक्षाएं वास्तविक आधार पर नहीं होतीं. संबंधी नई बहू से आशा करते हैं कि वह हर रिश्ते को दिल से सम्मान दे. अपनी सुविधा को नजरअंदाज कर वह रिश्ते का निर्वाह इस तरह करे जैसे वह उन्हें बरसों से जानती है. अधिकतर पत्नियां जन्मदिन या शादी की वर्षगांठ पर यह उम्मीद रखती हैं कि पति उपहार में डायमंड या गोल्ड के आभूषण, डिजाइनर वस्त्र आदि उसे गिफ्ट करे. दोनों पार्टनर जीवन के लिए प्रैक्टिकल अप्रोच अपनाएं तो वे जीवन को क्रोध, तानों और दोषारोपण की मौजूदगी में भी उत्तम तरीके से बिता सकते हैं.

मनोवैज्ञानिक जौन गोटमैन का सुझाव है कि पतिपत्नी का महत्त्वपूर्ण कर्तव्य है कि वे एकदूसरे पर कीचड़ न उछालें. एकदूसरे के प्रशंसक बनें. एकदूसरे के लिए चिंता तो करें, लेकिन रचनात्मक सोच के साथ. उन का हर फैसला सहयोग के आधार पर होना चाहिए. हर विवाह की स्थिति ऐसी होती है कि अगर आप खूबियां ढूंढ़ेंगे तो आप को सब कुछ अच्छा नजर आएगा. अगर एकदूसरे की कमियों पर फोकस करना चाहेंगे तो बहुत कमियां नजर आएंगी. इसलिए बेहतर होगा कि अच्छाई पर फोकस रखें व पौजिटिव नजरिया अपनाएं. आप में वे सब गुण और काबिलीयत हैं, जो आप को ‘विन विन’ स्थिति में रख कर विजयी घोषित कर सकते हैं. प्यार मांगने से नहीं मिलता है. प्यार के लिए डिजर्व करना पड़ता है. जीवन का हर लमहा आनंद से सराबोर होना चाहिए. यह पतिपत्नी का जन्मसिद्ध अधिकार है.

ये भी पढ़ें- जानें खुशहाल गृहस्थी के राज

क्या शादी से पहले की यह प्लानिंग

बदलती सामाजिक और आर्थिक परिस्थितियों ने लोगों के जीवन को बहुत प्रभावित किया है. आधुनिकता के इस युग में ऐसी सभी सामाजिक मान्यताएं जो व्यक्ति की इच्छाओं और हितों के खिलाफ हैं, अपना औचित्य खो चुकी हैं. बदलावों की इस सूची में विवाह की प्रक्रिया को भी शामिल किया जा चुका है. जहां पहले मातापिता ही अपनी संतान के लिए हमसफर चुनते थे, वहीं अब जीवनसाथी का चुनाव युवा खुद करने लगे हैं.

प्यार के नशे में चूर युवाओं को अपने साथी के साथ के अलावा कुछ नहीं सूझता. अपने रिश्ते पर सामाजिक मुहर लगवाने के लिए शादी के बंधन में युवा बंध तो जाते हैं, लेकिन प्यार का हैंगओवर तब उतर जाता है जब पारिवारिक और आर्थिक समस्याओं से सामना होता है.

इस स्थिति में कई बार रिश्ते टूटने के कगार पर पहुंच जाते हैं. ऐसा ही हुआ दिल्ली की दिव्या के साथ. वह अपने प्रेमी अमित को पति के रूप में पा कर बेहद खुश थी. दिव्या का परिवार आर्थिक रूप से मजबूत था, लेकिन अमित अपने घर में इकलौता कमाने वाला था. अत: मातापिता की जिम्मेदारी के साथसाथ छोटे भाई की पढ़ाईलिखाई का खर्च भी उसे ही उठाना पड़ता था.

पहले से अमित के परिवार की आर्थिक स्थिति से अवगत दिव्या को उस के जिम्मेदाराना  स्वभाव ने ही आकर्षित किया था. लेकिन यह आकर्षण तब फीका पड़ने लगा जब दिव्या को ससुराल जा कर घरेलू कामकाज में खटना पड़ा. आमदनी अच्छी होने के बावजूद अमित दिव्या को नौकरचाकर की सुविधा उपलब्ध नहीं करा सकता था, क्योंकि उस की सैलरी का आधे से अधिक हिस्सा घर की ही जिम्मेदारियों को पूरा करने में खर्च हो जाता था.

दिव्या ने भी शादी से पहले अमित से इन सुविधाओं को उपलब्ध कराने की कोई बात नहीं की थी. अमित दिव्या को इसीलिए ऐडजस्टिंग स्वभाव का समझता था. लेकिन यहां गलती दिव्या की है. गलती यह नहीं कि सुविधाओं के अभाव में वह ऐडजस्ट नहीं कर पा रही, बल्कि गलती यह है कि दिव्या ने शादी से पूर्व अपनी जरूरतों का जिक्र अमित से नहीं किया जो उस की सब से बड़ी भूल थी.

दिव्या की ही तरह कई लड़कियां हैं, जो अपनी उम्मीदों को अपने प्रेमी पर शादी से पहले कभी जाहिर नहीं करतीं और बाद में उम्मीद के विपरीत परिस्थितियों में उन्हें इस बात का पछतावा होता है कि आखिर अपनी इच्छाओं को पहले जाहिर कर देते तो ये दिन न देखने पड़ते.  इसलिए बहुत जरूरी है कि शादी से पहले अपनी और अपने प्रेमी की इन बातों का खयाल कर लिया जाए:

– आप का प्रेमी किराए के मकान में रहता है, मगर आप अपना घर चाहती हैं, इस बात को अपने प्रेमी के आगे रखने में कोई हरज नहीं है. यदि उस की आर्थिक स्थिति उसे शादी से पहले नया घर खरीदने की मंजूरी देगी तो वह शायद ऐसा कर सकेगा वरना शादी के बाद जल्दी से जल्दी अपना घर खरीदने का प्रयास करेगा. इस के अलावा आप खुद भी अपना घर खरीदने में अपने पति की आर्थिक सहायता करने के लिए खुद को तैयार कर सकेंगी.

ये भी पढ़ें- ऐसे बनें स्मार्ट मदर

– आजकल कामकाजी लड़कियों के पास रसोई में परिवार के लिए खाना बनाने का समय नहीं होता, लेकिन विवाह बाद रसोई के काम के अलावा घर के बाकी काम भी करने पड़ते हैं. मगर सहयोग के लिए एक नौकर हो तो बात बन जाती है. अपने प्रेमी को शादी से पहले ही इस बात का संकेत दे दें कि आप पूरा दिन रसोई में नहीं खट सकतीं और आप को बेसिक होम ऐप्लायंस और एक नौकर की आवश्यकता पड़ेगी. यदि आप के प्रेमी के घर में पहले से ये सब चीजें उपलब्ध नहीं होगीं, तो वह कोशिश करे आप की मदद के लिए कुछ सुविधाएं उपलब्ध कराने की या फिर वह आप को साफ कह दे कि घर के काम के लिए सहयोग की उम्मीद न रखें. इस से आप अपने लिए सुविधा का सामान खुद भी जुटा सकती हैं.

– घर में वाहन होने के बाद भी उस के सुख से आप वंचित हैं, क्योंकि वाहन पति नहीं पति के पिता का है. जाहिर है आप का उस वाहन पर हक नहीं है. लेकिन यदि वाहन आप के लाइफस्टाइल के लिए बहुत जरूरी है, तो इस की व्यवस्था करने के लिए प्रेमी को कहें या फिर खुद प्रयास करें.

– प्रेमी की दादी, बहन या भाई की जिम्मेदारी उठाना.

– प्रेमी यदि संयुक्त परिवार से है तो भाभी/देवरानी आदि की समस्याएं.

– नौकरी है तो ठीक वरना अपने व्यवसाय के लंबे घंटे.

कैरियर प्लानिंग पर भी चर्चा जरूरी

आज की लड़कियां शिक्षित, आत्मनिर्भर और महत्त्वाकांक्षी हैं. घर बैठ कर रोटियां बेलने के बजाय उन्हें लैपटौप पर उंगलियां दौड़ाना पसंद है. मगर शादी के बाद पति चाहता है कि वह हाउसवाइफ बन जाए. अब यहां निर्णय आप को लेना है कि पति चाहिए या कैरियर अथवा दोनों. इस के लिए आप को विवाह का निर्णय लेने के पूर्व ही बौयफ्रैंड से इन बिंदुओं पर बात कर लेनी चाहिए:

– शादी के बाद भी आप अपने कैरियर के लिए उतनी ही फिक्रमंद रहना चाहती हैं जितनी अभी हैं. हो सकता है आप का बौयफ्रैंड इस के विपरीत आप को नौकरी छोड़ घर की जिम्मेदारियों को संभालने के लिए कहे. इस परिस्थिति में यदि आप अपने कैरियर से खुशीखुशी समझौता कर लेती हैं तो ठीक है वरना रिश्ते से समझौता करना ही बेहतर विकल्प होगा.

– शादी के बाद प्रेमी किस शहर में शिफ्ट होने की सोच रहा है. इस बारे में प्रेमी से चर्चा करें. आपसी सहमति से ही किसी दूसरे शहर में शिफ्ट होने का निर्णय लें.

– कई बार शादी के बाद भी युवा अपने कैरियर से संतुष्ट नहीं होते. ऐसे में जौब छोड़ कर फिर से पढ़ने का मन बना लेते हैं. आप के साथ ऐसा न हो, इस के लिए पार्टनर से इस विषय पर भी बात कर लें.

परखें पार्टनर की नीयत

प्यार में साथी के आकर्षण में खो जाना एक आम बात है. लेकिन आकर्षण में इतना भी न खोएं कि पार्टनर की नीयत को न परख सकें. दरअसल, लड़कियां अधिक भावुक होती हैं. लड़कों की मीठीमीठी बातों में जल्दी फंस जाती हैं. लेकिन कुछ लड़कों में इस के विपरीत गुण होते हैं. वे अपना उल्लू सीधा करने के लिए लड़कियों को अपनी चिकनीचुपड़ी बातों में फंसा लेते हैं. जैसे कानपुर की सोनिया को कौशल ने फंसाया था. दोनों एक ही कालेज में पढ़ते थे. सोनिया पढ़ाई में होशियार थी. उस के घर की आर्थिक स्थिति भी मजबूत थी. कौशल इन सभी बातों को भांप चुका था. सोनिया को अपने प्यार में फंसाने का उस का मकसद केवल उस के पैसों पर जिंदगी भर मजे लूटना था. घर वालों के बहुत समझाने पर भी सोनिया नहीं मानी और कौशल से शादी कर ली.

ये भी पढ़ें- जानें खुशहाल गृहस्थी के राज

शादी के बाद पति का निकम्मापन सोनिया को खलने लगा. लेकिन अब घर वालों से भी वह कुछ नहीं कह सकती थी. पछताने के सिवा अब उस के पास और कोई चारा न था.

सोनिया जैसी स्थिति का सामना हर उस लड़की को करना पड़ सकता है, जो अपने पार्टनर की नीयत को परखे बिना शादी का फैसला ले लेती है. लेकिन सवाल यह उठता है कि साथी की नीयत को कैसे परखा जाए? चलिए हम बताते हैं:

– पैसों को ले कर बौयफ्रैंड का क्या बरताव है, यह भांपने की कोशिश करें. जब आप दोनों साथ घूमते हैं, तो अधिक खर्चा कौन करता है? कहीं पैसे खर्च करने में साथी आनाकानी तो नहीं करता? इन बातों को समझने की कोशिश करें.

– भले ही आप की सैलरी आप के बौयफ्रैंड से ज्यादा हो, लेकिन उस के आत्मसम्मान को परखें. यदि वह आप से पैसे लेने में नहीं हिचकता तो जाहिर है कि उस में आत्मसम्मान की कमी है.

– यह जानने की कोशिश करें कि आप का साथी शादी के वक्त आप से किनकिन विलासिता की चीजों की डिमांड करता है. जाहिर है यदि वह आप से नक्द या किसी मूल्यवान वस्तु की चाहत रखता है तो उसे आप से नहीं आप के पैसों से प्रेम है.

शादी से पूर्व फाइनैंशियल प्लानिंग

कनासा स्टेट यूनिवर्सिटी की रिसर्चर एवं असिस्टैंट प्रोफैसर औफ फैमिली स्टडीज ऐंड ह्यूमन सर्विस की सोनया बर्ट की 4,500 कपल्स पर की गई स्टडी के परिणामस्वरूप पतिपत्नी के रिश्ते में सब से बुरा वक्त तब आता है, जब पैसों को ले कर दोनों में झगड़े होते हैं. स्टडी के मुताबिक इन झगड़ों की वजह से रिश्ता टूटने के कगार पर आ जाता है. इसलिए शादी से पूर्व ही भविष्य में आने वाली आर्थिक जरूरतों पर चर्चा कर लेनी चाहिए.

इस बाबत आर्थिक सलाहकार अरविंद सिंह सेन कहते हैं, ‘‘लव मैरिज में अकसर किसी एक पक्ष के घर वालों को रिश्ते पर आपत्ति होती है. ऐसे में शादी के बाद अपनी सभी आर्थिक जरूरतों को पूरा करने के लिए नए जोड़े को अपनी ही आमदनी पर निर्भर होना पड़ता है. ऐसे में सब से अधिक जरूरी होती है सिर छिपाने के लिए एक छत यानी अपना घर और आपातकालीन स्थितियों से निबटने के लिए नक्द पैसा. यदि शादी से पूर्व कुछ निवेश किए गए हों तो इस से काफी मदद मिलती है. ये निवेश इस प्रकार के हो सकते हैं:

– अपना घर होने के सपने को पूरा करने के लिए शादी से 2-4 साल पहले ही रियल स्टेट स्मौल इन्वैस्टमैंट प्लान लिया जा सकता है. इस प्लान के तहत बिना होम लोन लिए और एकमुश्त डाउनपेमैंट की समस्या से बचने के लिए छोटीछोटी इंस्टौलमैंट्स दे कर अपना घर बुक किया जा सकता है. हां, यह प्लान लेने से पहले कुछ जरूरी बातों पर जरूर गौर कर लें:

– सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई गाइडलाइन को पढ़ कर ही कोई फैसला लें.

– विश्वसनीय बिल्डर द्वारा बनाई गई प्रौपर्टी में ही निवेश करें.

– चिट फंड कंपनियों द्वारा बनाई प्रौपर्टी में निवेश करने से बचें.

– ग्रुप हैल्थ इंश्योरैंस प्लान लें. यदि आप तय कर चुकी हैं कि शादी आप को अपने बौयफ्रैंड से ही करनी है तो अपने और उस के नाम पर इस प्लान को लिया जा सकता है. यह प्लान शादी के बाद सेहत से जुड़ी हर परेशानी में आप का आर्थिक मददगार बनेगा. इस प्लान के तहत छोटीछोटी बीमारियों से ले कर प्रैगनैंसी तक इस प्लान में कवर होते हैं.

अत: भावनाओं में बह कर बनाए गए रिश्ते भविष्य में आने वाली दिक्कतों का सामना करने में कमजोर साबित हो सकते हैं. प्रेम विवाह में अकसर ऐसा ही होता है. लेकिन थोड़ी सी समझदारी, प्लानिंग और साथी को परखने की कला आप की शादीशुदा जिंदगी को सफल बना सकती है.

ये भी पढ़ें- तो बैटर हाफ बन जाएगी बैस्ट हाफ

जानें खुशहाल गृहस्थी के राज

कहते हैं जीवन का असली सुख विवाह में है पर कभीकभी विवाहित जीवन में आई कुछ गलतफहमियां परिवार उजाड़ कर रख देती हैं. अगर विवाह को सफल बनाना है तो पतिपत्नी दोनों को छोटीछोटी बातों को भूल कर अपनी गृहस्थी को खुशहाल बनाना चाहिए. शादी से पहले हर लड़के या लड़की के मन में जीवनसाथी की एक छवि होती है, जो जरूरी नहीं कि हकीकत से मेल खाए. वैसे भी जब 2 भिन्न विचारधाराओं के लोग एकदूसरे के साथ रहते हैं तो उन में मतभेद होना आम बात है. इन मतभेदों को मिटा कर ही विवाह की नींव मजबूत की जा सकती है.

प्यार और विश्वास की मजबूत नींव

पतिपत्नी का रिश्ता खून का नहीं होता, लेकिन दोनों का रिश्ता खून के रिश्ते से भी बढ़ कर होता है. इस रिश्ते में प्यार, समर्पण और विश्वास होता है. इस रिश्ते की डोर बड़ी नाजुक होती है, इसे मजबूती से पकड़ कर रखना चाहिए. हमेशा अपने प्यार को खुल कर दर्शाएं. कभी भी प्यार का इजहार करने के लिए हिचकिचाएं नहीं. प्यार के साथ एकदूसरे पर विश्वास करना भी इस रिश्ते की सफलता के लिए काफी अहम है. विवाह को सफल बनाने के लिए एकदूसरे पर अटूट विश्वास करें. किसी की भी बातों में आ कर अपना विश्वास नहीं तोड़ें.

जीवनसाथी भी दोस्त भी

दोस्ती से बड़ा कोई रिश्ता नहीं है. अगर पतिपत्नी एकदूसरे के दोस्त बन जाएं तो जीवन की कठिन राहें भी आसान हो जाती हैं. प्यार, विश्वास और दोस्ती के साथ रह कर जिंदगी को और भी खूबसूरती से जिया जा सकता है. यह मानना है हाउसवाइफ रंजना सक्सेना का. उन की मानें तो पतिपत्नी छोटीछोटी बातों को भूलना सीखें और हर बात पर टोकाटाकी न करें. इस से जीवन में तनाव आ जाता है. अपनी सभी महत्त्वपूर्ण बातों में एकदूसरे को राजदार बनाएं. इस से आपसी भरोसा बढ़ता है.

समझें एकदूसरे की भावनाओं को

पतिपत्नी को एकदूसरे की भावनाओं की कद्र करनी चाहिए. दोनों को पहले एकदूसरे को जानना जरूरी है. कोई भी ऐसी बात न कहें जिस से पति या पत्नी आहत हो. अपनी कमियों और भूलों को स्वीकार करना चाहिए. इस से दोनों का रिश्ता मजबूत होगा. लड़कियों को हर समय अपने मायके की तारीफ नहीं करनी चाहिए, इसे ससुराल वाले अपना अपमान मान सकते हैं. कुछ घरों में पति अपनी पत्नी से असम्मानजनक व्यवहार करते हैं, ऐसा कर के वे अपनी पत्नी के दिल में अपने प्यार और समर्पण की जगह नफरत पैदा करते हैं. एकदूसरे की भावनाओं को समझ कर अच्छा व्यवहार करें.

ये भी पढ़ें- न आए Married Life में दरार

पैसों को न दें अहमियत

अगर घर में सिर्फ पति कमाते हैं तो उन्हें कभी भी इस बात का घमंड नहीं होना चाहिए कि मैं कमाता हूं और मेरी पत्नी आराम से घर में रहती है और न ही पति से ज्यादा कमाने वाली पत्नी इस बात को मन में लाए कि वह पति से ज्यादा कमाती है. पति ध्यान रखें कि अगर पत्नी हाउसवाइफ है तो भी घरगृहस्थी चलाने के लिए जीतोड़ मेहनत करती है. याद रखिए, घर बसाना किसी एक के बस की बात नहीं है. इसलिए एकदूसरे का सम्मान करें.

परिवार का महत्त्व

एकदूसरे के परिवार को हमेशा सम्मान दें. पति या पत्नी के परिवार के सदस्योें को प्यार और इज्जत दें. साथ ही ध्यान रखें कि आप के परिवार की छोटीछोटी बातें बाहर वालों को पता न चलें. अगर मामला गंभीर हो तो शांति से उस पर विचार करेें और जरूरत पड़ने पर अपने किसी विश्वसनीय मित्र की सहायता लें. कोई भी फैसला करने से पहले पति को अपनी पत्नी और पत्नी को अपने पति से राय जरूर ले लेनी चाहिए.

थोड़ा फौर्मल हो जाएं

एकदूसरे की तारीफ करने में कंजूसी न करें. अपनी तारीफ सुनना पति और पत्नी दोनों को ही अच्छा लगता है. इस के अलावा समयसमय पर एकदूसरे को सरप्राइज गिफ्ट दे कर भी अपनी भावनाएं और प्यार प्रकट करना चाहिए. भले ही यह सब आप को औपचारिकता लगे, पर ये छोटीछोटी बातें जीवन में खुशियां भर देती हैं.

ये भी पढ़ें- दोस्ती का एक रिश्ता ऐसा भी

बचें इन बातों से

आप एकदूसरे को प्यार तो करें, लेकिन सार्वजनिक स्थानों पर अपनी शारीरिक हरकतों पर नियंत्रण रखें.

एकदूसरे की बातें सुनने का प्रयास करें, न कि अपनी ही बात को ले कर हावी हो जाएं.

अपने साथी से किसी भी विषय पर बात करें, लेकिन बातचीत को बहस में न बदलने दें.

तनाव के क्षणों में आप एकदूसरे के पास रह कर तनाव का कारण समझने और समाधान करने का प्रयास करें.

व्यस्त दिनचर्या में भी एकदूसरे के पास बैठने, गपशप करने और योजनाएं बनाने के लिए वक्त निकालें.

पत्नियां पति के घर पहुंचते ही समस्याओं का रोना न रोएं और पतियों को भी इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वे भी अपनी पत्नियों को यह बात न सुनाएं कि मैं तो घर के खर्च से तंग आ गया हूं.

एकदूसरे की आलोचना न करें.

काम के दौरान बेवजह बारबार फोन कर के एकदूसरे को डिस्टर्ब न करें.

किसी भी एक के प्यार में बनावटीपन या औपचारिकता दूसरे से दूर कर सकती है.

छुट्टी का दिन एकदूसरे के साथ बिताना चाहिए पर कभीकभी अलगअलग समय बिताना भी अच्छा होता है.

आप भले ही एकदूसरे से बहुत प्यार करते हों पर घरपरिवार के समारोह या किसी भी पार्टी में हर पल एकदूसरे की बांहों में बांहें डाल कर घूमना ठीक नहीं है.

पति या पत्नी दूसरे को अपनी जागीर समझ कर उस पर हर वक्त हक न जमाए.

एकदूसरे की हरकतों पर नजर रखना, शक करना, आप के बीच दूरियां बढ़ा सकता है.

सप्ताह के अंत में कुछ नयापन लाएं, जिस से इस भागदौड़ की जिंदगी में कुछ चैन और सुकून मिले.

रोमांसपूर्ण आकर्षण के लिए अपने पहनावे पर पूरा ध्यान दें. वही कपड़े पहनें, जो एकदूसरे को अच्छे लगते हों.

प्यारभरा एक स्पर्श अपनेपन के एहसास को और भी बढ़ा देता है.

ये भी पढ़ें- जब पत्नी हो कमाऊ

तो बैटर हाफ बन जाएगी बैस्ट हाफ

विवाह 2 अजनबियों का वह बंधन होता है जिस में वे एकदूसरे का जीवन भर साथ निभाने का वादा करते हैं. लेकिन कई बार पारिवारिक दबाव के चलते यह बंधन बेमेल भी हो जाता है, जिस में पति तो बेहद आकर्षक होता है. मगर पत्नी उस के मुकाबले उन्नीस नहीं पंद्रह यानी कम आकर्षक या गंवार होती है. इस के चलते इस अटूट बंधन में गांठ पड़ने की संभावना रहती है, क्योंकि खूबसूरत और आकर्षक पति को लगता है उस का और उस की पत्नी का कोई मेल नहीं है. वह उस से कटाकटा सा रहने लगता है. जबकि विवाह व प्यार के लिए खूबसूरती से ज्यादा आपसी तालमेल की जरूरत होती है. वैसे भी विवाह 2 शरीरों का ही नहीं 2 दिलों का भी मिलन होता है. 1986 में बनी फिल्म ‘नसीब अपनाअपना’ में ऋषि कपूर का विवाह गांव की सांवली लड़की राधिका के साथ होता है. ऋषि कपूर उस में कोई दिलचस्पी नहीं लेता, लेकिन राधिका अपने पति को लुभाने की पूरीपूरी कोशिश करती है.

ब्यूटी पर भारी टैलेंट

कहावत है खूबसूरती देखने वाले की आंखों में होती है. अगर आप की पत्नी आप के मुकाबले लुक्स में उन्नीस है तो यह आप पर निर्भर करता है कि आप अपनी पत्नी को किस नजर से देखते हैं. आप उस के लुक्स को अनदेखा कर के उस के गुणों व टैलेंट को ज्यादा महत्त्व दे सकते हैं. माना कि आप की पत्नी गोरी नहीं है, खूबसूरत नहीं है, मोटी है लेकिन उस में कुछ गुण अवश्य होंगे, जिन्हें आप खूबसूरती से ज्यादा महत्त्व दे सकते हैं. हो सकता है वह अच्छी कुक हो, गीतसंगीत में माहिर हो, अच्छी पेंटिंग करती हो. आप उस के उन गुणों को महत्त्व दें. उस की सराहना करें. अगर आप उस की कम खूबसूरती को ले कर उस की अनदेखी करेंगे या उस से दूरी बनाएंगे, तो आप न केवल उस के साथ ज्यादती करेंगे, बल्कि खुद के साथ भी ज्यादती करेंगे. आप अपने आसपास नजर दौड़ाए. ऐसे अनेक जोड़े होंगे, जिन का शारीरिक रूप से कोई मेल नहीं है, फिर वे एकदूसरे के पूरक है, एकदूसरे को पूरी तरह सपोर्ट करते हैं, क्योंकि उन्होंने एकदूसरे को दिल से अपनाया है.

ये भी पढ़ें- जब पत्नी हो कमाऊ

खूबसूरती के असल माने

कई बार देखने में आता है कि पत्नी बेहद खूबसूरत तो होती है, लेकिन पति के साथ उस का कोई तालमेल नहीं होता. वे एकदूसरे के अच्छे दोस्त नहीं होते, सुखदुख में उन की आपसी साझेदारी नहीं होती. ऐसे में पत्नी की खूबसूरती मात्र दिखावा बन कर रह जाती है. पतिपत्नी के रिश्ते में सूरत से ज्यादा आपसी प्यार व समझदारी महत्त्व रखती है. वैसे भी जब 2 लोग आपस में प्यार करते हैं तो काला, गोरा, मोटा, पतला, लंबा, ठिगना कोई महत्त्व नहीं रखता, क्योंकि प्यार अंधा होता है. आप छैलछबीले हैं, लेकिन आप की पत्नी गंवार है, तो भी आप उसे उसी रूप में स्वीकारें. जब आप उसे प्यार करने लगेंगे तो वह आप को खूबसूरत दिखने लगेगी. प्यार का एहसास खूबसूरती पैदा करता है, मुश्किलों का सामना करने की हिम्मत देता है. आप पत्नी से इसलिए प्यार न करें कि वह खूबसूरत है, बल्कि अपने प्यार से उस की खूबसूरती को निखारें.

बेमेल विवाह में ऐसे होगा मेल

माना कि आप दोनों के लुक्स, स्टाइल में अंतर है, लेकिन अब वह आप की बैटर हाफ है यानी आप के जीवन की पार्टनर है तो आप की जिम्मेदारी बनती है कि आप उसे बैस्ट हाफ बनाएं बजाय उसे अपने से कमतर होने का एहसास कराने के. दोस्तों, रिश्तेदारों के सामने न खुद शर्मिंदा हों न उसे शर्मिंदा कराएं. पत्नी की भावनाओं को महत्त्व दें व पूरे आत्मविश्वास के साथ अपने दोस्तों व रिश्तेदारों के सामने उस की खूबियों का बखान करें. कुछ तो लोग कहेंगे लोगों का काम है कहना, इस पर अमल कर अपनी बैटर हाफ में आत्मविश्वास जगाएं. ‘तुम से विवाह कर के मेरी तो जिंदगी ही बरबाद हो गई,’ कई पति ऐसी बातें कह कर पत्नी को उस की कमियों का एहसास कराते हैं. इस से रिश्ते में प्यार व जुड़ाव पनपने के बजाय नफरत व अलगाव पैदा होता है, जो किसी भी रिश्ते के टूटने के लिए पर्याप्त होता है.

ऐसे बेमेल विवाह के बावजूद एकदूसरे के साथ मेल करना ही पतिपत्नी के स्वस्थ रिश्ते की पहचान होती है. हाल ही में धनबाद झारखंड की ऐसिड अटैक की शिकार सोनाली मुखर्जी की उड़ीसा के इंजीनियर चितरंजन तिवारी ने अपनी पत्नी बना कर यह जता दिया कि वह सिर्फ सोनाली मुखर्जी की बाहरी नहीं आंतरिक खूबसूरती से प्यार करता है. आप को जान कर हैरानी होगी कि इस ऐसिड अटैक में सोनाली का 70 फीसदी चेहरा जल गया था. सोनाली और चितरंजन का वैवाहिक बंधन साबित करता है कि विवाह में शारीरिक बनावट के बजाय मन का मेल अधिक माने रखता है.

ये भी पढ़ें- जब बच्चे करें वयस्क सवाल

गू्रमिंग का लें सहारा

बाजार में, मेकअप, ब्यूटीफिकेशन व पर्सनैलिटी डैवलपमैंट के इतने औप्शन हैं कि आप पत्नी का टोटल लुक चेंज कर सकते हैं. अच्छा हेयर कट, फिगर के अनुकूल ड्रैस, सैक्सी साड़ी व ब्लाउज व चेहरे के अनुसार मेकअप आप की पत्नी को बेहतर लुक दे सकता है. आप चाहें तो अपनी पत्नी को पर्सनैलिटी डैवलपमैंट की क्लासेज भी जौइन करा सकते हैं जहां उसे टेबल मैनर्स, गैस्ट का वेलकम, बोलचाल, चालढाल सभी की सही ट्रेनिंग दी जाएगी. इस से उस का व्यक्तित्व निखर जाएगा और आप हैरान हो जाएंगे कि क्या यह वही पत्नी है. यही नहीं गू्रमिंग से आप की पत्नी में आत्मविश्वास भी जगेगा.

न आए Married Life में दरार

विवाहेतर संबंध कई युगों से चले आ रहे हैं और हर वर्ग व समाज के लोग इस वर्जित फल को पाने के लिए लालायित रहते हैं. उन के सामाजिक व आर्थिक स्टेटस, पारिवारिक बैकग्राउंड, शिक्षादीक्षा और धर्म व संस्कार में अंतर हो सकता है, लेकिन इस सुख को पाने के लिए सभी विवेकहीन हो कर अपनी बांहें पसार आगे बढ़ जाते हैं. इस के परिणाम अकसर सुखद नहीं होते. भई, 2 नावों को सवारी कर कौन पार उतर पाया है? और फिर दांव पर बहुत कुछ लग जाता है, कैरियर, इज्जत, मानसम्मान, रिश्तों का टूटना, आर्थिक परेशानी, मानसिक तनाव, बच्चों का भविष्य वगैरह. फिर भी समझदार, परिपक्व वयस्क व्यक्ति (मर्द/औरत) क्यों रखते हैं विवाहेतर संबंध? कभीकभी तो ऐसे कपल के बीच इस अफेयर का बम फूटता है जो परफैक्ट कपल नजर आ रहे होते हैं. समझ नहीं आता कि आखिर क्यों, कैसे? यहां तो सब कुछ सही था. लेकिन नहीं, निश्चित तौर पर कहीं न कहीं कुछ न कुछ गलत था जिसे दोनों ही नहीं देख पाए.

यहां बताए जा रहे हैं कुछ संभावित मुख्य कारण, जिन्हें आप विवाहेतर संबंध यानी ऐक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर के लिए उत्तरदायी मान सकते हैं:

कम उम्र में शादी

जिन की शादी कम उम्र में यानी 20-22 वर्ष तक की उम्र में हो जाती है उस वक्त उन में न तो अधिक समझ होती है, न ही उन के कैरियर व जिंदगी में स्थायित्व आया होता है. ऐसे लोग जब 30-32 की उम्र में पहुंचते हैं तभी उन के विचारों में परिपक्वता आती है या कहिए उन्हें जिंदगी जीने का सलीका आता है. और इन सब के साथ ही उन्हें यह महसूस होता है कि उन्होंने अपनी जवानी के दिन यों ही गुजार दिए. मौजमस्ती, फ्लर्टिंग जैसी अवस्थाओं से वे गुजरे ही नहीं. जिंदगी के उस हसीन हिस्से को वे अब जीना चाहते हैं, अनुभव करना चाहते हैं. अपनी लाइफ में थ्रिल, ऐक्साइटमैंट को महसूस करने के लिए वे मुड़ते हैं ऐक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर की खतरनाक, फिसलन भरी मगर बेहद हसीन, दिलफरेब गलियों में.

ये भी पढ़ें- दोस्ती का एक रिश्ता ऐसा भी

गलत कारणों से हुई शादी

अधिकांश व्यक्ति परिवार व समाज के दवाब में आ कर जीवनसाथी का चयन कर बैठते हैं. ऐसी शादी सामाजिक प्रतिष्ठा, आर्थिक कारण और जाति बंधन वगैरह को ध्यान में रख कर तय होती हैं. शादी के कुछ वर्षों बाद उन्हें अपनी इस गलती का एहसास होता है कि उन्होंने गलत जीवनसाथी का चयन कर लिया है. जिंदगी के इस मुकाम पर अगर उन की मुलाकात किसी ऐसे व्यक्ति से हो जाती है जो उन के लाइफ पार्टनर से शारीरिक या मानसिक रूप से बेहतर है तो वे तुरंत उस की तरफ आकर्षित हो जाते है. और यह आकर्षण, जानपहचान व दोस्ती के गलियारों से गुजरता एक मजबूत अफेयर के अंजाम तक पहुंच जाता है.

जिंदगी में आए बदलाव से उपजा स्ट्रैस

जिंदगी हर पल रंग बदलती है. नित नई चुनौती सामने रखती है. लेकिन कभीकभी काफी कठिन दौर से गुजरना पड़ता है. जैसे पारिवार में किसी प्रिय की मौत, फाइनैंशियल लौस, नौकरी का खोना, पदोन्नति न होना वगैरह. ऐसे मुश्किल हालात में कई बार लोग सहारे व इमोशनल सपोर्ट के लिए अपने पार्टनर को छोड़ किसी और के सहज उपलब्ध मजबूत कंधे का सहारा लेते हैं. खासतौर पर तब जब पार्टनर ज्यादा सपोर्टिव व समझदार न हो. कई बार अनजान हमदर्द को हम अपना दर्द आसानी से बता देते हैं और अपनी कमजोरी अपने डर का हमराज उसे बना लेते हैं जो हमारी तरफ इन मुश्किल हालात में सहानुभूति और सहारे का हाथ बढ़ाता है. धीरेधीरे हमदर्दी का यह रिश्ता अनजाने में ही अफेयर की शक्ल अख्तियार कर लेता है.

मातापिता बनना

घरआंगन में नन्ही किलकारी की गूंज से मधुर संगीत दूसरा नहीं होता. लेकिन पतिपत्नी से मातापिता बनने का सफर दोनों के जीवन में काफी बदलाव लाता है और यह दौर चुनौतीपूर्ण भी होता है. पतिपत्नी की परस्पर रिलेशनशिप व प्राथमिकताएं बदलती हैं. एकदूजे के साथ जितना वक्त बिताना चाहिए उस में कमी आ जाती है. अकसर देखा गया है कि एक पत्नी मां की भूमिका में जिस सहजता से ढल जाती है और बच्चे के प्रति पूर्णतया समर्पित हो जाती है, पति के लिए यह बदलाव उतना आसान नहीं होता. उसे अकसर लगता है कि उस का महत्त्व पत्नी की नजर में कम हो गया है. उसे जिस अटैंशन और वैंपरिंग की आदत हो गई थी, वह उसे मिस करता है. और इसी अटैंशन की खोज में वह घर से बाहर भागता और अफेयर में उलझ जाता है. पत्नी अपने बच्चे में इतनी उलझी होती है कि काफी वक्त तक पति की कारगुजारी की उसे भनक तक नहीं लगती.

ये भी पढ़ें- जब पत्नी हो कमाऊ

सैक्सुअल रिलेशन में उदासीनता

ऐक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर होने की एक बहुत बड़ी या प्रमुख वजह आप इसे मान सकते हैं. सैक्सुअल डिजायर का पूरा न होना पतिपत्नी के रिश्ते को बेहद कमजोर कर देता है. अपने जीवन को इस कमी को दूर करने के लिए अकसर घर से बाहर कदम निकलते हैं और अफेयर जन्म लेता है.

भावनात्मक अलगाव

कभीकभी कपल के बीच भावनात्मक अलगाव पैदा हो जाता है. दोनों के बीच प्यार तो होता है, मगर जुड़ाव कम होता जाता है. कैरियर के सिलसिले में अलगअलग शहरों/देशों में रहना इस की एक वजह होती है. और वजहें होती हैं वक्त की कमी या फिर संवाद की कमी.ऐसा होने से हो सकता है कि गुजरते वक्त के साथ आप एकदूजे से इमोशनली डिसकनैक्ट हो जाएं और किसी और से आप के मन के तार जुड़ जाएं. बाद में यह खूबसूरत, भावनात्मक रिश्ता अफेयर का रूप ले ले.

बदलाव की चाह

कभीकभी जिंदगी एक मुकाम पर आ कर ठहर सी जाती है. रिश्ते, बातें, स्पर्श, साथ, साहचर्य इन सब से ताजगी की महक उड़ जाती है. शादी के कुछ वर्षों पश्चात उपजी इस एकरसता से पैदा होती है बदलाव की चाह. लाइफ पार्टनर से प्यार है मगर रिश्ते में वह स्पार्क बाकी नहीं, जो पहले था. इस कमी को दूर करने, जिंदगी में कुछ नया, ऐडवैंचरस करने और मिर्चमसाला भरने की चाह नए साथी, नए सफर पर चलने की वजह बनती है. ऐसे में शुरुआत हो जाती है एक नए अफेयर की.

कैरियर में आगे बढ़ने की ललक

आज कैरियर वूमन का जमाना है. मर्दों के लिए तो पहले भी था, लेकिन अब महिलाओं के लिए भी कैरियर उन की टौप मोस्ट प्राथमिकता है. अब जब मैरिड कपल में दोनों ही वार्किंग हैं, दोनों ही पदोन्नति पाने को बेताब हैं, अपना सारा समय, शक्ति, ऊर्जा और क्षमता कैरियर को ऊंचा उगने में लगा रहे हैं, तो स्पष्ट है कि उन के पास आपसी रिश्तों को संवारने, सहेजने और मजबूत बनाने के लिए न तो वक्त है, न ही इस की जरूरत उन्हें महसूस होती है. नतीजा, उन के रिश्ते में अब वह मजबूती, स्थायित्व नहीं रह जाता जो पहले होता था. इस कमी के चलते दोनों में से कोई भी एक पार्टनर सहज ही उपलब्ध मौके का फायदा उठा कर नई राह का राही बन जाता है.

किसी एक का बेहद आकर्षक होना

आम जिंदगी में यह बहुत ही कम देखने में आता है कि पतिपत्नी दोनों ही समान रूप से खूबसूरत, आकर्षक हों. 19-20 के फर्क को रहने दिया जाए तो ऐसे भी कपल देखने में मिलते हैं जहां अंतर 10 और 20 का होता है. और अगर पति 20 और बीवी 10 है, तो ऐक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर का खतरा 10 गुना बढ़ जाता है. हैंडसम, उच्चपदस्थ, वैलग्रूम्ड मर्दों की तरफ विवाहित, अविवाहित महिलाएं बिन डोर खिंची चली जाती हैं. और मर्द तो विधिवत प्रेमी होते ही हैं, ऐसे में सैक्सी, हौट सुंदर बाला जब स्वयं आगे बढ़ ग्रीन सिगनल दे बैठे तो अफेयर की शुरुआत तो बस हुई ही समझो.

ये भी पढ़ें- जब बच्चे करें वयस्क सवाल

नारी स्वतंत्रता व समानता का दौर

आज के दौर में नारी किसी बात में मर्द से पीछे नहीं, अफेयर के मामले में भी नहीं. पति का हद से ज्यादा व्यस्त रहना, साधारण व्यक्तित्व होना, पत्नी से प्यार तो करना मगर इजहार, इकरार करना न आना या कहिए  पत्नी को वह अटैंशन न देना जो शादी की शुरुआत में देता था, ये कुछ ऐसे कारण हैं जो पत्नी को ऐक्स्ट्रा अफेयर के लिए उकसाते हैं. पहले भी ये वजहें होती थीं लेकिन पत्नी यों ही जीवन जीती रहती थी. लेकिन अब जौब करने से उस के पास भी भरपूर मौका है, पति के अलावा अन्य मर्दों के संपर्क में आने, उन से दोस्ती, फ्लर्टिंग, अफेयर करने का. लेकिन गलत राह के राही बनेंगे तो सही मंजिल तक कभी नहीं पहुंचेगे. बहकने, कदम डगमागाने के कारण चाहे जो भी हों, लेकिन समझदारी इसी में है कि आकर्षण, बदलाव और मौजमस्ती की चाहत में किए अफेयर को जल्द ही खत्म कर अपने घर जीवनसाथी के पास वापस आ जाएं. आखिर जिंदगी भर के साथ का वादा भी तो किया है. न.

शादी का लड्डू: बनी रहे मिठास

शादी की शुरुआत एकदूसरे के प्रति अथाह प्यार व भविष्य का तानाबाना बुनने से होती है. लेकिन जैसेजैसे समय बीतता जाता है, पारिवारिक जिम्मेदारियां प्राथमिकता बनने लगती हैं और प्यार धीरेधीरे अपनी जगह खोने लगता है. इस आपाधापी में पतिपत्नी यह भूल जाते हैं कि अगर आपसी रिश्ते में प्यार की ताजगी बनी रहेगी तो जिम्मेदारियों का निर्वाह भी हंसीखुशी होता रहेगा.

अपनी व्यस्त जिंदगी से कुछ पल सिर्फ एकदूसरे के लिए निकाल कर तो देखें, हर एक लमहा हमेशा के लिए यादगार बन जाएगा.

कुछ बोल प्यार के

रविवार का खुशनुमा दिन. दिल्ली के शालीमार बाग के एक होटल में कारोबारी चोपड़ाजी की शादी की सिल्वर जुबली की पार्टी चल रही थी. अकसर अपने काम में व्यस्त रहने वाले कारोबारी यहां फुरसत में एकदूसरे से गप्पें लड़ा रहे थे. तभी एक कारोबारी अपने परिचित एक कारोबारी से कहता है, ‘‘गुप्ताजी, आप की शादी को भी तो शायद 25 वर्ष होने वाले हैं. आप कब दे रहे हैं अपनी शादी की सिल्वर जुबली की पार्टी?’’

गुप्ताजी अपने दोस्त की बात पर मुसकराते हुए कहते हैं, ‘‘दोस्त, हमारे जीवन में तो ऐसा कुछ भी नहीं हुआ, जिसे किसी पर्व की तरह मनाया जाए या फिर पार्टी दी जाए. मेरी पत्नी से कभी पूछ कर देखो तो. वह तो जैसे मेरे से उकता चुकी है. वह यही कहती मिलेगी कि मुझे अपनी जिंदगी में बहुत ही नीरस व्यक्ति मिला है, जो अपनी पत्नी को गहनेकपड़े दे कर ही अपना यानी पति का फर्ज पूरा हुआ समझता है.’’ इस बातचीत के दौरान गुप्ता जी यह बताना भूल गए कि आखिर शादी के बाद स्वयं उन्होंने अपनी पत्नी के साथ प्यार भरे मीठे पल बिताने की कितनी कोशिश की. पत्नी को सोनेचांदी के उपहार से ज्यादा पति के साथ बिताए प्यारे पल व प्यार से कहे गए दो शब्द ज्यादा प्रिय होते हैं.

ये भी पढ़ें- जानें कैसी हो इकलौते की परवरिश

आपस में प्यार के दो मीठे बोल बोलने के लिए समय का इंतजार करते रहेंगे तो शायद यूं ही सारी उम्र बीत जाए. सुबह औफिस पहुंचने की भागमभाग के बीच कुछ पल निकाल कर पत्नी को आलिंगन करते हुए सिर्फ इतना कहना है कि आज तुम बहुत सुंदर लग रही हो. फिर तो पत्नी के चेहरे पर छाई लाली को आप सारा दिन भुला नहीं पाएंगे.

शाम को चाय की चुसकियां लेते समय पत्नी की प्यार भरी छेड़छाड़ पति की सारे दिन की थकान दूर कर देगी. ये छोटेछोटे पल नीरसता को दूर कर के जिंदगी को खुशनुमा बना देंगे.

मेड फौर ईचअदर

हाल ही में किए गए एक सर्वे के अनुसार अधिकांश विवाहित जोड़े शादी के 2-3 साल बाद ही एकदूसरे से उकताने लगते हैं. कई पति तो ऐसे भी होते हैं कि पत्नी अगर कुछ दिनों के लिए मायके चली जाए तो वे उन दिनों को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाते हैं. ऐसे पतियों को पत्नी की कमी का एहसास तब होता है जब घरेलू कामकाज खुद करने पड़ते हैं.

फिर जिन दिनों को आप स्वतंत्रता के दिन कह रहे हैं, ऐसे आजादी के दिन जब लंबे खिंचने लगते हैं तो पत्नी पर निर्भर ज्यादातर पति मन ही मन यही सोचते हैं कि पत्नी जल्दी से जल्दी घर लौट आए तो अच्छा हो. हां, यह बात अलग है कि 100 में से 1 भी पति यह मानने को तैयार नहीं होता है कि पत्नी के जाने पर उसे किसी प्रकार की कोई दिक्कत पेश आ रही थी.

उम्र के साथ बढ़ता प्यार

‘‘शादी के कुछ वर्ष बीत जाने के बाद पतिपत्नी एकदूसरे से उकताए से दिखते जरूर हैं, पर यह उकताहट मन से नहीं, ऊपरी तौर पर होती है, क्योंकि शादी के कुछ ही वर्षों के बाद पति अपनी पत्नी पर कुछ इस कदर निर्भर हो जाते हैं कि छोटीमोटी बात के लिए भी वे अपनी पत्नी के मुहताज हो जाते हैं और तब उन की ‘मेड फौर ईचअदर’ वाली स्थिति बन जाती है.

ये भी पढ़ें- जानें बेहतर मैरिड लाइफ से जुड़ी जानकारी

शादी के बाद बढ़ती उम्र में प्यार का प्रभाव जानने वाले वैज्ञानिकों का कहना है कि शादी के बाद समय के साथ शादीशुदा जोड़ों में आपसी प्यार व लगाव कम होता जाता है, वाली बात पूरी तरह से गलत है. सचाई यह है कि शादी के बाद वर्षों तक साथ रहने और एकदूसरे के गुणों को जाननेसमझने के बाद शादी के शुरुआती दौर की तरह ही इस उम्र में भी प्यार फिर से परवान चढ़ता है और पहले के प्यार के दौर के मुकाबले यह कहीं ज्यादा गहरा होता है.

मुझसे कोई प्यार करता है, लेकिन मैं उससे प्यार नहीं करती, मैं क्या करुं?

सवाल

मैं एक लड़के से प्यार करती हूं. वह भी मुझे प्यार करता है. पर समस्या यह है कि मेरा चचेरा भाई भी मुझे बहुत प्यार करता है, मैं उसे नहीं चाहती. लेकिन यह बात कह कर मैं उसे दुखी भी नहीं करना चाहती हूं. फिर यदि मैं ने अपने बौयफ्रैंड से इस प्रेम संबंध को समाप्त करने की बात कही तो उसे तो दुख होगा ही, साथ ही मैं भी उस से जुदा हो कर जी नहीं पाऊंगी. मैं अजीब उलझन में हूं. किसी का भी दिल नहीं तोड़ना चाहती. कृपया मेरा मार्गदर्शन करें.

जवाब

आप को अपने चचेरे भाई को किसी मुगालते में नहीं रखना चाहिए. उस से साफ साफ कह दें कि आप दोनों भाईबहन हैं और आप का खून का रिश्ता है. आप की उस के प्रति जो चाहत है वह सिर्फ एक बहन की अपने भाई के प्रति है. यह सुन कर वह दुखी होगा, हो सकता है कि आप से नफरत भी करने लगे, पर इस के अलावा आप के पास कोई चारा भी नहीं है. प्यार के इस भ्रम को जितनी जल्दी तोड़ देंगी, तकलीफ उतनी ही कम होगी.

ये भी पढ़ें- मेरी आंखों के नीचे काले घेरे हो गए हैं, मैं क्या करुं?

ये भी पढ़ें- 

एक हार्ट केयर हौस्पिटल के शुभारंभ का आमंत्रण कार्ड कोरियर से आया था. मानसी ने पढ़ कर उसे काव्य के हाथ में दे दिया. काव्य ने उसे पढना शुरू किया और अतीत में खोता चला गया…

उस ने रक्षित का दरवाजा खटखटाया. वह उस का बचपन का दोस्त था. बाद में दोनों कालेज अलगअलग होने के कारण बहुत ही मुश्किल से मिलते थे. काव्य इंजीनियरिंग कर रहा था और रक्षित डाक्टरी की पढ़ाई. आज काव्य अपने मामा के यहां शादी में अहमदाबाद आया हुआ था, तो सोचा कि अपने खास दोस्त रक्षित से मिल लूं, क्योंकि शादी का फंक्शन शाम को होना था. अभी दोपहर के 3-4 घंटे दोस्त के साथ गुजार लूं. जीभर कर मस्ती करेंगे और ढेर सारी बातें करेंगे. वह रक्षित को सरप्राइज देना चाहता था.

उस के पास रक्षित का पता था क्योंकि अभी उस ने पिछले महीने ही इसी पते पर रक्षित के बर्थडे पर गिफ्ट भेजा था. दरवाजा दो मिनट बाद खुला, उसे आश्चर्य हुआ पर उस से ज्यादा आश्चर्य रक्षित को देख कर हुआ. रक्षित की दाढ़ी बेतरतीब व बढ़ी हुई थी. आंखें धंसी हुई थीं जैसे काफी दिनों से सोया न हो. कपड़े जैसे 2-3 दिन से बदले न हों. मतलब, वह नहाया भी नहीं था. उस के शरीर से हलकीहलकी बदबू आ रही थी, फिर भी काव्य दोस्त से मिलने की खुशी में उस से लिपट गया. पर सामने से कोई खास उत्साह नहीं आया.

‘क्या बात है भाई, तबीयत तो ठीक है न,’ उसे आश्चर्य हुआ रक्षित के व्यवहार से, क्योंकि रक्षित हमेशा काव्य को देखते ही चिपक जाता था.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें